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Incest हवस के कारनामे ~ A Tale of Lust

kas1709

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Update ~ 06



अपुन ने फौरन चार्जिंग से मोबाइल निकाला और फिर जैसे ही बेड पर लेट कर उसकी स्क्रीन जलाई तो भक्क से रूम का दरवाजा खुला और विधी दनदनाते हुए अंदर दाखिल हुई। उसे देख अपुन चौंक गया। मन ही मन सोचा कि इस लौड़ी को तो भूल ही गयला था अपुन। इसे तो अब सारी रात अपुन के साथ ही रूम में रहना है लौड़ा।


अब आगे....


विधी को आया देख अपुन ये सोचने लग गयला था कि काश ये न आती तो कितना अच्छा होता। वहीं दूसरी तरफ उसने रूम में आते ही जल्दी से दरवाजा बंद किया और फिर खुशी से उछलते हुए बेड पर आ कर सीधे पसर ही गई। अपुन क्योंकि बेड के सिरहाने से टिका हुआ अधलेटा पड़ा था इस लिए जैसे ही वो अपुन से थोड़ा नीचे लेटी तो एकदम से अपुन की नज़र उसके कुर्ते के गले में पड़ गई।

उसके कुर्ते का गला उसके उभारों की वजह से काफी उठा हुआ था जिससे अपुन को साफ साफ उसके दोनों बूब्स दिखने लगे थे। अपुन की तो लौड़ा नजरें ही जम गईं उसके बूब्स पर और सांसें तो जैसे अटक ही गईं। जबकि उसे इस बात की खबर ही नहीं थी। वो तो खुशी के मारे में सिर को हल्का पीछे कर अपुन को देखते हुए मुस्कुराए जा रेली थी।

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पलक झपकते ही अपुन का दिमाग खराब हो गया। आज पहली बार अपुन अपनी छोटी बहन के गुप्त अंग को इस तरह देख रेला था। वैसे थोड़ा बहुत तो इसके पहले भी अपुन की नज़र पड़ जाती थी लेकिन तब अपुन के अंदर गलत खयाल नहीं उभरते थे।

अपुन एकटक विधी के बूब्स को देखे जा रेला था और जब कुछ देर तक अपुन ने कोई रिएक्ट न किया तो विधी का मुस्कुराना बंद हो गया। उसे थोड़ा अजीब भी लगा। उसने अपुन की नज़रों का पीछा किया और फिर जैसे ही उसकी नज़र अपने कुर्ते के खुले गले से दिख रहे बूब्स पर पड़ी तो वो उछल ही पड़ी। अगले ही पल एक झटके से उठ कर बैठ गई वो।

उसके यूं उठ जाने पर अपुन को एकदम से होश आया तो अपुन ने उसकी तरफ देखा। ठीक उसी वक्त उसने भी अपुन को देखा और अगले ही पल वो बुरी तरह शर्मा कर नज़रें चुराने लगी।

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अपुन को भी एहसास हुआ कि लौड़ा ये क्या हो गया? फिर विधी ने जल्दी ही खुद को सम्हाल लिया।

विधी ─ भाई कितना गंदा है तू।

अपुन (चौंक कर) ─ क्या मतलब?

विधी ─ तू मेरे वहां पर ऐसे घूर के क्यों देख रहा था? शर्म नहीं आई तुझे?

अपुन ने जब देखा कि वो गुस्सा होने के बजाय शर्मा रेली है और झूठा गुस्सा दिखा रेली है तो अपुन भी रिलैक्स हो गया लौड़ा। इतना ही नहीं उसे छेड़ने का मन भी बना लिया। (भारी स्मार्ट लौंडा है अपुन)

अपुन ─ अब इसमें अपुन का क्या दोष है भला? तू खुद ही इस तरह से दिखा रेली थी तो अपुन की नज़र पड़ गई तेरे बूब्...आई मीन तेरे चेस्ट पर।

विधी अपुन की ये बात सुन कर फिर से बुरी तरह शर्मा गई। उसके गाल कान तक लाल सुर्ख हो ग‌ए। कुछ पलों तक जैसे उसे समझ ही न आया कि क्या कहे लेकिन फिर जैसे उसने इस बार भी खुद को सम्हाल लिया।

विधी ─ तू सच में बहुत गंदा है। माना कि मेरी गलती थी लेकिन तुझे तो ख्याल रखना चाहिए था? ऐसे घूरते रहने की क्या जरूरत थी तुझे?

अपुन ─ अब इतनी खूबसूरत चीज़ सामने होगी तो भला कैसे किसी की नजर जमी न रह जाएगी उस पर?

विधी फिर से बुरी तरह शर्मा गई लेकिन इस बार उसने अपनी झूठी नाराजगी दिखाते हुए अपुन के बाजू में मुक्का मार दिया।

विधी ─ कुछ तो शर्म कर बेशर्म। मैं तेरी बहन हूं, तेरी गर्लफ्रेंड नहीं, हां नहीं तो।

अपुन ─ अच्छा, तो गर्लफ्रेंड बन जा न।

विधी (शॉक्ड) ─ क्या कहा???

अपुन─ वही जो तूने सुना।

विधी ─ पागल है क्या? बहन को गर्लफ्रेंड बन जाने को कैसे बोल सकता है तू?

अपुन ─ अरे! तो इसमें क्या हो गया? बहन को भी तो गर्लफ्रेंड बना सकते हैं। मतलब कि भाई बहन दोस्त भी तो बन सकते हैं।

विधी ─ ऐसा कैसे हो सकता है? गर्लफ्रेंड का मतलब तो वही सब होता है न?

अपुन समझ गया कि वो दूसरे टाइप की गर्लफ्रेंड का सोच रेली है।

अपुन ─ हां एक वैसी भी गर्लफ्रेंड होती है लेकिन वैसे गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड के बीच कभी कभी फिजिकल रिलेशन भी बन जाते हैं...यू नो? लेकिन जो सिर्फ दोस्त होते हैं उनके बीच ऐसा नहीं होता।

विधी (शॉक) ─ क्या बात कर रहा है? भला ऐसा भी कहीं होता है? मतलब कि लड़का लड़की सिर्फ दोस्त रहें क्या ये पॉसिबल है?

अपुन─ हां क्यों नहीं। अगर दोनों चाहें तो, और अगर दोनों रिलेशन में भाई बहन हों तो।

विधी अब भी जैसे उलझन में थी। उसके चेहरे पर सोचो के भाव थे। वो ये बात जैसे भूल ही गई थी कि अपन दोनों के बीच शुरुआत किस बात से हुई थी।

अपुन ─ चल ज़्यादा मत सोच। अपुन तो मज़ाक कर रेला था। अपुन को तुझे अपनी गर्लफ्रेंड बनाने का कोई शौक नहीं है। अपुन तो किसी ऐसी लड़की को अपनी गर्लफ्रेंड बनाएगा जो तुझसे ज़्यादा ब्यूटीफुल हो और तेरी तरह अपुन से बात बात पर झगड़ा न करे और ना ही ज्यादा नखरे दिखाए।

विधी ने जब अपुन की ये बात सुनी तो वो अपुन को घूर कर देखने लगी। ऐसा लगा जैसे अपुन की ये बात उसे अच्छी न लगी हो।

विधी ─ ज्यादा मत बोल। मैंने अच्छे से देखा है, पूरे कॉलेज में मुझसे ज्यादा ब्यूटीफुल लड़की नहीं है। बड़ा आया मुझसे ज्यादा ब्यूटीफुल लड़की को गर्लफ्रेंड बनाने वाला, हां नहीं तो।

अपुन ─ अरे! कॉलेज में नहीं है तो क्या हुआ? इतने बड़े शहर में कहीं तो होगी ही। अपुन कल से ही ऐसी ब्यूटीफुल लड़की को खोजना शुरू करेगा और उसे अपनी गर्लफ्रेंड बनाएगा। वाह! जब वो अपुन की गर्लफ्रेंड बन जाएगी तो अपुन उसे अपनी बाइक में बैठा कर मस्त मस्त जगह घूमने जाया करेगा और...और दोनों साथ में...।

विधी ─ बस बस, इतने सपने मत देख। तेरे जैसे लंगूर को कोई अपना बॉयफ्रेंड नहीं बनाएगी, हां नहीं तो।

अपुन ─ अरे! अपुन को अपना ब्वॉयफ्रेंड बनाने के लिए कॉलेज की जाने कितनी लड़कियां मरी जा रेली हैं। एक तो तेरी फ्रेंड रीना ही है जो अपुन की गर्लफ्रेंड बनने के लिए मरी जा रेली है।

विधी ─ कुत्ती कमीनी है वो। तुझे बोला था न कि उससे दूर रह। वो अच्छी लड़की नहीं है।

अपुन ─ कोई बात नहीं। जब तक तुझसे ज़्यादा ब्यूटीफुल लड़की नहीं मिल जाती तब तक उसे ही अपनी गर्लफ्रेंड बना कर काम चला लेगा अपुन।

विधी (गुस्से से) ─ मैंने कहा न वो अच्छी लड़की नहीं है, फिर क्यों उसे अपनी गर्लफ्रेंड बनाने को बोल रहा है तू?

अपुन ─ अरे! बताया तो कि तब तक उसी से काम चलाएगा अपुन।

विधी ─ ठीक है, फिर मैं भी अब किसी को अपना ब्वॉयफ्रेंड बनाऊंगी।

अपुन (मुस्कुरा कर) ─ बिल्कुल बना ले।

विधी ─ क्या??? मतलब कि क्या तुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लग रहा कि मैं तेरे सामने किसी लड़के को अपना ब्वॉयफ्रेंड बनाने को बोल रही हूं?

अपुन ─ अरे! अपुन को बुरा क्यों लगेगा भला? जैसे अपुन अपने तरीके से लाइफ जीना चाहता है वैसे ही तू भी तो जीना चाहती है। जब अपुन किसी को अपनी गर्लफ्रेंड बनाना चाहता है तो तू भी किसी को अपना ब्वॉयफ्रेंड बना ले, सिंपल।

विधी ने इस बार सच में बेहद गुस्से से देखा अपुन को। फिर एकदम से उसके चेहरे के भाव बदले। ऐसा लगा जैसे उसे किसी बात से तकलीफ हो रही है। उसकी आंखों में आसूं झलकने लगे। अपुन तो असल में उसे छेड़ रेला था और अब जब उसकी ये हालत देखी तो अपुन को अच्छा नहीं लगा लौड़ा। अपुन ने एकदम से उसे पकड़ कर खुद से छुपका लिया।

अपुन ─ अरे! सेंटी क्यों हो रेली है? अपुन तो बस तुझे छेड़ रेला था।

विधी ─ मुझसे दूर रह। एक तरफ तो मुझे अपनी जान कहता है और दूसरी तरफ मुझे रुलाता है। सच में गंदा है तू, मुझे तुझसे अब बता ही नहीं करना। जा रही हूं मैं, हां नहीं तो।

ये कहते हुए वो एक झटके से अपुन से अलग हुई और फिर बेड से भी उतर गई। जब वो दरवाजे की तरफ जाने लगी तो अपुन एकदम से चौंक पड़ा।

अपुन ─ अरे! रुक जा, कहां जा रेली है?

विधी दरवाजे का कुंडा पकड़े पलटी और रूठे हुए लहजे से बोली ─ मुझे तुझ जैसे गंदे इंसान के पास नहीं रहना। इस लिए जा रही हूं अपने रूम में। तुझे जिसे अपनी गर्लफ्रेंड बनाना है बना, मुझसे बात मत करना।

इससे पहले कि दरवाजा खोल कर वो सच में ही चली जाती अपुन बेड से कूद कर बिजली की स्पीड से उसके पास पहुंचा। फिर उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा तो वो झोंक में सीधा आ कर अपुन के सीने से टकराई। उसके मध्यम आकार के बूब्स अपुन की छाती में धंस गए जिससे अपुन के जिस्म में झुरझुरी दौड़ गई।

विधी ─ छोड़ दे मुझे गंदे इंसान।

अपुन ─ कैसे छोड़ दूं? तू तो अपुन की जान है। तू अपुन से रूठ के दूर जाएगी तो कैसे जी पाएगा अपुन?

विधी ─ अगर सच में मैं तेरी जान होती तो तू मुझे ऐसे न रुलाया और ना ही मेरे सामने किसी और को अपनी गर्लफ्रेंड बनाने को कहता।

अपुन ─ वो तो इस लिए कहा क्योंकि तूने अपुन की गर्लफ्रेंड बनने से इंकार कर दिया था।

विधी जो अभी तक अपुन से छूटने की कोशिश कर रेली थी वो अपुन की ये बात सुन के एकदम शांत पड़ गई और हैरानी से देखने लगी।

विधी ─ क्या मतलब है तेरा?

अपुन ─ क्या अब भी नहीं समझी?

विधी ─ नहीं, तू समझा।

अपुन ─ अपुन ने शुरू में ही तुझे अपनी गर्लफ्रेंड बन जाने को बोला था पर तूने मना किया।

विधी ─ मैंने ऐसा कब कहा?

अपुन ─ अरे! लेकिन हां भी तो नहीं कहा था। खैर, तुझे ये सोचना चाहिए था कि जब तू अपुन की जान है तो अपुन किसी और को अपनी जान कैसे बना सकता है? पर अगर तू सच में अपुन की जान नहीं बनेगी तो अपुन को फिर कुछ और तो सोचना ही पड़ेगा न?

विधी एक बार फिर बुरी तरह उलझ गई। कुछ देर तक वो सोचती रही। अपुन उसी को देखे जा रेला था। अपुन ने अभी भी उसे खुद से छुपका रखा था और उसके बूब्स अपुन के सीने में धंसे हुए थे।

अपुन के मन में अजीब अजीब से खयाल उभर रहे थे। एक तरफ अपुन के अंदर हवस जाग रेली थी तो दूसरी तरफ ये सोच के ग्लानि भी होती कि वो अपुन की बहन है और अपुन ये कैसे उसके बारे में गलत सोच रेला है? तभी विधी की आवाज अपुन के कानों में पड़ी।

विधी ─ मुझे समझ नहीं आ रहा कि तू कहना क्या चाहता है?

अपुन ─ जब ठीक से समझेगी तभी तो समझ आएगा तुझे।

विधी ─ तो ठीक से तू ही समझा दे न।

अपुन ने उसे खुद से अलग किया और फिर बेड पर ले आया। वो बिना किसी विरोध के चुपचाप बेड पर बैठ गई थी। अपुन भी बेड पर उसके सामने बैठ गया और सोचने लगा कि आखिर किन शब्दों से समझाए उसको?

असल में अपुन एक कन्फ्यून में पड़ गयला था। इस सबके पहले दूर दूर तक अपुन के मन में उससे ऐसा कुछ कहने का या सोचने का खयाल नहीं था लेकिन अब जब बात यहां तक पहुंच गईली थी तो अपुन सोच में पड़ गयला था कि इस रास्ते में आगे बढ़े या नहीं? तभी विधी की आवाज से अपुन सोचो से बाहर आया।

विधी ─ अब कुछ बोलेगा भी या ऐसे ही बैठा रहेगा?

अपुन ─ एक बात बता, जैसे अपुन तुझे अपनी जान मानता है तो क्या तू भी अपुन को अपनी जान मानती है?

विधी ─ हां क्यों नहीं। तू भी मेरी जान है, हां नहीं तो।

अपुन ─ अच्छा, तो बता क्यों है अपुन तेरी जान?

विधी ─ बस है तो है। तू भी तो मुझे अपनी जान कहता है।

अपुन ─ हां कहता है अपुन लेकिन वो इस लिए क्योंकि तू अपुन की बहन है और अपुन तुझे बहुत चाहता है। एक दूसरे से लड़ना झगड़ना अलग बात है।

विधी ─ हां तो मैं भी तो इसी लिए तुझे अपनी जान मानती हूं, इसमें क्या है?

अपुन समझ गया कि उसके मन में जान मानने वाली बात के प्रति कोई गंभीर बात नहीं है या हो भी सकती है पर फिलहाल वो इस बात को न तो कबूल कर रही थी और ना ही ज़ाहिर कर रही थी। खैर अपुन ने कुछ सोचा और फिर उससे कहा।

अपुन ─ तुझे इसमें कुछ नहीं फील हो रहा?

विधी ─ ये तू क्या गोल मोल और घुमा फिरा के बोल रहा है? सीधे सीधे बोल न क्या बोल रहा है?

अपुन ─ ओके। अगर तुझे सच में कुछ फील नहीं हो रहा तो फिर तुझे अपुन के कुछ भी करने से प्रॉब्लम नहीं होनी चाहिए। यानि अपुन जिस लड़की को चाहे अपनी गर्लफ्रेंड बना सकता है।

विधी ─ ऐसे कैसे बना सकता तू?

अपुन ─ अरे! तो तुझे इससे प्रॉब्लम क्या है? यही तो तुझसे पूछ रेला है अपुन।

विधी फ़ौरन कोई जवाब न दे सकी। वो हकबकाई सी दिखी और नज़रें चुराती नजर आई। कुछ पलों तक जाने क्या सोचती रही फिर बोली।

विधी ─ बस ऐसे ही, मुझे अच्छा नहीं लगता कि तू किसी लड़की से कोई रिलेशन रखे। देख, मैं सिर्फ ये चाहती हूं कि तू बस अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे। हां हां...यही..यही चाहती हूं मैं, हां नहीं तो।

अपुन ─ पढ़ाई तो अपुन करता ही है लेकिन पढ़ाई के साथ साथ लाइफ में एंटरटेनमेंट भी तो जरूरी है।

विधी ─ हां तो इसके लिए तू मूवीज़ देख लिया कर, और क्या?

अपुन ─ मूवीज़ देख देख के बोर हो गया है अपुन। अब तो बस एक ही इच्छा है कि अपुन भी दूसरे लड़कों की तरह किसी लड़की को गर्लफ्रेंड बनाए और फिर उसके साथ मस्त एंजॉय करे।

अपुन की ये बात सुन कर विधी का चेहरा देखने लायक हो गया। वो बहुत बेचैन सी दिखने लगी। जैसे समझ न आ रहा हो कि क्या करे अब?

विधी ─ देख ये तू अच्छा नहीं कर रहा है। तुझे अभी पता नहीं है कि बाहर की लड़कियां कितनी खराब होती हैं। नहीं नहीं, तू किसी लड़की को अपनी गर्लफ्रेंड नहीं बनाएगा। तू बस अपनी पढ़ाई पर ही ध्यान दे, हां नहीं तो।

अपुन समझ गया कि कुछ तो गड़बड़ है लौड़ा। बोले तो अब अपुन को यकीन भी हो गयला था कि वो अपुन के प्रति कुछ तो ऐसा फील करती थी जिसे वो अपुन के सामने एक्सेप्ट करने से या तो कतरा रही है या शायद डर रही है। अपुन ने भी सोचा कि इस वक्त उसे और ज्यादा परेशान करना ठीक नहीं है।

अपुन ─ ठीक है, अगर अपुन की जान यही चाहती है तो अपुन किसी लड़की को गर्लफ्रेंड नहीं बनाएगा, लेकिन..अपुन की भी एक शर्त है।

विधी ─ कैसी शर्त?

अपुन ─ तुझे अपुन की गर्लफ्रेंड बन के रहना होगा।

विधी (शॉक) ─ क्या??? मतलब ये क्या कह रहा है तू?

अपुन ─ सोच ले अब। वो क्या है न कि अपुन जब दूसरे लड़कों को अपनी अपनी गर्लफ्रेंड के साथ एंजॉय करते देखता है तो अपुन का भी वैसा करने का मन करने लगता है। अब तू तो चाहती नहीं है कि अपुन बाहर किसी लड़की को गर्लफ्रेंड बनाए तो तुझे ही अपुन की गर्लफ्रेंड बनना होगा न।

विधी सोच में पड़ गई। यूं तो उसके चेहरे पर खुशी के भाव भी तैर रेले थे लेकिन वो अपनी खुशी को छुपाने का प्रयास कर रेली थी और साथ में सोच में पड़ जाने का नाटक भी कर रेली थी। फिर जैसे उसने कोई फैसला कर लिया।

विधी ─ देख, तू भी मेरी जान है इस लिए तेरे लिए मैं तेरी गर्लफ्रेंड बनना एक्सेप्ट करती हूं लेकिन...।

अपुन ─ लेकिन??

विधी ─ लेकिन अब से तू न तो उस कमीनी रीना की तरफ देखेगा और ना ही किसी और लड़की को। अगर तूने ऐसा किया तो तेरे लिए अच्छा नहीं होगा, हां नहीं तो।

अपुन ─ अरे! जिसके पास तेरे जैसी ब्यूटीफुल हॉट एंड सेक्सी गर्लफ्रेंड हो वो किसी और को क्यों देखेगा भला?

विधी (आंखें फैला कर) ─ तू..तूने मुझे हॉट एंड सेक्सी कहा??? अरे! कुछ तो शर्म कर, बहन हूं तेरी।

अपुन ─ हां पर अभी अभी तू अपुन की गर्लफ्रेंड भी तो बन गईली है और गर्लफ्रेंड अगर हॉट एंड सेक्सी हो तो उसे यही तो बोलेगा न अपुन?

