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Update ~ 08 |
साधना का बुरा हाल तो था ही लेकिन अपुन का भी बुरा हुआ जा रेला था लौड़ा। बोले तो अपुन का लन्ड इस सबके चलते बुरी तरह अकड़ गयला था। अपुन से अब बर्दाश्त नहीं हो रेला था। मन कर रेला था कि अभी साधना की डार्क ब्ल्यू कलर की पेंटी निकाल कर अपना लन्ड उसकी बुर में डाल दे।
अब आगे....
अपुन को उसके बूब्स दबाने में भारी मजा आ रेला था। वो बेड पर लेटी थी और अपुन दोनों हाथों से उसके बूब्स दबा रेला था। वैसे दबा नहीं रेला था, बल्कि उन्हें तो दोनों हाथों से गूंथ रेला था लौड़ा। साधना बेड पर बुरी तरह मचल रेली थी।
साधना ─ उफ्फ शश्श्श्श ब..बाबू। द..दर्द हो रहा है। शश्श्श्श थोड़ा धीरे द..दबाओ न प्लीज।
अपुन ─ सॉरी, पर अपुन क्या करे? तुम्हारे ये बूब्स इतने सुंदर और गजब के हैं कि इनसे अपुन का मन ही नहीं भर रेला है।
साधना जोर जोर सिसकियां ले रेली थी। फिर एकदम से उसने अपुन के सिर को पकड़ा और नीचे की तरफ धकेलने लगी। अपुन उसके बूब्स छोड़ नीचे सरका।
उसका गोरा चिकना बदन अपुन को आकर्षित भी किए जा रेला था और अपुन के अंदर हवस का तूफ़ान भी ला रेला था। अपुन ने झुक कर उसके सुडौल और गोरे चिकने पेट को हौले से चूमा तो साधना चिहुंक उठी और झट से अपुन के सिर को अपने पेट पर दबाने लगी।
अपुन ने उसकी नाभि के चारों ओर हौले हौले से चूमा और फिर एकदम से उसकी नाभि में अपनी जीभ घुसा दी। साधना जो पहले ही मचले जा रेली थी वो अब और भी मचलने लगी। अपुन को उसका पेट और नाभी बहुत आकर्षक लग रेली थी और मन कर रेला था कि लौड़ा चाटता ही जाए अपुन।
पेट और नाभी को चूमते चाटते ही अपुन ने सहसा अपना एक हाथ नीचे सरका कर उसकी आग के माफिक धधकती और शहद के माफिक रस बहाती बुर पर पेंटी के ऊपर से रख दिया।
साधना को जैसे ही अपनी बुर पर अपुन के हाथ का एहसास हुआ तो उसे तेज झटका लगा और उसने बड़ी तेजी से अपना हाथ नीचे कर अपुन के हाथ पर रख दिया।
साधना ─ शश्श्श्श न..नहीं बाबू।
अपनी हथेली पर गर्माहट महसूस करते ही अपुन का ध्यान उसकी चूत की तरफ चला गया। अपुन पेट से नीचे सरक कर सीधा उसकी चूत की तरफ ही बढ़ा।
उसने नीले रंग की पेंटी पहन रखी थी। अपुन ने पेंटी के किनारे पर ही ऊपर की तरफ झुक कर हल्के से चूमा तो साधना बुरी तरह मछली और अपना हाथ अपुन के हाथ से हटा कर फिर से अपुन के सिर पर रख दिया।
साधना का बुरा हाल था और अपुन का भी। अपुन का लन्ड तो बेटीचोद फटने को था मगर अपुन किसी तरह अपने दर्द को और अपनी उत्तेजना को काबू किए हुए था। पूरे कमरे में साधना की आहें और सिसकारियां गूंज रेली थीं।
अपुन थोड़ा और नीचे सरका तो अपुन के नाक में साधना की चूत से निकले कामरस की मादक गंध समा गई जिससे अपुन को और भी ज़्यादा मदहोशी और पागलपन सवार होने लगा लौड़ा।
अपुन ने पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को हौले से सहलाया तो जहां एक तरफ साधना ने मचल कर झट से अपनी जांघों को सिकोड़ लिया वहीं अपुन ने दोनों हाथों से उसकी जांघों को थोड़ा जोर लगा कर पहले अलग अलग किया और फिर झुक कर उसकी पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को चूम लिया। पेंटी बुरी तरह गीली थी जिसकी वजह से अपुन के होठों पर उसका कामरस लग गया और साथ ही नाक में तेज मादक गंध समा गई।
