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Incest हाए मम्मी मेरी लुल्ली (Completed With gifs)

Lodon Ka Raja

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"राहुल तू जा, यह बैग गाड़ी में रख और मैं आती हूँ.... बस एक बैंगन रह गये हैं ... इधर नही मिले... किसी दूसरी दुकान पर देखती हूँ" सलोनी राहुल के हाथों में बैग थमाती बोलती है |

"नही मम्मी, आप बैंगन खरीद लीजिए, हम इकट्ठे चलते हैं" राहुल अपनी मम्मी को उन भूखे भेड़ियों के बीच छोड़ कर नही जाना चाहता था |

"अरे तो क्या इतना भार उठाए मेरे साथ घूमता रहेगा ... तू जा इसे गाड़ी में रख .... मैं अभी आती हूँ"

"रहने दीजिए मम्मी, छोड़िए बैंगन लेने को.... मुझे वैसे भी बैंगन की सब्ज़ी पसंद नही है" राहुल अपनी मम्मी को वहाँ हरगिज़ भी अकेला नही छोड़ना चाहता था |

"मगर मुझे बहुत पसंद है ...... और अब कोई स्वाल ज्वाब नही ........ अभी समान गाड़ी की डिक्की में रखो मैं आती हूँ" सलोनी राहुल को हुक्म देती है | राहुल के पास अब अपनी मम्मी की बात मानने के सिवा कोई और चारा नही था | वो तेज़ तेज़ कदमो से गाड़ी की और बढ़ता है जो कुछ दूरी पर खड़ी थी | राहुल गाड़ी की और जाता पीछे मुड़ मुड़ कर सलोनी की और देख रहा था | सलोनी कुछ देर एक जगह खड़ी दुकानों का जायजा लेती है और फिर उसे एक कोने में एक दुकान दिखाई देती है जो और दुकानों से थोड़ा सा हटकर थी | सलोनी उस दुकान की और बढ़ जाती है |

राहुल जब पीछे मुड़कर अपनी मम्मी को एक तरफ़ बढ़ते हुए देखता है तो वो चलना छोड़ भागना शुरू कर देता है | सब्जियों के बैग बहुत पतली प्लास्टिक के बने हुए थे जो उसके भागने और ज़्यादा वजन के कारण कभी भी फट सकते थे और सब्जियाँ बिखर सकती थी मगर इस बार राहुल की किस्मत ने उसे धोखा नही दिया और वो गाड़ी तक बिना कुछ गिराए पहुँच गया | राहुल कार की डिक्की खोल कर उसमें तेज़ी से सब्जियाँ डालने लगता है |

उधर सलोनी उस दुकान पर जाती है जो थोड़ा सा हट कर थी और उस पर कोई और ग्राहक भी नही था | दुकानदार कोई 40-45 साल का हट्टा कट्टा मर्द था | सलोनी को अपनी दुकान की और बढ़ता देख वो उठ कर खड़ा हो जाता है और सलोनी को आवाज़ देने लगता है |

"आइए बहनजी .... आइए.... बिल्कुल ताज़ी सब्जियाँ हैं.... देखिए पूरी मंडी में से आपको ऐसी सब्जियाँ नही मिलेंगी" | सलोनी जैसे जैसे सब्ज़ी वाले के पास पहुँच रही थी उसकी आँखो की चमक उतनी ही बढ़ती जा रही थी | जैसे जैसे सलोनी की मादक काया और उसके कामुक उभार और कटाव सब्ज़ीवाले की आँखो के पास आ रहे थे उसके चेहर की मुस्कान, आँखो की लाली बढ़ती जा रही थी |
 
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"आइए बहनजी आइए.... क्या लेंगी केला, मूली, बैंगन.......या फिर लौकी" सलोनी के दुकान पर पहुँचते ही सब्ज़ी वाला उससे पूछता है | सलोनी सब्ज़ीवाले की आवाज़ में चिपकी कामुकता, उसकी नज़रों और उसके दोबारा इस्तेमाल की कुछ खास सब्ज़ियों के नाम से जान गयी थी कि यह कोई बहुत बिगड़ा हुआ बदतमीज़ था | कोई भी सब्ज़ीवाला ऐसे सीधे सीधे छेड़खानी करने की हिमाकत नही कर सकता था, लगता था वो कुछ ज़्यादा ही होशियार था या खुद को होशयार समझता था |

"भैया मुझे बैंगन लेने हैं ......... क्या भाव है" सलोनी उसे नज़र अंदाज़ करते हुए बोलती है | उसे दूर से राहुल अपनी और भागा भागा आता दिखाई देता है और उसके होंठो पर मुस्कान आ जाती है | सब्ज़ीवाला उसकी मुस्कान का ग़लत मतलब लगता है | उसे लगता है कि बड़े घर की वो इतनी सुंदर, सेक्सी औरत उसको लाइन दे रही है | वो बहुत खुश हो जाता है | उसकी लुंगी में उसके लिंग में तनाव आने लगता है |

