Update 09
Jk सूरज घर तक ले आया....
पारुल का सूरज को सही सलामत अपने सामने से आता देख वो दौड़ के उसकी और भागी...(सब नीचे कंपाउंड में थे...पारुल सूची और Jk)... और सूरज से लिपट गई...
सूची हैरान हो कर सब देख रही थी...सूरज ने भी अपने आप को रोका नहीं और पारुल को अपनी बाहों में भर के उसे प्यार से सहलाने लगा...और उसे लगा जैसे वो क्यू इतने दिन से पारुल से दूर भाग रहा था...उसे ऐसा सुकून मिला जो कभी उसे नेहा के साथ मिलता था...लेकिन पारुल के आगे नेहा कुछ नही थी...
कुछ पल सूरज को आलिंगन में सब कुछ भूल अचानक पारुल को होस आया और वो पहले सूरज के इतना करीब आने से सरमा गई और दुसरे ही पल वो सूरज को एक जोर का थप्पड़ जड़ दी... सूरज वही खड़ा अपनी पत्नी को हैरानी से देख आखों ही आखों में पूछ रहा था क्यू लेकिन...और पारुल भी अपना सारा दर्द एक बार में सूरज को सुना दी...की उसकी कैसी हालत हो गई जब वो घर नही आया...पारुल अब पूरे हक से सूरज को डाट रही थी जैसे एक जीवनसंगनी अपने साथी को सही राह पर लाने को डाट लगाती है.... सुरज ने जैसे पारुल के भूतकाल को पूरी तरह से भुला दिया था...या ये गुरदेव का को चमत्कार था लेकिन सूरज अपनी पत्नी को देख धीरे धीरे मुस्कुरा उठा और पारुल के कान में बोला..."गलती हो गई प्लीज घर पे चलो ना अब...देखो आंटी भी हे यहां." पारुल अपने आस पास देखने लगी तो सब उन दोनो को ही घूर रहे थे सूची तो वही थी और बाकी कुछ बालकनी में थे....पारुल शर्म से लाल हो उठी... और वही खड़ी हो है जेसे कोई मूरत हो...
सूरज बोला "आंटी थैंक यू वेरी मच.. (थोड़ी शर्म और हिचकिचाते हुए) (बिचारा अपनी भाभी को केसे नाम से बुलाता) आप ने मेरी पारुल का इतना खयाल रखा आज..."
"मेरी पारुल" ये दो शब्द पारुल के दिल में गहराई तक पहुंच गई... उसके रोम रोम में उत्तेजना उठ गई...उसके गाल लाल हो चुके थे...उस की दिल की धड़कने अचानक ही तेज रफ्तार से बढ़ गई...वो अपने हाथो को जोर से दबा रही थी... पारुल के पहले पति ने कभी सब के सामने उसे मेरी पारूल कह के नही संबोधित नही किया था...पारुल के लिए ये एक दम नया ही अनुभव था...ऊपर से पहली बार सूरज उस पे अपना हक जता रहा था...एक औरत को और क्या चाहिए अपने पति का साथ और प्यार जो उसे आज जैसे कुछ हद तक मिलते हुए दिख रहा था...
सूची सूरज के पास आती है और सूरज का काम पकड़ के मरोड़ के बोली ”अच्छा तो पहले क्यों जूठ बोल रहा था क्या में तेरी पारुल को खा जाती..." "नही नही ऐसा कुछ नही आंटी...आप को सब पता दूंगा में...लेकिन आप घर तो चलो"
सूची "ठीक है में अभी आई तुम ऊपर जाओ अथर्व होगा"
और सब चले गई और सूची गेट के बाहर जाने लगी...JK अभी तक अपनी जीप वही लिए उसका ही इंतजार कर रहा था... सूची को देख वो उस पे टूट पड़ा...और सूची के होठों को भरपूर आनंद लेता रहा और... उसके हाथ सूची की बड़ी छोड़ी गांड़ को बेरहमी से सहला रहे थे...
