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Incest ❣️ घर की ज़िम्मेदारी ❣️ [Completed]

आप की पंसदीता लड़की/औरत

  • सुमित्रा

    Votes: 35 50.7%
  • पारुल

    Votes: 30 43.5%
  • नेहा

    Votes: 4 5.8%

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Premkumar65

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जैसे की आप ने देखा सूरज की मां को कल रात भरपूर यौन सुख का आनंद मिला...और वही अब मुंबई में ट्रेन से पारुल और सूरज पहुंच चुके थे...जैसे की आप ने पड़ा सूरज अपनी पड़ोस वाली आंटी को जूठ बोल दिया की पारुल उसकी भाभी है और वो उसे घुमाने लाया है...इस बात से पारुल का दिल बैठ गया था की सूरज उसे बस उसकी भाभी मान रहा था...वही दूसरी और अब धीरे धीरे पारुल ने ये स्वीकार कर लिया था की जैसे भी हालत में ये शादी हुए हो लेकिन ये वो शादी की कसमें.... उसके गले में पहना हुआ सूरज के नाम का मंगलसूत्र और मांग में सिन्दूर उसे न चाहते हुए भी वो अब सूरज की अर्द्धांगिनी थी... और पारुल अब सूरज को अपने पति न दिल से लेकिन दिमाग से तो मान ही चुकी थी....वही उसे बहोत बुरा भी लगा था लेकिन जता नही रही थी की उसे नेहा से मन ही मन न चाहते हुए भी एक चीड़ चढ़ रही थी...वही पारुल का दिल इतना साफ था की वो ये भी चाहती थी की चाहे उसे कुछ भी करना पड़े लेकिन खुद की खुसी के लिए वो सूरज के पहले प्यार को उस से दूर नही होने देगी...वो मन ही मन ये भी निश्चय कर बैठी थी की घर जाते ही अपन सास ससुर से बात करेगी इस बारे में....

सूरज का प्लान था की लंच वो नेहा के पाप के साथ करे और उनकी बात भी हो... 25 साल का होते हुए भी सूरज जैसे किसी 16 साल के बच्चे जैसा मालूम होता था जब बात जिम्मेदारी की आती थी... नहीं तो कोई मर्द कैसे अपनी दो रात पुरानी शादी को भूल एक नई रिश्ते की बात करने उतावला हो रहा था...क्या सुराज के मन में एक पल के लिए भी अपने भाई की विधवा और अब उसकी पत्नी के दुख का अंदाजा न लगा...क्या उसे छोटी सी परी का भी एक पल के लिए खयाल नहीं आया जो उसे चाचू चाचू करती उसकी गोद में बैठ जाती है... कया सूरज को अपने परिवार के मान सम्मान का कोई विचार नहीं था....

सायद सूरज अपने प्यार में पूरी तरह से अंधा हो गया था...होता भी क्यों नहीं जब उसे इस मुबई जैसे सहारे में किसी का सहारा नहीं मिल रहा था तब न जाने कहा से नेहा उसके जीवन में आई... चुलबुली नटखट बदमाश नेहा ने जैसे साधारण और छोटे से गांव के लड़के पर ऐसा जादू किया की सुरज चारो खानों चिढ़ हो गया... अपनी उम्र से 6 साल छोटी नेहा से सूरज पागलों जैसे प्यार करने लगा...(नेहा 19 साल) नेहा भी एक साफ दिल की लड़की थी तभी तो एक अमीर बाप की बेटी होते हुए भी वो एक आम लड़के के प्यार में पड़ गई थी... सूरज के प्यार ने नेहा को काफी बदल दिया था... अब वो पहले वाली नेहा न थी जिसे अपने पापा की दौलत की अकड़ थी... धीरे धीरे नेहा पे सूरज का रंग चढ़ रहा गया था.... सूरज के नजरिए से देखें थे नेहा तब केवल 18 साल की थी और अपने पतले शरीर और छोटे कद काठी के कारण वो बस 13 14 साल की बच्ची लगती थी...गोरा रंग... गुलाबी होठ.. घने लम्बे बाल... उसे नेहा काफी क्यूट लगती वो उसे इसे ट्रीट जैसे वो किसी छोटी बच्ची हो...

*.....एक साल पहले...जब नेहा स्कूल में पड़ती थी.......*

इस दौरान सूरज नया नया मुंबई में नौकरी करने आया था... पहली ही जॉब होने से उसे इस सहर का कोई अनुभव न था दोस्त थे पर सब इतने दूर रहते थे की वो एक दम अकेला हो चुका था...वो एक अच्छे एरिया में रहा करते था शेयरिंग रूम में...वही उसके पास की एक बिल्डिंग में नेहा रहती थी...

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जब से सुराज यहां आया था ऑफिस से आते हुए वो नेहा को स्कूल जाते और जब वो खाना खाने बाहर जाया करता तब नेहा वही खेल रही होती...वो इतना ध्यान नहीं देता था पर फिर भी उसकी नजर न चाहते हुए भी नेहा की खिलखिलाहट भरी आवाज उसके कानो तक तो जाति...और एक दो पल किए सूरज नेहा की और देख मन ही मन खुश होता...

खाने के बाद सूरज रोज वही आस पास चक्कर लगाता.. वहा चलन के लिए रोड के एक तरफ काफी जगा थी कहा पेड़ पोथे भी लगे थे...कुछ लड़के लड़कियां भी वहा बैठ के प्यार की बाते करते... यहां के लोग गांव जैसे नही थे सब खुले विचार रखते थे... लड़किया वेस्टर्न कल्चर के कपड़े ही पहना करती थी नेहा भी खेलते हुए बस एक छोटी सी शॉर्ट्स और उपर बस बिना स्लीव वाली टी शर्ट या स्पोर्ट्स ब्रा पहन के आती...उसकी आधे से अधिक बॉडी साफ खुली होती... ये कोई बड़ी बात नहीं थी यहां...और ये सूरज भी अच्छे से समझ चुका था अपने कॉलेज के दिनों से ही....

पता नही कैसे लेकिन नेहा भी अब सूरज की मौजूदगी महसूस कर रही थी...उसके अंदर हो रहे बदलाव उसे सूरज जैसे उस से बड़े लड़के की और अपने आप खीच रही थी...अब नेहा जब सूरज को अपने आस पास पाती वो शर्म से लाल हो जाती...अब दोनो की नजरे मिल जाती सूरज को नेहा अभी तक बस एक क्यूट बच्ची से अधिक नहीं लगती थी...लेकिन उसका दिल नेहा को देख बस खुस हो उठता...

वही नेहा की हालत कुछ और नेहा अपने अंदर हो रहे बदलाव से अभी अभी वाकिफ हुए थी...उसे बस अभी यौन उत्तेजना सुरु हुए थी...उसकी योनि पे अब हल्के हल्के बाल आ चुके थे... नेहा को सूरज अच्छा लगने लगा था...लेकिन ये ये सिर्फ उसका यौन उत्तेजना का परिणाम था या कहे तो पहले पहले शारीरिक आकर्षण का नतीजा...

एक दिन आया जब सूरज तहल रहा था और नेहा के साथ उसके कोई दोस्त नहीं थे... नेहा एक और से आ रही थी और सूरज दूसरी और से... संजोग से आस पास कोई नही था....नेहा का दिल जोरो से धड़क रहा था...उसके दिमाग में बहोत कुछ चल रहा था पर उसे आज अपने क्रश से बात करनी ही थी...वो ये मोका जाने नही देना चाहती थी...नेहा वही रुक गई... जैसे जैसे सूरज पास आ रहा था नेहा की दिल की धड़कन बढ़ रही थी...नेहा की दो छोटी छोटी चूचियां उपर नीचे होने लगी...जब सूरज उसके करीब से गुजरा सूरज ने उसे एक स्माइल दी...सूरज भी थोड़ा असहज हुआ अपने आगे एक लड़की को खड़ा हुआ ब्लश करते देख....

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लेकिन नेहा उसे अभी तक कोई 13 14 साल की बच्ची ही मालूम होती थी...

तभी नेहा बड़ी हिम्मत कर अपनी सहद से मीठी आवाज में बोली..और सूरज की और चल के जानें लगी...

नेहा – (नेहा थी एक दम नटखट बदमाश लड़की लेकिन अपने से बड़े लड़के को देख सरामा भी रही थी) में नेहा...क्या आप मेरी मदद करोगे....

सूरज के लिए बेशक वो एक बच्ची ही थी पर उसके सामने इतनी खुसबूरत लड़की थी जिसे देख सूरज भी थोड़ा हड़बड़ी में बोला " हा बोला ना...आप यही रहते होना"

दोनो के बिच काफी गरमाहट बड़ गई थी दोनों की दिल की धड़कन बढ़ चुकी थी...लेकिन कुछ देर में दोनों सहज हो गई... दोनो को लगा कि एक जगा इस खड़ा रहना बड़ा अजीब है तो दोनो साथ में चकते हुए बाते करने लगे...

सूरज – अरे आप कुछ मदद करने के लिए पूछ रही थी...मेरे तो दिमाग से निकल गया...

