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Fantasy हीरोइन (Completed)

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sunoanuj

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कंहा हो मित्र ।
 
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Ashokafun30

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रजनी की गांड से रिस रिसकर ढेर सारा बिरजू का रस निकलने लगा और चूत में से उसका खुद का.माहौल एकदम शांत हो चुका था…दोनो गहरी साँसे लेते हुए एक दूसरे के उपर गिरकर संभलने की कोशिश कर रहे थे…

तब रजनी ने पहली बार उसके काले भूसंद लॅंड को देखा..काले नाग जैसा ख़ूँख़ार था वो….गांड मारने के बाद अपने ही रस में डूबकर अब सुस्ता रहा था….उसकी नसें दूर से ही चमक रही थी….

और जिस काले लॅंड की कल्पना उसने आज तक की थी, वो उससे भी ज़्यादा निकला….और एक अंजान सम्मोहन में बँधी रजनी का सिर खिसक-2 कर अपने आप उसके लॅंड की तरफ जाने लगा….

बिरजू के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ गयी ये सोचते ही की अब ये रसीली भाभी उसके मोटे लॅंड को मुँह में लेगी….अभी तो पूरा दिन पड़ा था…और इस पूरे दिन में उसे क्या-2 करना है ये वो अच्छी तरह से जानता था.

*****************
अब आगे
*****************

रजनी की लपलपाती जीभ ने बिरजू के लॅंड को छुआ तो उसे करंट सा लगा….
बिरजू ने शायद कल्पना भी नही की थी की इतने ऊँचे घराने की औरत उसके लॅंड को चूसने के लिए इतनी बेकरार होगी….
बिरजू की आँखो में भी हवस की परछाईयाँ एकदम से उमड़ी और उसने रजनी के बाल पकड़कर अपना पूरा लौड़ा एक ही बार में उसके मुँह में घुसेड डाला…

बेचारी गुं गुं करती हुई छटपटाने लगी…
शायद उसकी साँस अटक रही थी इतना बड़ा लॅंड मुँह में लेने से…
पर उसे मज़ा बहुत आ रहा था…
इसलिए जब बिरजू ला रस से सना लॅंड उसके मुँह मे गया तो वो उसे बुरी तरह से चूसने लगी…
जैसे लॉलिपोप..
और उसकी नसों में फंसी आख़िर की चंद बूंदे भी उसने अंदर फूँक मारकर निगल डाली.

तभी दरवाजे पर एक आहट सी हुई…
बिरजू ने देखा तो उसकी बीबी पिंकी खड़ी थी…
वो उसे देखकर मुस्कुरा दिया…
उसके हाथ में ट्रे थी जिसमे बड़े से काँच के ग्लास में बादाम वाला दूध था..

रजनी ने तिरछी नज़रों से देखा की कौन है, और पिंकी को देखकर वो एक बार फिर से अपने काम में लग गयी.
पिंकी का बदन अपने सामने का नज़ारा देखकर सुलग सा उठा…
वैसे तो उसे पता था की उसका मर्द दूसरी औरतों के पास जाता है पर ऐसे उसे किसी दूसरी औरत के साथ देखने के ये पहला मौका था…
अपनी मालकिन को अपने पति के लॅंड को चूसते देखकर उसे इस वक़्त खुद मालकिन होने का एहसास हो रहा था…
कैसे ये बड़े घर की औरतें मोटे लॅंड की दीवानी होती है…
अपने ही घर में काम करने वाली औरत के पति का लॅंड वो ऐसे चूस रही थी जैसे इसी दिन के लिए पैदा हुई थी वो..
मालकिन और नौकर के अंतर को ख़त्म करते इस दृश्य ने एक अलग सा एहसास करवाया पिंकी को.