सूची की आहे निकल गई... आह बस करो JK कोई देख लेगा... "भाभी कोई नही ही यहां करने दो ना... वैसे भी श्रीकांत दो दिन से भर नही आया...आप की छूत तो आग छोड़ रही होगी...(उसे क्या पता अथर्व अब उसकी आग बुझा देता था) "नही तो...ऐसा कुछ नही है"
"अरे लेकिन मुझे तो पीला दो भाभी आप का पानी आज...इतना क्यों तड़पा रही हो"
"ठीक है लेकिन जल्दी करना
JK ne सूची को अपनी जीप का दरवाजा खोल वही बिठा के उसकी नाइट ड्रेस उपर कर दी और सूची की गीली कच्छी को उतार के फेक दिया...."पागल हो गई हो क्या JK फेक क्यों दी..." "भाभी आप की कच्छी ही किसी गरीब का को मिल गई तो उसका भी भला हो जाने दो...आप बस मजा लो..." Jk ने अपना लिंग बाहर निकल एक बार में ही सूची की गीली योनि में घुसा दिया...सूची को इस का जरा भी अंदाजा नहीं था...वो दर्द से तड़प उठी...पर अपनी चीख को बाहर नही आने देती... आह... बाहर निकालो प्लीज़...अभी नही....अपनी पूरी शक्ति लगाकर भी सूची JK की मजबूत पकड़ से बाहर नहीं आ पाई...
JK - Ahhhhhhh कितना टाईट है यार भाभी...कितने दिन से नही ले रही...आग लगी हुए ही आप को छूत में और बोल रही थी नही करना...
सूची – निकाल दो प्लीज़...अभी नहीं कोई देख लेगा बाद में घर आजाना... आह आ मां...बस धीरे धीरे आह... आह मार डाला.....
कुछ देर के बाद दोनो अपने चरम पे थे की...एक लड़का दोनो को देख लेता हे..सूची का मुंह नही लेकिन Jk साफ दिखाई दे रहा था...लड़का दोनो को घुर रहा था... बिचारी सूची की योनि तो यही सोच के पानी पानी हो रही थी की आज उसकी छूत खुले चूद रही है...अगर उसे पता चल जाए की उसके बदन के उपर एक पराई मर्द को कोई देख रहा है तो बिचारी वही सरम से मर जाए.....
JK लड़के का गुस्सा सूची का निप्पल काट के लेता है और जोर से चिल्ला के बोला – चल भाग मादर चोद तेरी मां नही चूद रही यहां...अगर में आया तो तेरे सामने उसे चोद दूंगा...
लड़का अपना मुंह लटका के वहा से आगे चल दिया...JK ki बात सुन सूची की योनि ने पानी का फवारा चोद दिया...
उसका शर्म से पूरा बदन लाल हो गया...
सूची – प्लीज जाने दो अब...(रोने लगी)
तभी फोन का रिंग बचा.... ट्रिंग ट्रिंग....
JK – भाभी आप का फोन आया होगा उठा लो...
सूची – मेरा नही है यहां फोन... आह अब तो रुक जाओ...क्या हो गया है आज एक दम जानवर की बन गई हो... आह निकल दो...अंदर चला गया तो कही फिर से प्रेगनेंट न हो जाऊ...बार बार अरविंद का नाम नहीं ले सकती में....
"अरे हां मेरा ही ही कॉल...आप के पति का ही मैडम..." (Jk हस दिया)...श्री का सोच सूची और पानी निकल रही थी...और उसकी योनि सिकुड़ रही थी डर से....
श्रीकांत – अबे JK कितनी देर कहा रह गया...
JK ka लोड़ा और कड़क हो रहा था सोच के की वो सूची के पति से तब बात कर रहा है और उसका काला लौड़ा उसके दोस्त की पत्नी की योनि की गहराई नाप रहा था...
JK – बस आ रहा हु...थोड़ा प्यास लगी थी वही भुजा रहा हु....
