राजेश का दिमाग़ चकरा रहा था, इसलिए उसने वहां से निकलने में ही भलाई समझी…
जाते हुए वो ईशा के रूम में गया जो अभी तक बेसूध होकर सो रही थी…
उसकी शॉर्ट्स इतनी छोटी थी की उसकी जाँघो का मिलन बस कुछ ही इंच से ढका हुआ था…
उसे उसके इस रूप पर इतना प्यार आया की उसने झुकते हुए उसकी मांसल जांगो पर हाथ रखकर उसे दबाया और उसके होंठो पर एक गहरा किस कर दिया…
ये आज की सुबह की उसकी तीसरी ग़लती निकली…
चूमने के साथ ही उसकी आँखे झट्ट से खुली और वो भी उतनी ही ज़ोर से चिल्लाई जितनी ज़ोर से पिंकी चीखी थी….
इस बार फिर से रजनी भागती हुई सी अंदर आई….
ईशा हालाँकि कुछ बोली नही पर जिस तरह से वो सहमी हुई सी अपने पापा को एकटूक देखे जा रही थी वो हाव भाव बता रहे थे की राजेश ने उसके साथ जो किया है वो उसे पसंद नही आया…
रजनी के बार-2 पूछने पर भी ईशा कुछ बोली नही पर रोने का नाटक ज़रूर करने लगी…
एक बार फिर से राजेश बेचारा शर्म से पानी -2 हो गया…
पीछे मुड़कर बाहर जाने लगा तो गुस्से से घूरती हुई पिंकी की आँखे फिर से दिखी उसे…
जैसे बोल रही हो की 'ओ जानवर, अपनी बेटी को तो छोड़ देता कम से कम..'
अब और कुछ देखना राजेश के बस की बात नही थी…
उसने अपना बेग उठाया और हॉस्पिटल के लिए निकल गया तुरंत.
पिंकी ने दरवाजा बंद किया और वापिस उस रूम में आई जहाँ ईशा और रजनी बैठे थे…
तीनो ने एक दूसरे के चेहरे देखे और फिर एकसाथ सभी ठहाका लगाकर हँसने लगे…
हालाँकि तीनों की चूत कुलबुला रही थी
पर राजेश के लॅंड को ठेस पहुँचाने के बाद उसके चेहरे पर आए भाव देखकर उन्होने काफ़ी देर से जो हँसी दबा रखी थी वो अब खुलकर निकल रही थी…
वो काफ़ी देर तक हंसते रहे और फिर जब शांत हुए तो आगे क्या होगा इस विषय पर काफ़ी देर तक बातें भी करते रहे…
शाम को वैसे भी राधिका और चाँदनी ने आना था, बाकी की प्लॅनिंग उनके साथ बैठकर करनी थी..
अभी वो सब बैठकर बातें कर ही रहे थे की बाहर की बेल बाजी…
रजनी ने पिंकी को दरवाजा खोलने के लिए भेजा…
जब वो वापिस आई तो उसके चेहरे पर रहस्यमयी मुस्कान थी…
रजनी ने जब पूछा की क्या हुआ…ऐसे क्यू मुस्कुरा रही है…. कौन है बाहर…?’’
वो धारे से फुसफुसाई : “वो….वो …मेरा मरद आया है….बिरजू’’
बिरजू का नाम सुनते ही रजनी के पूरे शरीर में चींटियां सी रेंगने लगी….
पिंकी के चेहरे को देखकर सॉफ पता चल रहा था की उसने कल रात घर जाते ही बिरजू को अपनी मालकिन और उनकी इच्छा के बारे में सब बता दिया था…हे भगवान….
ये औरत पागल है क्या…
अपने पति को खुद ही बोल आई अपनी मालकिन की फॅंटेसी के बारे में ….
और वो बेवड़ा भी सुबह -2 यहाँ पहुँच गया.
रजनी (सकपकाकर बात संभालते हुए) : “ ओह्ह्ह ….अच्छा वो जो मैने कल काम बताया था , उपर पानी की टंकी की सफाई के लिए…उसी के लिए आया है क्या….’’