"अरे बहन जी अब आपसे क्या पैसा लेना है ...... आपकी दुकान है ..... जो चाहिए ले जाइए ........ हर चीज़ का मोल भाव कोई पैसे से थोड़े ही किया जाता है"

"क्या मतलब?" सलोनी थोड़े तीखे अंदाज़ में पूछती है |

"अरे मेरा मतलब था कि अभी मैने आपको बहनजी बोला है और अपने मुझे भाई कहकर बुलाया था ना तो कोई भाई बहन से पैसा लेता अच्छा नही लगता है ना......." वो बहुत बड़ा चलाक था और जल्दी घबराने वाला भी नही था | सलोनी समझ गयी कि यह आदमी कुछ ज़्यादा ही कमीना है | तब तक राहुल भी वहाँ पहुँच चुका था | उसकी साँस फूली हुई थी | माथे पे पसीने की बूंदे चमक रही थी | सलोनी का ध्यान दुकान वाले की तरफ़ था | राहुल दुकान वाले को घूरता है जो उसकी और देखता भी नही | वो सीधा सीधा सलोनी के सीने की और देखकर अपने होंठो पर जीभ फेर रहा था और हंस रहा था | राहुल की नसें फड़कने लगती है |

"ठीक है, ठीक है.... ज़्यादा बातें मत बनायो.... एक किलो बैंगन तोल दो" सलोनी रूखेपन से दुकानवाले को बोलती है |

"अभी लीजिए बहनजी, जितना आपने कहा उतना ही ही डाल देता हूँ.... "

सलोनी दुकान वाले की तरफ़ कोई ध्यान नही देती और राहुल की और मुडती है |
 
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"क्या ज़रूरत थी इतना भागने की, बोला था ना वहीं रुकने के लिए.... कितना पसीना पसीना हो गया है" सलोनी बेटे को डांटती है | दुकान वाला प्लास्टिक बैग में बैंगन डालता राहुल की और देखता है | राहुल का गुस्सा और भी भड़क उठता है | दुकानवाले की नज़र उपहास से भरी हुई थी, राहुल को लगता है जैसे वो दुकानवाला उसके उपर हंस रहा हो |
"यह लीजिए बहनजी आपके बैंगन.. जितना आपने कहा था बिल्कुल उतना ही डाला है मैने, अगर आपको और चाहिए तो बोलिए मैं और डाल देता हूँ.... अभी मेरे पास बहुत बाकी पड़ा है", दुकानवाला बिना सलोनी के चेहरे की और नज़र उठाए उसके मुम्मो को घूरता हुआ बोलता है | वो बिना किसी डर के उसके मुम्मो को घूर रहा था | उसकी इतनी हिम्मत देख सलोनी दंग रह गयी थी |

"ज़्यादा बकवास ना करो... पैसे काटो जल्दी से" सलोनी खीझ कर बोल उठती है | उसे राहुल को यह सब सुनाने पर दुख महसूस हो रहा था जिसकी मुट्ठियाँ भींच गयी थी और लगता था अगर वो कुछ देर वहीं खड़ा रहा तो दुकान वाले की खैर नही थी |

"अरे बहनजी पैसे तो मैने आपसे कहा था कि रहने देती.... अब आप जैसी बहन हो तो आदमी पैसा लेता अच्छा नही लगता.... खैर अब आप इतनी खुशी से दे रही हैं तो ले लेता हूँ" | दुकानवाला बहुत आराम आराम से पैसे पकड़ता है | फिर वो अपनी पॉकेट में इधर उधर कुछ ढूंढने लगता है |

"अब क्या बात है?" सलोनी गुस्से से तमतमा रही थी |

"अरे बहनजी मेरे पास छुट्टा नही है? अब पाँच रुपया काटना है और आपने इतना बड़ा नोट दे दिया है" वो पुन्य सलोनी के मुम्मो पर अपनी नज़र गढ़ा देता है |

"मेरे पास छुट्टा है तुम यह पाँच रुपये लो और वो नोट वापस करो" दुकान वाला बेशर्मी से हंसता हुआ सलोनी को पहले वाला नोट देता है और उससे छुट्टा ले लेता है | सलोनी छुट्टा लेकर राहुल को चलने के लिए कहती है जो उस दुकान वाले को जान से मार देना चाहता था |

