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Erotica हरामी साहूकार

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स्कूल में पिंकी और निशि का ज़्यादा मन तो लग नही रहा था,
इसलिए स्कूल के बाद उन्होने अपनी योजना अनुसार लाला की दुकान पर जाने का फ़ैसला किया...

अब वो दोनो भला क्या जानती थी की आज लाला के पास नाज़िया भी है और उसकी माँ भी
जो अपनी बेटी की फ़िक्र में वहां पहुँच रही थी...

कुल मिलाकर अजीब स्थिति उत्पन होने वाली थी आज लाला की दुकान पर...

**************
अब आगे
*************

शबाना लगभग भागती हुई सी लाला की दुकान पर पहुँची,
लाला ने दूर से उस भरंवा शरीर की मालकिन को अपने मुम्मे हिलाकर, भागकर अपनी दुकान की तरफ आते देखा तो वो कमीना मन ही मन मुस्कुरा उठा , और बोला : "लो आ गयी बकरी की माँ , अपने मेमने को बचाने....''



दुकान पर पहुँचते ही उसने लाला पर अपना सवाल दागा : "लाला....वो...वो...नाज़िया आई थी क्या....''

लाला अपनी कुटिल मुस्कान के साथ अपने लंड को रगड़ता हुआ बोला : "आई तो थी...और लाला को नाश्ता करवाकर चली भी गयी...''

शबाना ने मन में सोचा यानी उसका अंदाज़ा सही निकला, लाला ने उसकी फूल सी बच्ची को सुबह -2 ही चोद डाला.

शबाना समझ गयी की लाला उसके साथ पंगे ले रहा है....
वो गिड़गिडाई : "लाला....देख...वो वो बच्ची है....उसपर ज़्यादा ज़ुल्म ना कर....स्कूल भी जाना है उसको....बता ना....कहाँ है वो...''

लाला को सही मे उसके साथ पंगे लेने में मज़ा आ रहा था....
इसलिए वो बोला : "स्कूल का टाइम तो अब वैसे भी निकल चुका है...अब एक दिन के लिए उसे जिंदगी का लुत्फ़ उठाने दे, तुझे क्या परेशानी है इसमें ...''

शबाना अब तक ये तो समझ ही चुकी थी की वो अंदर लाला के गोडाउन में ही है... वही गोडाउन जहाँ उसने अनगिनत बार अपनी चूत मरवाई थी लाला से

पर लाला का इतना ख़ौफ़ तो था ही उसके अंदर की वो उसकी इजाज़त के बिना अंदर नही जा सकती थी...

वो फिर से बोली : "देख लाला....उसे अब जाने दे...तुझे जो करना है , मेरे साथ कर ले...पर उसे जाने दे अब...''

वो भी जानती थी की उसकी फूल जैसी बच्ची लाला के लंड को 2-3 बार नही ले पाएगी....
इसलिए एक बेचारी माँ ने अपने आप को उसके सुपुर्द करने का निर्णय ले लिया था...
पर उस निर्णय के पीछे उसकी खुद की गीली चूत का भी बहुत बड़ा हाथ था,
जो लाला से चुदने के लिए सुबह से ही मचल उठी थी,
ये सोचकर की उसके होते हुए लाला भला उसकी बेटी के पीछे ही क्यो पड़ा रहे...
सिर्फ़ माँ का प्यार ही सब कुछ नही होता,
ईर्ष्या नाम की भी कोई चीज़ होती है इस दुनिया में.

लाला तो पहले से ही जानता था की शबाना जैसी चुदक़्कड़ को अपनी बेटी को बचाने से ज़्यादा खुद की मरवाने में रूचि है...
और आज वो इस बात को जांच परख कर उसे भी बता देना चाहता था ताकि वो अपनी इस तरह की चालाकियाँ अपने जज्बातों की आड़ लेकर ना दिखाए..

वो बोला : "एक शर्त पर मैं उसे जाने दे सकता हूँ ....अगर तू वो सब करे जो मैं कहूँगा...''

वो तो पहले से ही एकदम से तैयार थी...
इसलिए लाला की बात सुनते ही झट्ट से बोली : "हाँ लाला....तू जो कहेगा, मैं वही करूँगी....''

लाला ने उसके मांसल शरीर को उपर से नीचे तक निहारा और बोला : "मुझे तेरे ये मोटे मुम्मे देखने है....अभी ....यहीं ....इसी वक़्त''

लाला की बात सुनते ही उसके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी...
ये लाला किस तरह का खेल खेल रहा है उसके साथ...
वो उसकी दूध की टँकिया देखना चाहता है और वो भी इस तरह से खुल्ले आम....
हालाँकि उस वक़्त दुकान पर कोई ग्राहक भी नही था, पर गली में आने जाने वाले लोग तो थे ही...
उसने अगर ऐसा कुछ भी किया तो दुकान पर उसके हुस्न को देखने वालो की भीड़ लग जानी थी...

शबाना : "लाला....ये...ये क्या कह रहा है तू.....तुझे जो देखना है, अंदर चल कर देख ले ना....उपर से क्या, नीचे से भी...पूरी नंगी हो जाउंगी तेरे लिए तो मैं ....''

