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Superbbb poetry bhaiप्यास वो दिल की बुझाने कभी आया भी नहीं,
प्यास वो दिल की बुझाने कभी आया भी नहीं,
कैसा बादल है जिसका कोई साया भी नहीं।।
बेरुखी इस से बड़ी और भला क्या होगी,
एक मुद्दत से हमें उस ने सताया भी नहीं।।
रोज़ आता है दर-ए-दिल पे वो दस्तक देने,
आज तक हमने जिसे पास बुलाया भी नहीं।।
सुन लिया कैसे ख़ुदा जाने ज़माने भर ने,
वो फ़साना जो कभी हमने सुनाया भी नहीं।।
तुम तो शायर हो ‘क़तील’ और वो इक आम सा शख्स़,
उस ने चाहा भी तुझे और जताया भी नहीं।।
__क़तील शिफाई
शुक्रिया भाई आपकी इस खूबसूरत प्रतिक्रिया के लिए,,,,,,awesome fantastic update
bhai flashbacks jaldi katam karol
शुक्रिया भाई आपकी इस खूबसूरत प्रतिक्रिया के लिए,,,,,,
शुक्रिया भाई आपकी इस खूबसूरत प्रतिक्रिया के लिए,,,,,,Nice
शुक्रिया भाई आपकी इस खूबसूरत प्रतिक्रिया के लिए,,,,,,awesome update