विधी खुश तो बहुत थी लेकिन ज़ाहिर नहीं करना चाहती थी। इस लिए हैरान होने का नाटक जारी था उसका और झूठा गुस्सा भी।

विधी ─ तू न बहुत गंदा है। अभी एक मिनट भी नहीं हुआ मुझे गर्लफ्रेंड बने हुए और तू मुझे ऐसे बोलने लगा। देख नेक्स्ट टाइम से किसी के सामने ऐसा नहीं बोलना वरना गर्लफ्रेंड का कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दूंगी, हां नहीं तो।

अपुन उसकी ये बातें सुन कर मन ही मन हंसा। वो अपने आपको बहुत स्मार्ट समझ रेली थी जबकि स्मार्ट थी नहीं। वो समझती थी कि अपुन को उसकी असलियत का एहसास ही नहीं हुआ है। यानि अपुन को बुद्धू समझ रेली थी, हट लौड़ी। खैर अब क्योंकि अपुन को उसके हिसाब से ही चलना था इस लिए ऐसा दिखाना भी था।

अपुन ─ हां किसी के सामने नहीं बोलेगा अपुन लेकिन जब अपन लोग अकेले होंगे तब तो बोलेगा ही न अपुन।

विधी ─ क्या ऐसा बोलना जरूरी है?

अपुन ─ अरे! बहुत जरूरी है। क्या तू नहीं चाहती कि तेरा ब्वॉयफ्रेंड तेरी तारीफ़ करे?

विधी (खुश हो कर) ─ हां हां, चाहती हूं। अच्छा सुन, तू तो अब मेरा ब्वॉयफ्रेंड है न तो अब से तू मेरी बहुत सारी तारीफ किया करना।

अपुन ─ बिल्कुल, अपुन अपनी जान की तारीफ करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। तू एक काम कर, अपुन को लिस्ट बना के दे दे कि अपुन तारीफ में तुझे क्या क्या बोले?

विधी (आँखें दिखा कर) ─ लिस्ट क्यों? ये तो तू खुद से ही करेगा न। अगर तुझे लिस्ट बना के देना पड़े तो तू फिर अपने से कैसे कोई वर्ड तारीफ में बोलेगा?

अपुन समझ गया कि वो इतनी भी येड़ी नहीं है जितना अपुन उसे समझ रेला है।

अपुन ─ ठीक है फिर, लेकिन तारीफ में तुझे सब कुछ सुनना पड़ेगा। बोले तो अगर अपुन कुछ ऐसा वैसा बोले तो तू गुस्सा मत करना, समझी?

विधी ─ अरे! पर तू ऐसा वैसा बोलेगा ही क्यों मुझे? मुझे पता है, तू मेरी तारीफ में सब अच्छा ही बोलेगा, हां नहीं तो।

अपुन ─ अच्छा सुन, अपन लोग अब एक दूसरे के गर्लफ्रेंड ब्वॉयफ्रेंड तो बन गएले हैं लेकिन इस नए रिलेशनशिप की खुशी में मुंह मीठा तो किया ही नहीं अपन लोग ने।

विधी ─ हां ये तो तूने सही कहा। रुक अभी मैं किचेन से मिठाई ले के आती हूं।

कहने के साथ ही वो बेड से नीचे उतरने लगी तो अपुन ने झट से उसे रोक लिया। वो अपुन को सवालिया नजरों से देखने लगी।

अपुन ─ अरे! मिठाई लेने किचेन में क्यों जा रेली है?

विधी ─ अरे! मिठाई तो किचेन में ही रखी है बुद्धू। मैंने शाम को फ्रिज में देखा था, उसमें मिठाई का एक पैकेट रखा था। तू रुक मैं एक मिनिट से भी पहले उसे ले कर आ जाऊंगी।

अपुन ─ पर अपुन को उस मिठाई से मुंह मीठा नहीं करना।

विधी (हैरानी से) ─ क्या?? तो फिर कैसे मुंह मीठा करेगा तू?

अपुन जो सोच रेला था उससे अपुन की धड़कनें ट्रेन के इंजन के माफिक तेज हो गईली थीं। मन में ये सोच के घबराहट भी होने लगी थी कि कहीं अपुन के मुख वो बात सुन के वो गुस्सा न हो जाए।

खैर अपुन ने सोचा जो होगा देखा जाएगा। इस लिए अपुन ने डरते डरते अपने एक हाथ को उसकी तरफ बढ़ाया और उसके गुलाबी होठों को एक उंगली से छू कर कहा।

अपुन ─ तेरे इन होठों को चख के मुंह मीठा करेगा अपुन।

विधी अपुन की बात सुन कर बुरी तरह उछल पड़ी। आश्चर्य से आंखें फाड़ कर देखा अपुन को।

विधी (आँखें फाड़ कर) ─ ये...ये क्या कह रहा है तू? पागल है क्या?

अपुन ─ देख अब तू अपुन की गर्लफ्रेंड है तो तुझे इतना तो अपुन के लिए करना ही पड़ेगा। वैसे भी ऐसे रिलेशन में इतना सब करना तो नॉर्मल बात होती है और हां जरूरी भी होता है क्योंकि इससे रिलेशन बना रहता है वरना लड़के लोग बोर हो जाते हैं और ब्रेकअप भी कर लेते हैं।

विधी बुरी तरह हैरान नज़र आई। उसका मुंह भाड़ की तरह खुला हुआ था। अपुन लौड़ा जो पहले घबराया हुआ था अब उसके इस रिएक्शन पर थोड़ा रिलैक्स हो गयला था।

विधी ─ तू...तू ऐसा कैसे बोल सकता है? मत भूल कि हम दोनों सगे भाई बहन हैं और भाई बहन के बीच ये करना गलत है।

अपुन ─ हां पर अब अपन के बीच एक नया रिलेशन भी तो बन गयला है और उसमें ये करना गलत नहीं है। इसके बाद भी अगर तुझे ये गलत लगता है तो फिर अपन लोग के बीच ये रिलेशन भी नहीं होना चाहिए। मतलब कि अपुन के लिए यही अच्छा है कि अपुन बाहर की किसी लड़की को गर्लफ्रेंड बना ले और उसी के साथ ये सब करे।

विधी ये सुन कर थोड़ा परेशान दिखने लगी। उसे समझ नहीं आ रेला था कि अब क्या करे? ऐसा लगा जैसे वो किसी धर्म संकट में फंस गईली है। अपुन भी अब ये सोचने लगा कि देखें तो सही वो क्या फैसला करती है? कुछ देर तक वो असमंजस में फंसी रही, फिर अपुन की तरफ परेशानी से देख कहा

विधी ─ क्या तू सच में ये करना चाहता है? क्या सच में तुझे अपनी बहन के साथ ये करना सही लगता है?

अपुन ─ देख, अपुन ज्यादा तो नहीं जानता लेकिन इतना फील करता है कि अगर दो लोग का मन किसी बात के लिए हां कर दे तो वो सही ही होता है। अपुन मानता है कि तू अपुन की बहन है और बहन के साथ किस विस करना गलत है लेकिन अब क्योंकि तू अपुन की गर्लफ्रेंड भी बन गईली है तो अपुन को इस रिलेशन के बेस पर भी चलना होगा और इस रिलेशन में ये करना गलत नहीं है। साफ शब्दों में बोले तो अपुन को ये गलत नहीं लगता, बाकी अगर तुझे गलत लगता है तो मत कर।

विधी फिर से सोच में पड़ गई। कुछ देर तक वो अपुन को एकटक देखती रही। अपुन भी उसे ही देखे जा रेला था और सोच भी रेला था कि अपुन जिस बात के लिए उसे उकसा रेला है क्या वो सही है? कहीं ऐसा तो नहीं कि आगे चल कर इसका कोई भयंकर परिणाम भोगना पड़े? बेटीचोद, इस खयाल ने गाड़ फाड़ के रख दी अपुन की लेकिन फिर अगले ही पल अपुन ये सोच के रिलैक्स हो गया कि जो होगा देखा जाएगा लौड़ा।

उधर विधी ने जैसे कोई फैसला कर लिया था। बोली तो कुछ नहीं लेकिन धीरे से अपुन की तरफ खिसक आई और फिर बैठे ही बैठे वो अपुन के चेहरे के एकदम पास आ गई। ये देख लौड़ा अपुन की धड़कनें बढ़ गईं। मन में यही खयाल उभरा कि कहीं ये सच में अपुन को किस तो नहीं देने जा रेली है? उधर वो अपुन के चेहरे के एकदम पास आ कर रुकी।

विधी ─ तू मुझे अपनी जान कहता है और मैं भी तुझे अपनी जान मानती हूं। मतलब कि हम दोनों एक दूसरे को एक जैसा ही मानते हैं तो अब जब तू इसे गलत नहीं मानता तो मैं भी नहीं मानूंगी।

अपुन के एकदम पास ही वो चेहरा किए बैठी थी। उसकी सांसें अपुन के चेहरे से टकरा रेलीं थी। उसके गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होठ बिल्कुल एक अंगुल की दूरी पर थे जिन पर अपुन की नज़रें टिकी हुईं थी।

MP4

लौड़ा, अपुन की तो प्रतिपल हालत ही खराब हुई जा रेली थी। फिर भी उसकी बात सुन कर धीरे से बोला।

अपुन ─ तो फिर देर क्यों कर रेली है मेरी जान। मुंह मीठा करवा न जल्दी।

और जैसे वो भी अपुन के ऐसा कहने का ही इंतजार कर रेली थी। झट से उसने अपुन का चेहरा हल्के हाथों से पकड़ा और अपने गुलाबी होठ रख दिए अपुन के होठों पर।

पलक झपकते ही अपुन के जिस्म में सनसनी सी दौड़ गई। इससे पहले कि विधी अपुन के होठों से अपने होठ अलग करती अपुन ने जल्दी से उसका चेहरा थाम लिया और फिर उसके होठों को मुंह में ले कर चूमने चूसने लगा।

अपुन की इस हरकत से उसे बड़ा तेज झटका लगा। वो फ़ौरन ही अपुन से अलग होने को हुई लेकिन अपुन ने मजबूती से उसका चेहरा थाम रखा था जिससे वो अपने होठों को अपुन के चंगुल से छुड़ा न पाई।

विधी छटपटाने लग गईली थी लेकिन अपुन मजे से उसके होठ चूसे जा रेला था। सच तो ये था लौड़ा कि अपुन एक ही पल में मजे के सातवें आसमान में पहुंच गयला था और एक ही पल में सब कुछ भूल भी गयला था। उसके होठ बहुत ही सॉफ्ट थे और बहुत ही मीठे भी। मन तो कर रेला था कि सारी रात उन्हें इसी तरह चूसता रहे लेकिन फिर अलग होना पड़ गया लौड़ा।

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विधी जब खुद को अपुन से न छुड़ा पाई थी तो उसने अपुन के सिर के बाल बहुत जोर से खींचे थे जिससे अपुन को दर्द हुआ और अपुन ने होश में आ कर फ़ौरन ही उसे छोड़ दिया था।

उसे छोड़ा तो वो बुरी तरह हांफती दिखी और साथ ही गुस्से में भी। फिर अचानक उसने खींच के एक तमाचा जड़ दिया अपुन के गाल पर।

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विधी ─ कुत्ते कमीने, ये क्या कर रहा था तू? एक बार भी नहीं सोचा कि तेरी बहन हूं मैं।आज के बाद अपनी शक्ल मत दिखाना मुझे।

अपुन तो लौड़ा शॉक ही हो गया। मतलब कि ये क्या बवासीर हो गया? लौड़ा जो बात सोचा ही नहीं था वो हो गयला था। अपुन तो यही सोच बैठा था कि अपुन की तरह शायद अब वो भी यही चाहती है लेकिन उसका अचानक से बदला ये रूप देख अपुन का तो जैसे फ्यूज ही उड़ गयला था।

उधर अपुन को ये सब बोल कर वो बेड से उतर गई और फिर गुस्से में ही पैर पटकता हुए रूम से बाहर निकल गई। दरवाजे के बड़े जोर से झटक कर बंद किया था उसने। इधर अपुन बेड पर ऐसे बैठा था जैसे किसी ने अपुन की गांड़ ही मार ली हो बेटीचोद।

To be continued...




Aaj ke liye itna hi bhai log...
Read and enjoy.. :declare:
Nice update....
 

dhparikh

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Update ~ 06



अपुन ने फौरन चार्जिंग से मोबाइल निकाला और फिर जैसे ही बेड पर लेट कर उसकी स्क्रीन जलाई तो भक्क से रूम का दरवाजा खुला और विधी दनदनाते हुए अंदर दाखिल हुई। उसे देख अपुन चौंक गया। मन ही मन सोचा कि इस लौड़ी को तो भूल ही गयला था अपुन। इसे तो अब सारी रात अपुन के साथ ही रूम में रहना है लौड़ा।


अब आगे....


विधी को आया देख अपुन ये सोचने लग गयला था कि काश ये न आती तो कितना अच्छा होता। वहीं दूसरी तरफ उसने रूम में आते ही जल्दी से दरवाजा बंद किया और फिर खुशी से उछलते हुए बेड पर आ कर सीधे पसर ही गई। अपुन क्योंकि बेड के सिरहाने से टिका हुआ अधलेटा पड़ा था इस लिए जैसे ही वो अपुन से थोड़ा नीचे लेटी तो एकदम से अपुन की नज़र उसके कुर्ते के गले में पड़ गई।

उसके कुर्ते का गला उसके उभारों की वजह से काफी उठा हुआ था जिससे अपुन को साफ साफ उसके दोनों बूब्स दिखने लगे थे। अपुन की तो लौड़ा नजरें ही जम गईं उसके बूब्स पर और सांसें तो जैसे अटक ही गईं। जबकि उसे इस बात की खबर ही नहीं थी। वो तो खुशी के मारे में सिर को हल्का पीछे कर अपुन को देखते हुए मुस्कुराए जा रेली थी।

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पलक झपकते ही अपुन का दिमाग खराब हो गया। आज पहली बार अपुन अपनी छोटी बहन के गुप्त अंग को इस तरह देख रेला था। वैसे थोड़ा बहुत तो इसके पहले भी अपुन की नज़र पड़ जाती थी लेकिन तब अपुन के अंदर गलत खयाल नहीं उभरते थे।

अपुन एकटक विधी के बूब्स को देखे जा रेला था और जब कुछ देर तक अपुन ने कोई रिएक्ट न किया तो विधी का मुस्कुराना बंद हो गया। उसे थोड़ा अजीब भी लगा। उसने अपुन की नज़रों का पीछा किया और फिर जैसे ही उसकी नज़र अपने कुर्ते के खुले गले से दिख रहे बूब्स पर पड़ी तो वो उछल ही पड़ी। अगले ही पल एक झटके से उठ कर बैठ गई वो।

उसके यूं उठ जाने पर अपुन को एकदम से होश आया तो अपुन ने उसकी तरफ देखा। ठीक उसी वक्त उसने भी अपुन को देखा और अगले ही पल वो बुरी तरह शर्मा कर नज़रें चुराने लगी।

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अपुन को भी एहसास हुआ कि लौड़ा ये क्या हो गया? फिर विधी ने जल्दी ही खुद को सम्हाल लिया।

विधी ─ भाई कितना गंदा है तू।

अपुन (चौंक कर) ─ क्या मतलब?

विधी ─ तू मेरे वहां पर ऐसे घूर के क्यों देख रहा था? शर्म नहीं आई तुझे?

अपुन ने जब देखा कि वो गुस्सा होने के बजाय शर्मा रेली है और झूठा गुस्सा दिखा रेली है तो अपुन भी रिलैक्स हो गया लौड़ा। इतना ही नहीं उसे छेड़ने का मन भी बना लिया। (भारी स्मार्ट लौंडा है अपुन)

अपुन ─ अब इसमें अपुन का क्या दोष है भला? तू खुद ही इस तरह से दिखा रेली थी तो अपुन की नज़र पड़ गई तेरे बूब्...आई मीन तेरे चेस्ट पर।

विधी अपुन की ये बात सुन कर फिर से बुरी तरह शर्मा गई। उसके गाल कान तक लाल सुर्ख हो ग‌ए। कुछ पलों तक जैसे उसे समझ ही न आया कि क्या कहे लेकिन फिर जैसे उसने इस बार भी खुद को सम्हाल लिया।

विधी ─ तू सच में बहुत गंदा है। माना कि मेरी गलती थी लेकिन तुझे तो ख्याल रखना चाहिए था? ऐसे घूरते रहने की क्या जरूरत थी तुझे?

अपुन ─ अब इतनी खूबसूरत चीज़ सामने होगी तो भला कैसे किसी की नजर जमी न रह जाएगी उस पर?

विधी फिर से बुरी तरह शर्मा गई लेकिन इस बार उसने अपनी झूठी नाराजगी दिखाते हुए अपुन के बाजू में मुक्का मार दिया।

विधी ─ कुछ तो शर्म कर बेशर्म। मैं तेरी बहन हूं, तेरी गर्लफ्रेंड नहीं, हां नहीं तो।

अपुन ─ अच्छा, तो गर्लफ्रेंड बन जा न।

विधी (शॉक्ड) ─ क्या कहा???

अपुन─ वही जो तूने सुना।

विधी ─ पागल है क्या? बहन को गर्लफ्रेंड बन जाने को कैसे बोल सकता है तू?

अपुन ─ अरे! तो इसमें क्या हो गया? बहन को भी तो गर्लफ्रेंड बना सकते हैं। मतलब कि भाई बहन दोस्त भी तो बन सकते हैं।

विधी ─ ऐसा कैसे हो सकता है? गर्लफ्रेंड का मतलब तो वही सब होता है न?

अपुन समझ गया कि वो दूसरे टाइप की गर्लफ्रेंड का सोच रेली है।

अपुन ─ हां एक वैसी भी गर्लफ्रेंड होती है लेकिन वैसे गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड के बीच कभी कभी फिजिकल रिलेशन भी बन जाते हैं...यू नो? लेकिन जो सिर्फ दोस्त होते हैं उनके बीच ऐसा नहीं होता।

विधी (शॉक) ─ क्या बात कर रहा है? भला ऐसा भी कहीं होता है? मतलब कि लड़का लड़की सिर्फ दोस्त रहें क्या ये पॉसिबल है?

अपुन─ हां क्यों नहीं। अगर दोनों चाहें तो, और अगर दोनों रिलेशन में भाई बहन हों तो।

विधी अब भी जैसे उलझन में थी। उसके चेहरे पर सोचो के भाव थे। वो ये बात जैसे भूल ही गई थी कि अपन दोनों के बीच शुरुआत किस बात से हुई थी।

अपुन ─ चल ज़्यादा मत सोच। अपुन तो मज़ाक कर रेला था। अपुन को तुझे अपनी गर्लफ्रेंड बनाने का कोई शौक नहीं है। अपुन तो किसी ऐसी लड़की को अपनी गर्लफ्रेंड बनाएगा जो तुझसे ज़्यादा ब्यूटीफुल हो और तेरी तरह अपुन से बात बात पर झगड़ा न करे और ना ही ज्यादा नखरे दिखाए।

विधी ने जब अपुन की ये बात सुनी तो वो अपुन को घूर कर देखने लगी। ऐसा लगा जैसे अपुन की ये बात उसे अच्छी न लगी हो।

विधी ─ ज्यादा मत बोल। मैंने अच्छे से देखा है, पूरे कॉलेज में मुझसे ज्यादा ब्यूटीफुल लड़की नहीं है। बड़ा आया मुझसे ज्यादा ब्यूटीफुल लड़की को गर्लफ्रेंड बनाने वाला, हां नहीं तो।

अपुन ─ अरे! कॉलेज में नहीं है तो क्या हुआ? इतने बड़े शहर में कहीं तो होगी ही। अपुन कल से ही ऐसी ब्यूटीफुल लड़की को खोजना शुरू करेगा और उसे अपनी गर्लफ्रेंड बनाएगा। वाह! जब वो अपुन की गर्लफ्रेंड बन जाएगी तो अपुन उसे अपनी बाइक में बैठा कर मस्त मस्त जगह घूमने जाया करेगा और...और दोनों साथ में...।

विधी ─ बस बस, इतने सपने मत देख। तेरे जैसे लंगूर को कोई अपना बॉयफ्रेंड नहीं बनाएगी, हां नहीं तो।

अपुन ─ अरे! अपुन को अपना ब्वॉयफ्रेंड बनाने के लिए कॉलेज की जाने कितनी लड़कियां मरी जा रेली हैं। एक तो तेरी फ्रेंड रीना ही है जो अपुन की गर्लफ्रेंड बनने के लिए मरी जा रेली है।

विधी ─ कुत्ती कमीनी है वो। तुझे बोला था न कि उससे दूर रह। वो अच्छी लड़की नहीं है।

अपुन ─ कोई बात नहीं। जब तक तुझसे ज़्यादा ब्यूटीफुल लड़की नहीं मिल जाती तब तक उसे ही अपनी गर्लफ्रेंड बना कर काम चला लेगा अपुन।

विधी (गुस्से से) ─ मैंने कहा न वो अच्छी लड़की नहीं है, फिर क्यों उसे अपनी गर्लफ्रेंड बनाने को बोल रहा है तू?

अपुन ─ अरे! बताया तो कि तब तक उसी से काम चलाएगा अपुन।

विधी ─ ठीक है, फिर मैं भी अब किसी को अपना ब्वॉयफ्रेंड बनाऊंगी।

अपुन (मुस्कुरा कर) ─ बिल्कुल बना ले।

विधी ─ क्या??? मतलब कि क्या तुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लग रहा कि मैं तेरे सामने किसी लड़के को अपना ब्वॉयफ्रेंड बनाने को बोल रही हूं?