लाला गुर्राया : "जो बोला है वो कर...वरना सीधा घर चली जा ...शाम तक तेरी बेटी भी घर पहुँच जाएगी....''

शबाना लाला के इस रूप को देखकर समझ गयी की उससे बहस करना बेकार है....
या तो वो उसकी बात मान ले या वापिस घर चली जाए...

उसने डरते-2 इधर उधर देखा और फिर अपने सूट को धीरे -2 उपर करने लगी...
पहले उसका नंगा पेट दिखा और फिर उसके मोटे मुम्मे जो खरबूजे की तरह गुलाबी थे , बाहर आने को आतुर हो रहे थे...



लाला की धोती में भी लैंटर लग गया और उसका रामलाल कड़क होकर खंबा बनकर खड़ा हो गया.

चाहे जो भी कह लो, इस उम्र में भी इसके हुस्न को देखकर लाला हमेशा उसका दीवाना बन ही जाता था..

लाला : "वाह .....तेरे कड़क निप्पलों को देखकर लग रहा है की तेरी चूत में भी आज भयंकर आग लगी है....अब एक काम कर, सीधा भागती हुई अंदर जा और अंदर पहुँचने से पहले अपने कपड़े उतार कर नंगी हो जा, मैं बस एक मिनट में आया....''



लाला सच ही तो कह रहा था....
एक तो पहले ही उसकी चूत की आग उसे वहां तक ले आई थी,
उपर से लाला की ये हरकतें उसे और भी ज़्यादा उत्तेजित कर रही थी....
शुरू से ही वो अपने आप को एक नंबर की रंडी समझती थी, और सच में उसे लाला की ये बातें मानकर वो गंदे काम करने में कुछ ज़्यादा ही मज़े आ रहे थे...
ऐसा करते हुए उसे इस बात की भी चिंता नही थी की गली के जमादार ने भी उसके हुस्न के दीदार कर लिए है...
वो भी लाला के हरामीपन से वाकिफ़ था, इसलिए अपने लंड को मसलते हुए वो लाला की किस्मत की दाद देता हुआ अपनी आँखे सेंकता रहा...

लाला ने जब उसे अंदर जाने को कहा तो एक पल के लिए वो ये भी भूल गयी की वो वहां करने क्या आई थी,
अपनी बेटी के बारे में बिल्कुल भूल चुकी थी वो इस वक़्त और लाला की बात मानकर अपने कपड़े उतारकर रास्ते में फेंकती हुई सी वो अंदर आ गयी, वहां पहुँचते-2 उसने अपना आख़िरी कपड़ा यानी कच्छी भी उतार फेंकी...

हमेशा की तरह अंदर घुपप अंधेरा था,
बाहर की रोशनी से अंदर आई शबाना को तो अंदर का कुछ दिखाई ही नही दिया पर अंदर ज़मीन पर नंगी लेटी नाज़िया ने अपनी अम्मी को नंगा होकर अंदर आते हुए ज़रूर देख लिया..

वो उतनी हैरान नही हुई जितना एक बेटी को अपनी माँ को नंगा देखकर होना चाहिए था,
उसे तो पहले से ही पता था की उसकी माँ उसे ढूँढते हुए वहां ज़रूर आएगी और लाला से उसके संबंध भी नाज़िया से छुपे हुए नही थे, इसलिए भी वो अपनी माँ को गोडाउन में देखकर हैरान नही हुई....
पर लाला ने उसे नंगा होकर अंदर आने को मजबूर कर दिया इस बात पर उसे थोड़ी बहुत हैरानी ज़रूर हुई...
क्योंकि लाला को अच्छे से पता था की नाज़िया अंदर ही है तो ऐसे में अम्मी को अंदर भेजने का क्या मतलब है...

कुछ ही देर में लाला भी अंदर आ गया....
तब तक शबाना को भी शायद ये एहसास हो चुका था की वो वहां किसलिए आई थी...
पर अब तो काफ़ी देर हो चुकी थी, अपनी उत्तेजना के मारे वो नंगी ही अंदर आ चुकी थी और जब उसकी आँखे अंधेरे में देखने को अभ्यस्त हुई तो सामने अपनी नंगी बेटी को लेटे देखकर उसे शर्म का एहसास हुआ...
और इसी बीच लाला भी अंदर आ गया और उसने भी अपनी धोती निकाल फेंकी...

कभी वो अपनी बेटी को देखती तो कभी लाला के अकड़ रहे लंड को....
बेचारी असमंजस में थी की बेटी को घर जाने को कहे या लाला के लंड को अंदर ले...

लाला तो पूरी प्लानिंग कर चुका था की अब माँ बेटी के साथ क्या करना है...
इसलिए अपने लंड को सहलाता हुआ वो बोला : "देख क्या रही है शबाना....चल इधर आ....चूस इसे...''
 

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शबाना ने अपनी बेटी की तरफ देखा तो लाला बोला : "उसकी फ़िक्र ना कर...वो अपने हिस्से का नाश्ता कर चुकी है....अब तेरी बारी है....आजा ...''

लाला अपनी उम्र के बावजूद एक के बाद दूसरी चुदाई का रिस्क ले रहा था और वो भी ऐसी मलाईदार चूत देखकर....

