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Incest सौतेली माँ

abmg

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Episode 4

अब तक आपने जाना कि मैंने मां के मुँह में अपना लंड दे दिया था और वे मेरे लंड को चूसने लगी थीं.


अब आगे पढ़ें कि कैसे बेटे ने मां को चोदा:


मैं मां की चुत पर अपनी जीभ फिरा रहा था. उसी के साथ मैं मां की जांघों को भी सहला रहा था.


मां के मुँह से कामुक सिसकारियां निकलने लगी थीं. उनकी चुत से मीठा रस बह रहा था और मैं उसे चाटकर पी रहा था.


मां ने भी जोश में आकर मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया था. अब मैं भी लंड को उनके गले तक डाल रहा था. सच में मुझे बहुत मजा आ रहा था.


फिर मैंने एक उंगली मां की चुत में डाल दी, तो वो एकदम से कसमसा उठीं- आह आह … हर्षद ओह अहाहा … सससह.
मां वासना से भरी सिसकारियां लेने लगी थीं.


फिर मैंने एक साथ मां की चुत में दो उंगलियां डाल दीं और अन्दर बाहर करने लगा. मां की चुत बहुत कसी हुई थी. वो जोरों से आहें भरने लगीं. मां की चुत से झरने की तरह रस बहने लगा था. मैं चुतरस पीते पीते उनका मुँह चोद रहा था.


अब मेरा भी रस निकलने वाला था, तो लंड एकदम कड़क और गर्म हो गया था.


मैं बोला- अदिति मेरा निकलने वाला है.
वो बोलीं- मुँह में ही निकाल दो … मुझे तुम्हारा रस पूरा पीना है.


ये सुनकर मैं मस्त हो गया कि मेरी सौतेली मां मेरे लंड का जूस पीना चाह रही हैं.


मैंने भी अपनी जीभ चुत में अन्दर तक डालकर चूसना शुरू कर दिया था. वो नीचे से अपनी गांड उठा रही थीं. मैंने भी नीचे हाथ डालकर मां की गांड को पकड़ रखा था.


इसी बीच मेरे लंड ने जोर से पिचकारी मार दी. मेरा लौड़ा मां के मुँह में उनके गले तक घुस गया था. मेरा रस सीधा अन्दर जा रहा था और मां लंड चूसकर रस पीती रहीं. उन्होंने आखिरी बूंद तक लंड चूसा.


फिर हम दोनों ही शांत होकर दो मिनट ऐसे ही 69 में पड़े रहे.


इसके बाद मां एक हाथ से मेरे लंड को सहलाने लगीं और दूसरे हाथ से मेरी पीठ और गांड को सहलाने लगीं. मैं भी उनकी चुत पर अपने होंठों को रखकर चूमने लगा, तो वो गर्म सिसकारियां भरने लगीं.


जल्दी ही उन्होंने अपनी टांगें फैला दीं. अब मैं अपनी जीभ को मां की चुत पर नीचे से ऊपर तक फेर रहा था. मैं उनके दाने को जीभ से कुरेद भी रहा था. इससे मां को बहुत जोश आने लगा था. वो अपनी गांड हिलाकर मेरा साथ दे रही थीं.


मैंने अपने दोनों हाथों से उनकी चुत को फैलाया और अपनी जीभ अन्दर तक डाल दी.


वो जोरों से आह भरने लगीं- ओह हर्षद क्या कर रहे हो … बस करो … अब अपना लंड डाल दो मेरी चुत में … आह अब नहीं रहा जाता हाय … अअअहाहा … अं ऊंऊं डाल दो ना!


उनकी चुत से फिर से कामरस बहने लगा था. मैं चुत को अपनी जीभ से चाट रहा था. वो सिसकारियां भर रही थीं और मेरे लंड को जोर से चूसने में लगी थीं.


मुझे भी अब नहीं रहा जा रहा था.


मां बोलीं- हर्षद बेटा, प्लीज डाल दो ना अपना लंड मेरी चुत में जल्दी से … और बरसों की मेरी प्यास बुझा दे.


मैं देर न करते हुए उनकी टांगें बीच बैठ गया. उनकी टांगें फैलाकर मेरे लंड का सुपारा उनकी चुत पर ऊपर से नीचे तक रगड़ने लगा. वो कसमसा उठीं.


मैं लंड का टोपा उनकी चुत की फांकों में ऊपर से नीचे फेरते हुए चुत के दाने पर रगड़ने लगा.


मां तिलमिलाए जा रही थीं. उन्होंने नीचे हाथ डालकर मेरे लंड को पकड़कर कहा- हर्षद … प्लीज जल्दी से इसे डाल दो ना … जल्दी से अन्दर कर दे प्लीज़ … नहीं तो मैं मर जाऊंगी.


मुझसे भी उनकी हालत नहीं देखी जा रही थी. मैंने भी लंड का सुपारा गीली चुत पर रखा और एक जोर का धक्का दे दिया.


अभी मेरा सिर्फ दो इंच लंड ही अन्दर घुस सका था, मगर मां चिल्ला उठीं- ओय ऊंई मर गयी रे … हर्षद हाय अअहह हहऊ ऊ ऊ आहिस्ता डालो ना हर्षद … तेरा लंड बहुत मोटा है … फाड़ डालेगा क्या मेरी चुत को.


मैंने उनके मुँह पर अपना मुँह रखकर उनके होंठों को चूसने लगा. वो भी मेरे होंठों चूस रही थीं.


मैं अपने दोनों हाथों से उनके चूचे मसल रहा था. वो एक दो पल में ही सामान्य हो गईं.


अब मैंने फिर से एक और जोरदार धक्का मार दिया. अबकी बार मेरा आधे से अधिक लंड चुत में घुस गया था. मैं उन्हें चूम रहा था, तो वो चिल्ला नहीं पाईं. लेकिन उनकी आंखों में आंसू आ गए थे. वो रो रही थीं … दर्द को सहन नहीं कर पा रही थीं.


मैं अपना मुँह ऊपर उठाकर बोला- क्या हुआ अदिति … तुम्हारी आंखों में आंसू कैसे हैं?
मां बोलीं- मुझे दर्द हो रहा है हर्षद … मैं पहली बार इतना बड़ा लंड मेरी चुत में ले रही हूँ ना … इसलिए. अब ठीक है तुम करो..
वो मुझे चूमने लगीं.


मैंने भी उनकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर लंड थोड़ा बाहर निकालकर जोर से धक्का मारा और पूरा लंड चुत में उतार दिया.


मां जोर से चिल्लाईं, लेकिन उनकी आवाज बाहर नहीं आयी. मैंने अपने होंठों से उनका मुँह बद कर दिया था. उनके मुँह से अब बस सिसकारियां निकल रही थीं.


वो बोलीं- हर्षद तुमने तो मेरी चुत फाड़ दी आज … शायद खून निकल गया है.


मैंने नीचे देखा, तो उनके चुत रस के साथ थोड़ा सा खून भी बाहर आया था.


मैंने मां को चूमकर कहा- हां अदिति, सच में खून निकला है. मगर तुम घबराओ नहीं … अब कुछ भी दर्द नहीं होगा. बस अब सिर्फ मजा ही आएगा.
मां बोलीं- हर्षद मैं सभी दर्द सह लूंगी. मैं बहुत खुश हूँ आज. इतना बड़ा लंड मेरी चुत में जाकर मेरे गर्भाशय को छू रहा है.


मैं यह सुनकर जोश में आ गया और उनके मम्मों को चूसने लगा. दूसरे हाथ से दूसरे दूध को रगड़ने लगा.


मां कामुक सिसकारियां लेने लगी थीं. उनके हाथ मेरी पीठ पर और गांड पर फिरने लगे थे. मां नीचे से अपनी गांड हिलाने लगी थीं.
इससे मैं भी समझ गया कि मां का दर्द कम हो गया है.


मैंने अपनी दोनों हाथों में मां के दोनों मम्मे पकड़ कर रगड़ते हुए मोर्चा सम्भाल लिया. मैं अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा. मां की चुत रस छोड़ रही थी. उनका गर्म चुतरस मेरे लंड को महसूस हो रहा था.


फिर मैंने उनकी टांगों को अपने हाथ से फैलाया और जोर जोर से धक्के मारने लगा.


मां मस्ती से मादक सिसकारियां निकालने लगीं. अब मां को चुदने में बहुत मजा आ रहा था. वो भी नीचे से गांड उठाकर मेरा लंड अन्दर ले रही थीं.


