इससे पहले कि वो कुछ करती अपुन झट आगे को हुआ और उसके कांपते होठों को चूम लिया। दिव्या एक बार फिर से थरथरा गई लेकिन उसने खुद को अपुन से दूर करने का कोई प्रयास नहीं किया। ये देख अपुन ने एक बार फिर से उसके होठों को चूमा और फिर एकदम से उसके होठों को मुंह में भर लिया। बेटीचोद अब अपुन से सबर नहीं हो रेला था। पीछे से अपुन से चिपकी विधी सब देख रेली थी जिसके चलते अपुन को कुछ अलग ही तरह का मजा और रोमांच फील हो रेला था।
अब आगे....
अपुन मस्त दिव्या के रसीले होठ चूसने में लगा हुआ था और पीछे से विधी ये सब देखते हुए अपुन की पीठ पर अपने बूब्स रगड़ रेली थी। शायद ये सब देख के उसके अंदर रोमांच बढ़ रेला था या शायद वो खुद भी मदहोश हुई जा रेली थी।
इधर दिव्या कुछ देर तक तो बुत सी लेटी रही लेकिन फिर उसमें भी हलचल हुई और वो भी धीरे धीरे हरकत करने लगी। बोले तो वो धीरे धीरे अपुन के होठ चूमने चूसने की कोशिश करने लग गईली थी।
अपुन को भारी मजा आ रेला था लेकिन करवट के बल लेटे होने से वैसा मजा नहीं आ रेला था जैसा आना चाहिए। इस लिए अपुन ने उसके होठों को छोड़ा और अपनी पीठ से विधी को भी हटने का इशारा किया जिससे वो गैर मन से थोड़ा पीछे हो गई। इधर दिव्या आँखें बंद किए गहरी गहरी सांसें ले रेली थी।
अपुन ने आहिस्ता से उसे कंधे से पकड़ कर सीधा किया और साइड से उसके ऊपर आ गया। दिव्या अभी भी आंखें बंद किए हुए थी। शायद शर्म के चलते वो आँखें नहीं खोल रेली थी। अपुन ने एक नजर विधी को देखा तो वो हल्के से मुस्कुराई लेकिन बोली कुछ नहीं।
अपुन ने वापस दिव्या पर नजर डाली। उसने भी विधी की तरह एक छोटी सी टी शर्ट पहन रखी थी जबकि नीचे उसने ढीला सा लोअर पहन रखा था। छोटी सी टी शर्ट के अंदर उसके बूब्स तेज चलती सांसों की वजह से ऊपर नीचे हो रेले थे। अपने दोनों हाथों को उसने कोहनी से मोड कर ऊपर की तरफ अगल बगल बेड पर रखा हुआ था।
अपुन से रहा न गया तो अपुन झट से झुका और उसके कांपते होठों को मुंह में भर लिया। दिव्या का समूचा जिस्म कांप उठा लेकिन उसने कोई विरोध नहीं किया। उसके सॉफ्ट होठ चूसने में अपुन को एक अलग ही फील आ रेला था।
अपुन ─ तेरे होठ बहुत मीठे हैं दिव्या। मन करता है खा जाऊं इन्हें।
अपुन की बात सुन दिव्या बुरी तरह शर्मा गई और साथ ही आँखें बंद किए सिर को दूसरी तरफ फेर लिया। अपुन समझ गया कि उसे अपुन की बात से बहुत शर्म आ गईली है। अपुन फिर से झुका और फिर से उसके चेहरे को सीधा कर उसके होठों को मुंह में भर लिया। तभी अपुन ने महसूस किया कि एक तरफ से विधी भी अपुन के चेहरे के पास आ गईली है।
अपुन ने दिव्या के होठों को आजाद कर उसकी तरफ देखा तो उसने मुस्कुराते हुए अपने होठों को चूमने की शक्ल दी। अपुन समझ गया कि वो भी चाहती है कि अपुन उसे भी किस करे। अगले ही पल अपुन ने चेहरे को आगे कर के उसके होठों को आहिस्ता से चूम लिया जिस पर वो मदहोश सी हो गई।
विधी (धीमे से) ─ भाई ऐसा करने से कितना अच्छा लगता है न?
अपुन ─ बाकी और भी करने से अच्छा लगता है। तू कहे तो वो सब भी करूं तेरे साथ?
