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जिंदगी का सफर दीदी के साथ भाग 2
माँ की मौत की खबर सुन कर मुझे दुख तो हुआ पर मैंने मानसिक रूप से पहले से खुद को इसके लिए तैयार कर लिया था उनकी बिगड़ती हुई तबियत को देख कर मुझे एहसास था कि माँ अब ज्यादा दिन हमारे साथ नही रहेंगी मैं घर आया और दीदी को सम्हाल दीदी रोते हुए मेरे सीने से लग गयी और मैं उनको दिलासा देता रहा फिर कुछ दोस्तों और पड़ोसियों की मदद से मैंने माँ का अंतिम संस्कार किया और रात को घर वापस आया तो देखा दीदी कमरे में लाइट ऑफ किये बैठी थी एकदम चुप और शान्त मैंने लाइट ऑन की दीदी का चेहरा रो रो कर एकदम मुरझा गया था मैंने दीदी के पास जा कर उनके सर पर हाथ फिराया और उन्हें समझाया कि दीदी ये तो एक दिन होना ही था माँ की तबियत जिस तरह से बिगड़ती जा रही थी दीदी ने सुबकते हुए कहा नही संजय इस सब के लिए कहीं ना कहीं मैं जिम्मेवार हूँ अगर मैं माँ को वो सब ना बताती तो शायद माँ इतनी जल्दी हमे छोड़ कर ना जाती ये सुन कर मैं चौंक गया कि ऐसा क्या बताया होगा दीदी ने मॉ से मैंने दीदी का हाथ अपने हाथों में पकड़ कर पूछा दीदी ऐसा क्या बताया था आपने मां को तो दीदी सर हिलाते हुए बोली अब वो सब तुम्हे बता कर मैं तुम्हे डिस्टर्ब नही कर सकती वैसे ही हमारे जीवन मे बहोत से दुख हैं।मैंने दीदी का हाथ पकड़ कर अपने सर पर रखा और उन्हें अपनी कसम देते हुए पूछा कि दीदी अब तो बताना ही पड़ेगा मैं जानना चाहता हूं ऐसा क्या है जो माँ को मालूम था और मुझे नहीं तो दीदी ने लाचारी भरी नजरों से मेरी ओर देखा और बताना शुरू किया…. दीदी बोली यहां दिल्ली आने के बाद जब तुम दिन में आफिस चले जाते तो माँ अक्सर मुझसे मेरी ससुराल के बारे में बातें किया करती थी कि मेरे इतने साल वहां कैसे गुजरे मैंने कई बार बात टाली पर एक दिन मेरे मुह से गुस्से में निकल ही गया कि अब क्या करोगी जान कर जब मैं मना कर रही थी कि मैं वहां शादी नही करूंगी तब तो मेरी एक न सुनी अपने मन की कर ली अब वहां मेरे साथ क्या जुल्म हुए जानने की इच्छा क्यों है तुम्हे और जानना ही चाहती हो तो सुनो जिस इंसान से तुमने मेरे ब्याह किया था वो शादी के बाद हर एक रात शराब पी कर मेरा बलात्कार करता था मैं बीमार रहूं य्या पीरियड में पर वो हर रोज किसी दरिंदे की तरह मेरे जिस्म को नोचता था और विरोध करने पर मुझे पीटा जाता पर तुम्हे इस से क्या तुमने तो अपना बोझ हल्का कर लिया और सुनो उसका छोटा भाई भी मेरे साथ कई बार बलात्कार करता रहा और उसकी माँ और मेरे पति को सब मालूम था पर वो जाना कर भी अनजान बने रहते और मुझे चार साल तक उन दोनों भाइयों के हवस की आग बुझानी पड़ी यही जानना चाहती थी ना तुम….. दीदी के मुह से शब्द अंगारों जैसे निकल रहे थे और ये सब सुन कर माँ को ऐसा आघात लगा कि 6 महीनों में ही वो ये दुनिया छोड़ गई।
ये सुन कर मुझे भी बहोत बुरा लगा कि मेरी फूल सी प्यारी बहन पर इतने जुल्म हुए पर मैंने खुद को सम्हालते हुए कहा दीदी अब तक जो भी हुआ वो जिंदगी का एक बुरा दौर था जो बीत चुका मैं उसे तो नही बदल सकता पर अब के बाद हमारे जीवन मे कभी कोई दुख नही आएगा और मैं तुम्हे हर वो खुशी दूंगा जिसकी तुम हकदार हो रही बात माँ की मौत की तो तुमने उन्हें वो ही बताया तो सच था और जो भी हुआ उसका जिम्मेवार वो खुद ही थीं क्यों कि तुम्हारी शादी का फैसला उनका फैसला था इसलिए तुम खुद को दोषी मत मानो।
मेरे शब्दों से दीदी के मन का बोझ कुछ हल्का हुआ फिर मैं बाजार से कुछ खाने को लाया और दीदी को जबरदस्ती खिलाया और खुद भी थोड़ा सा खा कर अपने बिस्तर पर जा लेटा और आने वाले समय के बारे में सोचने लगा।
अगले दिन से मेरी दिनचर्या फिर पहले जैसे चलने लगी सुबह उठना रेडी हो कर आफिस जाना 9 से 5 जॉब और फिर वापस घर अगले 8-9 महीने तक ऐसे ही चलता रहा और अब दीदी भी एकदम सामान्य हो गईं थीं।
अच्छा खाने पीने से और सामान्य माहौल में रहने की वजह से धीरे धीरे दीदी के चेहरे पर लाली आने लगी थी और वो दिन ब दिन निखरती जा रही थीं और मैं भी अपनी सख्त ड्यूटी से ऊब रहा था फिर एक दिन मैं अपने कमरे में बैठा लैपटॉप पर काम कर रहा था और काम से थक कर मैंने कुछ और करने का सोचा और लैपटॉप पर स्टोरी लिख कर सर्च किया मैंने इस से पहले इंटरनेट पर कभी भी सेक्स रिलेटेड कुछ भी देखा सुना नही था और ना ही मुझे कभी वक़्त मिला इन सब चीजों के लिए पर आज वो एक शब्द सर्च करते ही मेरे सामने एक नई दुनिया थी ढेर सारी सेक्स स्टोरीज हर तरह की फैमिली सेक्स भाई बहन की चुदाई वो सब देख कर बाद अजीब सा महसूस हुआ फिर मैंने एक स्टोरी पर क्लिक किया और उसे पढ़ने लगा मेरी उम्र भी 27 की हो गयी थी और कभी सेक्स के बारे में ज्यादा सोच नहीं पाया था पर आज वो पढ़ते ही मेरा बदन गरम होने लगा और मेरा लंड जिसे मैं अब तक सिर्फ मूतने के काम लाता था वो सर उठा कर फुंफकारने लगा मैंने उसे बाहर निकाल कर सहलाया तो बड़ा अच्छा लगा और फिर मैं उसे सहलाते हुए वो पूरी स्टोरी पढ़ गया फिर मेरी और कहानियां पढ़ने की इच्छा हुआ तो मैंने एक एक कर के कई कहानियां पढ़ डाली और आखिर में लंड ने एक झटका खाया और बिस्तर पर ढेर सारा गाढ़ा चिपचिपा पानी फैल गया….. उस दिन से मैं हर रोज रात में सब काम निपटाने के बाद कुछ कहानियां पढ़ता और ऐसे ही लंड सहला कर अपना पानी निकाल देता धीरे धीरे मुझे इसकी आदत पड़ गयी और एक दिन मेरे एक दोस्त ने मुझे अपने फ़ोन पर पोर्न दिखाई तब मुझे पता चला कि इंटरनेट पर मज़े का खजाना है बस ढूंढने की जरूरत है।
अब मैं रोज देर रात तक लैपटॉप पर सेक्स स्टोरीज पड़ता और पोर्न भी देखता पर दो चार दिन ही पोर्न देखने के बाद मुझे सेक्स करने की इच्छा होने लगी अब मैं दीदी के साथ भी ज्यादा वक्त नही बिताता था बस आफिस और घर आ कर अपने रूम में बंद रात में जब दीदी नॉक करती तो खाना खाने निकलता और खा कर फिर से कमरे में बंद जब काफी दिनों तक ये ही चलता रहा तो एक दिन संडे को जब मैं देर रात तक पोर्न देख कर तीन बार हल्का हो के सुबह 11 बजे सो कर उठा और फ्रेश हो कर बाहर आया तो दीदी ड्राइंग रूम में बैठी tv देख रही थी मैं जा कर वही बैठ गया और बोला दीदी चाय पिला दो।
दीदी उठी और चाय बना कर ले आयी मुझे दे कर मेरे पास बैठ गयी और बोली संजय आजकल तुम बहोत व्यस्त रहते हो सारा दिन आफिस और फिर बस अपने कमरे में तुम मुझे भूल ही गए हो कि मैं भी घर मे हूँ सारा दिन अकेले रहते बोर हो जाती हूँ मेरा भी मन होता है किसी से बातें करूँ. ….. ये सुन कर मुझे एहसास हुआ कि मैं दीदी के साथ गलत कर रहा हूँ वो भी इंसान हैं और उन्हें भी किसी के साथ कि जरूरत है मैंने कहा हां दीदी कुछ वर्कलोड ज्यादा था लास्ट मंथ पर अब से आपको शिकायत का मौका नहीं दूंगा दीदी बोली मैं समझती हूं तुम्हारी निजी जिंदगी है काम है पर थोड़ा से वक़्त मुझे भी चाहिए तुम्हारा अकेले जिंदगी काटना बहोत मुश्किल होता है मैंने दीदी का हाथ अपने हाथों में लिया और सहलाते हुए कहा आई एम सॉरी दीदी मैं हमेशा आपके साथ हूँ और मैंने जो गलती की इसकी पेनाल्टी दे देता हूँ आज संडे को फनडे बना कर।
वो मेरी ओर देखने लगी उनकी कुछ समझ में नहीं आया मैंने कहा जल्दी से तैयार हो जाओ आज तुम्हे दिल्ली घुमाते हैं… दीदी खुशी से बोली सच हम घूमने जाएंगे मैंने कहा हां मेरी दीदी जी आज हम घूमने जाएंगे और आज देर रात तक मैं सिर्फ आपके साथ रहूंगा कोई काम नही दीदी के गोर मुखड़े की रौनक बढ़ गयी ये सुन कर सुर वो अपने रूम में चली गयी मैं भी अपने रूम में आया और ब्लू जीन्स व्हाइट शर्ट निकाली बॉडी पर बॉडी स्प्रे डाल कर कपड़े पहने ब्लैक शूज और काला चश्मा…. शक्ल सूरत तो अच्छी थी ही कुल मिला कर मैं जँच रहा था मैं तैयार हो कर बाहर आ गया दीदी के रूम का दरवाजा अब भी बंद था मैं सोफे पर बैठ कर उनका इंतजार करने लगा और जब 10 मिनट तक वो नही आई तो मैंने आवाज़ दी उन्हें….. दीदी कितनी देर लगेगी अब चलो भी दीदी की आवाज़ आयी बस 2 मिनट पर लेडीज का 2 मिनट तो 15 मिनट से पहले होता नहीं और फिर दरवाजा खुला दीदी बाहर आई मैं उन्हें देखता ही रह गया अब तक दीदी घर मे नार्मल से कपड़ो में रहती थी बिना मेकअप के पर पहली बार उन्हें थोड़ा सा सजा सँवरा हुआ देख रहा था मेरा मुह खुला रह गया दीदी ने आसमानी साड़ी पहनी थी और एकदम कसा हुआ ब्लाउज और आंखों में हल्का सा काजल और होठो पर गुलाबी लिपस्टिक कुल मिला कर वो एक कॉलेज गर्ल लग रही थीं जिसने साड़ी पहनी हो…. वो मेरी हालत देख कर हंसते हुए बोली ऐसे क्या देख रहा है पहली बार देखा क्या मुझे मैंने जैसे जागते हुए कहा नही दीदी देखा तो हजारों बार है पर अपनी शादी के दिन तुम इतनी ही खूबसूरत लग रही थी जितनी आज लग रही हो दीदी के गालों पर शर्म की लाली फैल गयी और वो थोड़ी सी उदास भी हो गईं उस शादी की बात सुन कर जिसने उनकी जिंदगी बर्बाद कर दी थी मुझे भी अपनी गलती का अहसास हुआ और मैंने कार की चाभी उठाते हुए कहा चलें प्रिंसेस रुचि जी….