अपुन ने अपने होठों पर जीभ फिराई तो अपुन को उसके कामरस का स्वाद पता चला जोकि कुछ साल्टी सा था लेकिन अपुन को बड़ा अच्छा भी लगा लौड़ा। इस लिए अपुन ने झुक कर पहले एक दो बार और चूमा फिर जीभ निकाल कर पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को नीचे से ऊपर तक चाटा। अपुन की इस हरकत से साधना जैसे तड़प ही उठी। अपुन के सिर के बालों को जोर से खींचते हुए उसने अपुन के सिर को चूत पर दबाना शुरू कर दिया।
साधना ─ उफ्फ शश्श्श्श बाबू, आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श ये क्या कर रहे हो?? मैं पा...गल हो जाऊंगी। शश्श्श्श माय गॉड...मैं हवाओं में उड़ रही हूं। आह्ह्ह्ह् बाबू सम्हालो मुझे प्लीज।
साधना की बात सुन अपुन ने सिर उठा कर उसकी तरफ देखा और कहा।
अपुन ─ तुम्हारी चूत का पानी बहुत मीठा है साधना। मन करता है पीता ही जाए अपुन।
साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् तो पी जाओ न जान ले....लेकिन...!
अपुन ने झुक कर पहले उसकी बुर को जीभ निकाल कर चाटा और फिर सिर उठा कर उससे पूछा।
अपुन ─ लेकिन क्या डियर?
साधना मदहोशी में पागल हुई जा रेली थी। अपने सिर को इधर उधर पटक रेली थी। अपुन के पूछने पर धीरे से अपनी आँखें खोल कर बोली।
साधना ─ ले...लेकिन मुझे भी...शश्श्श्श तुम्हारे उसको देखना है। उसे छूना है बाबू।
अपुन समझ गया कि वो अपुन के लन्ड की बात कर रेली है पर अपुन चाहता था कि वो खुल के बोले।
अपुन ─ किसे देखना है तुम्हें और किसे छूना है तुम्हें?
साधना ये सुन कर मदहोशी में भी बुरी तरह शरमाई। उसके होठों पर शर्म मिश्रित मुस्कान उभर आई। इधर अपुन ने झुक कर फिर से उसकी बुर को चाट लिया। उसकी बुर का पानी अब कुछ ज़्यादा ही अपुन के मुंह में आ गयला था। तभी वो सिसकी ले कर बोली।
साधना ─ वो..वो तुम्हारे उसको बाबू।
अपुन ─ अरे! उसका नाम बताओ न। ऐसे कैसे अपुन को पता चलेगा?
साधना फिर से शर्माने लगीं। इधर बार बार अपुन उसकी बुर को चाट ले रेला था जिससे वो मचल उठती थी। वो कभी अपनी जांघों को सिकोड़ लेती तो कभी मस्ती से छटपटा उठती। अपुन की बात सुन कर बोली।
साधना ─ नहीं न, मुझे शश्श्श्श तुम्हारे उसका नाम लेने में शर्म आती है। तुम प्लीज समझ जाओ न।
अपुन ने उसकी बात सुन कर इस बार हथेली से उसकी बुर को हल्के से मसल दिया जिससे वो जोर से मचल उठी और साथ ही आह भर उठी। इधर अपुन ने पेंटी के ऊपर से ही उसकी बुर को मुंह में भर कर जोर से चूस लिया जिससे वो बुरी तरह छटपटा कर अपुन के बाल नोचने लगी। अपुन को दर्द हुआ तो सिर उठा कर उससे बोला।
अपुन ─ न, अपुन ऐसे नहीं समझेगा। तुम खुल कर उसका नाम बताओ और हां जल्दी बताओ वरना अपुन ये सब करना बंद कर देगा और चला जाएगा यहां से।
अपुन की ये बात सुन कर साधना झटका खा गई लौड़ी। पलक झपकते ही मदहोशी से निकल कर होश में आ गई वो। चेहरे पर पलक झपकते ही घबराहट के भाव उभर आए। फिर वो झट से उठी और घबरा कर बोली।
साधना ─ नहीं नहीं बाबू तुम प्लीज कहीं मत जाना।
अपुन ─ तो फिर अपुन जो बोले और जो पूछे उसे साफ साफ और खुल कर बताओ। वैसे भी अब जब इतना कुछ ओपन हो ही गयला है तो बाकी बातों पर इतना शर्माने का या झिझकने का क्या मतलब है?
