fountain_pen
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कहानी- अवसरवादिता
रचनाकार- fountain_pen महोदय
बात राजनीति की हो और उसमे अवसरवादिता न हो ये हो ही नहीं सकता। कभी कभी आपका उठाया गया एक कदम आपको आने वाली जिंदगी में बहुत आगे पहुंचा देता है या फिर आपको जिंदगी में बहुत पीछे धकेल देता है। नीलिमा ने भी शायद गलत समय पर देश छोड़कर जर्मनी चली गई और उसने एक सुनहरा भविष्य खो दिया, क्योंकि शुभम महत्वाकांक्षी व्यक्ति था तो उसकी तरक्की तो होनी ही थी।
हाशमी साहब ने भी चुनावी अवसरवादिता का पूरा फायदा उठाया और अपनी बेटी की शादी शुभम से जबरन करवा दी, क्योंकि वो एक दबंग आदमी थे और शुभम सीधा साधा इंसान था। लेकिन बाद में उन्हें भी अपनी गलती का एहसास हुआ। नीलोफर एक सुलझी हुई लड़की थी जिसने शुभम को समझा और अपने प्यार और व्यवहार से शुभम का दिल जीता। राजनीतिक प्रपंच अच्छे अच्छे रिश्ते को खराब कर देता है अगर शुभम कोशिश न करता तो हाशमी और नीलोफर का रिश्ता टूट ही जाता।
आपका बहुत-बहुत आभार अपना कीमती समय इस कहानी को देने के लिए
