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Incest सुहाना सफर और अनचाहे रास्ते

Satyaultime123

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"गोलू जा बड़े पापा को बुला ले खाना लगा देती हु" मां ने मुझे आवाज दी...

में बड़े पापा के कमरे की तरफ में जा रहा था की मुझे उनके कमरे से आवाज आई... वो किसी से बात कर रहे थे...
"अरे यार कुसुम नही आयेगी मेरे साथ..." "अरे भाई पूछ तो सही पहले ही हार मान लिया.." "हा कोसिस करता हु.."

में दरवाजे पे खड़ा खड़ा ही बोला "बड़े पापा वो मां बुला रही है खाने को" में जाने लगा..."अरे गोलू रुक तो"...
में वापस कमरे में आया...और उन्होंने मुझे एक वीडियो गेम की सी डी पकड़ा दी जिसे देख में बड़ा खुश हो गया...और भाग के मां के पास गया और उनको देखा के बोला "मां मां देखो बड़े पापा क्या लाई है" मां ने मुझे देख हल्का सा सुस्करा दी...

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और फिर उपर से आ रहे बड़े पापा को एक टक देखती रही...दोनो की नजरे मिल गई थी...मां उन्हें कैसे अपनी आखों ही आखो से सुक्रिया कर रहीं थी...बड़े पापा शर्म से लाल हुए टेबल पे बैठ गई....

दादाजी – बेटा विक्रम बड़े चमक रहे हो...नहा के पूरी थकान भाग गई होगी...

बड़े पापा ने हा में सर हिला दिया...और मां खाना देने लगी...मां बड़े पापा को बड़े प्यार से परोस रही थी...की दादाजी मां की और देख के बोले...

"बहु खाना तो बड़ा खास बना है आज.." "देखा बापूजी भईया के लिए कैसे खास खाना बनाया जा रहा है" पापा ने मां को छेड़ते हुए कहा..."तो आप भी जेठ जी जितना काम करोगे और महीने में तीन चार बार ही आओ घर तो आप के लिए भी बना दूंगी..." मां ने पापा को गुस्से से देखती हुए कहा...और फिर जोर से हसी निकल गई सब की...."मां गुलाब जामुन दोना" "अरे बेटा कितना खाएगा बस कर" मां ने प्यार से कहा...

"बहु तुम ने मेरे घर को स्वर्ग बना दिया है.. तुम्हारे जैसी बहू पाके मेरे तो भाग खुल गई... अब बस जल्द से जल्द हमे खुसखबरी चाइए पूरा एक साल हो गया बहु.." दादाजी ने अचानक ही माहोल को शांत कर दिया अपनी बात से...सब के मुंह पे छुपी छा गई...

"विक्रम बेटा डॉक्टर से जांच रिपोर्ट करवा रहा हैं क्या आया रिपोर्ट में.. " दादाजी की बात बड़े पापा के मुंह में खाना अटक गया और वो खु खु करने लगे...की मां ने उन्हें पानी दिया...

सब खाना खा के कमरे ने जाने लगे...बड़े पापा तो पूरा खाना खाई बिना ही चले गई... अब मां आखिर में खाना खाने लगी...और दादाजी वही बैठ मां की खूबसूरत सुंदरता को अपनी आखों से जी भर के निहार रह थे...

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"बहु क्या बात है अभी तक कैसे नही हो रहा क्या वो भी आलोक की तरह अब तुम्हे पेट से नही कर पाएगा" दादाजी ने अपनी बात रख दी...

"बापूजी रिपोर्ट मेने देखी है उन्हे तो कोई कमी नही लेकिन अभी तक वो हमारे बीच ऐसा कुछ हुआ ही नहीं हे...आप उन्हें इतना कुछ बोलिए मत वो बड़ी मुस्किल से तो तैयार हुए थे.. में कोशिश कर रही हूं..." मां खाते हुए बोली....


"क्या नालायक से इतना काम भी नहीं हो रहा... तुम्हारे जैसी खुबसूरत अप्सरा के साथ एक कमरे में सोता हे फिर भी अपना लिंग तुम्हारी योनि में प्रवेश नहीं कर रहा...बहु माफ करना मुंह से निकल गया..."

