Nice and superb update....
Update ~ 12
साक्षी दी ─ मैं तो हमेशा तेरे साथ ही हूं प्यारे भाई लेकिन हां हर वक्त तेरे साथ रह पाना संभव नहीं है और ये तू भी समझ सकता है।
अपुन ─ हां ये तो है दी।
साक्षी दी ─ अच्छा अब चल ये सब बातें छोड़ और जा कर फ्रेश हो ले।
उसके बाद दी चली गईं। अपुन अब चाह कर भी उन्हें रोक नहीं सकता था। खैर अपुन भी उठा और बाथरूम में फ्रेश होने चला गया।
अब आगे....
लंच करते समय विधी बार बार अपुन को देख रेली थी पर अपुन हर बार उसे इग्नोर कर दे रेला था जिससे उसके चेहरे पर मायूसी छा जाती थी। वैसे तो रात की घटना पर उसने गुस्से में अपुन को थप्पड़ मारा था और अपुन को कभी शकल न दिखाने की बात कही थी लेकिन अब उसके चेहरे पर अलग ही भाव थे। बोले तो ऐसा लग रेला था जैसे अब वो अपने किए पर पछता रेली थी और अपुन से बात करना चाहती थी पर लौड़ा अपुन इतना जल्दी उससे बात नहीं करना चाहता था।
दूसरी तरफ दिव्या अपुन दोनों को ही गौर से देख रेली थी और समझने की कोशिश कर रेली थी कि आखिर अपन दोनों के बीच क्या चल रेला है। जबकि साक्षी दी हर बात से बेखबर और बेफिक्र हो कर लंच करने में व्यस्त थीं। अपुन विधि को इग्नोर कर के बार बार साक्षी दी को ही देखने लगता था। पता नहीं क्यों पर आज वो अपुन को कुछ अलग ही दिख रेली थीं। बोले तो दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की लग रेली थीं। हालांकि ये सच भी था लेकिन आज वो अपुन को दी नहीं बल्कि लड़की लग रेली थीं और अपुन का दिल बार बार उन्हें देख के तेज तेज धड़कने लगता था।
साक्षी दी ─ क्या बात है मेरे प्यारे भाई। तू खाना कम खा रहा है और मुझे ज्यादा देख रहा है? सब ठीक तो है ना?
अचानक साक्षी दी की ये बात सुन कर अपुन बुरी तरह हड़बड़ा गया और झेंप भी गया। उधर वो हल्के से मुस्कुरा उठीं। विधी और दिव्या का भी ध्यान इस बात पर गया। लेकिन अपुन को उनके सवाल का कुछ तो जवाब देना ही था इस लिए बोला।
अपुन ─ वो तो अपु...मतलब कि मैं इस लिए आपको देख रहा हूं क्योंकि आज आप बाकी दिनों से ज़्यादा खूबसूरत और प्यारी दिख रही हैं।
साक्षी दी ─ अच्छा, आज ऐसा क्या खास है मेरे प्यारे भाई?
अपुन की धड़कनें तेज हो गईं। विधी और दिव्या की मौजूदगी में अपुन थोड़ा झिझक रेला था मगर जवाब देने के लिए जल्दी ही कुछ सोचना शुरू किया। लौड़ा कुछ समझ ही नहीं आ रेला था कि क्या जवाब दे? फिर एकदम से अपुन को कुछ सूझा।
अपुन ─ आज आपने ऑरेंज कलर का सलवार सूट पहना है ना इस लिए। इसमें आप बहुत प्यारी लग रही हैं।
साक्षी दी मुस्कुरा उठीं और फिर जैसे ही कुछ कहने को मुंह खोला तो तभी दिव्या बोल पड़ी।
दिव्या ─ भैया सही कह रहे हैं दी। ये कलर आप पर बहुत सुंदर लग रहा है।
साक्षी दी ─ ओह! थैंक्यू, और हां तुम दोनों भी बहुत प्यारी लग रही हो। तुम दोनों मेरी गुड़िया हो और मुझे बहुत प्यारी लगती हो।
दिव्या और विधी दोनों ही खुशी से मुस्कुरा उठीं। तभी विधी ने मुस्कुराते हुए फिर से अपुन की तरफ देखा लेकिन अपुन ने फिर से उसे इग्नोर कर दिया जिससे उसका चेहरा उतर गया। दिव्या ने फौरन ये नोट कर लिया। उसने एक बार अपुन की तरफ देखा लेकिन बोली कुछ नहीं। शायद दी की मौजूदगी में वो कुछ पूछना नहीं चाहती थी। फिर कुछ सोच कर अपुन से बोली।
दिव्या ─ अच्छा भैया, हम मूवी देखने कब जा रहे हैं?