"बहनजी आती जाती रहिएगा......आप ही की दुकान है....और हाँ देखना मेरे बैंगन का स्वाद आपको बहुत पसंद आएगा... मेरे बैंगन जितना लंबा मोटा बैंगन आपको इस बाज़ार से तो क्या और कहीं से नही मिलेगा" दुकानवाला पीछे से सलोनी की गांड को घूरता हुआ उसे बोलता है | सलोनी अभी मुश्किल से दो कदम चली थी जब उस दूकानवाले ने उसे पीछे से वो बात कही थी | सलोनी ठिठक पड़ती है | उसके कदम जहाँ के तहाँ रुक जाते हैं | राहुल भी रुक जाता है वो पीछे मूड कर दुकानवाले की और कदम बढ़ता है जो हंस रहा था | सलोनी राहुल का हाथ कस कर पकड़ लेती है और उसे रोक देती है | वो बैंगन का बैग राहुल को पकड़ा देती है और मुस्कराती हुई दुकानवाले की तरफ़ बढ़ती है | राहुल भी अपनी मम्मी के साथ आगे बढ़ता है |
 
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"ओह तो तुम्हें लगता है तुम्हारा बैंगन सबसे ज़्यादा लंबा मोटा है" सलोनी दुकानवाले के पास आकर मुस्कराते हुए बिल्कुल नरम स्वर में पूछती है |

"लगता क्या है बहनजी सच में है.... हम साबित कर सकते हैं..... आपको सबूत चाहिए तो बोलिए हम आपको सबूत दिखा देंगे अच्छे से" दुकानवाला सलोनी की और देखकर अपनी धोती में झटके मार रहे अपने लौड़े को मसलता है |

"तुम्हारे इस बैंगन से बड़ा तो मेरे बेटे का केला है, और इसका सबूत मैं खुद हूँ" सलोनी दुकानवाले की आँखो में देखती बोलती है | दुकानवाले को झटका सा लगता है, और राहुल को भी | जहाँ एक तरफ़ वो दुकानवाले को पीटने वाला था अब उसके दिल की धड़कने बढ़ती जा रही थी | उसके दिल में, उसकी आत्मा में दर्द की तेज़ लहरें उठ रही थी | दुकानवाले की अश्लील बातें और उसकी मम्मी उपर से उससे मुस्करा कर बात का रही थी | राहुल का मन बहुत बैचेन होता जा रहा था |

सलोनी की बात सुनकर दुकानवाला कुछ पलों के लिए राहुल को घूरता है जैसे उसे यकीन नही हो रहा था | "क्या आपने सच में ...... आपने बेटे का केला देखा है" दुकानवाला आश्चर्य से पूछता है |

"देखा क्या है, मैने खाया है" सलोनी उसी तरह मुस्कराती हुई बोलती है |

"मगर ई तो बच्चा है अभी बहनजी ...... आप हमारे जैसे मर्द का केला खाएँगी तो आपको मालूम चलेगा बड़ा केला किसे कहते हैं" दुकानवाला मूँछ मरोड़ता बोलता है | इस बार राहुल का सर थोड़ा झुक जाता है | अगर उसकी मम्मी उस दुकानवाले से इस तरह मुस्करा कर बात नही करती तो वो कब का पीट चुका होता | मगर जब खुद उसकी मम्मी ..... वह वहाँ से चले जाना चाहता था ..... उस दुकानवाले की बातें उसके कानो में पिघले शीशे की तरह पड़ रही थी | मगर वो चाह कर भी वहाँ से जा नही सका | वो अपनी मम्मी को अकेले कैसे छोड़ सकता था .......
"तुझे किसने बोला है तेरा केला बड़ा है .... तेरे मन का वहम है" सलोनी उस दुकानवाले से ऐसे बात कर रही थी जैसे वो दोनो बहुत साधारण विषय पर बात कर रहे थे | मगर दुकानवाले की हालत बिगड़ चुकी थी | सलोनी की मुस्कराहट और उसका इस तरह खुल कर आराम से उससे बातचीत करना उसे लगा कि वो औरत अब लाइन पर है |
 
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"अरे हमर बीवी बोलती है ..... हमारा केला खाए बिना उसे नींद नही आती" दुकानवाला सलोनी को आँख मार कर कहता है | राहुल का दिल रो रहा था |

"तुम्हारी बीवी कहती है ......" सलोनी हंस पड़ती है | "उसे कैसे मालूम तुम्हारा केला सबसे बड़ा है... लगता है उसने कोई और केला खाया ही नही है"

"अब आपको कैसे यकीन दिलाए हम बहनजी ....... अब जब आपसे सब बातें खुल ही चुकी हैं तो आपको सच्चाई बता ही देते हैं..... देखिए किसी से कहिएगा नही" सलोनी हाँ में सर हिलाती है | दुकानवाला आस पास देखकर बहुत धीमे से बोलता है "हमर बिटिया भी यही कहती है"