साधना ─ तुम लड़के हो इस लिए तुम्हें इतना शर्म और झिझक नहीं लगती बाबू लेकिन मैं एक लड़की हूं। लड़की का इस सबके लिए शर्माना कुदरती है। प्लीज समझने की कोशिश करो जान।
अपुन समझ तो सब रेला था लेकिन इस वक्त अपुन का बुरा हाल था। मतलब कि अपुन का लन्ड बुरी तरह अकड़ा हुआ था और वो अब सीधा बुर में ही घुसना चाहता था लौड़ा। इस लिए अपुन अब यही चाहता था कि जो कुछ हो सब खुल कर हो। खैर साधना की बात सुन कर अपुन ने कहा।
अपुन ─ अपुन सब समझता है लेकिन अपुन ये कह रेला है कि जब अपन लोग इतना ओपन हो गएले हैं तो अब और क्या रह गयला है छुपाने को? अब भला किस बात का झिझकना और शर्माना?
साधना ने दोनों हाथों से अपुन का चेहरा थाम लिया। उसकी आंखों में सिर्फ प्यार दिख रेला था और प्यार की तड़प दिख रेली थी। अपुन की आंखों में देखते हुए बोली।
साधना ─ ठीक है बाबू। अगर तुम ऐसा ही चाहते हो तो अब से मैं कोशिश करूंगी कि सब कुछ खुल कर बोलूं और कोई शर्म न करूं। प्लीज तुम यहां से जाने की बात मत करना।
अपुन तो लौड़ा वैसे भी कहीं जाने वाला नहीं था क्योंकि ये तो अपुन भी समझता था कि भले ही वो शर्मा रेली थी या झिझक रेली थी लेकिन चुदने से इंकार तो हर्गिज नहीं करेगी। खैर अपुन ने उसे पलकें झपका कर बता दिया कि अपुन कहीं नहीं जाएगा। इससे साधना के चेहरे पर राहत और खुशी के भाव उभर आए।
अपुन की नज़रें उसके चेहरे से हटीं और सीधा उसके गोरे गोरे बूब्स पर जा पड़ीं। अपुन ने उसे फिर से बेड पर लिटा दिया और उसके ऊपर आ गया। दोनों हाथों से उसके बूब्स को दबोचा और मसलते हुए एक वाले का निपल मुंह में भर लिया। अपुन के ऐसा करते ही साधना की सिसकी निकल गई और अपुन का सिर थाम मचलने लगी।
थोड़ी देर अपुन ने उसके निप्पल चूसे, फिर उसके पेट और नाभी को चूमते चाटते नीचे उसकी चूत के पास सरक आया। अपुन का लन्ड जो थोड़ी देर के लिए शांत सा पड़ गयला था वो फिर से अपने आकार में आ गयला लौड़ा।
अपुन ने साधना की चूत के दोनों तरफ सिकुड़ी चिकनी और गुदाज जांघों को हौले हौले चूमा और फिर उठ गया। साधना बदस्तूर सिसकियां लिए रेली थी और फिर से मदहोश हो गईली थी।
अपुन बेड पर उकड़ू हो के बैठा था और अपुन की नज़र नीले रंग की पेंटी में कैद उसकी चूत पर थी। पेंटी चूत वाले हिस्से पर पूरी गीली थी और वहां से मादक गंध आ रेली थी।