दिव्या की बात सुन मैंने उसकी तरफ देखा, वहीं विधी ने भी उम्मीद भरी नजरों से अपुन की तरफ देखा लेकिन साक्षी के चेहरे पर थोड़े चौंकने के भाव उभरे।
साक्षी दी ─ तुम लोग मूवी देखने जा रहे हो क्या?
दिव्या (खुशी से) ─ हां दी, कल रात भैया ने हमसे कहा था कि आज थिएटर में मूवी देखने चलेंगे।
दिव्या की बात सुन दी ने अपुन की तरफ देखा फिर बोलीं।
साक्षी दी ─ क्यों भाई, अगर तेरा मूवी देखने का प्रोग्राम था तो बताया क्यों नहीं मुझे? और...और तुम तो मेरे साथ कंपनी जाने वाले हो न?
साक्षी दी की बात से दिव्या और विधी का चेहरा थोड़ा उतर सा गया। इधर मैंने कुछ सोचते हुए कहा।
अपुन ─ मूवी देखना जरूरी नहीं है दी। वैसे भी मॉम डैड यहां नहीं हैं तो मेरा आपके साथ कंपनी चलना ज्यादा जरूरी है। मूवी का प्रोग्राम फिर कभी बना लेंगे।
अपुन की इस बात से दिव्या और विधी को भी एहसास हुआ कि अपुन की बात उचित है इस लिए इस बार उन दोनों के चेहरे से मायूसी के भाव दूर हो गए। इधर साक्षी दी के चेहरे पर खुशी की चमक उछर आई।
साक्षी दी ─ ओह! थैंक्स मेरे प्यारे भाई। मुझे तुझसे ऐसी ही समझदारी की उम्मीद थी। रही बात मूवी देखने की तो मॉम डैड के आने के बाद हम चारों किसी दिन चलेंगे मूवी देखने। क्या बोलते हो तुम सब?
साक्षी दी कि इस बात से सब खुश हो गए। अपुन को भी अच्छा लगा कि साक्षी दी हमारे साथ मूवी देखने चलेंगी। वैसे इसके पहले वो हमारे साथ सिर्फ एक बार गईं थी। असल में उन्हें मूवी देखना पसंद ही नहीं था। हमेशा या तो पढ़ाई में ध्यान रहता था उनका या फिर घर में सबके साथ प्रेम से रहना। सादगी में रहना उन्हें बहुत पसंद था लेकिन जरूरत के हिसाब से खुद को ढाल लेने में भी वो पीछे नहीं हटती थीं।
खैर दी ने दिव्या और विधी को समझाया कि उनके न रहने पर वो दोनों घर में सिर्फ पढ़ाई करेंगी जबकि वो अपुन के साथ कंपनी जाएंगी। दिव्या और विधी को इससे कोई प्रॉब्लम नहीं थी लेकिन हां अपुन के द्वारा बार बार इग्नोर किए जाने से विधी का चेहरा कुछ ज्यादा ही मायूस हो गयला था।
लंच के बाद दी ने अपुन से कहा कि वो तैयार हो कर थोड़ी देर में आ जाएंगी इस लिए अपुन भी रेडी हो ले। अपुन खुशी मन से अपने रूम में गया और तैयार होने लगा।