करीब दस मिनट तक मैं ऐसे ही जोर से चुदाई करता रहा. मां अब फिर एक बार झड़ने लगी थीं. उनकी चुत ने गर्म रस का फव्वारा मेरे लंड पर छोड़कर मेरे लंड नहला दिया … और वो शांत होती चली गईं.


मेरी मां अपने हाथ फैलाए और आंखें बंद करके सिसकारियां लेते हुए आराम से पड़ी थीं. मैं भी उनके दोनों हाथों पर अपने हाथ रखकर उनके ऊपर लेट गया. अपने होंठों को मां के होंठों पर रख दिए.


लेकिन अभी तक मेरा वीर्य नहीं निकला था.


मैं मां से बोला- अब तक का सफर कैसा लगा अदिति?
तो वो मुझे चूमते हुए बोलीं- हर्षद क्या बताऊं तुझे … मैं तो शब्दों में बयान ही नहीं कर सकती. मुझे बहुत मजा आ रहा है … मैं अपनी जिंदगी पहली बार इतने मजे ले रही हूँ. लगता है कि मैं आज जन्नत की सैर कर रही हूँ.


ये सुनकर मैं खुश हो गया. मैं मां से बोला- अदिति अभी मेरा वीर्य नहीं निकला है. मुझे और मजे लेना है … और तुम्हें भी बहुत खुश करना है.
वो हंसकर बोलीं- मैं भी यही चाहती हूँ हर्षद.


वो मुझे चूमने लगीं और नीचे से अपनी गांड ऊपर नीचे करने लगीं.


मुझे भी जोश आने लगा था. मैंने उनकी कमर पकड़कर लंड अन्दर बाहर करके मां को चोदने लगा. मां की चुत गीली होने के कारण अब फच पच पचा फच की आवाज निकलने लगी थीं. साथ में अदिति के मुँह से निकलती मादक सिसकारियों की आवाज से बेडरूम का माहौल रोमांटिक हो गया था.


मैं अपना लंड आधे से ज्यादा बाहर निकालकर जोर से अन्दर डाल रहा था. मां को भी चुदने में मजा आ रहा था. वो भी अपनी गांड उछाल उछालकर मेरा साथ दे रही थीं.


ऐसे ही दस मिनट तक मैं मां को चोदता रहा. वो भी मस्त मजे ले रही थीं और सिसकारियां भी भर रही थीं.


मां बोलीं- हर्षद आह और जोर से चोद दो … मैं फिर से झड़ने वाली हूँ.


वो चौथी बार झड़ने वाली थीं … अब मैं भी झड़ने वाला हो गया था.


मैं जोर जोर से लंड को चुत के अन्दर तक घुसाने लगा. मैंने मां से बोला- हां मेरी जान अब मेरा भी निकलने वाला है … क्या मैं अपना वीर्य अन्दर ही छोड़ दूँ?
मां बोलीं- हां अन्दर ही छोड़ दो … बहुत प्यासी है मेरी चुत, तुम्हारा अमृत जैसा वीर्य पीकर तृप्त हो जाएगी.


मां के ऐसा कहते ही उनकी चुत रस छोड़ने लगी और मैं भी जोर-जोर से धक्के मारने लगा. जैसे ही चार पांच जोर के धक्के मारे, मेरे लंड से निकली वीर्य की पिचकारी उनके गर्भाशय को भरने लगी थी.


मां ने भी मेरे रस को अपने अन्दर जाता हुआ महसूस किया था. वो सिसकारियां भरने लगी थीं. उन्होंने मेरी कमर को अपनी टांगों में जकड़ रखा था. वो अपनी चुत पर दबाव बनाकर रखना चाहती थीं. उन्हें बहुत मजा आ रहा था. मेरा पूरा वीर्य मां की चुत में निकल गया था.
इस तरह से पहली बार बेटे ने मां को चोदा.


मैं झड़ कर मां के ऊपर ही सो गया था. हम दोनों बहुत थक चुके थे. दोनों ही एक दूसरे के बांहों में समा गए थे. मैं अपना सर उनकी गर्दन पर रखकर लेटा रहा. दोनों की गर्म गर्म सांसें तेज चल रही थीं.


दस मिनट तक हम ऐसे ही एक दूसरे की बांहों में जकड़े पड़े थे.


मां आंखें बंद करके निढाल होकर पड़ी थीं. उनके चेहरे पर एक अजीब सी खुशी दिखायी दे रही थी.


मैंने अपने होंठ मां के गुलाबी होंठों पर रख दिए.
तो उन्होंने अपनी आंखें खोल दीं और बोलीं- हर्षद आज मैं पूरी तरह से तृप्त हो गयी हूँ. ये सब तुम्हारे लंड का कमाल है … और तेरा भी. हर्षद आज क्या चुदाई की है तुमने … मैं सोच भी नहीं सकती थी कि तुम एक अनुभवी मर्द की तरह करीब आधे घंटे से ज्यादा समय तक मेरी चुत चुदाई करोगे. थैंक्यू हर्षद … तुमने मेरी बरसों से प्यासी चुत की प्यास आज अपने अमृत से बुझा दी. मैं ये पल कभी नहीं भूलूंगी … आज का ये सुनहरा दिन मेरी जिन्दगी में मुझे हमेशा याद रहेगा. अब हमेशा तुम मुझे ऐसे ही खुशी देते रहना. आय लव यू हर्षद.


मां ये बोलकर मुझे चूमने लगीं.
मैं भी उन्हें आय लव यू टू अदिति बोलकर चूमने लगा.


मेरा लंड सिकुड़कर चुत से बाहर निकल आया था. मां ने मोबाइल की घड़ी देखी, तो छह बज चुके थे.


मां बोलीं- उठो हर्षद … शाम के छह बज गए हैं. आज बहुत देर हो गयी है. कैसे समय निकल गया, पता ही नहीं चला.


मैं उनके ऊपर से उठकर बाजू हो गया. मां उठीं, तो उन्होंने देखा कि उनकी चुत से हम दोनों का रस बाहर बह रहा था. बेड की चादर पूरी गीली हो गयी थी. वो बेड से नीचे उतरीं. मैं भी नीचे उतर गया. उनकी चुत से कामरस अभी भी बहकर घुटने तक आ रहा था.


उन्होंने बेडशीट निकाल कर रख दी और मुझसे बोलीं- चलो बाथरूम में चलते हैं हर्षद.


हम दोनों नंगे ही बाथरूम में गए और साथ में नहाने लगे. मां ने गर्म पानी का फव्वारा चालू कर दिया और मेरे लंड को धोने लगीं. मैं उनकी चुत साफ कर रहा था. तभी मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा, तो मैं मां के पीछे गया और उनको अपनी बांहों में भर लिया. मेरा तना हुआ लंड दोनों टांगों के बीच घुसकर चुत को रगड़ने लगा.


मां भी उत्तेजित होकर सिसकारियां भरने लगीं.


मां बोलीं- हर्षद क्या तुम्हारा अभी दिल नहीं भरा? छोड़ दो बस करो.
मैं बोला- नहीं अभी मेरा दिल नहीं भरा अदिति … मैं और सेक्स चाहता हूँ.
वो बोलीं- ओके … पर अभी नहीं हर्षद. तेरे पिताजी सात बजे के बाद कभी भी आ सकते हैं. प्लीज मान भी जाओ हर्षद … हम कल करेंगे. अब तो मैं हमेशा के लिए तुम्हारी ही हूँ ना.


ये सुनकर मैं मां से अलग हो गया और हम दोनों नहाकर नंगे ही अपने रूम में चले गए.


थोड़ी ही देर में हम तैयार हो गए. मैं हॉल में आकर टीवी चालू करके सोफे पर बैठ गया. मां भी साड़ी पहनकर आ गईं.


उसी समय पिताजी भी आ गए.


मां मुझसे मुस्कुरा कर बोलीं- हर्षद, मैं तुम दोनों के लिए चाय बनाकर लाती हूँ.
मैं धीमे से हंस दिया.
 

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अब तक आपने जाना कि मैंने मां के मुँह में अपना लंड दे दिया था और वे मेरे लंड को चूसने लगी थीं.


अब आगे पढ़ें कि कैसे बेटे ने मां को चोदा:


मैं मां की चुत पर अपनी जीभ फिरा रहा था. उसी के साथ मैं मां की जांघों को भी सहला रहा था.


मां के मुँह से कामुक सिसकारियां निकलने लगी थीं. उनकी चुत से मीठा रस बह रहा था और मैं उसे चाटकर पी रहा था.


मां ने भी जोश में आकर मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया था. अब मैं भी लंड को उनके गले तक डाल रहा था. सच में मुझे बहुत मजा आ रहा था.