अपुन ─ अरे! अपुन को बुरा क्यों लगेगा भला? जैसे अपुन अपने तरीके से लाइफ जीना चाहता है वैसे ही तू भी तो जीना चाहती है। जब अपुन किसी को अपनी गर्लफ्रेंड बनाना चाहता है तो तू भी किसी को अपना ब्वॉयफ्रेंड बना ले, सिंपल।

विधी ने इस बार सच में बेहद गुस्से से देखा अपुन को। फिर एकदम से उसके चेहरे के भाव बदले। ऐसा लगा जैसे उसे किसी बात से तकलीफ हो रही है। उसकी आंखों में आसूं झलकने लगे। अपुन तो असल में उसे छेड़ रेला था और अब जब उसकी ये हालत देखी तो अपुन को अच्छा नहीं लगा लौड़ा। अपुन ने एकदम से उसे पकड़ कर खुद से छुपका लिया।

अपुन ─ अरे! सेंटी क्यों हो रेली है? अपुन तो बस तुझे छेड़ रेला था।

विधी ─ मुझसे दूर रह। एक तरफ तो मुझे अपनी जान कहता है और दूसरी तरफ मुझे रुलाता है। सच में गंदा है तू, मुझे तुझसे अब बता ही नहीं करना। जा रही हूं मैं, हां नहीं तो।

ये कहते हुए वो एक झटके से अपुन से अलग हुई और फिर बेड से भी उतर गई। जब वो दरवाजे की तरफ जाने लगी तो अपुन एकदम से चौंक पड़ा।

अपुन ─ अरे! रुक जा, कहां जा रेली है?

विधी दरवाजे का कुंडा पकड़े पलटी और रूठे हुए लहजे से बोली ─ मुझे तुझ जैसे गंदे इंसान के पास नहीं रहना। इस लिए जा रही हूं अपने रूम में। तुझे जिसे अपनी गर्लफ्रेंड बनाना है बना, मुझसे बात मत करना।

इससे पहले कि दरवाजा खोल कर वो सच में ही चली जाती अपुन बेड से कूद कर बिजली की स्पीड से उसके पास पहुंचा। फिर उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा तो वो झोंक में सीधा आ कर अपुन के सीने से टकराई। उसके मध्यम आकार के बूब्स अपुन की छाती में धंस गए जिससे अपुन के जिस्म में झुरझुरी दौड़ गई।

विधी ─ छोड़ दे मुझे गंदे इंसान।

अपुन ─ कैसे छोड़ दूं? तू तो अपुन की जान है। तू अपुन से रूठ के दूर जाएगी तो कैसे जी पाएगा अपुन?

विधी ─ अगर सच में मैं तेरी जान होती तो तू मुझे ऐसे न रुलाया और ना ही मेरे सामने किसी और को अपनी गर्लफ्रेंड बनाने को कहता।

अपुन ─ वो तो इस लिए कहा क्योंकि तूने अपुन की गर्लफ्रेंड बनने से इंकार कर दिया था।

विधी जो अभी तक अपुन से छूटने की कोशिश कर रेली थी वो अपुन की ये बात सुन के एकदम शांत पड़ गई और हैरानी से देखने लगी।

विधी ─ क्या मतलब है तेरा?

अपुन ─ क्या अब भी नहीं समझी?

विधी ─ नहीं, तू समझा।

अपुन ─ अपुन ने शुरू में ही तुझे अपनी गर्लफ्रेंड बन जाने को बोला था पर तूने मना किया।

विधी ─ मैंने ऐसा कब कहा?

अपुन ─ अरे! लेकिन हां भी तो नहीं कहा था। खैर, तुझे ये सोचना चाहिए था कि जब तू अपुन की जान है तो अपुन किसी और को अपनी जान कैसे बना सकता है? पर अगर तू सच में अपुन की जान नहीं बनेगी तो अपुन को फिर कुछ और तो सोचना ही पड़ेगा न?

विधी एक बार फिर बुरी तरह उलझ गई। कुछ देर तक वो सोचती रही। अपुन उसी को देखे जा रेला था। अपुन ने अभी भी उसे खुद से छुपका रखा था और उसके बूब्स अपुन के सीने में धंसे हुए थे।

अपुन के मन में अजीब अजीब से खयाल उभर रहे थे। एक तरफ अपुन के अंदर हवस जाग रेली थी तो दूसरी तरफ ये सोच के ग्लानि भी होती कि वो अपुन की बहन है और अपुन ये कैसे उसके बारे में गलत सोच रेला है? तभी विधी की आवाज अपुन के कानों में पड़ी।

विधी ─ मुझे समझ नहीं आ रहा कि तू कहना क्या चाहता है?

अपुन ─ जब ठीक से समझेगी तभी तो समझ आएगा तुझे।

विधी ─ तो ठीक से तू ही समझा दे न।

अपुन ने उसे खुद से अलग किया और फिर बेड पर ले आया। वो बिना किसी विरोध के चुपचाप बेड पर बैठ गई थी। अपुन भी बेड पर उसके सामने बैठ गया और सोचने लगा कि आखिर किन शब्दों से समझाए उसको?

असल में अपुन एक कन्फ्यून में पड़ गयला था। इस सबके पहले दूर दूर तक अपुन के मन में उससे ऐसा कुछ कहने का या सोचने का खयाल नहीं था लेकिन अब जब बात यहां तक पहुंच गईली थी तो अपुन सोच में पड़ गयला था कि इस रास्ते में आगे बढ़े या नहीं? तभी विधी की आवाज से अपुन सोचो से बाहर आया।

विधी ─ अब कुछ बोलेगा भी या ऐसे ही बैठा रहेगा?

अपुन ─ एक बात बता, जैसे अपुन तुझे अपनी जान मानता है तो क्या तू भी अपुन को अपनी जान मानती है?

विधी ─ हां क्यों नहीं। तू भी मेरी जान है, हां नहीं तो।

अपुन ─ अच्छा, तो बता क्यों है अपुन तेरी जान?

विधी ─ बस है तो है। तू भी तो मुझे अपनी जान कहता है।

अपुन ─ हां कहता है अपुन लेकिन वो इस लिए क्योंकि तू अपुन की बहन है और अपुन तुझे बहुत चाहता है। एक दूसरे से लड़ना झगड़ना अलग बात है।

विधी ─ हां तो मैं भी तो इसी लिए तुझे अपनी जान मानती हूं, इसमें क्या है?

अपुन समझ गया कि उसके मन में जान मानने वाली बात के प्रति कोई गंभीर बात नहीं है या हो भी सकती है पर फिलहाल वो इस बात को न तो कबूल कर रही थी और ना ही ज़ाहिर कर रही थी। खैर अपुन ने कुछ सोचा और फिर उससे कहा।

अपुन ─ तुझे इसमें कुछ नहीं फील हो रहा?

विधी ─ ये तू क्या गोल मोल और घुमा फिरा के बोल रहा है? सीधे सीधे बोल न क्या बोल रहा है?

अपुन ─ ओके। अगर तुझे सच में कुछ फील नहीं हो रहा तो फिर तुझे अपुन के कुछ भी करने से प्रॉब्लम नहीं होनी चाहिए। यानि अपुन जिस लड़की को चाहे अपनी गर्लफ्रेंड बना सकता है।

विधी ─ ऐसे कैसे बना सकता तू?

अपुन ─ अरे! तो तुझे इससे प्रॉब्लम क्या है? यही तो तुझसे पूछ रेला है अपुन।

विधी फ़ौरन कोई जवाब न दे सकी। वो हकबकाई सी दिखी और नज़रें चुराती नजर आई। कुछ पलों तक जाने क्या सोचती रही फिर बोली।

विधी ─ बस ऐसे ही, मुझे अच्छा नहीं लगता कि तू किसी लड़की से कोई रिलेशन रखे। देख, मैं सिर्फ ये चाहती हूं कि तू बस अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे। हां हां...यही..यही चाहती हूं मैं, हां नहीं तो।

अपुन ─ पढ़ाई तो अपुन करता ही है लेकिन पढ़ाई के साथ साथ लाइफ में एंटरटेनमेंट भी तो जरूरी है।

विधी ─ हां तो इसके लिए तू मूवीज़ देख लिया कर, और क्या?

अपुन ─ मूवीज़ देख देख के बोर हो गया है अपुन। अब तो बस एक ही इच्छा है कि अपुन भी दूसरे लड़कों की तरह किसी लड़की को गर्लफ्रेंड बनाए और फिर उसके साथ मस्त एंजॉय करे।

अपुन की ये बात सुन कर विधी का चेहरा देखने लायक हो गया। वो बहुत बेचैन सी दिखने लगी। जैसे समझ न आ रहा हो कि क्या करे अब?

विधी ─ देख ये तू अच्छा नहीं कर रहा है। तुझे अभी पता नहीं है कि बाहर की लड़कियां कितनी खराब होती हैं। नहीं नहीं, तू किसी लड़की को अपनी गर्लफ्रेंड नहीं बनाएगा। तू बस अपनी पढ़ाई पर ही ध्यान दे, हां नहीं तो।

अपुन समझ गया कि कुछ तो गड़बड़ है लौड़ा। बोले तो अब अपुन को यकीन भी हो गयला था कि वो अपुन के प्रति कुछ तो ऐसा फील करती थी जिसे वो अपुन के सामने एक्सेप्ट करने से या तो कतरा रही है या शायद डर रही है। अपुन ने भी सोचा कि इस वक्त उसे और ज्यादा परेशान करना ठीक नहीं है।

अपुन ─ ठीक है, अगर अपुन की जान यही चाहती है तो अपुन किसी लड़की को गर्लफ्रेंड नहीं बनाएगा, लेकिन..अपुन की भी एक शर्त है।

विधी ─ कैसी शर्त?

अपुन ─ तुझे अपुन की गर्लफ्रेंड बन के रहना होगा।

विधी (शॉक) ─ क्या??? मतलब ये क्या कह रहा है तू?

अपुन ─ सोच ले अब। वो क्या है न कि अपुन जब दूसरे लड़कों को अपनी अपनी गर्लफ्रेंड के साथ एंजॉय करते देखता है तो अपुन का भी वैसा करने का मन करने लगता है। अब तू तो चाहती नहीं है कि अपुन बाहर किसी लड़की को गर्लफ्रेंड बनाए तो तुझे ही अपुन की गर्लफ्रेंड बनना होगा न।

विधी सोच में पड़ गई। यूं तो उसके चेहरे पर खुशी के भाव भी तैर रेले थे लेकिन वो अपनी खुशी को छुपाने का प्रयास कर रेली थी और साथ में सोच में पड़ जाने का नाटक भी कर रेली थी। फिर जैसे उसने कोई फैसला कर लिया।

विधी ─ देख, तू भी मेरी जान है इस लिए तेरे लिए मैं तेरी गर्लफ्रेंड बनना एक्सेप्ट करती हूं लेकिन...।

अपुन ─ लेकिन??

विधी ─ लेकिन अब से तू न तो उस कमीनी रीना की तरफ देखेगा और ना ही किसी और लड़की को। अगर तूने ऐसा किया तो तेरे लिए अच्छा नहीं होगा, हां नहीं तो।

अपुन ─ अरे! जिसके पास तेरे जैसी ब्यूटीफुल हॉट एंड सेक्सी गर्लफ्रेंड हो वो किसी और को क्यों देखेगा भला?

विधी (आंखें फैला कर) ─ तू..तूने मुझे हॉट एंड सेक्सी कहा??? अरे! कुछ तो शर्म कर, बहन हूं तेरी।

अपुन ─ हां पर अभी अभी तू अपुन की गर्लफ्रेंड भी तो बन गईली है और गर्लफ्रेंड अगर हॉट एंड सेक्सी हो तो उसे यही तो बोलेगा न अपुन?

विधी खुश तो बहुत थी लेकिन ज़ाहिर नहीं करना चाहती थी। इस लिए हैरान होने का नाटक जारी था उसका और झूठा गुस्सा भी।

विधी ─ तू न बहुत गंदा है। अभी एक मिनट भी नहीं हुआ मुझे गर्लफ्रेंड बने हुए और तू मुझे ऐसे बोलने लगा। देख नेक्स्ट टाइम से किसी के सामने ऐसा नहीं बोलना वरना गर्लफ्रेंड का कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दूंगी, हां नहीं तो।

अपुन उसकी ये बातें सुन कर मन ही मन हंसा। वो अपने आपको बहुत स्मार्ट समझ रेली थी जबकि स्मार्ट थी नहीं। वो समझती थी कि अपुन को उसकी असलियत का एहसास ही नहीं हुआ है। यानि अपुन को बुद्धू समझ रेली थी, हट लौड़ी। खैर अब क्योंकि अपुन को उसके हिसाब से ही चलना था इस लिए ऐसा दिखाना भी था।

अपुन ─ हां किसी के सामने नहीं बोलेगा अपुन लेकिन जब अपन लोग अकेले होंगे तब तो बोलेगा ही न अपुन।

विधी ─ क्या ऐसा बोलना जरूरी है?

अपुन ─ अरे! बहुत जरूरी है। क्या तू नहीं चाहती कि तेरा ब्वॉयफ्रेंड तेरी तारीफ़ करे?

विधी (खुश हो कर) ─ हां हां, चाहती हूं। अच्छा सुन, तू तो अब मेरा ब्वॉयफ्रेंड है न तो अब से तू मेरी बहुत सारी तारीफ किया करना।

अपुन ─ बिल्कुल, अपुन अपनी जान की तारीफ करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। तू एक काम कर, अपुन को लिस्ट बना के दे दे कि अपुन तारीफ में तुझे क्या क्या बोले?

विधी (आँखें दिखा कर) ─ लिस्ट क्यों? ये तो तू खुद से ही करेगा न। अगर तुझे लिस्ट बना के देना पड़े तो तू फिर अपने से कैसे कोई वर्ड तारीफ में बोलेगा?

अपुन समझ गया कि वो इतनी भी येड़ी नहीं है जितना अपुन उसे समझ रेला है।

अपुन ─ ठीक है फिर, लेकिन तारीफ में तुझे सब कुछ सुनना पड़ेगा। बोले तो अगर अपुन कुछ ऐसा वैसा बोले तो तू गुस्सा मत करना, समझी?

विधी ─ अरे! पर तू ऐसा वैसा बोलेगा ही क्यों मुझे? मुझे पता है, तू मेरी तारीफ में सब अच्छा ही बोलेगा, हां नहीं तो।

अपुन ─ अच्छा सुन, अपन लोग अब एक दूसरे के गर्लफ्रेंड ब्वॉयफ्रेंड तो बन गएले हैं लेकिन इस नए रिलेशनशिप की खुशी में मुंह मीठा तो किया ही नहीं अपन लोग ने।

विधी ─ हां ये तो तूने सही कहा। रुक अभी मैं किचेन से मिठाई ले के आती हूं।

कहने के साथ ही वो बेड से नीचे उतरने लगी तो अपुन ने झट से उसे रोक लिया। वो अपुन को सवालिया नजरों से देखने लगी।

अपुन ─ अरे! मिठाई लेने किचेन में क्यों जा रेली है?

विधी ─ अरे! मिठाई तो किचेन में ही रखी है बुद्धू। मैंने शाम को फ्रिज में देखा था, उसमें मिठाई का एक पैकेट रखा था। तू रुक मैं एक मिनिट से भी पहले उसे ले कर आ जाऊंगी।

अपुन ─ पर अपुन को उस मिठाई से मुंह मीठा नहीं करना।

विधी (हैरानी से) ─ क्या?? तो फिर कैसे मुंह मीठा करेगा तू?

अपुन जो सोच रेला था उससे अपुन की धड़कनें ट्रेन के इंजन के माफिक तेज हो गईली थीं। मन में ये सोच के घबराहट भी होने लगी थी कि कहीं अपुन के मुख वो बात सुन के वो गुस्सा न हो जाए।

खैर अपुन ने सोचा जो होगा देखा जाएगा। इस लिए अपुन ने डरते डरते अपने एक हाथ को उसकी तरफ बढ़ाया और उसके गुलाबी होठों को एक उंगली से छू कर कहा।

अपुन ─ तेरे इन होठों को चख के मुंह मीठा करेगा अपुन।

विधी अपुन की बात सुन कर बुरी तरह उछल पड़ी। आश्चर्य से आंखें फाड़ कर देखा अपुन को।

विधी (आँखें फाड़ कर) ─ ये...ये क्या कह रहा है तू? पागल है क्या?

अपुन ─ देख अब तू अपुन की गर्लफ्रेंड है तो तुझे इतना तो अपुन के लिए करना ही पड़ेगा। वैसे भी ऐसे रिलेशन में इतना सब करना तो नॉर्मल बात होती है और हां जरूरी भी होता है क्योंकि इससे रिलेशन बना रहता है वरना लड़के लोग बोर हो जाते हैं और ब्रेकअप भी कर लेते हैं।

विधी बुरी तरह हैरान नज़र आई। उसका मुंह भाड़ की तरह खुला हुआ था। अपुन लौड़ा जो पहले घबराया हुआ था अब उसके इस रिएक्शन पर थोड़ा रिलैक्स हो गयला था।

विधी ─ तू...तू ऐसा कैसे बोल सकता है? मत भूल कि हम दोनों सगे भाई बहन हैं और भाई बहन के बीच ये करना गलत है।

अपुन ─ हां पर अब अपन के बीच एक नया रिलेशन भी तो बन गयला है और उसमें ये करना गलत नहीं है। इसके बाद भी अगर तुझे ये गलत लगता है तो फिर अपन लोग के बीच ये रिलेशन भी नहीं होना चाहिए। मतलब कि अपुन के लिए यही अच्छा है कि अपुन बाहर की किसी लड़की को गर्लफ्रेंड बना ले और उसी के साथ ये सब करे।

विधी ये सुन कर थोड़ा परेशान दिखने लगी। उसे समझ नहीं आ रेला था कि अब क्या करे? ऐसा लगा जैसे वो किसी धर्म संकट में फंस गईली है। अपुन भी अब ये सोचने लगा कि देखें तो सही वो क्या फैसला करती है? कुछ देर तक वो असमंजस में फंसी रही, फिर अपुन की तरफ परेशानी से देख कहा

विधी ─ क्या तू सच में ये करना चाहता है? क्या सच में तुझे अपनी बहन के साथ ये करना सही लगता है?

अपुन ─ देख, अपुन ज्यादा तो नहीं जानता लेकिन इतना फील करता है कि अगर दो लोग का मन किसी बात के लिए हां कर दे तो वो सही ही होता है। अपुन मानता है कि तू अपुन की बहन है और बहन के साथ किस विस करना गलत है लेकिन अब क्योंकि तू अपुन की गर्लफ्रेंड भी बन गईली है तो अपुन को इस रिलेशन के बेस पर भी चलना होगा और इस रिलेशन में ये करना गलत नहीं है। साफ शब्दों में बोले तो अपुन को ये गलत नहीं लगता, बाकी अगर तुझे गलत लगता है तो मत कर।

विधी फिर से सोच में पड़ गई। कुछ देर तक वो अपुन को एकटक देखती रही। अपुन भी उसे ही देखे जा रेला था और सोच भी रेला था कि अपुन जिस बात के लिए उसे उकसा रेला है क्या वो सही है? कहीं ऐसा तो नहीं कि आगे चल कर इसका कोई भयंकर परिणाम भोगना पड़े? बेटीचोद, इस खयाल ने गाड़ फाड़ के रख दी अपुन की लेकिन फिर अगले ही पल अपुन ये सोच के रिलैक्स हो गया कि जो होगा देखा जाएगा लौड़ा।

उधर विधी ने जैसे कोई फैसला कर लिया था। बोली तो कुछ नहीं लेकिन धीरे से अपुन की तरफ खिसक आई और फिर बैठे ही बैठे वो अपुन के चेहरे के एकदम पास आ गई। ये देख लौड़ा अपुन की धड़कनें बढ़ गईं। मन में यही खयाल उभरा कि कहीं ये सच में अपुन को किस तो नहीं देने जा रेली है? उधर वो अपुन के चेहरे के एकदम पास आ कर रुकी।

विधी ─ तू मुझे अपनी जान कहता है और मैं भी तुझे अपनी जान मानती हूं। मतलब कि हम दोनों एक दूसरे को एक जैसा ही मानते हैं तो अब जब तू इसे गलत नहीं मानता तो मैं भी नहीं मानूंगी।

अपुन के एकदम पास ही वो चेहरा किए बैठी थी। उसकी सांसें अपुन के चेहरे से टकरा रेलीं थी। उसके गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होठ बिल्कुल एक अंगुल की दूरी पर थे जिन पर अपुन की नज़रें टिकी हुईं थी।

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लौड़ा, अपुन की तो प्रतिपल हालत ही खराब हुई जा रेली थी। फिर भी उसकी बात सुन कर धीरे से बोला।

अपुन ─ तो फिर देर क्यों कर रेली है मेरी जान। मुंह मीठा करवा न जल्दी।

और जैसे वो भी अपुन के ऐसा कहने का ही इंतजार कर रेली थी। झट से उसने अपुन का चेहरा हल्के हाथों से पकड़ा और अपने गुलाबी होठ रख दिए अपुन के होठों पर।

पलक झपकते ही अपुन के जिस्म में सनसनी सी दौड़ गई। इससे पहले कि विधी अपुन के होठों से अपने होठ अलग करती अपुन ने जल्दी से उसका चेहरा थाम लिया और फिर उसके होठों को मुंह में ले कर चूमने चूसने लगा।

अपुन की इस हरकत से उसे बड़ा तेज झटका लगा। वो फ़ौरन ही अपुन से अलग होने को हुई लेकिन अपुन ने मजबूती से उसका चेहरा थाम रखा था जिससे वो अपने होठों को अपुन के चंगुल से छुड़ा न पाई।

विधी छटपटाने लग गईली थी लेकिन अपुन मजे से उसके होठ चूसे जा रेला था। सच तो ये था लौड़ा कि अपुन एक ही पल में मजे के सातवें आसमान में पहुंच गयला था और एक ही पल में सब कुछ भूल भी गयला था। उसके होठ बहुत ही सॉफ्ट थे और बहुत ही मीठे भी। मन तो कर रेला था कि सारी रात उन्हें इसी तरह चूसता रहे लेकिन फिर अलग होना पड़ गया लौड़ा।

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विधी जब खुद को अपुन से न छुड़ा पाई थी तो उसने अपुन के सिर के बाल बहुत जोर से खींचे थे जिससे अपुन को दर्द हुआ और अपुन ने होश में आ कर फ़ौरन ही उसे छोड़ दिया था।

उसे छोड़ा तो वो बुरी तरह हांफती दिखी और साथ ही गुस्से में भी। फिर अचानक उसने खींच के एक तमाचा जड़ दिया अपुन के गाल पर।

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विधी ─ कुत्ते कमीने, ये क्या कर रहा था तू? एक बार भी नहीं सोचा कि तेरी बहन हूं मैं।आज के बाद अपनी शक्ल मत दिखाना मुझे।

अपुन तो लौड़ा शॉक ही हो गया। मतलब कि ये क्या बवासीर हो गया? लौड़ा जो बात सोचा ही नहीं था वो हो गयला था। अपुन तो यही सोच बैठा था कि अपुन की तरह शायद अब वो भी यही चाहती है लेकिन उसका अचानक से बदला ये रूप देख अपुन का तो जैसे फ्यूज ही उड़ गयला था।

उधर अपुन को ये सब बोल कर वो बेड से उतर गई और फिर गुस्से में ही पैर पटकता हुए रूम से बाहर निकल गई। दरवाजे के बड़े जोर से झटक कर बंद किया था उसने। इधर अपुन बेड पर ऐसे बैठा था जैसे किसी ने अपुन की गांड़ ही मार ली हो बेटीचोद।

To be continued...