मां मंद मंद मुस्करा रही थी..."बहु बस मुझे जल्द से जल्द एक पोता या पोती अपनी गोद में खिलाने है.."

"बापूजी बस आप का आशीर्वाद दीजिए...में आप को नाराज नहीं करूंगी" मां ने खाने की प्लेट उठा के कहा..."बहू तुम पे तो में अपनी ओलाद से ज्यादा यकीन करता हु... तू ही तो मेरे मुझ बुड्ढे की हर बात को अपना फर्ज मानती है...मेरी प्यारी बेटी..." ऐसा करते हुए दादाजी ने मां को पीछे से आकर अपनी बाहों में भर लिया...और मां के गले को चूमते हुए...मां के स्तनों को मसलने लगे..."आह मेरी बहु आज भी वही कसाव आह...मेरा बीज ही डाल देता बहु अगर ये बुड्ढे में दम होता..."
मां – आह बापूजी क्या कर रहे हो... कोई देख लेगा...



 

Suryasingham5

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Update 02

"गोलू जा बड़े पापा को बुला ले खाना लगा देती हु" मां ने मुझे आवाज दी...

में बड़े पापा के कमरे की तरफ में जा रहा था की मुझे उनके कमरे से आवाज आई... वो किसी से बात कर रहे थे...
"अरे यार कुसुम नही आयेगी मेरे साथ..." "अरे भाई पूछ तो सही पहले ही हार मान लिया.." "हा कोसिस करता हु.."

में दरवाजे पे खड़ा खड़ा ही बोला "बड़े पापा वो मां बुला रही है खाने को" में जाने लगा..."अरे गोलू रुक तो"...
में वापस कमरे में आया...और उन्होंने मुझे एक वीडियो गेम की सी डी पकड़ा दी जिसे देख में बड़ा खुश हो गया...और भाग के मां के पास गया और उनको देखा के बोला "मां मां देखो बड़े पापा क्या लाई है" मां ने मुझे देख हल्का सा सुस्करा दी...

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और फिर उपर से आ रहे बड़े पापा को एक टक देखती रही...दोनो की नजरे मिल गई थी...मां उन्हें कैसे अपनी आखों ही आखो से सुक्रिया कर रहीं थी...बड़े पापा शर्म से लाल हुए टेबल पे बैठ गई....

दादाजी – बेटा विक्रम बड़े चमक रहे हो...नहा के पूरी थकान भाग गई होगी...

बड़े पापा ने हा में सर हिला दिया...और मां खाना देने लगी...मां बड़े पापा को बड़े प्यार से परोस रही थी...की दादाजी मां की और देख के बोले...

"बहु खाना तो बड़ा खास बना है आज.." "देखा बापूजी भईया के लिए कैसे खास खाना बनाया जा रहा है" पापा ने मां को छेड़ते हुए कहा..."तो आप भी जेठ जी जितना काम करोगे और महीने में तीन चार बार ही आओ घर तो आप के लिए भी बना दूंगी..." मां ने पापा को गुस्से से देखती हुए कहा...और फिर जोर से हसी निकल गई सब की...."मां गुलाब जामुन दोना" "अरे बेटा कितना खाएगा बस कर" मां ने प्यार से कहा...

"बहु तुम ने मेरे घर को स्वर्ग बना दिया है.. तुम्हारे जैसी बहू पाके मेरे तो भाग खुल गई... अब बस जल्द से जल्द हमे खुसखबरी चाइए पूरा एक साल हो गया बहु.." दादाजी ने अचानक ही माहोल को शांत कर दिया अपनी बात से...सब के मुंह पे छुपी छा गई...

"विक्रम बेटा डॉक्टर से जांच रिपोर्ट करवा रहा हैं क्या आया रिपोर्ट में.. " दादाजी की बात बड़े पापा के मुंह में खाना अटक गया और वो खु खु करने लगे...की मां ने उन्हें पानी दिया...

सब खाना खा के कमरे ने जाने लगे...बड़े पापा तो पूरा खाना खाई बिना ही चले गई... अब मां आखिर में खाना खाने लगी...और दादाजी वही बैठ मां की खूबसूरत सुंदरता को अपनी आखों से जी भर के निहार रह थे...