विधी (शर्मा कर) ─ न भाई, तू दिव्या को ही किस कर।
अपुन मुस्कुरा कर दिव्या की तरफ मुड़ा और फिर से झुक कर उसके होठों को चूसने लगा। दिव्या अभी भी आँखें बंद किए हुए थी। अपन दोनों के चेहरे के पास विधी भी झुके हुए देख रेली थी। तभी अपुन ने अपना एक हाथ नीचे सरकाया और दिव्या के राइट मम्मे पर रख दिया।
अपुन का हाथ जैसे ही उसके राइट मम्मे पर आया तो दिव्या का समूचा बदन झटका सा खा गया। वो थोड़ा हड़बड़ा सी गई। अगले ही पल उसने अपुन के उस हाथ पर अपना हाथ रख दिया लेकिन अपुन के हाथ को हटाने की कोशिश नहीं की जिससे अपुन समझ गया कि उसे इससे एतराज नहीं है।
अपुन ने झट से उसके मम्मे को पकड़ा और दबा दिया जिससे दिव्या मचल सी उठी। उसकी सिसकी अपुन के मुंह में ही दब कर रह गई लौड़ा। दिव्या के बूब्स विधी के बूब्स से बस थोड़ा ही बड़े फील हुए अपुन को। बाकी दोनों के ही बूब्स थोड़ा सख्त थे लेकिन दबाने में बहुत मजा आ रेला था।
अपुन थोड़ा जोर जोर से उसका मम्मा दबाने लगा जिससे दिव्या बुरी तरह मचलने लगी। मचलते हुए ही उसने पहली बार अपने हाथों से अपुन को पकड़ा। उसका एक हाथ अपुन के सिर पर आया तो दूसरा हाथ अपुन के उस हाथ की कलाई पर जो उसका मम्मा दबा रेला था।
अपुन ─ उफ्फ दिव्या, तेरा ये दूध कितना मस्त है।
दिव्या (शर्म और मदहोशी से) ─ शश्श्श्श भ..भैया।
अपुन ─ तेरी वजह से मैं विधी के दूध नहीं पी पाया था इस लिए अब तुझे अपना दूध पिलाना होगा मुझे। बोल, पिलाएगी न अपना दूध?
दिव्या ये सुन कर बुरी तरह शर्माने लगी। उसकी आँखें अभी भी बंद थीं। इधर अपुन की बात सुन कर विधी भी थोड़ शर्मा गईली थी और उसने हल्के से अपुन की पीठ पर मार दिया था।
दिव्या ─ भ...भैया, ये क्या कह रहे हैं आप?
अपुन ─ मुझे तेरा ये दूध पीना है दिव्या। पिला दे न।
दिव्या (शर्माते हुए) ─ नहीं न भैया। ये कैसी बात कर रहे हैं आप? विधी दी भी हैं, कुछ तो शर्म कीजिए।
अपुन (मुस्कुरा कर) ─ उससे क्या शर्माना? तेरी तरह वो भी तो अपुन की गर्लफ्रेंड है और तेरे आने से पहले वो अपुन को अपने दूध ही पिलाने जा रेली थी। यकीन न हो तो पूछ ले विधी से।
दिव्या ने इस बार बड़ी मुश्किल से अपनी आँखें खोली। उसकी आंखों में शर्म तो थी ही लेकिन एक नशा भी था। एक मदहोशी सी छाई थी। जब उसकी नजर अपने इतने करीब झुकी बैठी विधी पर पड़ी तो वो एकदम से चौंक गई। आश्चर्य और शर्म से वो हड़बड़ा सी गई। इधर विधी उसे देख मुस्कुराई।
दिव्या (खुद को सम्हाल कर) ─ दी आप सोई नहीं अभी?
विधी ─ क्या तुझे लगता है कि ऐसे में मुझे नींद आएगी? मैं तो बस ये देख रही हूं कि कैसे तुम दोनों एक दूसरे को किस कर रहे हो।
दिव्या शर्माते हुए बुरी तरह कसमसा उठी। फिर उसने अपुन को अपने ऊपर झुका पाया तो उसे और भी शर्म आई और साथ ही हैरानी हुई उसे। अपुन का हाथ अभी भी उसके राइट मम्मे पर था जिसका एहसास होते ही उसने झट से अपुन के हाथ पर हाथ रख उसे हटाने की कोशिश की।
अपुन ─ क्या हुआ? मेरा हाथ क्यों हटा रही है अपने दूध से?