फिर मैंने एक उंगली मां की चुत में डाल दी, तो वो एकदम से कसमसा उठीं- आह आह … हर्षद ओह अहाहा … सससह.
मां वासना से भरी सिसकारियां लेने लगी थीं.


फिर मैंने एक साथ मां की चुत में दो उंगलियां डाल दीं और अन्दर बाहर करने लगा. मां की चुत बहुत कसी हुई थी. वो जोरों से आहें भरने लगीं. मां की चुत से झरने की तरह रस बहने लगा था. मैं चुतरस पीते पीते उनका मुँह चोद रहा था.


अब मेरा भी रस निकलने वाला था, तो लंड एकदम कड़क और गर्म हो गया था.


मैं बोला- अदिति मेरा निकलने वाला है.
वो बोलीं- मुँह में ही निकाल दो … मुझे तुम्हारा रस पूरा पीना है.


ये सुनकर मैं मस्त हो गया कि मेरी सौतेली मां मेरे लंड का जूस पीना चाह रही हैं.


मैंने भी अपनी जीभ चुत में अन्दर तक डालकर चूसना शुरू कर दिया था. वो नीचे से अपनी गांड उठा रही थीं. मैंने भी नीचे हाथ डालकर मां की गांड को पकड़ रखा था.


इसी बीच मेरे लंड ने जोर से पिचकारी मार दी. मेरा लौड़ा मां के मुँह में उनके गले तक घुस गया था. मेरा रस सीधा अन्दर जा रहा था और मां लंड चूसकर रस पीती रहीं. उन्होंने आखिरी बूंद तक लंड चूसा.


फिर हम दोनों ही शांत होकर दो मिनट ऐसे ही 69 में पड़े रहे.


इसके बाद मां एक हाथ से मेरे लंड को सहलाने लगीं और दूसरे हाथ से मेरी पीठ और गांड को सहलाने लगीं. मैं भी उनकी चुत पर अपने होंठों को रखकर चूमने लगा, तो वो गर्म सिसकारियां भरने लगीं.


जल्दी ही उन्होंने अपनी टांगें फैला दीं. अब मैं अपनी जीभ को मां की चुत पर नीचे से ऊपर तक फेर रहा था. मैं उनके दाने को जीभ से कुरेद भी रहा था. इससे मां को बहुत जोश आने लगा था. वो अपनी गांड हिलाकर मेरा साथ दे रही थीं.


मैंने अपने दोनों हाथों से उनकी चुत को फैलाया और अपनी जीभ अन्दर तक डाल दी.


वो जोरों से आह भरने लगीं- ओह हर्षद क्या कर रहे हो … बस करो … अब अपना लंड डाल दो मेरी चुत में … आह अब नहीं रहा जाता हाय … अअअहाहा … अं ऊंऊं डाल दो ना!


उनकी चुत से फिर से कामरस बहने लगा था. मैं चुत को अपनी जीभ से चाट रहा था. वो सिसकारियां भर रही थीं और मेरे लंड को जोर से चूसने में लगी थीं.


मुझे भी अब नहीं रहा जा रहा था.


मां बोलीं- हर्षद बेटा, प्लीज डाल दो ना अपना लंड मेरी चुत में जल्दी से … और बरसों की मेरी प्यास बुझा दे.


मैं देर न करते हुए उनकी टांगें बीच बैठ गया. उनकी टांगें फैलाकर मेरे लंड का सुपारा उनकी चुत पर ऊपर से नीचे तक रगड़ने लगा. वो कसमसा उठीं.


मैं लंड का टोपा उनकी चुत की फांकों में ऊपर से नीचे फेरते हुए चुत के दाने पर रगड़ने लगा.


मां तिलमिलाए जा रही थीं. उन्होंने नीचे हाथ डालकर मेरे लंड को पकड़कर कहा- हर्षद … प्लीज जल्दी से इसे डाल दो ना … जल्दी से अन्दर कर दे प्लीज़ … नहीं तो मैं मर जाऊंगी.


मुझसे भी उनकी हालत नहीं देखी जा रही थी. मैंने भी लंड का सुपारा गीली चुत पर रखा और एक जोर का धक्का दे दिया.


अभी मेरा सिर्फ दो इंच लंड ही अन्दर घुस सका था, मगर मां चिल्ला उठीं- ओय ऊंई मर गयी रे … हर्षद हाय अअहह हहऊ ऊ ऊ आहिस्ता डालो ना हर्षद … तेरा लंड बहुत मोटा है … फाड़ डालेगा क्या मेरी चुत को.


मैंने उनके मुँह पर अपना मुँह रखकर उनके होंठों को चूसने लगा. वो भी मेरे होंठों चूस रही थीं.


मैं अपने दोनों हाथों से उनके चूचे मसल रहा था. वो एक दो पल में ही सामान्य हो गईं.


अब मैंने फिर से एक और जोरदार धक्का मार दिया. अबकी बार मेरा आधे से अधिक लंड चुत में घुस गया था. मैं उन्हें चूम रहा था, तो वो चिल्ला नहीं पाईं. लेकिन उनकी आंखों में आंसू आ गए थे. वो रो रही थीं … दर्द को सहन नहीं कर पा रही थीं.


मैं अपना मुँह ऊपर उठाकर बोला- क्या हुआ अदिति … तुम्हारी आंखों में आंसू कैसे हैं?
मां बोलीं- मुझे दर्द हो रहा है हर्षद … मैं पहली बार इतना बड़ा लंड मेरी चुत में ले रही हूँ ना … इसलिए. अब ठीक है तुम करो..
वो मुझे चूमने लगीं.


मैंने भी उनकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर लंड थोड़ा बाहर निकालकर जोर से धक्का मारा और पूरा लंड चुत में उतार दिया.


मां जोर से चिल्लाईं, लेकिन उनकी आवाज बाहर नहीं आयी. मैंने अपने होंठों से उनका मुँह बद कर दिया था. उनके मुँह से अब बस सिसकारियां निकल रही थीं.


वो बोलीं- हर्षद तुमने तो मेरी चुत फाड़ दी आज … शायद खून निकल गया है.


मैंने नीचे देखा, तो उनके चुत रस के साथ थोड़ा सा खून भी बाहर आया था.


मैंने मां को चूमकर कहा- हां अदिति, सच में खून निकला है. मगर तुम घबराओ नहीं … अब कुछ भी दर्द नहीं होगा. बस अब सिर्फ मजा ही आएगा.
मां बोलीं- हर्षद मैं सभी दर्द सह लूंगी. मैं बहुत खुश हूँ आज. इतना बड़ा लंड मेरी चुत में जाकर मेरे गर्भाशय को छू रहा है.


मैं यह सुनकर जोश में आ गया और उनके मम्मों को चूसने लगा. दूसरे हाथ से दूसरे दूध को रगड़ने लगा.


मां कामुक सिसकारियां लेने लगी थीं. उनके हाथ मेरी पीठ पर और गांड पर फिरने लगे थे. मां नीचे से अपनी गांड हिलाने लगी थीं.
इससे मैं भी समझ गया कि मां का दर्द कम हो गया है.


मैंने अपनी दोनों हाथों में मां के दोनों मम्मे पकड़ कर रगड़ते हुए मोर्चा सम्भाल लिया. मैं अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा. मां की चुत रस छोड़ रही थी. उनका गर्म चुतरस मेरे लंड को महसूस हो रहा था.


फिर मैंने उनकी टांगों को अपने हाथ से फैलाया और जोर जोर से धक्के मारने लगा.


मां मस्ती से मादक सिसकारियां निकालने लगीं. अब मां को चुदने में बहुत मजा आ रहा था. वो भी नीचे से गांड उठाकर मेरा लंड अन्दर ले रही थीं.


करीब दस मिनट तक मैं ऐसे ही जोर से चुदाई करता रहा. मां अब फिर एक बार झड़ने लगी थीं. उनकी चुत ने गर्म रस का फव्वारा मेरे लंड पर छोड़कर मेरे लंड नहला दिया … और वो शांत होती चली गईं.


मेरी मां अपने हाथ फैलाए और आंखें बंद करके सिसकारियां लेते हुए आराम से पड़ी थीं. मैं भी उनके दोनों हाथों पर अपने हाथ रखकर उनके ऊपर लेट गया. अपने होंठों को मां के होंठों पर रख दिए.


लेकिन अभी तक मेरा वीर्य नहीं निकला था.


मैं मां से बोला- अब तक का सफर कैसा लगा अदिति?
तो वो मुझे चूमते हुए बोलीं- हर्षद क्या बताऊं तुझे … मैं तो शब्दों में बयान ही नहीं कर सकती. मुझे बहुत मजा आ रहा है … मैं अपनी जिंदगी पहली बार इतने मजे ले रही हूँ. लगता है कि मैं आज जन्नत की सैर कर रही हूँ.