अपुन जानता था कि दी कंपनी पर जाने के लिए हमेशा जींस और शर्ट पहनती थीं और उसके ऊपर कोट डाल लेती थीं। कभी कभी सलवार सूट में भी जाती थीं लेकिन ऐसा बहुत ही कम होता था। अपुन ने भी सोचा कि कंपनी में जाने के लिए कोई अच्छे कपड़े पहन लेता है अपुन, पर अपुन को समझ न आया कि क्या पहने? असल में आज से पहले अपुन ऑफिसियल तौर पर कभी कंपनी नहीं गया था। वो तो बस दो चार बार यूं ही मॉम के साथ गया था। कंपनी के लोग अपुन को पहचानते थे।
अपुन फ़ौरन ही दी के रूम के पास पहुंचा और गेट के बाहर से ही आवाज दे कर दी से पूछा कि अपुन क्या पहने तो दी ने कहा जो अपुन का दिल करे पहन लूं क्योंकि अपुन हर कपड़े में चार्मिंग लगता है लौड़ा।
खैर करीब दस मिनट बाद अपुन ब्ल्यू जींस और हॉफ बाजू वाली व्हाइट शर्ट पहने रूम से नीचे आया। आंखों में एक गॉगल्स भी लगा लिया था अपुन ने। हॉफ बाजू की शर्ट में अपुन के मसल्स साफ दिख रेले थे। बोले तो मस्त पर्सनालिटी थी अपुन की, एकदम हीरो के माफिक लौड़ा।
नीचे ड्राइंग रूम में रखे सोफे पर अपुन बैठा दी के आने इंतजार करने लगा। फिर टाइम पास करने के लिए अपुन ने जेब से मोबाइल निकाल लिया।
मोबाइल का नेट ऑन किया तो उसमें ढेर सारे मैसेजेस आने शुरू हो गए लौड़ा। अमित, शरद, रीना, अनुष्का, साधना और शनाया इन सबके मैसेजेस आ गएले थे बेटीचोद। अपुन ने एक एक कर के सबके मैसेज देखना शुरू किया।
पहले अपुन ने अनुष्का का मैसेज देखा। उसने रिप्लाई में कहा था कि आज शाम को अपुन उसके घर आए। अपुन सोचने लगा कि उसके पास एक्स्ट्रा क्लास लेने जाए या न जाए? बोले तो हो सकता है कि उसके पास रहने से उसको पेलने का कोई जुगाड़ बन जाए।
वैसे ये काम तो मुश्किल था पर क्या पता लौड़ा बात बन ही जाए। वैसे भी उसकी सौतेली बहन साधना को पेलने के बाद से अपुन को लगने लगा था कि अपुन की किस्मत इस मामले में अब थोड़ा मेहरबान हो गईली है। इस लिए अपुन उससे एक्स्ट्रा क्लास लेने का मन बना लिया लेकिन तभी अपुन के मन में खयाल आया कि लौड़ा कुछ बातों पर पहले से करार हो जाए तो ज्यादा अच्छा होगा बेटीचोद।
अपुन ने उसके रिप्लाई पर मैसेज लिखा।
अपुन ─ अपुन की नाराजगी दूर करने के लिए आपको कुछ खास करना होगा तभी अपुन आएगा वरना नहीं और रही बात एक्स्ट्रा क्लास की तो उसकी अपुन को ज़रूरत नहीं है।
अपुन ने ये लिख के तो भेज दिया लौड़ा लेकिन अपुन का दिल भी धक धक करने लगा। थोड़ा डर भी होने लगा कि कहीं वो गलत न समझ जाए और साक्षी दी को बता दे। हालांकि इसी लिए अपुन ने क्लियरली कुछ भी उल्टा सीधा नहीं लिखा था। अब ये उस पर था कि वो अपुन की नाराजगी दूर करने के लिए क्या कहती है या क्या करती है?
