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अपुन ─ काश! ये बकवास ही होती। अच्छा, अब जा रहा हूं। यहां का काम खत्म हो जाए तो कॉल कर देना, बाय।
उसके बाद अपुन उनका कोई जवाब सुने बिना वापस कार की ड्राइविंग सीट पर बैठा और दौड़ा दिया उसे सड़क की तरफ। पीछे साक्षी दी हैरान परेशान खड़ी रह गईं।
अब आगे....
रास्ते में अपुन यही सब सोचे जा रेला था कि आज साक्षी दी से जिस तरह की बातें हुईं हैं उसका क्या नतीजा निकलेगा? कहीं ऐसा तो नहीं होएगा कि साक्षी दी ये सब बातें मॉम को बता दें और अपुन की गांड़ तोड़ाई होने में बिल्कुल भी देर न लगे?
वैसे तो अपुन को यकीन था कि साक्षी दी इतना जल्दी इस बारे में किसी को कुछ बताने वाली नहीं थीं लेकिन इसके बावजूद लौड़ा अपनी फटी पड़ी थी। बोले तो अपुन अंदर से बुरी तरह घबरा रेला था और डर रेला था। कुछ समझ नहीं आ रेला था कि अब क्या करे अपुन?
अपुन को अब जा के रियलाइज हो रेला था कि अपुन को साक्षी दी से ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए थी बेटीचोद। माना कि वो अपुन से बहुत प्यार करती हैं लेकिन उनका वो प्यार भाई बहन वाला है ना कि प्रेमी प्रेमिका वाला।
खैर जोश जोश में और तारीफ करने के चक्कर में अपुन के मुख से जो निकल गयला था वो अब वापस नहीं हो सकता था। वैसे ये तो सच था कि अपुन के अंदर साक्षी दी के लिए कुछ ऐसी ही फीलिंग्स थी पर अपुन को ये भी यकीन है कि वो प्यार वाली फीलिंग्स तो कतई नहीं हो सकतीं।
बेटीचोद अपुन के दिमाग से ये सब बातें जा ही नहीं रेली थी और इस वजह से अपुन के दिमाग की ही नहीं बल्कि अपुन की भी मां बहन हुई पड़ी थी। साक्षी दी ने अपुन को वापस कर दिया था तो अब ये भी सोच रेला था कि कहां जाए अपुन? घर जा नहीं सकता था क्योंकि जाने का मन ही नहीं कर रेला था। तभी अपुन को साधना का खयाल आ गया लौड़ा।
साधना का खयाल आते ही अपुन को आभास हुआ कि दिमाग से डर और घबराहट को निकालने का फिलहाल यही एक तरीका है कि अपुन साधना के साथ टाइम स्पेंड करे या उसके साथ मजा करे। बाकी जो होगा देखा जाएगा।
अपुन ने कार चलाते चलाते ही मोबाइल निकाल कर उसे फोन लगा दिया। थोड़ी ही देर में उसने कॉल पिक कर लिया और बोली।
साधना ─ ओह! बाबू, मैं दुआ ही कर रही थी कि काश तुम्हारा कॉल आए और मैं तुमसे ढेर सारी बातें करूं।
अपुन ─ क्या कर रेली हो मेरी जान?
साधना ─ ओहो! मेरी जान? लगता है मेरा बाबू बहुत अच्छे मूड में है।
अपुन ने मन में सोचा कि मूड की तो मां चुदी पड़ी है लौड़ी लेकिन फिर प्रत्यक्ष में बोला।
अपुन ─ मूड तो अच्छा नहीं है लेकिन अगर तुम अपुन का मूड अच्छा कर सको तो पांच मिनट में तुम्हारे पास आ सकता है अपुन।
साधना ─ क्या सच में आ सकते हो बाबू?
अपुन ─ हां, लेकिन शर्त यही है कि तुम्हें अपुन का मूड अच्छे से भी अच्छा बनाना होगा।
साधना ─ बिल्कुल बनाऊंगी बाबू। तुम आओ तो जान।
अपुन ─ कैसे बनाओगी? पहले ये बताओ।
साधना ─ जैसा तुम चाहोगे माई लव।
अपुन ─ अपुन तो तुम्हें जी भर के चोदना चाहता है, बोलो चुदवाओगी अपुन से?
साधना अपुन की बात सुन कर शायद बुरी तरह शर्मा गई थी इस लिए फ़ौरन कुछ बोल न सकी थी लौड़ी। कुछ पलों बाद बोली।
साधना ─ ठीक है बाबू, जैसा तुम चाहो।
अपुन ─ ऐसे नहीं, खुल के जवाब दो और पूरा पूरा सेंटेंस में बोल कर जवाब दो।
साधना समझ गई कि अपुन उसके मुख से खुल कर चुदाई जैसे शब्द सुनना चाहता है इस लिए बोली।
साधना ─ हां बाबू, मैं तुमसे चु..चुदवाऊंगी। प्लीज जल्दी से आ जाओ और मुझे जी भर के चोदो।
उसके मुख से ऐसा सुनते ही बेटीचोद अपुन का लौड़ा जैसे झटके मारने लगा। पलक झपकते ही अपुन अलग ही दुनिया में पहुंच गया लौड़ा। बोले तो अभी अपुन जिस टेंशन में था वो सब पलक झपकते ही दूर गई बेटीचोद।
अपुन ─ अब बताओ कि कैसे कैसे चुदवाओगी अपुन से?
साधना ─ जैसा तुम चाहोगे वैसे चुदवाऊंगी बाबू।
अपुन ─ ऐसे नहीं, कुछ ऐसे बताओ कि अपुन तुम्हें चोदने के लिए इसी वक्त मजबूर हो जाए।
साधना कुछ देर सोचती रही। इधर अपुन भी सोचने लगा कि अब ये लौड़ी क्या बोलेगी? बोले तो एक तरफ उत्सुकता भी थी और अपुन एक अद्भुत रोमांच फील कर रेला था। तभी साधना की आवाज अपुन के कान में पड़ी।
साधना ─ अच्छा सुनो, जब तुम मेरे पास आओगे तो सबसे पहले तो मैं तुम्हारे होठों को चूमूंगी...चूसूंगी। फिर तुम्हें अपने कमरे में ले जा कर तुम्हें पूरा नंगा कर दूंगी और खुद भी नंगी हो जाऊंगी। उसके बाद हम दोनों एक दूसरे को स्मूच किसिंग करेंगे। तुम मेरी छातियों को मसलोगे और उन्हें चूसोगे, काटोगे भी। फिर अपना एक हाथ मेरी चू..चूत में ले जा कर उसे सहलाना शुरू कर दोगे। इससे मुझे बहुत मजा आने लगेगा और मैं मचलने लगूंगी। फिर तुम नीचे जा कर मेरी चूत को जीभ से चाटोगे, मेरी चूत का नमकीन पानी पियोगे। जब तुम ऐसा करोगे तो मेरी हालत मजे के चलते खराब होने लगेगी और मैं पागल सी हो कर तुमसे कहूंगी कि प्लीज बाबू अब अपना लं..लंड मेरी चूत में डाल कर जोर जोर से चोदो मुझे।
साधना लौड़ी ने तो सच में अपुन का मूड बना दियेला था। उसकी बातें सुन कर अपुन का लन्ड सच में अब उसकी चूत में जाने के लिए मचलने लगा था।
अपुन ─ ये सब तो ठीक है लेकिन तुम अपुन से अपनी चूत तो चटवाओगी पर क्या अपुन का लन्ड नहीं चूसोगी?
साधना ─ ओह! सॉरी बाबू। ये तो मैं भूल ही गई थी। हां बाबू, मैं तुम्हारा लन्ड भी चूसूंगी। अब प्लीज जल्दी से आ जाओ न। मेरी चूत ऐसी बातों से ही पानी छोड़ने लगी है और तुम्हारे लन्ड को अपने अंदर सामने के लिए तड़पने लगी है।
अपुन ─ बस दो मिनट में पहुंच जाएगा अपुन तुम्हारे पास। अपुन चाहता है कि जब अपुन तुम्हारे घर का दरवाजा खटखटाए तो तुम पूरी नंगी हो कर दरवाजा खोलो।
साधना ─ ओह! बाबू ये क्या कह रहे हो? किसी ने देख लिया तो गजब हो जाएगा। प्लीज ये करने को मत कहो न जान।
अपुन ─ ना, अब अपुन ने कह दिया तो अब तुम्हें ऐसाइच करना होगा। मंजूर हो तो बोलो आए अपुन वरना नहीं।
साधना सच में मजबूर हो गईली थी। इस लिए फौरन ही मान गई लौड़ी। इधर अपुन ने झट से कॉल कट किया और कार को फुल स्पीड में दौड़ा दिया। बोले तो अब अपुन के अंदर उसे चोदने का भूत सवार हो गयला था बेटीचोद।
दो मिनट तो नहीं लेकिन पांच मिनट में जरूर पहुंच गया अपुन उसके घर। इस बीच अपुन ने उसके भाई अमित को भी मैसेज कर के बता दिया कि अपुन उसके घर जा रेला है। अपुन ने ऐसा इस लिए किया ताकि अगर अपुन को आस पड़ोस वाला कोई उसके घर गया देखे भी तो अमित या उसके मम्मी पापा को पहले से ही ये पता रहे और वो अपुन के बारे में गलत न सोचें।
अपुन ने कार को बाहर ही खड़ी किया और लपक कर दरवाज़े के पास पहुंच कर दरवाजा खटखटा दिया। लौड़ा, अपुन की धड़कनें ट्रेन के इंजन के माफिक दौड़ रेली थीं और अपुन के अंदर जाने क्या क्या सोच के रोमांच भरता जा रेला था।
आधे मिनट से पहले ही दरवाजा हल्के से खुला लेकिन पूरा नहीं खुला। अपुन ये देख के शॉक रह गया कि साधना सचमुच पूरी नंगी हो कर दरवाजा खोलने आईली थी। उसका गोरा और चिकना बदन साफ दिख रेला था अपुन को। अपुन की नज़र पहले तो उसके चेहरे पर ही पड़ी लेकिन फिर चेहरे से फिसल कर उसके गोरे और गोल मम्मों पर पड़ी। कितने सुंदर मम्मे थे लौड़ी के। बोले तो पके हुए आम की तरह। कोई लचक नहीं। बीच में भूरे रंग के निप्पल यू लग रेले थे जैसे फूले हुए चने रख दिए गए हों। अपुन का मन तो किया कि एक ही पल में लपक कर उन्हें मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दे।
फिर सीने से फिसल कर अपुन की नज़र उसके चिकने सपाट पेट तथा गहरी नाभी पर पड़ी और फिर एकदम से उसकी सुडौल जांघों के बीच हल्के रेशमी बालों से घिरी गुलाबी चूत पर। बेटीचोद अपुन को वो लौड़ी एकदम सेक्स और मादकता की कामदेवी लगी। अपुन का लन्ड तो जैसे फटने को आ गया लौड़ा। तभी उसकी मधुर आवाज से अपुन होश में आया।
साधना ─ ओह! बाबू अंदर आ कर जी भर के देख लेना। ऐसे में अगर कोई आ गया तो बहुत बड़ी मुसीबत हो जाएगी।
अपुन को भी लगा कि वो सच कर रेली है। इस लिए जल्दी से बाकी का दरवाजा खोला और झट से अंदर दाखिल हुआ। जैसे ही अपुन अंदर आया तो साधना ने भी झट से दरवाजा बंद कर दिया।
अगले ही पल जैसे ही दरवाज़ा बंद कर के वो पलटी तो अपुन ने उसे दबोच लिया। शायद उसे भी अपुन से यही उम्मीद थी इस लिए अपुन के दबोचने पर वो जरा भी नहीं चौंकी बल्कि खुद ही अपुन की बाहों में सिमटती चली गई लौड़ी।
अपुन बेतहाशा उसके गुलाबी और रसीले होठों को चूसने में लग गयला था। वो खुद भी पूरे जोश में साथ दे रेली थी। बोले तो पलक झटकते ही अपन लोग मजे की दुनिया में पहुंच गए बेटीचोद।
साधना एक पल अपुन के होठों से अलग होते ही बोली और फिर से लपक कर जैसे टूट पड़ी। वो अपुन से जोंक की तरह लिपटी हुई थी और अपुन के चेहरे को थामे होठ चूसने में लगी थी। इधर अपुन भी जैसे उसके होठों को चूसने के साथ साथ खा जाने की कोशिश में लगा था लौड़ा। दूसरी तरफ अपुन के हाथ उसके नंगे जिस्म के हर हिस्से को सहलाते जा रेले थे। कभी उसकी पीठ को, कभी कमर को तो कभी उसके गोरे चिकने और मुलायम चूतड़ों को।
अपुन के हाथ जब उसके चूतड़ों पर आते तो अपुन उनके दोनों पार्ट्स को एक एक हाथ में दबोच कर पहले तो हल्के से सहलाता और फिर बुरी तरह मसल देता जिससे साधना मचल सी जाती और उसके मुख से सिसकी निकल जाती।
कुछ ही देर में अपन दोनों की सांसें फूल गईं और अपन लोग का सांस लेना जैसे मुश्किल हो गया। अपुन ने झट से उसके होठ छोड़े और उसके गले को चूमते हुए थोड़ा नीचे उसकी छातियों पर आ गया। अपुन ने एक हाथ से उसकी पीठ को थाम कर दूसरे हाथ से उसकी एक छाती को थाम लिया। साधना की सांसें बहुत भारी हो चलीं थी और वो बुरी तरह मचल रेली थी।
साधना ─ इन्हें मुंह में ले कर चूसो बाबू। मेरे ये बूब्स तुम्हें बहुत पसंद हैं न?