अपुन ने धड़कते दिल से एक बार बेड पर मदहोशी में आँखें बंद किए लेटी साधना को देखा और फिर दोनों हाथ बढ़ा कर उसकी पेंटी को उतारना शुरू कर दिया। साधना को जैसे ही इसका आभास हुआ तो वो मचली लेकिन बोली कुछ नहीं और ना ही कोई विरोध किया।
साधना की पेंटी थोड़ा सा नीचे सरकी तो उसकी चूत के ऊपरी हिस्से पर उगे हल्के बाल दिखने लगे लेकिन पेंटी उससे ज्यादा नीचे न सरक सकी क्योंकि नीचे वो उसकी गांड़ पर फंस गईली थी। साधना को भी जब इसका आभास हुआ तो उसने अपनी गांड़ को धीरे से उठा लिया। जैसे ही उसने गांड़ उठाई अपुन ने उसकी पेंटी नीचे सरका दी। पेंटी के सरकते ही उसकी हल्के बालों से घिरी बुर दिखने लगी।
बेटीचोद, अपुन की तो उसे देख सांसें ही अटक गईं। उधर साधना को इतनी शर्म आई कि उसने पहले तो झट से अपनी जांघों को सिकोड़ लिया और फिर दोनों हथेलियों से अपना चेहरा छुपा लिया। ये देख अपुन मुस्कुरा उठा। तभी साधना की आवाज अपुन के कानों में पड़ी।
साधना ─ ओह! ऐसे मत देखो न बाबू। मुझे बहुत शर्म आ रही है।
अपुन ─ देखने वाली चीज है तो देखेगा ही न अपुन? वैसे अपुन लाइफ में पहली बार किसी लड़की की चूत देख रेला है।
अपुन के मुझ से चूत शब्द सुनते ही साधना को और भी बड़े जोर की शर्म आई। वो जैसे पानी पानी हो गई। बड़ी मुश्किल से बोली।
साधना ─ धत् कितना गंदा बोलते हो बाबू। ऐसे मत बोलो न प्लीज।
अपुन ─ अरे! अब जो उसका नाम है वही तो बोलेगा न अपुन। जैसे अपुन के इसका नाम लन्ड है।
अपुन बात सुन उसका चेहरा और भी लाल सुर्ख हो गया। चूत और लंड सुनने के बाद वो चेहरे से अपने हाथ ही नहीं हटा रेली थी। अपुन समझ सकता था कि उसे भारी शर्म आ रेली है। फिर अपुन बोला।
अपुन ─ वैसे तुम्हारी चूत पर ये हल्के हल्के रेशमी बाल बहुत ही अच्छे लग रेले हैं।
साधना ─ उफ्फ! बाबू, ऐसे मत बोलो न। क्यों मुझे शर्म में ही डुबा देना चाहते हो? तुम्हें और जो कुछ करना हो तो करो न।
अपुन मुस्कुरा उठा और समझ भी गया कि लौड़ी चुदने के लिए तड़प रेली है। इतना कुछ देखने और करने के बाद बुरा हाल तो अपुन का भी था। पर अपुन सोच रेला था कि जब इतना काबू किया है तो थोड़ा और सही। असल में अपुन उसे थोड़ा और खोलना चाह रेला था।
अपुन ─ यार तुम्हारी चूत से तो पानी रिस रेला है। क्या अपुन चेक करे कि इसका टेस्ट कैसा है?