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"बहु क्या बात है अभी तक कैसे नही हो रहा क्या वो भी आलोक की तरह अब तुम्हे पेट से नही कर पाएगा" दादाजी ने अपनी बात रख दी...

"बापूजी रिपोर्ट मेने देखी है उन्हे तो कोई कमी नही लेकिन अभी तक वो हमारे बीच ऐसा कुछ हुआ ही नहीं हे...आप उन्हें इतना कुछ बोलिए मत वो बड़ी मुस्किल से तो तैयार हुए थे.. में कोशिश कर रही हूं..." मां खाते हुए बोली....


"क्या नालायक से इतना काम भी नहीं हो रहा... तुम्हारे जैसी खुबसूरत अप्सरा के साथ एक कमरे में सोता हे फिर भी अपना लिंग तुम्हारी योनि में प्रवेश नहीं कर रहा...बहु माफ करना मुंह से निकल गया..."

मां मंद मंद मुस्करा रही थी..."बहु बस मुझे जल्द से जल्द एक पोता या पोती अपनी गोद में खिलाने है.."

"बापूजी बस आप का आशीर्वाद दीजिए...में आप को नाराज नहीं करूंगी" मां ने खाने की प्लेट उठा के कहा..."बहू तुम पे तो में अपनी ओलाद से ज्यादा यकीन करता हु... तू ही तो मेरे मुझ बुड्ढे की हर बात को अपना फर्ज मानती है...मेरी प्यारी बेटी..." ऐसा करते हुए दादाजी ने मां को पीछे से आकर अपनी बाहों में भर लिया...और मां के गले को चूमते हुए...मां के स्तनों को मसलने लगे..."आह मेरी बहु आज भी वही कसाव आह...मेरा बीज ही डाल देता बहु अगर ये बुड्ढे में दम होता..."
मां – आह बापूजी क्या कर रहे हो... कोई देख लेगा...
Bhout jyda hot update
 

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Update 04

मां रसोई घर ने दादाजी की बाहों में मचल रही थी...और दादाजी अपनी बहु को भरपूर मात्रा में उत्तेजित करने में सफल हो रहे थे...मां मदहोशी में अपनी आखें बंद कर अपने शरीर को दादाजी की बाहों में छोड़ दी...की किसी के कदमों सुन दादाजी ने मां को अपनी बाहों से दूर करते हुए पानी का ग्लास लेकर गड़बड़ी में पानी पीने लगे..जिस से कुछ पानी निचे ही गिरने लगा....

"अरे बापूजी आराम से पीजिए..." पापा ने दादाजी को देख कहा...

दादाजी अपनी कमरे में चले गई..और उनके जाते ही...पापा ने मां को अपनी गोद में उठाया मां की आखों में प्यार से देखते हुए...उनको लेकर घर से बाहर निकल आई..."क्या कर रहे हो आलोक कोई देख लेगा तो.." "देखने दो दिखाने के लिए तो लाया हु... आसमान से अधिक खूबसूरत चांद मेरी बाहों में हो तो क्यों न दिखाऊं...जरा जलने दो सालो को..."

और ने अपनी खड़की से मां और पापा को देख रहा था की पापा ने मां को निचे रख अपने होठ मां के गुलाबी होंठ से लगा दिए हैं और मां भी पापा का पूरा साथ देने लगी...दोनो एक दूसरे को चूमने लगे और कुछ पड़ोसी मां और पापा को इसे देख हैरानी से खड़े थे...

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हमारी पड़ोस वाली आंटी (50 साल) अपने पति के साथ रास्ते पे टहल रही थी वो मां पापा को देख गुस्से से बोली.. "जरा भी लाज शर्म नही है इस को...देखो कैसे सब को बिगाड रही है..."

पापा ने मां के कान में कहा "देखो तुम्हे क्या बोल रही है..चलो मजे लेते है आओ" और पापा और मां बाहर रास्ते पे आ गई.."केसे हो मिश्रा जी..." पापा ने कहा... अंकल झट से मां पापा के पास आके खड़े रह गई.. और मां की चूची के बीच की उड़ाई नापने लगे...की मां ने जान के अपना पल्लू गिरा दिया...

