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Incest ज़िंदगी का सफर दीदी के साथ भाग 2

abhaysuri0

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जिंदगी का सफर दीदी के साथ भाग 2

माँ की मौत की खबर सुन कर मुझे दुख तो हुआ पर मैंने मानसिक रूप से पहले से खुद को इसके लिए तैयार कर लिया था उनकी बिगड़ती हुई तबियत को देख कर मुझे एहसास था कि माँ अब ज्यादा दिन हमारे साथ नही रहेंगी मैं घर आया और दीदी को सम्हाल दीदी रोते हुए मेरे सीने से लग गयी और मैं उनको दिलासा देता रहा फिर कुछ दोस्तों और पड़ोसियों की मदद से मैंने माँ का अंतिम संस्कार किया और रात को घर वापस आया तो देखा दीदी कमरे में लाइट ऑफ किये बैठी थी एकदम चुप और शान्त मैंने लाइट ऑन की दीदी का चेहरा रो रो कर एकदम मुरझा गया था मैंने दीदी के पास जा कर उनके सर पर हाथ फिराया और उन्हें समझाया कि दीदी ये तो एक दिन होना ही था माँ की तबियत जिस तरह से बिगड़ती जा रही थी दीदी ने सुबकते हुए कहा नही संजय इस सब के लिए कहीं ना कहीं मैं जिम्मेवार हूँ अगर मैं माँ को वो सब ना बताती तो शायद माँ इतनी जल्दी हमे छोड़ कर ना जाती ये सुन कर मैं चौंक गया कि ऐसा क्या बताया होगा दीदी ने मॉ से मैंने दीदी का हाथ अपने हाथों में पकड़ कर पूछा दीदी ऐसा क्या बताया था आपने मां को तो दीदी सर हिलाते हुए बोली अब वो सब तुम्हे बता कर मैं तुम्हे डिस्टर्ब नही कर सकती वैसे ही हमारे जीवन मे बहोत से दुख हैं।
मैंने दीदी का हाथ पकड़ कर अपने सर पर रखा और उन्हें अपनी कसम देते हुए पूछा कि दीदी अब तो बताना ही पड़ेगा मैं जानना चाहता हूं ऐसा क्या है जो माँ को मालूम था और मुझे नहीं तो दीदी ने लाचारी भरी नजरों से मेरी ओर देखा और बताना शुरू किया…. दीदी बोली यहां दिल्ली आने के बाद जब तुम दिन में आफिस चले जाते तो माँ अक्सर मुझसे मेरी ससुराल के बारे में बातें किया करती थी कि मेरे इतने साल वहां कैसे गुजरे मैंने कई बार बात टाली पर एक दिन मेरे मुह से गुस्से में निकल ही गया कि अब क्या करोगी जान कर जब मैं मना कर रही थी कि मैं वहां शादी नही करूंगी तब तो मेरी एक न सुनी अपने मन की कर ली अब वहां मेरे साथ क्या जुल्म हुए जानने की इच्छा क्यों है तुम्हे और जानना ही चाहती हो तो सुनो जिस इंसान से तुमने मेरे ब्याह किया था वो शादी के बाद हर एक रात शराब पी कर मेरा बलात्कार करता था मैं बीमार रहूं य्या पीरियड में पर वो हर रोज किसी दरिंदे की तरह मेरे जिस्म को नोचता था और विरोध करने पर मुझे पीटा जाता पर तुम्हे इस से क्या तुमने तो अपना बोझ हल्का कर लिया और सुनो उसका छोटा भाई भी मेरे साथ कई बार बलात्कार करता रहा और उसकी माँ और मेरे पति को सब मालूम था पर वो जाना कर भी अनजान बने रहते और मुझे चार साल तक उन दोनों भाइयों के हवस की आग बुझानी पड़ी यही जानना चाहती थी ना तुम….. दीदी के मुह से शब्द अंगारों जैसे निकल रहे थे और ये सब सुन कर माँ को ऐसा आघात लगा कि 6 महीनों में ही वो ये दुनिया छोड़ गई।
ये सुन कर मुझे भी बहोत बुरा लगा कि मेरी फूल सी प्यारी बहन पर इतने जुल्म हुए पर मैंने खुद को सम्हालते हुए कहा दीदी अब तक जो भी हुआ वो जिंदगी का एक बुरा दौर था जो बीत चुका मैं उसे तो नही बदल सकता पर अब के बाद हमारे जीवन मे कभी कोई दुख नही आएगा और मैं तुम्हे हर वो खुशी दूंगा जिसकी तुम हकदार हो रही बात माँ की मौत की तो तुमने उन्हें वो ही बताया तो सच था और जो भी हुआ उसका जिम्मेवार वो खुद ही थीं क्यों कि तुम्हारी शादी का फैसला उनका फैसला था इसलिए तुम खुद को दोषी मत मानो।
मेरे शब्दों से दीदी के मन का बोझ कुछ हल्का हुआ फिर मैं बाजार से कुछ खाने को लाया और दीदी को जबरदस्ती खिलाया और खुद भी थोड़ा सा खा कर अपने बिस्तर पर जा लेटा और आने वाले समय के बारे में सोचने लगा।
अगले दिन से मेरी दिनचर्या फिर पहले जैसे चलने लगी सुबह उठना रेडी हो कर आफिस जाना 9 से 5 जॉब और फिर वापस घर अगले 8-9 महीने तक ऐसे ही चलता रहा और अब दीदी भी एकदम सामान्य हो गईं थीं।
अच्छा खाने पीने से और सामान्य माहौल में रहने की वजह से धीरे धीरे दीदी के चेहरे पर लाली आने लगी थी और वो दिन ब दिन निखरती जा रही थीं और मैं भी अपनी सख्त ड्यूटी से ऊब रहा था फिर एक दिन मैं अपने कमरे में बैठा लैपटॉप पर काम कर रहा था और काम से थक कर मैंने कुछ और करने का सोचा और लैपटॉप पर स्टोरी लिख कर सर्च किया मैंने इस से पहले इंटरनेट पर कभी भी सेक्स रिलेटेड कुछ भी देखा सुना नही था और ना ही मुझे कभी वक़्त मिला इन सब चीजों के लिए पर आज वो एक शब्द सर्च करते ही मेरे सामने एक नई दुनिया थी ढेर सारी सेक्स स्टोरीज हर तरह की फैमिली सेक्स भाई बहन की चुदाई वो सब देख कर बाद अजीब सा महसूस हुआ फिर मैंने एक स्टोरी पर क्लिक किया और उसे पढ़ने लगा मेरी उम्र भी 27 की हो गयी थी और कभी सेक्स के बारे में ज्यादा सोच नहीं पाया था पर आज वो पढ़ते ही मेरा बदन गरम होने लगा और मेरा लंड जिसे मैं अब तक सिर्फ मूतने के काम लाता था वो सर उठा कर फुंफकारने लगा मैंने उसे बाहर निकाल कर सहलाया तो बड़ा अच्छा लगा और फिर मैं उसे सहलाते हुए वो पूरी स्टोरी पढ़ गया फिर मेरी और कहानियां पढ़ने की इच्छा हुआ तो मैंने एक एक कर के कई कहानियां पढ़ डाली और आखिर में लंड ने एक झटका खाया और बिस्तर पर ढेर सारा गाढ़ा चिपचिपा पानी फैल गया….. उस दिन से मैं हर रोज रात में सब काम निपटाने के बाद कुछ कहानियां पढ़ता और ऐसे ही लंड सहला कर अपना पानी निकाल देता धीरे धीरे मुझे इसकी आदत पड़ गयी और एक दिन मेरे एक दोस्त ने मुझे अपने फ़ोन पर पोर्न दिखाई तब मुझे पता चला कि इंटरनेट पर मज़े का खजाना है बस ढूंढने की जरूरत है।
अब मैं रोज देर रात तक लैपटॉप पर सेक्स स्टोरीज पड़ता और पोर्न भी देखता पर दो चार दिन ही पोर्न देखने के बाद मुझे सेक्स करने की इच्छा होने लगी अब मैं दीदी के साथ भी ज्यादा वक्त नही बिताता था बस आफिस और घर आ कर अपने रूम में बंद रात में जब दीदी नॉक करती तो खाना खाने निकलता और खा कर फिर से कमरे में बंद जब काफी दिनों तक ये ही चलता रहा तो एक दिन संडे को जब मैं देर रात तक पोर्न देख कर तीन बार हल्का हो के सुबह 11 बजे सो कर उठा और फ्रेश हो कर बाहर आया तो दीदी ड्राइंग रूम में बैठी tv देख रही थी मैं जा कर वही बैठ गया और बोला दीदी चाय पिला दो।
