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Incest हवस के कारनामे ~ A Tale of Lust

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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ऐसे एकांत रोमांटिक माहौल मे लड़कियों की " ना " भी एक्चुअल मे " हां " होती है । घरेलू और नगरबधू मे शर्म और हया ही सबसे बड़ा अंतर होता है । घरेलू महिलाएं नाज नखरा न करे , आसानी से काबू मे आ जाएं तब फिर काहे का घरेलू !
विधि और विराट ने एक कदम और ऊपर उठाया । शायद मंजिल तक पहुंच ही जाते अगर दरवाजे पर दस्तक नही हुई होती ।
Sahi kaha :approve:
वैसे देर से ही सही पर विराट ने हर परिस्थिति का मुक़ाबला करने का मन तो बनाया । इसका इम्तिहान भी तभी होगा जब संकट साक्षात अपना सीना ताने सामने खड़ा मिलेगा ।
विधि और विराट का यह अंतरंग पल वास्तव मे बहुत ही इरोटिक था ।
Let's see...
आउटस्टैंडिंग एंड हाॅट अपडेट शुभम भाई ।
Thanks bade bhaiya :hug:

Next update posted :check:
 

kas1709

Well-Known Member
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Update ~ 26




दरवाजे पर हुई इस थपथपाहट को सुनते ही अपुन बुरी तरह चौंक गया। उधर विधी ने भी शायद सुन लिया था इस लिए वो भी बुरी तरह उछल पड़ी। बुरी तरह घबरा कर वो एक झटके से उठ बैठी और फिर जल्दी जल्दी अपनी टी शर्ट को नीचे सरका अपने नंगे बूब्स को छुपाने लगी।

इधर अपुन के होश उड़ गएले थे और गांड़ अलग से फट गईली थी। मन में एक ही सवाल उभरा कि बेटीचोद कौन हो सकता है बाहर?



अब आगे....


विधी का डर और घबराहट के मारे बुरा हाल हुआ जा रेला था। हालत तो अपुन की भी खराब थी लेकिन अपुन ये भी समझ रेला था कि अगर जल्दी ही उसे नहीं सम्हाला तो उसकी शक्ल देख के कोई भी समझ जाएगा कि उसके साथ कुछ गड़बड़झाला है। इस लिए अपुन ने फौरन ही उसे कंधे से पकड़ा और फिर धीमे से कहा।

अपुन ─ अपने आपको सम्हाल मेरी जान। इतना डरने या घबराने की जरूरत नहीं है।

विधी (डरते हुए धीमे से) ─ भाई, किसी को पता चल गया होगा तो क्या होगा? म..मैं तो मर ही जाऊंगी।

अपुन ─ कुछ नहीं होगा। अपुन के रहते तुझे कुछ नहीं होगा और हां सबसे पहले तू अपनी इस हालत को सुधार। तेरी शक्ल देखते ही बाहर खड़ा व्यक्ति समझ जाएगा कि अपन लोग कुछ गड़बड़ कर रेले थे।

विधी ─ मुझे बहुत डर लग रहा है भाई। पता नहीं कौन आया होगा इस टाइम?

अपुन ─ अपुन ने कहा न कि डर मत। बस तू खुद को शांत कर और नॉर्मल हो जा। तब तक अपुन दरवाजा खोल के देखता है कि कौन आया है बाहर।

विधी ने किसी तरह खुद को सम्हाला। अपुन को कुछ सूझा तो अपुन ने उसे लेट जाने को कहा और ये भी कि वो सोने की एक्टिंग करे। उसने ऐसा ही किया। तभी बाहर से किसी ने फिर से दरवाजे को धीमे से थपथपाया।

सच तो ये था कि अपुन की जबरदस्त गांड़ फटी हुई थी लौड़ा लेकिन अब इस मुसीबत का सामना तो करना ही था इस लिए खुद के अंदर हिम्मत भर के अपुन दरवाजे की तरफ तेजी से बढ़ा और हल्के से कुंडी सरका कर दरवाजा खोला। चेहरे पर भी ऐसे भाव पैदा का लिए जैसे अभी अपुन नींद से जागा हो लेकिन दरवाजा खोलते ही जिस व्यक्ति पर अपुन की नजर पड़ी उसे देखते ही अपुन का सारा डर पल में ही दूर हो गया बेटीचोद। क्योंकि बाहर कोई और नहीं बल्कि दिव्या थी। उसे देखते ही अपुन ने राहत की सांस ली और बोला।

अपुन ─ क्या हुआ, तू इस वक्त यहां? सोई नहीं अब तक?

दिव्या अपुन को अजीब तरह से घूरने लगी जिससे अपुन अंदर ही अंदर थोड़ा असहज हो गया लौड़ा। उधर कुछ पलों तक अपुन को अजीब तरह से घूरने के बाद वो बोली।

दिव्या (धीमी आवाज में) ─ अंदर आप क्या कर रहे थे विधी दी के साथ?

उसकी बात सुनते ही अपुन अंदर ही अंदर बुरी तरह चौंक गया और घबरा भी गया लौड़ा। इसका मतलब उसे पता था कि अपुन के रूम में विधी है और अपन लोग इस वक्त कुछ कर रेले थे।

अपुन उसके इस सवाल से ही समझ गया कि उससे झूठ बोलने का कोई फायदा नहीं है। वैसे भी अपन तीनों एक जैसी ही सिचुएशन में थे तो एक दूसरे के बारे में सब कुछ पता होना जरूरी था।

अपुन ─ अंदर आ, ऐसे बाहर मत खड़ी रह वरना रात के सन्नाटे में कहीं अपन लोग के बात करने की आवाज नीचे तक न चली जाए लौ..।

अपुन की बात सुन कर दिव्या बिना कुछ कहे अंदर आ गई। उसके आते ही अपुन ने दरवाजा कुंडी लगा कर बंद कर दिया। फिर जब पलटा तो देखा दिव्या बेड पर आँखें बंद कर के लेटी विधी को अपलक देखे जा रेली थी। अपुन समझ गया कि इस वक्त उसके मन में बहुत कुछ चल रेला होगा। खैर अपुन अपनी घबराहट पर अब काफी हद तक काबू पा चुका था इस लिए उसके करीब पहुंच कर उससे बोला।

अपुन ─ हां, अब बता रात के इस वक्त तू अपुन के रूम के बाहर क्या कर रेली थी?

दिव्या ने पहले अपुन को ध्यान से देखा और फिर विधी पर नजर डाल कर बोली।

दिव्या ─ पहले आप बताइए कि आप और विधी दी यहां क्या कर रहे थे?

अपुन ─ अरे! वो तो अपन लोग बस एक दूसरे को किस कर रेले थे।

दिव्या (आँखें फैला कर) ─ झूठ मत बोलिए। मैंने बाहर से सब सुन लिया है।

अपुन समझ तो पहले ही गयला था लेकिन अब जानना चाहता था कि उसने कितना सुन लिएला है? ये भी जानना चाहता था कि वो अपुन के रूम के बाहर कैसे आ गईली थी?

अपुन ─ अच्छा, क्या सुन लिया है तूने और...और तू बाहर क्या कर रेली थी?

दिव्या ─ वो मैं, आपसे मिलने ही आपके रूम आ रही थी तो जब मैंने आपका रूम खोलना चाहा तो वो अंदर से बंद था। जबकि आपका रूम अंदर से कभी बंद नहीं होता इस लिए जब मैंने जाना कि आपका रूम अंदर से बंद है तो मुझे हैरानी हुई। फिर तभी मैंने सोचा कहीं विधी दी तो आपके रूम में नहीं हैं? मतलब कि शायद उन्होंने ही रूम अंदर से बंद कर दिया हो। जब मुझे ऐसा लगा तो मैंने सोचा कि इस वक्त आप और विधी दी आपस में क्या बातें कर रहे होंगे? बस इसी क्यूरियोसिटी में मैंने दरवाजे पर अपने कान सटा दिए थे। उसके बाद जल्दी ही मुझे आप दोनों की धीमी आवाज में बातें सुनाई देने लगीं थी। मैं आप दोनों की बातें सुनती रही और सोचती रही कि आप ये कैसी कैसी बातें करते जा रहे हैं। फिर जब मैंने आप दोनों के ऐसा करने की बातें सुनी तो बहुत शॉक हुई। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि आप और विधी दी ऐसा भी कर सकते हैं। फिर मुझे ये सोच कर डर और घबराहट होने लगी कि कहीं नीचे से दी लोग में से कोई ऊपर न आ जाए और आप दोनों की ऐसी बातें सुन ले इस लिए मैंने दरवाजा थपथपाया था।

दिव्या की बातें सुन कर अपुन जान गया कि वो अपुन के रूम में अपुन से मिलने के वास्ते आ रेली थी और उसी चक्कर में उसे ये सब पता चल गया लौड़ा। खैर अपुन को ये जान के अच्छ लगा कि उसे अपन लोग के ऐसा करने से कोई एतराज वगैरा नहीं था बल्कि उसे अपन लोग के पकड़े जाने की फिक्र थी इसी लिए उसने दरवाजा थपथपायला था। तभी अपुन को सोचता देख दिव्या ने फिर कहा।

दिव्या ─ वैसे भैया, आप दोनों ये क्या कर रहे थे? मतलब कि आप दोनों ऐसा कैसे कर सकते हैं? ये तो गलत है न?

अपुन ─ देख अपन लोग जो भी कर रेले थे उसमें अपन दोनों की ही मर्जी थी। बाकी रही सही गलत की बात तो तू ये मत भूल कि अपन लोग भाई बहन के साथ साथ अब गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड भी हैं। इस रिलेशन में होने नाते अपन लोग के बीच थोड़ा बहुत ये सब तो होगा ही।

दिव्या ─ पर भैया किसी को पता चल गया तो वो तो इसे गलत ही कहेंगे न?

अपुन ─ यार किसी को कैसे पता चलेगा? मतलब कि जब अपन लोग किसी को कुछ बताएंगे ही नहीं तो कैसे पता चल जाएगा?

दिव्या भारी उलझन में दिखने लग गईली थी अपुन को। उसे समझ नहीं आ रेला था कि इस मामले में क्या बोले? इधर अपुन भी सोच रेला था कि इस मामले को किसी तरह सम्हाल लिया जाए और दिव्या की नजर में इस सबको को जायज साबित कर दिया जाए। आखिर गर्लफ्रेंड तो वो भी बन गईली थी अपुन की तो यही सब उसके साथ भी तो करेगा अपुन। बोले तो आज नहीं तो कल ऐसा उसके साथ जरूर होएगा, या करेगा अपुन।

अपुन ─ देख, तुझे इस बारे में ज्यादा ओचने की जरूरत नहीं है। गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड होने के नाते अपन लोग के बीच थोड़ा बहुत ये सब चलेगा ही। विधी को इससे कोई एतराज नहीं था और अपुन को भी नहीं था इस लिए अपन दोनों ने ये किया पर अगर तुझे इससे एतराज है तो तू मत करना। वैसे भी ये सब वही कर सकता है जो आपस में प्यार भी करता हो। अपुन विधी से और विधी अपुन को प्यार करती है इस लिए अपन दोनों को इससे कोई प्रॉब्लम नहीं है।

दिव्या ─ ये आप क्या कह रहे हैं भैया? क्या सच में आप दोनों एक दूसरे से प्यार भी करते हैं?

अपुन ─ हां, क्या तुझे शक है?

दिव्या ─ पर भाई बहन एक दूसरे से प्यार कैसे कर सकते हैं भैया? और...और भाई बहन के इस प्यार को घर वाले एक्सेप्ट भी नहीं करेंगे।

अपुन ─ हां, ये अपन दोनों भी जानते हैं लेकिन किसी के एक्सेप्ट न करने से दिल में मौजूद प्यार मिट थोड़े न जाएगा। हां ये अपुन मानता है कि इस प्यार के साथ अपन लोग पूरी लाइफ के लिए एक दूसरे के नहीं हो सकते लेकिन अपन लोग का प्यार फिर भी हमेशा एक दूसरे के दिल में रहेगा।

दिव्या हैरान परेशान सी देखती रही अपुन को। उधर बेड पर लेटी आँखें बंद किए सोने का नाटक करती विधी भी यकीनन अपुन की ये सब बातें सुन रेली थी और समझने की कोशिश कर रेली होगी कि ये सब ठीक है या नहीं?

दिव्या ─ मुझे तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा भैया कि ये सब कैसे हो सकता है और ये आप कैसे कर सकते हैं?

अपुन ─ देख, अपुन तेरे को सिंपल तरीके से समझाता है। सबकी नजर में अपन लोग भाई बहन हैं फिर भी अपन लोग ने एक दूसरे के साथ बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड वाला रिलेशन भी बना लिया, क्यों? क्योंकि ऐसा अपन लोग चाहते थे। जबकि अपन लोग को भी पता था कि भाई बहन आपस में गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड वाले रिलेशन में नहीं हो सकते, क्योंकि ये गलत होता है, फिर भी अपन लोग ने ऐसा रिलेशन बना लिया। तो जब बना लिया तो उस रिलेशन में होने के वास्ते अपन लोगों के बीच थोड़ा बहुत तो ये सब होगा ही वरना ऐसे रिलेशन में रहने का मतलब ही क्या रह जाएगा?

दिव्या ─ हां ये तो आप सही कह रहे हैं।

अपुन ─ सिंपल सी बात है दिव्या कि इस रिलेशन को बनाने से पहले तूने या विधी ने भी तो सोचा ही रहा होगा कि गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड आपस में क्या करते हैं इसके बावजूद तुम दोनों ने अपुन की गर्लफ्रेंड बनना चाहा। तो अब जब बन ही गईली हो तो अपन लोग के बीच थोड़ा बहुत ये सब तो होगा ही। अगर तुझे ये गलत लगता है तो अभी इसी वक्त इस रिलेशन को तोड़ दे और पहले की तरह पूरी तरह अपुन की बहन बन जा।

दिव्या इस बार कुछ न बोली। वो गहरी सोच में थी। तभी बेड पर सोने का नाटक कर रही विधी एकदम से उठ बैठी। उसे उठ गया देख दिव्या हल्के से चौंकी।

विधी ─ भाई मुझे तेरे साथ इस रिलेशन में कोई प्रॉब्लम नहीं है। दिव्या को अगर ये सब गलत लगता है तो ये तेरे साथ इस रिलेशन को तोड़ सकती है।

दिव्या ─ नहीं दी, मुझे भी गलत नहीं लगता और...और मैं भी भैया के साथ इस रिलेशन में रहूंगी।

अपुन ─ अच्छी तरह सोच ले दिव्या। बाद में तू फिर ये मत बोलने लगना कि ये गलत है या वो गलत है।

दिव्या ─ मैं नहीं बोलूंगी भैया, ट्रस्ट मी।

अपुन ─ अपुन को भी पता है कि भाई बहन के हिसाब से ये सब करना गलत है लेकिन बात जब नए रिलेशनशिप और एक दूसरे से प्यार करने की हो तो फिर सब कुछ जायज हो जाता है। हां, बाकी सबकी नजर में अपन लोग भाई बहन ही रहेंगे और वैसा ही बर्ताव करेंगे लेकिन अपने सामने वैसे ही बिहैव करेंगे जैसे गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड करते हैं, समझ गई न?

