• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest ♡ एक नया संसार ♡ (Completed)

आप सबको ये कहानी कैसी लग रही है.????

  • लाजवाब है,,,

    Votes: 185 90.7%
  • ठीक ठाक है,,,

    Votes: 11 5.4%
  • बेकार,,,

    Votes: 8 3.9%

  • Total voters
    204
  • Poll closed .

VIKRANT

Active Member
1,486
3,377
159
शुक्रिया भाई आपकी इस खूबसूरत प्रतिक्रिया के लिए,,,,

आपने मेरी कहानी के संबंध में जो कुछ भी कहा उससे यकीनन दिल खुश हो गया।
आपने कहा कि हिन्दी भाषा पर मेरा प्रभुत्व है, ये तारीफ़ अच्छी तो लगी। पर ये नहीं मान सकता कि मेरा हिन्दी भाषा पर प्रभुत्व है, क्योंकि ये बहुत बड़ी बात है। एक बात ज़रूर कहना चाहूॅगा और वो ये कि हिन्दी भाषा हर भाषा से कठिन होती है ऐसा मेरा मानना है। दिन भर आदमी हिन्दी बोलता है मगर वो खुद नहीं जान पाता कि मैंने जो भी वाक्य बोला है वो ब्याकरण की द्रष्टि से सही है या नहीं???? मेरा दावा है कि अच्छे से अच्छा हिन्दी बोलने वाला ब्यक्ति भी हिन्दी में अपने उच्चारण ग़लत कर देता है। फिर चाहे वो जान बूझ कर ग़लत करे या अंजाने में। ख़ैर जाने दीजिए.....
मैं कोई साहित्यकार या लेखक नहीं हूॅ भाई, जो दिलो दिमाग़ में आता है लिखता जाता हूॅ बस।

अपनी राय और सुझाव ज़रूर देते रहना भाई।

धन्यवाद !!
I agree with you bro....hindi bhasha sach me kathin hoti hai....but aapke paas is bhasha par bahut niyantran hai ye pakki baat hai.

Waiting for the next update
 

luv4sale696969

Active Member
1,303
1,672
158
Still waiting....
 
  • Like
Reactions: TheBlackBlood

TheBlackBlood

αlѵíժα
Supreme
78,488
114,960
354
अपडेट........《 14 》

अब तक,,,,,,

"अरे क्या बात है अजय?" प्रतिमा बुरी तरह चौंकते हुए बेड पर उठकर बैठते हुए बोली__"इतनी रात को कहाॅ जा रहे हो तुम? और और अभी किसका फोन आया था?"

"अभी कुछ बताने का समय नहीं है।" अजय सिंह कार की चाभी अपने एक हाॅथ में थामते हुए बोला__"अभी मुझे यहाॅ से फौरन ही निकलना होगा, मेरा इंतज़ार मत करना।"

कहने के साथ ही अजय सिंह कमरे से बाहर निकल गया जबकि प्रतिमा नंगी हालत में ही भाड़ की तरह अपनी आॅखें और मुॅह फाड़े दरवाजे की तरफ देखती रह गई इस बात से बेख़बर की दो आॅखें निरंतर उसके नंगे जिस्म को देखे जा रही हैं।

अब आगे.......

अजय सिंह को शहर में अपनी कपड़ा मील की फैक्टरी पहुॅचते पहुॅचते लगभग सुबह हो गई थी। देर रात तक तो वह खुद ही अपनी पत्नी प्रतिमा के साथ मौज मस्ती में ब्यस्त रहा था।

अजय सिंह ने जब फैक्टरी के सामने अपनी कार रोंकी तो वहाॅ का माहौल ही अलग था। हर तरफ आग और धुएॅ का साम्राज्य नज़र आ रहा था। फैक्टरी के चारो तरफ भीषण आग की लपटें आसमान को छूती नज़र आ रही थी। दमकल की कई गाड़ियाॅ इस आग को बुझाने की कोशिश में लगी हुई थी। फैक्टरी में काम करने वाले कुछ मजदूर भी इधर उधर नज़र आ रहे थे।