अपुन ─ हां डियर। तुम्हारे ये मम्मे अपुन को बहुत पसंद हैं। मन करता है कि इन्हें हर पल चूसता ही रहे अपुन।
साधना ─ तो चूसो न बाबू। जी भर के चूसो और हां मेरे मम्मे में अपनी लव बाइट भी करो। मेरी इच्छा है कि मेरे मम्मे पर तुम्हारे दांतों का एक गहरा निशान हो। मैं जब भी नहाते समय अपने मम्मे देखूं तो मुझे तुम्हारी याद आए।
साधना की बात सुन अपुन को और भी जोश आया लौड़ा। अपुन ने लपक कर उसके निप्पल को मुंह में भर लिया और इस तरह चूसने लगा जैसे उसमें से उसका दूध खींच लेना चाहता हो अपुन। अपुन के ऐसा करते ही साधना बुरी तरह सिसकी लेते हुए मचल उठी। एक हाथ से अपुन का सिर पकड़ वो अपने मम्मे पर दबाने लगी।
साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् बाबू, ऐसे ही जोर जोर से चूसो। उफ्फ बहुत मजा आता है जब तुम मेरे निप्पल को मुंह में भर कर इस तरह चूसते हो। शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् हां बाबू ऐसे ही शश्श्श्श खा जाओ ना।
साधना इतना बुरी तरह मचल रेली थी कि अपुन से खड़े खड़े उसे सम्हालना मुश्किल होने लगा पर मजा इतना आ रेला था कि अपुन उसे छोड़ने को भी तैयार नहीं था। जब एक मम्मे को चूस के मन भर गया तो दूसरे को मुंह में भर लिया।
साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् बाबू। हां इसे भी ऐसे ही चूसो। शश्श्श्श तुम्हारे इस तरह चूसने से मैं पागल सी होने लगती हूं। आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श हां ऐसे ही जोर से अपने दांत गड़ा दो जान....शश्श्श्श।
पागल तो अपुन भी हो गयला लौड़ा और अब अपुन को उसे सम्हालने में भी तकलीफ होने लगी थी इस लिए उसके मम्मे को मुंह से निकाल कर अपुन सीधा खड़ा हुआ।
अपुन ─ ड्राइंग रूम में चलो साधना। वहां सोफे पर बाकी का काम करेंगे।
साधना ─ हां जल्दी चलो बाबू। मुझसे भी अब रहा नहीं जा रहा।
अपन दोनों लोग जल्दी ही ड्राइंग में रखे सोफे पर आ गए। साधना तो पहले से ही पूरी नंगी थी इस लिए अपुन ने भी झट से अपने सारे कपड़े उतार कर फेंक दिए। जैसे ही अपुन का कच्छा उतरा तो अपुन का बुरी तरह भन्नाया हुआ लन्ड किसी स्प्रिंग की तरह उछल कर बाहर आ गया। साधना की नज़र जैसे ही उस पर पड़ी तो जैसे वो मदहोश ही हो गई लौड़ी।
अपुन जैसे ही सोफे पर बैठा तो वो झट से नीचे फर्श पर घुटने के बल बैठ गई और हाथ बढ़ा कर अपुन के लन्ड को पकड़ लिया।
साधना ─ ओह! बाबू तुम्हारा ये तो पूरा अकड़ गया है।
अपुन ─ हां, ये तुम्हारे चूत में जाने की खुशी में अकड़ गयला है। अब चलो इसे मुंह में ले कर चूसो मेरी जान।
साधना ने मुस्कुरा कर अपुन को देखा और फिर लन्ड को मुठियाने लगी। कुछ पलों तक मुठियाने के बाद वो झुकी और चमड़ी पीछे कर के लन्ड के टोपे को आहिस्ता से चूम लिया। उसके ऐसा करते ही अपुन के अंदर मजे की तरंग उठती चली गई।
अपुन ─ आह्ह्ह्ह् तुम्हारे होठों के स्पर्श से ही जब इतना मजा आ रेला है तो जब तुम इसे मुंह में ले कर चूसोगी तो कितना मजा आएगा। जल्दी से मुंह में लो डियर और हां आज अच्छे से और मन लगा कर चूसोगी तुम।
साधना ─ डोंट वरी बाबू। आज मैं तुम्हें शिकायत का मौका नहीं दूंगी।
कहने के साथ ही उसने एक बार और टोपे को चूमा और फिर मुंह खोल कर लन्ड को मुंह में भर लिया। बेटीचोद मजा ही आ गया लौड़ा। उसके मुझ का गर्म एहसास मिलते ही अपुन के पूरे जिस्म में मजे की लहर उठने लगी और अपुन की आँखें मजे की इंतिहां में बंद हो गईं।
अपुन ने झट से साधना का सिर पकड़ लिया था और उसे अपने लन्ड पर दबाने लगा था। साधना इस बार सच में अच्छे ढंग से लन्ड चूस रेली थी। वो करीब आधा लन्ड अपने मुंह में ले लेती थी लेकिन इससे ज़्यादा लेने में शायद उसे प्रॉब्लम थी। एक हाथ से लन्ड को पकड़े वो मजे से चूसे जा रेली थी।
इधर अपुन की हालत खराब होती जा रेली थी लौड़ा। थोड़ी ही देर में अपुन को लगने लगा कि अपुन की नशों में दौड़ता लहू लन्ड के रास्ते बाहर फट पड़ेगा।
अपुन ने जल्दी से साधना का सिर पकड़ कर उठा लिया जिससे अपुन का लन्ड उसके मुख से बाहर आ गया।
साधना ─ क्या हुआ बाबू? क्या अच्छे से नहीं चूस रही मैं?
अपुन ─ अरे! तुम तो अच्छे से चूस रेली थी यार लेकिन अपुन ने लन्ड इस लिए बाहर किया क्योंकि अपुन तुम्हारे चूसने से ही झड़ जाता।
साधना ─ तो क्या हो जाता बाबू? मैं तुम्हारा स्पर्म भी पी लेती।
अपुन को बड़ी हैरानी हुई उसकी ये बात सुन कर।
अपुन ─ क्या सच में?
साधना ─ हां बाबू। जब तुम मेरी चूत का पानी पी सकते हो तो क्या मैं तुम्हारे लन्ड का पानी नहीं पी सकती? वैसे भी अब मुझे लन्ड चूसने में बुरा नहीं फील हो रहा था बल्कि अच्छा लग रहा था। क्या मैं फिर से इसे चूसना शुरू करूं जान?
अपुन का मन तो था लेकिन अपुन नहीं चाहता था कि उसे चोदे बिना ही झड़ जाए अपुन।
अपुन ─ नहीं यार, बाद में चूस लेना। अभी अपुन तुम्हें चोदना चाहता है।
साधना ─ ओह! बाबू, मैं भी तुम्हारे इस लन्ड को अपनी चूत में लेने के लिए तड़प रही हूं। देखो न, कैसे मेरी ये निगोडी चूत तुम्हारे लन्ड को देखते ही पानी छोड़ती जा रही है।
कहने के साथ ही साधना ने अपना एक हाथ अपनी चूत पर लगाया और फिर वहां से हटा कर अपुन को दिखाया। उसकी तीन उंगलियों में उसकी चूत का कामरस लगा हुआ था। ये देख अपुन जैसे मचल ही उठा लौड़ा। फिर पता नहीं क्या हुआ कि अपुन ने झट उसका हाथ पकड़ा और उसकी तीनों उंगलियों को मुंह में भर कर उसका कामरस चाटने लगा। ये देख साधना ने मदहोशी में अपनी आँखें बंद कर लीं।
साधना ─ ओह! बाबू ये क्या कर रहे हो?
अपुन ─ वाह! क्या मजेदार टेस्ट है यार तुम्हारी चूत के पानी का। रुको थोड़ा अच्छे से इसका टेस्ट लेता है अपुन।
कहने के साथ ही अपुन उठा और झुक कर उसे उठाया, फिर उसे सोफे पर लिटा दिया। साधना पूरी तरह नंगी थी इस लिए उसका सब कुछ अपुन को क्लियर दिख रेला था। अपुन की नज़र पहले तो उसके बूब्स पर ही पड़ी लेकिन फिर अपुन ने अपनी निगाहें उसकी चूत पर जमा दी। हल्के रेशमी बालों से घिरी उसकी गुलाबी चूत सच में बहुत ज्यादा गीली दिख रेली थी।
अपुन के लन्ड ने जोर का झटका दिया, जैसे सलाम किया हो उसे। अपुन ने उसे हल्के से सहला कर मन ही मन कहा कि रुक जा थोड़ी देर। अगले ही पल अपुन साधना की चूत पर झुकता चला गया लौड़ा।
आज क्लियरली अपुन उसकी चूत देख रेला था। कल की पेलाई के बाद थोड़ा अलग ही दिख रेली थी वो। कल की सूजन काफी कम हो गईली थी। अपुन ने झट से जीभ निकाली और नीचे से ऊपर की तरफ घुमा दिया जिससे उसका ढेर सारा कामरस अपुन की जीभ में आ गया। अपुन ने बड़े मजे से उसका टेस्ट ले कर निगल लिया। उसके बाद दोनों हाथों से उसकी जांघों को थाम कर उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया।
साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् बाबू।
साधना की सिसकियां गूंजने लगीं। वो मजे की मस्ती से सिर पटकने लगी और अपनी जांघों को सिकोड़ अपुन का सिर भी जकड़ने लगी। अपुन ने जोर लगा कर उसकी जांघों को फैलाया और जीभ को उसकी चूत के दाने पर रगड़ना शुरू कर दिया जिससे साधना और भी ज़्यादा सिसकी लेते हुए मचलने लगी।
साधना ─ उफ्फ बाबू शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् बहुत मजा आ रहा है। शश्श्श्श खा जाओ जान। इसमें सुबह से बहुत शश्श्श्श खु...जली हो रही है।
अपुन ने उसे मुख से कोई जवाब नहीं दिया, बस जीभ से लगातार उसके दाने को छेड़ता रहा और साधना मचलती रही। उसे इतना ज्यादा मजा आ रेला था कि अपुन के सिर को पकड़ कर वो अपनी चूत में दबाती जा रेली थी।
साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् जान, ऐसा लगता है इस मजे से पागल हो जाऊंगी मैं।
अपुन ने इस बार भी कुछ नहीं कहा बल्कि अपनी जीभ से उसके दाने को छेड़ना छोड़ जीभ को नुकीला कर के उसके रस छोड़ते छेद में घुसा दिया। ऐसा करते ही साधना की कमर सोफे से उठ गई। वो मजे के चरम पर थी और अगले कुछ ही पलों में वो तेज तेज झटके खाते हुए झड़ने लगी।
उसका ढेर सारा कामरस बाहर निकला जिसे अपुन जितना हो सका निगलता चला गया। थोड़ी देर बाद जब साधना ठंडी पड़ गई और गहरी गहरी सांसें लेने लगी तो अपुन ने उसकी चूत से मुंह हटा लिया। अपुन का होठ ही नहीं बल्कि पूरा चेहरा उसके कामरस से पुत गयला था।
अगले ही पल अपुन उसके ऊपर आ कर उसके कामरस से पुता अपना चेहरा उसके होठों से लगा दिया। कामरस की मादक गंध मिलते ही साधना के जिस्म में हलचल हुई और उसने धीरे से आंखें खोली तो अपुन को खुद पर झुका पाया। अगले ही पल उसने अपुन का चेहरा थाम लिया और अपुन के चेहरे पर लगे अपने ही कामरस को जीभ निकाल कर चाटने लगी। थोड़ी ही देर में वो सब चाट गई और फिर एकदम से अपुन के होठों को चूसने लगी।
इधर अपुन का लन्ड अब उसकी चूत में जाने के लिए जैसे बुरी तरह मचल रेला था। अपुन ने उसी पोजिशन में खुद को एडजस्ट किया और अपने भन्नाए हुए लन्ड को एक हाथ से पकड़ कर साधना की चूत में सेट किया। उसके बाद तेजी से झटका दिया तो अगले ही पल वो दनदनाता हुआ आधे से ज्यादा उसकी चूत में घुस गया।
साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श धीरे से बाबू। दर्द हो रहा है।
अपुन ─ पहले जैसा दर्द नहीं होगा डियर। अब तो बस मीठा दर्द होगा और मजा आएगा।
कहने के साथ ही अपुन ने लन्ड को थोड़ा बाहर निकाला और इस बार पहले से भी तेज झटका दिया जिससे इस बार पूरा लन्ड साधना की चूत में घुस गया। साधना एक बार फिर से दर्द और मजे से सिसक उठी। उसने अपनी टांगें उठा कर अपुन की कमर में फंसा लिया और हाथों को अपुन की पीठ पर जमा लिया।
साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श चो..चोदो बाबू। अपनी साधना को आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श जोर जोर से चोदो। तुम्हारी ये साधना सिर्फ तुम्हारी है।
अपुन को भयंकर मजा आ रेला था इस लिए जोरदार धक्के लगा रेला था। उधर साधना मजे और मस्ती में जाने क्या क्या बोलती जा रेली थी।
साधना ─ उफ्फ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् ऐसे ही बाबू। अपनी साधना को आज जी भर के चोदो। फाड़ डालो मेरी आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श चूत को।
अपुन ─ हां लौड़ी, आज तेरी चूत को फाड़ ही डालेगा अपुन। बोले तो चोद चोद के तेरी चूत का भोसड़ा बना देगा अपुन।
साधना अपुन के मुख से गाली सुन पहले तो थोड़ा चौंकी मगर फिर से मस्ती में सिसकियां भरने लगी। अपने दोनों हाथों से कभी अपुन की पीठ सहलाती तो कभी अपुन के पिछवाड़ों को।
साधना ─ ओह! आह्हह्ह् शश्श्श्श मुझे ऐसे ही हर रोज तुम्हारे लंड से चुदना है बाबू। शश्श्श्श तुम मुझे रोज चोदोगे न जान?
अपुन ─ हां साधना, अपुन तुझे रोज इसी तरह चोदेगा। तेरे भाई अमित के सामने भी चोदेगा। तेरी मां के सामने भी चोदेगा। बोल चुदेगी न सबके सामने अपुन से?
साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श हां बाबू। मैं मम्मी पापा और भाई सबके सामने तुमसे चुदूंगी।
अपुन ─ सोच ले। बाद में मुकर तो नहीं जाएगी न?
साधना ─ न..नहीं बाबू शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् मैं नहीं मुकरूंगी।
अपुन ─ और अगर तेरे मम्मी पापा या भाई ने अपने सामने तुझे चोदने न दिया तो?
साधना ─ मैं...मैं आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श मैं तब भी तुमसे चुदूंगी ब...बाबू।
अपुन ─ सच कह रही है न या इस वक्त बस मजे में ऐसा बोल रेली है?
साधना ─ शश्श्श्श बाबू थोड़ा और जोर से चोदो न मुझे। नहीं बाबू लेकिन क्या तुम...आह्हह्ह् शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् सच में मेरे घर वालों के सामने मुझे चोदोगे?
अपुन ─ अगर तू सबके सामने चुदवाने को हां कहेगी तो बेशक सबके सामने तुझे चोदेगा अपुन।
साधना ─ ओह! बाबू शश्श्श्श ले..लेकिन इस तरह में तो हम दोनों बहुत बड़ी समस्या में पड़ जाएंगे।
अपुन ─ कैसी समस्या में?
साधना ─ हम दोनों के घर वाले शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् हमें जान से मार देंगे बाबू।
अपुन ─ हां ये तो सही कहा तूने। फिर तू ही बता कि हर रोज कैसे चुदेगी अपुन से?
साधना ─ मुझे नहीं पता बाबू। शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् तुम ही कोई सोल्यूशन ढूंढो।
अपुन ─ सोल्यूशन फिलहाल बाद में ढूंढेंगे। अभी तो अपुन तुझे पेल के चोदना चाहता है।
साधना ─ हां तो चोदो न बाबू। आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श उफ्फ तुम्हारा लन्ड मेरे पेट तक फील होता है जान।
अपुन ने देखा साधना आँखें बंद किए ये सब बकचोदी किए जा रेली थी। अपुन के हर धक्के में उसके गोल गुब्बारे उछल जाते थे। अपुन ने झुक कर उसकी एक चूची के निप्पल को मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसना काटना शुरू कर दिया। इस दोहरे हमले से साधना और भी बुरी तरह मचलते हुए सिसकियां भरने लगी।
थोड़ी ही देर में अपुन को ऐसा लगने लगा जैसे अपुन भी चरम पर पहुंचने वाला है। पूरे जिस्म का लहू एक अद्भुत रोमांच पैदा करते हुए अपुन के लन्ड की तरफ दौड़ता हुआ आ रेला था। उधर साधना अब कुछ ज़्यादा ही आहें भर रेली थी। पूरे ड्राइंग रूम में उसकी आहें और सिसकियां गूंज रेली थीं।
अपुन ─ आह्ह्ह्ह् साधना, मेरी जान लगता है अपुन का होने वाला है।
साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू मेरे अंदर अपना पानी मत छोड़ना।
अपुन ─ फिर कहां छोड़े अपुन?
साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् मुझे तुम्हारा पानी पीना है बाबू।
अपुन ─ ठीक है।
अपुन अब अपने पीक पर आ गयला था इस लिए पूरी ताकत और जोश से धक्के लगा रेला था। अगले ही पल साधना तेज तेज आहें भरते हुए एकदम से ऐंठ गई और थरथराते हुए झड़ने लगी। अपुन भी झड़ने वाला था इस लिए जल्दी से अपने लन्ड को उसकी चूत से निकाला और ऊपर की तरफ सरक कर उसके मुख में अपना लन्ड घुसेड़ दिया।
साधना अभी अभी झड़ी थी जिसके चलते वो ठंडी सी पड़ गईली थी। पर जैसे ही उसे अपने मुंह में अपुन के लन्ड का आभास हुआ तो उसने बड़ी मुश्किल से आँखें खोल कर अपुन को देखा और थोड़ा ताकत लगा कर उठी।
अपुन ─ आह्ह्ह्ह् जल्दी करो। अपुन झड़ने वाला है।
साधना ने किसी तरह बैठ कर जल्दी ही अपुन के लन्ड को पकड़ कर मुंह में लिया और जोर जोर से चूसने लगी। एक तो अपुन पहले ही पीक पर था, ऊपर से उसके मुंह का गर्म स्पर्श तथा तीसरे उसके द्वारा जोरदार चूसे जाने से कुछ ही पलों में अपुन मजे के सातवें असमान में पहुंच गया।
बेटीचोद ऐसा लगा जैसे आनंद की पराकाष्ठा में अपुन के जिस्म से जान ही निकलने लगी हो लौड़ा। एक के बाद एक पिचकारी उसके मुख में गिरने लगी थी। अपुन ने झट से उसके सिर को थाम लिया था और झटके खाते हुए उसके मुख में झड़ता जा रेला था। अपुन को ये तक होश नहीं था कि मजे की तरंग में पागल हो कर अपुन ने अपना पूरा लन्ड उसके मुख में ठूस दिया है।
होश तब आया जब साधना बुरी तरह मचलते हुए अपुन के जांघों पर जोर जोर से मारने लगी। अपुन ने झट से पिछवाड़ा पीछे किया जिससे अपुन का लंड एक झटके में उसके मुख से बाहर आ गया लौड़ा।
लन्ड के निकलते ही साधना बुरी तरह खांसने लगी। उसकी सांसें बुरी तरह उखड़ी हुईं थी। अपुन का पानी तो वो पी ही गई थी लेकिन कुछ उसके मुंह के किनारों से बाहर भी टपक रेला था।
अपुन ─ सॉरी यार। पता ही नहीं चला बेटीचोद कि कब अपुन ने पूरा लन्ड तुम्हारे मुंह में घुसेड़ दिया।
साधना की खांसी तो अब कम हो गईली थी लेकिन सांसें अभी भी उखड़ी हुईं थी। कुछ देर लगा उसे अपनी सांसों को दुरुस्त करने में।
साधना ─ ओह! बाबू तुम आखिर में पागल से हो जाते हो।
अपुन ─ सॉरी साधना। उस वक्त मजे में कुछ होश ही नहीं था।
साधना ─ इट्स ओके। ये बताओ तुम्हें मजा आया न?
अपुन ─ बहुत मजा आया मेरी जान। यू आर टू गुड, बोले तो अमेजिंग...वंडरफुल।
साधना ─ मुझे भी बहुत मज़ा आया बाबू। तुमसे इस तरह मिलने से पहले ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि चुदाई में इतना मजा आता होगा। थैंक्यू सो मच बाबू।
साधना अपुन को मोहब्बत की दीवानगी भरी निगाहों से देखने लगी थी और अपुन एक बार फिर उससे नज़रें मिलाने में कतराने लगा था।
साधना ─ अच्छा बाबू, तुम्हारा वीर्य तो सच में बहुत टेस्टी था। पता है आज मैं मोबाइल में कुछ चीजों के बारे में देख रही थी। गूगल में मैंने इस बारे में काफी कुछ खोजा और फिर पढ़ा। तब पता चला कि इसमें भी बहुत मज़ा आता है और पार्टनर्स को इससे सेटिस्फैक्शन मिलता है।
अपुन ─ ओह! ऐसा क्या। इसी लिए इतना मजे से और इतना बेझिझक हो के अपुन का लन्ड चूस रेली थी तुम।
साधना ये सुन कर पहले तो थोड़ा शरमाई फिर मुस्कुराते हुए बोली।
साधना ─ क्या करूं बाबू। कल तुम्हारा मूड खराब हो गया था इस लिए मैं चाहती थी कि नेक्स्ट टाइम जब हम दुबारा ये सब करें तो तुम्हारा मूड खराब न हो। बस इसी लिए नेट में खोज कर ये सब पढ़ा।
अपुन अच्छी तरह जानता था कि साधना अपुन से प्यार करती है और अपुन की खुशी के लिए सब कुछ करना चाहती है। असल में वो नहीं चाहती थी कि अपुन किसी भी वजह से उससे नाराज़ हो जाए या उससे दूर हो जाए। अपुन को थोड़ा ग्लानि हुई लेकिन फिर अपुन ने इस फीलिंग को झटक दिया।
ख़ैर अपुन ने जब देखा कि अभी दोपहर के तीन बज रेले हैं तो सोचा क्यों न एक बार और साधना को चोद लिया जाए। क्या पता बाद में उसके मम्मी पापा और अमित के आ जाने से हमें ये करने का मौका मिले न मिले।
ये सोच कर अपुन ने एक बार फिर आगे बढ़ कर उसकी चूचियों को थाम लिया और उन्हें हौले हौले मसलने लगा। ये देख साधना हौले से मुस्कुरा उठी।
साधना ─ लगता है मेरे बाबू का मन नहीं भरा है अभी?
अपुन ─ सही कहा मेरी जान। तुम्हें चोदने का फिर से मन हो रेला है। क्या तुम्हें नहीं लग रेला है कि अपन लोग को एक बार फिर से चुदाई कर लेनी चाहिए। शाम को तुम्हारे पापा आ जाएंगे और कल अमित के साथ तुम्हारी मम्मी भी आ जाएंगी तो क्या पता हमें इस तरह का मौका मिलेगा या नहीं।
साधना ─ हां सही कह रहे हो जान। ऐसा मौका शायद ही मिलेगा।
अपुन ─ इसी लिए तो बोल रेला है अपुन कि एक राउंड और हो जाए। वैसे अंकल जी कितने बजे तक आएंगे?
साधना ─ शायद पांच बजे तक।
अपुन ─ ओह! फिर तो अपन लोग को फ़ौरन एक राउंड कर लेना चाहिए। क्या कहती हो?
साधना ─ जो तुम्हें ठीक लगे जान लेकिन उससे पहले मैं वॉशरूम जाऊंगी। बड़ी जोर की लगी है न।
अपुन ─ ओह! अपुन भी तुम्हारे साथ चलेगा। अपुन को भी लगी है इस लिए दोनों एक साथ करेंगे।
साधना ─ क्या?? ओह! नहीं न बाबू। तुम्हारे सामने मुझे शर्म आएगी।
अपुन ─ यार अब शर्म करने लायक कुछ बचा है क्या हमारे बीच? चलो अब नखरे मत करो।
आखिर साधना को राजी होना ही पड़ा। थोड़ी ही देर में अपन दोनों उसके रूम के अटैच बाथरूम में पहुंच गए। दोनों ही नंगे थे इस लिए कपड़े या कच्छे उतारने का सवाल ही नहीं था। अपुन तो खड़े खड़े ही अपने लन्ड को पकड़ कर पिचकारी मारने का सोच लिया था लेकिन तभी अपुन को कुछ सूझा
अपुन ─ अपुन का लंड पकड़ो न साधना।
साधना ─ क्यों? मेरा मतलब है कि किस लिए?
अपुन ─ तुम अपने हाथों से पकड़ कर अपुन को पेशाब करवाओ।
साधना को पहले तो ये सुन के हैरानी भी हुई और शर्म भी आई लेकिन फिर उसने अपुन के लन्ड को पकड़ लिया। उसके कोमल हाथ का स्पर्श पाते ही लन्ड ने थोड़ा झटका दिया और फिर अगले कुछ ही पलों में उसके छेद से पेशाब की धार निकलने लगी। साधना बड़े गौर से ये देखने लगी थी।
साधना ─ माय गॉड इसकी धार तो बहुत दूर तक जा रही है बाबू।
अपुन ─ क्यों तुम लड़कियों की धार दूर तक नहीं जाती?
साधना (शर्म से मुस्कुराते हुए) ─ हम लड़कियां इस तरह खड़े खड़े नहीं कर सकतीं। इस लिए बैठ कर करती हैं तो बैठे बैठे ही पेशाब की धार थोड़ा दूर तक जाती है।
अपुन (गर्व से सीना चौड़ा कर के) ─ अपन मर्द लोग तो बेटीचोद दस फीट में बैठे आदमी को भी नहला सकते हैं।
साधना अपुन की बात सुन कर खिलखिला कर हंसने लगी। तभी अपुन के पेशाब की धार कमजोर होने लगी। अपुन समझ गया टंकी खाली होने वाली है लौड़ा। खैर कुछ ही पलों में अपुन का हो गया।
साधना ─ लो बाबू तुम्हारा तो हो गया। अब क्या हाथ हटा लूं?
अपुन ─ हां हटा लो और अब चलो अपुन तुम्हें भी पेशाब करवाता है।
साधना ये सुन कर फिर से शरमाई लेकिन फिर मुस्कुराते हुए बोली।
साधन ─ मुझे कैसे करवाओगे तुम? मेरा मतलब है कि मेरे पास तुम्हारे जैसे लन्ड थोड़ी है जिसे तुम आराम से पकड़ लोगे।
अपुन ─ हां बात तो तुम्हारी सही है पर फिर भी अपुन करवाएगा।
साधना (हैरानी से) ─ कैसे?
अपुन ─ कैसे क्या? अरे! अपुन तुम्हारी चूत के गुलाबी होठों के अगल बगल उंगलियां रख देगा और तुम मूतना शुरू कर देना।
साधना एक बार फिर से खिलखिला कर हंसने लगी। हालांकि पहले वो बुरी तरह शर्मा गईली थी।
साधना ─ न बाबू। ये ठीक नहीं है। मतलब कि ऐसे में मैं पेशाब नहीं कर पाऊंगी और अगर किसी तरह पेशाब निकला भी तो तुम्हारा हाथ ही गंदा हो जाएगा, आई मीन भींग जाएगा।
अपुन ─ कोई बात नहीं, भीगने दो। अपुन ने सोच लिया है कि तुम्हें इसी तरह पेशाब करवाएगा तो करवाएगा। चलो अब तुम भी नखरे न करो और शुरू हो जाओ।
साधना ने आगे भी कई बार मना किया लेकिन अपुन की जिद के आगे आखिर उसने हथियार डाल ही दिए। वैसे भी उसे जोरो की पेशाब लगी हुई थी इस लिए उसे करना ही पड़ा।
शर्म और झिझक के साथ वो बाथरूम के फर्श पर ही बैठने लगी तो अपुन ने उसे फौरन रोक लिया। बैठने से मुश्किल हो जानी थी इस लिए अपुन ने उसे खड़े खड़े ही मूतने को कहा। वो काफी झिझक रेली थी और शर्मा रेली थी लेकिन मारती क्या न करती वाली सिचुएशन में फंस गईली थी वो।
अपुन ने उसकी टांगों को थोड़ा फैला कर खड़ा होने को कहा तो वो वैसे ही खड़ी हो गई। उसके बाद अपुन के ही कहने पर वो मूतने को तैयार हुई लेकिन जोर का प्रेशर लगा होने के बाद भी उसकी चूत से पेशाब नहीं निकल रेला था। अपुन समझ गया कि लौड़ी अंदर से तैयार नहीं है। बोले तो शर्मा रेली है या झिझक रेली है....मगर कब तक?
थोड़ी ही देर में जब प्रेशर उसकी सहन शक्ति से बाहर हो गया तो उसने मूतना शुरू कर दिया। अपुन ने पहले ही उसकी चूत की गुलाबी पंखुड़ियों के अगल बगल उंगली लगा ली थी और थोड़ा फैला भी दिया था ताकि जब वो मूतना शुरू करे तो होठ चिपके होने की वजह से उसके पेशाब की धार यूं न निकले कि उसकी जांघों को ही भिंगोना शुरू कर दे।
साधना शर्म से आँखें बंद किए मूते जा रेली थी और उसके पेशाब की धार क्लियरली दोनों फैली जांघों के बीच गिरती जा रेली थी।
अपुन ─ अरे! लंबी छलांग लगाओ न यार। ये क्या है?
साधना का ये सुन कर मूतना रुक गया और वो आँखें बंद किए ही शर्म के मारे हंसने लगी।
साधना ─ ये तुम कैसी बातें कर रहे हो जान? तुम्हें बताया तो है मैंने कि हम लड़कियां खड़े होने पर दूर तक धार नहीं छोड़ सकतीं। अब प्लीज कुछ मत बोलना और मुझे पेशाब करने दो।
अपुन भी समझ रेला था कि वो सच ही बोल रेली थी। बोले तो ऊपर वाले ने ऐसी कलाकारी अपन मर्दों के लिए ही रची थी। खैर कुछ देर बाद उसका भी हो गया तो वो ठीक से खड़ी हो गई। उसके बाद उसने पानी से अपनी चूत साफ की। अपुन ने भी अपने लंड को धो कर साफ कर लिया।
बाथरूम से अपन दोनों बाहर आ गए और फिर से एक दूसरे में खोने लगे। साधना जब मूड में आई तो उसने कहा कि इस बार वो अपुन के ऊपर आ कर लन्ड पर उछल उछल कर चुदेगी। अपुन ने ऐसा ही किया।
इस बार अपन दोनों उसके कमरे में ही बेड पर चुदाई का कार्यक्रम कर रेले थे। साधना काफी देर तक मस्ती में अपुन के लन्ड पर उछलती रही। फिर जब वो थक गई तो अपुन ने उसे नीचे लिटाया और ताबड़तोड़ धक्कों की बरसात करने लगा लौड़ा। करीब पंद्रह मिनट की भीषण पलंगतोड़ चुदाई के बाद अपन दोनों ही झड़ गए बेटीचोद।
चार बजने वाले थे इस लिए अपन दोनों ने कार्यक्रम को यहीं पर विराम देने का सोचा और बाहर ड्राइंग रूम में आ कर अपने अपने कपड़े पहनने लगे।
कपड़े पहन कर अपुन उसके घर से चला तो उसने अपुन को जाने देने से पहले स्मूच किस किया और फिर किसी बहाने हर रोज घर आने का बोल कर उसने अपुन को बाय किया।
उसके घर से बाहर आया तो देखा मोबाइल में साक्षी दी के दो मिस कॉल पड़े थे। ये देख अपुन एकदम से टेंशन में आ गया लौड़ा।
अपुन ─ काश! ये बकवास ही होती। अच्छा, अब जा रहा हूं। यहां का काम खत्म हो जाए तो कॉल कर देना, बाय।
उसके बाद अपुन उनका कोई जवाब सुने बिना वापस कार की ड्राइविंग सीट पर बैठा और दौड़ा दिया उसे सड़क की तरफ। पीछे साक्षी दी हैरान परेशान खड़ी रह गईं।
अब आगे....