भले ही वो शबाना की चूत कई बार मार चुका था,
और उसकी चूत एक बार फिर से, उसी की बेटी के सामने, मारने का मज़ा वो खोना नही चाहता था...

शबाना को लाला की आँखो का ख़ौफ़ था, इसलिए वो चुपचाप उसके सामने आकर बैठ गयी और उसके लंड को सहलाने लगी....
धीरे-2 उसने लाला के लंड को चूसना शुरू कर दिया....
और फिर कुछ देर बाद अपनी गीली जीभ से उसे सहलाया भी....
और अंत में धीरे-2 करके लाला के लंड के सुपाड़े को मुँह में लेकर उसे चूसना शुरू कर दिया....
और फिर पूरा निगल कर आइस्क्रीम की तरह चूस गयी..



लाला ने कराहते हुए नाज़िया से कहा : "अह्ह्ह्हह्हह, तू वहां लेटी क्या कर रही है री....यहाँ आकर कुछ सीख अपनी माँ से....कैसे खुश करते है एक मर्द को....''

नाज़िया भी लाला की बात मानकर उसके सामने आकर बैठ गयी...
और बड़े ही चाव से अपनी माँ को लाला के लंड को चूसते हुए देखने लगी....
उसे तो अब ये एहसास हो रहा था की उसने स्कूल मिस किया ही नही है,
स्कूल में तो मेडम हिन्दी या इंग्लीश ही सिखाती , पर यहाँ जो सीखने को मिल रहा है वो पूरी जिंदगी काम आने वाला था...

वो अपनी माँ के जादुई होंठो का कमाल देखकर सच में कुछ नया सीख चुकी थी,
जो वो अगली बार लाला पर ट्राइ करने वाली थी..

कुछ ही देर में लाला का लंड पहले जैसा बड़ा हो गया...

सच मे शबाना की चुसाई में जादू था...

लाला ने अपने गीले लॅंड को पकड़ कर नाज़िया की तरफ लहराया और बोला : "चल...तू भी दिखा, क्या सीखा तूने अपनी माँ से....''

एक पल के लिए तो शबाना की झाँटे सुलग गयी....
उसी के सामने लाला किस बेशर्मी से उसकी बेटी से लंड चूसने को कह रहा है...

पर इस बात से बेटी को कोई फ़र्क नही पड़ रहा था, वो तो चहकति चिड़िया की तरह उछल कर लाला के सामने जा कर बैठ गयी और उसके लार से भीगे लंड को मुँह में लेकर उनके सुपाडे को चूसने लगी...

वो ठीक वैसे ही चूसने का प्रयास कर रही थी जैसा उसकी माँ ने चूसा था कुछ देर पहले....



धीरे -2 और दांतो का हल्का प्रयोग करते हुए...उस मोठे लंड को अंदर निगलने लगी

लाला ने भी सिसकारी मारते हुए उसकी तारीफ में 4 शब्द कह ही डाले...

''ओह भेंन चोद ..., मज़ा आ गया ...''



लंड तो लाला का पहले से ही कड़क था,
इसलिए चूत में घुसने में उसे अब कोई दिक्कत नही होने वाली थी...

शबाना अपनी चूत मसलती हुई लाला के लंड को अंदर लेने की तैयारी कर रही थी
पर हुआ उसके बिल्कुल विपरीत ही...

लाला ने हल्की फुल्की नाज़िया को उठा कर बोरी पर पटका और उसकी जांघे फेला कर अपना रामलाल उसकी चूत के अंदर पेल दिया..



''आआआआआआआआआआआआआहह उम्म्म्मममममममममममममम..... लालाजी........ सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स .... मजाआाआआ आआआआआआआआआ गय्ाआआआआआ''

आता भी क्यो नही भला....

उसे तो उम्मीद भी नही थी की उसकी माँ के होते हुए लाला का लंड एक बार फिर से उसकी चूत में जाएगा...
और वैसे भी जवान चूत को तो जितनी बार लंड मिल जाए, उसके लिए उतना कम है...

वहीँ दूसरी तरफ शबाना जो पहले से किलस रही थी, उसका चेहरा देखने लायक था....
वो भी सोच रही थी की लाला उसे चोदने के लिए अंदर लाया है या उसे अपनी बेटी की चुदाई दिखाने के लिए...
उसे लाला पर इतना गुस्सा आ रहा था की मन तो उसका कर रहा था की उसके लंड को मुँह में लेकर ज़ोर से काट डाले...
और अपनी बेटी की नंगी गांड पर भी जी भरकर डंडे बरसाए
क्योंकि उसके हिस्से की चुदाई पर उसने सरेआम डाका जो डाल दिया था...

और दूसरी तरफ नाज़िआ किसी रंडी की तरह अपनी टाँगे फैला कर लाला के लंड का मजा ले रही थी



पर लाला जानता था की उसे क्या करना है..
कुछ देर तक नाज़िया की चूत में लंड पेलने के बाद उसने लंड निकाल लिया और शबाना को देखकर बोला : "चल आजा अब तू....तेरी चूत में भी देखु कितनी गर्मी है आज...''

लाला की ये बात सुनकर शबाना का चेहरा खिल उठा...
वरना बेचारी की चूत से पानी टपकना तो उसी वक़्त बंद हो चुका था जब लाला ने उसके बदले नाज़िया की चूत में लंड डाला था...