नेहा एक दम से डर गए की अब क्या बोले लेकिन कुछ सोच सच ही बोल दिया.. हा कुछ हद तक...

नेहा – वो...वो में अकेली थी तो सोचा की आप आज बात की जाय... वैसे तो हम रोज मिलते ही बस बात नही हुए कभी...(नेहा शर्म से लाल हो गई)

सूरज – चलो अच्छा हुआ वैसे मुझे भी आज एक छोटी सी प्यारी दोस्त मिल गई... तुम सब को देख मुझे भी मेरे बचपन के दिन याद आ जाते है...खास कर के जब तुम और तुम्हारी दोस्त साइकिल लेके घुमती हो बहोत प्यारी लगती हो....(और सूरज ने नेहा के सर ले हाथ रख उसे सहला दिया..)

नेहा को सूरज का पहला स्पर्श भा गया पर उसे अच्छा नही लगा कि सूरज उसे एक छोटी बच्ची समझ रहा था....

नेहा – (थोड़ा मुंह फुला के जो उसे देख साफ पता चल रहा था की वो नजर थी) (उसका बड़बोलापन अब बाहर आने को तैयार था) (वो अपने जूते जमीन पे जोर से मार के नाराजगी दिखाते हुए बोली) प्लीज में कोई छोटी बच्ची नहीं...और पहले तो में आप से चोटी हु तो मुझे आप आप मत बोलो...(गुस्सा हो के) समझे....

सूरज मन ही मन सोच रहा था ये कैसी लड़की ही एक घंटा नही हुआ बात करे और ये इसे हुकुम दे रही है जैसे मेरी बीबी हो....और सूरज थोड़ा हस दिया...(नेहा और गुस्सा हो गई)

सूरज – अच्छा तो आप बड़ी हो गई हो...लेकिन मुझे तो नही लगता....(और वो इस बार नेहा के गाल को खींच दिया)

सूरज में इतनी हिम्मत बस इस बात से आ रही क्यू कि एक तो वो नेहा को बस एक छोटी बच्ची समझ रहा था और दूसरी वजह थी नेहा खुद...जो इतना हक जता रही थी..और दोनो एक दुसरे को काफी दिन से बिना बात किए ही जानते थे...एक दुसरे को बस रोज देख के...

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नेहा का गोरा गाल एक दम से उस जगा से जहा सूरज ने गाल खींचा था पूरा लाल रंग का हो उठा...अब नेहा सूरज को और प्यारी लग रही थी....

नेहा नाराज होके वहा से चली गई...लेकिन ये मुलाकाते अब रोजाना होने लगी.. सूरज को ये भी पता चल गया कि वो 18 साल की है...लेकिन फिर भी उसके मन में नेहा के लिए कोई वैसा ख्याल न आया...धीरे धीरे नेहा दोस्तो मे साथ कम और सूरज के साथ ज्यादा टहलने लगी...

और दिन बीतते गई नेहा के साथ साम को बिताए हुए बस कुछ पल अब सूरज की सारी थकान दिन कर देती..वो अब सारा दिन बस साम होने का इंतजार में रहता... नेहा तो अब दिल दिमाग सब तरह से सूरज की हो चुकी थी...पर सूरज नेहा को बस एक दोस्त की तरह ही पसंद करता था...
Pyaar ke ankur fut rahe hain.
 
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Update 10
(नेहा स्पेशल)

मुंबई में नेहा को अपने कमरे नींद नही आती उसे बस सुरज की यादें सता रही थी.. पिछले कुछ दिनों से वो ठीक से सो भी नही पाई थी...नेहा की आखों के नीचे डार्क सर्कल्स आ गई थे...नेहा के बाल खुले हुए बिस्तर पे बिखरे हुए थे... दरवाजे पे खड़े हुए उसके मम्मी पापा अपनी बेटी की ऐसी हालत देख पड़े परेशान हो रहे थे.."आप सो जाओ में नेहा के साथ सो जाती हु" "नही तुम सो जाओ में आज रुकता हु...तुम भी कुछ दिन से ठीक से सो नहीं पाए हों"

कमरे में जाके नेहा के पापा पहले दरवाजा अंदर से बंद कर दिए और खिड़क भी ठीक से बंद कर ली...फिर नेहा के पास जाके...उसे अपनी बांहों में भर प्यार से सहलाने लगा.. नेहा को बड़ा सुकून मिल रहा था वो अपने पापा की बाहों से निकलना नही चाहती थी...
"नेहू क्या हुआ बेटा पापा यही है लेट जाओ अब सो जाते है"
"नही पापा मुझे छोड़ के मत जाओ"
नेहा के गालों को हलका सा चूम के "मेरी गुड़िया में कही नही जा रहा बस आप लेट जाओ फिर पापा की गोद में आ जाना"

नेहा लेट गए और नेहा के पापा भी उसके पीछे से लेट गया और अपनी बेटी को पूरी तरह से अपनी बाहों में कस के जकड़ लिया... नेहा को उसके पापा का बड़ा लिंग उसके चूतड़ों पर महसूस हुआ..वो अपनी आह निकल देती है..."पापा...वो चुभ रहा है" नेहा के पापा का हाथ उनकी बेटी के छोटे छोटे लिम्बु जैसे स्तनों पे था...उन्हें वो धीरे धीरे से सहला रहे थे "पापा I love you" "I love you नेहू" और नेहा के पापा ने उसके पतले से गले को पीछे से चूम लिया...नेहा फिर से आह निकल दी....
लिंग अब नेहा की गांड़ की दरार में एक दम फस गया था...नेहा ने बस एक पतली सी पैंटी पहनी थी...और उसके पापा ने बस पतला सा शॉर्ट्स...नेहा ने उपर एक स्लिप पहनी थी जो बहोत खुली खुली थी...

नेहा के पापा का हाथ अब नेहा की स्लिप से होता हुआ उसके छोटे छोटे स्तनों को मसलने लगा था...नेहा की सिकारिया अब तेज होने लगी थी... अपनी बेटी की सिसकारी सुन (आलोक) नेहा के पापा का लिंग नेहा की पेंटी को चीरता हुआ आगे बड़ रहा था... "पापा आह..." नेहा की मीठी मीठी आहे अब आलोक को पूरी तरह से मदहोश बना रही थी... नेहा अपने जीवन का पहला लिंग अपनी कुवारी योनि पे महसूस कर अपने पापा की गोद में मछली की तरह मचल रही थी...अपने पापा की मजबूत पकड़ से वो आजाद होने की नाकाम कोशिश करते हुए अपने हाथ पैर चला रही थी जो उसके पापा को और अधिक कामुक कर रहा था...नेहा को भी उसके पापा का ऐसा स्पर्श आनंद की अनुभती दे रहा था...उसका भी दिल हो रहा की आज अपने पापा के साथ वो सब हदे मिटा दे...

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नेहा उसकी मीठी और दबी हुई आवाज में बोली "पापा बस करो ...मुझे अजीब लग रहा है..." "बेटी डरो मत कुछ नही होगा...बस पापा पे भरोसा रखो...देखो आप कितने गीले हो गई हो..." और ये कहते हुए आलोक ने अपनी एक ऊंगली नेहा की योनि रख दी...नेहा की जोर की आह निकल गई... वो अपनी कमर उठा दी...उसे अजीब सी गुदगुदी हुए...और उसकी गुलाबी योनि से पानी निकलने लगा...

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"मेरी बच्ची इतना पानी छोड़ रही है... देखो तो" और आलोक ने नेहा के पानी से भीगी हुई उंगली नेहा के होठों पर रख दी..."पापा प्लीज" लेकिन उसके पापा नहीं रुके और वो उंगली नेहा के छोट से मुंह में डाल दी...देखने से ऐसा लगता था जैसे नेहा के मुंह में लिंग हो...नेहा कुछ समय बाद इसके पापा की उंगली को किसी छोटी की तरह प्यार से चूसने लगी...नेहा उंगली को चूसने में मस्त थी तभी आलोक ने धीरे से नेहा की पेंटी को नीचे कर दिया...और एक दम से वो उठ खड़ा हुए और नेहा के पैरो को उठा के एक बार में उसकी गीली कच्छी को उतार के उसकी कामुक गंध को महसूस करते हुए बोले "बिलकुल अपनी मां पे गई हो...कोई फर्क नहीं दोनो की सुगंध जैसे अप्सरा की योनि का पानी हो"

नेहा अपन हाथ से अपनी योनि को ढक ने की नामक कोशिश करने लगी...वही ही मोका देख उसके पापा उसकी स्लीप अपने हाथो में लेकर फाड़ दिए...ये सब इतना कामुक हो चुका था की अब आलोक से रहा नही गया...वो अपनी फूल सी बेटी के छोटे छोटे स्तन को अपने मुंह में भर नेहा की हालत को और अधिक खराब कर देते है...नेहा शर्म से मरी जा रही थी वही एक मर्द के स्तन मर्दन से पुरी तरह से अपना आपा खो रही थी...वो कभी नहीं सोची थी की उसके खुद के पापा उसके स्तनों का पहला रस पान करंगे...