रास्ते में अपुन यही सब सोचे जा रेला था कि आज साक्षी दी से जिस तरह की बातें हुईं हैं उसका क्या नतीजा निकलेगा? कहीं ऐसा तो नहीं होएगा कि साक्षी दी ये सब बातें मॉम को बता दें और अपुन की गांड़ तोड़ाई होने में बिल्कुल भी देर न लगे?
वैसे तो अपुन को यकीन था कि साक्षी दी इतना जल्दी इस बारे में किसी को कुछ बताने वाली नहीं थीं लेकिन इसके बावजूद लौड़ा अपनी फटी पड़ी थी। बोले तो अपुन अंदर से बुरी तरह घबरा रेला था और डर रेला था। कुछ समझ नहीं आ रेला था कि अब क्या करे अपुन?
अपुन को अब जा के रियलाइज हो रेला था कि अपुन को साक्षी दी से ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए थी बेटीचोद। माना कि वो अपुन से बहुत प्यार करती हैं लेकिन उनका वो प्यार भाई बहन वाला है ना कि प्रेमी प्रेमिका वाला।
खैर जोश जोश में और तारीफ करने के चक्कर में अपुन के मुख से जो निकल गयला था वो अब वापस नहीं हो सकता था। वैसे ये तो सच था कि अपुन के अंदर साक्षी दी के लिए कुछ ऐसी ही फीलिंग्स थी पर अपुन को ये भी यकीन है कि वो प्यार वाली फीलिंग्स तो कतई नहीं हो सकतीं।
बेटीचोद अपुन के दिमाग से ये सब बातें जा ही नहीं रेली थी और इस वजह से अपुन के दिमाग की ही नहीं बल्कि अपुन की भी मां बहन हुई पड़ी थी। साक्षी दी ने अपुन को वापस कर दिया था तो अब ये भी सोच रेला था कि कहां जाए अपुन? घर जा नहीं सकता था क्योंकि जाने का मन ही नहीं कर रेला था। तभी अपुन को साधना का खयाल आ गया लौड़ा।
साधना का खयाल आते ही अपुन को आभास हुआ कि दिमाग से डर और घबराहट को निकालने का फिलहाल यही एक तरीका है कि अपुन साधना के साथ टाइम स्पेंड करे या उसके साथ मजा करे। बाकी जो होगा देखा जाएगा।
अपुन ने कार चलाते चलाते ही मोबाइल निकाल कर उसे फोन लगा दिया। थोड़ी ही देर में उसने कॉल पिक कर लिया और बोली।
साधना ─ ओह! बाबू, मैं दुआ ही कर रही थी कि काश तुम्हारा कॉल आए और मैं तुमसे ढेर सारी बातें करूं।
अपुन ─ क्या कर रेली हो मेरी जान?
साधना ─ ओहो! मेरी जान? लगता है मेरा बाबू बहुत अच्छे मूड में है।
अपुन ने मन में सोचा कि मूड की तो मां चुदी पड़ी है लौड़ी लेकिन फिर प्रत्यक्ष में बोला।
अपुन ─ मूड तो अच्छा नहीं है लेकिन अगर तुम अपुन का मूड अच्छा कर सको तो पांच मिनट में तुम्हारे पास आ सकता है अपुन।
साधना ─ क्या सच में आ सकते हो बाबू?
अपुन ─ हां, लेकिन शर्त यही है कि तुम्हें अपुन का मूड अच्छे से भी अच्छा बनाना होगा।
साधना ─ बिल्कुल बनाऊंगी बाबू। तुम आओ तो जान।
अपुन ─ कैसे बनाओगी? पहले ये बताओ।
साधना ─ जैसा तुम चाहोगे माई लव।
अपुन ─ अपुन तो तुम्हें जी भर के चोदना चाहता है, बोलो चुदवाओगी अपुन से?
साधना अपुन की बात सुन कर शायद बुरी तरह शर्मा गई थी इस लिए फ़ौरन कुछ बोल न सकी थी लौड़ी। कुछ पलों बाद बोली।
साधना ─ ठीक है बाबू, जैसा तुम चाहो।
अपुन ─ ऐसे नहीं, खुल के जवाब दो और पूरा पूरा सेंटेंस में बोल कर जवाब दो।
साधना समझ गई कि अपुन उसके मुख से खुल कर चुदाई जैसे शब्द सुनना चाहता है इस लिए बोली।
साधना ─ हां बाबू, मैं तुमसे चु..चुदवाऊंगी। प्लीज जल्दी से आ जाओ और मुझे जी भर के चोदो।
उसके मुख से ऐसा सुनते ही बेटीचोद अपुन का लौड़ा जैसे झटके मारने लगा। पलक झपकते ही अपुन अलग ही दुनिया में पहुंच गया लौड़ा। बोले तो अभी अपुन जिस टेंशन में था वो सब पलक झपकते ही दूर गई बेटीचोद।
अपुन ─ अब बताओ कि कैसे कैसे चुदवाओगी अपुन से?
साधना ─ जैसा तुम चाहोगे वैसे चुदवाऊंगी बाबू।
अपुन ─ ऐसे नहीं, कुछ ऐसे बताओ कि अपुन तुम्हें चोदने के लिए इसी वक्त मजबूर हो जाए।
साधना कुछ देर सोचती रही। इधर अपुन भी सोचने लगा कि अब ये लौड़ी क्या बोलेगी? बोले तो एक तरफ उत्सुकता भी थी और अपुन एक अद्भुत रोमांच फील कर रेला था। तभी साधना की आवाज अपुन के कान में पड़ी।
साधना ─ अच्छा सुनो, जब तुम मेरे पास आओगे तो सबसे पहले तो मैं तुम्हारे होठों को चूमूंगी...चूसूंगी। फिर तुम्हें अपने कमरे में ले जा कर तुम्हें पूरा नंगा कर दूंगी और खुद भी नंगी हो जाऊंगी। उसके बाद हम दोनों एक दूसरे को स्मूच किसिंग करेंगे। तुम मेरी छातियों को मसलोगे और उन्हें चूसोगे, काटोगे भी। फिर अपना एक हाथ मेरी चू..चूत में ले जा कर उसे सहलाना शुरू कर दोगे। इससे मुझे बहुत मजा आने लगेगा और मैं मचलने लगूंगी। फिर तुम नीचे जा कर मेरी चूत को जीभ से चाटोगे, मेरी चूत का नमकीन पानी पियोगे। जब तुम ऐसा करोगे तो मेरी हालत मजे के चलते खराब होने लगेगी और मैं पागल सी हो कर तुमसे कहूंगी कि प्लीज बाबू अब अपना लं..लंड मेरी चूत में डाल कर जोर जोर से चोदो मुझे।
साधना लौड़ी ने तो सच में अपुन का मूड बना दियेला था। उसकी बातें सुन कर अपुन का लन्ड सच में अब उसकी चूत में जाने के लिए मचलने लगा था।
अपुन ─ ये सब तो ठीक है लेकिन तुम अपुन से अपनी चूत तो चटवाओगी पर क्या अपुन का लन्ड नहीं चूसोगी?
साधना ─ ओह! सॉरी बाबू। ये तो मैं भूल ही गई थी। हां बाबू, मैं तुम्हारा लन्ड भी चूसूंगी। अब प्लीज जल्दी से आ जाओ न। मेरी चूत ऐसी बातों से ही पानी छोड़ने लगी है और तुम्हारे लन्ड को अपने अंदर सामने के लिए तड़पने लगी है।
अपुन ─ बस दो मिनट में पहुंच जाएगा अपुन तुम्हारे पास। अपुन चाहता है कि जब अपुन तुम्हारे घर का दरवाजा खटखटाए तो तुम पूरी नंगी हो कर दरवाजा खोलो।
साधना ─ ओह! बाबू ये क्या कह रहे हो? किसी ने देख लिया तो गजब हो जाएगा। प्लीज ये करने को मत कहो न जान।
अपुन ─ ना, अब अपुन ने कह दिया तो अब तुम्हें ऐसाइच करना होगा। मंजूर हो तो बोलो आए अपुन वरना नहीं।
साधना सच में मजबूर हो गईली थी। इस लिए फौरन ही मान गई लौड़ी। इधर अपुन ने झट से कॉल कट किया और कार को फुल स्पीड में दौड़ा दिया। बोले तो अब अपुन के अंदर उसे चोदने का भूत सवार हो गयला था बेटीचोद।
दो मिनट तो नहीं लेकिन पांच मिनट में जरूर पहुंच गया अपुन उसके घर। इस बीच अपुन ने उसके भाई अमित को भी मैसेज कर के बता दिया कि अपुन उसके घर जा रेला है। अपुन ने ऐसा इस लिए किया ताकि अगर अपुन को आस पड़ोस वाला कोई उसके घर गया देखे भी तो अमित या उसके मम्मी पापा को पहले से ही ये पता रहे और वो अपुन के बारे में गलत न सोचें।
अपुन ने कार को बाहर ही खड़ी किया और लपक कर दरवाज़े के पास पहुंच कर दरवाजा खटखटा दिया। लौड़ा, अपुन की धड़कनें ट्रेन के इंजन के माफिक दौड़ रेली थीं और अपुन के अंदर जाने क्या क्या सोच के रोमांच भरता जा रेला था।
आधे मिनट से पहले ही दरवाजा हल्के से खुला लेकिन पूरा नहीं खुला। अपुन ये देख के शॉक रह गया कि साधना सचमुच पूरी नंगी हो कर दरवाजा खोलने आईली थी। उसका गोरा और चिकना बदन साफ दिख रेला था अपुन को। अपुन की नज़र पहले तो उसके चेहरे पर ही पड़ी लेकिन फिर चेहरे से फिसल कर उसके गोरे और गोल मम्मों पर पड़ी। कितने सुंदर मम्मे थे लौड़ी के। बोले तो पके हुए आम की तरह। कोई लचक नहीं। बीच में भूरे रंग के निप्पल यू लग रेले थे जैसे फूले हुए चने रख दिए गए हों। अपुन का मन तो किया कि एक ही पल में लपक कर उन्हें मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दे।
फिर सीने से फिसल कर अपुन की नज़र उसके चिकने सपाट पेट तथा गहरी नाभी पर पड़ी और फिर एकदम से उसकी सुडौल जांघों के बीच हल्के रेशमी बालों से घिरी गुलाबी चूत पर। बेटीचोद अपुन को वो लौड़ी एकदम सेक्स और मादकता की कामदेवी लगी। अपुन का लन्ड तो जैसे फटने को आ गया लौड़ा। तभी उसकी मधुर आवाज से अपुन होश में आया।
साधना ─ ओह! बाबू अंदर आ कर जी भर के देख लेना। ऐसे में अगर कोई आ गया तो बहुत बड़ी मुसीबत हो जाएगी।
अपुन को भी लगा कि वो सच कर रेली है। इस लिए जल्दी से बाकी का दरवाजा खोला और झट से अंदर दाखिल हुआ। जैसे ही अपुन अंदर आया तो साधना ने भी झट से दरवाजा बंद कर दिया।
अगले ही पल जैसे ही दरवाज़ा बंद कर के वो पलटी तो अपुन ने उसे दबोच लिया। शायद उसे भी अपुन से यही उम्मीद थी इस लिए अपुन के दबोचने पर वो जरा भी नहीं चौंकी बल्कि खुद ही अपुन की बाहों में सिमटती चली गई लौड़ी।
अपुन बेतहाशा उसके गुलाबी और रसीले होठों को चूसने में लग गयला था। वो खुद भी पूरे जोश में साथ दे रेली थी। बोले तो पलक झटकते ही अपन लोग मजे की दुनिया में पहुंच गए बेटीचोद।
साधना एक पल अपुन के होठों से अलग होते ही बोली और फिर से लपक कर जैसे टूट पड़ी। वो अपुन से जोंक की तरह लिपटी हुई थी और अपुन के चेहरे को थामे होठ चूसने में लगी थी। इधर अपुन भी जैसे उसके होठों को चूसने के साथ साथ खा जाने की कोशिश में लगा था लौड़ा। दूसरी तरफ अपुन के हाथ उसके नंगे जिस्म के हर हिस्से को सहलाते जा रेले थे। कभी उसकी पीठ को, कभी कमर को तो कभी उसके गोरे चिकने और मुलायम चूतड़ों को।
अपुन के हाथ जब उसके चूतड़ों पर आते तो अपुन उनके दोनों पार्ट्स को एक एक हाथ में दबोच कर पहले तो हल्के से सहलाता और फिर बुरी तरह मसल देता जिससे साधना मचल सी जाती और उसके मुख से सिसकी निकल जाती।
कुछ ही देर में अपन दोनों की सांसें फूल गईं और अपन लोग का सांस लेना जैसे मुश्किल हो गया। अपुन ने झट से उसके होठ छोड़े और उसके गले को चूमते हुए थोड़ा नीचे उसकी छातियों पर आ गया। अपुन ने एक हाथ से उसकी पीठ को थाम कर दूसरे हाथ से उसकी एक छाती को थाम लिया। साधना की सांसें बहुत भारी हो चलीं थी और वो बुरी तरह मचल रेली थी।
साधना ─ इन्हें मुंह में ले कर चूसो बाबू। मेरे ये बूब्स तुम्हें बहुत पसंद हैं न?
