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Incest ❣️ घर की ज़िम्मेदारी ❣️ [Completed]

आप की पंसदीता लड़की/औरत

  • सुमित्रा

    Votes: 35 50.7%
  • पारुल

    Votes: 30 43.5%
  • नेहा

    Votes: 4 5.8%

  • Total voters
    69

Premkumar65

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Update 08

रात के 12 बज गई थे लेकिन सूरज का कोई अता पता नहीं था... पारुल का दिल बेचैन हो रहा था वो उसके मन में अजीब अजीब ख्याल आने लगे थे... करती तो करती क्या बिचारी घर पे क्या बोलती नहीं तो अपनी शास से बात कर लेने का उसका दिल हो रहा था यहा किस को अपनी परेशानी कहे बिचारी...

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तभी उसे पड़ोस वाली अंतू याद आते है और वो वैसे तो बड़ा संकोच कर रही थी की इतनी रात को केसे किसी के घर का दरवाजा खटखटाया जाई...पर मजबूरन हो डोर बैल बजा देती है... पारुल एक बार घंटी बजा कुछ देर रुक जाती... और बड़ी बड़ी आंखें कर दरवाजा खुलने से इंतेजर में अपने हाथो को एक दूसरे से अजीब तरह से पकड़ रही थी... वो जितना परेशान होती उतना अपना एक हाथ दूसरे हाथ में दबा रही थी...

तभी उसे एक हल्की सी आवाज उसके कान में सुनाई दी...
"मम्मा कोई दीदी है..." कुछ देर कोई आवाज नहीं आई फिर दरवाजा खुला...(अंदर से वो पारुल को देख रहे थे)

पारुल के सामने एक 18 साल का लड़का उसे अपनी आखों से घूर रहा था जैसे उस ने कोई अप्सरा देख ली हो...वो अपने भाव को छुपा नहीं पा रहा था उसके मुंह से साफ समझ रही थी पारुल की लड़का पहली नजर में उसके सौंदर्य का गुलाम हो गया था...तभी उसने देखा कि उसकी नजर उसके उभरे हुए उरोज पे जाने लगी थी...पारुल एक दम से अपना पल्लू ठीक करती हुई बोली.."वो वो..."और उसकी आखें भर आई... सूची (आंटी) पारुल की नाजुक हालत का अंदाजा लगा ली और उसे घर के अंदर ले आई...उसे पानी का पीने को यह और सोफ़ा पे बिताया...दोनो मां बेटे एक दम चिपक के बैठे...

सूची ने एक पतला सा काले रंग का शर्ट पहना हुआ था... कुछ बटन खुले ही थे जिस से उसके स्तन का कद पारुल को साफ साफ पत्ता चल रहा था...पारुल इतना ध्यान नही दिया...
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सूची – क्या हुआ पारुल are you okay....

पारुल – वो नही आई अभी तक...

सूची – वो कोन...आप के हसबैंड भी आई हैं....

पारुल – (पारुल को अब याद आया कि सूची के लिए वो सूरज की भाभी थी) जी जी... सूरज अभी तक नही आया...और उसका फोन भी बंद आ रहा है...

सूची – अरे तुम खामा खा परेशान हो रही...गया होगा अपने दोस्तो के साथ कही...आ जायेगा...

पारुल – वो आज....(और जो हुआ वो बता दी लेकिन उसके और सूरज का रिश्ता के बारे में नहीं बोली)

सूची – क्या...इतना सब हो गया...तुम डरो मत में कुछ करती हु... अथर्व मेरा मोबाइल लाना...

अथर्व – ओके सूची...

और सूची उसके पति श्रीकांत को कॉल करती है...

सूची – हेलो...

श्रीकांत – हेलो...आज पति की याद कैसी आ गई..

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सूची – शट अप श्रीकान्त...वो हमारे पड़ोस में रहाता हैं ना सूरज वो अभी तक घर नहीं आया और कॉल भी नही लग रहा... प्लेस कुछ करो यार...उसकी भाभी आई हुए ही घर...

श्रीकांत – यार सूची तुम ने मुझे क्या समर रखा हे..अब खूंखार अपरादी को पकडू या... तुम्हारे सूरज को घर लाऊ...यार जवान लड़का है गया होगा कही....

सूची – सुनो...(सब डिटेल में बता दी)...

श्रीकांत – अच्छा अच्छा देखता हु...अब यही काम रह गया था... Jk एक नंबर दे रहा हु जल्दी से लास्ट लोकेशन पता करवा...

सूची के हाथ से उसका मोबाइल ले कर अथर्व उसके पापा से बात करने लगा....

अथर्व – what's up Dad...

श्रीकांत – ठीक हु बेटा...अपनी मम्मी का खयाल रखना...

अथर्व बात करता हुए बेडरूम में चला गया...

अथर्व – पापा पूरा खयाल रख रहा हू...आप उनके बारे में जरा भी टेंशन मत लो...

श्रीकांत (वो फिर से लोकेशन का याद दिला के बाहर केबिन से बाहर भेज दिया) – अथर्व तुम्हे तो पता ही है... में बस अपने बेटे पे भरोसा कर सकता हु... नही तो वो अरविंद कमिना...मेरी सूची को मुझ से चीन लेना चाहता है...

अथर्व – पापा आप की नही...हमारी सूची...मेरा वादा हे..सूची को इतना प्यार दूंगा की उसे किसी और के पास जाने की कभी कोई जरूरत नही होगी...आप जो प्यार मम्मा को अपने काम के रहते नही दे पाते हो में दूंगा पापा...

श्रीकांत – ध्यान रहे बेटा सूची को न पता चले कि में तुम दोनो के बारे में सब जान गया हूं...

अथर्व – don't worry Dad...

श्रीकांत – और सुन बेटा...में तेरे हाथ जोड़ता हूं... कॉन्डम पहना कर... She is sitll fertile...be careful for atleast some years....

अथर्व – पापा but I want to have atleast one baby with suchi... please na...

श्रीकांत – shut up... Is bare me sochna bhi nahi...

अथर्व – हा हा...पापा आप भी ना I'm just kidding...

श्रीकांत – ठीक है लेकिन मैने आप को समझाया था न कि आप अपनी मम्मी के साथ बच्चा क्यों नही कर सकते...

अथर्व – हा पता ही पापा... मेडिकल प्रोब्लम होगी हमारे बेबी को...ok dad...I love you so much....

श्रीकांत – I love too my dear son... सूची को मेरी और से किस दे देना...

अथर्व कॉल रख बाहर आता है और सूची के होठों को चूमने लगा...और पारुल दोनो मां बेटे को इसे देख हैरान रह गई...और वो सूची की को अपनी बाहों में भर सहला रहा था...

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सूची ने अथर्व को धीरे से अपने से दूर किया...

सूची – पारुल मेने श्रीकांत से बात कर ली है वो ले आएगा सूरज को... तुम तब तक यही रुको...

पारुल – (पारुल मन में) ये भगवान अगर वो सही सलामत आ गई तो में नंगे पैर आप के दर्शन के लिए चड़ावा लेके आऊंगी...

*** सूरज घर से दूर किसी सड़क पे चल रहा था****

वो अपने गम न सब भूल सड़क के बीचों बीच चलने लगा था...उसे अब जैसे जीने की कोई इच्छा नहीं बची थी...एक ट्रक उसके सामने से पूरी रफ्तार से आ गया... ड्राइवर ब्रेक लगाया लेकिन बहुत देर हो चुकी थी...तभी सूरज का हाथ कोई पकड़ उसे अपनी और खींच लेता है...और सूरज मरते मरते बचा... ट्रक वाला सूरज को गलियां देके वहा से आग बड़ी गया...

सूरज को जैसे कुछ पड़ी ही नही थी वो फिर से खड़ा हुआ और चलन लगा...की उस बूढ़े आदमी ने उसे रोका और कहा " बेटा कहा खो गई थे तुम कही कुछ हो जाता तो"
"क्या फर्क पड़ेगा किसी को" "बेटा फर्क पड़ेगा..आप की मां को पड़ेगा..आप के पिता को पड़ेगा...एक बेटा खो चुके तुम्हारे ताऊजी को फर्क पड़ेगा...पहले पति को खो के बड़ी हिम्मत कर दूसरी शादी करने वाली तुम्हारी अर्धांगिनी को फर्क पड़ेगा...फर्क पड़ेगा परी को जो फिर से अनाथ हो जायेगी"

सूरज का ये सब सुन हैरान रह गया...उसके दिमाग में एक साथ कही सवाल आने लगे...

सूरज – आप कोन है और मुझे केसे जानते है...

बुड्ढा – में कोन हू...कहा से आया...क्या करता हु...इस से कोई फर्क नही पड़ता...सवाल ये की क्या तुम क्या चाहते हो...

सूरज – कुछ समझा नही बाबा...

वो आदमी सूरज को एक पेड़ के पास ले आया और वो दोनो वही आमने सामने एक बेंच पे बैठ गई... सूरज बुड्ढे के तेज से बड़ा प्रभावती हो रहा था...सफेद कपड़ों में वो कोई बड़े सिद्ध पुरुष मालूम होते थे... आखों में एक अलग ही चमक सूरज साफ देख सकता था...