दिव्या ─ जी भैया।

अपुन (विधी से) ─ और तू भी समझ गई न?

विधी ─ हां, लेकिन मुझे तुझसे एक बात पूछनी है।

अपुन ─ हां पूछ।

विधी ─ वो मैं तुझसे ये पूछना चाहती हूं कि हम लोग आपस में जो भी करेंगे उसकी एक लिमिट तो होगी न?

अपुन समझ गया कि उसके मन में असल में क्या है और वो असल में क्या जानना चाहती है। अपुन भी सोचने लगा कि इस वक्त इस बारे में उसे क्या जवाब दिया जाए?

अपुन ─ हां क्यों नहीं। बोले तो रियलिटी में अपन लोग भाई बहन भी हैं इस लिए अपन लोग के बीच एक लिमिट का होना भी जरूरी है।

विधी ─ तो अब तू ही बता कि किस तरह की लिमिट होगी?

अपुन (सोचते हुए) ─ अपन लोग के बीच सेक्स नहीं होगा बाकी सब कुछ कर सकते हैं, ये ठीक है न?

अपुन की ये बात सुनते ही विधी और दिव्या एकदम से आंखें फाड़ कर अपुन को देखने लगीं। फिर एकाएक ही दोनों के चेहरे शर्म की वजह से झुक ग‌ए लौड़ा। इधर अपुन की भी धड़कनें तेज हो गईली थीं।

वैसे अपुन ने ऐसा इसी लिए कहा था ताकि दोनों के मन में यही रहे कि अपुन के मन में उनके प्रति गलत भावना नहीं है और अपुन भी सही गलत सोचता है। खैर अपुन ने जब देखा दोनों का चेहरा शर्म से सुर्ख पड़ गयला है तो थोड़ा मुस्कुराया और फिर बोला।

अपुन ─ तो तुम दोनों को मंजूर है ये लिमिट?

दोनों ने सिर उठा कर अपुन को देखा और शर्माते हुए हां में सिर हिला दिया। जाने क्यों एकाएक अपुन के मन में मीठे मीठे खयाल उभरने लग गएले थे। दोनों कच्ची कलियों को फूल बना देने को मन मचलने लग गयला था लेकिन अपुन जानता था कि ऐसा करना फिलहाल ठीक नहीं है।

अपुन ─ ओके फाईन, तो अब तुम दोनों जाओ अपने अपने रूम में। अपुन को भी अब सोने का है।

दोनों ये सुनते ही हैरानी से अपुन को देखने लगीं। शायद उन्हें अपुन से ऐसी उम्मीद नहीं थी। दिव्या के चेहरे से साफ पता चल रेला था कि वो अपुन से बहुत कुछ कहना चाहती है लेकिन विधी की मौजूदगी में शायद उसे झिझक हो रेली थी।

विधी ─ पर मुझे तो तेरे साथ ही यहां पर सोना है भाई।

दिव्या (झट से) ─ और मुझे भी। आई मीन मुझे भी भैया के साथ सोना है।

अपुन (मन ही मन मुस्कुराया) ─ तुम दोनों अगर अपुन के साथ रहोगी तो अपुन सो नहीं पाएगा। वो क्या है न कि अपुन जब ये देखेगा कि अपुन की दो दो खूबसूरत गर्लफ्रेंड अपुन के इतने करीब पड़ेली हैं तो अपुन खुद को रोक ही नहीं पाएगा।

अपुन की ये बात सुनते ही दोनों शर्माते हुए मुस्कुरा उठीं। तभी विधी ने इस बार थोड़ा इतराते हुए कहा।

विधी ─ अच्छा, तो ठीक है तू मत रोकना खुद को।

अपुन ─ सोच ले। बाद में अपुन को किसी बात के लिए रोकना नहीं।

विधी ─ हां नहीं रोकूंगी लेकिन तू भी ज्यादा परेशान नहीं करेगा हमें।

अपुन ─ न, अपुन इस बात का कोई प्रॉमिस नहीं करेगा।

दिव्या धीमे से विधी के कान में कुछ बोली तो विधी ने मुस्कुराते हुए उससे कुछ कहा जिस पर दिव्या एकदम से शर्मा गई। इधर अपुन सोचने लगा कि ये दोनों आपस में कौन सी खिचड़ी पका रेली हैं?

अपुन ─ अरे! तुम लोग आपस में क्या खुसुर फुसुर कर रेली हो?

विधी (मुस्कुराते हुए) ─ कुछ नहीं, हम तो बस ऐसे ही बात कर रहे थे। चल अब सोना नहीं है क्या तुझे?

अपुन जानता था कि दोनों ने कुछ तो बात की थी आपस में लेकिन बता नहीं रेली हैं। अपुन के मन में थोड़ी हलचल शुरू हो गईली थी। बोले तो तरह तरह के खयाल उभरने लगे थे लौड़ा लेकिन बिना कुछ बोले अपुन जा कर बेड पर लेट गया। अपुन के लेटते ही विधी ने दिव्या को कोई इशारा किया तो उसने मुस्कुरा कर सिर हिलाया और फिर वो अपुन के बगल से लेट गई। उसके बाद विधी भी मुस्कुराते हुए आई और अपुन के दूसरी तरफ लेट गई।

बेड पर अपन तीनों लोग लेट गएले थे। अपुन दोनों के बीच में था और अब अपुन को ऐसा फील आने लग गयला था जैसे अपुन कहीं का राजा महाराजा हो बेटीचोद। अपुन के मन में एकाएक ही खुशी के लड्डू फूटने लग गएले थे और साथ ही धड़कनें बढ़ गईली थीं। तभी विधी अपुन की तरफ थोड़ा खिसक कर आई और अपुन से चिपक गई। उसके चिपकते ही अपुन के अंदर रोमांच की लहर दौड़ गई।

विधी (दिव्या से) ─ तू भी आ जा दिव्या।

उसकी बात सुन दिव्या थोड़ा शरमाई और फिर खिसक कर आई और अपुन से विधी के जैसे ही चिपक गई। दोनों तरफ से नाजुक बदन अपुन से चिपक गएले थे जिसके चलते अपुन के अंदर रोमांच के साथ साथ अलग अलग तरह के रोमांचित कर देने वाले खयाल उभरने लगे।

विधी (अपुन से) ─ अब कैसा लग रहा है भाई तुझे?

अपुन ─ मस्त फील आ रेला है अपुन को लेकिन...।

विधी ─ लेकिन??

अपुन ─ और भी मस्त फील आता अगर तुम दोनों एक साथ अपुन को किस करने लगो और फिर अपुन भी करने लगे।

विधी (अपुन को हल्के से मार कर) ─ तेरे मन में जब देखो यही चलता रहता है क्या? कितना गंदा है, हां नहीं तो।"

अपुन ─ यार जिसके पास दो दो खूबसूरत गर्लफ्रेंड हों उसके मन में कुछ भी न चले तो समझो या तो वो बेवकूफ है या फिर वो मर्द ही नहीं बेटी....।

विधी (आँखें फाड़ कर) ─ बेटी किसको बोल रहा है तू?

अपुन थोड़ा हड़बड़ा गया। अब उसे कैसे बताता कि अपुन किसी को बेटी नहीं बोला था बल्कि वो तो अपुन बेटीचोद बोल देने वाला था, शुक्र था कि ऐन वक्त पर अपुन ने अपनी जुबान को रोक लियेला था।

अपुन ─ अरे! अपुन किसी को बेटी नहीं बोल रहा। वो तो अपुन के मुख से फ्लो फ्लो में बेटी वाली गाली निकल जाने वाली थी लौ...।

विधी ─ कितना गंदा है तू।

दिव्या ─ भैया आप गंदी शंदी गाली मत दिया कीजिए और ना ही ये टपोरी वाली लैंग्वेज बोला कीजिए। सच में अच्छा नहीं लगता।

बेटीचोद, अभी क्या बाकी लोग कम थे जो ये भी अपुन को टपोरी भाषा बोलने से मना करने लगी।

विधी ─ तू सही कह रही है दिव्या। मुझे भी इसका टपोरी लैंग्वेज में बोलना अच्छा नहीं लगता। भाई, प्लीज ऐसे मत बोला कर न।

अपुन ─ यार अपुन कोशिश कर रेला है कि न बोले लेकिन आदत पड़ गईली है इस लिए मुंह से निकल ही जाता है।

दिव्या ─ मुझे तो नहीं लगता कि आप ऐसे न बोलने की कोई कोशिश कर रहे हैं।

अपुन ─ वो क्या है कि जब अपुन को याद नहीं रहता तभी ऐसे बोलता है, फिर जब कोई याद दिला देता है तो नहीं बोलता।

दिव्या ─ पर याद दिलाने पर भी तो इस वक्त आप ऐसे बोल ही रहे हैं।

अपुन सोचने लगा कि ये अचानक से भाषा वाला चैप्टर कहां से शुरू हो गया बेटीचोद? कहां किस विस वाली मस्त बात शुरू किएला था अपुन और कहां ये दोनों भाषा में अटक गईली हैं। खैर अपुन ने सोचा कि इस वक्त अगर दोनों के साथ मजा करना है तो दोनों की बात मान कर सभ्य भाषा में ही बोलना होगा।

अपुन ─ अच्छा ठीक है। अभी मैं ऐसा नहीं बोलूंगा। बोले तो एकदम तुम दोनों के जैसे बात करूंगा, ठीक है न?

दिव्या ─ हां अब ठीक है और पता है, जब आप इस तरह बोलते हैं तो और भी अच्छे लगते हैं।

अपुन ─ ओह! ऐसा क्या? चलो तो फिर इसी खुशी में अपने होठों पर किस दो।

दिव्या ये सुनते ही बुरी तरह शर्मा गई लौड़ी। उधर विधी भी मुस्कुरा उठी।

विधी ─ तू फिर से शुरू हो गया?

अपुन ─ यार अगर तुम लोगों को कुछ करने ही नहीं देना है तो जाओ अपने अपने रूम में।

अपुन का मूड सच में उखड़ गयला था। उधर अपुन की बात सुन और उखड़ा मूड देख दोनों ही थोड़ा घबरा गईं। दिव्या तो कुछ कह न पाई लेकिन विधी ने ही जैसे मोर्चा सम्हाला।

विधी ─ अभी तो सोने को कह रहा था और अब कुछ करने का मन करने लगा तेरा?

अपुन ─ वो तो करेगा ही। तुम दोनों हो ही इतनी हसीन।

अपुन की इस तारीफ से दोनों ही शर्मा गईं और खुशी से मुस्कुराई भी। इधर अपुन का सच में बहुत मन कर रेला था कि किसी पर टूट पड़े।

विधी ─ अब हसीन हैं तो इसमें हमारी क्या गलती? वैसे मेरे साथ तो तूने किस विस कर लिया है इस लिए अब तू दिव्या के साथ कर। मेरे साथ इस वक्त करने का सोचना भी नहीं, हां नहीं तो।

अपुन (दिव्या की तरफ चेहरा कर) ─ तूने सुना न विधी ने क्या कहा?

दिव्या ये सुन शर्म से अपुन के बाजू में अपना चेहरा छुपाने लगी। उसके सॉफ्ट सॉफ्ट बूब्स पहले से ही अपुन की बाजू से सेटेले थे।

अपुन ─ क्या हुआ, कुछ तो बता।

दिव्या ─ म...मैं क्या बोलूं भैया। आपको जो ठीक लगे कीजिए।

अपुन ─ ऐसे मत बोल वरना मैं बहुत कुछ करने लग जाऊंगा।

दिव्या ने शर्म के मारे और भी ज्यादा अपना चेहरा अपुन की बाजू पर घुसेड़ दिया। उधर उसकी बात सुन विधी हल्के से हंसने लगी। अपुन का मन तो बहुत कर रेला था कि अभी दिव्या को पकड़ कर उसके होठों पर टूट पड़े लेकिन लौड़ा कहीं न कहीं अपुन भी झिझक रेला था। फिर अपुन ने सोचा ऐसे तो लौड़ा मजा नहीं आएगा। वैसे भी दोनों हसीनाएं पहले से ही तैयार बैठेली हैं और शर्म की वजह से खुद पहल नहीं करेंगी। इस लिए अपुन ने अपनी बाकी बची झिझक को लौड़े लगाया और दिव्या की तरफ करवट ले ली।

अब अपन दोनों के चेहरे आमने सामने थे और बेहद करीब भी। दिव्या ने एक बार अपुन की तरफ देखा और फिर झट से शर्मा कर नजरें नीचे कर ली। उसके होठ हल्के हल्के कांप रेले थे। तभी अपुन के पीछे से विधी एकदम से अपुन से चिपक कर तथा अपने चेहरे को अपुन के कान के पास ला कर धीमे से बोली।

विधी ─ अब देखता ही रहेगा या कुछ करेगा भी?

