Inamorato
" क्या मेरी बात टैडी से हो रही हैं?? " फोन के रिंगर से टूटी नींद में काॅल का आंसर करते हुए तुहिन को दूसरी तरफ से आवाज सुनाई दी.
" जी... "
" सर मैं #@##@ ट्राॅमा सेंटर से बोल रही हूं एक एक्सीडेंट के केस में हमारे यहां मिस्टर अनुज टोकस को एड़मिट किया गया है, जिन्होंने हमें आपका यह नंब..."
इतना सुनकर टैडी के पैर जमीन पर आ गये और बदन फुर्ती से कपडों को टटोलने लगा, " प्लीज उनको बेस्ट ट्रीटमेंट देना मैम, और रिक्वेश्ट है मेरे आने तक वो इस हाॅस्पिटल से कहीं बाहर नहीं जाएंगे ", अपने डैड का हालचाल पूछकर तुहिन ने उससे यह फेवर मांगा.. क्यूंकि उसकी घरवाली और ससुराल वालों परेशान होकर उसका डैड घर छोड़कर चला गया था.
" हम प्रोफेशनल हैं मिस्टर टोकस... "
ईयरफोन में गूंजे इस जवाब ने उसके दिमाग में घूमते ख्यालों की घुड़दौड़ पर फुल स्टाॅप लगा कर कुछ देर के लिए आराम दे दिया, और हाॅस्पिटल में अनुज को पूर्ण स्वस्थ और उनके चिर परिचित अंदाज में मुस्कुराते हुए पाया तो उसकी आंखों से खुशी के आंसू निकलने लगे. जाने-अनजाने में किये हरेक अपराध के लिए उसने अपने पिता से माफी मांगी और उनसे घर लौटने का निवेदन करने लगा, " मुझे बस केस की फिक्र है डैड, नहीं तो अपना पेट भरने के लिए मैं अपने गोदाम में बैग्स भी उठा लेता "
" ठीक है ठीक है.. पागलपन बंद कर और इस बच्चे के लिए बिलिंग काउंटर पर अपनी माॅं के बैंक अकाउंट की डिटेल्स दे दे, पिछले डेढ़ साल में बहुत खयाल रखा है इसने मेरा ",
फिर टैडी की नजर उस भाई पर गई जिसकी उम्र बमुश्किल 18-20 साल रही होगी. उसकी एक कलाई पर पट्टी बंधी थी लेकिन मैडीकल चार्ट पर कटी हुई रेडियल आर्टरी के ट्रीटमेंट का विवरण लिखा था. माॅं से बात करने के लिए अपना फोन डैड को पकडा़कर वो उस भाई के पेरेंट्स से बात करने लगा. पता लगा मामला बेवफाई का है और उसके डैड उनके खेत लीज पर लेकर फार्मिंग कर रहे थे.
टैडी को बहुत अफसोस होता जब वो शगुन के साथ अपने रिश्ते के बारे में सोचता क्यूंकि उसी गलत फैसले के कारण उम्र के इस पडा़व पर, इज्जत बचाने की खातिर घर-परिवार और सफल व्यवसाय छोड़ कर उसके डैड हाड़-तोड़ मेहनत से पूर्ण यह काम कर रहे थे और प्रारंभिक अवस्था से अपनी हैशियत से बाहर प्रतिष्ठित संस्थानों से पढ़ने और जॉब करने के वाबजूद आजीविका के लिए उसे आज भी अपने डैड के संरक्षण की दरकार थी.
" तो अब घर चलें डैड ", अपने साथ लाए कैश से हाॅस्पिटल का बिल जमा करने के बाद टैडी ने अपने फादर को उनका वायदा याद दिलाया.
" जरूर, पर बताएगा तेरा घर है कहां?? देख तू जिस घर की बात कर रहा है उसका किराया तेरी माॅं देती है, बाकी अपनी जायदाद से बेदखल मैंने तुझे उस दिन कर दिया था जब तूने हमारी मर्जी के खिलाफ अपनी शादी का फैसला लिया, तो बता मैं कहां चलूं मैं तेरे साथ? "
अचानक अपनी बात से पलटकर अनुज ने उसे दुबारा उदास कर दिया, और सामने पडे़ अनुभव के परिजनों का बुरा हाल देखकर टाॅबी की हिम्मत नहीं हुई मरने-मारने की धमकी देने की. हारकर वो उन्हें अपनी माॅम के संग रहने के लिए मनाने लगा, हालांकि इससे उसकी कोई मनोकामना सिद्ध होती ना दिख रही थी लेकिन बुढ़ापे में बाप को बेघर करने का कलंक जो उसके माथे पर लगा था, उसे मिटने से मानसिक तौर पर उसे कुछ राहत तो मिलती, " फाईन मेरा ना सही पर आपको माॅम और बिट्टी के बारे में तो सोचना चाहिये, अगर आप ऐसे ही चले तो आइम श्योर वो भी मेरी तरह घुटघुट कर वक्त से पहले चली जाएगी "
इतना सुननेपर अनुज ने एक झन्नाटेदार थप्पड तुहिन के चेहरे पर रशीद किया, " तेरी इसी समझदारी ने हमें बर्बाद किया है गधे.. सीधी और स्पष्ट बात है टैडी तू अपनी जिंदगी के लिए फैसले ले और मुझे मेरे हाल पर छोड़ दे....."
भड़ककर अनुज के हाथ उठाने पर वहां मौजूद गांव वाले उनके बीच आ कर उन दोनों को समझाने लगे, लेकिन हर बार घूम फिर कर बात 'शगुन' पर अटक जाती, जो बचपन की दोस्ती को परिणयसूत्र में बदल कर अपनी कानून मंत्री समतुल्य माॅं, वकील बहन और पुलिस-अफसर समान पिता के आलीशान घर में रहकर अपनी मनमानी चला रही थी.
" बाप के ताने बच्चों का भविष्य संवारते हैं बेटा पर तुम लोग प्यार में इतना बहक जाते हो कि बडे होने पर तुम्हें बचपन से मिला हमारा दुलार नहीं दिखता. बेटा मझधार में साथ छोड़ने वाले मौकापरस्त होते हैं, जीवन-साथी नहीं... "
यह समझ देने वाले उस लड़के के पिता 'स्वरूप' थे जिसका इलाज चल रहा था. हालांकि, उसकी स्टोरी टैडी की कहानी से बिल्कुल जुदा थी लेकिन पहली बार टैडी को यह अहसास जरूर हुआ कि नासमझी में बच्चों की नादानियॉं उन्हें पाल-पोश कर बडा़ करने वाले पेरेंट्स का बुढा़पा कितना दर्दनांक बना देती हैं. आखिरकार अपने माथे पर लगा कलंक मिटाने के लिए उसने अंतरिम मेंटेनेंस नहीं देने का वायदा अपने डैड से कर लिया. इससे उसे जेल तो जाना पड़ता पर उसे सुकून था माॅं-बाप को बेघर करने के लिए अब कम से कम उसकी अंतरात्मा उसे झिड़केगी नहीं.
उधर अनुज के घर पहुंचने की खबर सुनकर शगुन ने पुराने पैंतरों इस्तेमाल कर अपनी बहन को तुहिन के सामने कर दिया.