दीदी उठी और चाय बना कर ले आयी मुझे दे कर मेरे पास बैठ गयी और बोली संजय आजकल तुम बहोत व्यस्त रहते हो सारा दिन आफिस और फिर बस अपने कमरे में तुम मुझे भूल ही गए हो कि मैं भी घर मे हूँ सारा दिन अकेले रहते बोर हो जाती हूँ मेरा भी मन होता है किसी से बातें करूँ. ….. ये सुन कर मुझे एहसास हुआ कि मैं दीदी के साथ गलत कर रहा हूँ वो भी इंसान हैं और उन्हें भी किसी के साथ कि जरूरत है मैंने कहा हां दीदी कुछ वर्कलोड ज्यादा था लास्ट मंथ पर अब से आपको शिकायत का मौका नहीं दूंगा दीदी बोली मैं समझती हूं तुम्हारी निजी जिंदगी है काम है पर थोड़ा से वक़्त मुझे भी चाहिए तुम्हारा अकेले जिंदगी काटना बहोत मुश्किल होता है मैंने दीदी का हाथ अपने हाथों में लिया और सहलाते हुए कहा आई एम सॉरी दीदी मैं हमेशा आपके साथ हूँ और मैंने जो गलती की इसकी पेनाल्टी दे देता हूँ आज संडे को फनडे बना कर।
वो मेरी ओर देखने लगी उनकी कुछ समझ में नहीं आया मैंने कहा जल्दी से तैयार हो जाओ आज तुम्हे दिल्ली घुमाते हैं… दीदी खुशी से बोली सच हम घूमने जाएंगे मैंने कहा हां मेरी दीदी जी आज हम घूमने जाएंगे और आज देर रात तक मैं सिर्फ आपके साथ रहूंगा कोई काम नही दीदी के गोर मुखड़े की रौनक बढ़ गयी ये सुन कर सुर वो अपने रूम में चली गयी मैं भी अपने रूम में आया और ब्लू जीन्स व्हाइट शर्ट निकाली बॉडी पर बॉडी स्प्रे डाल कर कपड़े पहने ब्लैक शूज और काला चश्मा…. शक्ल सूरत तो अच्छी थी ही कुल मिला कर मैं जँच रहा था मैं तैयार हो कर बाहर आ गया दीदी के रूम का दरवाजा अब भी बंद था मैं सोफे पर बैठ कर उनका इंतजार करने लगा और जब 10 मिनट तक वो नही आई तो मैंने आवाज़ दी उन्हें….. दीदी कितनी देर लगेगी अब चलो भी दीदी की आवाज़ आयी बस 2 मिनट पर लेडीज का 2 मिनट तो 15 मिनट से पहले होता नहीं और फिर दरवाजा खुला दीदी बाहर आई मैं उन्हें देखता ही रह गया अब तक दीदी घर मे नार्मल से कपड़ो में रहती थी बिना मेकअप के पर पहली बार उन्हें थोड़ा सा सजा सँवरा हुआ देख रहा था मेरा मुह खुला रह गया दीदी ने आसमानी साड़ी पहनी थी और एकदम कसा हुआ ब्लाउज और आंखों में हल्का सा काजल और होठो पर गुलाबी लिपस्टिक कुल मिला कर वो एक कॉलेज गर्ल लग रही थीं जिसने साड़ी पहनी हो…. वो मेरी हालत देख कर हंसते हुए बोली ऐसे क्या देख रहा है पहली बार देखा क्या मुझे मैंने जैसे जागते हुए कहा नही दीदी देखा तो हजारों बार है पर अपनी शादी के दिन तुम इतनी ही खूबसूरत लग रही थी जितनी आज लग रही हो दीदी के गालों पर शर्म की लाली फैल गयी और वो थोड़ी सी उदास भी हो गईं उस शादी की बात सुन कर जिसने उनकी जिंदगी बर्बाद कर दी थी मुझे भी अपनी गलती का अहसास हुआ और मैंने कार की चाभी उठाते हुए कहा चलें प्रिंसेस रुचि जी….
मेरी बात सुन कर वो हल्का सा मुस्कुरा दी उन्हें मुस्कुराते देख मुझे भी राहत मिली फिर हम नीचे आये और मैने कार का आगे वाला गेट खोल कर कहा आइए मैडम प्लीज मेरी इस हरकत पर दीदी खिलखिला कर हंस पड़ी और बैठ गईं मैं घूम कर ड्राइविंग सीट पर आया और कार स्टार्ट की।
पर इतने सब मे ही मुझे दीदी की ओर एक खिंचाव सा होने लगा था और मन मे सोचने लगा कि दीदी कितनी खूबसूरत और अकेली हैं क्या उन कहानियों में बने हुए रिश्ते ऐसी ही स्थितियों में बनते होंगे ये सब सोचते हुए मैं कार चलाते हुए एक मॉल की पार्किंग में कार लगा कर कर बंद कर के बाहर आया और गेट खोल कर बोला प्लीज कम मैडम दीदी बाहर आईं और बोली इतना खुश मत कर मुझे संजू जब भी ज्यादा खुश होती हूँ भगवान कोई न कोई दुख डाल देता है मैंने कहा दीदी अब ये सब बातें भूल भी जाओ जो होना था हुआ पर अब ऐसा कुछ नही होने वाला अब से तुम्हारी जिंदगी सिर्फ खुशियों से भरी होगी और मैं दीदी का हाथ थामे हुए उन्हें ले कर मॉल के अंदर आ गया दीदी बोली यहाँ कहाँ घुमाने लाये हो मैंने कहा सब से पहले आज मैं आपको शॉपिंग करवाउँगा तो दीदी बोली कपड़े तो हैं मेरे पास मैंने कहा अब आप गांव में नही दिल्ली में हो कपड़े भी उसी हिसाब से होने चाहिए दीदी ने फिर कहा फालतू पैसे मत खर्च करो संजय ये सुन कर मेरा मूड खराब हो गया और मैंने उन्हें घूरते हुए कहा चलो वापस घर चलते हैं….. दीदी समझ गयी कि उनकी टोका टाकी से मेरा मूड ऑफ हो रहा है तो बोली अच्छा ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी चलो…. फिर मैं दीदी को ले कर लेडीज सेक्शन में आया और सब से पहले जीन्स और टॉप निकलवाये काउंटर पर मौजूद सेल्स गर्ल ने नए फैशन की ढेर सारी जीन्स और टॉप का ढेर लगा दिया मैंने कहा पसन्द कर लो….. दीदी ने कहा जीन्स तो मैं नही पहनती पर उनकी आंखों में एक लालच नजर आ रहा था उन कपड़ो को देख कर मैंने कहा अब से पहनना शुरू कर दो और फिर दीदी ने दो जीन्स और दो टॉप सेलेक्ट कर लिये फिर मैंने सेल्स गर्ल को कहा नाइटी दिखाओ तो उसने कई सारी सिंपल सी नाइटी निकाल दी मैंने कहा कुछ स्पेशल दिखाओ तो उसने सिल्की कपड़े में कुछ खूबसूरत सी नाइटी दिखाई मैंने उनमें से एक ब्लैक और एक रेड कलर की पसन्द कर ली वो सब पैक करवा कर पेमेंट कर के आगे बढ़े तो दीदी ने कहा संजय मेरे पास अंडर गारमेंट्स नही हैं गाँव मे तो पहनती ही नही थी ना कोई ला कर देता था फिर मैं उन्हें ले कर अंडर गारमेंट्स वाले सेक्शन में गया वहा सेल्स गर्ल एक 35 साल की लेडी थी मैंने कहा इनके लिए अंडर गारमेंट्स चाहिए तो उसने साइज पूछा दीदी ने मुह नीचे झुका के धीरे से बताया 34 साइज की ब्रा और 36 कि पैंटी उसने नार्मल कॉटन की ब्रा पैंटी दिखाई और दीदी ने दो ब्रा और दो पैंटी ले ली मैंने कहा कुछ और दिखाइए कॉस्टली तो उसने नेट की कुछ फैंसी ब्रा पैंटी दिखाई जिनमे सिर्फ नाम का कपड़ा था उसमें से एक रेड कलर का सेट मुझे बहोत अच्छा लगा मैं उसे उठा कर देखने लगा तो वो लेडी बोली भाई साहब ये ले लीजिए ये एकदम लेटेस्ट है और भाभी जी पर खूब जंचेगा…. वो हमें पति पत्नी समझ रही थी दीदी ने हैरानी से मेरी ओर देखा और उसे टोकने के लिए मुह खोला ही था कि मैंने उसे वो सब पैक करने को बोला और दीदी को चुप रहने का इशारा किया दीदी ने धीरे से फुसफुसा कर मेरे कान में कहा कि ये क्यों ले रहे ही मेरे किस काम की ये मैंने कहा पहनने की चीज है तो पहनने के काम ही आएगी और पेमेंट कर के आगे बढ़ गया फिर हम कॉस्मेटिक काउंटर पर गए और मैने ढेर सारा मेकअप का सामान लैक्मे की लिपस्टिक नेल पॉलिश काजल etc खरीदा दीदी ने एक दो बार मुझे मना करने की कोशिश की पर मैंने उनकी एक ना सुनी फिर मैं इलेक्ट्रॉनिक शॉप पर गया और एक बढ़िया सा samsung का स्मार्ट फ़ोन 22000 रुपये का खरीदा और सारा सामान ले कर हम वापस कार में आ गए लगभग 40000 की शॉपिंग हो गयी थी….. कार में बैठते ही दीदी बोली ये सब फालतू का सामान ले कर क्यों पैसे फूंके मैं इसका क्या करूंगी विधवा औरतों को साज श्रृंगार की जरूरत नही होती….. मैंने दो पल के लिए दीदी की आंखों में देखा मेरे चेहरे पर थोड़ी सख्ती थी दीदी ज्यादा देर मुझसे नजर नही मिला पाई और नजरें झुका ली।