अजय सिंह की हालत तो फोन में मिली जानकारी से ही खराब थी किन्तु खुद अपनी आॅखों से ऐसा भयानक मंज़र देख कर उसकी रही सही कसर भी काफूर हो गई। उसके चेहरे पर उसी तरह के भाव थे जैसे सब कुछ लुट जाने पर होते हैं।

अजय सिंह लुटे पिटे भाव के साथ कार से नीचे उतरा और फैक्टरी की तरफ चल दिया। अभी वह कुछ ही कदम आगे बढ़ा था कि उसका पीए दीनदयाल शर्मा उसकी तरफ ही आता हुआ नज़र आया। उसके चेहरे पर भी बड़े अजीब से भाव थे।

"सब कुछ बरबाद हो गया सर।" दीनदयाल करीब पहुॅचते ही हताश भाव से बोला__"कुछ भी शेष नहीं बचा। फैक्टरी के हर हिस्से में भीषण आग लगी हुई है। पिछले दो घंटे से फायर ब्रिगेड वाले इस आग पर काबू पाने की कोशिश में लगे हुए हैं।"

"क कैसे हुआ दीनदयाल?" अजय सिंह की आवाज़ ऐसी थी जैसे किसी गहरे कुएॅ से बोल रहा हो__"आख़िर कैसे हुआ ये सब? फैक्टरी में आग कैसे लग गई?"

"मुझे खुद भी कुछ समझ में नहीं आ रहा सर कि ये सब कैसे हो गया?" दीनदयाल दीन हीन लहजे से ही कहा__"फैक्टरी के अंदर आग लगने का सवाल ही नहीं था क्योकि इसके काफी तगड़े इतजामात थे। यहाॅ तक कि फैक्टरी में काम करने वाले मजदूरों को भी फैक्टरी के अंदर बीड़ी सिगरेट तम्बाकू या गुटका खाने की इजाज़त नहीं थी।"

"तो फिर कैसे लगी ये आग?" अजय सिंह आवेश मे बोला__"मुझे इस बारे में ठोस सबूत के साथ जानकारी चाहिए दीनदयाल। तुम जानते हो कि इससे हमें कितना बड़ा नुकसान हुआ है। जिस तरह आग लगी हुई नज़र आ रही है उससे साफ ज़ाहिर होता है कि फैक्टरी के अंदर की हर चीज़ ख़ाक़ में मिल चुकी है। तुम अंदाज़ा लगा सकते हो कि कितना नुकसान हो गया है।"

"मैं जानता हूॅ सर।" दीनदयाल ने कहा__"पूरी की पूरी फैक्टरी ही जल गई है, ये कोई मामूली बात नहीं है। ये करोड़ों से भी ऊपर का नुकसान है।"

"पुलिस को सूचित किया?" अजय सिंह ने पूॅछा।
"जी सर पुलिस को सूचित कर दिया गया है और पुलिस का एक इन्स्पेक्टर अंदर आपकी ही प्रतीक्षा कर रहा है।" दीनदयाल ने कहा__"वो कह रहा है कि आज के बाद से यहाॅ के थाने से उसका तबादला हो जाएगा और अब उसकी जगह पर आपकी बेटी रितू सिंह बघेल इंस्पेक्टर का चार्ज सम्हालेंगी।"

"ओह आई सी।" अजय सिंह के चेहरे पर सोचपूर्ण भाव नुमायां हुए__"तो वही हुआ जो हम नहीं चाहते थे, ख़ैर।"

कहने के साथ ही अजय सिंह फैक्टरी की तरफ बढ़ गया। ये लिखने की आवश्यकता नहीं कि उसके पीछे पीछे ही उसका पीए दीनदयाल भी बढ़ गया था।

कुछ देर में ही अजय सिंह उस इंस्पेक्टर के सामने था जिसकी पुलिस की वर्दी पर लगी नेम प्लेट पर उसका नाम अनिल वर्मा लिखा नज़र आया। कद काठी से ठीक ठाक ही नज़र आ रहा था वह। तीस से बत्तीस की उमर का रहा होगा। उसने अजय सिंह को देख कर बड़े ही अदब से नमस्ते किया।

