Update 40
पर शायद काव्या के ये सोचना उसकी खुद कि सोच थी, उसकी माँ थोडे पुराने विचारों कि थी, वो शायद उसकी तरह या फ़िर इन मर्दों कि तरह खुल कर ना सोचती हो
काव्या ने सोचा कि काश, वो सब उसके साथ हो रहा होता .
वो सोच ही रही थी कि उसके कानों मे रीतु के चीखने कि आवाज आई, उसने अंदर देख तो समीर ने रीतु को सोफ़े पर लिटाकर उसकी टाँगे हवा मे घुमाकर अपनि तरफ़ घुमा लिया और अपना मुँह उसकी चूत पर लगाकर उसकी ताजा मलाई को खा रहा था
उसकी उंगलियाँ अभी तक उसकी चूत कि मालिश कर रही थी और अन्दर का माल बाहर निकाल रही थी , और जो माल बाहर निकलता उसे समीर अपनि जीभ से चाटकर अन्दर निगल जाता.
कुछ देर तक उसे चाटने के बाद समीर ने रितू को घोडी बना दिया और उसकी चूत के अन्दर अपना लंड पेल दिया..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म मयेस्सस्सस्सस्सस ऐसी ही ………… अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह, जोर से मारो अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''
समीर ने आगे झुककर उसकी बालों को पकड़ा और झटके मारकर लगाम कि तरह उसके बालों को खींचकर उसकी घुड़सवारी करने लगा
''अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह हाआआन ऐसे ही ……… उम्म्म्म्म्म्म मजा आ गया , इतने दिनों के बाद असली प्यास बुझी है मेरी …। उम्म्म्म अह्ह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ्फ्फ्फ़ और जोर से सर ....... और जोर से …… कोई रहम मत करो मुझपर … फाड़ डालो मेरी चूऊऊऊत अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''..
रितु अपनी चुदाई करवाते हुए बड़बड़ाती जा रही थी , उसे सच में बहुत मजा आ रहा था समीर का लम्बा लंड अंदर लेने में .
और लोकेश भी अपनी आँखे मूँद कर अपनी रश्मि भाभी के हुस्न को याद करते हुए अपने लंड को रितु के मुंह के अंदर डालकर जोरों से हिलाने लगा, रितु अपने मुंह के अमृत से उसके लिंग को नहला कर बाबू बच्चा बनाने में लगी हुई थी..
लोकेश के लंड को पूरी तरह अपनी थूक से गीला करने के बाद रितु ने लोकेश को अपने नीचे लेटने का इशारा किया , और जैसे ही लोकेश बेड पर लेटा , वो अपने हाथ पैरों पर किसी कुतिया की तरह चलती हुई उसके ऊपर तक आई और अपने मुम्मे को उसके मुंह के आगे लटका दिया, जिसे लोकेश ने किसी भेड़िये की तरह झपट्टा मारकर दबोच लिया और उसके अंगूरों का रस पीने लगा
रितु के आगे खिसक जाने की वजह से समीर का लंड बाहर निकल आया, जो उसकी चूत के रस में भीगकर बुरी तरह से चमक रहा था , वो अपने हाथों में अपने लंड को लेकर उसपर सारा रस चोपड़ने लगा
और रितु की चूत पर जैसे ही लोकेश के खड़े हुए लंड ने दस्तक दी, उसने बिना किसी वार्निंग के उसे अपने अंदर खींच लिया , लोकेश तो रितु को अभी थोड़ा और तरसाना चाहता था, पर उस रंडी के अंदर जो आग जल रही थी उसके आगे ये छिछोरी हरकतें नहीं चलने वाली थी, वो हुमच -२ कर उसके लंड को अपने अंदर लेने लगी
अब समीर के सामने थी रितु की थिरक रही गांड, जिसके छेद को अभी थोड़ी देर पहले ही लोकेश ने मारकर थोड़ा और खोल दिया था , वो आगे आया और अपने पंजों पर खड़ा होकर उसने अपने लंड को उसकी गांड के छेद पर टिकाया और एक जोरदार झटके के साथ आगे हो गया
फफक्छ्ह्ह्ह की आवाज के साथ रितु की गांड भी पूरी भर गयी
एक लड़की के जीवन का सबसे सुनहरा पल होता है ये, जब उसकी चूत और गांड एक साथ मोटे-२ लंड से भरी होती है .