मेरी बात सुन कर वो हल्का सा मुस्कुरा दी उन्हें मुस्कुराते देख मुझे भी राहत मिली फिर हम नीचे आये और मैने कार का आगे वाला गेट खोल कर कहा आइए मैडम प्लीज मेरी इस हरकत पर दीदी खिलखिला कर हंस पड़ी और बैठ गईं मैं घूम कर ड्राइविंग सीट पर आया और कार स्टार्ट की।
पर इतने सब मे ही मुझे दीदी की ओर एक खिंचाव सा होने लगा था और मन मे सोचने लगा कि दीदी कितनी खूबसूरत और अकेली हैं क्या उन कहानियों में बने हुए रिश्ते ऐसी ही स्थितियों में बनते होंगे ये सब सोचते हुए मैं कार चलाते हुए एक मॉल की पार्किंग में कार लगा कर कर बंद कर के बाहर आया और गेट खोल कर बोला प्लीज कम मैडम दीदी बाहर आईं और बोली इतना खुश मत कर मुझे संजू जब भी ज्यादा खुश होती हूँ भगवान कोई न कोई दुख डाल देता है मैंने कहा दीदी अब ये सब बातें भूल भी जाओ जो होना था हुआ पर अब ऐसा कुछ नही होने वाला अब से तुम्हारी जिंदगी सिर्फ खुशियों से भरी होगी और मैं दीदी का हाथ थामे हुए उन्हें ले कर मॉल के अंदर आ गया दीदी बोली यहाँ कहाँ घुमाने लाये हो मैंने कहा सब से पहले आज मैं आपको शॉपिंग करवाउँगा तो दीदी बोली कपड़े तो हैं मेरे पास मैंने कहा अब आप गांव में नही दिल्ली में हो कपड़े भी उसी हिसाब से होने चाहिए दीदी ने फिर कहा फालतू पैसे मत खर्च करो संजय ये सुन कर मेरा मूड खराब हो गया और मैंने उन्हें घूरते हुए कहा चलो वापस घर चलते हैं….. दीदी समझ गयी कि उनकी टोका टाकी से मेरा मूड ऑफ हो रहा है तो बोली अच्छा ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी चलो…. फिर मैं दीदी को ले कर लेडीज सेक्शन में आया और सब से पहले जीन्स और टॉप निकलवाये काउंटर पर मौजूद सेल्स गर्ल ने नए फैशन की ढेर सारी जीन्स और टॉप का ढेर लगा दिया मैंने कहा पसन्द कर लो….. दीदी ने कहा जीन्स तो मैं नही पहनती पर उनकी आंखों में एक लालच नजर आ रहा था उन कपड़ो को देख कर मैंने कहा अब से पहनना शुरू कर दो और फिर दीदी ने दो जीन्स और दो टॉप सेलेक्ट कर लिये फिर मैंने सेल्स गर्ल को कहा नाइटी दिखाओ तो उसने कई सारी सिंपल सी नाइटी निकाल दी मैंने कहा कुछ स्पेशल दिखाओ तो उसने सिल्की कपड़े में कुछ खूबसूरत सी नाइटी दिखाई मैंने उनमें से एक ब्लैक और एक रेड कलर की पसन्द कर ली वो सब पैक करवा कर पेमेंट कर के आगे बढ़े तो दीदी ने कहा संजय मेरे पास अंडर गारमेंट्स नही हैं गाँव मे तो पहनती ही नही थी ना कोई ला कर देता था फिर मैं उन्हें ले कर अंडर गारमेंट्स वाले सेक्शन में गया वहा सेल्स गर्ल एक 35 साल की लेडी थी मैंने कहा इनके लिए अंडर गारमेंट्स चाहिए तो उसने साइज पूछा दीदी ने मुह नीचे झुका के धीरे से बताया 34 साइज की ब्रा और 36 कि पैंटी उसने नार्मल कॉटन की ब्रा पैंटी दिखाई और दीदी ने दो ब्रा और दो पैंटी ले ली मैंने कहा कुछ और दिखाइए कॉस्टली तो उसने नेट की कुछ फैंसी ब्रा पैंटी दिखाई जिनमे सिर्फ नाम का कपड़ा था उसमें से एक रेड कलर का सेट मुझे बहोत अच्छा लगा मैं उसे उठा कर देखने लगा तो वो लेडी बोली भाई साहब ये ले लीजिए ये एकदम लेटेस्ट है और भाभी जी पर खूब जंचेगा…. वो हमें पति पत्नी समझ रही थी दीदी ने हैरानी से मेरी ओर देखा और उसे टोकने के लिए मुह खोला ही था कि मैंने उसे वो सब पैक करने को बोला और दीदी को चुप रहने का इशारा किया दीदी ने धीरे से फुसफुसा कर मेरे कान में कहा कि ये क्यों