"अच्छा ... तो तुमने अपना केला अपनी बेटी को भी खिलाया है ..." सलोनी थोड़े आश्चर्य से बोलती है |

"हाँ बहनजी ..... एक नही दो दो बिटिया को केला खिलाया है ...... एक अभी स्कूल में पड़ती है, वो तो सुबह शाम हमारा केला खाती है और दूसरी का व्याह हो चुका है ..... अरे बहनजी हमारी बड़ी बिटिया तो जब भी मौका मिलता है घर पर आकर हमारा केला खाती है ..... बोलती है उसके मर्द का केला कुछ भी नही है ....... हमारे केले की तुलना में ...... देख लीजिए बाप का केला खाए बिना उसको मज़ा नही आता ...... अब आप ही अंदाज़ा लगा लीजिए हमारा केला कितना बड़ा है ...... अरे मैं तो कहता हूँ आप अंदाज़ा लगाना छोड़िए एक बार आप भी हमारा केला खाकर देखिए ........ आप गुलाम हो जाएँगी हमारे केले की" दुकानवाला अभिमान से बोलता है | उसकी आँखे उत्तेजना के मारे चमक रही थी |

राहुल दुकानवाले की बात सुनकर घबरा जाता है | वो उसकी मम्मी को कुछ ऑफर कर रहा था और अगर कहीं उसकी मम्मी ने ... नही नही ..... उसकी मम्मी ऐसा नही कर सकती ....... राहुल के दिल की धड़कने दुगनी रफ़्तार पकड़ लेती है और वो अपनी माँ की तरफ़ देखता है जिसके चेहरे के भवों में कुछ ज़्यादा अंतर नही आया था |
"ओह तो तुम्हारी बीवी और तुम्हारी बिटिया बोलती है कि तुम्हारा केला बहुत बड़ा है" सलोनी दुकानवाले से आराम से पूछती है |

"जी बहनजी ..... मइया की सौगंध .... हम झूठ नही बोलते ..... हमर बीवी और दोनो बिटिया सच में कहती है कि हमर केला बहुत बड़ा है ... " दुकानवाला सलोनी को यकीन दिलाने का भरसक प्रयत्न करता बोलता है |
 
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"झूठ बोलती हैं तीनो......." सलोनी अचानक तीखे स्वर में बोल उठती है | उसके चेहरे से, उसके होंठो से मुस्कराहट गायब हो जाती है और उसकी जगह गुस्सा ले लेता है |

"जी बहनजी ..... हम झूठ नही बोलते" दुकानवाला सलोनी के एकदम तेवर बदल लेने से चोंक तो उठा था मगर घबराया नही था |

"तुम्हाई बीवी और तुम्हारी बेटियाँ बिल्कुल झूठ बोलती हैं जा फिर उनके मन में बहुत बड़ी ग़लतफहमी है... . उन्हे मेरे बेटे के पास भेजना आज रात को फिर देखना जब वो मेरे बेटे का केला खाएँगी तो उन्हे मालूम चलेगा कि असली केला क्या होता है क्यों राहुल?" सलोनी अचानक अपने बेटे की तरफ़ घूम कर उससे बोलती है | राहुल को ऐसे लगता है जैसे उसके निर्जीव शरीर में प्राण लौट आए हों | एकाएक उसकी आत्मा में प्रसन्नता लौट आती है |

"बिल्कुल मम्मी ........ इसके दिमाग़ में बहुत बड़ी ग़लतफहमी है.... अगर आप कहे तो मैं अपने दोस्तों को भी बुला लेता हूँ फिर इसकी बीवी और दोनो बेटियों को खूब केला खिलाएंगे , उन्हे मालूम चलेगा कि केला होता कैसा है" दुकानवाला कभी सलोनी को देख रहा था तो कभी राहुल को | उसको यकीन नही हो रहा था वो औरत एकदम से इस तरह पैंतरा बदल सकती है | वो अब भी नही घबराता मगर जब उसके बेटे ने अपने दोस्तों को बुलाने की बात की तो उसे पसीना आने लगा |

"तुम्हारे दोस्तों को रहने दो, मैं तो कहती हूँ तुम्हारे डैडी को पोलीस स्टेशन में फोन लगाओ .... वो एकदिन बोल रहे थे कि उनके सिपाहियों को काफ़ी दिनों से कोई खुराक नही मिली... कितने सिपाही हैं तुम्हारे डैडी के थाने में" सलोनी याद करते बोलती है |

