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Erotica हरामी साहूकार

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पिंकी भी दिन की रोशनी में अपनी माँ के बदन को देखकर मस्ती में भर गयी...
उसने बिना किसी वॉर्निंग के अपना मुँह उनके मुम्मों पर लगाया और उसे ज़ोर-2 से चूस्कर अपनी माँ का दूध पीने लगी...

''आआआआआआआआआआआहह..... मेरी बचिईईई..... उम्म्म्ममममममममम..... पी लेsssssss .... अहह..''



अपना दूध पिला तो वो पिंकी को रही थी पर उसकी नज़रें लाला के चेहरे पर थी जिसे वो अपनी आँखो का इशारा करके अपने पास बुला रही थी...
क्योंकि असली चुसाई का मज़ा तो लाला ही दे सकता था..

पर लाला भी बड़ा हरामी था, ऐसे शुरू में ही वो उनके खेल में कूदकर इस खेल को बिगाड़ना नही चाहता था,
उसे तो अभी उनकी पूरी फिल्म देखनी थी...
पूरा मजा लेना था
इसलिए उसने इशारा करके पिंकी के कपड़े भी उतारने को कहा...

लाला का इशारा समझकर सीमा ने खुद ही अपनी बेटी की कुर्ती निकाल दी,
नीचे उसने ब्रा नही पहनी हुई थी, इसलिए उसके कड़क मुम्मे तनकर अपनी माँ के सामने खड़े थे...

सीमा ने मन में सोचा की इन छोटे स्तनो को चूस्कर भला लाला को क्या मिला होगा,
ये तो अभी ढंग से उगे भी नही है पूरे.

पर छोटे स्तनों को चूसने वाला ही उनके मज़े के बारे में जानता है, और लाला तो इस खेल का माहिर खिलाड़ी बन चुका था..

सीमा ने पिंकी की सलवार का नाडा खोलकर उसे नीचे से भी नंगा कर दिया...



और इस तरह से अब वो दोनो माँ बेटियाँ लाला के सामने, अपने ही घर में , पूरी तरह से नंगी होकर खड़ी थी...

लाला तो उन दोनो के नंगे जिस्मो को देखकर पागल ही हो गया...
कभी सीमा की तरबूज जैसी रसीली गांड को देखता तो कभी पिंकी के नाश्पति जैसी कड़क छातियो को...
कभी पिंकी के खरबूजे जैसी गांड को निहारता तो कभी सीमा के रसीले पपीतों को...
दोनो माँ बेटियां उपर से नीचे तक फलों से लदी दुकान की तरह लग रही थी, जिनके हर अंग को चूस्कर अलग-2 फल का मज़ा लिया जा सकता था..

पर वो जब होना होगा तब होगा,
अभी के लिए तो लाला को देखना था की वो दोनो कैसे एक दूसरे को मज़ा देती है..

दोनो माँ बेटियां भी एक दूसरे के नंगे शरीर देखकर पागल सी हो चुकी थी और इस बार तो उन्हे लाला के इशारे की भी ज़रूरत नही पड़ी और दोनो एक झटके से एक दूसरे पर टूट पड़ी...

पिंकी ने अपने दोनों हाथों में अपनी माँ के मुम्मे पकड़कर उन्हे चूस डाला...
सीमा ने उसके नन्हे कुल्हो को पकड़ कर उसे लगभग अपनी गोद में खींच लिया...
लेकिन अब वो बच्ची तो रह नही गयी थी इसलिए उसे पूरी तरह से उठा नहीं पायी...
पिंकी ने भी अपनी माँ की मजबूरी समझी और उन्हे धक्का देकर बेड तक ले आई और उन्हे बिठा कर उनपर सवार हो गयी...
अब दोनो एक गहरी स्मूच में डूब गयी ...



धीरे-2 सीमा ने पिंकी को अपने चेहरे पर खींच लिया और उसकी कुँवारी चूत को अपने मुँह पर लाकर उसे नीचे दबा दिया...
एक जोरदार आवाज़ के साथ अपनी माँ की जीभ को अपनी रसीली चूत में जगह देती हुई वो हिचकोले खाने लगी..

''ओह माँआआआआअ....... अहह...... मजा अआ गया........ तुम्हारी जीभ तो बड़ी मस्त लग रही है......''



लाला अपने लंड को मसलते हुए बुदबुदाया , 'अभी तो मेरा लंड लेगी, तब असली मज़ा आएगा मेरी छमिया ..'

और बात भी सही थी, चूत को असली मज़ा तो लंड ही दे सकता है वरना उसके अलावा तो ये सब आर्टिफिशियल चीज़े है..

पिंकी घूम कर अपनी माँ पर 69 के पोज़ में लेट गयी ..
सीमा भी उसकी कलाकारी देखकर यही सोच रही थी की ऐसे एक औरत के शरीर के साथ मज़े लेना उसने कहाँ सीखा होगा...

बेचारी को ये नही पता था की उसकी और निशि की दोस्ती कहाँ तक बढ़ चुकी है..

दोनो एक दूसरे की चूत की कटोरी में से चपर -2 करके रसगुल्ले की चाशनी चाट रहे थे...



लाला के लिए ये सब हदद से ज़्यादा था, और उसे पता था की अब उसका भी नंबर आने वाला है,
इसलिए उसने अपने भी कपड़े उतारने शुरू कर दिए..

और जल्द ही वो गाँव का सलमान खान पूरे कपड़े निकाल कर उनके सामने नंगा खड़ा था..

एक दूसरे की चूत चाट्ती हुई माँ बेटी ने जब खड़े हुए लंड को देखा तो उनका सारा ध्यान भंग हो गया और लाला का इशारा पाकर दोनो अपने घुटनो के बल उसके सामने बैठ गयी..

इस वक़्त लाला अपने आप को किसी हीरो से कम नही समझ रहा था,
जिसके लंड को लेने के लिए ये दोनो माँ बेटियां उसके सामने किसी पालतू कुतिया की तरह बैठीं थी...

लाला ने बिना एक पल गंवाए अपने लंड को उन दोनों के होंठों के बीच फंसा दिया और उनके रसीले होंठों को चोदने लगा



आज लाला पिंकी की तो नही पर सीमा की चूत मारकर अपनी बरसो पुरानी वो इच्छा ज़रूर पूरी कर लेना चाहता था जो कब से अधूरी थी और कल भी पूरी होते-2 रह गयी थी...
और इसी बहाने पिंकी भी चुदाई देखकर कुछ तो सीख ही लेगी...
आख़िर अगला नंबर तो इसी का लगने वाला था.

लाला उन दोनो माँ बेटियों के रेशमी बालों में हाथ फेरता हुआ कसमसा रहा था..

''आआआआआआअहह.... चूसो भेंन की लोड़ियों ....चूसो...... लाला का लंड तुम्हारे लिए ही तो इस धरती पर आया है..... मज़ा लो इसका.... मज़ा लो जिंदगी का... अपनी जवानी का...''

लाला तो अपने आपको किसी फरिश्ते की तरह दर्शा रहा था,
जिसका धरती पर आने का मकसद ही चूत को चोदकर उसका उद्धार करना था..

और देखा जाए तो वो उद्धार कर भी रहा था आज तक...
क्योंकि जिसने भी लाला के रामलाल को एक बार अपनी चूत में लिया वो उसका गुणगान किए बिना नही रह सकी.

लाला ने बारी-2 से उन दोनो के मुँह को अलग से भी चोदा ...
ख़ासकर पिंकी के मुँह को,
क्योंकि लाला भी जानता था की अभी के लिए तो इसके उपर वाले होंठो में ही लंड डाल सकता है वो, नीचे वाले पिंक होंठो का नंबर तो बाद में आएगा..
 

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अच्छा होता की उसने लाला के लंड को उस पहली बार में ही पकड़ कर अपने मुँह या चूत में ले लिया होता तो शायद आज जो उसकी इकलौती बेटी पिंकी है, उसकी रगों में भी शायद इस लाला का खून दौड़ रहा होता...

पर उस सालो पहले की गयी ग़लती के मुक़ाबले आज की हुई ये हरकत उसे ज़्यादा मज़ा दे गयी थी...
क्योंकि आज उसने अपने जिस्म को पूरी तरह से लाला के सपुर्द कर दिया था...
काश आज पिंकी और निशि वहां ना आई होती तो उस लाला के मोटे लंड को अपनी इस गीली चूत में लेकर वो स्वर्ग पा लेती...

उफफफ्फ़.....
क्या कसक थी...
क्या कशिश थी उस लंड में ....
काश एक बार दोबारा मिल जाए तो इस बार वो शायद पिंकी की परवाह भी नही करेगी और बेशर्मी से उसी के सामने लाला के लंड को अपनी चूत में ले लेगी..

अपनी ही बेटी के सामने चुदाई !!!!
इस ख़याल से ही उसकी चूत से अवीरल धारा बह निकली....
और वो अपनी चूत के होंठो को रगड़ते हुए ज़ोर-2 से बुदबुदाने लगी...

''आआआआआआआअहह......सस्साआआल्ल्ले लाला.......घुसा इसमे अपना लंड ......डाल ना......कहाँ गया रे अब तू ......घुसा दे ......... कर दे रे कुछ.....आआआआहह......''
और अपनी चूत के दाने को उसने इतनी ज़ोर से रगड़ा की उसकी चीख शायद पड़ोस में नहाते हुए अपनी चूत मसल रही निशि तक भी पहुँच गयी...

और पिंकी तक तो जानी ही थी
जो किचन में आटा गूँध रही थी...
चावल तो लाए ही नही थे वो लाला की दूकान से.

और अपनी माँ की उस चीख को सुनकर वो लगभग भागती हुई सी बाथरूम की तरफ गयी..
ये सोचकर की कहीं उनका पैर तो नहीं फिसल गया...

दरवाजा तो खुला ही रहता था उनके बाथरूम का
इसलिए उसे धकेल कर जैसे ही वो अंदर घुसी, ज़मीन पर मोरनी बनकर बैठी हुई अपनी माँ को टांगे फैलाये अपनी चूत मसलते देखकर वो समझ गयी की वो क्यों चीखी थी..
और मज़े की बात तो ये थी की पिंकी के आने का पता उसे नही चल पाया था...
आँखे पूरी तरह से भींच रखी थी सीमा ने...
शायद उन बंद आँखो के पीछे वो लाला और उसके लंड को इमेजिन कर रही थी..
अपनी माँ को एक बार फिर से अपने सामने नंगा देखकर और उन्हे अपनी चूत मसलते देखकर पिंकी के बदन में एक बार फिर से चींटियां रेंगने लगी...
वही भीनी खुश्बू एक बार फिर से उसे महसूस होने लगी जो गोडाउन में अपनी माँ को कच्छी पहनाते हुए फील हुई थी...
उफ्फ , उसकी माँ की चूत का ये नशा..

और उन्हे लाला के नाम की माला जपते देखकर वो समझ गयी की उनके मन में इस वक़्त क्या चल रहा है...
भले ही लाला के लंड ने उसकी माँ की चूत में प्रवेश नही किया था पर वो उसे इस वक़्त शायद अपनी चूत में ही महसूस करने का ख्वाब देख रही थी..

वैसे देखा जाए तो आज जो चुदाई होते-2 रह गयी वो उसी की वजह से रही थी...
लाला और माँ के गोडाउन में जाने के बाद उन्हे भी वापिस चले जाना चाहिए था...
जो करना था वो कर लेते..
बेकार में उन दोनो ने छुपकर उनकी रासलीला देखनी चाही जो लाला ने खुद ही पता नही क्यो पकड़वा दी...

वो लाला ने क्यो किया इसका उत्तर तो वो बाद मे उनसे ले ही लेगी..
पर अभी के लिए वो लाला की कमी कुछ हद तक ज़रूर पूरी कर देना चाहती थी...
इसलिए उसने चुपचाप अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए और एक ही मिनट में वो भी अपनी माँ की तरह पूरी नंगी होकर बाथरूम में खड़ी थी..
और फिर वो खिसककर अपनी माँ के करीब जाकर ज़मीन पर बैठ गयी और बिना किसी आवाज़ और चेतावनी के उसने अपनी माँ के कड़क निप्पल को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया...
अपनी चूत मसल रही सीमा को एक झटका सा लगा...
और उसने जब आँखे खोली तो अपनी बेटी को अपनी छाती का दूध पीते पाया....
एक पल के लिए तो उसे भी समझ नही आया की ये कब और कैसे हुआ और वो ऐसा क्यो कर रही है...
और फिर जब उसने देखा की वो भी उसी की तरह नंगी है तो उसका माथा ठनका ...
और तब उसे समझते देर नही लगी की ये क्या करने आई है वहां ...
शायद उसकी चीख कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से निकल गयी थी और अपनी माँ की ये हालत देखी नही गयी बेचारी से...
इसलिए उसकी हेल्प करने आई है वो यहाँ..
और जिस हालत में सीमा इस वक़्त थी, उसमे तो उसे गुस्सा भी नही आ रहा था...
क्योंकि वो करीबो करीब अपनी उत्तेजना के चरम पर थी...
हालाँकि पिंकी ने उस उबाल को एक बार फिर से नीचे धकेल दिया था पर वो पूरी तरह से शांत नही हुआ था...
उसका शरीर और चूत अभी तक गर्म थे...
और ऐसे में अगर कोई आकर अगर चूची को चूसना शुरू कर दे तो भला किसे बुरा लगेगा...
भले ही वो आपस में रिश्तेदार क्यों न हो...