"ठाकुर साहब बड़े ही अफसोस की बात है।" फिर उस इंस्पेक्टर ने कहा__"कि आपकी फैक्टरी में लगी आग से दूर दूर तक कुछ भी साबुत बचा हुआ नज़र नहीं आ रहा है। इससे इस बात का अंदाज़ा लगाना ज़रा भी मुश्किल नहीं है कि इस हादसे से आपको भारी भरकम नुकसान हो गया है, अगर...।"

अजय सिंह ने उसके 'अगर' पर अचानक ही कहते हुए रुक जाने पर उसकी तरफ सवालिया निगाहों से देखा।

"अगर आपने अपनी इस फैक्टरी का जीवन बीमा पहले से नहीं करवाया हुआ है तो।" फिर उसने ये कह कर अपने पिछले कथन को पूरा किया__"वैसे पूछना तो नहीं चाहिए मगर फिर भी आपसे पूॅछने की ये हिमाक़त कर ही लेता हूॅ, ड्यूटी इज ड्यूटी भले ही आज ही बस के लिए यहां के एरिये का इंचार्ज हूॅ कल से तो आपकी बेटी ही इस सबकी तहकीक़ात करेंगी न। ख़ैर, तो मैं ये पूछने की हिमाक़त कर रहा था कि..क्या लगता है आपको...ये आग किसने लगाई हो सकती है आपकी इस विसाल फैक्टरी में?"

"ये पता लगाना तो तुम्हारा काम है इंस्पेक्टर।" अजय सिंह ने तनिक कठोरता से कहा था, उसे इस इंस्पेक्टर का बिहैवियर आज कुछ बदला हुआ लगा था, इसके पहले तो ये सब खुद उसके ही पालतू कुत्ते जैसे थे, बोला__"और अगर नहीं पता लगा सकते तो यहाॅ तुम्हारी कोई ज़रूरत नहीं है समझे?"

"अरे आप तो नाराज़ हो गए लगते हैं ठाकुर साहब।" इंस्पेक्टर ने मुस्कुराकर कहा__"माफ कीजियेगा। पर सवाल तो मैंने ठीक ही पूॅछा था आपसे।"

"हाॅ तो हमें भी इस बारे में भला कैसे पता होगा कि ये आग किसने लगाई है?" अजय सिंह उखड़े हुए लहजे से बोला__"अगर पता होता तो क्या वो अब तक ज़िन्दा बचा होता?"

"हाॅ ये तो है।" इंस्पेकटर ने अजीब भाव से अपने सिर को हिलाया__"आपके हाॅथों अब तक तो उसका कल्याण हो जाना निश्चित ही था।"
"वैसे ये तुम कैसे कह सकते हो?" सहसा इस बीच दीनदयाल ने सवाल किया__"कि फैक्टरी में लगी ये आग किसी के द्वारा लगाई गई है?"

"देखा आपने ठाकुर साहब।" इंस्पेक्टर ने तपाक से कहा__"आपका ये पीए कितना दिमाग़दार है? मेरे पूॅछने पर जो सवाल आपको पहले ही मुझसे पूॅछना चाहिये था वो आपने नहीं पूॅछा लेकिन आपके इस दीन के दयाल ने पूॅछ लिया। ख़ैर, अब जबकि पूॅछ ही लिया है तो मुझे भी सवाल का जवाब देने में कोई ऐतराज़ नहीं है। बात दरअसल ये है ठाकुर साहब कि फैक्टरी में लगी आग अगर साधारण रूप से लगी होती तो उसका रूप इतना उग्र न होता, ऐसा मेरा मानना है..जोकि बाॅकि सबके नज़रिये से ग़लत भी हो सकता है। ख़ैर....अब जबकि आग इस प्रकार भीषण रूप से लगी हुई है कि फैक्टरी का कोई कोना तक खाली नहीं बचा है तो कहीं न कहीं मन में ये बात आ ही जाती है कि हो सकता है ये आग किसी के द्वारा सोच समझ कर तथा तसल्ली से इस प्रकार लगाई गई हो कि आपकी फैक्टरी का कोई भी हिस्सा राम नाम सत्य होने से न बच सके।"

अजय सिंह को इंस्पेक्टर की ऊल जलूल बातों से गुस्सा तो बहुत आ रहा था किन्तु वो उसकी इन सब बातों से सहमत भी था। यकीनन ऐसा हो सकता था। क्योंकि पिछले कुछ समय से जिस तरह की घटनाएं उसके साथ घट रही थी उससे यही ज़ाहिर होता था कि एक बार फिर किसी ने उसके साथ इस प्रकार का नुकसानदायी खेल खेला है। ये अलग बात है कि इस बार इस खेल में उसकी समूची फैक्टरी को ही आग के हवाले कर दिया गया था। अजय सिंह को समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर कौंन है जो उसके साथ ये सब कर रहा है?

