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dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing.]
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चंदगी राम पहलवान
दोस्तों ये कहानी वास्तविक है. पर काल्पनिक और नाटकीय रूप से दर्शा रही हु.


पानी से भरे दो घड़े सर पर और एक बगल मे लिए बिना तेज़ी से चलने की कोसिस कर रही थी. और पीछे पीछे उसका 17 साल का देवर चंदगी आलस करते हुए तेज़ी से चलने की कोसिस कर रहा था. मगर वो इतनी तेज़ चलना नहीं चाहता था. रोनी सूरत बनाए अपनी भाभी से शिकायत करने लगा.


चंदगी : भाबी इतना तेज़ किकन(कैसे) चलूँगा.


बिना : बावडे थारे भाई ने खेताम(खेत मे) जाणो(जाना) है. जल्दी कर ले.


बिना का सामना रास्ते मे तहजीब दार मनचलो से हो गया.


बग्गा राम चौधरी : रे यों किस की भउ(बहु) हे रे.


सेवा राम : अरे यों. यों तो अपने चंदगी पहलवान की भाबी(भाभी) है.


अपने देवर की बेजती सुनकर बिना का मनो खून जल गया. वो रुक गई. साड़ी और घूँघट किए हुए. ब्लाउज की जगह फुल बाई का शर्ट पहना हुआ. वो उन मंचलो की बात सुनकर रुक गई. और तुरंत ही पलटी.


बिना : के कहे है चौधरी.


सेवा राम : (तेवर) मेन के कहा. तू चंदगी पहलवान की भाबी ना से???


बिना : इतना घमंड अच्छा कोन्या चौधरी.


बग्गा राम : रे जाने दे रे. चंदगी पहलवान की भाबी बुरा मान गी.


बिना को बार बार पहलवान शब्द सुनकर बहोत गुस्सा आ रहा था.


बिना : ईब ते चौधरी. मारा चंदगी पहलवान जरूर बनेगा.


बिना की बात सुनकर बग्गा और सेवा दोनों हसने लगे.


सेवा राम : के कहे हे. चंदगी ने पहलवान बणाओगी(बनाएगी). जे चंदगी पहलवान बण गया. ते मै मारी पगड़ी थारे कदमा मे धर दूंगा.


बिना : चाल चंदगी.


बिना चंदगी को लेकर अपने घर आ गई. चंदगी राम का जन्म 9 नवम्बर 1937 हरियाणा हिसार मे हुआ था. वो बहोत छोटे थे. तब ही उनके पिता माडूराम और माता सवानी देवी का इंतकाल हो गया था. माता पिता ना होने के कारन सारी जिम्मेदारी बड़ा भाई केतराम पर आ गई. भाई केतराम और भाभी बिना ने चंदगी राम जी को माता और पिता का प्यार दिया. उनका पालन पोषण किया.
अपनी दो संतान होने के बावजूद बिना ने चंदगी राम जी को ही पहेली संतान माना.

केतराम और बिना के दो संतान थे. उस वक्त बेटा सतेंदर सिर्फ 2 साल का था. और बेटी पिंकी 5 साल की थी. बिना ने चंदगी राम जी को जब पागलवान बनाने का बीड़ा उठाया. उस वक्त चंदगी राम 17 साल के थे. मतलब की पहलवानी की शारुरत करने के लिए ज्यादा वक्त बीत चूका था. पहलवानी शुरू करने की सही उम्र 10 से 12 साल की ही सही मानी जाती है. पर बिना ने तो चंदगी राम को पहलवान बनाने की ठान ही ली थी. जब की चंदगी राम पढ़ाई मे तो अच्छे थे.

मगर शरीर से बहोत ही दुबले पतले. इतने ज्यादा दुबले पतले की 20 से 30 किलो का वजन उठाने मे भी असमर्थ थे. अक्सर लोग चन्दगीराम जी का मज़ाक उड़ाते रहते. कोई पहलवान कहता तो कोई कुछ और. मगर चन्दगीराम उनकी बातो पर ध्यान नहीं देते. वो पढ़ाई भी ठीक ठाक ही कर लेते. उस दिन बिना घर आई और घड़े रख कर बैठ गई. गुस्से मे वो बहोत कुछ बड़ बड़ा रही थी.


बिना : (गुस्सा) बेरा ना(पता नहीं) के समझ राख्या(रखा) है.


केतराम समझ गया की पत्नी देवी की किसी से कढ़ाई हो गई.


केतराम : री भगवान के हो गया. आज रोटी ना बणाओगी के.


बिना एकदम से भिन्ना कर बोली.


बिना : (गुस्सा) एक दिन रोटी न्या खाई ते थारी भैंस दूध ना देगी के. आज कोन्या रोटी मिलती.
(एक दिन रोटी नहीं खाई तो तुम्हारी भैंस दूध नहीं देगी क्या. आज कोई रोटी नहीं मिलेगी.)


केतराम बिना कुछ बोले अपना गमछा लिया और बहार चल दिया. वो जानता था की उसकी पत्नी खेतो मे खुद रोटी देने आ ही जाएगी. वो खेतो की तरफ रवाना हो गया. केतराम के जाने के बाद बिना ने चंदगी राम की तरफ देखा. जो अपनी भतीजी को पढ़ा रहा था. पर वक्त जाते उसका दिमाग़ ठंडा हुआ. वो सोच मे पड़ गई की मेने दावा तो ठोक दिया. मगर चंदगी राम पहलवान बनेगा कैसे. वो एक बाजरे की बोरी तो उठा नहीं पता. पहलवानी कैसे होंगी. बिना का दिल टूट गया.

पर बाद मे खयाल आया की इन सब मे पति को तो बिना रोटी दिए ही खेतो मे भेज दिया. बिना ने रोटी सब्जी बनाई और खाना लेकर पहोच गई खेतो मे. दोनों ही एक पेड़ की छाव मे बैठ गए. और केतराम रोटी खाते ये महसूस करता है की अब उसकी बीवी का मूड कुछ शांत है. पर कही खोई हुई है.


केतराम : री के सोचे है भगवान? (क्या सोच रही हो भगवान?)


बिना : (सोच कर) अममम.. मै न्यू सोचु हु. क्यों ना अपने चंदगी ने पहलवान बणावे(बनाए).


केतराम : बावणी होंगी से के. (पागल हो गई है क्या.) अपणे चंदगी के बस की कोनी. (अपने चंदगी के बस की नहीं है.)


बिना कुछ बोली नहीं. बस अपने पति को रोटी खिलाकर घर आ गई. पर अपने देवर को पहलवान बनाने का उसके दिमाग़ पर जो भुत चढ़ा था. वो उतरने का नाम ही नहीं ले रहा था. जब वो घर आई तब उसने देखा की उसका देवर चंदगी एक कटोरी दूध मे रोटी डुबो डुबो कर रोटी खा रहा है. चंदगी राम हमेसा डेढ़ रोटी कभी दूध या दही से खा लेता. बस उसकी इतनी ही डाइट थी.


बिना : घ्यो ल्याऊ के? (घी लाऊ क्या?)


चंदगी ने सिर्फ ना मे सर हिलाया.


बिना : न्यू सुखी रोटी खाओगा. ते पागलवान कित बणोगा. (ऐसे सुखी रोटी खाएगा तो पहलवान कैसे बनेगा)


चंदगी ने अपना मुँह सिकोड़ा.


चंदगी : अमम.. मेरे बस की कोन्या. मे करू कोनी (मेरे बस की नहीं है. मै नहीं करूँगा.)


बिना चंदगी पर गुस्सा हो गई.


बिना : बावणा हो गयो से के. मारी नाक कटाओगा. तू भूल लिया. मेने बग्गा ते के कही.
(पागल हो गया है. मेरी नाक कटवाएगा. तू भूल गया मेने बग्गा से क्या कहा)


चंदगी राम कुछ नहीं बोला. मतलब साफ था. वो पहलवानी नहीं करना चाहता था. बिना वही तखत पर बैठ गई. उसकी आँखों मे अंशू आ गए. बिना ससुराल मे पहेली बार अपने सास ससुर के मरने पर रोइ थी. उसके बाद जब चंदगी ने अपना फेशला सुना दिया की वो पहलवानी नहीं करेगा. कुछ देर तो चंदगी इधर उधर देखता रहा. पर एक बार जब नजर उठी और अपनी भाभी की आँखों मे अंशू देखे तो वो भी भावुक हो गया.

वो खड़ा हुआ और तुरंत अपनी भाभी के पास पहोच गया. चंदगी बहोत छोटा था जब उनके माँ बाप का इंतकाल हो गया. उसके लिए तो भाई भाभी ही माँ बाप थे. माँ जैसी भाभी की आँखों मे चंदगी अंशू नहीं देख पाया.


चंदगी : भाबी तू रोण कित लग गी. (तू रोने क्यों लगी है.) अच्छा तू बोलेगी मै वाई करूँगा.


चंदगी ने बड़े प्यार से अपनी भाभी का चहेरा थमा. और उनकी आँखों मे देखने लगा. अपने हाथो से भाभी के अंशू पोछे. बिना ने तुरंत ही चंदगी का हाथ अपने सर पर रख दिया.


बिना : फेर खा कसम. मै जो बोलूंगी तू वाई करोगा.


चंदगी : हा भाभी तेरी कसम. तू बोलेगी मै वाई करूँगा.


बिना की ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा. चंदगी को कोनसा पहलवान बन ना था. वो तो बस वही कर रहा था. जो उसकी भाभी चाहती थी. बिना उस पल तो मुस्कुरा उठी. पर समस्या तो ये थी की अपने देवर को पहलवान बनाए कैसे. उसी दिन घर का काम करते सबसे पहला आईडिया आया. जब वो पोचा लगा रही थी. उसे महेसूद हुआ की जब वो पोचा लगाती उसकी कलाई और हाथो के पंजे थोडा दर्द करते. बिना ने तुरंत चादगी को आवाज दि.


बिना : रे चंदगी.... इत आइये. (इधर आना)


चंदगी तुरंत अपनी भाभी के पास पहोच गया. बिना ने लोहे की बाल्टी से गिला पोचा चंदगी को पकड़ाया.


बिना : निचोड़ या ने.


चंदगी मे ताकत कम थी. पर पोचा तो वो निचोड़ ही सकता था. उसने ठीक से नहीं पर निचोड़ दिया. और अपनी भाभी के हाथो मे वो पोचा दे दिया. भाभी ने फिर उसे भिगोया.


बिना : ले निचोड़.


चंदगी को कुछ समझ नहीं आया. वो हैरानी से अपनी भाभी के चहेरे को देखने लगा.


बिना : ले... के देखे है. (क्या देख रहा है.)


चादगी कुछ बोला नहीं. बस बिना के हाथो से वो पोचा लिया. और निचोड़ दिया. बिना ने फिर उसी पोचे को पानी मे डुबोया. जिस से चंदगी परेशान हो गया.


चंदगी : भाबी तू के करें है.


बिना : ससससस... तन मेरी कसम है. मै बोलूंगी तू वाई करोगा. इसने भिगो और निचोड़.


चंदगी वही करता रहा. जो उसकी भाभी चाहती थी. बिना उसे छोड़ कर अपने घर से बहार निकल गई. उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था. उसे पता था की इस से क्या होगा. तक़रीबन एक घंटा बिना ने चंदगी से पोचा निचोड़वाया. शाम होने से पहले जब केतराम नहीं आया. बिना ने कई सारी सूत की बोरी ढूंढी. और सब को एक पानी की बाल्टी मे भिगो दिया. पहले दिन के लिए उसने कुछ पांच ही बोरिया भिगोई. बिना ने केतराम को कुछ नहीं बताया. बस सुबह 4 बजे उसने घोड़े बेच कर सोए चंदगी को उठा दिया.


बिना : चंदगी... चंदगी...


चंदगी : (नींद मे, सॉक) हा हा हा के होया???


बिना : चाल खड्या(खड़ा) होजा.


चंदगी को नींद से पहेली बार ही किसी ने जगाया. वरना तो वो पूरी नींद लेकर खुद ही सुबह उठ जाया करता. लेकिन एक ही बार बोलने पर चंदगी खड़ा हो गया. और आंखे मलते बहार आ गया.


चंदगी : के होया भाबी? इतनी रात ने जाग दे दीं.(क्या हुआ भाभी? इतनी रात को जगा दिया)


बिना : रात ना री. ईब ते भोर हो ली. तन पहलवान बणना से के ना. जा भजण जा. अपणे खेता तक भज के जाइये.
(रात नहीं रही. सुबह हो चुकी है. तुझे पहलवान बन ना है या नहीं. रनिंग करने जा. अपने खेतो तक रनिंग कर के आ.)


चंदगी का मन नहीं था. पर उसे ये याद था की उसने अपनी भाभी की कसम खाई है. वो रनिंग करने चले गया. पहले तो अँधेरे से उसे डर लगने लगा. पर बाद मे उसने देखा की गांव मे कई लोग सुबह जल्दी उठ चुके है. वो मरी मरी हालत से थोडा थोडा दौड़ता. थक जाता तो पैदल चलने लगता. वो ईमानदारी से जैसे तैसे अपने खेतो तक पहोंचा. उसने देखा की गांव के कई बच्चे सुबह सुबह रनिंग करने जाते थे. वो जब वापस लौटा तो उसे एक बाल्टी पानी से भरी हुई मिली. जिसमे बोरिया भिगोई हुई है. बिना भी वही खड़ी मिली.