"नौ मम्मी नौ हैं....." राहुल अपनी मम्मी का इशारा समझ झट से उसे ज्वाब देता है | उधर दुकानवाले का लंड बैठ चुका था | उसका पूरा जिस्म पसीने से तर हो चुका था | थाना, पोलीस की बात सुनकर उसकी पूरी हेकड़ी निकल चुकी थी | जिस तरह सलोनी इतने समय से उससे आराम से बिना किसी शर्म और भय के बात कर रही थी, दुकानवाले को उससे पक्का यकीन हो गया था कि वो वाकई किसी पोलिसवाले की बीवी है | उसकी धोती गीली होने वाली थी | वो अभी से खुद को थाने में नंगा देख रहा था और उस पर चार पाँच पुलिसिये डंडे बरसा रहे थे |


"नौ जाने ....... ओह तब तो ठीक हैं, इसकी एक बीवी और दोनो बेटियाँ मिलकर तीन हुई यानी तीन पोलीस वालों के हिस्से में एक आएगी .... अच्छा है पहले तेरे डॅडी मज़ा करेंगे बाद में रात भर पुलिसिये इसकी बीवी और बेटियों को अपना केला खिलाएँगे .... उन्हे भी केला खाने का बहुत शोक है... तू अपने डॅडी को फोन करके यहाँ बुला" | राहुल "जी मम्मी" बोलकर अपनी पॉकेट में हाथ डाल कर अपना मोबाइल निकालता है और जैसे ही नंबर पंच करने लगता है, दुकानवाले की हिम्मत टूट जाती है |

"नही नही बहनजी .... ऐसा मत कीजिएगा ..... हम ग़रीब आदमी मर जाएँगेम .... ऐसा जुल्म मत कीजीये" दुकानवाला सलोनी के आगे हाथ जोड़ता है |
 
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"क्यों क्या हुआ... अभी मुझे अपना केला नही खिलाओगे ..... अभी तो इतनी डींगे हांक रहे थे, अब क्या हुआ ..... तू नंबर लगा वैसे भी तेरे डॅडी को स्कूल में पड़ने वाली लड़कियाँ बहुत पसंद हैं .... तू नंबर लगा राहुल" सलोनी दुकानवाले को गुस्से से घूरती बोलती है |

"मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हो गयी...... हमर बिटिया बहुत छोटी है ...... मासूम है दया कीजये बहनजी ...... माफ़ कर दिए" दुकानवाले की आँखो में आँसू आ गये थे |

"क्यों मुझे तो केला खिलाने के लिए बहुत तड़फ रहा था अब जब अपनी बेटियों की बात आई तो दम निकल गया ....... दूसरो की बहन बेटिओं को तुम रंडियां समझते हो" सलोनी इतने गुस्से से बोली थी कि दुकानवाला कांप उठा |

"गंगा मैया की सौगंध, हम दोबार कभी ऐसी ग़लती नही करेंगे ..... इस बार माफ़ कर दीजिए" दुकानवाले का जिस्म कांप रहा था और उपर से उसने हाथ भी जोड़े हुए थे | कुछ लोग दूर से इधर ही देख रहे थे |

"इस बार माफ़ कर देती हूँ मगर याद रखना अगर ऐसी ग़लती दोबारा की तो ....... जानते हो ना पोलीस की मार को ........ सारी उमर चल भी नही पाओगे" सलोनी आख़िरी बार उस दुकानवाले को डांटती है |

"कभी नही, कभी नही ...... भूल कर भी ऐसी हिमाकत नही करूँगा" सलोनी राहुल की बाँह पकड़ते उसे वहाँ से ले जाने लगती है | दोनो चल पड़ते हैं | जब वो पास की दुकान से गुज़र रही थी तो कुछ लोग उसे देख रहे थे | सलोनी गंभीर चेहरा लिए सामने की और देखती बढ़ती जा रही थी जबकि राहुल को अपनी हँसी छिपाने के लिए बहुत मुश्किल हो रही थी | उसे याद नही था आख़िरी बार वो इतना खुश कब हुआ था |

"लगता है मेडम ने खूब खिंचाई की है ...... अच्छा हुआ ऐसा ही होना चाहिए था इस हरामी के साथ" सलोनी को पीछे किसी की आवाज़ सुनाई देती है | सलोनी और राहुल आख़िरकार अपनी गाड़ी तक पहुँच जाते हैं | राहुल बैंगन का बैग डिक्की में रखता है और अपनी तरफ के डोर के पास खड़ा होकर सलोनी को गाड़ी के उपर से चाभी देता है जो दूसरी तरफ ड्राइवर सीट के दरवाजे के पास खड़ी थी | सलोनी उससे चाभी पकड़ लेती है | दोनो माँ बेटा एक दूसरे की आँखो में देखते हैं | राहुल अपनी हँसी रोक नही पाता और खुलकर हँसने लग जाता है | सलोनी उसे घूरकर देखती है और फिर खुद भी ज़ोर से हंस पड़ती है | दोनो कार में सवार होते हैं | सलोनी गाड़ी स्टार्ट करती है और राहुल को आँख मार कर हँसते हुए कहती है
 
