- 1,473
- 6,093
- 159
ये तो शुक्र था की उस वक़्त ईशा नहा रही थी वरना अपना माँ की ऐसी सिसकारी सुनकर वो शायद नंगी ही एक पैर से दौड़ी-2 उपर चली जाती..
अलबत्ता पिंकी को वो सिसकारी ज़रूर सुनाई दे गयी जो इस वक़्त ईशा की पीठ पर साबुन लगाकर उसे नहला रही थी…
और उसे सुनकर वो मुस्कुरा दी…
शायद वो जानती थी की उपर क्या हो रहा है….
ऐसा ही कुछ कल रात उसके साथ भी हुआ था…
जब उसने अपनी मेंमसाब् की फॅंटेसी उसे सुनाई थी…
जिसे सुनकर बिरजू रात भर उत्तेजना में भरकर उसकी भरपूर चुदाई करता रहा…
और सुबह उसके साथ ही वो यहां भी आ गया था…
वो तो बस राजेश के निकलने का इंतजार कर रहा था घर के बाहर छुपकर और जब वो गया तो तुरंत अपना कड़क लॅंड लिए घर के अंदर आ पहुँचा…
और उसके बाद की कहानी तो ऊपर चल ही रही थी.
पिंकी धीरे से बुदबुदाई ‘आज तो आप गयी मेंमसाब्…..’
और उपर हो भी ऐसा ही कुछ रहा था….
रजनी की गांड के छेद को अच्छी तरह से गीला करने के बाद बिरजू ने अपने लॅंड पर ढेर सारी थूक लगाई और उसे रजनी की गांड के छेद पर टीका दिया….
रजनी मुँह घुमा कर बोलने ही वाली थी की यहाँ नही पर तबतक तो बिरजू की बैलगाड़ी चल चुकी थी
और एक जोरदार हुंकार के साथ उसने अपनी पूरी ताक़त लगा कर अपने बेल को उसकी गांड की गुफा में धकेल दिया….
संकरी सी जगह में उस मोटे काले लॅंड को जाने में काफ़ी मुश्किल हो रही थी और उतनी ही मुश्किल रजनी को भी हो रही थी….
आज तक राजेश ने भी इतनी निर्दयता के साथ उसकी गांड नही मारी थी
पर बिरजू को देखकर लग रहा था की वो इस खेल का पुराना खिलाड़ी था
क्योंकि उसे रजनी के कराहने और चिल्लाने का भी असर नही हो रहा था...

‘’आआआआआआआआहह नाआआआहियीईईईईईईईईईईईईईईईई बिरजू……….. बहुत दर्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड हो रहाआआआआआआआअ है यहा………………..निक्ाआलूऊऊऊओ वाहा से……आआआआआआआआआहह’’
पर वो उसकी एक नही सुन रहा था…
अपनी ही धुन में उसकी गांड के गोदाम में अपना लंड पेलने में लगा हुआ था ….
उसके लॅंड का हर प्रहार रजनी की गांड के तानपुरे में एक साथ कई राग छेड़ देता जिससे उसका पूरा शरीर झंनझना उठता
वो चीख रही थी पर वो रुका नही…..
अपना मोटा लोढ़ा उसके अंदर पेलता चला गया…
उसकी हर आहह उसके मन में एक अजीब सी ठंडक पहुँचा रही थी….
ऐसी हाइ सोसाइटी में रहने वाली भाभियों की गांड मारने को रोजाना नही मिलती…
आज इस मौके का वो अच्छी तरह से फायदा उठा रहा था….