बिना : चाल निचोड़ या ने.


थोडा बहोत ही सही. पर रनिंग कर के चंदगी थक गया था. रोने जैसी सूरत बनाए चंदगी आगे बढ़ा. और बोरियो को निचोड़ने लगा. चंदगी के शरीर ने पहेली बार महेनत की थी. उस दिन से चंदगी की भूख बढ़ने लगी. बिना चंदगी से महेनत करवा रही थी. पर उसकी नजर सात गांव के बिच होने वाले दिवाली के मेले पर थी. जिसमे एक कुस्ती की प्रतियोगिता होती. जितने वाले को पुरे 101 रूपय का इनाम था. उस वक्त 100 रुपया बड़ी राशि थी. बिना के पास चंदगी को तैयार करने के लिए मात्र 7 महीने का वक्त था.

चंदगी महेनत नहीं करना चाहता था. पर उसने अपनी भाभी की बात कभी टाली नहीं. सिर्फ एक हफ्ते तक यही होता रहा. बिना सुबह चार बजे चंदगी को उठा देती. चंदगी मन मार कर रनिंग करने चले जाता. और आकर बाल्टी मे भीगी हुई बोरियो को निचोड़ने लगा. नतीजा यह हुआ की रनिंग करते चंदगी जो बिच बिच मे पैदल चल रहा था. वो कम हुआ. और भागना ज्यादा हुआ. एक हफ्ते बाद वो 5 बोरिया 10 हो गई. गीली पानी मे भोगोई हुई बोरियो को निचोड़ते चंदगी के बाजुओं मे ताकत आने लगी. जहा चंदगी ढीला ढाला रहता था.

वो एक्टिवेट रहने लगा. चंदगी की भूख बढ़ने लगी. उसे घी से चुपड़ी रोटियां पसंद नहीं थी. पर भाभी ने उस से बिना पूछे ही नहीं. बस घी से चुपड़ी रोटियां चंदगी की थाली मे रखना शुरू कर दिया. जहा वो डेढ़ रोटियां खाया करता था. वो 7 के आस पास पहोचने लगी. जिसे केतराम ने रात का भोजन करते वक्त महसूस किया. रात घर के आंगन मे बिना चूले पर बैठी गरमा गरम रोटियां सेक रही थी. पहेली बार दोनों भाइयो की थाली एक साथ लगी. दोनों भाइयो की थाली मे चने की गरमा गरम दाल थी.

पहले तो केतराम को ये अजीब लगा की उसका भाई घर के बड़े जिम्मेदार मर्दो के जैसे उसजे साथ खाना खाने बैठा. क्यों की चंदगी हमेशा उसके दोनों बच्चों के साथ खाना खाया करता था. बस एक कटोरी मीठा दूध और डेढ़ रोटी. मगर अब उसका छोटा भाई उसके बराबर था.
केतराम मन ही मन बड़ा ही खुश हो रहा था. पर उसने अपनी ख़ुशी जाहिर नहीं की. दूसरी ख़ुशी उसे तब हुई जब चंदगी की थाली मे बिना ने तीसरी रोटी रखी. और चंदगी ने ना नहीं की. झट से रोटी ली.

और दाल के साथ खाने लगा. केतराम ने अपने भाई की रोटियां गिनती नहीं की. सोचा कही खुदकी नजर ना लग जाए. पर खाना खाते एक ख़ुशी और हुई. जब बिना ने चंदगी से पूछा.


बिना : चंदगी बेटा घी दू के??


चंदगी ने मना नहीं किया. और थाली आगे बढ़ा दीं. वो पहले घी नहीं खाया करता था. रात सोते केतराम से रहा नहीं गया. और बिना से कुछ पूछ ही लिया.


केतराम : री मन्ने लगे है. अपणे चंदगी की खुराक बढ़ गी.
(मुजे लग रहा है. अपने चंदगी की डायट बढ़ गई.)



केतराम पूछ रहा था. या बता रहा था. पर बिना ने अपने पति को झाड दिया.


बिना : हे... नजर ना लगा. खाण(खाने) दे मार बेट्टा(बेटा) ने.


केतराम को खुशियों के झटके पे झटके मिल रहे थे. उसकी बीवी उसके छोटे भाई को अपने बेटे के जैसे प्यार कर रही थी. वो कुछ बोला नहीं. बस लेटे लेटे मुस्कुराने लगा.


बिना : ए जी. मै के कहु हु??


केतराम : हा..???


बिना : एक भैंस के दूध ते काम ना चलेगा. अपण(अपने) एक भैंस और ले ल्या??


केतराम : पिसे(पैसे) का ते ल्याऊ(लाऊ)???


बिना : बेच दे ने एक किल्ला.


केतराम यह सुनकर हैरान था. क्यों की परिवार का कैसा भी काम हो. औरत एड़ी चोटी का जोर लगा देती है. पर कभी जमीन बिक्री नहीं होने देती. हफ्ते भर से ज्यादा हो चूका था. लेटे लेटे वो भी अपने भाई को सुबह जल्दी उठते देख रहा था. दूसरे दिन ही केतराम ने अपने 20 किल्ले जमीन मे से एक किला बेच दिया. और भैंस खरीद लाया. अब घी दूध की घर मे कमी नहीं रही.

चंदगी राम को धीरे धीरे महेनत करने मे मझा आने लगा. वो खुद ही धीरे धीरे अपनी रनिंग कैपेसिटी बढ़ा रहा था. स्कूल मे सीखी पी.टी करने लगा. दूसरे लड़को को भी वो रनिंग करते देखता था. साथ वो लड़के जो एक्सरसाइज करते थे. देख देख कर वही एक्सरसाइज वो भी करने लगा. पर वो अकेला खेतो मे रनिंग कर रहा था. वो घर से खेतो तक भाग कर जाता. और अपने जोते हुए खेत मे अलग से रनिंग करता.

वहां अकेला एक्सरसाइज करता दंड करता. और घर आता तब उसकी भाभी जो बाल्टी मे बोरिया भिगो दिया करती थी. उन्हें कश के निचोड़ने लगा. इसी बिच बिना ने अपने कान की बलिया बेच दीं. और उन पेसो से वो चंदगी के लिए बादाम और बाकि सूखे मेवे खरीद लाई. उसने ये केतराम को भी नहीं बताया. ये सब करते 6 महीने गुजर चुके थे. चंदगी के शरीर मे जान आ गई. वो बोरी को इस तरह निचोड़ रहा था की बोरिया फट जाया करती. बोरिया भी वो 50, 50 निचोड़ कर फाड़ रहा था. पर बड़ी समस्या आन पड़ी.

मेले को एक महीना बचा था. और अब तक चंदगी को लड़ना नहीं आया था. रात सोते बिना ने अपने पति से चादगी के लिए सिफारिश की.