श्रीकांत – अबे साले आज किस की घरवाली के उपर चढ़ा हुआ है... जरा आवाज तो सुना... सिसकारी की... वहा में एक दम से शांति फैल गई...सूची को भी सब सुनाई दिया... बिचारी आगे का सोच ही पसीने से नहा ली...उसकी योनि में Jk ke लोड़े को जकड़ लिया...वो उसकी योनि आग में भस्म होने की कगार पे थी...न चाहते हुए भी वो अपनी काम आग में JK ko अपने ऊपर खींच ली... कॉल चालू रख JK ने एक जोर का झटका लगाया...और सूची की आह्ह्ह दूर तक फेल गई... श्रीकांत का भी लौड़ा खड़ा हो गया मादक सिसकरिया सुन... JK ने अपना सारा गरम गरम वीर्य सूची की योनि में छोड़ दिया..."आह संभालो सूची मेरा आ रहा है... आह भाभी आप कमाल हो...I love you"
"नही नही बाहर निकल दो..."
जैसे ही पानी निकला सूची की योनि jk के काम रस से भर गई और उसकी कोख तक पहुंच गया उसका बीज...सूची उठी और jk ko चार पांच थप्पड लगा के वहा से घर आ गए....
श्रीकांत – साले कोडम क्यू नही पहनता बिचारी के पति का तो सोच तेरे बच्चे पलेगा क्या... वैसे किस की हे वो... हम से मिला कभी...
JK – यार तेरे काम की नही...
फिर सूरज पारुल और सूची सब घर में आए जहा वो सब बता दिया...उसकी शादी केसे हुए उसकी खुद की भाभी से...
सूची – तभी हमारी प्यारी पारुल इतना परेशान थी आज...चलो अच्छा हुआ... इस प्यारी बच्ची को छोड़ तू अगर उस नेहा से शादी करता तो में खुद तुझ से बात न करती...
अथर्व सब सुन के बोला "हा सूची वैसे भी भईया से कहा पट पाती इतनी खूबसूरत लड़की"
सूची – (अथर्व का कान पकड़ के) शटअप बदमाश... सूरज को तंग मत कर.... चल अपने कमरे जा...
पारुल – (अपनी मीठी आवाज में प्यार से) कितना प्यारा है आप का बेटा.. यहां बैठो मेरे पास अथर्व...
अथर्व पारुल के एक दम चिपक के बैठ गया...कुछ देर बाते करते करते पारुल बहोत सहज होने लगी...और खुल के अपने अंदर कब से छुपा के रखी हुए बडबोली और चुलबुली पारुल को बाहर आने दी...
सूरज से तो वैसे भी वो पहले से करीब थी उसकी भाभी के रूप में तो वो अब मस्ती मजाक करने लगे...
बातों ही बातों में बात बच्चो पे आई...
सूची – मेरे दो बच्चे हे पायल..एक तो ये सेतान और एक बड़ी बेटी है इस से...लिकन इस में दिमाग थोड कम है...और सेतानी ज्यादा...
पारुल अथर्व को प्यार से अपनी बाहों ने भर फिर उसके गालों को चूम ली और बड़े प्यार से बोली "ये तो कितना प्यारा हे...काश मेरा भी एक अथर्व जैसा बेटा होता" ये बात उसके मुंह से बिना कुछ सोचे निकल गई और उसके बाद उसे समझ आया कि वो क्या बोल दी...
जब पारुल ने अथर्व को चूमा उसे वो पल याद आने लगे जब उसके गालों पर भी उसकी पारुल भाभी चुम्बन सब के सामने कर देती...और सूरज चीड़ जाता था...और उसे चिढ़ता देख उसकी पारुल भाभी को बड़ा मजा आता और वो उसके दूसरे गाल को भी चूम अपनी लिपस्टिक की गुलाबी चाप छोड़ देती...साथ ही में आज उसे अथर्व के गाल पे वही गुलाबी होठों देख जलन होने लगी थी...लेकिन क्यू वो समझ नही पाया....सायद इस लिए की पारुल की चुम्मी उसे भी चाइए थी....
