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Erotica सौतेला बाप (Completed)

king cobra

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Update 56

वो तो अच्छा हुआ की रश्मि की शादी समीर से हो गयी ..और वो लोग वहां से निकल आए ...वरना उसकी गंदी नज़रों का सामना करते हुए तो रश्मि तंग आ चुकी थी ..पर बेचारी रश्मि को ये बात कहाँ मालूम थी की वो हरामी किस्म का लड़का उसे तो क्या , मोहल्ले की हर औरत और लड़कियों को देखकर अपने लंड को मसलता है ... और ख़ासकर उसकी बेटी काव्या को देखकर, जिसके बारे मे सोचकर वो हर रात मूठ मारा करता था .रश्मि हैरान थी की समीर को विक्की के बारे मे कैसे पता, वो कैसे जानता है उसको ..
रश्मि : "पर आप क्यो पूछ रहे हैं ...उसके बारे मे ..आप तो उसको जानते भी नहीं । ''
समीर : "देखो ....कल रात को...काव्या ने मुझे उस लड़के के बारे मे बताया ...''रश्मि का तो सिर घूम गया वो बात सुनकर... भला उसकी बेटी का उस लफंगे से क्या वास्ता ...वो क्यो लेने लगी उसका नाम समीर के सामने ..समीर आगे बोला : "वो दरअसल ...उस लड़के के साथ उसकी दोस्ती हो गयी थी शायद .... और दोनो एक दूसरे को पसंद भी करने लगे हैं ...''इस बात को सुनकर तो रश्मि के सिर पर जैसे कोई पहाड़ सा टूट पड़ा ... ऐसा कैसे हो सकता है ... काव्या भला उस लड़के को क्यो पसंद करने लगी .. कहाँ उसकी राजकुमारी जैसी सुंदर काव्या और कहाँ वो गली का आवारा कुत्ता विक्की ...उसकी तो समझ मे कुछ नही आ रहा था ... उसका सिर चकराने लगा...वो धम्म से वहीं कुर्सी पर बैठ गयी ..समीर भागकर उसके पास आया ...उसे पानी दिया और उसके पास बैठकर रश्मि के हाथ को अपने हाथ मे ले लिया और बोला : "मुझे पता है की तुम्हे कैसा फील हो रहा होगा इस वक़्त ..वो बच्ची है अभी ..उसको दुनिया की कोई समझ नही है ...तभी शायद वो उस लड़के की बातों मे आ गयी है ...''
रश्मि एक दम से फट पड़ी : "वो लड़का एक नंबर का हरामी है ....हमारे मोहल्ले की हर औरत को छेड़ता था ...उसकी गंदी नज़रों को मैं भी आज तक भूली नही हू .... .. उसने मेरी बेटी को ... कैसे ...... मैं छोड़ूँगी नही उस कमीने को ...आज ही मैं उसके घर जाकर …… ''समीर बीच मे ही बोल पड़ा : "नही ...तुम ऐसा कुछ नही करोगी ...ऐसा करने मे हमारी बेटी की कितनी बदनामी होगी वो तुम शायद नही जानती ... और तुम काव्या से भी कोई बात नही करोगी इस बारे मे ...उसने मुझपर भरोसा करके ये बात बताई है मुझे ...वो शायद तुम्हे नही बताना चाहती थी ये बात, पर मुझे बताकर उसने एक नये रिश्ते की शुरूवात की है मेरे साथ, और तुम ऐसा कोई काम नही करोगी जिसकी वजह से वो कभी भी मुझपर भरोसा करके कोई बात ना कर सके ...समझी ..''समीर ने लगभग डाँटते हुए उसे ये बात कही थी .
रश्मि की रुलाई फुट गयी ... वो बिलख-2 कर रोने लगी : "मैने अपनी बेटी को दुनिया की हर बुरी नज़र से बचा कर रखा ...पर आख़िर उसपर दुनिया की बुरी नज़र पड़ ही गयी ... पता नही उस कमीने ने उसके साथ क्या-2 किया होगा ..''
समीर : "उसने मुझे सब बताया है..ऐसा कुछ नही हुआ है दोनो के बीच ...पर अगर हमने अभी कोई कदम नही उठाया तो ज़रूर हो जाएगा ...क्योंकि उस लड़के ने काव्या को लवर पॉइंट पर बुलाया है संडे को ..और यही बात सोच-सोचकर काव्या भी परेशान है ... हमारे पास सिर्फ़ 3 दिन का समय है ...इस बीच हमे कुछ करना होगा ताकि काव्या के सिर से उस लड़के का भूत उतर जाए...''रश्मि भी अब संभाल चुकी थी ...उसे समीर की बातों मे समझदारी दिखाई दे रही थी ... जो भी करना होगा, सोच समझ कर ही करना होगा.. रश्मि ने एकदम से कुछ सोचा और अगले ही पल बोली : "मैं जाकर मिलूंगी उस लड़के से ...और उसे समझाने की कोशिश करूँगी ..''समीर उसकी बात सुनकर कुछ देर चुप रहा और बोला : "हाँ ....शायद ये ठीक रहेगा ...तुम उस लड़के को समझाओ ...और मैं काव्या को समझाने की कोशिश करता हू ..''
वो ये बात कर ही रहे थे की काव्या अपने कपड़े पहनकर नीचे उतर आई और बोली : "मुझे क्या समझाना है पापा ...''उसने बड़े ही भोलेपन से समीर की आँखों मे देखते हुए कहा .रश्मि अपने आँसू पोछते हुए जल्दी से बाथरूम की तरफ चली गयी.
समीर : "अरे तुम आ गयी .... कुछ नही समझाना ...बस मैं तुम्हारी माँ से कह रहा था की तुम्हे शॉपिंग पर लेकर जाना है मुझे आज ...तो वो मना करने लगी की तुम शायद नही चलोगी ...बस वही कह रहा था की मैं समझा दूँगा तुम्हे ..''शॉपिंग का नाम सुनते ही काव्या की आँखों मे चमक सी आ गयी, वो समझ गयी की समीर किस शॉपिंग की बात कर रहा है .समीर के साथ ब्रा-पेंटी की शॉपिंग के बारे मे सोचते ही उसकी चूत गीली हो उठी और उसमे से सोंधी सी खुश्बू निकलकर पूरे कमरे मे फैल गई.
काव्या : "मैं भला क्यो मना करने लगी ....आज ही शाम को चलेंगे शॉपिंग करने ...मैं कॉलेज से सीधा आपके ऑफीस आ जाउंगी ...ओके ..''तब तक रश्मि भी आ गयी ...उसने काव्या की बात सुन ली थी ..वो बिना कुछ बोले किचन मे चली गयी...उसे अंदर ही अंदर काव्या पर गुस्सा जो आ रहा था...कैसी नासमझ है उसकी बेटी जो विक्की जैसे लुच्चे के चुंगल मे फँस गयी है ...समीर और काव्या किस शॉपिंग के बारे मे बात कर रहे थे, वो बेचारी कुछ भी नही जानती थी ..उसके दिमाग़ मे तो बस ये बात घूम रही थी की कैसे वो विक्की को समझाएगी ...दिन के समय तो पता नही वो कहाँ मिलेगा...शायद वो भी स्कूल या कॉलेज जाता हो...रश्मि ने तो हमेशा उसे सुबह और शाम के वक़्त चौराहे पर ही खड़ा हुआ देखा था, अपने आवारा दोस्तों के साथ ...सुबह का समय तो निकल ही चुका था अब ...उसने सोच लिया की शाम को वो ज़रूर जाएगी ..समीर और काव्या भी शॉपिंग के लिए जा रहे हैं ...अच्छी बात है, काव्या को कोई जवाब नही देना पड़ेगा की वो कहाँ गयी थी ..उसने ये बात समीर को भी बोल दी की शाम को वो उस लड़के से मिलकर उसे समझाने की कोशिश करेगी ...और तुम शॉपिंग के वक़्त काव्या को समझाने की कोशिश करना ...यही एक तरीका समझ आ रहा था उन दोनो को..और वो दोनो ये नही जानते थे की जिस बात को सोचकर वो दोनो इतने परेशान हो रहे हैं, ऐसा कुछ है ही नही...काव्या ने तो बस अपनी झूटी कहानी सुनाकर समीर के मन मे जगह बनानी चाही थी ..वो शायद नही जानती थी की उसका झूठ कितनी बड़ी मुसीबत लाने वाला है.
समीर और काव्या के जाने के बाद रश्मि बड़ी ही बेचैनी से अपने कमरे मे बैठी हुई वही सब सोच रही थी ...अचानक उसे कुछ याद आया .... उसने झट से अपना मोबाइल उठाया और अपनी पुरानी सहेली रीना का नंबर मिलाया, रीना उसके घर के पास ही रहती थी..अभी भी वो वहीं रहती है और दोनो मे अक्सर बातें भी होती रहती है..
वो अपने घर पर ही थी..थोड़ी देर इधर -उधर की बातें होने के के बाद रश्मि बोली : "अच्छा सुन , वो लड़का याद है , विक्की, को अपनी गली मे ही रहता था, कोने वाले घर मे ...वो लोग अभी वहीं रहते हैं क्या ..''
विक्की का नाम सुनते ही रीना आग बाबूला हो उठी : "नाम ना ले उस कमीने का ...सभी का जीना दुश्वार कर रखा है उसने ...तुझे तो पता है, उसकी माँ है नही, घर मे उसका शराबी बाप है,वो उसे कुछ कहता नही है..हर समय चौराहे पर अपने यार दोसों के साथ खड़ा होकर हर आने-जाने वाली औरतों और लड़कियों को छेड़ता रहता है ..लड़कियों की तो समझ आती है, पर हमारे जैसी औरतों मे क्या दिखता है उसको ... मेरी बेटी को भी छेड़ता है कमीना ..और जब मैं निकलती हू तो मुझे भी ..जीना दूभर करके रखा हुआ है ..सुबह शाम वहीं बैठा रहता है..दोपहर मे उसका कॉलेज होता है, वरना इस टाइम भी वहीं मिलता ...साला हरामजादा ...''रीना ने जी भरकर विक्की को गालियाँ दी ..फिर बोली : "पर तू क्यो पूछ रही है उसके बारे मे ...''रश्मि : "वो बस ऐसे ही ...अच्छा सुन, अभी मैं रखती हूँ , लंच की तैयारी करनी है ..''
उसने जल्दी से फोन रख दिया....उसे पता तो चल गया था की विक्की कॉलेज जाता है और शाम को ही मिल सकेगा..उसने तो पहले से ही सोचकर रखा था की आज किसी भी हालत मे वो उससे जाकर मिलेगी..फिर वो अपने दूसरे कामों मे व्यस्त हो गयी..शाम कब हो गयी उसको भी पता नही चला..समीर अपने ऑफिस में कुछ काम कर रहा था की रिसेप्शन से फोन आया इंटरकम पर : "सर ...आपकी बेटी आई है ..''समीर : "तो इसमे पूछने वाली क्या बात है ईडियट, अंदर भेजो उसको...''रिसेप्शनिस्ट सहम गयी...वो बेचारी तो अपना काम कर रही थी..उसने काव्या को अंदर भेज दिया..काव्य ने वही सुबह वाली जींस और येल्लो कलर का टॉप पहना हुआ था , वो उसमे बड़ी सेक्सी लग रही थी कुछ देर तक बैठने के बाद वो दोनो मॉल की तरफ चल दिए..जिसके बारे में समीर ने पहले से ही सोच रखा था शाम के 6 बज रहे थे ... घर पर बैठी रश्मि भी तैयार होकर विक्की से मिलने के लिए चल पड़ी.रश्मि का दिल जोरो से धड़क रहा था...वो मन ही मन सोचती जा रही थी की कैसे बात करेगी वो विक्की से...जाते ही उसको डांटेगी ...या थप्पड़ मारेगी...या फिर उसके बाप से उसकी शिकायत करेगी...पर पता भी तो चले की आख़िर मामला कहाँ तक पहुँचा है...उसने निश्चय कर लिया की पहले आराम से ही बात करेगी...अगर नही माना तो फिर पुलिस की धमकी या फिर कुछ और करेगी.अंधेरा होने को था ..वो अपने पुराने मोहल्ले के बाहर ही उतर गयी..थोड़ी दूर ही था वो चोराहा ,जहाँ वो लुच्चा अपने यार-दोस्तों के साथ खड़ा होता था..
रश्मि को दूर से ही उन लोगो का ग्रूप दिखाई दे गया...हमेशा कि तरह आने-जाने वाली हर औरत को घूर कर गंदी-2 फब्तियाँ कस रहे थे..एक दूसरे के हाथ पर ताली मार रहे थे...हंस रहे थे..वो धीरे-2 चलती हुई वहाँ पहुँची..और उसकी नज़रें विक्की को तलाशने लगी...सभी लड़के उसको यूँ खड़ा होकर किसी को ढूंढता हुआ देखकर हैरान थे..…रश्मि ने सभी के चेहरे देख लिए पर उसमे विक्की कहीं नही था..ज़्यादातर लड़के उसकी गली के ही थे..जो उसकी आँखों के सामने बड़े हुए थे..और अब देखो ज़रा,बेशर्मो की तरह सभी के हाथ मे सिगरेट है..और चेहरे पर कमीनापन.एक लड़के सूरज ने उसको फट से पहचान लिया..वो बोला : "अरे ...रश्मि आंटी ... आप ..आज यहाँ कैसे ..?''उसने झट से अपने हाथ मे पकड़ी हुई सिगरेट फेंक दी.दूसरे लड़के शायद उसको पहचान नही सके थे..वो उसके कान के पास जाकर फुसफुसाए : "बे कौन है ये माल भाई...हमे भी तो बता दे..''
सूरज उनकी तरफ मुड़ा और बोला : "अरे भूल गया...ये वो पीले वाले मकान मे रहती थी ना..अरे यार...वो ..काव्या की मम्मी ....''
काव्या का नाम सुनते ही सभी को याद आ गया की वो कौन है...रश्मि के तो तन बदन मे आग सी लग गयी, उन लफंगो के मुँह से अपनी बेटी का नाम सुनकर.वो भड़कती हुई सी बोली : "शरम नही आती तुम लोगो को...ऐसे यहाँ खड़े होकर बदतमीज़ी करते हुए...''