सूरज – आप है कोन....?????

गुरुदेव – में बस तुम्हे सही दिशा दिखाने आया हु बेटा...तुम अपनी मजिल से भटक रहे थे... h(और एक तेज रोशनी हुए)

सूरज इतना तो समझ गया था की ये कोई मामूली बाबा नही... वो उनके आगे हाथ जोड़ के पूछता है..."गुरूदेव में कुछ समझ नहीं पा रहा...पर आप कोई साधारण व्यक्ति नहीं.."

गुरुदेव – बेटा सूरज...में तुम्हे सही राह दिखाने ही आया हु... क्या तुम्हे अभी लगता है तुम्हारे जीवन का कोई मूल्य नहीं...

सूरज – (सब के बारे में सोच के) नही गुरुदेव में गलत था... बहोत लोगो की उम्मीद सिर्फ मेरे ऊपर हे..और में क्या कर रहा था लेकिन में अब समझ रहा हु....

गुरदेव – तो क्या सोचा है फिर आगे...अपनी जिमेदारी से दूर भगाना चाहते हो या अपने "घर की जिमेदारी"
एक अच्छे बेटे पति पिता बन ने निभाना चाहते हो...

सूरज – गुरुदेव में अपने घर की सारी जिमेदारी उठा न चाहता हु..अब मेरा और कोई थ्येय नही...पर....

गुरुदेव – खुले के बोलो बेटा... मुझे तो सब पता ही हे लेकिन में तुम्हारे मुंह से सुनना चाहता हु...बोलो...

सूरज – आप को इतना सब पता ही है तो ये भी पता होगा कि...में अपनी भाभी को उस नजर से नहीं देख सकता...वो मेरे भाई की पत्नी थी गुरुदेव..

गुरुदेव – सूरज बेटा...भले वो तुन्हारी भाभी थी...अब वो रिश्ता नही रहा...तुम दोनो ने अग्नि को साक्षी मानी एक दूसरे से वचन लिया हे एक दूसरे का हर परिस्थिति में साथ देने का...पारुल बेटी तो अपना हर वादा पूरा कर रही हैं लेकिन तुम नही...आज भी वो तुम्हारे लिए व्याकुल होकर अपनी हर मुनकिन कोशिश में लगी है की तुम सही सलामत घर आ जाओ.... और रही बात तुम्हारे भाई की तो क्या उसकी जगा तुम होते तो क्या तुम अपनी पत्नी को किसी पराई घर में जाने देते जगा क्या पता वो आदमी में परी को दिल से अपना पाता...क्या वो पारुल को जितना तुम खुश रख सकते हो उतना खुस रखता...क्या परी को अपने परिवार से दूर करना सही होगा....

सूरज – (कुछ देर मोन रह सोहता रहा) गुरदेव में आप को बात से सहमत हु...अब भाभी और परी दोनो का पूरा खयाल रखूंगा....

गुरदेव – बेटा वो अब तेरी भाभी नही रही...ये बात समझ लो... वो बच्ची कुछ बोलती नहीं इसका ये मतलब नही की उसे बुरा नही लगता होगा... कोन सी सुहागन को अच्छा लगेगा की उसका पति उसे भाभी बुलाता हे....

सूरज – में नही बोल सकता उन्हें किसी और तरह से...

गुरदेव – अपनी जिमेदारी मत भूलो...तुम उसके पति हो...उसे पति का सुख प्रदान करो...यही धर्म है...

सूरज – ठीक है गुरुदेव...

सूरज की दिल की उलझने अभी दूर नही हुए थी पर वो चुप था...गुरुदेव सब समझ रहे थे...वो बोले...."सूरज बेटा जब तुम ने पहली बार पारुल को देखा था तुम्हे कैसा लगा था"
"गुरुदेव आप क्या बोल रहे है मुझे तो याद भी नहीं अब"
"गलत बेटा तुम्हे वो दिन अच्छे से याद है" "तुम पारुल को देख उसके यौवन पे मोहित हो गई थे...लेकिन फिर तुम्हे पता चला कि ये तुम्हारे भाई की होने वाली पत्नी है..."
सूरज पूरी तरह से अचंबित हो उठा ”गुरुदेव तब मुझे नही पता था कि वो..." "और जब तुम ने पारुल को पहली बार दुल्हन के रूप में देखा तुम क्या सोच रहे थे"
सूरज कुछ नही बोला तो गुरुदेव ने उसे और अधिक गहरी आवाज में पूछा.."बोलो बेटा " "जी गुरुदेव...में उनकी खूबसूरती में मोहित हो गया था लेकिन मेरे दिल में ऐसा कोई भाव नहीं आया था...में तो बस यही सोच रहा था की मेरी पत्नी भी भाभी जैसी हो बस"

गुरुदेव खड़े होकर बोले "तो अब जब वो खुद तुम्हारी पत्नी के रूप में तुम्हारे जीवन में आई ही उसे क्यों उसका हक नही दे रहे हो..."

सूरज का दिल जोर जोर से धड़कने लगा पारुल के साथ अपने आप को सोच..."नही नही गुरुदेव वो कभी तैयार नहीं होगी...उनके दिल में भईया ही है"
"नही सूरज एक पत्नी के दिल में बस उसका पति होता है...पारुल एक पतिव्रता स्त्री है वो अपने पति को वो अपना हक लेने से कभी नही रोकने वाली...और क्या तुम ने ठीक से थ्यान नही दिया शादी के बाद से उसका तुम्हारे लिए बरताव बदल गया है" "तुम से बड़ी होते हुए भी तुझे आप कह के बुलाना...जब तुम उसके पास जाते हो शरमा जाना.. तुम्हारा पूरा खयाल रखाना... सिर्फ तुम्हारे लिए इतना सजना संवरना..."

सूरज – लेकिन गुरुदेव मेने ऐसा कुछ नही सोचा...

गुरुदेव – में यह नहीं कर रहा की आज ही अपनी पत्नी को उसका हक देदो...लेकिन उसे अपने दिल से अपना लो...अपने ऊपर कोई बोझ ले कर अब मत चलो...अपना वैवाहिक जीवन उसके साथ ऐसे सुरू करो जैसे तुम दोनो पहली बार मिले हो...भूल जाओ बाकी सब...फिर बाकी तो तुम दोनो एक दुसरे के लिए ही बने हो... बस दोनो संकोच कर रहे हो...और पारुल जेसी लड़की खुद पहल नहीं करेगी...इस रिश्ते को आगे तुम्हे ही बड़ाना हे...तुम बस एक नई शुरुआत करो....सब अच्छा होगा...अब जा रहा हु...

एक तेज रफ्तार से हवा चली और गुरदेव कहा चले गए सूरज समाजी ही नही पाया...वो बस बोलता ही रह गया "गुरुदेव आप कहा गई" "गुरुदेव मुझे आप से फिर से मिलना था तो क्या कारूगा" की तभी JK सूरज को पकड़ लेता है....

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Jk – क्या रे...यह कहा उछल कूद कर रहा... वहा सब को परेशान कर रखा है चल घर चल बे...

और दोनों जीप पे घर की और जाने लगे...
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Underground Life

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Update 09

Jk सूरज घर तक ले आया....

पारुल का सूरज को सही सलामत अपने सामने से आता देख वो दौड़ के उसकी और भागी...(सब नीचे कंपाउंड में थे...पारुल सूची और Jk)... और सूरज से लिपट गई...

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सूची हैरान हो कर सब देख रही थी...सूरज ने भी अपने आप को रोका नहीं और पारुल को अपनी बाहों में भर के उसे प्यार से सहलाने लगा...और उसे लगा जैसे वो क्यू इतने दिन से पारुल से दूर भाग रहा था...उसे ऐसा सुकून मिला जो कभी उसे नेहा के साथ मिलता था...लेकिन पारुल के आगे नेहा कुछ नही थी...

कुछ पल सूरज को आलिंगन में सब कुछ भूल अचानक पारुल को होस आया और वो पहले सूरज के इतना करीब आने से सरमा गई और दुसरे ही पल वो सूरज को एक जोर का थप्पड़ जड़ दी... सूरज वही खड़ा अपनी पत्नी को हैरानी से देख आखों ही आखों में पूछ रहा था क्यू लेकिन...और पारुल भी अपना सारा दर्द एक बार में सूरज को सुना दी...की उसकी कैसी हालत हो गई जब वो घर नही आया...पारुल अब पूरे हक से सूरज को डाट रही थी जैसे एक जीवनसंगनी अपने साथी को सही राह पर लाने को डाट लगाती है.... सुरज ने जैसे पारुल के भूतकाल को पूरी तरह से भुला दिया था...या ये गुरदेव का को चमत्कार था लेकिन सूरज अपनी पत्नी को देख धीरे धीरे मुस्कुरा उठा और पारुल के कान में बोला..."गलती हो गई प्लीज घर पे चलो ना अब...देखो आंटी भी हे यहां." पारुल अपने आस पास देखने लगी तो सब उन दोनो को ही घूर रहे थे सूची तो वही थी और बाकी कुछ बालकनी में थे....पारुल शर्म से लाल हो उठी... और वही खड़ी हो है जेसे कोई मूरत हो...