फिर अपुन ने अमित का मैसेज देखा। उस लौड़े ने लिखा था कि वो आज भी नहीं आ पाएगा। उसने ये भी बताया कि आज संडे होने की वजह से बैंक बंद रहेगा इस लिए पापा भी शाम को ही आएंगे। फिर उसने आखिर में जो लिख के भेज था उसे पढ़ते ही अपुन का लन्ड खुश हो गया लौड़ा। उसने लिखा था कि यार साधना दी घर में अकेली हैं तो एक बार घर जा कर उनका हाल चाल ले लूं। अपुन तो ये पढ़ के खुश ही हो गयला लौड़ा। फिर अपुन ने उसको रिप्लाई भेजा कि लौड़े चौकीदार बना दे अपुन को अपने घर का। अपन लोग के बीच ऐसा चलता रहता था इस लिए अपुन के इस मैसेज में उसे कुछ गलत नहीं सोचना था। वैसे भी वो जानता था कि अपुन गलत लड़का है ही नहीं लौड़ा। बोले तो अपुन ने अब तक अपनी जो इमेज बनाई हुई थी उसका फायदा होने वाला था अपुन को।
शरद लौड़े का मैसेज कुछ खास नहीं था। लौड़े ने लिखा था कि अब तबीयत पहले से ठीक है तो कल कॉलेज आ सकता है, हट लौड़ा।
फिर अपुन ने रीना का मैसेज देखा। उस लौड़ी को अपुन से हमेशा ही फ्लर्ट करना होता था इस लिए वही भेजा था उसने। अपुन ने सोचा चलो रिप्लाई दे दिया जाए लौड़ी को।
अपुन (मैसेज में) ─ हर बात विधी को बताती है इसी लिए अब तक अपुन से दूर है तू।
अपुन जानता था कि अपुन का ये मैसेज इस बार काम करेगा। डबल क्लिक हुआ तो अपुन समझ गया कि उसका नेट ऑन है लेकिन ऑनलाइन नहीं है वो, वरना ब्ल्यू कलर में डबल क्लिक शो करता।
फिर अपुन ने शनाया का मैसेज देखा। वो लौड़ी भी डबल मीनिंग वाले मैसेज भेजा करती थी पर अपुन उसको कम ही रिप्लाई करता था क्योंकि अपुन को पूरा यकीन था कि उसका बाप अपनी बेटी की शादी अपुन से करने की फिराक में है और इसी लिए वो अपनी बेटी को अपुन के साथ आगे बढ़ने से या अपुन के साथ रहने से कभी मना नहीं करता है, हट बेटीचोद।
अपुन ने इस बार भी उसे इग्नोर किया और दूसरा मैसेज देखने लगा जोकि साधना का था। उसके कई सारे मैसेज पड़ेले थे। फर्स्ट मैसेज में उसने भेजा था गुड मॉर्निंग बाबू, लव यू। फिर जब अपुन ने उसके किसी भी मैसेज का जवाब नहीं भेजा तो आखिर में वो शायद परेशान और चिंतित हो गईली थी इस लिए अपने हर मैसेज में यही भेजा था कि क्या हुआ बाबू, जवाब क्यों नहीं दे रहे? क्या कोई गड़बड़ हो गई है? कुछ तो जवाब दो बाबू, बहुत टेंशन हो रेली है? इस तरह के ढेर सारे मैसेज थे उसके। अपुन ने फौरन उसको रिप्लाई भेजा, जिसमें अपुन ने उसे बताया कि कोई गड़बड़ नहीं हुई है। असल में अपुन दोपहर तक सोता ही रहा।
दो मिनट के अंदर ही उसका रिप्लाई आ गया।
साधना ─ ओह! थैंक गॉड। तुमने रिप्लाई तो किया बाबू। मेरी तो हालत ही खराब थी।
अपुन ─ अरे! तुम बेकार ही अपनी हालत खराब हुए हुए थी। तुम्हें सोचना चाहिए था कि अपुन जब रात भर जगा था तो दिन में तो सोता ही रहेगा न?