बिना : ए जी सुणो हो?? (ए जी सुनते हो?)


केतराम : हा बोल के बात हो ली??


बिना : अपणे चंदगी णे किसी अखाड़ेम भेज्यो णे. (अपने चादगी को किसी अखाड़े मे भेजो ना?)


केत राम : ठीक से. मै पहलवान जी से बात करूँगा.


बिना को याद आया के जिस पहलवान की केतराम बात कर रहे है. वो सेवाराम के पिता है.


बिना : ना ना. कोई दूसरेन देख्यो. (किसी दूसरे को देखो.) कोई ओर गाम मे? अपणा चंदगी देखणा मेणाम(मेले मे) दंगल जीत्तेगा.


केतराम : बावड़ी होंगी से के तू. मेणान एक मिहना बचया से.
(पागल हो गई है तू. मेले को एक महीना बचा है.)


बिना : ब्याह ते पेले तो तम भी कुस्ती लढया करते. तम ना सीखा सको के?
(शादी से पहले तो आप भी कुस्ती लड़ा करते थे. क्या आप नहीं सीखा सकते?)


केतराम : मन तो मेरा बाबा सिखाओता. सीखाण की मेरे बस की कोनी. (मुजे तो मेरे पिता सिखाया करते. सीखाना मेरे बस की नहीं है)


बिना : पन कोशिश तो कर ल्यो ने.


केतराम सोच मे पड़ गया. बिना उमीदो से अपने पति के चहेरे को देखती रही.


केतराम : ठीक से. सांज ने भेज दिए खेताम. (ठीक है. साम को भेज देना खेतो मे.)


बिना के ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा. दिनचर्या ऐसे ही बीती. चंदगी का सुबह दौड़ना, एक्सरसाइज करना, और अपने भाभी के हाथो से भिगोई हुई बोरियो को निचोड़ निचोड़ कर फाड़ देना. बिना ने चंदगी को शाम होते अपने खेतो मे भेज दिया. केतराम ने माटी को पूज कर अखाडा तैयार किया हुआ था. उसने उसे सबसे पहले लंगोट बांधना सिखाया. लंगोट के नियम समझाए. और दाव पेज सीखना शुरू किया. केतराम ने एक चीज नोट की.

चंदगी राम की पकड़ बहोत जबरदस्त मजबूत है. उसकी इतनी ज्यादा पकड़ मजबूत थी की केतराम का छुड़ाना मुश्किल हो जाता था. बहोत ज्यादा तो नहीं पर चंदगी राम काफ़ी कुछ सिख गया था. बचा हुआ एक महीना और गुजर गया. और दिवाली का दिन आ गया. सुबह सुबह बिना तैयार हो गई. और चंदगी राम को भी तैयार कर दिया. पर केतराम तैयार नहीं हुआ. दरसल उसे बेजती का डर लग रहा था. उसकी नजरों मे चंदगी राम फिलहाल दंगल के लिए तैयार नहीं था.

वही चंदगी को भी डर लग रहा था. वो अपने भाई से सीखते सिर्फ उसी से लढा था. जिसे वो सब सामान्य लग रहा था. लेकिन अशली दंगल मे लड़ना. ये सोच कर चंदगी को बड़ा ही अजीब लग रहा था. बिना अपने पति के सामने आकर खड़ी हो गई.


बिना : के बात हो ली. मेणाम ना चलो हो के?? (क्या बात हो गई. मेले मे नहीं चल रहे हो क्या?)


केतराम : मन्ने लगे है बिना... अपणा चंदगी तियार कोनी. (मुजे लग रहा है बिना फिलहाल अपना चंदगी तैयार नहीं है)


बिना जोश मे आ गई. ना जाने क्यों उसे ऐसा महसूस हो रहा था की आज चंदगी सब को चौका देगा.


बिना : धरती फाट जागी. जीब मारा चंदगी लढेगा. (धरती फट जाएगी. जब मेरा चंदगी लढेगा.) चुप चाप चल लो. बइयर दंगल मा कोनी जावे. (चुप चाप चल लो. औरते दंगल मे नहीं जाती.)


केतराम जाना नहीं चाहता था. वो मुरझाई सूरत बनाए अपनी पत्नी को देखता ही रहा.


बिना : इब चाल्लो ने. (अब चलो ना.)


केतराम बे मन से खड़ा हुआ. और तैयार होकर बिना, चंदगी के साथ मेले मे चल दिया. घुंघट किए बिना साथ चलते उसके दिमाग़ मे कई सवाल चल रहे थे. वही चंदगी को भी डर लग रहा था. पर वो अपनी भाभी को कभी ना नहीं बोल सकता था. मेला सात, आठ गांव के बिच था. सुबह काफ़ी भीड़ आई हुई थी. चलते केतराम और चंदगी राम आते जाते बुजुर्ग को राम राम कहता. कोई छोटा उसे राम राम करता तो वो राम राम का ज़वाब राम राम से करता. मेले मे चलते हुए उन तीनो को माइक पर दंगल का अनाउंसमेंट सुनाई दे रहा था.

पिछले साल के विजेता बिरजू धानक से कौन हाथ मिलाएगा. उसकी सुचना प्रसारित की जा रही थी. बिरजू पिछले बार का विजेता सेवा राम का छोटा भाई था. वो पिछले साल ही नहीं पिछले 3 साल से विजेता रहा हुआ था.


बिना : ए जी जाओ णे. अपने चंदगी का नाम लखा(लिखा) दो ने.


केतराम ने बस हा मे सर हिलाया. और दंगल की तरफ चल दिया. वो बोर्ड मेम्बरो के पास जाकर खड़ा हो गया. कुल 24 पहलवानो ने अपना नाम लिखवाया था. जिसमे से एक चंदगी भी था. केतराम नाम लिखवाकर वापस आ गया. उसे बेजती का बहोत डर लग रहा था.


बिना : नाम लखा(लिखा) दिया के??


केतराम ने हा मे सर हिलाया. सिर्फ केतराम ही नहीं चंदगी राम भी बहोत डर रहा था. वो पहले भी कई दंगल देख चूका था. धोबी पछड़ पटकनी सब उसे याद आ रहा था. तो बिना का भी कुछ ऐसा ही हाल था. पर उसका डर थोडा अलग था. वो ये सोच रही थी की चंदगी को दंगल लढने दिया जाएगा या नहीं. तभि अनाउंसमेंट हुई. जिन जिन पहलवानो ने अपना नाम लिखवाया है. वो मैदान मे आ जाए.


बिना : (उतावलापन) जा जा चंदगी जा जा.


चंदगी : (डर) हा...


चंदगी डरते हुए कभी अपनी भाभी को देखता. तो कभी दंगल की उस भीड़ को.