मैंने अपना हाथ दीदी के हाथ पर रखा और उनके हाथों को अपने हाथ मे ले कर कहा दीदी मैं चाहता हूं तुम अपनी लाइफ से ये 4 साल डिलीट कर दो ये समझ लो कि तुम्हारी शादी कभी हुई ही नही ये बस एक बुरा हादसा था तुम्हारे जीवन का और बुरे हादसे याद नही रखे जाते….. मेरी बात सुन कर उन्होंने वापस मेरी ओर देखा और इस बार मैं बड़े प्यार से उनकी गहरी आंखों में झांक कर उन्हें समझाते हुए बोला दीदी अभी तुम्हारी उम्र ही क्या है सिर्फ 28 साल और आप सच मे एक कॉलेज गर्ल सी ही लगती हो अगर आप अच्छे से ड्रेस पहन कर मेकअप कर के निकलो तो लड़को की लाइन लग जायेगी आपके पीछे…. ये सुन कर दीदी हल्के से मुस्कुरा दी….. मैंने कहा दीदी वो सब अब भूल जाओ और नई जिंदगी को अपने हिसाब से जियो ये शादी विधवा पति की मौत इस सब को दिमाग से निकाल फेंको खुश रहो और मैं चाहता हूं कि आप दोबारा शादी कर लो….. दीदी ने थोड़ा सा गंभीर होते हुए कहा मुझे पता है तू सारी जिंदगी मेरा बोझ नहीं उठा सकता पर मैं अब दोबारा शादी नहीं करूंगी मेरा पहला अनुभव इतना खराब था कि मुझे शादी शब्द से ही चिढ़ हो गयी है….. मैंने कहा दीदी दोबारा ऐसा मत कहना कि आप बोझ हो मुझ पर… मैं सारी जिंदगी आपको इतनी ही खुशी और प्यार से अपने साथ रखूंगा पर मैं ये सिर्फ इसलिए कह रहा था कि जिंदगी काटी तो कैसे भी जा सकती है पर जीने के लिए एक साथी या लाइफ पार्टनर की जरूरत तो होती ही है…. दीदी बोली तुझे जरूरत नही है लाइफ पार्टनर की तू कर ले शादी मैंने हंस कर कहा कोई आप जैसी खूबसूरत लड़की मिले तो सही शादी भी कर लूंगा पर लड़की एकदम आप जैसी ही चाहिए…… दीदी बोली क्यों मेरे जैसी क्यों चाहिए…. पता नही कैसे मेरे मुह से निकल गया…. क्यों कि आप मुझे बहोत अच्छी लगती हो दीदी आपसे बहोत प्यार करता हूँ मैं….. पर इतना बोलते ही मुझे लगा कि ये कुछ ज्यादा हो गया और मैंने कार स्टार्ट कर के पार्किंग से निकाली और ड्राइव करते हुए एक pvr आ गया कार फिर से पार्किंग में लगा कर हम बाहर आये और मैंने दो टिकट ले ली दोपहर का शो था और ज्यादा भीड़ नही थी….. जिस्म2 का शो था फिर मैंने पॉपकॉर्न और कोल्ड ड्रिंक लिया और हम अंदर चले गए….. एक कार्नर सीट पर जा कर बैठे और थोड़ी देर में ही फ़िल्म शुरू हो गयी…. मैंने पॉपकॉर्न का बॉक्स दीदी की गोद मे रख दिया और फ़िल्म देखने लगे….. मैं बीच बीच मे दीदी की गोद मे रखे हुए बॉक्स में से पॉपकॉर्न निकाल रहा था और ऐसे में ही एक बार मेरा हाथ अंधेरे में उनके ब्लाउज में कसे हुए बूब पर लग गया मैंने फौरन सम्हल कर नीचे देख कर बॉक्स में हाथ डाला और दीदी को सॉरी बोली दीदी बोली कोई नही अंधेरे में हो जाता है….. पॉपकॉर्न खत्म होने पर मैंने दीदी का हाथ अपने हाथ मे ले लिया और हम फ़िल्म देखने लगे फ़िल्म में दो तीन काफी गरम सीन थे पर हमने उस पर कोई बात किये बिना चुपचाप पूरी फ़िल्म देखी और फिर जब फ़िल्म खत्म हुई तो उस टाइम मेरा लंड पूरी तरह से तन कर खड़ा था मुझे दीदी एकदम सनी लियोन नजर आ रही थी मैंने हॉल में ही अपने खड़े लंड को किसी तरह पैंट में एडजस्ट किया और हम बाहर आ गए….. पर मेरे सीट से खड़े होते ही दीदी ने मेरा हाथ कस के अपने हाथ मे पकड़ लिया और वैसे ही हाथ पकड़े हुए बाहर आई हम पार्किंग तक ऐसे ही हाथों में हाथ डाल कर आये और मुझे ऐसा लग रहा था मानो मैं अपनी गर्ल फ्रेंड के साथ मूवी देख कर निकला हूँ….. फिर हम कार में बैठे शाम के साढ़े पांच बजे थे मैंने कार सीधा इंडिया गेट की ओर बढ़ा दी और वहां एक जगह साइड में लगा कर हम बाहर आये मैंने दीदी को बताया कि ये इंडिया गेट है…. वो काफी खुश थीं वहां की रौनक देख कर फिर मैं एक स्टाल से icecream ले आया और हम वही एक खाली जगह पर बैठ कर icecream के मज़े लेते हुए बातें करने लगे…. मैंने जो फ़ोन खरीदा था वो मेरे जेब मे था icecream खत्म होते ही मैंने दीदी से उनका फ़ोन मांगा उन्होंने पर्स से फ़ोन निकाल कर मुझे दिया ये एक पुराना की पैड वाला साधारण फोन था मैंने उसका सिम निकाल कर तोड़ कर फेंक दिया और उस नये फ़ोन में एक जियो सिम जो मैंने फ़ोन के साथ ही लिया था डाल कर दीदी को दिया और बोला ये लीजिए मैडम जी एक छोटा सा गिफ्ट मेरी ओर से दीदी के चेहरे खुशी से भरी हुई मुस्कान थी मैंने कहा दीदी अब से आप घर पर बोर मत होना ये स्मार्ट फोन हर अकेले इंसान का सब से अच्छा दोस्त है….. दीदी के पास शादी से पहले कुछ टाइम तक स्मार्ट फ़ोन था तो उन्हें थोड़ी बहुत नॉलेज थी इंटरनेट के बारे में…. बाकी वो पढ़ी लिखी तो थी ही….. दीदी बोली इतना सब खर्चा कर के कितने अहसान करेगा मुझ पर पहले ही तेरे इतने अहसान है मुझ पर ये सुन कर मेरे चेहरे पर फिर गुस्सा आ गया और मैंने झुंझलाते हुए कहा दीदी आप ये एक ही सड़ा हुआ डायलॉग क्यों बोल रही हो बार बार बहन हो आप मेरी मेरा आप पर और आप का मुझ पर पूरा अधिकार है…. और इस दुनिया मे हम दोनों का एक दूसरे के सिवा कोई नही है मुझे खुशी मिलती है मैं आपके लिए इस से भी ज्यादा बहोत कुछ करना चाहता हूं आप एक बार बोलो तो सही आप क्या चाहती हो मैं आपकी खुशी के लिए कुछ भी कर सकता हूँ जान भी दे सकता हूँ दीदी हैरानी से मेरा मुह देखने लगी और उनकी आंखों से आंसू टपकने लगे उन्होंने मेरे कंधे पर सर रख दिया और डबडबायी आंखों से मुझे देखते हुए बोली संजू इतना प्यार करता है तू मुझे मैंने उनकी पीठ पर हाथ रख कर उन्हें प्यार से सहलाते हुए कहा हां दीदी आप सोच नही सकती उस से भी ज्यादा प्यार करता हूँ मैं आपको….. फिर हम काफी देर तक वहां बैठे बातें करते रहे और अब दीदी काफी हल्की और खुश नजर आ रही थीं बातों बातों में उन्होंने कहा संजय मैं पढ़ना चाहती हूं मैंने कहा इसमे