"आह पापा... आउच.... आउच... आह काट क्यू रहे हो आह..."
"मेरी बच्ची आज पापा को मत रोकना...आज बस तुझे में अपनी बना लूंगा...अब नही ले सकता फिर से कोई खतरा...नेहा आप बड़े नादान और भोले हो...लेकिन अब में हू ना "
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पहले आलोक अपनी बेटी की योनि का रस पान करता है..पहली बार मर्द का मुंह उसकी योनि को छू रहा और नेहा पानी का फवारा अपने पापा के मुंह में निकल दी....

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अपनी बेटी के दोनो स्तन को भरपूर निचोड़ उनका सारा पानी पी के आलोक एक पल की भी देरी किए बिना नेहा की गर्दन को चूमते हुए...धीरे से अपना काला मोटा लिंग अपनी बेटी की कुंवारी योनि में सरका देते है...
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एक बार में ही इतना बड़ा लिंग जाने से नेहा अपनी पूरी शक्ति से उसके पापा को थक्का लगाती है और उसकी चीख इतनी तेज थी की बहार खड़ी उसकी मां जो कब से बाप बेटी की कामुक आवाजे सुन अपनी योनि गीली कर बैठी थी...इतनी दर्द से भरी सिसकारी सुन...अपना मूत निकल देती है...

नेहा की मां का पानी निकल गया था वो होस में आती है और अपने कपड़े सही कर अपने कमरे से चाबी लेकर नेहा का कमरा खोल अंदर आ गई...

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नेहा का के आखों से आशु और योनि से खून निकलने लगा था...आलोक का काला लोड़ा छोटी सी योनि ने अपनी जगा बना के बैठ चुका था...वही नेहा की हालत देख आलोक उसे चूम के सहला के शांत करने लगा था... सुरेखा अपनी बेटी की ऐसी हालत देख बड़ी परेशान लग रही थी वो गुस्से में चिल्लर कर बोली...

"क्या हालत कर दी मेरी बच्ची की थोड़ा प्यार से नही कर सकते था आप...बेटी है आप की आलोक.."

आलोक को अपनी गलती का पूरा पछतावा हो रहा था पर वो अब उसकी बेटी योनि से अपना लिंग बाहर निकल उसे और अधिक दर्द नही देना चाहता था...अपने पापा को इतना दुखी देख नेहा दर्द से कहराते हुए बोली...

"मम्मा..पापा की कोई गलती नही...इन्हे कुछ मत बोलो...पापा दर्द तो एक बार होना ही था...और ये दर्द मुझे मेरे पापा से मिल ये तो मेरा सौभाग्य है..." आलोक की आखें भर आई..वो नेहा को अपनी बाहों में भरते के लिए उसे अपनी गोद में बिठा लिया...और उस से फिर से गलती हो गई जो कुछ बचा था वो भी नेहा की योनि की गहराई में चला गया...और नेहा फिर से दर्द से तड़प उठी...

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"आलोक उसे लेटे रहने दो आप"
नेहा को फिर से लेता के आलोक बोला "नेहा तुम आज बिलकुल अपनी का की तरह बाते कर रही हो... पहली रात को ये भी कुछ ऐसा ही बोल के मेरा संकोच हलका की थी और आज तुम मेरी बच्ची"

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नेहा की मां बेड पे आके बैठ जाती है और अपनी बेटी का सर अपनी गोद में रख के बालो प्यार से सहलाने लगी..."नेहा आज का दिल तुम कभी नही भूल पाओगी... आलोक अब तब तक मत रुकना जब तक नेहा का दर्द मीठे दर्द में न बदल जाई... चाहे वो कितना भी बोले..."
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नेहा अपनी मां के मुंह से ये सुन हैरान हो गई...उसकी योनि डर के मारे... सिकुड़ गई और पापा के लिंग को पकड़ ली... बिचारी का दिल आने वाले दर्द के लिए जोर जोर से धड़क रहा था.
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और फिर तो नेहा की सिसकारी से पूरा घर गूंज उठा...और कुछ ही देर में नेहा का दर्द भी कम हो गया... और नेहा की योनि में उसके पापा ने अपना गरम गरम वीर्य निकल दिया...
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
नेहा की सील तुडवाने का श्रेय उसके पापा को प्राप्त हुआ वो भी उसकी माँ के मौजुदगी में
बहुत ही मस्त
 

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Update 11

**रात के 11 बजे ट्रेन में**

पहला आदमी – ध्यान से भाई...कोई जल्दबाजी नहीं....

दूसरा आदमी – हा... हा... तू अपना काम देख...

सूरज पारुल की हवा में लहरा रही जुल्फो को निहार पारुल की और प्यार से देख रहा था...पारुल के तन बदन को ठंडी हवाएं और अथिक निखार रही थी...उसके वहा में लहरा रहे बाल जैसे किसी समंदर की लहरे हो...उसकी गहरी काली आखें हर लहर के साथ बंद होती...और उसके होठों पे एक प्यारी सी मुस्कुराहट ले आती... सूरज का बड़ा मन हो गया था की पारुल को अपनी बाहों ने भर ये सफर को और यादगार बना दे...पर एक अजीब सी जीजक शर्म उसे ये करने से रोक देती...वही पारुल का भी दिल उसे बार बार बोल रहा था कि उसे सूरज अपनी गर्म बाहों में कस के थाम ले...और वो फिर से सूरज के सीने पे सर रख बाकी की यात्रा तय करे... सूरज के दिल के पास उसे कितना सुकून मिला था उसे याद आ रहा था...और यही सोच वो शर्म से लाल हो जाती...सूरज का कोई जवाब या हरकत ना करने पे एक पल ke लिए तो उसे हुआ की खुद उठ के अपने पति की गोद में चली जाई...पर बिचारी हिम्मत नही कर पाई...पारुल से ये दूरियां अब सही नही जा रही थी... एक सुहागन स्त्री के लिए अपने पति का ऐसा व्यवहार गवारा नहीं था...पारुल का बड़बोला पन उसे ज्यादा रोक नही पाया वो बोली....

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पारुल – (पारुल की आखें नम थी) आप हमे इतना अनदेखा क्यों कर रहे हो...

सूरज – ऐसा कुछ नही भाभी....

पारुल – (गुस्सा होके..और रोते हुए) देखिए हम आप की भाभी नही अब ये बात आप समझ लीजिए... हम यहां सब भुला के एक नई शुरुआत करने वाले थे...और आप बार बार हम सब याद दिला देते हो... क्या हमे उनकी याद नही आती...लेकिन आप का दिल न दुखी इस लिए हम आप के सामने ऐसे...पर आप को क्या है....(रोते हुए)

सूरज अपनी पत्नी के मुंह से ये सब सुन किसी पत्थर जैसे जम के सब सुन रहा था...उसका दिल जोर से धड़क रहा था...

सूरज – भा...पारूलजी...में कोशिश कर रहा हु...आप रो क्यों रही हो...

पारुल – हा हम जानते है...हम आप से बड़े हे...आप के काबिल नही...आप को क्यों हम अच्छे लग सकते है...आप को तो नेहा से प्यार है...वो कहा हम कहा...हम तो गांव की अनपढ़ गंवार लड़की है...

सूरज – पारूलजी ये क्या बोल रही हो आप...मेने ऐसा कभी नहीं सोचा.... बल्कि आप तो....(सूरज बोलता हुआ रुक गया...)

पारुल – क्या....(गुस्सा दिखाते हुए)

सूरज – पारूलजी... हा मेरा पहला प्यार नेहा थी...लेकिन क्या आप पता है मेने उस में आप की झलक देखी थी...में उस में आप को ही खोज रहा था... हा...आप को जब पहली बार मैने देखा था में आप की खूबसूरती और संस्कार का दीवाना बन बैठा था...बाद में पता चला आप मेरी नही हो सकती... उस दिन से में हर लड़की में आप को ही खोज रहा था...और अब जब आप सिर्फ मेरी हो...में किसी और के बारे में सोच भी केसा सकता हु...

सूरज अपनी बर्थ से खड़ा हो कर पारुल की... आखों में आंखे डाल उसे अपने दिल की बात बता रह था...सूरज पारुल के एक दम करीब आके बैठा और दोनो इतना करीब थे की एक दुसरे की तेज सासो की गर्माहट साफ महसूस कर रहे थे...अपने पति को अपने इतना पास आते देख पारुल की आखें शर्म से झुक गई...

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सूरज ने अपना एक हाथ पारुल की पतली सी कमर पे रख दूसरे हाथ से अपनी चांद सी खूबसूरत जीवन संगनी के शर्म से झुके हुए चहरे को ऊपर उठा के उसे निहारने लगा...पहली बार सूरज अपनी भाभी और अब अपनी पत्नी को इतना पास से एक टक निहार रहा था...चांद में बेशक कही डाग थे लेकिन अपनी पत्नी पारुल के चांद से गोरे मुख पे एक डाग न था...सूरज की नजर अपनी पत्नी के गुलाब की पंखुड़ी जैसे गुलाबी होठ पे गई...पारुल की आखें बंद हो गई थी...वो उसका भरा सीना तन के ब्लाउज को जेसे फाड़ देने की फिराक में था... सूरज के सीने पे पारुल के उभरे सुडोल उरोज लग रहे थे और दोनों को ये स्पर्श उत्तेजित कर रहा था...आंखे बंद होते ही पारुल का दिल अपने पति के होठों को अपने करीब आता देख...पा के तड़प रही थी...उसे इस नई होने वाले होठों के मिलन के बारे में सोच कर ही लज्जा की मारी.. काप उठी थी...

तभी सूरज को किसी के आने की आहट सुनाई दी...और सूरज अपनी बर्थ पे बैठ गया...पारुल की हालत जैसे बिन पानी की मछली जैसी हो उठी...उसके मुंह पे अपने निराशा साफ जलक रही थी....वो हड़बड़ा गई ये सोच के की क्या सोच रहा होगा सूरज उसके बारे... उसे अपना होस संभाल के रखना चाहिए था...वो कैसे इतना करीब आने वाली थी सूरज के...इतना क्यों बहक रही हैं वो...


वही सूरज भी अपन होस में आते ही फिर से अपने आप को ही गलत समझने लगा की वो अपनी भाभी के इतना करीब क्यों गया...उसे पारुल में अचानक ही अपनी भाभी नजर आने लगी...वो बैचेन हो उठा...सूरज का जैसे दम घुट रह था...वो खड़ा हो के बाहर जानें लगा...की वो एक आदमी से टकरा गया...लेकिन वो आग बड़ गया...जैसे ही वो ट्रेन के दरवाजे पे गया...उसके सर को कोई पकड़ के पटक दिया... सूरज की आखें बंद होने लगी...

दूसरा आदमी – ये तो खुद ही अपनी जाल में आ गया...

दोनो मिल के सूरज के हाथ पैर बांध दिए और उसके मुंह को बंद कर दिया...और सूरज को होस में ले आई पानी डाल के...

पहला आदमी – कहा भाई कहा जा रहे थे आप अपने माल को ऐसे अकेला छोड़ के...

दूसरा आदमी – चल कोई नही अब हम हैं न भाभी के साथ सुहागरात मनाने के लिए...

पहला आदमी – क्या बे लोड़े इतना क्यों गुस्सा हो रहा... तू भी देख सकता है अपनी पत्नी को दो मर्द के साथ संभोग करते... आज कल तो सब पति का ये सोच ही खड़ा हो जाता है.... हा हा...

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दूसरा – देख देख कैसे घूर रहा है जैसे अभी हमे मार ही डालेगा... साले नल्ले नामर्द अपनी जोरू को तो बचा नही पायेगा और हमे गुस्सा दिखा रहा है...

पहला आदमी – चल भाई ज्यादा समय नहीं...चल पहले उसे तैयार करते है फिर इसे ले आएंगे...

दोनो सूरज को टॉयलेट में डाल दिए...

पहला आदमी – चल तू भाभी को तैयार कर में यही रह के पहरा दे रहा...

पारुल का दिल बैचेन हो रहा था "अभी तक क्यों नही आई वो" पारुल अचानक ही उस काले पतले से आदमी को उसे घूरता अजीब सा महसूस हुआ...उसे अब डर लगने लगा था...की दूसरे ही पल वो अपना रुमाल निकल पारुल के मुंह पे रख उसे बेहोश कर देता है...वो उस बर्थ पे लेटा देता है और पारुल की खूबसूरत आखों में खो गया..."कितनी प्यारी लड़की है सोते हुए तो किसी राजकुमारी जैसी लगती है..."

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वो आदमी गहरी सोच में चला गया...और उसे पारुल में उसका पहला प्यार दिखने लगा......"कितनी प्यारी हो तुम... चाह के भी तुम से कोई नफरत नहीं कर सकता..." वो वही बैठ पारुल के सर को अपने हाथों से उठा के अपनी गोद में रख उसके बालो को सहलाने लगा...पारुल का मासूम सा चेहरा उसे अपना दीवाना बना बैठा था अब वो नही चाहता था कि पारुल के साथ कुछ भी गलत हो...अब वो पारुल को अपनी पत्नी के रूप में देखने लगा...और पारुल का मुलायम हाथ अपने हाथ में लेकर उसे चूम लिया..और अब वो अपने काले फटे हुए होठ पारुल के नाजुक गुलाबी रंग के होठों पे रखने को उतावला होते हुए अपना सर नीचे कर धीरे धीरे पारुल के करीब आ रहा था... उसे पारुल के बदन से एक कामुक सुगंध आ रही थी... और उसे और अधिक पागल बना रही थी..

To be continued......
बहुत ही खुबसुरत और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
क्या पारुल के साथ बहुत बुरा होने वाला हैं
देखते हैं आगे
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
नेहा की सील तुडवाने का श्रेय उसके पापा को प्राप्त हुआ वो भी उसकी माँ के मौजुदगी में
बहुत ही मस्त
Neha ke papa ne Moka dekh apani beti ko apana bana liya...
 
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Underground Life

Your Cute Smile Make Me Melt Like Ice
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बहुत ही खुबसुरत और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
क्या पारुल के साथ बहुत बुरा होने वाला हैं
देखते हैं आगे
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

Ha ek baar fir paarul badi musibat me fas gai he pahli baar uske pati Rishabh ne apani jaan deke use bachaya tha pata nahi ab kya hoga
 
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Update 06

*Flashback Continue*

धीरे धीरे ही सही पर सूरज का दिल भी प्यारी और चुलबुली नेहा के लिए धड़कने लगा था...पर अभी तक उसे नेहा एक प्रीमिका के रूप में नहीं दिख रही थी...नेहा का स्वभाव भी एक दम बच्चे कैसा था...और उसकी बाते भी...लेकिन उसकी मीठी मीठी बातें सुनना सूरज को बड़ा भाता...नेहा तो हर दिन सुरज के प्यार में पागल हुए जा रही थी...पर उसे ये समझ न आ रहा था की इतने करीब होते हुए भी वो इतने दूर क्यों है... क्यों वो उसे अपनी बाहों में भर प्यार करता..क्यों वो रात के अंधेरे में जब वो घूमने जाते ही तब उसे बाहों में भर उसके गुलाबी होठों को अपने होठों के बीच डाल चुंबन लेता...क्यों सूरज उसके मुलायम जिस्म को प्यार से सहलाता... आखिर उसके ऐसी क्या कमी है जो सूरज उसके करीब नहीं आता...अपनी नादानी में नेहा हर मुनकिन कोसिस करती है जिस से सूरज को अपने करीब कर पाई... नेहा अब घर जाते हुए हर बार सूरज को आलिंगन करती...पर सूरज उसे वैसे कभी नहीं देख रहा था... वही सूरज को नेहा की ऐसी हरकतें बड़ी प्यारी लगती पर वो उसे अभी तक बस अपनी प्यारी चुलबुली दोस्त ही मानता था...



एक दिन.....नेहा ने घर में...

नेहा – मम्मा में नहीं पहन रही है सब...

नेहा की मम्मी – नेहू पहन लेना पापा को अच्छा लगेगा आप के लिए लाई थे और आप ने अभी तक नही पहना ये ड्रेस....

नेहा – मम्मी प्लीज अब आप मुझे इमोशनल ब्लैकमेल न करे.. कितना अजीब लगेगा ये...सब हसेंगे ना...

नेहा की मम्मी ड्रेस उसके आगे कर उसके दिखाते हुए नहीं बेटा इस में तो मेरी बच्ची कितनी प्यारी लगेगी...एक बार पहन के तो देख....

नेहा बड़ा चिड़ते हुए ड्रेस पहन ली..."देखो ना मम्मी कितना बड़ा है" "बड़ा नही है पागल तेरे ये सब कपड़े छोटे है" (नेहा में छोटे छोटे ब्रा शॉर्ट्स हाथ में लेके उसकी मां बोली)

नेहा की मम्मी उसे स्वदेशी कपड़ो में देख बड़ा खुश होते हुए उसे गले से लगा के माथे पे चूम एक छोटी सी बिंदी लगाकर बोली "मेरी बेटी आज लग रही है जिसे बड़ी हो गई हो... किसी की नजर न लगे"

नेहा भागते हुए बाहर जाने लगी की मां ने उसे रोक एक सोने का हार उसके गले में डाल दिया "बस यही कमी थी अब लग रही हो एक दम राजकुमारी"

आज नेहा की छुट्टी थी (वहा कोई लोकल त्योहार था) वो खेलने के लिए अपने दोस्तो के साथ चली गई..उसके कुच दोस्त उसे चिड़ा रहे थे...तो वो तंग आके एक तरफ होंके बैठी हुई थी की...

सूरज को आज भी ऑफिस जाना था वो रोज़ के जैसे ही काम के लिए अपने समय पे निकला... गई भरे पेड़ो के बीच एक रास्ता था वही से वो निकला...वही गार्डन भी था...ये सुबह का सुनहरा समय था... मुबई की बीन बुलाई हल्की हल्की बारिश से मौसम ठंडा था... वहा की ठंडी ठंडी लहरे सूरज को हर्षो उलाश से भर रही थी...उसकी आंखो में आज एक अलग ही नशा था...वो जैसे इस मदहोशी भरे मोशम में पूरी तरार खोया हुआ अपने कानो में गाने सुनता हुआ आगे बड़ रहा था...