" थोडी भी शर्म नहीं आई तुम्हें अपनी बीवी की दोस्त को डेट करते हुए?? "
टाॅबी को अपनी बात पूरी करने का मौका दिए बिना किचिन से निकलते हुए मेघना ने उन दोनों की काॅमन दोस्त के साथ के फोटोग्राफ्स टाॅबी के हाथ में थमा दिए, जिनको देखने पर बिल्कुल भी वैसा नहीं लगता, जैसा वो साबित करना चाहती थी. और फिर तीन दिन गैरकानूनी ढंग से पुलिसिया कस्टडी़ में रहने के बाद अदालत ने मारपीट के झूठे इल्जामों के लिए उसे जेल भेज दिया जहां उसका परिचय अनुभव के मामा से हुआ, जो दूसरों के लिए तो खूंखार थे मगर टैडी के लिए व्यवहारिक ज्ञान का चलती फिरती लाइब्रेरी.
उस दौरान अनुज टैडी से मिलने जेल या कोर्ट नहीं गया. वो शायद वो खुद को बचा रहा था या चाहता था सभ्य लोगों की पहुंच से दूर अपने बच्चे का यह व्यवहारिक ज्ञान-अर्जन, जो बेचारे तुहिन की समझ से बिल्कुल परे था. थैंकफुली, बुखार में तबियत बिगड़ने की खबर सुनकर उसकी माॅं के आंसुओं ने जब अनुज के पितृत्व को झिंझोडा़, तब उसके प्रयासों से उसे जेल से मुक्ति मिली. खैर, जेल का संकट अभी दूर नहीं हुआ था इसलिए शगुन का मंथली शगन और उसकी बहन की वकालत बंद करने के लिए अनुज ने उसे अपने दोस्त स्वरूप के पास खेती करने के बहाने भेज दिया.
शाम को अनुभव की कजिन जब टैडी को लेने आई तब उसे पता लगा यह वही लड़की थी जिसने ट्राॅमासेंटर से काॅल कर उसे उसके डैड से मिलवाया, और हाॅस्टल में वो उसकी बहन की रूममेट रही थी, " वैलकम बैक.. मैं मंदिरा राठी. यह रहा तुम्हारा नया फोन लेकिन ध्यान रहे इसमें डला नंबर मेरे नाम से रजिस्टर्ड है ", गाडी़ में बैठने पर टैडी के स्मार्टफोन के बदले मंदिरा ने उसे एक कीपैड़ फोन थमा दिया.
मगर जेल के भयानक अनुभव और बीमारी से टूटे तुहिन का दिमाग कहीं और था. इसी दिमागी रस्साकसी में रातभर नींद नहीं आई जबकि नई जगह का माहौल जेल और उसके घर से बहुत बेहतर था. शहर-देहात के शोरगुल से दूर लम्बे-चौडे खेतों की गोद में बने इस घर में अनुभव के डैड स्वरूप, मदर बाला, तायाजात बहन मंदिरा, उसके दो बडे़ भाई शरवन एंड किरशन (श्रवण-कृष्ण), श्रवण की बीवी नीता और दोनों का छोटा बच्चा रहते.
बोली अलग होने पर उसे उनकी आधी से ज्यादा बातें समझ नहीं आती मगर सूरज डूबने तक उसको खाली या पानी भरे खेत को जोतना, चारा काटना और फसल की सिंचाई करना काफी हद तक आ गया. फिर एक दिन अनुज के काॅल करने पर अपना यह अनभुव उसके साथ साझा करने लगा जिससे तमककर अनुज ने उसे बुरी तरह सुना दिया, " तेरे इसी रूख से दिक्कत है मुझे. जानता हूं तू जिम्मेदार है मुझे निराश नहीं करेगा लेकिन अपनी लडा़ई खुद लड़ना क्या तू मेरे मरने के बाद सीखेगा?? "
टैडी समझ रहा था उसके डैड उसको प्रोटेक्ट कर, गलत को गलत साबित करने की वो लडा़ई लड़ रहा था जो असलियत में उसे लड़नी चाहिये थी. बहरहाल, थकान की वजह से नींद के झटके आने पर उसने अनुज को भरोसा दिलाया कि आगे से वो उसे शर्मिंदा नहीं करेगा और सुबह आंख खुलने पर ईष्ट के बाद उसके हाथों में दूसरी फोटो अनुज की थी.
" क्या बात है खुश लग रहे हो आज ", अनुभव के संग कमरे में दाखिल होते हुए मंदिरा ने टैडी से पूछा और फोटोफ्रेम के बारे अंदाजा लगाने लगी, " बचपन का प्या... ", मगर फ्रेम में अनुज को देख अपनी गलती सुधारने लगी, " माफ कर देना मुझे लगा.... जाने दो... वैसे, दोनों भाई कहां गये? जीरी की रोपाई नहीं होगी क्या आज?? "
" नहीं.. आज गवांडियों की बारी है और दोनों भाई ट्रैक्टर से खाद-दवाइयां लेने डैड की आढ़त पर गये हैं "
लेकिन तुहिन को हरियाणवी में लड़खडाते देखकर उन दोनों बहन भाई की हंसी छूट गई, " इट्स ओके टैडी, जरूरत नहीं है कुछ सीखने की. अंकल ने तुम्हें यहां मैंटली डिटाॅक्स करने के लिए भेजा है, और कुछ प्रोडक्टिव करना है तो बस जल्द से जल्द खुद को अपनी ट्राॅमैटिक लाइफ से बाहर निकलो "
मंदिरा की बात ने टैडी को पहले तो हैरान किया मगर अपने सादेपन पर वो फिर से परेशान होने लगा, " आई विश.. ऐसा बाप सबको मिले, लेकिन मेरे जैसी बेवकूफ औलाद भगवान किसी को ना दे... "
अनुभव को पानी लाने का बोलकर मंदिरा उस को समझाने लगी, " खुशनसीब हो तुम टैडी. मुझे देखो, मुझे तो अब मेरे पेरेंट्स के चेहरे भी याद नहीं... "
मंदिरा का दुख जानकर तुहिन का दर्द एक लम्हे में खत्म हो गया, फिर अनुभव के रिएक्ट करने से पहले उसने मंदिरा को पानी पिलाया और संत्वना देने के चक्कर में गलती से गलत जगह सहलाने लगा जिससे मंदिरा एकदम असहज हो गई
" हाउ... Ever.. पापा (असल चाचा), मम्मी (माॅसी) भाइयों ने मुझे उनकी कमी कभी महसूस नहीं होने दी.. इसलिए जो हुआ उसके लिए अफसोस मत करना क्यूंकि अच्छाई हमेशा मल्टीप्लाइड होकर लौटती है "
हाउ डेयर को उसे फिर हाउएवर में बदलना पडा़ क्यूंकि टैडी की नजरों में वैसी कमीनगी और मंशा में उस तरह की गंदगी की झलक दिखने को नहीं मिली, और दूसरी तरफ मंदिरा के सुलझे अंदाज और पॉजिटिव रुख ने टैडी को अपना कायल बना दिया. आपसी मोबाइल नंबर सेव कर तीनों ने एक साथ खाना खाया और अनुभव के हॉस्टल/कॉलिज जाने के बाद वो टैडी की अच्छी दोस्त, ट्रांसलेटर और खबरी बन गई.