सूरज तपाक से बोला : "अरे आंटी...आप तो ऐसे बोल रे हो जैसे हम यहाँ पहली बार खड़े हैं..हम तो रोज ही यही खड़े होते हैं..अब इसके लिए भी आपकी परमिशन लेनी पड़ेगी क्या ..हा हा हा..''और वो अपने दोस्तों के हाथ पर ताली मारकर ज़ोर से हंसा.
रश्मि को गुस्सा तो बहुत आया..पर वो कुछ ना बोल पाई..
रश्मि : "वो...वो विक्की कहाँ है ..''रश्मि के मुँह से विक्की का नाम सुनते ही सारे यार दोस्त एक दूसरे का चेहरा ताकने लगे...उनमे ख़ुसर फुसर शुरू हो गयी...एक दूसरे से पूछने लगे की विक्की ने ये माल कब फँसाया..रश्मि भी उनकी बातें सुन पा रही थी..पर दाँत पीसकर रह गयी.वो एकदम से भड़क कर बोली : "मैने पूछा विक्की कहाँ है..''तभी पीछे से आवाज़ आई : "तुमने पुकारा और हम चले आए...दिल हथेली पर ले आए रे....हे .....''और विक्की किसी फिल्मी स्टाइल मे रश्मि के पीछे से प्रकट हुआ..उसके हाथ मे लाल रंग की सिगरेट की डिब्बी थी..जिसे वो दिल की तरह रश्मि के सामने पेश कर रहा था.
रश्मि ने उसके चेहरे को देखा तो उसका गुस्सा सांतवे आसमान पर जा पहुँचा...पर तभी उसके अंदर से आवाज़ आई की जैसा वो सोच कर आई थी उसके अनुसार ही चलना चाहिए..उसने अपनी आँखे बंद की और थोड़ा शांत हुई..तब तक विक्की बोला : "नमस्ते आंटी ...क्या बात है..आप इतने दिनों के बाद आई यहाँ...हम लोगो को तो भूल ही गयी..आप लोगो के चले जाने के बाद ये मोहल्ला इतना वीरान सा हो गया है''
उसका इशारा काव्या की तरफ भी था.
विक्की की बात सुनकर सभी दोस्त फिर से हँसने लगे.
रश्मि : "मुझे तुमसे कुछ बात करनी है....अकेले में ..''सूरज ये सुनते ही बोल पड़ा : "वाह गुरु.....सही है...''
विक्की ने उसको घूर कर देखा...वो एकदम से चुप हो गया.विक्की भी सोचने लगा की ये अचानक रश्मि आंटी उससे क्या बात करने के लिए आई है...वो कुछ ना बोला और उनके साथ एक कोने की तरफ चल दिया.दोनों पास ही बने एक पार्क के बहार एक पेड़ के नीचे जाकर खड़े हो गए एकांत मिलते ही रश्मि ने उसके उपर सवालों की बौछार कर दी : "तुम्हारा और काव्या का क्या चक्कर चल रहा है...कब से चल रहा है ये सब ...तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुई उस छोटी सी बच्ची को अपने जाल मे फँसाने की ...मकसद क्या है तुम्हारा ...किस हद तक जा चुके हो तुम दोनो ??"विक्की अपनी फटी हुई आँखों से उसकी बातें सुनता रहा और सोचने की कोशिश करने लगा की आख़िर ये माजरा क्या है...वो सोचने लगा की रश्मि ऐसा क्यो बोल रही है..उसने तो आज तक काव्या को देखने और एक दो बार छेड़ने के अलावा कुछ किया भी नही था...और जब से ये लोग यहाँ से गये हैं, उसने तो काव्या को देखा भी नही ..पर वो ऐसा कुछ बोल रही है इसका मतलब कोई गड़बड़ ज़रूर है...शायद इन्हे कोई ग़लतफहमी हुई है...पर अगर ग़लतफहमी हुई है तो वो काव्या से पूछ कर अपनी ग़लतफहमी दूर कर सकती थी..पर वो सीधा उसके पास आई है..यानी काव्या को पता नही है..
उसका शैतानी दिमाग़ तेज़ी से चलने लगा..उसे वो बात भी याद आ गयी जब काव्या उसको आख़िरी बार मिली थी और उसने कहा था की वो जा रही है यहाँ की गंदगी से दूर जहाँ उसके जैसे कुत्ते ना हो..अपनी वो बेइजत्ती याद आते ही विक्की की झांटे सुलग उठी..उसने मन ही मन सोच लिया की अब वो दिखाएगा की ये कुत्ता किस हद तक जा सकता है ...वो एकदम से गरजकर बोला : "साली...मुझपर क्यो चीख रही है....अपनी बेटी से जाकर पूछ ..वो ही बताएगी की हम किस हद तक जा चुके हैं ...''उसके मुँह से अपने लिए गाली सुनकर रश्मि एकदम से सहम गयी...उसने तो इसके बारे मे सोचा भी नही था की अगर विक्की इस तरह से चोडा हो गया तो वो क्या करेगी..वो उसकी बेटी के बारे मे ऐसे बोल रहा है यानी ज़रूर कुछ ना कुछ बात है..
विक्की : "सोच क्या रही हो आंटी...आपको शायद पता नही है..मेरे ऊपर अँधा विश्वास करती है तेरी बेटी...अगर मैं रात के 2 बजे उसको मिलने के लिए बुलाऊ ना, नंगे पैर भागी चली आएगी...और मैं जो कह दू ना, वो बिना सोचे समझे कर देगी...''इतना सुनते ही रश्मि का गुस्सा फिर से फुट पड़ा, उसने एक झनझनाता हुआ सा थप्पड़ विक्की के गाल पर दे मारा..विक्की की आँखो के सामने तारे दिखाई देने लगे...पर वो थप्पड़ तो आने वाले मज़े की शुरूवात थी..इसलिए वो कुछ ना बोला और मक्कारों की तरह हँसने लगा.
रश्मि : "तुम्हारी जुर्रत कैसे हुई मेरी बेटी को फुसलाने की...वो तुम्हारे चुंगल मे कैसे फंसी , ये तो मैं नही जानती, पर आज के बाद तुमसे वो नही मिलेगी, इसका मैं भरोसा दिलाती हू तुझे...कमीने..तू मेरी बेटी से दूर ही रह, यही तेरे लिए बेहतर है..वरना मैं पुलिस मे रिपोर्ट करवा कर तुझे अंदर करवा दूँगी..समझा..''
विक्की : "ये पुलिस की धमकी मुझे मत दो आंटी...अगर मैं अपनी औकात पर उतर आया ना तो तेरी और तेरी बेटी की जिंदगी पूरी तरह से बर्बाद कर दूँगा...तेरे नये पति को तेरे बारे मे ऐसी -2 बातें बोल दूँगा की वो तुझे अपने घर से निकाल कर बाहर करेगा..और फिर तू घूमती रहना अपनी बेटी के साथ सड़कों पर..और तेरी बेटी की कुछ तस्वीरें है मेरे पास, जिनके बारे मे वो खुद भी नही जानती, अगर तूने ऐसी कोई हरकत की तो उन सभी पिक्चर्स को नेट पर डलवा कर तेरी बेटी की ऐसी बदनामी करवाऊंगा की तू जीते जी मर जाएगी..''उसकी ये बात सुनते ही रश्मि के पैरों के नीचे से ज़मीन निकल गयी...जिस बात का डर था वही हुआ..उस कमीने के पास काव्या की कुछ आपत्तिजनक पिक्चर्स है..हे भगवान , ये क्या अनर्थ कर दिया काव्या ने, ऐसी नासमझी की उम्मीद नही थी उसको काव्या से..पर वो बेचारी नही जानती थी की ये सब विक्की की एक चाल थी...ना तो उसका काव्या के साथ कोई ताल्लुक था और ना ही उसके पास उसकी कोई आपत्तिजनक फोटो थी..वो तो बस अंधेरे मे तीर मार रहा था, अगर तीर निशाने पर लगा तो उसके तो वारे न्यारे हो जाने थे..वो गौर से रश्मि के चेहरे पर आ-जा रहे भाव को देख रहा था.
कुछ देर सोचने के बाद रश्मि बोली : "तुम आख़िर चाहते क्या हो...''
विक्की : "ये उमर ही ऐसी होती है आंटी...इसमे तो सिर्फ़ एक ही चीज़ को चाहा जाता है...''और उसने बड़ी ही बेशर्मी से अपने होंठों पर अपनी जीभ फेरी और उसे पूरी तरह गीला करके चमका दिया.रश्मि गुस्से से भभक रही थी....उसकी नसों का खून उबल कर बाहर आने को था...पर वो कुछ ऐसा वैसा करके बात को बिगाड़ना नही चाहती थी..रश्मि समझ गयी की वो अपनी औकात पर उतार आया है...अभी शायद बात उस हद तक नही पहुँची है जितना वो सोच रही है..पर जिस तरह से विक्की का हौसला है,वो समझ रही थी की बात वहाँ तक पहुँचने मे भी टाइम नही लगेगा..
रश्मि : "तुम काव्या से दूर हो जाओ...और मुझे वो फोटोज भी दे दो , इसके लिए मैं तुम्हे मुँह माँगी कीमत देने के लिए तैयार हू..''अब तो विक्की को पूरा विश्वास हो गया की उसका तीर निशाने पर लगा है...क्योंकि सिर्फ़ उसकी बात मानकर ही रश्मि उसे पैसे देने के लिए तैयार हो गयी है...उसने मन मे ठान लिया की अब रश्मि की इस मजबूरी का फायदा वो ज़रूर उठाएगा..उसने हिम्मत दिखाते हुए कहा : "आंटी जी...हर चीज़ की कीमत सिर्फ़ पैसों से नही तोली जाती...''और इतना कहते-2 उसने अपना दाँया हाथ सीधा उसके बाँये मुम्मे के उपर रखकर ज़ोर से दबा दिया.
रश्मि को एक पल के लिए तो समझ नही आया की ये हुआ क्या है...उसने तो विक्की से ऐसी हरकत की कोई उम्मीद भी नही की थी ..और जब तक वो रिएक्ट कर पाती, विक्की ने उसके मुम्मे को बुरी तरहा मसल कर उसके निप्पल को अपनी उंगलियों के बीच फँसा कर ज़ोर से निचोड़ दिया था..वो दर्द के मारे चिहुंक उठी..और उसने एक तेज धक्का देकर विक्की को दूर किया ..और ज़ोर से चिल्लाई : "ये क्या बदतंमीजी है...तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे साथ ये सब करने की...''विक्की बेशर्मों की तरह हंसता हुआ बोला : "अरे आंटी ...आप तो नाराज़ हो गयी...ये तो बस मेरी बचपन से तमन्ना थी की किसी दिन आपके मुम्मो को ऐसे पकड़ कर दबा दू ..आज आप इतने पास खड़ी हो तो मुझसे सब्र नही हुआ...इसलिए कर डाला...वैसे एक बात बोलू,आप ऐसी हालत मे नही है की मुझे किसी भी बात के लिए मना कर सको...वरना इसका अंजाम तो आप जानती ही हो...''उसकी धमकी भरी बात सुनकर वो सहम गयी...एक पल के लिए अपनी बेइजत्ती और दर्द भूल कर वो चुपचाप खड़ी हो गयी और अपनी नज़रें नीचे झुका ली.
विक्की : "हाँ ...ये सही है...ऐसे ही रहा करो मेरे सामने, आगे से अगर तुमने मुझसे उँची आवाज़ मे बोली या मुझे आँखे दिखाई तो ये तेरी बेटी के लिए अच्छा नही होगा...''रश्मि कुछ ना बोली...उसने हाँ मे सिर हिला दिया.
रश्मि : "देखो विक्की....तुम्हारे मन मे जो भी है...वो मुझे बता दो...आख़िर क्या चाहते हो तुम मेरी बेटी से..''
विक्की : "उसकी कुँवारी चूत मे अपना लंड डालना चाहता हू...सुन लिया...अब खुश है..''
विक्की के मुँह से एकदम से ऐसी बेशर्मी भरी बात सुनकर रश्मि अवाक सी होकर उसे देखती रह गयी...उसकी खुली आँखो के सामने एकदम से पिक्चर सी चलने लगी..जिसमे विक्की और काव्या पूरे नंगे होकर एक दूसरे को चूमने मे लगे हुए थे...और जब चुदाई की बारी आई तो काव्या के मना करने के बावजूद उसने उसकी छोटी सी चूत मे अपना मोटा लंड एक ही झटके मे पेल दिया...उसकी फूल सी बेटी की चूत मे से खून का फव्वारा निकल पड़ा...वो दर्द से छटपटाने लगी...चिल्लाने लगी..पर वो दरिंदे की तरह काव्या की चुदाई करता रहा...और फिर काव्या भी उसका साथ देने लगी...फिर ऐसा रोज होने लगा और धीरे-2 वो उसकी पर्सनल रंडी बनकर रह गयी..और ये विचार आते ही वो एकदम से चीख पड़ी...और विक्की के पैरों मे गिरकर रोने लगी : "नहियीईईईईईईईईई......ऐसा मत करना....प्लीस...विक्की, मेरी बेटी की इज़्ज़त बक्श दो...मैं तुम्हारे पैर पड़ती हू.....''
वो उसके पैरों से किसी बेल की तरह लिपट गयी...उसके मोटे-2 मुम्मे जब विक्की को अपनी टाँगो पर महसूस हुए तो उसके आनंद की कोई सीमा ही नही रही...वो अपने घुटनो को उसके उरोजों पर रगड़ने लगा...और ऐसा करते-2 उसका लंड बुरी तरह से खड़ा हो गया.