Aaj ke liye itna hi bhai log...
Read and enjoy.. :declare:
Nice update....
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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Update ~ 07




विधी ─ कुत्ते कमीने, ये क्या कर रहा था तू? एक बार भी नहीं सोचा कि तेरी बहन हूं मैं।आज के बाद अपनी शक्ल मत दिखाना मुझे।

अपुन तो लौड़ा शॉक ही हो गया। मतलब कि ये क्या बवासीर हो गया? लौड़ा जो बात सोचा ही नहीं था वो हो गयला था। अपुन तो यही सोच बैठा था कि अपुन की तरह शायद अब वो भी यही चाहती है लेकिन उसका अचानक से बदला ये रूप देख अपुन का तो जैसे फ्यूज ही उड़ गयला था।

उधर अपुन को ये सब बोल कर वो बेड से उतर गई और फिर गुस्से में ही पैर पटकता हुए रूम से बाहर निकल गई। दरवाजे के बड़े जोर से झटक कर बंद किया था उसने। इधर अपुन बेड पर ऐसे बैठा था जैसे किसी ने अपुन की गांड़ ही मार ली हो बेटीचोद।



अब आगे....


अपुन बहुत देर तक इस सबके बारे में सोचता रहा। बोले तो कुछ समझ नहीं आ रेला था कि विधी ने अचानक से इस तरह का बर्ताव क्यों किया? अपुन तो लौड़ा यही सोच बैठा था कि जब वो होठों पर किस करने को राजी हो ग‌ईली है तो इस किस को थोड़ा और मजेदार बना दिया जाए। अपुन को यकीन नहीं हो रेला था कि अभी थोड़ी देर पहले क्या कुछ हो चुका है बेटीचोद।

खैर अपुन का भी दिमाग खराब हो गयला था और विधी की इस हरकत से अपुन को भी अब उस पर गुस्सा आ रेला था। अपुन ने सोच लिया कि अपुन भी अब तब तक उससे बात नहीं करेगा जब तक वो खुद अपुन के पास आ कर इसके लिए अपुन से सॉरी नहीं बोलेगी।

अपने मन से इन सारी बातों को झटक कर अपुन आराम से बेड पर लेट गया और मोबाइल देखने लगा। अपुन ने देखा मोबाइल में कई लोगों के वॉट्सएप मैसेज पड़े थे और कुछ कॉल्स भी पढ़ीं थी।

अपुन का ध्यान पहले तो साधना दी के मैसेज पर ही गया लेकिन फिर अचानक अपुन को याद आया कि साक्षी दी ने अनुष्का को फोन कर के डांटा था और फिर ये भी याद आया कि अनुष्का ने अपुन को कॉल और मैसेज भी किएला था।

अपुन ने झट से अनुष्का वाले मैसेज को ओपन किया। उसमें कई सारे मैसेज थे। जिसमें पहले तो उसने अपुन को ढेर सारे सॉरी वाले मैसेज और इमोजी भेजा था फिर लिख के बताया था कि उसने अपने हसबैंड का गुस्सा अपुन पर उतार दिया था। आखिर में उसने लिखा था कि अब से वो कभी अपुन पर गुस्सा नहीं करेगी और न ही कभी क्लास से गेट आउट करेगी। इतना ही नहीं अपुन को एक्स्ट्रा पढ़ाएगी भी जिसके लिए अपुन शाम को उसके घर जा सकता है।

उसके ये मैसेजेस देख पता नहीं क्यों अपुन को अंदर ही अंदर खुशी हुई और गुदगुदी भी हुई। इतना ही नहीं, अपुन के लंड में झनझनाहट भी हुई लौड़ा। फिर अपुन ने सोचा कि अनुष्का को इतना जल्दी माफ़ नहीं करना चाहिए। मतलब कि उसे थोड़ा सताना चाहिए या उससे मजा लेना चाहिए।

अनुष्का, साक्षी दी के साथ कॉलेज में पढ़ती थी और दोनों में आज भी गहरी दोस्ती है। कहने का मतलब ये कि अनुष्का और उसकी फैमिली से अपन लोग की पहले से ही जान पहचान थी। खैर अपुन ने मैसेज टाइप किया और उसे भेज दिया।

अपुन (मैसेज) ─ अपनी सॉरी अपने पास ही रखो। अपुन बहुत गुस्सा है और बात नहीं करना चाहता आपसे।

अपुन जानता था कि उनका रिप्लाई जल्दी नहीं आएगा इस लिए अपुन साधना दी का मैसेज देखने लगा। उन्होंने अपने मैसेजेस में फिर से वही सब लिखा था जो पहले शुरू में बताया था कि उन्हें अपुन की बहुत याद आ रेली है और उनका कहीं मन नहीं लग रहा लौड़ा लहसुन वगैरा वगैरा। खैर अपुन ने उनको भी मैसेज भेजा।

अपुन ─ सॉरी दी, रिप्लाई करने का टाइम ही नहीं मिला। पहले पढ़ाई की, फिर डिनर किया और अब जा के आपको रिप्लाई देने का टाइम मिला।

अपुन ने सोचा उनका भी रिप्लाई जल्दी नहीं आएगा लेकिन लौड़ा दस सेकंड भी न लगा उनका रिप्लाई आने में। लगता है लौड़ी मोबाइल हाथ में ही लिए बैठी थी।

साधना दी ─ ओह! इट्स ओके बाबू और प्लीज मुझे दी मत बोला करो न।

अपुन (हैरानी से) ─ फिर क्या बोले अपुन?

साधना दी ─ जब हम दोनों मैसेज में बात करें या जब अकेले हों तो तुम मुझे सिर्फ साधना बोला करो। और हां, तुम मुझे आप भी मत बोला करो। मुझे अच्छा नहीं लगता।

अपुन ने सोचा अपुन भी तो लौड़ा यही चाहता है। बेटीचोद, मैनर्स तो अपुन को झांठ बराबर भी पसंद नहीं हैं। खास कर तब जब अपुन को किसी को इज्जत देना हो।

अपुन ─ ओके, अब से ऐसा ही करेगा अपुन।

(तो भाई लोग अब से यहां भी अपुन बातचीत के दौरान उसे सिर्फ साधना ही लिखेगा)

साधना ─ ओह! थैंक्यू बाबू। अच्छा, क्या मैं तुम्हें कॉल करूं? वो क्या है न मुझे तुम्हारी आवाज सुनने का बहुत मन कर रहा है।

अपुन ने सोचा अगर वो खुद ही कॉल पर बात करना चाहती है तो लौड़ा अपुन को क्या प्रॉब्लम हो सकती है? इस लिए अपुन ने मैसेज में बोल दिया कि हां वो कॉल कर सकती है।

बेटीचोद,‌ पांच सेकंड में ही अपुन का मोबाइल रिंग करने लगा। शुक्र था कि रिंग का वॉल्यूम कम था और अपुन ने भी झट से उठा लिया था वरना रिंग की आवाज रूम से बाहर चली जाती और संभव है कि दिव्या के रूम में भी पहुंच जाती। ज़ाहिर है इससे गड़बड़ होने के चांस बन जाने थे लौड़ा।

खैर अपुन ने मोबाइल कान से लगाया और उसे धीमी आवाज में हेलो कहा।

साधना ─ ओह! बाबू, आखिर तुम्हारी आवाज सुन ही ली मैंने। तुम्हें पता है आज सारा दिन मैं अकेली रही और अपने रूम में बेड पर लेटी तुम्हारी पिक में तुम्हें ही देखती रही।

अपुन (शॉक्ड) ─ ओह! क्या सच में?

साधना ─ हां, और तुम्हें पता है इस वक्त भी मैं घर में अकेली ही हूं और तुम्हें ही याद कर रही थी।

अपुन को बड़ी हैरानी हुई कि वो इस वक्त भी घर में अकेली है। पता नहीं क्यों पर अपुन के मन में उसके अकेले रहने पर अलग ही खयाल उभरने लगे लौड़ा। लेकिन पहले अपुन जानना चाहता था कि वो अकेली क्यों है? मतलब, ये तो अपुन समझ गयला था कि उसका भाई अमित अपनी मां को नानी के यहां से ले कर वापस नहीं आया होगा लेकिन उसके बाप को तो घर में ही होना चाहिए था। आखिर बैंक में नौकरी करता है वो।

अपुन ─ लेकिन तुम घर में अकेली क्यों हो? मतलब कि अंकल तो घर पर ही होंगे न?

साधना ─ नहीं हैं। असल में आज शाम को जब वो बैंक से आए थे तभी उन्हें मां का फोन आया था और उन्होंने उन्हें नानी के यहां फ़ौरन आने को कहा था। पहले तो पापा ने अपनी समस्या बताई कि सुबह उन्हें बैंक जाना होता है तो वो कैसे इस वक्त वहां आ सकते हैं फिर जब मां ने कहा कि आना जरूरी है तो फिर उन्हें जाना ही पड़ा। अपने साथ मुझे भी ले जा रहे थे लेकिन मैंने उन्हें मना कर दिया था।

अपुन ─ तुमने उनके साथ जाने से मना क्यों किया था?

साधना ─ मेरा कहीं जाने का मन ही नहीं कर रहा था तो मना कर दिया। फिर जब वो कहने लगे कि यहां घर में अकेले कैसे रहोगी तो बोल दिया कि रह लूंगी, वैसे भी सुबह तो वो आ ही जाएंगे।

अपुन (शॉक) ─ और अंकल मान गए?

साधना ─ जल्दी नहीं माने वो। फिर जब मैंने उन्हें बहाने से बताया कि मुझे कुछ पर्सनल प्रॉब्लम है तब वो माने और फिर अपना अच्छे से खयाल रखना और घर के सभी खिड़की दरवाजे बंद कर के रखने का बोल कर चले गए।

अपुन उसकी ये सब बातें सुन के हैरान भी था और थोड़ा उत्साहित भी। बोले तो अब अपुन के मन में फिर से कुछ कुछ होने लगा था लौड़ा। पर अपुन खुद उससे इस बारे में कुछ बोलना नहीं चाहता था।

साधना ─ इस वक्त पूरे घर में मैं अकेली हूं बाबू। मेरा बहुत मन कर रहा है कि काश इस वक्त तुम भी मेरे पास होते। क्या तुम मेरे खातिर मेरे घर नहीं आ सकते?

अपुन मन ही मन खुश तो बहुत हुआ लौड़ा लेकिन थोड़ा ना नुकुर करना भी जरूरी था वरना वो यही समझती कि अपुन तो यही चाहता था बेटीचोद।

अपुन ─ ये क्या बोल रेली हो तुम? अपुन रात के इस वक्त तुम्हारे घर कैसे आ सकता है? किसी को पता चल गया तो भारी लफड़ा हो जाएगा।

साधना ─ प्लीज बाबू आ जाओ न। किसी को भी पता नहीं चलेगा।

अपुन ─ यार तुम तो अपुन को धर्म संकट में डाल रेली हो।

साधना ─ सॉरी बाबू, पर मैं क्या करूं? सच कहूं तो मैंने पापा को जान बूझ कर जाने से इंकार किया था। मुझे कोई पर्सनल प्रॉब्लम नहीं थी लेकिन जब मुझे ये पता चला था कि पापा को भी नानी के यहां जाना पड़ेगा तो अचानक ही उस वक्त मुझे तुम्हारा खयाल आ गया था और फिर मैं सोचने लगी थी कि तुम्हारे साथ काफी समय तक रहने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा। बस, इसी लिए पापा को पर्सनल प्रॉब्लम का बहाना बना के मना कर दिया था। प्लीज बाबू, मान जाओ न।

सच तो ये था लौड़ा कि अब अपुन के मन में लड्डू फूटने लगे थे। मन तो करने लग गयला था कि अभी एक ही पल में अपुन उसके पास पहुंच जाए लेकिन तभी अपुन को खयाल आया कि पहले उससे कुछ बातों का करार कर लिया जाए। फोकट में उसके घर चौकीदार बनने के वास्ते नहीं जाना चाहता था अपुन। बोले तो अपुन का कुछ तो फायदा होनाइच मांगता था लौड़ा।

अपुन ─ यार प्रॉब्लम ये है कि अपुन यहां से निकलेगा कैसे और अगर किसी तरह अपुन यहां से निकल भी लिया तो तुम्हारे पास आने से अपुन को इनाम में मिलेगा क्या?

साधना ─ तुम भी बुद्धू ही हो। अरे! इतना भी नहीं समझते कि एक अकेली लड़की जो तुम्हें बहुत चाहती है वो इस तरह क्यों अपने पास बुला रही है?

अपुन ─ मतलब??

साधना ─ उफ्फ! तुम इतने बुद्धू क्यों हो मेरे बाबू? क्या तुम सच में नहीं समझते कि मैं तुम्हें क्यों बुला रहीं हूं?

अपुन समझ तो गयला था लेकिन लौड़ा उसके मुख से क्लियर सुनना चाह रेला था अपुन। बोले तो कोई किच किच नहीं चाहिए था अपुन को, हां नहीं तो। (अबे ये हां नहीं तो अपुन के मन में कैसे आ गया लौड़ा? बेटीचोद ये तो अपुन की जुड़वा बहन विधी का तकिया कलाम है, हट लौड़ा) खैर अपुन ने उससे कहा।

अपुन ─ लगता है अपुन सच में बुद्धू ही है। तुम ही साफ साफ बता दो न।

साधना ─ बस इतना समझ लो बाबू कि यहां आओगे तो फायदे में ही रहोगे। सारी रात हमारी होगी और हम दोनों एक ही बेड पर होंगे। अब ठीक है न?

वैसे तो लौड़ा अभी भी थोड़ा क्लियर होना चाहिए था पर खैर कोई बात नहीं। अपुन ने भी सोचा कि क्यों उसे ज्यादा परेशान करे लौड़ा? तभी अपुन की चुप्पी पर वो बोली।

साधना ─ तो आ रहे हो न बाबू? प्लीज आ जाओ न। तुम्हारी साधना तुम्हें बहुत याद कर रही है। तुम्हें अपनी बाहों में भर लेना चाहती है। तुम्हें बहुत सारा प्यार करना चाहती है। आ जाओ न प्लीज।

अपुन (एकदम खुश हो के) ─ ओके, अपुन आ रेला है। अपुन के वेलकम के लिए अच्छे से रेडी रहने का।

साधना ─ बिल्कुल बाबू। तुम्हें शिकायत का कोई मौका नहीं दूंगी। बस तुम जल्दी से आ जाओ। अब एक पल भी तुम्हारे बिना रहा नहीं जा रहा।

अपुन ने झट से कॉल कट किया और सोचने लगा कि यहां से कैसे निकला जाए? वैसे निकलना मुश्किल नहीं था लेकिन आज से पहले अपुन ने ऐसा काम कभी नहीं किया था इस लिए थोड़ा डर और घबराहट होने लगी थी लौड़ा।

कुछ तो ये सोच के भी गांड़ फट रेली थी कि अगर किसी को पता चल गया तो क्या होगा? बोले तो ऐसे में तो अपुन की तबीयत से गाड़ फट जाएगी या फाड़ दी जाएगी लौड़ा। पर, अपुन को अब किसी बात की परवाह नहीं थीं। साधना के साथ बहुत सारा मजा करने को मिलने वाला था और अपुन इस मजे को छोड़ने वाला नहीं था बेटीचोद।

अपुन ने फटाफट कपड़े पहने और बाइक की चाबी ले कर रूम से दबे पांव निकला। रूम की लाइट बुझा दिया था अपुन ने, ताकि रात में अगर कोई अपुन के रूम की तरफ आए तो वो यही समझे कि अपुन हाथी घोड़े बेच के सोया हुआ है लौड़ा।

सीढ़ियों से उतर कर अपुन ग्राउंड फ्लोर पर आया। हर तरफ सन्नाटा छाया हुआ था। बस एक दो लाइट्स जल रेली थी। अपुन ने साक्षी दी के रूम के पास जा कर उनके रूम के अंदर का जायजा लिया। जब समझ गया कि साक्षी दी सोई हुई हैं तो अपुन मेन गेट की तरफ बढ़ चला।

मेन गेट को अपुन ने बहुत ही सावधानी से खोला और बाहर आ कर वापस गेट को अच्छे से बंद कर दिया। उसके बाद अपुन आराम से गैरेज में गया। वहां से बाइक को पैदल ही धकेलते हुए बाहर सड़क तक लाया। इतने में ही अपुन की सांसें फूल गईली थी बेटीचोद।

सड़क पर आने के बाद अपुन ने बाइक को स्टार्ट किया और फिर दौड़ा दिया उसको साधना के घर की तरफ। रास्ते में अपुन सोच रेला था कि बाइक को अपुन साधना के घर से थोड़ी दूर ऐसी जगह खड़ी कर देगा जहां से वो चोरी भी न हो और किसी को अपुन के यहां आने का पता भी न चले।

अपुन ने ऐसा ही किया। साधना के घर के पास पहुंच कर अपुन ने बाइक को सही जगह पर खड़ी किया और फिर पैदल ही साधना के घर के दरवाज़े तक आया। इस बीच अपुन ने साधना को मैसेज कर के बता दिया था कि अपुन दरवाजे पर आ गयला है।

साधना लौड़ी ने भारी होशियारी का काम किएला था। बोले तो घर की सभी लाइट्स जो पहले ही बुझी हुईं थी उन्हें बुझी ही रहने दिया था। जब वो दरवाजा खोलने आई तब भी अंदर अंधेरा ही था। अपुन समझ गया कि ये सब उसने सावधानी के लिए और किसी को पता न चले इसके लिए क्या था। उसकी ये समझदारी देख अपुन भारी खुश हो गयला था।

अपुन जैसे ही अंदर दाखिल हुआ तो उसने सावधानी से फौरन दरवाजा बंद कर दिया। उसके बाद अंधेरे में ही आ कर अपुन से लिपट गई।

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उसका नाजुक और गरम जिस्म अपुन के जिस्म से चिपका तो पलक झपकते ही अपुन का रोम रोम सिहर गया लौड़ा। यहां तक कि अपुन का लौड़ा भी गनगना गया बेटीचोद।

साधना ─ ओह! विराट तुम आ गए। थैंक्यू सो मच माय डियर...माय लव।

अपुन से वो लिपटी हुई थी और ये कहते हुए एकदम से अपुन के चेहरे को चूमने लग गईली थी। अपुन भी कहां पीछे रहता। बोले तो मजा लेने का कोई मौका कैसे छोड़ सकता था अपुन?