पिंकी आगे चलकर आई और बादाम मिल्क अपने पति को देते हुए बोली : “लो जी…ये पी लो, इस से ताक़त मिलेगी….ताकि आप मालकिन की अच्छी तरह से सेवा कर सके…’’
बिरजू ने मुस्कुराते हुए वो ग्लास ले लिया और एक लंबे घूंठ के साथ वो दूध पी डाला…
उसने देखा की पिंकी की नज़रें नागिन बनकर उल्टी लेती मालकिन के जिस्म पर फिसल रही थी…
उसे देखकर बिरजू को एक ख़याल आया और वो बोला : “एक काम करो….तुम भी आओ…और नीचे से मालकिन को चूसो…तैयार करो इनकी चूत को मेरे लॅंड को लेने के लिए…’’
बिरजू की बात सुनकर रजनी का शरीर काँप सा उठा…
एक साथ दोहरे मज़े की कल्पना मात्र से ही उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया…
नीचे ईशा नहाने के बाद सो चुकी थी, इसलिए पिंकी भी खाली थी अब…
और ऐसे रसीले दृश्य को देखकर सच कहो तो उसकी चूत भी पनिया चुकी थी…
इस वक़्त उसकी चूत का हाल ये था की चाहे तो उसके पति का लंड मिल जाए या उसकी मालकिन की चूत की रगड़ ,वो दोनो से ही काम चला लेगी
पर उसके लिए पहले मालकिन की सेवा भी तो करनी पड़ेगी ना.
उसने जल्दी-2 अपने कपड़े निकालने शुरू कर दिए…
पहले साड़ी और फिर पेटीकोट और ब्लाउज़…
कच्छी वो पहनती नही थी..
और ब्रा उसकी फट चुकी थी जो फेंकने वाली हो रही थी..
इसलिए उसने उसे खुद ही फाड़ते हुए निकाल कर फेंक दिया…
एक मिनट से भी कम समय में वो जन्मजात नंगी खड़ी थी…

 
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Ashokafun30

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ऐसे मौके पर जब औरत नंगी होती है तो उसके हर रंग से वासना टपक रही होती है, यही हाल इस वक़्त पिंकी का हो रहा था…

उसके होंठ फड़फडा से रहे थे मानो जो भी पहली चीज़ मिलेगी उन्हे चूस कर पी जाएगी पूरा…चाहो वो होंठ हो, लॅंड हो या फिर चूत.
उसके स्तन पूर्ण रूप से उत्तेजना में भरकर कड़क हो चुके थे और अंदर की मांसपेशियाँ अपना मर्दन करवाने के लिए मछली की तरह मचलकर व्याकुल हो रही थी.
उसके मोटे निप्पल्स तन कर इतने कठोर हो चुके थे की उन्हे कोई उंगलियो के बीच रखकर दबा दे तो वो पानी के गुब्बारे की तरह फट पड़ते
यही हाल उसके समतल पेट का था जो गहरी साँसे छोड़ते हुए थोड़ा बाहर निकलता तो अंदर धँसी नाभि उसे तुरंत वापिस खींचकर अपने अंदर समेट लेती..
और सबसे ज़्यादा उत्तेजना तो उसकी चूत से निकल रही थी…
निकल क्या बह रही थी…
इस वक़्त उसकी चूत का हाल उस सरकारी नल की तरह था जो खराब होने के कारण लगातार बहे जा रहा था..
अपनी चूत से निकल रहे गाड़े रस को वो अपनी जाँघो पर लकीर बनकर नीचे जाते हुए सॉफ महसूस कर पा रही थी.
कुल मिलाकर उसका पूरा बदन इस वक़्त उस प्यार के खेल में डुबकी लगाने के लिए पूरा तैयार था.



और जैसा की बिरजू ने उसे कहा था, वो रेंगती हुई रजनी के पैरों की तरफ लेट गयी और उनकी दोनो टांगो के बीच घुसकर अपना मुँह उनकी रिस रही चूत से लगाकर उसे चूसने लगी…
बिरजू का लॅंड चूस रही रजनी को जब ये एहसास हुआ की उसकी लीक कर रही चूत को ठीक करने के लिए पिंकी प्लम्बर बनकर आ गयी है तो उसकी दोनो टांगे खुद ब खुद और भी ज़्यादा फैल गयी….
लगातार दूसरे दिन वो पिंकी के होंठो को अपनी चूत पर महसूस कर रही थी…
और मानना पड़ेगा की उसके चूसने की कला की वो कायल हो चुकी थी…
शायद उसके होंठ मोटे थे
इस वजह से उन्हे अपनी चूत पर महसूस करके उसे ये एहसास मिल रहा था जैसे कोई रबड़ से बनी मशीन उसकी चूत की चुसाई कर रही है…
पिंकी के होंठ और जीभ अंदर तक जाकर उसकी चूत को पी रहे थे और बदले में रजनी भी उतनी ही ज़्यादा उत्तेजना में भरकर उसके पति का लॅंड चूस रही थी…
कुछ ही देर में पिंकी ने उसकी चूत का सारा रस चाट कर सॉफ कर दिया…
पर उसकी चूत की चिकनाहट ना ख़त्म कर पाई क्योंकि वो तो अंदर से रिस रहा था …
और वो ज़रूरी भी था क्योंकि बिरजू के मोटे लॅंड को अंदर धकेलने में इसी चिकनाहट ने बहुत बड़ी भूमिका जो निभानी थी..
नीचे का सारा काम निपटा कर पिंकी भी साँप की तरहा रेंगती हुई उपर की तरफ आ गयी …
रजनी ने थोड़ा साइड होकर उसे भी जगह दे दी और पिंकी ने उसके मुँह से थोड़ा नीचे होकर अपने पति बिरजू के लटक रहे टट्टों को चूसना शुरू कर दिया…
‘’आआआआआआआआआहह…….शाबाश……भेंन की लौड़ी ……..आज सच में मज़ा मिला है मुझे ……….चूस मेरे टट्टों को……….तू भी चूस कुतिया मेरे लॅंड को……आज जैसा मज़ा तो मुझे कभी नही मिला…’’