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और पल्लू ठीक करने के लिए जरा सी झुकी जी से मां के सुडोल स्तन अंकल की आखों में छप से गई...मां के बड़े और सुडौल स्तन जैसे अभी मां में पतले से ब्लाउज से निकल आई ऐसी हालत थी... उनका मुंह खुला का खुला रह गया...आंटी उसके पति की हालत देख उसे कोनी से मार होस में लाई और बोली.."चलो यहां" गुस्से में आकर वो चल दी... अंकल मां और पापा की और देख हस के आंटी के पीछे चल दिए...

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जाते हुए अंकल को मां ने अपने हाथ से एक फ्लाइंग चूमी देते हुए मां पापा हस दिए...और अंकल भी बड़े ही किसी बच्चे को कोई लड़की ने लाइन दी हो पहली बार वैसे खुस हो रहे थे...

"हा हा बड़ी हरामि हो तुम.. बिचारी भाभी को आज सोने नही देगा वो आज.." पापा ने मां की और देख के कहा... "तुम अपना सोचो में तो जा रही हूं जेठजी साथ सोने" मां ने पापा हस के कहा..उनकी आखों में एक कामुक अदा साफ़ जलक रही थी...

"ठीक है उसकी सजा तो तुम्हे भईया के जाने के बाद दूंगा अभी बड़ी उछल रही हो... याद रखना इतना ही दर्द दूंगा मेरी रानी को" पापा और मां हमारे गार्डन के झूले में बैठ गई...और मां पापा की गोद में सर रख लेट गई...
और पापा ने मां के बालो को सहलाते हुए...अपने एक हाथ को मां के पेट से होते हुए मां की गरम गरम योनि के उपर रख उसे बड़े प्यार से सहलाने लगे...मां की हल्की हल्की सी सिसकारियों ने जैसे वातावरण में एक कामुकता की महक फैला दी...

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"कुसुम क्या सोच रही थी...जो इतना गीली हो चुकी हो...लगता है भईया का ही सारा कमाल है...क्या उनका मेरे से बड़ा ही मेरी जान जो इतना तड़प रही हो उसे अपनी इस नन्ही सी बिल में लेने को... आह कितना पानी छोड़ चुकी हो उनका नाम सुन के आह मेरी जान बस करो" पापा ने अपनी एक उंगली डाल के मां के कानो में धीरे धीरे कहा....

"क्या आप भी कुछ तो शर्म करो...आप को तो बस मुझे तंग करना है...फिर से रात को मत आ जाना पिछली बार की तरह मुझे बड़ी शर्म आती है फिर" मां ने पापा को अपनी तरफ खींच लिया...और पापा की छाती में चुप सी गई...

"इतने क्यू शरमा रही हो कुसुम.... अभी तो बहुत तुम ने उनका अंदर तक नही लिया... ओर तुम्हे पता है ना तुम्हे उनका बीज अपनी बच्चे दानी तक लेना पड़ेगा तभी तो फिर से एक बार...मेरी प्यारी कुसुम इतना क्यों शर्म आती है तुम्हे.. वैसे अकेले में तो तुम दोनो मिया बीबी ही बन जाते हो.." पापा ने मां की छूत में पूरी उंगली डाल दी...जिस से मां की एक तेज सिसकारी निकल पड़ी....और आवाज मेरे कानो में जाते ही मेरा लिंग उछल पड़ा....

की तभी एक तेज गुस्से से भरी आवाज आई..."आलोक आलोक..." बड़े पापा ने अपने कमरे से आवाज दी जो मेरे कमरे के पास में था... दूसरी मंझल पे कमरे थे सब से पहले वाला मां पापा का दूसरा बड़े पापा का और फिर मेरा वाला और एक कमरा खाली था और एक पड़ने लिखने के लिए था...जैसे कॉमन हॉल जैसा....नीचे के कमरे में दादाजी रहते थे....

पापा तुरत खड़े हो गई...जिन्हे देख मां हस पड़ी "इतना क्या डरते हो आप जेठ जी से.." मां जोर से हस दी...