"ठाकुर साहब इसी दुनियाॅ में हैं न आप?" उधर इंस्पेक्टर ने अजय सिंह को गहरी सोच में डूबे हुए देखकर कहा__"अगर हैं तो प्लीज ज़रा ग़ौर फरमाइये, मुझे आपसे कुछ सवालात करने हैं।"

"कैसे सवालात इंस्पेक्टर?" अजय सिंह बोला।
"यही कि फैक्टरी में लगी इस भीषण आग में किसी की जान तो नहीं गई न?" इंस्पेक्टर ने पूछा__"क्योंकि अगर ऐसा हो गया तो आपके लिए मुसीबत हो सकती है। फैक्टरी तो जल ही गई ऊपर से इस आग में जिनकी जान चली गई होगी उससे लम्बा बखेड़ा भी खड़ा हो जाएगा। अच्छा खासा केस बनेगा और आपको कानून की गिरफ्त में भी लेना पड़ सकता है।"

"ज्यादा बकवास करने की ज़रूरत नहीं है इंस्पेक्टर।" अजय सिंह गुर्राया__"जो भी होगा हम देख लेंगे। तुम अपना काम करो और फुटास की गोली लो, समझे??"

"जैसी आपकी मर्ज़ी ठाकुर साहब।" इंस्पेक्टर ने कहा और एक तरफ बढ़ गया।

"दीनदयाल।" इंस्पेक्टर के जाने के बाद अजय सिंह दीनदयाल से मुखातिब होकर कहा__"इस सबका न्यूज और मीडिया वालों को पता नहीं चलना चाहिए।"

"वैसे तो अब तक ये बात लगभग फैल ही चुकी होगी सर।" दीनदयाल ने कहा__"फिर भी न्यूज और मीडिया वालों से कुछ भी छुपा नहीं रह सकेगा। क्योंकि ये कोई साधारण मामला नहीं है, वो तो अच्छा हुआ कि हमारी फैक्टरी शहर से हट कर तथा शहर की आबादी से बहुत दूर थी जिससे फैक्टरी के अलावा बाकी और किसी का कुछ भी नुकसान नहीं हुआ। वर्ना सोचिए अगर ये फैक्टरी शहर में किसी आबादी वाली जगह पर होती तो क्या होता? आग की भीषण लपटों से आस पास के मकानों या और भी बहुत सी चीज़ों पर आग लग जाती जिसके परिणाम की कल्पना ही बड़ी भयंकर है। इस सबके बाद हम कहीं मुॅह छुपाने के काबिल नहीं रह जाते। जनता और कानून हमारे पीछे ही पड़ जाते।"

"जो नहीं हुआ उसके बारे में बात करने का कोई मतलब नहीं है दीनदयाल।"अजय सिंह ने गहरी साॅस ली__"यूॅ तो कानूनी रूप से इस बात की जाॅच तो होगी ही कि फैक्टरी में आग लगने की मुख्य वजह क्या थी? मगर....हमें तो पहले से ही इस बात का अंदेशा है कि इस सबमें उसी का हाॅथ है जिसने पिछले कुछ समय से हमारे साथ खेल खेलना शुरू किया है। समझ में नहीं आता कि आख़िर क्यों कर रहा है वो ऐसा? क्यों हमें बरबाद करने पर तुला हुआ है वो?"

"हैरत की बात है सर।" दीनदयाल ने गंभीरता से कहा__"हमें अब तक उसके बारे में कुछ पता नहीं चल पाया। वो हर बार धोखे से हमारा कुछ न कुछ नुकसान कर देता है और हम कुछ नहीं कर पाते।"

ये दोनो ऐसे ही अपना माथा पच्ची करने में लगे रहे। फैक्टरी के अंदर अब काफी हद तक आग पर काबू पा लिया गया था।
....................

उधर मुम्बई में आज एक बार फिर सब लोग एक साथ ड्राइंगरूम में रखे कीमती सोफों पर बैठे हुए थे।

"शहर के मशहूर बिजनेस मैन अजय सिंह की फैक्टरी में लगी आग, जिसमें सबकुछ जल कर खाक़ हो गया।" निधि ने अखबार में छपी ख़बर को पढ़ते हुए कहा__"मिली जानकारी के अनुसार ये आग उस समय लगी जब सारा शहर रात के अॅधेरे में गहरी नींद सोया पड़ा था। रात दो से तीन बजे के बीच फैक्टरी में आग लगी, और धीरे धीरे समूची फैक्टरी भीषण आग की चपेट में आ गई। फैक्टरी में मौजूद वर्कर खुद इस बात से अंजान हैं। फैक्टरी में लगी आग के उग्र रूप धारण करने से पहले ही फायर ब्रिगेड वालों को सूचित किया गया, जब तक दमकल की गाड़ियाॅ वहाॅ पहॅची तब तक फैक्टरी में लगी आग भयंकर रूप धारण कर चुकी थी। लगभग चार घंटे की मसक्कत के बाद फायर ब्रिगेड द्वारा इस भयंकर आग पर काबू पाया गया। फैक्टरी में आग लगने की सूचना फैक्टरी के मालिक अजय सिंह बघेल को दे दी गई थी। फैक्टरी में आग लगने से जो करोड़ों का नुकसान हुआ है उससे फैक्टरी के मालिक अजय सिंह गहरे सदमे में हैं। हमें विश्वस्त सूत्रों द्वारा ये पता चला है कि फैक्टरी के मालिक अजय सिंह ने अपनी फैक्टरी का कोई जीवन बीमा वगैरा नहीं करवा रखा था, इस लिए अब आप समझ सकते हैं कि आग लगने की वजह से फैक्टरी के मालिक अजय सिंह का कितना नुकसान हुआ होगा। फैक्टरी में आग लगने की वजह अभी तक सामने नहीं आई है। इस बारे में अभी पुलिस द्वारा जाॅच पड़ताड़ की जा रही हैं।"

"कैसी रही अंकल?" विराज ने होठों पर मनमोहक मुस्कान बिखेरते हुए कहा__"अजय सिंह को एक और झटका दे दिया मैंने।"
"तो क्या यही वो काम था जिसे तुम अजय सिंह के बिजनेस पार्टनर अरविंद सक्सेना द्वारा अंजाम देने की बात कह रहे थे?" जगदीश ने हैरत से कहा__"पर कैसे हुआ ये सब?"

"हाॅ राज कैसे किया तुमने ये सब?" गौरी ने भी चौंकते हुए पूछा।
"सब कुछ शुरू से और अच्छे से आप लोगों को बताता हूॅ।" विराज ने एक लम्बी साॅस खींचते हुए कहा__"जब अजय सिंह का बिजनेस पार्टनर अरविंद सक्सेना अपने उन फोटोग्राफ्स की वजह से मेरे इशारों पर काम करने को तैयार हो गया तो मैने उससे अजय सिंह के बिजनेस से संबंधित और भी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी हाॅसिल की जिसका किसी को कुछ पता नहीं था।"

"क्या मतलब??" विराज की इस बात पर सब एक साथ चौंके थे__"कैसी जानकारी??"