सूची – तो हो जायेगा न...सूरज सुन रहा हैं न...पारुल को एक प्यारा सा बेटा चाहिए...अब ये तेरी जिमेदारी हे पारुल की हर ख्वाइश पूरी करे...
सूरज और पारुल दोनो एक दुसरे से नज़रे चुरा लेते है..और पारुल क्यू की अनुभवी थी...उसकी आखों के सामने सब कुछ आने लगा...केसे उसके पति ने उसके साथ संभोग कर उसे गर्भवती किया...कैसे 9 महीने निकले थे...केसे उसे सब का प्यार मिला...कितना दर्द हुआ था उसे जब परी इस दुनिया में आई...पारुल का दिमाग उसे सब फिर से शुरू से सूरज के साथ सोचने पे मजबूर कर रहा था...
पारुल अपने ख्यालों में खो गई थी की...उसे अथर्व होस में लाया... तभी एक जोरो की बिजली हुए...और उसके बाद एक जोरो की बादल गरजने की आवाज ने सब को सहमा दिया....
पारुल को जैसे कुछ याद आया "जी वो मेने मन्नत मांगी थी मंदिर जाना पड़ेगा मुझे..." "पारुल पागल हो क्या मोसम देखा न केसा हो रहा है" सूरज गंभीर स्वर में बोला...." "हा सूरज सही बोल रहा है कल चले जाना सूरज ले जाएगा तुम्हे" "नही आज अभी जाना होगा..." "ये कैसी जिद ही पारुल" सूरज को पता ही न चला की अपनी पत्नी को नाम से बुलाना कोई मुस्किल न था...अब तो वो बड़ी सहजता से पारुल को उसके नाम से पूरे हक से बोल रहा था उपर से एक पति के अधिकार से उसे रोक भी रहा था...
पारुल – मुझे तो जाना ही होगा...में जा रही हू...बस आप इतना पता दो की मंदिर कहा पे ही....
सूरज – रात के 2 बज रहे ही और बारिश भी आने वाली है...
पारुल घर से निकल बिना अपने सैंडल पहले सीडीओ से नीचे उतर गई...
सूरज – चलिए आंटी में भी जाता हूं...वो बड़ी जिद्दी है...नही मानेगी...
पारुल अपनी नाजुक पेरो पे चल आगे बड़ रही थी...उसकी पतली कमर को सूरज आज ठीक से देख रहा था... लंबे घने बालों में पारुल किसी आसमान से उतरी हुए परी जैसी खुबसूरती बिखेर रही थी... मोसम इतना ठंडा हो रहा था की पारुल की पतली सारी से होते हुए उसके जिस्म को छू कर जैसे उसकी कमर को सहला रहा था...सूरज अपनी पत्नी को मन भर आज बस निहारे जा रहा था... सूरज पारुल के उछल रहे पेरो की रंगत देख हैरान था की उसकी पत्नी कितनी गोरी है...उसका खुद का सावला रंग होने से उसे उसकी गोरी त्वचा और उत्तेजित कर रही थी...
सूरज भागता हुए...पारुल के पास पहुंच उसके साथ चल दिया...कुछ दूर जाने दो रास्ते पड़ रहे थे तो पारुल रुक गई...
"बोलिए अब किस और जाना है"...
सूरज (मजार में) – जाओ जहा जाना है...
(दोनो एक दम अकेले थे अब उसे कोई लाज शर्म नही थी और वो इतना इस मदहोश करने वाले मौसम ने उसे अपने रंग में रंग लिया था)
पारुल – बोलिए भी...नही तो...
सूरज – नही तो क्या हा...में क्या तुम से डराता हू...अब में आप का पति हु देवर नही समजी आप....
पारुल – देखो ठीक तरह से मुझे रास्ता बता दो नही तो मुझे भी आता है सब....