और जल्द ही उसके लॅंड ने संकेत देने शुरू कर दिए की अब बाढ़ आने वाली है …..
उसने रजनी को खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया…
उसके दोनो पैरों को पकड़ कर नीचे से उसकी गांड के छेद में अपना लॅंड पेलता रहा…
और तब तक पेला जब तक उसके लॅंड ने उसकी गोल मटोल गांड में एक छोटी नहर का निर्माण करना नही शुरू कर दिया…

तब तक रजनी भी उसके झटकों की अभयस्त हो चुकी थी और अपने शरीर के अंदर से आ रही गुलाबी तरंगो को महसूस करके उत्तेजना के चरम पर वो भी पहुँच चुकी थी..उसके हर झटके को वो मजे से झेल भी रही थी और अपनी चूत के दाने को मसलकर खुद भी अपने ओर्गास्म के करीब पहुँच रही थी
‘’आआआआआआआआआअहह बिरजू……..क्या मोटा लॅंड है रे तेरा…….कसम से……तूने तो जीवन भर के लिए मेरा छेद बड़ा कर दिया……. …..इतना मोटा लॅंड लेने के लिए तो मैं कब से तरस रही थी….आज मेरी इच्छा पूरी हुई है…..अहह, और जोर से कर ...... उम्मम्मम्मम अह्ह्ह्हह्हह ’’
और फिर उसकी गांड से रिस रिसकर ढेर सारा बिरजू का रस निकलने लगा और चूत में से उसका खुद का.
माहौल एकदम शांत हो चुका था…
दोनो गहरी साँसे लेते हुए एक दूसरे के उपर गिरकर संभलने की कोशिश कर रहे थे…
तब रजनी ने पहली बार उसके काले भूसंद लॅंड को देखा..
काले नाग जैसा ख़ूँख़ार था वो….
गांड मारने के बाद अपने ही रस में डूबकर अब सुस्ता रहा था….
उसकी नसें दूर से ही चमक रही थी….
और जिस काले लॅंड की कल्पना उसने आज तक की थी, वो उससे भी ज़्यादा निकला….
और एक अंजान सम्मोहन में बँधी रजनी का सिर खिसक-2 कर अपने आप उसके लॅंड की तरफ जाने लगा….
बिरजू के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ गयी ये सोचते ही की अब ये रसीली भाभी उसके मोटे लॅंड को मुँह में लेगी….
अभी तो पूरा दिन पड़ा था…
और इस पूरे दिन में उसे क्या-2 करना है ये वो अच्छी तरह से जानता था.
अलबत्ता पिंकी को वो सिसकारी ज़रूर सुनाई दे गयी जो इस वक़्त ईशा की पीठ पर साबुन लगाकर उसे नहला रही थी…
और उसे सुनकर वो मुस्कुरा दी…
शायद वो जानती थी की उपर क्या हो रहा है….
ऐसा ही कुछ कल रात उसके साथ भी हुआ था…
जब उसने अपनी मेंमसाब् की फॅंटेसी उसे सुनाई थी…
जिसे सुनकर बिरजू रात भर उत्तेजना में भरकर उसकी भरपूर चुदाई करता रहा…
और सुबह उसके साथ ही वो यहां भी आ गया था…
वो तो बस राजेश के निकलने का इंतजार कर रहा था घर के बाहर छुपकर और जब वो गया तो तुरंत अपना कड़क लॅंड लिए घर के अंदर आ पहुँचा…
और उसके बाद की कहानी तो ऊपर चल ही रही थी.
पिंकी धीरे से बुदबुदाई ‘आज तो आप गयी मेंमसाब्…..’
और उपर हो भी ऐसा ही कुछ रहा था….
रजनी की गांड के छेद को अच्छी तरह से गीला करने के बाद बिरजू ने अपने लॅंड पर ढेर सारी थूक लगाई और उसे रजनी की गांड के छेद पर टीका दिया….
रजनी मुँह घुमा कर बोलने ही वाली थी की यहाँ नही पर तबतक तो बिरजू की बैलगाड़ी चल चुकी थी
और एक जोरदार हुंकार के साथ उसने अपनी पूरी ताक़त लगा कर अपने बेल को उसकी गांड की गुफा में धकेल दिया….
संकरी सी जगह में उस मोटे काले लॅंड को जाने में काफ़ी मुश्किल हो रही थी और उतनी ही मुश्किल रजनी को भी हो रही थी….
आज तक राजेश ने भी इतनी निर्दयता के साथ उसकी गांड नही मारी थी
पर बिरजू को देखकर लग रहा था की वो इस खेल का पुराना खिलाड़ी था
क्योंकि उसे रजनी के कराहने और चिल्लाने का भी असर नही हो रहा था...