वो अपनी कांपती हुई सी आवाज़ में बोली : "उम्म्म्म......पिंकी....आअहह..... ये क्या कर रही है मेरी बच्ची .....अहह...छोड़ मुझे......ये ग़लत है.....रहने दे ...''
पिंकी ने उस रसीले फल से अपने होंठ हटाए और बोली : "नही माँ ...वहां लाला के गोगोडाउन में जो भी हुआ वो मेरी ग़लती से था...वरना आज तुम वो सुख भोग चुकी होती जिसके लिए इतने सालो से तड़प रही हो...इसलिए अब ये मेरा फ़र्ज़ है की मैं ही उस ग़लती को सुधारू...और जब तक वो होगा तब तक के लिए मैं आपके लिए वो सब करूँगी जिससे आपको मज़ा मिले...''

सीमा ने कुछ और बोलना चाहा पर पिंकी ने अपने कोमल होंठो को उनके होंठो पर रखकर उनकी बोलती बंद कर दी...और अपनी माँ को वो जोरो से चूसने लगी...


अब ऐसे में वो भला क्या बोल सकती थी ...
मज़ा तो उसे आ ही रहा था, इसलिए उसने भी उस किस्स को एंजाय करना शुरू कर दिया...
एक हाथ तो उसका अपनी चूत में था ही, वो एक बार फिर से हरकत में आया और वो अपने दाने को फिर से रगड़ने लगी..

किस्स तोड़ते हुए पिंकी बोली : "नही माँ ......मेरे होते हुए अब आपको ये मेहनत करने की ज़रूरत नही है...''

इतना कहते हुए वो साँप की तरह बाथरूम के फर्श पर लेट गयी और अपनी लपलपाती जीभ से उसने अपनी माँ की चूत को डस लिया...
और इस बार की चीख पहले के मुक़ाबले और भी तेज थी...
क्योंकि जिस दाने को वो इतनी देर से रगड़ रही थी उसे ही पिंकी ने अपने होंठो के बीच दबा कर चुभला दिया था..

''आआआआआआआआआआआआआहह ओह..... मेरी बच्ची ....... उम्म्म्मममममममममममममम....... ऐसा मज़ा तो लाला ने भी नही दिया था....अहह...... मर गयी रे....... उम्म्म्मममममममममममममममममम...........चूस इसे ....ज़ोर से चूस...''
अपनी माँ की चूत की जिस भीनी खुश्बू को सूँघकर वो उनकी दीवानी हो चुकी थी, वो सुगंध अब थोक के भाव से निकल रही थी सीमा के भोंसडे से....
और उस खुश्बू के नशे में डूबकर वो और ज़ोर से उस दाने को चूसने लगी....
उत्तेजना का वो उबाल जो पहले आते-2 रह गया था, इस बार आया तो उसने अंदर का सारा घी पिंकी के चेहरे पर उड़ेल दिया....
जिसमें नहाकार उसका रूप और भी ज़्यादा निखार गया...

और झड़ते हुए सीमा का शरीर पत्ते की तरह काँप रहा था क्योंकि बरसो की जोड़ी हुई इस उत्तेंजना की पाई-2 लुटाने में उसे एक अलग ही आनंद की अनुभूति हो रही थी..

पिंकी ने अपनी लम्बी जीभ से अपनी माँ की चूत को अच्छे से साफ़ किया और सारा माल निगल गयी
सब कुछ शांत होने के बाद सीमा ने अपनी बेटी को अपने गले से लगा लिया और खूब प्यार किया...
आज जो कमी लाला के गोडाउन में रह गयी थी उसे अच्छे से पूरा किया था पिंकी ने...

आज का दिन उसकी जिंदगी बदलने वाला था...
और आने वाले दिन भी...

उसके भी...
और उसकी बेटी के भी..
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Maa beti ka milan ho gya
 
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अगले दिन पिंकी स्कूल नही गयी...
निशि भी जब तैयार होकर उसे बुलाने आई तो उसने पीरियड के कारण तबीयत खराब का बहाना बनाकर उसे मना कर दिया..

पिंकी के पिताजी जब खेतो में चले गये तो वो नहा-धोकर तैयार हुई और लाला की दुकान की तरफ चल दी...
कल जो कुछ भी हुआ था उसके लिए वो अपने आप को ही दोषी मान रही थी..
अपनी माँ की इच्छा वो आज पूरी कर देना चाहती थी और इसलिए आज का दिन वो अच्छे से इस्तेमाल कर लेना चाहती थी , तभी वो सुबह -2 ही लाला की दुकान पर पहुँच गयी..

लाला तो अपनी लाइफ में आई इन जलपरियों को देखते ही आजकल खुश हो जाता था,

वो अपनी आदत के अनुसार अपनी धोती में सो रहे रामलाल को मसलता हुआ बोला : "देख तो रामलाल...आज ये चिड़िया सुबह -2 ही आ गयी...लगता है तेरी कसरत का इंतज़ाम करने आई है...''

रामलाल तो पिंकी की चूत लेने के लिए कब से तरस रहा था, इसलिए उसे देखकर वो भी काफ़ी खुश हो गया..



लाला : "आ जा री छोरी आजा...आज तो सुबह -2 मिलने चली आई...स्कूल की छुट्टी है क्या...या मेरे वास्ते करी है ''

पिंकी : "छुट्टी है तो नही पर करनी पड़ी....''

लाला की आँखे चमक उठी...
इसका मतलब तो सॉफ था की वो उसका लंड लेने के लिए तड़प रही है.

लाला : "तो चल अंदर...मेरे गोडोउन में ...तुझे जवानी का नया पाठ पढ़ाता हूँ मैं आज...''

पिंकी की साँसे तेज हो उठी, ये सोचते ही की काश आज वो इसी काम से आई होती..
पर उसे तो अपनी माँ का काम करवाना था पहले..

इसलिए वो बोली : "तेरे गोडाउन में फिर कभी आउंगी लाला...आज तो तुझे मेरे घर चलना होगा...कल वाला अधूरा काम जो छोड़ा था तूने, वही पूरा करने के वास्ते...''

लाला का माथा ठनका ...
यानी वो खुद के लिए नही बल्कि अपनी माँ के लिए आई है..

पर अपनी माँ को चुदवाने की इसे इतनी फ़िक्र क्यो हो रही है...

लाला को सोचता देखकर वो खुद ही बोल पड़ी : "देख लाला...जो कुछ भी कल हुआ उसके बाद मुझे लगता है की वो काम जो कल अधूरा रह गया था, उसका कारण मैं थी...अगर मैं कल बाहर से ही घर चली जाती तो शायद मेरी माँ को वो सुख मिल चुका होता जो मेरे पिताजी उन्हे कई सालों से नही दे पा रहे है...और कल जब उन्होने हिम्मत करके वो कदम उठाया तो मेरी वजह से सब गड़बड़ हो गया...''

लाला मन में मुस्कुरा रहा था और कह रहा था की 'पगली...ये तेरी वजह से नही बल्कि मेरे प्लान की वजह से हुआ था..वरना इतनी देर से जो चूमा चाटी देख ही रही थी तो चुदाई भी देख ही लेती,मेरा क्या जा रहा था...'

फिर पिंकी ने शिकायत भरे लहजे में कहा : "और आप ने भी तो एकदम से मेरा और निशि का नाम ले लिया, वरना माँ को पता भी नही चलता...''

इस बार लाला ने अपनी चालाकी दिखाई : "अर्रे, तेरी माँ ने ही तुम्हे छिपे हुए देख लिया था और उसने फुसफुसा कर कहा था की कोई देख रहा है, तब मुझे वो कहना पड़ा...''

पिंकी को एक बार फिर से अपने पर गुस्सा आ गया,
उसे पता था की माँ की चुदाई देखने के लिए कैसे वो उतावली सी होकर चावल की बोरियो के पीछे से निकल-2 कर उनका खेल देख रही थी , ऐसे में उन्हे पकडे जाना ही था..

पिंकी : "चलो कोई ना लाला जी...जो हो गया सो हो गया...पर इसकी वजह से एक बात तो अच्छी हुई है, मेरे और माँ के बीच की संकोच की दीवार गिर गयी है....और कल तो घर जाने के बाद...''

इतना कहते-2 वो शरमा सी गयी, उसका चेहरा लाल हो गया..

और चालाक लाला समझ गया की क्या हुआ होगा उनके बीच...
इसलिए ज़ोर देकर बोला : "अररी बोल ना, क्या हुआ तेरे और सीमा के बीच...बता भी दे, मुझसे कैसी शर्म...''

वैसे बात तो सही थी, लाला से कैसी शर्म...

इसलिए शरमाते हुए वो बोली : "वो..लाला...कल घर जाकर माँ जब नहा रही थी तो मैं भी अंदर घुस गयी...और..''

इतना कहते हुए उसने अपनी सैक्सी आवाज़ में लाला को कल का पूरा कांड सुना दिया,
जिसे सुनते हुए लाला का हाथ उसकी धोती के अंदर ही घुसा रहा,
अंदर जो रामलला ने हाहाकार मचा रखा था, उसे संभालने में लाला बिज़ी था.

लाला ने पूरा किस्सा सुना और आख़िर में सिसकारी मारते हुए कहा : "हाय पिंकी.... काश मैं भी वहां होता कल, सच में ऐसा सीन देखकर मज़ा ही आ जाता...''

पिंकी ने अपने लरजते हुए होंठो से कहा : "तभी तो आई हूँ लाला, चल ना घर...क्या पता, आज भी वो सब देखने को मिल जाए तुझे..''

यानी, पिंकी भी उनकी चुदाई में कूदने के लिए तैय्यार थी...
ये था लाला का मास्टरस्ट्रोक , जिसके लिए उसने पिंकी को उसकी माँ के सामने ही पकड़वा दिया था...
शबाना और नाज़िया को एक दूसरे के सामने ही चोदने के बाद इस माँ बेटी के जोड़े में ज़्यादा मज़ा आने वाला था...
क्योंकि दोनो ही लाला का लंड पहली बार लेने वाली थी...

इसलिए लाला झट्ट से खड़ा हुआ, और अपने धंधे की एक और बार वॉटट लगाते हुए उसने अपनी दुकान का शटर डाउन किया और पिंकी के पीछे-2 उसके घर की तरफ चल दिया.

पिंकी पहले घर पहुँच गयी, उसकी माँ अभी-2 नहाकर बाहर निकली थी, उसने अपने पेटीकोट को अपने उरोजों के उपर बाँध रखा था और बालों में भी टॉवल बँधा हुआ था...
पानी की बूंदे उसके बदन से टपककर नीचे गिर रही थी.



पिंकी को बाहर से आते देखकर वो बोली : "अर्रे, कहां चली गयी थी तू..बता कर तो जाती..''

पिंकी ने मुस्कुराते हुए कहा : "माँ , वो लाला की दुकान से कुछ लेने गयी थी...''

लाला का नाम सुनते ही सीमा के बदन में झुरजुरी सी दौड़ गयी...

सीमा : "ला...लाला की दुकान से...क्या लेने गयी थी...''

पिंकी : "लाला को...''

और इतना कहते हुए वो पलट गयी और दरवाजा खोलकर लाला को अंदर बुला लिया...

जिसके बारे में सोच-सोचकर उसने कल अपनी बेटी के साथ वो सब कर लिया था,
जिसके मोटे लंड को सोचकर उसे नींद नही आई थी
और जिसे लेने की कल्पना करते हुए उसने अभी कुछ देर पहले ही बाथरूम में अपनी चूत रगडी थी,
वो लाला साक्षात् उसके सामने खड़ा था..

और लाला की आँखो में तो वासना नाचने लगी जब उसने सीमा को इस हालत में देखा....
उसके मांसल बदन से पानी की बूंदे नीचे गिरते देख वो यही सोच रहा था की इसे अभी के अभी नंगा करू और इसका सारा पानी पी जाऊ.

पिंकी ने दरवाजा बंद कर दिया और अपनी माँ से बोली : "माँ ..आप प्लीज़ गुस्सा ना करना... कल जो ग़लती मैने की थी, उसी को सुधारने के लिए मैं लाला को अभी लाई हूँ ...''

इतना कहते हुए वो लाला और अपनी माँ का हाथ पकड़ कर अपनी माँ के कमरे में ले गयी और बोली : "आप दोनो को जो भी करना है कर लो...मैं बाहर ही रुकती हूँ ...''

भले ही पिंकी ने ये काम अपनी माँ से बिना पूछे किया था पर उसकी माँ को ये पसंद बहुत आया ...
वो तो खुद ही कल रात से यही प्लान बना रही थी की वो कैसे लाला का लंड ले,
उसके गोडाउन में जाए या उसे ही घर बुला ले..
पर उसकी मुश्किल को उसकी बेटी ने कितनी आसानी से हल कर दिया था...
जाँघो तक चड़ा पेटीकोट लगभग गीला सा होकर उसके बदन से चिपका हुआ था ,
जिसमें से उसके मुम्मो पर चमक रहे नन्हे बेर सॉफ दिखाई दे रहे थे.