पिंकी ने मुस्कुराते हुए हाँ में सिर हिला दिया..
रजनी (ईशा से नज़रें चुराते हुए) “ बेटा, तुम तब तक नहा लो, पिंकी तुम्हारी हेल्प कर देगी…मैं बिरजू से उपर वाली टंकी की सफाई करवा लेती हूँ …’’
इतना कहकर वो तेज कदमों से बाहर निकल गयी.
ईशा को अपनी माँ का व्यवहार थोड़ा अटपटा ज़रूर लगा पर उसे किसी बात का शक़ नही हुआ…
बाहर निकालकर जब वो बिरजू के सामने पहुँची तो उसके दिल की धड़कन काफ़ी तेज चल रही थी….
उसके निप्पल्स गाउन के उपर से सॉफ दिखाई दे रहे थे…
रजनी को देखते ही वो सोफे से खड़ा हो गया और हाथ जोड़कर नमस्ते की उसने ….
बिरजू एक हट्टा कट्टा , मोटा और काला आदमी था..
उसकी घनी मूँछो के नीचे छुपे काले होंठ इतने मोटे थे जैसे मधुमक्खी ने काट लिया हो…
उसकी आँखो की चमक बता रही थी की वो रजनी के रसीले बदन को देखकर कितना खुश है..
रजनी : “हाँ …बिरजू…कैसे आना हुआ…’’
अब वो एकदम से तो उसे बोल नही सकती थी की चुदाई कैसे करोगे…
बिरजू भी बड़ा चालाक था, उसकी बात का जवाब उसने उतनी ही चतुराई से दिया
वो बोला : “वो पिंकी बोल रही थी की आपकी पीठ में दर्द रहता है…मैं देसी पहेलवान हूँ , मई तेल लगाकर आपकी कमर का सारा दर्द ठीक कर दूँगा..’’
कल रजनी ने पिंकी को अपने बदन की मसाज करवाकर उसे अपने जाल में फँसाया था,
शायद पिंकी ने वो बात वैसे ही जाकर अपने पति को सुना दी, तभी उसे ये आइडिया आया होगा…
रजनी चाहती तो बात को टाल मटोल करके उसे वहाँ से भगा सकती थी…
पर उसने कल ही सोच लिया था की बिरजू के मोटे और काले लॅंड को अपनी चूत में लेकर रहेगी,
हालाँकि उसने ये नही सोचा था की अगले ही दिन उसे ये मौका मिलेगा..
इसलिए जो आगे चलकर होना था वो अभी हो जाए, यही सही रहेगा.
वैसे भी सुबह से उसकी चूत में काफ़ी खुजली हो रही थी…
बिरजू से वो किसी गुलाम की तरह काम लेगी…
अपने पैर चटवाएगी..
अपनी चूत में उसकी मूँछो वाला मुँह घुस्वाकार उससे चुस्वाएगी…
और उसके मोटे लॅंड से …..
उफ़फ्फ़….
इतना सोचते ही उसकी चूत ऐसे चोने लगी जैसे किसी ने पानी के गुब्बारे में पिन मार दी हो..
वो हड़बड़ाते हुए बोली :”ठीक है….जल्दी से उपर आओ…’’
इतना कहकर वो सीढ़ियों से उपर वाले कमरे में चल दी…
बिरजू भी मुस्कुराता हुआ उसके पीछे-2 चल दिया, रजनी की मटक रही मोटी गांड देखकर उसके मुँह में पानी आ चुका था…
और उसने सोच लिया की वो उसकी गांड मारकर रहेगा.
कमरे में पहुँचकर रजनी ने उसे देखा तो बिरजू बोला : “आप कपड़े उतारकर लेट जाओ…मैं तेल गर्म करवाकर लाता हूँ पिंकी से…’’
इतना कहकर वो भागता हुआ सा नीचे चला गया…
रजनी को इस वक़्त अपने ही घर में ऐसा लग रहा था जैसे अपने प्रेमी के साथ किसी होटल रूम में आई है चुदाई करवाने के लिए..