उसके मुँह से निकला लंड उसकी बेटी की चूत में गया था और अब उसकी बेटी की चूत से निकला लंड उसके अंदर जाएगा..

पर लाला ने यहाँ भी ट्विस्ट दे दिया....

नाज़िया को उसने उस बोरी से उठने नही दिया,
उपर से उसकी माँ को घोड़ी बना कर उसी के उपर लिटा दिया...
अब दोनो माँ बेटियां एक दूसरे से नंगी चिपकी पड़ी थी और लाला ने पीछे से शबाना की टांगे फेला कर अपना लंड उसकी चूत में पीछे से डाल दिया...

बेचारी घोड़ी की तरह हिनहीना उठी जब लाला का घोड़े जैसा लंड उसकी बुर में गया...



''आआआआआआआआआआआअहह उम्म्म्मममममममममममममम..... लालाजी........ हर बार जब भी ये अंदर जाता है, एक अलग ही एहसास होता है.....अहह....... पेलो ज़ोर से लालाजी..... फाड़ दो मेरी बुर को आअज....... अहह''

लाला ने उस घोड़ी बनी शबाना की चोटियां पकड़ कर जोरों से उसे चोदना शुरू कर दिया....
लाला के हर झटके से उसका भरा हुआ शरीर नाज़िया के नंगे जिस्म से रगड़ खाकर उसे और भी ज़्यादा उत्तेजित कर रहा था....
नाज़िया से जब सहन नही हुआ तो उसने अपनी माँ के झूल रहे मुम्मो को पकड़ कर चूसना शुरू कर दिया...
एक बार फिर से बचपन का एहसास हुआ उसे जब वो इसी तरह अपनी माँ का दूध पिया करती थी...
पर अब दूध तो नही बल्कि उन निप्पलों में से एक अलग ही तरह की मिठास निकल रही थी,
जिसे पीकर उसे सच में बड़ा मज़ा आ रहा था...
नीचे से उसकी चूत वाले हिस्से पर माँ की चूत का दबाव भी पड़ रहा था, जिसके अंदर लाला का लंड घुसकर कोहराम मचा रहा था....नाज़िआ भी खिसककर अपनी अम्मी की चूत तक पहुँच चुकी थी, और अपने रसीले होंठों से वो उनकी उस लंड खाती चूत को चूसने लगी



अपनी चूत पर अम्मी की चूत का दबाव और उसके अंदर लाला के लंड की चुभन पाकर वो भी जोरों से चिपक कर अपनी माँ के साथ-2 चीखें मारने लगी..

''आअहहह अम्म्म्मी........ मज़ा आ गया...... उफफफफफफफफफफफफफ्फ़........ क्या मीठास है तुम्हारे मुम्मो में अम्मी.....मज़ा आ गया.....अहह...... चोदो लाला....मेरी अम्मी को जोरों से चोदो ..... बुझा दो इनकी चूत की सारी प्यास लाला...... ज़ोर से पेलो इनको......''

और लाला भी चने खाए घोड़े की तरह , फुफ्काररता हुआ उनके उपर चड़कर दोनो माँ बेटियों को मज़ा देता हुआ दौड़ता चला जा रहा था...

और अंत में दोनो की चीखों और माहौल की गर्मी ने उसके लंड को 2 घंटे में दूसरी बार झड़ने पर मजबूर कर दिया....

वो ज़ोर-2 से चीखे मारता हुआ अपने लंड का पानी शबाना की बुर में उड़ेलता हुआ झड़ने लगा

''आआआआआआआआआआअहह मादरचोदनियों ........ साली कुतियों ....... ले..... ले मेरे लंड का पानी.....बुझा ले अपनी प्यास......अहह.....''

और पूरा पानी अंदर उड़ेलने के बाद उसने शबाना की गांड को पकड़ कर ज़ोर से दबा दिया ताकि बाहर निकलते हुए लंड की आख़िरी बूँद भी अंदर ही रह जाए....

और फिर अपनी चारपाई पर गिरकर जोरों से हाफने लगा...

शबाना तो वही ज़मीन पर ही गिर पड़ी,
उसकी टाँगो में तो जान ही नही रह गयी थी झड़ने के बाद
और लाला से चुदाई करवाने के बाद...

नाज़िया झट्ट से खिसककर अपनी अम्मी की टाँगो के बीच पहुँच गयी और गली की कुतिया की तरह चूत के पानी को पीकर अपनी प्यास बुझाने लगी...

लाला अपने हरामीपन पर मुस्कुराए जा रहा था...

पर उसे नही पता था की उसकी हँसी थोड़ी ही देर में एक बड़ी परेशानी में बदलने वाली है,
क्योंकि पिंकी और निशि अपने स्कूल से निकल चुकी थी...
लाला की दुकान की तरफ.
 

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स्कूल में पिंकी और निशि का ज़्यादा मन तो लग नही रहा था,
इसलिए स्कूल के बाद उन्होने अपनी योजना अनुसार लाला की दुकान पर जाने का फ़ैसला किया...

अब वो दोनो भला क्या जानती थी की आज लाला के पास नाज़िया भी है और उसकी माँ भी
जो अपनी बेटी की फ़िक्र में वहां पहुँच रही थी...