अपुन ─ हां डियर। तुम्हारे ये मम्मे अपुन को बहुत पसंद हैं। मन करता है कि इन्हें हर पल चूसता ही रहे अपुन।
साधना ─ तो चूसो न बाबू। जी भर के चूसो और हां मेरे मम्मे में अपनी लव बाइट भी करो। मेरी इच्छा है कि मेरे मम्मे पर तुम्हारे दांतों का एक गहरा निशान हो। मैं जब भी नहाते समय अपने मम्मे देखूं तो मुझे तुम्हारी याद आए।
साधना की बात सुन अपुन को और भी जोश आया लौड़ा। अपुन ने लपक कर उसके निप्पल को मुंह में भर लिया और इस तरह चूसने लगा जैसे उसमें से उसका दूध खींच लेना चाहता हो अपुन। अपुन के ऐसा करते ही साधना बुरी तरह सिसकी लेते हुए मचल उठी। एक हाथ से अपुन का सिर पकड़ वो अपने मम्मे पर दबाने लगी।
साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् बाबू, ऐसे ही जोर जोर से चूसो। उफ्फ बहुत मजा आता है जब तुम मेरे निप्पल को मुंह में भर कर इस तरह चूसते हो। शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् हां बाबू ऐसे ही शश्श्श्श खा जाओ ना।
साधना इतना बुरी तरह मचल रेली थी कि अपुन से खड़े खड़े उसे सम्हालना मुश्किल होने लगा पर मजा इतना आ रेला था कि अपुन उसे छोड़ने को भी तैयार नहीं था। जब एक मम्मे को चूस के मन भर गया तो दूसरे को मुंह में भर लिया।
साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् बाबू। हां इसे भी ऐसे ही चूसो। शश्श्श्श तुम्हारे इस तरह चूसने से मैं पागल सी होने लगती हूं। आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श हां ऐसे ही जोर से अपने दांत गड़ा दो जान....शश्श्श्श।
पागल तो अपुन भी हो गयला लौड़ा और अब अपुन को उसे सम्हालने में भी तकलीफ होने लगी थी इस लिए उसके मम्मे को मुंह से निकाल कर अपुन सीधा खड़ा हुआ।
अपुन ─ ड्राइंग रूम में चलो साधना। वहां सोफे पर बाकी का काम करेंगे।
साधना ─ हां जल्दी चलो बाबू। मुझसे भी अब रहा नहीं जा रहा।
अपन दोनों लोग जल्दी ही ड्राइंग में रखे सोफे पर आ गए। साधना तो पहले से ही पूरी नंगी थी इस लिए अपुन ने भी झट से अपने सारे कपड़े उतार कर फेंक दिए। जैसे ही अपुन का कच्छा उतरा तो अपुन का बुरी तरह भन्नाया हुआ लन्ड किसी स्प्रिंग की तरह उछल कर बाहर आ गया। साधना की नज़र जैसे ही उस पर पड़ी तो जैसे वो मदहोश ही हो गई लौड़ी।
अपुन जैसे ही सोफे पर बैठा तो वो झट से नीचे फर्श पर घुटने के बल बैठ गई और हाथ बढ़ा कर अपुन के लन्ड को पकड़ लिया।
साधना ─ ओह! बाबू तुम्हारा ये तो पूरा अकड़ गया है।
अपुन ─ हां, ये तुम्हारे चूत में जाने की खुशी में अकड़ गयला है। अब चलो इसे मुंह में ले कर चूसो मेरी जान।
साधना ने मुस्कुरा कर अपुन को देखा और फिर लन्ड को मुठियाने लगी। कुछ पलों तक मुठियाने के बाद वो झुकी और चमड़ी पीछे कर के लन्ड के टोपे को आहिस्ता से चूम लिया। उसके ऐसा करते ही अपुन के अंदर मजे की तरंग उठती चली गई।
अपुन ─ आह्ह्ह्ह् तुम्हारे होठों के स्पर्श से ही जब इतना मजा आ रेला है तो जब तुम इसे मुंह में ले कर चूसोगी तो कितना मजा आएगा। जल्दी से मुंह में लो डियर और हां आज अच्छे से और मन लगा कर चूसोगी तुम।
साधना ─ डोंट वरी बाबू। आज मैं तुम्हें शिकायत का मौका नहीं दूंगी।
कहने के साथ ही उसने एक बार और टोपे को चूमा और फिर मुंह खोल कर लन्ड को मुंह में भर लिया। बेटीचोद मजा ही आ गया लौड़ा। उसके मुझ का गर्म एहसास मिलते ही अपुन के पूरे जिस्म में मजे की लहर उठने लगी और अपुन की आँखें मजे की इंतिहां में बंद हो गईं।
अपुन ने झट से साधना का सिर पकड़ लिया था और उसे अपने लन्ड पर दबाने लगा था। साधना इस बार सच में अच्छे ढंग से लन्ड चूस रेली थी। वो करीब आधा लन्ड अपने मुंह में ले लेती थी लेकिन इससे ज़्यादा लेने में शायद उसे प्रॉब्लम थी। एक हाथ से लन्ड को पकड़े वो मजे से चूसे जा रेली थी।
इधर अपुन की हालत खराब होती जा रेली थी लौड़ा। थोड़ी ही देर में अपुन को लगने लगा कि अपुन की नशों में दौड़ता लहू लन्ड के रास्ते बाहर फट पड़ेगा।
अपुन ने जल्दी से साधना का सिर पकड़ कर उठा लिया जिससे अपुन का लन्ड उसके मुख से बाहर आ गया।
साधना ─ क्या हुआ बाबू? क्या अच्छे से नहीं चूस रही मैं?
अपुन ─ अरे! तुम तो अच्छे से चूस रेली थी यार लेकिन अपुन ने लन्ड इस लिए बाहर किया क्योंकि अपुन तुम्हारे चूसने से ही झड़ जाता।
साधना ─ तो क्या हो जाता बाबू? मैं तुम्हारा स्पर्म भी पी लेती।
अपुन को बड़ी हैरानी हुई उसकी ये बात सुन कर।
अपुन ─ क्या सच में?
साधना ─ हां बाबू। जब तुम मेरी चूत का पानी पी सकते हो तो क्या मैं तुम्हारे लन्ड का पानी नहीं पी सकती? वैसे भी अब मुझे लन्ड चूसने में बुरा नहीं फील हो रहा था बल्कि अच्छा लग रहा था। क्या मैं फिर से इसे चूसना शुरू करूं जान?
अपुन का मन तो था लेकिन अपुन नहीं चाहता था कि उसे चोदे बिना ही झड़ जाए अपुन।
अपुन ─ नहीं यार, बाद में चूस लेना। अभी अपुन तुम्हें चोदना चाहता है।
साधना ─ ओह! बाबू, मैं भी तुम्हारे इस लन्ड को अपनी चूत में लेने के लिए तड़प रही हूं। देखो न, कैसे मेरी ये निगोडी चूत तुम्हारे लन्ड को देखते ही पानी छोड़ती जा रही है।
कहने के साथ ही साधना ने अपना एक हाथ अपनी चूत पर लगाया और फिर वहां से हटा कर अपुन को दिखाया। उसकी तीन उंगलियों में उसकी चूत का कामरस लगा हुआ था। ये देख अपुन जैसे मचल ही उठा लौड़ा। फिर पता नहीं क्या हुआ कि अपुन ने झट उसका हाथ पकड़ा और उसकी तीनों उंगलियों को मुंह में भर कर उसका कामरस चाटने लगा। ये देख साधना ने मदहोशी में अपनी आँखें बंद कर लीं।
साधना ─ ओह! बाबू ये क्या कर रहे हो?
अपुन ─ वाह! क्या मजेदार टेस्ट है यार तुम्हारी चूत के पानी का। रुको थोड़ा अच्छे से इसका टेस्ट लेता है अपुन।
कहने के साथ ही अपुन उठा और झुक कर उसे उठाया, फिर उसे सोफे पर लिटा दिया। साधना पूरी तरह नंगी थी इस लिए उसका सब कुछ अपुन को क्लियर दिख रेला था। अपुन की नज़र पहले तो उसके बूब्स पर ही पड़ी लेकिन फिर अपुन ने अपनी निगाहें उसकी चूत पर जमा दी। हल्के रेशमी बालों से घिरी उसकी गुलाबी चूत सच में बहुत ज्यादा गीली दिख रेली थी।
अपुन के लन्ड ने जोर का झटका दिया, जैसे सलाम किया हो उसे। अपुन ने उसे हल्के से सहला कर मन ही मन कहा कि रुक जा थोड़ी देर। अगले ही पल अपुन साधना की चूत पर झुकता चला गया लौड़ा।
आज क्लियरली अपुन उसकी चूत देख रेला था। कल की पेलाई के बाद थोड़ा अलग ही दिख रेली थी वो। कल की सूजन काफी कम हो गईली थी। अपुन ने झट से जीभ निकाली और नीचे से ऊपर की तरफ घुमा दिया जिससे उसका ढेर सारा कामरस अपुन की जीभ में आ गया। अपुन ने बड़े मजे से उसका टेस्ट ले कर निगल लिया। उसके बाद दोनों हाथों से उसकी जांघों को थाम कर उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया।
साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् बाबू।
साधना की सिसकियां गूंजने लगीं। वो मजे की मस्ती से सिर पटकने लगी और अपनी जांघों को सिकोड़ अपुन का सिर भी जकड़ने लगी। अपुन ने जोर लगा कर उसकी जांघों को फैलाया और जीभ को उसकी चूत के दाने पर रगड़ना शुरू कर दिया जिससे साधना और भी ज़्यादा सिसकी लेते हुए मचलने लगी।
साधना ─ उफ्फ बाबू शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् बहुत मजा आ रहा है। शश्श्श्श खा जाओ जान। इसमें सुबह से बहुत शश्श्श्श खु...जली हो रही है।
अपुन ने उसे मुख से कोई जवाब नहीं दिया, बस जीभ से लगातार उसके दाने को छेड़ता रहा और साधना मचलती रही। उसे इतना ज्यादा मजा आ रेला था कि अपुन के सिर को पकड़ कर वो अपनी चूत में दबाती जा रेली थी।
साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् जान, ऐसा लगता है इस मजे से पागल हो जाऊंगी मैं।
अपुन ने इस बार भी कुछ नहीं कहा बल्कि अपनी जीभ से उसके दाने को छेड़ना छोड़ जीभ को नुकीला कर के उसके रस छोड़ते छेद में घुसा दिया। ऐसा करते ही साधना की कमर सोफे से उठ गई। वो मजे के चरम पर थी और अगले कुछ ही पलों में वो तेज तेज झटके खाते हुए झड़ने लगी।
उसका ढेर सारा कामरस बाहर निकला जिसे अपुन जितना हो सका निगलता चला गया। थोड़ी देर बाद जब साधना ठंडी पड़ गई और गहरी गहरी सांसें लेने लगी तो अपुन ने उसकी चूत से मुंह हटा लिया। अपुन का होठ ही नहीं बल्कि पूरा चेहरा उसके कामरस से पुत गयला था।
अगले ही पल अपुन उसके ऊपर आ कर उसके कामरस से पुता अपना चेहरा उसके होठों से लगा दिया। कामरस की मादक गंध मिलते ही साधना के जिस्म में हलचल हुई और उसने धीरे से आंखें खोली तो अपुन को खुद पर झुका पाया। अगले ही पल उसने अपुन का चेहरा थाम लिया और अपुन के चेहरे पर लगे अपने ही कामरस को जीभ निकाल कर चाटने लगी। थोड़ी ही देर में वो सब चाट गई और फिर एकदम से अपुन के होठों को चूसने लगी।
इधर अपुन का लन्ड अब उसकी चूत में जाने के लिए जैसे बुरी तरह मचल रेला था। अपुन ने उसी पोजिशन में खुद को एडजस्ट किया और अपने भन्नाए हुए लन्ड को एक हाथ से पकड़ कर साधना की चूत में सेट किया। उसके बाद तेजी से झटका दिया तो अगले ही पल वो दनदनाता हुआ आधे से ज्यादा उसकी चूत में घुस गया।
साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श धीरे से बाबू। दर्द हो रहा है।
अपुन ─ पहले जैसा दर्द नहीं होगा डियर। अब तो बस मीठा दर्द होगा और मजा आएगा।
कहने के साथ ही अपुन ने लन्ड को थोड़ा बाहर निकाला और इस बार पहले से भी तेज झटका दिया जिससे इस बार पूरा लन्ड साधना की चूत में घुस गया। साधना एक बार फिर से दर्द और मजे से सिसक उठी। उसने अपनी टांगें उठा कर अपुन की कमर में फंसा लिया और हाथों को अपुन की पीठ पर जमा लिया।
साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श चो..चोदो बाबू। अपनी साधना को आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श जोर जोर से चोदो। तुम्हारी ये साधना सिर्फ तुम्हारी है।
अपुन को भयंकर मजा आ रेला था इस लिए जोरदार धक्के लगा रेला था। उधर साधना मजे और मस्ती में जाने क्या क्या बोलती जा रेली थी।
साधना ─ उफ्फ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् ऐसे ही बाबू। अपनी साधना को आज जी भर के चोदो। फाड़ डालो मेरी आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श चूत को।
अपुन ─ हां लौड़ी, आज तेरी चूत को फाड़ ही डालेगा अपुन। बोले तो चोद चोद के तेरी चूत का भोसड़ा बना देगा अपुन।
साधना अपुन के मुख से गाली सुन पहले तो थोड़ा चौंकी मगर फिर से मस्ती में सिसकियां भरने लगी। अपने दोनों हाथों से कभी अपुन की पीठ सहलाती तो कभी अपुन के पिछवाड़ों को।
साधना ─ ओह! आह्हह्ह् शश्श्श्श मुझे ऐसे ही हर रोज तुम्हारे लंड से चुदना है बाबू। शश्श्श्श तुम मुझे रोज चोदोगे न जान?
अपुन ─ हां साधना, अपुन तुझे रोज इसी तरह चोदेगा। तेरे भाई अमित के सामने भी चोदेगा। तेरी मां के सामने भी चोदेगा। बोल चुदेगी न सबके सामने अपुन से?
साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श हां बाबू। मैं मम्मी पापा और भाई सबके सामने तुमसे चुदूंगी।
अपुन ─ सोच ले। बाद में मुकर तो नहीं जाएगी न?
साधना ─ न..नहीं बाबू शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् मैं नहीं मुकरूंगी।
अपुन ─ और अगर तेरे मम्मी पापा या भाई ने अपने सामने तुझे चोदने न दिया तो?
साधना ─ मैं...मैं आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श मैं तब भी तुमसे चुदूंगी ब...बाबू।
अपुन ─ सच कह रही है न या इस वक्त बस मजे में ऐसा बोल रेली है?
साधना ─ शश्श्श्श बाबू थोड़ा और जोर से चोदो न मुझे। नहीं बाबू लेकिन क्या तुम...आह्हह्ह् शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् सच में मेरे घर वालों के सामने मुझे चोदोगे?
अपुन ─ अगर तू सबके सामने चुदवाने को हां कहेगी तो बेशक सबके सामने तुझे चोदेगा अपुन।
साधना ─ ओह! बाबू शश्श्श्श ले..लेकिन इस तरह में तो हम दोनों बहुत बड़ी समस्या में पड़ जाएंगे।
अपुन ─ कैसी समस्या में?
साधना ─ हम दोनों के घर वाले शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् हमें जान से मार देंगे बाबू।
अपुन ─ हां ये तो सही कहा तूने। फिर तू ही बता कि हर रोज कैसे चुदेगी अपुन से?
साधना ─ मुझे नहीं पता बाबू। शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् तुम ही कोई सोल्यूशन ढूंढो।
अपुन ─ सोल्यूशन फिलहाल बाद में ढूंढेंगे। अभी तो अपुन तुझे पेल के चोदना चाहता है।
साधना ─ हां तो चोदो न बाबू। आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श उफ्फ तुम्हारा लन्ड मेरे पेट तक फील होता है जान।
अपुन ने देखा साधना आँखें बंद किए ये सब बकचोदी किए जा रेली थी। अपुन के हर धक्के में उसके गोल गुब्बारे उछल जाते थे। अपुन ने झुक कर उसकी एक चूची के निप्पल को मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसना काटना शुरू कर दिया। इस दोहरे हमले से साधना और भी बुरी तरह मचलते हुए सिसकियां भरने लगी।
थोड़ी ही देर में अपुन को ऐसा लगने लगा जैसे अपुन भी चरम पर पहुंचने वाला है। पूरे जिस्म का लहू एक अद्भुत रोमांच पैदा करते हुए अपुन के लन्ड की तरफ दौड़ता हुआ आ रेला था। उधर साधना अब कुछ ज़्यादा ही आहें भर रेली थी। पूरे ड्राइंग रूम में उसकी आहें और सिसकियां गूंज रेली थीं।
अपुन ─ आह्ह्ह्ह् साधना, मेरी जान लगता है अपुन का होने वाला है।
साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू मेरे अंदर अपना पानी मत छोड़ना।
अपुन ─ फिर कहां छोड़े अपुन?
साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् मुझे तुम्हारा पानी पीना है बाबू।
अपुन ─ ठीक है।
अपुन अब अपने पीक पर आ गयला था इस लिए पूरी ताकत और जोश से धक्के लगा रेला था। अगले ही पल साधना तेज तेज आहें भरते हुए एकदम से ऐंठ गई और थरथराते हुए झड़ने लगी। अपुन भी झड़ने वाला था इस लिए जल्दी से अपने लन्ड को उसकी चूत से निकाला और ऊपर की तरफ सरक कर उसके मुख में अपना लन्ड घुसेड़ दिया।
साधना अभी अभी झड़ी थी जिसके चलते वो ठंडी सी पड़ गईली थी। पर जैसे ही उसे अपने मुंह में अपुन के लन्ड का आभास हुआ तो उसने बड़ी मुश्किल से आँखें खोल कर अपुन को देखा और थोड़ा ताकत लगा कर उठी।
अपुन ─ आह्ह्ह्ह् जल्दी करो। अपुन झड़ने वाला है।
साधना ने किसी तरह बैठ कर जल्दी ही अपुन के लन्ड को पकड़ कर मुंह में लिया और जोर जोर से चूसने लगी। एक तो अपुन पहले ही पीक पर था, ऊपर से उसके मुंह का गर्म स्पर्श तथा तीसरे उसके द्वारा जोरदार चूसे जाने से कुछ ही पलों में अपुन मजे के सातवें असमान में पहुंच गया।
बेटीचोद ऐसा लगा जैसे आनंद की पराकाष्ठा में अपुन के जिस्म से जान ही निकलने लगी हो लौड़ा। एक के बाद एक पिचकारी उसके मुख में गिरने लगी थी। अपुन ने झट से उसके सिर को थाम लिया था और झटके खाते हुए उसके मुख में झड़ता जा रेला था। अपुन को ये तक होश नहीं था कि मजे की तरंग में पागल हो कर अपुन ने अपना पूरा लन्ड उसके मुख में ठूस दिया है।
होश तब आया जब साधना बुरी तरह मचलते हुए अपुन के जांघों पर जोर जोर से मारने लगी। अपुन ने झट से पिछवाड़ा पीछे किया जिससे अपुन का लंड एक झटके में उसके मुख से बाहर आ गया लौड़ा।
लन्ड के निकलते ही साधना बुरी तरह खांसने लगी। उसकी सांसें बुरी तरह उखड़ी हुईं थी। अपुन का पानी तो वो पी ही गई थी लेकिन कुछ उसके मुंह के किनारों से बाहर भी टपक रेला था।
अपुन ─ सॉरी यार। पता ही नहीं चला बेटीचोद कि कब अपुन ने पूरा लन्ड तुम्हारे मुंह में घुसेड़ दिया।
साधना की खांसी तो अब कम हो गईली थी लेकिन सांसें अभी भी उखड़ी हुईं थी। कुछ देर लगा उसे अपनी सांसों को दुरुस्त करने में।
साधना ─ ओह! बाबू तुम आखिर में पागल से हो जाते हो।
अपुन ─ सॉरी साधना। उस वक्त मजे में कुछ होश ही नहीं था।
साधना ─ इट्स ओके। ये बताओ तुम्हें मजा आया न?
अपुन ─ बहुत मजा आया मेरी जान। यू आर टू गुड, बोले तो अमेजिंग...वंडरफुल।
साधना ─ मुझे भी बहुत मज़ा आया बाबू। तुमसे इस तरह मिलने से पहले ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि चुदाई में इतना मजा आता होगा। थैंक्यू सो मच बाबू।
साधना अपुन को मोहब्बत की दीवानगी भरी निगाहों से देखने लगी थी और अपुन एक बार फिर उससे नज़रें मिलाने में कतराने लगा था।
साधना ─ अच्छा बाबू, तुम्हारा वीर्य तो सच में बहुत टेस्टी था। पता है आज मैं मोबाइल में कुछ चीजों के बारे में देख रही थी। गूगल में मैंने इस बारे में काफी कुछ खोजा और फिर पढ़ा। तब पता चला कि इसमें भी बहुत मज़ा आता है और पार्टनर्स को इससे सेटिस्फैक्शन मिलता है।
अपुन ─ ओह! ऐसा क्या। इसी लिए इतना मजे से और इतना बेझिझक हो के अपुन का लन्ड चूस रेली थी तुम।
साधना ये सुन कर पहले तो थोड़ा शरमाई फिर मुस्कुराते हुए बोली।
साधना ─ क्या करूं बाबू। कल तुम्हारा मूड खराब हो गया था इस लिए मैं चाहती थी कि नेक्स्ट टाइम जब हम दुबारा ये सब करें तो तुम्हारा मूड खराब न हो। बस इसी लिए नेट में खोज कर ये सब पढ़ा।
अपुन अच्छी तरह जानता था कि साधना अपुन से प्यार करती है और अपुन की खुशी के लिए सब कुछ करना चाहती है। असल में वो नहीं चाहती थी कि अपुन किसी भी वजह से उससे नाराज़ हो जाए या उससे दूर हो जाए। अपुन को थोड़ा ग्लानि हुई लेकिन फिर अपुन ने इस फीलिंग को झटक दिया।
ख़ैर अपुन ने जब देखा कि अभी दोपहर के तीन बज रेले हैं तो सोचा क्यों न एक बार और साधना को चोद लिया जाए। क्या पता बाद में उसके मम्मी पापा और अमित के आ जाने से हमें ये करने का मौका मिले न मिले।
ये सोच कर अपुन ने एक बार फिर आगे बढ़ कर उसकी चूचियों को थाम लिया और उन्हें हौले हौले मसलने लगा। ये देख साधना हौले से मुस्कुरा उठी।
साधना ─ लगता है मेरे बाबू का मन नहीं भरा है अभी?
अपुन ─ सही कहा मेरी जान। तुम्हें चोदने का फिर से मन हो रेला है। क्या तुम्हें नहीं लग रेला है कि अपन लोग को एक बार फिर से चुदाई कर लेनी चाहिए। शाम को तुम्हारे पापा आ जाएंगे और कल अमित के साथ तुम्हारी मम्मी भी आ जाएंगी तो क्या पता हमें इस तरह का मौका मिलेगा या नहीं।
साधना ─ हां सही कह रहे हो जान। ऐसा मौका शायद ही मिलेगा।
अपुन ─ इसी लिए तो बोल रेला है अपुन कि एक राउंड और हो जाए। वैसे अंकल जी कितने बजे तक आएंगे?
साधना ─ शायद पांच बजे तक।
अपुन ─ ओह! फिर तो अपन लोग को फ़ौरन एक राउंड कर लेना चाहिए। क्या कहती हो?
साधना ─ जो तुम्हें ठीक लगे जान लेकिन उससे पहले मैं वॉशरूम जाऊंगी। बड़ी जोर की लगी है न।
अपुन ─ ओह! अपुन भी तुम्हारे साथ चलेगा। अपुन को भी लगी है इस लिए दोनों एक साथ करेंगे।
साधना ─ क्या?? ओह! नहीं न बाबू। तुम्हारे सामने मुझे शर्म आएगी।
अपुन ─ यार अब शर्म करने लायक कुछ बचा है क्या हमारे बीच? चलो अब नखरे मत करो।
आखिर साधना को राजी होना ही पड़ा। थोड़ी ही देर में अपन दोनों उसके रूम के अटैच बाथरूम में पहुंच गए। दोनों ही नंगे थे इस लिए कपड़े या कच्छे उतारने का सवाल ही नहीं था। अपुन तो खड़े खड़े ही अपने लन्ड को पकड़ कर पिचकारी मारने का सोच लिया था लेकिन तभी अपुन को कुछ सूझा
अपुन ─ अपुन का लंड पकड़ो न साधना।
साधना ─ क्यों? मेरा मतलब है कि किस लिए?
अपुन ─ तुम अपने हाथों से पकड़ कर अपुन को पेशाब करवाओ।
साधना को पहले तो ये सुन के हैरानी भी हुई और शर्म भी आई लेकिन फिर उसने अपुन के लन्ड को पकड़ लिया। उसके कोमल हाथ का स्पर्श पाते ही लन्ड ने थोड़ा झटका दिया और फिर अगले कुछ ही पलों में उसके छेद से पेशाब की धार निकलने लगी। साधना बड़े गौर से ये देखने लगी थी।
साधना ─ माय गॉड इसकी धार तो बहुत दूर तक जा रही है बाबू।
अपुन ─ क्यों तुम लड़कियों की धार दूर तक नहीं जाती?
साधना (शर्म से मुस्कुराते हुए) ─ हम लड़कियां इस तरह खड़े खड़े नहीं कर सकतीं। इस लिए बैठ कर करती हैं तो बैठे बैठे ही पेशाब की धार थोड़ा दूर तक जाती है।
अपुन (गर्व से सीना चौड़ा कर के) ─ अपन मर्द लोग तो बेटीचोद दस फीट में बैठे आदमी को भी नहला सकते हैं।
साधना अपुन की बात सुन कर खिलखिला कर हंसने लगी। तभी अपुन के पेशाब की धार कमजोर होने लगी। अपुन समझ गया टंकी खाली होने वाली है लौड़ा। खैर कुछ ही पलों में अपुन का हो गया।
साधना ─ लो बाबू तुम्हारा तो हो गया। अब क्या हाथ हटा लूं?
अपुन ─ हां हटा लो और अब चलो अपुन तुम्हें भी पेशाब करवाता है।
साधना ये सुन कर फिर से शरमाई लेकिन फिर मुस्कुराते हुए बोली।
साधन ─ मुझे कैसे करवाओगे तुम? मेरा मतलब है कि मेरे पास तुम्हारे जैसे लन्ड थोड़ी है जिसे तुम आराम से पकड़ लोगे।
अपुन ─ हां बात तो तुम्हारी सही है पर फिर भी अपुन करवाएगा।
साधना (हैरानी से) ─ कैसे?
अपुन ─ कैसे क्या? अरे! अपुन तुम्हारी चूत के गुलाबी होठों के अगल बगल उंगलियां रख देगा और तुम मूतना शुरू कर देना।
साधना एक बार फिर से खिलखिला कर हंसने लगी। हालांकि पहले वो बुरी तरह शर्मा गईली थी।
साधना ─ न बाबू। ये ठीक नहीं है। मतलब कि ऐसे में मैं पेशाब नहीं कर पाऊंगी और अगर किसी तरह पेशाब निकला भी तो तुम्हारा हाथ ही गंदा हो जाएगा, आई मीन भींग जाएगा।
अपुन ─ कोई बात नहीं, भीगने दो। अपुन ने सोच लिया है कि तुम्हें इसी तरह पेशाब करवाएगा तो करवाएगा। चलो अब तुम भी नखरे न करो और शुरू हो जाओ।
साधना ने आगे भी कई बार मना किया लेकिन अपुन की जिद के आगे आखिर उसने हथियार डाल ही दिए। वैसे भी उसे जोरो की पेशाब लगी हुई थी इस लिए उसे करना ही पड़ा।
शर्म और झिझक के साथ वो बाथरूम के फर्श पर ही बैठने लगी तो अपुन ने उसे फौरन रोक लिया। बैठने से मुश्किल हो जानी थी इस लिए अपुन ने उसे खड़े खड़े ही मूतने को कहा। वो काफी झिझक रेली थी और शर्मा रेली थी लेकिन मारती क्या न करती वाली सिचुएशन में फंस गईली थी वो।
अपुन ने उसकी टांगों को थोड़ा फैला कर खड़ा होने को कहा तो वो वैसे ही खड़ी हो गई। उसके बाद अपुन के ही कहने पर वो मूतने को तैयार हुई लेकिन जोर का प्रेशर लगा होने के बाद भी उसकी चूत से पेशाब नहीं निकल रेला था। अपुन समझ गया कि लौड़ी अंदर से तैयार नहीं है। बोले तो शर्मा रेली है या झिझक रेली है....मगर कब तक?
थोड़ी ही देर में जब प्रेशर उसकी सहन शक्ति से बाहर हो गया तो उसने मूतना शुरू कर दिया। अपुन ने पहले ही उसकी चूत की गुलाबी पंखुड़ियों के अगल बगल उंगली लगा ली थी और थोड़ा फैला भी दिया था ताकि जब वो मूतना शुरू करे तो होठ चिपके होने की वजह से उसके पेशाब की धार यूं न निकले कि उसकी जांघों को ही भिंगोना शुरू कर दे।
साधना शर्म से आँखें बंद किए मूते जा रेली थी और उसके पेशाब की धार क्लियरली दोनों फैली जांघों के बीच गिरती जा रेली थी।
अपुन ─ अरे! लंबी छलांग लगाओ न यार। ये क्या है?
साधना का ये सुन कर मूतना रुक गया और वो आँखें बंद किए ही शर्म के मारे हंसने लगी।
साधना ─ ये तुम कैसी बातें कर रहे हो जान? तुम्हें बताया तो है मैंने कि हम लड़कियां खड़े होने पर दूर तक धार नहीं छोड़ सकतीं। अब प्लीज कुछ मत बोलना और मुझे पेशाब करने दो।
अपुन भी समझ रेला था कि वो सच ही बोल रेली थी। बोले तो ऊपर वाले ने ऐसी कलाकारी अपन मर्दों के लिए ही रची थी। खैर कुछ देर बाद उसका भी हो गया तो वो ठीक से खड़ी हो गई। उसके बाद उसने पानी से अपनी चूत साफ की। अपुन ने भी अपने लंड को धो कर साफ कर लिया।
बाथरूम से अपन दोनों बाहर आ गए और फिर से एक दूसरे में खोने लगे। साधना जब मूड में आई तो उसने कहा कि इस बार वो अपुन के ऊपर आ कर लन्ड पर उछल उछल कर चुदेगी। अपुन ने ऐसा ही किया।
इस बार अपन दोनों उसके कमरे में ही बेड पर चुदाई का कार्यक्रम कर रेले थे। साधना काफी देर तक मस्ती में अपुन के लन्ड पर उछलती रही। फिर जब वो थक गई तो अपुन ने उसे नीचे लिटाया और ताबड़तोड़ धक्कों की बरसात करने लगा लौड़ा। करीब पंद्रह मिनट की भीषण पलंगतोड़ चुदाई के बाद अपन दोनों ही झड़ गए बेटीचोद।
चार बजने वाले थे इस लिए अपन दोनों ने कार्यक्रम को यहीं पर विराम देने का सोचा और बाहर ड्राइंग रूम में आ कर अपने अपने कपड़े पहनने लगे।
कपड़े पहन कर अपुन उसके घर से चला तो उसने अपुन को जाने देने से पहले स्मूच किस किया और फिर किसी बहाने हर रोज घर आने का बोल कर उसने अपुन को बाय किया।
उसके घर से बाहर आया तो देखा मोबाइल में साक्षी दी के दो मिस कॉल पड़े थे। ये देख अपुन एकदम से टेंशन में आ गया लौड़ा।
Sadhna di:- Wo...wo mujhe ek baar tumhare hotho ko choomna hai. Please...itna to kar lene do mujhe.
Apun to ye sun ke gaand tak shock ho gaya lauda. Pahli baar apun ko realise hua ki ye laudi to sach me apun se love karti hai, tabhi to itni feelings ke sath aisi maang kar reli hai. Par apun ab confusion me aa gayla tha ki uski ye khwaish pure kare ki nahi?
Ab aage...
अपुन भारी असमंजस में था।
साधना दी उम्मीद भरी नजरों से अपुन को देखे जा रेली थीं। वैसे मन तो अपुन का भी कर रेला था कि उनके गुलाबी होठों को मुंह में भर के चूसे मगर अपुन ये सोच के डर रेला था कि कहीं वो लौड़ी अपुन को और चीज़ों के लिए मजबूर न करने लगें। मतलब कि─प्यार व्यार और शादी वादी लौड़ा।
साधना दी─ इतना क्या सोच रहे हो? एक बार चूम लेने दो न अपने होठों को। उसके बाद कभी तुमसे कुछ नहीं मांगूंगी। क्या तुम मेरी इतनी सी इच्छा भी पूरी नहीं कर सकते?