सूरज बोला "आंटी थैंक यू वेरी मच.. (थोड़ी शर्म और हिचकिचाते हुए) (बिचारा अपनी भाभी को केसे नाम से बुलाता) आप ने मेरी पारुल का इतना खयाल रखा आज..."

"मेरी पारुल" ये दो शब्द पारुल के दिल में गहराई तक पहुंच गई... उसके रोम रोम में उत्तेजना उठ गई...उसके गाल लाल हो चुके थे...उस की दिल की धड़कने अचानक ही तेज रफ्तार से बढ़ गई...वो अपने हाथो को जोर से दबा रही थी... पारुल के पहले पति ने कभी सब के सामने उसे मेरी पारूल कह के नही संबोधित नही किया था...पारुल के लिए ये एक दम नया ही अनुभव था...ऊपर से पहली बार सूरज उस पे अपना हक जता रहा था...एक औरत को और क्या चाहिए अपने पति का साथ और प्यार जो उसे आज जैसे कुछ हद तक मिलते हुए दिख रहा था...

सूची सूरज के पास आती है और सूरज का काम पकड़ के मरोड़ के बोली ”अच्छा तो पहले क्यों जूठ बोल रहा था क्या में तेरी पारुल को खा जाती..." "नही नही ऐसा कुछ नही आंटी...आप को सब पता दूंगा में...लेकिन आप घर तो चलो"

सूची "ठीक है में अभी आई तुम ऊपर जाओ अथर्व होगा"

और सब चले गई और सूची गेट के बाहर जाने लगी...JK अभी तक अपनी जीप वही लिए उसका ही इंतजार कर रहा था... सूची को देख वो उस पे टूट पड़ा...और सूची के होठों को भरपूर आनंद लेता रहा और... उसके हाथ सूची की बड़ी छोड़ी गांड़ को बेरहमी से सहला रहे थे...

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सूची की आहे निकल गई... आह बस करो JK कोई देख लेगा... "भाभी कोई नही ही यहां करने दो ना... वैसे भी श्रीकांत दो दिन से भर नही आया...आप की छूत तो आग छोड़ रही होगी...(उसे क्या पता अथर्व अब उसकी आग बुझा देता था) "नही तो...ऐसा कुछ नही है"

"अरे लेकिन मुझे तो पीला दो भाभी आप का पानी आज...इतना क्यों तड़पा रही हो"

"ठीक है लेकिन जल्दी करना


JK ne सूची को अपनी जीप का दरवाजा खोल वही बिठा के उसकी नाइट ड्रेस उपर कर दी और सूची की गीली कच्छी को उतार के फेक दिया...."पागल हो गई हो क्या JK फेक क्यों दी..." "भाभी आप की कच्छी ही किसी गरीब का को मिल गई तो उसका भी भला हो जाने दो...आप बस मजा लो..." Jk ने अपना लिंग बाहर निकल एक बार में ही सूची की गीली योनि में घुसा दिया...सूची को इस का जरा भी अंदाजा नहीं था...वो दर्द से तड़प उठी...पर अपनी चीख को बाहर नही आने देती... आह... बाहर निकालो प्लीज़...अभी नही....अपनी पूरी शक्ति लगाकर भी सूची JK की मजबूत पकड़ से बाहर नहीं आ पाई...

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JK - Ahhhhhhh कितना टाईट है यार भाभी...कितने दिन से नही ले रही...आग लगी हुए ही आप को छूत में और बोल रही थी नही करना...

सूची – निकाल दो प्लीज़...अभी नहीं कोई देख लेगा बाद में घर आजाना... आह आ मां...बस धीरे धीरे आह... आह मार डाला.....

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कुछ देर के बाद दोनो अपने चरम पे थे की...एक लड़का दोनो को देख लेता हे..सूची का मुंह नही लेकिन Jk साफ दिखाई दे रहा था...लड़का दोनो को घुर रहा था... बिचारी सूची की योनि तो यही सोच के पानी पानी हो रही थी की आज उसकी छूत खुले चूद रही है...अगर उसे पता चल जाए की उसके बदन के उपर एक पराई मर्द को कोई देख रहा है तो बिचारी वही सरम से मर जाए.....

JK लड़के का गुस्सा सूची का निप्पल काट के लेता है और जोर से चिल्ला के बोला – चल भाग मादर चोद तेरी मां नही चूद रही यहां...अगर में आया तो तेरे सामने उसे चोद दूंगा...

लड़का अपना मुंह लटका के वहा से आगे चल दिया...JK ki बात सुन सूची की योनि ने पानी का फवारा चोद दिया...
उसका शर्म से पूरा बदन लाल हो गया...

सूची – प्लीज जाने दो अब...(रोने लगी)

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तभी फोन का रिंग बचा.... ट्रिंग ट्रिंग....

JK – भाभी आप का फोन आया होगा उठा लो...

सूची – मेरा नही है यहां फोन... आह अब तो रुक जाओ...क्या हो गया है आज एक दम जानवर की बन गई हो... आह निकल दो...अंदर चला गया तो कही फिर से प्रेगनेंट न हो जाऊ...बार बार अरविंद का नाम नहीं ले सकती में....

"अरे हां मेरा ही ही कॉल...आप के पति का ही मैडम..." (Jk हस दिया)...श्री का सोच सूची और पानी निकल रही थी...और उसकी योनि सिकुड़ रही थी डर से....

श्रीकांत – अबे JK कितनी देर कहा रह गया...

JK ka लोड़ा और कड़क हो रहा था सोच के की वो सूची के पति से तब बात कर रहा है और उसका काला लौड़ा उसके दोस्त की पत्नी की योनि की गहराई नाप रहा था...

JK – बस आ रहा हु...थोड़ा प्यास लगी थी वही भुजा रहा हु....

श्रीकांत – अबे साले आज किस की घरवाली के उपर चढ़ा हुआ है... जरा आवाज तो सुना... सिसकारी की... वहा में एक दम से शांति फैल गई...सूची को भी सब सुनाई दिया... बिचारी आगे का सोच ही पसीने से नहा ली...उसकी योनि में Jk ke लोड़े को जकड़ लिया...वो उसकी योनि आग में भस्म होने की कगार पे थी...न चाहते हुए भी वो अपनी काम आग में JK ko अपने ऊपर खींच ली... कॉल चालू रख JK ने एक जोर का झटका लगाया...और सूची की आह्ह्ह दूर तक फेल गई... श्रीकांत का भी लौड़ा खड़ा हो गया मादक सिसकरिया सुन... JK ने अपना सारा गरम गरम वीर्य सूची की योनि में छोड़ दिया..."आह संभालो सूची मेरा आ रहा है... आह भाभी आप कमाल हो...I love you"

"नही नही बाहर निकल दो..."

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जैसे ही पानी निकला सूची की योनि jk के काम रस से भर गई और उसकी कोख तक पहुंच गया उसका बीज...सूची उठी और jk ko चार पांच थप्पड लगा के वहा से घर आ गए....

श्रीकांत – साले कोडम क्यू नही पहनता बिचारी के पति का तो सोच तेरे बच्चे पलेगा क्या... वैसे किस की हे वो... हम से मिला कभी...

JK – यार तेरे काम की नही...


फिर सूरज पारुल और सूची सब घर में आए जहा वो सब बता दिया...उसकी शादी केसे हुए उसकी खुद की भाभी से...

सूची – तभी हमारी प्यारी पारुल इतना परेशान थी आज...चलो अच्छा हुआ... इस प्यारी बच्ची को छोड़ तू अगर उस नेहा से शादी करता तो में खुद तुझ से बात न करती...

अथर्व सब सुन के बोला "हा सूची वैसे भी भईया से कहा पट पाती इतनी खूबसूरत लड़की"

सूची – (अथर्व का कान पकड़ के) शटअप बदमाश... सूरज को तंग मत कर.... चल अपने कमरे जा...

पारुल – (अपनी मीठी आवाज में प्यार से) कितना प्यारा है आप का बेटा.. यहां बैठो मेरे पास अथर्व...

अथर्व पारुल के एक दम चिपक के बैठ गया...कुछ देर बाते करते करते पारुल बहोत सहज होने लगी...और खुल के अपने अंदर कब से छुपा के रखी हुए बडबोली और चुलबुली पारुल को बाहर आने दी...

सूरज से तो वैसे भी वो पहले से करीब थी उसकी भाभी के रूप में तो वो अब मस्ती मजाक करने लगे...

बातों ही बातों में बात बच्चो पे आई...

सूची – मेरे दो बच्चे हे पायल..एक तो ये सेतान और एक बड़ी बेटी है इस से...लिकन इस में दिमाग थोड कम है...और सेतानी ज्यादा...

पारुल अथर्व को प्यार से अपनी बाहों ने भर फिर उसके गालों को चूम ली और बड़े प्यार से बोली "ये तो कितना प्यारा हे...काश मेरा भी एक अथर्व जैसा बेटा होता" ये बात उसके मुंह से बिना कुछ सोचे निकल गई और उसके बाद उसे समझ आया कि वो क्या बोल दी...