ये सुनकर मैं खुश हो गया. मैं मां से बोला- अदिति अभी मेरा वीर्य नहीं निकला है. मुझे और मजे लेना है … और तुम्हें भी बहुत खुश करना है.
वो हंसकर बोलीं- मैं भी यही चाहती हूँ हर्षद.


वो मुझे चूमने लगीं और नीचे से अपनी गांड ऊपर नीचे करने लगीं.


मुझे भी जोश आने लगा था. मैंने उनकी कमर पकड़कर लंड अन्दर बाहर करके मां को चोदने लगा. मां की चुत गीली होने के कारण अब फच पच पचा फच की आवाज निकलने लगी थीं. साथ में अदिति के मुँह से निकलती मादक सिसकारियों की आवाज से बेडरूम का माहौल रोमांटिक हो गया था.


मैं अपना लंड आधे से ज्यादा बाहर निकालकर जोर से अन्दर डाल रहा था. मां को भी चुदने में मजा आ रहा था. वो भी अपनी गांड उछाल उछालकर मेरा साथ दे रही थीं.


ऐसे ही दस मिनट तक मैं मां को चोदता रहा. वो भी मस्त मजे ले रही थीं और सिसकारियां भी भर रही थीं.


मां बोलीं- हर्षद आह और जोर से चोद दो … मैं फिर से झड़ने वाली हूँ.


वो चौथी बार झड़ने वाली थीं … अब मैं भी झड़ने वाला हो गया था.


मैं जोर जोर से लंड को चुत के अन्दर तक घुसाने लगा. मैंने मां से बोला- हां मेरी जान अब मेरा भी निकलने वाला है … क्या मैं अपना वीर्य अन्दर ही छोड़ दूँ?
मां बोलीं- हां अन्दर ही छोड़ दो … बहुत प्यासी है मेरी चुत, तुम्हारा अमृत जैसा वीर्य पीकर तृप्त हो जाएगी.


मां के ऐसा कहते ही उनकी चुत रस छोड़ने लगी और मैं भी जोर-जोर से धक्के मारने लगा. जैसे ही चार पांच जोर के धक्के मारे, मेरे लंड से निकली वीर्य की पिचकारी उनके गर्भाशय को भरने लगी थी.


मां ने भी मेरे रस को अपने अन्दर जाता हुआ महसूस किया था. वो सिसकारियां भरने लगी थीं. उन्होंने मेरी कमर को अपनी टांगों में जकड़ रखा था. वो अपनी चुत पर दबाव बनाकर रखना चाहती थीं. उन्हें बहुत मजा आ रहा था. मेरा पूरा वीर्य मां की चुत में निकल गया था.
इस तरह से पहली बार बेटे ने मां को चोदा.


मैं झड़ कर मां के ऊपर ही सो गया था. हम दोनों बहुत थक चुके थे. दोनों ही एक दूसरे के बांहों में समा गए थे. मैं अपना सर उनकी गर्दन पर रखकर लेटा रहा. दोनों की गर्म गर्म सांसें तेज चल रही थीं.


दस मिनट तक हम ऐसे ही एक दूसरे की बांहों में जकड़े पड़े थे.


मां आंखें बंद करके निढाल होकर पड़ी थीं. उनके चेहरे पर एक अजीब सी खुशी दिखायी दे रही थी.


मैंने अपने होंठ मां के गुलाबी होंठों पर रख दिए.
तो उन्होंने अपनी आंखें खोल दीं और बोलीं- हर्षद आज मैं पूरी तरह से तृप्त हो गयी हूँ. ये सब तुम्हारे लंड का कमाल है … और तेरा भी. हर्षद आज क्या चुदाई की है तुमने … मैं सोच भी नहीं सकती थी कि तुम एक अनुभवी मर्द की तरह करीब आधे घंटे से ज्यादा समय तक मेरी चुत चुदाई करोगे. थैंक्यू हर्षद … तुमने मेरी बरसों से प्यासी चुत की प्यास आज अपने अमृत से बुझा दी. मैं ये पल कभी नहीं भूलूंगी … आज का ये सुनहरा दिन मेरी जिन्दगी में मुझे हमेशा याद रहेगा. अब हमेशा तुम मुझे ऐसे ही खुशी देते रहना. आय लव यू हर्षद.


मां ये बोलकर मुझे चूमने लगीं.
मैं भी उन्हें आय लव यू टू अदिति बोलकर चूमने लगा.


मेरा लंड सिकुड़कर चुत से बाहर निकल आया था. मां ने मोबाइल की घड़ी देखी, तो छह बज चुके थे.


मां बोलीं- उठो हर्षद … शाम के छह बज गए हैं. आज बहुत देर हो गयी है. कैसे समय निकल गया, पता ही नहीं चला.


मैं उनके ऊपर से उठकर बाजू हो गया. मां उठीं, तो उन्होंने देखा कि उनकी चुत से हम दोनों का रस बाहर बह रहा था. बेड की चादर पूरी गीली हो गयी थी. वो बेड से नीचे उतरीं. मैं भी नीचे उतर गया. उनकी चुत से कामरस अभी भी बहकर घुटने तक आ रहा था.


उन्होंने बेडशीट निकाल कर रख दी और मुझसे बोलीं- चलो बाथरूम में चलते हैं हर्षद.


हम दोनों नंगे ही बाथरूम में गए और साथ में नहाने लगे. मां ने गर्म पानी का फव्वारा चालू कर दिया और मेरे लंड को धोने लगीं. मैं उनकी चुत साफ कर रहा था. तभी मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा, तो मैं मां के पीछे गया और उनको अपनी बांहों में भर लिया. मेरा तना हुआ लंड दोनों टांगों के बीच घुसकर चुत को रगड़ने लगा.


मां भी उत्तेजित होकर सिसकारियां भरने लगीं.


मां बोलीं- हर्षद क्या तुम्हारा अभी दिल नहीं भरा? छोड़ दो बस करो.
मैं बोला- नहीं अभी मेरा दिल नहीं भरा अदिति … मैं और सेक्स चाहता हूँ.
वो बोलीं- ओके … पर अभी नहीं हर्षद. तेरे पिताजी सात बजे के बाद कभी भी आ सकते हैं. प्लीज मान भी जाओ हर्षद … हम कल करेंगे. अब तो मैं हमेशा के लिए तुम्हारी ही हूँ ना.


ये सुनकर मैं मां से अलग हो गया और हम दोनों नहाकर नंगे ही अपने रूम में चले गए.


थोड़ी ही देर में हम तैयार हो गए. मैं हॉल में आकर टीवी चालू करके सोफे पर बैठ गया. मां भी साड़ी पहनकर आ गईं.


उसी समय पिताजी भी आ गए.


मां मुझसे मुस्कुरा कर बोलीं- हर्षद, मैं तुम दोनों के लिए चाय बनाकर लाती हूँ.
मैं धीमे से हंस दिया.
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
हर्षद और उसकी सौतेली माँ अदिती की पहली ही चुदाई बडी ही जबरदस्त हो गई अब तो ये सिलसिला सुरू हो गया
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
हर्षद और उसकी सौतेली माँ अदिती की पहली ही चुदाई बडी ही जबरदस्त हो गई अब तो ये सिलसिला सुरू हो गया
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

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Episode 5

अब तक की मेरी मां बेटा सेक्स स्टोरी में आपने जाना कि मैं मां की चुदाई करके बाथरूम में मां के साथ नहाने लगा था. उधर मेरा लंड मां की चुत चोदने के लिए फिर से कड़क होने लगा था. जिस पर मां ने मुझे पिताजी के आने का समय कह कर रोक दिया था.

मैं मान गया था और बाथरूम से बाहर निकल कर कपड़े पहन कर सोफे पर बैठ कर टीवी देखने लगा था. तभी पिता जी भी आ गए थे. मां अपने कपड़े पहन कर हम दोनों के लिए चाय बनाने किचन में चली गई थीं.

अब आगे:

मैं मां की मटकती हुई गांड को देख कर धीमे से मुस्कुरा दिया.

तभी पिता जी के फोन पर किसी का कॉल आ गया और वे जल्दी में आवाज लगाते हुए चले गए- अदिति मैं जरूरी काम से जा रहा हूँ. बस अभी आ जाऊंगा.
मैंने पिताजी को रोकने की कोशिश की कि चाय पी कर चले जाना पिताजी.
मगर शायद कोई अर्जेंट कॉल था, इसलिए पिताजी रुके नहीं.