इस लिए जैसे ही चूमते हुए वो अपुन के होठों पर आई तो अपुन ने लपक कर खुद ही उसके होठों को मुंह में भर लिया और पूरे जोश से उन्हें चूसने लगा। उधर वो लौड़ी तो जैसे इसी का इंतज़ार कर रेली थी। वो भी दुगुने जोश के साथ अपुन के होठ चूसने लगी लौड़ी।

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करीब पांच मिनट तक अपन दोनों ने एक दूसरे के जम के होठ चूसे और जब सांसें फूलने लगीं तो अलग हो गए। अंधेरे में अब वो थोड़ा थोड़ा साफ दिखने लगी थी। अपुन ने देखा उसकी सांसें उखड़ी हुईं थी और उसका सीना ऊपर नीचे हो रेला था।

साधना ─ मन तो अभी नहीं भरा बाबू लेकिन यहां अंधेरे में ये सब ठीक भी नहीं लग रहा। इस लिए रूम में ही चलते हैं।

अपुन ─ हां ठीक है चलो।

अपुन दोनों कुछ ही में रूम में आ गए। रूम में नाइट बल्ब जल रेला था जिसकी मध्यम रोशनी में साधना अब अपुन को अच्छे से दिख रेली थी। मगर अपुन को और अच्छे से दिखना मांगता था इस लिए अपुन ने दीवार पर लगे स्विच में एक बटन दबाया तो रूम में तेज रोशनी फैल गई।

अपुन ने देखा, साधना व्हाइट टॉप पहने खड़ी थी जिसमें उसके उभरे हुए बूब्स साफ दिख रेले थे।

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अपुन का मन तो किया कि अभी आगे बढ़े और उन्हें दोनों हाथों से दबोच ले मगर फिर अपुन ने सोचा इतनी जल्दी भी क्या है? बोले तो सारी रात ही तो अपनी है लौड़ा।

साधना अपुन को एकटक देख रेली थी और फिर देखते ही देखते वो अपुन के करीब आई। अपुन की धड़कनें फिर से बढ़ गईं। वो दिलकश अदाओं से अपुन को देख हल्के से मुस्कुराई। अपुन के अंदर अब बड़े जोर का तूफ़ान उठने को था।

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साधना ─ मन तो करता है कि तुम्हें खा ही जाऊं बाबू लेकिन फिर सोचती हूं कि अगर ऐसा किया तो बाद में क्या करूंगी?

अपुन ─ मन तो अपुन का भी कर रेला है कि तुम्हें नीचे से ऊपर तक खा जाए।

साधना अपुन की बात सुन कर मानो मदहोश सी होने लगी। नशीली आंखों से अपुन को देखते हुए बोली।

साधना ─ उफ्फ! तो खा जाओ न बाबू।

कहने के साथ ही वो अपने एक हाथ से अपुन का चेहरा हौले से सहलाने लगी। उसके छूते ही अपुन के जिस्म में करेंट सा दौड़ गया। तूफान तो लौड़ा पहले से ही उठने को बेताब था।

वैसे अपुन ये भी सोच के हैरान हो रेला था कि आज सचमुच इसे क्या हो गयला है। मतलब कि उसे इतना बेबस, इतने उतावलेपन में और इतना कामुक पहले कभी नहीं देखा था अपुन ने। अपुन की नज़र में तो वो एक साधारण सी सोच रखने वाली लड़की ही थी जिसके मन में कहीं न कहीं अपुन के प्रति कोमल जज्बात भी थे लेकिन वो ऐसी निकलेगी इसकी कल्पना कभी नहीं की थी अपुन ने।

तभी अपुन को सोचो में गुम देख उसने अपनी एड़ी उठाई और अपुन के होठों को चूम लिया।

साधना ─ मैं तुम्हारे होठों को चूमने चाटने के लिए मरी जा रही हूं और तुम चुपचाप खड़े जाने क्या सोच रहे हो?

अपुन ─ अपुन सोच रेला है कि आज जैसा तुम्हारा रूप पहले कभी नहीं देखा अपुन ने।

साधना ─ आज से पहले तुम मुझे इस तरह मिले भी तो नहीं थे बाबू। आज से पहले तो बस मन ही मन तुम्हें चाहती थी और यही दुआ किया करती थी कि काश तुम भी मुझे मेरी ही तरह चाहो।

अपुन को लगा कि कहीं माहौल सेंटी न बन जाए इस लिए अपुन ने फौरन गियर बदला और दोनों हाथ उठा कर उसके चेहरे को थाम लिया। उसके बाद बिना कुछ कहे उसके होठों पर झुकता चला गया अपुन।

जैसे ही अपन दोनों के होठ मिले तो लौड़ा फिर से बदन में करेंट दौड़ गया और मजे की तरंग पूरे जिस्म में दौड़ गई। पहले तो अपुन ने एक दो बार उसके रसीले होठों को तरीके से चूमा और फिर एकदम से उन्हें मुंह में भर कर चूसने लगा। साधना तो जैसे कब से इसके इंतजार में थी। वो भी पूरे जोश के साथ अपुन का साथ देने लगी।

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एक बात तो थी लौड़ा कि उसके होठ बहुत ही गजब के थे। एकदम कोमल और मीठे, अपुन का तो मन ही नहीं भर रेला था लौड़ा पर कुछ ही देर में अपन लोग की सांसें फूल गईं और अपन लोग को अलग होना पड़ा बेटीचोद।

उखड़ी सांसों को सम्हालते हुए अपन दोनों ने कुछ पलों तक एक दूसरे को देखा और फिर से लपक कर एक दूसरे के होठ चूसने लगे। साधना तो जैसे पागल ही हो जाती थी लौड़ी। वो जितना अपुन के होठ चूसती उतना ही अपुन के चेहरे को सहलाते हुए बालों को खींचती।

अपुन उसके होठों को छोड़ गले पर आया। गोरे चिकने गले को चूमते चाटते अपुन जल्दी ही उसके सीने पर आ गया। टॉप के खुले हिस्से के नीचे उसके बूब्स की घाटियां थी जिन्हें अपुन जीभ निकाल कर चाटने लगा। अपुन के ऐसा करते ही साधना जोर से मचलने लगी।

साधना ─ उफ्फ! वि..राट शश्श्श्श कितना अच्छा लगता है जब तुम ऐसे करते हो।

अपुन ने सिर उठाया और पूछा।

अपुन ─ और क्या क्या अच्छा लगता है?

साधना ─ तुम जो जो करते हो सब अच्छा लगता है बाबू। प्लीज करो न, रुक क्यों गए?

अपुन ने एक झटके में उसे उठा कर बाहों में ले लिया। अपुन के ऐसा करते ही पहले तो वो एकदम से घबरा गई फिर मुस्कुरा उठी। इधर अपुन उसे बाहों में लिए बेड के पास आया और उसे बेड पर आहिस्ता से लेटा दिया।

रूम में फुल रोशनी थी इस लिए सब कुछ साफ साफ दिख रेला था। वो बेड पर लेटी मुस्कुराते हुए अपुन को देखे जा रेली थी और अपुन नीचे खड़ा था। फिर उसे देखते हुए बोला।

अपुन ─ क्या आज की रात हम हद पार कर जाएं?

साधना ─ तुम्हें जो करना है करो बाबू। मैं तुम्हें किसी बात के लिए नहीं रोकूंगी। बस तुम मुझे ऐसे प्यार करो कि मैं तुम्हारे प्यार से तृप्त हो जाऊं।

अपुन समझ गया कि लौड़ी ने अपुन से चुदवाने का पहले से ही मन बना लिया था और अब चाहती थी कि अपुन उसे पेल के पेले लौड़ा।

ख़ैर अपुन तो जैसे खुशी से नाच ही उठा था लौड़ा। एक मिनिट भी नहीं लगा अपुन को अपने कपड़े उतार कर फेंकने में। अब अपुन सिर्फ अंडरवियर में था जिसमें अपुन का तना हुआ लन्ड साफ समझ में आ रेला था।

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साधना की नज़र जैसे ही अपुन के कच्छे में दिख रहे लन्ड के उभार पर पड़ी तो उसकी आँखें चौड़ी हो गईं और साथ ही उसका मुख भी भाड़ की तरह हैरानी से खुल गया।

फिर उसने अपुन की तरफ देखा और जैसे ही उसने अपुन को मुस्कुराता देखा तो उसने शर्म से अपना चेहरा दूसरी तरफ फेर लिया। अपुन ने मन ही मन कहा─अभी तो शर्मा रेली है लौड़ी, बाद में इसको अपनी चूत में ले कर मजे से चीखेगी भी। फिर अपुन ने उससे मुस्कुरा कर कहा।

अपुन ─ क्या हुआ? तुमने चेहरा क्यों घुमा लिया?

साधना ने धीरे से गर्दन घुमा कर अपुन की तरफ देखा। उसका चेहरा शर्म से लाल था और होठों पर शर्म मिश्रित मुस्कान।

साधना ─ वो...वो तुम्हारे उसको देख के मुझे शर्म आ गई थी।

अपुन ─ किसको देख के?

साधना ─ उ..उसी को जो तुम्हें अ..अंडरवियर में छुपा है।

अपुन ─ अरे! उसका कुछ नाम भी तो होगा?

साधना (शर्मा कर) ─ न...नाम?? नहीं नहीं मुझे उसका नाम नहीं पता।

अपुन ─ अपुन मान ही नहीं सकता कि तुम्हें उसका नाम नहीं पता। चलो बताओ अब।

साधना बुरी तरह शर्माने लगी लेकिन फिर अपुन की तरफ देखने की उसने हिम्मत की और मुस्कुराते हुए बोली।

साधना ─ प्लीज, मत पूछो न। मैं उसका नाम नहीं ले सकती।

अपुन ─ क्यों?

साधना ─ शर्म आती है न बाबू, प्लीज समझो न।

अपुन ने सोचा क्या फालतू की बातों में उसे तंग करना और समय बर्बाद करना इस लिए उसे और मजबूर नहीं किया और बेड पर उसके पास पहुंच गया। वो चोर नज़रों से बार बार अपुन के कच्छे की तरफ देखने लगती थी।

अपुन ─ अच्छा अपुन ने तो अपने कपड़े उतार लिए हैं अब तुम भी अपने कपड़े उतार डालो न।

साधना ─ क्या?? न...नहीं न प्लीज।

अपुन ─ कपड़े नहीं उतारोगी तो प्यार वाला आगे का काम कैसे होगा?

साधना मुस्कुरा भी रेली थी, शर्मा भी रेली थी और अपुन ने महसूस किया कि वो हल्का हल्का कांप भी रेली थी। मतलब प्यार के जज़्बात में बह कर उसने भले ही अपुन को सब कुछ कर लेने को कह दिया था लेकिन अब उस सबके बारे में सोच कर वो अंदर ही अंदर घबराए जा रेली थी। ये अलग बात है कि वो इसके बावजूद अपुन को रुक जाने को नहीं बोल रेली थी। मतलब साफ था कि वो इसके लिए पूरी तरह तैयार थी, बस थोड़ा घबराई हुई थी बेटीचोद।

अपुन ने आगे बढ़ कर उसका चेहरा थाम लिया और फिर से उसके होठों को चूमने चूसने लगा। कुछ ही पलों में वो भी अपुन का साथ देते हुए ऐसा ही करने लगी। तभी अपुन ने एक हाथ से उसके एक बूब को पकड़ लिया और उसे दबाना शुरू कर दिया।

उफ्फ! कितना गजब एहसास था उसके दूध को दबाने का। लौड़ा, इतना मजा आया कि अपुन जल्दी जल्दी उसे मसलने ही लगा। अपुन की इस हरकत से साधना जोर जोर से मचलने लगी।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श वि..राट थोड़ा धीरे से द..बाओ न।

उसकी बात सुन अपुन ने उसके होठ छोड़े और उससे थोड़ अलग हो कर उसके टॉप को पकड़ कर ऊपर उठाना शुरू कर दिया। पहले तो वो अपुन के ऐसा करने पर झिझकी लेकिन फिर अपुन की आंखों में देखते हुए अपने दोनों हाथ ऊपर कर लिए। अपुन ने थोड़ा जोर लगा कर कुछ ही पलों में उसके टॉप को ऊपर कर के उसके सिर से निकाल कर बेड के दूसरी तरफ उछाल दिया।

टॉप के उतरते ही उसका जवानी से छलकता जिस्म स्पष्ट नुमायां हो उठा। गोरे चिकने बदन पर कहीं कोई दाग नहीं था। सीने पर मौजूद उसके बड़े बड़े बूब्स रेड कलर की ब्रा में कैद थे जो बहुत ही खूबसूरत नजारा पेश कर रेले थे।

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अपुन तो लौड़ा ब्रा में कैद उसके बूब्स को मंत्रमुग्ध हो के देखने ही लग गयला था। ये देख वो एक बार फिर से शर्मा गई और दोनों हाथों की कैंची बना कर अपने बूब्स को छुपाने लगी। उसे ऐसा करते देख अपुन अनायास ही मुस्कुरा उठा फिर बोला।

अपुन ─ इतनी खूबसूरत चीज़ को अपुन से क्यों छुपा रेली हो? अपने हाथ हटाओ न, अपुन को तो अभी इन्हें पूरी तरह से नंगा देखने का है, जैसे आज दिन में देखा था।

साधना अपुन की बात सुन शर्म से मुस्कुराने लगी। उसके बूब्स अभी भी उसके हाथों की कैंची के पीछे छुपे थे। अपुन एकदम से उसके पीछे जा बैठ गया और फिर पीछे से ही दोनों हाथ आगे बढ़ा कर पहले उसके हाथ हटाए और फिर उसके ब्रा में कैद बूब्स को मसलते हुए ब्रा को नीचे करने लगा। पर वो लौड़ी मचलने लग गईली थी और बार बार अपने हाथों को लगा कर ब्रा को उतरने से रोक ले रेली थी। अपुन ने पीछे से उसके नंगे कंधे को चूमना शुरू किया और साथ ही ब्रा को भी उतारने की कोशिश की। उसके कंधे को चूमते हुए बीच बीच में उसके बूब्स भी मसल देता जिससे वो मचल उठती।

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आखिरकार अपुन की जीत हुई। अपुन ने उसकी ब्रा खोल कर उसके जिस्म से अलग कर दी। पहले तो अपुन ने पीछे बैठे बैठे ही उसके नंगे बूब्स को मसला और उसके कंधे, गले और पीठ को चूमा चाटा, फिर उठ कर उसके आगे आ गया। असल में अपुन सामने से उसके बूब्स को अपनी आंखों से देखना चाह रेला था।

सामने आ कर अपुन ने उसके बूब्स को देखा। वाह! क्या गोरे चिकने और मक्खन की तरह दिख रेले थे उसके गोल गुब्बारे। कितने सुंदर शेप में थे वो। दोनों बूब्स के बीच भूरे लंग के निप्पल इतने आकर्षक थे कि अपुन से रहा न गया। अपुन ने झट उसके दोनों उभारों को थाम लिया और फिर झुक कर बाएं निप्पल को जीभ निकाल कर चाटने लगा।

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साधना ─ शश्श्श्श वि..राट। उफ्फ! शश्श्श्श।

साधना मजे से सिसकियां लेने लगी और इधर अपुन को उसके निप्पल को चाटने में इतना मजा आया कि अपुन ने सीधा उसे मुंह में भर कर चूसना ही शुरू कर दिया लौड़ा।

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साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् उफ्फ वि.राट। मैं...मैं पागल हो जाऊंगी। म..त करो न ऐसे।

पर अपुन ने उसकी बात नहीं सुनी और मजे से उसके बूब्स को दबा दबा के निप्पल को चूसता रहा। जब एक से मन भर गया तो दूसरे को थाम कर चूसने लगा। साधना अब और भी तरह मचलने लगी थी। मजे के तरंग में वो अपुन के बालों को खींच भी लेती और अपुन के सिर को अपने बूब्स पर दबाने भी लगती।

साधना का बुरा हाल तो था ही लेकिन अपुन का भी बुरा हुआ जा रेला था लौड़ा। बोले तो अपुन का लन्ड इस सबके चलते बुरी तरह अकड़ गयला था। अपुन से अब बर्दाश्त नहीं हो रेला था। मन कर रेला था कि अभी साधना की डार्क ब्ल्यू कलर की पेंटी निकाल कर अपना लन्ड उसकी बुर में डाल दे।

To be continued...


Aaj ke liye itna hi bhai log..
Read and enjoy..
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The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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Awe

Awesome update and lovely story
Thanks
Mast update Bhai
But aakhari me loda ye kya kand ho gaya
Thanks
Very nice... Doodh garam tha ladke ne jldbaazi kr Di.. Muh jalna hi tha...
Thanks
Bahut hi shaandar update diya hai The_InnoCent bhai....
Nice and lovely update....
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Nice update
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Nice and superb update....
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शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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विधी ─ कुत्ते कमीने, ये क्या कर रहा था तू? एक बार भी नहीं सोचा कि तेरी बहन हूं मैं।आज के बाद अपनी शक्ल मत दिखाना मुझे।

अपुन तो लौड़ा शॉक ही हो गया। मतलब कि ये क्या बवासीर हो गया? लौड़ा जो बात सोचा ही नहीं था वो हो गयला था। अपुन तो यही सोच बैठा था कि अपुन की तरह शायद अब वो भी यही चाहती है लेकिन उसका अचानक से बदला ये रूप देख अपुन का तो जैसे फ्यूज ही उड़ गयला था।

उधर अपुन को ये सब बोल कर वो बेड से उतर गई और फिर गुस्से में ही पैर पटकता हुए रूम से बाहर निकल गई। दरवाजे के बड़े जोर से झटक कर बंद किया था उसने। इधर अपुन बेड पर ऐसे बैठा था जैसे किसी ने अपुन की गांड़ ही मार ली हो बेटीचोद।



अब आगे....


अपुन बहुत देर तक इस सबके बारे में सोचता रहा। बोले तो कुछ समझ नहीं आ रेला था कि विधी ने अचानक से इस तरह का बर्ताव क्यों किया? अपुन तो लौड़ा यही सोच बैठा था कि जब वो होठों पर किस करने को राजी हो ग‌ईली है तो इस किस को थोड़ा और मजेदार बना दिया जाए। अपुन को यकीन नहीं हो रेला था कि अभी थोड़ी देर पहले क्या कुछ हो चुका है बेटीचोद।

खैर अपुन का भी दिमाग खराब हो गयला था और विधी की इस हरकत से अपुन को भी अब उस पर गुस्सा आ रेला था। अपुन ने सोच लिया कि अपुन भी अब तब तक उससे बात नहीं करेगा जब तक वो खुद अपुन के पास आ कर इसके लिए अपुन से सॉरी नहीं बोलेगी।

अपने मन से इन सारी बातों को झटक कर अपुन आराम से बेड पर लेट गया और मोबाइल देखने लगा। अपुन ने देखा मोबाइल में कई लोगों के वॉट्सएप मैसेज पड़े थे और कुछ कॉल्स भी पढ़ीं थी।

अपुन का ध्यान पहले तो साधना दी के मैसेज पर ही गया लेकिन फिर अचानक अपुन को याद आया कि साक्षी दी ने अनुष्का को फोन कर के डांटा था और फिर ये भी याद आया कि अनुष्का ने अपुन को कॉल और मैसेज भी किएला था।

अपुन ने झट से अनुष्का वाले मैसेज को ओपन किया। उसमें कई सारे मैसेज थे। जिसमें पहले तो उसने अपुन को ढेर सारे सॉरी वाले मैसेज और इमोजी भेजा था फिर लिख के बताया था कि उसने अपने हसबैंड का गुस्सा अपुन पर उतार दिया था। आखिर में उसने लिखा था कि अब से वो कभी अपुन पर गुस्सा नहीं करेगी और न ही कभी क्लास से गेट आउट करेगी। इतना ही नहीं अपुन को एक्स्ट्रा पढ़ाएगी भी जिसके लिए अपुन शाम को उसके घर जा सकता है।

उसके ये मैसेजेस देख पता नहीं क्यों अपुन को अंदर ही अंदर खुशी हुई और गुदगुदी भी हुई। इतना ही नहीं, अपुन के लंड में झनझनाहट भी हुई लौड़ा। फिर अपुन ने सोचा कि अनुष्का को इतना जल्दी माफ़ नहीं करना चाहिए। मतलब कि उसे थोड़ा सताना चाहिए या उससे मजा लेना चाहिए।

अनुष्का, साक्षी दी के साथ कॉलेज में पढ़ती थी और दोनों में आज भी गहरी दोस्ती है। कहने का मतलब ये कि अनुष्का और उसकी फैमिली से अपन लोग की पहले से ही जान पहचान थी। खैर अपुन ने मैसेज टाइप किया और उसे भेज दिया।

अपुन (मैसेज) ─ अपनी सॉरी अपने पास ही रखो। अपुन बहुत गुस्सा है और बात नहीं करना चाहता आपसे।

अपुन जानता था कि उनका रिप्लाई जल्दी नहीं आएगा इस लिए अपुन साधना दी का मैसेज देखने लगा। उन्होंने अपने मैसेजेस में फिर से वही सब लिखा था जो पहले शुरू में बताया था कि उन्हें अपुन की बहुत याद आ रेली है और उनका कहीं मन नहीं लग रहा लौड़ा लहसुन वगैरा वगैरा। खैर अपुन ने उनको भी मैसेज भेजा।

अपुन ─ सॉरी दी, रिप्लाई करने का टाइम ही नहीं मिला। पहले पढ़ाई की, फिर डिनर किया और अब जा के आपको रिप्लाई देने का टाइम मिला।

अपुन ने सोचा उनका भी रिप्लाई जल्दी नहीं आएगा लेकिन लौड़ा दस सेकंड भी न लगा उनका रिप्लाई आने में। लगता है लौड़ी मोबाइल हाथ में ही लिए बैठी थी।

साधना दी ─ ओह! इट्स ओके बाबू और प्लीज मुझे दी मत बोला करो न।

अपुन (हैरानी से) ─ फिर क्या बोले अपुन?