पिंकी जब ये बोलकर जाने लगी तो लाला ने अपनी हरामीपंति दिखाई, और बोला : "अरी पिंकी, तू कहां जा रही है, कल जो भी तूने देखा, वो भी तो अधूरा ही था, अब यही बैठ जा एक कोने में और पूरा खेल देख ले...आगे चलकर तेरे ही काम आवेगा ये सब..''

ये सुनते ही सीमा एकदम से घबरा सी गयी...
पर वो कुछ बोल ही नही पाई...
क्योंकि एक बात तो उसे भी पता थी की लाला अपने मन की करके ही रहेगा..
और वैसे भी उसे और लाला को तो पिंकी ने कल भी लगभग सब कुछ करते देख ही लिया था,
आज अगर उनकी चुदाई भी देख लेती है तो क्या फ़र्क पड़ता है..
कल शाम को पिंकी के साथ बाथरूम में जो कुछ भी हुआ था, उसकी वजह से भी अब पिंकी से उसे ज़्यादा शर्म नही रह गयी थी..

पिंकी तो वैसे भी यही चाहती थी,
वो तो खिड़की से छुप कर उनकी चुदाई को देखने का प्रोग्राम बना चुकी थी, पर लाला ने ये काम भी आसान कर दिया था..
इसलिए लाला की बात सुनकर और अपन माँ को देखने के बाद उनसे मिली मौन स्वीकृति के बाद वो वहीं एक कोने में बैठ गयी..

पर लाला का हरामीपन यहीं शांत नही हुआ , उसने अपनी कड़क आवाज़ में पिंकी को हुक्म दिया : "ऐसे एक कोने में नही बैठना तुझे...पहले मुझे वो देखना है जो तुम माँ बेटी ने कल बाथरूम में किया था...''

ये सुनते ही दोनो के पैरो तले से ज़मीन ही निकल गयी...
ये लाला के दिमाग़ में क्या चलता रहता है...
सीधी साधी सी चुदाई करे और चलता बने,
ये अपनी शर्ते बीच में रखकर क्या मिलेगा इसको..

सीमा समझ गयी की ये सब लाला को पिंकी ने ही बताया होगा...
मज़े-2 में वो बोल तो गयी थी पर अब लाला उस बात का फ़ायदा उठा रहा था..

सीमा बोली : "लाला...देख तू इसे यहां रोकना चाहता है, इससे मुझे कोई परेशानी नही है, पर वो सब तेरे सामने करना सही नही होगा...बच्ची है ये अभी लाला...तेरे सामने कैसे ये न...नंगी हो जाए...''

लाला अपनी मूँछो पर ताव देता हुआ बोला : "तू बड़ी भोली है री सीमा...तुझे तो पता ही नही है की तेरी ये बच्ची जवानी की दहलीज पर कदम रख भी चुकी है और लाला ने इसके बदन को चख भी लिया है...बस वही नही हुआ जो तेरे साथ भी नही कर पाया आज तक, वरना ये भी अच्छे से जानती है की मेरे लंड का स्वाद कैसा है...''

लाला ने बड़ी ही बेशर्मी से अपनी धोती में खड़े लंड को मसलते हुए पिंकी का कच्चा चिट्ठा उसके सामने खोलकर रख दिया..

सीमा की तो आँखे फटी की फटी रह गयी ,
उसने हैरत भरी नज़रों से पिंकी को देखा तो उसने सिर झुका लिया...
वो समझ गयी की लाला सच ही कह रहा है...

गुस्सा तो उसे बहुत आ रहा था अपनी बेटी पर, लेकिन इस वक़्त जो उसके बदन में आग लगी हुई थी , उसे भी बुझाना ज़रूरी था, इसलिए उसने इस बात को भी काफ़ी हल्के में लिया, कोई और मौका होता तो शायद वो अपनी बेटी को मार ही डालती...
पर लाला के लंड का आकर्षण ही ऐसा था की शायद उसकी बेटी भी उसके मोह्पाश से बच नही पाई..

लाला ने दोनो को मुँह झुकाए देखा तो बोला : "मुझे लगता है की तुम दोनो का मूड नही है...जब हो तो बता देना, मैं आ जाऊंगा ..''

अपनी घर आए लंड को वापिस भेजना तो सीमा भी नही चाहती थी,
इसलिए झट्ट से बोल पड़ी : "अर्रे नही लाला, तुम क्यो नाराज़ हो रहे हो...हम करते है ना...तुम बैठो.''

इतना कहते हुए सीमा ने अपनी बेटी की तरफ देखा, जो पहले से ही लाला की बात सुनकर गहरी साँसे ले रही थी...
ऐसे लाला के सामने अपनी ही माँ की चूत चाटने में उसे कितना मज़ा आने वाला था इसका अंदाज़ा उसके कड़क हो रहे निप्पल्स से ही लगाया जा सकता था..

अपनी माँ की आँखो का इशारा समझकर वो किसी रोबोट की तरह चलती हुई उनके करीब आई और अपने हाथ उनके उभारों पर रखकर उन्हे दबा दिया...

ऐसा लगा जैसे पानी से भरे दो बड़े-2 गुब्बारे पकड़ लिए हो उसने...
वो धीरे-2 उन्हे दबाने लगी, उनका रस निचोड़ने लगी..
और जब उत्तेजना का संचार पूरी तरह से हो गया तो उसने एक ही झटके में अपनी माँ का पेटीकोट उनकी छाती से उतार कर नीचे फेंक दिया..

और ऐसा करते ही लाला की वहशी नज़रों के सामने खड़ी थी सीमा...
पूरी तरह से नंगी होकर..
जिसके पुर बदन पर पानी की बूंदे ऐसे चमक रही थी जैसे नन्हे जुगनू उसकी जवानी का रस पीने के लिए लिपट गये हो उससे..
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पिंकी भी दिन की रोशनी में अपनी माँ के बदन को देखकर मस्ती में भर गयी...
उसने बिना किसी वॉर्निंग के अपना मुँह उनके मुम्मों पर लगाया और उसे ज़ोर-2 से चूस्कर अपनी माँ का दूध पीने लगी...

''आआआआआआआआआआआहह..... मेरी बचिईईई..... उम्म्म्ममममममममम..... पी लेsssssss .... अहह..''



अपना दूध पिला तो वो पिंकी को रही थी पर उसकी नज़रें लाला के चेहरे पर थी जिसे वो अपनी आँखो का इशारा करके अपने पास बुला रही थी...
क्योंकि असली चुसाई का मज़ा तो लाला ही दे सकता था..

पर लाला भी बड़ा हरामी था, ऐसे शुरू में ही वो उनके खेल में कूदकर इस खेल को बिगाड़ना नही चाहता था,
उसे तो अभी उनकी पूरी फिल्म देखनी थी...
पूरा मजा लेना था
इसलिए उसने इशारा करके पिंकी के कपड़े भी उतारने को कहा...

लाला का इशारा समझकर सीमा ने खुद ही अपनी बेटी की कुर्ती निकाल दी,
नीचे उसने ब्रा नही पहनी हुई थी, इसलिए उसके कड़क मुम्मे तनकर अपनी माँ के सामने खड़े थे...

सीमा ने मन में सोचा की इन छोटे स्तनो को चूस्कर भला लाला को क्या मिला होगा,
ये तो अभी ढंग से उगे भी नही है पूरे.

पर छोटे स्तनों को चूसने वाला ही उनके मज़े के बारे में जानता है, और लाला तो इस खेल का माहिर खिलाड़ी बन चुका था..

सीमा ने पिंकी की सलवार का नाडा खोलकर उसे नीचे से भी नंगा कर दिया...



और इस तरह से अब वो दोनो माँ बेटियाँ लाला के सामने, अपने ही घर में , पूरी तरह से नंगी होकर खड़ी थी...

लाला तो उन दोनो के नंगे जिस्मो को देखकर पागल ही हो गया...
कभी सीमा की तरबूज जैसी रसीली गांड को देखता तो कभी पिंकी के नाश्पति जैसी कड़क छातियो को...
कभी पिंकी के खरबूजे जैसी गांड को निहारता तो कभी सीमा के रसीले पपीतों को...
दोनो माँ बेटियां उपर से नीचे तक फलों से लदी दुकान की तरह लग रही थी, जिनके हर अंग को चूस्कर अलग-2 फल का मज़ा लिया जा सकता था..

पर वो जब होना होगा तब होगा,
अभी के लिए तो लाला को देखना था की वो दोनो कैसे एक दूसरे को मज़ा देती है..

दोनो माँ बेटियां भी एक दूसरे के नंगे शरीर देखकर पागल सी हो चुकी थी और इस बार तो उन्हे लाला के इशारे की भी ज़रूरत नही पड़ी और दोनो एक झटके से एक दूसरे पर टूट पड़ी...

पिंकी ने अपने दोनों हाथों में अपनी माँ के मुम्मे पकड़कर उन्हे चूस डाला...
सीमा ने उसके नन्हे कुल्हो को पकड़ कर उसे लगभग अपनी गोद में खींच लिया...
लेकिन अब वो बच्ची तो रह नही गयी थी इसलिए उसे पूरी तरह से उठा नहीं पायी...
पिंकी ने भी अपनी माँ की मजबूरी समझी और उन्हे धक्का देकर बेड तक ले आई और उन्हे बिठा कर उनपर सवार हो गयी...
अब दोनो एक गहरी स्मूच में डूब गयी ...



धीरे-2 सीमा ने पिंकी को अपने चेहरे पर खींच लिया और उसकी कुँवारी चूत को अपने मुँह पर लाकर उसे नीचे दबा दिया...
एक जोरदार आवाज़ के साथ अपनी माँ की जीभ को अपनी रसीली चूत में जगह देती हुई वो हिचकोले खाने लगी..

''ओह माँआआआआअ....... अहह...... मजा अआ गया........ तुम्हारी जीभ तो बड़ी मस्त लग रही है......''



लाला अपने लंड को मसलते हुए बुदबुदाया , 'अभी तो मेरा लंड लेगी, तब असली मज़ा आएगा मेरी छमिया ..'

और बात भी सही थी, चूत को असली मज़ा तो लंड ही दे सकता है वरना उसके अलावा तो ये सब आर्टिफिशियल चीज़े है..

पिंकी घूम कर अपनी माँ पर 69 के पोज़ में लेट गयी ..
सीमा भी उसकी कलाकारी देखकर यही सोच रही थी की ऐसे एक औरत के शरीर के साथ मज़े लेना उसने कहाँ सीखा होगा...

बेचारी को ये नही पता था की उसकी और निशि की दोस्ती कहाँ तक बढ़ चुकी है..

दोनो एक दूसरे की चूत की कटोरी में से चपर -2 करके रसगुल्ले की चाशनी चाट रहे थे...



लाला के लिए ये सब हदद से ज़्यादा था, और उसे पता था की अब उसका भी नंबर आने वाला है,
इसलिए उसने अपने भी कपड़े उतारने शुरू कर दिए..

और जल्द ही वो गाँव का सलमान खान पूरे कपड़े निकाल कर उनके सामने नंगा खड़ा था..

एक दूसरे की चूत चाट्ती हुई माँ बेटी ने जब खड़े हुए लंड को देखा तो उनका सारा ध्यान भंग हो गया और लाला का इशारा पाकर दोनो अपने घुटनो के बल उसके सामने बैठ गयी..

इस वक़्त लाला अपने आप को किसी हीरो से कम नही समझ रहा था,
जिसके लंड को लेने के लिए ये दोनो माँ बेटियां उसके सामने किसी पालतू कुतिया की तरह बैठीं थी...

लाला ने बिना एक पल गंवाए अपने लंड को उन दोनों के होंठों के बीच फंसा दिया और उनके रसीले होंठों को चोदने लगा



आज लाला पिंकी की तो नही पर सीमा की चूत मारकर अपनी बरसो पुरानी वो इच्छा ज़रूर पूरी कर लेना चाहता था जो कब से अधूरी थी और कल भी पूरी होते-2 रह गयी थी...
और इसी बहाने पिंकी भी चुदाई देखकर कुछ तो सीख ही लेगी...
आख़िर अगला नंबर तो इसी का लगने वाला था.

लाला उन दोनो माँ बेटियों के रेशमी बालों में हाथ फेरता हुआ कसमसा रहा था..

''आआआआआआअहह.... चूसो भेंन की लोड़ियों ....चूसो...... लाला का लंड तुम्हारे लिए ही तो इस धरती पर आया है..... मज़ा लो इसका.... मज़ा लो जिंदगी का... अपनी जवानी का...''

लाला तो अपने आपको किसी फरिश्ते की तरह दर्शा रहा था,
जिसका धरती पर आने का मकसद ही चूत को चोदकर उसका उद्धार करना था..

और देखा जाए तो वो उद्धार कर भी रहा था आज तक...
क्योंकि जिसने भी लाला के रामलाल को एक बार अपनी चूत में लिया वो उसका गुणगान किए बिना नही रह सकी.