दिव्या (शर्माते हुए) ─ भैया प्लीज, ऐसे न बोलिए न।
अपुन अच्छी तरह समझ रेला था कि उसे ये सब देख कर बहुत शर्म आ रेली है। जब तक उसकी आँखें बंद थी तब तक वो यही समझ रेली थी कि विधी बेड पर एक तरफ लेटी सो रही होगी। खैर अपुन ने जब देखा कि शर्म की वजह से कहीं वो ये सब करना ही न बंद कर दे तो अपुन झट से झुका और उसके होठों को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया।
इससे वो बुरी तरह कसमसाई और साथ ही अपुन को खुद से दूर करने की कोशिश की। एकाएक ही अपुन के मन में खयाल आया कि अपुन को उसके साथ जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए। बोले तो अगर उसका मन इस वक्त इसके लिए तैयार नहीं है तो उसके साथ ऐसा नहीं करना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि उसके अंदर से अपुन की गर्लफ्रेंड बने रहने का और ये सब करने का भूत पल में ही उतर जाए। यही सब सोच कर अपुन ने उसके होठों को आजाद कर दिया और उसके ऊपर से भी उठ गया।
दिव्या की अजीब सी हालत थी। शर्म के मारे वो नजरें नहीं मिला पा रेली थी। जैसे ही अपुन उसके ऊपर से हटा तो वो एकदम से उठ बैठी। उसकी सांसें तेज तेज चल रेली थीं। अपुन ये सोच कर मन ही मन थोड़ा परेशान हो गया कि कहीं ये सच में न अपना इरादा बदल दे। उधर विधी भी थोड़ा हैरानी से उसे देखने लग गईली थी।
विधी ─ अरे! क्या हुआ तुझे?
दिव्या ─ क..कुछ नहीं दी। वो...वो मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा।
अपुन अंदर से परेशान तो हो गयला था लेकिन साथ ही उसकी बात सुन गुस्सा भी आने लग गयला था। बोले तो ऐसा लगा जैसे अच्छे खासे मूड की मां चुदने वाली है बेटीचोद। इस एहसास ने अपुन का पल में ही मूड खराब कर दिया लौड़ा।
अपुन ─ अगर तुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा तो जा यहां से।
अपुन की बात सुन दिव्या ने घबरा कर देखा अपुन को। विधी को भी समझ न आया कि अचानक से अपुन को क्या हुआ? इधर अपुन का सच में मूड खराब हो गयला था। बोले तो इतना कुछ होने के बाद अगर कोई ये बोले कि उसे कुछ ठीक नहीं लग रहा तो फिर उसे जल्द से जल्द भाड़ में ही चले जाना चाहिए बेटीचोद।
विधी (हैरत से आँखें फाड़ कर) ─ ये क्या कह रहा है तू?
अपुन ─ ठीक ही तो कह रेला है अपुन। अगर इसे कुछ ठीक नहीं लग रहा तो चले जाना चाहिए न यहां से। अपुन ने पहले ही समझा दिएला था कि अगर इसे मंजूर हो तो ठीक है वरना अभी के अभी इस रिलेशन को तोड़ दे।
दिव्या (घबरा कर) ─ मुझे माफ कर दीजिए भैया। मेरा वो मतलब नहीं था, सच में।
अपुन ─ तेरा कोई भी मतलब रहा हो लेकिन अब तू जा यहां से और विधी तू भी जा।
विधी ─ अब मैंने क्या किया जो तू मुझे भी जाने को बोल रहा है?
