Update 92
वो चीख पड़ी : "नूऊऊऊऊओ... समीईर.... ऐसा मत करना.... फट जाएगी मेरी ..... प्लीज़ समीर... एक साथ मत डालो दोनो....''
पर समीर कहाँ मानने वाला था, उसने थोड़ा सा ज़ोर लगाया और लोकेश के लंड के साथ-2 अपने लंड को भी उसकी चूत में डाल दिया... और रश्मि बेचारी अपना मुँह फाड़े हुए दूसरे लंड को भी अपनी चूत में दाखिल होते हुए महसूस करने लगी... उसे तो लगा था की वो फट ही जाएगी पर उसकी चूत बड़े आशचर्यजनक रूप से रबड़ की तरह लचीली निकली और उसने धीरे-2 करते हुए समीर को भी अंदर निगल लिया...
और अब दोनो एक साथ एक ही छेद के अंदर अपना लंड पेल रहे थे.. इन दोनो की कलाकारी देखकर वो हैरान रह गयी.. बस अपना मुँह खोले वो उनसे चुदवाती रही..
पर दर्द भी हो रहा था, इसलिए उसकी रीक़ुएस्ट पर वो दोनो फिर से अपने उसी पोज़ में आ गये, यानी समीर ने फिर से उसकी गांड में अपना लंड डाल दिया और पहले की तरह चोदने लगा..
और तीनो के शरीर जिस तरह की कड़ी मेहनत कर रहे थे, उनमे से पसीना निकलने लगा... तीनो के शरीर पसीने में लथपथ हो चले थे... पर चुदाई में कोई कमी नही आ रही थी...
गीली चूत और रसीली गांड के अंदर लण्डों की धकापेल चल रही थी..
और रश्मि अपना मुम्मा लोकेश से चुस्वाते हुए, अपने पति के लंड को देखते हुए मज़े ले रही थी..
लोकेश और समीर जब भी मिलकर किसी को चोदते तो हमेशा आसन बदल-2 कर, इससे चुदवाने वाली को भी मज़ा आता था और वो दोनो भी काफ़ी देर तक झड़ने से दूर रहते थे..
और इसलिए अब आसान चेंज करने का वक़्त आ गया था.
समीर उठ खड़ा हुआ और उसने रश्मि को पकड़कर अपनी गोद में उठा लिया...और इस बार उसने अपना लंड उसकी चूत में डाला, यानी गाण्ड मारने का मौका इस बार लोकेश का था... उसने भी पीछे से आकर समीर की गोद में झूल रही रश्मि की गांड पर अपना लंड टीकाया और अपने पंजे उचका कर उसे उपर की तरफ करते हुए उसके अंदर पहुँचा दिया...
और इस तरह से एक और नये तरीके से चुदाई करवाते हुए रश्मि निहाल सी हो गयी...
उसकी बाहें अपने पति समीर की गर्दन में थी और उसने अपनी टाँगे उसकी कमर से लपेटी हुई थी और दोनो के लंड एक ही बार मे उसके अंदर बाहर हो रहे थे..
जब औरत को अंदर से मज़ा आना शुरू हो जाता है तो उसे अपने पार्टनर पर बड़ा प्यार आता है और यही इस वक़्त रश्मि के साथ भी हो रहा था... पर प्राब्लम ये थी की उसके दो पार्ट्नर थे इस वक़्त... अब वो पीछे मुड़कर लोकेश को तो अपना प्यार दिखा नही सकती थी, इसलिए उसने अपने पति को अपनी बाहों में भींचकर उसके होंठों को अपने मुँह में लिया और अपना रसीला रस उसे पिलाने लगी..
समीर भी बड़े चाव से उसके मोटे मुममे दबाता हुआ, उसके होंठों का रस पीने लगा...
रश्मि थोड़े भारी शरीर की थी इसलिए दोनो जल्द ही थक गये, वैसे भी अगले आसान का वक़्त आ चुका था... इसलिए समीर उसे ऐसे ही अपनी गोद में लेकर नीचे बने बेडरूम की तरफ चल दिया... लोकेश अपना लंड निकाल चुका था और उनके पीछे-2 अपना लंड मसलता हुआ वो भी बेडरूम में आ गया...