साधना शर्म के मारे फिर से मचल उठी। चेहरे पर ढंकी हथेलियों को थोड़ा सा खोला उसने और झरोखे से देखते हुए बोली।
साधना ─ सच में बहुत गंदे हो बाबू। प्लीज न बोलो न ऐसे। बाकी तुम्हें जो करना है कर लो।
अपुन ─ यार अपुन को ऐसे मजा ही नहीं आ रेला है। अगर तुम अपुन का बराबर साथ नहीं दोगी तो कैसे मजा आएगा? वैसे भी अपुन ने ये सब कभी किया नहीं है तो तुम्हें थोड़ा बताना भी पड़ेगा अपुन को।
साधना ने इस बार चेहरे से हथेलियों को हटा लिया और फिर बोली।
साधना ─ तो मैंने कौन सा कभी किसी के साथ किया है बाबू। जो कुछ कर रही हूं पहली बार तुम्हारे ही साथ तो कर रही हूं।
अपुन को थोड़ी हैरानी हुई ये सुन कर। मतलब कि अगर लौड़ी सच बोल रेली थी तो इसका मतलब ये हुआ कि अपुन आज उसकी सील खोलने वाला था लौड़ा। इस खयाल ने अपुन को इतना रोमांचित और उत्तेजित किया कि कच्छे के अंदर कैद अपुन के लन्ड ने झटका दे कर उसे सलाम ठोक दिया बेटीचोद।
अपुन ─ गजब, मतलब क्या सच कह रेली हो तुम? मतलब क्या सच में तुम अपुन के साथ ही फर्स्ट टाइम ये सब कर रेली हो?
साधना ─ हां बाबू, यकीन करो। यही सच है।
अपुन को यकीन हो गयला था। लौड़ा, यकीन न करने का तो सवाल ही नहीं था। हालांकि अपुन को कौन सा उसके वर्जिन होने या न होने से फर्क पड़ने वाला था। अपुन को तो बस उसको पेलने से मतलब था।
और अब बेटीचोद रहा नहीं जा रेला था अपुन से। इस लिए अपुन ने झट से अपना कच्छा उतार कर नीचे फर्श पर फेंक दिया। कच्छे के उतरते ही अपुन का दस बारह इंची लौड़ा किसी अजगर की तरह फनफना कर झटका देने लगा। उसे देख साधना लौड़ी डर ही गई। आश्चर्य से आंखें और मुंह फाड़े वो अपुन के हलब्बी लौड़े को ही देखे जा रेली थी। उसके होश उड़े हुए नजर आ रेले थे।
उसकी खराब हालत देख अपुन मुस्कुरा उठा और अपने एक हाथ से अपने लन्ड को मुठियाते हुए उसकी जांघों के बीच घुटने के बल बैठ गया। जब अपुन ने उसकी दोनों जांघों को पकड़ा तब जा कर उसे होश आया।
साधना ─ म..माय गॉड! बाबू तुम्हारा ये तो बहुत ब..बड़ा है और बहुत मोटा भी। ये...ये मेरे अंदर कैसे जाएगा?
अपुन ─ अब जैसे भी जाएगा, जाएगा तो ज़रूर। या फिर कहो तो यहीं पर प्रोग्राम रोक देता है अपुन?
साधना डरी सहमी और बौखलाई हुई सी अपुन को ही देखे जा रेली थी। उसकी मदहोशी जाने कहां हवा हो गई थी। सूखे गले को थूक से निगल कर उसने बहुत ही मासूमियत से कहा।
साधना ─ बाबू इसे देख के डर लग रहा है मुझे। ये...सच में बहुत बड़ा है। मेरी तो जान ही ले लेगा ये।
अपुन उठ कर उसके चेहरे के पास आया तो वो एक झटके से उठ कर बैठ गई। उसकी नज़रें अब पास से अपुन के लन्ड पर जम गईं। डर और घबराहट अभी भी उसके चेहरे पर मौजूद थी।
इधर अपुन उसकी हालत को समझ कर धीरे से उसका हाथ पकड़ा तो वो चौंक गई और अपने हाथ को देखने लगी। फिर अपुन ने कहा।
अपुन ─ एक बार इसे छू कर देखो। इसे अच्छे से फील करो।
साधना ने एक बार फिर थूक निगल कर अपना गला तर किया और कांपते हाथ से अपुन के लन्ड को पहले छुआ और फिर डरते डरते उसे पकड़ने की कोशिश की। तभी अपुन के लन्ड ने एक झटका मारा तो डर के मारे साधना ने बिजली की सी तेज़ी से अपना हाथ पीछे हटा लिया। ये देख अपुन हंस ही पड़ा।
अपुन ─ क्या हुआ?
साधना ─ ये...ये हिला कैसे बाबू?