लाला ने बारी-2 से उन दोनो के मुँह को अलग से भी चोदा ...
ख़ासकर पिंकी के मुँह को,
क्योंकि लाला भी जानता था की अभी के लिए तो इसके उपर वाले होंठो में ही लंड डाल सकता है वो, नीचे वाले पिंक होंठो का नंबर तो बाद में आएगा..
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Ashokafun30

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लाला ने बारी-2 से उन दोनो के मुँह को अलग से भी चोदा ...
ख़ासकर पिंकी के मुँह को,
क्योंकि लाला भी जानता था की अभी के लिए तो इसके उपर वाले होंठो में ही लंड डाल सकता है वो, नीचे वाले पिंक होंठो का नंबर तो बाद में आएगा..
सीमा भी अपनी बेटी को लाला का लंड चूसते देखकर शायद यही सोच रही थी 'कितनी बड़ी हो गयी है मेरी बेटी, मैं तो इसे अभी तक बच्ची ही समझती थी, देखो तो ज़रा, कैसे चपर -2 करके लाला के लंड को चूस रही है...'

उसे शायद गर्व हो रहा था अपनी बेटी पर,
ये देखकर की जो काम वो अपनी जवानी के दिनों में भी नही कर सकी, इसने जवानी शुरू होने से पहले ही करना शुरू कर दिया है,
इसे कहते है अपनी कीमती लाइफ का अच्छे से इस्तेमाल करना,
क्योंकि एक बार जब ये जवानी के दिन चले गये तो बाद में नही लोटने वाले...
ठीक वैसे ही जैसे एक बार शादी हो जाने पर लड़की की लाइफ में जो बंदिशे लगती है, वो शादी से पहले नही होती,

इसलिए जो भी करना हो वो पहले ही कर लेना चाहिए...
चाहे किसी के साथ भी...
दोस्त मिले तो उसके साथ,
प्यार करने वाला आशिक हो तो उसके साथ तो जरूर...
और कोई नही तो अपनी रिश्तेदारी में से ही कोई भी ,
पर कुछ तो उपयोग करना ही चाहिए अपनी कच्ची जवानी का.

और वो उपयोग इस वक़्त पिंकी अच्छे से कर रही थी.

लाला के लंड को चूस्कर...



उसकी खुद की थूक निकलकर उसके नन्हे स्तनों पर गिर रही थी, जिसे उसकी माँ ने झुककर सॉफ कर दिया, एक मीठे शहद का एहसास हुआ उसे अंदर तक..

लाला का लंड जब स्टील जैसा हो गया तो उसने उसे पिंकी के मुँह से निकाल लिया,
पिंकी को तो ऐसा लगा जैसे कोई मीठा लोलीपोप उसके मुँह से छीन लिया हो किसी ने..
अभी तो उसकी मिठास आनी शुरू हुई थी (जो शायद लाला के लंड का प्रिकम था), और लाला ने कितनी बेदर्दी से उसे बाहर खींच लिया..



अब लाला की उत्तेजना का केंद्र सिर्फ़ और सिर्फ़ सीमा थी...
वही सीमा जो उसके लंड के चुंगल से 2 बार बच कर निकल गयी थी...

पर आज वो ऐसा नही होने देना चाहता था,
इसलिए उसने उसी की बेटी की लार से भीगा हुआ लंड उसकी तरफ घुमाया और बोला : "चल सीमा रानी, लेट जा गद्दे पर, आज लाला चोदेगा तेरी मुनिया को...''

लाला एक-2 शब्द ऐसे पीस कर बोल रहा था जैसे उसे चोदने के लिए नही बल्कि कच्चा खा जाने की बातें कर रहा हो..

पिंकी का तो पता नही पर सीमा ने जब लाला के ये शब्द सुने तो वो किसी बंधुआ मजदूर की तरह उसकी बात मानकर बेड पर जा लेटी और अपनी टांगे दोनो तरफ फेला कर लाला से बोली : "आजा लाला....देर किस बात की है...मैं भी कब से तरस रही थी इस पल के लिए.... अब जल्दी से अपना लंड मेरी मुनिया में पेल और मुझे इस तड़पन से मुक्ति दिला...''



और आज तो लाला वैसे ही अपने आप को चुदाई का फरिश्ता समझ रहा था,
ऐसी मुक्ति दिलवाने के लिए ही तो उसने जन्म लिया था ..

वहीँ दूसरी तरफ पिंकी मन में सोच रही थी की काश इस वक़्त ये मुनिया उसकी माँ की चूत नहीं बल्कि वो खुद होती, क्योंकि उसके पिताजी प्यार से उसे घर पर मुनिया ही तो बुलाया करते थे।

लाला ने उस गीले लंड को सीमा की चूत पर रखा और उसकी चुचियां पकड़कर बोला : "आज तेरी सारी प्यास मिटा दूँगा मेरी रानी...बस चीखें मत मारियो...''

और वो लाला ने इसलिए कहा था क्योंकि शादी के इतने सालो बाद भी उसकी चूत एकदम कसी हुई सी थी,
जो उसे देखते ही लाला समझ गया था की उसमें अगर उसका लंड घुसेगा तो साली चीख ज़रूर मारेगी ..

और लाला कभी ग़लत हुआ था जो आज होता.....

जैसे ही लाला ने नीचे झुकते हुए अपने लंड का भार उसके उपर डाला, वो उसकी चूत को किसी ककड़ी की तरह चीरता हुआ अंदर घुसने लगा...



इतने महीनो बाद हो रही चुदाई की वजह से उसकी चूत की रही सही लंड जाने की जगह भी कसावट में बदल चुकी थी..
जिसे भेदना इस वक़्त रामलाल के लिए भी मुसीबत वाला काम बन चुका था...
अंदरूनी चूत की दीवारे, रामलाल के चेहरे पर ऐसे घिसाई कर रही थी जैसे उसे नोच ही डालेंगी..
पर अपना रामलाल उन खरोंचो की परवाह किए बिना एक बहादुर सैनिक की तरह अंदर घुसता चला गया और उस मांद के अंदर तक घुसकर ही माना...



और इन सबके बीच जो हाल सीमा का हुआ, उसे शब्दो में बयान करना मुमकिन ही नही है...

बस वो तो ऐसे चिल्ला रही थी जैसे लाला उसकी चुदाई नही बल्कि अपने लंड से उसकी चूत में ड्रिलिंग कर रहा है..

''आआआआआआआआआआहह ........ उम्म्म्मममममममममममम....... लाला........... माआआआआआर दलाआआआआआअ रे..................''

और अपनी माँ की इस तकलीफ़ को उसकी बेटी ने आकर कम किया जब उसने अपनी गरमा गर्म चूत सीधा लाकर उनके मुँह पर रख दी....
इसके 2 फायदे हुए,
एक तो उसकी माँ की चीखें निकलनी बंद हो गयी
दूसरा उसकी खुद की चूत में जो कुलबुली हो रही थी वो भी एकदम से मिट गयी...



सीमा को भले ही लाला के लंड से तकलीफ़ हुई थी शुरू में ,
पर बाद में उसने जब धीरे-2 झटके मारने शुरू किए तो उसके आनंद की सीमा ही नही रही,
एक मिनट में ही उसकी छींके लंबी सिसकारियों में बदल गयी...
लेकिन वो सिसकारियां भी पिंकी की चूत तले दब कर रह गयी थी
पर इधर उधर से फुसफुसाती आवाज़ में जो भी बाहर आ रहा था उससे सॉफ जाहिर था की वो मज़े की सिसकारियां ही है, और कुछ नही..

और उपर से पिंकी की चूत का स्वाद भी ऐसे मौके पर पहले से ज़्यादा स्वादिष्ट लग रहा था,
वो भी शायद इसलिए की लाला की चुदाई देखकर पिंकी की चूत से अपने आप ही स्पेशल किस्म का शहद निकलने लगा था, जो इस वक़्त उसकी माँ को काफ़ी भा रहा था,
और इसलिए वो उसे ऐसे चूस रही थी जैसे आज उसकी चूत की कटोरी का सारा रस वो ख़त्म करके ही मानेगी...
ठीक वैसे ही जैसे आज वो अपनी चूत का सारा रस लाला के लंड से चुदने के बाद बाहर निकाल देना चाहती थी...

और लाला की किस्मत तो देखते ही बनती थी इस वक़्त...
लंड चूत में था,
हाथ उसके मोटे मुम्मो पर थे,
ऐसे में जब नर्म होंठो वाली पिंकी ने जब आगे बढ़कर उसके होंठो पर अपने होंठ लगाए तो उसकी आँखे बंद होती चली गयी....
नर्म होंठ, गर्म चूत और कड़क मुम्मे ,
लाला के सामने ऐसे व्यंजन लगे थे जैसे घर पर पहली बार आए दामाद की खातिरदारी होती है...
लाला उपर से नीचे तक तृप्त सा होकर चुदाई कर रहा था...

लाला का काला भूसंड लंड सीमा की चूत की सीमाएं लाँघता हुआ काफ़ी अंदर तक जा रहा था...
कभी बाहर भी...
और फिर से अंदर.

और जल्द ही सीमा की चूत में ऑर्गॅज़म का एक बुलबुला फूलने लगा,
ऐसा उसे शायद सालो बाद फील हुआ था,
वो अपनी बेटी की गांड को पकड़कर जोरो से उसकी चूत चूसने लगी और अपनी खुद की चूत में मिल रहे सेंसेशन को महसूस करके तड़पने लगी...

''आआआआआआआआआआहह लालाआआआआआआआआआ..... मज़ाआआआआअ आआआआआआआअ गया आआआआआआआ रे....... उम्म्म्ममममममममममम...... उफफफफफफफफफफफ्फ़....... क्या लंड है रे तेरा लाला ...... आज पता चला की असली मर्द से चुदाई करवाने मे.... कैसा ....फ़ीईईईल्ल... होता है..... अहह..... ऑश लाला..... चोद मुझे..... ज़ोर से चोद ...अहह.... और तेज लाला..... और तेज.....''



और इतना कहते -2 उसने तेज गति से अपनी चूत में टक्कर मार रहे रामलाल के आगे अपने घुटने टेक दिए...
और उसे अपनी चूत से निकले नारियल पानी से नहला कर रख दिया...

झड़ते हुए उसकी आवाज़ भी निकलनी बंद हो गयी....
सिर्फ़ उसका शरीर ही था जो कमान की भाँति टेडा होकर दर्शा रहा था की उसकी चूत का झड़न पतन हो रहा है...

पर लाला अभी तक झड़ा नही था....
वो अपनी पूरी ताक़त से उसके निश्छल शरीर में अपना लंड घुसाकर उसे चोदता रहा...

और तब तक चोदता रहा जब तक उसके लंड का उबाल उसे अपनी छाती तक महसूस नही हो गया...
और जब वो निकला तो उसने सीमा की चूत में ऐसी तबाही का मंज़र पैदा कर दिया की चारो तरफ लाला के लंड से निकला माल ही माल नज़र आ रहा था...
और कुछ नही...



अपनी माँ की ऐसी कमाल की चुदाई इतने करीब से देखकर पिंकी की चूत में से भी पानी रिसने लगा और वो सीधा उसकी माँ के मुंह में जाने लगा.

और लाला ने जब हाँफते हुए अपना लंड बाहर निकाला तो एक शिकारी की भाँति पिंकी उस पॉइंट पर झपट पड़ी जहाँ से लाला के लंड और उसकी माँ की चूत का मिलन हो रहा था....
अंदर से निकले पानी को उसने अच्छे से सॉफ किया और फिर लाला के पाइप नुमा लंड को मुँह में लेकर उसे चूस डाला...

लाला के लंड का पानी और अपनी माँ की चूत का रस मिलाकर करीब 50 MLथा, जिसे वो पी गयी और ज़ोर से डकार मारकर उसने ये भी दिखाया की वो उसे पच भी गया है...



लाला की हालत खराब हो गयी थी ऐसी चुदाई करके....
एक तो उम्र का तक़ाज़ा और उपर से माँ बेटी की जुगलबंदी,
ऐसे में थकान आना तो लाज़मी था...

इसलिए वो बेड पर कराहते हुए लेट गया...
दोनो माँ बेटियां उसके अगाल बगल आकर उससे लिपट गयी और उसे अपने-2 जिस्म की गर्मी का एहसास देने लगी.

पिंकी ने तो कोशिश भी की कि लाला का लंड फिर से तैयार हो जाए, जो भी होना है आज ही हो जाना चाहिए, पर लाला भी जानता था की उसमें अब वो पहले जैसी बात नही रही जब वो दिन में 3-4 बार चुदाई कर लेता था...

इसलिए लाला कुछ देर तक सुस्ताया वहां पर और फिर अपने कपड़े पहन कर अपनी दुकान की तरफ निकल गया...

और पीछे छोड़ गया उन माँ बेटियो को जो उसके जाने के बाद भी नंगी ही पड़ी रही बिस्तरे पर...
लाला के लंड के बारे में सोचते हुए अपनी - 2 रसीली चूत में उँगलियाँ पेलती हुई.
 

Ashokafun30

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अगले दिन पिंकी और निशि जब स्कूल में अपना लंच कर रही थी तो उन्होने दूर से आती हुई नाज़िया को देखा
उसकी चाल को देखकर ही समझ में आ रहा था की ये अब लंड ले चुकी है...
अपने दोनो कूल्हे दोनो तरफ निकाल कर मटकती हुई वो उन्ही की तरफ आई और अपना लंच बॉक्स खोलकर वही बैठ गयी..

दोनो को पता था की वो लाला के लंड से चुद चुकी है, पर फिर भी वो उसी के मुँह से सुनना चाहती थी..