साधना ─ हां ये तो है पर फिर भी मैं बहुत घबरा गई थी। तुम्हें कॉल करने का भी सोचा था लेकिन फिर ये सोच के कॉल नहीं किया कि कहीं कोई दूसरा व्यक्ति तुम्हारा मोबाइल न लिए हो।
अपुन ─ अपुन का मोबाइल कोई नहीं छूता। सबके पास अपना अपना मोबाइल है।
साधना ─ चलो ठीक है। अच्छा आज तो संडे है तो क्या तुम मेरे पास नहीं आ सकते? अमित ने फोन कर के बताया है कि वो मम्मी को ले कर कल आएगा और पापा शाम को आएंगे। मतलब सारा दिन हम एक दूसरे के साथ रह सकते हैं। प्लीज आ जाओ न बाबू, तुम्हारी बहुत याद आ रही है।
अपुन ─ नहीं आ सकता यार क्योंकि यहां भी अपुन के मॉम डैड गांव गए हुए हैं। उनके न रहने पर साक्षी दी को कंपनी जाना है और आज अपुन को भी दी अपने साथ ले जा रेली हैं। ऐसे में नहीं आ पाएगा अपुन, सॉरी डियर।
साधना ─ ओह! कोई बात नहीं बाबू लेकिन अगर मौका मिले तो ज़रूर आ जाना, प्लीज।
अपुन भी चाहता था कि आज सारा दिन साधना के साथ मजा करे लेकिन फिलहाल ये संभव नहीं था इस लिए उसे मैसेज में बोला।
अपुन ─ अगर कंपनी से टाइम से आ पाया तो जरूर आ जाएगा अपुन, बाकी तुम अपुन का इंतज़ार मत करना।
तभी अपुन की नज़र अनायास ही साक्षी दी पर पड़ गई। वो अभी अभी सीढ़ियों से उतर कर नीचे आईं थी और इत्तेफाक से अपुन ने सिर उठा कर उस तरफ देख लिया था।
साक्षी दी तैयार हो के आईं थी। अपुन की नज़रें तो जैसे उन पर ही जम गईं। अपुन की तरह उन्होंने भी ब्ल्यू कलर का जींस और ऊपर व्हाइट शर्ट पहन रखा था जिसके ऊपर के दो बटन खुले हुए थे। फर्क सिर इतना था कि शर्ट के बाजू हॉफ नहीं थे बल्कि कलाई के थोड़ा ऊपर तक थे। व्हाइट शर्ट का कपड़ा कुछ ऐसा था कि उसके अंदर पहनी व्हाइट कलर की ही ब्रा के स्ट्रैप हल्का हल्का झलक रेले थे।
खूबसूरत मुखड़े पर ताजे खिले गुलाब की मानिंद ताजगी थी। हल्का सा मेकअप किया था उन्होंने। हालांकि बिना मेकअप के ही वो ब्यूटी क्वीन थीं लेकिन बाहर कहीं जाने पर बस हल्का सा मेकअप कर लेती थीं। नेचुरली हल्के सुर्ख होठों पर ऐसी लिपस्टिक थी जिससे उनके होठ ऐसे लग रेले थे जैसे शहद की चाशनी में डुबोए गए हों। अपुन का दिल किया कि अभी जा के चूस ले पर अपुन ने अपने जज्बातों को काबू किया। नीचे टाइट ब्ल्यू कलर के जींस में उनकी गुदाज जांघें स्पष्ट समझ आ रेली थीं। शर्ट को क्योंकि उन्होंने शॉर्टिंग किया हुआ था इस लिए पीछे की तरफ उभरे हुए उनके नितंब साफ दिख रेले थे। अपुन लौड़ा उन्हें ही देखने में खोया था कि तभी उनकी मधुर आवाज से अपुन हकीकत में आया।
साक्षी दी (मुस्कुराते हुए) ─ अब अगर अपनी दी को जी भर के देख लिया हो तो चलें?
