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सलोनी जूस का ग्लास पकड़ कर राहुल की और देखती है और उसके लंड को ज़ोर से अपने पाँव में दबा मसलती है |
"मम्मी दर्द हो रहा है" राहुल अपनी मम्मी की तरफ़ देख फिर से आँखो ही आँखो में मिन्नत करता है |
"अपनी ज़िपर खोल कर इसे बाहर निकालो" सलोनी उसकी बिनती की कोई परवाह ना करती कहती है |
"मम्मी प्लीज़ जहाँ नही......कोई देख लेगा......घर चलकर जैसे चाहे कर लीजिएगा"
"मैने भी सिनेमा हॉल में तेरी ऐसी ही मिन्नत की थी याद है? तूमे मेरी बात मानी थी" सलोनी पलटवार करती है |
"आई एम सॉरी मम्मी आगे से आपकी हर बात मानूँगा ....... प्लीज़ अब नही करिए"
"मैने कहा अपनी ज़िपर खोलो" सलोनी राहुल की मिन्नत मनाल को पूरी तरह नज़रअंदाज़ करते बोलती है |
राहुल रुआंसा सा मुँह करके टेबल के नीचे अपने हाथ ले जाता है और अपने लंड को बाहर निकाल लेता है | वो बहुत शर्मिंदा महसूस कर रहा था | उसे लग रहा था जैसे पुरे रेस्तराँ में उन सब लोगों के बीच वो अकेला नंगा बैठा हो | सलोनी लंड को आराम आराम से अपने पंजो के बीच कस कर दबाती है, सहलाती है, रगडती है | राहुल अपनी सिसकियाँ दबाने के लिए अपने होंठो पर अपने हाथ रख लेता है |
"मज़ा आ रहा है ना" सलोनी राहुल की तकलीफ़ का आनंद उठाती कहती है | राहुल कुछ नही बोलता बल्कि अपनी मम्मी को खा जाने वाली नज़रों से देखता है | हालांकि सलोनी की बात बिल्कुल सही थी | उसे सच में बेहद्द मज़ा आ रहा था | मगर सलोनी जिस तरह उसकी आग को हवा देकर भड़का रही थी उससे उसे डर था कहीं वो बेकाबू ना हो जाए | जो डर सलोनी को सिनेमा हॉल में सता रहा था वही अब राहुल को सता रहा था |
"मम्मी दर्द हो रहा है" राहुल अपनी मम्मी की तरफ़ देख फिर से आँखो ही आँखो में मिन्नत करता है |
"अपनी ज़िपर खोल कर इसे बाहर निकालो" सलोनी उसकी बिनती की कोई परवाह ना करती कहती है |
"मम्मी प्लीज़ जहाँ नही......कोई देख लेगा......घर चलकर जैसे चाहे कर लीजिएगा"
"मैने भी सिनेमा हॉल में तेरी ऐसी ही मिन्नत की थी याद है? तूमे मेरी बात मानी थी" सलोनी पलटवार करती है |
"आई एम सॉरी मम्मी आगे से आपकी हर बात मानूँगा ....... प्लीज़ अब नही करिए"
"मैने कहा अपनी ज़िपर खोलो" सलोनी राहुल की मिन्नत मनाल को पूरी तरह नज़रअंदाज़ करते बोलती है |
राहुल रुआंसा सा मुँह करके टेबल के नीचे अपने हाथ ले जाता है और अपने लंड को बाहर निकाल लेता है | वो बहुत शर्मिंदा महसूस कर रहा था | उसे लग रहा था जैसे पुरे रेस्तराँ में उन सब लोगों के बीच वो अकेला नंगा बैठा हो | सलोनी लंड को आराम आराम से अपने पंजो के बीच कस कर दबाती है, सहलाती है, रगडती है | राहुल अपनी सिसकियाँ दबाने के लिए अपने होंठो पर अपने हाथ रख लेता है |
"मज़ा आ रहा है ना" सलोनी राहुल की तकलीफ़ का आनंद उठाती कहती है | राहुल कुछ नही बोलता बल्कि अपनी मम्मी को खा जाने वाली नज़रों से देखता है | हालांकि सलोनी की बात बिल्कुल सही थी | उसे सच में बेहद्द मज़ा आ रहा था | मगर सलोनी जिस तरह उसकी आग को हवा देकर भड़का रही थी उससे उसे डर था कहीं वो बेकाबू ना हो जाए | जो डर सलोनी को सिनेमा हॉल में सता रहा था वही अब राहुल को सता रहा था |
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