तब तक समीर ने रश्मि को बेड पर लिटा दिया था और एक बार फिर से उसके पीछे जाकर उसकी गांद में दाखिल हो गया, यानी अब लोकेश के आगे आने की बारी थी..
रश्मि उनकी जुगलबंदी देखकर समझ चुकी थी की ये इन दोनो का पहला मौका नही है जब दोनो मिल कर किसी के साथ सेक्स कर रहे हैं, क्योंकि बिना कुछ बोले दोनो एक दूसरे की बातें समझ रहे थे और खुल कर एक दूसरे के सामने ही चुदाई भी कर रहे थे, ऐसा पहली ही बार में कोई नही कर सकता...
पर अभी इन बातों को समझने का नही, बल्कि मज़े लेने का वक़्त था, इसलिए वो सामने से आ रहे लोकेश के लंड को अपनी चूत के अंदर खिसकाते हुए, पीछे से मिल रहे समीर के झटकों को अपनी गांड में लेते हुए फिर से चिल्लाने लगी..
''ऊऊऊऊऊऊऊऊओह समीईईईईर..... पहले क्यो नही किया ऐसे...............अहह ये मज़ा आज जाकर मिला...................सच में ................दोनो का एक साथ लेने मे काफ़ी मज़ा आ रहा है..............आई लव यू समीर.......''
और इतना कहते-2 उसने पीछे हाथ करके बड़े ही प्यार से अपने पति के बालों को सहलाना शुरू कर दिया..
और दोनो दोस्तों ने उसे सेंडविच बनाकर आगे-पीछे से उसकी बजानी शुरू कर दी...
उन्हे चुदाई करते-2 आधा घंटे से ज़्यादा हो चुका था... इसलिए अब दोनो झड़ने के काफ़ी करीब थे..
रश्मि तो 2 बार झाड़ चुकी थी और एक और ज्वालामुखी उसके अंदर निर्मित हो रहा था..
और आख़िरकार उसकी चूत से वो ज्वालामुखी फटकर बाहर निकल ही पड़ा, जिसके बाद उसके शरीर में कोई ताक़त बची ही नही...
ढेर सारा शहद उसकी चूत से निकलकर बेड पर गिरने लगा और वो भरभरा कर झड़ गयी..
''आआआआहह समीईईईईईर......ऊऊऊऊऊऊऊऊहह लोकेश ................आई एम कमिंग...............''
और इस बार उसने अपने सामने लेटे हुए लोकेश को ज़ोर-2 से फ्रेंच किस करना शुरू कर दिया...
और उसकी थरथराहर और चीखे बहुत थी, समीर और लोकेश के लंड का पानी निकालने के लिए.... और हमेशा की तरहा दोनो ने एक साथ इशारा करते हुए अपना-2 लंड उसकी टनल से बाहर निकाला और उसके सेक्सी से चेहरे के उपर ले जाकर लहरा दिया...
और रश्मि ने बड़े ही प्यार से उन दोनो के लंड को हाथ में लिया और एक साथ चूसते हुए उसे हिलाने भी लगी.. और एक ही मिनट के अंदर-2 दोनो के नल से पानी निकलकर उसके मुँह को तर करने लगा.... और वो बड़े ही चाव से उन दोनो दोस्तों की दोस्ती की निशानी को अपने मुँह में ले जाते हुए निगल गयी...
और ऐसा करते हुए उसके चेहरे पर जो संतुष्टि के भाव थे वो देखते ही बनते थे..
और उन दोनो के हमले से पस्त होकर वो वहीं ढेर हो गई..
और उसके बाद दोनो एक-2 करके नहाने गये और तैयार होकर कोर्ट की तरफ निकल गये अपना काम करने के लिए
और रश्मि वहीं पड़ी रही बेड पर... ऐसे ही .... नंगी...
नीचे रश्मि नंगी पड़ी थी और उपर वाले कमरे में उसकी बेटी काव्या.. वो भी नंगी
दोनो ही अपने -2 मज़े को सोच कर मुस्कुरा रही थी...
और आने वाले समय में क्या-2 होगा, उसका अंदाज़ा लगा रही थी..