निशि : "बड़ी गांड मटका कर चल रही है री नाज़िया...लगता है लाला के लंड ने तेरी टांगे फेला दी है अच्छे से...''

अपनी बात कहकर वो पिंकी की तरफ देखते हुए हँसने लगी...
पिंकी ने भी उसका साथ दिया..

जिसे देखकर नाज़िया बोली : "हाँ हाँ हंस लो...इसमे कौनसी मज़ाक वाली बात है, मुझे तो इसमे मज़ा ही आया था, इसलिए मुझे इस बात का बुरा नही लग रहा...बुरा तो मुझे तुम्हारे लिए लग रहा है क्योंकि लाला पर तो तुम दोनो की पहले से नज़र थी और उसका लंड खाने को मुझे पहले मिला... हा हा''

उसकी बात सुनकर दोनो चुप हो गयी...
उनकी हँसी का जवाब अच्छे से दिया था नाज़िया ने..
और बात तो सही ही कह रही थी वो..
उनसे पहले ये कल की आई लौंडिया कैसे उनसे चुद गयी.

उसकी चुदाई की बाते जानने के लिए वो दोनो उत्सुक थी...
इसलिए पिंकी अपनी ज़ुबान में थोड़ी मिठास लाते हुए बोली : "अरे , हम तो मज़ाक कर रहे थे पगली...वैसे भी तूने तो ले ही लिया है लाला के लंड को, इसमे हमारा भी तो फायदा है ना...''

नाज़िया रोटी खाते-2 रुक गयी और बोली : "फायदा ...? तुम्हारा कैसा फायदा है इसमें ..''

इस बार निशि ने मुस्कुराते हुए इस बात का जवाब दिया : "वो ये की तू हमे आज बताएगी की लाला के लंड को लेने में कैसा फील हुआ, मतलब कुछ तकलीफ़ हुई या आसानी से चला गया वो अंदर...''

ये बाते वो बोल तो रही थी पर ऐसा कहते हुए उसकी चूत में जो चिकनाई का निर्माण हो रहा था उसकी फीलिंग वही दोनो जानती थी...
हालाँकि एक बार फिर से लाला के लंड की चुदाई याद करके नाज़िया भी नीचे से भीग चुकी थी, पर उपर से दिखाकर वो उन्हे ये नही जताना चाहती थी की वो भी ये सुनकर उत्तेजित हो रही है..

वो बोली : "क्या तुम्हे लगता है की लाला का लंड इतनी आसानी से अंदर जाने वालों में से है.....पता है मेरे हाथ से कोहनी तक लंबा लंड था उसका, जब उसने मेरे अंदर डाला...हाय अल्लाह , उस पल को याद करके ही मेरे रोंगटे खड़े हो रहे है...साले ने बेरहमी से पेल दिया था पूरा अंदर, खून भी निकला था.....पर ससुरे को रहम ना आया, पूरा लंड पेलकर ही माना वो हरामी लाला...और वो भी मेरी माँ के सामने..''

ये सुनते ही उन दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा...
लाला ने ये बात तो उन्हे बताई ही नही की शबाना के सामने ही लाला ने उसकी बेटी पेल डाली थी...
साला सच में हरामी है..

और शायद ऐसा ही कुछ वो पिंकी के साथ भी करेगा क्योंकि उसकी माँ सीमा को तो वो पहले ही चोद चुका था उसके सामने...
लाला की इस प्लानिंग के बारे में जानकार दोनो के जिस्म अंदर से धधक रहे थे...

पिंकी तो जानती थी की उसकी माँ की तरफ से अब कोई रोकटोक नही होगी,
वो तो पहले से ही लाला के लंड की मुरीद बन चुकी है...
अब तो अगली बार लाला उसे ही चोदेगा और वो भी उसकी माँ सीमा के सामने..

वहीं दूसरी तरफ निशि की हालत भी खराब हो रही थी...
नाज़िया चुद चुकी थी और पिंकी भी चुदने को तैयार थी
ऐसे में उसका नंबर कब आएगा ये उसे भी नही पता था..
पर एक बात वो अच्छे से जानती थी की लाला को तो बस चूत चाहिए,
पहले किसकी मिलती है इस बात से उसे कोई फ़र्क नही पड़ता इसलिए उसके दिमाग़ में पिंकी से पहले चुदने के प्लान बनने शुरू हो गये..

और अपनी प्लानिंग के बीच वो नाज़िया की बाते भी सुन रही थी जो चुदाई के वक़्त उसके बहुत काम आने वाली थी..

नाज़िया : "अंदर जाने में ही तकलीफ़ हुई बस, उसके बाद तो ऐसा लग रहा था की वो मोटा लंड भी कम है, अंदर के मज़े देने में ...कसम से यार, ऐसा लग रहा था जैसे इस मज़े से बढ़कर कुछ और है ही नही दुनिया में , ऐसा नशा सा चढ़ रहा था पूरे जिस्म पर जैसे किसी ने जादू सा कर दिया हो...लाला का लंड मेरी बन्नो के अंदर जा रहा था और वो मेरे मुम्मो को चूस रहा था, काट रहा था...चाट रहा था...''

पिंकी की आँखे लाल सुर्ख हो गयी ये सुनते -2 और वो हड़बड़ा कर बोली : "ब....बस...कर ....साली..... अपनी बातें सुना कर मेरी सलवार गीली करवा दी....अब क्लास में कैसे बैठूँगी...''

उसकी बात तो सही थी...
सलवार तो तीनो की गीली हो चुकी थी...
ऐसे में क्लास को बंक करना ही सही लगा उन्हे और वो तीनो चुपके से स्कूल के पीछे वाली टूटी हुई दीवार से निकल कर बाहर आ गयी...

और वहां से वो तीनो सीधा नाज़िया के घर गये जहाँ उसकी अम्मी शबाना घर का काम निपटाने में लगी थी...
उन तीनो को एक साथ देखकर वो बोली : "अर्रे, तुम तीनो स्कूल से भाग आई क्या...''

जिसके जवाब में तीनो एक साथ घूम गयी और अपना भीगा हुआ पिछवाड़ा उन्हे दिखा दिया, जिसे देखते ही वो समझ गयी की वो गीलापन किस चीज़ का है...
उन्होने तीनो को अंदर जाकर सॉफ करने को कहा और फिर से अपना काम करने लगी.

तीनो अल्हड़ चूते खिलखिलाती हुई सी अंदर की तरफ भाग गयी..

शबाना जानती थी की तीनो मे काफ़ी अच्छी दोस्ती है और शायद नाज़िया ने अपनी चुदाई की बाते सुनाकर ही उनका ये हाल किया है...
ये आजकल की लड़किया भी ना कुछ भी अपने पेट में नही रख सकती..

पर फिर उसने सोचा की इतने बड़े लंड को लेना कोई आसान काम थोड़े ही है...
उसका ज़िक्र अपने दोस्तो से करना तो बनता ही है..
शबाना ने उन्हे अंदर भेज तो दिया था पर वो जानती थी की वो आपस में मिलकर ज़रूर कोई गड़बड़ करेंगी...
उसके मन में उत्सुकतता सी बन गयी और अपना काम निपटाने के बाद वो दबे पाँव अंदर वाले कमरे की तरफ चल दी जहाँ वो तीनो गयी थी.

अपने कमरे में जाते ही नाज़िया ने तो बड़ी ही बेबाकी से अपनी सलवार निकाल कर एक कोने में उछाल दी...
नीचे जो कच्छी पहनी हुई थी वो भी भीग चुकी थी...
उसे भी जब उसने उतारा तो उसकी तराशि हुई चूत जो इस वक़्त एकदम लाल सुर्ख होकर दमक रही थी सबके सामने आ गयी...नंगी होकर वो बड़ी ही सैक्सी दिख रही थी



पिंकी और निशि ने भी एक दूसरे को देखा और अपनी-2 सलवारे निकाल दी...
उन दोनो ने उसे टेबल फैन के सामने फेला दिया ताकि वो उनके जाने से पहले सूख भी जाए..

और अंदर उन्होने नाज़िया की तरह कच्छी तो पहनी नही हुई थी इसलिए उन दोनो की भी चूत एकदम नंगी होकर नाज़िया के सामने उजागर हो गयी.



भले ही लंड से चुद चुकी थी नाज़िया, पर अपने सामने एक बार फिर से उन दोनो की चूत देखकर उसके मुँह में फिर से पानी आ गया और उसने अपने होंठो पर जीभ फेराते हुए पिंकी की आँखो में देखा, वहां भी उसे वही प्यास दिखी जो इस वक़्त उसकी नज़रों में थी...
निशि तो पहले से ही तैयार थी, इसलिए उसने उनकी आँखो का इशारा समझते हुए अपनी स्कूल की कमीज़ भी निकाल फेंकी..
अगले एक मिनट मे पिंकी और नाज़िया ने भी वही किया और अब तीनो उस कमरे मे नंगी होकर खड़ी थी..



लाला के लंड के बारे में बाते कर-करके तीनो इतनी उत्तेजित हो चुकी थी की उन्होने एक पल भी नही लगाया और आपस में गले मिलते हुए, गुत्थम गुत्था करके तीनो एक दूसरे पर टूट पड़ी...
निशि ने नाज़िया की भीगी चूत पर हमला किया तो पिंकी ने उसके स्तनो पर...



नाज़िया ने भी अपनी उंगली पिंकी की चूत में डालकर उसे हिला डाला,


पूरे कमरे में तीनो की सिसकारियां गूँज रही थी,
नाज़िया ने खुद को अपने बिस्तर पर गिरा दिया और पिंकी को अपने चेहरे पर आने का न्योता दिया, जिसे उसने खुशी -2 स्वीकार कर लिया.



अपने चेहरे पर बिठाकर उसने पिंकी की मिठाई की दुकान से सारी मिठाइयाँ निकालकर खानी शुरू कर दी...
हर बार जब वो अपनी जीभ उसकी चूत में घुसाकर अंदर से माल निकालती तो उसे अलग ही किस्म का स्वाद मिलता...

उसकी देखा देखी निशि ने भी अपनी जीभ से नाज़िया की चूत को टटोलकर उसमें से मलाई चाटनी शुरू कर दी..



लाला के लंड से चुदने के बाद उसमे थोड़ा खुलापन आ चुका था जिसकी वजह से उसकी जीभ आसानी से अंदर बाहर हो रही थी,
लाला के लंड से चुदी चूत को चाटने में निशि को एक अलग ही उत्तेजना का एहसास हो रहा था.



वो ये काम कर ही रहे थे की अपने सारे कपड़े निकालकर शबाना भी अंदर आ गयी...



अपनी अम्मी के आने का एहसास मिलते ही नाज़िया ने जब उनकी तरफ देखा तो उन्हे नंगा देखते ही वो समझ गयी की उनके मन का लालच ही उन्हें अंदर खींच लाया है ...

पिछली बार भी जब उसने लाला के चले जाने के बाद अपनी अम्मी की चूत चाटी थी और अपनी भी चटवाई थी तो उसमे काफ़ी मज़ा मिला था , उसी मज़े को पिंकी और निशि की चूत के साथ लेने के लिए ही वो वहां आई थी इस वक़्त...

इसलिए उसने मुस्कुराते हुए उन्हे अपनी तरफ बुलाया..

शबाना आंटी को एकदम से कमरे में आया देखकर पहले तो पिंकी और निशि डर सी गयी पर उनके चेहरे पर आई हुई हवस को देखकर वो दोनो भी समझ गयी की ये उनकी बेटी के साथ पहली बार नही है..
और जब वो बेटी के साथ मज़े ले सकती है तो उन्हे बीच में मज़े लेने में क्या प्राब्लम हो सकती है...

इसलिए वो भी निश्चिंत होकर शबाना आंटी के साथ मज़े लेने लगे..


हालाँकि इन सबमे से किसी ने भी आज तक लेस्बियन सैक्स या उससे जुड़ी किसी भी बात के बारे में नही सुना था पर इस वक़्त जो काम ये सब मिलकर कर रही थी उससे तो एक अच्छी ख़ासी ब्लू फिल्म बनाई जा सकती थी...

खैर, ब्लू फिल्म तो बन ही रही थी वहां पर,
और शबाना के आने के बाद तो इस फिल्म में चार चाँद से लग गये थे,
क्योंकि उसने जब बेड पर आकर उन कुँवारी चुतों को चाटना शुरू किया तो तीनो किसी बकरी के मेमनों की तरह मिमियाती हुई चिल्लाने लगी क्योंकि अपने अनुभव का उपयोग करके शबाना उनके कच्चे जिस्मो के उन अंगो से खेल रही थी जिससे वो खुद आज तक अंजान थे...

तीनो एक दूसरे के पीछे लाइन बनाकर बकरी बन गए और एक दूसरे की चूत चाटने लगे



कमरे में चूत से निकले पानी की महक फेली हुई थी....

सभी ने जी भरकर एक दूसरे की चूत को चूसा भी और तब तक चाटा भी जब तक उसमे से निकले पानी को उन्होने सूखा नही दिया...

आज की इस छूट चुसाई ने उन सबके दिलो में कभी ना बुझने वाली प्यास को और भी बड़ा दिया था....
जो अब लाला के लंड से ही बुझने वाली थी..