अपुन एकदम से झेंप गया लौड़ा। खुद को सम्हाल कर अपुन ने मुस्कुराते हुए कहा।
अपुन ─ वाह! दी हम दोनों का ड्रेस कोड एक जैसा। ऐसा लगता है जैसे हम दोनों इस एक ही ड्रेस कोड में कहीं रैंप वॉक पर चलने वाले हैं।
साक्षी दी (मुस्कुरा कर) ─ हां सही कहा। तूने भी ब्ल्यू जींस और व्हाइट शर्ट पहन रखा है और मैंने भी। व्हाट ए को-इंसीडेंस।
अपुन ने मौके पर चौका मारा।
अपुन ─ इसे को-इंसीडेंस नहीं दी बल्कि हम दोनों की एक जैसी थिंकिंग कह सकते हैं। मतलब कि आपने भी वही सोचा जो अपु...मतलब कि मैंने सोचा। इसका मतलब ये भी हुआ कि हम दोनों में काफी सिमिलारिटी है, है ना?
साक्षी दी (हल्के से हंस कर) ─ हां शायद ऐसा ही है। खैर अब चल, बाकी बातें कार में बैठ के कर लेना।
अपन दोनों थोड़ी ही देर में कार से कंपनी के निकल पड़े। कार अपुन ही चला रेला था। साक्षी दी अपुन के बगल से बैठी थीं। सीट बेल्ट को उन्होंने बांध लिया था जिससे बेल्ट उनके दोनों बूब्स के बीच में थी जिसके चलते उनके बूब्स थोड़े उभर से गएले थे और अपुन की धड़कनें बढ़ा रेले थे। अपुन बार बार कभी उनके खूबसूरत चेहरे को देखता तो कभी उनके सीने पर चिपके बेल्ट को। उनके सुर्ख रसीले होठों पर मुस्कान थी। इधर अपुन का मन बार बार भटके जा रेला था बेटीचोद। बोले तो मन में बार बार गलत खयाल उभर रेले थे।
साक्षी दी (मुस्कुरा कर) ─ सामने देख के कार चलाओ प्यारे भाई वरना एक्सीडेंट हो जाएगा।
अपुन (चौंक कर) ─ सामने ही तो देख रहा हूं दी?
साक्षी दी ─ अच्छा जी, सफेद झूठ?
अपुन ─ क..क्या झूठ? नहीं तो।
साक्षी दी अपुन को गड़बड़ा गया देख खिलखिला कर हंसने लगीं। कार के अंदर जैसे मन्दिर की घंटियां बज उठीं और इससे पहले कि अपुन उनकी हंसी में खोता वो जल्दी ही हंसना बंद कर के बोलीं।
साक्षी दी ─ झूठ ऐसा बोलो जिसे कोई पकड़ न सके। तू हर बार मुझे ऐसे देखने लगता है जैसे पहले कभी देखा ही न हो। ऐसा क्यों करता है भाई?
अपुन की धड़कनें तेज हो गईली थीं। पर जब अपुन ने देखा कि दी गुस्सा नहीं हैं तो अपुन ने उन्हें खुश करने के लिए वही पुराना नुस्खा आजमाया। यानि तारीफ वाला।
अपुन ─ क्या करूं दी? आप हो ही इतनी ब्यूटीफुल कि बार बार आपको ही देखने का दिल करता है। काश! आप मेरी दी न होती।
साक्षी दी ने चौंक कर अपुन की तरफ देखा। फिर होठों पर अपनी प्यारी सी मुस्कान सजा कर बोलीं।
साक्षी दी ─ मेरी दी न होती से क्या मतलब है तेरा?