जब पारुल ने अथर्व को चूमा उसे वो पल याद आने लगे जब उसके गालों पर भी उसकी पारुल भाभी चुम्बन सब के सामने कर देती...और सूरज चीड़ जाता था...और उसे चिढ़ता देख उसकी पारुल भाभी को बड़ा मजा आता और वो उसके दूसरे गाल को भी चूम अपनी लिपस्टिक की गुलाबी चाप छोड़ देती...साथ ही में आज उसे अथर्व के गाल पे वही गुलाबी होठों देख जलन होने लगी थी...लेकिन क्यू वो समझ नही पाया....सायद इस लिए की पारुल की चुम्मी उसे भी चाइए थी....

सूची – तो हो जायेगा न...सूरज सुन रहा हैं न...पारुल को एक प्यारा सा बेटा चाहिए...अब ये तेरी जिमेदारी हे पारुल की हर ख्वाइश पूरी करे...

सूरज और पारुल दोनो एक दुसरे से नज़रे चुरा लेते है..और पारुल क्यू की अनुभवी थी...उसकी आखों के सामने सब कुछ आने लगा...केसे उसके पति ने उसके साथ संभोग कर उसे गर्भवती किया...कैसे 9 महीने निकले थे...केसे उसे सब का प्यार मिला...कितना दर्द हुआ था उसे जब परी इस दुनिया में आई...पारुल का दिमाग उसे सब फिर से शुरू से सूरज के साथ सोचने पे मजबूर कर रहा था...

पारुल अपने ख्यालों में खो गई थी की...उसे अथर्व होस में लाया... तभी एक जोरो की बिजली हुए...और उसके बाद एक जोरो की बादल गरजने की आवाज ने सब को सहमा दिया....

पारुल को जैसे कुछ याद आया "जी वो मेने मन्नत मांगी थी मंदिर जाना पड़ेगा मुझे..." "पारुल पागल हो क्या मोसम देखा न केसा हो रहा है" सूरज गंभीर स्वर में बोला...." "हा सूरज सही बोल रहा है कल चले जाना सूरज ले जाएगा तुम्हे" "नही आज अभी जाना होगा..." "ये कैसी जिद ही पारुल" सूरज को पता ही न चला की अपनी पत्नी को नाम से बुलाना कोई मुस्किल न था...अब तो वो बड़ी सहजता से पारुल को उसके नाम से पूरे हक से बोल रहा था उपर से एक पति के अधिकार से उसे रोक भी रहा था...

पारुल – मुझे तो जाना ही होगा...में जा रही हू...बस आप इतना पता दो की मंदिर कहा पे ही....

सूरज – रात के 2 बज रहे ही और बारिश भी आने वाली है...

पारुल घर से निकल बिना अपने सैंडल पहले सीडीओ से नीचे उतर गई...

सूरज – चलिए आंटी में भी जाता हूं...वो बड़ी जिद्दी है...नही मानेगी...

पारुल अपनी नाजुक पेरो पे चल आगे बड़ रही थी...उसकी पतली कमर को सूरज आज ठीक से देख रहा था... लंबे घने बालों में पारुल किसी आसमान से उतरी हुए परी जैसी खुबसूरती बिखेर रही थी... मोसम इतना ठंडा हो रहा था की पारुल की पतली सारी से होते हुए उसके जिस्म को छू कर जैसे उसकी कमर को सहला रहा था...सूरज अपनी पत्नी को मन भर आज बस निहारे जा रहा था... सूरज पारुल के उछल रहे पेरो की रंगत देख हैरान था की उसकी पत्नी कितनी गोरी है...उसका खुद का सावला रंग होने से उसे उसकी गोरी त्वचा और उत्तेजित कर रही थी...

सूरज भागता हुए...पारुल के पास पहुंच उसके साथ चल दिया...कुछ दूर जाने दो रास्ते पड़ रहे थे तो पारुल रुक गई...

"बोलिए अब किस और जाना है"...

सूरज (मजार में) – जाओ जहा जाना है...

(दोनो एक दम अकेले थे अब उसे कोई लाज शर्म नही थी और वो इतना इस मदहोश करने वाले मौसम ने उसे अपने रंग में रंग लिया था)

पारुल – बोलिए भी...नही तो...

सूरज – नही तो क्या हा...में क्या तुम से डराता हू...अब में आप का पति हु देवर नही समजी आप....

पारुल – देखो ठीक तरह से मुझे रास्ता बता दो नही तो मुझे भी आता है सब....

सूरज – अच्छा क्या आता है मेरी पारुल को...

पारुल फिर से मेरी पारुल सुन अपनी शर्म और खुशी को दिखाने से रोक नही पाई...

सूरज का दिमाग उसे फिर से बोलता है क्या कर रहा है सूरज वो तेरी भाभी हे...लेकिन तभी उसे गुरदेव की आवाज सुनाई दी..."सूरज खुद को मत रोक जो हो रहा है वैसे होने दो...यही तेरी जिम्मेदारी भी है..अपनी पत्नी को देख इतना खुस उसे अपने भाई के जाने के बाद कभी देखा हे..."

सूरज अपने आगे खड़ी पारुल को अपनी बाहों में उठा कर उसकी आंखों में देखने लगा...दोनो के जिस्म जेसे एक हो रहे थे...पारुल भी थोड़ी देर में सूरज को अपने हाथों से जकड़ लेती है....


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दोनो कुछ मिनटों तक बस एक दूसरे को बाहों की नरमी में खो गई...पारुल की हाथ सूरज की चौड़ी पीठ को पूरी तरह से अपने हाथो में लेने को आतुर थे..लेकिन उसके छोटे हाथ से ये मुनकिन नही था... वो अपने हाथ से सूरज की पीठ को सहला रही थी वही सूरज भी अपनी पत्नी को सहला रहा था...उसके हाथ जैसे ही पारुल की नंगी पीठ वाले हिस्से को छूते पारुल को एक अजीब सा करंट लग रहा था.. पारुल ने अपनी आखें बंद कर अपना सर सूरज के दिल पे रख दिया...सूरज का दिल पहले से तेज तेज धड़क रहा था और जिसे ही पारुल रुई जेसे कोमल गुलाबी गाल उसके दिल पे लगे उसे एक अजीब सी गुदगुदी हुए...दोनो पति पत्नी को अब जैसे किसी का कोई दर नहीं था दोनो का दिल बोल रहा था की अब बस सारी उम्र एक दूसरे की बाहों में निकल जाय.....वो धीरे से पारुल के कानो में बोला....."I love you..." पारुल कुछ बोल नहीं पाई....और सूरज की को और कस के पकड़ ली...

सूरज थोड़ा निराश हुआ की पारुल ने उसे जवाब नही दिया...लेकिन वो समझ रहा था पारुल के दिल का हाल...
सूरज मन ही मन सोचने लगा कि उसने जल्दबाजी कर दी...लेकिन अपनी पत्नी को के हाथ जो उसे कस जकड़ रहे थे उसे चीख चीख के बोल रहे थे की उसका जवाब क्या था पर फिर भी सूरज का दिल था की पारुल अपने मुंह से बोले...लेकिन वो उसे पूरा समय देने को तैयार था....

सूरज ने पारुल को अपनी बाहों से दूर किया तो पारुल का हाल ऐसा हो गया जैसे किसी बच्चे को उसकी मां से अलग किया हो...

दोनो 2 घंटा चले तब एक मंदिर पे पहुंचे...तभी जैसे फिम्ल में अक्सर होता है मंदिर की पहली सीढ़ी पे ही पारुल गई...उसके पैर में मोच आ गई...

सूरज ने तुरत ही पारुल को अपनी गोद में उठा लिया और वो सिडिया चढ़ने लगा....

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पारुल बस अपनी बड़ी बड़ी आखों से सूरज को निहारे जा रही थी...

पारुल देख रही थी की धीरे धीरे सूरज की शास तेज हो रही थी उसकी शासे अब फूलने लगी थी...लेकिन सूरज फिर भी आगे बड़ रहा था... सूरज की हिम्मत देख उसे अपने पति पे गर्व महसूस हो रहा था...वो धीरे धीरे सूरज की दीवानी बन रही थी...और ये बात उसे खुद भी पता नहीं चल रही थी....

दोनो जब उपर चढकर पहुंचे सुबह हो चुकी थी आरती कर दोनो चढ़ावा चढ़ा के बाहर निकल के कुछ ही दूर चले थे की एक बहोत तेज रफ्तार से हवाएं चली और उसके साथ ऐसी बारिश बरसी की दोनो को अगले कदम का भी समझ नही आया की कहा रखे क्या करे....

दोनो बुरी तरह भीग चुके थे...कुछ देर में बारिश रुक गई... पारुल इतना भीग गई थी की उसकी काली ब्रा उसकी ब्लाउज से साफ दिख रही थी...उसके तने हुए नुखुले स्तन पास से देखने पर किसी को भी उत्तेजित करने के लिए काफी थे... सूरज अपनी नजर वहा बिलकुल नहीं ले जा रहा था...इस बात से पारुल ने राहत की शास लि...कुछ देर में दोनों को एक ऑटो भी मिल गया...लेकिन ऑटो वाला बार बार पारुल के उभारों को घूर रहा था...पारुल अपने आप को बड़ा बेबस हालत में देख रही थी...उसे खुद पे भी घिन आने लगी थी...पारुल कुछ बोल नहीं रही थी लेकिन वो डर रही थी और गुस्सा भी थी...सूरज को इस बात का अंदाजा जैसे ही हुआ वो ऑटो वाले को वही रोक ने को बोल नीच उतर गया...और फिर अपना शर्ट उतार के पारुल को पहना दिया....पारुल के दिल में सूरज के लिए मान सम्मान और बड़ गया...

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पारुल के छोटे छोटे स्तन इतने कामुक दर्शक दे रहे थे की कोई और होता तो उन्हे पक्का अपने हाथो में ले कर चूसने लगता....लेकिन सूरज वैसा नही था...उसे पारुल का दिल जीतना ना था न कि उसका जिस्म....


फिर उन्होंने दूसरी ऑटो ली और घर आ गई.....

***एक दिन बाद गांव में घर पे खेतो में***

मोहन – एक खुसखबरी ही भोला...

भोला – क्या तेरी मां फिर से पेट से हो गई..??? हा हा

मोहन – नहीं मादार चोद... हमारी रानी साहिबा आ रही है...

भोला – क्या बोल रहा बे...इस बार नही जाने देंगे उसे...अब कहा जाएगी बच के...ख़बर पक्की है...

मोहन – खुद सुना हे अपने कानो से....

भोला – तो चल लग जा अपने काम में...आई बार घर तक नही आने पाई रण्डी...

मोहन – हा कल पूर्णिमा भी है... कालकेय बाबाजी भी कल ही अपने ध्यान से उठ रहे है...

भोला – देख भोंसड़ी वाले...इस बार कोई गलती न हो पाई...पहले उसके दूसरे पति को उड़ा देंगे...फिर उस रण्डी को एक स्टेशन पहले ही जंगल में उतार देंगे...फिर चिलाने दो जितना चिल्लाना हो... वैसे उसकी दर्द से भरी चीखे सुनने को मरे जा रहा हु में...

ट्रेन में.....अगले दिन सुबह को...

सूरज – यहां हा ये रही हमारी बर्थ...

दोनो अपने सामने खड़की के पास बैठ गई...दोनो दुनिया भर की बातो में लगे थे की... क्यू की ट्रेन में इतने लोग नही थे दोनो आराम से सफर का मजा लेते हे...दोनो के बीच इतना प्यार था की किसी खास अवसर आने पे प्यार में भाव में विलीन होकर तो एक दूसरे को अलिंगन में जकड़ ले रहे थे पर...अभी तक आलिंगन से आगे नहीं बड़े थे और आलिंगन भी बार बार खुल के नही करते थे...लेकिन ये था कि दोनो ने ये मान लिया था कि अब वो पति पत्नी है...और एक दूसरे को पूरा आदर सम्मान दे भी रहे थे...अब हालत ये था कि पारुल सूरज को किसी के आगे नाम से नही बुला सकती थी...उसके संस्कार इसे थे.. हा कभी कभी अकेले में वो नाम ले लेती...और वो कुछ दिन से सूरज को जी..जी..ओजी... आजी...बोल बोल के थक गई थी क्यू की बहार पब्लिक मे उसकी मीठी आवाज सुन हर कोई पीछे मुड़ जाता था... बहुत कुछ सोच के पारुल बोली...

पारुल – क्या में आप को वैसे बुला सकती हु जिसे सासुमा ससुर जी को बुलाया करती है...

सूरज – पारुल तुम्हे जैसे मन करे बुलाया करो...में तो कहता हु नाम से ही बुलाओ आप भी...

पारुल – नहीं जी...आप मेरे पति हो सब के सामने अच्छा नही लगता....

सूरज – तो में तो आप को भाभी नही बुला के नाम से बुला रहा हु जब की में तो आप से 3 साल छोटा हू...

पारुल – देखो सूरज (हस दी प्यार से) में बोल दू नाम से भी पहले बोलती थी.. पर घर पे सब के आगे नहीं बोल सकते हम..और आप को भी मुझे सब के सामने नाम से नही बुलाना चाहिए गांव में अच्छा नही लगता मुंबई में तो ठीक था...

सूरज – तो क्या करे फिर....

पारुल – अरे आप भी ना परी के पापा...(शर्म से पानी पानी हो गई पारुल ये बोल)

सूरज – अच्छा अच्छा...ठीक है परी की मम्मी...लेकिन पारुलजी आप तो मुझे खुद किसी बच्ची से कम नहीं लगती... हा हा...

सूरज पारुल के गालों को पकड़ उसे बोला..."मेरी प्यारी पारुल" क्या आप को अच्छा नही लगता जब में आप को नाम से बुलाता हु...

पारुल – (शर्मा के) नही नही ऐसा तो नहीं....लेकिन आप इसे अचानक ही इतना बदल गई...मेरा मतलब कुछ दिल पहले तो आप और अब अचानक ही इतना प्यार....आप को समझ नही पाई में....

सुरज के पास इस का कोई जवाब नही था वो खिड़की से बाहर देखने लगा और दोनो के बीच बाते बिलकुल ही बंद हो गई....

अब सूरज का गांव कुछ स्टेशन ही दूर था की एक स्टेशन पे ट्रेन रुकी....

दो लड़के खिड़की से बाहर देख रही पारुल को घूर रहे थे...एक बोला "देख भाई क्या भाभी हे बे चले" "हा लेकिन पहले मेरी बारी ठीक है" "हा ठीक है...लेकिन मार मत देना उसे...पहले जी भर के उसकी हर एक बूंद निचोड़ दूंगा फिर...समझे" दोनो आपस में हस दिए...

ट्रेन जाने ही वाली थी तब दोनो चढ़े... "देख ट्रेन में कोई गार्ड न आई...पहले ये दरवाजा बंद कर में पीछे का भी कर के आया...

"भाई सुन पहले इस के पति को ठिकाने लगा दे" "नही बे कुछ गडबड हुए तो ये नूर की परी कही हाथ से न निकल जाय...एक काम करता हु में उसे इस और लता हु तू बस उसे बेहोश कर बाथरूम में डाल दियो" "अरे बाहर ही फेक दूंगा" "नही नही आज कुछ नया करते है.." "ये देख समझा"

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"यार साले क्या बात है यार मेरा तो सोच के ही खड़ा हो गया"

अगर आप ये कहानी यहां तक पड़ चुके ही यानी आप को कुछ तो अच्छा लगा होगा कृपा कर आप की हार राई दे... बहोत काम लोग खुल के commnet de rahe he...अपने विचार जो भी हो खुल के यह लिखो... तभी आगे लिखने का मोटिवेशन आयेगा मुझे भी...बार बार कमेंट्स का बोलना अच्छा भी नहीं लगता..तो प्लीज...जो पहले से कमेंट्स कर रहे ही उनका धन्यवाद...
mast chal rahi hai story.
 
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(नेहा स्पेशल)

मुंबई में नेहा को अपने कमरे नींद नही आती उसे बस सुरज की यादें सता रही थी.. पिछले कुछ दिनों से वो ठीक से सो भी नही पाई थी...नेहा की आखों के नीचे डार्क सर्कल्स आ गई थे...नेहा के बाल खुले हुए बिस्तर पे बिखरे हुए थे... दरवाजे पे खड़े हुए उसके मम्मी पापा अपनी बेटी की ऐसी हालत देख पड़े परेशान हो रहे थे.."आप सो जाओ में नेहा के साथ सो जाती हु" "नही तुम सो जाओ में आज रुकता हु...तुम भी कुछ दिन से ठीक से सो नहीं पाए हों"

कमरे में जाके नेहा के पापा पहले दरवाजा अंदर से बंद कर दिए और खिड़क भी ठीक से बंद कर ली...फिर नेहा के पास जाके...उसे अपनी बांहों में भर प्यार से सहलाने लगा.. नेहा को बड़ा सुकून मिल रहा था वो अपने पापा की बाहों से निकलना नही चाहती थी...
"नेहू क्या हुआ बेटा पापा यही है लेट जाओ अब सो जाते है"
"नही पापा मुझे छोड़ के मत जाओ"
नेहा के गालों को हलका सा चूम के "मेरी गुड़िया में कही नही जा रहा बस आप लेट जाओ फिर पापा की गोद में आ जाना"

नेहा लेट गए और नेहा के पापा भी उसके पीछे से लेट गया और अपनी बेटी को पूरी तरह से अपनी बाहों में कस के जकड़ लिया... नेहा को उसके पापा का बड़ा लिंग उसके चूतड़ों पर महसूस हुआ..वो अपनी आह निकल देती है..."पापा...वो चुभ रहा है" नेहा के पापा का हाथ उनकी बेटी के छोटे छोटे लिम्बु जैसे स्तनों पे था...उन्हें वो धीरे धीरे से सहला रहे थे "पापा I love you" "I love you नेहू" और नेहा के पापा ने उसके पतले से गले को पीछे से चूम लिया...नेहा फिर से आह निकल दी....
लिंग अब नेहा की गांड़ की दरार में एक दम फस गया था...नेहा ने बस एक पतली सी पैंटी पहनी थी...और उसके पापा ने बस पतला सा शॉर्ट्स...नेहा ने उपर एक स्लिप पहनी थी जो बहोत खुली खुली थी...

नेहा के पापा का हाथ अब नेहा की स्लिप से होता हुआ उसके छोटे छोटे स्तनों को मसलने लगा था...नेहा की सिकारिया अब तेज होने लगी थी... अपनी बेटी की सिसकारी सुन (आलोक) नेहा के पापा का लिंग नेहा की पेंटी को चीरता हुआ आगे बड़ रहा था... "पापा आह..." नेहा की मीठी मीठी आहे अब आलोक को पूरी तरह से मदहोश बना रही थी... नेहा अपने जीवन का पहला लिंग अपनी कुवारी योनि पे महसूस कर अपने पापा की गोद में मछली की तरह मचल रही थी...अपने पापा की मजबूत पकड़ से वो आजाद होने की नाकाम कोशिश करते हुए अपने हाथ पैर चला रही थी जो उसके पापा को और अधिक कामुक कर रहा था...नेहा को भी उसके पापा का ऐसा स्पर्श आनंद की अनुभती दे रहा था...उसका भी दिल हो रहा की आज अपने पापा के साथ वो सब हदे मिटा दे...

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नेहा उसकी मीठी और दबी हुई आवाज में बोली "पापा बस करो ...मुझे अजीब लग रहा है..." "बेटी डरो मत कुछ नही होगा...बस पापा पे भरोसा रखो...देखो आप कितने गीले हो गई हो..." और ये कहते हुए आलोक ने अपनी एक ऊंगली नेहा की योनि रख दी...नेहा की जोर की आह निकल गई... वो अपनी कमर उठा दी...उसे अजीब सी गुदगुदी हुए...और उसकी गुलाबी योनि से पानी निकलने लगा...

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"मेरी बच्ची इतना पानी छोड़ रही है... देखो तो" और आलोक ने नेहा के पानी से भीगी हुई उंगली नेहा के होठों पर रख दी..."पापा प्लीज" लेकिन उसके पापा नहीं रुके और वो उंगली नेहा के छोट से मुंह में डाल दी...देखने से ऐसा लगता था जैसे नेहा के मुंह में लिंग हो...नेहा कुछ समय बाद इसके पापा की उंगली को किसी छोटी की तरह प्यार से चूसने लगी...नेहा उंगली को चूसने में मस्त थी तभी आलोक ने धीरे से नेहा की पेंटी को नीचे कर दिया...और एक दम से वो उठ खड़ा हुए और नेहा के पैरो को उठा के एक बार में उसकी गीली कच्छी को उतार के उसकी कामुक गंध को महसूस करते हुए बोले "बिलकुल अपनी मां पे गई हो...कोई फर्क नहीं दोनो की सुगंध जैसे अप्सरा की योनि का पानी हो"

नेहा अपन हाथ से अपनी योनि को ढक ने की नामक कोशिश करने लगी...वही ही मोका देख उसके पापा उसकी स्लीप अपने हाथो में लेकर फाड़ दिए...ये सब इतना कामुक हो चुका था की अब आलोक से रहा नही गया...वो अपनी फूल सी बेटी के छोटे छोटे स्तन को अपने मुंह में भर नेहा की हालत को और अधिक खराब कर देते है...नेहा शर्म से मरी जा रही थी वही एक मर्द के स्तन मर्दन से पुरी तरह से अपना आपा खो रही थी...वो कभी नहीं सोची थी की उसके खुद के पापा उसके स्तनों का पहला रस पान करंगे...

"आह पापा... आउच.... आउच... आह काट क्यू रहे हो आह..."
"मेरी बच्ची आज पापा को मत रोकना...आज बस तुझे में अपनी बना लूंगा...अब नही ले सकता फिर से कोई खतरा...नेहा आप बड़े नादान और भोले हो...लेकिन अब में हू ना "
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पहले आलोक अपनी बेटी की योनि का रस पान करता है..पहली बार मर्द का मुंह उसकी योनि को छू रहा और नेहा पानी का फवारा अपने पापा के मुंह में निकल दी....

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अपनी बेटी के दोनो स्तन को भरपूर निचोड़ उनका सारा पानी पी के आलोक एक पल की भी देरी किए बिना नेहा की गर्दन को चूमते हुए...धीरे से अपना काला मोटा लिंग अपनी बेटी की कुंवारी योनि में सरका देते है...
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एक बार में ही इतना बड़ा लिंग जाने से नेहा अपनी पूरी शक्ति से उसके पापा को थक्का लगाती है और उसकी चीख इतनी तेज थी की बहार खड़ी उसकी मां जो कब से बाप बेटी की कामुक आवाजे सुन अपनी योनि गीली कर बैठी थी...इतनी दर्द से भरी सिसकारी सुन...अपना मूत निकल देती है...

नेहा की मां का पानी निकल गया था वो होस में आती है और अपने कपड़े सही कर अपने कमरे से चाबी लेकर नेहा का कमरा खोल अंदर आ गई...

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नेहा का के आखों से आशु और योनि से खून निकलने लगा था...आलोक का काला लोड़ा छोटी सी योनि ने अपनी जगा बना के बैठ चुका था...वही नेहा की हालत देख आलोक उसे चूम के सहला के शांत करने लगा था... सुरेखा अपनी बेटी की ऐसी हालत देख बड़ी परेशान लग रही थी वो गुस्से में चिल्लर कर बोली...

"क्या हालत कर दी मेरी बच्ची की थोड़ा प्यार से नही कर सकते था आप...बेटी है आप की आलोक.."

आलोक को अपनी गलती का पूरा पछतावा हो रहा था पर वो अब उसकी बेटी योनि से अपना लिंग बाहर निकल उसे और अधिक दर्द नही देना चाहता था...अपने पापा को इतना दुखी देख नेहा दर्द से कहराते हुए बोली...

"मम्मा..पापा की कोई गलती नही...इन्हे कुछ मत बोलो...पापा दर्द तो एक बार होना ही था...और ये दर्द मुझे मेरे पापा से मिल ये तो मेरा सौभाग्य है..." आलोक की आखें भर आई..वो नेहा को अपनी बाहों में भरते के लिए उसे अपनी गोद में बिठा लिया...और उस से फिर से गलती हो गई जो कुछ बचा था वो भी नेहा की योनि की गहराई में चला गया...और नेहा फिर से दर्द से तड़प उठी...

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"आलोक उसे लेटे रहने दो आप"
नेहा को फिर से लेता के आलोक बोला "नेहा तुम आज बिलकुल अपनी का की तरह बाते कर रही हो... पहली रात को ये भी कुछ ऐसा ही बोल के मेरा संकोच हलका की थी और आज तुम मेरी बच्ची"

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नेहा की मां बेड पे आके बैठ जाती है और अपनी बेटी का सर अपनी गोद में रख के बालो प्यार से सहलाने लगी..."नेहा आज का दिल तुम कभी नही भूल पाओगी... आलोक अब तब तक मत रुकना जब तक नेहा का दर्द मीठे दर्द में न बदल जाई... चाहे वो कितना भी बोले..."
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नेहा अपनी मां के मुंह से ये सुन हैरान हो गई...उसकी योनि डर के मारे... सिकुड़ गई और पापा के लिंग को पकड़ ली... बिचारी का दिल आने वाले दर्द के लिए जोर जोर से धड़क रहा था.
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और फिर तो नेहा की सिसकारी से पूरा घर गूंज उठा...और कुछ ही देर में नेहा का दर्द भी कम हो गया... और नेहा की योनि में उसके पापा ने अपना गरम गरम वीर्य निकल दिया...
super action between Neha and her father.
 
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Update 11

**रात के 11 बजे ट्रेन में**

पहला आदमी – ध्यान से भाई...कोई जल्दबाजी नहीं....

दूसरा आदमी – हा... हा... तू अपना काम देख...

सूरज पारुल की हवा में लहरा रही जुल्फो को निहार पारुल की और प्यार से देख रहा था...पारुल के तन बदन को ठंडी हवाएं और अथिक निखार रही थी...उसके वहा में लहरा रहे बाल जैसे किसी समंदर की लहरे हो...उसकी गहरी काली आखें हर लहर के साथ बंद होती...और उसके होठों पे एक प्यारी सी मुस्कुराहट ले आती... सूरज का बड़ा मन हो गया था की पारुल को अपनी बाहों ने भर ये सफर को और यादगार बना दे...पर एक अजीब सी जीजक शर्म उसे ये करने से रोक देती...वही पारुल का भी दिल उसे बार बार बोल रहा था कि उसे सूरज अपनी गर्म बाहों में कस के थाम ले...और वो फिर से सूरज के सीने पे सर रख बाकी की यात्रा तय करे... सूरज के दिल के पास उसे कितना सुकून मिला था उसे याद आ रहा था...और यही सोच वो शर्म से लाल हो जाती...सूरज का कोई जवाब या हरकत ना करने पे एक पल ke लिए तो उसे हुआ की खुद उठ के अपने पति की गोद में चली जाई...पर बिचारी हिम्मत नही कर पाई...पारुल से ये दूरियां अब सही नही जा रही थी... एक सुहागन स्त्री के लिए अपने पति का ऐसा व्यवहार गवारा नहीं था...पारुल का बड़बोला पन उसे ज्यादा रोक नही पाया वो बोली....

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पारुल – (पारुल की आखें नम थी) आप हमे इतना अनदेखा क्यों कर रहे हो...

सूरज – ऐसा कुछ नही भाभी....

पारुल – (गुस्सा होके..और रोते हुए) देखिए हम आप की भाभी नही अब ये बात आप समझ लीजिए... हम यहां सब भुला के एक नई शुरुआत करने वाले थे...और आप बार बार हम सब याद दिला देते हो... क्या हमे उनकी याद नही आती...लेकिन आप का दिल न दुखी इस लिए हम आप के सामने ऐसे...पर आप को क्या है....(रोते हुए)

सूरज अपनी पत्नी के मुंह से ये सब सुन किसी पत्थर जैसे जम के सब सुन रहा था...उसका दिल जोर से धड़क रहा था...

सूरज – भा...पारूलजी...में कोशिश कर रहा हु...आप रो क्यों रही हो...

पारुल – हा हम जानते है...हम आप से बड़े हे...आप के काबिल नही...आप को क्यों हम अच्छे लग सकते है...आप को तो नेहा से प्यार है...वो कहा हम कहा...हम तो गांव की अनपढ़ गंवार लड़की है...

सूरज – पारूलजी ये क्या बोल रही हो आप...मेने ऐसा कभी नहीं सोचा.... बल्कि आप तो....(सूरज बोलता हुआ रुक गया...)

पारुल – क्या....(गुस्सा दिखाते हुए)

सूरज – पारूलजी... हा मेरा पहला प्यार नेहा थी...लेकिन क्या आप पता है मेने उस में आप की झलक देखी थी...में उस में आप को ही खोज रहा था... हा...आप को जब पहली बार मैने देखा था में आप की खूबसूरती और संस्कार का दीवाना बन बैठा था...बाद में पता चला आप मेरी नही हो सकती... उस दिन से में हर लड़की में आप को ही खोज रहा था...और अब जब आप सिर्फ मेरी हो...में किसी और के बारे में सोच भी केसा सकता हु...

सूरज अपनी बर्थ से खड़ा हो कर पारुल की... आखों में आंखे डाल उसे अपने दिल की बात बता रह था...सूरज पारुल के एक दम करीब आके बैठा और दोनो इतना करीब थे की एक दुसरे की तेज सासो की गर्माहट साफ महसूस कर रहे थे...अपने पति को अपने इतना पास आते देख पारुल की आखें शर्म से झुक गई...

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सूरज ने अपना एक हाथ पारुल की पतली सी कमर पे रख दूसरे हाथ से अपनी चांद सी खूबसूरत जीवन संगनी के शर्म से झुके हुए चहरे को ऊपर उठा के उसे निहारने लगा...पहली बार सूरज अपनी भाभी और अब अपनी पत्नी को इतना पास से एक टक निहार रहा था...चांद में बेशक कही डाग थे लेकिन अपनी पत्नी पारुल के चांद से गोरे मुख पे एक डाग न था...सूरज की नजर अपनी पत्नी के गुलाब की पंखुड़ी जैसे गुलाबी होठ पे गई...पारुल की आखें बंद हो गई थी...वो उसका भरा सीना तन के ब्लाउज को जेसे फाड़ देने की फिराक में था... सूरज के सीने पे पारुल के उभरे सुडोल उरोज लग रहे थे और दोनों को ये स्पर्श उत्तेजित कर रहा था...आंखे बंद होते ही पारुल का दिल अपने पति के होठों को अपने करीब आता देख...पा के तड़प रही थी...उसे इस नई होने वाले होठों के मिलन के बारे में सोच कर ही लज्जा की मारी.. काप उठी थी...

तभी सूरज को किसी के आने की आहट सुनाई दी...और सूरज अपनी बर्थ पे बैठ गया...पारुल की हालत जैसे बिन पानी की मछली जैसी हो उठी...उसके मुंह पे अपने निराशा साफ जलक रही थी....वो हड़बड़ा गई ये सोच के की क्या सोच रहा होगा सूरज उसके बारे... उसे अपना होस संभाल के रखना चाहिए था...वो कैसे इतना करीब आने वाली थी सूरज के...इतना क्यों बहक रही हैं वो...


वही सूरज भी अपन होस में आते ही फिर से अपने आप को ही गलत समझने लगा की वो अपनी भाभी के इतना करीब क्यों गया...उसे पारुल में अचानक ही अपनी भाभी नजर आने लगी...वो बैचेन हो उठा...सूरज का जैसे दम घुट रह था...वो खड़ा हो के बाहर जानें लगा...की वो एक आदमी से टकरा गया...लेकिन वो आग बड़ गया...जैसे ही वो ट्रेन के दरवाजे पे गया...उसके सर को कोई पकड़ के पटक दिया... सूरज की आखें बंद होने लगी...

दूसरा आदमी – ये तो खुद ही अपनी जाल में आ गया...

दोनो मिल के सूरज के हाथ पैर बांध दिए और उसके मुंह को बंद कर दिया...और सूरज को होस में ले आई पानी डाल के...

पहला आदमी – कहा भाई कहा जा रहे थे आप अपने माल को ऐसे अकेला छोड़ के...

दूसरा आदमी – चल कोई नही अब हम हैं न भाभी के साथ सुहागरात मनाने के लिए...

पहला आदमी – क्या बे लोड़े इतना क्यों गुस्सा हो रहा... तू भी देख सकता है अपनी पत्नी को दो मर्द के साथ संभोग करते... आज कल तो सब पति का ये सोच ही खड़ा हो जाता है.... हा हा...

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दूसरा – देख देख कैसे घूर रहा है जैसे अभी हमे मार ही डालेगा... साले नल्ले नामर्द अपनी जोरू को तो बचा नही पायेगा और हमे गुस्सा दिखा रहा है...

पहला आदमी – चल भाई ज्यादा समय नहीं...चल पहले उसे तैयार करते है फिर इसे ले आएंगे...

दोनो सूरज को टॉयलेट में डाल दिए...

पहला आदमी – चल तू भाभी को तैयार कर में यही रह के पहरा दे रहा...

पारुल का दिल बैचेन हो रहा था "अभी तक क्यों नही आई वो" पारुल अचानक ही उस काले पतले से आदमी को उसे घूरता अजीब सा महसूस हुआ...उसे अब डर लगने लगा था...की दूसरे ही पल वो अपना रुमाल निकल पारुल के मुंह पे रख उसे बेहोश कर देता है...वो उस बर्थ पे लेटा देता है और पारुल की खूबसूरत आखों में खो गया..."कितनी प्यारी लड़की है सोते हुए तो किसी राजकुमारी जैसी लगती है..."

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वो आदमी गहरी सोच में चला गया...और उसे पारुल में उसका पहला प्यार दिखने लगा......"कितनी प्यारी हो तुम... चाह के भी तुम से कोई नफरत नहीं कर सकता..." वो वही बैठ पारुल के सर को अपने हाथों से उठा के अपनी गोद में रख उसके बालो को सहलाने लगा...पारुल का मासूम सा चेहरा उसे अपना दीवाना बना बैठा था अब वो नही चाहता था कि पारुल के साथ कुछ भी गलत हो...अब वो पारुल को अपनी पत्नी के रूप में देखने लगा...और पारुल का मुलायम हाथ अपने हाथ में लेकर उसे चूम लिया..और अब वो अपने काले फटे हुए होठ पारुल के नाजुक गुलाबी रंग के होठों पे रखने को उतावला होते हुए अपना सर नीचे कर धीरे धीरे पारुल के करीब आ रहा था... उसे पारुल के बदन से एक कामुक सुगंध आ रही थी... और उसे और अधिक पागल बना रही थी..

To be continued......
Very interesting and a different kind of story.
 
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Update 10
(नेहा स्पेशल)

मुंबई में नेहा को अपने कमरे नींद नही आती उसे बस सुरज की यादें सता रही थी.. पिछले कुछ दिनों से वो ठीक से सो भी नही पाई थी...नेहा की आखों के नीचे डार्क सर्कल्स आ गई थे...नेहा के बाल खुले हुए बिस्तर पे बिखरे हुए थे... दरवाजे पे खड़े हुए उसके मम्मी पापा अपनी बेटी की ऐसी हालत देख पड़े परेशान हो रहे थे.."आप सो जाओ में नेहा के साथ सो जाती हु" "नही तुम सो जाओ में आज रुकता हु...तुम भी कुछ दिन से ठीक से सो नहीं पाए हों"

कमरे में जाके नेहा के पापा पहले दरवाजा अंदर से बंद कर दिए और खिड़क भी ठीक से बंद कर ली...फिर नेहा के पास जाके...उसे अपनी बांहों में भर प्यार से सहलाने लगा.. नेहा को बड़ा सुकून मिल रहा था वो अपने पापा की बाहों से निकलना नही चाहती थी...
"नेहू क्या हुआ बेटा पापा यही है लेट जाओ अब सो जाते है"
"नही पापा मुझे छोड़ के मत जाओ"
नेहा के गालों को हलका सा चूम के "मेरी गुड़िया में कही नही जा रहा बस आप लेट जाओ फिर पापा की गोद में आ जाना"

नेहा लेट गए और नेहा के पापा भी उसके पीछे से लेट गया और अपनी बेटी को पूरी तरह से अपनी बाहों में कस के जकड़ लिया... नेहा को उसके पापा का बड़ा लिंग उसके चूतड़ों पर महसूस हुआ..वो अपनी आह निकल देती है..."पापा...वो चुभ रहा है" नेहा के पापा का हाथ उनकी बेटी के छोटे छोटे लिम्बु जैसे स्तनों पे था...उन्हें वो धीरे धीरे से सहला रहे थे "पापा I love you" "I love you नेहू" और नेहा के पापा ने उसके पतले से गले को पीछे से चूम लिया...नेहा फिर से आह निकल दी....
लिंग अब नेहा की गांड़ की दरार में एक दम फस गया था...नेहा ने बस एक पतली सी पैंटी पहनी थी...और उसके पापा ने बस पतला सा शॉर्ट्स...नेहा ने उपर एक स्लिप पहनी थी जो बहोत खुली खुली थी...

नेहा के पापा का हाथ अब नेहा की स्लिप से होता हुआ उसके छोटे छोटे स्तनों को मसलने लगा था...नेहा की सिकारिया अब तेज होने लगी थी... अपनी बेटी की सिसकारी सुन (आलोक) नेहा के पापा का लिंग नेहा की पेंटी को चीरता हुआ आगे बड़ रहा था... "पापा आह..." नेहा की मीठी मीठी आहे अब आलोक को पूरी तरह से मदहोश बना रही थी... नेहा अपने जीवन का पहला लिंग अपनी कुवारी योनि पे महसूस कर अपने पापा की गोद में मछली की तरह मचल रही थी...अपने पापा की मजबूत पकड़ से वो आजाद होने की नाकाम कोशिश करते हुए अपने हाथ पैर चला रही थी जो उसके पापा को और अधिक कामुक कर रहा था...नेहा को भी उसके पापा का ऐसा स्पर्श आनंद की अनुभती दे रहा था...उसका भी दिल हो रहा की आज अपने पापा के साथ वो सब हदे मिटा दे...

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नेहा उसकी मीठी और दबी हुई आवाज में बोली "पापा बस करो ...मुझे अजीब लग रहा है..." "बेटी डरो मत कुछ नही होगा...बस पापा पे भरोसा रखो...देखो आप कितने गीले हो गई हो..." और ये कहते हुए आलोक ने अपनी एक ऊंगली नेहा की योनि रख दी...नेहा की जोर की आह निकल गई... वो अपनी कमर उठा दी...उसे अजीब सी गुदगुदी हुए...और उसकी गुलाबी योनि से पानी निकलने लगा...

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"मेरी बच्ची इतना पानी छोड़ रही है... देखो तो" और आलोक ने नेहा के पानी से भीगी हुई उंगली नेहा के होठों पर रख दी..."पापा प्लीज" लेकिन उसके पापा नहीं रुके और वो उंगली नेहा के छोट से मुंह में डाल दी...देखने से ऐसा लगता था जैसे नेहा के मुंह में लिंग हो...नेहा कुछ समय बाद इसके पापा की उंगली को किसी छोटी की तरह प्यार से चूसने लगी...नेहा उंगली को चूसने में मस्त थी तभी आलोक ने धीरे से नेहा की पेंटी को नीचे कर दिया...और एक दम से वो उठ खड़ा हुए और नेहा के पैरो को उठा के एक बार में उसकी गीली कच्छी को उतार के उसकी कामुक गंध को महसूस करते हुए बोले "बिलकुल अपनी मां पे गई हो...कोई फर्क नहीं दोनो की सुगंध जैसे अप्सरा की योनि का पानी हो"

नेहा अपन हाथ से अपनी योनि को ढक ने की नामक कोशिश करने लगी...वही ही मोका देख उसके पापा उसकी स्लीप अपने हाथो में लेकर फाड़ दिए...ये सब इतना कामुक हो चुका था की अब आलोक से रहा नही गया...वो अपनी फूल सी बेटी के छोटे छोटे स्तन को अपने मुंह में भर नेहा की हालत को और अधिक खराब कर देते है...नेहा शर्म से मरी जा रही थी वही एक मर्द के स्तन मर्दन से पुरी तरह से अपना आपा खो रही थी...वो कभी नहीं सोची थी की उसके खुद के पापा उसके स्तनों का पहला रस पान करंगे...

"आह पापा... आउच.... आउच... आह काट क्यू रहे हो आह..."
"मेरी बच्ची आज पापा को मत रोकना...आज बस तुझे में अपनी बना लूंगा...अब नही ले सकता फिर से कोई खतरा...नेहा आप बड़े नादान और भोले हो...लेकिन अब में हू ना "
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पहले आलोक अपनी बेटी की योनि का रस पान करता है..पहली बार मर्द का मुंह उसकी योनि को छू रहा और नेहा पानी का फवारा अपने पापा के मुंह में निकल दी....

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अपनी बेटी के दोनो स्तन को भरपूर निचोड़ उनका सारा पानी पी के आलोक एक पल की भी देरी किए बिना नेहा की गर्दन को चूमते हुए...धीरे से अपना काला मोटा लिंग अपनी बेटी की कुंवारी योनि में सरका देते है...
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एक बार में ही इतना बड़ा लिंग जाने से नेहा अपनी पूरी शक्ति से उसके पापा को थक्का लगाती है और उसकी चीख इतनी तेज थी की बहार खड़ी उसकी मां जो कब से बाप बेटी की कामुक आवाजे सुन अपनी योनि गीली कर बैठी थी...इतनी दर्द से भरी सिसकारी सुन...अपना मूत निकल देती है...

नेहा की मां का पानी निकल गया था वो होस में आती है और अपने कपड़े सही कर अपने कमरे से चाबी लेकर नेहा का कमरा खोल अंदर आ गई...

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नेहा का के आखों से आशु और योनि से खून निकलने लगा था...आलोक का काला लोड़ा छोटी सी योनि ने अपनी जगा बना के बैठ चुका था...वही नेहा की हालत देख आलोक उसे चूम के सहला के शांत करने लगा था... सुरेखा अपनी बेटी की ऐसी हालत देख बड़ी परेशान लग रही थी वो गुस्से में चिल्लर कर बोली...

"क्या हालत कर दी मेरी बच्ची की थोड़ा प्यार से नही कर सकते था आप...बेटी है आप की आलोक.."

आलोक को अपनी गलती का पूरा पछतावा हो रहा था पर वो अब उसकी बेटी योनि से अपना लिंग बाहर निकल उसे और अधिक दर्द नही देना चाहता था...अपने पापा को इतना दुखी देख नेहा दर्द से कहराते हुए बोली...

"मम्मा..पापा की कोई गलती नही...इन्हे कुछ मत बोलो...पापा दर्द तो एक बार होना ही था...और ये दर्द मुझे मेरे पापा से मिल ये तो मेरा सौभाग्य है..." आलोक की आखें भर आई..वो नेहा को अपनी बाहों में भरते के लिए उसे अपनी गोद में बिठा लिया...और उस से फिर से गलती हो गई जो कुछ बचा था वो भी नेहा की योनि की गहराई में चला गया...और नेहा फिर से दर्द से तड़प उठी...

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"आलोक उसे लेटे रहने दो आप"
नेहा को फिर से लेता के आलोक बोला "नेहा तुम आज बिलकुल अपनी का की तरह बाते कर रही हो... पहली रात को ये भी कुछ ऐसा ही बोल के मेरा संकोच हलका की थी और आज तुम मेरी बच्ची"

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नेहा की मां बेड पे आके बैठ जाती है और अपनी बेटी का सर अपनी गोद में रख के बालो प्यार से सहलाने लगी..."नेहा आज का दिल तुम कभी नही भूल पाओगी... आलोक अब तब तक मत रुकना जब तक नेहा का दर्द मीठे दर्द में न बदल जाई... चाहे वो कितना भी बोले..."
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नेहा अपनी मां के मुंह से ये सुन हैरान हो गई...उसकी योनि डर के मारे... सिकुड़ गई और पापा के लिंग को पकड़ ली... बिचारी का दिल आने वाले दर्द के लिए जोर जोर से धड़क रहा था.
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और फिर तो नेहा की सिसकारी से पूरा घर गूंज उठा...और कुछ ही देर में नेहा का दर्द भी कम हो गया... और नेहा की योनि में उसके पापा ने अपना गरम गरम वीर्य निकल दिया...
Badiya update bhai 😋👍
 
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