अपुन ─ देख इस वक्त मेरा मूड बहुत ज्यादा खराब हो गयला है इस लिए तू अपुन से कोई बहस न कर। वैसे भी रात ज्यादा हो गईली है तो तुम दोनों जाओ यहां से।
अपुन का सच में मूड खराब हो गयला था और जब दोनों को इस बात का एहसास हो गया तो दोनों बेमन से बेड से उतरीं और रूम से चली गईं। अपुन ने दोनों में से किसी को भी रोकने की कोशिश नहीं की।
उन दोनों के जाने के बाद अपुन ने रूम को अंदर से कुंडी लगा कर बंद कर दिया और फिर आ कर बेड पर लेट गया। अपुन सोचने लगा कि बेटीचोद ये एकदम से क्या चूतियापा हो गयला है? अच्छा खासा मजा आ रेला था और फिर पल में ही उस अच्छे खासे मजे की मां चुद गई लौड़ा।
अपुन ने किसी तरह अपने मन से इन सभी खयालों को निकाला और सोने की कोशिश करने लगा लेकिन बेटीचोद नींद भी नहीं आ रेली थी। बार बार मन में वही सब आ रेला था जिससे और भी मूड खराब होने लग गया लौड़ा। तभी अपुन के मोबाइल की मैसेज टोन हल्के से बीप हुई जिससे अपुन का ध्यान मोबाइल पर गया।
मोबाइल उठा कर अपुन ने देखा उसमें कई मैसेजेस पड़े हुए थे। शनाया, अनुष्का के अलावा अभी जो मैसेज आयला था वो दिव्या का था। अभी अपुन दिव्या का मैसेज ओपेन ही करने जा रेला था कि तभी विधी का भी मैसेज आ गया। अपुन का मूड दोनों की ही वजह से खराब था इस लिए दोनों के ही मैसेज को इग्नोर कर दिया और शनाया का मैसेज देखा।
उस लौड़ी ने एक शायरी लिख के भेजी थी जो झांठ जैसी थी इस लिए अपुन ने एक नजर देखने के बाद उसे स्किप किया और फिर अनुष्का का मैसेज देखने लगा। अनुष्का ने अपुन के मैसेज का रिप्लाई किया था। उसने मैसेज में लिखा था कि बिल्कुल भाई, जैसे ही तेरे जीजा जी की जॉब लग जाएगी वैसे ही मैं तुझे मनचाही ट्रीट दूंगी।
अपुन ने बेमन से उसे लेट्स सी लिख के भेजा और फिर नेट ऑफ कर के मोबाइल को एक तरफ रख दिया। उसके बाद अपुन काफी देर तक जाने क्या क्या सोचता रहा और फिर जाने कब अपुन की आंख लग गई लौड़ा।
~~~~~~
सुबह किसी ने जब दरवाजा खटखटाया तब अपुन की आंख खुली। अपुन ने मोबाइल में टाइम देखा, लौड़ा सात बज रेले थे। ये देख अपुन झट से उठा और जा के दरवाजा खोला तो देखा बाहर विधी खड़ी थी। उसने एक नजर अपुन को देखा और फिर अपुन को ढकेलते हुए रूम के अंदर आ गई।
इससे पहले कि अपुन उसकी इस हरकत पर कुछ बोलता उसने बिजली की स्पीड से दरवाजा बंद किया और फिर पलट कर एक ही झटके में अपुन के होठों पर जैसे टूट पड़ी।
अपुन उसकी इस हरकत से बुरी तरह बौखला गया बेटीचोद। उधर उसने अपुन के होठों को मुंह में भर कर चार पांच सेकंड तक चूसा और आगे भी चूसती ही रहती अगर अपुन उसे खुद से दूर न कर देता तो।
अपुन (थोड़ा गुस्से में) ─ ये क्या बेहूदगी है? पागल है क्या तू?
विधी ─ हां पागल हूं। तेरे लिए पागल हूं, और बोल?
अपुन को कुछ समझ न आया कि क्या बोले? बोले तो एकदम से ही चकरा गयला था अपुन। उधर वो अपुन के एकदम करीब आई और फिर बोली।
विधी ─ कल रात मेरे मैसेज का रिप्लाई क्यों नहीं दिया तूने? मैंने तो तेरा मूड खराब नहीं किया था, फिर मुझसे क्यों गुस्सा हुआ तू?
अपुन ─ देख यार, सुबह सुबह अपुन का मूड खराब मत कर तू, जा यहां से।
विधी की ये सुनते ही आँखें भर आईं लौड़ा। लगभग रुआंसी हो के बोली।
विधी ─ तू चाहे तो मुझे मार ले। तू चाहे तो मेरे साथ कुछ भी कर ले लेकिन मुझे ऐसे न बोल। क्या इतना जल्दी अपनी जान से दिल भर गया तेरा?