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"देखा कैसा मज़ा चखाया उस हरामी को ..... सारी उमर याद रखेग" माँ-बेटे की हँसी रुक नही रही थी |
सलोनी मुस्कराती हुई कार चला रही थी जबकि राहुल अभी भी हंस रहा था | वो खूब हँसने के बाद थोड़ी देर के लिए शान्त पड़ जाता मगर कुछ ही पलों के बाद वो फिर से हाथ पर हाथ मार कर ज़ोर से हंस पड़ता | सलोनी भी उसकी और देख कर मुस्करा देती |

"और ..... और जब अपने कहा लगाओ अपने पापा को कोतवाली में फोन ........ हहहहहहाहा .... उसका चेहरा कैसे फक्क पड़ गया ........ कैसे बच्चों की तरह रोने लग गया"

"और तूने कौनसा कम एक्टिंग की ....... मम्मी अपने दोस्तों को बुला लूँ ....... और फिर क्या कहा था ...... हाँ मम्मी पापा की कोतवाली में नौ पॉलिसीए हैं ...... सभी मिलकर इसकी बीवी और बेटी को चोदेंगे .......... ओह माय गॉड!!!!!!!!!! बेचारा कितना डर गया था" सलोनी भी बेटे की होशियारी की दाद दे रही थी |

"मगर मम्मी मान गये आपको ........ क्या एक्टिंग की अपने ... ऐसा लगा जैसे सच में किसी थानेदार की बीवी है ........ बेचारे की तो लूँगी गीली कर दी आपने ........ हाहहहहहहहहा" राहुल दिल खोल कर हँसे जा रहा था |

"और जो तेरी पेंट गीली होने वाली थी, वो भूल गया ......" सलोनी की बात सुन कर राहुल की हँसी रुक जाती है |

"क्या मतलब ......" राहुल का दिल धड़क उठा | वो उन लम्हो को याद भी नही करना चाहता था | "मेरी भला पेंट क्यों गीली होने लगी" उसे लगा था शायद उसकी हालत के बारे में उसकी मम्मी को पता नही चला था |

"क्या मतलब ............... हुं ........ मुझे यह बताओ जब मैं उस सब्ज़ीवाले से हंस कर बातें कर रही थी तो तुम्हारा चेहरा क्यों सफेद पड़ गया था ..... तुम क्या समझते हो मुझे तुम्हारी हालत के बारे में मालूम नही था .... तुम्हे तो तगड़े होना चाहिए था जबकि तुम्हारी शकल ऐसी हो गयी थी कि जैसे अभी रो दोगे ..." सलोनी गाड़ी को एक मिनी माल के सामने रोक देती है |
 
