TheBlackBlood - किस मिट्टी की बनी हुई है रूपा सच में!
ऐसा त्याग, ऐसा निःस्वार्थ - ऐसा स्तर केवल उच्च मनीषियों के बारे में ही सुना है मैंने। ऐसा कोई देखा नहीं।
संभव है, ईश्वर भी ऐसे ही हों। सच तो ये है कि,
रूपा के आने से ठकुरों का घर धन्य हो जाएगा। साक्षात् देवी है वो। पूजनीय!
उसके चरित्र, उसके व्यक्तित्व के सामने कोई ठहरता नहीं। अद्भुत!
रागिनी और वैभव का विवाह संपन्न हुआ और विदाई भी हो गई। पिछले दोनों अपडेट्स शादी-ब्याह और उससे सम्बंधित रस्मों पर केंद्रित रहे।
बंदूकों से गोली चलाने वाले किस्सों से मुझको एक बार गाँव की एक शादी याद आ गई। एक बुढ़ऊ, पी पिला के टुन्न हो कर बन्दूक चलाना चाहते थे। खुद पर कोई कण्ट्रोल नहीं था। मैंने देखा, तो उनको टोका। जाहिर सी बात है, बुढ़ऊ टुनकने लगे। तो मैंने उनको समझाया कि दद्दा, कहीं ऐसा न हो कि गोली चल जाए और कोई अनहोनी हो जाए। लिहाज़ा, तब चलना गोली, जब होशो-हवास अपने सही ठिकाने पर हों।
विदाई पर रोना-धोना बहुत ही वाहियात और बनावटी लगता है। स्साला, ससुराल में जा कर गर्दन काटने वाली है क्या जो ऐसा बुक्का फाड़ के रोती हैं औरतें?
ख़ास कर रागिनी के केस में बेहद बनावटी लगी ये बात। उसके सास ससुर, माँ बाप जैसा स्नेह करते हैं उससे। और ऐसे में उसका यूँ रोना धोना मूर्खतापूर्ण, बनावटी, और नकली है। उसको तो खुश होना चाहिए कि उसको अपने जीवन में सौभाग्यवती बनने का एक और अवसर मिला है! और ऐसे घर में, जहाँ उसको दोनों हाथों से प्यार किया जाता है! मूर्खता।
कम से कम अनावश्यक प्रकरणों से दूर रहे ये दोनों अपडेट्स। कहानी वापस पटरी पर आ गई है।
बस, रूपा के साथ वरमालाओं का आदान प्रदान हो जाए, तो कहानी की भी इतिश्री हो जाए। सच में, सुहागरात इत्यादि के सीन दिखाने की कोई ज़रुरत नहीं।
वैसे कहानी आपकी है - लिखेंगे, तो हम पढ़ेंगे ज़रूर