कहने के साथ ही वो सिसक उठी। अपुन को उसकी बातें सुन के और उसका सिसकना देख एकदम से अपनी गलती का एहसास हुआ। सच ही तो था, उसकी तो कहीं कोई गलती ही नहीं थी। अपुन का मूड तो दिव्या ने खराब किएला था। खैर, उसे सिसकता देख और उसकी आंखों से आसूं बह गया देख अपुन को भारी बुरा लगा। अगले ही पल अपुन ने खींच कर उसे सीने से लगा लिया।
अपुन ─ माफ कर दे अपुन को और प्लीज ऐसा कभी मत सोचना कि अपुन का तेरे से दिल भर गया। अरे! तू तो अपुन की जान है। चल अब मत रो न प्लीज।
विधी ─ तुझे पता है, जब रात को तूने रिप्लाई नहीं दिया तो मैं बहुत देर तक रोती रही थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर मुझसे क्यों गुस्सा हो गया था तू?
अपुन ─ तुझसे गुस्सा नहीं था मेरी जान। वो तो बस दिव्या की हरकत से अपुन का मूड बहुत ज्यादा खराब हो गयला था। इसी लिए उसके साथ साथ तुझे भी जाने को कह दिया था।
विधी ─ तू सच कह रहा है न? आई मीन तू सच में मुझसे गुस्सा नहीं है न?
अपुन ─ नहीं हूं मेरी जान। तुझसे कभी गुस्सा नहीं हो सकता। चल अब छोड़ मुझे। मुझे बहुत तेज प्रेसर आया हुआ है। अगर थोड़ा सा भी देर किया तो यहीं पर मूत दूंगा।
विधी अपुन की बात सुन कर अपुन से अलग हुई और खिलखिला कर हंसने लगी। उसे हंसता देख अपुन ने राहत की सांस ली। वैसे प्रेशर सच में आया हुआ था अपुन को।
तभी विधी की नजर अपुन के शॉर्ट लोवर पर पड़ी। अपुन का लन्ड सुबह के प्रेशर की वजह से फुल इरेक्ट था। ये देख विधी की आँखें फैल गईं। फिर एकदम से शर्मा कर बोली।
विधी ─ कुछ तो शर्म कर। इतना बड़ा हो गया है, ऐसे कैसे मूत देगा?
अपुन (मुस्कुराते हुए) ─ प्रेशर जब सम्हाले न सम्हलेगा तो मूत ही देगा न अपुन।
कहने के साथ ही अपुन हल्के से हंसते हुए झट से बाथरूम की तरफ दौड़ चला। पीछे विधी की खिलखिलाती हंसी फिर से गूंजी और फिर वो रूम से चली गई।
~~~~~~
ब्रेकफास्ट के समय दिव्या अपुन से नजरें चुरा रेली थी। इधर अपुन को ये सोच के उस पर गुस्सा आ रेला था कि जो अपुन की सगी बहन थी उसने गलती न करने पर भी अपुन को सॉरी बोला था और सुबह अपुन के रूम में आ कर रोने भी लग गईली थी जबकि ये तो चचेरी बहन थी और गलती कर के भी अब तक अपुन से सॉरी नहीं बोली थी। अपुन ने सोच लिया कि अब इसे मजा चखा के रहेगा अपुन।
साक्षी दी आज भी अपुन की तरफ नहीं देख रेली थीं जबकि सोनिया दी ने अपुन को देखते ही स्माइल किया था और पूछा भी था कि कैसा है मेरा भाई, जिस पर अपुन ने बड़े ही सभ्य तरीके से उन्हें बताया था कि मैं उनके प्यार और स्नेह से अच्छा हूं।
बहरहाल नाश्ते के बाद डैड और साक्षी दी कंपनी चले गए, जबकि सोनिया दी कॉलेज जाने के लिए तैयार होने अपने रूम में चली गईं। वो ब्रेकफास्ट के बाद ही कॉलेज जाने को तैयार होती थीं।
दिव्या थोड़ी बुझी बुझी सी थी। अपुन से नजरें नहीं मिला पा रेली थी लेकिन अपुन ने फील किया कि वो अपुन से बात करना चाहती है पर अपुन ने बात करने का उसे कोई मौका नहीं दिया।
विधी खुश थी क्योंकि सुबह रूम में ही अपुन ने उसे गले लगाया था इस लिए वो ड्राइंग रूम में रखे सोफे पर जा कर बैठ गई और टीवी चालू कर लिया। दिव्या ने हिम्मत जुटा कर अपुन को देखा लेकिन अपुन फुल इग्नोर किया उसे और जा कर विधी के बगल से बैठ कर टीवी देखने लगा।
दिव्या की हिम्मत न हुई कि वो अपन दोनों के पास आ कर बैठ जाए इस लिए वो अलग सोफे पर बैठ गई। विधी ने एक नजर उसे देखा लेकिन फिर मुंह फेर लिया उससे। शायद वो भी दिव्या से नाराज थी।
विधी (धीमे से) ─ क्या इसने तेरे को सॉरी बोला?