एक नौकर जात इंसान के मुँह से अपने लिए कुतिया शब्द भी इस वक़्त रजनी को अपनी तारीफ जैसा लग रहा था….
लगता भी क्यों नही..
आख़िर वो चूस ही किसी कुतिया की तरह रही थी उसके लंड को….
इतने मोटे..
इतने स्वादिष्ट लॅंड को तो खा जाने का मन कर रहा था उसका…
पर अभी तो उसे चूत में भी लेना था….
और अब उससे ज़्यादा इंतजार नही हो रहा था….
 
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Ashokafun30

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वो पीछे होकर अपनी टांगे फेला कर लेट गयी….
बिरजू भी समझ गया की अब वक़्त आ चुका है…
ज़्यादा देर करना अब ठीक नही…

वो भी खिसककर आगे आया और उसकी दोनो जाँघो को पकड़कर उसकी आँखों में देखा….
जो न्योता देकर उसके लंड को अपने अंदर बुला रही थी.

बिरजू ने लॅंड का काला सुपाड़ा उसकी गोरी चूत पर रखा और उसके कुछ समझने से पहले ही एक जोरदार झटका मारकर अपना मोटा लॅंड अंदर खिसका दिया…

‘’आआआआआआआआआआययययययययययययययययययययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई………….. मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गयी……………….’’



पिंकी भी मुस्कुरा दी अपनी मालकिन का रोना सुनकर…..
वो जानती थी अपने पति के स्टाइल को….
उसके साथ भी वो ऐसे ही करता था….
चूत चाहे गीली हो या सुखी,
एक ही झटके में लॅंड अंदर डालने का हुनर था उसके पास….
हालाँकि हर बार उसे दर्द ज़रूर होता था ऐसा करवाने में …
पर थोड़ी देर बाद उतना ही मज़ा भी आने लगता था.
और यही हाल अब रजनी का भी हो रहा था….
पहले तो उसे लगा जैसे एक बाँस का मोटा टुकड़ा उसकी टॅंगो के बीच डाल दिया है…
जो उसकी संतरे की फांको को चीरा हुआ अंदर घुसता चला गया….
पर जब 2-4 घिस्से लगवाने के बाद उसके मज़े का एहसास हुआ उसे तो एक मीठी सी सिसकारी निकली उसके मुँह से…..
आँखे खुद ब खुद बंद हो गयी….
होंठो ने फड़कना छोड़ दिया…
और गीली जीभ निकलकर उसके खुद के सूखे होंठो को गीला करने लगी….



बिरजू ने नीचे झुकते हुए अपना पूरा भार उसके उपर डाला और अपना लंड उसकी जड़ तक घुसा कर अंदर ठोकर मारी और साथ ही साथ उसके रसीले होंठो को अपने मुँह मे लेकर ऐसे चूसने लगा जैसे ग़रीब बच्चे को सिल्क चॉक्लेट मिल गयी हो….
वो उसे बुरी तरह से नोचकर चूस रहा था….
और साथ ही साथ नीचे से अपने लंड के करारे धक्के मारकर उसकी चूत का बेंड भी बजा रहा था…
उस बेंड पर अपने शरीर की थिरकन के साथ रजनी ऐसे नाच रही थी मानो जिंदगी में पहली बार चुदाई करवा रही हो…
‘’आआआआआआआआआआआआअहह…….बिरजू…………………….क्या लॅंड है रे तेरा……मजाआाआआआआआअ आ गय्ाआआआआआआआआआ……….. उम्म्म्मममममममममममममममम….. चूत पूरी भर गयी है रे मेरी….’’



अपनी और अपने लॅंड की तारीफ भला किसे पसंद नही आती…
बिरजू को भी आई और उसके परिणाम स्वरूप उसने और तेज़ी से अपने लॅंड के धक्के रजनी की चूत में मारने शुरू कर दिए….
उसके हर झटके से रजनी के मोटे मुम्मे उसके खुद के ही मुँह पर आकर लग रहे थे….
ऐसी वहशिपन से भरी चुदाई उसकी राजेश ने भी नही की थी आज तक…
और इसलिए भी उसे बिरजू की ये चुदाई कुछ ज़्यादा पसंद आ रही थी.