विक्की : "चुप हो जाओ आंटी...आप ऐसा क्यो सोच रहे हो..मैं आपको या काव्या को कोई तकलीफ़ नही देना चाहता...चुप हो जाओ...''रश्मि ने रोना बंद कर दिया...उसने रोते-2 जब विक्की के चेहरे की तरफ देखा तो बीच मे उसके खड़े हुए लंड को देखकर उसके तो होश ही उड़ गये...इतने लंबे लंड की तो उसने कल्पना भी नही की थी ...उसने तो सोचा भी नही था की 20 साल के लड़के का लंड इतना लंबा भी हो सकता है...वो मंत्रमुग्ध सी होकर उसके खड़े हुए लंड को निहारने लगी...वो शायद भूल गयी थी की वो वहाँ किसलिए आई थी...विक्की ने रश्मि के कंधों को पकड़ा और अपने शरीर से चिपकाता हुआ उसे उपर की तरफ खड़ा करने लगा...ऐसा करते हुए रश्मि के चेहरे के बिल्कुल करीब से होकर निकला था विक्की का खड़ा हुआ लंड ..और फिर उसके लकड़ी जैसे लंड से रग़ड़ ख़ाता हुआ उसका गदराया बदन जब उपर तक आया तो वो लकड़ी अपने पूरे आकार मे आ चुकी थी..और ना चाहते हुए भी रश्मि की चूत मे गीलापन आने लगा था.. रश्मि के हर अंग को अपने लंड से टच करवाकर उसे अपने से सटा कर खड़ा कर लिया था विक्की ने.
 

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Update 57
विक्की के हाथ इस समय रश्मि की कमर पर थे...और दोनो की साँसे एक दूसरे से टकरा रही थी...विक्की ने हिम्मत दिखाते हुए अपने होंठ आगे की तरफ बड़ा दिए...और तभी रश्मि जैसे नींद से जागी...और एकदम से उसे धक्का देकर पीछे हो गयी...और अपनी सांसो पर काबू पाने की कोशिशे करने लगी.ये क्या हो गया था उसे अचानक ...वो अपने आप को कोसने लगी....पर तब तक विक्की समझ चुका था की वो अब उसके चुंगल मे फँस चुकी है...वो रश्मि के करीब आया..और उसके हाथ को पकड़कर बोला : "अगर आगे से मुझसे कोई बदतमीज़ी की तो मुझसे बुरा कोई नही होगा...''और इतना कहते-2 उसने फिर से एक बार उसके मोटे मुम्मे को अपने हाथों मे दबोच लिया....और इस बार रश्मि ने कोई भी विरोध नही किया...शायद वो अब इस हालत मे नही थी की कोई विरोध कर पाती.. वो अपमान का घूँट पीकर रह गयी और विक्की बड़ी बेदर्दी से उसके मुम्मे को मसल-2 कर अपनी ठरक मिटाने लगा..विक्की को तो ये सब सपने जैसा ही लग रहा था...उसने तो सोचा भी नही था की जिस आंटी के मोटे मुम्मे को देखते-2 वो बड़ा हुआ था और दिन रात जिनके बारे मे सोचकर उसने मूठ मारी थी,वो आज उसके हाथों मे है..वो अपने दोनो हाथों से उसके मुम्मों को मसलने लगा..रश्मि ने आस पास देखा..उसके दोस्त दूर खड़े हुए सब देख रहे थे..उन्हे शायद दिख भी रहा था की विक्की उसके साथ क्या कर रहा है...वो विक्की के सामने गिड़गिड़ाने सी लगी..:"विक्की, प्लीज़ मुझे छोड़ दो...ऐसा मत करो..देखो वो सब देख रहे हैं...''
विक्की ने अपने दोस्तों की तरफ देखा...इतनी दूर से कुछ साफ़ तो दिखना नही था, पर रश्मि का डरना भी लाजमी था...उसके डरने का फायदा उठाते हुए वो बोला : "तुम्हे फिर अभी मेरे साथ कही चलना होगा...''शाम के सात बज रहे थे..अंधेरा हो चुका था...इतनी रात को उसके साथ कही भी जाने के बारे मे वो सोच भी नही सकती थी..वो बोली : "नही, ऐसा नही हो सकता...तुम आख़िर चाहते क्या हो...''
विक्की : "देखो आंटी, अगर आप चाहती हो की आपकी बेटी की इज़्ज़त बाजार मे ना उछले तो मैं जैसा कहता हू, वैसा करती रहो..वरना तुम जानो और तुम्हारा काम, मुझे जो करना है वो तो मैं कर ही लूँगा..''
इतना कहते हुए उसने रश्मि को एक तरफ धक्का दिया और वापिस मुड़कर अपने दोस्तों की तरफ चल दिया..
रश्मि ने एकदम से उसे पीछे से पकड़ लिया और बोली : "ठीक है..ठीक है...जैसा तुम कहो ...बोलो ..कहाँ चलना है...''
रश्मि भी समझ चुकी थी की विक्की उसके साथ मज़े लेना चाहता है...अपनी बेटी के लिए वो ये कुर्बानी देने के लिए भी तैयार हो गयी.
विक्की की तो बाँछे खिल उठी...उसने तो सोचा भी नही था की जो वो चाहेगा वो इतनी आसानी से हो जाएगा..पर अब प्रॉब्लम ये थी की वो उसे लेकर जाए कहाँ, ऐसी कोई जुगाड़ की जगह तो थी नही उसके पास...काफ़ी सोचने के बाद उसके दिमाग़ मे एक जगह आई...रात के समय वहाँ जाना सही नही था पर फिर भी उसने रिस्क लेते हुए वहीँ जाने का निष्चय किया और भागकर अपनी बाइक ले आया...और रश्मि को बैठने के लिए कहा..वो भी बिना कुछ बोले उसके पीछे बैठ गयी और वो दोनो चल दिए..
उसके दोस्त बेचारे देखते और सोचते ही रह गये की आख़िर विक्की के साथ रश्मि इस वक़्त कहाँ गयी है.
श्मि का दिल ज़ोर से धड़क रहा था, वैसे आज उसको टाइम की चिंता तो नही थी, क्योंकि समीर और काव्या तो शॉपिंग के लिए गये हुए थे...वो रात को दस बजे से पहले आने वाले नही थे...और वैसे भी समीर को पता था की वो कहाँ गयी है, इसलिए उसकी तरफ से शायद ही कोई फोन आए..
पर वो डर इसलिए रही थी की कही कोई जान पहचान वाला उसको विक्की के साथ जाते हुए ना देख ले...इतने सालों मे उसने सिर्फ़ इज़्ज़त ही तो कमाई थी, उसको ऐसे बदनाम नही करना चाहती थी वो..
अचानक तेज चलती हुई बाइक मे विक्की ने जोरदार ब्रेक मारा..रश्मि अपने ही ख़यालो मे खोई हुई थी..इसलिए संभाल नही पाई और उसकी छाती विक्की की पीठ मे बुरी तरह से घुस कर पिस सी गयी..रश्मि ने गिरने से बचने के लिए विक्की के कंधे को ज़ोर से पकड़ लिया और ऐसा करते हुए उसकी दूसरी चुचि भी उसकी पीठ से रग़ड़ खा गयी..विक्की के तो मज़े हो गये...ऐसा गुदाज एहसास उसने आज तक महसूस नही किया था, उसकी जितनी भी गर्लफ्रेंड्स थी वो स्कूल मे पड़ने वाली ,छोटे-2 मुम्मों वाली अबोध लड़कियाँ थी, आज पहली बार उसने पके हुए फलों को अपनी पीठ पर इस तरह से महसूस किया था.
रश्मि भी एकदम से हड़बड़ा कर बोली : "ये कैसे चला रहे हो...ध्यान से चलाओ..''
विक्की : "क्या करू आंटी ....वो बीच मे कुत्ता आ गया था..''
पर रश्मि को तो कोई कुत्ता नही दिखा...वो समझ गयी की ये उसका तरीका था, उसको अपने शरीर से चिपकाने का...गुस्सा तो उसे बहुत आया पर वो और कुछ ना बोल पाई...
और साथ ही साथ उसने ये भी नोट किया की विक्की की पीठ से रगड़ खाने के बाद उसके निप्पल आश्चर्यजनक रूप से कड़े हो चुके हैं, और ये तभी होता था जब वो समीर के साथ सेक्स करती थी या फिर कभी कभार सेक्स के बारे मे सोचकर उत्तेजित हो जाती थी...पर वो तो इस वक़्त सेक्स के बारे मे सोच भी नही रही थी..फिर ऐसा क्यो हुआ, शायद विक्की की पीठ से टकरा कर उसके शरीर ने अपने आप रिस्पोंड करना शुरू कर दिया था..उसे अपने आप पर बहुत शर्म महसूस हुई...वो अपनी आँखे बंद करके किसी और चीज़ के बारे मे सोचने लगी ताकि उसका ध्यान ऐसी चीज़ो से दूर हो जाए...पर अब विक्की हर थोड़ी देर बाद बाइक को झटके दे-देकर चला रहा था..जिसकी वजह से उसका ध्यान कही और जा ही नही पा रहा था..
उसके ब्लाउस मे से उसके रसीले निप्पल अलग ही चमकने लगे थे..उसने अपनी साड़ी का आँचल आगे करके उन्हे ढक लिया..पर वो तो साड़ी के आँचल से भी नही छुप रहे थे.
खैर,अपने मन को संभालते हुए वो विक्की के पीछे बैठी रही..उसके साथ ज़्यादा चिपकने की वजह से उसे विक्की के शरीर से एक अलग ही तरह की खुश्बू महसूस हुई...शायद उसने कोई बढ़िया वाला डीयो लगा रखा था, जैसा की आजकल के लड़के करते हैं..पर जो भी था, उसकी महक जादुई थी...रश्मि ना चाहते हुए भी उसकी गर्दन के पास अपना चेहरा लेजाकर उसे सूंघ रही थी..और मदहोश सी हो रही थी.
विक्की को भी रश्मि की गर्म साँसे अपनी गर्दन पर महसूस हुई ,उसका तो लंड खड़ा हो गया इतनी गर्म औरत की ऐसी गर्म साँसों को अपने उपर महसूस करके.
थोड़ी देर मे ही विक्की ने बाइक रोक दी...वो एक पुराना किला था..जहाँ अक्सर विक्की अपनी गर्लफ्रेंडस को लेकर आता था और चूमा-चाटी करता था...एक बार तो उसने एक लड़की की चुदाई भी की थी वहाँ..पर वो हमेशा दिन के टाइम ही आया था वहाँ, और दिन मे भी वहां वीरानीयत ही छाई रहती थी...फिर ये तो रात का वक़्त था..ऐसे मे अंदर जाते हुए उसे भी डर लग रहा था, पर अंदर के चप्पे-2 को वो अच्छी तरह से जानता था, इसलिए हिम्मत करके अंदर चल दिया.
रश्मि : "ये तुम मुझे कहा ले आए विक्की....ऐसे वीराने मे आख़िर तुम ...''
विक्की एकदम से गुस्से मे बोला : "देखो आंटी...मेरे साथ ज़्यादा मग़जमारी तो करो मत...अपनी बेटी की खातिर ही आई हो तुम यहाँ...मैने कोई ज़बरदस्ती नही की है...अगर जाना चाहती हो तो चली जाओ..और कल के बाद तुम्हारी बेटी के साथ जो होगा, उसकी ज़िम्मेदार तुम खुद रहोगी..''
रश्मि डर गयी...उसे पता था की ऐसे लड़के अपनी औकात पर आए तो उसकी बेटी की जिंदगी बर्बाद हो सकती है, उसे ही दिमाग़ से काम लेना होगा और सब कुछ प्यार से निपटाना होगा..वो चुपचाप विक्की के पीछे चल दी.
अंदर चारों तरफ एक अजीब सा सन्नाटा था, किले के अंदर एक छोटी सी लेक भी थी, जहाँ फॅमिली वाले लोग पिकनिक के लिए आते थे...और कोने-2 पर बने हुए पुराने खंडरों के अंदर प्रेमी-प्रेमिकाए अपनी रासलीला चलाते थे...
पर आज उन खंडहरों के अंदर जाने का कोई मतलब नही था, क्योंकि वहाँ काफ़ी अंधेरा था...
वो रश्मि को लेकर लेक के पास पहुँच गया और एक पेड़ के नीच जाकर खड़ा हो गया..उपर से आ रही आधे चाँद की रोशनी काफ़ी थी एक दूसरे का चेहरा देखने के लिए.
विक्की : "चल यहाँ आ...मेरे पास...''
वो ऐसी बदतमीज़ी से बोला की रश्मि को लगा की वो उसकी लाई हुई कोई बाजारू औरत है..
वो धीरे-2 चलकर उसके पास पहुँची..और बिना किसी भूमिका के विक्की ने उसके चेहरे को पकड़ा और चूमने लगा...रश्मि तो एकदम से हुए हमले से घबरा गयी...उसे पता तो था की विक्की कुछ ऐसे ही करेगा...पर ऐसे एकदम से करेगा, उसने सोचा नही था..
उसने अपने होंठ बंद कर लिए आँखे बंद कर ली..और बुरा सा मुँह बनाते हुए विक्की को धक्का देकर अपने उपर से हटाया..
रश्मि : "ये...ये क्या कर रहे हो तुम....''
विक्की : "ओ आंटी...तुझे कोई स्टोरी सुनाने के लिए नही लाया हू मैं यहाँ...अपनी बेटी को बचाना चाहती है तो मेरे साथ को-ऑपरेट करना होगा...बस थोड़ा सा मज़ा ही तो ले रहा हू..इसमे भी तेरे को मिर्ची लग रही है..''
रश्मि समझ गयी की वो अब खुलकर उसे ब्लॅकमेल कर रहा है..उसकी बेटी की खातिर...
रश्मि धीरे से बोली : "पर ऐसे थोड़े ही करता है कोई...एकदम से जानवर की तरह तुम तो मुझपर झपट ही पड़े...''
विक्की : "ओहो आंटी...बड़ी टीचर जैसी बन रही हो तुम तो...ऐसा ही है तो मुझे कुछ सीखा ही दो ना...कैसे करते हैं...आज तक आप जैसी मस्त माल मिली ही नही, इसलिए तो मन बेकाबू सा होकर टूट पड़ा तुमपर...''
रश्मि को उसकी दिल फेंक आशिक़ वाली अदा पर हँसी सी आ गयी...उसे मुस्कुराता हुआ देखकर विक्की भी समझ गया की वो बोतल मे उतर गयी है...और ये भी समझ गया की उसे प्यार से हेंडल करना होगा....वरना नुकसान उसी का होगा..