एक दिन तबियत खराब होने पर मंदिरा ने उसे उसके दफ्तर छोड़ने के लिए बोला और फिक्रमंद टैडी के ज्यादा पूछने पर इरीटेट होकर उसे असल वजह बतानी पडी़, " I'm on the rag.. stupid "
हालांकि टैडी को 'On the rag' का मतलब नहीं मालूम था लेकिन मंदिरा की इरीटेशन और फिर तकलीफ नोटिस करने पर असल बात समझ में आ गई. परवाह तो वो उसकी पहले से करता था मगर अब और सजग हो गया, " मैं रूक रहा हूं आज तुम्हारे साथ एंड जब तक ठीक ना हो तब तक छुट्टी ले लेना प्लीज "
" हर महीने इतनी छुट्टियां नहीं ले सकती यार.... वैसे भी इस महीने रितु (मामा की बेटी) की सगाई है एंड तुम वहां बोर हो जाओगे और शाम तक तो मैं ठीक हो जाउंगी... "
" मैं फार्मा सेक्टर से हूं डियरी... तुम्हारा दर्द नहीं बांट सकता पर मैं जानता हूं यह कैसा होता है.. ", बांये हाथ से मंदिरा के दायें हाथ की उंगलियां सहलाते हुए टैडी उसे अपनी कहानी सुनाने लगा, " ज्यादातर लोग भगवान की दी इस सलाहियत का गलत फायदा उठाते हैं मंदिरा... और बदकिस्मती से मैंने ऐसी लड़की के साथ ही अपनी जोडी़ बनाई... तुम अच्छी हो और मुझे यकीन है दर्द सहने की यह क्षमता तुम्हें आत्मीयता से पूर्ण आदर्श माॅं बनाएगी "
हालांकि टैडी की बहन की दोस्त होने के नाते मंदिरा उसकी जिंदगी के बारे में पहले से जानती थी लेकिन अवसाद में दबे टैडी का दुख बांटने के लिए वो अपनी खीझ़ भूल गई, " और तुम्हें एक आदर्श बाप.. वैसे पहली बार इतना खुल रहे हो तो बताओगे क्या हुआ था तुम्हारे और शगुन के बीच?? "
" एक्चुअली सच बुरा लग गया था उसे, क्यूंकि पंद्रह सप्ताह के बच्चे का अबाॅर्शन कराने के लिए मैंने उसे Filicide बोल दिया "
टैडी ने अभी जो सच बताया मंदिरा उसे जानने वाली तीसरी इंसान थी, " शगुन अनुभव के काॅलिज में फैकल्टी है और वो बता रहा था उसका अफेयर... "
" वो इरिलेवेंट है लेकिन अबार्शन वाली बात बिट्टी या डैड से शेयर मत करना प्लीज. वो इसे कोर्ट में इस्तेमाल करेंगे, एंड क्लीनिक मेघना के क्लायंट का है तो इसका एवीडेंस मिलेगा नहीं ", मिन्नतें करते हुए तुहिन ने अपनी दूसरी परेशानी उसे बताई क्यूंकि शगुन से शदीद नफरत में अनुज कुछ भी कर गुजरता.
" समझ सकती हूं मगर इस राज को राज रखने के लिए तुम्हें मुझे चाॅकलेट आइईक्रीम खिलानी होगी, कुज इट हैल्प्... "
मंदिरा के एक्सप्लेन करने से पहले टैडी मान गया, " पक्का, तुम्हें फिश-फूड भी खिला सकता हूं क्यूंकि वैरियस रिसर्च के हिसाब से यह हैल्प करता हैं एंड शगुन भी...."
जैसे ही फिश-फूड का नाम मंदिरा ने सुना उसके सुहावने से चेहरे के हाव-भाव बिगड़ गये, " छी... शगुन की तरह हत्यारी नहीं हूं मैं ईडियट... "
फिर ऐसे दोनों हल्की-फुल्की मजा़क करते हुए शहर आ गये और अपने ऑफिस (हाॅस्पिटल) जाने से पहले टाॅबी के खाते से मंदिरा ने पसंदीदा आइसक्रीम खाई और कुछ पैसे पकडा़ कर जबरदस्ती उसे मूवी देखने और अपनी कजिन की शादी में जाने के लिए शाॅपिंग करने के लिए भेज दिया. वहीं ड्राइव करते हुए टैडी का दिमाग मंदिरा के खयालों से ऑक्यूपाइड था, जिसकी वजह से आगे जाने पर उसकी गाडी़ की किसी वाहन से टकरा गई. हालांकि इसमें किसी को कोई चोट नहीं पहुंची लेकिन मंदिरा की कार महीनों के लिए सर्विस स्टेशन जरूर चली गई.
थैंकफुली, छुट्टी होने से पहले तुहिन की बहन बिट्टी ने अपनी गाडी़ भेज दी थी मगर मंदिरा उस पर दूसरे रीजन्स की वजह से भड़क उठी. अगले दिन ठीक होने के बावजूद वो टैडी को शहर ले गई, पूरा दिन अपने सामने रखा और ऑफिस छूटने के बाद उसे शहर के सबसे अच्छे टेलर के सामने उसे खडा़ कर दिया, " सर, मीलार्ड के लिए कुछ अच्छा सा दिखाएंगें? "
मंदिरा को दुबारा चहचहाते देख तुहिन का उतरा हुआ चेहरा भी खिल उठा, क्यूंकि अब उसे उसकी कंपनी अच्छी लगने लगी थी. हालांकि अच्छे कपड़ों से उसका वार्डराॅब पूरा भरा हुआ था, वाबजूद इसके उसकी मंशा मंदिरा को अफेंड करने की नहीं हुई, " प्राॅमिस करो इसका हिसाब डैड से नहीं लोगी क्यूंकि मेरा जब टाइम आएगा तब मैं तुम्हें यह सब सूद समेत वापस करूंगा ", लौटते हुए उसने मंदिरा से आग्रह किया.
" पर मैं तो आज ही इसका डबल वसूलने वाली थी "
मंदिरा के उकसाने पर टैडी उसके जाल में फंस गया, " मुझे तो तुम पैसों की भूखी नहीं लगती. एनीवे अगर और जरूरत पडे़ तो बता देना, बहन की दोस्त की हैल्प कर मुझे खुशी ही होगी "
टैडी की हिमाकत पर एकबारगी मंदिरा का मन हुआ उसका जबडा़ तोड़ दे मगर फिर वो ना जाने क्या सोच कर शांत हो गई. उधर एक्जोटिक फार्मिंग के लिए तुहिन वैंचुरी इंटीग्रेटिड स्प्रिंकलर सिस्टम लगाना चाहता था लेकिन किसी को उसके प्रोजेक्ट रास नहीं आया. क्यूंकि फसलों में बालियां निकलने लगी थीं और पाइपलाइन डालने के लिए होने वाली खुदाई से राठी परिवार की फसल भी खराब होती.