 
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Ashokafun30

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सामने ही बिस्तर पर पड़ी पिंकी भी अपनी काले रंग की चूत को बुरी तरह से मसल रही थी….
और बुदबुदा रही थी..

‘’अहह…….क्या चोद रहा है रे बिरजू…..ऐसे मुझे तो ना चोदा तूने आज तक…..जल्दी निपटा मालकिन को….मेरी चूत की प्यास भी बुझानी है तुझे…..अहह’’

रजनी तो अपने ऑर्गॅज़म के काफ़ी करीब थी….
पहले अपनी गांड मरवाते हुए भी उसकी चूत से काफ़ी रस निकला था…
और अब भी उसकी चूत फटने के कगार पर थी….
और जल्द ही उसने अपनी दोनो टांगे बिरजू के गठीले बदन के चारों तरफ लेपेटी और अपने मुम्मे उसके गले से लगाकर उसे अपने उपर खींच लिया…..
और झड़ते हुए ज़ोर से चिल्ला उठी..

‘’आआआआआआआआआआआआआहह……. मैं तो गयी …..बिरजू………अहह…… मैं तो गयी रे…..’’



बिरजू ने जब अपना तना हुआ लॅंड रजनी की चूत से बाहर खींचा तो पिंकी लपक कर उसके करीब आई और उस रस से सने लॅंड को अपने मुँह में लेकर उसे चूसने लगी…
ये उसने इसलिए किया क्योंकि उसे लॅंड चूसना पसंद था
और इसलिए भी क्योंकि उसे रजनी के जूस का स्वाद और भी ज़्यादा पसंद था…
अपने पति के लॅंड को चूसने में शायद उसे आज तक इतना रोमांच महसूस नही हुआ था जितना आज हो रहा था…
सामने गहरी साँसे ले रही रजनी उन दोनो की प्रेम लीला देखकर अपने आप को संभालने की कोशिश कर रही थी..
बिरजू के लॅंड को पूरा सॉफ करके उसने उसे बेड पर धक्का दिया और टांगे तिरछी करके उसपर चढ़ गयी…
और उसकी आँखो में देखते हुए बोली
‘’तुझे पता है ना…मुझे उपर बैठकर करवाना ज़्यादा पसंद है…’’
और फिर मुस्कुराते हुए उसने लॅंड को चूत पर टीकाया और उसपर फिसलती चलयी गयी…..
ऐसा लागास जैसे वॉटर पार्क में किसी स्लाइड से पूल में फिसल रही हो..
और फिर दोनो ने एक दूसरे के हाथ पकड़े और लय से लय मिलाकर चुदाई करने लगे…
बिरजू के झटके नीचे से उपर आ रहे थे और पिंकी के उपर से नीचे..
दोनो की चुदाई देखकर रजनी को भी काफ़ी मज़ा आ रहा था..



और जल्द ही उस चुदाई का फल दोनो के चेहरे पर दिखाई देने लगा…
बिरजू तो दूसरी चूत मारने के कारण झड़ने के कगार पर पहुँच गया और पिंकी इतनी देर से अपनी चूत में उत्तेजना के सैलाब को दबाए रखने के बाद उसे निकालने की जल्दी में ..
और जब दोनो एक साथ झडे तो उनकी सिसकारियों ने पूरे घर को सिर पर उठा लिया…
पूरा कमरा सैक्स से भरी सिसकारियो से गूँज उठा..
‘’आआआआआआआआआअहह………बिरजू………आअह्ह्हहह…… मैं तो गयी रे…….अहह……..’’
सब कुछ शांत होने के बाद वो बिरजू के साइड में लूड़क गयी….
एक तरफ रजनी थी और दूसरी तरफ पिंकी….
और बीच में दोनो की चुदाई के बाद गहरी साँसे लेता हुआ बिरजू…
आज उसे शायद अपनी किस्मत पर विश्वास नही हो रहा था…
पर जो भी था…
आज का दिन उसका था.
बाद में वो कपड़े पहन कर बाहर निकल गया..
ऐसी मस्ती से भरी चुदाई करवाने के बाद रजनी का अंग-2 टूट रहा था…
उसने तो उठने की भी जहमत नही उठाई…
वैसे ही नंगी अवस्था में सो गयी.



पिंकी ने सारे कपड़े समेत कर साइड में रखे और खुद अपने कपड़े पहन कर नीचे जाकर काम करने लगी.
आज के दिन का रोमांच पूरे दिन रहने वाला वाला था
 
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