पिताजी के जाते ही मां आ गईं और पिताजी को न पाकर मुझसे पूछने लगीं- क्या हुआ? तेरे पिताजी किधर चले गए?

मैंने मां को आते देख आकर उठ कर दरवाजे की कुंडी लगा दी और सब बताते हुए उनको अपनी गोद में खींच लिया.
मां हंसते हुए मेरी गोद से उठीं और बोलीं- उधर चाय उफन रही होगी. मुझे जाने दे.

मां किचन में चली गईं और मैं अपने लंड के उफान को दबाने लगा.

एक मिनट बाद मां दो कप में चाय लेकर आ गईं और मेरे पास बैठकर चाय पीने लगीं.
हम एक दूसरे की देखकर हंसने लगे थे. मां के चेहरे पर आज बहुत खुशी दिख रही थी.

मैं बोला- अदिति … तुमने आज मुझे बहुत खुश कर दिया है. मैंने अब तक चार लड़कियों को चोदा है, मगर उन्हें चोदने में भी इतना मजा नहीं आया जितना तुम्हारी चुत चुदाई में मजा आया. वाकयी तुम बहुत सेक्सी हो … तुम्हारा बदन बहुत गठीला है.

इस पर मेरी सौतेली मां बोलीं- हर्षद, तुमने तो बरसों से प्यासी अपनी माँ की चुत की आग बुझा दी है. मैं तुम्हारी बहुत आभारी हूँ. पहले तो मैं बहुत डर रही थी कि तुमसे ये सब बातें कैसे कहूँ, लेकिन जब से मैंने तुम्हारा मोटा लंड देखा था, तभी से मेरा दिल तुमसे चुदवाने को मचल रहा था. आज वो सुनहरा दिन ही आ गया. मैं बहुत ही खुश हूँ हर्षद …

अदिति आगे बोली- आज से जब हम दोनों को मौका मिलेगा, हम ऐसे ही चुदाई करेंगे हर्षद. मगर ध्यान रखना कि ये बात सिर्फ हमारे बीच में ही रहना चाहिए.

इसी तरह से हम दोनों बातें करते हुए अपनी चाय खत्म करने लगे.

चाय के बाद मां कप लेकर किचन में चली गईं और कोई दस मिनट बाद वो अपना काम निपटा कर वापस आ गईं.

मैंने उनको देख कर अपना लंड सहलाया तो मां मेरी गोद में आकर बैठ गईं. मैंने भी उन्हें अपने दोनों हाथों से कसके जकड़ते हुए भींच लिया और उनके मम्मों को सहलाने लगा.

वो कामुक सिसकारियां लेने लगीं. नीचे से मेरा लंड खड़ा होकर मां की गांड की दरार में घुस गया था. लंड को महसूस करते ही मां ने अपनी गांड हिलाकर लंड को ठीक से अपनी गांड की दरार में सैट कर लिया. उन्हें भी खड़े लंड पर गांड घिसने में मजा आ रहा था.

मैंने अपने हाथ पेट के रास्ते उनकी साड़ी के अन्दर डालकर उनकी गर्म चुत पर रख दिए. फिर मां की चुत को सहलाते हुए मैं दूसरे हाथ से उनके मदमस्त मम्मों को दबाने लगा.

वो भी कामुक सिसकारियां भरने लगी थीं. मैं मां के गालों पर और उनके होंठों को अपने होंठों से चूम रहा था.

मां कुछ ही पलों में बहुत ज्यादा उत्तेजित और कामुक हो गयी थीं.

मैं बोला- अदिति अब क्या इरादा है … क्या तुम अभी मुझसे चुदवाना चाहती हो?
मां बोलीं- हां … लेकिन पूरी चुदाई अभी नहीं कर पाएंगे हर्षद … तेरे पिताजी कभी भी आ सकते हैं.

उनकी बात एकदम सही थी. इतने में डोर बेल बज गई. शायद पिताजी लौट आए थे.

मां उठ कर साड़ी ठीक करके गेट खोलने चली गईं. मैं भी कायदे से बैठ गया. मेरा लंड खड़ा होने के कारण लुंगी में तंबू बन गया था, तो मैंने लंड को नीचे दबाया और ऊपर अखबार लेकर पढ़ने का नाटक करने लगा.

पिताजी अन्दर आकर मेरे सामने बैठ गए.
मां भी गेट बंद करके आ गईं और पिताजी से बोलीं- आप फ्रेश होकर आइए. मैं आपके लिए चाय बनाती हूँ.

पिताजी भी मां की बात सुनकर सर हिलाते हुए बाथरूम में चले गए.

थोड़ी ही देर में पिताजी फ्रेश होकर कपड़े चेंज करके वापस आए और सोफे पर बैठ गए.

तभी मां चाय लेकर आ गईं और पिताजी को चाय देकर अन्दर जाने लगीं.

पिताजी बोले- अदिति जरा यहीं बैठो. मुझे तुम दोनों से कुछ बात करनी है.

मैं और मां ने एक दूसरे को आशंका से देखते हुए लगभग एक साथ ही पूछा- क्या बात है … बोलिए न!

तभी पिताजी बोले- अरे मेरे पास सतारा से लता का फोन आया था.
लता मेरी बड़ी बहन का नाम है. दो साल पहले उसकी शादी हुई थी.

पिताजी- आजकल लता की सास बीमार हैं. वे दो दिन हस्पताल में भर्ती थीं. आज ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली है. मैं सोच रहा हूँ कि तुम दोनों जाकर उससे मिल आओ. कल सुबह जाकर शाम को वापस आ जाना. फिर हर्षद को समय नहीं मिलेगा. एक बार उसने ऑफिस ज्वाइन किया तो उससे मिलना ही नहीं हो पाएगा.

पिताजी ने आगे कहा- बहुत दिन हो गए हैं … हम लता की ससुराल भी नहीं गए हैं. इसी बहाने लता और उसके बच्चे की भी कुशलक्षेम मालूम हो जाएगी. सही कहता हूँ ना अदिति, हर्षद?
तभी मां मेरी तरफ देखते हुए बोलीं- हां ठीक है … कल नौ बजे तक हम दोनों सतारा के लिए निकल चलेंगे … चलेगा ना!
पिताजी बोले- हां ठीक है. अभी जल्दी से खाना बना लो … मैं काफी थक गया हूँ. तब तक मैं कमरे में जाकर आराम कर लेता हूँ.

मां हां कहते हुए किचन में खाना बनाने चली गईं और मैं टीवी देख रहा था.

फिर घड़ी में नौ बज गए थे … खाना तैयार हो गया था.

मां ने कहा- हर्षद … अपने पिताजी को खाना खाने के लिए बुला लाओ, मैं तब तक खाना लगाती हूँ.

मैंने पिताजी को बुलाया, फिर हम तीनों इधर उधर की बातें करते हुए खाना खाने लगे. खाना के बाद मां सब बर्तन लेकर किचन में चली गईं.

फिर पिताजी बोले- बेटा हर्षद … अब तुम भी सो जाओ, सुबह तुम्हें जल्दी जाना है ना! मैं भी सोने को जाता हूँ … कल मुझे ऑफिस भी जाना है.

ये कहकर वो अपने बेडरूम में चले गए और मैं अपने रूम में आ गया. मैं बेड पर लेट गया. मैं आज बहुत खुश था कि कल मैं और मां दोनों एक साथ पहली बार कहीं सफर में जाने वाले थे … कितना मजा आएगा … जब सिर्फ हम दोनों ही साथ में होंगे.

ये सब सोचते सोचते कब नींद लग गई, मुझे पता ही नहीं चला.

सुबह मेरा माथा चूमकर मां ने मुझे जगाया, तो मैंने आंखें खोलकर देखा और कुनमुना कर बोला- सोने दो ना मां.

वो बोलीं- मां नहीं … सिर्फ अदिति कहो … पिताजी अभी अभी ऑफिस गए हैं. उठो जल्दी … हमें सतारा भी जाना है ना!

मैंने मां को खींच कर अपनी बांहों मे जकड़ लिया और उनके दोनों गालों को चूमा. आह मां के बदन से क्या मादक खुशबू आ रही थी … वो अभी अभी नहा कर आयी थीं और नाइटी में ही थीं.

मां हंसती हुई बोलीं- तुम बहुत बदमाश हो गए हो … जल्दी से उठो और तैयार हो जाओ.

ये कहते हुए मां ने उठकर मेरे ऊपर पड़ा कम्बल हटा दिया. कम्बल हटते ही उनकी नजर मेरे खड़े हुए लंड पर पड़ी, जो लुंगी के अन्दर तंबू बनाए हुए था.