साधना दी ─ जब हम दोनों मैसेज में बात करें या जब अकेले हों तो तुम मुझे सिर्फ साधना बोला करो। और हां, तुम मुझे आप भी मत बोला करो। मुझे अच्छा नहीं लगता।

अपुन ने सोचा अपुन भी तो लौड़ा यही चाहता है। बेटीचोद, मैनर्स तो अपुन को झांठ बराबर भी पसंद नहीं हैं। खास कर तब जब अपुन को किसी को इज्जत देना हो।

अपुन ─ ओके, अब से ऐसा ही करेगा अपुन।

(तो भाई लोग अब से यहां भी अपुन बातचीत के दौरान उसे सिर्फ साधना ही लिखेगा)

साधना ─ ओह! थैंक्यू बाबू। अच्छा, क्या मैं तुम्हें कॉल करूं? वो क्या है न मुझे तुम्हारी आवाज सुनने का बहुत मन कर रहा है।

अपुन ने सोचा अगर वो खुद ही कॉल पर बात करना चाहती है तो लौड़ा अपुन को क्या प्रॉब्लम हो सकती है? इस लिए अपुन ने मैसेज में बोल दिया कि हां वो कॉल कर सकती है।

बेटीचोद,‌ पांच सेकंड में ही अपुन का मोबाइल रिंग करने लगा। शुक्र था कि रिंग का वॉल्यूम कम था और अपुन ने भी झट से उठा लिया था वरना रिंग की आवाज रूम से बाहर चली जाती और संभव है कि दिव्या के रूम में भी पहुंच जाती। ज़ाहिर है इससे गड़बड़ होने के चांस बन जाने थे लौड़ा।

खैर अपुन ने मोबाइल कान से लगाया और उसे धीमी आवाज में हेलो कहा।

साधना ─ ओह! बाबू, आखिर तुम्हारी आवाज सुन ही ली मैंने। तुम्हें पता है आज सारा दिन मैं अकेली रही और अपने रूम में बेड पर लेटी तुम्हारी पिक में तुम्हें ही देखती रही।

अपुन (शॉक्ड) ─ ओह! क्या सच में?

साधना ─ हां, और तुम्हें पता है इस वक्त भी मैं घर में अकेली ही हूं और तुम्हें ही याद कर रही थी।

अपुन को बड़ी हैरानी हुई कि वो इस वक्त भी घर में अकेली है। पता नहीं क्यों पर अपुन के मन में उसके अकेले रहने पर अलग ही खयाल उभरने लगे लौड़ा। लेकिन पहले अपुन जानना चाहता था कि वो अकेली क्यों है? मतलब, ये तो अपुन समझ गयला था कि उसका भाई अमित अपनी मां को नानी के यहां से ले कर वापस नहीं आया होगा लेकिन उसके बाप को तो घर में ही होना चाहिए था। आखिर बैंक में नौकरी करता है वो।

अपुन ─ लेकिन तुम घर में अकेली क्यों हो? मतलब कि अंकल तो घर पर ही होंगे न?

साधना ─ नहीं हैं। असल में आज शाम को जब वो बैंक से आए थे तभी उन्हें मां का फोन आया था और उन्होंने उन्हें नानी के यहां फ़ौरन आने को कहा था। पहले तो पापा ने अपनी समस्या बताई कि सुबह उन्हें बैंक जाना होता है तो वो कैसे इस वक्त वहां आ सकते हैं फिर जब मां ने कहा कि आना जरूरी है तो फिर उन्हें जाना ही पड़ा। अपने साथ मुझे भी ले जा रहे थे लेकिन मैंने उन्हें मना कर दिया था।

अपुन ─ तुमने उनके साथ जाने से मना क्यों किया था?

साधना ─ मेरा कहीं जाने का मन ही नहीं कर रहा था तो मना कर दिया। फिर जब वो कहने लगे कि यहां घर में अकेले कैसे रहोगी तो बोल दिया कि रह लूंगी, वैसे भी सुबह तो वो आ ही जाएंगे।

अपुन (शॉक) ─ और अंकल मान गए?

साधना ─ जल्दी नहीं माने वो। फिर जब मैंने उन्हें बहाने से बताया कि मुझे कुछ पर्सनल प्रॉब्लम है तब वो माने और फिर अपना अच्छे से खयाल रखना और घर के सभी खिड़की दरवाजे बंद कर के रखने का बोल कर चले गए।

अपुन उसकी ये सब बातें सुन के हैरान भी था और थोड़ा उत्साहित भी। बोले तो अब अपुन के मन में फिर से कुछ कुछ होने लगा था लौड़ा। पर अपुन खुद उससे इस बारे में कुछ बोलना नहीं चाहता था।

साधना ─ इस वक्त पूरे घर में मैं अकेली हूं बाबू। मेरा बहुत मन कर रहा है कि काश इस वक्त तुम भी मेरे पास होते। क्या तुम मेरे खातिर मेरे घर नहीं आ सकते?

अपुन मन ही मन खुश तो बहुत हुआ लौड़ा लेकिन थोड़ा ना नुकुर करना भी जरूरी था वरना वो यही समझती कि अपुन तो यही चाहता था बेटीचोद।

अपुन ─ ये क्या बोल रेली हो तुम? अपुन रात के इस वक्त तुम्हारे घर कैसे आ सकता है? किसी को पता चल गया तो भारी लफड़ा हो जाएगा।

साधना ─ प्लीज बाबू आ जाओ न। किसी को भी पता नहीं चलेगा।

अपुन ─ यार तुम तो अपुन को धर्म संकट में डाल रेली हो।

साधना ─ सॉरी बाबू, पर मैं क्या करूं? सच कहूं तो मैंने पापा को जान बूझ कर जाने से इंकार किया था। मुझे कोई पर्सनल प्रॉब्लम नहीं थी लेकिन जब मुझे ये पता चला था कि पापा को भी नानी के यहां जाना पड़ेगा तो अचानक ही उस वक्त मुझे तुम्हारा खयाल आ गया था और फिर मैं सोचने लगी थी कि तुम्हारे साथ काफी समय तक रहने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा। बस, इसी लिए पापा को पर्सनल प्रॉब्लम का बहाना बना के मना कर दिया था। प्लीज बाबू, मान जाओ न।

सच तो ये था लौड़ा कि अब अपुन के मन में लड्डू फूटने लगे थे। मन तो करने लग गयला था कि अभी एक ही पल में अपुन उसके पास पहुंच जाए लेकिन तभी अपुन को खयाल आया कि पहले उससे कुछ बातों का करार कर लिया जाए। फोकट में उसके घर चौकीदार बनने के वास्ते नहीं जाना चाहता था अपुन। बोले तो अपुन का कुछ तो फायदा होनाइच मांगता था लौड़ा।

अपुन ─ यार प्रॉब्लम ये है कि अपुन यहां से निकलेगा कैसे और अगर किसी तरह अपुन यहां से निकल भी लिया तो तुम्हारे पास आने से अपुन को इनाम में मिलेगा क्या?

साधना ─ तुम भी बुद्धू ही हो। अरे! इतना भी नहीं समझते कि एक अकेली लड़की जो तुम्हें बहुत चाहती है वो इस तरह क्यों अपने पास बुला रही है?

अपुन ─ मतलब??

साधना ─ उफ्फ! तुम इतने बुद्धू क्यों हो मेरे बाबू? क्या तुम सच में नहीं समझते कि मैं तुम्हें क्यों बुला रहीं हूं?

अपुन समझ तो गयला था लेकिन लौड़ा उसके मुख से क्लियर सुनना चाह रेला था अपुन। बोले तो कोई किच किच नहीं चाहिए था अपुन को, हां नहीं तो। (अबे ये हां नहीं तो अपुन के मन में कैसे आ गया लौड़ा? बेटीचोद ये तो अपुन की जुड़वा बहन विधी का तकिया कलाम है, हट लौड़ा) खैर अपुन ने उससे कहा।

अपुन ─ लगता है अपुन सच में बुद्धू ही है। तुम ही साफ साफ बता दो न।

साधना ─ बस इतना समझ लो बाबू कि यहां आओगे तो फायदे में ही रहोगे। सारी रात हमारी होगी और हम दोनों एक ही बेड पर होंगे। अब ठीक है न?

वैसे तो लौड़ा अभी भी थोड़ा क्लियर होना चाहिए था पर खैर कोई बात नहीं। अपुन ने भी सोचा कि क्यों उसे ज्यादा परेशान करे लौड़ा? तभी अपुन की चुप्पी पर वो बोली।

साधना ─ तो आ रहे हो न बाबू? प्लीज आ जाओ न। तुम्हारी साधना तुम्हें बहुत याद कर रही है। तुम्हें अपनी बाहों में भर लेना चाहती है। तुम्हें बहुत सारा प्यार करना चाहती है। आ जाओ न प्लीज।

अपुन (एकदम खुश हो के) ─ ओके, अपुन आ रेला है। अपुन के वेलकम के लिए अच्छे से रेडी रहने का।

साधना ─ बिल्कुल बाबू। तुम्हें शिकायत का कोई मौका नहीं दूंगी। बस तुम जल्दी से आ जाओ। अब एक पल भी तुम्हारे बिना रहा नहीं जा रहा।

अपुन ने झट से कॉल कट किया और सोचने लगा कि यहां से कैसे निकला जाए? वैसे निकलना मुश्किल नहीं था लेकिन आज से पहले अपुन ने ऐसा काम कभी नहीं किया था इस लिए थोड़ा डर और घबराहट होने लगी थी लौड़ा।

कुछ तो ये सोच के भी गांड़ फट रेली थी कि अगर किसी को पता चल गया तो क्या होगा? बोले तो ऐसे में तो अपुन की तबीयत से गाड़ फट जाएगी या फाड़ दी जाएगी लौड़ा। पर, अपुन को अब किसी बात की परवाह नहीं थीं। साधना के साथ बहुत सारा मजा करने को मिलने वाला था और अपुन इस मजे को छोड़ने वाला नहीं था बेटीचोद।

अपुन ने फटाफट कपड़े पहने और बाइक की चाबी ले कर रूम से दबे पांव निकला। रूम की लाइट बुझा दिया था अपुन ने, ताकि रात में अगर कोई अपुन के रूम की तरफ आए तो वो यही समझे कि अपुन हाथी घोड़े बेच के सोया हुआ है लौड़ा।

सीढ़ियों से उतर कर अपुन ग्राउंड फ्लोर पर आया। हर तरफ सन्नाटा छाया हुआ था। बस एक दो लाइट्स जल रेली थी। अपुन ने साक्षी दी के रूम के पास जा कर उनके रूम के अंदर का जायजा लिया। जब समझ गया कि साक्षी दी सोई हुई हैं तो अपुन मेन गेट की तरफ बढ़ चला।

मेन गेट को अपुन ने बहुत ही सावधानी से खोला और बाहर आ कर वापस गेट को अच्छे से बंद कर दिया। उसके बाद अपुन आराम से गैरेज में गया। वहां से बाइक को पैदल ही धकेलते हुए बाहर सड़क तक लाया। इतने में ही अपुन की सांसें फूल गईली थी बेटीचोद।

सड़क पर आने के बाद अपुन ने बाइक को स्टार्ट किया और फिर दौड़ा दिया उसको साधना के घर की तरफ। रास्ते में अपुन सोच रेला था कि बाइक को अपुन साधना के घर से थोड़ी दूर ऐसी जगह खड़ी कर देगा जहां से वो चोरी भी न हो और किसी को अपुन के यहां आने का पता भी न चले।

अपुन ने ऐसा ही किया। साधना के घर के पास पहुंच कर अपुन ने बाइक को सही जगह पर खड़ी किया और फिर पैदल ही साधना के घर के दरवाज़े तक आया। इस बीच अपुन ने साधना को मैसेज कर के बता दिया था कि अपुन दरवाजे पर आ गयला है।

साधना लौड़ी ने भारी होशियारी का काम किएला था। बोले तो घर की सभी लाइट्स जो पहले ही बुझी हुईं थी उन्हें बुझी ही रहने दिया था। जब वो दरवाजा खोलने आई तब भी अंदर अंधेरा ही था। अपुन समझ गया कि ये सब उसने सावधानी के लिए और किसी को पता न चले इसके लिए क्या था। उसकी ये समझदारी देख अपुन भारी खुश हो गयला था।

अपुन जैसे ही अंदर दाखिल हुआ तो उसने सावधानी से फौरन दरवाजा बंद कर दिया। उसके बाद अंधेरे में ही आ कर अपुन से लिपट गई।

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उसका नाजुक और गरम जिस्म अपुन के जिस्म से चिपका तो पलक झपकते ही अपुन का रोम रोम सिहर गया लौड़ा। यहां तक कि अपुन का लौड़ा भी गनगना गया बेटीचोद।

साधना ─ ओह! विराट तुम आ गए। थैंक्यू सो मच माय डियर...माय लव।

अपुन से वो लिपटी हुई थी और ये कहते हुए एकदम से अपुन के चेहरे को चूमने लग गईली थी। अपुन भी कहां पीछे रहता। बोले तो मजा लेने का कोई मौका कैसे छोड़ सकता था अपुन?

इस लिए जैसे ही चूमते हुए वो अपुन के होठों पर आई तो अपुन ने लपक कर खुद ही उसके होठों को मुंह में भर लिया और पूरे जोश से उन्हें चूसने लगा। उधर वो लौड़ी तो जैसे इसी का इंतज़ार कर रेली थी। वो भी दुगुने जोश के साथ अपुन के होठ चूसने लगी लौड़ी।

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करीब पांच मिनट तक अपन दोनों ने एक दूसरे के जम के होठ चूसे और जब सांसें फूलने लगीं तो अलग हो गए। अंधेरे में अब वो थोड़ा थोड़ा साफ दिखने लगी थी। अपुन ने देखा उसकी सांसें उखड़ी हुईं थी और उसका सीना ऊपर नीचे हो रेला था।

साधना ─ मन तो अभी नहीं भरा बाबू लेकिन यहां अंधेरे में ये सब ठीक भी नहीं लग रहा। इस लिए रूम में ही चलते हैं।

अपुन ─ हां ठीक है चलो।

अपुन दोनों कुछ ही में रूम में आ गए। रूम में नाइट बल्ब जल रेला था जिसकी मध्यम रोशनी में साधना अब अपुन को अच्छे से दिख रेली थी। मगर अपुन को और अच्छे से दिखना मांगता था इस लिए अपुन ने दीवार पर लगे स्विच में एक बटन दबाया तो रूम में तेज रोशनी फैल गई।

अपुन ने देखा, साधना व्हाइट टॉप पहने खड़ी थी जिसमें उसके उभरे हुए बूब्स साफ दिख रेले थे।

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अपुन का मन तो किया कि अभी आगे बढ़े और उन्हें दोनों हाथों से दबोच ले मगर फिर अपुन ने सोचा इतनी जल्दी भी क्या है? बोले तो सारी रात ही तो अपनी है लौड़ा।

साधना अपुन को एकटक देख रेली थी और फिर देखते ही देखते वो अपुन के करीब आई। अपुन की धड़कनें फिर से बढ़ गईं। वो दिलकश अदाओं से अपुन को देख हल्के से मुस्कुराई। अपुन के अंदर अब बड़े जोर का तूफ़ान उठने को था।

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साधना ─ मन तो करता है कि तुम्हें खा ही जाऊं बाबू लेकिन फिर सोचती हूं कि अगर ऐसा किया तो बाद में क्या करूंगी?

अपुन ─ मन तो अपुन का भी कर रेला है कि तुम्हें नीचे से ऊपर तक खा जाए।

साधना अपुन की बात सुन कर मानो मदहोश सी होने लगी। नशीली आंखों से अपुन को देखते हुए बोली।

साधना ─ उफ्फ! तो खा जाओ न बाबू।

कहने के साथ ही वो अपने एक हाथ से अपुन का चेहरा हौले से सहलाने लगी। उसके छूते ही अपुन के जिस्म में करेंट सा दौड़ गया। तूफान तो लौड़ा पहले से ही उठने को बेताब था।

वैसे अपुन ये भी सोच के हैरान हो रेला था कि आज सचमुच इसे क्या हो गयला है। मतलब कि उसे इतना बेबस, इतने उतावलेपन में और इतना कामुक पहले कभी नहीं देखा था अपुन ने। अपुन की नज़र में तो वो एक साधारण सी सोच रखने वाली लड़की ही थी जिसके मन में कहीं न कहीं अपुन के प्रति कोमल जज्बात भी थे लेकिन वो ऐसी निकलेगी इसकी कल्पना कभी नहीं की थी अपुन ने।

तभी अपुन को सोचो में गुम देख उसने अपनी एड़ी उठाई और अपुन के होठों को चूम लिया।

साधना ─ मैं तुम्हारे होठों को चूमने चाटने के लिए मरी जा रही हूं और तुम चुपचाप खड़े जाने क्या सोच रहे हो?

अपुन ─ अपुन सोच रेला है कि आज जैसा तुम्हारा रूप पहले कभी नहीं देखा अपुन ने।

साधना ─ आज से पहले तुम मुझे इस तरह मिले भी तो नहीं थे बाबू। आज से पहले तो बस मन ही मन तुम्हें चाहती थी और यही दुआ किया करती थी कि काश तुम भी मुझे मेरी ही तरह चाहो।

अपुन को लगा कि कहीं माहौल सेंटी न बन जाए इस लिए अपुन ने फौरन गियर बदला और दोनों हाथ उठा कर उसके चेहरे को थाम लिया। उसके बाद बिना कुछ कहे उसके होठों पर झुकता चला गया अपुन।

जैसे ही अपन दोनों के होठ मिले तो लौड़ा फिर से बदन में करेंट दौड़ गया और मजे की तरंग पूरे जिस्म में दौड़ गई। पहले तो अपुन ने एक दो बार उसके रसीले होठों को तरीके से चूमा और फिर एकदम से उन्हें मुंह में भर कर चूसने लगा। साधना तो जैसे कब से इसके इंतजार में थी। वो भी पूरे जोश के साथ अपुन का साथ देने लगी।

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एक बात तो थी लौड़ा कि उसके होठ बहुत ही गजब के थे। एकदम कोमल और मीठे, अपुन का तो मन ही नहीं भर रेला था लौड़ा पर कुछ ही देर में अपन लोग की सांसें फूल गईं और अपन लोग को अलग होना पड़ा बेटीचोद।

उखड़ी सांसों को सम्हालते हुए अपन दोनों ने कुछ पलों तक एक दूसरे को देखा और फिर से लपक कर एक दूसरे के होठ चूसने लगे। साधना तो जैसे पागल ही हो जाती थी लौड़ी। वो जितना अपुन के होठ चूसती उतना ही अपुन के चेहरे को सहलाते हुए बालों को खींचती।

अपुन उसके होठों को छोड़ गले पर आया। गोरे चिकने गले को चूमते चाटते अपुन जल्दी ही उसके सीने पर आ गया। टॉप के खुले हिस्से के नीचे उसके बूब्स की घाटियां थी जिन्हें अपुन जीभ निकाल कर चाटने लगा। अपुन के ऐसा करते ही साधना जोर से मचलने लगी।

साधना ─ उफ्फ! वि..राट शश्श्श्श कितना अच्छा लगता है जब तुम ऐसे करते हो।

अपुन ने सिर उठाया और पूछा।

अपुन ─ और क्या क्या अच्छा लगता है?

साधना ─ तुम जो जो करते हो सब अच्छा लगता है बाबू। प्लीज करो न, रुक क्यों गए?

अपुन ने एक झटके में उसे उठा कर बाहों में ले लिया। अपुन के ऐसा करते ही पहले तो वो एकदम से घबरा गई फिर मुस्कुरा उठी। इधर अपुन उसे बाहों में लिए बेड के पास आया और उसे बेड पर आहिस्ता से लेटा दिया।

रूम में फुल रोशनी थी इस लिए सब कुछ साफ साफ दिख रेला था। वो बेड पर लेटी मुस्कुराते हुए अपुन को देखे जा रेली थी और अपुन नीचे खड़ा था। फिर उसे देखते हुए बोला।

अपुन ─ क्या आज की रात हम हद पार कर जाएं?

साधना ─ तुम्हें जो करना है करो बाबू। मैं तुम्हें किसी बात के लिए नहीं रोकूंगी। बस तुम मुझे ऐसे प्यार करो कि मैं तुम्हारे प्यार से तृप्त हो जाऊं।

अपुन समझ गया कि लौड़ी ने अपुन से चुदवाने का पहले से ही मन बना लिया था और अब चाहती थी कि अपुन उसे पेल के पेले लौड़ा।

ख़ैर अपुन तो जैसे खुशी से नाच ही उठा था लौड़ा। एक मिनिट भी नहीं लगा अपुन को अपने कपड़े उतार कर फेंकने में। अब अपुन सिर्फ अंडरवियर में था जिसमें अपुन का तना हुआ लन्ड साफ समझ में आ रेला था।

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साधना की नज़र जैसे ही अपुन के कच्छे में दिख रहे लन्ड के उभार पर पड़ी तो उसकी आँखें चौड़ी हो गईं और साथ ही उसका मुख भी भाड़ की तरह हैरानी से खुल गया।

फिर उसने अपुन की तरफ देखा और जैसे ही उसने अपुन को मुस्कुराता देखा तो उसने शर्म से अपना चेहरा दूसरी तरफ फेर लिया। अपुन ने मन ही मन कहा─अभी तो शर्मा रेली है लौड़ी, बाद में इसको अपनी चूत में ले कर मजे से चीखेगी भी। फिर अपुन ने उससे मुस्कुरा कर कहा।

अपुन ─ क्या हुआ? तुमने चेहरा क्यों घुमा लिया?