"सिर्फ तुम्हारे सामने कुछ नही बोलते नहीं तो वो बापूजी को भी डाट दे उतना गुस्से वाले है... जाओ जाओ उनके पास तुम्हे बुला रहे होके...लेकिन सीधा बोल नही रहे...."

"इसे जाऊ क्या.. चलो पहले कमरे में चेंज करना पड़ेगा..."

"हा नई वाली ड्रेस पहन लो..भैया पागल हो जाएंगे तुम्हे देख के..."

मां पापा अपने कमरे में आ गई... मां ने नई वाली बहोत कामुक और पतले से कपड़े वाली नाइटी पहन ली...

(यार अपडेट लिखा पूरा लेकिन पोस्ट नही हुआ और डीलेट हो गया तो फिर से लिख रहा यहां से..तो कुछ ज्यादा डिटेल में नहीं लिख रहा)

पापा मां को इस हालत में देख पागल हो और मां को पकड़ के चूमने लगे "हटिए क्या कर रहे हो पूरा मेकअप खराब कर रहे हो"

"पेंटी उतार दो जान... भुईया शर्म से बोल नही पाते सायद... तुम्हारे जैसी खुबसूरत औरत को देख शर्म से लाल ही अपना निकाल ना दे हा हा"

"तुम ज्यादा मत बोलो..में कुच गलत नही सुनने वाली जेठ जी के बारे में... और अपना दिमाग कम चलाओ...उन्हें पता भी पता है एक औरत के साथ क्या किया जाता है बंद कमरे में समझे"

और मां अपना मुंह फूला के बाहर निकल के कमरा बाहर से बंद कर दी..."अरे नाराज क्यों होती हो..दरवाजा तो खोल दो मुझे भी देखना हे मेरी कुसुम को भैया केसे...खोल दो ना जानू"

मां कुछ कहे बिना बड़े पापा के कमरे के आगे खड़ी हो गई...फिर मन में सोची पेंटी निकाल ही देती हु क्या काम है इस का वैसे भी इतना गीली हो चुकी है की ठंडा ठंडा पहने लगा है...

मां पापा के पास न जाके मेरे कमरे में आई और पहले बाथरूम में अपनी पेंटी उतार के वहा रख दी...में सोने का नाटक कर रहा था और मां मेरे पास आई और मेरे माथे को चूम के मेरे सर हाथ डाल सहला दी...में लेता हु सोच रहा था मां मेरे बाथरूम में क्यों गई थी....

फिर मां बड़े पापा के कमरे को खटखटाने लगी...मां ने अपनी ब्रा ऊपर की ठीक से ताकि उनके उभार और दिखे...

बड़े पापा ने जैसे ही दरवाजा खोला वो मां को देखते ही रह गई...वो मां को देख दूसरे पल इतना हड़बड़ा गई की वो फट से दूसरी और मुंह कर दिया...मां को बड़े पापा का यही सरमिला अंदाज पागल कर देता था... मां भी बड़ी खुश हो गई की बड़े पापा को वो इतना अधिक मात्रा में शर्म में डाल दी...वो अपनी हसी रोक नही आई..." हा हा... क्या हुआ जेठ...जी...मां बड़ी कामुक आवाज में बोली"

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मां बड़ी खुश थी वो पहले दरवाजा ठीक से बंद की...फिर एक एक कर सारी खिड़की भी बंद कर दी...और जाके बेड पे बैठ के बड़े पापा के मुंह पे शर्म और डर को देख वो अपनी खूबसूरती में इतरा के उन्हें अपनी अदा से घूरने लगी... मां को ये बात बड़ी उत्तेजित करती की बड़े पापा जो कभी किसी लड़की या औरत को मुंह उठा के देखते भी नही और सादी न करने का फैसला अपनी जवानी में ही कर चूक हो... और जो अपने पिताजी की भी बात को काट देता था वो आज मां के आगे नतमस्तक होकर खड़ा था...मां को अपनी खूबसूरती पे गर्व महसूस हुआ कि वो घर के तीनो मर्द को अपनी इगली पे रखती है...