उसकी बात सुन अपुन के समूचे जिस्म में रोमांच की लहर दौड़ गई। पीछे से उसकी छातियां अपुन की पीठ और बाजू में दब रेली थीं जिससे अपुन को अलग ही मजा आ रेला था। अपुन की धड़कनें बढ़ गईली थी और अंदर गर्मी भी आने लग गईली थी। तभी अपुन थोड़ा आगे को हुआ और दिव्या के सिर को उसके पीछे से थाम कर अपनी तरफ खींचा जिससे दिव्या का समूचा जिस्म थरथरा गया लौड़ा।

इससे पहले कि वो कुछ करती अपुन झट आगे को हुआ और उसके कांपते होठों को चूम लिया। दिव्या एक बार फिर से थरथरा गई लेकिन उसने खुद को अपुन से दूर करने का कोई प्रयास नहीं किया। ये देख अपुन ने एक बार फिर से उसके होठों को चूमा और फिर एकदम से उसके होठों को मुंह में भर लिया। बेटीचोद अब अपुन से सबर नहीं हो रेला था। पीछे से अपुन से चिपकी विधी सब देख रेली थी जिसके चलते अपुन को कुछ अलग ही तरह का मजा और रोमांच फील हो रेला था।


To be continued....
Nice update....
 

Enjoywuth

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Nice going dude।।


ये टपोरी भाषा toh मुझे भी अच्छी नहीं लगती , हां नहीं तो।
 
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Motaland2468

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दरवाजे पर हुई इस थपथपाहट को सुनते ही अपुन बुरी तरह चौंक गया। उधर विधी ने भी शायद सुन लिया था इस लिए वो भी बुरी तरह उछल पड़ी। बुरी तरह घबरा कर वो एक झटके से उठ बैठी और फिर जल्दी जल्दी अपनी टी शर्ट को नीचे सरका अपने नंगे बूब्स को छुपाने लगी।

इधर अपुन के होश उड़ गएले थे और गांड़ अलग से फट गईली थी। मन में एक ही सवाल उभरा कि बेटीचोद कौन हो सकता है बाहर?



अब आगे....


विधी का डर और घबराहट के मारे बुरा हाल हुआ जा रेला था। हालत तो अपुन की भी खराब थी लेकिन अपुन ये भी समझ रेला था कि अगर जल्दी ही उसे नहीं सम्हाला तो उसकी शक्ल देख के कोई भी समझ जाएगा कि उसके साथ कुछ गड़बड़झाला है। इस लिए अपुन ने फौरन ही उसे कंधे से पकड़ा और फिर धीमे से कहा।

अपुन ─ अपने आपको सम्हाल मेरी जान। इतना डरने या घबराने की जरूरत नहीं है।

विधी (डरते हुए धीमे से) ─ भाई, किसी को पता चल गया होगा तो क्या होगा? म..मैं तो मर ही जाऊंगी।

अपुन ─ कुछ नहीं होगा। अपुन के रहते तुझे कुछ नहीं होगा और हां सबसे पहले तू अपनी इस हालत को सुधार। तेरी शक्ल देखते ही बाहर खड़ा व्यक्ति समझ जाएगा कि अपन लोग कुछ गड़बड़ कर रेले थे।

विधी ─ मुझे बहुत डर लग रहा है भाई। पता नहीं कौन आया होगा इस टाइम?

अपुन ─ अपुन ने कहा न कि डर मत। बस तू खुद को शांत कर और नॉर्मल हो जा। तब तक अपुन दरवाजा खोल के देखता है कि कौन आया है बाहर।

विधी ने किसी तरह खुद को सम्हाला। अपुन को कुछ सूझा तो अपुन ने उसे लेट जाने को कहा और ये भी कि वो सोने की एक्टिंग करे। उसने ऐसा ही किया। तभी बाहर से किसी ने फिर से दरवाजे को धीमे से थपथपाया।

सच तो ये था कि अपुन की जबरदस्त गांड़ फटी हुई थी लौड़ा लेकिन अब इस मुसीबत का सामना तो करना ही था इस लिए खुद के अंदर हिम्मत भर के अपुन दरवाजे की तरफ तेजी से बढ़ा और हल्के से कुंडी सरका कर दरवाजा खोला। चेहरे पर भी ऐसे भाव पैदा का लिए जैसे अभी अपुन नींद से जागा हो लेकिन दरवाजा खोलते ही जिस व्यक्ति पर अपुन की नजर पड़ी उसे देखते ही अपुन का सारा डर पल में ही दूर हो गया बेटीचोद। क्योंकि बाहर कोई और नहीं बल्कि दिव्या थी। उसे देखते ही अपुन ने राहत की सांस ली और बोला।

अपुन ─ क्या हुआ, तू इस वक्त यहां? सोई नहीं अब तक?

दिव्या अपुन को अजीब तरह से घूरने लगी जिससे अपुन अंदर ही अंदर थोड़ा असहज हो गया लौड़ा। उधर कुछ पलों तक अपुन को अजीब तरह से घूरने के बाद वो बोली।

दिव्या (धीमी आवाज में) ─ अंदर आप क्या कर रहे थे विधी दी के साथ?

उसकी बात सुनते ही अपुन अंदर ही अंदर बुरी तरह चौंक गया और घबरा भी गया लौड़ा। इसका मतलब उसे पता था कि अपुन के रूम में विधी है और अपन लोग इस वक्त कुछ कर रेले थे।

अपुन उसके इस सवाल से ही समझ गया कि उससे झूठ बोलने का कोई फायदा नहीं है। वैसे भी अपन तीनों एक जैसी ही सिचुएशन में थे तो एक दूसरे के बारे में सब कुछ पता होना जरूरी था।

अपुन ─ अंदर आ, ऐसे बाहर मत खड़ी रह वरना रात के सन्नाटे में कहीं अपन लोग के बात करने की आवाज नीचे तक न चली जाए लौ..।

अपुन की बात सुन कर दिव्या बिना कुछ कहे अंदर आ गई। उसके आते ही अपुन ने दरवाजा कुंडी लगा कर बंद कर दिया। फिर जब पलटा तो देखा दिव्या बेड पर आँखें बंद कर के लेटी विधी को अपलक देखे जा रेली थी। अपुन समझ गया कि इस वक्त उसके मन में बहुत कुछ चल रेला होगा। खैर अपुन अपनी घबराहट पर अब काफी हद तक काबू पा चुका था इस लिए उसके करीब पहुंच कर उससे बोला।

अपुन ─ हां, अब बता रात के इस वक्त तू अपुन के रूम के बाहर क्या कर रेली थी?

दिव्या ने पहले अपुन को ध्यान से देखा और फिर विधी पर नजर डाल कर बोली।

दिव्या ─ पहले आप बताइए कि आप और विधी दी यहां क्या कर रहे थे?

अपुन ─ अरे! वो तो अपन लोग बस एक दूसरे को किस कर रेले थे।

दिव्या (आँखें फैला कर) ─ झूठ मत बोलिए। मैंने बाहर से सब सुन लिया है।

अपुन समझ तो पहले ही गयला था लेकिन अब जानना चाहता था कि उसने कितना सुन लिएला है? ये भी जानना चाहता था कि वो अपुन के रूम के बाहर कैसे आ गईली थी?

अपुन ─ अच्छा, क्या सुन लिया है तूने और...और तू बाहर क्या कर रेली थी?

दिव्या ─ वो मैं, आपसे मिलने ही आपके रूम आ रही थी तो जब मैंने आपका रूम खोलना चाहा तो वो अंदर से बंद था। जबकि आपका रूम अंदर से कभी बंद नहीं होता इस लिए जब मैंने जाना कि आपका रूम अंदर से बंद है तो मुझे हैरानी हुई। फिर तभी मैंने सोचा कहीं विधी दी तो आपके रूम में नहीं हैं? मतलब कि शायद उन्होंने ही रूम अंदर से बंद कर दिया हो। जब मुझे ऐसा लगा तो मैंने सोचा कि इस वक्त आप और विधी दी आपस में क्या बातें कर रहे होंगे? बस इसी क्यूरियोसिटी में मैंने दरवाजे पर अपने कान सटा दिए थे। उसके बाद जल्दी ही मुझे आप दोनों की धीमी आवाज में बातें सुनाई देने लगीं थी। मैं आप दोनों की बातें सुनती रही और सोचती रही कि आप ये कैसी कैसी बातें करते जा रहे हैं। फिर जब मैंने आप दोनों के ऐसा करने की बातें सुनी तो बहुत शॉक हुई। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि आप और विधी दी ऐसा भी कर सकते हैं। फिर मुझे ये सोच कर डर और घबराहट होने लगी कि कहीं नीचे से दी लोग में से कोई ऊपर न आ जाए और आप दोनों की ऐसी बातें सुन ले इस लिए मैंने दरवाजा थपथपाया था।

दिव्या की बातें सुन कर अपुन जान गया कि वो अपुन के रूम में अपुन से मिलने के वास्ते आ रेली थी और उसी चक्कर में उसे ये सब पता चल गया लौड़ा। खैर अपुन को ये जान के अच्छ लगा कि उसे अपन लोग के ऐसा करने से कोई एतराज वगैरा नहीं था बल्कि उसे अपन लोग के पकड़े जाने की फिक्र थी इसी लिए उसने दरवाजा थपथपायला था। तभी अपुन को सोचता देख दिव्या ने फिर कहा।

दिव्या ─ वैसे भैया, आप दोनों ये क्या कर रहे थे? मतलब कि आप दोनों ऐसा कैसे कर सकते हैं? ये तो गलत है न?

अपुन ─ देख अपन लोग जो भी कर रेले थे उसमें अपन दोनों की ही मर्जी थी। बाकी रही सही गलत की बात तो तू ये मत भूल कि अपन लोग भाई बहन के साथ साथ अब गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड भी हैं। इस रिलेशन में होने नाते अपन लोग के बीच थोड़ा बहुत ये सब तो होगा ही।

दिव्या ─ पर भैया किसी को पता चल गया तो वो तो इसे गलत ही कहेंगे न?

अपुन ─ यार किसी को कैसे पता चलेगा? मतलब कि जब अपन लोग किसी को कुछ बताएंगे ही नहीं तो कैसे पता चल जाएगा?

दिव्या भारी उलझन में दिखने लग गईली थी अपुन को। उसे समझ नहीं आ रेला था कि इस मामले में क्या बोले? इधर अपुन भी सोच रेला था कि इस मामले को किसी तरह सम्हाल लिया जाए और दिव्या की नजर में इस सबको को जायज साबित कर दिया जाए। आखिर गर्लफ्रेंड तो वो भी बन गईली थी अपुन की तो यही सब उसके साथ भी तो करेगा अपुन। बोले तो आज नहीं तो कल ऐसा उसके साथ जरूर होएगा, या करेगा अपुन।

अपुन ─ देख, तुझे इस बारे में ज्यादा ओचने की जरूरत नहीं है। गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड होने के नाते अपन लोग के बीच थोड़ा बहुत ये सब चलेगा ही। विधी को इससे कोई एतराज नहीं था और अपुन को भी नहीं था इस लिए अपन दोनों ने ये किया पर अगर तुझे इससे एतराज है तो तू मत करना। वैसे भी ये सब वही कर सकता है जो आपस में प्यार भी करता हो। अपुन विधी से और विधी अपुन को प्यार करती है इस लिए अपन दोनों को इससे कोई प्रॉब्लम नहीं है।

दिव्या ─ ये आप क्या कह रहे हैं भैया? क्या सच में आप दोनों एक दूसरे से प्यार भी करते हैं?

अपुन ─ हां, क्या तुझे शक है?

दिव्या ─ पर भाई बहन एक दूसरे से प्यार कैसे कर सकते हैं भैया? और...और भाई बहन के इस प्यार को घर वाले एक्सेप्ट भी नहीं करेंगे।

अपुन ─ हां, ये अपन दोनों भी जानते हैं लेकिन किसी के एक्सेप्ट न करने से दिल में मौजूद प्यार मिट थोड़े न जाएगा। हां ये अपुन मानता है कि इस प्यार के साथ अपन लोग पूरी लाइफ के लिए एक दूसरे के नहीं हो सकते लेकिन अपन लोग का प्यार फिर भी हमेशा एक दूसरे के दिल में रहेगा।

दिव्या हैरान परेशान सी देखती रही अपुन को। उधर बेड पर लेटी आँखें बंद किए सोने का नाटक करती विधी भी यकीनन अपुन की ये सब बातें सुन रेली थी और समझने की कोशिश कर रेली होगी कि ये सब ठीक है या नहीं?

दिव्या ─ मुझे तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा भैया कि ये सब कैसे हो सकता है और ये आप कैसे कर सकते हैं?

अपुन ─ देख, अपुन तेरे को सिंपल तरीके से समझाता है। सबकी नजर में अपन लोग भाई बहन हैं फिर भी अपन लोग ने एक दूसरे के साथ बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड वाला रिलेशन भी बना लिया, क्यों? क्योंकि ऐसा अपन लोग चाहते थे। जबकि अपन लोग को भी पता था कि भाई बहन आपस में गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड वाले रिलेशन में नहीं हो सकते, क्योंकि ये गलत होता है, फिर भी अपन लोग ने ऐसा रिलेशन बना लिया। तो जब बना लिया तो उस रिलेशन में होने के वास्ते अपन लोगों के बीच थोड़ा बहुत तो ये सब होगा ही वरना ऐसे रिलेशन में रहने का मतलब ही क्या रह जाएगा?

दिव्या ─ हां ये तो आप सही कह रहे हैं।

अपुन ─ सिंपल सी बात है दिव्या कि इस रिलेशन को बनाने से पहले तूने या विधी ने भी तो सोचा ही रहा होगा कि गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड आपस में क्या करते हैं इसके बावजूद तुम दोनों ने अपुन की गर्लफ्रेंड बनना चाहा। तो अब जब बन ही गईली हो तो अपन लोग के बीच थोड़ा बहुत ये सब तो होगा ही। अगर तुझे ये गलत लगता है तो अभी इसी वक्त इस रिलेशन को तोड़ दे और पहले की तरह पूरी तरह अपुन की बहन बन जा।

दिव्या इस बार कुछ न बोली। वो गहरी सोच में थी। तभी बेड पर सोने का नाटक कर रही विधी एकदम से उठ बैठी। उसे उठ गया देख दिव्या हल्के से चौंकी।

विधी ─ भाई मुझे तेरे साथ इस रिलेशन में कोई प्रॉब्लम नहीं है। दिव्या को अगर ये सब गलत लगता है तो ये तेरे साथ इस रिलेशन को तोड़ सकती है।

दिव्या ─ नहीं दी, मुझे भी गलत नहीं लगता और...और मैं भी भैया के साथ इस रिलेशन में रहूंगी।

अपुन ─ अच्छी तरह सोच ले दिव्या। बाद में तू फिर ये मत बोलने लगना कि ये गलत है या वो गलत है।

दिव्या ─ मैं नहीं बोलूंगी भैया, ट्रस्ट मी।

अपुन ─ अपुन को भी पता है कि भाई बहन के हिसाब से ये सब करना गलत है लेकिन बात जब नए रिलेशनशिप और एक दूसरे से प्यार करने की हो तो फिर सब कुछ जायज हो जाता है। हां, बाकी सबकी नजर में अपन लोग भाई बहन ही रहेंगे और वैसा ही बर्ताव करेंगे लेकिन अपने सामने वैसे ही बिहैव करेंगे जैसे गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड करते हैं, समझ गई न?