कुल मिलाकर अजीब स्थिति उत्पन होने वाली थी आज लाला की दुकान पर...

**************
अब आगे
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शबाना लगभग भागती हुई सी लाला की दुकान पर पहुँची,
लाला ने दूर से उस भरंवा शरीर की मालकिन को अपने मुम्मे हिलाकर, भागकर अपनी दुकान की तरफ आते देखा तो वो कमीना मन ही मन मुस्कुरा उठा , और बोला : "लो आ गयी बकरी की माँ , अपने मेमने को बचाने....''



दुकान पर पहुँचते ही उसने लाला पर अपना सवाल दागा : "लाला....वो...वो...नाज़िया आई थी क्या....''

लाला अपनी कुटिल मुस्कान के साथ अपने लंड को रगड़ता हुआ बोला : "आई तो थी...और लाला को नाश्ता करवाकर चली भी गयी...''

शबाना ने मन में सोचा यानी उसका अंदाज़ा सही निकला, लाला ने उसकी फूल सी बच्ची को सुबह -2 ही चोद डाला.

शबाना समझ गयी की लाला उसके साथ पंगे ले रहा है....
वो गिड़गिडाई : "लाला....देख...वो वो बच्ची है....उसपर ज़्यादा ज़ुल्म ना कर....स्कूल भी जाना है उसको....बता ना....कहाँ है वो...''

लाला को सही मे उसके साथ पंगे लेने में मज़ा आ रहा था....
इसलिए वो बोला : "स्कूल का टाइम तो अब वैसे भी निकल चुका है...अब एक दिन के लिए उसे जिंदगी का लुत्फ़ उठाने दे, तुझे क्या परेशानी है इसमें ...''

शबाना अब तक ये तो समझ ही चुकी थी की वो अंदर लाला के गोडाउन में ही है... वही गोडाउन जहाँ उसने अनगिनत बार अपनी चूत मरवाई थी लाला से

पर लाला का इतना ख़ौफ़ तो था ही उसके अंदर की वो उसकी इजाज़त के बिना अंदर नही जा सकती थी...

वो फिर से बोली : "देख लाला....उसे अब जाने दे...तुझे जो करना है , मेरे साथ कर ले...पर उसे जाने दे अब...''

वो भी जानती थी की उसकी फूल जैसी बच्ची लाला के लंड को 2-3 बार नही ले पाएगी....
इसलिए एक बेचारी माँ ने अपने आप को उसके सुपुर्द करने का निर्णय ले लिया था...
पर उस निर्णय के पीछे उसकी खुद की गीली चूत का भी बहुत बड़ा हाथ था,
जो लाला से चुदने के लिए सुबह से ही मचल उठी थी,
ये सोचकर की उसके होते हुए लाला भला उसकी बेटी के पीछे ही क्यो पड़ा रहे...
सिर्फ़ माँ का प्यार ही सब कुछ नही होता,
ईर्ष्या नाम की भी कोई चीज़ होती है इस दुनिया में.

लाला तो पहले से ही जानता था की शबाना जैसी चुदक़्कड़ को अपनी बेटी को बचाने से ज़्यादा खुद की मरवाने में रूचि है...
और आज वो इस बात को जांच परख कर उसे भी बता देना चाहता था ताकि वो अपनी इस तरह की चालाकियाँ अपने जज्बातों की आड़ लेकर ना दिखाए..

वो बोला : "एक शर्त पर मैं उसे जाने दे सकता हूँ ....अगर तू वो सब करे जो मैं कहूँगा...''

वो तो पहले से ही एकदम से तैयार थी...
इसलिए लाला की बात सुनते ही झट्ट से बोली : "हाँ लाला....तू जो कहेगा, मैं वही करूँगी....''

लाला ने उसके मांसल शरीर को उपर से नीचे तक निहारा और बोला : "मुझे तेरे ये मोटे मुम्मे देखने है....अभी ....यहीं ....इसी वक़्त''

लाला की बात सुनते ही उसके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी...
ये लाला किस तरह का खेल खेल रहा है उसके साथ...
वो उसकी दूध की टँकिया देखना चाहता है और वो भी इस तरह से खुल्ले आम....
हालाँकि उस वक़्त दुकान पर कोई ग्राहक भी नही था, पर गली में आने जाने वाले लोग तो थे ही...
उसने अगर ऐसा कुछ भी किया तो दुकान पर उसके हुस्न को देखने वालो की भीड़ लग जानी थी...

शबाना : "लाला....ये...ये क्या कह रहा है तू.....तुझे जो देखना है, अंदर चल कर देख ले ना....उपर से क्या, नीचे से भी...पूरी नंगी हो जाउंगी तेरे लिए तो मैं ....''

लाला गुर्राया : "जो बोला है वो कर...वरना सीधा घर चली जा ...शाम तक तेरी बेटी भी घर पहुँच जाएगी....''

शबाना लाला के इस रूप को देखकर समझ गयी की उससे बहस करना बेकार है....
या तो वो उसकी बात मान ले या वापिस घर चली जाए...

उसने डरते-2 इधर उधर देखा और फिर अपने सूट को धीरे -2 उपर करने लगी...
पहले उसका नंगा पेट दिखा और फिर उसके मोटे मुम्मे जो खरबूजे की तरह गुलाबी थे , बाहर आने को आतुर हो रहे थे...



