“अब बोल भी दो......क्यों सता रहे हो” सलोनी अधीरता से बोल उठती है |
“आप बुरा मान जाओगे मम्मी” राहुल मासूमियत से बोलता है |
“अब कैसे गुस्सा करुँगी... तेरी गोद में बैठी हूँ... तेरे इसने गुस्सा करने लायक छोड़ा कहाँ है” सलोनी भड़के हुए लंड पर गांड रगडती बोलती है, “तू कुछ भी बोल... कुछ भी...” सलोनी बुरी तरह अकड़े लंड को धीरे धीरे नितम्ब हिलाकर रगड़ रही थी | राहुल का चेहरा वासना से लाल होता जा रहा था |
“माँ वो आपका मंगलसूत्र ... वो जब दोपहर को ... मैंने देखा था... बाथरूम में... जब आपने कपडे नहीं पहने थे... आपका मंगलसूत्र ... वो आपके सीने पर... आपके ... आपके ... उन दोनों के बीच ... उफ्फ्फ्फ़... मम्मी... काला मंगलसूत्र... उन दोनों के बीच बहुत प्यारा लग रहा था” |
“सिर्फ प्यारा लग रहा था...... तूने तो सब कुछ देख लिया था..... मैं सोचती थी तुझे कुछ भी लगा होगा.....” सलोनी राहुल के कान की लौ को दांतों से काटती बोलती है |
“हाँ मम्मी.... वो... वू.... बहुत ... बहुत ... सेक्सी भी... सेक्सी भी लग रहा था... आपक्ली नाकिकी बाली भी कितनी सेक्सी है ... आप बहुत सेक्सी हो मम्मी... सच में मम्मी... आप बहुत.. बहुत सेक्सी हो”
“तूने तो मुझे लगभग निराश ही कर दिया था.. मुझे लगा शायद मैं तुझे सेक्सी नहीं लगती...” सलोनी पहले की तरह राहुल के कान की लौ काटती बोलती है, कुछ देर दोनों में छुपी छा जाती है |