"अरविंद सक्सेना के अनुसार।" विराज ने इत्मीनान से कहा__"अजय सिंह कपड़ा मील की आड़ में गैर कानूनी धंधा भी करता है। जिसमें गाॅजा, अफीम, चरस, आदि कई चीज़ें शामिल हैं। इन सबसे उसे लाखों करोड़ों का भारी मुनाफा होता है। चूॅकि ये गैर कानूनी धंधा है इस लिए इसमें उसे कानून का भी डर था मगर उसने अपनी चतुराई से कानून को भी इसमें शामिल कर लिया। कहने का मतलब ये कि इस धंधे से होने वाले मुनाफे में पुलिस और कानून के कई सारे नुमाइंदों का भी हिस्सा होता था। पुलिस और कानून का साथ मिलते ही ये धंधा और भी जोर शोर से चलने लगा मगर छिप छिपाकर ही। अजय सिंह की फैक्टरी शहर से बाहर ऐसी जगह पर है जहाॅ आबादी न के बाराबर ही है इस लिए फैक्टरी में ही इन सब चीज़ों का भी एक अलग से कारखाना बनाया गया था जो फैक्टरी के नीचे तहखाने में था। अब आप समझ सकते हैं कि अजय सिंह क्या है? कपड़ा मील की कमाई से इतना मुनाफा नहीं था जितना इस गैर कानूनी धंधे से था। ये तो ख़ैर शुरूआत है, अभी और भी बहुत सी चीज़ें हैं जिनके बारे में कोई नहीं जानता।"

"तुम तो जान ही गए होगे न?" जगदीश ने कहा__"फिर तो कोई समस्या ही नहीं है।"
"मुझे भी उतना ही पता है जितना सक्सेना को पता था।" विराज ने कहा।

"क्या मतलब??" जगदीश चौंका।
"सक्सेना अजय सिंह का पार्टनर ज़रूर था अंकल।" विराज कह रहा था__"लेकिन उसे खुद ये नहीं पता था कि उसका बिजनेस पार्टनर अजय सिंह वास्तव में है क्या? अरविंद सक्सेना एक फट्टू किस्म का इंसान था तथा साफ दिल का, ये अलग बात है कि उसका कैरेक्टर बाॅकी चीज़ में अजय सिंह से जुदा नहीं था। हाॅ ये जरूर था कि सक्सेना गैर कानूनी काम करने से डरता था, और शायद यही वजह रही थी कि अजय सिंह ने इस धंधे में सक्सेना को शामिल न करके उसे इससे दूर ही रखा। ख़ैर, एक दिन सक्सेना को किसी वजह से ये पता चल गया कि अजय सिंह गैर कानूनी धंधा भी करता है। उसने अपनी आखों से फैक्टरी के बेसमेंट में बने एक अलग ही कारखाने को देखा था। अजय सिंह को ये पता नहीं था कि सक्सेना उसकी असलियत जान चुका है। सक्सेना ने कभी अजय सिंह से इस बात का ज़िक्र भी नहीं किया। क्योकि वह जानता था कि इस धंधे में कोई किसी का नहीं होता, अगर बात इधर से उधर हो गई तो उसकी जान भी जा सकती है। सक्सेना उस दिन से परेशान भी रहने लगा किन्तु उसने ये सब अजय सिंह पर ज़ाहिर न होने दिया। वो अब किसी तरह अजय सिंह से पार्टनरशिप तोड़कर उससे कहीं दूर चला जाना चाहता था, मगर सवाल था कि कैसे करे ये सब? फिर एक दिन वो मेरी पकड़ में आ गया, मैने जब उसे अपने तरीके से टार्चर करके उससे अजय सिंह के बारे में पूॅछा तथा उससे पार्टनरशिप तोड़ने की बात कही तो वह कुछ देर न नुकुर करने के बाद इसके लिए तैयार हो गया। उसने मुझसे शर्त रखी कि इस सबमें उसका नाम नहीं आना चाहिए और उसे सुरक्षित इस देश से बाहर परिवार सहित भेज दिया जाए। मुझे उसकी शर्त से कोई आपत्ति नहीं थी इस लिए मैंने भी उसकी शर्त मान ली।"

"तो अजय सिंह का एक सच ये भी बाहर आ गया कि वह अपने इस बिजनेस की आड़ में गैर कानूनी काम भी करता है।" जगदीश ने गहरी साॅस लेते हुए कहा__"खैर तो तुमने इस सबके बाद सक्सेना से कैसे इस काम को अंजाम दिलवाया?"