लाला की धोती में भी लैंटर लग गया और उसका रामलाल कड़क होकर खंबा बनकर खड़ा हो गया.

चाहे जो भी कह लो, इस उम्र में भी इसके हुस्न को देखकर लाला हमेशा उसका दीवाना बन ही जाता था..

लाला : "वाह .....तेरे कड़क निप्पलों को देखकर लग रहा है की तेरी चूत में भी आज भयंकर आग लगी है....अब एक काम कर, सीधा भागती हुई अंदर जा और अंदर पहुँचने से पहले अपने कपड़े उतार कर नंगी हो जा, मैं बस एक मिनट में आया....''



लाला सच ही तो कह रहा था....
एक तो पहले ही उसकी चूत की आग उसे वहां तक ले आई थी,
उपर से लाला की ये हरकतें उसे और भी ज़्यादा उत्तेजित कर रही थी....
शुरू से ही वो अपने आप को एक नंबर की रंडी समझती थी, और सच में उसे लाला की ये बातें मानकर वो गंदे काम करने में कुछ ज़्यादा ही मज़े आ रहे थे...
ऐसा करते हुए उसे इस बात की भी चिंता नही थी की गली के जमादार ने भी उसके हुस्न के दीदार कर लिए है...
वो भी लाला के हरामीपन से वाकिफ़ था, इसलिए अपने लंड को मसलते हुए वो लाला की किस्मत की दाद देता हुआ अपनी आँखे सेंकता रहा...

लाला ने जब उसे अंदर जाने को कहा तो एक पल के लिए वो ये भी भूल गयी की वो वहां करने क्या आई थी,
अपनी बेटी के बारे में बिल्कुल भूल चुकी थी वो इस वक़्त और लाला की बात मानकर अपने कपड़े उतारकर रास्ते में फेंकती हुई सी वो अंदर आ गयी, वहां पहुँचते-2 उसने अपना आख़िरी कपड़ा यानी कच्छी भी उतार फेंकी...

हमेशा की तरह अंदर घुपप अंधेरा था,
बाहर की रोशनी से अंदर आई शबाना को तो अंदर का कुछ दिखाई ही नही दिया पर अंदर ज़मीन पर नंगी लेटी नाज़िया ने अपनी अम्मी को नंगा होकर अंदर आते हुए ज़रूर देख लिया..

वो उतनी हैरान नही हुई जितना एक बेटी को अपनी माँ को नंगा देखकर होना चाहिए था,
उसे तो पहले से ही पता था की उसकी माँ उसे ढूँढते हुए वहां ज़रूर आएगी और लाला से उसके संबंध भी नाज़िया से छुपे हुए नही थे, इसलिए भी वो अपनी माँ को गोडाउन में देखकर हैरान नही हुई....
पर लाला ने उसे नंगा होकर अंदर आने को मजबूर कर दिया इस बात पर उसे थोड़ी बहुत हैरानी ज़रूर हुई...
क्योंकि लाला को अच्छे से पता था की नाज़िया अंदर ही है तो ऐसे में अम्मी को अंदर भेजने का क्या मतलब है...

कुछ ही देर में लाला भी अंदर आ गया....
तब तक शबाना को भी शायद ये एहसास हो चुका था की वो वहां किसलिए आई थी...
पर अब तो काफ़ी देर हो चुकी थी, अपनी उत्तेजना के मारे वो नंगी ही अंदर आ चुकी थी और जब उसकी आँखे अंधेरे में देखने को अभ्यस्त हुई तो सामने अपनी नंगी बेटी को लेटे देखकर उसे शर्म का एहसास हुआ...
और इसी बीच लाला भी अंदर आ गया और उसने भी अपनी धोती निकाल फेंकी...

कभी वो अपनी बेटी को देखती तो कभी लाला के अकड़ रहे लंड को....
बेचारी असमंजस में थी की बेटी को घर जाने को कहे या लाला के लंड को अंदर ले...

लाला तो पूरी प्लानिंग कर चुका था की अब माँ बेटी के साथ क्या करना है...
इसलिए अपने लंड को सहलाता हुआ वो बोला : "देख क्या रही है शबाना....चल इधर आ....चूस इसे...''
Nice update
 

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शबाना ने अपनी बेटी की तरफ देखा तो लाला बोला : "उसकी फ़िक्र ना कर...वो अपने हिस्से का नाश्ता कर चुकी है....अब तेरी बारी है....आजा ...''

लाला अपनी उम्र के बावजूद एक के बाद दूसरी चुदाई का रिस्क ले रहा था और वो भी ऐसी मलाईदार चूत देखकर....

भले ही वो शबाना की चूत कई बार मार चुका था,
और उसकी चूत एक बार फिर से, उसी की बेटी के सामने, मारने का मज़ा वो खोना नही चाहता था...

शबाना को लाला की आँखो का ख़ौफ़ था, इसलिए वो चुपचाप उसके सामने आकर बैठ गयी और उसके लंड को सहलाने लगी....
धीरे-2 उसने लाला के लंड को चूसना शुरू कर दिया....
और फिर कुछ देर बाद अपनी गीली जीभ से उसे सहलाया भी....
और अंत में धीरे-2 करके लाला के लंड के सुपाड़े को मुँह में लेकर उसे चूसना शुरू कर दिया....
और फिर पूरा निगल कर आइस्क्रीम की तरह चूस गयी..