सभी के दिमाग़ में लाला के लंड की ही तस्वीर घूम रही थी...



पर इन सबमे से अगली बार लाला के लंड से चुदने का सौभाग्य किसे मिलेगा ये उनमें से कोई भी नही जानता था...

या शायद जानता था.....
 

Ashokafun30

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पिंकी और निशि जब वहां से निकल कर अपने घर की तरफ जा रहे थे तो उन दोनो के मन में यही उथल पुथल मची हुई थी की उनके सामने आई इस नाज़िया की बच्ची ने उनसे पहले बाजी मारकर लाला के लंड का मज़ा ले लिया है ..

हालाँकि बीच में तो पिंकी की माँ सीमा भी आई थी जो मज़े लेकर अगली चुदाई का इंतजार कर रही थी पर वो तो उसकी सग़ी माँ थी ना, उनका तो बनता है...
पर ऐसे चिंचपोक्ली टाइप के लोग भी बीच में आकर उनसे पहले मज़े लेकर निकल जाए तो उनकी जवानी के ये रसीले दिन तो बेकार जाते चले जाएँगे..

और अंदर ही अंदर पिंकी ये भी जानती थी की निशि की चूत भी उतनी ही कुलबुला रही है जितनी की उसकी...
तभी तो वो स्कूल से छुट्टी करके लाला की दुकान पर जा पहुँची थी...
वो तो लाला का मूड नही था वरना अब तक वो इसे भी चोद ही चुका होता...

अपने अंदर के डर पर काबू करके बड़ी मुश्किल से लाला के मोटे लंड को लेने की हिम्मत कर पाई थी पिंकी...
और जब से वो हिम्मत की थी तब से मौका ही नही मिल पा रहा था चुदने का..

अब वो मौका निशि को मिलता है या उसे खुद को, ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा...

पर इस चुदाई के बीच वो अपनी दोस्ती को नही लाना चाहती थी,
इसलिए उसने निशि से खुल कर बात करना ही उचित समझा.

पिंकी : "यार निशि ..अब तो अंदर की खुजली इतनी बढ़ चुकी है की बिना लंड के मज़ा भी नही आता... एक दूसरे की चूत चाट कर कब तक मज़े लेते रहेंगे...''

निशि : "हाँ यार...अब तो बहुत हो गया...ये लाला पता नही इतना क्यो तरसा रहा है हम दोनो को...आज इसका फ़ैसला कर ही लेते है उसके पास जाकर..''

पिंकी :"वो तो हम कर ही लेंगे..पर उससे पहले हम दोनो को ये फ़ैसला करना पड़ेगा की हम दोनो में से पहले कौन चुदाई करवाएगा लाला से...''

निशि भी जानती थी की उसकी तरह पिंकी भी पहले चुदना चाहती है लाला से, इसलिए ये बात बोल रही है...

निशि : "तो इसके लिए तुम्हारे पास कोई तरीका है क्या...?? की कौन पहले चुदेगा लाला से...''

पिंकी तब तक इस बात जा जवाब अपने दिमाग़ में सोच ही चुकी थी...
और उस हिसाब से चला जाए तो उनकी दोस्ती पर इस चुदाई का असर नही पड़ने वाला था..

पिंकी : "देख निशि ..मैं नही चाहती की इस छोटी सी बात के लिए हम दोनो की दोस्ती में दरार आए...इसलिए मेरे दिमाग़ में एक प्लान है...अगर तू मान जाए तो हम दोनो को मज़े मिल सकते है...''

निशि एकदम से गंभीर हो गयी..
वो भी जानती थी की लाला के लंड से चुदने के लिए उसके मन में पहले भी कपट आ चुका था...
ऐसे में उनकी दोस्ती को बचाने वाले इस प्लान को सुनना तो बनता ही था..

पिंकी : "तुझे याद है, लाला के हमारी लाइफ में आने से पहले हम दोनो अक्सर किसके बारे में सोचकर ये सब चूसम-चुसाई किया करते थे...''

उसकी ये बात सुनते ही निशि चोंक गयी...
क्योंकि यहाँ उसके भाई नंदू की बातें हो रही थी...

वही भाई जिसके उपर पिंकी की कब से नज़र थी, और वो उसे सिर्फ़ देखने भर के लिए दिन में 5-6 चक्कर निशि के घर के लगा लिया करती थी...
और उसी के बारे में सोचकर वो अक्सर उत्तेजित भी हो जाय करती थी
और ऐसी ही उत्तेजना से भरे एक दिन पिंकी ने निशि को चूम लिया था...
उस चुम्मे का एहसास ही इतना रसीला था की दोनो उस नशे में डूबते चले गये और कपडे एक दूसरे के नंगे जिस्मों को प्यार करना शुरू कर दिया था...

उस दिन के बाद वो दोनो अक्सर उस तरह से मिला करते थे...
निशि के घर में, उसके उपर वाले कमरे में दोनो घंटो एक दूसरे के नंगे जिस्म को मसलते, चूत चाटते और तब तक चाटते जब तक वो झड़ नही जाते...



उस समय भी पिंकी की उत्तेजना का केंद्र निशि का भाई नंदू ही रहता था...
वो उसके गठीले जिस्म के बारे में बात करके , उसके लंबे लंड की कल्पना करके बदहवासी वाली हालत में उससे चुदने की बातें किया करती थी....
और उसके सामने नंगी लेटी हुई निशि भला कब तक इस बात से अछूती रहती और एक दिन अपने जवान भाई के जिस्म और लंड की बाते सुनकर उसने भी अपने दिल का गुबार निकाल ही दिया और अपने दिल की छुपी हुई बात उजागर कर दी की वो भी अपने भाई को उतना ही चाहती है जितना की पिंकी..

और उसके बाद वो दोनो अक्सर निशि के भाई का लंड लेने की बातें करते हुए साथ में झड़ा करती थी..

पर उन दोनो में से किसी की भी हिम्मत नही थी नंदू से सीधी बात करने की क्योंकि वो काफ़ी ग़ुस्सेल किस्म का बंदा था इसलिए सिर्फ उसका नाम ही उनके लिए उत्तेजना को बढ़ाकर अपने जिस्मों को शांत करने का एकमात्र साधन था.

नंदू अपने में ही मस्त रहता था..
अपने पिताजी के देहांत के बाद वो कड़ी मेहनत से , अपनी माँ के साथ मिलकर पूरा दिन खेतो में काम करता ताकि उसकी बहन को पढ़ाई या उनके खान पान में कोई दिक्कत न आये

गुस्से वाला तो वो था ही, और एक दिन नंदू के गुस्से का कहर उन दोनो पर टूट ही पड़ा जब उसने दोनो को कमरे में बंद पाकर निशि के कमरे का दरवाजा पीटना शुरू कर दिया...

अपनी माँ और भाई के घर में होते हुए उन्होने रिस्क तो ले लिया और जब भावनाओ में बहकर दोनो ने दरवाजा बंद करके एक दूसरे के नंगे जिस्मो को चाटना शुरू किया तो नंदू को उनपर शक हो गया की वो दोनो छुपकर कहीं कोई नशा वगैरह तो नही करते...
इसलिए वो ऊपर आया और उसने बेतहाशा दरवाजा पीटना शुरू कर दिया...
हड़बड़ाहट में दोनो ने किसी तरह से अपने-2 कपड़े पहने और दरवाजा खोला ...
नंदू ने पूरा कमरा छान मारा पर उसे ऐसी कोई आपत्तिजनक वस्तु नही दिखाई दी... हालाँकि उसने जमीन पर पड़ी निशि की गीली कच्छी देख ली पर गाँव में रहकर ऐसी हरकत उसकी बहन करेगी इसका उसे विश्वास नहीं था , इसलिए उसका गुस्सा उस वक़्त शांत हो गया , पर आगे से दरवाजा खुला रखकर ही बैठने की हिदायत दी उसने उन दोनों को.

और तब से ही निशि की माँ को भी पिंकी एक आँख नही सुहाती थी...
पिंकी ने भी उनके सामने निशि के घर जाना बंद कर दिया...
पर उनके बीच के जिस्मानी प्यार का सिलसिला वैसे ही चलता रहा ...
छुप-छुपकर ही सही वो एक दूसरे की चूत का मज़ा ले ही लिया करती थी...



और उन्ही दिनों लाला की ठरकी नज़रों को पहचान कर दोनो ने उससे मज़े लेने शुरू कर दिए...
और इस तरह से धीरे-2 उनकी हवस का केंद्र नंदू से हट कर लाला की तरफ हो गया...
और तब से दोनो ने पीछे मुड़कर देखा ही नही..
उसका कारण ये भी था की लाला हमेशा उन्हे देखकर लार टपकाता था और अपनी लच्छेदार बातो से उन्हे अपने जाल में फँसाने के लिए मीठा बोलता रहता था..
और तब से वो जान बूझकर ही सही, लाला के जाल में फँसती चली गयी..

और आज पिंकी ने जब एक बार फिर से नंदू भाई की बात की तो निशि की समझ में आ गया की उसके दिमाग़ में क्या चल रहा है..

पिंकी ने खुद ही सॉफ-2 बोल दिया : "देख निशि ..हम दोनो में से लाला पहले किसे चोदेगा और किसे नही ये हम दोनो को ही डिसाईड करना होगा...और इसके लिए हमे नंदू भैय्या को बीच में लाना होगा, ताकि एक जब लाला से चुदे तो दूसरी को उतनी तकलीफ़ या पछतावा ना हो जितना होनी चाहिए...''

निशि : "यानी, तू चाहती है की मैं लाला से चुद जाऊं और तू नंदू भाई के साथ मज़े ले लेगी...ये तो बिल्कुल पर्फेक्ट रहेगा...यही करते है.''

पिंकी : "ज़्यादा सयानी ना बन....जितनी खुजली तेरी चूत में हो रही है लाला से पहले चुदने की उतनी ही मेरी चूत में भी है...इसलिए ये तो भूल जा की लाला तुझे इतनी आसानी से मिल जाएगा...''

निशि का दिमाग़ घूम गया ये सुनकर...
यानी उसके दिमाग़ में कुछ अलग ही पक रहा था.

पिंकी : "देख..उन दिनों जितना मैं नंदू के बारे में बाते करते हुए तेरी चूत मसलती थी उतना ही तू भी अपने भाई के बारे में सोचकर मेरी चूत चाटा करती थी...है ना..''

निशि ने हाँ में सिर हिलाया

पिंकी : "तो इसलिए हम दोनो टॉस करेंगे...और जीतने वाले को लाला से चुदने का पहला मौका मिलेगा और हारने वाला नंदू से चुदवा लेगा...''
 

Ashokafun30

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निशि का दिमाग़ ही घूम गया...
अपने भाई के बारे में सोचकर अपनी सहेली की चूत चाटना अलग बात थी...
पर उससे सच में चुदाई करवाना अलग बात थी...
ऐसा तो वो सोच ही नही सकती थी.
वो ऐसे बोल रही थी जैसे चुदाई के खेल का IPL शुरू होने वाला हो

पिंकी : "क्या सोच रही है...यही ना की अगर तू टॉस हार गयी तो अपने भाई के साथ तू वो कैसे करेगी..उपर से वो इतना खड़ूस टाइप का है...बात-2 पर गुस्सा भी करता है....पर मेरी जान, है तो वो एक मर्द ही ना...जवान जिस्म तो उसे भी पसंद आएगा...और ये भी तो हो सकता है की तू टॉस जीत जाए और लाला से चुदने का मौका पहले तुझे मिल जाए...और सच कहूं , ऐसे में तेरा भाई अगर दूसरे विकल्प के तौर पर मिलेगा तो मुझे उतनी तकलीफ़ नही होगी जितना की होने वाली थी...आख़िर वो भी एक बांका मर्द है...उपर से जवान भी...और मेरी पहली चाहत भी , दोनो ही सूरत में लाला से चुदने का मौका तो बाद में तुझे भी मिल ही जाएगा और मुझे भी...''

पिंकी अपने दिमाग़ में सारी केल्कुलेशन कर चुकी थी...
यानी दोनो ही सूरत में दोनो के हाथ कुछ ना कुछ आने ही वाला था..



एक पल के लिए तो निशि ने सोचा की बेकार में अपने भाई को बीच में लाने का कोई मतलब नही बनता, पिंकी को ही लाला से पहले चुदने का मौका दे देना चाहिए...बाद में उसका भी नंबर आ ही जाएगा..

पर अंदर ही अंदर उसका मन नंदू का नाम सुनकर ललचा भी रहा था...
ये सच था की वो काफ़ी गुस्से वाला था और थोड़ा खड़ूस भी था,
उसके साथ भी वो सीधे मुँह बात नही करता था पर जब से पिंकी के साथ नंगे होकर उसके बारे में बाते करनी शुरू की थी तब से ही एक अलग ही स्थान बन चुका था अपने भाई के लिए उसके दिल में ...
हालाँकि ये ग़लत था पर इस बात पर उसका कोई बस नही चलता था..