काव्या ने पैन किल्लर की टेबलेट ले ली थी, और उसका जादुई असर हो भी गया..रात तक वो फिर से पहले की तरह चलने-फिरने लगी थी... अपनी माँ के साथ मिलकर वो काफ़ी देर तक बातें करती रही..प र चुदाई के बारे में उन्होने कोई बात नही की लेकिंग पहले से ज़्यादा प्यार आ चुका था दोनो के बीच..
समीर अपने ऑफीस से सीधा एक पार्टी में चला गया, इसलिए देर से लौटा, तब तक काव्या सो चुकी थी वरना मन तो उसका काफ़ी कर रहा था उसकी एक बार और लेने का.
अगली सुबह काव्या की नींद उसके मोबाइल की वजह से खुली, टाइम देखा तो 8 ही बजे थे, उसने मोबाइल उठाया तो देखा उसकी बेस्ट फ्रेंड श्वेता का फोन था, वो तो खुद उसे फोन करके कल की बातें बताना चाहती थी.
काव्या : "हेलो मेरी जान....कैसी है तू...''
श्वेता : "मैं तो ठीक हूँ, तू कहाँ गायब है, 2 दिनों से फोन ही नही आया तेरा...''
काव्या : "वो मैं तुझे फोन करने ही वाली थी और तुझे कुछ खास भी बताना था...''
श्वेता : "ओहो ..... चल फिर एक काम कर, तू मेरे घर आजा, यही बता दियो, वैसे भी नितिन तेरे बारे में कई दिनों से पूछ रहा है...''
नितिन का नाम सुनते ही काव्या की चूत धड़कने लगी.... अब तो वो चुद ही चुकी थी, और एक बार चूत का रास्ता खुलने के बाद वो अब रुकना नही चाहती थी. वैसे भी नितिन से पिछली बार अपनी चूत की चुसाई करवा कर जो आधा अधूरा मज़ा उसने लिया था वो आज उसे पूरे मज़े में बदलना चाहती थी... इसलिए श्वेता को उसने हाँ बोल दिया और झट से तैयार होकर उसके घर के लिए निकल गयी.
उसने एक वाइट कलर की टी शर्ट और जीन्स पहनी हुई थी, और खुशी-2 अपनी कार से श्वेता के घर की तरफ जा रही थी. पर तभी उसने देखा की चारों तरफ लोग एक दूसरे को रंग लगा रहे हैं..ओर तब उसे याद आया की आज तो होली है...
ओह्ह्ह शिटsssssssssssssssssssss ..
उसे तो होली के बारे में याद ही नही था... उसे होली बिल्कुल भी अच्छी नही लगती थी और हमेशा रंगो और पानी से बचती फिरती थी. पर अब कुछ नही हो सकता था, वैसे भी श्वेता का घर पास में ही था, जब तक वो वापिस जाने का सोचती वो उसके घर पहुँच भी चुकी थी.. और अंदर जाते हुए वो बस यही प्रार्थना कर रही थी की बीच में कोई उसे पकड़ कर रंग ना लगा दे..
वो धड़कते दिल से श्वेता के घर तक पहुँची, दरवाजा खुला हुआ था और वो सीधा अंदर चली गयी, पर घर मे उसे कोई नही दिखाई दिया, वो घर के पीछे की तरफ बने गार्डन में गयी तो उसे श्वेता एक चेयर पर बैठी नज़र आई, पर जैसे ही वो उसकी तरफ बड़ी, पीछे से आकर नितिन ने उसके गोरे गालों को रगड़ डाला
और ज़ोर से चिल्लाया, "होली है............''
और साथ ही साथ उसने रंगीन पानी की एक बाल्टी लेकर उसके सिर पर डाल दी और वो उपर से नीचे तक गुलाबी पानी में नहा गयी... उसकी सफेद टी शर्ट पूरी भीग कर पारदर्शी हो गयी और उसकी ब्रा में क़ैद नन्हे मुन्ने बूब्स सॉफ नज़र आने लगे..
उसकी हालत देखकर श्वेता भी भागती हुई वहाँ आई और अपने भाई के साथ मिलकर उसे रंग लगाने लगी और साथ -2 चिल्लाती भी रही, "होली है जी होली है, बुरा ना मानो होली है...''