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मां अपने खुले वालो को हाथ में लिए उन्हें सहला के मंद मंद मुस्करा रही थी...मां की मुस्कान में एक बड़ी ही कातिल अदा थी...जो बड़े पापा को पूरी तरह से बैचेन कर देती है...वो मां की ऐसे देख बहोत हद तक डर गई थे...उन्हे बड़े बड़े गुंडे नही डरा पाते लेकिन औरत को लेके वो बड़े शर्मीले रहे है...एक मां के साथ ही वो थोड़े खुले थे लेकिन आज मां को इतने कामुक कपड़ों में देख उन्हें समझ ही नही आता की आगे क्या किया जाय... लोड़ा तो उनका भी खड़ा था जो मां की योनि में जाने को बेकरार हुए था लेकिन कैसे क्या किया जाए ये सोच सोच ही वो आज तक मां के साथ शारीरिक संबंध नहीं बना पाई...
 
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Motaland2468

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मां रसोई घर ने दादाजी की बाहों में मचल रही थी...और दादाजी अपनी बहु को भरपूर मात्रा में उत्तेजित करने में सफल हो रहे थे...मां मदहोशी में अपनी आखें बंद कर अपने शरीर को दादाजी की बाहों में छोड़ दी...की किसी के कदमों सुन दादाजी ने मां को अपनी बाहों से दूर करते हुए पानी का ग्लास लेकर गड़बड़ी में पानी पीने लगे..जिस से कुछ पानी निचे ही गिरने लगा....

"अरे बापूजी आराम से पीजिए..." पापा ने दादाजी को देख कहा...

दादाजी अपनी कमरे में चले गई..और उनके जाते ही...पापा ने मां को अपनी गोद में उठाया मां की आखों में प्यार से देखते हुए...उनको लेकर घर से बाहर निकल आई..."क्या कर रहे हो आलोक कोई देख लेगा तो.." "देखने दो दिखाने के लिए तो लाया हु... आसमान से अधिक खूबसूरत चांद मेरी बाहों में हो तो क्यों न दिखाऊं...जरा जलने दो सालो को..."

और ने अपनी खड़की से मां और पापा को देख रहा था की पापा ने मां को निचे रख अपने होठ मां के गुलाबी होंठ से लगा दिए हैं और मां भी पापा का पूरा साथ देने लगी...दोनो एक दूसरे को चूमने लगे और कुछ पड़ोसी मां और पापा को इसे देख हैरानी से खड़े थे...

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हमारी पड़ोस वाली आंटी (50 साल) अपने पति के साथ रास्ते पे टहल रही थी वो मां पापा को देख गुस्से से बोली.. "जरा भी लाज शर्म नही है इस को...देखो कैसे सब को बिगाड रही है..."

पापा ने मां के कान में कहा "देखो तुम्हे क्या बोल रही है..चलो मजे लेते है आओ" और पापा और मां बाहर रास्ते पे आ गई.."केसे हो मिश्रा जी..." पापा ने कहा... अंकल झट से मां पापा के पास आके खड़े रह गई.. और मां की चूची के बीच की उड़ाई नापने लगे...की मां ने जान के अपना पल्लू गिरा दिया...

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और पल्लू ठीक करने के लिए जरा सी झुकी जी से मां के सुडोल स्तन अंकल की आखों में छप से गई...मां के बड़े और सुडौल स्तन जैसे अभी मां में पतले से ब्लाउज से निकल आई ऐसी हालत थी... उनका मुंह खुला का खुला रह गया...आंटी उसके पति की हालत देख उसे कोनी से मार होस में लाई और बोली.."चलो यहां" गुस्से में आकर वो चल दी... अंकल मां और पापा की और देख हस के आंटी के पीछे चल दिए...

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जाते हुए अंकल को मां ने अपने हाथ से एक फ्लाइंग चूमी देते हुए मां पापा हस दिए...और अंकल भी बड़े ही किसी बच्चे को कोई लड़की ने लाइन दी हो पहली बार वैसे खुस हो रहे थे...

"हा हा बड़ी हरामि हो तुम.. बिचारी भाभी को आज सोने नही देगा वो आज.." पापा ने मां की और देख के कहा... "तुम अपना सोचो में तो जा रही हूं जेठजी साथ सोने" मां ने पापा हस के कहा..उनकी आखों में एक कामुक अदा साफ़ जलक रही थी...