तभी सूरज को सामने से एक लड़की आते हुए दिखी...और तभी गाना शुरू हुआ...

"पहला नशा, पहला खुमार
नया प्यार है नया इंतज़ार
कर लूँ मैं क्या अपना हाल
ऐ दिल-ए-बेक़रार
मेरे दिल-ए-बेक़रार तू ही बता

सूरज वही टहर गया..उसके लिए जैसे सब रुक गया..वो बस बिना पलखे जबकाए सामने से आ रही नेहा को एक टक निहारता रहा...

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उसे अपनी आंखो मे बस नेहा के ये नया रूप दिख रहा था..आज सूरज नेहा को देख पहली नजर में ही अपना दिल दे चुका था...इतने दिन से दिल में किसी कोने में पनप रहे नेहा के लिए प्यार आज एक साथ बाहर निकलने लगा था..सूरज कुछ बोलने लायक नही रहा था...और नेहा भी अब सूरज के बिलकुल पास आके खड़ी थी...वो सुरज को इस खुद को घूरता देख शर्म से लाल हो गई...उसे यकीन नही हो रहा था की सूरज उसे ऐसे देख रहा था...उसकी सारी उदासी कहा गई उसे भी पता न चला...पहले तो सुरज कुछ नही बोला फिर...

सूरज के मुंह से निकल गया "खूबसूरत..."

नेहा – क्या क्या... सच में...क्या में...आप को...(वो हड़बड़ा रही थी) (और पहली बार नेहा इतना शरमा रही थी)

सूरज – (थोड़ा खुद को सहज कर के) ये तुम ही होना.. मुझे तो यकीन नहीं हो रहा...सच में तुम्हे पहले तो पहचान ही नही पाया....

कुछ बाते कर सूरज जाने के ऑफिस के लिए बोला तो नेहा पहले आस पास नजर लगा के फिर जट से सूरज की बाहों में आ गई...पहली बार सूरज को नेहा का आलिंगन उत्तेजित करने लगा...वो नेहा के सीने को आज पहली बार अपने सीने पे पूरी तरह महसूस कर रहा था...वो डराता हुए की उन्हें कोई देख न ले नेहा को कस के गले से लगाया और उस से कद में छोटी नेहा को कुछ इंच कहा में उठा लिया.. सूरज का दिल ही नहीं हो रहा था न नेहा की दोनों एक दूसरे से अलग हो....

लेकिन कुछ सेकंड में दोनो अपने अपने रास्ते चले गई... सूरज का आज काम में बिल्कुल मन नहीं लग रहा था..उसे आज अपना पहला प्यार जो मिल गया था...वो नेहा के बारे में पूरा दिन सोचता रहता है...वही नेहा का हाल भी यही था...और अब नेहा समझ गई थी की सुरज को उसका ये रूप कितना अच्छा लगा था....

नेहा उसकी मां से बोल देती है की उसे और भी ड्रेस लेनी ऐसी...और उसकी मां एक पल में समझ गई अपनी बेटी को देख की उसके दिल में कोई लड़का बस चुका है...

और वो दिन भी आ गया जब सूरज ने अपने दिल कि बात नेहा को बोल दी...दोनो अब दो जिस्म एक जान थे...एक दूसरे का साथ दोनों को एक सुकून दे रहा था... सूरज के पास कितने मौके थे पर वो नेहा के साथ शादी से पहले कोई शारीरिक संबंध बनाने के विरुद्ध था... नही तो नेहा जेसी नादान भोली लड़की को यौन संबंध का कोई खास ज्ञान नहीं था... हा वो जानती सब थी पर उसके दिल में कोई अश्लिंता नहीं थी...

और कुछ महीनो में सूरज एक फ्लैट पास में लेता है ताकि वो कभी कभी नेहा के साथ अकेले में खुल के वक्त बिता पाई... अक्सर नेहा यहां उसकी एक सहेली के घर आने के बहाना बना के आती ओ सुरज की बाहों में घंटो पड़ी रहती...

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सूरज नेहा को एक बच्ची जैसे अपनी बाहों में भर इतना प्यार देता की बिचारी नेहा न जाने कितनी बार जाने अंजाने में अपनी कच्छी गीली कर देती...

और फिर वो समय आया जब सुरज अपन घर गया और एक और उसकी शादी हो गई...और नेहा इन सब से बेखबर थी...और अब आगे क्या होगा देखते हे.......




***प्रेजेंट समय***

सूरज – भाभी आप तैयार हो जाओ...नेहा के पापा से मिलने जाना है....

पारुल – ठीक है में आप बैठिए में अभी आई...

सूरज –(अपनी भाभी का हाथ पकड़ उसे रोक लिया) (पारुल डर के पानी पानी हो चुकी थी लेकिन सूरज का इस कोई इरादा नहीं था) भाभी प्लीज आप मुझे नाम से बुलाओ न पहले जैसे ही....(पारुल ने राहत की शास लि)

पारुल – नही में आप को नाम लेके नही बुला सकती हु अब...हम माने न माने आप मेरे पति हो अब...

सूरज – (ये सब मजाक में लेते हुए) भाभी ठीक है जैसी आप की मर्जी लेकिन हमे बड़ा अजीब लगता है...

पारुल कुछ बोले बिना अंदर चली गई...पारुल अपने कपड़े निकाल के खड़ी थी की वो अचानक रुक गई...पारुल के सीने पे एक निशान बना हुआ था जैसे की किसी ने वहा काटा हो... पारुल के कानो में तेज तेज आवाजे आने लगी.."इसके आम आम तो देखो bho*** valo..." "भाभी आप का तो दूध भी आता होगा ha ha"

पारुल की जोर से चीख निकल गई " नही.....नही.... ऐसा मत करो....विक्रम...."

सूरज डर के मारे अपनी भाभी के कमरे के बाहर आके जोर से आवाज दी "भाभी क्या आप को आप ठीक हैं"

पारुल अचानक होस में आते हुए बोली "हा में ठीक हु चिपकलित थी" अभी आई

….....वही गांव में सुमित्रा की नींद आज काफी देर से खुली...उठ के खुद की हालत देख वो बड़ी शरमा गई...पूरी नंगी होकर जो सो गई थी..."पागल सुमित्रा कोई देख लेता तो केसे सो रही है तू देख अपने हालत को..." तभी सुमित्रा की नजर अपने कमरे के दरवाजे पर गई...दरवाजा पूरा खुला था...और उसके बदन पे अभी एक कपड़ा नहीं था...वो सरम से पानी पानी हुए जा रही थी...उसके दिमाग में एक ख्याल आया और सुमित्रा की योनि से अपना बंद तोड़ दिया...और पलंग की चादर भी गीली हो उठी...

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वो जट से अपने बदन सिने पे अभी तक लटक रहे ब्लाउज के बटन बंद करने लगी....और तुरत ही अपने पैरो मे पड़े पेटीकोट को उठा के अपनी कमर तक ले आई और एक दम से खड़ी हुई और अपने बिखरे बाल सही करते हुए...ही जोर से आवाज देने लगी...सूरज के बापू...(बहुत जोर से गुस्से में)

सुमित्रा को कोई जवाब न मिला तो वो और गुस्से से चिल्ला उठी... तभी एक आवाज आई और सुमित्रा और डर गई और उसकी योनि पानी पानी होने लगी...

सुमित्रा का जेठ – बहु विक्रम तो खेतो में चला गया...

सुमित्रा आगे कुछ नही बोली और नहा धोकर खेतो में चल दी...उसकी चाल में एक उछाल था जिस से उसके स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे जिसे गांव के कुछ बच्चे देख उत्तेजित हो रहे थे...

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विक्रम के पास जाके सुमित्रा उसे खरी खोटी सुनाने लगी...वो अपना सारा गुस्सा निकल रही थी...वही कुछ मजबूर दूर से उनकी मालकिन के हुस्न का पूरा लुफ्त उठा रहे थे उन्हे सुमित्रा की पूरी नंगी पीठ दिखाई दे रही थी uske बैकलेस ब्लाउज में....

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विक्रम – अरे मैरी मां बस कर...हो गई गलती ना...सब के सामने क्यों इज्जत का पानी करती हो... जरा खुद को देखो कैसे कैसे ब्लाउज पहन रही हो तुम...देखो कैसे सब तुम्हे ही घूर रहे है...कोई इज़्ज़त नही रही मेरी अब...क्या बोलते होंगे सब की छी... जरा पल्लू तो सही रखो...

सुमित्रा अपने पति की बात को समझ रही थी...सच में सब उसकी नंगी पीठ को ही निहार रहे थे...वो फिर से शर्म से पानी पानी हो उठी...वो अपनी सारी से अपनी नंगी पीठ और कमर को छुपा दी...और धीरे से बोली गुस्से में...

सुमित्रा – सब आप की गलती हे...न दरवाजा खुला छोड़ के आते न में गुस्से में यहां इसे आती...और उसके आखों से आशु निकल गई...

विक्रम उसे प्यार से एक तरफ ले गया जहा उन्हें कोई न देखे फिर उसे गले से लगाया और बोला..."इतना क्यों सोच रही हो सूरज की मां... घर में कोई नहीं था...बच्चे कहा ही अभी यहां"

सुमित्रा – और आप के बड़े भाई...

विक्रम के आखों में कुछ आ गया और वो भी एक दम अजीब सी सोच में चला गया और फिर बोला...

विक्रम – तुम भी ना वो घर के बड़े है... तुम को क्या भईया पे भरोसा नही...वो तो तुम से बात करते हुए भी नही देखते है...और उनके होते हुए कोई नही आ सकता समझ घर में...

सुमित्रा – नही मुझे पूरा विश्वास है...पर वो घर के बड़े है आप को आगे से ध्यान रखाना होगा...अब सूरज भी रहेगा... इसी गलती फिर से माफ नही करूंगी में....

विक्रम कुछ याद कर के फिर से बोला...

विक्रम – (सुमित्रा के कान में) वैसे कोई देख लेता तो उसका तो काम तमाम हो गया होता.. भाग्यवान तुम्हारी खूबसूरती उम्र के साथ बड़ ही रही है...(पेट को सहलाते हुए) सुमित्रा की योनि एक बार फिर से गर्म गर्म काम रस रिज दी...

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सुमित्रा की योनि लगातार काम रस रिज रही थी...की अचानक ही उसे कुछ याद आया...और वो गंभीर स्वर से में रोते हुए बोली....

सुमित्रा – आप को बस मजाक सूझ रहा है...भूल गई क्या हुआ था बहु के साथ और फिर...

विक्रम भी गंभीर हो गया और सुमित्रा से माफी मांग उसे चुप कराने लगा..
very very erotic. Nice update.
 
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धीरे धीरे ही सही पर सूरज का दिल भी प्यारी और चुलबुली नेहा के लिए धड़कने लगा था...पर अभी तक उसे नेहा एक प्रीमिका के रूप में नहीं दिख रही थी...नेहा का स्वभाव भी एक दम बच्चे कैसा था...और उसकी बाते भी...लेकिन उसकी मीठी मीठी बातें सुनना सूरज को बड़ा भाता...नेहा तो हर दिन सुरज के प्यार में पागल हुए जा रही थी...पर उसे ये समझ न आ रहा था की इतने करीब होते हुए भी वो इतने दूर क्यों है... क्यों वो उसे अपनी बाहों में भर प्यार करता..क्यों वो रात के अंधेरे में जब वो घूमने जाते ही तब उसे बाहों में भर उसके गुलाबी होठों को अपने होठों के बीच डाल चुंबन लेता...क्यों सूरज उसके मुलायम जिस्म को प्यार से सहलाता... आखिर उसके ऐसी क्या कमी है जो सूरज उसके करीब नहीं आता...अपनी नादानी में नेहा हर मुनकिन कोसिस करती है जिस से सूरज को अपने करीब कर पाई... नेहा अब घर जाते हुए हर बार सूरज को आलिंगन करती...पर सूरज उसे वैसे कभी नहीं देख रहा था... वही सूरज को नेहा की ऐसी हरकतें बड़ी प्यारी लगती पर वो उसे अभी तक बस अपनी प्यारी चुलबुली दोस्त ही मानता था...



एक दिन.....नेहा ने घर में...

नेहा – मम्मा में नहीं पहन रही है सब...

नेहा की मम्मी – नेहू पहन लेना पापा को अच्छा लगेगा आप के लिए लाई थे और आप ने अभी तक नही पहना ये ड्रेस....

नेहा – मम्मी प्लीज अब आप मुझे इमोशनल ब्लैकमेल न करे.. कितना अजीब लगेगा ये...सब हसेंगे ना...

नेहा की मम्मी ड्रेस उसके आगे कर उसके दिखाते हुए नहीं बेटा इस में तो मेरी बच्ची कितनी प्यारी लगेगी...एक बार पहन के तो देख....

नेहा बड़ा चिड़ते हुए ड्रेस पहन ली..."देखो ना मम्मी कितना बड़ा है" "बड़ा नही है पागल तेरे ये सब कपड़े छोटे है" (नेहा में छोटे छोटे ब्रा शॉर्ट्स हाथ में लेके उसकी मां बोली)

नेहा की मम्मी उसे स्वदेशी कपड़ो में देख बड़ा खुश होते हुए उसे गले से लगा के माथे पे चूम एक छोटी सी बिंदी लगाकर बोली "मेरी बेटी आज लग रही है जिसे बड़ी हो गई हो... किसी की नजर न लगे"

नेहा भागते हुए बाहर जाने लगी की मां ने उसे रोक एक सोने का हार उसके गले में डाल दिया "बस यही कमी थी अब लग रही हो एक दम राजकुमारी"

आज नेहा की छुट्टी थी (वहा कोई लोकल त्योहार था) वो खेलने के लिए अपने दोस्तो के साथ चली गई..उसके कुच दोस्त उसे चिड़ा रहे थे...तो वो तंग आके एक तरफ होंके बैठी हुई थी की...

सूरज को आज भी ऑफिस जाना था वो रोज़ के जैसे ही काम के लिए अपने समय पे निकला... गई भरे पेड़ो के बीच एक रास्ता था वही से वो निकला...वही गार्डन भी था...ये सुबह का सुनहरा समय था... मुबई की बीन बुलाई हल्की हल्की बारिश से मौसम ठंडा था... वहा की ठंडी ठंडी लहरे सूरज को हर्षो उलाश से भर रही थी...उसकी आंखो में आज एक अलग ही नशा था...वो जैसे इस मदहोशी भरे मोशम में पूरी तरार खोया हुआ अपने कानो में गाने सुनता हुआ आगे बड़ रहा था...

तभी सूरज को सामने से एक लड़की आते हुए दिखी...और तभी गाना शुरू हुआ...

"पहला नशा, पहला खुमार
नया प्यार है नया इंतज़ार
कर लूँ मैं क्या अपना हाल
ऐ दिल-ए-बेक़रार
मेरे दिल-ए-बेक़रार तू ही बता

सूरज वही टहर गया..उसके लिए जैसे सब रुक गया..वो बस बिना पलखे जबकाए सामने से आ रही नेहा को एक टक निहारता रहा...

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उसे अपनी आंखो मे बस नेहा के ये नया रूप दिख रहा था..आज सूरज नेहा को देख पहली नजर में ही अपना दिल दे चुका था...इतने दिन से दिल में किसी कोने में पनप रहे नेहा के लिए प्यार आज एक साथ बाहर निकलने लगा था..सूरज कुछ बोलने लायक नही रहा था...और नेहा भी अब सूरज के बिलकुल पास आके खड़ी थी...वो सुरज को इस खुद को घूरता देख शर्म से लाल हो गई...उसे यकीन नही हो रहा था की सूरज उसे ऐसे देख रहा था...उसकी सारी उदासी कहा गई उसे भी पता न चला...पहले तो सुरज कुछ नही बोला फिर...

सूरज के मुंह से निकल गया "खूबसूरत..."

नेहा – क्या क्या... सच में...क्या में...आप को...(वो हड़बड़ा रही थी) (और पहली बार नेहा इतना शरमा रही थी)

सूरज – (थोड़ा खुद को सहज कर के) ये तुम ही होना.. मुझे तो यकीन नहीं हो रहा...सच में तुम्हे पहले तो पहचान ही नही पाया....

कुछ बाते कर सूरज जाने के ऑफिस के लिए बोला तो नेहा पहले आस पास नजर लगा के फिर जट से सूरज की बाहों में आ गई...पहली बार सूरज को नेहा का आलिंगन उत्तेजित करने लगा...वो नेहा के सीने को आज पहली बार अपने सीने पे पूरी तरह महसूस कर रहा था...वो डराता हुए की उन्हें कोई देख न ले नेहा को कस के गले से लगाया और उस से कद में छोटी नेहा को कुछ इंच कहा में उठा लिया.. सूरज का दिल ही नहीं हो रहा था न नेहा की दोनों एक दूसरे से अलग हो....

लेकिन कुछ सेकंड में दोनो अपने अपने रास्ते चले गई... सूरज का आज काम में बिल्कुल मन नहीं लग रहा था..उसे आज अपना पहला प्यार जो मिल गया था...वो नेहा के बारे में पूरा दिन सोचता रहता है...वही नेहा का हाल भी यही था...और अब नेहा समझ गई थी की सुरज को उसका ये रूप कितना अच्छा लगा था....

नेहा उसकी मां से बोल देती है की उसे और भी ड्रेस लेनी ऐसी...और उसकी मां एक पल में समझ गई अपनी बेटी को देख की उसके दिल में कोई लड़का बस चुका है...

और वो दिन भी आ गया जब सूरज ने अपने दिल कि बात नेहा को बोल दी...दोनो अब दो जिस्म एक जान थे...एक दूसरे का साथ दोनों को एक सुकून दे रहा था... सूरज के पास कितने मौके थे पर वो नेहा के साथ शादी से पहले कोई शारीरिक संबंध बनाने के विरुद्ध था... नही तो नेहा जेसी नादान भोली लड़की को यौन संबंध का कोई खास ज्ञान नहीं था... हा वो जानती सब थी पर उसके दिल में कोई अश्लिंता नहीं थी...

और कुछ महीनो में सूरज एक फ्लैट पास में लेता है ताकि वो कभी कभी नेहा के साथ अकेले में खुल के वक्त बिता पाई... अक्सर नेहा यहां उसकी एक सहेली के घर आने के बहाना बना के आती ओ सुरज की बाहों में घंटो पड़ी रहती...

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सूरज नेहा को एक बच्ची जैसे अपनी बाहों में भर इतना प्यार देता की बिचारी नेहा न जाने कितनी बार जाने अंजाने में अपनी कच्छी गीली कर देती...

और फिर वो समय आया जब सुरज अपन घर गया और एक और उसकी शादी हो गई...और नेहा इन सब से बेखबर थी...और अब आगे क्या होगा देखते हे.......




***प्रेजेंट समय***

सूरज – भाभी आप तैयार हो जाओ...नेहा के पापा से मिलने जाना है....

पारुल – ठीक है में आप बैठिए में अभी आई...

सूरज –(अपनी भाभी का हाथ पकड़ उसे रोक लिया) (पारुल डर के पानी पानी हो चुकी थी लेकिन सूरज का इस कोई इरादा नहीं था) भाभी प्लीज आप मुझे नाम से बुलाओ न पहले जैसे ही....(पारुल ने राहत की शास लि)

पारुल – नही में आप को नाम लेके नही बुला सकती हु अब...हम माने न माने आप मेरे पति हो अब...

सूरज – (ये सब मजाक में लेते हुए) भाभी ठीक है जैसी आप की मर्जी लेकिन हमे बड़ा अजीब लगता है...

पारुल कुछ बोले बिना अंदर चली गई...पारुल अपने कपड़े निकाल के खड़ी थी की वो अचानक रुक गई...पारुल के सीने पे एक निशान बना हुआ था जैसे की किसी ने वहा काटा हो... पारुल के कानो में तेज तेज आवाजे आने लगी.."इसके आम आम तो देखो bho*** valo..." "भाभी आप का तो दूध भी आता होगा ha ha"

पारुल की जोर से चीख निकल गई " नही.....नही.... ऐसा मत करो....विक्रम...."

सूरज डर के मारे अपनी भाभी के कमरे के बाहर आके जोर से आवाज दी "भाभी क्या आप को आप ठीक हैं"

पारुल अचानक होस में आते हुए बोली "हा में ठीक हु चिपकलित थी" अभी आई

….....वही गांव में सुमित्रा की नींद आज काफी देर से खुली...उठ के खुद की हालत देख वो बड़ी शरमा गई...पूरी नंगी होकर जो सो गई थी..."पागल सुमित्रा कोई देख लेता तो केसे सो रही है तू देख अपने हालत को..." तभी सुमित्रा की नजर अपने कमरे के दरवाजे पर गई...दरवाजा पूरा खुला था...और उसके बदन पे अभी एक कपड़ा नहीं था...वो सरम से पानी पानी हुए जा रही थी...उसके दिमाग में एक ख्याल आया और सुमित्रा की योनि से अपना बंद तोड़ दिया...और पलंग की चादर भी गीली हो उठी...

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वो जट से अपने बदन सिने पे अभी तक लटक रहे ब्लाउज के बटन बंद करने लगी....और तुरत ही अपने पैरो मे पड़े पेटीकोट को उठा के अपनी कमर तक ले आई और एक दम से खड़ी हुई और अपने बिखरे बाल सही करते हुए...ही जोर से आवाज देने लगी...सूरज के बापू...(बहुत जोर से गुस्से में)

सुमित्रा को कोई जवाब न मिला तो वो और गुस्से से चिल्ला उठी... तभी एक आवाज आई और सुमित्रा और डर गई और उसकी योनि पानी पानी होने लगी...

सुमित्रा का जेठ – बहु विक्रम तो खेतो में चला गया...

सुमित्रा आगे कुछ नही बोली और नहा धोकर खेतो में चल दी...उसकी चाल में एक उछाल था जिस से उसके स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे जिसे गांव के कुछ बच्चे देख उत्तेजित हो रहे थे...

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विक्रम के पास जाके सुमित्रा उसे खरी खोटी सुनाने लगी...वो अपना सारा गुस्सा निकल रही थी...वही कुछ मजबूर दूर से उनकी मालकिन के हुस्न का पूरा लुफ्त उठा रहे थे उन्हे सुमित्रा की पूरी नंगी पीठ दिखाई दे रही थी uske बैकलेस ब्लाउज में....

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विक्रम – अरे मैरी मां बस कर...हो गई गलती ना...सब के सामने क्यों इज्जत का पानी करती हो... जरा खुद को देखो कैसे कैसे ब्लाउज पहन रही हो तुम...देखो कैसे सब तुम्हे ही घूर रहे है...कोई इज़्ज़त नही रही मेरी अब...क्या बोलते होंगे सब की छी... जरा पल्लू तो सही रखो...

सुमित्रा अपने पति की बात को समझ रही थी...सच में सब उसकी नंगी पीठ को ही निहार रहे थे...वो फिर से शर्म से पानी पानी हो उठी...वो अपनी सारी से अपनी नंगी पीठ और कमर को छुपा दी...और धीरे से बोली गुस्से में...

सुमित्रा – सब आप की गलती हे...न दरवाजा खुला छोड़ के आते न में गुस्से में यहां इसे आती...और उसके आखों से आशु निकल गई...

विक्रम उसे प्यार से एक तरफ ले गया जहा उन्हें कोई न देखे फिर उसे गले से लगाया और बोला..."इतना क्यों सोच रही हो सूरज की मां... घर में कोई नहीं था...बच्चे कहा ही अभी यहां"

सुमित्रा – और आप के बड़े भाई...

विक्रम के आखों में कुछ आ गया और वो भी एक दम अजीब सी सोच में चला गया और फिर बोला...

विक्रम – तुम भी ना वो घर के बड़े है... तुम को क्या भईया पे भरोसा नही...वो तो तुम से बात करते हुए भी नही देखते है...और उनके होते हुए कोई नही आ सकता समझ घर में...

सुमित्रा – नही मुझे पूरा विश्वास है...पर वो घर के बड़े है आप को आगे से ध्यान रखाना होगा...अब सूरज भी रहेगा... इसी गलती फिर से माफ नही करूंगी में....

विक्रम कुछ याद कर के फिर से बोला...

विक्रम – (सुमित्रा के कान में) वैसे कोई देख लेता तो उसका तो काम तमाम हो गया होता.. भाग्यवान तुम्हारी खूबसूरती उम्र के साथ बड़ ही रही है...(पेट को सहलाते हुए) सुमित्रा की योनि एक बार फिर से गर्म गर्म काम रस रिज दी...

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सुमित्रा की योनि लगातार काम रस रिज रही थी...की अचानक ही उसे कुछ याद आया...और वो गंभीर स्वर से में रोते हुए बोली....

सुमित्रा – आप को बस मजाक सूझ रहा है...भूल गई क्या हुआ था बहु के साथ और फिर...

विक्रम भी गंभीर हो गया और सुमित्रा से माफी मांग उसे चुप कराने लगा..
very very erotic. Nice update.
Updated 07

कहानी तोड़ा फास्ट फॉरवर्ड करते हे....

पारुल और सूरज... नेहा के पापा को मिलने को एक रिस्टोरेट जाते है...जहा काफी देर बाद नेहा और उसके पापा आते हे...

नेहा के पापा – तो सुरज क्या काम करते हो तुम...(कठोर आवाज में)

सूरज – अभी तो एक IT की जॉब करता हु सर.. लेकिन सर अब यहां से घर जाके अपना गांव का काम देखने वाला हु पापा अकेले हैं तो अब यहा ज्यादा नहीं रह सकता...(सूरज ने पहले ही नेहा से गांव में रहने वाली बात की थी जिस के लिए वो राजी थी)

नेहा के पापा – देखो सूरज बेटा अगर तुम्हे नेहा से शादी करनी हो तुम रहना यही पड़ेगा... वैसे भी तुम्हारी हैसियत नहीं मेरी बेटी के साथ रहने की...उसकी जरुरते पूरी तो क्या ही करोगे...

(सूरज की बेजती सुन पारुल अपने आप को बोलने से रोक न पाई)

पारुल – देखिए सूरज गांव में रहे या यहां वो आप की बेटी को हर जगा खुस रखेगा..

सूरज – वैसे भी में गांव में सिर्फ खेती नहीं करने वाला..में और कुछ भी करने का सोच रहा हु और ये कोई IT वाली जॉब तो वर्क फ्रॉम होम चालू ही रख रहा हु...

नेहा – पापा प्लीज मान भी जाओ...

सूरज के पापा की नजर अब पारुल के और टक गई थी... पारुल बिलकुल किसी राजकुमारी जेसी लग रही थी सब वेस्टर्न कपड़े पहने लोगो के बीच... हाथो मे खनख रही चूड़ियां... छोटी सी नथ उसके नाक को और खूबसूरत बना रही थी... कानों में दो बड़े बड़े सोने के जुमखे...बिना कोई ज्यादा मेकअप के भी सब से खूबसूरत... हाथो मे अभी तक सूरज के नाम की महंदी लगी हुए थी... पारुल के स्तनों का अंदाजा लगाते हुए नेहा के पापा बोले..."जी आप कोन है"

सूरज ने पारुल की आखों ने झिझक देखी और वो बोला (पारुल केसे खुद झूट बोलती) – ये ही मेरी पारुल भाभी..

नेहा के पापा (कुछ याद कर के) – अच्छा सूरज तुम्हारे घर में कोन कोन है...

सूरज – मेरे मां पिताजी.... ताऊजी.. और भाभी...और परी...

नेहा के पापा – अच्छा और इनके पति...??

सुरज – जी वो अब नही रहे...मेरे भाई की 1 महीने पहले...

नेहा के पापा ने पारुल को फिर से एक नजर ठीक से देखा और कुछ सोच के बोले.... दोस्तो पारुल कुछ इस प्रकार से सारी पहने हुए थी...
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अपने रेशमी नाजुक हथेली में गुलाबी चूड़ियां..और अपनी सुमित्रा शास के दिए हुए खानदानी कंगन...गले में सूरज के नाम का सोने का मंगलसूत्र...

नेहा के पापा – नेहा बेटी तुम तो बोल रही थी सूरज बड़ा अच्छा संस्कारी लड़का है... उसका परिवार भी बड़ा खानदानी है...

नेहा – हा पापा... सूरज जी बहोत अच्छे है...

नेहा के पापा – (पहले पारुल की और देख फिर सूरज से पूछा) अच्छा सुरज... आप के भाई यानी इनके पति अब नही रहे...

सूरज – हा...

नेहा के पापा (धीरे से बोले) – अच्छा...तो (पारुल की और देख) आप के पति नही रहे फिर भी आप इतना सज धज के यहां अपने देवर के साथ मुंबई घूम रही हो वाह क्या बात है... हो तो आप गांव से पर इस मामले में तो आप यहां से भी ज्यादा मॉर्डन निकली...

पारुल का गला सुख गया... सूरज भी डर गया की अब क्या बोले... सूरज को कुछ समझ नही आया... पारुल अपना मंगलसूत्र को हाथ से छुपाने ने की कोशिश कर रही थी...

नेहा के पापा – और ये मांग में सिंदूर और गले मंगलसूत्र किस के नाम का डाला हुआ ही आप ने...एक पति तो नही रहे क्या पता सायद आप के और पति भी हो...(नेहा के पापा हस देते है)...गांव में तो ये कोई नई बात नही होगी...

पारुल के आखों से टप टप आशु निकल गई...वो खुद का इतनी बेजती से पूरी तरह से टूट गई... सूरज का भी अपनी भाभी का अपमान सहा नही गया...और अपनी प्यारी भाभी के आखों से आसू निकलता देख वो अपना आपा खो बैठा....

सुरज – (गुस्से में) देखिए आप मुझे कुछ भी बोल लो मेरी भाभी के बारे में कुछ बोला तो में भूल जाऊंगा की आप नेहा के पापा हो....

सुरज का गुस्सा देख नेहा के पापा हस के बोले...(वो बड़ा खुस हो रहे थे) – देखा नेहा.. अपनी पत्नी की बुराई सुन केसे भटक गया तेरा सूरज...यही आता है इन छोटे लोगो को तुम जैसी भोली भाली लड़कियों को अपने प्यार की जाल में फसाना पेसो के लिए...और देख रही हो ये ना इस slut (रण्डी) को केसे अपने ही पति को अपना देवर बोल रही है...छी....

सुरज गुस्से में आकर नेहा के पापा का कॉलर पकड़ लिया और नेहा को देख फिर उन्हे छोड़ देता है...

नेहा – (रोते हुए) क्या ये सच है कि ये आप की पत्नी हे...मेरी कसम है सच बोलना....

सूरज – (सूरज एक दम शांत हो चुका था अब) हा..लेकिन...

नेहा उसे वही रोक के..."लेकिन क्या इतना बड़ा जूठ..." नेहा रोने लगी...सब इसी और देख रहे थे... नेहा रोते हुए अपने पापा की बाहों में समा गई...नेहा के पापा ने उसे बड़े प्यार से सहलाते हुए माथे पे चूम लिया...(मन में बोले – तुम सिर्फ मेरी हो मेरी बेटी.. सिर्फ मेरी... आज फिर तुम्हे बचा लिया...)


सूरज – नेहा तुम जैसा सोच रही वैसा कुछ नही हे..में अब ठीक कर दूंगा... भाभी से शादी बस मेरी मजबूरी थी...

पारुल – हा नेहा...तुम सूरज को गलत समझ रही हो...ये सब शादी की वजह कुछ और थी और सारी गलती मेरी थी इस की सजा तुम अपने प्यार को मत दो...हम तो घर जाते ही डिवोर्स ले ने वाले थे... प्लीज मेरी गलती की सजा सूरज को मत दो...


(ज्यादा रोने और तनाव से पारुल की दिल की धड़कने तेज तेज चल रही थी और इस से उसका सुडोल सुगठित सीना ऊपर नीचे हो रहा...देखने वाले तो पारुल के ब्लाउज को देख यही राह देख रहे थे की कब ये फट जाई और उन्हें इस गांव की परम सुंदरी के सुडोल स्तनों के दर्शन हो जाई...)


नेहा को को दिल तो टूट ही गया था और ये सब सुन के उसका दिमाग और खराब हो रहा था वो कुछ सुनना नही चाहती थी क्या वजह थी के क्या हुआ था...इस वक्त बस उसे यही दिख रहा था की सामने खड़ी लड़की ने उसके प्यार को उस से चीन लिया था...और सूरज ने भी उसे धोका ही दिया...

नेहा – Shut Up Bitch...you bloody whore...

सूरज ने नेहा को एक जोर का थप्पड उसके मुंह पे दे मारा..."नेहा....." नेहा के कान सुन पड़ गई...उसे कुछ आवाज तक नहीं आ रही थी...आज पहली बार उसके गोरे गोरे मुलायम गालों पे ऐसा थप्पड़ पड़ा था...उसके गाल टमाटर जैसे लाल हो उठे...वो रोते हुए वही बैठी सुरज को देख रही थी की ये कैसे उसका प्यार हो सकता था ये कोई और ही है ये वो सूरज नहीं था जिस की वो दिवानी थी...

दूसरे ही पल नेहा के पापा सूरज पे टूट पड़े और दोनो के के बीच हाथा पाई होने लगी...तभी वहा सिक्योरिटी वाले आ गई और सब को बाहर निकाल दिया...और नेहा और उसके पापा घर चले गई...

सूरज ने पारुल को घर छोड़ दिया और फिर वो घर से चला गया... साम को भी सूरज घर न आया तो पारुल परेशान हो उठी... पारुल ने कही बार सूरज को कॉल किया लेकिन उसका फोन स्विच ऑफ आ रहा था...

**.......सूरज के गांव से कुछ मिलो दूर जंगल में रात के 11 बजे....**

भोला – साले अच्छा भला पाकड़ लिया था उसे...पर तुम्हारे चूतीयापे में आके कहा फस गई... बाबाजी भी ध्यान में चले गई...अब हिलाओ उस लोड़ी को याद कर के...

मनमोहन लाल (मोहन) – भाई तू भी तो उसे देख पगला गया था. अब मुझे बोल रहा...

भोला – वैसे हे तो भाभी एक दम स्वर्ग की अप्सरा.. अभी तक याद कर खड़ा करवा देती है बे...वो उसके निप्पल ...हाए एक बार मिल जाए....

मोहन – साले तू तो चूस रहा था...कटा नहीं होता तो साले आज वो हमारा चूस रही होती... भोंसड़ी वाले....

भोला – अबे तो उसकी चूचियां ही ऐसी थी और ऊपर से उसकी मीठी मीठी सिसकारी निकल रही थी... गांड़ू तेरी गांड़ में दम होता तो उसका मुंह बंद रख पाता...न वो इतना जोर से चिल्ला पाती न उसका लोडू पति वहां आता....एक लड़की पकड़ नहीं पाया बे तु...

मोहन – साले तुझे आराम से करना था तो सब कर पाते हम...और ये देख न भाई...क्या हाल किया मेरे हाथ का उसके नाम की मुठ भी नही मार पाता....(उसके एक हाथ की हथेली पे पट्टी बंधी हुई थी) साली जंगली कुतिया...इतना जोर से काटा यार....

भोला – अबे क्या कम मारा क्या मुझे उसके मर्द ने...लेकिन बच नही पाया बिचारा.... हा हा...अब उसकी जोरू को कोन बचाएगा....साली को नंगा कर चोद दूंगा....

और उनकी बात देर तक चलती रहती है....
Interesting turn to the story.
 
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