श्वेता ने भी अपने हाथों में ढेर सारा गीला रंग लेकर उसके चेहरे को लाल कर दिया... और टी शर्ट के उपर से ही उसने उसकी ब्रेस्ट को भी मसल दिया. नितिन ने भी अपने हाथ सेंक लिए उसकी छातियों पर रंग लगाकर
बेचारी काव्या कुछ नही कर पा रही थी... लेकिन एक बार रंग लगने के बाद और पूरी गीली होने के बाद उसके अंदर का डर निकल चुका था... उसने सोचा की अब इससे बुरा तो कुछ और हो नही सकता, इसलिए रंग मे भंग ना डालते हुए वो भी मस्ती में आ गयी और उन दोनो के उपर रंग फेंकने लगी.
श्वेता जानती थी की काव्या को होली खेलना पसंद नही है, इसलिए उसने और नितिन ने उसे अपने घर पर लाकर रंगने का प्रोग्राम बनाया था, लेकिन शुरू में डरने के बाद वो जब मस्ती पर उतर आई तो उसे भी अच्छा लगा की चलो उसने बुरा नही माना किसी बात का..
और ऐसे ही कुछ देर तक होली खेलने के बाद वो तीनो गार्डेन में जाकर बैठ गये. नितिन बाहर का दरवाजा बंद कर आया और आते हुए वो वोड्का की बोटल और ग्लास ले आया..
तब तक श्वेता ने उसे बता दिया की आज वो पूरा दिन घर पर अकेले हैं, और उनके मम्मी पापा रिश्तेदारों के घर गये हैं, होली खेलने.. और तभी उन्होने काव्या को घर पर बुलाया था ताकि वो सब भी मिल कर मज़े ले सके, यानी सेक्स के मजे
श्वेता जानती थी की उपर के मज़े तो काव्या ले लेगी पर अपनी चुदाई नही करवाएगी... पर वो ये नही जानती थी की आज काव्या पूरे मज़े लेने के मूड में ही वहाँ आई थी.
वो चीख पड़ी : "नूऊऊऊऊओ... समीईर.... ऐसा मत करना.... फट जाएगी मेरी ..... प्लीज़ समीर... एक साथ मत डालो दोनो....''
पर समीर कहाँ मानने वाला था, उसने थोड़ा सा ज़ोर लगाया और लोकेश के लंड के साथ-2 अपने लंड को भी उसकी चूत में डाल दिया... और रश्मि बेचारी अपना मुँह फाड़े हुए दूसरे लंड को भी अपनी चूत में दाखिल होते हुए महसूस करने लगी... उसे तो लगा था की वो फट ही जाएगी पर उसकी चूत बड़े आशचर्यजनक रूप से रबड़ की तरह लचीली निकली और उसने धीरे-2 करते हुए समीर को भी अंदर निगल लिया...
और अब दोनो एक साथ एक ही छेद के अंदर अपना लंड पेल रहे थे.. इन दोनो की कलाकारी देखकर वो हैरान रह गयी.. बस अपना मुँह खोले वो उनसे चुदवाती रही..
पर दर्द भी हो रहा था, इसलिए उसकी रीक़ुएस्ट पर वो दोनो फिर से अपने उसी पोज़ में आ गये, यानी समीर ने फिर से उसकी गांड में अपना लंड डाल दिया और पहले की तरह चोदने लगा..
और तीनो के शरीर जिस तरह की कड़ी मेहनत कर रहे थे, उनमे से पसीना निकलने लगा... तीनो के शरीर पसीने में लथपथ हो चले थे... पर चुदाई में कोई कमी नही आ रही थी...
गीली चूत और रसीली गांड के अंदर लण्डों की धकापेल चल रही थी..
और रश्मि अपना मुम्मा लोकेश से चुस्वाते हुए, अपने पति के लंड को देखते हुए मज़े ले रही थी..
लोकेश और समीर जब भी मिलकर किसी को चोदते तो हमेशा आसन बदल-2 कर, इससे चुदवाने वाली को भी मज़ा आता था और वो दोनो भी काफ़ी देर तक झड़ने से दूर रहते थे..