‘’आआआआआआआआहह नाआआआहियीईईईईईईईईईईईईईईईई बिरजू……….. बहुत दर्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड हो रहाआआआआआआआअ है यहा………………..निक्ाआलूऊऊऊओ वाहा से……आआआआआआआआआहह’’
पर वो उसकी एक नही सुन रहा था…
अपनी ही धुन में उसकी गांड के गोदाम में अपना लंड पेलने में लगा हुआ था ….
उसके लॅंड का हर प्रहार रजनी की गांड के तानपुरे में एक साथ कई राग छेड़ देता जिससे उसका पूरा शरीर झंनझना उठता
वो चीख रही थी पर वो रुका नही…..
अपना मोटा लोढ़ा उसके अंदर पेलता चला गया…
उसकी हर आहह उसके मन में एक अजीब सी ठंडक पहुँचा रही थी….
ऐसी हाइ सोसाइटी में रहने वाली भाभियों की गांड मारने को रोजाना नही मिलती…
आज इस मौके का वो अच्छी तरह से फायदा उठा रहा था….

और जल्द ही उसके लॅंड ने संकेत देने शुरू कर दिए की अब बाढ़ आने वाली है …..
उसने रजनी को खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया…
उसके दोनो पैरों को पकड़ कर नीचे से उसकी गांड के छेद में अपना लॅंड पेलता रहा…
और तब तक पेला जब तक उसके लॅंड ने उसकी गोल मटोल गांड में एक छोटी नहर का निर्माण करना नही शुरू कर दिया…

तब तक रजनी भी उसके झटकों की अभयस्त हो चुकी थी और अपने शरीर के अंदर से आ रही गुलाबी तरंगो को महसूस करके उत्तेजना के चरम पर वो भी पहुँच चुकी थी..उसके हर झटके को वो मजे से झेल भी रही थी और अपनी चूत के दाने को मसलकर खुद भी अपने ओर्गास्म के करीब पहुँच रही थी
‘’आआआआआआआआआअहह बिरजू……..क्या मोटा लॅंड है रे तेरा…….कसम से……तूने तो जीवन भर के लिए मेरा छेद बड़ा कर दिया……. …..इतना मोटा लॅंड लेने के लिए तो मैं कब से तरस रही थी….आज मेरी इच्छा पूरी हुई है…..अहह, और जोर से कर ...... उम्मम्मम्मम अह्ह्ह्हह्हह ’’
और फिर उसकी गांड से रिस रिसकर ढेर सारा बिरजू का रस निकलने लगा और चूत में से उसका खुद का.
माहौल एकदम शांत हो चुका था…
दोनो गहरी साँसे लेते हुए एक दूसरे के उपर गिरकर संभलने की कोशिश कर रहे थे…
तब रजनी ने पहली बार उसके काले भूसंद लॅंड को देखा..
काले नाग जैसा ख़ूँख़ार था वो….
गांड मारने के बाद अपने ही रस में डूबकर अब सुस्ता रहा था….
उसकी नसें दूर से ही चमक रही थी….
और जिस काले लॅंड की कल्पना उसने आज तक की थी, वो उससे भी ज़्यादा निकला….
और एक अंजान सम्मोहन में बँधी रजनी का सिर खिसक-2 कर अपने आप उसके लॅंड की तरफ जाने लगा….
बिरजू के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ गयी ये सोचते ही की अब ये रसीली भाभी उसके मोटे लॅंड को मुँह में लेगी….
अभी तो पूरा दिन पड़ा था…
और इस पूरे दिन में उसे क्या-2 करना है ये वो अच्छी तरह से जानता था.
Last edited: