snidgha12
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Jis tarah ke halaat hain us hisaab se vaibhav ka is tareeke se vibhor ajeet aur gaurav ko handle karna zaruri tha. Iske vipreet agar wo kuch karta to yakeenan parinaam behtar nahi hote. Haan sahi kaha vibhor aur ajeet ne sirf irshya ke chalte hi ye sab kiya tha aur uska is maamle me gaurav ke siva kisi aur ne sath nahi diya tha.वैभव ने अंततः वो कार्य संपूर्ण कर ही लिया जिसकी बहुत समय से प्रतीक्षा थी, और जिस प्रकार से उसने ये कार्य किया वो एक बार को तो सत्य में चकित कर दिया। जगताप, दादा ठाकुर और मणिशंकर की मौजूदगी में उन तीनों महान विभूतियों के मुख से सच निकलवाना, अच्छा उदाहरण दिया वैभव ने अपने बुद्धि कौशल का। अभी तक हर ओर से उसे, षड्यंत्रकारियों द्वारा मात ही मिली है, और संभव था कि यहां भी वैभव ही सबके संदेह के घेरे में आ जाता, यदि वो उन तीनों की ठुकाई करने अकेला ही चल देता। विभोर और अजीत ने जो कुछ भी किया, प्रतीत होता है की केवल ईर्ष्या और घृणा के ही कारण किया, नकाबपोशों से दोनों का कोई संबंध नहीं है। रही बात गौरव की तो, उसका ना तो नकाबपोशों से कोई संबंध दिखाई पड़ता है और ना ही वैभव अथवा ठाकुरों से कोई बैर, उसने केवल मित्रता निभाने के लिए दोनों कमीनों का साथ दिया।
Bilkul sahi kahaजगताप की प्रतिक्रिया, सत्य सामने आने के बाद, एक बार फिर इशारा करती है कि जगताप का षड्यंत्रकारियों से कोई सरोकार नहीं है। जैसा मैंने पहले भी कहा कि षड्यंत्रकारियों को कुसुम वाले मामले की पूरी जानकारी शीला के ज़रिए मिल ही गई होगी, ऐसे में जगताप यदि उनसे मिला हुआ होता, तो अपनी बेटी के साथ हो रहे ज़ुल्म पर शांत ना रहता। स्पष्ट है कि जैसा दादा ठाकुर और वैभव समझ रहें हैं, वैसा ही है, अर्थात असली साजिश – कर्ता का मूल ध्येय यही है कि, फूट डालो – राज करो! परंतु, अब दादा ठाकुर और दोनों भाइयों ने यही निश्चय किया है कि विभोर और अजीत के कर्मों का दोषी खुद को मान रहे जगताप से वो प्रेमपूर्ण व्यवहार ही करेंगे, ये एक अच्छा कदम होगा, मेरे ख्याल में। कम से कम इससे घर की नींव तो थोड़ी सशक्त बनी रहेगी।
Vibhor aur ajeet ka maamla alag hai aur haweli me faila shadyantra ka maamla alag. Haan, bina kisi andar wale ki help ke itna kuch sambhav nahi ho sakta..ये कदम ज़रूरी इसलिए भी है कि ठाकुर भवन में पहले ही फूट पड़ चुकी है। कोई न कोई शख्स तो ऐसा है जो इस घर में रहते हुए विभीषण का कार्यभार संभाल रहा है। अभी तक जगताप संदेह के घेरे में था परंतु अब उसपर से संदेह के बादल कुछ छंटते नज़र आ रहें हैं। दूसरा पात्र, मेनका अर्थात जगताप की बीवी, उसके बारे में यही कहूंगा की जो तर्क जगताप को निर्दोष दिखाता है वही मेनका को भी संदेह के दायरे से बाहर करता है (कुसुम)! अब ऐसे में जब जगताप,उसकी पत्नी और उसके दोनों बेटों पर संदेह तार्किक नहीं लग रहा है, तो केवल एक ही शक्सियत ऐसी है हवेली में जिसपर उंगली उठाई जा सकती है। रागिनी...
इसीलिए मैंने पहले भी कहा था की रागिनी और अभिनव के विवाह के बारे में जानकारी प्राप्त होना, शायद वैभव के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो। क्या ज़ोर – जबरदस्ती से उसका विवाह अभिनव के साथ हुआ था? क्या ठाकुरों (दादा ठाकुर या फिर उनके पिता) ने रागिनी के परिवार को कभी नुकसान पहुंचाया था? क्या रागिनी किसी और युवक को चाहती थी और अभिनव से विवाह के चलते उसका प्रेम अधूरा रह गया? और क्या उन षड्यंत्रकारियों में रागिनी का वो प्रेमी (कथित) ही मुख्य है... स्पष्ट है कि यदि किसी के पास सबसे अधिक कारण हो सकते हैं घर का विभीषण बनने के तो वो रागिनी ही है।
Dada thakur ko bahut kuch soch kar kadam uthana zaruri tha. Maujuda paristhiti me iske alawa uthaya gaya unka kadam kanikarak bhi ho sakta tha...दादा ठाकुर ने एक बुद्धिमानी भरा कदम उठाया, गौरव को मणिशंकर के हाथों सौंपकर। एक तीर से दो शिकार किए हैं उन्होंने यहां, जहां मणिशंकर बाध्य हो गया है गौरव की तोड़ने के लिए वहीं साहूकारों संग ठाकुरों की नई – नई स्थापित हुई मित्रता पर भी इसका एक अच्छा असर पड़ता दिखाई दे रहा है। बहरहाल, ये भी पता चला की जिनपर भी दादा ठाकुर को संदेह है उन सब पर वो अपने आदमियों के द्वारा नज़र रखवा रहें हैं। परंतु, लगता नहीं कि उन्हें कुछ पता चलने वाला है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी कुछ अधिक प्राप्त होने की उम्मीद नज़र नहीं आ रही है। ऐसे में जब सभी मार्ग वैभव के लिए बंद हो चुके हैं, उसे शुरू से शुरू करना चाहिए। अर्थात, मुरारी की हत्या...
मुरारी की हत्या का राज़ अभी तक ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। सच कहूं तो मुझे नहीं लगता की दरोगा उसका राज़ पता कर पाएगा। ऐसे में वैभव को ही उस मामले को लेकर कोई कदम उठाना होगा। जिस दूसरे नकाबपोश की जान बच गई थी (एक की हत्या होते दरोगा ने देखा था), उस नकाबपोश को यदि किसी तरीके से वैभव खोज पाता, तो शायद बहुत कुछ खुलकर सामने आ गया होता। वैसे, एक चीज़ जो अभी पर्दे के पीछे छिपी हुई है, वो है वैभव का दो बार शहर जाना। किसलिए गया था वो? कोई न कोई कारण तो रहा ही होगा इस प्रकरण का...
Vibhor aur ajeet ke bare me kya faisla hoga ye next update me pata chal jayega aur sath hi kusum ke bare me bhi kuch had tak...पिता – पुत्रों के मध्य विस्तृत चर्चा में भी केवल प्रश्न ही प्रश्न थे, उत्तर के नाम पर कुछ नहीं। अब इंतजार रहेगा अगली सुबह का, जब विभोर और अजीत के जीवन का निर्णय होगा। क्या सभी को उन दोनों के कृत्य के बारे में बताया जाएगा? क्या दोनों की सजा पूरी हो चुकी है या अभी और भी बाकी है? वैसे बाकी हो तो निश्चित ही आनंद आ जाएगा ... कुसुम की प्रतिक्रिया का भी इंतज़ार रहेगा, क्या कहेगी वो वैभव से इस प्रकरण के बारे में जानने के बाद।
Ab ye to aane wala waqt hi batayega ki wo dono namune is sabke baad kaun sa raasta akhtiyaar karte hain...Well bahut bahut shukriya Death Kiñg bhai is shandaar sameeksha ke liye...बहुत ही खूबसूरत थी दोनों ही अध्याय भाई। जहां विभोर और अजीत के प्रकरण का एक आंशिक अंत हो चुका है, साथ ही एक नया पहलू भी सामने आ गया है। यदि भविष्य में कभी उन षड्यंत्रकारियों ने दोनों कमीनों को मौका दिया अपने साथ मिलने का, तो मुझे नहीं लगता की दोनों एक पल भी सकुचाएंगे। पिता – पुत्रों की वार्ता का भी काफी बढ़िया चित्रण किया आपने, उसके लिए कितनी भी प्रशंसा की जाए कम ही होगी।
अगली कड़ी की प्रतीक्षा में...
Bilkul Bhai, yu samjho ki pure pariwar ka grah nakshatra kharaab hai. Kuch na kuch bura hota hi rahta hai. Khair shayad yahi niyati me hai..kya hi kar sakte hain(अच्छा लगा देखकर की आपने पुनः कहानी को शुरू किया। मैं समझ सकता हूं की निश्चित ही निजी जीवन में आप किन्हीं मुश्किलों से घिरे हुए होंगें। और यदि मुश्किलें और कष्ट एक के बाद एक आने लगें, तो बेशक व्यक्ति पर उसका प्रभाव बढ़ता ही चला जाता है। खैर, सांत्वना ही दे सकते हैं हम तो, क्योंकि जिसपर बीतती है वही जानता है असल पीड़ा तो। ईश्वर आपके कष्टों का निदान करे और आपके जीवन की गाड़ी को पुनः पटरी पर ले आए। धन्यवाद!)
Shukriya bhaiबहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय मनभावन अपडेट है
दादा ठाकुर ने मणि शंकर से कहा कि इन्होंने जो काम किया है उसके लिए माफ भी कर दे लेकिन हमारी बेटी के साथ गलत किया है उसकी सजा अजीत और विभोर को हम देगे लेकिन गौरव को मणि शंकर द्वारा देने को कहकर एक तीर से दो निशाने मारे हैं अजित और विभोर को ठाकुर दादा क्या सजा देते हैं???
ठाकुर दादा,अभिनव और वैभव की कमरे में गुप्त बैठक करते है लेकिन किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचते हैं वो वही आकर खड़े हो जातें है जहा से शुरू हुए थे उनको कोई भी सुराग नहीं मिलता देखते हैं आगे क्या होता है क्या शीला की रिपोर्ट से कुछ मिलता है या नहीं क्या और उसका खबरी उन दो नौकरी या नोकरानियो में से हो सकता है क्यो की पैसो के लिए कोई भी कुछ भी कर सकता है जैसे शीला ने किया ??? अब देखना है की आगे क्या होता है
Jald hiShubham Bhai,
Please update
Shukriya bhaisuperb update to gud
Welcome back bro
Plz do cont asap Takecare
Vibhor aur ajeet ki gaand itni achhi nahi jiski todaai ki ja sake, vaibhav ko intzaar to asli shadyantrakaari ki gaand ka hai jise bajane me asli maza aayeमामला काफी हद तक खुल भी गया है और उलझ भी गया है. दादा ठाकुर का रोल इस कहानी का एक महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकता है. दुश्मन अब कौन सी चाल चल कर वैभव को हैरान करेगा. साहूकारों का लड़का अपने मन मे क्या पाले है और अब जब बात खुल गई है तो क्या होगा ये देखना दिलचस्प होगा.
अजित और विभोर की gaand तोड़ देनी चाहिए कुसुम के साथ जो किया वो निंदनीय था पर धूर्त लोग ऐसे ही होते हैं आगे भी वो कुछ ना कुछ करेंगे
चाचा का रोल भी संदिग्ध है
Jin do hastiyo ke naam liye hain mitra wo to ab zinda hi nahi hain, fir kaise unhe bulaaoge. Well next update me vibhor aur ajeet ka faisla ho jayegaसस्पेंस बढ़ता जा रहा है, कोई सुराग मिल नहीं रहा है, लगता अब तो करमचंद या शेरलॉक होम्स को ही बुलाना पड़ेगा इस केस को सुलझाने के लिए। अब देखना ये है को गौरव, विभोर और अजीत को क्या सजा मिलती है। अब वैभव कुसुम को कैसे वापस नॉर्मल करता है ये भी देखना होगा। बहुत ही शानदार अपडेट मगर पता नही क्यों थोड़ा छोटा लगा।
Shukriya bhaiAwesome
Shukriya bhaiGreat update br
Surag der sawer lag hi jayenge mitra, situation hamesha aisi hi nahi bani rahegi. Well shukriyaAdbhut....bahut hi rehasya bhare hue hai aapki kahani mai...ab dekhte hai koi suraag hath lagta hai ya nahi....agle update ki pratiksha mai....