ले रहे ही मेरे किस काम की ये मैंने कहा पहनने की चीज है तो पहनने के काम ही आएगी और पेमेंट कर के आगे बढ़ गया फिर हम कॉस्मेटिक काउंटर पर गए और मैने ढेर सारा मेकअप का सामान लैक्मे की लिपस्टिक नेल पॉलिश काजल etc खरीदा दीदी ने एक दो बार मुझे मना करने की कोशिश की पर मैंने उनकी एक ना सुनी फिर मैं इलेक्ट्रॉनिक शॉप पर गया और एक बढ़िया सा samsung का स्मार्ट फ़ोन 22000 रुपये का खरीदा और सारा सामान ले कर हम वापस कार में आ गए लगभग 40000 की शॉपिंग हो गयी थी….. कार में बैठते ही दीदी बोली ये सब फालतू का सामान ले कर क्यों पैसे फूंके मैं इसका क्या करूंगी विधवा औरतों को साज श्रृंगार की जरूरत नही होती….. मैंने दो पल के लिए दीदी की आंखों में देखा मेरे चेहरे पर थोड़ी सख्ती थी दीदी ज्यादा देर मुझसे नजर नही मिला पाई और नजरें झुका ली।
मैंने अपना हाथ दीदी के हाथ पर रखा और उनके हाथों को अपने हाथ मे ले कर कहा दीदी मैं चाहता हूं तुम अपनी लाइफ से ये 4 साल डिलीट कर दो ये समझ लो कि तुम्हारी शादी कभी हुई ही नही ये बस एक बुरा हादसा था तुम्हारे जीवन का और बुरे हादसे याद नही रखे जाते….. मेरी बात सुन कर उन्होंने वापस मेरी ओर देखा और इस बार मैं बड़े प्यार से उनकी गहरी आंखों में झांक कर उन्हें समझाते हुए बोला दीदी अभी तुम्हारी उम्र ही क्या है सिर्फ 28 साल और आप सच मे एक कॉलेज गर्ल सी ही लगती हो अगर आप अच्छे से ड्रेस पहन कर मेकअप कर के निकलो तो लड़को की लाइन लग जायेगी आपके पीछे…. ये सुन कर दीदी हल्के से मुस्कुरा दी….. मैंने कहा दीदी वो सब अब भूल जाओ और नई जिंदगी को अपने हिसाब से जियो ये शादी विधवा पति की मौत इस सब को दिमाग से निकाल फेंको खुश रहो और मैं चाहता हूं कि आप दोबारा शादी कर लो….. दीदी ने थोड़ा सा गंभीर होते हुए कहा मुझे पता है तू सारी जिंदगी मेरा बोझ नहीं उठा सकता पर मैं अब दोबारा शादी नहीं करूंगी मेरा पहला अनुभव इतना खराब था कि मुझे शादी शब्द से ही चिढ़ हो गयी है….. मैंने कहा दीदी दोबारा ऐसा मत कहना कि आप बोझ हो मुझ पर… मैं सारी जिंदगी आपको इतनी ही खुशी और प्यार से अपने साथ रखूंगा पर मैं ये सिर्फ इसलिए कह रहा था कि जिंदगी काटी तो कैसे भी जा सकती है पर जीने के लिए एक साथी या लाइफ पार्टनर की जरूरत तो होती ही है…. दीदी बोली तुझे जरूरत नही है लाइफ पार्टनर की तू कर ले शादी मैंने हंस कर कहा कोई आप जैसी खूबसूरत लड़की मिले तो सही शादी भी कर लूंगा पर लड़की एकदम आप जैसी ही चाहिए…… दीदी बोली क्यों मेरे जैसी क्यों चाहिए…. पता नही कैसे मेरे मुह से निकल गया…. क्यों कि आप मुझे बहोत अच्छी लगती हो दीदी आपसे बहोत प्यार करता हूँ मैं….. पर इतना बोलते ही मुझे लगा कि ये कुछ ज्यादा हो गया और मैंने कार स्टार्ट कर के पार्किंग से निकाली और ड्राइव करते हुए एक pvr आ गया कार फिर से पार्किंग में लगा कर हम बाहर आये और मैंने दो टिकट ले ली दोपहर का शो था और ज्यादा भीड़ नही थी….. जिस्म2 का शो था फिर मैंने पॉपकॉर्न और कोल्ड ड्रिंक लिया और हम अंदर चले गए….. एक कार्नर सीट पर जा कर बैठे और थोड़ी देर में ही फ़िल्म शुरू हो गयी…. मैंने पॉपकॉर्न का बॉक्स दीदी की गोद मे रख दिया और फ़िल्म देखने लगे….. मैं बीच बीच मे दीदी की गोद मे रखे हुए बॉक्स में से पॉपकॉर्न निकाल रहा था और ऐसे में ही एक बार मेरा हाथ अंधेरे