क्या मुश्किल है नेक्स्ट सेशन शुरू होते ही आपका एडमिशन करवा दूंगा कॉलेज में दीदी ने खुशी से कहा तुझे मेरे पढ़ने से कोई प्रॉब्लम नही मैंने कहा एकदम नही ये तो अच्छी बात है कि आप पढ़ना चाहती हो…. दीदी बोली हां सोच रही हूं कि जैसा तुम कह रहे हो नये सिरे से जिंदगी शुरू करूँ….. शाम के साढ़े सात बजे थे अंधेरा हो चुका था मैंने कहा अब चलते हैं दीदी भूख लगी है फिर हम कार में आये और मैंने कार स्टार्ट की और एक अच्छे से रेस्टोरेंट में लगाई दीदी बोली सारा खर्चा आज ही कर लेगा क्या…. मैंने कहा इतना सारा पैसा है क्या करूँगा सर पे ले के थोड़े घूमना है खर्च करने के लिए ही है फिर हम रेस्टोरेंट में आये और आज मैंने दीदी से बोल दिया कि आर्डर आप को ही देना है आप जो खिलाओगी खा लूंगा दीदी ने खाना आर्डर किया हमने खाना खाया और खा पी कर बाहर आये कार में बैठे मैंने कहा और बताओ दीदी…. अब कहाँ चले वो बोली अब बस सीधा घर चलो मैंने कहा ठीक है और फिर हम घर आ गए….. मैं कार से सारे सामान निकाल कर लाया और फिर हम ऊपर अपने फ्लैट में आ गए चाभी मेरी जेब मे थी और मेरे हाथों में सामान था मैंने कहा दीदी मेरी जेब से चाभी निकालो तो दीदी ने मेरे जेब मे हाथ डाला और संयोग से मेरा लंड जो मूवी देखने के बाद से लगातार खड़ा ही था उसे मैंने घुमा कर उसी साइड में किया हुआ था जिस तरफ की जेब मे चाभी थी दीदी ने तेजी में हाथ अंदर डाला और चाभी पकड़ने के लिए उंगलियां घुमाई जेब के अंदर और उनकी उंगलियां चाभी से पहले मेरे लंड पर टकराई….. और कुछ समझने से पहले उन्होंने अच्छे से हाथ से टटोल कर लंड की सख्ती महसूस की ये इतनी जल्दी में हुआ कि उन्हें और मुझे कुछ समझ ही नही आया और जब उन्हें समझ आया कि वो क्या चीज है तो उन्होंने जल्दी से हाथ बाहर निकाल लिया मुझे भी समझ नही आया क्या करूँ तो मैं एकदम से बोला दीदी चाभी निकालो ना क्या कर रही हो उन्होंने एक पल सोचा और फिर से हाथ मेरी जेब मे घुसाया पर ना चाहते हुए भी उनका हाथ मेरे सख्त हुए सुपाड़े को टच करता हुआ ही अंदर गया और उन्होंने एक बार हाथ घुमा कर अच्छे से चाभी को टटोला पर वो रुमाल और फ़ोन के बीच मे उलझी पड़ी थी उन्होंने चाभी पकड़ कर खींची और एक बार फिर से उनकी उंगलियां लंड की सख्ती को महसूस करती हुई बाहर आ गईं….. उन्होंने जल्दी से चाभी लगा कर दरवाजा खोला और अंदर चली गईं मुझे तो इस घटना से बड़ा मजा आया….. मैं भी अंदर आ कर सारा सामान टेबल पर रख कर बोला अब बताओ दीदी कैसा रहा आज का दिन दीदी मेरी ओर देख कर बोली मज़ा तो खूब आया आज इतने दिन बाद घर से बाहर निकल कर मैंने कहा कल से हम रोज शाम को पास वाले पार्क तक घूमने जाया करेंगे और हर संडे को मूवी और डिनर के लिए दीदी एकदम खुश हो कर बोली कितना खयाल है तुझे मेरा….. मैंने थोड़ा शरारती लहजे में कहा अब मेरी कोई गर्ल फ्रेंड तो है नही जिसका ख्याल रखूं ले दे कर एक आप ही हो मेरा परिवार मेरी दोस्त मेरी अपनी आप का भी ना रखूं तो क्या पड़ोसियों का ख्याल रखूं…. दीदी हंस कर बोली बातें बनाना खूब सीख गया है अब तू मैंने कहा मैनेजर हूँ 20 लोगों का स्टाफ सम्हालता हूँ अगर बातें भी नही बनाऊंगा तो कैसे काम चलेगा….. फिर मैं अपने रूम में गया और चेंज कर के बाहर आया मैंने हाफ पैंट और बनियान पहनी थी और मेरा लंड अब कुछ नरम पड़ा था फिर भी इतना सख्त था कि हाफ पैंट में उभार बना हुआ था मैं सोफे पर बैठ कर tv ऑन किया और क्रिकेट मैच देखने लगा आवाज़ सुन कर दीदी भी बाहर आ गयी उन्होंने अब भी वही साड़ी पहन रखी थी मैंने कहा दीदी चेंज तो कर लो अब तो नाइटी भी है तुम्हारे पास दीदी ने कहा अभी पहनू क्या मैंने कहा अभी मत पहनो नेक्स्ट संडे जब घूमने चले तब पहनना तो बोली पागल है क्या कुछ भी….. मैंने कहा लो पागलपन की बात खुद कर रही और पागल मुझे कह रही नाइटी रात में घर मे पहनते हैं तो अभी ही पहनोगी ना दीदी हंसते हुए बोली ठीक है पहन लेती हूं मेरी टांग मत खींच मैं उठ कर दीदी के पास आया और उनका गोरा गाल पकड़ के चुटकी से खींचते हुए बोला ठीक है मेरी प्यारी बहन टांग नही गाल तो खींच लूं ना…. वो शर्मा के अंदर भाग गई और मुझे उनकी ये अदा बड़ी प्यारी लगी…. फिर 10 मिनट बाद दीदी ने दरवाजा खोला और सहमी सी बाहर आई वो नाइटी घुटनो से कुछज इंच नीचे तक ही थी और उसका कपड़ा काफी हल्का था दीदी की ब्रा का शेप साफ नजर आ रहा था ये देख कर मेरे लंड में हल्का सा करंट आया और उसने सर उठा दिया मैंने कहा क्या हुआ दीदी वो बोली ये कुछ ज्यादा ही मॉर्डन है मैंने कभी ऐसे कपड़े पहने नही मैंने कहा तो क्या हुआ ये शहर है पहली बात यहाँ तुम्हे कौन जानता है दूसरी बात घर मे सिर्फ हम दोनों हैं कौन यहां देख रहा तुम्हे तीसरी बात यहाँ सभी ऐसे ही कपड़े पहनते हैं और तुम कौन सा अभी 70 साल की हो गयी हो हाँ अगर मेरी वजह से कोई प्रोब्लम है तो अलग बात है….. इतना बोल के मैं चुप हो के उनके बोलने का इंतजार करने लगा उन्होंने सोफे पर बैठते हुए कहा बात तो ठीक है यहाँ तुम्हारे सिवा कौन है और तुम तो घर के हो तुमसे क्या….. मैंने कहा अब लग रहा है तुम उस गांव से नीकल कर शहर आ रही हो धीरे धीरे मेंटली…. दीदी मुस्कुराने लगी मेरा लंड दीदी को इस रूप में देख कर बगावत कर रहा था वैसे भी ये मेरा पोर्न देख कर मुठ मारने का वक़्त था पर मैंने खुद को और अपने लंड को समझाया कि बाद में और खड़े हो रहे लंड को हाथ से दबा के समझाने की कोशिश की पर हाथ लगने से वो और झटके मारने लगा और मुझे वो दीदी की उंगलियों की छुवन याद आ गयी मैंने उठते हुए कहा दीदी मैं बाथरूम ही के आता हूँ…. और मैं उठ कर बाथरूम आया दरवाजा बंद कर के मैंने लंड बाहर निकाला और उसे सहलाते हुए शीशे में खुद को देखा गोरा चिट्टा लंबा कद छरहरा बदन…. कोई भी लड़की आसानी से पट जाए मुझसे…. पर कभी इस बारे में सोच ही नही पाया…. और मेरी किसी लड़की के जिस्म को पाने की इच्छा प्रबल होने लगी और मैं आंखें मूंद कर लंड को हिलाते हुए मुठ मारने का आनंद लेने लगा आज कुछ ज्यादा ही मज़ा आ रहा था और लंड हिलाते हुए ही मेरे खयालो में दीदी का नाइटी में वो सुहाना रूप छा गया मुझे लगा मैं लंड हिला रहा हूँ और दीदी मुझे लंड हिलाते हुए देख रही है झटके से मैंने आंखे खोली देखा मैं तो बाथरूम में हूँ….. फिर से आंख मूंद कर दीदी के बारे में सोचते हुए लंड हिलाने लगा और मेरे खयालो में आने लगा दीदी की ब्रा के अंदर चूचियाँ कैसी होंगी दीदी की चूत कैसी होगी क्या मैं कभी दीदी को ऐसे देख पाऊंगा और तभी मेरे दिमाग मे एक खयाल आया….. अगर मैं बाथरूम में कैसे भी हिडेन कैमरा लगवा दूँ तो शायद मैं दीदी का नंगा जिस्म तो देख ही सकता हूँ और ये सोचते ही मेरे लंड से धार निकल गयी ढेर सारा माल कमोड में टपका कर मैं हाथ धो कर बाहर आ गया अब पैंट का उभार काम था……