अपुन ने सोचा सच ही बोल देता है अपुन, जो होगा देखा जाएगा। वैसे भी इस बारे में पहले भी तो उन्हें बता चुका है अपुन।
अपुन ─ बताया तो था आपको कि अगर आप मेरी दी न होती तो आपसे लैला मजनूं की तरह प्यार करता। आपकी मोहब्बत में फना हो जाता।
साक्षी दी ─ तू न मार खाएगा मुझसे। ऐसा नहीं बोलते प्यारे भाई।
अपुन ─ बेशक मुझे जी भर के मार लो। आप मेरी जान से भी ज्यादा प्यारी दी हैं तो आपसे शौक से मार खा लूंगा लेकिन दिल की सच्चाई को कैसे आपसे छुपाऊं?
साक्षी दी अपलक अपुन की तरफ देखने लगीं। उनके होठों की मुस्कान एकदम से गायब हो गई थी। इधर अपुन की भी धड़कनें तेज हो गईली थी लौड़ा।
साक्षी दी ─ ये तू कैसी बातें कर रहा है भाई?
अपुन ─ अपने दिल का सच बता रहा हूं दी। क्या मैने कुछ गलत कहा आपसे?
साक्षी दी खामोशी से और थोड़ा उलझन से अपुन को देखती रहीं। चेहरे पर ऐसे भाव उभर आए थे जैसे समझने की कोशिश कर रही हों कि आखिर अपुन आज ये कैसी बातें कर रेला है? तभी अपुन ने कहा।
अपुन ─ अरे! आप तो लगता है सीरियस हो गईं दी। मैं तो मज़ाक कर रहा था।
साक्षी दी ने हैरानी से अपुन को देखा। चेहरे पर कई तरह के भाव आते जाते नज़र आए फिर बोलीं।
साक्षी दी ─ इस तरह का मजाक मत किया कर भाई। कुछ देर के लिए तो तूने मुझे भारी उलझन में ही डाल दिया था।
अपुन ─ किस तरह की उलझन में दी?
साक्षी दी ─ बस ऐसे ही। तू कार चला और अब प्लीज कोई बात मत करना।
अपुन को थोड़ा अजीब लगा। आम तौर पर दी ऐसा कभी नहीं कहती थीं। अपुन ने महसूस किया कि वो थोड़ा परेशान हो गईं थी। इस वक्त भी वो कुछ सोच रेली थीं और साइड विंडो की तरफ चेहरा किए हुए थीं।
अपुन तो यही चाहता था कि हमारे बीच बातचीत होती रहे लेकिन अपुन ने सोचा कि कहीं बातों का चक्र ऐसी दिशा में न चला जाए जिससे मामला बिगड़ जाए अथवा अपुन के सम्हाले न सम्हले। इस लिए अपुन ने भी खामोशी अख्तियार कर ली और कार चलाता रहा। उसके बाद सच में कोई बात नहीं हुई।
करीब आधे घंटे में हम कंपनी पहुंच गए। साक्षी दी अपनी तरफ का दरवाजा खोल कर कार से उतर गईं और अपुन अपनी तरफ से।
साक्षी दी ─ तुझे अगर कहीं जाना हो तो कार ले कर जा सकता है भाई। मैं तुझे कॉल कर के बुला लूंगी।
अपुन ये सुन कर एकदम से दी की तरफ हैरानी से देखने लगा। साक्षी दी ने एक नज़र अपुन की तरफ देखा फिर बोली।
साक्षी दी ─ अरे! वो क्या है न कि यहां मुझे बहुत टाइम तक रहना पड़ेगा इस लिए ऐसा कहा।
अपुन ─ बहाना मत बनाईए दी। सच तो ये है कि आप मुझे किसी और वजह से यहां से जाने को बोल रही हैं।
साक्षी दी ने बेचैनी से अपुन को देखा फिर बोलीं।
साक्षी दी ─ ऐसी कोई बात नहीं है प्यारे भाई। मैं तो बस ये सोच रही थी कि तू यहां अकेले बैठे बोर होगा। इससे बेहतर ये है कि तू कहीं घूम ले।
अपुन ─ अगर आप नहीं चाहती कि मैं यहां रहूं तो फ़ौरन चला जाता हूं लेकिन ये बताइए कि मुझे साथ लाने से पहले इस बारे में क्यों नहीं सोचा था आपने?