में उनके ब्लाउज में कसे हुए बूब पर लग गया मैंने फौरन सम्हल कर नीचे देख कर बॉक्स में हाथ डाला और दीदी को सॉरी बोली दीदी बोली कोई नही अंधेरे में हो जाता है….. पॉपकॉर्न खत्म होने पर मैंने दीदी का हाथ अपने हाथ मे ले लिया और हम फ़िल्म देखने लगे फ़िल्म में दो तीन काफी गरम सीन थे पर हमने उस पर कोई बात किये बिना चुपचाप पूरी फ़िल्म देखी और फिर जब फ़िल्म खत्म हुई तो उस टाइम मेरा लंड पूरी तरह से तन कर खड़ा था मुझे दीदी एकदम सनी लियोन नजर आ रही थी मैंने हॉल में ही अपने खड़े लंड को किसी तरह पैंट में एडजस्ट किया और हम बाहर आ गए….. पर मेरे सीट से खड़े होते ही दीदी ने मेरा हाथ कस के अपने हाथ मे पकड़ लिया और वैसे ही हाथ पकड़े हुए बाहर आई हम पार्किंग तक ऐसे ही हाथों में हाथ डाल कर आये और मुझे ऐसा लग रहा था मानो मैं अपनी गर्ल फ्रेंड के साथ मूवी देख कर निकला हूँ….. फिर हम कार में बैठे शाम के साढ़े पांच बजे थे मैंने कार सीधा इंडिया गेट की ओर बढ़ा दी और वहां एक जगह साइड में लगा कर हम बाहर आये मैंने दीदी को बताया कि ये इंडिया गेट है…. वो काफी खुश थीं वहां की रौनक देख कर फिर मैं एक स्टाल से icecream ले आया और हम वही एक खाली जगह पर बैठ कर icecream के मज़े लेते हुए बातें करने लगे…. मैंने जो फ़ोन खरीदा था वो मेरे जेब मे था icecream खत्म होते ही मैंने दीदी से उनका फ़ोन मांगा उन्होंने पर्स से फ़ोन निकाल कर मुझे दिया ये एक पुराना की पैड वाला साधारण फोन था मैंने उसका सिम निकाल कर तोड़ कर फेंक दिया और उस नये फ़ोन में एक जियो सिम जो मैंने फ़ोन के साथ ही लिया था डाल कर दीदी को दिया और बोला ये लीजिए मैडम जी एक छोटा सा गिफ्ट मेरी ओर से दीदी के चेहरे खुशी से भरी हुई मुस्कान थी मैंने कहा दीदी अब से आप घर पर बोर मत होना ये स्मार्ट फोन हर अकेले इंसान का सब से अच्छा दोस्त है….. दीदी के पास शादी से पहले कुछ टाइम तक स्मार्ट फ़ोन था तो उन्हें थोड़ी बहुत नॉलेज थी इंटरनेट के बारे में…. बाकी वो पढ़ी लिखी तो थी ही….. दीदी बोली इतना सब खर्चा कर के कितने अहसान करेगा मुझ पर पहले ही तेरे इतने अहसान है मुझ पर ये सुन कर मेरे चेहरे पर फिर गुस्सा आ गया और मैंने झुंझलाते हुए कहा दीदी आप ये एक ही सड़ा हुआ डायलॉग क्यों बोल रही हो बार बार बहन हो आप मेरी मेरा आप पर और आप का मुझ पर पूरा अधिकार है…. और इस दुनिया मे हम दोनों का एक दूसरे के सिवा कोई नही है मुझे खुशी मिलती है मैं आपके लिए इस से भी ज्यादा बहोत कुछ करना चाहता हूं आप एक बार बोलो तो सही आप क्या चाहती हो मैं आपकी खुशी के लिए कुछ भी कर सकता हूँ जान भी दे सकता हूँ दीदी हैरानी से मेरा मुह देखने लगी और उनकी आंखों से आंसू टपकने लगे उन्होंने मेरे कंधे पर सर रख दिया और डबडबायी आंखों से मुझे देखते हुए बोली संजू इतना प्यार करता है तू मुझे मैंने उनकी पीठ पर हाथ रख कर उन्हें प्यार से सहलाते हुए कहा हां दीदी आप सोच नही सकती उस से भी ज्यादा प्यार करता हूँ मैं आपको….. फिर हम काफी देर तक वहां बैठे बातें करते रहे और अब दीदी काफी हल्की और खुश नजर आ रही थीं बातों बातों में उन्होंने कहा संजय मैं पढ़ना चाहती हूं मैंने कहा इसमे क्या मुश्किल है नेक्स्ट सेशन शुरू होते ही आपका एडमिशन करवा दूंगा कॉलेज में दीदी ने खुशी से कहा तुझे मेरे पढ़ने से कोई प्रॉब्लम नही मैंने