"हे भगवान।" गौरी आश्चर्यचकित भाव के साथ कह उठी__"कितना गिरा हुआ इंसान है ये, ऐसा कोई काम नहीं बचा जो इसने किया नहीं है।"

"मेरा बस चले तो।" निधि ने बुरा सा मुॅह बनाते हुए कहा__"ऐसे ब्यक्ति को बीच चौराहे पर गोली मार दूॅ, हाॅ नहीं तो।"

"सक्सेना के बाॅकी जो छोटे मोटे कारोबार थे उन्हें मैंने आपके द्वारा खरीद लिया।" विराज कह रहा था__"और उसके एकाउन्ट में पैसा भी डलवा दिया गया। साथ ही उसको उसके परिवार सहित विदेश जाने का इंतजाम भी कर दिया गया था। अब सक्सेना के पास एक ही काम रह गया था जिसे वो मेरे कहने पर करने वाला था। कल रात उसने फैक्टरी जा कर बेसमेंट में तीन टाइम बम्ब फिट किये थे। ये काम उसने बड़ी सावधानी से तथा किसी की नज़र में आए बिना किया था। इस बात का खयाल किया गया था कि उस समय फैक्टरी में कोई न हो क्योंकि इससे बाॅकी तमाम वर्कर्स की या बहुत से बेकसूर लोगों की जान जाने का भी भीषण खतरा था। फिर सक्सेना ने बताया कि फैक्टरी में हप्ते में एक दिन का अवकाश होता है और इत्तेफाक़ से कल अवकाश ही था। तीन घंटे के टाइम के बाद बमों को फटना था। बमों के फटने से पहले ही सक्सेना अपने परिवार के साथ विदेश जाने वाली फ्लाइट पर बैठ कर निकल लिया था और इधर तीन घंटे बाद फैक्टरी के अंदर धमाका हो जाना था और खेल खतम।"

"बहुत खूब बेटे।" जगदीश के चेहरे पर प्रसंसा के भाव थे, बोला__"जब दिमाग़ से ही काम हो जाए तो हाॅथ पैर चलाने की ज़रूरत ही क्या है? वेल डन बेटे....आई एम प्राउड आफ यू।"

"वाह भइया वाह आपने तो कमाल ही कर दिया।" निधि ने खुशी में झूमते हुए कहा__"और साड़ी को फाड़ कर रुमाल कर दिया, हाॅ नहीं तो।"

"बेटा जो कुछ भी करना बहुत सोच समझ कर करना।" गौरी अंदर ही अंदर अपने बेटे के इस सराहनीय कार्य से खुश तो थी किन्तु प्रत्यक्ष में उसने यही कहा__"क्योंकि तुम जिसके साथ ये जंग कर रहे हो वो बहुत खराब आदमी है।"

"फिक्र मत कीजिए माॅ।" विराज ने सहसा ठंडे स्वर में कहा__"उस खराब आदमी के पर ही तो कुतर रहा हूॅ और एक दिन उसे अपाहिज भी कर दूॅगा। उसके लिए बहुत कुछ सोच रखा है मैंने। समय आने पर आप देखेंगी कि उसका क्या हस्र करता हूॅ मैं।"

"इस धमाके के बाद तो उसकी हालत खराब हो गई होगी बेटे।" जगदीश ने कहा__"संभव है कि इस हादसे की जाॅच ही न करवाए वो।"
"आपने बिलकुल ठीक कहा अंकल।" विराज ने कहा__"फैक्टरी में हुए इस भीषण काण्ड की जाॅच नहीं करवाएगा वो। क्योकि इससे उसे मिलेगा तो कुछ नहीं बल्कि उल्टा जाॅच से फॅस ज़रूर जाएगा। पुलिस और फाॅरेंसिक डिपार्टमेंट वाले हर चीज़ को बारीकी से जाॅचेंगे परखेंगे। उस दौरान वो लोग फैक्टरी का चप्पा चप्पा छान मारेंगे और इस सबसे उन्हें वो सबूत भी मिलेंगे जो इस बात की चीख चीख कर गवाही देंगे कि शहर का मशहूर बिजनेस मैन ग़ैर कानूनी धंधा भी करता था। बस खेल खतम।"