साधना ने धीरे से गर्दन घुमा कर अपुन की तरफ देखा। उसका चेहरा शर्म से लाल था और होठों पर शर्म मिश्रित मुस्कान।

साधना ─ वो...वो तुम्हारे उसको देख के मुझे शर्म आ गई थी।

अपुन ─ किसको देख के?

साधना ─ उ..उसी को जो तुम्हें अ..अंडरवियर में छुपा है।

अपुन ─ अरे! उसका कुछ नाम भी तो होगा?

साधना (शर्मा कर) ─ न...नाम?? नहीं नहीं मुझे उसका नाम नहीं पता।

अपुन ─ अपुन मान ही नहीं सकता कि तुम्हें उसका नाम नहीं पता। चलो बताओ अब।

साधना बुरी तरह शर्माने लगी लेकिन फिर अपुन की तरफ देखने की उसने हिम्मत की और मुस्कुराते हुए बोली।

साधना ─ प्लीज, मत पूछो न। मैं उसका नाम नहीं ले सकती।

अपुन ─ क्यों?

साधना ─ शर्म आती है न बाबू, प्लीज समझो न।

अपुन ने सोचा क्या फालतू की बातों में उसे तंग करना और समय बर्बाद करना इस लिए उसे और मजबूर नहीं किया और बेड पर उसके पास पहुंच गया। वो चोर नज़रों से बार बार अपुन के कच्छे की तरफ देखने लगती थी।

अपुन ─ अच्छा अपुन ने तो अपने कपड़े उतार लिए हैं अब तुम भी अपने कपड़े उतार डालो न।

साधना ─ क्या?? न...नहीं न प्लीज।

अपुन ─ कपड़े नहीं उतारोगी तो प्यार वाला आगे का काम कैसे होगा?

साधना मुस्कुरा भी रेली थी, शर्मा भी रेली थी और अपुन ने महसूस किया कि वो हल्का हल्का कांप भी रेली थी। मतलब प्यार के जज़्बात में बह कर उसने भले ही अपुन को सब कुछ कर लेने को कह दिया था लेकिन अब उस सबके बारे में सोच कर वो अंदर ही अंदर घबराए जा रेली थी। ये अलग बात है कि वो इसके बावजूद अपुन को रुक जाने को नहीं बोल रेली थी। मतलब साफ था कि वो इसके लिए पूरी तरह तैयार थी, बस थोड़ा घबराई हुई थी बेटीचोद।

अपुन ने आगे बढ़ कर उसका चेहरा थाम लिया और फिर से उसके होठों को चूमने चूसने लगा। कुछ ही पलों में वो भी अपुन का साथ देते हुए ऐसा ही करने लगी। तभी अपुन ने एक हाथ से उसके एक बूब को पकड़ लिया और उसे दबाना शुरू कर दिया।

उफ्फ! कितना गजब एहसास था उसके दूध को दबाने का। लौड़ा, इतना मजा आया कि अपुन जल्दी जल्दी उसे मसलने ही लगा। अपुन की इस हरकत से साधना जोर जोर से मचलने लगी।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श वि..राट थोड़ा धीरे से द..बाओ न।

उसकी बात सुन अपुन ने उसके होठ छोड़े और उससे थोड़ अलग हो कर उसके टॉप को पकड़ कर ऊपर उठाना शुरू कर दिया। पहले तो वो अपुन के ऐसा करने पर झिझकी लेकिन फिर अपुन की आंखों में देखते हुए अपने दोनों हाथ ऊपर कर लिए। अपुन ने थोड़ा जोर लगा कर कुछ ही पलों में उसके टॉप को ऊपर कर के उसके सिर से निकाल कर बेड के दूसरी तरफ उछाल दिया।

टॉप के उतरते ही उसका जवानी से छलकता जिस्म स्पष्ट नुमायां हो उठा। गोरे चिकने बदन पर कहीं कोई दाग नहीं था। सीने पर मौजूद उसके बड़े बड़े बूब्स रेड कलर की ब्रा में कैद थे जो बहुत ही खूबसूरत नजारा पेश कर रेले थे।

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अपुन तो लौड़ा ब्रा में कैद उसके बूब्स को मंत्रमुग्ध हो के देखने ही लग गयला था। ये देख वो एक बार फिर से शर्मा गई और दोनों हाथों की कैंची बना कर अपने बूब्स को छुपाने लगी। उसे ऐसा करते देख अपुन अनायास ही मुस्कुरा उठा फिर बोला।

अपुन ─ इतनी खूबसूरत चीज़ को अपुन से क्यों छुपा रेली हो? अपने हाथ हटाओ न, अपुन को तो अभी इन्हें पूरी तरह से नंगा देखने का है, जैसे आज दिन में देखा था।

साधना अपुन की बात सुन शर्म से मुस्कुराने लगी। उसके बूब्स अभी भी उसके हाथों की कैंची के पीछे छुपे थे। अपुन एकदम से उसके पीछे जा बैठ गया और फिर पीछे से ही दोनों हाथ आगे बढ़ा कर पहले उसके हाथ हटाए और फिर उसके ब्रा में कैद बूब्स को मसलते हुए ब्रा को नीचे करने लगा। पर वो लौड़ी मचलने लग गईली थी और बार बार अपने हाथों को लगा कर ब्रा को उतरने से रोक ले रेली थी। अपुन ने पीछे से उसके नंगे कंधे को चूमना शुरू किया और साथ ही ब्रा को भी उतारने की कोशिश की। उसके कंधे को चूमते हुए बीच बीच में उसके बूब्स भी मसल देता जिससे वो मचल उठती।

20231103-153619

आखिरकार अपुन की जीत हुई। अपुन ने उसकी ब्रा खोल कर उसके जिस्म से अलग कर दी। पहले तो अपुन ने पीछे बैठे बैठे ही उसके नंगे बूब्स को मसला और उसके कंधे, गले और पीठ को चूमा चाटा, फिर उठ कर उसके आगे आ गया। असल में अपुन सामने से उसके बूब्स को अपनी आंखों से देखना चाह रेला था।

सामने आ कर अपुन ने उसके बूब्स को देखा। वाह! क्या गोरे चिकने और मक्खन की तरह दिख रेले थे उसके गोल गुब्बारे। कितने सुंदर शेप में थे वो। दोनों बूब्स के बीच भूरे लंग के निप्पल इतने आकर्षक थे कि अपुन से रहा न गया। अपुन ने झट उसके दोनों उभारों को थाम लिया और फिर झुक कर बाएं निप्पल को जीभ निकाल कर चाटने लगा।

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साधना ─ शश्श्श्श वि..राट। उफ्फ! शश्श्श्श।

साधना मजे से सिसकियां लेने लगी और इधर अपुन को उसके निप्पल को चाटने में इतना मजा आया कि अपुन ने सीधा उसे मुंह में भर कर चूसना ही शुरू कर दिया लौड़ा।

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साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् उफ्फ वि.राट। मैं...मैं पागल हो जाऊंगी। म..त करो न ऐसे।

पर अपुन ने उसकी बात नहीं सुनी और मजे से उसके बूब्स को दबा दबा के निप्पल को चूसता रहा। जब एक से मन भर गया तो दूसरे को थाम कर चूसने लगा। साधना अब और भी तरह मचलने लगी थी। मजे के तरंग में वो अपुन के बालों को खींच भी लेती और अपुन के सिर को अपने बूब्स पर दबाने भी लगती।

साधना का बुरा हाल तो था ही लेकिन अपुन का भी बुरा हुआ जा रेला था लौड़ा। बोले तो अपुन का लन्ड इस सबके चलते बुरी तरह अकड़ गयला था। अपुन से अब बर्दाश्त नहीं हो रेला था। मन कर रेला था कि अभी साधना की डार्क ब्ल्यू कलर की पेंटी निकाल कर अपना लन्ड उसकी बुर में डाल दे।

To be continued...


Aaj ke liye itna hi bhai log..
Read and enjoy..
:declare:
Bahut hi badhiya update diya hai The_InnoCent bhai....
Nice and beautiful update....
 

PS10

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Update ~ 07




विधी ─ कुत्ते कमीने, ये क्या कर रहा था तू? एक बार भी नहीं सोचा कि तेरी बहन हूं मैं।आज के बाद अपनी शक्ल मत दिखाना मुझे।

अपुन तो लौड़ा शॉक ही हो गया। मतलब कि ये क्या बवासीर हो गया? लौड़ा जो बात सोचा ही नहीं था वो हो गयला था। अपुन तो यही सोच बैठा था कि अपुन की तरह शायद अब वो भी यही चाहती है लेकिन उसका अचानक से बदला ये रूप देख अपुन का तो जैसे फ्यूज ही उड़ गयला था।

उधर अपुन को ये सब बोल कर वो बेड से उतर गई और फिर गुस्से में ही पैर पटकता हुए रूम से बाहर निकल गई। दरवाजे के बड़े जोर से झटक कर बंद किया था उसने। इधर अपुन बेड पर ऐसे बैठा था जैसे किसी ने अपुन की गांड़ ही मार ली हो बेटीचोद।



अब आगे....


अपुन बहुत देर तक इस सबके बारे में सोचता रहा। बोले तो कुछ समझ नहीं आ रेला था कि विधी ने अचानक से इस तरह का बर्ताव क्यों किया? अपुन तो लौड़ा यही सोच बैठा था कि जब वो होठों पर किस करने को राजी हो ग‌ईली है तो इस किस को थोड़ा और मजेदार बना दिया जाए। अपुन को यकीन नहीं हो रेला था कि अभी थोड़ी देर पहले क्या कुछ हो चुका है बेटीचोद।

खैर अपुन का भी दिमाग खराब हो गयला था और विधी की इस हरकत से अपुन को भी अब उस पर गुस्सा आ रेला था। अपुन ने सोच लिया कि अपुन भी अब तब तक उससे बात नहीं करेगा जब तक वो खुद अपुन के पास आ कर इसके लिए अपुन से सॉरी नहीं बोलेगी।

अपने मन से इन सारी बातों को झटक कर अपुन आराम से बेड पर लेट गया और मोबाइल देखने लगा। अपुन ने देखा मोबाइल में कई लोगों के वॉट्सएप मैसेज पड़े थे और कुछ कॉल्स भी पढ़ीं थी।

अपुन का ध्यान पहले तो साधना दी के मैसेज पर ही गया लेकिन फिर अचानक अपुन को याद आया कि साक्षी दी ने अनुष्का को फोन कर के डांटा था और फिर ये भी याद आया कि अनुष्का ने अपुन को कॉल और मैसेज भी किएला था।

अपुन ने झट से अनुष्का वाले मैसेज को ओपन किया। उसमें कई सारे मैसेज थे। जिसमें पहले तो उसने अपुन को ढेर सारे सॉरी वाले मैसेज और इमोजी भेजा था फिर लिख के बताया था कि उसने अपने हसबैंड का गुस्सा अपुन पर उतार दिया था। आखिर में उसने लिखा था कि अब से वो कभी अपुन पर गुस्सा नहीं करेगी और न ही कभी क्लास से गेट आउट करेगी। इतना ही नहीं अपुन को एक्स्ट्रा पढ़ाएगी भी जिसके लिए अपुन शाम को उसके घर जा सकता है।

उसके ये मैसेजेस देख पता नहीं क्यों अपुन को अंदर ही अंदर खुशी हुई और गुदगुदी भी हुई। इतना ही नहीं, अपुन के लंड में झनझनाहट भी हुई लौड़ा। फिर अपुन ने सोचा कि अनुष्का को इतना जल्दी माफ़ नहीं करना चाहिए। मतलब कि उसे थोड़ा सताना चाहिए या उससे मजा लेना चाहिए।

अनुष्का, साक्षी दी के साथ कॉलेज में पढ़ती थी और दोनों में आज भी गहरी दोस्ती है। कहने का मतलब ये कि अनुष्का और उसकी फैमिली से अपन लोग की पहले से ही जान पहचान थी। खैर अपुन ने मैसेज टाइप किया और उसे भेज दिया।

अपुन (मैसेज) ─ अपनी सॉरी अपने पास ही रखो। अपुन बहुत गुस्सा है और बात नहीं करना चाहता आपसे।

अपुन जानता था कि उनका रिप्लाई जल्दी नहीं आएगा इस लिए अपुन साधना दी का मैसेज देखने लगा। उन्होंने अपने मैसेजेस में फिर से वही सब लिखा था जो पहले शुरू में बताया था कि उन्हें अपुन की बहुत याद आ रेली है और उनका कहीं मन नहीं लग रहा लौड़ा लहसुन वगैरा वगैरा। खैर अपुन ने उनको भी मैसेज भेजा।

अपुन ─ सॉरी दी, रिप्लाई करने का टाइम ही नहीं मिला। पहले पढ़ाई की, फिर डिनर किया और अब जा के आपको रिप्लाई देने का टाइम मिला।

अपुन ने सोचा उनका भी रिप्लाई जल्दी नहीं आएगा लेकिन लौड़ा दस सेकंड भी न लगा उनका रिप्लाई आने में। लगता है लौड़ी मोबाइल हाथ में ही लिए बैठी थी।

साधना दी ─ ओह! इट्स ओके बाबू और प्लीज मुझे दी मत बोला करो न।

अपुन (हैरानी से) ─ फिर क्या बोले अपुन?

साधना दी ─ जब हम दोनों मैसेज में बात करें या जब अकेले हों तो तुम मुझे सिर्फ साधना बोला करो। और हां, तुम मुझे आप भी मत बोला करो। मुझे अच्छा नहीं लगता।

अपुन ने सोचा अपुन भी तो लौड़ा यही चाहता है। बेटीचोद, मैनर्स तो अपुन को झांठ बराबर भी पसंद नहीं हैं। खास कर तब जब अपुन को किसी को इज्जत देना हो।

अपुन ─ ओके, अब से ऐसा ही करेगा अपुन।

(तो भाई लोग अब से यहां भी अपुन बातचीत के दौरान उसे सिर्फ साधना ही लिखेगा)

साधना ─ ओह! थैंक्यू बाबू। अच्छा, क्या मैं तुम्हें कॉल करूं? वो क्या है न मुझे तुम्हारी आवाज सुनने का बहुत मन कर रहा है।

अपुन ने सोचा अगर वो खुद ही कॉल पर बात करना चाहती है तो लौड़ा अपुन को क्या प्रॉब्लम हो सकती है? इस लिए अपुन ने मैसेज में बोल दिया कि हां वो कॉल कर सकती है।

बेटीचोद,‌ पांच सेकंड में ही अपुन का मोबाइल रिंग करने लगा। शुक्र था कि रिंग का वॉल्यूम कम था और अपुन ने भी झट से उठा लिया था वरना रिंग की आवाज रूम से बाहर चली जाती और संभव है कि दिव्या के रूम में भी पहुंच जाती। ज़ाहिर है इससे गड़बड़ होने के चांस बन जाने थे लौड़ा।

खैर अपुन ने मोबाइल कान से लगाया और उसे धीमी आवाज में हेलो कहा।

साधना ─ ओह! बाबू, आखिर तुम्हारी आवाज सुन ही ली मैंने। तुम्हें पता है आज सारा दिन मैं अकेली रही और अपने रूम में बेड पर लेटी तुम्हारी पिक में तुम्हें ही देखती रही।

अपुन (शॉक्ड) ─ ओह! क्या सच में?

साधना ─ हां, और तुम्हें पता है इस वक्त भी मैं घर में अकेली ही हूं और तुम्हें ही याद कर रही थी।

अपुन को बड़ी हैरानी हुई कि वो इस वक्त भी घर में अकेली है। पता नहीं क्यों पर अपुन के मन में उसके अकेले रहने पर अलग ही खयाल उभरने लगे लौड़ा। लेकिन पहले अपुन जानना चाहता था कि वो अकेली क्यों है? मतलब, ये तो अपुन समझ गयला था कि उसका भाई अमित अपनी मां को नानी के यहां से ले कर वापस नहीं आया होगा लेकिन उसके बाप को तो घर में ही होना चाहिए था। आखिर बैंक में नौकरी करता है वो।

अपुन ─ लेकिन तुम घर में अकेली क्यों हो? मतलब कि अंकल तो घर पर ही होंगे न?

साधना ─ नहीं हैं। असल में आज शाम को जब वो बैंक से आए थे तभी उन्हें मां का फोन आया था और उन्होंने उन्हें नानी के यहां फ़ौरन आने को कहा था। पहले तो पापा ने अपनी समस्या बताई कि सुबह उन्हें बैंक जाना होता है तो वो कैसे इस वक्त वहां आ सकते हैं फिर जब मां ने कहा कि आना जरूरी है तो फिर उन्हें जाना ही पड़ा। अपने साथ मुझे भी ले जा रहे थे लेकिन मैंने उन्हें मना कर दिया था।

अपुन ─ तुमने उनके साथ जाने से मना क्यों किया था?

साधना ─ मेरा कहीं जाने का मन ही नहीं कर रहा था तो मना कर दिया। फिर जब वो कहने लगे कि यहां घर में अकेले कैसे रहोगी तो बोल दिया कि रह लूंगी, वैसे भी सुबह तो वो आ ही जाएंगे।

अपुन (शॉक) ─ और अंकल मान गए?

साधना ─ जल्दी नहीं माने वो। फिर जब मैंने उन्हें बहाने से बताया कि मुझे कुछ पर्सनल प्रॉब्लम है तब वो माने और फिर अपना अच्छे से खयाल रखना और घर के सभी खिड़की दरवाजे बंद कर के रखने का बोल कर चले गए।

अपुन उसकी ये सब बातें सुन के हैरान भी था और थोड़ा उत्साहित भी। बोले तो अब अपुन के मन में फिर से कुछ कुछ होने लगा था लौड़ा। पर अपुन खुद उससे इस बारे में कुछ बोलना नहीं चाहता था।

साधना ─ इस वक्त पूरे घर में मैं अकेली हूं बाबू। मेरा बहुत मन कर रहा है कि काश इस वक्त तुम भी मेरे पास होते। क्या तुम मेरे खातिर मेरे घर नहीं आ सकते?

अपुन मन ही मन खुश तो बहुत हुआ लौड़ा लेकिन थोड़ा ना नुकुर करना भी जरूरी था वरना वो यही समझती कि अपुन तो यही चाहता था बेटीचोद।

अपुन ─ ये क्या बोल रेली हो तुम? अपुन रात के इस वक्त तुम्हारे घर कैसे आ सकता है? किसी को पता चल गया तो भारी लफड़ा हो जाएगा।

साधना ─ प्लीज बाबू आ जाओ न। किसी को भी पता नहीं चलेगा।

अपुन ─ यार तुम तो अपुन को धर्म संकट में डाल रेली हो।

साधना ─ सॉरी बाबू, पर मैं क्या करूं? सच कहूं तो मैंने पापा को जान बूझ कर जाने से इंकार किया था। मुझे कोई पर्सनल प्रॉब्लम नहीं थी लेकिन जब मुझे ये पता चला था कि पापा को भी नानी के यहां जाना पड़ेगा तो अचानक ही उस वक्त मुझे तुम्हारा खयाल आ गया था और फिर मैं सोचने लगी थी कि तुम्हारे साथ काफी समय तक रहने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा। बस, इसी लिए पापा को पर्सनल प्रॉब्लम का बहाना बना के मना कर दिया था। प्लीज बाबू, मान जाओ न।

सच तो ये था लौड़ा कि अब अपुन के मन में लड्डू फूटने लगे थे। मन तो करने लग गयला था कि अभी एक ही पल में अपुन उसके पास पहुंच जाए लेकिन तभी अपुन को खयाल आया कि पहले उससे कुछ बातों का करार कर लिया जाए। फोकट में उसके घर चौकीदार बनने के वास्ते नहीं जाना चाहता था अपुन। बोले तो अपुन का कुछ तो फायदा होनाइच मांगता था लौड़ा।

अपुन ─ यार प्रॉब्लम ये है कि अपुन यहां से निकलेगा कैसे और अगर किसी तरह अपुन यहां से निकल भी लिया तो तुम्हारे पास आने से अपुन को इनाम में मिलेगा क्या?

साधना ─ तुम भी बुद्धू ही हो। अरे! इतना भी नहीं समझते कि एक अकेली लड़की जो तुम्हें बहुत चाहती है वो इस तरह क्यों अपने पास बुला रही है?

अपुन ─ मतलब??

साधना ─ उफ्फ! तुम इतने बुद्धू क्यों हो मेरे बाबू? क्या तुम सच में नहीं समझते कि मैं तुम्हें क्यों बुला रहीं हूं?

अपुन समझ तो गयला था लेकिन लौड़ा उसके मुख से क्लियर सुनना चाह रेला था अपुन। बोले तो कोई किच किच नहीं चाहिए था अपुन को, हां नहीं तो। (अबे ये हां नहीं तो अपुन के मन में कैसे आ गया लौड़ा? बेटीचोद ये तो अपुन की जुड़वा बहन विधी का तकिया कलाम है, हट लौड़ा) खैर अपुन ने उससे कहा।

अपुन ─ लगता है अपुन सच में बुद्धू ही है। तुम ही साफ साफ बता दो न।

साधना ─ बस इतना समझ लो बाबू कि यहां आओगे तो फायदे में ही रहोगे। सारी रात हमारी होगी और हम दोनों एक ही बेड पर होंगे। अब ठीक है न?