दिव्या ─ जी भैया।

अपुन (विधी से) ─ और तू भी समझ गई न?

विधी ─ हां, लेकिन मुझे तुझसे एक बात पूछनी है।

अपुन ─ हां पूछ।

विधी ─ वो मैं तुझसे ये पूछना चाहती हूं कि हम लोग आपस में जो भी करेंगे उसकी एक लिमिट तो होगी न?

अपुन समझ गया कि उसके मन में असल में क्या है और वो असल में क्या जानना चाहती है। अपुन भी सोचने लगा कि इस वक्त इस बारे में उसे क्या जवाब दिया जाए?

अपुन ─ हां क्यों नहीं। बोले तो रियलिटी में अपन लोग भाई बहन भी हैं इस लिए अपन लोग के बीच एक लिमिट का होना भी जरूरी है।

विधी ─ तो अब तू ही बता कि किस तरह की लिमिट होगी?

अपुन (सोचते हुए) ─ अपन लोग के बीच सेक्स नहीं होगा बाकी सब कुछ कर सकते हैं, ये ठीक है न?

अपुन की ये बात सुनते ही विधी और दिव्या एकदम से आंखें फाड़ कर अपुन को देखने लगीं। फिर एकाएक ही दोनों के चेहरे शर्म की वजह से झुक ग‌ए लौड़ा। इधर अपुन की भी धड़कनें तेज हो गईली थीं।

वैसे अपुन ने ऐसा इसी लिए कहा था ताकि दोनों के मन में यही रहे कि अपुन के मन में उनके प्रति गलत भावना नहीं है और अपुन भी सही गलत सोचता है। खैर अपुन ने जब देखा दोनों का चेहरा शर्म से सुर्ख पड़ गयला है तो थोड़ा मुस्कुराया और फिर बोला।

अपुन ─ तो तुम दोनों को मंजूर है ये लिमिट?

दोनों ने सिर उठा कर अपुन को देखा और शर्माते हुए हां में सिर हिला दिया। जाने क्यों एकाएक अपुन के मन में मीठे मीठे खयाल उभरने लग गएले थे। दोनों कच्ची कलियों को फूल बना देने को मन मचलने लग गयला था लेकिन अपुन जानता था कि ऐसा करना फिलहाल ठीक नहीं है।

अपुन ─ ओके फाईन, तो अब तुम दोनों जाओ अपने अपने रूम में। अपुन को भी अब सोने का है।

दोनों ये सुनते ही हैरानी से अपुन को देखने लगीं। शायद उन्हें अपुन से ऐसी उम्मीद नहीं थी। दिव्या के चेहरे से साफ पता चल रेला था कि वो अपुन से बहुत कुछ कहना चाहती है लेकिन विधी की मौजूदगी में शायद उसे झिझक हो रेली थी।

विधी ─ पर मुझे तो तेरे साथ ही यहां पर सोना है भाई।

दिव्या (झट से) ─ और मुझे भी। आई मीन मुझे भी भैया के साथ सोना है।

अपुन (मन ही मन मुस्कुराया) ─ तुम दोनों अगर अपुन के साथ रहोगी तो अपुन सो नहीं पाएगा। वो क्या है न कि अपुन जब ये देखेगा कि अपुन की दो दो खूबसूरत गर्लफ्रेंड अपुन के इतने करीब पड़ेली हैं तो अपुन खुद को रोक ही नहीं पाएगा।

अपुन की ये बात सुनते ही दोनों शर्माते हुए मुस्कुरा उठीं। तभी विधी ने इस बार थोड़ा इतराते हुए कहा।

विधी ─ अच्छा, तो ठीक है तू मत रोकना खुद को।

अपुन ─ सोच ले। बाद में अपुन को किसी बात के लिए रोकना नहीं।

विधी ─ हां नहीं रोकूंगी लेकिन तू भी ज्यादा परेशान नहीं करेगा हमें।

अपुन ─ न, अपुन इस बात का कोई प्रॉमिस नहीं करेगा।

दिव्या धीमे से विधी के कान में कुछ बोली तो विधी ने मुस्कुराते हुए उससे कुछ कहा जिस पर दिव्या एकदम से शर्मा गई। इधर अपुन सोचने लगा कि ये दोनों आपस में कौन सी खिचड़ी पका रेली हैं?

अपुन ─ अरे! तुम लोग आपस में क्या खुसुर फुसुर कर रेली हो?

विधी (मुस्कुराते हुए) ─ कुछ नहीं, हम तो बस ऐसे ही बात कर रहे थे। चल अब सोना नहीं है क्या तुझे?

अपुन जानता था कि दोनों ने कुछ तो बात की थी आपस में लेकिन बता नहीं रेली हैं। अपुन के मन में थोड़ी हलचल शुरू हो गईली थी। बोले तो तरह तरह के खयाल उभरने लगे थे लौड़ा लेकिन बिना कुछ बोले अपुन जा कर बेड पर लेट गया। अपुन के लेटते ही विधी ने दिव्या को कोई इशारा किया तो उसने मुस्कुरा कर सिर हिलाया और फिर वो अपुन के बगल से लेट गई। उसके बाद विधी भी मुस्कुराते हुए आई और अपुन के दूसरी तरफ लेट गई।

बेड पर अपन तीनों लोग लेट गएले थे। अपुन दोनों के बीच में था और अब अपुन को ऐसा फील आने लग गयला था जैसे अपुन कहीं का राजा महाराजा हो बेटीचोद। अपुन के मन में एकाएक ही खुशी के लड्डू फूटने लग गएले थे और साथ ही धड़कनें बढ़ गईली थीं। तभी विधी अपुन की तरफ थोड़ा खिसक कर आई और अपुन से चिपक गई। उसके चिपकते ही अपुन के अंदर रोमांच की लहर दौड़ गई।

विधी (दिव्या से) ─ तू भी आ जा दिव्या।

उसकी बात सुन दिव्या थोड़ा शरमाई और फिर खिसक कर आई और अपुन से विधी के जैसे ही चिपक गई। दोनों तरफ से नाजुक बदन अपुन से चिपक गएले थे जिसके चलते अपुन के अंदर रोमांच के साथ साथ अलग अलग तरह के रोमांचित कर देने वाले खयाल उभरने लगे।

विधी (अपुन से) ─ अब कैसा लग रहा है भाई तुझे?

अपुन ─ मस्त फील आ रेला है अपुन को लेकिन...।

विधी ─ लेकिन??

अपुन ─ और भी मस्त फील आता अगर तुम दोनों एक साथ अपुन को किस करने लगो और फिर अपुन भी करने लगे।

विधी (अपुन को हल्के से मार कर) ─ तेरे मन में जब देखो यही चलता रहता है क्या? कितना गंदा है, हां नहीं तो।"

अपुन ─ यार जिसके पास दो दो खूबसूरत गर्लफ्रेंड हों उसके मन में कुछ भी न चले तो समझो या तो वो बेवकूफ है या फिर वो मर्द ही नहीं बेटी....।

विधी (आँखें फाड़ कर) ─ बेटी किसको बोल रहा है तू?

अपुन थोड़ा हड़बड़ा गया। अब उसे कैसे बताता कि अपुन किसी को बेटी नहीं बोला था बल्कि वो तो अपुन बेटीचोद बोल देने वाला था, शुक्र था कि ऐन वक्त पर अपुन ने अपनी जुबान को रोक लियेला था।

अपुन ─ अरे! अपुन किसी को बेटी नहीं बोल रहा। वो तो अपुन के मुख से फ्लो फ्लो में बेटी वाली गाली निकल जाने वाली थी लौ...।

विधी ─ कितना गंदा है तू।

दिव्या ─ भैया आप गंदी शंदी गाली मत दिया कीजिए और ना ही ये टपोरी वाली लैंग्वेज बोला कीजिए। सच में अच्छा नहीं लगता।

बेटीचोद, अभी क्या बाकी लोग कम थे जो ये भी अपुन को टपोरी भाषा बोलने से मना करने लगी।

विधी ─ तू सही कह रही है दिव्या। मुझे भी इसका टपोरी लैंग्वेज में बोलना अच्छा नहीं लगता। भाई, प्लीज ऐसे मत बोला कर न।

अपुन ─ यार अपुन कोशिश कर रेला है कि न बोले लेकिन आदत पड़ गईली है इस लिए मुंह से निकल ही जाता है।

दिव्या ─ मुझे तो नहीं लगता कि आप ऐसे न बोलने की कोई कोशिश कर रहे हैं।

अपुन ─ वो क्या है कि जब अपुन को याद नहीं रहता तभी ऐसे बोलता है, फिर जब कोई याद दिला देता है तो नहीं बोलता।

दिव्या ─ पर याद दिलाने पर भी तो इस वक्त आप ऐसे बोल ही रहे हैं।

अपुन सोचने लगा कि ये अचानक से भाषा वाला चैप्टर कहां से शुरू हो गया बेटीचोद? कहां किस विस वाली मस्त बात शुरू किएला था अपुन और कहां ये दोनों भाषा में अटक गईली हैं। खैर अपुन ने सोचा कि इस वक्त अगर दोनों के साथ मजा करना है तो दोनों की बात मान कर सभ्य भाषा में ही बोलना होगा।

अपुन ─ अच्छा ठीक है। अभी मैं ऐसा नहीं बोलूंगा। बोले तो एकदम तुम दोनों के जैसे बात करूंगा, ठीक है न?

दिव्या ─ हां अब ठीक है और पता है, जब आप इस तरह बोलते हैं तो और भी अच्छे लगते हैं।

अपुन ─ ओह! ऐसा क्या? चलो तो फिर इसी खुशी में अपने होठों पर किस दो।

दिव्या ये सुनते ही बुरी तरह शर्मा गई लौड़ी। उधर विधी भी मुस्कुरा उठी।

विधी ─ तू फिर से शुरू हो गया?

अपुन ─ यार अगर तुम लोगों को कुछ करने ही नहीं देना है तो जाओ अपने अपने रूम में।

अपुन का मूड सच में उखड़ गयला था। उधर अपुन की बात सुन और उखड़ा मूड देख दोनों ही थोड़ा घबरा गईं। दिव्या तो कुछ कह न पाई लेकिन विधी ने ही जैसे मोर्चा सम्हाला।

विधी ─ अभी तो सोने को कह रहा था और अब कुछ करने का मन करने लगा तेरा?

अपुन ─ वो तो करेगा ही। तुम दोनों हो ही इतनी हसीन।

अपुन की इस तारीफ से दोनों ही शर्मा गईं और खुशी से मुस्कुराई भी। इधर अपुन का सच में बहुत मन कर रेला था कि किसी पर टूट पड़े।

विधी ─ अब हसीन हैं तो इसमें हमारी क्या गलती? वैसे मेरे साथ तो तूने किस विस कर लिया है इस लिए अब तू दिव्या के साथ कर। मेरे साथ इस वक्त करने का सोचना भी नहीं, हां नहीं तो।

अपुन (दिव्या की तरफ चेहरा कर) ─ तूने सुना न विधी ने क्या कहा?

दिव्या ये सुन शर्म से अपुन के बाजू में अपना चेहरा छुपाने लगी। उसके सॉफ्ट सॉफ्ट बूब्स पहले से ही अपुन की बाजू से सेटेले थे।

अपुन ─ क्या हुआ, कुछ तो बता।

दिव्या ─ म...मैं क्या बोलूं भैया। आपको जो ठीक लगे कीजिए।

अपुन ─ ऐसे मत बोल वरना मैं बहुत कुछ करने लग जाऊंगा।

दिव्या ने शर्म के मारे और भी ज्यादा अपना चेहरा अपुन की बाजू पर घुसेड़ दिया। उधर उसकी बात सुन विधी हल्के से हंसने लगी। अपुन का मन तो बहुत कर रेला था कि अभी दिव्या को पकड़ कर उसके होठों पर टूट पड़े लेकिन लौड़ा कहीं न कहीं अपुन भी झिझक रेला था। फिर अपुन ने सोचा ऐसे तो लौड़ा मजा नहीं आएगा। वैसे भी दोनों हसीनाएं पहले से ही तैयार बैठेली हैं और शर्म की वजह से खुद पहल नहीं करेंगी। इस लिए अपुन ने अपनी बाकी बची झिझक को लौड़े लगाया और दिव्या की तरफ करवट ले ली।

अब अपन दोनों के चेहरे आमने सामने थे और बेहद करीब भी। दिव्या ने एक बार अपुन की तरफ देखा और फिर झट से शर्मा कर नजरें नीचे कर ली। उसके होठ हल्के हल्के कांप रेले थे। तभी अपुन के पीछे से विधी एकदम से अपुन से चिपक कर तथा अपने चेहरे को अपुन के कान के पास ला कर धीमे से बोली।

विधी ─ अब देखता ही रहेगा या कुछ करेगा भी?

उसकी बात सुन अपुन के समूचे जिस्म में रोमांच की लहर दौड़ गई। पीछे से उसकी छातियां अपुन की पीठ और बाजू में दब रेली थीं जिससे अपुन को अलग ही मजा आ रेला था। अपुन की धड़कनें बढ़ गईली थी और अंदर गर्मी भी आने लग गईली थी। तभी अपुन थोड़ा आगे को हुआ और दिव्या के सिर को उसके पीछे से थाम कर अपनी तरफ खींचा जिससे दिव्या का समूचा जिस्म थरथरा गया लौड़ा।

इससे पहले कि वो कुछ करती अपुन झट आगे को हुआ और उसके कांपते होठों को चूम लिया। दिव्या एक बार फिर से थरथरा गई लेकिन उसने खुद को अपुन से दूर करने का कोई प्रयास नहीं किया। ये देख अपुन ने एक बार फिर से उसके होठों को चूमा और फिर एकदम से उसके होठों को मुंह में भर लिया। बेटीचोद अब अपुन से सबर नहीं हो रेला था। पीछे से अपुन से चिपकी विधी सब देख रेली थी जिसके चलते अपुन को कुछ अलग ही तरह का मजा और रोमांच फील हो रेला था।


To be continued....
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दरवाजे पर हुई इस थपथपाहट को सुनते ही अपुन बुरी तरह चौंक गया। उधर विधी ने भी शायद सुन लिया था इस लिए वो भी बुरी तरह उछल पड़ी। बुरी तरह घबरा कर वो एक झटके से उठ बैठी और फिर जल्दी जल्दी अपनी टी शर्ट को नीचे सरका अपने नंगे बूब्स को छुपाने लगी।

इधर अपुन के होश उड़ गएले थे और गांड़ अलग से फट गईली थी। मन में एक ही सवाल उभरा कि बेटीचोद कौन हो सकता है बाहर?