अपुन ने एक और झटका दिया तो लन्ड पहले झटके से ऊपर गया और फिर अपनी पोजीशन पर आ कर ठहर गया। साधना आंखे फाड़े उसे ही देखे जा रेली थी।
अपुन ─ जब ये फुल फॉर्म में होता है तो ऐसे ही झटके मारता है। चलो अब इसे पकड़ कर देखो और फील करो।
साधना ने एक बार फिर से डरते डरते हाथ बढ़ा कर लन्ड को पहले छुआ और फिर उसे पकड़ने लगी। उसका सारा नशा और सारी मदहोशी डर के मारे गायब हो गईली थी। अपुन के अंदर से भी हवस का नशा थोड़ा शांत पड़ गयला था लेकिन लन्ड अभी भी पूरे फॉर्म में था। ऐसा शायद इस लिए क्योंकि एक तो अपुन के सामने वो पूरी नंगी बैठी थी, दूसरे अपुन भी नंगा ही बैठा था।
अब तक साधना ने अपुन के लन्ड को पकड़ लिया था और धीरे धीरे उसे सहलाने लगी थी। उसके नाजुक हाथों के स्पर्श से अपुन के अंदर करेंट दौड़ने लगा जो सीधा लन्ड तक गया और लन्ड झटके मारने लगा। ये देख साधना ने हैरानी से पहले उसे देखा और फिर अपुन को।
साधना ─ शश्श्श्श बाबू ये कितना गर्म है। इसे इस तरह सहलाने से मेरे अंदर अजीब सा रोमांच भरता जा रहा है।
अपुन ─ अच्छा।
साधना ─ हां।
अपुन के मन में अब कुछ और ही चलने लगा था लौड़ा। अपुन ने थोड़ी बहुत मोबाइल में गंदी फिल्में देखीं थी जिससे अपुन को ये पता था कि फोरप्ले का लौड़ा लहसुन वगैरा भी होता है। अपुन के मन में यही चलने लगा था कि गंदी फिल्मों की तरह साधना भी अपुन के लन्ड को चूमे और फिर मुंह में ले कर चूसे। ये सोच अपुन ने कहा।
अपुन ─ इसे सहलाती ही रहोगी या इसे प्यार भी करोगी?
साधना ─ प्यार?? मतलब??
अपुन ─ जैसे अपुन ने तुम्हारी चूत को चूम कर चाट कर प्यार किया था वैसे ही तुम भी इसे चूम कर और मुंह में ले कर प्यार करो न।
साधना अपुन की ये बात सुन आँखें फाड़ कर देखने लगी अपुन को। फिर सहसा वो शर्माने लगी। पता नहीं लौड़ी के मन में क्या आ गयला था? इधर उसके लगातार सहलाए जाने से अपुन का लन्ड बुरी तरह अकड़ गया था और अपुन के अंदर फिर से पहले जैसी उत्तेजना आ गईली थी।
साधना ─ क्या सच में इसे प्यार करना होगा जान?
अपुन ─ हां बिल्कुल वरना ये तुम्हारी कोमल चूत को बहुत दर्द देगा।
साधना ये सुन कर फिर से थोड़ा सहम गई। उसने चकित भाव से अपुन को देखा और फिर लन्ड को।
साधना ─ पर मैं इसे कैसे अपने मुंह में ले सकती हूं बाबू? मैंने ऐसा कभी नहीं किया है।
अपुन ─ तो अपुन ने कौन सा आज से पहले किसी की चूत चाटी थी? अपुन ने भी तो पहली बार ही किसी लड़की की चूत को देखा है और उसे इस तरह चाटा है। अपुन को शुरू में थोड़ा अजीब लगा था लेकिन फिर अच्छा लगा था। तभी तो मजे से चाट रेला था अपुन।
साधना को लगा अगर उसने अपुन के लन्ड को प्यार नहीं किया तो अपुन फिर से नाराज़ हो जाएगा इस लिए उसने खुद को इसके लिए तैयार किया। एक बार फिर से उसने थूक निगल कर गला तर किया और फिर अपुन को लेट जाने को कहा।
अपुन तो लौड़ा चाहता ही यही था इस लिए झट से लेट गया। अपुन के लेटते ही अपुन का लन्ड बेटीचोद ऊपर छत की तरफ तन कर खड़ा हो गया। लन्ड के चारों तरफ थोड़ी थोड़ी झांठें उगी हुई थी लौड़ा।
साधना खिसक कर ठीक से बैठी और फिर अपुन के लन्ड को पकड़ लिया। उसके चेहरे पर अजीब से भाव थे। शायद अभी भी वो पूरी तरह तैयार नहीं थी लेकिन अपुन के नाराज़ हो जाने के डर से ये सब कर रेली थी।
अपुन ─ अब करो भी, टाइम खोटी क्यों कर रेली हो?