वैसे तो लौड़ा अभी भी थोड़ा क्लियर होना चाहिए था पर खैर कोई बात नहीं। अपुन ने भी सोचा कि क्यों उसे ज्यादा परेशान करे लौड़ा? तभी अपुन की चुप्पी पर वो बोली।

साधना ─ तो आ रहे हो न बाबू? प्लीज आ जाओ न। तुम्हारी साधना तुम्हें बहुत याद कर रही है। तुम्हें अपनी बाहों में भर लेना चाहती है। तुम्हें बहुत सारा प्यार करना चाहती है। आ जाओ न प्लीज।

अपुन (एकदम खुश हो के) ─ ओके, अपुन आ रेला है। अपुन के वेलकम के लिए अच्छे से रेडी रहने का।

साधना ─ बिल्कुल बाबू। तुम्हें शिकायत का कोई मौका नहीं दूंगी। बस तुम जल्दी से आ जाओ। अब एक पल भी तुम्हारे बिना रहा नहीं जा रहा।

अपुन ने झट से कॉल कट किया और सोचने लगा कि यहां से कैसे निकला जाए? वैसे निकलना मुश्किल नहीं था लेकिन आज से पहले अपुन ने ऐसा काम कभी नहीं किया था इस लिए थोड़ा डर और घबराहट होने लगी थी लौड़ा।

कुछ तो ये सोच के भी गांड़ फट रेली थी कि अगर किसी को पता चल गया तो क्या होगा? बोले तो ऐसे में तो अपुन की तबीयत से गाड़ फट जाएगी या फाड़ दी जाएगी लौड़ा। पर, अपुन को अब किसी बात की परवाह नहीं थीं। साधना के साथ बहुत सारा मजा करने को मिलने वाला था और अपुन इस मजे को छोड़ने वाला नहीं था बेटीचोद।

अपुन ने फटाफट कपड़े पहने और बाइक की चाबी ले कर रूम से दबे पांव निकला। रूम की लाइट बुझा दिया था अपुन ने, ताकि रात में अगर कोई अपुन के रूम की तरफ आए तो वो यही समझे कि अपुन हाथी घोड़े बेच के सोया हुआ है लौड़ा।

सीढ़ियों से उतर कर अपुन ग्राउंड फ्लोर पर आया। हर तरफ सन्नाटा छाया हुआ था। बस एक दो लाइट्स जल रेली थी। अपुन ने साक्षी दी के रूम के पास जा कर उनके रूम के अंदर का जायजा लिया। जब समझ गया कि साक्षी दी सोई हुई हैं तो अपुन मेन गेट की तरफ बढ़ चला।

मेन गेट को अपुन ने बहुत ही सावधानी से खोला और बाहर आ कर वापस गेट को अच्छे से बंद कर दिया। उसके बाद अपुन आराम से गैरेज में गया। वहां से बाइक को पैदल ही धकेलते हुए बाहर सड़क तक लाया। इतने में ही अपुन की सांसें फूल गईली थी बेटीचोद।

सड़क पर आने के बाद अपुन ने बाइक को स्टार्ट किया और फिर दौड़ा दिया उसको साधना के घर की तरफ। रास्ते में अपुन सोच रेला था कि बाइक को अपुन साधना के घर से थोड़ी दूर ऐसी जगह खड़ी कर देगा जहां से वो चोरी भी न हो और किसी को अपुन के यहां आने का पता भी न चले।

अपुन ने ऐसा ही किया। साधना के घर के पास पहुंच कर अपुन ने बाइक को सही जगह पर खड़ी किया और फिर पैदल ही साधना के घर के दरवाज़े तक आया। इस बीच अपुन ने साधना को मैसेज कर के बता दिया था कि अपुन दरवाजे पर आ गयला है।

साधना लौड़ी ने भारी होशियारी का काम किएला था। बोले तो घर की सभी लाइट्स जो पहले ही बुझी हुईं थी उन्हें बुझी ही रहने दिया था। जब वो दरवाजा खोलने आई तब भी अंदर अंधेरा ही था। अपुन समझ गया कि ये सब उसने सावधानी के लिए और किसी को पता न चले इसके लिए क्या था। उसकी ये समझदारी देख अपुन भारी खुश हो गयला था।

अपुन जैसे ही अंदर दाखिल हुआ तो उसने सावधानी से फौरन दरवाजा बंद कर दिया। उसके बाद अंधेरे में ही आ कर अपुन से लिपट गई।

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उसका नाजुक और गरम जिस्म अपुन के जिस्म से चिपका तो पलक झपकते ही अपुन का रोम रोम सिहर गया लौड़ा। यहां तक कि अपुन का लौड़ा भी गनगना गया बेटीचोद।

साधना ─ ओह! विराट तुम आ गए। थैंक्यू सो मच माय डियर...माय लव।

अपुन से वो लिपटी हुई थी और ये कहते हुए एकदम से अपुन के चेहरे को चूमने लग गईली थी। अपुन भी कहां पीछे रहता। बोले तो मजा लेने का कोई मौका कैसे छोड़ सकता था अपुन?

इस लिए जैसे ही चूमते हुए वो अपुन के होठों पर आई तो अपुन ने लपक कर खुद ही उसके होठों को मुंह में भर लिया और पूरे जोश से उन्हें चूसने लगा। उधर वो लौड़ी तो जैसे इसी का इंतज़ार कर रेली थी। वो भी दुगुने जोश के साथ अपुन के होठ चूसने लगी लौड़ी।

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करीब पांच मिनट तक अपन दोनों ने एक दूसरे के जम के होठ चूसे और जब सांसें फूलने लगीं तो अलग हो गए। अंधेरे में अब वो थोड़ा थोड़ा साफ दिखने लगी थी। अपुन ने देखा उसकी सांसें उखड़ी हुईं थी और उसका सीना ऊपर नीचे हो रेला था।

साधना ─ मन तो अभी नहीं भरा बाबू लेकिन यहां अंधेरे में ये सब ठीक भी नहीं लग रहा। इस लिए रूम में ही चलते हैं।

अपुन ─ हां ठीक है चलो।

अपुन दोनों कुछ ही में रूम में आ गए। रूम में नाइट बल्ब जल रेला था जिसकी मध्यम रोशनी में साधना अब अपुन को अच्छे से दिख रेली थी। मगर अपुन को और अच्छे से दिखना मांगता था इस लिए अपुन ने दीवार पर लगे स्विच में एक बटन दबाया तो रूम में तेज रोशनी फैल गई।

अपुन ने देखा, साधना व्हाइट टॉप पहने खड़ी थी जिसमें उसके उभरे हुए बूब्स साफ दिख रेले थे।

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अपुन का मन तो किया कि अभी आगे बढ़े और उन्हें दोनों हाथों से दबोच ले मगर फिर अपुन ने सोचा इतनी जल्दी भी क्या है? बोले तो सारी रात ही तो अपनी है लौड़ा।

साधना अपुन को एकटक देख रेली थी और फिर देखते ही देखते वो अपुन के करीब आई। अपुन की धड़कनें फिर से बढ़ गईं। वो दिलकश अदाओं से अपुन को देख हल्के से मुस्कुराई। अपुन के अंदर अब बड़े जोर का तूफ़ान उठने को था।

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साधना ─ मन तो करता है कि तुम्हें खा ही जाऊं बाबू लेकिन फिर सोचती हूं कि अगर ऐसा किया तो बाद में क्या करूंगी?

अपुन ─ मन तो अपुन का भी कर रेला है कि तुम्हें नीचे से ऊपर तक खा जाए।

साधना अपुन की बात सुन कर मानो मदहोश सी होने लगी। नशीली आंखों से अपुन को देखते हुए बोली।

साधना ─ उफ्फ! तो खा जाओ न बाबू।

कहने के साथ ही वो अपने एक हाथ से अपुन का चेहरा हौले से सहलाने लगी। उसके छूते ही अपुन के जिस्म में करेंट सा दौड़ गया। तूफान तो लौड़ा पहले से ही उठने को बेताब था।

वैसे अपुन ये भी सोच के हैरान हो रेला था कि आज सचमुच इसे क्या हो गयला है। मतलब कि उसे इतना बेबस, इतने उतावलेपन में और इतना कामुक पहले कभी नहीं देखा था अपुन ने। अपुन की नज़र में तो वो एक साधारण सी सोच रखने वाली लड़की ही थी जिसके मन में कहीं न कहीं अपुन के प्रति कोमल जज्बात भी थे लेकिन वो ऐसी निकलेगी इसकी कल्पना कभी नहीं की थी अपुन ने।

तभी अपुन को सोचो में गुम देख उसने अपनी एड़ी उठाई और अपुन के होठों को चूम लिया।

साधना ─ मैं तुम्हारे होठों को चूमने चाटने के लिए मरी जा रही हूं और तुम चुपचाप खड़े जाने क्या सोच रहे हो?

अपुन ─ अपुन सोच रेला है कि आज जैसा तुम्हारा रूप पहले कभी नहीं देखा अपुन ने।

साधना ─ आज से पहले तुम मुझे इस तरह मिले भी तो नहीं थे बाबू। आज से पहले तो बस मन ही मन तुम्हें चाहती थी और यही दुआ किया करती थी कि काश तुम भी मुझे मेरी ही तरह चाहो।

अपुन को लगा कि कहीं माहौल सेंटी न बन जाए इस लिए अपुन ने फौरन गियर बदला और दोनों हाथ उठा कर उसके चेहरे को थाम लिया। उसके बाद बिना कुछ कहे उसके होठों पर झुकता चला गया अपुन।

जैसे ही अपन दोनों के होठ मिले तो लौड़ा फिर से बदन में करेंट दौड़ गया और मजे की तरंग पूरे जिस्म में दौड़ गई। पहले तो अपुन ने एक दो बार उसके रसीले होठों को तरीके से चूमा और फिर एकदम से उन्हें मुंह में भर कर चूसने लगा। साधना तो जैसे कब से इसके इंतजार में थी। वो भी पूरे जोश के साथ अपुन का साथ देने लगी।

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एक बात तो थी लौड़ा कि उसके होठ बहुत ही गजब के थे। एकदम कोमल और मीठे, अपुन का तो मन ही नहीं भर रेला था लौड़ा पर कुछ ही देर में अपन लोग की सांसें फूल गईं और अपन लोग को अलग होना पड़ा बेटीचोद।

उखड़ी सांसों को सम्हालते हुए अपन दोनों ने कुछ पलों तक एक दूसरे को देखा और फिर से लपक कर एक दूसरे के होठ चूसने लगे। साधना तो जैसे पागल ही हो जाती थी लौड़ी। वो जितना अपुन के होठ चूसती उतना ही अपुन के चेहरे को सहलाते हुए बालों को खींचती।

अपुन उसके होठों को छोड़ गले पर आया। गोरे चिकने गले को चूमते चाटते अपुन जल्दी ही उसके सीने पर आ गया। टॉप के खुले हिस्से के नीचे उसके बूब्स की घाटियां थी जिन्हें अपुन जीभ निकाल कर चाटने लगा। अपुन के ऐसा करते ही साधना जोर से मचलने लगी।

साधना ─ उफ्फ! वि..राट शश्श्श्श कितना अच्छा लगता है जब तुम ऐसे करते हो।

अपुन ने सिर उठाया और पूछा।

अपुन ─ और क्या क्या अच्छा लगता है?

साधना ─ तुम जो जो करते हो सब अच्छा लगता है बाबू। प्लीज करो न, रुक क्यों गए?

अपुन ने एक झटके में उसे उठा कर बाहों में ले लिया। अपुन के ऐसा करते ही पहले तो वो एकदम से घबरा गई फिर मुस्कुरा उठी। इधर अपुन उसे बाहों में लिए बेड के पास आया और उसे बेड पर आहिस्ता से लेटा दिया।

रूम में फुल रोशनी थी इस लिए सब कुछ साफ साफ दिख रेला था। वो बेड पर लेटी मुस्कुराते हुए अपुन को देखे जा रेली थी और अपुन नीचे खड़ा था। फिर उसे देखते हुए बोला।

अपुन ─ क्या आज की रात हम हद पार कर जाएं?

साधना ─ तुम्हें जो करना है करो बाबू। मैं तुम्हें किसी बात के लिए नहीं रोकूंगी। बस तुम मुझे ऐसे प्यार करो कि मैं तुम्हारे प्यार से तृप्त हो जाऊं।

अपुन समझ गया कि लौड़ी ने अपुन से चुदवाने का पहले से ही मन बना लिया था और अब चाहती थी कि अपुन उसे पेल के पेले लौड़ा।

ख़ैर अपुन तो जैसे खुशी से नाच ही उठा था लौड़ा। एक मिनिट भी नहीं लगा अपुन को अपने कपड़े उतार कर फेंकने में। अब अपुन सिर्फ अंडरवियर में था जिसमें अपुन का तना हुआ लन्ड साफ समझ में आ रेला था।

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साधना की नज़र जैसे ही अपुन के कच्छे में दिख रहे लन्ड के उभार पर पड़ी तो उसकी आँखें चौड़ी हो गईं और साथ ही उसका मुख भी भाड़ की तरह हैरानी से खुल गया।

फिर उसने अपुन की तरफ देखा और जैसे ही उसने अपुन को मुस्कुराता देखा तो उसने शर्म से अपना चेहरा दूसरी तरफ फेर लिया। अपुन ने मन ही मन कहा─अभी तो शर्मा रेली है लौड़ी, बाद में इसको अपनी चूत में ले कर मजे से चीखेगी भी। फिर अपुन ने उससे मुस्कुरा कर कहा।

अपुन ─ क्या हुआ? तुमने चेहरा क्यों घुमा लिया?

साधना ने धीरे से गर्दन घुमा कर अपुन की तरफ देखा। उसका चेहरा शर्म से लाल था और होठों पर शर्म मिश्रित मुस्कान।

साधना ─ वो...वो तुम्हारे उसको देख के मुझे शर्म आ गई थी।

अपुन ─ किसको देख के?

साधना ─ उ..उसी को जो तुम्हें अ..अंडरवियर में छुपा है।

अपुन ─ अरे! उसका कुछ नाम भी तो होगा?

साधना (शर्मा कर) ─ न...नाम?? नहीं नहीं मुझे उसका नाम नहीं पता।

अपुन ─ अपुन मान ही नहीं सकता कि तुम्हें उसका नाम नहीं पता। चलो बताओ अब।

साधना बुरी तरह शर्माने लगी लेकिन फिर अपुन की तरफ देखने की उसने हिम्मत की और मुस्कुराते हुए बोली।

साधना ─ प्लीज, मत पूछो न। मैं उसका नाम नहीं ले सकती।

अपुन ─ क्यों?

साधना ─ शर्म आती है न बाबू, प्लीज समझो न।

अपुन ने सोचा क्या फालतू की बातों में उसे तंग करना और समय बर्बाद करना इस लिए उसे और मजबूर नहीं किया और बेड पर उसके पास पहुंच गया। वो चोर नज़रों से बार बार अपुन के कच्छे की तरफ देखने लगती थी।

अपुन ─ अच्छा अपुन ने तो अपने कपड़े उतार लिए हैं अब तुम भी अपने कपड़े उतार डालो न।

साधना ─ क्या?? न...नहीं न प्लीज।

अपुन ─ कपड़े नहीं उतारोगी तो प्यार वाला आगे का काम कैसे होगा?

साधना मुस्कुरा भी रेली थी, शर्मा भी रेली थी और अपुन ने महसूस किया कि वो हल्का हल्का कांप भी रेली थी। मतलब प्यार के जज़्बात में बह कर उसने भले ही अपुन को सब कुछ कर लेने को कह दिया था लेकिन अब उस सबके बारे में सोच कर वो अंदर ही अंदर घबराए जा रेली थी। ये अलग बात है कि वो इसके बावजूद अपुन को रुक जाने को नहीं बोल रेली थी। मतलब साफ था कि वो इसके लिए पूरी तरह तैयार थी, बस थोड़ा घबराई हुई थी बेटीचोद।

अपुन ने आगे बढ़ कर उसका चेहरा थाम लिया और फिर से उसके होठों को चूमने चूसने लगा। कुछ ही पलों में वो भी अपुन का साथ देते हुए ऐसा ही करने लगी। तभी अपुन ने एक हाथ से उसके एक बूब को पकड़ लिया और उसे दबाना शुरू कर दिया।

उफ्फ! कितना गजब एहसास था उसके दूध को दबाने का। लौड़ा, इतना मजा आया कि अपुन जल्दी जल्दी उसे मसलने ही लगा। अपुन की इस हरकत से साधना जोर जोर से मचलने लगी।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श वि..राट थोड़ा धीरे से द..बाओ न।

उसकी बात सुन अपुन ने उसके होठ छोड़े और उससे थोड़ अलग हो कर उसके टॉप को पकड़ कर ऊपर उठाना शुरू कर दिया। पहले तो वो अपुन के ऐसा करने पर झिझकी लेकिन फिर अपुन की आंखों में देखते हुए अपने दोनों हाथ ऊपर कर लिए। अपुन ने थोड़ा जोर लगा कर कुछ ही पलों में उसके टॉप को ऊपर कर के उसके सिर से निकाल कर बेड के दूसरी तरफ उछाल दिया।

टॉप के उतरते ही उसका जवानी से छलकता जिस्म स्पष्ट नुमायां हो उठा। गोरे चिकने बदन पर कहीं कोई दाग नहीं था। सीने पर मौजूद उसके बड़े बड़े बूब्स रेड कलर की ब्रा में कैद थे जो बहुत ही खूबसूरत नजारा पेश कर रेले थे।

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अपुन तो लौड़ा ब्रा में कैद उसके बूब्स को मंत्रमुग्ध हो के देखने ही लग गयला था। ये देख वो एक बार फिर से शर्मा गई और दोनों हाथों की कैंची बना कर अपने बूब्स को छुपाने लगी। उसे ऐसा करते देख अपुन अनायास ही मुस्कुरा उठा फिर बोला।

अपुन ─ इतनी खूबसूरत चीज़ को अपुन से क्यों छुपा रेली हो? अपने हाथ हटाओ न, अपुन को तो अभी इन्हें पूरी तरह से नंगा देखने का है, जैसे आज दिन में देखा था।

साधना अपुन की बात सुन शर्म से मुस्कुराने लगी। उसके बूब्स अभी भी उसके हाथों की कैंची के पीछे छुपे थे। अपुन एकदम से उसके पीछे जा बैठ गया और फिर पीछे से ही दोनों हाथ आगे बढ़ा कर पहले उसके हाथ हटाए और फिर उसके ब्रा में कैद बूब्स को मसलते हुए ब्रा को नीचे करने लगा। पर वो लौड़ी मचलने लग गईली थी और बार बार अपने हाथों को लगा कर ब्रा को उतरने से रोक ले रेली थी। अपुन ने पीछे से उसके नंगे कंधे को चूमना शुरू किया और साथ ही ब्रा को भी उतारने की कोशिश की। उसके कंधे को चूमते हुए बीच बीच में उसके बूब्स भी मसल देता जिससे वो मचल उठती।

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आखिरकार अपुन की जीत हुई। अपुन ने उसकी ब्रा खोल कर उसके जिस्म से अलग कर दी। पहले तो अपुन ने पीछे बैठे बैठे ही उसके नंगे बूब्स को मसला और उसके कंधे, गले और पीठ को चूमा चाटा, फिर उठ कर उसके आगे आ गया। असल में अपुन सामने से उसके बूब्स को अपनी आंखों से देखना चाह रेला था।

सामने आ कर अपुन ने उसके बूब्स को देखा। वाह! क्या गोरे चिकने और मक्खन की तरह दिख रेले थे उसके गोल गुब्बारे। कितने सुंदर शेप में थे वो। दोनों बूब्स के बीच भूरे लंग के निप्पल इतने आकर्षक थे कि अपुन से रहा न गया। अपुन ने झट उसके दोनों उभारों को थाम लिया और फिर झुक कर बाएं निप्पल को जीभ निकाल कर चाटने लगा।

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साधना ─ शश्श्श्श वि..राट। उफ्फ! शश्श्श्श।

साधना मजे से सिसकियां लेने लगी और इधर अपुन को उसके निप्पल को चाटने में इतना मजा आया कि अपुन ने सीधा उसे मुंह में भर कर चूसना ही शुरू कर दिया लौड़ा।

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साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् उफ्फ वि.राट। मैं...मैं पागल हो जाऊंगी। म..त करो न ऐसे।

पर अपुन ने उसकी बात नहीं सुनी और मजे से उसके बूब्स को दबा दबा के निप्पल को चूसता रहा। जब एक से मन भर गया तो दूसरे को थाम कर चूसने लगा। साधना अब और भी तरह मचलने लगी थी। मजे के तरंग में वो अपुन के बालों को खींच भी लेती और अपुन के सिर को अपने बूब्स पर दबाने भी लगती।

साधना का बुरा हाल तो था ही लेकिन अपुन का भी बुरा हुआ जा रेला था लौड़ा। बोले तो अपुन का लन्ड इस सबके चलते बुरी तरह अकड़ गयला था। अपुन से अब बर्दाश्त नहीं हो रेला था। मन कर रेला था कि अभी साधना की डार्क ब्ल्यू कलर की पेंटी निकाल कर अपना लन्ड उसकी बुर में डाल दे।

To be continued...


Aaj ke liye itna hi bhai log..
Read and enjoy..
:declare:

Nice update
 
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