और यही ख़ुशी रितु महसूस कर रही थी ....... और वो भी पूरी अंदर तक..
और जब रितु को दोनों तरफ से झटके लगने शुरू हुए तो उसका बड़बड़ाना फिर से शुरू हो गया..
''अह्ह्ह्हह्ह येस्सस्सस्स। …… यही तो मैं कह रही थी ……। अह्ह्हह्ह्ह्ह यी फीलिंग …… उम्म्म्म्म्म्म .... दोनों का एक साथ अंदर लेना, कितना मजेदार है ……… अब चोदो मुझे दोनों, जोर जोर से, अह्ह्हह्ह्ह्ह , फाड़ डालो ,मेरी गांड …… और चूत उम्म्म्म्म्म्म्म ''
और वो दोनों दोस्त लग गए अपने पुराने काम पर फिर से एक साथ …।
अगले पन्द्रह मिनट में उन दोनों ने मिलकर उसकी ऐसी रेल बनायीं की आखिर में उसके मुंह से सिसकियों के साथ-२ लम्बी -२ लार भी निकलने लगी , और उसके साथ ही निकलने लगे दोनों की तोपों के अंदर से गरमा गरम गोले..
समीर ने अपना सारा माल रीतु के गोदाम यानी गांड मे पहुंचा दिया और लोकेश ने अपना माल उसके मैन शोरूम यानी चूत में .
काव्य भी कायल हो गयी रितु की , ऐसी चुदाई की कला तो वो भी सीखना चाहेगी …
पर शायद काव्या के ये सोचना उसकी खुद कि सोच थी, उसकी माँ थोडे पुराने विचारों कि थी, वो शायद उसकी तरह या फ़िर इन मर्दों कि तरह खुल कर ना सोचती हो
काव्या ने सोचा कि काश, वो सब उसके साथ हो रहा होता .
वो सोच ही रही थी कि उसके कानों मे रीतु के चीखने कि आवाज आई, उसने अंदर देख तो समीर ने रीतु को सोफ़े पर लिटाकर उसकी टाँगे हवा मे घुमाकर अपनि तरफ़ घुमा लिया और अपना मुँह उसकी चूत पर लगाकर उसकी ताजा मलाई को खा रहा था
उसकी उंगलियाँ अभी तक उसकी चूत कि मालिश कर रही थी और अन्दर का माल बाहर निकाल रही थी , और जो माल बाहर निकलता उसे समीर अपनि जीभ से चाटकर अन्दर निगल जाता.
कुछ देर तक उसे चाटने के बाद समीर ने रितू को घोडी बना दिया और उसकी चूत के अन्दर अपना लंड पेल दिया..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म मयेस्सस्सस्सस्सस ऐसी ही ………… अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह, जोर से मारो अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''
समीर ने आगे झुककर उसकी बालों को पकड़ा और झटके मारकर लगाम कि तरह उसके बालों को खींचकर उसकी घुड़सवारी करने लगा
''अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह हाआआन ऐसे ही ……… उम्म्म्म्म्म्म मजा आ गया , इतने दिनों के बाद असली प्यास बुझी है मेरी …। उम्म्म्म अह्ह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ्फ्फ्फ़ और जोर से सर ....... और जोर से …… कोई रहम मत करो मुझपर … फाड़ डालो मेरी चूऊऊऊत अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''..
रितु अपनी चुदाई करवाते हुए बड़बड़ाती जा रही थी , उसे सच में बहुत मजा आ रहा था समीर का लम्बा लंड अंदर लेने में .