मां मेरा खड़ा लंड देख कर हंसते हुए बोलीं- तेरा ये भी बड़ा बदमाश हो गया है. मुझे देखते ही खड़ा हो जाता है.

मां ने एक हाथ से ऐसे ही ऊपर से मेरे लंड को जोर से दबा दिया और बोलीं- जाओ जल्दी से नहाकर तैयार हो जाओ. मैं भी तब तक तैयार हो जाती हूँ. अभी सवा आठ बजे हैं … आधे घंटे में हमें निकलना है हर्षद.
मां ये कहते हुए चली गईं.

मैं भी उठकर बाथरूम में चला गया.

मैं नहा कर अपने रूम में जाकर कपड़े निकालने लगा. मैंने एक अच्छा सा फॉर्मल पैन्ट और शर्ट पहना और परफ्यूम का स्प्रे मारकर तैयार हो गया. मैंने ऊपर से जैकेट डाल ली.

उधर मां भी तैयार हो चुकी थीं. वो अपने रूम से बाहर आ गईं, तो मैं उन्हें देखते ही रह गया. मां ने पीले रंग की साड़ी पहनी थी और मैचिंग का ब्लाउज पहना हुआ था. साड़ी के ऊपर से ही उनके कसे हुए चूचे मस्त दिख रहे थे.

मां ने साड़ी को कसावट के साथ पहना हुआ था, इस वजह से पीछे से उनकी गांड बहुत सेक्सी दिख रही थी. मां के लंबे और काले बाल कमर के नीचे तक उनके मादक चूतड़ों तक लहरा रहे थे. मेरी सौतेली मां क्या गदर माल लग रही थीं.

मुझसे रहा नहीं गया. मैंने उनके करीब जाकर उनको अपनी बांहों में कस लिया और उनके होंठों पर अपने होंठ रखकर उन्हें चूम लिया. उन्हें भी मेरा यूं चूमना बहुत अच्छा लगा.

उन्होंने भी मेरे होंठों को चूमकर अपने से मुझे अलग करते हुए कहा- अभी बस करो हर्षद … हमें निकलना होगा. चलो जल्दी से निकलो … लो ये ताला ले लो, गेट को बंद करके लगा देना.

तभी मैं बोला- अदिति, अपना स्वेटर तो पहन लो … तुम्हें बाइक पर स्वारगेट तक जाना है, ठंड लगेगी.

वो हां में सर हिलाते हुए अन्दर कमरे में जाकर नीले रंग का एक फुल आस्तीन का स्वेटर पहन कर आ गईं. उनके पास एक शॉल भी थी.

तब तक मैंने बाइक बाहर निकाल ली थी.

अब करीब पौने नौ बज गए थे. हम दोनों अपनी मंजिल की तरफ निकल गए. बाइक पर जाते समय तेज ठंडी हवा लग रही थी. इस वजह से मां मुझसे पूरी तरह से चिपक कर बैठी थीं.

मैंने बोला- अदिति … अपने दोनों हाथ मेरी कमर को पकड़ कर कसके बैठो … नहीं तो गिर जाओगी … रास्ता खराब है.

तो मां ने भी एक हाथ से कमर को पकड़ लिया और दूसरा हाथ मेरी जांघ पर रख दिया.

मुझे भी अब मजा आने लगा था. मां के कड़क मम्मे मेरे पीठ पर दब गए थे. उसका अहसास मुझे हो रहा था. वो भी जानबूझ कर अपने चूचे मेरे पीठ पर रगड़ रही थीं. ऐसे ही मस्ती करते हुए हम थोड़ी देर में स्वारगेट पहुंच गए थे.

बाइक बाहर स्टैंड पर खड़ी करके हम एसटी स्टैंड में आ गए.

उधर पुणे से कोल्हापुर जाने वाली बस लगी थी. वो बस निकलने ही वाली थी. सतारा बीच में पड़ता है. हम दोनों बस में जाकर दो सीट वाली सीट पर बैठ गए. बस में ज्यादा भीड़ नहीं थी. कुछ ही देर में बस चल पड़ी थी. मैं और मां हंसी मजाक करते हुए एक दूसरे के जिस्म की गर्मी के मजे लेने लगे थे.

मां ने शॉल निकाल कर अपने पैरों पर डाल ली थी. मैंने उनकी तरफ देखा तो मां ने आंख दबा दी. मैं समझ गया और मैंने उसी शॉल के अन्दर अपने हाथ डाल दिए. मैं अब अपनी मां की चुत को सहलाने लगा था और वो भी आंख बंद कर मस्त हो रही थीं.

यूं ही मां की चुत में उंगली करते हुए और उनके मम्मों का मजा लेते हुए तीन घंटे का सफर कब खत्म हो गया, हमें पता ही नहीं चला.

बस सतारा बस स्टैंड पर आकर रुक गई थी. हम दोनों बस से निकल कर अपनी मंजिल के लिए चल दिए. एक ऑटो में बैठ कर मैंने ऑटो वाले को पता समझा दिया.

करीब पन्द्रह मिनट में ही हम लता दीदी के घर पहुंच गए. हमें देखते ही लता दीदी और जीजाजी और सभी खुश हो गए. मैंने दीदी को गले लगाया और उसका हालचाल पूछा, तो वो अपनी ससुराल में बहुत खुश थी.

फिर जीजाजी और उनकी मां पिताजी से भी मां ने हालचाल पूछा. मां ने भी दीदी को गले लगाया और सबसे बातें करने लगीं.

तभी दीदी बोलीं- हर्षद तुम और मां फ्रेश हो जाओ. हम सभी साथ में खाना खाएंगे.

अभी एक बज गया था. हमें भूख भी लगी थी. हम दोनों फ्रेश होने के लिए चले गए. तब तक दीदी और उनकी सास ने सभी को खाना लगा दिया था.

हम सभी ने एक साथ खाना खा लिया और हम सब हॉल में आराम से बैठकर बातें करने लगे.

मैं और मां सभी के साथ घुल-मिल गए थे. सभी के साथ हंसी मजाक हो रहा था.

लता दीदी के घर समय कैसे बीता, इसका पता ही नहीं चला.

अब दोपहर में साढ़े तीन बज गए थे.

तभी मां ने दीदी से कहा- लता अभी हमें निकलना पड़ेगा … नहीं तो घर पहुंचने में देर हो जाएगी. शाम के समय पुणे में ट्रैफिक बहुत ज्यादा रहता है ना!
दीदी बोली- ठीक है मां लेकिन मैं अभी चाय बनाती हूँ … आप पीकर जाना.
मां बोलीं- ठीक है.

थोड़ी ही देर में हम चाय पीकर सबकी इजाजत लेकर वापस निकल पड़े.

हम दोनों हाईवे पर आकर रुक गए. जहां पुणे जाने वाली सारी बसें रुकती थीं. उधर बस स्टॉप पर और दो तीन कपल्स और दो तीन बच्चे भी खड़े थे. इतने में बस आयी, लेकिन उसमें बहुत भीड़ थी … तो हमने वो बस छोड़ दी … और दूसरी बस का इन्तजार करने लगे.

उसके बाद दो बसें और आईं, लेकिन वो भी भरी हुई थीं. ऐसे ही एक घंटा हो गया था और अब पांच बज रहे थे.

इतने में एक बस आकर रुक गयी. उसमें दस बारह लोग खड़े थे. ज्यादा भीड़ नहीं थी.

मां बोलीं- चलो हर्षद … इसी में चलते हैं … आराम से खड़े तो रह सकते हैं.

हम दोनों बस में चढ़ गए और आगे जाकर खड़े हो गए. इतने में कंडक्टर आया, तो मैंने दो पुणे की टिकट ले लीं. मैं और मां बातें कर रहे थे. साथ में हमारे बीच हंसी मजाक भी चल रहा था.

उसी बीच मां के मोबाइल पर पिताजी का फोन आ गया और वे फोन सुनने लगीं.


To be continued ..............
 
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अब तक की मेरी मां बेटा सेक्स स्टोरी में आपने जाना कि मैं मां की चुदाई करके बाथरूम में मां के साथ नहाने लगा था. उधर मेरा लंड मां की चुत चोदने के लिए फिर से कड़क होने लगा था. जिस पर मां ने मुझे पिताजी के आने का समय कह कर रोक दिया था.

मैं मान गया था और बाथरूम से बाहर निकल कर कपड़े पहन कर सोफे पर बैठ कर टीवी देखने लगा था. तभी पिता जी भी आ गए थे. मां अपने कपड़े पहन कर हम दोनों के लिए चाय बनाने किचन में चली गई थीं.