और इसलिए अब आसान चेंज करने का वक़्त आ गया था.
समीर उठ खड़ा हुआ और उसने रश्मि को पकड़कर अपनी गोद में उठा लिया...और इस बार उसने अपना लंड उसकी चूत में डाला, यानी गाण्ड मारने का मौका इस बार लोकेश का था... उसने भी पीछे से आकर समीर की गोद में झूल रही रश्मि की गांड पर अपना लंड टीकाया और अपने पंजे उचका कर उसे उपर की तरफ करते हुए उसके अंदर पहुँचा दिया...
और इस तरह से एक और नये तरीके से चुदाई करवाते हुए रश्मि निहाल सी हो गयी...
उसकी बाहें अपने पति समीर की गर्दन में थी और उसने अपनी टाँगे उसकी कमर से लपेटी हुई थी और दोनो के लंड एक ही बार मे उसके अंदर बाहर हो रहे थे..
जब औरत को अंदर से मज़ा आना शुरू हो जाता है तो उसे अपने पार्टनर पर बड़ा प्यार आता है और यही इस वक़्त रश्मि के साथ भी हो रहा था... पर प्राब्लम ये थी की उसके दो पार्ट्नर थे इस वक़्त... अब वो पीछे मुड़कर लोकेश को तो अपना प्यार दिखा नही सकती थी, इसलिए उसने अपने पति को अपनी बाहों में भींचकर उसके होंठों को अपने मुँह में लिया और अपना रसीला रस उसे पिलाने लगी..
समीर भी बड़े चाव से उसके मोटे मुममे दबाता हुआ, उसके होंठों का रस पीने लगा...
रश्मि थोड़े भारी शरीर की थी इसलिए दोनो जल्द ही थक गये, वैसे भी अगले आसान का वक़्त आ चुका था... इसलिए समीर उसे ऐसे ही अपनी गोद में लेकर नीचे बने बेडरूम की तरफ चल दिया... लोकेश अपना लंड निकाल चुका था और उनके पीछे-2 अपना लंड मसलता हुआ वो भी बेडरूम में आ गया...
तब तक समीर ने रश्मि को बेड पर लिटा दिया था और एक बार फिर से उसके पीछे जाकर उसकी गांद में दाखिल हो गया, यानी अब लोकेश के आगे आने की बारी थी..
रश्मि उनकी जुगलबंदी देखकर समझ चुकी थी की ये इन दोनो का पहला मौका नही है जब दोनो मिल कर किसी के साथ सेक्स कर रहे हैं, क्योंकि बिना कुछ बोले दोनो एक दूसरे की बातें समझ रहे थे और खुल कर एक दूसरे के सामने ही चुदाई भी कर रहे थे, ऐसा पहली ही बार में कोई नही कर सकता...
पर अभी इन बातों को समझने का नही, बल्कि मज़े लेने का वक़्त था, इसलिए वो सामने से आ रहे लोकेश के लंड को अपनी चूत के अंदर खिसकाते हुए, पीछे से मिल रहे समीर के झटकों को अपनी गांड में लेते हुए फिर से चिल्लाने लगी..
''ऊऊऊऊऊऊऊऊओह समीईईईईर..... पहले क्यो नही किया ऐसे...............अहह ये मज़ा आज जाकर मिला...................सच में ................दोनो का एक साथ लेने मे काफ़ी मज़ा आ रहा है..............आई लव यू समीर.......''
और इतना कहते-2 उसने पीछे हाथ करके बड़े ही प्यार से अपने पति के बालों को सहलाना शुरू कर दिया..
और दोनो दोस्तों ने उसे सेंडविच बनाकर आगे-पीछे से उसकी बजानी शुरू कर दी...
उन्हे चुदाई करते-2 आधा घंटे से ज़्यादा हो चुका था... इसलिए अब दोनो झड़ने के काफ़ी करीब थे..
रश्मि तो 2 बार झाड़ चुकी थी और एक और ज्वालामुखी उसके अंदर निर्मित हो रहा था..
और आख़िरकार उसकी चूत से वो ज्वालामुखी फटकर बाहर निकल ही पड़ा, जिसके बाद उसके शरीर में कोई ताक़त बची ही नही...