उसने धीरे से अपने दोनो हाथों को उसकी नंगी बाजुओं पर फेरना शुरू कर दिया...वैसे तो रश्मि इसके लिए भी तयार नही थी पर ना जाने कैसा जादू था विक्की के हाथों मे, उसके बदन के रोँये खड़े होने लगे...चिकनी बाजुओं मे हल्के-2 दाने उभर आए और खुरदुरापन आ गया उनमे..उसके सुस्ता रहे निप्पल फिर से खड़े होकर हाहाकार मचाने लगे...उसकी साँसे फिर से तेज हो उठी ...और आँखे अपने आप बंद हो गयी...
और ठीक उसी पल रश्मि का आँचल फिसल कर उसके सीने से नीचे गिर गया..और क्रीम कलर के ब्लाउस मे फंसी उसकी मोटी-2 चुचियाँ विक्की की आँखो के सामने उजागर हो गयी...उसकी क्लीवेज़ देखकर तो विक्की के मुँह मे पानी आ गया..इतने मोटे और सफेद रंग के खरबूजे उसने आज तक सिर्फ़ फिल्मी हेरोइनों के ही देखे थे...या ब्लू फिल्म मे..
और उसके मोटे-2 दाने अलग ही चमक रहे थे...ऐसा लग रहा था उसने अपने ब्लाउस मे जामुन छुपा रखे है,इतने मोटे निप्पल है इसके...वो एक हाथ से अपने लंड को मसलने लगा...और साथ ही अपने सूखे होंठों पर जीभ फेर कर उन्हे चूसने के सपने भी देखने लगा.
उसकी तेज साँसों की वजह से उठती -बैठती छातियाँ कयामत लग रही थी..और नीचे उसका हल्का सा निकला हुआ पेट और गहरी नाभि देखकर तो विक्की की रही सही हिम्मत भी जवाब दे गयी...और उसने अपने काँपते हुए हाथ उसकी नाभि पर रख दिए..
रश्मि ने आख़िरी प्रयास किया : "नही विक्की....मत करो...ये सब...मैं एक शादीशुदा औरत हू...तुम्हारी और मेरी उम्र मे भी काफ़ी फ़र्क है....ये सब तुम्हे शोभा नही देता...''
पर विक्की तो एक नंबर का हरामी था, उसके उपर रश्मि की याचना का कोई असर नही हुआ...और उसके हाथ सरकते हुए उसके उरोजों पर आ गये..और उसने उसके दोनो मुम्मे हॉर्न की तरह बजाने शुरू कर दिए...
दर्द और मीठे एहसास से तड़प उठी रश्मि....और उसके मुँह से एक जोरदार चीख निकल गयी..जो वहां के सन्नाटे को चीरती हुई पूरे किले मे गूँज गयी..
''अहहssssssssssssssssssssssssss .......... नहियीईईईईईईईईईईईईईई ......मत करो.................दर्द होता है.......अहह ssssssssssssssssssssssssssssss ....''
पर विक्की को तो जैसे खेलने के लिए दो छोटी-2 फूटबाल मिल गयी थी...वो उन्हे बुरी तरह दबा रहा था...अपने मुँह को उसके क्लीवेज़ पर रगड़कर वहाँ के मुलायमपन का मज़ा उठा रहा था...अपने अंगूठों से उसके उभरे हुए निप्पल्स को कुरेद रहा था..
रश्मि ने बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू रखा हुआ था...वो अभी तक उसका विरोध ही कर रही थी...पर अंदर ही अंदर वो सुलग उठी थी...अगर इस वक़्त समीर होता तो वो उसे कच्चा ही खा जाती..ऐसी कामाग्नी तो उसमे आज तक नही जली थी..उत्तेजना के मारे उसके मुँह से लार निकल कर बाहर गिरने लगी..उसका शरीर काँपने लगा...उसकी चूत से गर्म पानी निकलकर , उसकी पेंटी को भिगोता हुआ, उसकी जांघों से चिपककर नीचे रिसने लगा..उसकी चूत से निकल रही गर्म हवा के भभके उसकी टाँगो को झुलसा रहे थे...पर वो ये सब विक्की के सामने उजागर करके अपनी कमज़ोरी उसे नही दिखाना चाहती थी...
वो तो चाहती थी की विक्की बस ये ही समझे की उसके साथ जो भी हो रहा है, वो ज़बरदस्ती है...वो नही चाहती ऐसा कुछ भी...वरना उसमे और एक बाजारू रंडी मे फ़र्क ही क्या रह जाएगा.
पर विक्की भी पूरा उस्ताद था...वो जान बूझकर उसे उत्साहित करते हुए उसके ऐसे-2 वीक पायंट्स दबा रहा था की जिनसे बच पाना मुश्किल ही नही नामुमकिन था, उसे पता था की लड़कियों को कैसे उत्तेजित किया जाता है...हांलाकि किसी औरत के साथ ये उसका पहला मौका था, पर फंडे तो उनपर भी वही लागू होंगे ना जो जवान लड़कियों पर होते हैं..
वो अपनी जीभ निकाल कर उसकी गर्दन को चाटने लगा...एक हाथ से उसने उसके निप्पल दबाने नही छोड़े..दूसरे से वो उसकी मोटी और फेली हुई गांड को मसलने लगा...और उसे उठा -2 कर अपनी तरफ दबाने लगा, ऐसा करते हुए रश्मि की भभकती हुई चूत उसके खड़े हुए लंड से टकरा रही थी..जिसकी वजह से रश्मि का बचा खुचा विरोध भी जाता रहा...
और अंत मे जब विक्की के होंठ उसकी गर्दन को किसी ड्रेकूला की तरहा चूसते हुए उसके होंठों तक पहुँचे तो रश्मि से सब्र नही हुआ...उत्तेजना की वजह से नर्म पड़ चुके होंठों से उसने विक्की के होंठों को दबोचा और अपने मुँह का मीठा रस उसके अंदर पहुँचाने लगी..
औरत जितनी ज़्यादा उत्तेजित हो जाती है , उसके होंठ उतने ही नर्म और मीठे हो जाते हैं, रश्मि के साथ भी यही हुआ था...विक्की ने तो आज तक ऐसा रसीला माल नही चूसा था...वो दोनो हाथों से उसके मुम्मे दबाता हुआ, उसके होंठों को चूसने लगा...
और तभी पीछे से कुछ आवाज़ आई...और दोनो ने पलट कर उस तरफ देखा... वहाँ 3 लोग खड़े थे...फटे हुए से कपड़े...दाढ़ी बड़ी हुई सी.........दो के हाथ मे सिगरेट थी और एक के हाथ मे शराब की बॉटल..वो लोग नशेड़ी थे..जो अक्सर ऐसी जगहों पर पाए जाते हैं..
विक्की भी उन्हें देखकर डर सा गया...पर फिर भी थोड़ी हिम्मत करते हुए उसने गरजते हुए कहा : "क्या देख रहे हो भोंसड़ीवालों ....चलो भागो यहा से...साले नशेड़ी...''
पर उसकी बात ना सुनते हुए उसने विक्की की आशा के विपरीत अपनी जेब मे हाथ डाला और एक लंबा सा रामपुरी निकाल लिया..और बटन दबाते ही वो खुल गया और उनकी आँखो के सामने लहराने लगा.
अब तो विक्की की सचमुच मे फट गयी...दूसरी तरफ रश्मि अंदर से डर भी रही थी और शुक्र भी माना रही थी की वो लोग आख़िरी वक़्त पर आ गये,शायद वो बच गयी..पर उसका ये ख्याल कितना ग़लत था, वो भी नही जानती थी..
जिस आदमी ने रामपुरी पकड़ा हुआ था वो बोला : "चल बे चिकने...निकल ले यहा से...और इस माल को यही छोड़ दे...चल भाग...''
विक्की की तो गिघी बंध गयी...वो गिड़गिडाया : "नही भाई साहब..ये कोई धंधे वाली नही है...मैं इन्हे जानता हू...ये मेरी पहचान वाली है...हम तो बस यहाँ ऐसे ही...''
उसकी बात पूरी होने से पहले ही उस आदमी ने चाकू लहराया और विक्की के कंधे से उसकी नोक छूती हुई निकल गयी....उसकी टी शर्ट मे छोटा सा छेद हो गया और वहाँ से खून की बूंदे उभर आई..
वो आदमी गरजा : "बोला ना साले , निकल ले यहाँ से...भेन चोद , हमे चूतिया समझता है....इतनी रात को तेरी कौन सी रिश्तेदार आएगी तेरे साथ इस किले मे...चल भाग अब..नही तो तेरी गर्दन काटकर यही फेंक दूँगा..किसी को पता भी नही चलेगा...''
विक्की का दर्द के मारे बुरा हाल था...वो अपने कंधे की चोट को पकड़कर बाहर की तरफ निकल गया..
रश्मि उसे बुलाती रह गयी...पर उसके बस का कुछ होता तो वो वहाँ रुकता ना...वो वहाँ से दुम दबा कर भाग निकला..
 

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Update 58

और पीछे छोड़ गया बेचारी रश्मि को उन भूखे भेड़ियों के सामने...उसका तो वही हाल था, आसमान से गिरे और खजूर में अटके
रश्मि की तो रुलाई फुट गयी...वो मन ही मन उस पल को कोस रही थी जब उसने विक्की की बात मानकर उसके साथ यहा आने का निश्चय किया था...वो जगह देखकर बाहर से ही उसको मना कर सकती थी...पर उस वक़्त तो वो उसके अनुसार ही चलती रही ...उसे क्या पता था की वो अंदर आकर ऐसे फँस जाएगी...विक्की भी वहाँ से भाग गया..अब क्या होगा उसका...कौन करेगा उसकी रक्षा......
बेचारी अपनी किस्मत को कोसती हुई सुबकने लगी. वो तीनो आदमी शक्ल से ही इतने गंदे लग रहे थे की रश्मि को उन्हे देखकर उल्टी सी आने को हो रहि थी ...उनके जिस्म से आ रही दुर्गंध से पता चल रहा था की वो लोग काफ़ी दीनो से नहाए नही है...
एक आदमी जिसके हाथ मे रामपुरी था, और जो शायद उनका बॉस लग रहा था, वो आगे आया..उसका नाम रघु था, रश्मि सहम कर वही की वही खड़ी रही..वो उसके बिल्कुल पास आकर खड़ा हो गया और उसने अपना चाकू उपर लेजाकर उसकी गर्दन पर रख दिया..
रश्मि को आज तक ऐसा खोफ़ महसूस नही हुआ था...उसने तो सिर्फ़ अख़बारों मे और न्यूज़ मे किस्से सुने थे की बदमाशो ने ये कर दिया,वो कर दिया..पर एक दिन वो सब उसके साथ होगा , ये उसने सोचा नही था...वो अपने आप को बड़ी ही बेबस महसूस कर रही थी..इतने बड़े शहर मे कितनी आसानी से ऐसे बदमाश पल रहे हैं, पुलिस वाले क्या करते रहते हैं, उन्हे तो पता होना चाहिए की ऐसी जगहों पर बदमाश छुपकर नशेबाजी करते हैं और उस जैसी अगर कोई पकड़ मे आ जाए तो शायद रेप भी कर सकते हैं..
पर ये सब सोचने से अब क्या फ़ायदा , उसे तो सबसे बड़ा डर अपनी जान का लग रहा था इस वक़्त..जान है तो जहान है..
रघु ने अपने भद्दे से दाँत निकाले और बोला : "माल तो बड़ा शानदार लेकर घूम रहा था वो लौंडा ..बता ,कितने लिए तूने एक रात के...''
रश्मि रोने लगी : "मैं उस तरह की औरत नही हू...वो तो मुझे बहला फुसला कर यहा ले आया...मुझे कुछ नही पता...मैं एक भले घर की औरत हू...''
रघु : "हा हा हा....साली, रंडी....रात के समय यहाँ अपनी माँ चुदवाने के लिए आई थी क्या...तेरे जैसी रंडियां रोज रात को चुदवाने के लिए आती हैं यहाँ...भेन की लौड़ी ...भले घर की औरत बनती है साली कुतिया...''
और उसने अपना हाथ सीधा उसके मोटे मुम्मे पर रखकर ज़ोर से दबा दिया...
वो पीड़ा से तड़प उठी...''अहह sssssssssssssssssssss .......''
रघु : "हा हा हा .....साली ......इसमे तो तुझे मज़े मिलने चाहिए....चिल्ला क्यो रही है कुतिया...''
इतनी बेइजत्ती और जलालत रश्मि ने आज तक कभी महसूस नही की थी...और ना ही इतनी गालियाँ उसने सुनी थी अपने लिए..अपनी बेबसी पर वो ज़ोर-2 से रोने लगी..
रघु ने उसके होंठों पर खून से सना हुआ चाकू रख दिया और गुर्राया : "चुप कर साली...बिल्कुल चुप, अगर तेरी आवाज़ निकली तो यहीं तेरी गर्दन काट कर फेंक दूँगा...अब मेरी बात मानेगी तो जिंदा रहेगी..''
रश्मि ने अपनी रुलाई पर काबू करते हुए , सुबकते हुए हाँ मे सिर हिला दिया..
रघु : "शाबाश ....चल अपना ब्लाऊज़ उतार....''
रश्मि : "नही...मेरे साथ ऐसा मत करो....मुझे छोड़ दो...''
रघु : "मेरी बात मानेगी तो सही रहेगी...वरना मैने ये सारे कपड़े फाड़ देने है...और फिर तू नंगी जाना अपने घर..''
रश्मि ने मौके की नज़ाकत समझी और अपने ब्लाउस के हुक खोलने लगी..नीचे उसने ब्लेक कलर की ब्रा पहनी हुई थी, जिसमे उसके मोटे-2 सफेद खरबूजे ठुँसे हुए थे...उन्हे देखते ही रघु के मुँह से लार निकल कर उसकी दाढ़ी पर गिरने लगी...वो उसपर झपट सा पड़ा और अपना मुँह उसके मुम्मो के बीच दे मारा..
रघु की दाढ़ी की चुभन और उसकी लार अपने सीने पर महसूस करते ही रश्मि को उबकाई सी आ गयी...उसके सिर से निकल रही दुर्गंध भी काफ़ी तेज थी...उसने अपना मुँह फेर लिया...
तब उसने देखा की बाकी के दोनो बदमाश अपने कपड़े उतार कर नंगे हो चुके हैं...और अपने हाथों से अपने लंड को पकड़कर मूठ मार रहे हैं..