अब आगे:

मैं मां की मटकती हुई गांड को देख कर धीमे से मुस्कुरा दिया.

तभी पिता जी के फोन पर किसी का कॉल आ गया और वे जल्दी में आवाज लगाते हुए चले गए- अदिति मैं जरूरी काम से जा रहा हूँ. बस अभी आ जाऊंगा.
मैंने पिताजी को रोकने की कोशिश की कि चाय पी कर चले जाना पिताजी.
मगर शायद कोई अर्जेंट कॉल था, इसलिए पिताजी रुके नहीं.

पिताजी के जाते ही मां आ गईं और पिताजी को न पाकर मुझसे पूछने लगीं- क्या हुआ? तेरे पिताजी किधर चले गए?

मैंने मां को आते देख आकर उठ कर दरवाजे की कुंडी लगा दी और सब बताते हुए उनको अपनी गोद में खींच लिया.
मां हंसते हुए मेरी गोद से उठीं और बोलीं- उधर चाय उफन रही होगी. मुझे जाने दे.

मां किचन में चली गईं और मैं अपने लंड के उफान को दबाने लगा.

एक मिनट बाद मां दो कप में चाय लेकर आ गईं और मेरे पास बैठकर चाय पीने लगीं.
हम एक दूसरे की देखकर हंसने लगे थे. मां के चेहरे पर आज बहुत खुशी दिख रही थी.

मैं बोला- अदिति … तुमने आज मुझे बहुत खुश कर दिया है. मैंने अब तक चार लड़कियों को चोदा है, मगर उन्हें चोदने में भी इतना मजा नहीं आया जितना तुम्हारी चुत चुदाई में मजा आया. वाकयी तुम बहुत सेक्सी हो … तुम्हारा बदन बहुत गठीला है.

इस पर मेरी सौतेली मां बोलीं- हर्षद, तुमने तो बरसों से प्यासी अपनी माँ की चुत की आग बुझा दी है. मैं तुम्हारी बहुत आभारी हूँ. पहले तो मैं बहुत डर रही थी कि तुमसे ये सब बातें कैसे कहूँ, लेकिन जब से मैंने तुम्हारा मोटा लंड देखा था, तभी से मेरा दिल तुमसे चुदवाने को मचल रहा था. आज वो सुनहरा दिन ही आ गया. मैं बहुत ही खुश हूँ हर्षद …

अदिति आगे बोली- आज से जब हम दोनों को मौका मिलेगा, हम ऐसे ही चुदाई करेंगे हर्षद. मगर ध्यान रखना कि ये बात सिर्फ हमारे बीच में ही रहना चाहिए.

इसी तरह से हम दोनों बातें करते हुए अपनी चाय खत्म करने लगे.

चाय के बाद मां कप लेकर किचन में चली गईं और कोई दस मिनट बाद वो अपना काम निपटा कर वापस आ गईं.

मैंने उनको देख कर अपना लंड सहलाया तो मां मेरी गोद में आकर बैठ गईं. मैंने भी उन्हें अपने दोनों हाथों से कसके जकड़ते हुए भींच लिया और उनके मम्मों को सहलाने लगा.

वो कामुक सिसकारियां लेने लगीं. नीचे से मेरा लंड खड़ा होकर मां की गांड की दरार में घुस गया था. लंड को महसूस करते ही मां ने अपनी गांड हिलाकर लंड को ठीक से अपनी गांड की दरार में सैट कर लिया. उन्हें भी खड़े लंड पर गांड घिसने में मजा आ रहा था.

मैंने अपने हाथ पेट के रास्ते उनकी साड़ी के अन्दर डालकर उनकी गर्म चुत पर रख दिए. फिर मां की चुत को सहलाते हुए मैं दूसरे हाथ से उनके मदमस्त मम्मों को दबाने लगा.

वो भी कामुक सिसकारियां भरने लगी थीं. मैं मां के गालों पर और उनके होंठों को अपने होंठों से चूम रहा था.

मां कुछ ही पलों में बहुत ज्यादा उत्तेजित और कामुक हो गयी थीं.

मैं बोला- अदिति अब क्या इरादा है … क्या तुम अभी मुझसे चुदवाना चाहती हो?
मां बोलीं- हां … लेकिन पूरी चुदाई अभी नहीं कर पाएंगे हर्षद … तेरे पिताजी कभी भी आ सकते हैं.

उनकी बात एकदम सही थी. इतने में डोर बेल बज गई. शायद पिताजी लौट आए थे.

मां उठ कर साड़ी ठीक करके गेट खोलने चली गईं. मैं भी कायदे से बैठ गया. मेरा लंड खड़ा होने के कारण लुंगी में तंबू बन गया था, तो मैंने लंड को नीचे दबाया और ऊपर अखबार लेकर पढ़ने का नाटक करने लगा.

पिताजी अन्दर आकर मेरे सामने बैठ गए.
मां भी गेट बंद करके आ गईं और पिताजी से बोलीं- आप फ्रेश होकर आइए. मैं आपके लिए चाय बनाती हूँ.

पिताजी भी मां की बात सुनकर सर हिलाते हुए बाथरूम में चले गए.

थोड़ी ही देर में पिताजी फ्रेश होकर कपड़े चेंज करके वापस आए और सोफे पर बैठ गए.

तभी मां चाय लेकर आ गईं और पिताजी को चाय देकर अन्दर जाने लगीं.

पिताजी बोले- अदिति जरा यहीं बैठो. मुझे तुम दोनों से कुछ बात करनी है.

मैं और मां ने एक दूसरे को आशंका से देखते हुए लगभग एक साथ ही पूछा- क्या बात है … बोलिए न!

तभी पिताजी बोले- अरे मेरे पास सतारा से लता का फोन आया था.
लता मेरी बड़ी बहन का नाम है. दो साल पहले उसकी शादी हुई थी.

पिताजी- आजकल लता की सास बीमार हैं. वे दो दिन हस्पताल में भर्ती थीं. आज ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली है. मैं सोच रहा हूँ कि तुम दोनों जाकर उससे मिल आओ. कल सुबह जाकर शाम को वापस आ जाना. फिर हर्षद को समय नहीं मिलेगा. एक बार उसने ऑफिस ज्वाइन किया तो उससे मिलना ही नहीं हो पाएगा.

पिताजी ने आगे कहा- बहुत दिन हो गए हैं … हम लता की ससुराल भी नहीं गए हैं. इसी बहाने लता और उसके बच्चे की भी कुशलक्षेम मालूम हो जाएगी. सही कहता हूँ ना अदिति, हर्षद?
तभी मां मेरी तरफ देखते हुए बोलीं- हां ठीक है … कल नौ बजे तक हम दोनों सतारा के लिए निकल चलेंगे … चलेगा ना!
पिताजी बोले- हां ठीक है. अभी जल्दी से खाना बना लो … मैं काफी थक गया हूँ. तब तक मैं कमरे में जाकर आराम कर लेता हूँ.

मां हां कहते हुए किचन में खाना बनाने चली गईं और मैं टीवी देख रहा था.

फिर घड़ी में नौ बज गए थे … खाना तैयार हो गया था.

मां ने कहा- हर्षद … अपने पिताजी को खाना खाने के लिए बुला लाओ, मैं तब तक खाना लगाती हूँ.

मैंने पिताजी को बुलाया, फिर हम तीनों इधर उधर की बातें करते हुए खाना खाने लगे. खाना के बाद मां सब बर्तन लेकर किचन में चली गईं.

फिर पिताजी बोले- बेटा हर्षद … अब तुम भी सो जाओ, सुबह तुम्हें जल्दी जाना है ना! मैं भी सोने को जाता हूँ … कल मुझे ऑफिस भी जाना है.

ये कहकर वो अपने बेडरूम में चले गए और मैं अपने रूम में आ गया. मैं बेड पर लेट गया. मैं आज बहुत खुश था कि कल मैं और मां दोनों एक साथ पहली बार कहीं सफर में जाने वाले थे … कितना मजा आएगा … जब सिर्फ हम दोनों ही साथ में होंगे.

ये सब सोचते सोचते कब नींद लग गई, मुझे पता ही नहीं चला.

सुबह मेरा माथा चूमकर मां ने मुझे जगाया, तो मैंने आंखें खोलकर देखा और कुनमुना कर बोला- सोने दो ना मां.

वो बोलीं- मां नहीं … सिर्फ अदिति कहो … पिताजी अभी अभी ऑफिस गए हैं. उठो जल्दी … हमें सतारा भी जाना है ना!