शेष अगले भाग

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abhaysuri0

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भाग 8

दीदी के नरम रसीले होंठ चूसते हुए मैंने एक हाथ उनकी नंगी कमर पर रखा और सहलाते हुए हाथ उनके लहंगे के ऊपर से उनके चूतड़ों तक ले जाने लगा …. दीदी भी मुझे अपनी बाहों में भर के मेरी पीठ पर हाथ फिराते हुए मस्ती में मेरे होठो को चूसने लगी और फिर मैंने अपनी जीभ दीदी के मुह में डाल दी और दीदी की जीभ से अपनी जीभ रगड़ने लगा और दीदी के मस्त चूतड़ों को जोर जोर से दबाने लगा …. दीदी भी पुर मज़े लेती हुई गरम होने लगी और फिर मेरे पाजामे के ऊपर से मेरा लंड मुट्ठी में भर कर दबाने लगी …. मैंने कहा दीदी अब आज से तुम्हे केले पर गुस्सा निकालने की जरूरत नही है जितनी मर्ज़ी हो मेरे केले का इस्तेमाल कर लेना …. दीदी ने कहा केले पर गुस्सा मैं समझी नही …. मैंने कहा आप अक्सर रात में केले से अपनी चुदाई करती थी ना …. दीदी ने कहा तुम्हे कैसे मालूम मैंने कहा वो एक सीक्रेट है बता दूंगा कभी …. और अब मैंने दीदी के गोरे गालों पर जीभ फिरानी शुरू कर दी …. और उनकी गर्दन को lick करते हुए उनके कान को चूमने चाटने लगा दीदी एकदम मस्ती में आने लगी और मेरे लंड को बुरी तरह से दबाने लगी और फिर मैंने दीदी के पीठ के पीछे हाथ डाल कर ब्लाउज की डोरी खींच दी और उसे खींच खींच कर पीछे से निकाल कर उनकी चुचियों से हटा दिया खुला हुआ ब्लाउज उनकी बाहों में फंसा हुआ था और अंदर रेड कलर की नेट वाली ब्रा में कसी हुई सुडौल चूचियाँ देख कर मेरा लंड लोहे जैसा सख्त हो गया था ….. मैंने दीदी का हाथ पकड़ कर उन्हें बिठाया और ब्लाउज को एक एक कर बाहों से निकाल कर रख दिया और फिर लहंगे की भी डोरी खींच कर उसे भी उनकी कमर से सरकाने लगा दीदी ने अपने चूतड़ उठा कर उसे निकलने दिया और अब वो सिर्फ ब्रा पैंटी में मेरे सामने बैठी थी …. मैंने कहा अमेजिंग …. तो दीदी हंसने लगी बोली क्या हुआ …. मैंने कहा आज तो रोज से भी ज्यादा खूबसूरत लग रही हो तुम …. दीदी बोली आज तू ऐसे कपड़ो में देख रहा है ना इसलिए मैंने कहा मैं तो पूरी नंगी भी देख चुका हूं तुम्हे …. पर आज कुछ खास बात है …. दीदी ने कहा आज खास ये है कि तुम सामने से देख रहे हो और पहले छुप कर देखते होगे …. मैंने कहा हां शायद यही बात हो …. दीदी बोली मेरे कपड़े तो निकाल दिए और खुद कपड़े पहने बैठा है मैंने कहा अब मेरे कपड़े भी मैं ही उतारू तो शादी कर के क्या फायदा हुआ ….. दीदी ये सुनते ही एक्शन में आ गयी और मेरी शेरवानी के बटन खोलती हुई उसे निकाल दिया और फिर मेरे पाजामे का नाड़ा खींच कर उसे भी खींच कर उतार दिया अब मैं भी सिर्फ बनियान और undy में था ….. मैंने बनियान खुद से निकाल दी और बेड की पुश्त से तकिए रख कर पीठ टिका कर टांगे फैला कर बैठ गया और दीदी को खींच कर अपनी जांघो पर बिठा लिया अपनी ओर मुह कर के और दीदी की कमर में हाथ डाल कर उनकी आंखों में देखते हुए झुक कर उनके रसीले सुर्ख होठो को बेतहाशा चूसने लगा और हाथ फिराते हुए दीदी की नंगी पीठ से उनके मोटे नरम चूतड़ तक सहलाने लगा मेरा सख्त लंड सामने से दीदी की पैंटी में ढकी हुई चूत पर चिपक कर झटके ले रहा था और दो मिनट में ही दीदी अपने चूतड़ को हिलाते हुए अपनी चूत मेरे सख्त लंड पर दबाने लगी ….. हमारी हालात खराब थी अब रहा नही जा रहा था पर मैं जल्दबाजी के मूड में नही था …. वो कहते हैं ना फर्स्ट इम्प्रेसन …. तो मैंने दीदी को पीछे झुकाते हुए अपनी टांगो पर लिटा सा दिया और उनके ब्रा में कसे तने हुए चुचो को अपनी मुट्ठी में भर कर दबाना मसलना शुरू कर दिया दीदी मस्त हो कर आंखे बंद किये हुए चूचियाँ दबवाने का मज़ा ले रही थी तभी मैने ब्रा के ऊपर से ही उनके कड़े लंबे निप्पल्स को चुटकी में पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया ….. पोर्न देख कर हासिल किए अनुभव का मैं पूरा इस्तेमाल कर रहा था और मुझे आज समझ भी आ रहा था चुदाई का मज़ा लेना है तो खेल को लंबा खींचना चाहिए वो दो मिनट में लंड डाल कर धक्के लगाने वाली चुदाई तो चूतिए करते हैं ….. निपल्स मसलवा कर दीदी कट्रोल खोने लगी और अपना एक हाथ चूत पर रख कर खुद ही अपनी चूत मसलने लगी मैंने कहा दीदी हाथ हटाओ अपना मेरे होते हुए भी आपको अपने हाथ इस्तेमाल करना पड़ा तो शादी कर के क्या फायदा …. दीदी ने एक बार आंखे खोल कर मुझे देखा मैंने आंख मार दी तो वो मुस्कुराने लगी और बोली पागल कर रहे हो मुझे तुम ….. मैंने कहा तो हो जाओ ना और एक बार और उनके निप्पल्स थोड़ी सख्ती से मसल दिए उनके मुह से तेज सिसकारी निकली और उन्होंने फिर से आंखे मूंद ली …. और फिर मैंने दीदी से कहा दीदी खड़ी हो जाओ ….. दीदी ने मेरी ओर देखा मैंने कहा खड़ी हो ना …. तो वो खड़ी हो गयी मेरे सामने मैं जल्दी से सरक कर एकदम सीधा लेट गया और दीदी को बोला एक पैर यहाँ रखो दूसरा यहां …. मैंने उन्हें अपने सर के दोनों ओर पैर रखने को बोला था ….. दीदी मेरे बताये तरीके से खड़ी हो गयी मैने कहा अब बैठ जाओ …. वो बैठ गयी और उनकी चूत मेरे होठो से लगभग छू गयी लाल पैंटी का मुलायम कपड़ा और उसके अंदर वो अनमोल खजाना जिसे लूटने का मेरा सपना आज पूरा आज हो रहा था मैंने दीदी के चूतड़ों को पकड़ कर उन्हें अपनी ओर खींचा और अपने होंठ पैंटी के ऊपर से ही चूत पर चिपका कर चूमने लगा ….. और दीदी कक नंगी चिकनी जांघो को भी होठो से रगड़ने लगा ….. तभी मुझे पैंटी पर हल्का सा गीला धब्बा दिखा …. उफ्फ दीदी की बुर गरम हो कर रस निकाल रही थी और मेरे मन मे उस रस का स्वाद का चखने की इच्छा जोर मारने लगी तो मैंने दीदी की पैंटी में उंगलियां फँसाई और उसे नीचे सरकाने लगा पर बैठी होने की वजह से वो अपनी जगह से हिली भी नही मैंने कहा दीदी इसे निकालो ना तो वो हंसती हुई बोली बार बार उठक बैठक मत करवा थक जाऊंगी …. मैंने कहा आज रात थकना तो है ही तुम्हे …… फिर दीदी ने खड़ी हो कर खुद ही पैंटी सरका दी घुटनो तक मैंने कहा इसे निकाल दो नही तो डिस्टर्ब करेगी तो उन्होंने एक पैर उठा कर पैंटी निकाल दी और फिर दूसरे पैर से भी अब दीदी मेरे सर पर सिर्फ ब्रा में खड़ी थी और उनकी रसीली चूत मेरे सामने थी पर मुझे लगा उस दिन दीदी की झांटो भरी चूत मुझे ज्यादा उत्तेजना दे रही थी मैंने दीदी को बैठने का इशारा किया और वो दुबारा मेरे मुह पर बैठ गयी मैंने उनकी नंगी चूत को हाथ से सहलाया और उसके लिप्स खोल कर देखा …. आहहह दीदी की गुलाबी चूत अंदर से एकदम गीली और चमकदार और मैंने झट से अपनी नाक चूत पर रख दी और गहरी सांस ले कर सूंघने लगा दीदी की बुर को ….. दीदी ने मेरी आँखों मे देखा और बोली क्या कर रहे हो संजू मैंने अपनी दीदी की खूबसूरत चूत की खुशबू ले रहा हूँ तो दीदी हंसने लगी और बोली सच सच बता पहले कितनी बार ऐसे खुशबू ले चुका है …. मैंने कहा दीदी तुम पहली और आखिरी हो इस से पहले मैंने कभी किसी के बारे में कुछ सोचा भी नही करना तो दूर है …. दीदी ने कहा मैं नही मानती पहली बार लग तो नही रहा तुम्हारा …. मैंने कहा क्यों ऐसा क्या हुआ जो आपको लग नही रहा ऐसा दीदी बोली तुम तो एक्सपर्ट चोदू लग रहे हो कहाँ से सीखा ये सब …. मैंने कहा दीदी पोर्न देखता हूँ और सब उसी की देन है ….. दीदी हंसते हुए बोले यानी कि सब देखा हुआ है प्रक्टिकली पहली बार है मैंने कहा हाँ अब तुम सही समझी दीदी बोली पर लग नही रहा पहली बार है लगता है बहोत मन लगा कर सीखा है सब कुछ …. मैंने कहा हां दीदी मुझे लगता था एक दिन आपको खुश करना पड़ेगा इसलिए सब एकदम मन लगा कर सीखा था और फिर मैंने अपने होठ दीदी कि नरम चूत पर रख दिये उफ्फ एकदम गरम से अहसास हुआ दीदी ली चूत में एक गर्मी सी थी उसका अहसास मुझे अपने होठो पर हुआ और मैंने जीभ निकाल कर दीदी की प्यारी बुर पर फिरा फिरा कर उसे चाटना शुरू कर दिया और एकदम खो से गया दीदी की बुर चाटने में और दीदी भी जीभ लगते ही अपनी कमर हिलाते हुए अपनी चूत को मेरे मुह पर दबाने लगी …. मैं शराब और दीदी के नंगे जिस्म के नशे में डूबने लगा और मैंने पूरी जीभ कड़ी कर के चूत में अंदर तक घुसा दी और गोल गोल घुमाने लगा दीदी की बुर का खट्टा नमकीन स्वाद मेरे मुह में घुलने लगा और मैं पूरे मज़े से दीदी की बुर चाटने लगा और फिर मैंने बड़ा सा मुह खोल कर दीदी की पूरी बुर मुह में भर ली उसे दांतो से हल्के हल्के काटते हुए चूसने लगा दीदी के मुह से तेज आवाज़ें निकलने लगी वो पूरी मस्ती में आ कर अपनी बुर मेरे मुह में घुसाते हुए अपनी गांड़ हिला रही थी और अपनी चूचियाँ खुद ही मसलने लगी मुझे लग रहा था वो झड़ने वाली हैं और एक डेढ़ मिनट ऐसे ही चूसने के बाद मैंने उनकी चूत का दाना होठो में दबा कर चूसते हुए जीभ अंदर घुसाई और जोर जोर से चूसने लगा दीदी ने अपने हाथों से मेरा सर पकड़ा और और अपनी चूत पूरी ताकत से मेरे मुह में दबा कर गहरी सांसें लेते हुए झड़ गईं और उनकी बुर से निकला कुछ बूंद रस मेरे मुह से होते हुए मेरे पेट मे चला गया उस रस को पी कर मुझे बहोत अच्छा लगा उधर दीदी अब थोड़ी निढाल सी हो कर मेरे बगल में लेट गयी मैं करवट ले कर उनके मासूम चेहरे को निहारने लगा और मैंने उनके माथे को चूमते हुए कहा दीदी ठीक हो ना उन्होंने आंखे खोल कर मेरी ओर देखा और मेरे सीने से लग गयी जोर से अपनी बाहों में कस कंसर बोली संजू you are amzaing आज तक इतना अच्छा फील नही हुआ कभी मुझे मैंने कहा मेरी जान अब रोज ये फीलिंग मिलने वाली है तुम्हे पर अभी मेरी हालत खराब है दीदी बोली हां मैं समझ रही हूँ और मेरा लंड पकड़ कर उसे सहलाने लगी मैंने कहा दीदी इसे अब हाथों की जरूरत नही है बेचारा कई साल से हाथों के भरोसे ही है तो दीदी उठ कर बैठी और मेरी undy में हाथ डाल कर मेरा खड़ा लंड बाहर निकाल लिया वैसे मेरा लंड सामान्यतया 6 इंच का है पर आज वो कुछ ज्यादा ही सख्त हो कर 7 इंच का हो रहा था और मोटाई भी कुछ अलग लग रही थी दीदी ने नंगे लौड़े को दो तीन बार हाथ से सहलाया और फिर झुक कर सुपाड़े को चूम लिया और लंड की स्किन खोल कर सुपाड़े को नंगा कर के एक बार मेरी ओर देखा मैंने कहा मुह में लो ना दीदी और फिर दीदी ने मुह खोल कर सुपाड़ा मुह में लिया और उसे रसगुल्ले जैसे चूसने लगी ….. मैं मस्ती में पागल होने लगा मैंने कहा दीदी और लो ना उन्होने मेरी आँखों मे देखते हुए थोड़ा लंड और अंदर लिया दीदी का गर्म मुह मेरे लंड को बहोत सुख दे रहा था मैंने एक हाथ दीदी के सर पर रखा और उनके मुह को लंड पर दबाते हुए 5 इंच लंड दीदी के मुह में घुसा दिया दीदी ने लंड को मुट्ठी में भरा और सर को तेजी से हिलाते हुए मुह से लंड की चुदाई सी शुरू कर दी मुझे लगा मैं झड़ जाऊंगा मैंने कहा भी दीदी मेरा हो जाएगा पर वो वैसे ही मेरी आँखों मे देखती हुई भूखी शेरनी जैसे लंड चूसती रही और फिर उन्होंने एक हाथ मेरे सीने पर रख कर मेरे निप्पल को सहलाते हुए दूसरे हाथ से लंड को मुठ सी मारते हुए सुपाड़े पर जीभ फिराना शुर कर दिया और बीच बीच मे वो मेरे आंड पर ही जीभ फिरा देती ….. एकदम से मेरे बदन में बिजली सी कौंधी और मेरे सुपाड़े से एक तेज फुहार निकली गाढ़े गाढ़े वीर्य की और दीदी के माथे से ले कर नाक और होठो तक मेरे वीर्य के एक लकीर सी बन गयी दीदी ने फौरन मुह खोल कर सुपाड़ा मुह में ले लिया अगली फुहार को मुह में ही आने दिया और सुपाड़ा चूसते हुए लंड से बहता हुआ वीर्य चूस चूस कर पीने लगी ….. और आखिर में जब वीर्य निकलना बंद हुआ तो उन्होंने लंड को मुह से निकाला और जीभ निकाल कर अपने ऊपर वाले होठ पर लगी वीर्य की बूंदों को चाट लिया ये सीन मैंने पहले पोर्न में देखा था और मेरी हमेशा से ये खुद करने की इच्छा थी …. आज मेरी बहोत सारी इच्छाएं पूरी होने वाली थी ऐसा लग रहा था मुझे ….. दीदी के नाक और माथे पर अब भी वीर्य की बूंदे चमक रही थी और वो बहुत ही सेक्सी लग रही थीं ….. दीदी ने अपनी पैंटी उठायी और अपना चेहरा साफ किया और मेरी ओर देखने लगी मैं अभी अभी स्खलित हो कर उस सुख में डूबा हुआ मदहोश सा लेटा था फिर दीदी भी मेरे सीने पर सर रख कर लेट गयी और मैं उनके बालों में उंगलियां फिराते हुए बोला ….. दीदी टेस्ट कैसा लगा उन्होंने मेरे सीने के बालों में उंगलियां फिराते हुए कहा अच्छा था …. मैंने कहा