अपुन ने भी धीमे से उसे बताया कि नहीं। फिर अपुन ने उससे ये भी कहा कि अपुन को उसे मजा चखाने का है और इसमें वो भी अपुन का साथ दे। मजा चखाने की बात से विधी थोड़ा खुश दिखी और वो झट से अपुन का साथ देने को राजी हो गई।
विधी (धीमे से) ─ वैसे तू किस तरह उसे मजा चखाएगा, मुझे भी तो बता।
अपुन ─ सबसे पहले तो ये कि अपुन आज उसे अपनी बाइक पर बैठा कर कॉलेज नहीं ले जाएगा। अब क्योंकि उसे कॉलेज तो जाना ही पड़ेगा इस लिए तू उसे अपनी स्कूटी में ले कर जाएगी।
विधी ─ तू कहता है तो ठीक है ले जाऊंगी इस चुहिया को। बाकी आगे और क्या करेगा तू?
अपुन ─ फिलहाल तो अपुन उसे इग्नोर ही करेगा लेकिन अगर वो अपुन से बात करने की कोशिश करेगी तो अपने तरीके से उसे ट्रीट करेगा। एक बात और, अगर वो तुझसे इस मामले में कोई बात करे तो तू भी थोड़ा बहुत उसे डोज दे देना।
विधी ─ ठीक है, और कुछ?
अपुन ─ अभी सिर्फ इतना ही, बाकी अगर कुछ होगा तो अपुन तेरे को मैसेज में बता देगा और तू भी अपुन को मैसेज में बताते रहना। इस बात का ध्यान रखना कि उसको अपन लोग के इरादों का पता न चले।
विधी ने हां में सिर हिला दिया। दिव्या बार बार अपुन की तरफ देख रेली थी और अपन दोनों को धीमे से एक दूसरे से बातें करते देख अजीब सा दुखी चेहरा किए बैठी थी। तभी शायद उससे रहा नहीं गया तो अपुन से धीमे से बोली।
दिव्या ─ अ..आई एम सॉरी भैया।
विधी ने तो उसकी तरफ देखा पर अपुन ने फुल इग्नोर किया। ये देख उसका चेहरा और भी रोने जैसा हो गया। अभी वो फिर से कुछ कहने वाली थी कि तभी सीढ़ियों से उतर कर सोनिया दी अपन लोग के पास आईं और अपुन से बोली।
सोनिया दी ─ भाई, आज तू मुझे अपनी बाइक पर कॉलेज ले चलेगा क्या? मेरी स्कूटी की चाभी नहीं मिल रही।
अपुन (मुस्कुराते हुए) ─ आपको पूछने की जरूरत नहीं है दी। आप पूरे हक से मेरे साथ चल सकती हैं।
सोनिया दी ─ ओह! थैंक्स मेरे भाई।
अपुन ─ क्या दी, इसमें थैंक्स कहने की क्या बात है? आपका छोटा भाई हूं तो क्या आपके लिए इतना भी नहीं कर सकता? मैं तो कहता हूं कि आप रोजाना मेरे साथ बाइक पर बैठ कर ही कॉलेज चला करें।
सोनिया दी ─ तेरे साथ रोजाना जाने में मुझे अच्छा ही लगेगा भाई लेकिन डैड ने जब मुझे स्कूटी खरीद कर दे रखी है तो उसका यूज तो करना ही पड़ेगा न। खैर ये सब छोड़, चल अब निकलते हैं।
उसके बाद अपन लोग कॉलेज जाने के लिए घर से निकले। बाहर आ कर जब अपुन गैरेज से बाइक ले आया तो सोनिया दी मुस्कुराते हुए अपुन के पीछे बैठ गईं। वो भले ही आज के जमाने की थीं लेकिन बाइक में दोनों तरफ टांगें लटका कर बैठने में उन्हें शर्म आती थी। इस लिए उन्होंने अपनी दोनों टांगों को एक तरफ ही कर के बैठ गईं और अपुन के कंधे में अपना एक हाथ रख लिया।
अपुन (मुस्कुराते हुए) ─ ये क्या दी, आप भी औरतों की तरह एक ही साइड दोनों पैर लटका के बैठ गईं। अरे! कुछ तो आज के टाइम के हिसाब से चलिए।
सोनिया दी ─ पर भाई, मुझे तो ऐसे ही कंफर्टेबल लगता है।
अपुन ─ बेशक लगता होगा लेकिन ये भी तो सोचिए कि लोग आपको इस तरह बैठे देखेंगे तो क्या सोचेंगे और तो और आपके इस भाई के बारे में क्या सोचेंगे?