ढेर सारा शहद उसकी चूत से निकलकर बेड पर गिरने लगा और वो भरभरा कर झड़ गयी..
''आआआआहह समीईईईईईर......ऊऊऊऊऊऊऊऊहह लोकेश ................आई एम कमिंग...............''
और इस बार उसने अपने सामने लेटे हुए लोकेश को ज़ोर-2 से फ्रेंच किस करना शुरू कर दिया...
और उसकी थरथराहर और चीखे बहुत थी, समीर और लोकेश के लंड का पानी निकालने के लिए.... और हमेशा की तरहा दोनो ने एक साथ इशारा करते हुए अपना-2 लंड उसकी टनल से बाहर निकाला और उसके सेक्सी से चेहरे के उपर ले जाकर लहरा दिया...
और रश्मि ने बड़े ही प्यार से उन दोनो के लंड को हाथ में लिया और एक साथ चूसते हुए उसे हिलाने भी लगी.. और एक ही मिनट के अंदर-2 दोनो के नल से पानी निकलकर उसके मुँह को तर करने लगा.... और वो बड़े ही चाव से उन दोनो दोस्तों की दोस्ती की निशानी को अपने मुँह में ले जाते हुए निगल गयी...
और ऐसा करते हुए उसके चेहरे पर जो संतुष्टि के भाव थे वो देखते ही बनते थे..
और उन दोनो के हमले से पस्त होकर वो वहीं ढेर हो गई..
और उसके बाद दोनो एक-2 करके नहाने गये और तैयार होकर कोर्ट की तरफ निकल गये अपना काम करने के लिए
और रश्मि वहीं पड़ी रही बेड पर... ऐसे ही .... नंगी...
नीचे रश्मि नंगी पड़ी थी और उपर वाले कमरे में उसकी बेटी काव्या.. वो भी नंगी
दोनो ही अपने -2 मज़े को सोच कर मुस्कुरा रही थी...
और आने वाले समय में क्या-2 होगा, उसका अंदाज़ा लगा रही थी..
काव्या ने पैन किल्लर की टेबलेट ले ली थी, और उसका जादुई असर हो भी गया..रात तक वो फिर से पहले की तरह चलने-फिरने लगी थी... अपनी माँ के साथ मिलकर वो काफ़ी देर तक बातें करती रही..प र चुदाई के बारे में उन्होने कोई बात नही की लेकिंग पहले से ज़्यादा प्यार आ चुका था दोनो के बीच..
समीर अपने ऑफीस से सीधा एक पार्टी में चला गया, इसलिए देर से लौटा, तब तक काव्या सो चुकी थी वरना मन तो उसका काफ़ी कर रहा था उसकी एक बार और लेने का.
अगली सुबह काव्या की नींद उसके मोबाइल की वजह से खुली, टाइम देखा तो 8 ही बजे थे, उसने मोबाइल उठाया तो देखा उसकी बेस्ट फ्रेंड श्वेता का फोन था, वो तो खुद उसे फोन करके कल की बातें बताना चाहती थी.
काव्या : "हेलो मेरी जान....कैसी है तू...''
श्वेता : "मैं तो ठीक हूँ, तू कहाँ गायब है, 2 दिनों से फोन ही नही आया तेरा...''
काव्या : "वो मैं तुझे फोन करने ही वाली थी और तुझे कुछ खास भी बताना था...''
श्वेता : "ओहो ..... चल फिर एक काम कर, तू मेरे घर आजा, यही बता दियो, वैसे भी नितिन तेरे बारे में कई दिनों से पूछ रहा है...''
नितिन का नाम सुनते ही काव्या की चूत धड़कने लगी.... अब तो वो चुद ही चुकी थी, और एक बार चूत का रास्ता खुलने के बाद वो अब रुकना नही चाहती थी. वैसे भी नितिन से पिछली बार अपनी चूत की चुसाई करवा कर जो आधा अधूरा मज़ा उसने लिया था वो आज उसे पूरे मज़े में बदलना चाहती थी... इसलिए श्वेता को उसने हाँ बोल दिया और झट से तैयार होकर उसके घर के लिए निकल गयी.
