"हाए तो मज़े ले ले अपनी मम्मी की टाइट चूत के ........ लूट ले मज़े ......... उउफफफफफफ्फ़ .......... अराम से कम्बखत ........ मुझे अभी देर तक चुदवाना है ....... आआआहह धीरे धीरे चोद मेरे लाल अपनी मम्मी को ......... जितना देर तक चोद सकता है चोद ... ऐसे ही मेरे मुम्मे मसल मसल कर चोद मुझे ...... ऐसे ही पेलता रह अपना लौड़ा मेरी चूत में ....... तेरा लौड़ा सच में बहुत मज़ा दे रहा है ....... उउफफफफफफ्फ़ ........ हाए तूने मुझे पहले क्यों नही चोदा मेरे लाल" सलोनी बेटे की गांड में उंगली पेलती अपनी गांड हल्के हल्के उछाल कर बेटे के लंड को चूत में ले रही थी |
उस रात माँ-बेटे ने चुदाई में वो आनंद हासिल किया जो ज़िंदगी भर उन्हे नही मिला था | सलोनी राहुल को पूरी तरह अपने काबू में रखते हुए उससे चुद्वाती रही | पुरे दो घंटे ........ पुरे दो घंटे राहुल अपनी माँ के उपर चढ़ा उसकी चूत में अपना लंड पेलता रहा | इस बीच सलोनी तीन बार और झढ़ चुकी थी ......... मगर उसने राहुल को ना झड़ने दिया ......... जब भी वो स्खलन के करीब पहुँचता, सलोनी चुदाई को रोक देती और दोनो एक दूसरे को चूमने चूसने लगते | अंत उसे अपने बेटे पर रहम आया जो झड़ने के लिए बहुत बैचेन हो रहा था, कामौन्माद से उसका अंग अंग कांप रहा था | सलोनी ने आख़िर दो घंटे की चुदाई के बाद जब राहुल झड़ने के करीब आया | उसने उसे रोका नही ..... उसने उसे तब भी नही रोका जब राहुल की स्पीड बढ़ने लगी ......... तब भी नही जब वो पूरा पूरा लंड बाहर निकाल कर वापस उसकी चूत में ठोक रहा था .... तब भी नही जब वो झड़ते हुए उसके मुम्मो को मुँह में भर चूस्ते हुए उसके निप्पलों को काट रहा था ...... हालांकि राहुल के झड़ने के पुरे समय वो खुद उन्माद में शोर मचा रही थी, चीख रही थी मगर राहुल ने खुद को इस हद तक और इतने समय तक रोके रखा था कि उसे उस समय बिल्कुल भी होश नही था कि वो कितनी बेरहमी से अपनी मम्मी की ठोकते हुए उसकी बुरी गत बना रहा था |
माँ-बेटे उस आनंद में डूबे इतने थक चुके थे, दोनो इतने पस्त हो चुके थे कि झड़ने के फ़ौरन बाद ही दोनो को नींद आ गयी थी | दोनो पूरी दुनिया से बेख़बर एक दूसरे की बाहों में समाए किसी और ही दुनिया में विचर रहे थे |