बिना : ए जी. ले जाओ णे. याने. (ए जी. ले जाओ ना इसे.)


केतराम चंदगी को दंगल मे ले गया. बिना वहां नहीं जा सकती थी. औरतों को दंगल मे जाने की मनाई थी. अनाउंसमेंट होने लगी की सारे पहलवान तैयार होकर मैदान मे आ जाए. जब केतराम चंदगी को लेकर भीड़ हटाते हुए मैदान तक पहोंचा तो वहां पहले से ही सात, आठ पहलवान लंगोट पहने तैयार खड़े थे.


केतराम : जा. उरे जाक खड्या हो जा. (जा उधर जाकर खड़ा होजा)


केतराम उसे बेमन से लाया था. क्यों की चंदगी अब भी दुबला पतला ही था. वही जो पहलवान मैदान मे पहले से ही खड़े थे. वो मोटे ताजे तगड़े थे. जब चंदगी भी अपना कुरता पजामा उतार कर लंगोट मे उनके बिच जाकर खड़ा हुआ. तो वो सारे चंदगी को हैरानी से देखने लगे. कुछ तो हस भी दिए. यह सब देख कर चंदगी और ज्यादा डरने लगा. वही बग्गा राम और सेवा राम भी पब्लिक मे वहां खड़े थे. और बग्गाराम की नजर अचानक चंदगी राम पर गई. वो चौंक गया.


बग्गाराम : (सॉक) रे या मे के देखुता. (रे ये मै क्या देख रहा हु.)


सेवा राम : (हेरत) के चंदगी????


बग्गाराम : भउ बावड़ी हो गी से. (बहु पागल हो गई है.) इसके ते हार्ड(हड्डिया) भी ना बचेंगे.


वही अनाउंसमेंट होने लगा. खेल का फॉर्मेट और नियम बताए गए. नॉकआउट सिस्टम था. 24 मे से 12 जीते हुए पहलवान और 12 से 6, 6 से 3 पहलवान चुने जाने थे. और तीनो मे से बारी बारी जो भी एक जीतेगा वो पिछली साल के विजेता बिरजू से कुस्ती लढेगा. पहले लाढने वाले पहलवानो की प्रतिद्वंदी जोडिया घोषित हो गई. चंदगी के सामने पास के ही गांव का राकेश लाढने वाला था. उसकी कुस्ती का नंबर पांचवा था.

सभी पहलवानो को एक साइड लाइन मे बैठाया गया. महेमानो का स्वागत हुआ. और खेल शुरू हुआ. चंदगी को बहोत डर लग रहा था. पहेली जोड़ी की उठा पटक देख कर चंदगी को और ज्यादा डर लगने लगा. वो जो सामने खेल देख रहा था. वे सारे दाव पेच उसके भाई केतराम ने भी उसे सिखाए थे. पर डर ऐसा लग रहा था की वही दावपेच उसे नए लगने लगे. पहेली जोड़ी से एक पहलवान बहोत जल्दी ही चित हो गया. और तुरंत ही दूसरी जोड़ी का नंबर आ गया. दूसरी कुस्ती थोड़ी ज्यादा चली.

पर नतीजा उसका भी आया. उसके बाद तीसरी और फिर चौथी कुस्ती भी समाप्त हो गई. अब नंबर चंदगी का आ गया. जीते हुए पहलवान पहेले तो पब्लिक मे घूमते. वहां लोग उन्हें पैसे इनाम मे दे रहे थे. आधा पैसा, एक पैसा जितना. उनके पास ढेर सारी चिल्लर पैसे जमा होने लगी. उसके बाद वो जीते पहलवान एक साइड लाइन मे बैठ जाते. और हरे हुए मुँह लटकाए मैदान से बहार जा रहे थे. बगल मे बैठा राकेश खड़ा हुआ.


राकेश : चाल. इब(अब) अपणा नम्बर आ लिया.


चंदगी डरते हुए खड़ा हुआ. और डरते हुए मैदान मे आ गया. सभी चंदगी को देख कर हैरान रहे गए. दूसरे गांव वाले भी चंदगी को जानते थे. राकेश के मुकाबले चंदगी बहोत दुबला पतला था. हलाकि चंदगी का बदन भी कशरती हो चूका था. उसने बहोत महेनत की थी. मैच रेफरी ने दोनों को तैयार होने को कहा. और कुश्ती शुरू करने का इशारा दिया. दोनों ही लढने वाली पोजीशन लिए तैयार थे. बस चंदगी थोड़ा डर रहा था. हिशारा मिलते ही पहले राकेश आगे आया. और चंदगी पर पकड़ बना ने की कोशिश करने लगा. वही पोजीसन चंदगी ने भी बनाई.

मगर वो पहले से बचने की कोशिश करने लगा. दोनों ही पहलवानो ने एक दूसरे की तरफ झूकते हुए एक दूसरे के बाजु पकडे. और दोनों ही एक दूसरे की तरफ झूक गए. दोनों इसी पोजीशन मे बस ऐसे ही खड़े हो गए. सब सोच रहे थे की राकेश अभी चंदगी को पटकेगा. पर वो पटक ही नहीं रहा था. कुछ ज्यादा समय हुआ तो मैच रेफरी आगे आए. और दोनों को छुड़वाने के लिए दोनों को बिच से पकड़ते है. लोगो ने देखा. सारे हैरान रहे गए. राकेश के दोनों हाथ झूल गए.

वो अपनी ग्रीप छोड़ चूका था. छूट ते ही वो पहले जमीन पर गिर गया. खुद चंदगी ने ही झट से उसे सहारा देकर खड़ा किया. मैच रेफरी ने राकेश से बात की. वो मुँह लटकाए मरी मरी सी हालत मे बस हा मे सर हिला रहा था. उसके बाद वो रोनी सूरत बनाएं मैदान के बहार जाने लगा. उसके दोनों हाथ निचे ऐसे झूल रहे थे. जैसे लकवा मार गया हो. हकीकत यह हुआ की चंदगी ने डर से राकेश पर जब ग्रीप ली. तो उसने इतनी जोर से अपने पंजे कस दिए की राकेश का खून बंद हो गया. और खून का बहाव बंद होने से राकेश के हाथ ही बेजान हो गए थे. यह किसी को समझ नहीं आया. पर वहां आए चीफ गेस्ट को पता चल गया था की वास्तव मे हुआ क्या है.


कुश्ती अध्यक्ष : (माइक पर) रे के कोई जादू टोना करया(किया) के???


तभि चीफ गेस्ट खड़े हुए. और ताली बजाने लगे. एकदम से पब्लिक मे हा हा कार मच गइ. माइक पर तुरंत ही चंदगी के जीत की घोसणा कर दीं गई. मैदान और भीड़ से दूर सिर्फ माइक पर कमेंट्री सुन रही बिना ने जब सुना की उसका लाडला देवर अपने जीवन की पहेली कुश्ती जीत गया है तो उसने अपना घुंघट झट से खोल दिया. और मुस्कुराने लगी. उसकी आँखों मे खुशियों से अंशू बहे गए. पर गांव की लाज सरम कोई देख ना ले.