उसने एक वाइट कलर की टी शर्ट और जीन्स पहनी हुई थी, और खुशी-2 अपनी कार से श्वेता के घर की तरफ जा रही थी. पर तभी उसने देखा की चारों तरफ लोग एक दूसरे को रंग लगा रहे हैं..ओर तब उसे याद आया की आज तो होली है...
ओह्ह्ह शिटsssssssssssssssssssss ..
उसे तो होली के बारे में याद ही नही था... उसे होली बिल्कुल भी अच्छी नही लगती थी और हमेशा रंगो और पानी से बचती फिरती थी. पर अब कुछ नही हो सकता था, वैसे भी श्वेता का घर पास में ही था, जब तक वो वापिस जाने का सोचती वो उसके घर पहुँच भी चुकी थी.. और अंदर जाते हुए वो बस यही प्रार्थना कर रही थी की बीच में कोई उसे पकड़ कर रंग ना लगा दे..
वो धड़कते दिल से श्वेता के घर तक पहुँची, दरवाजा खुला हुआ था और वो सीधा अंदर चली गयी, पर घर मे उसे कोई नही दिखाई दिया, वो घर के पीछे की तरफ बने गार्डन में गयी तो उसे श्वेता एक चेयर पर बैठी नज़र आई, पर जैसे ही वो उसकी तरफ बड़ी, पीछे से आकर नितिन ने उसके गोरे गालों को रगड़ डाला
और ज़ोर से चिल्लाया, "होली है............''
और साथ ही साथ उसने रंगीन पानी की एक बाल्टी लेकर उसके सिर पर डाल दी और वो उपर से नीचे तक गुलाबी पानी में नहा गयी... उसकी सफेद टी शर्ट पूरी भीग कर पारदर्शी हो गयी और उसकी ब्रा में क़ैद नन्हे मुन्ने बूब्स सॉफ नज़र आने लगे..
उसकी हालत देखकर श्वेता भी भागती हुई वहाँ आई और अपने भाई के साथ मिलकर उसे रंग लगाने लगी और साथ -2 चिल्लाती भी रही, "होली है जी होली है, बुरा ना मानो होली है...''
श्वेता ने भी अपने हाथों में ढेर सारा गीला रंग लेकर उसके चेहरे को लाल कर दिया... और टी शर्ट के उपर से ही उसने उसकी ब्रेस्ट को भी मसल दिया. नितिन ने भी अपने हाथ सेंक लिए उसकी छातियों पर रंग लगाकर
बेचारी काव्या कुछ नही कर पा रही थी... लेकिन एक बार रंग लगने के बाद और पूरी गीली होने के बाद उसके अंदर का डर निकल चुका था... उसने सोचा की अब इससे बुरा तो कुछ और हो नही सकता, इसलिए रंग मे भंग ना डालते हुए वो भी मस्ती में आ गयी और उन दोनो के उपर रंग फेंकने लगी.
श्वेता जानती थी की काव्या को होली खेलना पसंद नही है, इसलिए उसने और नितिन ने उसे अपने घर पर लाकर रंगने का प्रोग्राम बनाया था, लेकिन शुरू में डरने के बाद वो जब मस्ती पर उतर आई तो उसे भी अच्छा लगा की चलो उसने बुरा नही माना किसी बात का..
और ऐसे ही कुछ देर तक होली खेलने के बाद वो तीनो गार्डेन में जाकर बैठ गये. नितिन बाहर का दरवाजा बंद कर आया और आते हुए वो वोड्का की बोटल और ग्लास ले आया..
तब तक श्वेता ने उसे बता दिया की आज वो पूरा दिन घर पर अकेले हैं, और उनके मम्मी पापा रिश्तेदारों के घर गये हैं, होली खेलने.. और तभी उन्होने काव्या को घर पर बुलाया था ताकि वो सब भी मिल कर मज़े ले सके, यानी सेक्स के मजे
श्वेता जानती थी की उपर के मज़े तो काव्या ले लेगी पर अपनी चुदाई नही करवाएगी... पर वो ये नही जानती थी की आज काव्या पूरे मज़े लेने के मूड में ही वहाँ आई थी.