मेरी बहुत ख्वाइश थी किसी के मुह में ऐसे झड़ने की तो दीदी बोली किसी के …..? मैंने कहा हां पोर्न में देखता था ऐसे तो लगता था कभी किसी के साथ मैं भी ऐसे मज़े लूं ….. दीदी बोली तो किसी के साथ ही ले लेता फिर मेरे साथ क्यों …. मैंने कहा वो तब की बात है जब मैं तुम्हारे बारे में ऐसा नही सोचता था …… दीदी ने पूछा मेरे बारे में ऐसा सोचना कब शुरू किया …. मैंने कहा ठीक से याद नही पर शायद ये जब शादी के बाद पहली बार तुम्हे देखा था तभी से मन मे कुछ आने लगा था इस बारे में …… मैंने कहा दीदी तुम्हारी चूत का स्वाद भी बड़ा मस्त है मैं तो रोज चाटूँगा दीदी ने कहा अब बीवी हूँ तुम्हारी जो चाहे करो ….. और ये कहते हुए दीदी ने मेरा लंड वापस पकड़ लिया और उसे हाथों से टटोलने लगी …. आज झड़ने के बावजूद भी मेरे लंड में सख्ती थी और दीदी के हाथों के स्पर्श से वो और सख्त होने लगा ….. शायद दीदी को भी इसका अहसास हुआ और वो बोली लग ही नही रहा तुम अभी अभी झड़े हो …. मैंने कहा जब इतनी खूबसूरत लड़की नंगी बाहों में है तो झड़ने के बाद भी लंड सुस्त नही होता …… और मैं थोड़ा सा नीचे खिसक कर मुह घुमा कर दीदी के सीने को चूमने लगा पर ऐसे मुझे असुविधा हो रही थी तो मैंने दीदी को सीधा लिटाया और खुद करवट ले कर उनके नंगे चूचो को चूमने लगा निप्पल्स के चारो ओर होठ फिराते हुए मैंने जीभ से निप्पल को चाटना शुरू कर दिया और दीदी एक बार फिर से मदहोश होने लगी मैंने चाट चाट कर दीदी के चूचे गीले कर दिए और फिर एक चूचे को मुह में भर लार चूसने लगा दीदी मेरे बालो पर हाथ फिराते हुए मेरे बालों को मुट्ठी में जकड़ ली और मेरे मुह में चूची ठेलते हुए बोली चूस संजू कस के चूस अपनी दीदी के चूचे दबा कर चूस इन्हें …. ये सुन कर मेरा जोश बढ़ गया और मैंने दोनों चूचियाँ अपनी मुट्ठी में कस कर पकड़ ली और मसलते हुए बारी बारी दोनों को जोर से चूसने लगा कभी कभी मैं चूची के नरम मांस में दांत गड़ा कर काट भी लेता और फिर जीभ से निप्पल चाटने लगता लगभग 5 मिनट तक मैं ऐसे ही चूचियाँ मसलता चूसता काटता रहा और दीदी बस आंखे बंद किये हुए मस्ती में moan कर रही थी …. उनकी सिसकियां और आहें सुन सुन कर मेरे अंदर उत्तेजना और गर्मी बढ़ती जा रही थी ….. फिर मैं उनके नंगे पेट को चूमता हुआ उनकी नाभि पर अपने होठ रख कर गहरे चुम्बन लेने लगा और फिर जीभ को नाभि में घुसा कर चाटने लगा मेरा बस चलता तो दीदी के बदन के एक एक इंच अपनी जीभ से चाट लेता पर अब तो ये रोज ही होना था ….. दीदी फुसफुसा कर बोली ओह्ह संजू तुम मुझे फिर से गरम कर रहे हो मैंने कहा मेरी जान अब से हर रोज तुम्हे कई बार गरम और ठंढा करूँगा …. दीदी बोली मुझे लग रहा है कि तुमसे शादी कर के मैंने सही फैसला लिया है …. मैंने कहा क्यों ऐसा क्या हुआ दीदी बोली जिस तरह से तुम मुझे पागल कर रहे हो मेरे ख्याल से हर औरत तुम जैसा ही जीवनसाथी पाना चाहेगी …..मुझे ये सुन कर खुशी हुई कि दीदी मेरे साथ खुश और संतुष्ट हैं और मैं फिर से दीदी की जांघो पर होंठ फिराता हुआ उन्हें चूमने लगा और अब मैं सरकता हुआ और नीचे उनकी टांगों पर आ गया घुटने के आस पास जीभ फिराते हुए मैं दीदी के पैरों को चूम रहा था और दांतों से हल्के हल्के बाईट भी कर रहा था …. फिर ऑयर नीचे आ कर मैंने दीदी के पैर का एक अंगूठा मुह में भर लिया और उसे चूसने लगा मेरी इस हरकत से दीदी उछल सी गयी और बेड पर उनका नंगा बदन मचलने लगा ….. मैंने बारी बारी दीदी के दोनों पैर की सभी उंगलियों को मुह में ले कर चूसा और दीदी उत्तेजना के शिखर पर पहुंच रही थी …… इसके बाद मैंने दीदी की बांह पकड़ कर उन्हें उल्टा लिटा दिया दीदी की नंगी पीठ और वो मदमस्त गांड़ मेरे सामने थी और दीदी की गांड़ जिसका मैं दीवाना था मैंने उनके गोरे चूतड़ों पर हाथ फिराया और फिर धीरे से एक चपत लगा दी उनकी गांड़ पर दीदी ने सर घुमा कर देखा और मुस्कुरा कर बोली मुझे इस से ज्यादा तेज थप्पड़ों की आदत है ….. मेरे कुछ समझ नही आया मैंने कहा मैं समझा नही तो दीदी बोली मेरा पहला पति ऐसे ही जानवरों जैसे सुलूक करता था मेरे साथ …. मैंने कहा दीदी उसमे और मुझमें फर्क है ….. दीदी बोली हां फर्क तो है पर वो फर्क ये है कि उसे मैं पसन्द नही करती थी तुम्हे मैं पसन्द करती हूं उसे मैं प्यार नही करती थी तुम्हे मैं प्यार करती हूं और उसके साथ सेक्स में वो मेरी खुशी य्या भावनाओ का कोई ख्याल नही रखता था और तुम मेरी हर खुशी का ख्याल रख रहे हो और मुझे पूरा आंनद दे रहे हो …… ऐसे में मेरा भी फ़र्ज़ है कि मैं तुम्हारी खुशियों का ख्याल रखूं और तुम्हे पूर्ण संतुष्टि दूँ …. और रफ़ सेक्स मेरे लिए नया नही है बल्कि सच कहूं तो चार साल तक ये सब झेलने के बाद मुझे इसकी आदत सी पड़ गयी है और इसमे मज़ा भी आने लगा है ….. दीदी की बातें सुन कर एकदम से मेरे दिमाग मे वो सेक्स स्टोरी घूम गयी जिसे मैंने लगभग डेढ़ साल पहले पढ़ा था जिसमे एक भाई अपनी बहन को अपनी सेक्स स्लेव बना कर रखता है और मुझे लगा कि अगर मैं थोड़ा दिमाग से काम लूं तो मेरी ये फैंटेसी भी पूरी हो सकती है ….. पर फिलहाल मेरा पहला लक्ष्य था आज दीदी को इतना सुख देना कि वो मेरी दीवानी हो जाये ….. मैने दीदी के बाल एक साइड कर के पीछे से उनकी गर्दन को चूमना चाटना शुरू किया उनकी गर्दन से कानों तक जीभ फिराते हुए और उनकी नंगी पीठ को सहलाते हुए मैं दीदी के बदन में और उत्तेजना भर रहा था ….. और दीदी बस मस्ती में डूबी हुई थी …. मैंने पीठ से ले कर कमर तक का हिस्सा चूमते सहलाते हुए आखिर में उनके उभरे हुए गद्देदार चूतड़ पर होंठ रख दिये और उस टाइम मुझे इतना प्यार अहसास हुआ मेरी बहन जो अब मेरी बीवी बन चुकी थी वो मेरे कमरे में मेरे बिस्तर पर नंगी गांड़ खोल कर लेटी हुई थी और मैं उसके नंगे चूतड़ों से चिपका हुआ था मैंने होंठ रगड़ते हुए दोनों चूतड़ों को जी भर के चूमा और फिर चाटने लगा मैं भूखे कुत्ते जैसे दीदी के चूतड़ों को चाटे जा रहा था मानो उन पर मलाई लगी हो और फिर मैंने दोनों हाथों से दीदी की गांड़ को फैला दिया और उनकी गांड़ की गहरी दरार में छुपा हुआ वो नन्हा सा खूबसूरत गांड़ का छेद देख कर मेरे लंड में तूफान आ गया और मैने झुकते हुए अपने होठ उस भूरे से छेद पर चिपका दिए ….. दिन भर की भाग दौड़ की वजह से वहां पसीने की हल्की सी गंध थी जो मुझे और भी