कहा एकदम नही ये तो अच्छी बात है कि आप पढ़ना चाहती हो…. दीदी बोली हां सोच रही हूं कि जैसा तुम कह रहे हो नये सिरे से जिंदगी शुरू करूँ….. शाम के साढ़े सात बजे थे अंधेरा हो चुका था मैंने कहा अब चलते हैं दीदी भूख लगी है फिर हम कार में आये और मैंने कार स्टार्ट की और एक अच्छे से रेस्टोरेंट में लगाई दीदी बोली सारा खर्चा आज ही कर लेगा क्या…. मैंने कहा इतना सारा पैसा है क्या करूँगा सर पे ले के थोड़े घूमना है खर्च करने के लिए ही है फिर हम रेस्टोरेंट में आये और आज मैंने दीदी से बोल दिया कि आर्डर आप को ही देना है आप जो खिलाओगी खा लूंगा दीदी ने खाना आर्डर किया हमने खाना खाया और खा पी कर बाहर आये कार में बैठे मैंने कहा और बताओ दीदी…. अब कहाँ चले वो बोली अब बस सीधा घर चलो मैंने कहा ठीक है और फिर हम घर आ गए….. मैं कार से सारे सामान निकाल कर लाया और फिर हम ऊपर अपने फ्लैट में आ गए चाभी मेरी जेब मे थी और मेरे हाथों में सामान था मैंने कहा दीदी मेरी जेब से चाभी निकालो तो दीदी ने मेरे जेब मे हाथ डाला और संयोग से मेरा लंड जो मूवी देखने के बाद से लगातार खड़ा ही था उसे मैंने घुमा कर उसी साइड में किया हुआ था जिस तरफ की जेब मे चाभी थी दीदी ने तेजी में हाथ अंदर डाला और चाभी पकड़ने के लिए उंगलियां घुमाई जेब के अंदर और उनकी उंगलियां चाभी से पहले मेरे लंड पर टकराई….. और कुछ समझने से पहले उन्होंने अच्छे से हाथ से टटोल कर लंड की सख्ती महसूस की ये इतनी जल्दी में हुआ कि उन्हें और मुझे कुछ समझ ही नही आया और जब उन्हें समझ आया कि वो क्या चीज है तो उन्होंने जल्दी से हाथ बाहर निकाल लिया मुझे भी समझ नही आया क्या करूँ तो मैं एकदम से बोला दीदी चाभी निकालो ना क्या कर रही हो उन्होंने एक पल सोचा और फिर से हाथ मेरी जेब मे घुसाया पर ना चाहते हुए भी उनका हाथ मेरे सख्त हुए सुपाड़े को टच करता हुआ ही अंदर गया और उन्होंने एक बार हाथ घुमा कर अच्छे से चाभी को टटोला पर वो रुमाल और फ़ोन के बीच मे उलझी पड़ी थी उन्होंने चाभी पकड़ कर खींची और एक बार फिर से उनकी उंगलियां लंड की सख्ती को महसूस करती हुई बाहर आ गईं….. उन्होंने जल्दी से चाभी लगा कर दरवाजा खोला और अंदर चली गईं मुझे तो इस घटना से बड़ा मजा आया….. मैं भी अंदर आ कर सारा सामान टेबल पर रख कर बोला अब बताओ दीदी कैसा रहा आज का दिन दीदी मेरी ओर देख कर बोली मज़ा तो खूब आया आज इतने दिन बाद घर से बाहर निकल कर मैंने कहा कल से हम रोज शाम को पास वाले पार्क तक घूमने जाया करेंगे और हर संडे को मूवी और डिनर के लिए दीदी एकदम खुश हो कर बोली कितना खयाल है तुझे मेरा….. मैंने थोड़ा शरारती लहजे में कहा अब मेरी कोई गर्ल फ्रेंड तो है नही जिसका ख्याल रखूं ले दे कर एक आप ही हो मेरा परिवार मेरी दोस्त मेरी अपनी आप का भी ना रखूं तो क्या पड़ोसियों का ख्याल रखूं…. दीदी हंस कर बोली बातें बनाना खूब सीख गया है अब तू मैंने कहा मैनेजर हूँ 20 लोगों का स्टाफ सम्हालता हूँ अगर बातें भी नही बनाऊंगा तो कैसे काम चलेगा….. फिर मैं अपने रूम में गया और चेंज कर के बाहर आया मैंने हाफ पैंट और बनियान पहनी थी और मेरा लंड अब कुछ नरम पड़ा था फिर भी इतना सख्त था कि हाफ पैंट में उभार बना हुआ था मैं सोफे पर बैठ कर tv ऑन किया और क्रिकेट मैच देखने लगा आवाज़ सुन कर दीदी भी बाहर आ गयी उन्होंने अब