भाषा के बैरियर की वजह से स्वरूप और श्रवण ने टैडी को समझाने की जिम्मेदारी मंदिरा को सौंपी, लेकिन अपनी एक वैलिड दलील से टैडी ने उसे मना लिया, " तुम एक्शे्पशनल हो, अन्नू (अनुभव) को भी नौकरी मिल जाएगी लेकिन सोच कर देखो मंदिरा क्या इस तरह फार्मिंग करने से श्रवण-कृष्ण भाई अपने बच्चों को तुम्हारी जैसी लाइफ दे पायेंगे?? "
" ठीक है लेकिन तुम्हें इससे क्या मिलेगा?? "
मंदिरा के यह पूछने पर टाॅबी की कांफिडेंट जुबान अचानक से लड़खडा गई, " देखो काॅर्पोरेट में सफलता का एक मंत्र है, काम मालिक का करो लेकिन वफादरी अपने रिपोर्टिंग पर्सन के लिए होनी चाहिये. लिहाजा, डैड बेशक मेरे मालिक हैं पर मेरी वफा उनसे ज्यादा तुम लोगों में रहेगी, एंड सब ठीक रहा तब आमदनी तो मेरी भी तो बढे़गी "
इस आधे सच से टैडी ने मंदिरा को राजी तो कर लिया मगर खर्चा नहीं मिलने पर शगुन ने कोर्ट में उसकी जमानत निरस्त करने की अर्जी डाल दी. इस बार तो मंदिरा के मामा भी जेल से बाहर थे फिर उनकी बेटी की सगाई वाली शाम हुई तगडी़ बारिश में डूबी फसल के नुकसान, और पब्लिकली कृष्ण के थप्पड़ मारने से निराश तुहिन की हालत वापस धोबी के कुत्ते जैसी हो गई.
" अच्छी लगती हो तुम साडी़ में... ", मंदिरा की खूबसूरती से अपना दुख हल्का करते हुए टैडी ने उसके लिए अपनी कुर्सी छोड़ दी.
लेकिन तुहिन के करीब आते ही मंदिरा उससे लिपटती चली गई, " पापा और भाई की नाराजगी तुमसे नहीं हैं टैडी, वो सिर्फ बारिश की वजह से फ्रस्ट्रेटिड हैं, और मुझे पूरा यकीन है हमारी फसल बिल्कुल नहीं गिरेगी "
मंदिरा के इस कदम से सहमे हुए तुहिन की पुतलियां हैरत से फैल गई मगर उसके नाजुक-नरम बदन का अहसास पाकर कुछ देर के लिए लज्जत में खो गया. मंदिरा अभी भी उसको दुलारते हुए हिम्मत बढा़ रही थी, लेकिन पानी में सीढि़यों पर किसी के चढ़ने की आवाज सुन उसने खुद को उस आनंद से महरूम कर दिया, " तुम्हें लगता है मेरी जिंदगी में सिर्फ एक ही परेशानी है... "
इतने में अनुभव अंदर दाखिल होते हुए ने बताया वो स्वरूप और श्रवण-कृष्ण को लेकर घर जा रहा है क्यूंकि नशे की हालत, खराब मौसम और घनघोर अंधेरे के वाबजूद वो तीनों गांव जाने की रट लगाए हुए थे. दूसरा ऑप्शन बहुत हैक्टिक था इसलिए सभी एक साथ वहां से निकल आए. फार्महाउस लौटने पर अपनी फसल बिछी देखकर भाईयों का नशा उतर गया, मगर इस बार तुहिन से उनकी कोई बहस नहीं हुई.
सुबह बैग लगाकर टैडी अपनी बहन के आने का इंतजार कर था मगर उसके आने से पहले श्रवण-कृष्ण की जोडी़ उस पर चढ़ गई, " नफा-नुकसान तो चलता रहता है टैडी.. और क्या पता हमारी यह भरपाई सब्जी की अगली फसल पहले लान (प्लकिंग) में ही कर दे? "
बेचारा तुहिन उन्हें कैसे समझाए असल मसला फसल खराब होने का नहीं मंदिरा के लिए उसके दिल में उमड़ने वाले प्यार का है. खैर, दुखी मन से उसने सबसे विदा ली और जीजा के साथ आ गया. नेक्सट हियरिंग में जज के सामने उसने जेल जाने की दरख्वाश्त कर दी क्यूंकि झूठे आरोपों के खिलाफ खुद को बेकसूर साबित करने से ज्यादा मुनासिब उसे बाहर की बजाय भीतर रहना लगा.
हारे हुए टैडी के इस हथियार ने शगुन के अरमानों को झटके में हलाल कर दिया और रही-सही कसर डाॅमस्टिक वायलेंस मामले में सीसीटीवी फुटेज और पडौसियों की गवाही ने पूरी कर दी. हालांकि जंग अभी खत्म नहीं हुई थी लेकिन उसकी ईमानदारी और जुझारुपन ने लोअर कोर्ट में दोनों बहनों का दबदबा खत्म जरूर कर दिया.
जेल का खौफ दूर होने पर उसके डैड ने जब उसे वापस गांव जाने के लिए बोला तो तुहिन ने अपने दिल की बात उसे सच सच बता दी, " मुझे आपको फिर से शर्मिंदा नहीं कराना डैड. रितु के डिसटेंस ब्रदर-इन-लाॅ संग उसकी शादी की बात चल रही है और क्या पता अगले डेढ़-दो साल में मुझे कोई दूसरी मंदिरा दिख जाए... "
" तू एकदम सही राह पर है मेरे बच्चे. ठीक है.. मैं बात करता हूं स्वरूप से और मंदिरा भ... "
बेटे की परिपक्वता से खुश होकर अनुज ने अपना बडा़ दिल दिखाना चाहा लेकिन तुहिन की मनुहार के आगे वो बेबस हो गया, " आप किसी को कुछ नहीं बताओगे डैड, एंड अनुभव को उस काॅलिज से निकाल कर मुझे यह किस्सा खत्म करने दो प्लीज "
मिड-सैशन में काॅलिज बदलने से अन्नू को हाॅस्टल नहीं रहना था लिहाजा उसकी साथ रहने की जिद, सलामती एंड पढा़ई की खातिर टैडी को मजबूरन झुकना पडा़ जिसकी वजह से मंदिरा का चैप्टर पूरी तरह बंद नहीं हुआ. सिंपिल हाय-हैलो और उसका हालचाल वो अक्सर उससे पूछती रहती लेकिन एक शाम उसके भेजे एक लिफाफे ने कुछ वक्त के लिए उसे पत्थर बना दिया क्यूंकि उसके अंदर उसके अविकसित बच्चे की तस्वीर (शगुन की सोनोग्राफी रिपोर्ट) थी.