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राहुल चुप कर जाता है | उसके चेहरे पर फिर से उदासी छा जाती है | उसे सच में उस समय बहुत तकलीफ़ महसूस हुई थी | जिस तरह सलोनी और वो दुकानवाला हंस हंस कर आपस में अश्लील बातें कर रहे थे बेचारे का दिल टूट गया था | सलोनी गाड़ी को पार्क कर चुकी थी और अपनी सीट बेल्ट खोलकर वो राहुल की और मुड़ती है और उसे देखने लगती है | राहुल अपना चेहरा झुकाए बहुत उदास दिख रहा था | सलोनी का दिल बीँद जाता है और वो उसे अपनी बाहों में भरती उसे अपनी तरफ खींचती है | सलोनी राहुल के सर को अपने सिने पर दबाती है और उसके बालों में हाथ फेरती है | कुछ देर बाद जब वो राहुल का सर उपर उठती है तो उसकी आँखो से आँसू छलक रहे थे | सलोनी अपना चेहरा बेटे के चेहरे पर झुकाकर उसकी आँखो उसके गालों से आँसू पीने लग जाती है | वो उसके चेहरे पर चुंबन की बरसात कर देती है | कुछ देर बाद आख़िर राहुल की आँखो से आँसू निकलने बंद हो जाते हैं | सलोनी उसके होंठो पर एक गहरा चुंबन अंकित करती है |
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"इस तरह घबराते नही है बेटा ......... कभी भी घबराते नही .... अपनी ज़िद्द के लिए अपने प्यार के लिए लड़ा जाता है उसे खामोशी से हाथ से निकल नही जाने दिया जाता ........ किस्मत के भरोसे कभी नही रहते ........ जानता है जब वो आदमी मुझसे बदतमीज़ी से बात कर रहा था तो तुझे उसी समय उसके मुँह पर एक चांटा मार देना चाहिए था ...... अगर तू ऐसा कर देता तो मैं क्या कोई भी औरत तेरी मर्दानगी की दीवानी हो जाती मगर तू वहाँ खड़ा मेरे इशारे का इंतज़ार करता रहा ........ ऐसे समय में तुझे खुद फ़ैसला करना चाहिए था ..... और तू क्या समझता है मैं उस घटिया नीच आदमी को अपने जिस्म को हाथ लगाने देती ....... मैं कोई रंडी नही हूँ ............ कोई मंदिर का प्रसाद नही हूँ जो हर किसी में बाँट दी जायूं ... अगर सच सुनना चाहता है तो सुन ...... आज तक मेरे जिस्म को तेरे बाप के सिवा किसी ने हाथ नही लगाया ना ही कोई लगा सकता है ............ तेरा भी कोई चान्स नही था .... वो तो तेरे बाप ने मुझे इतने समय से प्यासी रखा है और उपर से तू है ऐसा कि चाह कर भी खुद को रोक नही सकी ........ तू मेरा बेटा है शायद इसीलिए आज तू मेरे इतने करीब है जितना तेरा बाप भी कभी नही हुआ और शायद कभी होगा भी नही ............ इसलिए इस बात की तो तू चिंता छोड़ दे कि मैं किसी और के नीचे लेटूँगी ..... तेरे पिता के बाद तू वो आख़िरी इंसान है जो इस जिसम को भोग सकता है .... मगर मेरी बात याद रखना अगर कोई चीज़ प्यारी हो, कुछ चीज़ अपनी हो तो उसे हाथ से निकलने नही देना चाहिए, अपने प्यार अपने हक़ के लिए लड़ना चाहिए ........... इस तरह बैठ कर रोयोगे तो सारी उमर हाथ मलते रोते ही रह जयोगे ......... एक कुत्ता भी अपने मोहल्ले में किसी अजनबी कुत्ते को बर्दाशत नही कर सकता और तू तो जवान मर्द है......"

राहुल का सर झुका हुआ था | उसकी मम्मी की एक एक बात उसके दिल पर गहरा असर कर रही थी | उसे चाहे इस बात से बहुत राहत मिली थी कि उसकी मम्मी उसके बाप के बाद केवल उससे चुदी थी और किसी दूसरे से चूदना भी नही चाहती थी | मगर वो सच कहती थी उसको भी मर्द बनना चाहिए | उसे अपनी मम्मी पर अपने हक़ को बरकरार रखना है तो आगे से मर्द बनना होगा | उसे अपनी मम्मी का हक़दार बनकर दिखाना पड़ेगा |

"जो मैने कहा आगे से उसे याद रखना ........ चल अब अपना चेहरा ठीक कर ....... अंदर चलते हैं ........... ऐसे नही थोड़ा सा मुस्करा कर ... थोड़ा सा और ....... हाँ अब थोड़ा सही है ........." सलोनी बेटे को थोड़ा सा मुस्कराने पर मजबूर कर देती है | आख़िर दोनो कार से बाहर निकलते हैं और माल के अंदर शॉपिंग करने के लिए जाते हैं |

सलोनी अभी भी किचन के लिए कुछ सामान खरीद रही थी और उसके बाद वो मेकअप का कुछ सामान लेने लगी | राहूल उसके पीछे ट्रॉली घिसटता चला जा रहा था | उसका मूड अब कुछ कुछ सुधरने लगा था | सलोनी शॉपिंग करती उससे इधर उधर की बातें कर रही थी |
 
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"बेटा यहाँ कोकनट आयल कहाँ है ढूँढ तो ज़रा.... मुझे मिल नही रहा"

राहुल कुछ देर माल के अलग अलग सेक्षन में इधर उधर चेक करता है फिर उसे कोकनट आयल मिल जाता है |

"यह लो मम्मी मगर आप इस का करेंगी क्या .... आप तो कोकनट आयल का इस्तेमाल नही करती?" राहुल अपनी मम्मी के पीछे बिलिंग स्टेशन की और जाता पूछता है |

"मैने सुना है इसमें सबसे ज़्यादा चिकनाहट होती है, इसलिए ले लिया" सलोनी एक तरफ काउंटर के पास खड़ी हो जाती है और राहुल समान निकाल कर बेल्ट पर रखने लगता है |

"मगर आप इसका इस्तेमाल कहाँ करेंगी ......... इसमे खाना तो नही पकाएँगी ना?" राहुल को कोकनट आयल में बना खाना पसंद नही था |