इसलिए उसने अनमने मन से बात मानने का बहाना करते हुए हां कर दी...
पिंकी भी यही चाहती थी क्योंकि अंदर ही अंदर नंदू के लंड से चुदने की भूख उसमे भी थी...
ऐसे में उसका नंबर पहले आये या बाद में, आएगा जरूर ।

और पिंकी ने ये भी सॉफ कर दिया की कोई भी जीते, नंदू से चुदाई करवाने में वो दोनो एक दूसरे की मदद करेंगी..
और वो उसने इसलिए कहा ताकि निशि के बाद नंदू उसे भी चोद सके या फिर उसकी चुदाई के बाद निशि का भाई अपनी बहन की भी चूत बजाए ताकि उसका जो ख़ौफ़ है , वो उनपर हावी ना रहे बाद में.

दोनो ने सब क्लियर कर लिया और फिर निशि ने अपने पर्स से एक रुपय का सिक्का निकाल कर टॉस की...
पिंकी ने हेड माँगा और हेड ही आया...
यानी वो जीत गयी थी और अब लाला के लंड से चुदने का मौका पहले उसे मिला था...
और निशि को अब अपने भाई नंदू से अपनी सील खुलवानी पड़ेगी..

दोनो के मन में अलग-2 तरह की कल्पनाओ के जहाज़ उड़ने लगे...

एक तरफ पिंकी लाला से अपनी चूत का उद्घाटन करवाने के ख़याल से खुश हो रही थी और दूसरी तरफ निशि भी अपने भाई के लंड को अपने अंदर लेने की कल्पना मात्र से गीली हुई जा रही थी...

दोनो को ही पता था की बाद उनके पार्ट्नर्स चेंज भी होंगे...
ऐसे में लाला से चुदने का मौका निशि को भी मिलेगा और पिंकी भी नंदू के लंड से चुदाई करवाकर अपनी कच्ची जवानी के पहले प्यार को पा सकेगी..

पर अब मुद्दा ये था की पहले कौन चुदने के लिए जाएगा...
क्योंकि ये तो पहले ही तय हो चुका था की दोनो में से कोई भी चुदाई के लिए तैयार हो, एक दूसरे का साथ वो दोनो देंगी...

इसलिए एक बार फिर से टॉस हुआ, ये जानने के लिए की पहले पिंकी लाला के पास जाए या निशि अपनी भाई के पास...

और इस बार निशि जीती...
यानी पिंकी को निशि की हेल्प करनी थी अब, उसे अपने भाई से चुदवाने में ...
और बाद में उसे लाला से अपनी चूत मरवानी थी..

लाला से चुदाई करवाने का समय बढ़ता जा रहा था...
लेकिन इस नए एंगल यानी नंदू के आने से दोनो के मन सावन के मोर की तरह नाच रहे थे...
एक नयी उत्तेजना का संचार हो चुका था दोनो की सोच में ...
जो अब चुदाई तक जाकर ही रुकनी थी.

घर पहुँच कर दोनो ने नंदू को पटाने के उपाय सोचने शुरू कर दिए...
और वो उपाय इतने रोमांचक और उत्तेजक थे की उन्हे सोचने मात्र से ही दोनो की चूत गीली होती चली गयी और कुछ ही देर में दोनो एकदम नंगी होकर एक दूसरे के बदन को चूम-चाट रही थी..

पिंकी ने अपनी 2 उंगलियाँ एक साथ निशि की कच्ची फांको के बीच घुसा दी..



निशि : "आआआआआआआआअहह....... भेंन की लौड़ी ...... उम्म्म्मममममममम.... धीरेरए कर....... अपनी उंगली से ही फाड़ डालेगी क्या मेरी चूत की झिल्ली.....''

पिंकी ने उसके मुम्मो को चूसते हुए अपनी उंगली की रफ़्तार तेज कर दी और सिसकारी मारकर बोली : "साली कुतिया ......तेरी ये चूत तो अपने भाई के लंड को लेने की कल्पना मात्र से ही इतनी गीली हुई पड़ी है....ऐसी तो लाला का नाम सुनकर भी नहीं हुई थी आजतक..... लगता है तेरी चूत भी यही चाहती है की तेरे भाई का लंड जल्द से जल्द इसके अंदर घुस जाए....''

निशि : "अहह........ बस कर यार....... नंदू भाई के लंड के बारे में बोलकर तूने पहले से ही मुझे इतना गीला कर दिया है....आज तो इस कमरे में बाढ़ आकर रहेगी...''

और उसके झड़ने की आशंका मात्र से ही पिंकी ने अपनी चूत का मुंह उसकी गीली चूत पर लगा कर उसे रगड़ना शुरू कर दिया, जैसे सच में नंदू उसकी चूत मार रहा हो



और अगले ही पल उसकी चूत से बिना किसी आवाज़ के एक तेज धार निकल कर , अपना बाँध तोड़ती हुई बाहर निकल आयी और पिंकी की चूत रंगहीन पानी से सन कर रह गयी ...

निशि का पूरा शरीर अकड़ गया : "अहह....... नंदू........ डाल दे भाई....मेरी चूत में अपना लौड़ा ....अहह.....''

उसके झड़ने की हालत देखकर ही पिंकी को अंदाज़ा हो रहा था की नंदू का लंड लेते हुए इसका क्या हाल होने वाला है...

उसने उसकी चूत में जीभ ड़ालकर उसका सारा रस चाट लिया



अब तो उन्हे बस अपने बनाए प्लान पर अमल करना था जिसमे फंसकर उस खड़ूस नंदू को अपनी बहन की चुदाई करनी ही पड़ेगी...

अब नंदू की बात कहानी में आई है तो उसके बारे में कुछ बातें बता देता हूँ आपको..
अपने पिता की अचानक मौत से घर की सारी ज़िम्मेदारी नंदू के कंधो पर आ पड़ी थी...
हालाँकि उसमें उसकी माँ ने भी उसका सहयोग किया था पर घर का मर्द होने के नाते नंदू को भी अपनी ज़िम्मेदारियों का अच्छे से एहसास था...
जब तक पिता का साया उसके सर पर था उसे कमाई करने और खेतों के बारे में सोचने की कोई चिंता ही नही थी...
अपने कसरती बदन की वजह से वो पूरे गाँव की लड़कियो में फेमस था...




पर उसका दिल अपनी बहन मीनल की सहेली बिजली पर आया हुआ था...
उसके साथ प्यार की पींगे बढ़नी शुरू ही हुई थी की नंदू के पिता का देहांत हो गया और बाद में बिजली के बदन की आग जो नंदू ने जलाई थी, उसे लाला ने अपने लंड के पानी से बुझाया था.

अपने खेतो और काम के अंदर नंदू इतना डूबा की उसे अब किसी और बात को सोचने - समझने की फ़ुर्सत हि नहीं थी...
अपनी जवान हो रही बहन और विधवा माँ का उसे सहारा बनना था इसलिए उसके मिज़ाज में भी प्यार की जगह कड़वाहट ने ले ली...तभी पिंकी और निशि उसे खड़ूस कहा करती थी.

पर एक मर्द तो आख़िर मर्द ही होता है ना..
इसलिए नंदू को भी उसका लंड बात-बेबात परेशान करता ही रहता था.

और उसे पूरा दिन अपनी माँ के साथ खेतो में रहना पड़ता था इसलिए उसका दिल ना चाहते हुए भी अपनी माँ की तरफ आकर्षित होता चला गया...
और आज आलम ये था की खेतों में काम करते हुए वो अपनी माँ के मांसल शरीर को वो चोर नज़रों से देखकर अपनी आँखे सेका करता था.

नंदू की माँ गोरी की उम्र करीब 42 की थी...
3 बच्चो के बाद भी उसका बदन एकदम कड़क था..
कारण था खेतो में मेहनत भरे काम करना, जो वो अपने पति के साथ भी किया करती थी.
और पति की मृत्यु के बाद तो उसके हरे भरे बदन को चखने वाला भी कोई नही था,
ऐसे में उस कड़क जिस्म की महक जब नंदू तक गयी तो वो अपनी सग़ी माँ के प्रति आकर्षित होने से खुद को नही बचा पाया..
और अक्सर सोते हुए, नहाते हुए या फिर कभी-2 तो खेतो में काम करते हुए भी वो अपने लंड को रगड़ता रहता था.

आज भी कुछ ऐसा ही हो रहा था...
खेतों में उसकी माँ गोरी काम कर रही थी और दूर पेड़ के पीछे , पेशाब करने के बहाने गया हुआ नंदू, अपनी माँ को झुके देखकर, उनकी निकली हुई गांड पर उसकी नजरें थी जिसे देखकर वो मुट्ठ मार रहा था...

''आआआआआहह माआआआआआअ....... क्या गांड है रे तेरी माँsssssss.... उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ....... मन तो कर रहा है की तेरी साड़ी उठा कर अपना लंड पेल दूँ अंदर..... आअह्ह्ह..... क्या रसीले चूतड़ है तेरे माँ .....अपनी जीभ अंदर डालकर सारी मलाई खा जाऊंगा मैं तेरी.....साली कुत्तिया बना कर चोदुँगा इसी खेत में''

अपने लंड को जोरो से पीटते हुए नंदू बदहवासी में अपनी माँ के रसीले बदन को देखकर गालियां बक रहा था

और अचानक उसकी माँ ने पलट कर उसकी तरफ देखा और ज़ोर से आवाज़ लगाकर बोली : "नंदू...ओ नंदू....अब आ भी जेया जल्दी.... कितना टेम लगता है तूझे पेसाब करन में ...खाने का टेम भी हो रहा है...''

वो तो गनीमत थी की नंदू काफ़ी दूर था, वरना वो अपना लंड हिलाता हुआ सॉफ दिख जाता उन्हे...

पर वो भी बड़ा कमीना था,
अपनी माँ को अपनी तरफ देखते पाकर उसके हाथो की गति और तेज हो गयी...
और एक गंदी सी गाली और देते हुए उसके लंड ने ढेर सारा पानी उस पेड़ के मोटे तने पर फेंकना शुरू कर दिया...

''आआआआहह....भेंन की लोड़ी ......तेरी चूत में डालूँगा इस लोड़े का पानी एक दिन....फाड़ डालूँगा तेरी चूत को मैं मांमाआआआआअ....''

और शांत होने के बाद उसने अपने लंड को धोती में वापिस घुसाया और वापिस अपनी माँ की तरफ आ गया और उन्हे पानी से हाथ धुलवाने के लिए कहा.....

और हाथ धुलवाते हुए जैसे ही गोरी की नज़र अपने बेटे के हाथ पर पड़ी, उसके दिल की धड़कन रुक सी गयी...
नंदू के हाथ पर उसके लंड से निकले गाड़े रस की एक लकीर खींची रह गयी थी...
जिसे शायद नंदू ने भी नही देखा था...
वो तो अपनी मुट्ठ मारकर बड़ी शान से वापिस आया और माँ के मोटे मुम्मो को देखते हुए हाथ धुलवाने लगा..

गोरी का शरीर पहले ही वो सब देखकर काँप रहा था,
हाथ धुलवाने के बाद जब उसने नज़रे उठाकर नंदू की तरफ देखा तो उसे अपनी छाती की तरफ घूरते हुए पाया,
धूप में काम करने की वजह से उसका ब्लाउस पूरा गीला हो चुका था, वैसे भी वो उपर के 1-2 हुक खोलकर रखती थी ताकि हवा अंदर जाती रहे...
और उसी वजह से नंदू उन तरबूजो को देखकर अपनी लार टपका रहा था...



ये देखकर गोरी का माथा ठनका ...
और उसने गुस्से से भरकर नंदू से कहा : "कहाँ ध्यान है रे तेरा....चल हाथ धूल गये है, खाना खा ले..''

नंदू का चेहरा एकदम से पीला पड़ गया...
आज पहली बार उसकी माँ ने उसकी चोरी पकड़ी थी..
और अभी तो उसे ये नही पता था की उसकी माँ ने उसके हाथ पर लगा वीर्य भी देख लिया है
वरना एक साथ 2 चोरी पकड़े जाने का बोझ पता नही वो कैसे सह पाता.
 
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Ashokafun30

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अब गोरी भी थोड़ी सतर्क होकर बैठी थी अपने बेटे के सामने...
उसने अपने ब्लाउज़ के दोनो हुक बंद कर लिए ताकि जो अपनी तरफ से अंग प्रदर्शन वो कर रही थी वो तो बंद हो ही जाए...

पर मन ही मन वो इस घटना को देखकर ये सोचने पर ज़रूर मजबूर हो गयी थी की आख़िर उसका सागा बेटा उसे उस नज़र से क्यो देख रहा था...
और उसके हाथ पर लगे उस वीर्य को देखकर वो ये भी समझ ही चुकी थी की इतनी देर तक पेशाब के बहाने वो मुट्ठ ही मार रहा था...
और ये काम तो वो लगभग 2-3 बार करता था दिन में..
यानी हर बार वो जब भी मूतने जाता था तो मुट्ठ मारकर ही आता था वापिस.