सूरज – अच्छा क्या आता है मेरी पारुल को...
पारुल फिर से मेरी पारुल सुन अपनी शर्म और खुशी को दिखाने से रोक नही पाई...
सूरज का दिमाग उसे फिर से बोलता है क्या कर रहा है सूरज वो तेरी भाभी हे...लेकिन तभी उसे गुरदेव की आवाज सुनाई दी..."सूरज खुद को मत रोक जो हो रहा है वैसे होने दो...यही तेरी जिम्मेदारी भी है..अपनी पत्नी को देख इतना खुस उसे अपने भाई के जाने के बाद कभी देखा हे..."
सूरज अपने आगे खड़ी पारुल को अपनी बाहों में उठा कर उसकी आंखों में देखने लगा...दोनो के जिस्म जेसे एक हो रहे थे...पारुल भी थोड़ी देर में सूरज को अपने हाथों से जकड़ लेती है....
दोनो कुछ मिनटों तक बस एक दूसरे को बाहों की नरमी में खो गई...पारुल की हाथ सूरज की चौड़ी पीठ को पूरी तरह से अपने हाथो में लेने को आतुर थे..लेकिन उसके छोटे हाथ से ये मुनकिन नही था... वो अपने हाथ से सूरज की पीठ को सहला रही थी वही सूरज भी अपनी पत्नी को सहला रहा था...उसके हाथ जैसे ही पारुल की नंगी पीठ वाले हिस्से को छूते पारुल को एक अजीब सा करंट लग रहा था.. पारुल ने अपनी आखें बंद कर अपना सर सूरज के दिल पे रख दिया...सूरज का दिल पहले से तेज तेज धड़क रहा था और जिसे ही पारुल रुई जेसे कोमल गुलाबी गाल उसके दिल पे लगे उसे एक अजीब सी गुदगुदी हुए...दोनो पति पत्नी को अब जैसे किसी का कोई दर नहीं था दोनो का दिल बोल रहा था की अब बस सारी उम्र एक दूसरे की बाहों में निकल जाय.....वो धीरे से पारुल के कानो में बोला....."I love you..." पारुल कुछ बोल नहीं पाई....और सूरज की को और कस के पकड़ ली...
सूरज थोड़ा निराश हुआ की पारुल ने उसे जवाब नही दिया...लेकिन वो समझ रहा था पारुल के दिल का हाल...
सूरज मन ही मन सोचने लगा कि उसने जल्दबाजी कर दी...लेकिन अपनी पत्नी को के हाथ जो उसे कस जकड़ रहे थे उसे चीख चीख के बोल रहे थे की उसका जवाब क्या था पर फिर भी सूरज का दिल था की पारुल अपने मुंह से बोले...लेकिन वो उसे पूरा समय देने को तैयार था....
सूरज ने पारुल को अपनी बाहों से दूर किया तो पारुल का हाल ऐसा हो गया जैसे किसी बच्चे को उसकी मां से अलग किया हो...
दोनो 2 घंटा चले तब एक मंदिर पे पहुंचे...तभी जैसे फिम्ल में अक्सर होता है मंदिर की पहली सीढ़ी पे ही पारुल गई...उसके पैर में मोच आ गई...
सूरज ने तुरत ही पारुल को अपनी गोद में उठा लिया और वो सिडिया चढ़ने लगा....
पारुल बस अपनी बड़ी बड़ी आखों से सूरज को निहारे जा रही थी...
पारुल देख रही थी की धीरे धीरे सूरज की शास तेज हो रही थी उसकी शासे अब फूलने लगी थी...लेकिन सूरज फिर भी आगे बड़ रहा था... सूरज की हिम्मत देख उसे अपने पति पे गर्व महसूस हो रहा था...वो धीरे धीरे सूरज की दीवानी बन रही थी...और ये बात उसे खुद भी पता नहीं चल रही थी....
दोनो जब उपर चढकर पहुंचे सुबह हो चुकी थी आरती कर दोनो चढ़ावा चढ़ा के बाहर निकल के कुछ ही दूर चले थे की एक बहोत तेज रफ्तार से हवाएं चली और उसके साथ ऐसी बारिश बरसी की दोनो को अगले कदम का भी समझ नही आया की कहा रखे क्या करे....
दोनो बुरी तरह भीग चुके थे...कुछ देर में बारिश रुक गई... पारुल इतना भीग गई थी की उसकी काली ब्रा उसकी ब्लाउज से साफ दिख रही थी...उसके तने हुए नुखुले स्तन पास से देखने पर किसी को भी उत्तेजित करने के लिए काफी थे... सूरज अपनी नजर वहा बिलकुल नहीं ले जा रहा था...इस बात से पारुल ने राहत की शास लि...कुछ देर में दोनों को एक ऑटो भी मिल गया...लेकिन ऑटो वाला बार बार पारुल के उभारों को घूर रहा था...पारुल अपने आप को बड़ा बेबस हालत में देख रही थी...उसे खुद पे भी घिन आने लगी थी...पारुल कुछ बोल नहीं रही थी लेकिन वो डर रही थी और गुस्सा भी थी...सूरज को इस बात का अंदाजा जैसे ही हुआ वो ऑटो वाले को वही रोक ने को बोल नीच उतर गया...और फिर अपना शर्ट उतार के पारुल को पहना दिया....पारुल के दिल में सूरज के लिए मान सम्मान और बड़ गया...
पारुल के छोटे छोटे स्तन इतने कामुक दर्शक दे रहे थे की कोई और होता तो उन्हे पक्का अपने हाथो में ले कर चूसने लगता....लेकिन सूरज वैसा नही था...उसे पारुल का दिल जीतना ना था न कि उसका जिस्म....
फिर उन्होंने दूसरी ऑटो ली और घर आ गई.....
***एक दिन बाद गांव में घर पे खेतो में***
मोहन – एक खुसखबरी ही भोला...
भोला – क्या तेरी मां फिर से पेट से हो गई..??? हा हा
मोहन – नहीं मादार चोद... हमारी रानी साहिबा आ रही है...
भोला – क्या बोल रहा बे...इस बार नही जाने देंगे उसे...अब कहा जाएगी बच के...ख़बर पक्की है...
मोहन – खुद सुना हे अपने कानो से....
भोला – तो चल लग जा अपने काम में...आई बार घर तक नही आने पाई रण्डी...
मोहन – हा कल पूर्णिमा भी है... कालकेय बाबाजी भी कल ही अपने ध्यान से उठ रहे है...
भोला – देख भोंसड़ी वाले...इस बार कोई गलती न हो पाई...पहले उसके दूसरे पति को उड़ा देंगे...फिर उस रण्डी को एक स्टेशन पहले ही जंगल में उतार देंगे...फिर चिलाने दो जितना चिल्लाना हो... वैसे उसकी दर्द से भरी चीखे सुनने को मरे जा रहा हु में...
ट्रेन में.....अगले दिन सुबह को...
सूरज – यहां हा ये रही हमारी बर्थ...
दोनो अपने सामने खड़की के पास बैठ गई...दोनो दुनिया भर की बातो में लगे थे की... क्यू की ट्रेन में इतने लोग नही थे दोनो आराम से सफर का मजा लेते हे...दोनो के बीच इतना प्यार था की किसी खास अवसर आने पे प्यार में भाव में विलीन होकर तो एक दूसरे को अलिंगन में जकड़ ले रहे थे पर...अभी तक आलिंगन से आगे नहीं बड़े थे और आलिंगन भी बार बार खुल के नही करते थे...लेकिन ये था कि दोनो ने ये मान लिया था कि अब वो पति पत्नी है...और एक दूसरे को पूरा आदर सम्मान दे भी रहे थे...अब हालत ये था कि पारुल सूरज को किसी के आगे नाम से नही बुला सकती थी...उसके संस्कार इसे थे.. हा कभी कभी अकेले में वो नाम ले लेती...और वो कुछ दिन से सूरज को जी..जी..ओजी... आजी...बोल बोल के थक गई थी क्यू की बहार पब्लिक मे उसकी मीठी आवाज सुन हर कोई पीछे मुड़ जाता था... बहुत कुछ सोच के पारुल बोली...
पारुल – क्या में आप को वैसे बुला सकती हु जिसे सासुमा ससुर जी को बुलाया करती है...
सूरज – पारुल तुम्हे जैसे मन करे बुलाया करो...में तो कहता हु नाम से ही बुलाओ आप भी...
पारुल – नहीं जी...आप मेरे पति हो सब के सामने अच्छा नही लगता....
सूरज – तो में तो आप को भाभी नही बुला के नाम से बुला रहा हु जब की में तो आप से 3 साल छोटा हू...
पारुल – देखो सूरज (हस दी प्यार से) में बोल दू नाम से भी पहले बोलती थी.. पर घर पे सब के आगे नहीं बोल सकते हम..और आप को भी मुझे सब के सामने नाम से नही बुलाना चाहिए गांव में अच्छा नही लगता मुंबई में तो ठीक था...
सूरज – तो क्या करे फिर....
पारुल – अरे आप भी ना परी के पापा...(शर्म से पानी पानी हो गई पारुल ये बोल)
सूरज – अच्छा अच्छा...ठीक है परी की मम्मी...लेकिन पारुलजी आप तो मुझे खुद किसी बच्ची से कम नहीं लगती... हा हा...
सूरज पारुल के गालों को पकड़ उसे बोला..."मेरी प्यारी पारुल" क्या आप को अच्छा नही लगता जब में आप को नाम से बुलाता हु...
पारुल – (शर्मा के) नही नही ऐसा तो नहीं....लेकिन आप इसे अचानक ही इतना बदल गई...मेरा मतलब कुछ दिल पहले तो आप और अब अचानक ही इतना प्यार....आप को समझ नही पाई में....
सुरज के पास इस का कोई जवाब नही था वो खिड़की से बाहर देखने लगा और दोनो के बीच बाते बिलकुल ही बंद हो गई....
अब सूरज का गांव कुछ स्टेशन ही दूर था की एक स्टेशन पे ट्रेन रुकी....
दो लड़के खिड़की से बाहर देख रही पारुल को घूर रहे थे...एक बोला "देख भाई क्या भाभी हे बे चले" "हा लेकिन पहले मेरी बारी ठीक है" "हा ठीक है...लेकिन मार मत देना उसे...पहले जी भर के उसकी हर एक बूंद निचोड़ दूंगा फिर...समझे" दोनो आपस में हस दिए...
ट्रेन जाने ही वाली थी तब दोनो चढ़े... "देख ट्रेन में कोई गार्ड न आई...पहले ये दरवाजा बंद कर में पीछे का भी कर के आया...
"भाई सुन पहले इस के पति को ठिकाने लगा दे" "नही बे कुछ गडबड हुए तो ये नूर की परी कही हाथ से न निकल जाय...एक काम करता हु में उसे इस और लता हु तू बस उसे बेहोश कर बाथरूम में डाल दियो" "अरे बाहर ही फेक दूंगा" "नही नही आज कुछ नया करते है.." "ये देख समझा"
"यार साले क्या बात है यार मेरा तो सोच के ही खड़ा हो गया"
अगर आप ये कहानी यहां तक पड़ चुके ही यानी आप को कुछ तो अच्छा लगा होगा कृपा कर आप की हार राई दे... बहोत काम लोग खुल के commnet de rahe he...अपने विचार जो भी हो खुल के यह लिखो... तभी आगे लिखने का मोटिवेशन आयेगा मुझे भी...बार बार कमेंट्स का बोलना अच्छा भी नहीं लगता..तो प्लीज...जो पहले से कमेंट्स कर रहे ही उनका धन्यवाद...