लाला ने कराहते हुए नाज़िया से कहा : "अह्ह्ह्हह्हह, तू वहां लेटी क्या कर रही है री....यहाँ आकर कुछ सीख अपनी माँ से....कैसे खुश करते है एक मर्द को....''

नाज़िया भी लाला की बात मानकर उसके सामने आकर बैठ गयी...
और बड़े ही चाव से अपनी माँ को लाला के लंड को चूसते हुए देखने लगी....
उसे तो अब ये एहसास हो रहा था की उसने स्कूल मिस किया ही नही है,
स्कूल में तो मेडम हिन्दी या इंग्लीश ही सिखाती , पर यहाँ जो सीखने को मिल रहा है वो पूरी जिंदगी काम आने वाला था...

वो अपनी माँ के जादुई होंठो का कमाल देखकर सच में कुछ नया सीख चुकी थी,
जो वो अगली बार लाला पर ट्राइ करने वाली थी..

कुछ ही देर में लाला का लंड पहले जैसा बड़ा हो गया...

सच मे शबाना की चुसाई में जादू था...

लाला ने अपने गीले लॅंड को पकड़ कर नाज़िया की तरफ लहराया और बोला : "चल...तू भी दिखा, क्या सीखा तूने अपनी माँ से....''

एक पल के लिए तो शबाना की झाँटे सुलग गयी....
उसी के सामने लाला किस बेशर्मी से उसकी बेटी से लंड चूसने को कह रहा है...

पर इस बात से बेटी को कोई फ़र्क नही पड़ रहा था, वो तो चहकति चिड़िया की तरह उछल कर लाला के सामने जा कर बैठ गयी और उसके लार से भीगे लंड को मुँह में लेकर उनके सुपाडे को चूसने लगी...

वो ठीक वैसे ही चूसने का प्रयास कर रही थी जैसा उसकी माँ ने चूसा था कुछ देर पहले....



धीरे -2 और दांतो का हल्का प्रयोग करते हुए...उस मोठे लंड को अंदर निगलने लगी

लाला ने भी सिसकारी मारते हुए उसकी तारीफ में 4 शब्द कह ही डाले...

''ओह भेंन चोद ..., मज़ा आ गया ...''



लंड तो लाला का पहले से ही कड़क था,
इसलिए चूत में घुसने में उसे अब कोई दिक्कत नही होने वाली थी...

शबाना अपनी चूत मसलती हुई लाला के लंड को अंदर लेने की तैयारी कर रही थी
पर हुआ उसके बिल्कुल विपरीत ही...

लाला ने हल्की फुल्की नाज़िया को उठा कर बोरी पर पटका और उसकी जांघे फेला कर अपना रामलाल उसकी चूत के अंदर पेल दिया..



''आआआआआआआआआआआआआहह उम्म्म्मममममममममममममम..... लालाजी........ सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स .... मजाआाआआ आआआआआआआआआ गय्ाआआआआआ''

आता भी क्यो नही भला....

उसे तो उम्मीद भी नही थी की उसकी माँ के होते हुए लाला का लंड एक बार फिर से उसकी चूत में जाएगा...
और वैसे भी जवान चूत को तो जितनी बार लंड मिल जाए, उसके लिए उतना कम है...

वहीँ दूसरी तरफ शबाना जो पहले से किलस रही थी, उसका चेहरा देखने लायक था....
वो भी सोच रही थी की लाला उसे चोदने के लिए अंदर लाया है या उसे अपनी बेटी की चुदाई दिखाने के लिए...
उसे लाला पर इतना गुस्सा आ रहा था की मन तो उसका कर रहा था की उसके लंड को मुँह में लेकर ज़ोर से काट डाले...
और अपनी बेटी की नंगी गांड पर भी जी भरकर डंडे बरसाए
क्योंकि उसके हिस्से की चुदाई पर उसने सरेआम डाका जो डाल दिया था...

और दूसरी तरफ नाज़िआ किसी रंडी की तरह अपनी टाँगे फैला कर लाला के लंड का मजा ले रही थी



पर लाला जानता था की उसे क्या करना है..
कुछ देर तक नाज़िया की चूत में लंड पेलने के बाद उसने लंड निकाल लिया और शबाना को देखकर बोला : "चल आजा अब तू....तेरी चूत में भी देखु कितनी गर्मी है आज...''

लाला की ये बात सुनकर शबाना का चेहरा खिल उठा...
वरना बेचारी की चूत से पानी टपकना तो उसी वक़्त बंद हो चुका था जब लाला ने उसके बदले नाज़िया की चूत में लंड डाला था...

उसके मुँह से निकला लंड उसकी बेटी की चूत में गया था और अब उसकी बेटी की चूत से निकला लंड उसके अंदर जाएगा..

पर लाला ने यहाँ भी ट्विस्ट दे दिया....

नाज़िया को उसने उस बोरी से उठने नही दिया,
उपर से उसकी माँ को घोड़ी बना कर उसी के उपर लिटा दिया...
अब दोनो माँ बेटियां एक दूसरे से नंगी चिपकी पड़ी थी और लाला ने पीछे से शबाना की टांगे फेला कर अपना लंड उसकी चूत में पीछे से डाल दिया...