"ठीक है उसकी सजा तो तुम्हे भईया के जाने के बाद दूंगा अभी बड़ी उछल रही हो... याद रखना इतना ही दर्द दूंगा मेरी रानी को" पापा और मां हमारे गार्डन के झूले में बैठ गई...और मां पापा की गोद में सर रख लेट गई...
और पापा ने मां के बालो को सहलाते हुए...अपने एक हाथ को मां के पेट से होते हुए मां की गरम गरम योनि के उपर रख उसे बड़े प्यार से सहलाने लगे...मां की हल्की हल्की सी सिसकारियों ने जैसे वातावरण में एक कामुकता की महक फैला दी...

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"कुसुम क्या सोच रही थी...जो इतना गीली हो चुकी हो...लगता है भईया का ही सारा कमाल है...क्या उनका मेरे से बड़ा ही मेरी जान जो इतना तड़प रही हो उसे अपनी इस नन्ही सी बिल में लेने को... आह कितना पानी छोड़ चुकी हो उनका नाम सुन के आह मेरी जान बस करो" पापा ने अपनी एक उंगली डाल के मां के कानो में धीरे धीरे कहा....

"क्या आप भी कुछ तो शर्म करो...आप को तो बस मुझे तंग करना है...फिर से रात को मत आ जाना पिछली बार की तरह मुझे बड़ी शर्म आती है फिर" मां ने पापा को अपनी तरफ खींच लिया...और पापा की छाती में चुप सी गई...

"इतने क्यू शरमा रही हो कुसुम.... अभी तो बहुत तुम ने उनका अंदर तक नही लिया... ओर तुम्हे पता है ना तुम्हे उनका बीज अपनी बच्चे दानी तक लेना पड़ेगा तभी तो फिर से एक बार...मेरी प्यारी कुसुम इतना क्यों शर्म आती है तुम्हे.. वैसे अकेले में तो तुम दोनो मिया बीबी ही बन जाते हो.." पापा ने मां की छूत में पूरी उंगली डाल दी...जिस से मां की एक तेज सिसकारी निकल पड़ी....और आवाज मेरे कानो में जाते ही मेरा लिंग उछल पड़ा....

की तभी एक तेज गुस्से से भरी आवाज आई..."आलोक आलोक..." बड़े पापा ने अपने कमरे से आवाज दी जो मेरे कमरे के पास में था... दूसरी मंझल पे कमरे थे सब से पहले वाला मां पापा का दूसरा बड़े पापा का और फिर मेरा वाला और एक कमरा खाली था और एक पड़ने लिखने के लिए था...जैसे कॉमन हॉल जैसा....नीचे के कमरे में दादाजी रहते थे....

पापा तुरत खड़े हो गई...जिन्हे देख मां हस पड़ी "इतना क्या डरते हो आप जेठ जी से.." मां जोर से हस दी...

"सिर्फ तुम्हारे सामने कुछ नही बोलते नहीं तो वो बापूजी को भी डाट दे उतना गुस्से वाले है... जाओ जाओ उनके पास तुम्हे बुला रहे होके...लेकिन सीधा बोल नही रहे...."

"इसे जाऊ क्या.. चलो पहले कमरे में चेंज करना पड़ेगा..."

"हा नई वाली ड्रेस पहन लो..भैया पागल हो जाएंगे तुम्हे देख के..."

मां पापा अपने कमरे में आ गई... मां ने नई वाली बहोत कामुक और पतले से कपड़े वाली नाइटी पहन ली...