उसने वापस घुंघट कर लिया. वो घुंघट मे अंदर ही अंदर मुस्कुरा रही थी. पागलो के जैसे हस रही थी. जैसे उस से वो खुशी बरदास ही ना हो रही हो. केतराम भी पहले तो भीड़ मे अपने आप को छुपाने की कोसिस कर रहा था. पर जब नतीजा आया. वो भी मुस्कुराने लगा. पर भीड़ मे किसी का भी ध्यान उसपर नहीं था. वो गरीब अकेला अकेला ही मुस्कुरा रहा था. वही जीत के बाद भी चंदगी को ये पता ही नहीं चल रहा था की हुआ क्या. पब्लिक क्यों चिल्ला रही है. उसे ये पता ही नहीं चला की वो मैच जीत चूका है. मैच रेफरी ने चंदगी से मुस्कुराते हुए हाथ मिलाया.


मैच रेफरी : भाई चंदगी मुबरका. तू ते जीत गया.


तब जाकर चंदगी को पता चला. और वो मुस्कुराया. लेकिन चीफ गेस्ट बलजीत सिंह चंदगी को देख कर समझ गए थे की कुश्ती मे चंदगी ने एक नया अविष्कार किया है. मजबूत ग्रीप का महत्व लोगो को समझाया है. उसके बाद चादगी बारी बारी ऐसे ही अपनी सारी कुश्ती जीत ता चला गया. और आखरी कुश्ती जो बिरजू से थी. उसका भी नंबर आ गया. अनाउंसमेंट हो गया. अब बिरजू का मुकाबला चंदगी से होगा.

सभी तालिया बजाने लगे. चार मुकाबले जीत ने के बाद चंदगी का कॉन्फिडेंस लेवल बहोत ऊपर था.
वही बिरजू देख रहा था की चंदगी किस तरह अपने प्रतिद्वंदी को हरा रहा है. किस तरह वो बस पकड़ के जरिये ही पहलवानो के हाथ पाऊ सुन कर देता. राकेश मानसिक रूप से पहले ही मुकाबला हार गया. पर जब चंदगी के साथ उसकी कुश्ती हुई तो उसने खुदने महसूस किया की किस तरह चंदगी ने पकड़ बनाई. और वो इतनी जोर से कश्ता की खून का बहना ही बंद हो जा रहा है.

दो बार का चैंपियन राकेश बहोत जल्दी हार गया. और चंदगी राम पहलवान नया विजेता बना. उसे मान सन्मान मिला. और पुरे 101 रूपये का इनाम मिला. भीड़ से दूर बिना बेचारी जो माइक पर कमेंट्री सुनकर ही खुश हो रही थी. जीत के बाद चंदगी भाई के पास नहीं भीड़ को हटाते अपनी भाभी के पास ही गया. उसने अपनी भाभी के पाऊ छुए. यह सब सेवा राम और बग्गा राम ने भी देखा. वो अपना मुँह छुपाककर वहां से निकल गए.

गांव मे कई बार आते जाते बिना का सामना सेवा राम और बग्गा राम से हुआ. पर बिना उनसे कुछ बोलती नहीं. बस घुंघट किए वहां से चली जाती. बिना को ये जीत अब भी छोटी लग रही थी. वो कुछ और बड़ा होने का इंतजार कर रही थी. इसी बिच चंदगी राम उन्नति की सीढिया चढने लगा. वो स्कूल की तरफ से खेलते जिला चैंपियन बना. और फिर स्टेट चैंपियन भी बना.

बिना को इतना ही पता था. वो बहोत खुश हो गई. उसने अपने पति केतराम से कहकर पुरे गांव मे लड्डू बटवाए. और बिना खुद ही उसी नुक्कड़ पर लड्डू का डिब्बा लिए पहोच गई. बग्गा राम और सेवा राम ने भी बिना को आते देख लिया. और बिना को देखते ही वो वहां से मुँह छुपाकर जाने लगे. लेकिन बिना कैसे मौका छोड़ती.


बिना : राम राम चौधरी साहब. माराह चादगी पहलवान बण गया. लाड्डू (लड्डू) तो खाते जाओ.


ना चाहते हुए भी दोनों को रुकना पड़ा. बिना उनके पास घुंघट किए सामने खड़ी हो गई. और लड्डू का डिब्बा उनके सामने कर दिया.


बिना : लाड्डू खाओ चौधरी साहब. मारा चंदगी सटेट चैम्पयण ( स्टेट चैंपियन) बण गया.


बग्गा राम : भउ(बहु) क्यों भिगो भिगो जूता मारे है.


सेवा राम : हम ते पेले (पहले) ही सर्मिन्दा से. ले चौधरी सु. जबाण (जुबान) का पक्का.


बोलते हुए सेवाराम ने अपनी पघड़ी बिना के पेरो मे रखने के लिए उतरी. पर बिना ने सेवा राम के दोनों हाथो को पकड़ लिया. और खुद ही अपने हाथो से सेवा राम को उसकी पघड़ी पहनाइ.


बिना : ओओ ना जी ना. जाटा की पघड़ी ते माथे पे ही चोखी लगे है. जे तम ना बोलते तो मारा चंदगी कित पहलवान बणता. मे तो थारा एहसाण मानु हु. बस तम मारे चंदगी ने आशीर्वाद देओ.
(ओओ नहीं जी नहीं. जाटो की पघड़ी तो सर पर ही अच्छी लगती है. जो आप ना बोलते तो मेरा चंदगी कैसे पहलवान बनता. मै तो आप लोगो का एहसान मानती हु. बस आप मेरे चंदगी को आशीर्वाद दो.)


सेवा राम : थारा चंदगी सटेट चैम्पयण के बल्ड चैम्पयण बणेगा. देख लिए.
(तेरा चंदगी स्टेट चैंपियन क्या वर्ल्ड चैंपियन बनेगा. देख लेना.)


बिना ने झूक कर दोनों के पाऊ छुए. लेकिन चादगी राम इतने से रुकने वाले नहीं थे. वो स्पोर्ट्स कोटे से आर्मी जाट रेजीमेंट मे भार्थी हुए. दो बार नेशनल चैंपियन बने. उसके बाद वो हिन्द केशरी बने. 1969 मे उन्हें अर्जुन पुरस्कार और 1971 में पदमश्री अवार्ड से नवाजा गया। इसमें राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के अलावा हिंद केसरी, भारत केसरी, भारत भीम और रूस्तम-ए-हिंद आदि के खिताब शामिल हैं।

ईरान के विश्व चैम्पियन अबुफजी को हराकर बैंकाक एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतना उनका सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन माना जाता है। उन्होंने 1972 म्युनिख ओलम्पिक में देश का नेतृत्व किया और दो फिल्मों 'वीर घटोत्कच' और 'टारजन' में काम किया और कुश्ती पर पुस्तकें भी लिखी। 29 जून 2010 नइ दिल्ली मे उनका निधन हो गया. ये कहानी चंदगी राम जी को समर्पित है. भगवान उनकी आत्मा को शांति दे.