उत्तेजित कर रही थी ….. उसे सूंघ कर मेरा नशा दोगुना सा हो गया मैं बार बार दीदी की गांड़ को चूमने लगा दीदी भी गुदगुदी से अपनी गांड़ इधर उधर हिलाने लगी और मैंने इस बार एक तेज सा थप्पड़ दीदी के चूतड़ पे जमा दिया चटाक की आवाज़ के साथ दीदी की एक तेज आह कमरे में गूंज गयी और दीदी बोली संजू मैं मर जाऊंगी इतना प्यार मत दे ….. पर मैं कुछ नही सुन रहा था और मैंने अब जीभ निकाल के दीदी के गांड़ की दरार में फिरानी शुरू कर दी ….. दीदी मस्ती में अपनी गांड़ पीछे को उभार कर चटवाने लगी और मैंने गांड़ चाटते हुए एक हाथ टांगो के बीच घुसा कर दीदी की चूत में एक उंगली घुसा दी और दीदी की चूत उंगली से चोदते हुए उनकी गांड़ चाटने लगा …. दीदी इस दोतरफा हमले से एकदम बेकरार हो गयी और बोली संजू अब चोद दे ना घुसा से अपना लौड़ा मेरी बुर में अब रहा नही जा रहा ….. डेढ़ साल से प्यासी है मेरी चूत मैंने कहा दीदी आप तो केले से मज़ा ले लेती थी रोज ही मैं तो शुरू से अब तक प्यासा ही हूँ …. दीदी बोली इसीलिए तो कह रही हूं मेरे राजा अब और देर ना कर बना ले मुझे अपना डाल दे ये सख्त लंड मेरी चूत में ….. दीदी के मुह से ऐसी अश्लील नंगी बातें सुन कर लंड तो मेरा भी बेकाबू हो रहा था पर मैंने थोड़ा सा खुद पर काबू कर के दोनों हाथों से दीदी के गांड़ के छेद को जोर लगा कर फैलाया और अपनी जीभ कड़ी कर के गांड़ में घुसाने की कोशिश करने लगा तो दीदी बोली छी ये क्या कर रहा है वो गंदी जगह है ….. मैंने कहा दीदी तुम मेरे प्यार की देवी हो मैं पूजा करता हूँ तुम्हारी और मेरे लिए तुम्हारे जिस्म में कुछ भी गंदा नही है ….. I love you … मेरी जान और वापस जीभ से गांड़ के छेद को कुरेदने लगा दीदी मेरी बात सुन कर थोड़ा रिलैक्स हो कर अपनी गांड़ में हो रही हलचल का लुत्फ लेने लगी और फिर एक ही मिनट बाद वो बोली संजू अब आ भी जा वरना मैं फिर से झड़ जाऊंगी बिना चुदे ही …. और मैंने हट कर दीदी को सीधा किया वो खुद ही सीधी लेट कर टांगे उठा ली ये देख कर मैं शरारत से बोला क्या बात है दीदी बड़ी जल्दी है चुदवाने की …. वो हंस कर बोली तेरी हरकते हैं ही ऐसी …. रहा नही जा रहा …. मैंने दीदी के ऊपर आ कर पोजिशन ली तो दीदी ने खुद ही लंड पकड़ कर अपनी चूत पर लगाया और बोली डालो ना मैंने अपनी कमर को पुश किया और सुपाड़ा चीकनी गरम बुर में फिसलता हुआ घुस गया ….. मैंने दो तीन धक्के लगा कर पूरा 7 इंच लंड दीदी की फूली हुई बुर में पेल दिया और झुक कर उनके होंठ चुसते हुए हल्के धक्के लगाने लगा दीदी भी मेरी पीठ पर बाहें कस दी और मेरे होठो को चूमते हुए अपनी कमर को ऊपर को पुश करते हुए …. जैसे लंड खाने लगी अपनी चूत में …. मैं तो मस्ती में उड़ रहा था और धीरे धीरे मेरे धक्कों की स्पीड बढ़ने लगी और दीदी के बुर के पानी मे भीग कर मेरा लंड फिसलते हुए पिस्टन जैसे दीदी की बुर में अंदर बाहर होने लगा ….. और फिर मैंने एकदम से सुपाड़े तक लंड बाहर खींच कर एक तेज झटका दिया ….. दीदी सिसकते हुए बोली शाबास संजू ऐसे ही चोद बहोत मज़ा आ रहा है …. मैंने चोदते हुए पूछा दीदी लंड कैसा है मेरा ….. दीदी बोली एकदम कड़क और जबरदस्त है बस चोदता रह मैंने कहा मेरा बस चले जो सारी जिंदगी ऐसे ही चोदते जाऊ अपनी दीदी को ….. दीदी बोली चोद न किसने रोका है अब तो मैं तेरी बीवी हूँ …. मैंने और तेज झटके देते हुए कहा ले मेरी बीवी खा अपने यार का लौड़ा और अपनी चूत की गर्मी शांत कर ले ….. दीदी भी जवाब में अपनी गांड़ उछलते हुए बोली हां राजा खिला दे आज अपनी दीदी को अपना मस्त लंड और बना ले मुझे अपनी बीवी ये बात सुन कर मैं तो जैसे पागल हो गया और दनादन अपना लंड तेज रफ्तार से पेलते हुए दीदी को चोदने लगा ….. और दीदी भी तेज सांसे लेते हुए मेरी कमर को सहलाते हुए बोली संजू …. बहोत अच्छे हो तुम कितना बढ़िया चोदते हो …. मैंने कहा आप जैसी चुदक्कड़ औरत को ऐसे ही चोदना पड़ता है …. और अब मैं थोड़ा सा थक रहा था तो मेरे धक्के की गति कम हुई और दीदी ने कहा संजू बाहर निकालो अब मेरी बारी मैंने लंड निकाला …. चूत के पानी भीग कर लंड चमक रहा था दीदी ने मेरे सीने पर हाथ रख कर मुझे लेटने का इशारा किया मैं लेट गया और दीदी मुझ पर चढ़ गई घुटनो पर बैठ कर उन्होंने चूत लंड पर टिकाई और अपनी गांड़ को झटका दे कर पूरा लंड गप्प कर लिया और फिर तेजी से कमर हिलाते हुए मानो अब वो मुझे चोद रही थी और दीदी के नंगे चूचे मेरी आँखों के सामने उछल रहे थे ….. मैंने हाथ उठा कर निप्पल को चुटकी में पकड़ कर मसलना शुरू किया तो दीदी की कमर के झटकों की स्पीड और बढ़ गयी ….. और ऐसे ही चुदवाते हुए उनका बदन अकड़ने लगा और वो एकदम से तेजी से लगभग चीखती हुई मेरे सीने पर लेट कर हांफने लगी …. दीदी तेजी से सांसे ले रही थी पर मैं इस टाइम रुकने के मूड में नही था तो मैंने दीदी की कमर पकड़ कर नीचे से ही धक्के लगाने शुरू कर दिए दीदी भी समझ गयी कि मैं इस टाइम रुकने वाला नही हु तो वो मेरे ऊपर से उठ कर बगल में ही घुटनो पर झुक गयी और उन्हें इस पोज में देख कर मैं समझ गया कि अब मुझे doggy style का मज़ा लेना है तो मैं झट से पीछे आ कर लंड चूत पर टिका कर झटके से चूत में पेल कर दीदी की कमर पकड़ के हुमच हुमच के चोदने लगा और दीदी भी अपने हाथों से अपनी चूचियाँ दबाते हुए चुदवाने लगी ….. हम दोनों को लगभग आधा घंटा हो गया था चोदते हुए और मुठ मार मार कर मेरी भी टाइमिंग बढ़ चुकी थी …. पर अब लग रहा था कि मैं झड़ जाऊंगा तो मैंने धक्के देते हुए दीदी के चुतड़ों को सहलाया और फिर तेजी से तीन चार चांटे उनके गोरे गोरे चूतड़ पर जमा कर पूरी रफ्तार से चोदने लगा और फिर मेरे हलक से गुर्राहट सी निकलने लगी मेरा बदन अकड़ने लगा और आखिर में तेज झटके से पूरा लंड दीदी की बुर में पेल कर मैं झड़ने लगा एक के बाद एक ना जाने कितनी पिचकारियां मारते हुए मैंने दीदी की चूत लबालब भर दी और दो मिनट तक उसी पोजिशन में खड़े रहने के बाद मुझे होश आया …… मैंने लंड बाहर खींचा और उसी के साथ दीदी की बुर से टपटप कर के गाढ़ा गाढ़ा लंड का रस टपकने लगा …. मैं निढाल हो कर बिस्तर पर फैल गया और दीदी भी वैसे ही लेट कर सुस्ताने लगी ….. और फिर नशे में कब हमारी आंख लग गयी कुछ पता नही चला ये थी दीदी के साथ मेरी सुहागरात …..

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