भी वही साड़ी पहन रखी थी मैंने कहा दीदी चेंज तो कर लो अब तो नाइटी भी है तुम्हारे पास दीदी ने कहा अभी पहनू क्या मैंने कहा अभी मत पहनो नेक्स्ट संडे जब घूमने चले तब पहनना तो बोली पागल है क्या कुछ भी….. मैंने कहा लो पागलपन की बात खुद कर रही और पागल मुझे कह रही नाइटी रात में घर मे पहनते हैं तो अभी ही पहनोगी ना दीदी हंसते हुए बोली ठीक है पहन लेती हूं मेरी टांग मत खींच मैं उठ कर दीदी के पास आया और उनका गोरा गाल पकड़ के चुटकी से खींचते हुए बोला ठीक है मेरी प्यारी बहन टांग नही गाल तो खींच लूं ना…. वो शर्मा के अंदर भाग गई और मुझे उनकी ये अदा बड़ी प्यारी लगी…. फिर 10 मिनट बाद दीदी ने दरवाजा खोला और सहमी सी बाहर आई वो नाइटी घुटनो से कुछज इंच नीचे तक ही थी और उसका कपड़ा काफी हल्का था दीदी की ब्रा का शेप साफ नजर आ रहा था ये देख कर मेरे लंड में हल्का सा करंट आया और उसने सर उठा दिया मैंने कहा क्या हुआ दीदी वो बोली ये कुछ ज्यादा ही मॉर्डन है मैंने कभी ऐसे कपड़े पहने नही मैंने कहा तो क्या हुआ ये शहर है पहली बात यहाँ तुम्हे कौन जानता है दूसरी बात घर मे सिर्फ हम दोनों हैं कौन यहां देख रहा तुम्हे तीसरी बात यहाँ सभी ऐसे ही कपड़े पहनते हैं और तुम कौन सा अभी 70 साल की हो गयी हो हाँ अगर मेरी वजह से कोई प्रोब्लम है तो अलग बात है….. इतना बोल के मैं चुप हो के उनके बोलने का इंतजार करने लगा उन्होंने सोफे पर बैठते हुए कहा बात तो ठीक है यहाँ तुम्हारे सिवा कौन है और तुम तो घर के हो तुमसे क्या….. मैंने कहा अब लग रहा है तुम उस गांव से नीकल कर शहर आ रही हो धीरे धीरे मेंटली…. दीदी मुस्कुराने लगी मेरा लंड दीदी को इस रूप में देख कर बगावत कर रहा था वैसे भी ये मेरा पोर्न देख कर मुठ मारने का वक़्त था पर मैंने खुद को और अपने लंड को समझाया कि बाद में और खड़े हो रहे लंड को हाथ से दबा के समझाने की कोशिश की पर हाथ लगने से वो और झटके मारने लगा और मुझे वो दीदी की उंगलियों की छुवन याद आ गयी मैंने उठते हुए कहा दीदी मैं बाथरूम ही के आता हूँ…. और मैं उठ कर बाथरूम आया दरवाजा बंद कर के मैंने लंड बाहर निकाला और उसे सहलाते हुए शीशे में खुद को देखा गोरा चिट्टा लंबा कद छरहरा बदन…. कोई भी लड़की आसानी से पट जाए मुझसे…. पर कभी इस बारे में सोच ही नही पाया…. और मेरी किसी लड़की के जिस्म को पाने की इच्छा प्रबल होने लगी और मैं आंखें मूंद कर लंड को हिलाते हुए मुठ मारने का आनंद लेने लगा आज कुछ ज्यादा ही मज़ा आ रहा था और लंड हिलाते हुए ही मेरे खयालो में दीदी का नाइटी में वो सुहाना रूप छा गया मुझे लगा मैं लंड हिला रहा हूँ और दीदी मुझे लंड हिलाते हुए देख रही है झटके से मैंने आंखे खोली देखा मैं तो बाथरूम में हूँ….. फिर से आंख मूंद कर दीदी के बारे में सोचते हुए लंड हिलाने लगा और मेरे खयालो में आने लगा दीदी की ब्रा के अंदर चूचियाँ कैसी होंगी दीदी की चूत कैसी होगी क्या मैं कभी दीदी को ऐसे देख पाऊंगा और तभी मेरे दिमाग मे एक खयाल आया….. अगर मैं बाथरूम में कैसे भी हिडेन कैमरा लगवा दूँ तो शायद मैं दीदी का नंगा जिस्म तो देख ही सकता हूँ और ये सोचते ही मेरे लंड से धार निकल गयी ढेर सारा माल कमोड में टपका कर मैं हाथ धो कर बाहर आ गया अब पैंट का उभार काम था……
शेष अगले भाग
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