उनके काले-2 लण्डों को देखकर रश्मि सहम सी गयी...इतने मोटे और भद्दे लंड उसने आज तक नही देखे थे...उनसे चुदवाने से अच्छा तो वो मारना पसंद करेगी..पर वो बुरी तरह से रघु के चुंगल मे थी..बेचारी कुछ कर भी नही सकती थी..
रघु ने आनन-फानन मे उसकी साड़ी खींच कर निकाल दी..उसके पेटीकोट का नाडा खुला नही तो उसे तोड़ दिया...और उसकी पेंटी को भी नोच कर फाड़ा और एक किनारे फेंक दिया...वो उसकी ब्रा न फाड़ डाले इसलिए रश्मि ने खुद ही अपनी ब्रा के हुक खोल दिए , एक पल मे ही रश्मि उसके सामने पूरी नंगी खड़ी थी.. पहले तो उसने पूरा प्रयास किया अपने कपड़ों को उतारने से बचाने का, पर रघु शायद नशे मे था और उसकी ताक़त काफ़ी बड़ी हुई थी उस वक़्त...
रघु ने अपनी लाल जीभ निकाली और उसके मुम्मे चूसने लगा...उन्हे चाट्ता हुआ वो उपर से नीचे की तरफ आया और उसके पेट को चूमता हुआ उसकी चूत तक जा पहुँचा...
और फिर एक ही झटके मे उसकी एक टाँग उठा कर अपने कंधे पर रखी और उसकी चूत पर अपनी जीभ लगा दी..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म ''
ये पहला अवसर था जब काफ़ी देर बाद रश्मि के मुँह से दर्द भरी नही बल्कि उन्माद भरी सिसकारी निकली थी...
पहले ही विक्की ने उसकी चूत को काफ़ी गीला कर दिया था, और अब रघु ने सीधा उसे चाटना शुरू कर दिया...उसकी तो हालत ही खराब होने लगी...उसे समझ नही आ रहा था की वो उसका विरोध करे या मज़े ले..
तब तक उसके दोनो साथी भी पास आ गये और उन्होने उसके एक-2 मुम्मे को पकड़कर अपने मुँह मे लिया और चूसना शुरू कर दिया..
रश्मि के लिए ये पहला मौका था जब तीन आदमी उसके शरीर से खेल रहे थे...ऐसा ग्रूप सेक्स उसने सिर्फ़ एक दो बार समीर के कहने पर ब्लू मूवीस मे देखा था, उसे उस वक़्त तो बड़ी घिन्न सी आई थी...पर आज ना जाने क्यो अंदर से इतना मज़ा मिल रहा था..
उसने ना चाहते हुए भी उन दोनो के सिर अपने हाथों मे पकड़े और उन्हे अपनी छातियों पर ज़ोर से भींच दिया..और अपनी चूत को भी ज़ोर देकर रघु के मुँह पर ज़ोर से दबा दिया..
रघु ने अपना मुँह उसकी चूत से निकाला और बोला : "साली रंडी...अभी बोल रही थी की घरेलू औरत है...अब देखो, कैसे तीन -2 लंड देखकर घोड़ी की तरह हिनक रही है ...साली हरामजादी की चूत सोना उगल रही है...''
इतना कहकर वो खड़ा हो गया और उसने अपना पयज़ामा उतार फेंका.
और फिर जो रश्मि ने देखा, वो देखकर उसे अपनी आँखो पर विश्वास नही हुआ, रघु की टाँगो के बीच जैसे कोई अजगर लहरा रहा था...इतना लंबा और मोटा लंड ..लगभग 9 इंच का होगा...और बिल्कुल काला भूसंड ..उसके अपनी चूत के अंदर जाने की कल्पना से ही वो सिहर उठी..और ज़ोर से चीखी : "नहियीईईईईईईईईई......ये ...ये .......मत करना .....मुझे जाने दो प्लीज़....''
पर अब वो कहा मानने वाले थे...रघु अपने लंड को अपने हाथ मे मसलता हुआ उसकी तरफ बढ़ने लगा...रश्मि फिर से रोने लगी...बाकी के दोनो बदमाशों ने उसके हाथ पकड़े हुए थे..वो भाग भी नही सकती थी..
और तभी रघु के पैर पर किसी ने आकर ज़ोर से एक होक्की मारी..
रश्मि ने देखा तो वो विक्की था...और उसके साथ थे उसके सारे दोस्त...
रश्मि के लिए तो वो उस वक़्त किसी फरिश्ते से कम नही था..
विक्की के साथ उसके चार दोस्त थे..उनके हाथ मे भी होक्कियाँ थी...उन्होने दे दना दन करते हुए बाकी के दोनो बदमाशों पर भी होकीयाँ बरसानी शुरू कर दी...सारे दर्द के मारे तड़पने लगे..पर कोई भी उनपर रहम नही कर रहा था..ख़ासकर विक्की, वो तो रघु के उपर ऐसे बरस रहा था जैसे वो उसको मार ही डालेगा...रघु पूरा लहू लुहान हो चुका था..उसके सिर,पैर और मुँह से काफ़ी खून निकल रहा था...अगर उसके दोस्त उसे ना रोकते तो वो शायद उसे मार ही डालता...
विक्की :"साला...भेन चोद ....मुझे चाकू दिखा रहा था...मुझे गालियां निकाल रहा था...साले तेरे जैसे नशेडियों की गांड मे ये पूरी होक्की डाल देता है ये विक्की....हरामखोर ...मुझसे पंगा लिया तूने..''
अपने दोस्तो की वजह से विक्की काफ़ी चोडा हो रहा था अब...और रश्मि को दिखाने के लिए भी..
रश्मि तो रोते-2 वहीं बैठ गयी थी...पैड के नीचे, पूरी नंगी...पर वो अपनी किस्मत और भगवान का शुक्र मना रही थी की विक्की एन वक़्त पर आ गया और उसकी इज़्ज़त उन नशेडियों के हाथों लूटने से बच गयी..
रघु और उसके साथी दुम दबा कर भागते चले गये...नंगे..उनके कपड़े भी वहीं रह गये..
विक्की ने रश्मि की तरफ देखा...दोनो की नज़रें मिली और अगले ही पल दोनो एक दूसरे की तरफ भागते हुए आए और एक दूसरे से लिपट गये.. रश्मि : "कहाँ चले गये थे तुम....मेरे साथ ये क्या करने वाले थे....मेरी जिंदगी बर्बाद हो जाती आज....''
पर उसे वहाँ फँसाने वाला भी तो वही था...वही उसे ऐसी जगह पर लेकर आया था..पर वो शायद रश्मि भूल चुकी थी.
विक्की तो उसके नंगे बदन को अपने हाथ मे लेकर फूला नही समा रहा था...उसके उठते हुए लंड को अपने नंगे पेट पर महसूस करते ही उसे एहसास हुआ की वो तो पूरी नंगी है...विक्की के सामने और उसके दोस्तों के सामने भी...वो बेचारी शर्म से दोहरी हो उठी..
विक्की के सारे दोस्त भी उसके नंगे जिस्म को आँखे फाड़े देखे जा रहे थे...उसके भरंवा शरीर की बनावट देखकर सभी के लंड तन्ना गये..सभी सोचने लगे की ये साले विक्की ने इतना मस्त माल आख़िर फँसाया कैसे..
उन्हे आपस मे लिपटा देखकर विक्की का दोस्त सूरज बोला : "विक्की, अभी निकल यहा से...वो लोग कभी भी वापिस आ सकते हैं...शायद और भी लोग आए उनके साथ...यहाँ रुकना ख़तरे से खाली नही है...''
विक्की उसकी बात समझ गया..पर रश्मि अभी नंगी थी...वो सूरज से बोला : "तुम लोग बाहर जाओ...मैं इन्हे लेकर आता हू...''
इतना कहकर वो उसके कपड़े बटोरने लगा..सूरज और उसके बाकी दोस्त बाहर निकल आए..
उनके जाते ही रश्मि ने विक्की को अपनी तरफ घुमाया और फिर से उससे लिपट गयी...और उसके होंठों पर होंठ रखकर जोरों से उसे चूसने लगी...ये शायद उसका तरीका था विक्की को थेंक्स बोलने का..
विक्की का मन तो कर रहा था की अभी अपना लंड निकाले और नंगी खड़ी रश्मि को चोद डाले...और वो जानता था की इस वक़्त वो मना भी नहीं करेगी, पर जैसा की वो जानता था की वहाँ रुकना ख़तरनाक हो सकता था, उसने बड़ी मुश्किल से अपनी भावनाओ पर काबू पाया और रश्मि से बोला : "आंटी...आप जल्दी से कपड़े पहन लो...अभी यहाँ से निकलना है...इन सबके लिए अब काफ़ी टाइम है हमारे पास...''
रश्मि को उसकी बात सुनकर खुद पर ही शरम आ गयी की कैसे वो बेशर्मो की तरहा व्यवहार कर रही है...उसका चेहरा लाल सुर्ख हो उठा...वो अपने कपड़े पहनने लगी..उसकी कच्छी तो मिल नही रही थी..और पेटीकोट का नाड़ा रघु ने तोड़ डाला था...पर फिर भी किसी तरह से उसे पहना और उसपर अपनी साड़ी खींचकर बाँध ली, ताकि पेटीकोट गिर ना पड़े...और दोनो हाथ मे हाथ डालकर बाहर निकल पड़े...
सभी अपनी-2 बाइक्स पर आए थे...रश्मि बिना कुछ बोले विक्की के पीछे बैठ गयी और वो सब वापिस चल पड़े..
विक्की के दोस्त अपने घर की तरफ मूड गये और रश्मि को छोड़ने के लिए विक्की उसके घर की तरफ मुड़ गया.
रास्ते भर दोनो मे कोई बात नही हुई.
घर पहुँचते-पहुँचते 10 बज चुके थे...समीर की गाड़ी अभी तक नही आई थी...यानी वो लोग अभी तक शॉपिंग मे ही मस्त थे...रश्मि ने राहत की साँस ली,क्योंकि उसकी हालत देखकर समीर को समझाना मुश्किल हो जाता की आज उसके साथ क्या हुआ है.
रश्मि को गेट पर छोड़कर विक्की जब जाने लगा तो रश्मि उसकी तरफ पलटी...और उसकी तरफ बड़े ही प्यार से देखने लगी...जैसे कुछ कहना चाहती हो..पर वो बोल ना सकी..
विक्की शायद समझ गया था उसके अनकहे शब्द..वो बोला : "मैं आपको कल फोन करूँगा..बाय ..''
और वो बड़ी ही शराफ़त से वहाँ से निकल गया...रश्मि समझने की कोशिश कर रही थी की ऐसी भी भला क्या जल्दी थी उसको..अगर वो अंदर भी आना चाहता तो शायद वो मना नही कर पाती...चलो अब कल ही बात करेगी वो उसके साथ..
विक्की की बाइक वापिस उसी किले की तरफ दौड़ी चली जा रही थी..जहाँ वो कांड हुआ था.
और वो अपनी बाइक रोककर अंदर चला गया..अब तो उसके दोस्त भी साथ नही थे..
अंदर पहुँचकर उसने ज़ोर से आवाज़ लगाई : "रघु.....ओ रघु.....'' और कुछ ही देर मे रघु अपने दोनो साथियों के साथ वहाँ आ पहुँचा..उन्होने विक्की को अकेला वहाँ देखा और भागकर उसके पास आए..
और अगले ही पल सभी ठहाका मारकर हँसने लगे..वो सभी एक दूसरे से गले मिलकर अपनी खुशी जाहिर कर रहे थे...
रघु : "साले ...आज तो तूने मेरा सिर ही फोड़ डालना था...मैने तो अपने सिर पर नकली खून की थेली फोड़ डाली थी..फिर भी तू उसमे से असली मे खून निकालने को लगा था...शायद मेडम को इंप्रेस करने के चक्कर मे अपने दोस्तो की जान सस्ती नज़र आ रही थी तुझे..''
विक्की : "साले, रबड़ की होक्की से भी कभी सर फटता है , हा हा हा ''
दरअसल ये सब विक्की और रघु की चाल थी...विक्की को भी नशे का चस्का था...वो अक्सर रात के समय उनके पास आकर नशा किया करता था, पैसों की कमी हमेशा रही थी विक्की को, इसलिए जब रश्मि उसके पास पहुँची तो उसके दिमाग़ मे ये प्लान बना, और उसने रघु को फोन करके सब समझा दिया..
बाद मे अपने दोस्तो के साथ मिलकर रश्मि को बचाने का नाटक भी किया ताकि वो उससे इंप्रेस हो जाए...पहले भी उसने कई बार ऐसा नाटक किया था..पर ज़्यादातर दिन के समय, क्योंकि कोइ भी भले घर की लड़की उसके साथ रात के समय ऐसी जगह पर नही आती..
पर रश्मि तो ऐसी फंसी हुई थी की वो रात के समय भी उसके साथ वहाँ आने के लिए तैयार हो गयी थी..और फिर वही हुआ जो रश्मि को दिखाया जा रहा था...उसे तो विक्की मे एक हीरो ही दिखा , जिसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर,अपनी जान पर खेलकर, उसकी इज़्ज़त बचाई थी..
एक तो बेचारी पहले से ही अपनी बेटी के चक्कर को लेकर परेशान थी, उपर से विक्की के इस प्लान ने उसे भी अपने चुंगल मे ले लिया.
पर असली प्लान तो कुछ और ही था उनका..
 

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Update 59

विक्की बोला : "अच्छा , वो मोबाइल दिखा ज़रा, उसकी पिक्चर तो सही आई है ना...''
रघु के एक साथी ने अपना मोबाइल उसे दे दिया, विक्की ने जल्दी से उसकी फोटो गेलरी देखी, और वहाँ की पिक्चर्स देखकर उसका चेहरा खिल उठा...ये उन लोगो ने तब खींची थी जब रघु उसके कपड़े उतरवा रहा था...उसके मुम्मे चूस रहा था...उसकी चूत को अपने मुँह के उपर रखकर उसका रस्पान कर रहा था..
रात के समय भी उस केमरे ने ऐसी पिक्चर ली थी की उसकी क्वालिटी देखकर वो खुद हैरान रह गया..