वो रेडियोलाॅजिस्ट कोर्ट में गवाही देने के लिए तैयार था मगर अपने डैड के आक्रामक व्यवहार की खातिर तुहिन ने उसको मना कर दिया क्यूंकि पहले बेटा और अब अपने ग्रांडचाइल्ड से जुदा करने के लिए अनुज उसे जिंदा दफन कर देता. खैर, मंदिरा से पहले किरशन की शादी फिक्स हो गई थी लिहाजा उसे एडवांस में इनवाइट कर वो अपनी खरीददारी चंडीगढ़ से कराने के लिए उससे इंसिस्ट करने लगी, " तुम्हारी फसल के 1.6 लाख रुपये मेरे वाॅलेट में उछल रहे हैं, अगर सूट का हिसाब नहीं किया तो मैं यह सारा पैसा उडा़ दूंगी "
वो उससे जितना दूर जाने की कोशिश करता मंदिरा की यादें उसकी कोशिशों पर पानी फेर देती. दिनभर ऑफिस में काम और शाम को बदनतोड़ वर्कआउट करने के वाबजूद नींद ना आने पर उसने व्हिस्की पीना शुरू कर दिया, जिससे उसकी दिनचर्या रोबोट की तरह नीरस हो गई. फिर एक रोज अनुज ने उसे गांव निकलने के लिए बोला क्यूंकि एलीमनी डिस्कस करने के बहाने शगुन कैमरा लेकर फार्महाउस पहुंच गई थी, झूठ पकडे़ जाने से उसका मामला कमजोर पड़ता लिहाजा बिना वक्त गंवाए उसने हिसार के लिए बस पकड़ ली.
अगले दिन रिस्ट्रेनिंग ऑर्डर स्क्रैप होने से पहले वो कोर्टरूम में जंभाई ले रहा था. उसे उंघता और बुरेहाल देख शगुन की तो जैसे मुराद ही पूरी हो गई. खैर उसे नीचा दिखाने के लिए उसने अनुज की माफी और पहले की तरह चंढ़ीगढ़ रहने की रट दुहराई जो टैडी को अब हरगिज मंजूर नहीं था, लिहाजा अपने वकील को सोनोग्राफी रिपोर्ट देकर वो वहां से निकला तो अचानक चक्कर आने से वो पहले सीढ़ियों पर गिरा, और फिर चैकअप ना कराने की जिद को लेकर मंदिरा के थप्पड़ ने उसके चेहरे का हुलिया बिगाड़ दिया.
घर लौटने पर उसकी मासी और भाभी तुहिन की टूटी नाक के बारे में मजाक करने लगे, जिससे मंदिरा बिफर गई " हां, पिट कर आया है अपनी लुगाई से. क्या तुम श्रवण भाई का दिमाग खराब नहीं करती? और मम्मी, गुनगुने पानी से एक बार इसे नहला दे नहीं तो अपने बिस्तर पर इसे फटकने नहीं दूंगी "
तुहिन को प्रोटेस्ट करना था मगर मंदिरा के तमतमाया चेहरा देख उसकी हिम्मत नहीं हुई दुबारा नाक तुड़वाने की. कपडे़ पहनने में मदद करने के दौरान बाला ने बताया अन्नू को कार ड्रिफ्टिंग सिखाने एंड फार्मर ट्रेनिंग में गये स्वरूप और श्रवण-कृष्ण की गैरहाजिरी ने उसे इरीटेट कर रखा है, " उसे लगता है हमारे चार नहीं बस अनुभव ही इकलौती औलाद है, प्लस तुम्हारे लौटने से उसे मदद मिलती मगर तुम पहले ही शहीद हो गये "
वैसे भी तुहिन को मंदिरा से कोई शिकायत नहीं थी इसलिए अनुभव की पहली कमाई और मंदिरा का बर्थडे गिफ्ट बाला को सौंपकर वो टाइमली उसके बिस्तर पर सो गया. नींद के लिए अब उसे व्हिस्की की जरूरत नहीं पडी, और आधी रात से ज्यादा वक्त बीतने के बाद जब उसकी आंखे खुली तो बेड के दूसरी तरफ फोल्डिंग पर मंदिरा को बेसुध सोते हुए पाया.
बहरहाल उसे खेतों का काम संभालना था, इसलिए मजदूरों को लेकर वो सब्जियों की प्लकिंग, ग्रेडिंग और पैकिंग कराने लगा.
" पसलियों में दर्द तो नहीं ", टमाटर की क्रेट्स की टेबल बना कर मंदिरा ने दोनों के लिए चूरमा और गरम दूध परोसा और तुहिन के सामने बैठ गई, " एंड मम्मी को तो तुमने मना लिया है मगर याद रखना अनुभव को मामूली खरोंच भी आई तो मैं तुम्हें और अपने आप को माफ नहीं कर पाउंगी "
" अपने वजन से डबल बेंच-प्रेस एंड डैडलिफ्ट करता है अब वो पर तुम्हें उसकी बस एक क्लिप अफेंड कर गई ", टैडी ने उसे आश्वश्त किया वो और उसके दोस्त बहुत जिम्मेदारी से उसके भाई का खयाल रखते हैं, " तुम्हें तो खुश होना चाहिये इतना जल्दी वो उस ट्राॅमा से बाहर निकला और स्पीडिंग का यह शौक तुमने उसे दिया है रेसिंग-व्हील (गेमिंग) गिफ्ट कर "
" प्लेस्टेशन पर जान का जोखिम नहीं होता गधे.... ",
मंदिरा ने क्लियर कर दिया अनुभव के मामले में उसे उसकी दलील मंजूर नहीं. खैर, तुहिन के अंदर ताकत नहीं थी उससे उलझने की इसलिए आगे से वैसी गलती ना करने की कसम खा कर उसने बात वहीं खत्म कर दी. रात में ट्यूबवैल खराब होने से टंकी में पानी नहीं रहा और फसलों को गलन (पाला) से बचाने के लिए मोटर ठीक कराने में उसे रात हो गई. अभी उसे नहाना था लेकिन बिजली चले जाने पर उसके पास ठंडे पानी के अलावा दूसरा ऑप्शन सिर्फ गैस थी, लेकिन मंदिरा को वहां काम करते देख उसकी हिम्मत नहीं हुई उससे पूछने की.
" तेरी प्राॅब्लम क्या है टैडी? नीचे ही नहा लेता, और जरूरत क्या थी इतनी ठंढ में कपडे़ धुलने की? ", तुहिन के बाथरूम से निकलने पर मंदिरा रुआंसी हो गई क्यूंकि रात के दस बज चुके थे और सुबह जल्दी उठकर उसे ऑफिस भी जाना था.
वहीं टेबल पर खाना, दूध, पानी की बाॅटल और बिस्तर पर एक्स्ट्रा कंबल देखकर तुहिन का दिमाग चकरा गया, " तुम क्यूं भटक रही ह... "
मगर उसकी बात पूरी होने से पहले वो उसके धुले हुए कपडे़ उठाकर तेजी से बाहर निकली और फिर सीढ़ियां उतरते हुए नीचे चली गई. दुविधा में तुहिन ने कपडे़ पहने और मैसेज में उससे माफी मांग कर उसकी बाट जोहने लगा. भूख से अब उसका भी बुरा हाल था लेकिन मैडम के वापस ना लौटने पर उसे अपनी गलती का अहसास हो गया. इसके वाकये के दो तीन दिन बाद वीकेंड पर वो फसलों में पेस्टीसाइड्स का स्प्रे करा रहा था तभी उसे मंदिरा आते हुए दिखी.