बेचारी घोड़ी की तरह हिनहीना उठी जब लाला का घोड़े जैसा लंड उसकी बुर में गया...



''आआआआआआआआआआआअहह उम्म्म्मममममममममममममम..... लालाजी........ हर बार जब भी ये अंदर जाता है, एक अलग ही एहसास होता है.....अहह....... पेलो ज़ोर से लालाजी..... फाड़ दो मेरी बुर को आअज....... अहह''

लाला ने उस घोड़ी बनी शबाना की चोटियां पकड़ कर जोरों से उसे चोदना शुरू कर दिया....
लाला के हर झटके से उसका भरा हुआ शरीर नाज़िया के नंगे जिस्म से रगड़ खाकर उसे और भी ज़्यादा उत्तेजित कर रहा था....
नाज़िया से जब सहन नही हुआ तो उसने अपनी माँ के झूल रहे मुम्मो को पकड़ कर चूसना शुरू कर दिया...
एक बार फिर से बचपन का एहसास हुआ उसे जब वो इसी तरह अपनी माँ का दूध पिया करती थी...
पर अब दूध तो नही बल्कि उन निप्पलों में से एक अलग ही तरह की मिठास निकल रही थी,
जिसे पीकर उसे सच में बड़ा मज़ा आ रहा था...
नीचे से उसकी चूत वाले हिस्से पर माँ की चूत का दबाव भी पड़ रहा था, जिसके अंदर लाला का लंड घुसकर कोहराम मचा रहा था....नाज़िआ भी खिसककर अपनी अम्मी की चूत तक पहुँच चुकी थी, और अपने रसीले होंठों से वो उनकी उस लंड खाती चूत को चूसने लगी



अपनी चूत पर अम्मी की चूत का दबाव और उसके अंदर लाला के लंड की चुभन पाकर वो भी जोरों से चिपक कर अपनी माँ के साथ-2 चीखें मारने लगी..

''आअहहह अम्म्म्मी........ मज़ा आ गया...... उफफफफफफफफफफफफफ्फ़........ क्या मीठास है तुम्हारे मुम्मो में अम्मी.....मज़ा आ गया.....अहह...... चोदो लाला....मेरी अम्मी को जोरों से चोदो ..... बुझा दो इनकी चूत की सारी प्यास लाला...... ज़ोर से पेलो इनको......''

और लाला भी चने खाए घोड़े की तरह , फुफ्काररता हुआ उनके उपर चड़कर दोनो माँ बेटियों को मज़ा देता हुआ दौड़ता चला जा रहा था...

और अंत में दोनो की चीखों और माहौल की गर्मी ने उसके लंड को 2 घंटे में दूसरी बार झड़ने पर मजबूर कर दिया....

वो ज़ोर-2 से चीखे मारता हुआ अपने लंड का पानी शबाना की बुर में उड़ेलता हुआ झड़ने लगा

''आआआआआआआआआआअहह मादरचोदनियों ........ साली कुतियों ....... ले..... ले मेरे लंड का पानी.....बुझा ले अपनी प्यास......अहह.....''

और पूरा पानी अंदर उड़ेलने के बाद उसने शबाना की गांड को पकड़ कर ज़ोर से दबा दिया ताकि बाहर निकलते हुए लंड की आख़िरी बूँद भी अंदर ही रह जाए....

और फिर अपनी चारपाई पर गिरकर जोरों से हाफने लगा...

शबाना तो वही ज़मीन पर ही गिर पड़ी,
उसकी टाँगो में तो जान ही नही रह गयी थी झड़ने के बाद
और लाला से चुदाई करवाने के बाद...

नाज़िया झट्ट से खिसककर अपनी अम्मी की टाँगो के बीच पहुँच गयी और गली की कुतिया की तरह चूत के पानी को पीकर अपनी प्यास बुझाने लगी...

लाला अपने हरामीपन पर मुस्कुराए जा रहा था...

पर उसे नही पता था की उसकी हँसी थोड़ी ही देर में एक बड़ी परेशानी में बदलने वाली है,
क्योंकि पिंकी और निशि अपने स्कूल से निकल चुकी थी...
लाला की दुकान की तरफ.
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kamdev99008

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पर उसे नही पता था की उसकी हँसी थोड़ी ही देर में एक बड़ी परेशानी में बदलने वाली है,
क्योंकि पिंकी और निशि अपने स्कूल से निकल चुकी थी...
लाला की दुकान की तरफ.
लाला की दुकान में चूतों का मेला लाग्ने वाला है ............ लेकिन रामलाल अकेला कितना झेलेगा


देखते हैं निशि और पिंकी के आने पर क्या होता है
 
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Lundkala

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Shaun The Sheep Movie Ok GIF
 

Ashokafun30

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लाला की दुकान में चूतों का मेला लाग्ने वाला है ............ लेकिन रामलाल अकेला कितना झेलेगा


देखते हैं निशि और पिंकी के आने पर क्या होता है
wo mela bhi lagega aur aap darshak bankar dekhoge bhi
wo bhi free me
:areypagle:
 
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