विक्की : ''साले रघु, तूने तो आंटी को पूरा चूस डाला... ''
रघु खी खी करके हंसा और बोला : "लेकिन एक बात बोलू, साली माल बड़ी गजब की है...ऐसी चूत मैने आज तक नही चखी ...अब जल्दी से इसे अपने नीचे लाने का इंतज़ाम कर...''
विक्की मोबाइल को अपने हाथ मे लहराकर बोला : "अब तू देखता जा...मैं इस आंटी को कैसे नचाता हू...साली अपने साथ -2 अपनी बेटी को भी चुदवायेगी और पैसे भी बरसाएगी हमपर.... हा हा हा ''
और फिर से एक बार सभी दोस्त मिलकर हँसने लगे.
दूसरी तरफ रश्मि नहा धोकर अपने कमरे मे आ गयी...उसे तो रघु की दुर्गन्ध अभी तक अपने शरीर से आ रही थी..वो बिस्तर पर लेटकर सब कुछ दोबारा सोचने लगी...और विक्की के बारे मे सोचकर उसके होंठों पर एक प्यारी सी हँसी भी आ गयी...
तभी बाहर से समीर की कार के रुकने की आवाज़ आई...वो दौड़कर बालकनी मे गयी..दोनो बाप बेटी हाथों मे हाथ डाले , एक दूसरे से चिपके अंदर आ रहे थे...
रश्मि उनके प्यार को देखकर बहुत खुश हुई..
पर उसे क्या पता था की आज शाम से लेकर अब तक उनके बीच क्या - क्या हुआ है.. काव्या जब अपने पापा के ऑफिस पहुँची तो उसके लगभग 20 मिनट के बाद ही समीर अपनी सौतेली बेटी (जो अब उसको जान से प्यारी लगने लगी थी) के साथ अपनी कार मे बैठकर शॉपिंग के लिए निकल पड़ा.
रास्ते मे काव्या के मन मे अपनी सहेली श्वेता की कही हुई बातें गूँज रही थी..
उसके साथ बात करते हुए श्वेता ने उससे कहा था की मर्द को जितना तरसाएगी, उसके साथ चुदाई मे उतना ही मज़ा मिलेगा..उसने जिस तरह अपने भाई नितिन को रोज अपना शरीर धीरे-2 दिखा कर तरसाया था..और जिस तरह से वो धीरे-2 आगे बड़ी थी, वो उसको भी काफ़ी पसंद आया था, क्योंकि जिस तरह लास्ट मे जब दोनो के सब्र का बाँध टूट गया था तो उसके बाद की पहली चुदाई श्वेता को आज तक नही भूली, हालाँकि उसके बाद भी वो अक्सर नितिन से चुदवाती रहती है, पर इतने दिनों तक तरसाने के बाद की वो पहली चुदाई की कसक आज तक नही भूली थी...
और यही कसक काव्या भी महसूस करना चाहती थी..वैसे भी पहली चुदाई की कसक तो हर किसी को याद रहती है, पर अगर वो ललचा कर की जाए तो उसकी बात ही कुछ और होगी...
अपने बाप को अपनी तरफ आकर्षित करने मे तो वो कामयाब ही गयी थी, अब उसको तड़पाना था उसको...सही मायने मे कहा जाए तो उसको सिडयूस करना था...
काव्या ने आज एक छोटी सी स्कर्ट और टाइट टी शर्ट पहनी हुई थी..इसलिए कार मे बैठते ही वो थोड़ा और उपर जा चड़ी...और उसकी मोटी-2 दूधिया जांघे चमकने लगी..
बेचारे समीर की हालत खराब थी..लेग पीस तो हमेशा से उसकी कमज़ोरी रहे हैं, चाहे वो लेग मुर्गे की हो या किसी लड़की की..
उसकी मोटी-2 जांघे देखकर समीर का मन तो हुआ की उसपर हाथ रखकर ज़ोर से दबा दे...पर इतनी हिम्मत नही थी उसमे अभी..पर उसपर से नज़रे हटा कर वो सही से कार चला ही नही पा रहा था.
धीमी कार मे बैठी काव्या बाहर की तरफ देखकर अपना मुँह छिपा कर हंस रही थी...उसे पता था की वो जो दिखा रही है उसका क्या असर हो रहा है समीर के उपर...
तभी काव्या को एक आइस्क्रीम वाला दिखा और वो किसी बच्चे की तरहा चिल्लाई : "आइस्क्रीम....मुझे आइस्क्रीम खानी है...''
समीर ने मुस्कुराते हुए अपनी कार उस आइस्क्रीम वाले के पास रोक दी..वो काव्या की तरफ ही था, काव्या ने जैसे ही अपनी तरफ का शीशा नीचे किया ,वो आदमी भागता हुआ उनके पास आया..और लगभग अपना सिर उसने कार के अंदर ही डाल दिया,और जैसे ही उसने अंदर देखा, काव्या की मोटी-2 जांघे उसकी आँखो के बिल्कुल सामने थी..
समीर चिल्लाया : "अंदर ही घुस जाएगा क्या...''
वो सॉरी साहब बोलता हुआ बाहर हो गया...काव्या को अच्छा भी लगा, क्योंकि समीर उसके लिए पॉसेसिवनेस दिखा रहा था..और ये बात हर लड़की को पसंद आती है..
काव्या ने एक लंबी और गोल केन्डी आइस्क्रीम ले ली (शायद जान बूझकर) और फिर समीर ने गाड़ी आगे बड़ा दी..
काव्या उस आइस्क्रीम को खाने लगी...चूसने लगी...और उसके मज़े लेने लगी..वो अपनी आँखे बंद करते हुए उसको ऐसे चूस रही थी जैसे वो कोई लंड हो ... और मन ही मन वो उस पल को सोच रही थी जब असली मे उसने लोकेश अंकल का लंड चूसा था उनकी नाव पर...वो पल याद आते ही उसकी चूत मे जमी बर्फ की परत पिघलने लगी और गीलापन निकल कर बाहर आने लगा..
समीर की नज़र जब काव्या के चेहरे पर पड़ी तो वो भी चोंक गया, वो अपनी आँखे बंद करके उस आइस्क्रीम को जैसे चूस रही थी,सॉफ पता चल रहा था की वो लंड चूसने का तरीका है...उसकी जीभ लाल हो चुकी थी...जिसे वो आइस्क्रीम पर नीचे से उपर तक फिरा रही थी..ऐसा तो लंड चूसते हुए किया जाता है...तो क्या इसका मतलब काव्या लंड चूसना जानती है...पर लगता तो नही है...इतनी छोटी सी उम्र मे इसने कैसे इतनी अच्छी तरह से ये सब सीखा होगा...नही नही...ये शायद उसका वहां है...वो शायद आइस्क्रीम ऐसे ही खाती है..
एक साथ कई विचार कौंध रहे थे समीर के दिमाग़ मे...पर उसकी हरकत देखकर उसके लंड ने जो हाहाकार उसकी पेंट मे मचाया था वो सॉफ उजागर हो चुका था..उसने एक हाथ मे स्टेयरिंग पकड़े हुए दूसरे से अपनी पेंट को ठीक किया..
कुछ ही देर मे शॉपिंग माल आ गया, और दोनो कार पार्क करने के बाद अंदर आ गये..काव्या काफ़ी खुश थी आज..वो सीधा एक बड़े से शोरुम मे घुस गयी..और आनन फानन मे ही उसने 3 टी शर्ट्स ले ली...पेमेंट करने के बाद वो बाहर आ गये..और फिर एक जीन्स के शोरुम से काव्या ने अपने लिए एक जीन्स ली..और समीर को भी ज़बरदस्ती करवाकर जीन्स दिलवाई..
फिर कुछ देर के लिए दोनो ओपन मे बने हुए केफे मे बैठ गये और कॉफी पी और संडविच खाए..समीर को तो बस उस वक़्त का इंतजार था जब वो अंडरगार्मेंट्स के शोरुम मे जाएँगे..जो सेकेंड फ्लोर पर था..
वहाँ से निपटने के बाद समीर जल्दी-2 उपर की तरफ चलने लगा...काव्या भी उसकी जल्दबाज़ी देखकर मुस्कुरा रही थी...समीर सीधा अंदर गया और वहाँ खड़ी लड़की से काव्या के लिए कुछ इंपॉर्टेंट ब्रा और पेंटी दिखाने के लिए कहा..
वो लड़की पहले तो दोनो को देखने लगी फिर एकदम से पलटकर दूसरे सेक्षन की तरफ चल दी..समीर पहले भी वहाँ आ चुका था..काफ़ी पहले..अपनी पहली बीबी के साथ..इसलिए उस जगह की अहमियत और फेसिलिटी उसको पता थी..
पीछे की तरफ एक बड़ा सा कमरा था..जहाँ चारों तरफ शीचे लगे थे..और बीच मे एक आलीशान और गद्देदार सोफा...पूरा कमरा एसी चलने की वजह से चिल्ड हुआ पड़ा था..बीच मे एक ग्लास की टेबल भी थी..
समीर और कावा सोफे पर बैठ गये..वो इतना मुलायम था की काव्या की गांड तो पूरी तरह से अंदर धँस सी गयी..वो एक तरफ झुकती चली गयी और समीर के उपर जा गिरी...दोनो ने हंसते हुए एक दूसरे की तरफ देखा..और समीर ने काव्या को अपनी तरफ खींचकर बिठा लिया..काव्या भी अपनी छोटी सी ब्रेस्ट को समीर के बाजू मे घुसा कर चिपक कर बैठ गयी..
कुछ ही देर मे वो लड़की अपने हाथ मे काफ़ी सारी ब्रा-पेंटी के सेट लेकर आई और उन्हे सेंटर टेबल पर रख दिया..
फिर उसने एक रिमोट से सामने लगी बड़ी सी प्रोजेक्टर स्क्रीन चला दी, फिर उसने अपने हाथ मे एक सेट लिया और समीर और काव्या के सामने आकर खड़ी हो गयी..
उस लड़की का नाम कुसुम था, जो लगभग 22 साल की थी..मासूम सा चेहरा और बड़ी-2 ब्रेस्ट थी.
कुसुम : "सर ये इंपोर्टेड पीस है, इसमे टाई करने का और हुक करने का, दोनो ऑप्शन है..''
इतना कहकर उसने रिमोट से स्क्रीन ओन कर दिया और उसमे एक मॉडल ने सेम वही सेट पहना हुआ था, जो घूम-घूमकर उसकी फिटिंग दिखा रही थी..
समीर का लंड तो स्क्रीन पर दिख रही मॉडेल के फिगर को देखकर एकदम से खड़ा हो गया..
काव्या ने वो सेट अपने हाथ मे लिया और उसके कपड़े को अपनी उंगलियों से मसलकर देखने लगी..
कुसुम : "मेम ...हाथों मे लेने से कपड़े का पता नही चलता, हमारी ब्रेस्ट की स्किन ज़्यादा सेंसेटिवे होती है, असली मे तो वहीं लगा कर पता चलेगा की कैसी फील है इस कपड़े की..''
उसकी बात सुनकर काव्या शर्मा सी गयी...
समीर : "शायद ये सही कह रही है...तुम जाकर इसको ट्राइ कर सकती हो...''
काव्या : "अभी नही....और देखते हैं पहले ...''
कुसुम ने फिर से एक और सेट उठाया...ये भी इंपोर्टेड सेट था, जिसमे लाल रंग के दिल बने हुए थे..और पेंटी के बदले थोंग था..यानी पिछली तरफ एक महीन सा कपड़ा जो पहनने के बाद गांड की दीवारों मे घुसकर गायब ही हो जाए..
काव्या ने पहले कभी थोंग नही पहना था...इसलिए वो उसे काफ़ी गौर से देखने लगी..
कुसुम : "मेम आप इसका विसुअल देखिए...''
फिर से उसने स्क्रीन ओन कर दी, उसमे एक दूसरी मॉडेल ने वही सेट पहना हुआ था..समीर ने देखा की उस अँग्रेजन की मोटी सी गांड पूरी नंगी थी..क्योंकि पेंटी के नाम पर सिर्फ़ आगे की तरफ एक छोटा सा पैच ही तो था...
काव्या भी सोचने लगी की वो कैसे लगेगी उसे पहन कर...माना की उसकी ब्रेस्ट ज़्यादा बड़ी नही है..पर उसकी फेली हुई गांड तो पूरी नंगी होकर दिखेगी...
ये सोचते ही उसके दिल की धड़कन तेज होने लगी..
समीर ने अचानक वो थोंग काव्या के हाथ से ले लिया..और कुसुम को अपने पास बुलाया..और जैसे ही वो समीर के पास आई, समीर ने उसकी कमर पर हाथ रखकर उसकी गांड अपनी तरफ की और उसके पीछे वो थोंग लगा कर दिखाया..
काव्या को उम्मीद नही थी की उसके पापा ऐसी हरकत करेंगे और वो भी एक सेल्सगर्ल के साथ...पर कुसुम पर जैसे कोई असर ही नही हुआ...वो दूसरी तरफ मुँह करके खड़ी रही..
समीर : "देखो...ये ऐसे लगेगी...इसे भी तुम पहनकर देखना चाहो तो देख लो ...या फिर ये भी तुम्हे दिखा सकती है पहन कर..''
शायद ये उस हाइ प्रोफाइल शोरुम के कस्टमर का रोज का काम था...इसलिए समीर बड़ी ही आसानी से वो सब कर और कह रहा था.
काव्या : "क्या सच मे...ये मुझे पहन कर दिखा सकती है...''
कुसुम : "यस मेम ...पर इन्हे बाहर जाना होगा...''
शायद वो फेसिलिटी सिर्फ़ फीमेल कस्टमर्स के लिए ही थी...
उसकी बात सुनते ही काव्या एकदम से बोली : "ये क्यो जाएँगे...इनके बिना तो मैं कुछ भी नही खरीदूगी...आपने अगर दिखना है तो इनके सामने ही दिखाओ...वरना मुझे नही लेना यहाँ से कुछ..''
वो लड़की एकदम से घबरा गयी...शायद उसे भी अब तक पता चल चुका था की वो किस लेवल के कस्टमर्स है..उन्हे वापिस भेजने का मतलब हज़ारों रुपये का नुकसान और साथ ही उसके इन्सेंटिव का भी..
