- 6,186
- 48,815
- 219
चादर अब ढलान से उतरती सलोनी की गांड को लगभग पूरी नंगी कर चुकी थी |
मगर अभी वो उसकी त्वचा को आलिंगन करती, चूमती सहलाती उसे छोड़ नही रही थी |
राहुल चादर को अपने हाथों में भर लेता है और उठाकर उसे दूर बेड से नीचे फेंक देता है |

"उउउम्म्म्मम......उुउउन्न्ञणनह......." सलोनी अपने नितंबो पर बेटे के लंड का स्पर्श होते ही मादक सी सिसकी भरती है |
राहुल के हाथ उसके नितंबो पर घूमते उसकी जाँघो के उपरी हिस्से को सहला रहे थे |
नितंबो पर वो कुछ ज़्यादा ही ध्यान दे रहा था |
उपर से नीचे दाएँ से बाएँ, उसके हाथ अपनी मम्मी की गांड पर थिरक रहे थे |

जब राहुल सलोनी की दरार में हल्के से अपनी उंगली रख कर उसे उपर से नीचे लाता है |
"आआआअहह........राहुउऊउल्ल्ल.......बेटा..." सलोनी एक उँची सिसकी भरती है |
हालांकि अभी तक उसने उसकी गांड को नही छुआ था और ना ही उसके नितंबो को चौड़ा किया था |
राहुल नितंबो को सहलाता अपने हाथ अब उपर सलोनी की पीठ पर घूमाने लगता है |
मगर सलोनी की जाँघो के बीच पीछे की और बैठे होने के कारण वो ज़्यादा दूर तक उसकी पीठ नही सहला सकता था |
राहुल कुछ देर यूँ ही नितंबो से लेकर उसकी पीठ तक सहलाता है और फिर आगे बढ़कर अपने घुटनो के बल हो जाता है |
उसके घुटने लगभग सलोनी के नितंबो को छू रहे थे | फिर वो आगे को सलोनी की पीठ पर झुकता चला जाता है |
उसके हाथ सलोनी की पीठ से आगे उसके कंधो की तरफ बढ़ने लगते हैं |
सलोनी की सिसकियाँ और भी मादक होती जा रही थी |
राहुल के हाथ उसकी पीठ को सहलाते जैसे जैसे आगे बढ़ रहे थे वैसे वैसे उसका पयज़ामे में तना लंड सलोनी की गांड के करीब पहुँचता जा रहा था |
राहुल सलोनी की पीठ पर झुकता और झुकता अपने हाथ अपनी मम्मी के कंधो तक पहुँचा देता है |
"उउम्म्म्ममममम.........उनन्नज्ग्घह...........राहुल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल....... मेरे लाअलल्ल्ल्ल्ल्ल........" राहुल का पयज़ामे में तना लंड उसकी मम्मी के नितंबो को छूते ही उनकी गर्माहट पाकर झटका मारता है और सलोनी सिसकने लग जाती है | अब उसके मुख से निकलने वाली सिसकियाँ सकूँ और आनंद की नही बल्कि के कमौन्माद में आँधी हो चुकी और वासना में जल रही एक औरत की सिसकियाँ बन चुकी थी | राहुल अपनी मम्मी के कंधो को सहलाता उन्हे कोमलता से दबाता है और अपनी टाँगे हिलाकर थोड़ा सा लंड को सेट करता है कि वो उसकी मम्मी के नितंबो की दरार में जाकर घुस जाए | मगर उसके बैठने की पोजीशन कुछ ऐसी थी कि लंड दरार में नही जा रहा था बल्कि दरार को उपर से सहला रहा था |

उसका लंड कभी दरार के दाएँ नितंब को ठोकर मारता तो कभी बाएँ नितंब को |
लंड दरार से रिसती गर्माहट और दोनो नितंबो के कोमल और मुलायम एहसास के कारण बेकाबू होता जा रहा था |
मगर अभी वो उसकी त्वचा को आलिंगन करती, चूमती सहलाती उसे छोड़ नही रही थी |
राहुल चादर को अपने हाथों में भर लेता है और उठाकर उसे दूर बेड से नीचे फेंक देता है |

"उउउम्म्म्मम......उुउउन्न्ञणनह......." सलोनी अपने नितंबो पर बेटे के लंड का स्पर्श होते ही मादक सी सिसकी भरती है |
राहुल के हाथ उसके नितंबो पर घूमते उसकी जाँघो के उपरी हिस्से को सहला रहे थे |
नितंबो पर वो कुछ ज़्यादा ही ध्यान दे रहा था |
उपर से नीचे दाएँ से बाएँ, उसके हाथ अपनी मम्मी की गांड पर थिरक रहे थे |

जब राहुल सलोनी की दरार में हल्के से अपनी उंगली रख कर उसे उपर से नीचे लाता है |
"आआआअहह........राहुउऊउल्ल्ल.......बेटा..." सलोनी एक उँची सिसकी भरती है |
हालांकि अभी तक उसने उसकी गांड को नही छुआ था और ना ही उसके नितंबो को चौड़ा किया था |
राहुल नितंबो को सहलाता अपने हाथ अब उपर सलोनी की पीठ पर घूमाने लगता है |
मगर सलोनी की जाँघो के बीच पीछे की और बैठे होने के कारण वो ज़्यादा दूर तक उसकी पीठ नही सहला सकता था |
राहुल कुछ देर यूँ ही नितंबो से लेकर उसकी पीठ तक सहलाता है और फिर आगे बढ़कर अपने घुटनो के बल हो जाता है |
उसके घुटने लगभग सलोनी के नितंबो को छू रहे थे | फिर वो आगे को सलोनी की पीठ पर झुकता चला जाता है |
उसके हाथ सलोनी की पीठ से आगे उसके कंधो की तरफ बढ़ने लगते हैं |
सलोनी की सिसकियाँ और भी मादक होती जा रही थी |
राहुल के हाथ उसकी पीठ को सहलाते जैसे जैसे आगे बढ़ रहे थे वैसे वैसे उसका पयज़ामे में तना लंड सलोनी की गांड के करीब पहुँचता जा रहा था |
राहुल सलोनी की पीठ पर झुकता और झुकता अपने हाथ अपनी मम्मी के कंधो तक पहुँचा देता है |
"उउम्म्म्ममममम.........उनन्नज्ग्घह...........राहुल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल....... मेरे लाअलल्ल्ल्ल्ल्ल........" राहुल का पयज़ामे में तना लंड उसकी मम्मी के नितंबो को छूते ही उनकी गर्माहट पाकर झटका मारता है और सलोनी सिसकने लग जाती है | अब उसके मुख से निकलने वाली सिसकियाँ सकूँ और आनंद की नही बल्कि के कमौन्माद में आँधी हो चुकी और वासना में जल रही एक औरत की सिसकियाँ बन चुकी थी | राहुल अपनी मम्मी के कंधो को सहलाता उन्हे कोमलता से दबाता है और अपनी टाँगे हिलाकर थोड़ा सा लंड को सेट करता है कि वो उसकी मम्मी के नितंबो की दरार में जाकर घुस जाए | मगर उसके बैठने की पोजीशन कुछ ऐसी थी कि लंड दरार में नही जा रहा था बल्कि दरार को उपर से सहला रहा था |
उसका लंड कभी दरार के दाएँ नितंब को ठोकर मारता तो कभी बाएँ नितंब को |
लंड दरार से रिसती गर्माहट और दोनो नितंबो के कोमल और मुलायम एहसास के कारण बेकाबू होता जा रहा था |
Last edited: