HalfbludPrince
मैं बादल हूं आवारा
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मुझे माता रानी का प्रसाद देने के लिए अपना एक हाथ मेरी तरफ बढ़ाया तो मैंने चौंक कर उसकी तरफ देखा। दोस्तों ने बताया तो था मुझे कि साहूकारों की लड़किया बड़ी सुन्दर हैं और मस्त माल हैं लेकिन क्योंकि साहूकारों से मेरे रिश्ते ख़राब थे इस लिए मैं कभी उनकी लड़कियों की तरफ ध्यान ही नहीं देता था।
खिली हुई धूप में अपने सिर पर पीले रंग के दुपट्टे को ओढ़े रूपा बेहद ही खूबसूरत दिख रही थी और मैं उसके रूप सौंदर्य में खो सा गया था जबकि वो मेरी तरफ अपना हाथ बढ़ाए वैसी ही खड़ी थी। जब उसने मुझे अपनी तरफ खोए हुए से देखा तो उसने अपने गले को हल्का सा खंखारते हुए आवाज़ दी तो मैं हकीक़त की दुनिया में आया। मैंने हड़बड़ा कर पहले इधर उधर देखा फिर अपना हाथ प्रसाद लेने के लिए आगे कर दिया जिससे उसने मेरे हाथ में एक लड्डू रख दिया।
रूपा ने मुझे प्रसाद में लड्डू दिया तो मेरे मन में भी कई सारे लड्डू फूट पड़े थे। इससे पहले कि मैं उससे कुछ कहता वो मुस्कुराते हुए चली गई थी। इतना तो मैं समझ गया था कि उसे मेरे बारे में बिलकुल भी पता नहीं था, अगर पता होता तो वो मुझे कभी प्रसाद न देती
क्या ही कहूँ, ऐसा लगता है कि अपनी ही लिखी कहानी के किसी पन्ने को पढ़ रहा हूँ