अब आगे....


विधी का डर और घबराहट के मारे बुरा हाल हुआ जा रेला था। हालत तो अपुन की भी खराब थी लेकिन अपुन ये भी समझ रेला था कि अगर जल्दी ही उसे नहीं सम्हाला तो उसकी शक्ल देख के कोई भी समझ जाएगा कि उसके साथ कुछ गड़बड़झाला है। इस लिए अपुन ने फौरन ही उसे कंधे से पकड़ा और फिर धीमे से कहा।

अपुन ─ अपने आपको सम्हाल मेरी जान। इतना डरने या घबराने की जरूरत नहीं है।

विधी (डरते हुए धीमे से) ─ भाई, किसी को पता चल गया होगा तो क्या होगा? म..मैं तो मर ही जाऊंगी।

अपुन ─ कुछ नहीं होगा। अपुन के रहते तुझे कुछ नहीं होगा और हां सबसे पहले तू अपनी इस हालत को सुधार। तेरी शक्ल देखते ही बाहर खड़ा व्यक्ति समझ जाएगा कि अपन लोग कुछ गड़बड़ कर रेले थे।

विधी ─ मुझे बहुत डर लग रहा है भाई। पता नहीं कौन आया होगा इस टाइम?

अपुन ─ अपुन ने कहा न कि डर मत। बस तू खुद को शांत कर और नॉर्मल हो जा। तब तक अपुन दरवाजा खोल के देखता है कि कौन आया है बाहर।

विधी ने किसी तरह खुद को सम्हाला। अपुन को कुछ सूझा तो अपुन ने उसे लेट जाने को कहा और ये भी कि वो सोने की एक्टिंग करे। उसने ऐसा ही किया। तभी बाहर से किसी ने फिर से दरवाजे को धीमे से थपथपाया।

सच तो ये था कि अपुन की जबरदस्त गांड़ फटी हुई थी लौड़ा लेकिन अब इस मुसीबत का सामना तो करना ही था इस लिए खुद के अंदर हिम्मत भर के अपुन दरवाजे की तरफ तेजी से बढ़ा और हल्के से कुंडी सरका कर दरवाजा खोला। चेहरे पर भी ऐसे भाव पैदा का लिए जैसे अभी अपुन नींद से जागा हो लेकिन दरवाजा खोलते ही जिस व्यक्ति पर अपुन की नजर पड़ी उसे देखते ही अपुन का सारा डर पल में ही दूर हो गया बेटीचोद। क्योंकि बाहर कोई और नहीं बल्कि दिव्या थी। उसे देखते ही अपुन ने राहत की सांस ली और बोला।

अपुन ─ क्या हुआ, तू इस वक्त यहां? सोई नहीं अब तक?

दिव्या अपुन को अजीब तरह से घूरने लगी जिससे अपुन अंदर ही अंदर थोड़ा असहज हो गया लौड़ा। उधर कुछ पलों तक अपुन को अजीब तरह से घूरने के बाद वो बोली।

दिव्या (धीमी आवाज में) ─ अंदर आप क्या कर रहे थे विधी दी के साथ?

उसकी बात सुनते ही अपुन अंदर ही अंदर बुरी तरह चौंक गया और घबरा भी गया लौड़ा। इसका मतलब उसे पता था कि अपुन के रूम में विधी है और अपन लोग इस वक्त कुछ कर रेले थे।

अपुन उसके इस सवाल से ही समझ गया कि उससे झूठ बोलने का कोई फायदा नहीं है। वैसे भी अपन तीनों एक जैसी ही सिचुएशन में थे तो एक दूसरे के बारे में सब कुछ पता होना जरूरी था।

अपुन ─ अंदर आ, ऐसे बाहर मत खड़ी रह वरना रात के सन्नाटे में कहीं अपन लोग के बात करने की आवाज नीचे तक न चली जाए लौ..।

अपुन की बात सुन कर दिव्या बिना कुछ कहे अंदर आ गई। उसके आते ही अपुन ने दरवाजा कुंडी लगा कर बंद कर दिया। फिर जब पलटा तो देखा दिव्या बेड पर आँखें बंद कर के लेटी विधी को अपलक देखे जा रेली थी। अपुन समझ गया कि इस वक्त उसके मन में बहुत कुछ चल रेला होगा। खैर अपुन अपनी घबराहट पर अब काफी हद तक काबू पा चुका था इस लिए उसके करीब पहुंच कर उससे बोला।

अपुन ─ हां, अब बता रात के इस वक्त तू अपुन के रूम के बाहर क्या कर रेली थी?

दिव्या ने पहले अपुन को ध्यान से देखा और फिर विधी पर नजर डाल कर बोली।

दिव्या ─ पहले आप बताइए कि आप और विधी दी यहां क्या कर रहे थे?

अपुन ─ अरे! वो तो अपन लोग बस एक दूसरे को किस कर रेले थे।

दिव्या (आँखें फैला कर) ─ झूठ मत बोलिए। मैंने बाहर से सब सुन लिया है।

अपुन समझ तो पहले ही गयला था लेकिन अब जानना चाहता था कि उसने कितना सुन लिएला है? ये भी जानना चाहता था कि वो अपुन के रूम के बाहर कैसे आ गईली थी?

अपुन ─ अच्छा, क्या सुन लिया है तूने और...और तू बाहर क्या कर रेली थी?

दिव्या ─ वो मैं, आपसे मिलने ही आपके रूम आ रही थी तो जब मैंने आपका रूम खोलना चाहा तो वो अंदर से बंद था। जबकि आपका रूम अंदर से कभी बंद नहीं होता इस लिए जब मैंने जाना कि आपका रूम अंदर से बंद है तो मुझे हैरानी हुई। फिर तभी मैंने सोचा कहीं विधी दी तो आपके रूम में नहीं हैं? मतलब कि शायद उन्होंने ही रूम अंदर से बंद कर दिया हो। जब मुझे ऐसा लगा तो मैंने सोचा कि इस वक्त आप और विधी दी आपस में क्या बातें कर रहे होंगे? बस इसी क्यूरियोसिटी में मैंने दरवाजे पर अपने कान सटा दिए थे। उसके बाद जल्दी ही मुझे आप दोनों की धीमी आवाज में बातें सुनाई देने लगीं थी। मैं आप दोनों की बातें सुनती रही और सोचती रही कि आप ये कैसी कैसी बातें करते जा रहे हैं। फिर जब मैंने आप दोनों के ऐसा करने की बातें सुनी तो बहुत शॉक हुई। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि आप और विधी दी ऐसा भी कर सकते हैं। फिर मुझे ये सोच कर डर और घबराहट होने लगी कि कहीं नीचे से दी लोग में से कोई ऊपर न आ जाए और आप दोनों की ऐसी बातें सुन ले इस लिए मैंने दरवाजा थपथपाया था।

दिव्या की बातें सुन कर अपुन जान गया कि वो अपुन के रूम में अपुन से मिलने के वास्ते आ रेली थी और उसी चक्कर में उसे ये सब पता चल गया लौड़ा। खैर अपुन को ये जान के अच्छ लगा कि उसे अपन लोग के ऐसा करने से कोई एतराज वगैरा नहीं था बल्कि उसे अपन लोग के पकड़े जाने की फिक्र थी इसी लिए उसने दरवाजा थपथपायला था। तभी अपुन को सोचता देख दिव्या ने फिर कहा।

दिव्या ─ वैसे भैया, आप दोनों ये क्या कर रहे थे? मतलब कि आप दोनों ऐसा कैसे कर सकते हैं? ये तो गलत है न?

अपुन ─ देख अपन लोग जो भी कर रेले थे उसमें अपन दोनों की ही मर्जी थी। बाकी रही सही गलत की बात तो तू ये मत भूल कि अपन लोग भाई बहन के साथ साथ अब गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड भी हैं। इस रिलेशन में होने नाते अपन लोग के बीच थोड़ा बहुत ये सब तो होगा ही।

दिव्या ─ पर भैया किसी को पता चल गया तो वो तो इसे गलत ही कहेंगे न?

अपुन ─ यार किसी को कैसे पता चलेगा? मतलब कि जब अपन लोग किसी को कुछ बताएंगे ही नहीं तो कैसे पता चल जाएगा?

दिव्या भारी उलझन में दिखने लग गईली थी अपुन को। उसे समझ नहीं आ रेला था कि इस मामले में क्या बोले? इधर अपुन भी सोच रेला था कि इस मामले को किसी तरह सम्हाल लिया जाए और दिव्या की नजर में इस सबको को जायज साबित कर दिया जाए। आखिर गर्लफ्रेंड तो वो भी बन गईली थी अपुन की तो यही सब उसके साथ भी तो करेगा अपुन। बोले तो आज नहीं तो कल ऐसा उसके साथ जरूर होएगा, या करेगा अपुन।

अपुन ─ देख, तुझे इस बारे में ज्यादा ओचने की जरूरत नहीं है। गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड होने के नाते अपन लोग के बीच थोड़ा बहुत ये सब चलेगा ही। विधी को इससे कोई एतराज नहीं था और अपुन को भी नहीं था इस लिए अपन दोनों ने ये किया पर अगर तुझे इससे एतराज है तो तू मत करना। वैसे भी ये सब वही कर सकता है जो आपस में प्यार भी करता हो। अपुन विधी से और विधी अपुन को प्यार करती है इस लिए अपन दोनों को इससे कोई प्रॉब्लम नहीं है।

दिव्या ─ ये आप क्या कह रहे हैं भैया? क्या सच में आप दोनों एक दूसरे से प्यार भी करते हैं?

अपुन ─ हां, क्या तुझे शक है?

दिव्या ─ पर भाई बहन एक दूसरे से प्यार कैसे कर सकते हैं भैया? और...और भाई बहन के इस प्यार को घर वाले एक्सेप्ट भी नहीं करेंगे।

अपुन ─ हां, ये अपन दोनों भी जानते हैं लेकिन किसी के एक्सेप्ट न करने से दिल में मौजूद प्यार मिट थोड़े न जाएगा। हां ये अपुन मानता है कि इस प्यार के साथ अपन लोग पूरी लाइफ के लिए एक दूसरे के नहीं हो सकते लेकिन अपन लोग का प्यार फिर भी हमेशा एक दूसरे के दिल में रहेगा।

दिव्या हैरान परेशान सी देखती रही अपुन को। उधर बेड पर लेटी आँखें बंद किए सोने का नाटक करती विधी भी यकीनन अपुन की ये सब बातें सुन रेली थी और समझने की कोशिश कर रेली होगी कि ये सब ठीक है या नहीं?

दिव्या ─ मुझे तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा भैया कि ये सब कैसे हो सकता है और ये आप कैसे कर सकते हैं?

अपुन ─ देख, अपुन तेरे को सिंपल तरीके से समझाता है। सबकी नजर में अपन लोग भाई बहन हैं फिर भी अपन लोग ने एक दूसरे के साथ बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड वाला रिलेशन भी बना लिया, क्यों? क्योंकि ऐसा अपन लोग चाहते थे। जबकि अपन लोग को भी पता था कि भाई बहन आपस में गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड वाले रिलेशन में नहीं हो सकते, क्योंकि ये गलत होता है, फिर भी अपन लोग ने ऐसा रिलेशन बना लिया। तो जब बना लिया तो उस रिलेशन में होने के वास्ते अपन लोगों के बीच थोड़ा बहुत तो ये सब होगा ही वरना ऐसे रिलेशन में रहने का मतलब ही क्या रह जाएगा?

दिव्या ─ हां ये तो आप सही कह रहे हैं।

अपुन ─ सिंपल सी बात है दिव्या कि इस रिलेशन को बनाने से पहले तूने या विधी ने भी तो सोचा ही रहा होगा कि गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड आपस में क्या करते हैं इसके बावजूद तुम दोनों ने अपुन की गर्लफ्रेंड बनना चाहा। तो अब जब बन ही गईली हो तो अपन लोग के बीच थोड़ा बहुत ये सब तो होगा ही। अगर तुझे ये गलत लगता है तो अभी इसी वक्त इस रिलेशन को तोड़ दे और पहले की तरह पूरी तरह अपुन की बहन बन जा।

दिव्या इस बार कुछ न बोली। वो गहरी सोच में थी। तभी बेड पर सोने का नाटक कर रही विधी एकदम से उठ बैठी। उसे उठ गया देख दिव्या हल्के से चौंकी।

विधी ─ भाई मुझे तेरे साथ इस रिलेशन में कोई प्रॉब्लम नहीं है। दिव्या को अगर ये सब गलत लगता है तो ये तेरे साथ इस रिलेशन को तोड़ सकती है।

दिव्या ─ नहीं दी, मुझे भी गलत नहीं लगता और...और मैं भी भैया के साथ इस रिलेशन में रहूंगी।

अपुन ─ अच्छी तरह सोच ले दिव्या। बाद में तू फिर ये मत बोलने लगना कि ये गलत है या वो गलत है।

दिव्या ─ मैं नहीं बोलूंगी भैया, ट्रस्ट मी।

अपुन ─ अपुन को भी पता है कि भाई बहन के हिसाब से ये सब करना गलत है लेकिन बात जब नए रिलेशनशिप और एक दूसरे से प्यार करने की हो तो फिर सब कुछ जायज हो जाता है। हां, बाकी सबकी नजर में अपन लोग भाई बहन ही रहेंगे और वैसा ही बर्ताव करेंगे लेकिन अपने सामने वैसे ही बिहैव करेंगे जैसे गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड करते हैं, समझ गई न?

