कहानी- ये बारिशें
रचनाकार- Aagasyta (Y. A.) महोदय,
बहुत बढ़िया वर्णन किया है आपने कहानी का। दरअसल इसे कहानी नहीं कहा जा सकता है ये एक ब्लॉग है जो बारिश के ऊपर लिखा गया है और बचपन की याद भी ताजा कर दी है आपकी इस रचना ने।
यही मौसम किसी प्रेमी के लिए सौगात लेकर आता है तो किसी प्रेमी के लिए गम लेकर आता है। बारिश के ऊपर कितने विरह के गीत बने हुए हैं तो न जाने कितने रोमांटिक गीत बने हुए हैं।
बारिश किसी के लिए खुशी लेकर आती है तो किसी के लिए गम, किया को उसका प्यार याद आता है तो किसी को उसका जख्म, बारिश का अपना एक अलग ही मजा है। बचपन में जब बारिश होती थी तो भीगने में बहुत मजा आता था। उसके बाद घर में डाट पड़ती थी सो अलग।
सुयेश के भैया के भले ही बहुत बड़ी दवाइयों की दुकान है, हर मर्ज की दवा भले ही मिल जाती है उसके भैया की दुकान पर लेकिन सुएश को जो रोग लगा है उसकी दवाई उसकी भैया की दुकान पर क्या किसी भी दुकान पर नहीं मिल सकती।



"तबाह हो गए हैं मगर तबाही नहीं दिखती.. ये इश्क़ है जान इसकी दवाई नहीं बिकती"..
इस बीमारी को दवा केवल कृतिका है जो सुयेष से बहुत दूर जा चुकी है, लेकिन कहते हैं न कि उम्मीद पर दुनिया कायम है तो सुयेश को भी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए शायद जीवन के किसी मोड़ पर उसकी मुलाकात कृतिका से हो जाए।
रचनाकार- Aagasyta (Y. A.) महोदय,
बहुत बढ़िया वर्णन किया है आपने कहानी का। दरअसल इसे कहानी नहीं कहा जा सकता है ये एक ब्लॉग है जो बारिश के ऊपर लिखा गया है और बचपन की याद भी ताजा कर दी है आपकी इस रचना ने।
यही मौसम किसी प्रेमी के लिए सौगात लेकर आता है तो किसी प्रेमी के लिए गम लेकर आता है। बारिश के ऊपर कितने विरह के गीत बने हुए हैं तो न जाने कितने रोमांटिक गीत बने हुए हैं।
बारिश किसी के लिए खुशी लेकर आती है तो किसी के लिए गम, किया को उसका प्यार याद आता है तो किसी को उसका जख्म, बारिश का अपना एक अलग ही मजा है। बचपन में जब बारिश होती थी तो भीगने में बहुत मजा आता था। उसके बाद घर में डाट पड़ती थी सो अलग।
सुयेश के भैया के भले ही बहुत बड़ी दवाइयों की दुकान है, हर मर्ज की दवा भले ही मिल जाती है उसके भैया की दुकान पर लेकिन सुएश को जो रोग लगा है उसकी दवाई उसकी भैया की दुकान पर क्या किसी भी दुकान पर नहीं मिल सकती।




"तबाह हो गए हैं मगर तबाही नहीं दिखती.. ये इश्क़ है जान इसकी दवाई नहीं बिकती"..
इस बीमारी को दवा केवल कृतिका है जो सुयेष से बहुत दूर जा चुकी है, लेकिन कहते हैं न कि उम्मीद पर दुनिया कायम है तो सुयेश को भी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए शायद जीवन के किसी मोड़ पर उसकी मुलाकात कृतिका से हो जाए।