और लोकेश भी अपनी आँखे मूँद कर अपनी रश्मि भाभी के हुस्न को याद करते हुए अपने लंड को रितु के मुंह के अंदर डालकर जोरों से हिलाने लगा, रितु अपने मुंह के अमृत से उसके लिंग को नहला कर बाबू बच्चा बनाने में लगी हुई थी..
लोकेश के लंड को पूरी तरह अपनी थूक से गीला करने के बाद रितु ने लोकेश को अपने नीचे लेटने का इशारा किया , और जैसे ही लोकेश बेड पर लेटा , वो अपने हाथ पैरों पर किसी कुतिया की तरह चलती हुई उसके ऊपर तक आई और अपने मुम्मे को उसके मुंह के आगे लटका दिया, जिसे लोकेश ने किसी भेड़िये की तरह झपट्टा मारकर दबोच लिया और उसके अंगूरों का रस पीने लगा
रितु के आगे खिसक जाने की वजह से समीर का लंड बाहर निकल आया, जो उसकी चूत के रस में भीगकर बुरी तरह से चमक रहा था , वो अपने हाथों में अपने लंड को लेकर उसपर सारा रस चोपड़ने लगा
और रितु की चूत पर जैसे ही लोकेश के खड़े हुए लंड ने दस्तक दी, उसने बिना किसी वार्निंग के उसे अपने अंदर खींच लिया , लोकेश तो रितु को अभी थोड़ा और तरसाना चाहता था, पर उस रंडी के अंदर जो आग जल रही थी उसके आगे ये छिछोरी हरकतें नहीं चलने वाली थी, वो हुमच -२ कर उसके लंड को अपने अंदर लेने लगी
अब समीर के सामने थी रितु की थिरक रही गांड, जिसके छेद को अभी थोड़ी देर पहले ही लोकेश ने मारकर थोड़ा और खोल दिया था , वो आगे आया और अपने पंजों पर खड़ा होकर उसने अपने लंड को उसकी गांड के छेद पर टिकाया और एक जोरदार झटके के साथ आगे हो गया
फफक्छ्ह्ह्ह की आवाज के साथ रितु की गांड भी पूरी भर गयी
एक लड़की के जीवन का सबसे सुनहरा पल होता है ये, जब उसकी चूत और गांड एक साथ मोटे-२ लंड से भरी होती है .
और यही ख़ुशी रितु महसूस कर रही थी ....... और वो भी पूरी अंदर तक..
और जब रितु को दोनों तरफ से झटके लगने शुरू हुए तो उसका बड़बड़ाना फिर से शुरू हो गया..
''अह्ह्ह्हह्ह येस्सस्सस्स। …… यही तो मैं कह रही थी ……। अह्ह्हह्ह्ह्ह यी फीलिंग …… उम्म्म्म्म्म्म .... दोनों का एक साथ अंदर लेना, कितना मजेदार है ……… अब चोदो मुझे दोनों, जोर जोर से, अह्ह्हह्ह्ह्ह , फाड़ डालो ,मेरी गांड …… और चूत उम्म्म्म्म्म्म्म ''
और वो दोनों दोस्त लग गए अपने पुराने काम पर फिर से एक साथ …।
अगले पन्द्रह मिनट में उन दोनों ने मिलकर उसकी ऐसी रेल बनायीं की आखिर में उसके मुंह से सिसकियों के साथ-२ लम्बी -२ लार भी निकलने लगी , और उसके साथ ही निकलने लगे दोनों की तोपों के अंदर से गरमा गरम गोले..
समीर ने अपना सारा माल रीतु के गोदाम यानी गांड मे पहुंचा दिया और लोकेश ने अपना माल उसके मैन शोरूम यानी चूत में .
काव्य भी कायल हो गयी रितु की , ऐसी चुदाई की कला तो वो भी सीखना चाहेगी …