दिव्या ─ जी भैया।

अपुन (विधी से) ─ और तू भी समझ गई न?

विधी ─ हां, लेकिन मुझे तुझसे एक बात पूछनी है।

अपुन ─ हां पूछ।

विधी ─ वो मैं तुझसे ये पूछना चाहती हूं कि हम लोग आपस में जो भी करेंगे उसकी एक लिमिट तो होगी न?

अपुन समझ गया कि उसके मन में असल में क्या है और वो असल में क्या जानना चाहती है। अपुन भी सोचने लगा कि इस वक्त इस बारे में उसे क्या जवाब दिया जाए?

अपुन ─ हां क्यों नहीं। बोले तो रियलिटी में अपन लोग भाई बहन भी हैं इस लिए अपन लोग के बीच एक लिमिट का होना भी जरूरी है।

विधी ─ तो अब तू ही बता कि किस तरह की लिमिट होगी?

अपुन (सोचते हुए) ─ अपन लोग के बीच सेक्स नहीं होगा बाकी सब कुछ कर सकते हैं, ये ठीक है न?

अपुन की ये बात सुनते ही विधी और दिव्या एकदम से आंखें फाड़ कर अपुन को देखने लगीं। फिर एकाएक ही दोनों के चेहरे शर्म की वजह से झुक ग‌ए लौड़ा। इधर अपुन की भी धड़कनें तेज हो गईली थीं।

वैसे अपुन ने ऐसा इसी लिए कहा था ताकि दोनों के मन में यही रहे कि अपुन के मन में उनके प्रति गलत भावना नहीं है और अपुन भी सही गलत सोचता है। खैर अपुन ने जब देखा दोनों का चेहरा शर्म से सुर्ख पड़ गयला है तो थोड़ा मुस्कुराया और फिर बोला।

अपुन ─ तो तुम दोनों को मंजूर है ये लिमिट?

दोनों ने सिर उठा कर अपुन को देखा और शर्माते हुए हां में सिर हिला दिया। जाने क्यों एकाएक अपुन के मन में मीठे मीठे खयाल उभरने लग गएले थे। दोनों कच्ची कलियों को फूल बना देने को मन मचलने लग गयला था लेकिन अपुन जानता था कि ऐसा करना फिलहाल ठीक नहीं है।

अपुन ─ ओके फाईन, तो अब तुम दोनों जाओ अपने अपने रूम में। अपुन को भी अब सोने का है।

दोनों ये सुनते ही हैरानी से अपुन को देखने लगीं। शायद उन्हें अपुन से ऐसी उम्मीद नहीं थी। दिव्या के चेहरे से साफ पता चल रेला था कि वो अपुन से बहुत कुछ कहना चाहती है लेकिन विधी की मौजूदगी में शायद उसे झिझक हो रेली थी।

विधी ─ पर मुझे तो तेरे साथ ही यहां पर सोना है भाई।

दिव्या (झट से) ─ और मुझे भी। आई मीन मुझे भी भैया के साथ सोना है।

अपुन (मन ही मन मुस्कुराया) ─ तुम दोनों अगर अपुन के साथ रहोगी तो अपुन सो नहीं पाएगा। वो क्या है न कि अपुन जब ये देखेगा कि अपुन की दो दो खूबसूरत गर्लफ्रेंड अपुन के इतने करीब पड़ेली हैं तो अपुन खुद को रोक ही नहीं पाएगा।

अपुन की ये बात सुनते ही दोनों शर्माते हुए मुस्कुरा उठीं। तभी विधी ने इस बार थोड़ा इतराते हुए कहा।

विधी ─ अच्छा, तो ठीक है तू मत रोकना खुद को।

अपुन ─ सोच ले। बाद में अपुन को किसी बात के लिए रोकना नहीं।

विधी ─ हां नहीं रोकूंगी लेकिन तू भी ज्यादा परेशान नहीं करेगा हमें।

अपुन ─ न, अपुन इस बात का कोई प्रॉमिस नहीं करेगा।

दिव्या धीमे से विधी के कान में कुछ बोली तो विधी ने मुस्कुराते हुए उससे कुछ कहा जिस पर दिव्या एकदम से शर्मा गई। इधर अपुन सोचने लगा कि ये दोनों आपस में कौन सी खिचड़ी पका रेली हैं?

अपुन ─ अरे! तुम लोग आपस में क्या खुसुर फुसुर कर रेली हो?

विधी (मुस्कुराते हुए) ─ कुछ नहीं, हम तो बस ऐसे ही बात कर रहे थे। चल अब सोना नहीं है क्या तुझे?

अपुन जानता था कि दोनों ने कुछ तो बात की थी आपस में लेकिन बता नहीं रेली हैं। अपुन के मन में थोड़ी हलचल शुरू हो गईली थी। बोले तो तरह तरह के खयाल उभरने लगे थे लौड़ा लेकिन बिना कुछ बोले अपुन जा कर बेड पर लेट गया। अपुन के लेटते ही विधी ने दिव्या को कोई इशारा किया तो उसने मुस्कुरा कर सिर हिलाया और फिर वो अपुन के बगल से लेट गई। उसके बाद विधी भी मुस्कुराते हुए आई और अपुन के दूसरी तरफ लेट गई।

बेड पर अपन तीनों लोग लेट गएले थे। अपुन दोनों के बीच में था और अब अपुन को ऐसा फील आने लग गयला था जैसे अपुन कहीं का राजा महाराजा हो बेटीचोद। अपुन के मन में एकाएक ही खुशी के लड्डू फूटने लग गएले थे और साथ ही धड़कनें बढ़ गईली थीं। तभी विधी अपुन की तरफ थोड़ा खिसक कर आई और अपुन से चिपक गई। उसके चिपकते ही अपुन के अंदर रोमांच की लहर दौड़ गई।

विधी (दिव्या से) ─ तू भी आ जा दिव्या।

उसकी बात सुन दिव्या थोड़ा शरमाई और फिर खिसक कर आई और अपुन से विधी के जैसे ही चिपक गई। दोनों तरफ से नाजुक बदन अपुन से चिपक गएले थे जिसके चलते अपुन के अंदर रोमांच के साथ साथ अलग अलग तरह के रोमांचित कर देने वाले खयाल उभरने लगे।

विधी (अपुन से) ─ अब कैसा लग रहा है भाई तुझे?

अपुन ─ मस्त फील आ रेला है अपुन को लेकिन...।

विधी ─ लेकिन??

अपुन ─ और भी मस्त फील आता अगर तुम दोनों एक साथ अपुन को किस करने लगो और फिर अपुन भी करने लगे।

विधी (अपुन को हल्के से मार कर) ─ तेरे मन में जब देखो यही चलता रहता है क्या? कितना गंदा है, हां नहीं तो।"

अपुन ─ यार जिसके पास दो दो खूबसूरत गर्लफ्रेंड हों उसके मन में कुछ भी न चले तो समझो या तो वो बेवकूफ है या फिर वो मर्द ही नहीं बेटी....।

विधी (आँखें फाड़ कर) ─ बेटी किसको बोल रहा है तू?

अपुन थोड़ा हड़बड़ा गया। अब उसे कैसे बताता कि अपुन किसी को बेटी नहीं बोला था बल्कि वो तो अपुन बेटीचोद बोल देने वाला था, शुक्र था कि ऐन वक्त पर अपुन ने अपनी जुबान को रोक लियेला था।

अपुन ─ अरे! अपुन किसी को बेटी नहीं बोल रहा। वो तो अपुन के मुख से फ्लो फ्लो में बेटी वाली गाली निकल जाने वाली थी लौ...।

विधी ─ कितना गंदा है तू।

दिव्या ─ भैया आप गंदी शंदी गाली मत दिया कीजिए और ना ही ये टपोरी वाली लैंग्वेज बोला कीजिए। सच में अच्छा नहीं लगता।

बेटीचोद, अभी क्या बाकी लोग कम थे जो ये भी अपुन को टपोरी भाषा बोलने से मना करने लगी।

विधी ─ तू सही कह रही है दिव्या। मुझे भी इसका टपोरी लैंग्वेज में बोलना अच्छा नहीं लगता। भाई, प्लीज ऐसे मत बोला कर न।

अपुन ─ यार अपुन कोशिश कर रेला है कि न बोले लेकिन आदत पड़ गईली है इस लिए मुंह से निकल ही जाता है।

दिव्या ─ मुझे तो नहीं लगता कि आप ऐसे न बोलने की कोई कोशिश कर रहे हैं।

अपुन ─ वो क्या है कि जब अपुन को याद नहीं रहता तभी ऐसे बोलता है, फिर जब कोई याद दिला देता है तो नहीं बोलता।

दिव्या ─ पर याद दिलाने पर भी तो इस वक्त आप ऐसे बोल ही रहे हैं।

अपुन सोचने लगा कि ये अचानक से भाषा वाला चैप्टर कहां से शुरू हो गया बेटीचोद? कहां किस विस वाली मस्त बात शुरू किएला था अपुन और कहां ये दोनों भाषा में अटक गईली हैं। खैर अपुन ने सोचा कि इस वक्त अगर दोनों के साथ मजा करना है तो दोनों की बात मान कर सभ्य भाषा में ही बोलना होगा।

अपुन ─ अच्छा ठीक है। अभी मैं ऐसा नहीं बोलूंगा। बोले तो एकदम तुम दोनों के जैसे बात करूंगा, ठीक है न?

दिव्या ─ हां अब ठीक है और पता है, जब आप इस तरह बोलते हैं तो और भी अच्छे लगते हैं।

अपुन ─ ओह! ऐसा क्या? चलो तो फिर इसी खुशी में अपने होठों पर किस दो।

दिव्या ये सुनते ही बुरी तरह शर्मा गई लौड़ी। उधर विधी भी मुस्कुरा उठी।

विधी ─ तू फिर से शुरू हो गया?

अपुन ─ यार अगर तुम लोगों को कुछ करने ही नहीं देना है तो जाओ अपने अपने रूम में।

अपुन का मूड सच में उखड़ गयला था। उधर अपुन की बात सुन और उखड़ा मूड देख दोनों ही थोड़ा घबरा गईं। दिव्या तो कुछ कह न पाई लेकिन विधी ने ही जैसे मोर्चा सम्हाला।

विधी ─ अभी तो सोने को कह रहा था और अब कुछ करने का मन करने लगा तेरा?

अपुन ─ वो तो करेगा ही। तुम दोनों हो ही इतनी हसीन।

अपुन की इस तारीफ से दोनों ही शर्मा गईं और खुशी से मुस्कुराई भी। इधर अपुन का सच में बहुत मन कर रेला था कि किसी पर टूट पड़े।

विधी ─ अब हसीन हैं तो इसमें हमारी क्या गलती? वैसे मेरे साथ तो तूने किस विस कर लिया है इस लिए अब तू दिव्या के साथ कर। मेरे साथ इस वक्त करने का सोचना भी नहीं, हां नहीं तो।

अपुन (दिव्या की तरफ चेहरा कर) ─ तूने सुना न विधी ने क्या कहा?

दिव्या ये सुन शर्म से अपुन के बाजू में अपना चेहरा छुपाने लगी। उसके सॉफ्ट सॉफ्ट बूब्स पहले से ही अपुन की बाजू से सेटेले थे।

अपुन ─ क्या हुआ, कुछ तो बता।

दिव्या ─ म...मैं क्या बोलूं भैया। आपको जो ठीक लगे कीजिए।

अपुन ─ ऐसे मत बोल वरना मैं बहुत कुछ करने लग जाऊंगा।

दिव्या ने शर्म के मारे और भी ज्यादा अपना चेहरा अपुन की बाजू पर घुसेड़ दिया। उधर उसकी बात सुन विधी हल्के से हंसने लगी। अपुन का मन तो बहुत कर रेला था कि अभी दिव्या को पकड़ कर उसके होठों पर टूट पड़े लेकिन लौड़ा कहीं न कहीं अपुन भी झिझक रेला था। फिर अपुन ने सोचा ऐसे तो लौड़ा मजा नहीं आएगा। वैसे भी दोनों हसीनाएं पहले से ही तैयार बैठेली हैं और शर्म की वजह से खुद पहल नहीं करेंगी। इस लिए अपुन ने अपनी बाकी बची झिझक को लौड़े लगाया और दिव्या की तरफ करवट ले ली।

अब अपन दोनों के चेहरे आमने सामने थे और बेहद करीब भी। दिव्या ने एक बार अपुन की तरफ देखा और फिर झट से शर्मा कर नजरें नीचे कर ली। उसके होठ हल्के हल्के कांप रेले थे। तभी अपुन के पीछे से विधी एकदम से अपुन से चिपक कर तथा अपने चेहरे को अपुन के कान के पास ला कर धीमे से बोली।

विधी ─ अब देखता ही रहेगा या कुछ करेगा भी?

उसकी बात सुन अपुन के समूचे जिस्म में रोमांच की लहर दौड़ गई। पीछे से उसकी छातियां अपुन की पीठ और बाजू में दब रेली थीं जिससे अपुन को अलग ही मजा आ रेला था। अपुन की धड़कनें बढ़ गईली थी और अंदर गर्मी भी आने लग गईली थी। तभी अपुन थोड़ा आगे को हुआ और दिव्या के सिर को उसके पीछे से थाम कर अपनी तरफ खींचा जिससे दिव्या का समूचा जिस्म थरथरा गया लौड़ा।

इससे पहले कि वो कुछ करती अपुन झट आगे को हुआ और उसके कांपते होठों को चूम लिया। दिव्या एक बार फिर से थरथरा गई लेकिन उसने खुद को अपुन से दूर करने का कोई प्रयास नहीं किया। ये देख अपुन ने एक बार फिर से उसके होठों को चूमा और फिर एकदम से उसके होठों को मुंह में भर लिया। बेटीचोद अब अपुन से सबर नहीं हो रेला था। पीछे से अपुन से चिपकी विधी सब देख रेली थी जिसके चलते अपुन को कुछ अलग ही तरह का मजा और रोमांच फील हो रेला था।


To be continued....
Bahut hi shaandar update diya hai TheBlackBlood bhai....
Nice and lovely update....
 
