snidgha12
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कथा एवं कथाकार को २०० पृष्ठ तक पहुंचने कि शुभकामनाएं एवं बहुमान, मेरे विचार से इस कथा का मध्यांतर हुआ है, अभी तो कथनीय और करणिय, अवर्णनीय है, जिसका हम सभी पाठकों को प्रस्फुटित मकई खाते हुए इंतजार करना पड़ेगा
आशा है कथाकार हमारी इस व्यथा का नीराकरण अपना हठ त्याग कर कथा को पुनः शुरू कर करेंगे
आशा है कथाकार हमारी इस व्यथा का नीराकरण अपना हठ त्याग कर कथा को पुनः शुरू कर करेंगे