अपुन─ ठीक है, लेकिन अपुन को कभी किसी प्यार व्यार वाले रिश्ते में नहीं फांसना।
साधना दी─ जब तुम मेरे बारे में ऐसा सोचते ही नहीं तो मैं भी तुम्हें इसके लिए कभी मजबूर नहीं करूंगी..लेकिन..।
अपुन─ लेकिन??
साधना दी─ मुझे कभी इग्नोर मत करना और ना ही मुझसे बात करना बंद करना।
अपुन─ ठीक है।
साधना दी─ अब चूम लूं न तुम्हारे होठों को?
अपुन तो खुद ही यही चाहता था लौड़ा। बस थोड़ा संतुष्ट हो जाना चाहता था कि बाद में कोई लफड़े वाली बात न हो। साधना दी अपुन को ही देख रेली थीं। अपुन ने पलकें झपका कर उन्हें होठ चूमने की इजाज़त दे दी।
इजाज़त मिलते ही उनके चेहरे पर खुशी के भाव उभर आए और फिर वो एकदम से जैसे अपुन पर झपट ही पड़ी लौड़ी। बोले तो अपुन को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि वो इतनी बेसब्री दिखाएंगी। उन्होंने अपने दोनों हाथों से अपुन का चेहरा पकड़ा और फिर पूरी एड़ी उठा कर अपुन के होठों को चूमने लगीं।
पहले तो अपुन को लगा था कि वो बस अपुन के होठ चूम के हट जाएंगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ लौड़ा। बोले तो पहले उन्होंने पुच्च पुच्च कर के दो तीन बार जल्दी जल्दी चूमा और फिर एकदम से अपुन के होठों को अपने मुंह में ही भर लिया।
अपुन को तो बड़े ज़ोर का झटका लगा लौड़ा। पूरे शरीर में करेंट दौड़ गया बेटीचोद। यहां तक कि अपुन का 12 इंच का लौड़ा एक झटके में सिर उठा लिया।
वो लौड़ी मजे से अपुन के होठ चूसे जा रेली थी। अपुन एकदम बुत बन गया था लेकिन जल्दी ही अपुन होश में आया। दिमाग़ में एक ही खयाल आया कि बेटीचोद जब वो खुद ही ऐसा कर रेली है तो अपुन क्यों गधा बन के चुप खड़ा रहे?
बस, फिर अपुन सब कुछ भूल गया और साधना दी को पकड़ कर अपुन भी उनके होठों को मुंह में भर के चूसना शुरू कर दिया। अपुन की इस हरकत से पहले तो वो चौंकीं लेकिन फिर दोगुने जोश के साथ अपुन को चूमने चाटने लगी।
बेटीचोद क्या होठ थे लौड़ी के। बोले तो एकदम सॉफ्ट और मीठे। अपुन कभी उसके निचले होठ को मुंह में भर लेता तो कभी ऊपर वाले को। लौड़ा, दो मिनट के अंदर ही अपुन की हालत खराब हो गई। अपुन का लौड़ा बहिनचोद पूरे आकार में खड़ा हो गएला था और साधना दी की नाभी के पास कुर्ते के ऊपर से चुभने लगा था। उधर वो तो लौड़ी मस्ती में चूसे ही जा रेली थी अपुन के होठों को।
कुछ ही देर में अपन दोनों की सांसें फूलने लगीं मगर वो लौड़ी अपुन से अलग ही नहीं हो रेली थी। अपुन समझ गया कि साधना दी जोश जोश में अब गरम भी हो गईली है। तभी तो लौड़ी का जोश बढ़ता ही जा रेला है। अपुन ने सोचा जब इतना हो ही रेला है तो थोड़ा और आगे बढ़ जाते हैं लौड़ा।
अपुन ने अपना एक हाथ उसके चेहरे से हटाया और नीचे खिसका कर कुर्ते के ऊपर से ही उनकी राइट चूची पर रख दिया और सिर्फ रखा ही नहीं बल्कि जोश में उसे दबा भी दिया लौड़ा। अपुन के ऐसा करते ही साधना दी को एकदम से झटका लगा और उनको होश आया। उन्होंने फ़ौरन ही अपना एक हाथ अपुन के उस हाथ के ऊपर रखा और फिर झट से अपुन के हाथ को हटा के अपुन से थोड़ा दूर हो खड़ी गई।
अपुन को भी एकदम से होश आया और अपुन उनकी तरफ देखने लगा। साधना दी का पूरा चेहरा गुलाबी गुलाबी हो गयला था। आंखों में मदहोशी का नशा साफ दिख रेला था। उन्होंने गहरी गहरी सांस लेते हुए अपुन को कुछ पलों तक देखा और फिर एकदम से शर्मा कर चेहरा झुका लिया।
साधना दी─ ये...ये तुम क्या करने लगे थे विराट?
अपुन─ सॉरी दी, अपुन को पताइच नहीं चला कब अपुन का हाथ आपके बू...अपुन का मतलब है कि आपके सीने पर चला गया...सॉरी।
साधना दी कुछ न बोली। उनके चेहरे पर अभी भी शर्म की लाली थी और वो अभी भी गहरी गहरी सांसें ले रेली थी। बार बार सिर उठा कर अपुन को देखती पर अपुन से नज़रें नहीं मिला पा रेली थीं।
अपुन ये देख कर थोड़ा खुश हुआ कि अपुन के द्वारा दूध दबाए जाने पर वो अपुन पर गुस्सा नहीं हुई है।
अपुन─ वैसे आपने अपुन के साथ नाइंसाफी की है दी।
साधना दी─ न..ना इंसाफी?? वो कैसे?
अपुन─ आपने बोला था कि आप सिर्फ एक बार अपुन के होठ चूमना चाहती हैं जबकि आपने तो बार बार चूमा और फिर मुंह में भर के चूसना ही शुरू कर दिया। अपुन तो एकदम से शॉक ही रह गयला था। फिर जब अंजाने में अपुन ने आपके बू...मतलब कि आपके ब्रेस्ट पर हाथ रख के थोड़ा दबा दिया तो आपने झट से अपुन का हाथ उसमें से हटा दिया और अपुन से दूर भी खड़ी हो गई। अब आप ही बताओ, आपने ऐसा कर के अपुन के साथ इंसाफ किया या नाइंसाफी की? मतलब कि आपने तो अपने मन का जो किया वो जी भर के किया और अपुन ने गलती से आपका वो दबा दिया तो अपुन का हाथ ही हटा दिया?
साधना दी अपुन की ये बात सुन के पहले तो शॉक हुईं फिर एकदम से शर्माने लगीं। अपुन समझ गया कि लौड़ी अपुन से नाराज़ नहीं है और कहीं न कहीं उसे भी अच्छा लगा होगा तभी तो ऐसे शर्मा रेली है।
अपुन─ समझ गया अपुन। दुनिया में सब लोग सिर्फ अपना ही फायदा देखते हैं। आपने भी ऐसा ही किया। कोई बात नहीं, जा रेला है अपुन।
साधना दी─ वि..विराट ऐसा मत कहो प्लीज। मैंने कोई फायदा नहीं देखा है अपना। वो तो....वो तो जब मैं तुम्हारे होठ चूमने लगी तो पता नहीं कैसे मैं अपने होश ही गंवाती चली गई थी। फिर मुझे पता ही नहीं चला कि मैं क्या करती चली गई। पता तो तब चला जब तुमने मेरे बू...मतलब मेरे उसको द..दबाया।
अपुन─ वो तो अंजाने में अपुन का हाथ आपके ब्रेस्ट पर चला गया था दी। अपुन ने जान बूझ के नहीं किया था पर अब अगर अपुन आपसे ये कहे कि अपुन की भी इच्छा आपके ब्रेस्ट दबाने की है तो क्या आप मना करेंगी?
साधना दी अपुन को आश्चर्य से देखने लगीं। अपुन भी लौड़ा घबराने लगा कि कहीं अपुन की इस बात से वो लौड़ी नाराज़ न हो जाए।
साधना दी─ य..ये तुम क्या कह रहे हो विराट? ये...ये तो ग़लत है न? क्या सच में तुम ये चाहते हो?
अपुन─ गलत तो आपका अपुन के होठ चूमना चाटना भी था दी लेकिन फिर भी आपने ऐसा किया कि नहीं? और अब जब अपुन अपनी इच्छा से एक बार आपके बू...मतलब कि ब्रेस्ट दबाने को बोल रेला है तो आपको ये गलत लग रेला है?
साधना दी भारी असमंजस में फंस गईली थी। इतना तो उनको भी समझ आ गया था कि जो उन्होंने किया वो भी तो गलत ही था। यानि उसको प्यार का नाम दे कर सही नहीं ठहराया जा सकता था। वहीं अब जब अपुन भी उनके जैसे कुछ करने की इच्छा जता रेला था तो वो उसे गलत बोल रेली थीं।
साधना दी─ स...समझने की कोशिश करो विराट। होठों पर किस करने की बात अलग होती है लेकिन वहां पर हाथ लगाना अलग होता है।
अपुन─ ठीक है। अगर आपको सच में ऐसा लगता है तो यही सही। अच्छा अब जा रेला है अपुन।
सच तो ये था कि अपुन को उनकी ये बात सुन के गुस्सा ही आ गयला था बेटीचोद। खुद तो लौड़ी ने अपुन के होठों को दबा दबा के चूस लिया था और अब जब अपुन उसके दूध दबाने की इच्छा कर रेला था तो लौड़ी सही गलत का ज्ञान चोद रेली थी।
अपुन ने एक झटके से कुंडी सरकाई और दरवाजा खोल के बाहर निकल गया। पीछे से साधना ने अपुन को रुक जाने के लिए आवाज़ भी दी लेकिन अपुन न रुका। बोले तो भेजा खिसक गयला था अपुन का।
थोड़ी ही देर में अपुन बाइक में बैठ के निकल लिया वहां से। मन में गुस्सा तो बहुत था लेकिन क्या कर सकता था अपुन। जल्दी ही अपुन घर पहुंच गया।
डोर बेल बजाने पर सीमा ने दरवाजा खोला। अपुन ने एक नज़र उसे देखा और सीधा अंदर चला गया। बेटीचोद, अभी भी मूड खराब था अपुन का। सीढ़ियों के पास पहुंचा ही था कि सीमा की आवाज कानों में पड़ी।
सीमा─ खाना लगा दूं बाबू?
अपुन का भेजा खिसका हुआ तो था लेकिन फिर सोचा कि इसमें इस लौड़ी का भला क्या दोष? वैसे भी लंच तो करना ही था क्योंकि अब भूख समझ में आ रेली थी। इस लिए अपुन ने सीमा को खाना लगाने के लिए हां कहा और ऊपर चला गया।
कमरे में जैसे ही दाखिल हुआ तो देखा विधी बेड पर बैठी मोबाइल से सेल्फी ले रही थी थी।
उसे अपने रूम में देख अपुन तो चौंक ही गया लौड़ा। सोचा, ये लौड़ी तो रात में सोने को बोली थी फिर अभी से क्यों अपुन के कमरे में है? उधर अपुन को आया देख उसके होठों पर गहरी मुस्कान उभर आई। मोबाइल को झट से एक तरफ रख वो उठ के बैठ गई।
विधी (खुशी से)─ वो क्या है ना, मैंने सोचा रात होने का वेट क्यों करूं इस लिए अभी से तेरे रूम में आ जाती हूं...हां नहीं तो।
अपुन (उसे घूर कर)─ तूने लंच किया कि नहीं?
विधी─ कहां किया, तेरा इंतज़ार कर रही थी। तुझे मैसेज भी किया था पर तूने कोई रिप्लाई ही नहीं दिया। वैसे तो बड़ा कहता है कि मैं तेरी जान हूं लेकिन मेरे मैसेज का रिप्लाई तक नहीं दिया। भुलक्कड़ कहीं का...हां नहीं तो।
अपुन अब उसे कैसे बताता कि अपुन को मोबाइल देखने का समय ही कहां मिला था लौड़ा? अपुन तो आज अलग ही खेल खेल रेला था। ये अलग बात है कि लास्ट टाइम में अपुन का मूड फ्राई हो गयला था।
अपुन─ सॉरी यार, अपुन ने मोबाइल देखा ही नहीं वरना क्या अपुन अपनी जान को रिप्लाई न देता? (अब मस्का तो लगाना ही था अपुन को, मजबूरी थी लौड़ा)
विधी─ चल अब बातें न बना। मुझे बड़े जोर की भूख लगी है। जल्दी चल और अपने हाथ से खिला मुझे वरना नाराज़ हो जाऊंगी तुझसे, हां नहीं तो।
एक तो वैसे ही अपुन का भेजा थोड़ा खिसका हुआ था ऊपर से ये लौड़ी इस तरह का नाटक कर रेली थी। मन तो किया कि कान के नीचे एक कंटाप लगा दे अपुन लेकिन फिर सोचा अगर ऐसा किया तो लौड़ा एक नई मुसीबत हो जाएगी।
ये सोच के अपुन ने जबरदस्ती अपुन के होठों पर मुस्कान फैलाई और उसे देखा ताकि लौड़ी को यही लगे कि अपुन उसे खिलाने के लिए रेडी है।
अपुन की मुस्कान काम कर गई लौड़ा, क्योंकि वो खुश हो गई, होती भी कैसे नहीं? लौड़ी यहीच सोच रेली होगी कि कैसे वो अपुन से हर बात मनवा लेती है।
ख़ैर अपुन ने फटाफट कपड़े बदले और लोअर के ऊपर एक टी शर्ट डाल ली। शीशे के सामने खड़े हो कर थोड़ा बालों को ठीक किया।
विधी─ अरे! हैंडसम लग रहा है तू, और कितना बाल बनाएगा?
अपुन─ हां हैंडसम तो है अपुन, बोले तो एकदम झक्कास लगता है अपुन।
विधी (हंसते हुए)─ देखो तो, अपनी तारीफ खुद ही कर रहा है।
अपुन ने पलट कर उसे घूरा तो उसकी हंसी बंद हो गई।
अपुन─ अब भूख नहीं लगी तुझे?
विधी─ अरे! बहुत तेज लगी है भाई, चल ना जल्दी वरना चूहे मेरी अंतड़ियां ही खा जाएंगे, हां नहीं तो।
अपन दोनों नीचे डायनिंग हॉल में आए और अगल बगल से कुर्सी में बैठ गए। सीमा ने हम दोनों के सामने थाली सजा के रख दी। अपुन ने आव देखा न ताव झट खाना शुरू कर दिया जबकि विधी चुप बैठी रही। जब उसने देखा कि अपुन तो खाने पर टूट ही पड़ा है और उसे खिला नहीं रहा तो वो एकदम से चीख पड़ी।
उसकी चीख सुन अपुन उछल ही पड़ा लौड़ा। उसकी तरफ देखा तो वो गुस्से से अपुन को देखे जा रेली थी। पहले तो अपुन को समझ में ही न आया कि लौड़ी चीखी क्यों लेकिन फिर दिमाग की बत्ती जल उठी कि लौड़ा इसने तो अपुन को खुद खिलाने को बोला था। अपुन ने झट से अपने कान पकड़ लिए और उसे सॉरी का रिएक्शन दिया।
वो लौड़ी तब भी गुस्से से देखे जा रेली थी। अपुन ने झट से उसकी थाली से रोटी का एक टुकड़ा तोड़ा और दाल में डुबा कर उसके मुंह की तरफ बढ़ा दिया। उसने अपुन को घूरते हुए मुंह खोला तो अपुन ने निवाला उसके मुंह में डाल दिया।
अपुन─ तुझे नहीं लगता कि तू कुछ ज़्यादा ही फायदा उठा रेली है?