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dhparikh

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दरवाजे पर हुई इस थपथपाहट को सुनते ही अपुन बुरी तरह चौंक गया। उधर विधी ने भी शायद सुन लिया था इस लिए वो भी बुरी तरह उछल पड़ी। बुरी तरह घबरा कर वो एक झटके से उठ बैठी और फिर जल्दी जल्दी अपनी टी शर्ट को नीचे सरका अपने नंगे बूब्स को छुपाने लगी।

इधर अपुन के होश उड़ गएले थे और गांड़ अलग से फट गईली थी। मन में एक ही सवाल उभरा कि बेटीचोद कौन हो सकता है बाहर?



अब आगे....


विधी का डर और घबराहट के मारे बुरा हाल हुआ जा रेला था। हालत तो अपुन की भी खराब थी लेकिन अपुन ये भी समझ रेला था कि अगर जल्दी ही उसे नहीं सम्हाला तो उसकी शक्ल देख के कोई भी समझ जाएगा कि उसके साथ कुछ गड़बड़झाला है। इस लिए अपुन ने फौरन ही उसे कंधे से पकड़ा और फिर धीमे से कहा।

अपुन ─ अपने आपको सम्हाल मेरी जान। इतना डरने या घबराने की जरूरत नहीं है।

विधी (डरते हुए धीमे से) ─ भाई, किसी को पता चल गया होगा तो क्या होगा? म..मैं तो मर ही जाऊंगी।

अपुन ─ कुछ नहीं होगा। अपुन के रहते तुझे कुछ नहीं होगा और हां सबसे पहले तू अपनी इस हालत को सुधार। तेरी शक्ल देखते ही बाहर खड़ा व्यक्ति समझ जाएगा कि अपन लोग कुछ गड़बड़ कर रेले थे।

विधी ─ मुझे बहुत डर लग रहा है भाई। पता नहीं कौन आया होगा इस टाइम?

अपुन ─ अपुन ने कहा न कि डर मत। बस तू खुद को शांत कर और नॉर्मल हो जा। तब तक अपुन दरवाजा खोल के देखता है कि कौन आया है बाहर।

विधी ने किसी तरह खुद को सम्हाला। अपुन को कुछ सूझा तो अपुन ने उसे लेट जाने को कहा और ये भी कि वो सोने की एक्टिंग करे। उसने ऐसा ही किया। तभी बाहर से किसी ने फिर से दरवाजे को धीमे से थपथपाया।

सच तो ये था कि अपुन की जबरदस्त गांड़ फटी हुई थी लौड़ा लेकिन अब इस मुसीबत का सामना तो करना ही था इस लिए खुद के अंदर हिम्मत भर के अपुन दरवाजे की तरफ तेजी से बढ़ा और हल्के से कुंडी सरका कर दरवाजा खोला। चेहरे पर भी ऐसे भाव पैदा का लिए जैसे अभी अपुन नींद से जागा हो लेकिन दरवाजा खोलते ही जिस व्यक्ति पर अपुन की नजर पड़ी उसे देखते ही अपुन का सारा डर पल में ही दूर हो गया बेटीचोद। क्योंकि बाहर कोई और नहीं बल्कि दिव्या थी। उसे देखते ही अपुन ने राहत की सांस ली और बोला।

अपुन ─ क्या हुआ, तू इस वक्त यहां? सोई नहीं अब तक?

दिव्या अपुन को अजीब तरह से घूरने लगी जिससे अपुन अंदर ही अंदर थोड़ा असहज हो गया लौड़ा। उधर कुछ पलों तक अपुन को अजीब तरह से घूरने के बाद वो बोली।

दिव्या (धीमी आवाज में) ─ अंदर आप क्या कर रहे थे विधी दी के साथ?

उसकी बात सुनते ही अपुन अंदर ही अंदर बुरी तरह चौंक गया और घबरा भी गया लौड़ा। इसका मतलब उसे पता था कि अपुन के रूम में विधी है और अपन लोग इस वक्त कुछ कर रेले थे।

अपुन उसके इस सवाल से ही समझ गया कि उससे झूठ बोलने का कोई फायदा नहीं है। वैसे भी अपन तीनों एक जैसी ही सिचुएशन में थे तो एक दूसरे के बारे में सब कुछ पता होना जरूरी था।

अपुन ─ अंदर आ, ऐसे बाहर मत खड़ी रह वरना रात के सन्नाटे में कहीं अपन लोग के बात करने की आवाज नीचे तक न चली जाए लौ..।

अपुन की बात सुन कर दिव्या बिना कुछ कहे अंदर आ गई। उसके आते ही अपुन ने दरवाजा कुंडी लगा कर बंद कर दिया। फिर जब पलटा तो देखा दिव्या बेड पर आँखें बंद कर के लेटी विधी को अपलक देखे जा रेली थी। अपुन समझ गया कि इस वक्त उसके मन में बहुत कुछ चल रेला होगा। खैर अपुन अपनी घबराहट पर अब काफी हद तक काबू पा चुका था इस लिए उसके करीब पहुंच कर उससे बोला।

अपुन ─ हां, अब बता रात के इस वक्त तू अपुन के रूम के बाहर क्या कर रेली थी?

दिव्या ने पहले अपुन को ध्यान से देखा और फिर विधी पर नजर डाल कर बोली।

दिव्या ─ पहले आप बताइए कि आप और विधी दी यहां क्या कर रहे थे?

अपुन ─ अरे! वो तो अपन लोग बस एक दूसरे को किस कर रेले थे।

दिव्या (आँखें फैला कर) ─ झूठ मत बोलिए। मैंने बाहर से सब सुन लिया है।

अपुन समझ तो पहले ही गयला था लेकिन अब जानना चाहता था कि उसने कितना सुन लिएला है? ये भी जानना चाहता था कि वो अपुन के रूम के बाहर कैसे आ गईली थी?

अपुन ─ अच्छा, क्या सुन लिया है तूने और...और तू बाहर क्या कर रेली थी?

दिव्या ─ वो मैं, आपसे मिलने ही आपके रूम आ रही थी तो जब मैंने आपका रूम खोलना चाहा तो वो अंदर से बंद था। जबकि आपका रूम अंदर से कभी बंद नहीं होता इस लिए जब मैंने जाना कि आपका रूम अंदर से बंद है तो मुझे हैरानी हुई। फिर तभी मैंने सोचा कहीं विधी दी तो आपके रूम में नहीं हैं? मतलब कि शायद उन्होंने ही रूम अंदर से बंद कर दिया हो। जब मुझे ऐसा लगा तो मैंने सोचा कि इस वक्त आप और विधी दी आपस में क्या बातें कर रहे होंगे? बस इसी क्यूरियोसिटी में मैंने दरवाजे पर अपने कान सटा दिए थे। उसके बाद जल्दी ही मुझे आप दोनों की धीमी आवाज में बातें सुनाई देने लगीं थी। मैं आप दोनों की बातें सुनती रही और सोचती रही कि आप ये कैसी कैसी बातें करते जा रहे हैं। फिर जब मैंने आप दोनों के ऐसा करने की बातें सुनी तो बहुत शॉक हुई। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि आप और विधी दी ऐसा भी कर सकते हैं। फिर मुझे ये सोच कर डर और घबराहट होने लगी कि कहीं नीचे से दी लोग में से कोई ऊपर न आ जाए और आप दोनों की ऐसी बातें सुन ले इस लिए मैंने दरवाजा थपथपाया था।

दिव्या की बातें सुन कर अपुन जान गया कि वो अपुन के रूम में अपुन से मिलने के वास्ते आ रेली थी और उसी चक्कर में उसे ये सब पता चल गया लौड़ा। खैर अपुन को ये जान के अच्छ लगा कि उसे अपन लोग के ऐसा करने से कोई एतराज वगैरा नहीं था बल्कि उसे अपन लोग के पकड़े जाने की फिक्र थी इसी लिए उसने दरवाजा थपथपायला था। तभी अपुन को सोचता देख दिव्या ने फिर कहा।

दिव्या ─ वैसे भैया, आप दोनों ये क्या कर रहे थे? मतलब कि आप दोनों ऐसा कैसे कर सकते हैं? ये तो गलत है न?

अपुन ─ देख अपन लोग जो भी कर रेले थे उसमें अपन दोनों की ही मर्जी थी। बाकी रही सही गलत की बात तो तू ये मत भूल कि अपन लोग भाई बहन के साथ साथ अब गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड भी हैं। इस रिलेशन में होने नाते अपन लोग के बीच थोड़ा बहुत ये सब तो होगा ही।

दिव्या ─ पर भैया किसी को पता चल गया तो वो तो इसे गलत ही कहेंगे न?

अपुन ─ यार किसी को कैसे पता चलेगा? मतलब कि जब अपन लोग किसी को कुछ बताएंगे ही नहीं तो कैसे पता चल जाएगा?

दिव्या भारी उलझन में दिखने लग गईली थी अपुन को। उसे समझ नहीं आ रेला था कि इस मामले में क्या बोले? इधर अपुन भी सोच रेला था कि इस मामले को किसी तरह सम्हाल लिया जाए और दिव्या की नजर में इस सबको को जायज साबित कर दिया जाए। आखिर गर्लफ्रेंड तो वो भी बन गईली थी अपुन की तो यही सब उसके साथ भी तो करेगा अपुन। बोले तो आज नहीं तो कल ऐसा उसके साथ जरूर होएगा, या करेगा अपुन।

अपुन ─ देख, तुझे इस बारे में ज्यादा ओचने की जरूरत नहीं है। गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड होने के नाते अपन लोग के बीच थोड़ा बहुत ये सब चलेगा ही। विधी को इससे कोई एतराज नहीं था और अपुन को भी नहीं था इस लिए अपन दोनों ने ये किया पर अगर तुझे इससे एतराज है तो तू मत करना। वैसे भी ये सब वही कर सकता है जो आपस में प्यार भी करता हो। अपुन विधी से और विधी अपुन को प्यार करती है इस लिए अपन दोनों को इससे कोई प्रॉब्लम नहीं है।

दिव्या ─ ये आप क्या कह रहे हैं भैया? क्या सच में आप दोनों एक दूसरे से प्यार भी करते हैं?

अपुन ─ हां, क्या तुझे शक है?

दिव्या ─ पर भाई बहन एक दूसरे से प्यार कैसे कर सकते हैं भैया? और...और भाई बहन के इस प्यार को घर वाले एक्सेप्ट भी नहीं करेंगे।

अपुन ─ हां, ये अपन दोनों भी जानते हैं लेकिन किसी के एक्सेप्ट न करने से दिल में मौजूद प्यार मिट थोड़े न जाएगा। हां ये अपुन मानता है कि इस प्यार के साथ अपन लोग पूरी लाइफ के लिए एक दूसरे के नहीं हो सकते लेकिन अपन लोग का प्यार फिर भी हमेशा एक दूसरे के दिल में रहेगा।

दिव्या हैरान परेशान सी देखती रही अपुन को। उधर बेड पर लेटी आँखें बंद किए सोने का नाटक करती विधी भी यकीनन अपुन की ये सब बातें सुन रेली थी और समझने की कोशिश कर रेली होगी कि ये सब ठीक है या नहीं?

दिव्या ─ मुझे तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा भैया कि ये सब कैसे हो सकता है और ये आप कैसे कर सकते हैं?

अपुन ─ देख, अपुन तेरे को सिंपल तरीके से समझाता है। सबकी नजर में अपन लोग भाई बहन हैं फिर भी अपन लोग ने एक दूसरे के साथ बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड वाला रिलेशन भी बना लिया, क्यों? क्योंकि ऐसा अपन लोग चाहते थे। जबकि अपन लोग को भी पता था कि भाई बहन आपस में गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड वाले रिलेशन में नहीं हो सकते, क्योंकि ये गलत होता है, फिर भी अपन लोग ने ऐसा रिलेशन बना लिया। तो जब बना लिया तो उस रिलेशन में होने के वास्ते अपन लोगों के बीच थोड़ा बहुत तो ये सब होगा ही वरना ऐसे रिलेशन में रहने का मतलब ही क्या रह जाएगा?

दिव्या ─ हां ये तो आप सही कह रहे हैं।

अपुन ─ सिंपल सी बात है दिव्या कि इस रिलेशन को बनाने से पहले तूने या विधी ने भी तो सोचा ही रहा होगा कि गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड आपस में क्या करते हैं इसके बावजूद तुम दोनों ने अपुन की गर्लफ्रेंड बनना चाहा। तो अब जब बन ही गईली हो तो अपन लोग के बीच थोड़ा बहुत ये सब तो होगा ही। अगर तुझे ये गलत लगता है तो अभी इसी वक्त इस रिलेशन को तोड़ दे और पहले की तरह पूरी तरह अपुन की बहन बन जा।

दिव्या इस बार कुछ न बोली। वो गहरी सोच में थी। तभी बेड पर सोने का नाटक कर रही विधी एकदम से उठ बैठी। उसे उठ गया देख दिव्या हल्के से चौंकी।

विधी ─ भाई मुझे तेरे साथ इस रिलेशन में कोई प्रॉब्लम नहीं है। दिव्या को अगर ये सब गलत लगता है तो ये तेरे साथ इस रिलेशन को तोड़ सकती है।

दिव्या ─ नहीं दी, मुझे भी गलत नहीं लगता और...और मैं भी भैया के साथ इस रिलेशन में रहूंगी।

अपुन ─ अच्छी तरह सोच ले दिव्या। बाद में तू फिर ये मत बोलने लगना कि ये गलत है या वो गलत है।

दिव्या ─ मैं नहीं बोलूंगी भैया, ट्रस्ट मी।

अपुन ─ अपुन को भी पता है कि भाई बहन के हिसाब से ये सब करना गलत है लेकिन बात जब नए रिलेशनशिप और एक दूसरे से प्यार करने की हो तो फिर सब कुछ जायज हो जाता है। हां, बाकी सबकी नजर में अपन लोग भाई बहन ही रहेंगे और वैसा ही बर्ताव करेंगे लेकिन अपने सामने वैसे ही बिहैव करेंगे जैसे गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड करते हैं, समझ गई न?

दिव्या ─ जी भैया।

अपुन (विधी से) ─ और तू भी समझ गई न?

विधी ─ हां, लेकिन मुझे तुझसे एक बात पूछनी है।

अपुन ─ हां पूछ।

विधी ─ वो मैं तुझसे ये पूछना चाहती हूं कि हम लोग आपस में जो भी करेंगे उसकी एक लिमिट तो होगी न?