" फोन कहां है तेरा? ", अगली दोपहर खेतों पर नाश्ता लेकर पहुंची मंदिरा को ट्रैक्टर के शोर में टैडी से बात करने के लिए इशारों की जरूरत पड़ रही थी, " स्प्रे-मशीन का मैं देखती हूं जब तक तू खाना खा ले "
" थैंक्स... तुमने खाया?? ", हाथ धुलने के बाद तुहिन ने उस रात के लिए उससे माफी मांगी और ऑमलेट का एक टुकडा़ उसकी तरफ बढा़ दिया.
" इट्स ओके... प्रोसेसर स्लो है तुम्हारा ", उसके हाथ में लगे टुकडे को छीनते हुए मंदिरा ने हां में गर्दन हिला कर टैडी को जवाब दिया, " तेरी उम्र बीत जाएगी लेकिन Between the lines पढ़ना तुझे कभी नहीं आएगा "
तुहिन के लिए यह उलहाना नया नहीं था, लेकिन मंदिरा के आखिरी वक्तव्य को उसने सीरियसली ले लिया, " सच बोल रही हो तुम.. इतनी समझ होती तो मैं इन सर्कमस्टांसिज से दूर अपने पेरेंट्स के नजदीक नहीं होता "
" किसी और दिन लड़ते हैं तुहिन, और बेफिक्र रहो शगुन की तरह मैं तुम्हें कोर्ट नहीं ले जाउंगी ", टैडी को खिसियाते देख मंदिरा ने बातों का रुख बदला, " अर्बन इस्टेट में तुम्हारा एक गोदाम है, अंकल से रिक्वेश्ट कर उसकी एक शाॅप हमें दिला दे ", फिर उसने बताया आमदनी का एक और साधन बनाने के लिए वो #@&#₹ डेयरी की डीलरशिप लेने का सोच रही है.
" मर्चेंट नेवी छोड़कर वो बिजनिस करेगा?? ", अपने डैड का नंबर डायल करते हुए टैडी ने उससे पूछ लिया क्यूंकि उसको लगा कि वो यह अपने मंगेतर के लिए कर रही है.
जवाब देने के बजाय मंदिरा ने उसके हाथ से मोबाइल छीना और खुद अनुज से बात करते हुए वापस घर की तरफ चली गई. अगले दिन स्वरूप और श्रवण-कृष्ण के लौटने पर टैडी भी चंडीगढ़ आ गया. बाला ने घी और पूजा का कुछ सामान रखा था जिसे अनुभव को पकडा़कर वो प्लांट में काम देखने लगा. रात को अनुभव ने बताया एक चिट्ठी के साथ वो ब्रास-लैम्प मंदिरा ने उसके लिए भेजा है और डेयरी की डीलरशिप के पेपरवर्क के लिए उसे गांव जाना पडे़गा.
आईडिया बुरा नहीं था मगर जब अन्नू ने बताया मंदिरा ने वो रकम अपनी शादी के लिए जमा की थी तो तुहिन की नजरों में उसकी इज्जत और बढ़ गई, " ऑनेस्टली, मैं शुक्रगुजार हूं डैड का उन्होंने मुझे तुम लोगों से मिलाया और भरोसा करना इस कार्ड और लैम्प के आगे मेरा गिफ्ट कुछ नहीं है ", काॅल कनैक्ट होने पर तुहिन ने मंदिरा को बताया कि उनसे मिलने के बाद वो पहले की तरह बुझा-बुझा नहीं रहता.
" ऑनेस्टली.. तुमसे ज्यादा ऑनेस्ट मुझे आज तक कोई नहीं मिला और मुझे खुशी है तुम्हारे प्रोसेसर ने उस कार्ड का सही मतलब समझ लिया ", मंदिरा ने बताया वो परिवार की तरह हैं और परिवार में किसी एक को दुख पहुंचे तो दूसरे सदस्यों को भी उसका दर्द महसूस होना चाहिये, " किसी ने यह मुझे सिखाया है इसलिए इनॉगुरेशन पर चुपचाप आ जाना, नहीं तो इस बार मैं तुम्हारा सर फोड़ दूंगी "
टैडी को बताना था फार्म छोड़ना उसके लिए कितना पेनफुल रहता है मगर ऐसा करने से उसे कुछ हाशिल होने वाला नहीं था, " बता चुका हूं मंदिरा खेती से मुझे 45 लाख नहीं मिलेंगे और एलीमनी लिए बिना वो डिवोर्स नहीं देगी. बाकी शाॅपिंग के लिए तुम यहां आ ही रही हो, तो भाई की शादी में मैं वहां आ जाउंगा "
" तुझे झूठ बोलना नहीं आता टैडी इसलिए बकवास करने से परहेज किया कर वो भी मेरे सामने. 45 में 10 बढा़ कर 55 लाख मैं अभी बिट्टी से दिलाती हूं, तू बस उससे माफी वाली कंडीशन्श वापस करा ले ", बुरी तरह चिढ़कर मंदिरा ने उसे झिड़का और सोने का बहाना कर काॅल डिसकनैक्कट कर दी.
लिहाजा इनाॅगरेशन के दिन उसे हिसार जाना पडा़, पर एक गुड न्यूज वहां उसका भी इंतजार कर रही थी. नया एवीडेंस और डिवोर्स पिटीशन का नोटिस मिलने पर बौखलाई शगुन पुराने केसिज वापस लेकर, बिना किसी मांग जल्द से जल्द म्यूचुअल डिवोर्स पिटीशन फाइल करना चाहती थी. क्यूंकि, उसे डर था अबार्शन का सच बाहर आने से उसके फरेब और ब्वायफ्रैंड की नजरों में उसकी इज्जत की असल नुमाइश हो जाती. बहरहाल टैडी को तलाक से ज्यादा कुछ चाहिये नहीं था इसलिए हवन-पूजा के बाद वो जाॅइंट पिटीशन की अर्जी लगाने कोर्ट जा पहुंचा.
वहां उसे पता लगा सोनोग्राफी रिपोर्ट और रेडियोलाॅजिस्ट के गवाही देने के खौफ से अबार्शन करने वाले शगुन के फैमिली डाॅक्टर की जान पर बन आई थी और उसे धमकाने में मंदिरा ने अपने मामा का इस्तेमाल किया. फाईनली सालों बाद टैडी अपने घर जाने और पेरेंट्स के साथ रहने को आजाद था पर इस इनायत के लिए अब उसे सबसे पहले राठी फैमिली और रितु के डैड का आभार व्यक्त करना था. थैंक्स बोलना काफी नहीं था इसलिए तुहिन ने गले मिलकर सबसे इजाजत मांगी और भारी मन से अपनी बहन के साथ घर आने लगा.
" पर्सनल ग्रूमिंग आयटम्स तुझे गिफ्ट में मिलते होंगे, पर टैडी 29 हजार के शेड्स और 1700 डालर्स के रेसिंग व्हील जैसे गिफ्ट्स तू मेरे लिए तो कभी नहीं लाया? ", बिट्टी उसे कुरेदने लगी क्यूंकि उसे पूरा भरोसा था अंतृमुखी टैडी के अंदर कुछ तो चल रहा है.