मैंने मां को खींच कर अपनी बांहों मे जकड़ लिया और उनके दोनों गालों को चूमा. आह मां के बदन से क्या मादक खुशबू आ रही थी … वो अभी अभी नहा कर आयी थीं और नाइटी में ही थीं.

मां हंसती हुई बोलीं- तुम बहुत बदमाश हो गए हो … जल्दी से उठो और तैयार हो जाओ.

ये कहते हुए मां ने उठकर मेरे ऊपर पड़ा कम्बल हटा दिया. कम्बल हटते ही उनकी नजर मेरे खड़े हुए लंड पर पड़ी, जो लुंगी के अन्दर तंबू बनाए हुए था.

मां मेरा खड़ा लंड देख कर हंसते हुए बोलीं- तेरा ये भी बड़ा बदमाश हो गया है. मुझे देखते ही खड़ा हो जाता है.

मां ने एक हाथ से ऐसे ही ऊपर से मेरे लंड को जोर से दबा दिया और बोलीं- जाओ जल्दी से नहाकर तैयार हो जाओ. मैं भी तब तक तैयार हो जाती हूँ. अभी सवा आठ बजे हैं … आधे घंटे में हमें निकलना है हर्षद.
मां ये कहते हुए चली गईं.

मैं भी उठकर बाथरूम में चला गया.

मैं नहा कर अपने रूम में जाकर कपड़े निकालने लगा. मैंने एक अच्छा सा फॉर्मल पैन्ट और शर्ट पहना और परफ्यूम का स्प्रे मारकर तैयार हो गया. मैंने ऊपर से जैकेट डाल ली.

उधर मां भी तैयार हो चुकी थीं. वो अपने रूम से बाहर आ गईं, तो मैं उन्हें देखते ही रह गया. मां ने पीले रंग की साड़ी पहनी थी और मैचिंग का ब्लाउज पहना हुआ था. साड़ी के ऊपर से ही उनके कसे हुए चूचे मस्त दिख रहे थे.

मां ने साड़ी को कसावट के साथ पहना हुआ था, इस वजह से पीछे से उनकी गांड बहुत सेक्सी दिख रही थी. मां के लंबे और काले बाल कमर के नीचे तक उनके मादक चूतड़ों तक लहरा रहे थे. मेरी सौतेली मां क्या गदर माल लग रही थीं.

मुझसे रहा नहीं गया. मैंने उनके करीब जाकर उनको अपनी बांहों में कस लिया और उनके होंठों पर अपने होंठ रखकर उन्हें चूम लिया. उन्हें भी मेरा यूं चूमना बहुत अच्छा लगा.

उन्होंने भी मेरे होंठों को चूमकर अपने से मुझे अलग करते हुए कहा- अभी बस करो हर्षद … हमें निकलना होगा. चलो जल्दी से निकलो … लो ये ताला ले लो, गेट को बंद करके लगा देना.

तभी मैं बोला- अदिति, अपना स्वेटर तो पहन लो … तुम्हें बाइक पर स्वारगेट तक जाना है, ठंड लगेगी.

वो हां में सर हिलाते हुए अन्दर कमरे में जाकर नीले रंग का एक फुल आस्तीन का स्वेटर पहन कर आ गईं. उनके पास एक शॉल भी थी.

तब तक मैंने बाइक बाहर निकाल ली थी.

अब करीब पौने नौ बज गए थे. हम दोनों अपनी मंजिल की तरफ निकल गए. बाइक पर जाते समय तेज ठंडी हवा लग रही थी. इस वजह से मां मुझसे पूरी तरह से चिपक कर बैठी थीं.

मैंने बोला- अदिति … अपने दोनों हाथ मेरी कमर को पकड़ कर कसके बैठो … नहीं तो गिर जाओगी … रास्ता खराब है.

तो मां ने भी एक हाथ से कमर को पकड़ लिया और दूसरा हाथ मेरी जांघ पर रख दिया.

मुझे भी अब मजा आने लगा था. मां के कड़क मम्मे मेरे पीठ पर दब गए थे. उसका अहसास मुझे हो रहा था. वो भी जानबूझ कर अपने चूचे मेरे पीठ पर रगड़ रही थीं. ऐसे ही मस्ती करते हुए हम थोड़ी देर में स्वारगेट पहुंच गए थे.

बाइक बाहर स्टैंड पर खड़ी करके हम एसटी स्टैंड में आ गए.

उधर पुणे से कोल्हापुर जाने वाली बस लगी थी. वो बस निकलने ही वाली थी. सतारा बीच में पड़ता है. हम दोनों बस में जाकर दो सीट वाली सीट पर बैठ गए. बस में ज्यादा भीड़ नहीं थी. कुछ ही देर में बस चल पड़ी थी. मैं और मां हंसी मजाक करते हुए एक दूसरे के जिस्म की गर्मी के मजे लेने लगे थे.

मां ने शॉल निकाल कर अपने पैरों पर डाल ली थी. मैंने उनकी तरफ देखा तो मां ने आंख दबा दी. मैं समझ गया और मैंने उसी शॉल के अन्दर अपने हाथ डाल दिए. मैं अब अपनी मां की चुत को सहलाने लगा था और वो भी आंख बंद कर मस्त हो रही थीं.

यूं ही मां की चुत में उंगली करते हुए और उनके मम्मों का मजा लेते हुए तीन घंटे का सफर कब खत्म हो गया, हमें पता ही नहीं चला.

बस सतारा बस स्टैंड पर आकर रुक गई थी. हम दोनों बस से निकल कर अपनी मंजिल के लिए चल दिए. एक ऑटो में बैठ कर मैंने ऑटो वाले को पता समझा दिया.

करीब पन्द्रह मिनट में ही हम लता दीदी के घर पहुंच गए. हमें देखते ही लता दीदी और जीजाजी और सभी खुश हो गए. मैंने दीदी को गले लगाया और उसका हालचाल पूछा, तो वो अपनी ससुराल में बहुत खुश थी.

फिर जीजाजी और उनकी मां पिताजी से भी मां ने हालचाल पूछा. मां ने भी दीदी को गले लगाया और सबसे बातें करने लगीं.

तभी दीदी बोलीं- हर्षद तुम और मां फ्रेश हो जाओ. हम सभी साथ में खाना खाएंगे.

अभी एक बज गया था. हमें भूख भी लगी थी. हम दोनों फ्रेश होने के लिए चले गए. तब तक दीदी और उनकी सास ने सभी को खाना लगा दिया था.

हम सभी ने एक साथ खाना खा लिया और हम सब हॉल में आराम से बैठकर बातें करने लगे.

मैं और मां सभी के साथ घुल-मिल गए थे. सभी के साथ हंसी मजाक हो रहा था.

लता दीदी के घर समय कैसे बीता, इसका पता ही नहीं चला.

अब दोपहर में साढ़े तीन बज गए थे.

तभी मां ने दीदी से कहा- लता अभी हमें निकलना पड़ेगा … नहीं तो घर पहुंचने में देर हो जाएगी. शाम के समय पुणे में ट्रैफिक बहुत ज्यादा रहता है ना!
दीदी बोली- ठीक है मां लेकिन मैं अभी चाय बनाती हूँ … आप पीकर जाना.
मां बोलीं- ठीक है.

थोड़ी ही देर में हम चाय पीकर सबकी इजाजत लेकर वापस निकल पड़े.

हम दोनों हाईवे पर आकर रुक गए. जहां पुणे जाने वाली सारी बसें रुकती थीं. उधर बस स्टॉप पर और दो तीन कपल्स और दो तीन बच्चे भी खड़े थे. इतने में बस आयी, लेकिन उसमें बहुत भीड़ थी … तो हमने वो बस छोड़ दी … और दूसरी बस का इन्तजार करने लगे.

उसके बाद दो बसें और आईं, लेकिन वो भी भरी हुई थीं. ऐसे ही एक घंटा हो गया था और अब पांच बज रहे थे.

इतने में एक बस आकर रुक गयी. उसमें दस बारह लोग खड़े थे. ज्यादा भीड़ नहीं थी.

मां बोलीं- चलो हर्षद … इसी में चलते हैं … आराम से खड़े तो रह सकते हैं.

हम दोनों बस में चढ़ गए और आगे जाकर खड़े हो गए. इतने में कंडक्टर आया, तो मैंने दो पुणे की टिकट ले लीं. मैं और मां बातें कर रहे थे. साथ में हमारे बीच हंसी मजाक भी चल रहा था.

उसी बीच मां के मोबाइल पर पिताजी का फोन आ गया और वे फोन सुनने लगीं.


To be continued ..............
बहुत ही खुबसुरत लाजवाब और अद्भुत मनमोहक मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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