साधना ने एक बार अपुन को देखा और फिर बिना कुछ कहे झुक कर अपुन के लन्ड को धीरे से चूम लिया। उसके ऐसा करते ही अपुन के अंदर हल्की सी सनसनी दौड़ गई।
साधना ने रुक रुक कर दो तीन बार लन्ड को चूमा और फिर एकाएक उसने लन्ड की चमड़ी को नीचे खींच कर सुर्ख पड़े सुपाड़े को निकाला। अपुन उसी को देखे जा रेला था। अपुन के अंदर ये सोच के रोमांच बढ़ता जा रेला था कि अब वो मुंह खोल कर अपुन का लन्ड चूसेगी।
साधना कुछ पलों तक लन्ड के सुर्ख पड़े सुपाड़े को ध्यान से देखती रही और फिर आंखें बंद कर के और मुंह खोल कर उसे गपक लिया। उसके होठों का नाजुक और गर्म स्पर्श पाते ही अपुन के समूचे जिस्म में झुरझुरी दौड़ गई। नशों में दौड़ता लहू जैसे पलक झपकते ही उफान पर आ गया। उसके गर्म मुख का आभास ऐसा था कि अपुन का समूचा बदन तगड़े रोमांच से कांप गया लौड़ा। उधर सुपाड़े को मुंह में लिए साधना कुछ पल रुकी रही। शायद वो उसके स्वाद का अनुभव कर रेली थी या फील कर रेली थी कि उसे कैसा लग रेला है?
फिर उसने अपने होठों की गिरफ्त टाइट की और अंदर ही अंदर अपनी जीभ सुपाड़े पर फेरने लगी। अपुन की तो हालत ही खराब हो गई बेटीचोद। बोले तो उसके ऐसा करते ही अपुन के जिस्म में मजे की भयंकर तरंग उठी और फिर एकदम से ऐसा लगा जैसे नशों में दौड़ता लहू बड़ी तेजी से अपुन के गोटों की तरह भागता हुआ आ रेला है। मजे से अपुन की आँखें बंद हो गईली थी और अपुन ने अपना एक हाथ साधना के सिर पर रख दिया था।
अपने सिर पर अपुन के हाथ का स्पर्श पाते ही साधना थोड़ा रुकी लेकिन फिर से अपनी जीभ सुपाड़े पर चलाने लगी।
अपुन ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श मस्त मजा आ रेला है यार। तुम्हारे मुंह में तो जादू है ऐसा लग रेला है।
साधना बोली तो कुछ नहीं लेकिन अपनी ऐसी तारीफ सुन कर शायद उसे अच्छा लगा था इस लिए वो अपने सिर को धीरे धीरे ऊपर नीचे करने लगी जिससे अपुन के लन्ड का टोपा उसके मुख में अंदर बाहर होने लगा। उसके ऐसा करने से अपुन के अंदर और भी ज़्यादा मजे की तरंगें उठने लगीं और अपुन बेटीचोद मजे के असमान में उड़ने लगा।
अपुन को इतना मजा आ रेला था कि अपुन ने दूसरा हाथ भी साधना के सिर पर रख दिया और उसके सिर को अपुन के लन्ड पर दबाने लगा। अपुन के ऐसा करने से साधना के मुख में अपुन का लन्ड थोड़ा और अंदर गया लेकिन साधना को शायद इससे ज़्यादा अंदर लेने में परेशानी हुई या शायद उसे बेहतर नहीं महसूस हुआ तभी तो वो जोर लगा कर उसे अपने मुंह में लेने से रोकने लग गईली थी। मगर....अपुन मजे में डूब रेला था इस लिए थोड़ा और जोर लगाया उसके सिर पर जिससे अपुन का लन्ड फिर से उसके अंदर चला गया लौड़ा।