शगुन के चुंगल से बाहर निकलने पर मंदिरा का रिलेशनशिप में होना अब ज्यादा खटकने लगा था क्यूंकि उसके लिए अब वो असली एम-4 भी खरीद सकता था, " अन्नू को भी गेमिंग का शौक है, और तुझे अपनी बेस्टी पर भरोसा नहीं या अपने भाई पर?? "
" टैडी! डैड ने तुझे बेदखल किया है इसलिए सोचना भी मत वो मुझसे कुछ छुपाएंगे और भरोसा-वरोसा छोड़, मुझे फख्र है मेरा भाई अब पहले जितना सेल्फिश और इंट्रोवर्ट भी नहीं रहा ", बिट्टी ने जाहिर कर दिया अनुज घर में सबके साथ यह शेयर कर चुका है, और मंदिरा से उसे या उसकी मॉं को कोई शिकायत नहीं, " एक बार उससे बात कर के तो दे... "
बिट्टी को बीच में रोक कर टैडी ने उसे बताया मंदिरा के आधे से ज्यादा परिवारवाले उसे बेवकूफ समझते हैं, और 'दूजिया' का स्टेटस तो उसके पास पहले से है ही जिसे वो चाहकर भी नहीं बदल पाएगा, " आई नो, वो किसी के साथ रिलेशनशिप में है और उसे यह रिश्ता पसंद नहीं, पर खुद को आगे कर मैं अपनी दोस्ती को तबाह नहीं करना चाहता "
" व्हाट इफ उसने यह सुन लिया हो.... "
अपना फोन निकाल कर बिट्टी उसे चिढ़ाने लगी मगर उसकी स्क्रीन पर टैडी को कुछ नहीं दिखा. बहरहाल, बिट्टी खुश थी तुहिन के तलाक के बाद वो अपने हसबैंड के साथ इस्तांबुल जा सकती थी जहां वो पहले नौकरी करते एंड उनके पेरेंट्स को घर का चिराग वापस मिल गया. मंदिरा के करीब रहकर उससे फासले रखना तुहिन के लिए बेहद मुश्किल था, प्लस अनुभव को उसकी फैमिली ने सिर्फ उसके भरोसे वहां छोडा़ था लिहाजा दो दिन बाद वो प्लांटहैड (वीनू रेड्डी) संग प्रोडक्शन सिड्यूल डिस्कस कर रहा था, और शाम को जब वो अपने अपार्टमेंट पहुंचा तब दरवाजा खोलने पर किस्मत ने मंदिरा के माथे से उसके अधरों को लगभग मिला दिया.
दोनों में से किसी को भी इस तरह मिलने की उम्मीद नहीं थी क्यूंकि मंदिरा की नजरों में तुहिन अपनी जाॅब छोड़ चुका था, एंड टेबल पर रखी मंदिरा के नाम से एक काॅर्पारेट हाउस की आईडी देखकर उसे अपनी आंखों पर नहीं हुआ कि अनुभव के लिए वो हिसार छोड़ देगी. खैर, किस्मत ने मिलाया था तो टैडी ने तय कर लिया इस बार वो उससे भागेगा नहीं, वैसे भी उसे बुली करने के लिए यहां कृष्ण नहीं था.
अनुभव के पानी लाने पर वो थोडा़ कंफर्टबल हुआ तब उसने नई जाॅब के लिए मंदिरा को शुभकामनाएं दी एंड मीनव्हाइल मंदिरा भी अपने खयालों से बाहर निकल आई, " उम्र बडी़ है तेरी, अभी हम तेरी ही बात कर रहे थे. वैसे रेजिग्नेशन अप्रूव नहीं हुआ या फिर अंकल ने भगा दिया? "
हालांकि ऐसा कुछ नहीं था पर तुहिन ने मैनेजमेंट के दवाब का बहाना बना कर मंदिरा के दिमागी घोडों को कुछ देर के लिए शांत कर दिया, " एंड तुम्हारे हाथ का बना चूरमा खाना था इसलिए वहां मन नहीं लगा "
" ओह... फ्लर्ट करना बंद कर क्यूंकि अभी तलाक नहीं हुआ है तेरा ", मंदिरा को उसका मजाक पसंद नहीं आया इसलिए आंखे निकाल कर उसने टैडी को उसकी हैशियत याद दिला दी.
तुहिन के अंदर वैसे हिम्मत तो नहीं थी उससे फ्लर्ट करने की लेकिन अब वो उससे भागने की फिराक में तो बिल्कुल नहीं था, " मेरी किस्मत इतनी अच्छी नहीं पर ये इल्जाम लगाकर तुम मुझपर ज्यादाती जरूर कर रही हो ", और फिर अपनी बात सही साबित करने के लिए उसने अन्नू को उसके सामने कर दिया, " बता भी दे भाई काजू-बर्फी के लिए कौन अपना चूरमा ट्रेड करता है? "
इसकी तस्दीक कर अनुभव वर्क आउट के लिए निकल गया, पर उससे जाने से पहले मंदिरा ने उसे मक्की का आटा लाने के लिए कहा. मंदिरा टैडी को बताने लगी आज उनके बाहर जाने का प्लान था क्यूंकि महीना खत्म होने पर आज उसकी दो दिन की सैलरी आई थी, " चल जल्दी से अब चेंज कर ले. एंड किस्मत से याद आया होली वाले दिन शगुन अपने बाॅय-फ्रेंड संग सगाई कर रही है "
" अब मुझे पूरा यकीन है अपने Inamorato को तुम बेहद पसंद करती हो क्यूंकि अपने मामा की मदद से तुम उसे भी मजबूर कर सकती थीं ", तुहिन को शगुन के नाम से नफरत थी लिहाजा बाथरूम में घुसने से पहले उसने मंदिरा की गन का रुख मंदिरा की तरफ कर दिया, " तुम्हारे जैसी लड़की के लिए कोई जेल तो क्या खुशी-खुशी फांसी भी चढ़ जाये मगर उसको अच्छा प्रूव करने के लिए मैं हरगिज उसके मंगेतर से नहींं मिलूंगा "
लेकिन इमोशन्स में बहकर तुहिन एक गलती कर गया जिसे मंदिरा ने उसी वक्त लपक लिया, " तो ठीक है मेरी खातिर ही मिल ले उससे? बेशक तारीफ मत करना उसकी लेकिन क्या पता खुश होकर वो डिवोर्स का कूलिंग-ऑफ पीरियड़ कम करा दे?? "
मंदिरा के जाल में वो बुरी तरह फंस चुका था. हालांकि उसने मना नहीं किया मगर शदीद नापसंदगी के बावजूद शगुन का चेहरा देखना उसके लिए जीते जी नरक भुगतने से कम नहीं था. डिनर में मंदिरा के साथ उसके हाथ का खाने से वो अंदर तक तृप्त हो गया और फिर फोन पर श्रवण-स्वरूप का हाल-चाल जानने के बाद लिविंग रूम में थकान से बंद हुई उसकी आंखें अगले दिन बेडरूम में खुली.