विधी─ क..क्या मतलब??
अपुन─ मतलब ये कि अपुन की नरमी का तू कुछ ज़्यादा ही फायदा नहीं उठा रही? कुछ ज़्यादा ही नखरे नहीं कर रही तू?
विधी─ हां तो? अब गलती करेगा तो गुस्सा तो करूंगी न? और तेरी जान हूं तो नखरा भी दिखाऊंगी न, हां नहीं तो।
अपुन─ फिर तो बड़ी मतलबी है तू।
विधी─ कैसे?
अपुन─ खुद तो तू ये चाहती है कि अपुन तेरे नखरे सहे पर तू ये नहीं सोचती कि अपुन भी तो तुझसे कुछ उम्मीद करता होगा?
विधी निवाला चबाना बंद कर के अपुन को ध्यान से देखने लगी। शायद समझने की कोशिश कर रेली थी कि अपुन के ऐसा कहने का आखिर क्या मतलब है?
विधी─ तू क्या कह रहा है मुझे कुछ समझ नहीं आया।
अपुन─ आदमी को समझ में तब आता है जब वो अपने अलावा भी किसी और के बारे में सोचे। खैर जाने दे, चल अब जल्दी जल्दी खा।
विधी बड़ी उलझन में दिख रेली थी लेकिन बोली कुछ नहीं। ख़ैर थोड़ी देर में अपन लोग खा चुके तो दोनों हाथ धो कर रूम में आ गए। विधी अपने रूम में न गई बल्कि वो अपुन के पीछे पीछे अपुन के ही रूम में आ गई।
अपुन─ अरे! तू अपुन के पीछे यहां क्यों आ गईली है? अपने रूम में जा, अपुन को आराम करने का है अब।
विधी─ हां तो तू आराम कर न। मैंने कब आराम करने से रोका तुझे, हां नहीं तो।
अपुन─ अरे! अपुन अकेले बेड पर लेट कर आराम करेगा। तू साथ रहेगी तो अपुन के आराम में खलल पड़ेगा।
विधी─ अरे! ऐसे कैसे खलल पड़ेगा भला? मैं क्या तुझे आराम करने से रोकूंगी?
अपुन─ रोकेगी नहीं लेकिन जब अपुन अपने बेड पर किसी लड़की को लेटा देखेगा तो अपुन को ठीक से नींद ही नहीं आएगी। दूसरी बात, अपुन जब बेड में अकेला सोता है तो बहुत अजीब तरह से सोता है। मतलब कि अपुन पूरे बेड में इधर से उधर घूमता रहता है। ऐसे में अगर तू यहां लेटेगी तो तुझे बहुत प्रॉब्लम होगी, समझ बात को।
विधी हैरानी से देखने लगी अपुन को।
विधी─ इसका मतलब तू रात में भी मुझको अपने साथ यहां सोने नहीं देगा?
अपुन─ रात में सोने देगा क्योंकि ऐसा अपुन ने पहले ही तुझसे प्रॉमिस कर दिएला है।
विधी─ हां तो क्या रात में तू अजीब तरह से नहीं सोएगा? तब क्या तेरे ऐसे सोने से मुझे प्रॉब्लम नहीं होगी?
अपुन─ प्रॉब्लम तो होगी लेकिन तब अपुन को टेंशन नहीं रहेगा क्योंकि तब अपुन यही सोचेगा कि अपुन के साथ सोने के लिए तो तू ही ज़िद कर रेली थी। इस लिए अब जो भी प्रॉब्लम आएगी तुझे झेलना ही पड़ेगा।
विधी─ कितना गंदा है तू। वैसे तो कहता है कि मैं तेरी जान हूं और अब मेरी कोई फिक्र ही नहीं है तुझे। जा रही हूं मैं, नहीं सोना मुझे तेरे साथ। आज के बाद बात भी नहीं करूंगी तुझसे, हां नहीं तो।
अपुन ने ऊपर ऊपर से उसे रुकने को कहा लेकिन वो न रुकी और चली गई। शायद सच में गुस्सा हो गईली थी। अपुन भी ये सोच के उसे मनाने नहीं उठा कि बाद में तो मना ही लेगा उसे।
असल में अपुन सच में इस वक्त अकेला रहना चाहता था और साधना दी के साथ आज जो हुआ उसके बारे में ठीक से सोचना चाहता था। विधी के रहते अपुन कुछ सोच ही न पाता, उल्टा उसकी बक बक से ही परेशान हो जाता लौड़ा।
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बेड पर लेटा अपुन काफी देर से साधना दी के बारे में सोच रेला था। अपुन सोच रेला था कि साधना दी सच में शायद अपुन से सच्चा वाला प्यार कर रेली हैं। तभी तो इतना जल्दी अपनी मां को बता देने का बोल रेली थीं और तो और शादी करने की बात भी बोल रेली थीं लौड़ा। अपुन सोचने लगा कि अच्छा हुआ अपुन समय रहते उनको साफ मना कर दिया था वरना आगे चल कर वो अपुन के गले भी पड़ सकती थी लौड़ी।
फिर उसके बाद जो उसने किया और जो अपुन से भी हुआ वो तो लौड़ा सोचा ही नहीं था अपुन ने। अपुन को याद आया कि कैसे वो अपुन के होठ चूसे जा रेली थी और अपुन भी उसके रसीले होठ चूस रेला था। फिर अपुन को याद आया कि अपुन ने उसका एक दूध दबाया था पर लौड़ी ने जल्दी ही अपुन के हाथ को अपने दूध से हटा दिया था और अपुन से दूर भी हो गईली थी।
ये बात सोचते ही अपुन का दिमाग फिर से खराब होने लगा लौड़ा। अपुन ने सोचा, खुद तो मजे से अपुन के होठ चूस रेली थी लौड़ी और जब अपुन ने उसके दूध को दबाया तो अपुन का हाथ ही हटा दिया। हट लौड़ी, अब तो बात ही नहीं करेगा अपुन इससे।
अपुन ने अपने दिमाग से ये सारी बातें झटक दी और अब सोने की कोशिश करने लगा। तभी अपुन ने महसूस किया कि लौड़ा कुछ भिनभिना रेला है। अपुन ने दिमाग पर ज़ोर दिया तो समझ आया कि लौड़ा ये तो अपुन का मोबाइल है जो भिनभिना रेला है।
अपुन झट से उठा और पेंट की जेब से मोबाइल निकाला। स्क्रीन पर नज़र पड़ी तो देखा साधना दी का कॉल आ रेला था। ये देख अपुन सोचने लगा कि अब ये लौड़ी क्यों अपुन को कॉल कर रेली है? ज़रूर सॉरी बोलने के लिए अपुन को कॉल कर रेली है पर अपुन लौड़ा माफ नहीं करेगा, हां नहीं तो। (अबे, ये तो विधी का तकिया कलाम है। अपुन के मन में कैसे आ गया लौड़ा? लगता है एक ही दिन के साथ में अपुन पर उसका असर हो गएला है लौड़ा।)
ख़ैर अपुन ने साधना दी का कॉल नहीं उठाया और मोबाइल ले कर बेड पर आ गया। अपुन सोचने लगा कि अगर वो अपुन से सॉरी बोलेगी तो अपुन को उससे क्या बोलना चाहिए? मतलब कि सॉरी के बदले कोई न कोई डिमांड तो अपुन को उससे करना ही चाहिए। क्या पता वो मान लें और अपुन की निकल पड़े?
अभी अपुन ये सोच ही रेला था कि तभी फिर से साधना दी का कॉल आने लगा और अपुन का मोबाइल भिनभिनाने लगा। कॉल दुबारा आया देख अपुन का दिल धक धक करने लगा था लौड़ा। कुछ इस लिए भी क्योंकि अपुन के मन में अलग ही लौड़ा लहसुन चल रेला था। पर इस बार अपुन ने कॉल उठा लेना ही ठीक समझा वरना क्या पता तीसरी बार वो कॉल ही न करे।
ये सोच कर अपुन ने कॉल रिसीव कर लिया और मोबाइल कान से लगा लिया। फिर एकदम से अपुन को खयाल आया कि अपुन को थोड़ा गुस्सा दिखाना होगा तभी तो वो लौड़ी मिन्नतें भी करेगी अपुन से बात करने के वास्ते।
अपुन─ अब क्या है? किस लिए फोन कर रही हो आप?
साधना दी─ ओह! शुक्र है कि तुमने फ़ोन उठा लिया। क्यों मेरी हालत खराब करने पर तुले हो? कब से कॉल कर रही थी तुम्हें पर तुम मेरा कॉल ही नहीं उठा रहे थे। क्या बहुत गुस्सा हो गए हो मुझसे?
अपुन समझ गया कि मामला अपुन के फेवर में ही है लौड़ा। मतलब कि अगर अपुन जवाब में ये बोले कि हां अपुन बहुत गुस्सा है तो शायद वो अपुन को मनाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाए लौड़ी।
अपुन─ आपको अपुन के गुस्से से क्या? आपको तो सिर्फ अपना देखना था और अपने फायदे से मतलब था।
साधना दी─ प्लीज ऐसा मत कहो। मुझे समझ आ गया है कि मेरी गलती थी। मैंने जो इच्छा की वो तुमने मुझे दी पर तुमने जो इच्छा की वो मैं नहीं कर सकी। हां विराट, तुम्हारे इस तरह जाने के बाद जब मैंने इस बारे में सोचा तो मुझे एहसास हुआ कि मुझे भी तेरी इच्छा पूरी करनी चाहिए थी।
बेटीचोद, ये तो सच में कमाल हो गया लौड़ा। मतलब कि अपुन का गुस्सा होना काम कर गया। तभी तो वो अपुन को मनाने के लिए ऐसा बोल रेली है और मान भी चुकी है कि उसे अपुन की इच्छा पूरी करनी चाहिए थी।
अपुन─ अब एहसास होने का क्या फ़ायदा? आपको तो अब भी अपुन की इच्छा से कोई मतलब नहीं है।
साधना दी─ नहीं नहीं विराट, ऐसा नहीं है कसम से। अगर तुम्हारी इच्छा मेरे उनको दबाने की ही है तो मैं अब तुम्हें नहीं रोकूंगी। बस तुम गुस्सा मत होना मुझसे।
अपुन खुश तो हुआ पर इतना जल्दी मानना नहीं था अपुन को वरना वो यही समझती कि अपुन मान जाने के लिए तैयार ही बैठा था लौड़ा। इस लिए अपुन ने थोड़ा और सताने का सोचा।
अपुन─ अपुन की नाराजगी इतना जल्दी खत्म नहीं होगी। आपने तो सिर्फ एक बार अपुन के होठों पर किस करने को बोला था पर आपने एक बार नहीं बल्कि बार बार किस किया और फिर जी भर के अपुन के होठों को चूस भी लिया पर जब अपुन ने थोड़ा सा आपके ब्रेस्ट को दबा दिया तो आपने झट से अपुन का हाथ हटा दिया वहां से। मतलब आपने जो किया वो सही था और अपुन ने जो किया वो आपकी नजर में गलत हो गया?
साधना दी─ माफ़ कर दो न मुझे। मानती हूं कि मैंने तुम्हें रोक कर गलत किया था लेकिन अब नहीं रोकूंगी तुम्हें। प्लीज मान जाओ न। क्यों अपनी दी को इतना सता रहे हो? तुम्हें पता है, जब से तुम गुस्सा हो के गए हो तब से टेंशन में बैठी हूं। रोई भी हूं और खाना भी नहीं खाई।
ये क्या बोल रेली है लौड़ी। अपुन तो शॉक ही हो गया लौड़ा। लड़कियों का भी बेटीचोद अलग ही हिसाब किताब रहता है। इनका भेद शायद ही कोई जान पाए। ख़ैर अब क्योंकि वो अपुन की वजह से टेंशन में थी और अभी तक खाना भी नहीं खाई थी इस लिए अपुन को थोड़ा नर्म तो होना ही चाहिए वरना मामला बनने की जगह बिगड़ भी जाएगा।
अपुन─ अरे! ये क्या बोल रेली हो आप? खाना क्यों नहीं खाया आपने?
साधना दी─ तुम मेरी वजह से गुस्सा हो के चले गए तो मेरी हालत ही खराब हो गई थी। ऊपर से तुम मेरा फोन भी नहीं उठा रहे थे। मैं इतना हताश हो गई थी कि बस जोर जोर से रोने का मन कर रहा था। ऐसे में खाना खाने का कैसे होश रहता मुझे?
बात तो सही थी लौड़ा। अपुन को सच में एहसास हुआ कि अपुन नाहक ही गुस्सा हो के आया था वहां से। बेटीचोद, सोचना चाहिए था अपुन को कि अभी नहीं तो कल वो अपुन को कुछ करने से नहीं रोकेगी। खैर, अपुन ने सोचा कि अब गुस्सा थूक कर उसे रिलैक्स कर देना चाहिए।
अपुन─ ओके फाईन, अब आप रिलैक्स हो जाओ और खाना खा लो।
साधना दी─ कैसे रिलैक्स हो जाऊं? तुम जो गुस्से में चले गए हो।
अपुन─ कोई बात नहीं। अब अपुन गुस्सा नहीं है। चलो जाओ, खाना खा लो आप।
साधना दी─ मैं कैसे मान लूं कि तुम अब गुस्सा नहीं हो?
अपुन─ तो फिर कैसे मानोगी आप?
साधना दी─ अगर तुम मेरे कहने पर अभी मेरे घर आ जाओगे तो मान लूंगी। प्लीज, आ जाओ न।
अपुन तो लौड़ा फिर से शॉक हो गया। अपुन सोचने लगा कि आज इस लौड़ी को हो क्या गयला है? कहीं अपुन को इस टाइम दुबारा घर बुला कर कोई लफड़ा तो न कर देगी? अगर ऐसा हुआ तो लौड़ा अपुन के तो लौड़े ही लग जाएंगे।
साधना दी─ प्लीज मान जाओ न। मेरे खातिर एक बार घर आ जाओ। मुझे इस वक्त कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा।
अपुन ने सोचा एक बार जा के देख ही लेना चाहिए लौड़ा। क्या पता सच में उसकी हालत खराब ही हो और अपुन बेकार ही किसी लफड़े का सोच रेला है।
अपुन─ अच्छा ठीक है आ रेला है अपुन।
साधना दी (खुश हो कर)─ थैंक यू...थैंक यू सो मच माई डियर..माई लव। प्लीज जल्दी से आ जाओ।
जिस तरह वो खुश हो गईली थी और जिस तरह उतावली हो रेली थी उससे अपुन को लगा लौड़ी पगला तो नहीं गई? पर ख़ैर अपुन ने कॉल डिस्कनेक्ट किया और बेड से उठ कर कपड़े बदलने लगा।
मन में यही चल रेला था कि जब अपुन उसके घर पहुंचेगा और उसके सामने होगा तब वो क्या करेगी? ख़ैर ये तो अब जाने के बाद ही पता चलना था। अपुन फटाफट तैयार हुआ और बाइक की चाबी ले कर कमरे से निकल लिया। मन में खुशी के लड्डू फूटने से अपुन रोक नहीं पा रेला था लौड़ा।
To be continued....
Ab se har update hindi/devnagari me hi aayega. Hinglish/roman me apan ko maza nahi aa rela hai.