साक्षी दी नजरें चुराने लगीं। मतलब साफ था कि वो किसी और वजह से अपुन को जाने को बोल रेली थीं और वो वजह अपुन कहीं न कहीं समझ भी रेला था।
अपुन ─ अगर वही वजह है जो मैं समझ रहा हूं तो आप जान लीजिए दी कि आप मुझसे दूर नहीं भाग सकेंगी।
साक्षी दी ने हड़बड़ा कर मेरी तरफ देखा।
साक्षी दी ─ क्या मतलब है तेरा?
अपुन ─ मुझमें यही खराबी है कि मैं कोई बात छुपा के नहीं रख सकता। खास कर वो बात जो आपसे ताल्लुक रखती हो। पहले नहीं समझता था लेकिन अब समझ गया हूं कि मेरा दिल क्यों सिर्फ आपकी ही तरफ खिंचता है। क्यों मेरा दिल ये चाहता है कि काश! आप मेरी दी न होती।
साक्षी दी ने घबरा कर इधर उधर देखा। अपन दोनों पार्किंग के पास ही खड़े थे और थोड़ी ही दूरी पर कुछ लोग खड़े दिख रेले थे।
साक्षी दी ─ तू अभी जा यहां से। इस बारे में बाद में बात करेंगे।
अपुन ─ मेरा दिल दे दीजिए चला जाऊंगा।
साक्षी दी ─ दिल दे दूं? इसका क्या मतलब हुआ?
अपुन ─ आपने मेरा दिल ले लिया है, उसी को मांग रहा हूं आपसे।
साक्षी दी आश्चर्य से अपुन को देखने लगीं। फिर एकदम से उनके चेहरे पर घबराहट के भाव उभर आए। इधर अपुन भी हैरान हुआ कि बेटीचोद ये क्या बोल रेला है अपुन? पर अब बोल दिया था तो पीछे नहीं हट सकता था। वैसे भी दी ने अब तक गुस्सा नहीं किएला था तो अपुन को थोड़ा कॉन्फिडेंस आ गयला था। तभी उन्होंने थोड़ा गुस्से में कहा।
साक्षी दी ─ तू पागल हो गया है क्या भाई? ये क्या बकवास कर रहा है तू?
पता नहीं क्या हो गयला था लौड़ा अपुन को? बोले तो भेजे की मां चुद गईली थी। जितना हैरान परेशान साक्षी दी थीं उतना ही हैरान परेशान अपुन भी हो गयला था। मतलब कि अपुन ने सोचा भी नहीं था कि ऐसा कुछ हो जाएगा। उधर दी इस बार सच में गुस्सा हो गईं थी। उनके चेहरे पर सच में गुस्सा दिखने लगा था अपुन को। ये देख अपुन के होठों पर फीकी सी मुस्कान उभर आई।
अपुन ─ काश! ये बकवास ही होती। अच्छा, अब जा रहा हूं। यहां का काम खत्म हो जाए तो कॉल कर देना, बाय।
उसके बाद अपुन उनका कोई जवाब सुने बिना वापस कार की ड्राइविंग सीट पर बैठा और दौड़ा दिया उसे सड़क की तरफ। पीछे साक्षी दी हैरान परेशान खड़ी रह गईं।
To be continued...
Aaj ke liye itna hi bhai log,
Read and enjoy