ऑफिस जाने से पहले टैडी को लगा मंदिरा के आने से उन्हें रात की तरह उन्हें इंडियन फूड खाने को मिलेगा मगर नाश्ते में पहले की तरह मिल्क-शेक और नट्स मिलने पर वो बिना कंप्लेन किये दफ्तर चला गया. शाम को लौटने पर उसे दोनों भाई-बहनों के चहरे उतरे हुए दिखे और वजह पूछने पर उसे कोई जवाब नहीं मिला. शनिवार की शाम उनके हांसी जाने पर जब उसकी बात अनुज से हुई तब पता लगा कृष्ण डेयरी एजेंसी और हिसार में घर के बदले अपने हिस्से का खेत बेच मंगेतर संग रहना चाहता है, और उसको इस राह पर ले जाने वाला वही परिवार था जहां मंदिरा का रिश्ता तय हुआ.
फाइनली सालों की बचत और रिलेटिव्स से लिया कर्ज कृष्ण की ख्वाहिशों पर लगा कर मंदिरा को वापस चंडीगढ़ लौटना पडा़ क्यूंकि कर्ज चुकाने के लिए यह जाॅब करना अब उसकी मजबूरी बन गई थी, " नींद नहीं आ रही तुहिन... थोडी़ देर के लिए मुझे तेरी कंपनी मिलेगी?? "
जागने के बाद मंदिरा के हाथों में व्हिस्की की बॉटल और दो ग्लास देखकर टैडी कुछ देर के लिए सुन्न पड़ा गया, " फाइन, लेकिन उससे पहले तुम्हें यह प्राॅमिश करना होगा कृष्ण भाई की शादी की जिम्मेदारी तुम लोग उठाओगे... "
इतना सुनने के बाद मंदिरा का चेहरा गुस्से से तमतमाने लगा लेकिन जब तुहिन ने बोला बकौल मंदिरा वो उसकी फैमिली का हिस्सा है एंड इस मौके पर कृष्ण को अकेले नहीं छोड़ना चाहिये तब अचानक से वो नर्म पड़ गई, " बता, हमें ऐसा क्यूं करना चाहिये? ", फीकी सी मुस्कान चेहरे पर लाकर मंदिरा दोनों ग्लासिज़ में व्हिस्की डालने लगी.
" शादी के बाद सिर्फ एक 'संस्कार' बचता है इसलिए मैं नहीं चाहता इन-फ्यूचर अंतिम संस्कार के वक्त तुम लोगों के बीच कोई गिला-शिकवा हो ", और फिर तुहिन ने अपनी उंगली से उतारकर एक रिंग टैडी ने मंदिरा के हाथों में रख दी जिसके दोनों किनारों पर उसकी डैथ-विश (Only a Tokas is entitled to cremate me) इंग्रेव्ड थी, " गलती सबसे होती हैं मंदिरा लेकिन खून के रिश्तों के लिए हमें कभी इतना हार्श नहीं होना चाहिये "
थैंकफुली मंदिरा को महसूस हुआ वो लोग कितनी बडी़ गलती करने जा रहे थे, फिर स्वरूप-श्रवण से बात कर उन्होंने तय किया कृष्ण की यह जिम्मेदारी वो लोग खुशी-खुशी उठाएंगे. स्ट्रैस कम होने व्हिस्की की जरूरत खत्म हो गई थी और बातें करते करते उसे टैडी के बिस्तर पर नींद आ गई. बहन को सोते देख अनुभव को भी सुकून मिला और काॅफी सिप करते हुए वो अपनी फ्रैंड के ऑफर के बारे में बताने लगा, " जिम के बाद मुझे नाज़ के डैड की वाइन-शाॅप पर छोड़ दिया करोगे? दीदी के लिए मुझे एक स्कूटी खरीदनी है “
" और तुझे लगता है उसने तुझे इधर स्कूटी खरीदने के लिए भेजा है? हां? गधे वो हमारी तरह कमजोर नहीं है इसलिए वाइनशाॅप एंड ट्रेनिंग देना छोड़ और वही कर जो उसे पसंद है ", अनुभव को हड़काते हुए टैडी ने उसे कृष्ण वाला एपिसोड स्किप करने का बोल उसे याद दिलाया जब उससे गलती हुई थी तब कृष्ण उसके लिए ब्लड-बैंकों में ब्लड तलाश रहा था.
" तुम उसे बचा रहे हो जो सगी बहन के साथ तुम्हें भी ब... ", फ्लो-फ्लो में जवाब देते हुए अचानक से अन्नू खामोश हो गया.
वहीं तुहिन को पता था कृष्ण की नजरों में उसकी इज्जत पालतू जानवरों जैसी है, मगर मंदिरा के साथ खुद का जिक्र होने पर वो थोडा़ सहम गया.
" करैक्ट मी अन्नू, उसे लगता है मंदिरा और मेरे बीच कुछ है और इसी वजह से मर्चेंट नेवी वाला लड़का कृष्ण को सपोर्ट कर रहा है?? "
पहली बार था जब तुहिन ने कृष्ण को बस उसे नाम से एड्रेस किया, फिर अनुभव की चुप्पी और सपाट चेहरे में उसे जवाब मिल गया. बात इतनी गंदे स्तर तक पहुंच चुकी है इसका उसका उसे अंदाजा नहीं था इसलिए दोनों परिवारों की दोस्ती की खातिर बिना लाग लपेट उसने कंफैस कर लिया वो मंदिरा को इकतरफा पसंद करता है, " यही वजह थी फार्म छोड़ने की… खैर छोड़.. परवर्ट नहीं हूं मैं तो प्लीज मंदिरा को मत बताना… “
टैडी की बात खत्म होने से पहले बिना कुछ रिएक्ट किये अन्नू अपने रूम में चला गया. नींद अब तुहिन की गायब थी इसलिए आंखें बंद होने तक वो अपने अंदर डेढ़ बॉटल से ज्यादा व्हिस्की उतार चुका था. फोन के वाइब्रेट होने पर जब उसकी नींद खुली तब हैडफोन चढा़ए मंदिरा गेम खेल रही थी, और सुबह दफ्तर और अब जिम में ना आने के लिए वीनू रेड्डी उसे तमिल, तेलगु, अंग्रेजी और हिंदी में भर-भरकर गालियां सुना रहा था.
बराबर में हलचल महसूस करने पर मंदिरा ने गेमिंग बंद की और बेड के साइड़ टेबल से ऑरेंज जूस का ग्लास उठाकर टैडी के हाथों में थमा दिया, “ लुगाई मैं तेरी बन गई, बिस्तर तक मैं आ गई. सिर्फ कपड़े निकालने रह गये हैं टैडी, अब ये काम भी क्या मुझे करना पडे़गा? “, मंदिरा को आज उससे लड़ना था लेकिन उसकी खस्ता हालत देख कर उसे तरस आ गया.
नींद और नशे के आगोश में तुहिन को लगा वो कोई ख्वाब तो नहीं देख रहा, लेकिन अपनी रिंग को जब उसने उसकी इंडेक्स फिंगर में पाया तब जाकर उसे अपनी किस्मत पर यकीं हुआ, “ अनुभव ने बताया या बदनामी से बचने के लिए कर रही हो?
“ वैल, कर तो मैं तो बहुत पहले चुकी थी टैडी मगर यह तुम थे जिसने शगुन के लिए अपनी फैमिली की पसंद को ठुकराया “