मेरा अनुमान सही निकला कि मुरारी लाल की हत्या और वैभव के फसलों को आग लगाना अलग अलग घटनाएं थी । रुपचंद्र ने वैभव के फसलों में आग लगाई थी । मगर उसकी ये करतुत छिछौरे टाइप और बचपाना थी । वैभव के प्रति जलन की भावना थी ।
पर इतनी आसानी से उसे छोड़ क्यों दिया ? ओह ! रूपा का भाई था न ! शायद इसीलिए हल्के फुल्के में ही डांट डपट कर और थोड़ी बहुत चपट लगा के छोड़ दिया ।
Bada door tak catch kiya aapne bhaiya ji,,,
Vaibhav ne roopchandra ko is liye itni asaani se chhod diya kyoki wo uski item ka bhai hai waah bhaiya ji,,,,
वैभव के लिए आलु भाई ने बहुत अच्छी बातें कही । वो दिमाग से नहीं बल्कि लं...से सोचता है । इतना सब कुछ हो गया फिर भी अनुराधा के लिए उसके मन में प्यार नहीं बल्कि हवश ही छुपा है । और यही हवश तो उसका अपने भाभी के लिए भी है । और इसीलिए वो हवेली में रहना नहीं चाहता
Aalu bhai ka review dekha tha maine. Firefox bhai aur kamdev bhaiya ji ki catagory me shaamil ho chuke hain wo. Mujhe to lagta hai ki wo in dono se 20 kya 21 kya balki seedha 100 kasam aage hone ki speed me hain,,,,
तात श्री और रूप चंद्र का एक साथ बघ्घी में चलना कोई मामूली चीज नहीं है । जरूर तात श्री कोई खिचड़ी पका रहे हैं ।
Kuch bhi ho sakta hai bhaiya ji,,,,
होली खेलने मुंशी जी के घर पहुंच गया है वैभव । वहां रजनी के साथ खास होली की तैयारी हो ही रही थी कि पड़ोस की लड़की रानी अपनी भौजी के साथ वहां पहुंच गई । थोड़ा विध्न तो हुआ लेकिन वैभव के लिए आने वाले समय में बहुत कुछ मस्त मस्त होने वाला है । इन दो युवतियों के अलावा रजनी की ननद भी तो है जो आगे चलकर उसके मीना बाजार की शोभा बढ़ाएंगी ।
देखते है किस तरह से और किन बातों से वो इन कन्याओं को अपना शिकार बनाता है ।
बेहतरीन और जगमग जगमग अपडेट शुभम भाई ।
Shukriya Sanju bhaiya ji is khubsurat sameeksha ke liye,,,,,