हे भगवान...
इन जवान लोंडो में कितनी एनर्जी भरी होती है....
पूरा अपने बाप पर ही गया है ये भी...
वो भी शादी के बाद एक दिन में कम से कम 2 बार तो उसकी चुदाई कर ही दिया करते थे...
कई बार तो अपने खेतों में ही चुदी थी वो अपने पति के लंड से
फिर जैसे-2 बच्चे होते गये उनकी चुदाई का फासला बढ़ता चला गया..
और फिर एक दिन उसके पति जब उन्हे छोड़कर चले गये तो वो सब बंद ही हो गया...
उसने भी अपने बच्चों की खातिर अपनी जवानी की परवाह किए बिना अपना जीवन उनके लिए समर्पित कर दिया...
हालाँकि इस बीच एक दो बार उस ठरकी लाला ने उसपर भी डोरे डालने की कोशिश की थी पर उसका रूखा रवेय्या देखकर लाला ने भी फिर कोई कोशिश नही की...
लाला का सिंपल फंडा था, आती है तो आ वरना अपनी माँ चूदा ।
उसके पास गाँव की कमसिन चुतों की कोई कमी थी भला जो वो 3 बच्चों की माँ पर अपना टेलेंट जाया करता.

और ये सब सोचते-2 उसे जब ये एहसास हुआ की आज भी उसके बदन में किसी को आकर्षित करने की क्षमता है तो उसका दिल पुलकित हो उठा...
पूरा दिन मिट्टी में काम करने के बाद उसकी हालत किसी भूतनी जैसी हो जाती थी...
घर जाकर नहाती, बच्चों के लिए खाना बनाती और गहरी नींद में सो जाती...
यही दिनचर्या रह गयी थी उसकी...
ऐसे में अपनी तरफ आई अपने ही बेटे की इस नज़र ने उसके अंदर एक कोहराम सा मचा दिया था.

खाना खाते हुए वो नंदू को देख रही थी और ना चाहते हुए भी उसकी नज़रे उसकी धोती की तरफ चली गयी और ज़मीन पर बैठने की वजह से उसके लंड का एक हिस्सा भी उसे दिखाई दे गया...
उसने तुरंत अपनी नज़रे फेर ली..
अपने बेटे को ऐसी नज़रो से देखने में उसे आत्मग्लानि का एहसास हो रहा था.

वहीं दूसरी तरफ नंदू भी अपनी माँ के चेहरे को देखकर ये जानने की कोशिश कर रहा था की उनके मन में क्या चल रहा है..
पर अपनी माँ की डांट से उसे ये एहसास ज़रूर हो गया की आगे से उसे सतर्क रहना पड़ेगा..

उसके बाद उसने इस तरह की कोई हरकत नही की और हमेशा की तरह सांझ होते-2 दोनो माँ बेटा घर की तरफ चल दिए.

नंदू के पास एक साइकिल थी, जिसपर बैठकर वो आया-जाया करते थे
अब उनके घर जाने के इस साधन में भी नंदू की एक चाल थी...
वो अपनी माँ को पीछे बैठाकर खेतो में ले जाया करता था...
और जब से उसके मन में अपनी माँ के लिए कपट आया था , तब से उसने उनके मस्त बदन को छूने के नये-2 बहाने ढूँढने शुरू कर दिए थे...
इसलिए उसने बड़ी चालाकी से पीछे बैठने के केरियर को तोड़ दिया, जिसकी वजह से उसकी माँ को साइकल के आगे वाले डंडे पर बैठना पड़ता था...
भरा हुआ शरीर था इसलिए वो फँस कर आती थी आगे की तरफ और साइकल चलाते हुए नंदू की दोनो टांगे उपर नीचे होती हुई अपनी माँ के मांसल जिस्म से रगड़ खाया करती थी...
और सबसे ज़्यादा मज़े तो उसके लंड के थे जो अपनी माँ की कमर के ठीक पीछे चिपक कर उसके गुदाजपन के मज़े लिया करता था...
और घर जाते-2 नंदू के लंड की हालत ऐसी हो जाती थी जैसे उसने धोती में कोई रॉकेट छुपा रखा हो...
उपर से नंदू अपनी माँ के ब्लाउज़ में झाँककर उन हिलते हुए मुम्मो को देखकर भी मज़ा लिया करता था.

पर आज गोरी को आगे बैठने में थोड़ी सकुचाहत हो रही थी लेकिन कोई और चारा भी नही था...
इसलिए वो बैठी और वो दोनो घर की तरफ चल दिए...
रास्ते भर वही होता रहा जो रोज हुआ करता था...
पर आज गोरी की अपने बेटे की हरकतों पर कड़ी नज़र थी...
इसलिए आधे रास्ते बाद जब उसकी कमर पर उसे नंदू के लंड की चुभन महसूस हुई तो उसका शक यकीन में बदल गया की उसका बेटा उसके बदन का दीवाना है.

घर पहुँचकर वो सीधा अपने कमरे में गयी और अपने कपड़े उतार कर बाथरूम में घुस कर नहाने लगी...
नहाते हुए उसके जहन में नंदू की सारी हरकतें चलचित्र की भाँति चल रही थी...
उसे दिख रहा था की कैसे वो पेड़ के नीचे खड़ा होकर मुट्ठ मार रहा है और खेतो में काम करते हुए उसके बदन को अपनी भूखी नज़रो से देख रहा है...
साइकल पर बैठकर उपर से उसके हिलते हुए मुम्मे देख रहा है.

उफफफफ्फ़.....
वो फिर से अपने बेटे के बारे में गंदे विचार ले आई थी...
सुबह तो उसने सोचा था की ऐसी कोई भी बात अपने मन में नही लाएगी और ज़रूरत पड़ी तो नंदू को भी कठोर शब्दो से समझा देगी की अपनी माँ के प्रति ऐसी भावना रखना सही नही है...

पर ये भी तो हो सकता है की वो सारा उसका वहम हो...
हो सकता है की वो किसी और के बारे में सोचकर ये सब करता हो और अपनी माँ को उस नज़र से देखना संयोग मात्र ही हो.

उसने मन में सोचा की काश ऐसा ही हो, यही उन माँ बेटे के संबंधो के लिए सही रहेगा..

उधर नंदू बाहर खाट पर बैठा अपनी माँ के ही विचारो में खोया हुआ था की उसकी बहन निशि अंदर आई...

उस भोले को भला क्या पता था की आज उसकी बहन के मन में उसके लिए क्या चल रहा है...
करीब 2 घंटे तक पिंकी के घर बैठकर उसने अपने भाई को आकर्षित करने के नये-2 तरीके ईजाद किए थे...
और वो इतने उत्तेजक थे की उन्हे सोचकर ही उसकी चूत में पानी भर आया था...
उन्हे जब वो अमल करेगी तो उसका क्या हाल होने वाला था ये तो सिर्फ़ वही जानती थी...
पर आज से वो इस जंग का आगाज़ ज़रूर कर देना चाहती थी.

इसलिए वो लंगड़ाती हुई सी घर पर आई, ये लंगड़ाना उसकी चाल का एक हिस्सा था.

नंदू ने जब उसे ऐसे चलते हुए देखा तो वो घबरा कर उसके करीब आया और उसे अपनी बाँहों का सहारा देकर अंदर ले आया...

नंदू : "अर्रे...ये क्या हुआ निशि ..कहीं चोट लगी है क्या...कैसे हुआ ये ....''

उसके चेहरे पर आई उसके लिए घबराहट सॉफ देखी जा सकती थी...
वो अपनी बहन से बहुत प्यार करता था...
इसका एहसास निशि को भी था.

निशि : "कुछ नही भैय्या ..वो पिंकी के घर से आते हुए पैर मुड़ गया एक गड्डे में जाकर....हाय ...सही से चला भी नही जा रहा ....''

नंदू ने उसे लाकर खटिया पर बिठाया और नीचे झुककर उसके पैर का मुआयना करने लगा...
उसने एक घाघरा पहना हुआ था, जिसे उपर करते ही उसकी गोरी पिंडलियाँ उसके सामने आ गयी जो एकदम भर चुकी थी...
नंदू भी उसकी भरी हुई टांगे देखकर हैरान था की कब और कैसे उसकी छोटी बहन इतनी बड़ी हो गयी है...
उसकी पिंडलियाँ ऐसी है तो उसकी जांघे कैसी होगी....
शायद माँ जैसी मांसल होंगी वो भी...
या हो ही जाएँगी..
आख़िर है तो उन्ही की बेटी ना.

यानी अपनी बहन के माध्यम से भी वो अपनी माँ को ही इमेजीन कर रहा था...
और अभी तक अपनी बहन के लिए उसके मन में कोई बुरा विचार नही था...
और इन विचारो को निशि जल्द ही बदलने वाली थी.

नंदू ने उसकी पिंडली को अच्छे से देखा पर उसे कुछ ख़ास दिखाई नही दिया...
कुछ हुआ होता तो दिखता ना...
निशि ने उसे अंदरूनी मोच कहकर अंदर दर्द होने का बहाना बनाया...
नंदू ने जब कहा की वो उसे डॉक्टर के पास ले चलता है तो वो एकदम से बोली : "नही नही...डॉक्टर के पास नही...उसे तो कुछ नही आता...बस हर बात पर पिछवाड़े पर सुई लगा देता है....''

नंदू उसकी बच्चो वाली बात सुनकर हंस दिया...
और बोला : "अब तू बड़ी हो गयी है निशि ..अब तेरे पिछवाड़े पर नही बल्कि हाथ में लगेगी सुई...और ये मोच है कोई चोट नही जो तुझे टीका लगाना पड़े डॉक्टर को...कोई गोली दे देगा तो दर्द में आराम आ जाएगा ना...''

निशि अपने चेहरे पर क्यूट सी स्माइल लाते हुए बोली : "ना भाई ना....मुझे नही जाना डॉक्टर के पास और ना ही कोई गोली खानी है...बस रात को मालिश करवा लूँगी, वही बहुत है...कल तक ठीक हो जानी है ...''



तब तक उनकी माँ गोरी भी नहा धोकर आ गयी...
नंदू को अपनी बहन के पैरो में बैठा देखकर वो भी चिंतित हो गयी...
नंदू ने उन्हे सारी बात सुना डाली...माँ ने भी डॉक्टर के पास चलने को कहा पर निशि ने मना कर दिया
गोरी भागकर दूध गर्म कर लाई और उसमें हल्दी डालकर निशि को दिया...बेचारी ने बड़ी मुश्किल से उसे पिया.

रात का खाना खाने के बाद जब वो अपने उपर वाले कमरे में जाने लगी तो नंदू ने उससे कहा की वो नीचे ही सो जाए पर उसने यही बहाना बनाया की उसे अपने बिस्तर के सिवा कही और नींद नही आती...

माँ अंदर बर्तन धो रही थी, इसलिए उसने नंदू से कहा की हो सके तो वो उसे उपर तक उठा कर ले जाए.
नंदू के लिए ये कोई मुश्किल काम नही था...
पर अभी कुछ देर पहले ही उसे निशि की जवानी का एहसास हुआ था इसलिए वो थोड़ा सकुचा भी रहा था...
निशि ने भी विनती करी की वो प्लीज़ उसे उपर तक उठा कर ले जाए वरना माँ देखेगी तो गुस्सा करेगी की अब वो छोटे नही रहे ...

नंदू जानता था की माँ ऐसा करने से मना करेगी और गुस्सा भी होगी...
इसलिए उनके बाहर आने से पहले ही उसने झट्ट से निशि के फूल जैसे बदन को अपनी बाँहों में उठाया और उपर चल दिया...
उसके नन्हे संतरे उसकी छाती में शूल की तरह चुभ रहे थे पर उसने उनकी तरफ कुछ ख़ास ध्यान नही दिया...
पर उसकी जाँघो को पकड़ कर उसने जरूर जान लिया की वो सच में काफ़ी भर चुकी है.

उसे बिस्तर पर लिटाकर जब वो जाने लगा तो निशि ने बड़े प्यार से उसे थेंक्स और बोली : "भाई...आप माँ के सोने के बाद प्लीज़ उपर आकर मेरी मालिश कर देना ...बहुत दर्द हो रहा है ... माँ को बोलूँगी तो वो ज़बरदस्ती मुझे डॉक्टर के पास भेज देंगी...और वहां मुझे जाना नही है...''

नंदू ने उसे मुस्कुराते हुए आश्वासन दिया की ठीक है वो आ जाएगा रात को.

और उसके बाद वो नीचे चला गया...

और निशि मन ही मन अपनी योजना के पहले चरण को साकार होते देखकर खुश हो रही थी.

आज की रात उसे नंदू को अपने हुस्न का दीवाना बना देना था,
यही प्लानिंग की थी उसने और पिंकी ने मिल कर...
और नंदू के हाव भाव देखकर इतना तो वो जान ही चुकी थी की मर्द चाहे कोई भी हो, भाई हो या बाप, हुस्न के आगे उसे झुकना ही पड़ता है...
तभी तो उसका ये खड़ूस भाई इतने प्यार से उसके साथ बर्ताव कर रहा था.

अब वो रात की तैय्यारी करने लगी...
आज कुछ ख़ास होने वाला था उसके कमरे में.

यहाँ निशि के दिमाग़ में नंदू चल रहा था तो नीचे नंदू के दिमाग़ में माँ के साथ-2 अब निशि के ख़याल भी आ-जा रहे थे...
और उधर उनकी माँ गोरी भी ना चाहते हुए फिर से अपने बेटे की बाते सोचने लगी थी सोते हुए...
एक ही दिन में घर के तीनो सदस्यो के दिल में एक दूसरे के लिए गंदे विचारो का निर्माण शुरू हो चुका था...
जो आगे चलकर सबको मजा देने वाला था.
 
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