"खाने में नही बाबा ........" सलोनी काउंटर पर खड़ी लड़की को पैसे देती है और झुक कर राहुल के कान में फुसफुसाती है "पीछे लगाने के लिए ...... वहाँ कमर के नीचे ........ उउम्म्म्ममम ............. मेरे नितंबो के बीच ............" सलोनी बेटे को आँख मार कर शर्मीली सी हँसी हँसती है |

"वहाँ .... वहाँ किस लिए......" राहुल बैग उठाकर अपनी मम्मी के साथ साथ चलता उससे धीरे से पूछता है | वो अब माल से बाहर निकल रहे थे |

"किस लिए....... तुझे नही मालूम......." सलोनी सामने देखती मुस्कराती है |

"बताओ ना मम्मी .......... क्यों पहेलियाँ बुझा रही हो......" राहुल का लंड जो सोया हुआ था फिर से खड़ा होने लग गया था |

"उऊउम्म्म्मम ..... अब मैं कैसे कहूँ ........ मैं नही बोल सकती ........ मुझे शर्म आती है ....." सलोनी शरमाती है |

"उफफफ्फ़ मम्मी हम दोनो ही तो हैं .... बताओ ना किस लिए वहाँ तेल लगाओगी" राहुल का लंड अब आधा सख्त हो चूका था |

"अब तेल नही लगाउंगी तो तेरा वहाँ लूँगी कैसे .......... आगे तो खुद बा खुद गीली हो जाती है ....... मगर पीछे तो तेल ही लगाना पड़ेगा ना ........... एक तो मेरी पीछे वाली इतनी टाइट है और उपर से तेरा इतना मोटा है ......... बिना तेल के कैसे अंदर घुसेगा ....... हायईईए बिना तेल के तो मेरी फट ही जाएगी......"

राहुल के पैर वहीं जम जाते हैं | राहुल को अपने कानो पर यकीन नही होता | उसकी मम्मी ने कोकनट आयल इस लिए लिया था कि वो उससे अपनी गांड मरवाने वाली थी ............... उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ....... एक ही झटके में राहुल का लौड़ा पूरा तन जाता है | वो अब सलोनी के साथ साथ नही बल्कि उसके पीछे पीछे चल रहा था | उसकी नज़र अपनी मम्मी के गोल मटोल उभरे नितंबो पर ज़मी हुई थी | वो कल्पना कर रहा था उन नर्म, कोमल नितंबो के बीच उसकी टाइट गांड मारने में कितना मज़ा आएगा | राहुल शायद सलोनी की गांड को ऐसे ही घूरता रहता मगर वो पार्किंग में पहुँच चुके थे और सलोनी गाड़ी में बैठ चुकी थी | उस शैतान माँ के होंठो पर बहुत ही शरारती सी हँसी चिपकी हुई थी |

"उफफफफफफ्फ़ ..... देखो तो तुमने इसे फिर से खड़ा कर लिया .... कोई देखेगा तो यही कहेगा कि मैं तुम्हारी वो हूँ ........... कि तुम बस मुझ पर चड़ने वाले हो .......... इसे कभी तो बैठा कर रखा करो" सलोनी राहुल के गाड़ी में बैठने के बाद उसको झूठ मूठ का डाँटती है |

"अब तुम मम्मी ऐसी बातें करोगी तो यह बेचारा क्या करेगा" राहुल अपना बचाव करता है |

"ओहो ..... तो मैं इसे जानबुझकर खड़ा करती हूँ .... तुम ही इतने टाइम से ज़िद्द कर रहे थे बताओ मम्मी कहाँ तेल लगाओगी ....... क्यों लगाओगी ......... अब जब बता दिया तो आपके इस महाशय ने अपना सर उठा लिया ........ इसका मतलब तो यह हुआ कि अगर मैं कुछ नही बताती हूँ तो भी तुम मेरा पीछा नही छोड़ते और अगर बताती हूँ तो तुम इसके खड़ा होने का दोष मेरे माथे पर मढ़ देते हो ...... यानी हर तरफ से मैं ही बुरी हुई ..... और यह बेचारा कब से हो गया ........ तुम्हारे इस बेचारे ने मेरी मार मार का सूजा दी है ........ पूरी सूजी हुई है ...... हाय दर्द भी कर रही है ........ लेकिन कोई बात नही घर चलो आज की रात इसकी अच्छे से खबर लूँगी ...... आज की रात इसकी खैर नही" सलोनी झुक कर राहुल के लंड को अपने हाथों में भर कर एक बार कस्स कर मसलती है |

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"आआहह" राहुल सिसक पड़ता है | लगता था उसके छूने से लौड़ा और भी सख्त हो गया था | फिर सलोनी गाड़ी को स्टार्ट करती है और पार्किंग से निकलती है |
 
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