(यार अपडेट लिखा पूरा लेकिन पोस्ट नही हुआ और डीलेट हो गया तो फिर से लिख रहा यहां से..तो कुछ ज्यादा डिटेल में नहीं लिख रहा)

पापा मां को इस हालत में देख पागल हो और मां को पकड़ के चूमने लगे "हटिए क्या कर रहे हो पूरा मेकअप खराब कर रहे हो"

"पेंटी उतार दो जान... भुईया शर्म से बोल नही पाते सायद... तुम्हारे जैसी खुबसूरत औरत को देख शर्म से लाल ही अपना निकाल ना दे हा हा"

"तुम ज्यादा मत बोलो..में कुच गलत नही सुनने वाली जेठ जी के बारे में... और अपना दिमाग कम चलाओ...उन्हें पता भी पता है एक औरत के साथ क्या किया जाता है बंद कमरे में समझे"

और मां अपना मुंह फूला के बाहर निकल के कमरा बाहर से बंद कर दी..."अरे नाराज क्यों होती हो..दरवाजा तो खोल दो मुझे भी देखना हे मेरी कुसुम को भैया केसे...खोल दो ना जानू"

मां कुछ कहे बिना बड़े पापा के कमरे के आगे खड़ी हो गई...फिर मन में सोची पेंटी निकाल ही देती हु क्या काम है इस का वैसे भी इतना गीली हो चुकी है की ठंडा ठंडा पहने लगा है...

मां पापा के पास न जाके मेरे कमरे में आई और पहले बाथरूम में अपनी पेंटी उतार के वहा रख दी...में सोने का नाटक कर रहा था और मां मेरे पास आई और मेरे माथे को चूम के मेरे सर हाथ डाल सहला दी...में लेता हु सोच रहा था मां मेरे बाथरूम में क्यों गई थी....

फिर मां बड़े पापा के कमरे को खटखटाने लगी...मां ने अपनी ब्रा ऊपर की ठीक से ताकि उनके उभार और दिखे...

बड़े पापा ने जैसे ही दरवाजा खोला वो मां को देखते ही रह गई...वो मां को देख दूसरे पल इतना हड़बड़ा गई की वो फट से दूसरी और मुंह कर दिया...मां को बड़े पापा का यही सरमिला अंदाज पागल कर देता था... मां भी बड़ी खुश हो गई की बड़े पापा को वो इतना अधिक मात्रा में शर्म में डाल दी...वो अपनी हसी रोक नही आई..." हा हा... क्या हुआ जेठ...जी...मां बड़ी कामुक आवाज में बोली"

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मां बड़ी खुश थी वो पहले दरवाजा ठीक से बंद की...फिर एक एक कर सारी खिड़की भी बंद कर दी...और जाके बेड पे बैठ के बड़े पापा के मुंह पे शर्म और डर को देख वो अपनी खूबसूरती में इतरा के उन्हें अपनी अदा से घूरने लगी... मां को ये बात बड़ी उत्तेजित करती की बड़े पापा जो कभी किसी लड़की या औरत को मुंह उठा के देखते भी नही और सादी न करने का फैसला अपनी जवानी में ही कर चूक हो... और जो अपने पिताजी की भी बात को काट देता था वो आज मां के आगे नतमस्तक होकर खड़ा था...मां को अपनी खूबसूरती पे गर्व महसूस हुआ कि वो घर के तीनो मर्द को अपनी इगली पे रखती है...

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मां अपने खुले वालो को हाथ में लिए उन्हें सहला के मंद मंद मुस्करा रही थी...मां की मुस्कान में एक बड़ी ही कातिल अदा थी...जो बड़े पापा को पूरी तरह से बैचेन कर देती है...वो मां की ऐसे देख बहोत हद तक डर गई थे...उन्हे बड़े बड़े गुंडे नही डरा पाते लेकिन औरत को लेके वो बड़े शर्मीले रहे है...एक मां के साथ ही वो थोड़े खुले थे लेकिन आज मां को इतने कामुक कपड़ों में देख उन्हें समझ ही नही आता की आगे क्या किया जाय... लोड़ा तो उनका भी खड़ा था जो मां की योनि में जाने को बेकरार हुए था लेकिन कैसे क्या किया जाए ये सोच सोच ही वो आज तक मां के साथ शारीरिक संबंध नहीं बना पाई...
Shaandar update bro
 
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sunoanuj

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बहुत ही जबरदस्त कामुक अपडेट है ! बहुत ही उम्दा कहानी है आपकी!

👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻

ऐसे ही जबरदस्त अपडेट देते रहिए !
 
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abhimumde831

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Nice start
 

Enjoywuth

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