The end...



Hey, the way the writer depicted the story is awesome. I loved the story and learnt a lot of things.

Isme writer ne bahut achhe se bataya hai ki yadi hard work continuously kiya jaye toh kabhi bhi bekar nahi jati hai, thik waise hi jaise ek chhoti si rope(rassi) ko baar baar kisi stone par ragadne se bade bade patthar ko bhi kat kar chhota kar deti hai.

Sath hi ye story hume ye bhi batati hai ki exercise ka hamare life mein kitna important role hai. Aaj ki life mein morning ki exercise aur yoga hamari life ka sabse important part hona chahiye.

Sath hi isme Bina ka apne devar ke liye ek bete ke jaisa prem rakhna Bina ko prem ki definition mein bahut high place par rakhti hai. Isme family ke members ke bich aapas mein kitna prem hai writer ne bahut hi achhe se show kiya hai.

Aur last mein jo Bina ne Sevaram ke sath kiya wo Bina ki greatness ko dikhata hai, kaise usne Sevaram ki pagdi ko apne foot(panv) par na rakh kar Sevaram ke head par rakh diya wo scene bahut hi achha tha jo bahut sare writer shayad na kar pate, shayad main hi yadi ye story likh raha hota toh maine Sevaram ko maaf nahi kiya hota.

I don't know ki ye story dusre logo ko pasand aayegi ya nahi but ye story ek aisi story hai jo logo ko kaphi jyada motivate karegi aur kaphi kuchh sikhne ko mil sakta hai.

This is one of the best short stories I have ever read.

Mistake: Ek jagah writer ne last mein Birju ki jagah Rakesh likh diya hai lekin sirf ek name mistake ki wajah se main writer ka ek bhi point cut nahi karna chahta hoon.

I give 10/10 point to this story and thanks to Shetan ji jisne itni inspirational story likhi hai.

One more thing main ye review mein participate nahi karna chahta tha par yadi maine ye story na padhi hoti toh mera ye forum ko join karna bekar chala jata, so once again thanks to Shetan ji.
 

Gaurav1969

Nobody dies a Virgin. .... Life fucks us all.
908
1,750
123
Story-Tujhse Shuru Tujhpar Khatm"
Writer-Aakaash
A great start to the great contest...Story was fabulous and written with emotions...I can feel it while reading... Just Great and Just Wow.....Ek aur Adhuri Prem Kahani..
Shadi ke mauke par usko pehli dafa dekhkar hu khud ka banane ka khwab khwab hi reh gya....wo bhi Rishikesh apne aane wali jindagi mein khushiyon hi maangne gyi hogi par Niyati ko kuch aur hi manzoor tha.....
Shaadi wala Ghar usme achanak se aisi khabar paana sach mein inssan ko andar se tod deta hai.....khaskar wo moment jab apne haatho se apne pyar ke nirjeev chehre se kafan hataya gya😢🤧....Us din ke baad kaise din gujre kaise raatein iski vyakhya kiya jaye to word limit toot jaaye....Aakhiri moment jab mushkurate hue usne aankhein band ki wo heartmelting tha....Jo Jite ji na mil paaye aankhein moondne par ek ho hi gye....
Scenes Itne smoothly change hue hai ki kya hi tareef kiya jaye....Bahut hi umda Aakaash sir .....
 

Gaurav1969

Nobody dies a Virgin. .... Life fucks us all.
908
1,750
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Story-A Day as a Moderator ( LSB Section )
writer- ABHAY_SMARTY
. My second read story on this Contest... After having a lot of emotions and tears, this one is a complete package of entertainment...Hatsoff to your thought of blending Xforum into a Story....Feels like Whooped but on a Story .....
werewolf ke replies(Kaera and Veer wale) 😅🤣🤣 so relatable.... lastly Aashu babes 😁.... Aashish ka wo IND vs NZ wala to sachme kamal ka bend tha LOL ...Start to the End ek Smile Face par bani rahi bich bich mein Hasa bhi khub....Priyanka se meeting :lol1:Bc lene ke chakkar mein dena pad gya tha....Aayush se meeting Was decent....But main thing was the title itself THE LSB....kya hi kona hai Xf ka maine bhi ek baar visit kiya tha pata nahi konse jeev rehte hai wahan...Jasien stuff was so good, hasi nahi ruki....Lastly Showing Supremecy of some members was so good...
Words and sentence mein thode errors hai edit required....
apart from all of this , one thing i must say ...Wo ladke and rape wala scene , Immatured minds yahan ki stories se bahut hi highly affect hote hai ye to main jaan gya bhale hi ye story ho.
In conclusion.. This one was my favourite one in entertainment type....Till now ...Bahut hi achhi likhi hai aapne ...
 

Gaurav1969

Nobody dies a Virgin. .... Life fucks us all.
908
1,750
123
Story-
चंदगी राम पहलवान
Truly commendable short Biography of Great Wrestler.... Shetan ji shayad ye mene aapki dusri kahani padhi hai.. ...Bahut hi achhe dhang se prastut kiya aapne .... Chandagi aur uski Bhabhi ka ye rishta sachmuch akalpniye hai ...uski bhabhi ki aankho mein aansu dekhkar hi aisi kasam kha lena....Apne man apne sharir ke viruddh jakar us kasam ka maan rakhna ...Naman hai un pehalwan ji ko ..... Sevaram ki katu wani ka Chandagi ke pehalwan banne mein ahem bhumika thi...Bina ki jid ,uski har ek prayas ( jamin bech dena, kaan ki baali bechna, apne dincharya ka ek ahem hissa chandagi ko dena), unhone vastvik taur par ek Bhabhi Maa ka farz ada kiya chandagi ke prati....Wo akhade ki pehli kushti dil dhadka dene wali thi....Jab ghar se mele ko Bina nikal rahi thi use purvaabhash ho chuka tha ki aaj Chandagi sachmuch Aasmaan faad dega.... Ye kahani bahut hi uttam thi aur is contest ko jitne ke kaabil bhi hai ..
Great writing
 