कुसुम : "ओक मेम ..आप कहती है तो ठीक है...मैं अभी इसे पहन कर आती हू..''
इतना कहकर वो उस सेट को लेकर चेंगिंग रूम मे चली गयी...और कुछ ही पल मे बाहर निकल कर आई..
उसे देखते ही काव्या के मुँह से सिर्फ़ एक ही शब्द निकला : "वाव ......सो सेक्सी....''
कुसुम को देखकर काव्या के मुँह से तो ये निकला, पर समीर का मुँह तो खुला का खुला ही रह गया...वो कुछ बोल ही नही पाया...कुसुम के मोटे-2 मुम्मे और पतली कमर के नीचे फैले हुए कूल्हे देखकर उसके मुँह से कुछ निकला ही नही..लंड और खड़ा हो गया.
समीर तो बस यही सोचे जा रहा था की ऐसा ही अगर चलता रहा तो वो कब तक अपने आप पर कंट्रोल कर पाएगा... कुसुम चलती हुई उसके पास तक आई और बिल्कुल काव्या के आगे खड़ी हो गयी...काव्या ने इतनी खूबसूरत लड़की और वो भी इतने कम कपड़ो मे आज से पहले कभी नही देखी थी...उसने तो सिर्फ़ अपना और अपनी सहेली श्वेता का शरीर ही देखा था...अपना तो उसे पता ही था और श्वेता की ब्रेस्ट कुछ ज़्यादा ही बड़ी थी और गांड भी काफ़ी गद्देदार...पर इस लड़की का हर अंग साँचे मे ढला हुआ था...लगभग 34 की ब्रेस्ट थी...26 के आस पास कमर और 36 की गांड ...
ऐसा ड्रीम फिगर तो उसने हमेशा से अपने लिए सोचा हुआ था...उसके दूधिया मुम्मे देखकर उसका तो मन कर रहा था की अभी उसकी ब्रा खोले और उसके मोटे-2 निप्पल अपने मुँह मे लेकर चूस डाले...उसकी ऐसी हालत है तो समीर का क्या हाल होगा, उसने समीर की तरफ देखा तो वो अपना मुँह और आँखे फाड़े कुसुम को खा जाने वाली नज़रों से देख रहा था...काव्या ने उसको और तरसाने की सोची..उसने सीधा अपना हाथ आगे किया और कुसुम की पेंटी यानी थोंग के कपड़े को अपने हाथ मे लेकर परखने लगी..उसने महसूस किया की उसका हाथ लगते ही कुसुम के शरीर मे एक अजीब सा करंट लगा था..पर वो खड़ी रही, कुछ नही बोली..
काव्या ने अपनी उंगलियाँ आगे की तरफ बने छोटे से पैच मे घुसा दी और अपनी उंगली और अंगूठे के बीच उस थोंग के कपड़े को रखकर परखने लगी..और ऐसा करते हुए उसकी अंदर वाली उंगली कुसुम की सफाचट चूत से रगड़ खा रही थी..और अंदर से निकल रही नमी को काव्या अपनी उंगलियों पर सॉफ महसूस कर पा रही थी..
काव्या : "आप सही कह रहे थे...ये कपड़ा सचमुच अच्छी फिटिंग दे रहा है...और शायद स्किन पर भी अच्छी फीलिंग दे रहा होगा...''
वो जान बूझकर समीर को पापा नही बोल रही थी अब तक, क्योंकि वो चाहती थी की वहां का स्टाफ बस यही सोचता रहे की शायद कोई अमीर आदमी अपनी जवान गर्लफ्रेंड को शॉपिंग करवाने लाया है...बाप-बेटी के बीच ऐसा खुलापन कोई नही समझ पाएगा ..
कुसुम ने काव्या की बात सुनी और बोली : "येस मेम , ये कपड़ा इंपोर्टेड है, आपको ऐसा फील होगा की आपने कुछ पहना ही नही है...''
उसकी बात सुनकर काव्या हंस पड़ी..और बोली : "आपको शायद पता नही है, मैं अक्सर घर पर बिना पेंटी के ही रहती हू...''
उन दोनो लड़कियों की गर्ल-टॉक सुनकर समीर के लंड की हालत बुरी हो रही थी...काव्या को तो मज़ा आ रहा था समीर को अपनी सीट पर कसमसाते हुए देखकर..वो उसको तरसाने मे कामयाब जो हो रही थी..
काव्या ने कुसुम को घुमा दिया और अब उसकी गांड थी उसके सामने...और थोंग के पीछे की तरफ की महीन सी कपड़े की डोरी कुसुम की गहरी गांड मे फंसकर गायब हो चुकी थी और ऐसा लग रहा था की वो नीचे से नंगी होकर खड़ी है...उसका मोटा और उभरा हुआ पिछवाड़ा देखकर समीर और काव्या दोनो के मुँह मे पानी आ गया...और कोई मौका होता तो काव्या ने अपना मुँह घुसेड देना था उसकी रज़ाई में ..पर अपने पापा के सामने वो कोई सीन नही बनाना चाहती थी.
काव्या : "वाव ....देखो ना...कैसे ये कपड़ा अंदर चला गया है...इट्स सो सेक्सी...आई लव इट ...''
काव्या ने उसकी डोरी पकड़ कर उसकी गर्म गांड से बाहर निकाली, एक हल्की सी सिसकारी निकल गयी कुसुम के मुँह से...और फिर से काव्या ने वो डोरी छोड़ दी, और कुसुम फिर से कसमसा उठी..शायद हर बार वो डोरी उसकी गांड के छेद पर जाकर टिक रही थी..निकल रही थी..
काव्या एकदम से खड़ी हुई और उसने ब्रा के स्ट्रेप्स को पकड़ कर देखा, जैसे हुक की क़्वालिटी चेक कर रही हो...फिर से उसने कुसुम को अपनी तरफ घुमाया और उसके कप्स को अपने हाथों मे लेकर देखने लगी...कुसुम की आँखों मे आ रहा गुलाबीपन काव्या को साफ़ दिख रहा था..
समीर को तो ऐसे लग रहा था जैसे कोई ब्लू मूवी का लेस्बियन सीन चल रहा हो वहाँ..
काव्या ने ब्रा का फेब्रिक चेक करते-2 अचानक कुसुम की ब्रेस्ट को ज़ोर से दबा दिया...और कुसुम के मुँह से एक जोरदार चीख निकल गयी...
''आाआईयईईईईईईईईईईईई........ में, क्या कर रहे हो आप मेम .....''
उसकी साँसे भी तेज हो गयी, शायद समीर वहाँ ना होता तो वो काव्या को कच्चा ही चबा जाती...इतनी आग निकलने लगी थी उसके अंदर से एकदम से. काव्या समझ गयी की उसने शायद कुसुम को उत्तेजित कर दिया है...
काव्या : "ओह ...सॉरी ....मुझे पता नही अचानक क्या हो गया था...मैं अपने आप पर कंट्रोल ही नही कर पाई...आप हो ही इतनी खूबसूरत...'' फिर वो समीर की तरफ मूडी और बोली : "है ना ....कितनी अच्छी फिगर है इनकी...''
समीर बेचारा बस अपना सिर हाँ मे हिलाने के सिवाए कुछ नही कर पाया...
काव्या ने देखा की कुसुम के होंठ लरज रहे थे...फड़क रहे थे...शायद वो चाहती थी की उन्हे कोई चूम ले, चूस ले, निचोड़ डाले..पर उस वक़्त ऐसा कुछ भी पॉसिबल नही था..
 

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Update 60

दोनो की आँखो मे एक दूसरे के लिए उत्तेजना का ज्वार भाटा उमड़ पड़ा था, जिसे शायद समीर नही देख पा रहा था..पर वो दोनो महसूस कर पा रही थी..
कुसुम : "मेम , आप कहें तो कुछ और भी पहन कर दिखाऊ आपको ...या ये फाइनल है ...''
काव्या : "मुझे कम से कम 5-6 सेट लेने है...इसको तो मैं एक बार खुद पहन कर देखना चाहूँगी...''
कुसुम : "ठीक है , आप मेरे साथ चलिए...''
इतना कहकर वो काव्या को लेकर अपने साथ चेंजिंग रूम मे आ गयी...जो एक छोटा सा केबिन था..और उसमे हर तरफ शीशे लगे थे..
एक खूंटी पर कुसुम की ड्रेस और उसकी ब्रा -पेंटी टंगी हुई थी..
कुसुम : "में, आप अपने कपड़े उतार कर यहाँ टाँग दीजिए..मैं आपको ये उतार कर देती हू..''
इतना कहकर कुसुम बिना किसी शरम के अपनी ब्रा खोलने लगी..
काव्या : "रूको, मैं हेल्प करती हू तुम्हारी ...''
इतना कहकर वो कुसुम के पीछे गयी और उसकी ब्रा के हुक खोल दिए...और नीचे सरकती हुई ब्रा के कप्स को उसने आगे हाथ करते हुए अपनी हथेलियो मे थाम लिया...और फिर उन्हे धीरे-2 उजागर कर दिया..
और जैसे ही कुसुम की नंगी चुचियाँ काव्या को सामने लगे शीशे मे दिखी , काव्या के शरीर का तापमान बड़ सा गया, उसकी गोल-2 चुचियाँ और लंबे निप्पल्स कमाल के थे...उसने इतने लंबे निप्पल्स आज तक नही देखे थे..और उसकी मोटी-2 ब्रेस्ट की जानलेवा शेप...उफ़फ्फ़ ...शायद इसलिए वो वहाँ की सेल्सगर्ल थी..
काव्या उसके कान मे फुसफुसाई : "यू आर ब्यूटिफुल ...."
उसकी साँसे तेज हो चुकी थी...
कुसुम भी उत्तेजना के शिखर पर थी,क्योंकि उसके लगभग एक इंच लंबे निप्पल फटने को हो रहे थे......वो धीरे से बोली : "थेंक्स मेम ...''
सामने के शीचे मे काव्या उसके टॉपलेस हिस्से को देख पा रही थी..
फिर उसने उसकी पेंटी को भी नीचे खिसका दिया...कुसुम की चूत से जैसे चाशनी बह रही थी...जो उस छोटे से कपड़े से चिपक कर एक रेशम के धागे का निर्माण कर रही थी..
कपड़ा तो अलग हो गया पर उस चाशनी से बना धागा टूटने का नाम ही नही ले रहा था...आलम ये था की पेंटी घुटने से नीचे तक आ गयी पर एक गोल्डन से धागे ने उसकी चूत और पेंटी को अभी तक आपस मे जोड़ रखा था..इतना सेक्सी सीन काव्या ने अपनी पूरी लाइफ मे आज तक नही देखा था...
उसने अपना हाथ आगे किया और अपनी उंगली में उस रेशमी और गीले धागे को लपेट कर उसे तोड़ दिया....और अपना पंजा एकदम से कुसुम की चूत पर रखकर ज़ोर से दबा दिया...
बस इतना काफ़ी था उस मासूम सी दिखने वाली लड़की के अंदर का जानवर जगाने के लिए...वो एकदम से पलटी और काव्या के चेहरे को पकड़ कर उसके होंठों पर जोरदार हमला कर दिया....उसके रेशमी होंठों का रस ऐसे चूसने लगी मानो उसके अंदर कोई सकिंग मशीन लगी हो...वो तो पूरी नंगी थी...और आनन फानन मे उसके हाथ चलने लगे और एक मिनट के अंदर ही उसने काव्या को भी अपनी तरह नंगा कर दिया..और दोनो जवान जिस्म एक दूसरे को रोंदने लगे...
उस छोटे से केबिन में मानो एक तूफान सा आ गया..आज काव्या को पहली बार कोई अपनी टक्कर का मिला था..जो उससे ज़्यादा उत्तेजना मे भरकर अपना उतावलापन दिखा रहा था..ठीक ऐसी ही बनना चाहती थी वो भी, ताकि वो जिसके साथ भी सेक्स करे,वो उसके जंगलीपन का दीवाना बन जाए..वो कुसुम को ओब्सर्व करने लगी, अपने आप को उसके हवाले कर दिया और उसकी हरकतों को नोट करने लगी, ताकि कुछ सीख पाए..
कुसुम तो जैसे पागल हो चुकी थी, इतनी देर तक अपने आप पर कंट्रोल करने के बाद वो जैसे फट सी पड़ी थी, काव्या को खा जाने वाली हरकतें कर रही थी वो..उसके होंठ, गर्दन, और गालों को आम की तरह चूस रही थी..और अपनी चूत को उसकी चूत पर रगड़कर मज़ा ले रही थी..
वो पहले से ही उत्तेजित थी, इसलिए लगभग 8-10 घिस्से लगाने के बाद ही वो छूट गयी और उसके अंदर का लावा बहकर उसकी जांघों से नीचे सरकने लगा..
बाहर बैठा हुआ समीर व्याकुल सा हो रहा था...वो उठकर केबिन तक गया और उसने धीरे से दरवाजा खड़काया...
समीर : "काव्या....काव्या...बड़ी देर लगा दी...तुम ठीक तो हो ना...''
 

The Immortal

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Update 61

अंदर दोनो नंगी खड़ी होकर एक दूसरे को चूम रही थी..कुसुम तो एकदम से घबरा गयी और अपने कपड़े पहन लिए..अब वो डर रही थी की शायद उसे अपने कस्टमर के साथ ऐसा नही करना चाहिए था..
काव्या ने उसे शांत किया और बाहर खड़े समीर से बोली : "जी पापा, मैं ठीक हू...बस फिटिंग चेक कर रही थी...''
समीर वापिस जाकर सोफे पर बैठ गया.
काव्या के मुँह से पहली बार समीर के लिए पापा निकलता देखकर कुसुम के तो होश उड़ गये, वो तो इतनी देर से उसे उसकी गर्लफ्रेंड या नाजायज़ संबंध का नतीजा समझ रही थी..पर ये तो उसका बाप निकला..
पर वो कैसा बाप था वो ये नही जानती थी..
पर अपने बाप के साथ ऐसी शॉपिंग के लिए वो आई थी, ये सोचकर एक बार फिर से कुसुम के अंदर चींटियाँ सी रेंगने लगी..उसने आज तक अपने पापा के बारे मे ऐसा नही सोचा था, पर उनके इस तरह के खुले रिश्ते को देखकर एक दम से उसका ध्यान अपने पापा की तरफ चला गया और वो एक गहरी सोच मे डूब गयी..