"देखते हैं क्या होता है?" जगदीश ने कहने के साथ ही पहलू बदला__"वैसे अब आगे का क्या करने का विचार है?"
"अभी और कुछ नहीं करना है।" सहसा गौरी ने हस्ताक्षेप किया__"अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान देना कुछ, ये काम तो होता ही रहेगा।"

"गौरी बहन सही कह रही है राज।" जगदीश ने अपनेपन से कहा__"कुछ दिन में तुम्हारा काॅलेज भी शुरू हो जाएगा इस लिए अपने मन को थोड़ा शान्त भी रखो।"

"मैं भी यही सोच रहा हूॅ।" विराज ने मुस्कुरा कर कहा__"कुछ दिन अजय सिंह को भी अपनी हालत पर काबू पा लेना चाहिए। वर्ना कहीं ऐसा न हो कि हादसे पर हादसे देख कर वह हार्ट अटैक से ही मर जाए। फिर किससे मैं अपने तरीके से इंतकाम ले सकूॅगा?"

"एक के मर जाने से क्या होता है भइया?" निधि ने कहा__"सब उसके जैसे ही तो हैं, उनका भी वही हाल करना, हाॅ नहीं तो।"

निधि की बात पर सब मुस्कुरा कर रह गए।


अपडेट हाज़िर है दोस्तो......
आप सबकी प्रतिक्रिया का इन्तज़ार रहेगा,,,,,,,,,
 
Last edited:

aka3829

Prime
3,369
12,318
159
बहुत ही उम्दा अपडेट था इस अपडेट में पता चला कि जहां दिमाग का इस्तेमाल करते हैं वहां पर हाथ पैर का इस्तेमाल करना जरूरी नहीं होता आप अपने दिमाग के इस्तेमाल से भी अपने दुश्मन को मार दे सकते हैं अजय की हालत तो पर कटे परिंदे से भी बुरी हो गई है ना तो वह अपनी फैक्ट्री के आग लगने की कंप्लेंट कर सकता है ना ही उसकी जांच करा सकता है लेकिन अब उसकी बेटी police officer Bankar Wohi Aa Gayi Hai aur woh उसकी जांच जरूर करवाएगी और अगर उसमें उसे यह पता चला कि उसका बाप गैरकानूनी काम करता था फिर देखना होगा कि वह क्या करती है क्या वह अपने बाप को गिरफ्तार करेगी और उधर विशाल फिर से कॉलेज जाने लगेगा जहां उसकी मुलाकात अजय की दूसरी बेटी से होगी जिसे वह अपने प्यार के जाल में फंसा कर कुछ भी करवा सकता है इन सबसे अलग वह जो दो आंखें प्रतिमा को नंगा देख रही थी उनका भी कुछ खुलासा करो मेरे भाई वैसे तो पता है कि यह उसके बेटे का ही काम होगा फिर भी जिज्ञासा तो रहती है ना आपके अगलेअपडेट का बेसब्री से इंतजार रहेगा धन्यवाद
 

TheBlackBlood

αlѵíժα
Supreme
78,488
114,960
354
https://xforum.live/threads/rajrani-badalte-rishte.451/page-4

दोस्तो ऊपर दिये गए लिंक को ज़रूर एक बार चेक कीजिएगा।

जैसा कि मैंने अपनी दूसरी कहानी के संबंध में आप सबसे बताया था कि नये साल से उसे शुरू करूॅगा। इस लिए दूसरी कहानी शुरू करने से पहले आप सबसे ये पूॅछना चाहता हूॅ कि आप लोग इंसेस्ट में किस रिश्ते के बीच कहानी को पढ़ना पसंद करेंगे???

आप सब अपनी अपनी राय और सुझाव से मुझे ज़रूर बताएं ताकि मैं आप सबकी पसंद को ध्यान में रख कर ही कहानी शुरू कर सकूॅ।

धन्यवाद!!
 

TheBlackBlood

αlѵíժα
Supreme
78,488
114,960
354
org197921.png


HAPPY NEW YEAR 2019

आप सभी दोस्तों को मेरी तरफ से नये साल की ढेर सारी शुभकामनाएं।
आपको वो सब कुछ मिले जिसकी आरज़ू या ख़्वाहिश आप सबके दिल में हो।

HAPPY NEW YEAR 2019
 
Top