अपुन ─ आह! साधना, ऐसे ही मेरी जान। ऐसे ही अंदर तक ले कर चूसो न। उफ्फ कितना मजा आ रेला है बेटीचो....।
अपुन के अंदर भयंकर मस्ती भरती जा रेली थी। मन कर रेला था कि गंदी गंदी गालियां बकनी शुरू कर दे लेकिन अपुन को इतना होश तो था कि ये समझ सके कि अपुन के गालियां बकते ही साधना घबरा जाएगी। इस लिए अपुन बेटीचोद ने चुप रहना ही ठीक समझा।
कुछ देर बाद अपुन को लगा जैसे साधना बुरी तरह छटपटा रेली है तो अपुन ने आँखें खोल कर उसे देखा। अपुन ये देख के चौंका कि वो लौड़ी सच में छटपटा रेली है। उसने अपुन के लन्ड से हाथ हटा लिया था और उस हाथ से अपुन के उस हाथ को हटाने का प्रयास कर रेली थी जिस हाथ से अपुन उसके सिर को थामे लन्ड पर दबाए जा रेला था।
अपुन समझ गया कि लौड़ी, तकलीफ में है इस लिए झट से उसके सिर को छोड़ दिया। सिर पर से दबाव हटते ही उसने झट से अपना सिर उठा लिया और इसी के साथ अपुन का लन्ड भी उसके मुंह से बाहर आ गया।
अपुन ने देखा उसकी हालत खराब थी। बोले तो थूक और लार टपक के बाहर आ रेला था। चेहरा लाल सुर्ख पड़ गयला था। बेटीचोद, अपुन तो ये देख शॉक ही हो गया लौड़ा। मतलब कि अपुन को ध्यान ही न रहा था कि अपुन मजे में कितना जोर लगा के उसके सिर को अपने लन्ड पर दबाया हुआ था। उधर वो बुरी तरह हांफे जा रेली थी और बीच बीच में खांस भी उठती थी। उसकी ये हालत देख अपुन की तो गांड़ ही फट गई लौड़ा। घबरा कर अपुन झट से उठ बैठा और उसका चेहरा थाम कर बोला।
अपुन ─ तुम ठीक तो हो न मेरी जान? सॉरी अपुन को ध्यान ही न रहा था कि तुम किस हालत में हो। प्लीज माफ कर दो यार।
साधना ─ इ...इट्स ओके ब..बाबू।
पता नहीं क्यों लौड़ा पर उसकी ये हालत देख अपुन को खुद पर बड़ा गुस्सा आया। अपुन ने झट से उसे खींच कर अपने गले से लगा लिया। वो अपुन के गले से ऐसे चिपक गई जैसे अब वो अपुन से जुदा ही न होना चाहती हो।
अपुन ─ सॉरी साधना। अपुन को सच में पता नहीं चला वरना अपुन ऐसा कभी न करता।
साधना अपुन से अलग हुई और दोनों हाथों से अपुन का चेहरा थाम कर बड़े प्यार से बोली।
साधना ─ इट्स ओके बाबू। प्लीज डॉन्ट से सॉरी। मैं समझ सकती हूं कि तुमसे ये जान बूझ कर नहीं हुआ है।
अपुन ने बेड पर पास ही पड़े उसके टॉप को उठा कर उसका चेहरा अच्छे से साफ किया और फिर टॉप को फेंक कर उसके होठों को चूसने लगा। वो खुद भी जज्बातों में बह कर अपुन का साथ देने लगी।
दो नंगे जिस्म सुलग रेले थे और अब जैसे उन्हें ठंडा होने की ख्वाहिश थी मगर पता नहीं कब उस वक्त को आना था जब दो सुलगते जिस्म शांत भी पड़ जाते और रूह को सुकून भी मिल जाता।
To be continued....
Aaj ke liye itna hi bhai log..
Read and enjoy..