तब तक काव्या ने भी वो ब्रा और थोंग पहन लिया था और वो ग़ज़ब की लग रही थी...उसकी ब्रेस्ट छोटी थी, पर कपड़ा स्ट्रेचेबल था , इसलिए वो सिकुड कर उसकी ब्रेस्ट को भी सही से कवर कर पा रहा था...और वो थोंग , जिसपर अभी तक कुसुम की चूत का जूस लगा हुआ था, उसे अपनी मुनिया पर महसूस करते ही एक अजीब सा एहसास हुआ उसको...
कुसुम ने कपड़े पहन लिए थे..और वो बाहर जाने लगी..
कुसुम : "ये बिल्कुल फिट है आपके उपर, में....आप अपने पापा को दिखाना चाहोगी इसको...''
उसने शरारत भरे स्वर मे काव्या से पूछा..
क्योंकि वो जानती थी की वो जितनी भी खुल जाए, पर अपने पापा के सामने ऐसी हालत मे हरगिज़ नही जाएगी..
पर उसकी आशा के विपरीत काव्या बोली : "उन्हे एक बार दिखाना तो होगा ही ना...तुम ऐसा करो, उन्हे यहीं अंदर भेज दो..मुझे ऐसे बाहर निकलने मे शर्म आ रही है..''
उसकी बात सुनकर कुसुम के तो होश उड़ गये..उसने तो सोचा भी नही था की काव्या ऐसा कहेगी...बाप बेटी मे ऐसे खुलेपन का रिश्ता उसने आज तक नही देखा था..और ना ही सोचा था..
पर ये कैसी शर्म है, जो उसके पापा बाहर देखेंगे, वही तो अंदर भी होगा, दोनो मे फ़र्क क्या है..
पर ये बात काव्या ने काफ़ी सोच समझ कर कही थी..क्योंकि वो समीर को जानती थी..बाहर आकर वो सिर्फ़ अपने आप को उसे दिखा सकती थी..पर अंदर के छोटे से केबिन मे वो काफ़ी कुछ कर भी सकती थी उसके साथ..
काव्या की बात मानकर कुसुम बाहर गयी और उसने हकलाते हुए से स्वर मे कहा : "सर ...वो ..आपकी बेटी...आपको अंदर केबिन मे बुला रही है..''
समीर के दिल की धड़कने एकदम से रेलगाड़ी की तरह चलने लगी...वो सोचने लगा की आख़िर क्या दिखाएगी काव्या उसको..
वो लगभग भागता हुआ सा केबिन की तरफ गया..और धीरे से धक्का देकर अंदर आ गया...केबिन का दरवाजा खुला ही हुआ था..
अंदर पहुचते ही जो उसने देखा उसके बाद उसने अपने आप पर कैसे कंट्रोल किया ये तो वो खुद भी नही जानता था...क्योंकि ऐसी सेक्सी लड़की और वो भी सिर्फ़ एक छोटी सी ब्रा और पेंटी मे...और वो भी उसके इतने पास...उसका लंड तो फटने को हो रहा था..
और काव्या भी बड़ी मुश्किल से अपने आप पर कंट्रोल करती हुई सी,नॉर्मल बिहेव कर रही थी..और घूम-घूमकर शीशे मे अपना फिगर चेक कर रही थी.. काव्या : "पापा...देखो ना...कैसी लग रही है...''
समीर बस यही बोल पाया : "हाँ ......अच्छी ...है ..''
उसके मुँह से शब्द ही नही फूटने को हो रहे थे...वो तो अपनी जवान बेटी के सेक्सी फिगर को देखकर पागल हुए जा रहा था...छोटी-2 ब्रेस्ट...पतली कमर...सेक्सी सी नेवल...और फेली हुई गांड के उपर छोटी सी कच्छी ...और पीछे से तो ऐसा लगता था की वो पूरी नंगी है...उसके भरंवा चूतड़ देखकर उसका मन कर रहा था की उन्हे दबोच कर उसका रस निकाल दे...
काव्या : "पर ये मेरी ब्रेस्ट के हिसाब से लूस है...देखो...कितना गेप है...''
वो जैसे समीर को उकसा रही थी..की आओ पापा और ब्रा के कपड़े को पकड़ कर देखो..पर समीर तो जैसे लल्लू सा बन गया था..वो अवाक सा होकर बस उसके सेक्सी शरीर को देखे जा रहा था..
काव्या अपनी उंगलियों से ब्रा के कपड़े को खींचकर उपर नीचे कर रही थी..और ऐसा करते हुए अचानक समीर को उसके निप्पल के दर्शन हो गये...
उफफफफफफफ्फ़ इतना गुलाबी भी कोई होता है क्या ...ऐसा गुलाबी रंग तो उसने अपनी कल्पना मे भी नही देखा था...बेबी पिंक कलर के निप्पल्स....उम्म्म्मममम....उन्हे चूसने मे और उनका जूस पीने मे कितना मज़ा आएगा...
वो अपने ही ख़यालों मे मगन सा होकर एकटक देखता रहा उसकी ब्रेस्ट को...
काव्या को काफ़ी मज़ा आ रहा था उसको टीस करने मे..
काव्या : "फाइनल बोलो पापा...लू या नही...''
ऐसा करते हुए उसने अपनी नंगी गांड समीर की तरफ कर दी...अब ऐसे सीन को देखकर कोई कैसे मना कर सकता था..वो अगर हीरे से बनी हुई होती तो भी ले देता समीर उस वक़्त ..
समीर :"ले लो...काफ़ी सेक्सी...उम्म...अच्छी लग रही है...''
काव्या : "थॅंक्स पापा....''
इतना कहकर वो बिना किसी वजह के उसके गले से लिपट गयी..और उसके गाल पर एक पप्पी दे डाली..
उसकी छोटी-२ सिप्पियां समीर की छाती से टकराकर टूट सी गयी , समीर के हाथ उसकी नंगी कमर पर लिपट गए
समीर के खड़े हुए लंड का एहसास अपनी चूत पर महसूस करते ही वो भी बहक सी गयी एक पल के लिए...और उसने सोचा की जो करना है आज ही कर लेती हू...पर तभी उसे फिर से अपनी सहेली श्वेता के कहे शब्द याद आ गये की जितना तरसाओगी , उतनी ही बेहतर चुदाई होगी...वैसे भी जगह चुदाई के हिसाब से ठीक नहीं थी
वो एकदम से अलग हुई..और समीर से बोली : "ठीक है पापा....आप बाहर जाओ, मैं चेंज करके आती हू..''
और समीर बेचारा ना चाहते हुए भी बाहर आ गया..काव्या ने जल्दी से अपने कपड़े वापिस पहने और अपने हाथ मे वो ब्रा-पेंटी लेकर बाहर आ गयी..
इतनी देर तक दोनो बाप-बेटी अंदर क्या कर रहे थे, ये सोच-सोचकर कुसुम अपनी छोटी सी स्कर्ट के उपर से ही अपनी चूत को रगड़ रही थी..
काव्या : "मुझे ये पसंद आई...और पापा को भी...ये पॅक कर दो..''
दोनों के चेहरे पर एक शरारत भरी मुस्कान थी
उसके बाद काव्या ने लगभग 5 जोड़े और लिए, पर उन्हे पहना कर या पहन कर नही देखा, क्योंकि उसके हिसाब से आज के लिए इतना ही काफ़ी था..
घर पहुँच कर गाड़ी से निकलकर काव्या समीर के पास आई और उसकी बाहों को अपने हाथ मे फँसा कर अंदर की तरफ चल दी, जैसे वो उसकी गर्लफ्रेंड हो..और बोली : "पापा, बाकी के सेट्स मैं आपको आराम से पहन कर दिखाउंगी ...''
और दोनो एक दूसरे की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए अंदर की तरफ चल दिए..
और उपर बालकनी मे खड़ी हुई रश्मि ये सोचकर खुश हो रही थी की बाप-बेटी मे लगाव होना शुरू हो गया है..
पर वो नही जानती थी की ये लगाव किस तरह का है. रश्मि बाथरूम मे चली गयी...उसने कुछ अलग ही सोचा हुआ था आज समीर के लिए.
कुछ ही देर मे समीर भी अपने बेडरूम मे पहुँचा,रश्मि को वहाँ ना पाकर वो बाथरूम के पास गया, दरवाजा अंदर से बंद था, वो समझ गया की रश्मि अंदर ही है..उसके लंड की हालत काफ़ी खराब थी आज, उसने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए..यहाँ तक की उसने अपना अंडरवीयर भी उतार फेंका, क्योंकि काव्या के साथ खरीदारी करते हुए उसके लंड की अकड़ जिस तरह से उस अंडरवीयर मे सिमटी पड़ी थी, उसे आज़ाद करना ज़रूरी था, खुली हवा मे झटके मारते हुए उसको काफ़ी आराम मिल रहा था..अब वो अपने हाथ मे खड़ा लंड लेकर रश्मि के निकलने का इंतजार करने लगा..आज वो उसकी चूत का कीमा बना देना चाहता था..जैसे उसकी चूत को कूटकर वो उसे इतनी सेक्सी लड़की पैदा करने का इनाम देना चाहता हो.
अब समीर से सहन नही हो रहा था, उसने दरवाजा खड़काया : "रश्मि...क्या कर रही हो...जल्दी बाहर आओ...''
अंदर खड़ी हुई रश्मि अपनी चूत पर एक बार और रेजर फेर रही थी...उसकी चूत भी तो सुबह से इतनी बार गीली हो चुकी थी,विक्की के साथ आज जो कुछ भी हुआ था, उसे सोचकर उसके बदन मे अभी तक रोमांच की ठंडक दौड़ रही थी..
कुछ ही देर मे उसने दरवाजा खोल दिया और बाहर निकल आई..
रश्मि को ऐसी हालत मे देखकर समीर एक पल के लिए तो अपनी सोतेली बेटी को भी भूल गया और उसका लंड रश्मि की लदी हुई जवानी के गुणगान करने लगा..
रश्मि ने आज अपने पति के द्वारा लाई हुई एक सेक्सी ब्रा पेंटी का सेट पहना हुआ था, बाथरूम मे उसने अपना गाउन उतार दिया था और सिर्फ़ अपनी ब्रा पेंटी मे ही बाहर निकल आई..
जितना शॉक समीर को लगा था, उतना ही रश्मि को भी लगा समीर को देख कर, वो सिर्फ़ अपनी सैंडो मे था और अपने लंड को हाथ मे पकड़ कर हिला रहा था..जैसे वो रश्मि का ही इंतजार कर रहा हो की कब बाहर निकले और उसकी चूत मे अपना लंड पेल दे..
दोनो के जिस्म बुरी तरह से सुलग रहे थे...रश्मि का विक्की की वजह से और समीर का काव्या की वजह से..अब समय था दोनो जिस्मों मे लगी हुई आग को बुझाने का..एक दूसरे से रगड़ कर..
दोनो एक दूसरे के गले से ऐसे चिपके जैसे बरसों के बिछुड़े प्रेमी हो..समीर ने अपनी बीबी को बेतहाशा चूमना और मसलना शुरू कर दिया..
रश्मि ने तो सोचा था की बाहर निकल कर समीर को अपने जिस्म के जलवे दिखा कर पहले तो थोड़ा तरसाएगी, फिर धीरे-2 उसके कपड़े उतार कर उसे नंगा करेगी, उसको सीडयूस करेगी , फिर खुद भी नंगी हो जाएगी और आराम से उसका लंड चूसेगी और अपनी चूत भी चुस्वाएगी...पर समीर ने सब गड़बड़ कर दिया था, उसे क्या पता था की वो पहले से नंगा खड़ा होगा और उसपर एकदम से झपटकर सारा प्लान बिगड़ देगा..
कभी-2 इंसान चुदाई के प्लान तो काफ़ी बड़े-2 बनाता है, पर जब करने की बारी आती है तो सब अपने हिसाब से ही होता चला जाता है.
यही हो रहा था आज रश्मि के साथ भी..पलक झपकते ही उसकी ब्रा पेंटी ज़मीन पर थी और वो पूरी नंगी होकर समीर की बाहों मे मचल रही थी..
वो भी पूरा नंगा हो चुका था, उसे रश्मि को धक्का सा देकर अपने पैरों मे बिठा लिया और उसे लंड चूसने के लिए बोला..वो अपने लंबे बालों को संभालती हुई अपने घुटनो के बल बैठकर समीर के लंड को चूसने लगी..
उसके गर्म मुँह मे अपना लंड जाते ही समीर का मुँह उपर की तरफ हो गया और वो उसके रेशमी बालों मे हाथ फेरते हुए अपनी आँखे बंद करके काव्या के बारे मे सोचने लगा..एक पल मे ही उसके दिमाग़ मे शोरुम का सीन आ गया जहाँ काव्या उस छोटे से केबिन मे थी और उसे अंदर बुलाते ही वो पूरी नंगी हो गयी और नीचे बैठकर उसके लंड को चूसने लगी..
रश्मि की चूत मे से पानी रिस रहा था और नीचे ज़मीन पर उसके रस की बूंदे गिरने लगी...वो आज अपनी पसंद का एक काम तो करना ही चाहती थी..उसके लिए समीर के झड़ने से पहले वो उसे बिस्तर पर ले जाना चाहती थी..
रश्मि ने एकदम से समीर का लंड अपने मुँह से निकाला और समीर को पीछे की तरफ धक्का देते हुए बेड पर गिरा दिया..ये समीर पर ज़बरदस्ती करने का उसका पहला मौका था, उसने आज तक समीर के कहे अनुसार ही काम किया था, वो जिस आसन मे उसे चोदना चाहता था, वो उसी आसन मे उसके कहे अनुसार आ जाती थी..वो कहे तो उसकी दासी बनकर उसका लंड चूसती , वो कहता तो कुतिया बनकर अपनी गांड पीछे कर देती..वो कहता तो अपनी टांगे फेला कर उसके सामने लेट जाती और वो कहता तो उछलकर उसके खड़े हुए लंड के उपर बैठकर उछल कूद करती..
 
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