सोनिया दी ─ ओह! तो तुझे अपनी फिक्र हो रही है। एक काम करती हूं, मैं विधी के साथ उसकी स्कूटी में बैठ जाती हूं। तू दिव्या को बैठा ले अपनी बाइक में। उसे दोनों तरफ पैर कर के बैठना ही अच्छा लगता है।
अपुन ─ ठीक है दी, आपको वैसे नहीं बैठना तो कोई बात नहीं। आप ऐसे ही बैठिए, बाकी ऐसा मत कहिए कि मुझे अपनी फिक्र हो रही है।
सोनिया दी (मुस्कुरा कर) ─ अच्छा रुक, तेरे कहने पर मैं आज वैसे ही बैठ जाती हूं। मुझे भी अच्छा नहीं लगेगा कि मेरा भाई मेरे ऐसे बैठने से अजीब सा फील करे।
कहने के साथ ही वो बाइक से उतर गईं और फिर दुबारा जब बैठीं तो अपने दोनों पैर अलग अलग साइड पर लटका के बैठीं। जब वो बैठ गईं तो अपुन अनायास ही मुस्करा उठा। उधर बैठने के बाद वो थोड़ा अपुन की तरफ झुकीं और मुस्कुराते हुए बोलीं।
सोनिया दी ─ अब ठीक है न मेरे भाई?
अपुन ─ ओह! दी यू आर सो स्वीट। आई लव यू...बहुत सारा।
सोनिया दी (हंसते हुए) ─ चल चल अब प्यार मत दिखा, कॉलेज के लिए देर हो रही है।
अपन लोग के पीछे विधी भी स्कूटी निकाल कर आ गईली थी और उसने अपने पीछे दिव्या को भी बैठा लिया था। अपुन और सोनिया दी की बातें सुन विधी मुस्कुराने लग गईली थी। खैर सोनिया दी के कहने पर अपुन ने बाइक स्टार्ट कर आराम से आगे बढ़ा दी।
अपुन ─ आपको कंफर्टेबल तो फील हो रहा है न दी?
अपुन की बात सुन सोनिया दी थोड़ा सा अपुन की तरफ खिसक कर आईं और फिर अपुन के कंधे पर हाथ रख कर बोली।
सोनिया दी ─ हां भाई, बस थोड़ा अजीब लग रहा है।
अपुन (मुस्कुराते हुए) ─ अजीब क्यों दी?
सोनिया दी ─ आज से पहले ऐसे कभी नहीं बैठी थी न इस लिए और थोड़ा डर भी लग रहा है।
अपुन ─ क्या बात करती हो दी? डर क्यों लग रहा है आपको?
सोनिया दी ─ बस ऐसे ही, शायद गिरने का। तू थोड़ा आराम से बाइक चलाना, ओके?