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THE ACRONYM

𝕄𝕖𝕟𝕤 𝕒𝕣𝕖 𝕓𝕣𝕒𝕧𝕖
Supreme
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124
अधूरी शिद्दत"
Mahakal
एक प्रेमी जोड़ी की कहानी जो कि कभी पूरी नहीं होती है। कहानी सरल है सिंपल है भावनात्मक है ।
कहानी की गति तेज प्रतीत होती है जो कि इसका एक नकारात्मक प्वाइंट है। सब कुछ बहुत तेज महसूस हुआ।
में ने कहानी पढ़ कर महसूस किया है कि अपने word limit से भी बहुत कम शब्दो का प्रयोग किया है
आप इस कहानी को थोड़ा सा और wording details देनी थी।
कहानी में जो प्रेमीयो का प्रेम दिखाया गया है वह बहुत भावनात्मक है।
लड़की को cancer hota फिर bhi लड़का उससे बहुत प्यार करता है उसे जिंदा रखने के लिए जी जान लगा देता है।

जो वाक्य लिखे हैं वो मनमोहक हैं पर जिस तरह से उन्हें arrange किया है वो थोड़ा थोड़ा कहानी का flow खराब karta है

लिखा आपने बहुत अच्छा है पर थोड़ा और डिटेल और thodi hi कहानी की pace (गति) को धीमा करना tha

Rating its a good story (5/10)

Mahakal
Its a good story keep it up likhte raho. I hope you don't mind criticism about story.
 
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DesiPriyaRai

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2,092
2,209
144
KALANK by Aakash.

Kalank ek heartbreakingly intense story hai jo ek innocent ladki Aaradhya ke struggle ko depict karti hai - gaon se Delhi tak ka safar, naye sapne, dosti, betrayal, aur akhir mein ek aisi tragedy jo uski zindagi ko khatm kar deti hai. Story mein emotions ka rollercoaster hai - pyaar, dosti, gussa, bewafai, aur akhir mein ek aisa dard jo dil ko chhoo jaata hai.
 
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Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
20,145
40,913
259
Story: A train to nowhere
Writer: Euphoria

Story line: Horror/psycological drama where a lady catch a train which runs in a time loop, leads to nowhere.

Treatment: Nicely knitted story, which keep readers to edge, gripping.

Positive points: Well descriptive writing and gripping story. So descriptive that it gives goosebump in few instances.

Negative points: As like name, story too going nowhere. As how she get on it, why or what could be the possibility of her coming out, or not.

Suggestion: You have ability and you have shown it, but story needs efforts from their character. Could have been better, I mean it is gripping and chilling, but it should end at some point.

Rating:7/10
 

_MACHO_Nacho_

Na Darre Na GYM kare...
Prime
6,269
8,186
189
Bhai really maza aa gaya ye story padh ke.. itna real feel karwa diya saare real life characters ko daal ke aur same to same harkate .. jasien, siraj bhai, luci chacha, AP bhagwan, aur LSB ke namune.. :lotpot: .. khud ko bhi nahi chhoda.. real sense of humor, suspense, hawas.. sab tha bhai.. :roflbow:
Iska mtlb ju ke Inbox mai kaafi Mahila Mitra hain... 😁😁
Baaki shukriya Bhai... Entertainment purpose ke liye likhi thi koi contest ke liye nahi... 😅😅
 

_MACHO_Nacho_

Na Darre Na GYM kare...
Prime
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_MACHO_Nacho_
Ek parody story wo bhi x forum ke persons aur khud ke uper hi likh diya its a great idea.

Ek naya joundra nikla hai ye aur aaj kal iska chalan bohat hai .

Story mein comedy achi ki gayi hai

Sach mein hasi bohat aayi story padh kar

Sabse jyada khud par hi majak kiya hai,hotel wala scene dekh kar laga ki hogaya kaam but bach gaye.

LSB section wala scene bhi majedaar tha

Rocky ye shyad ( elon musk hi hai ) aapke baad inka character bohat badiya tha .

Baki jo bhi person appear the unhe sabko alag alag describe kiya

ending mein laga ki koi social message diya jayega but wahan hoti hai Lucifer sir ki entry ek dum dhamekar or AP bhai ka jikar aur unka naam sunkar kar inspector pasine pasine.

Wording bhi sahi hai ab comedy or parody likha hai toh itna language matter nahi karta
Ha kuch sentence aisa likhe hai ki unhe do baar padhna padhta hai samjha ne ke liye aur wo thoda sa flow upper niche karte hai .

But its a great story
My rating 6.5/10 for parody genre

@_ABHAY_Smarty
Its a great thankyou kuch naya padhe ko mila aapki wajah se
Baki stories se ekdum alag hai .
Thank you aapka bhi bhai kaafi badhiya review tha story ka... 🤧🤧 Har baar Love Story aur thriller likh kar bore ho gaya tha isliye iss baar kuch new likhna chaha... Woh bhi Entertainment purpose ke liye... 😁😁

Mere hisab se Story wohi hoti hai jo reader padhte waqt feel kar sakte... Story ka main element Laughter tha... Jo aap tak pahuncha yehi apeksha thi meri...
 

_MACHO_Nacho_

Na Darre Na GYM kare...
Prime
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Story-A Day as a Moderator ( LSB Section )
writer- ABHAY_SMARTY
. My second read story on this Contest... After having a lot of emotions and tears, this one is a complete package of entertainment...Hatsoff to your thought of blending Xforum into a Story....Feels like Whooped but on a Story .....
werewolf ke replies(Kaera and Veer wale) 😅🤣🤣 so relatable.... lastly Aashu babes 😁.... Aashish ka wo IND vs NZ wala to sachme kamal ka bend tha LOL ...Start to the End ek Smile Face par bani rahi bich bich mein Hasa bhi khub....Priyanka se meeting :lol1:Bc lene ke chakkar mein dena pad gya tha....Aayush se meeting Was decent....But main thing was the title itself THE LSB....kya hi kona hai Xf ka maine bhi ek baar visit kiya tha pata nahi konse jeev rehte hai wahan...Jasien stuff was so good, hasi nahi ruki....Lastly Showing Supremecy of some members was so good...
Words and sentence mein thode errors hai edit required....
apart from all of this , one thing i must say ...Wo ladke and rape wala scene , Immatured minds yahan ki stories se bahut hi highly affect hote hai ye to main jaan gya bhale hi ye story ho.
In conclusion.. This one was my favourite one in entertainment type....Till now ...Bahut hi achhi likhi hai aapne ...
Thank you so much for wonderful review bhai... Iss baar meri story ka main element hai reader's ko entertain karna... Har koi Love Story yaa Thriller likh raha tha maine bhi 3 saal wohi Kiya socha isbar kuch hatkar likhna chahiye aapko pasand aayi jankar bhut Khushi hui... ☺️☺️

Word's sentence kuch nahi kar sakta... 6 ghante Editing Kiya hoon... Phone mai... Google autocorrect baar baar words change kar deta tha... Kaafi mushkil se post karne layk ban paya hai...
 
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