अपुन समझ गया कि उसके मन में असल में क्या है और वो असल में क्या जानना चाहती है। अपुन भी सोचने लगा कि इस वक्त इस बारे में उसे क्या जवाब दिया जाए?

अपुन ─ हां क्यों नहीं। बोले तो रियलिटी में अपन लोग भाई बहन भी हैं इस लिए अपन लोग के बीच एक लिमिट का होना भी जरूरी है।

विधी ─ तो अब तू ही बता कि किस तरह की लिमिट होगी?

अपुन (सोचते हुए) ─ अपन लोग के बीच सेक्स नहीं होगा बाकी सब कुछ कर सकते हैं, ये ठीक है न?

अपुन की ये बात सुनते ही विधी और दिव्या एकदम से आंखें फाड़ कर अपुन को देखने लगीं। फिर एकाएक ही दोनों के चेहरे शर्म की वजह से झुक ग‌ए लौड़ा। इधर अपुन की भी धड़कनें तेज हो गईली थीं।

वैसे अपुन ने ऐसा इसी लिए कहा था ताकि दोनों के मन में यही रहे कि अपुन के मन में उनके प्रति गलत भावना नहीं है और अपुन भी सही गलत सोचता है। खैर अपुन ने जब देखा दोनों का चेहरा शर्म से सुर्ख पड़ गयला है तो थोड़ा मुस्कुराया और फिर बोला।

अपुन ─ तो तुम दोनों को मंजूर है ये लिमिट?

दोनों ने सिर उठा कर अपुन को देखा और शर्माते हुए हां में सिर हिला दिया। जाने क्यों एकाएक अपुन के मन में मीठे मीठे खयाल उभरने लग गएले थे। दोनों कच्ची कलियों को फूल बना देने को मन मचलने लग गयला था लेकिन अपुन जानता था कि ऐसा करना फिलहाल ठीक नहीं है।

अपुन ─ ओके फाईन, तो अब तुम दोनों जाओ अपने अपने रूम में। अपुन को भी अब सोने का है।

दोनों ये सुनते ही हैरानी से अपुन को देखने लगीं। शायद उन्हें अपुन से ऐसी उम्मीद नहीं थी। दिव्या के चेहरे से साफ पता चल रेला था कि वो अपुन से बहुत कुछ कहना चाहती है लेकिन विधी की मौजूदगी में शायद उसे झिझक हो रेली थी।

विधी ─ पर मुझे तो तेरे साथ ही यहां पर सोना है भाई।

दिव्या (झट से) ─ और मुझे भी। आई मीन मुझे भी भैया के साथ सोना है।

अपुन (मन ही मन मुस्कुराया) ─ तुम दोनों अगर अपुन के साथ रहोगी तो अपुन सो नहीं पाएगा। वो क्या है न कि अपुन जब ये देखेगा कि अपुन की दो दो खूबसूरत गर्लफ्रेंड अपुन के इतने करीब पड़ेली हैं तो अपुन खुद को रोक ही नहीं पाएगा।

अपुन की ये बात सुनते ही दोनों शर्माते हुए मुस्कुरा उठीं। तभी विधी ने इस बार थोड़ा इतराते हुए कहा।

विधी ─ अच्छा, तो ठीक है तू मत रोकना खुद को।

अपुन ─ सोच ले। बाद में अपुन को किसी बात के लिए रोकना नहीं।

विधी ─ हां नहीं रोकूंगी लेकिन तू भी ज्यादा परेशान नहीं करेगा हमें।

अपुन ─ न, अपुन इस बात का कोई प्रॉमिस नहीं करेगा।

दिव्या धीमे से विधी के कान में कुछ बोली तो विधी ने मुस्कुराते हुए उससे कुछ कहा जिस पर दिव्या एकदम से शर्मा गई। इधर अपुन सोचने लगा कि ये दोनों आपस में कौन सी खिचड़ी पका रेली हैं?

अपुन ─ अरे! तुम लोग आपस में क्या खुसुर फुसुर कर रेली हो?

विधी (मुस्कुराते हुए) ─ कुछ नहीं, हम तो बस ऐसे ही बात कर रहे थे। चल अब सोना नहीं है क्या तुझे?

अपुन जानता था कि दोनों ने कुछ तो बात की थी आपस में लेकिन बता नहीं रेली हैं। अपुन के मन में थोड़ी हलचल शुरू हो गईली थी। बोले तो तरह तरह के खयाल उभरने लगे थे लौड़ा लेकिन बिना कुछ बोले अपुन जा कर बेड पर लेट गया। अपुन के लेटते ही विधी ने दिव्या को कोई इशारा किया तो उसने मुस्कुरा कर सिर हिलाया और फिर वो अपुन के बगल से लेट गई। उसके बाद विधी भी मुस्कुराते हुए आई और अपुन के दूसरी तरफ लेट गई।

बेड पर अपन तीनों लोग लेट गएले थे। अपुन दोनों के बीच में था और अब अपुन को ऐसा फील आने लग गयला था जैसे अपुन कहीं का राजा महाराजा हो बेटीचोद। अपुन के मन में एकाएक ही खुशी के लड्डू फूटने लग गएले थे और साथ ही धड़कनें बढ़ गईली थीं। तभी विधी अपुन की तरफ थोड़ा खिसक कर आई और अपुन से चिपक गई। उसके चिपकते ही अपुन के अंदर रोमांच की लहर दौड़ गई।

विधी (दिव्या से) ─ तू भी आ जा दिव्या।

उसकी बात सुन दिव्या थोड़ा शरमाई और फिर खिसक कर आई और अपुन से विधी के जैसे ही चिपक गई। दोनों तरफ से नाजुक बदन अपुन से चिपक गएले थे जिसके चलते अपुन के अंदर रोमांच के साथ साथ अलग अलग तरह के रोमांचित कर देने वाले खयाल उभरने लगे।

विधी (अपुन से) ─ अब कैसा लग रहा है भाई तुझे?

अपुन ─ मस्त फील आ रेला है अपुन को लेकिन...।

विधी ─ लेकिन??

अपुन ─ और भी मस्त फील आता अगर तुम दोनों एक साथ अपुन को किस करने लगो और फिर अपुन भी करने लगे।

विधी (अपुन को हल्के से मार कर) ─ तेरे मन में जब देखो यही चलता रहता है क्या? कितना गंदा है, हां नहीं तो।"

अपुन ─ यार जिसके पास दो दो खूबसूरत गर्लफ्रेंड हों उसके मन में कुछ भी न चले तो समझो या तो वो बेवकूफ है या फिर वो मर्द ही नहीं बेटी....।

विधी (आँखें फाड़ कर) ─ बेटी किसको बोल रहा है तू?

अपुन थोड़ा हड़बड़ा गया। अब उसे कैसे बताता कि अपुन किसी को बेटी नहीं बोला था बल्कि वो तो अपुन बेटीचोद बोल देने वाला था, शुक्र था कि ऐन वक्त पर अपुन ने अपनी जुबान को रोक लियेला था।

अपुन ─ अरे! अपुन किसी को बेटी नहीं बोल रहा। वो तो अपुन के मुख से फ्लो फ्लो में बेटी वाली गाली निकल जाने वाली थी लौ...।

विधी ─ कितना गंदा है तू।

दिव्या ─ भैया आप गंदी शंदी गाली मत दिया कीजिए और ना ही ये टपोरी वाली लैंग्वेज बोला कीजिए। सच में अच्छा नहीं लगता।

बेटीचोद, अभी क्या बाकी लोग कम थे जो ये भी अपुन को टपोरी भाषा बोलने से मना करने लगी।

विधी ─ तू सही कह रही है दिव्या। मुझे भी इसका टपोरी लैंग्वेज में बोलना अच्छा नहीं लगता। भाई, प्लीज ऐसे मत बोला कर न।

अपुन ─ यार अपुन कोशिश कर रेला है कि न बोले लेकिन आदत पड़ गईली है इस लिए मुंह से निकल ही जाता है।

दिव्या ─ मुझे तो नहीं लगता कि आप ऐसे न बोलने की कोई कोशिश कर रहे हैं।

अपुन ─ वो क्या है कि जब अपुन को याद नहीं रहता तभी ऐसे बोलता है, फिर जब कोई याद दिला देता है तो नहीं बोलता।

दिव्या ─ पर याद दिलाने पर भी तो इस वक्त आप ऐसे बोल ही रहे हैं।

अपुन सोचने लगा कि ये अचानक से भाषा वाला चैप्टर कहां से शुरू हो गया बेटीचोद? कहां किस विस वाली मस्त बात शुरू किएला था अपुन और कहां ये दोनों भाषा में अटक गईली हैं। खैर अपुन ने सोचा कि इस वक्त अगर दोनों के साथ मजा करना है तो दोनों की बात मान कर सभ्य भाषा में ही बोलना होगा।

अपुन ─ अच्छा ठीक है। अभी मैं ऐसा नहीं बोलूंगा। बोले तो एकदम तुम दोनों के जैसे बात करूंगा, ठीक है न?

दिव्या ─ हां अब ठीक है और पता है, जब आप इस तरह बोलते हैं तो और भी अच्छे लगते हैं।

अपुन ─ ओह! ऐसा क्या? चलो तो फिर इसी खुशी में अपने होठों पर किस दो।

दिव्या ये सुनते ही बुरी तरह शर्मा गई लौड़ी। उधर विधी भी मुस्कुरा उठी।

विधी ─ तू फिर से शुरू हो गया?

अपुन ─ यार अगर तुम लोगों को कुछ करने ही नहीं देना है तो जाओ अपने अपने रूम में।

अपुन का मूड सच में उखड़ गयला था। उधर अपुन की बात सुन और उखड़ा मूड देख दोनों ही थोड़ा घबरा गईं। दिव्या तो कुछ कह न पाई लेकिन विधी ने ही जैसे मोर्चा सम्हाला।

विधी ─ अभी तो सोने को कह रहा था और अब कुछ करने का मन करने लगा तेरा?

अपुन ─ वो तो करेगा ही। तुम दोनों हो ही इतनी हसीन।

अपुन की इस तारीफ से दोनों ही शर्मा गईं और खुशी से मुस्कुराई भी। इधर अपुन का सच में बहुत मन कर रेला था कि किसी पर टूट पड़े।

विधी ─ अब हसीन हैं तो इसमें हमारी क्या गलती? वैसे मेरे साथ तो तूने किस विस कर लिया है इस लिए अब तू दिव्या के साथ कर। मेरे साथ इस वक्त करने का सोचना भी नहीं, हां नहीं तो।

अपुन (दिव्या की तरफ चेहरा कर) ─ तूने सुना न विधी ने क्या कहा?

दिव्या ये सुन शर्म से अपुन के बाजू में अपना चेहरा छुपाने लगी। उसके सॉफ्ट सॉफ्ट बूब्स पहले से ही अपुन की बाजू से सेटेले थे।

अपुन ─ क्या हुआ, कुछ तो बता।

दिव्या ─ म...मैं क्या बोलूं भैया। आपको जो ठीक लगे कीजिए।

अपुन ─ ऐसे मत बोल वरना मैं बहुत कुछ करने लग जाऊंगा।

दिव्या ने शर्म के मारे और भी ज्यादा अपना चेहरा अपुन की बाजू पर घुसेड़ दिया। उधर उसकी बात सुन विधी हल्के से हंसने लगी। अपुन का मन तो बहुत कर रेला था कि अभी दिव्या को पकड़ कर उसके होठों पर टूट पड़े लेकिन लौड़ा कहीं न कहीं अपुन भी झिझक रेला था। फिर अपुन ने सोचा ऐसे तो लौड़ा मजा नहीं आएगा। वैसे भी दोनों हसीनाएं पहले से ही तैयार बैठेली हैं और शर्म की वजह से खुद पहल नहीं करेंगी। इस लिए अपुन ने अपनी बाकी बची झिझक को लौड़े लगाया और दिव्या की तरफ करवट ले ली।

अब अपन दोनों के चेहरे आमने सामने थे और बेहद करीब भी। दिव्या ने एक बार अपुन की तरफ देखा और फिर झट से शर्मा कर नजरें नीचे कर ली। उसके होठ हल्के हल्के कांप रेले थे। तभी अपुन के पीछे से विधी एकदम से अपुन से चिपक कर तथा अपने चेहरे को अपुन के कान के पास ला कर धीमे से बोली।

विधी ─ अब देखता ही रहेगा या कुछ करेगा भी?

उसकी बात सुन अपुन के समूचे जिस्म में रोमांच की लहर दौड़ गई। पीछे से उसकी छातियां अपुन की पीठ और बाजू में दब रेली थीं जिससे अपुन को अलग ही मजा आ रेला था। अपुन की धड़कनें बढ़ गईली थी और अंदर गर्मी भी आने लग गईली थी। तभी अपुन थोड़ा आगे को हुआ और दिव्या के सिर को उसके पीछे से थाम कर अपनी तरफ खींचा जिससे दिव्या का समूचा जिस्म थरथरा गया लौड़ा।

इससे पहले कि वो कुछ करती अपुन झट आगे को हुआ और उसके कांपते होठों को चूम लिया। दिव्या एक बार फिर से थरथरा गई लेकिन उसने खुद को अपुन से दूर करने का कोई प्रयास नहीं किया। ये देख अपुन ने एक बार फिर से उसके होठों को चूमा और फिर एकदम से उसके होठों को मुंह में भर लिया। बेटीचोद अब अपुन से सबर नहीं हो रेला था। पीछे से अपुन से चिपकी विधी सब देख रेली थी जिसके चलते अपुन को कुछ अलग ही तरह का मजा और रोमांच फील हो रेला था।


To be continued....
Nice update....
 
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सैंडविच खाना और सैंडविच सोना , दोनो चीज मर्द को भाता है । विराट साहब के तो नारे व्यारे हो गए । थोड़े से प्रयास मे ही दो खुबसूरत कलियों को साथ-साथ अपने बिस्तर का शोभा बना दिया ।

लेकिन यह लड़कियाँ किस लिमिट की बात कर रही है ! क्या इन्हे पता नही कि प्यार मे कोई लिमिट नही होती है । विराट साहब को इन्हे वह गीत सुनाना चाहिए जिसे कुमार सानू और अल्का याग्निक ने गाया था - " धीरे धीरे प्यार को बढ़ाना है , हद से गुजर जाना है । " :D
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट शुभम भाई ।
 
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