अपुन ─ आप भी कमाल हैं दी। बाइक में गिरने का सबसे ज्यादा चांस तब होता जब आप एक ही तरफ को अपने दोनों पैर कर के बैठी होतीं। इस तरह बैठने में गिरने का चांस बहुत कम होता है क्योंकि बैलेंस सही रहता है। फिर भी अगर आपको डर लग रहा है तो आप मुझे अच्छे से पकड़ लीजिए। बाकी आप बेफिक्र रहिए, मेरे साथ बैठने से आप गिरेंगी नहीं और ना ही मैं आपको गिरने दूंगा।
सोनिया ─ हां मुझे यकीन है मेरे भाई पर। वैसे मुझे ये देख कर बहुत अच्छा लग रहा है कि इस वक्त तू हम लोगों की तरह अच्छे से बात कर रहा है। आई मीन एक बार भी तूने उस गंदी टपोरी वाली लैंग्वेज में नहीं बोला।
अपुन उनकी ये बात सुन का मुस्कुरा उठा। असल में अपुन उनकी वजह से ही तो याद कर के टपोरी भाषा में नहीं बोल रेला था। अपुन नहीं चाहता था कि वो अपुन से नाराज हो जाएं।
अपुन ─ शायद आपके साथ होने का जादू है दी। मैं भी हैरान हूं कि मेरे मुख से अब तक टपोरी वाला एक भी वर्ड नहीं निकला। ओह! दी ये तो कमाल ही हो गया। आप प्लीज हर रोज मेरे साथ इसी तरह बाइक पर आया जाया कीजिए न।
सोनिया दी ये सुन कर खिलखिला कर हंसने लगीं। फिर अपुन की तरफ थोड़ा सा झुकीं तो एकदम से उनके बूब्स अपुन को अपनी पीठ पर फील हुए। हालांकि वो बस थोड़ा सा ही अपुन की तरफ आईं थी जिससे उनके मम्मे अपुन की पीठ पर छू गएले थे। ऐसा होते ही अपुन के समूचे जिस्म में रोमांच की लहर दौड़ गईली थी। उधर दी ने अपुन से कहा।
सोनिया दी ─ हां ये तो तूने सही कहा। इतनी देर से तू बात कर रहा है लेकिन एक वर्ड भी तेरे मुख से टपोरी वाला नहीं निकला। खैर मुझे इससे बहुत खुशी हुई। रही बात रोजाना तेरे साथ बाइक में आने जाने की तो भाई इस बारे में मैंने तुझे पहले ही बता दिया है।
अपुन ─ प्लीज दी, मेरे खातिर, बस कुछ टाइम तक।
सोनिया दी ─ हां ये हो सकता है। चल ठीक है, आज से कुछ दिनों तक मैं तेरे साथ ही बाइक पर आया जाया करूंगी। मैं भी चेक करूंगी कि मेरे साथ रहने से तू अपनी उस टपोरी लैंग्वेज को बोलना बंद करता है कि नहीं?
अपुन ─ मैं जरूर बंद कर दूंगा दी। आप देख लेना, आपका साथ रहना बेकार नहीं जाएगा।
सोनिया दी ─ ठीक है फिर। चल अब बातें बंद कर और ध्यान से बाइक चला।
उसके बाद अपन लोग के बीच कोई बात नहीं हुई। वो अपुन के पीछे अपुन के कंधे पर हाथ रखे बैठी थीं। अपन दोनों के बीच थोड़ा फासला था जिसकी वजह से अब अपुन को उनके बूब्स फील नहीं हो रेले थे लेकिन हां, जब कहीं पर अपुन ब्रेक मारता तो वो झोंक में अपुन की पीठ से लग जाती थीं जिससे उनके बूब्स अपुन को मस्त फील हो जाते और अपुन मजे में डूब सा जाता लौड़ा।
खैर इसी तरह अपन लोग कॉलेज पहुंच गए। अपुन के पीछे पीछे विधी भी दिव्या के साथ स्कूटी में आ गई। पार्किंग के पास ही सोनिया दी की कुछ फ्रेंड्स मिल गईं जिससे वो उनके पास चली गईं जबकि अपन लोग बाइक और स्कूटी खड़ी कर आराम से अंदर की तरफ बढ़े। दिव्या का चेहरा उतरा हुआ था। वो अपुन से बात करना चाहती थी लेकिन अपुन तेजी से आगे बढ़ गया क्योंकि तभी अपुन को अमित और शरद दिख गएले थे।
To be continued....
Shaandar jabardast Lovely Romanchak Update
Tino ke romance ke rang me bhang pad gaya
ab dekhte hai Divya se kab tak naraj rahte hai
idhr Soniya se najdiki badh rahi hai
ab Anushka ke sath treat me kya hota hai