बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गयाUpdated 12
कुछ ही देर में ट्रेन रुक जाती है...सूरज जैसे तैसे खड़ा होता ही और अपने हाथ खोलने की कोसिस में लग गया... सूरज ने बाहर देखा तो ये एक स्टेशन था...ट्रेन एक झटके के साथ आगे चल दी और उसके साथ ही...सूरज को किसी के ट्रेन में चढ़ने की आवाज सुनाई दी...फिर एक ट्रेन ने जैसे हाथ पाई हो रही हो वैसी आवाजे आने लगी... अचानक एक अजीब सी शांति छा गई...ट्रेन फिर से रुकी... सुरज से देखा की दो गार्ड उसके डिब्बे में आई...वो अपनी पूरी शक्ति से दरवाजे पे हाथ और पैर मारने लगा..
गार्ड ने उसे बाहर निकाला..सूरज एक पल की देरी किए बिना अपनी पत्नी की और भागा...उसकी आंखे फटी की फटी रह गई... वो जैसे पत्थर हो चुका था...न कुछ बोल पाया न उसकी आंखों से आसू निकले...वो जैसे सामने का नजारा देख कैसे मर ही चुका था...
वहा बर्थ के पास खून ही खून था...और खून वहा से होते हुए ट्रेन के दरवाजे तक जा रहा था...जैसे पारुल को मार उसे बाहर फेक दिया गया था...पारुल की खून से लथपथ सारी नीचे गिरी हुए थी...एक और उसका ब्लाउज फटा हुआ पड़ा था...वही पारुल का पेटीकोट ऊपर की बर्थ से लटक रहा था... वहा बने हुक पे पारुल की ब्रा पेंटी लटक रही थी...
सूरज इतना सब देख वही बेहोश होकर गिर पड़ा...दोनों गार्ड भी अपराधी की क्रूरता देख हैरान थे...सब की रूह काप गई थी...
ट्रेन को वही रोक दिया गया और... पोलिस भी वहा आ चुकी थी...सूरज को अस्पताल में दाखिल कर दिया गया था...उसके सर का घाव भी बहुत गहरा मालूम हो रहा था...सूरज को होस आते ही उस पे सवालों की बौछार हो उठी...उसकी हालत नहीं थी की वो कुछ बोले लेकिन उसे जवाब देने पड़े...कुछ ही देर में सूरज की मां पापा और उसके चाचा वहा आ गई...पूरे घर का माहोल नम था... सुमित्रा को सूरज अपनी बाहों में भर अपना दर्द बाहर निकालते हुए रोने लगा...
कुछ ही देर में पारुल के घर वाले भी वहा आ गई थे...
सुरज अब धीरे धीरे होस में आने लगा था... वो अपने आप को इतना कमजोर और निक्कमा मान बैठा जो अपनी पत्नी की रक्षा तक नही कर पाया...वो अपने आप को को हुआ उसका जिमेदार ठहरा रहा था...की एक बड़े पुलिस अधिकारी उसके पास आते हे सब को बाहर जाने को बोल वो बोलते हैं...
पुलिस अधिकारी – हमे ट्रेन की पटरी पे दो लाश मिली है...ये देखो क्या ये वही दोनों थे....
सूरज – हा ये वही दो है साब...
पुलिसवाला – इसका मतलब की...कोई और था जिस से ये सब किया... देखिए अभी उम्मीद है कि आप की पत्नी जिंदा हो...लेकिन....
सूरज – (पारुल अभी सही सलामत होने की एक आस ने उसके अंदर एक ऊर्जा भर दी वो उठ खड़ा हुआ) क्या लेकिन साफ साफ बोलिए साब....
पुकिशवाला – हम ने उन दोनो के रिकॉर्ड चेक किए हे...दोनो ये सब पेसो और सेक्स के लिए करते थे...पर आप की पत्नी को कोन ले गया इस के बारे में हमें कोई सुराख नही मिल पाया...और पारूलजी के कपड़े जेसी हालत में मिले ही आप समझ सकते है उसके साथ....और इसे केस में अक्सर लड़की को मार दिया जाता है या किसी को बेच देते है...
सूरज - (ये सब सुन सूरज अपने आप को इतना बेबस हालत में पा रहा की उसे कुछ समझ ही नही आया और वो नीचे बैठ गया)...
पुलिशवाला वाला चला गया...और सूरज अपनी बेबसी पे रो दिया...उसे गुस्सा आ रहा था पर क्या करता उसे कुछ पता न था ये लोग कोन थे कहा हे...
अब इस बात को पूरे 24 घंटे होने को थे...सूरज को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया था रात के 10 बजे सब घर आ गए...खाना तोह किसी के गले से उतर ही कैसे जाता सब भूखे पेट ही अपने कमरे में चले गई... सूरज को सुमित्रा अपने कमरे ने ले आई...उसे वहा लेटा दिया...और उसके पति विक्रम से बोली "जी सुनिए सूरज के पापा..आज की रात सूरज को यही सोने देती हु..आप उसके कमरे में सो जाना..." "हा में भी यही बोलने वाला था उसे अकेला नहीं छोड़ सकते हम..कुछ भी हो बुला लेना ने जाग रहा हु अब नींद तो आने से रही"
सुमित्रा देखती ही सूरज लेता हुए किसी जिंदा लास जैसा लग रहा था...वो गहरी सोच में था...सुमित्रा दरवाजे की कुंडी लगा दी और... खिड़की को बंद कर...कमरे के एक कोने में जाकर...अपने बदन से एक एक कर कपड़े उतारने लगी....वो अपनी सारी निकल दी...और अपना ब्लाउज खोल कर... ब्रा भी निकाल दी...एक दूसरा ब्लाउज पहन ली...जो पहले वाले से पतला और पुराना था...बड़ी मुस्किल से उसके भरावदार स्तन उसके पुराने ब्लाउज में समा रहे थे.. सुमित्रा ने अपनी आदत के मुताबिक नीचे से एक और उपर से एक बटन नही लगाया था...सूरज अगर एक नजर अपनी मां की और कर देता तो उसे उसकी मां के सुडोल स्तन के दर्शन जरूर होते...लेकिन सूरज लेता हुए एक टक छत को ही घूर रहा था...
बिना किसी अतिरिक्त संकोच के सुमित्रा ने अपना पेटीकोट घुटनों तक उठता और उसकी कच्छी को उतार सारी पे रख दिया...और फिर एक पुराना पेटीकोट पहले अपनी कमर पे चढ़ा दी और फिर निचे वाला खोल उसे निकाल दी और दूसरा वाला अपनी कमर पे बांध दी...
सुमित्रा की मां की कमर पे एक पतला सा सोने का कमरबंद उसकी भरावदार कमर को कही गुना अधिक कामुक बना रहा था...गले में मंगलसूत्र और पेरो में चांदी की झाँझरी...झाँझरी की खन खन से कमरे में छाई हुई शांति में भंग डाल दे रहा था... कानों में झुमके और नाक ने प्यारी सी नथ...इतने गहने उसके गोरे बदन को और अधिक खूबसूरती दे रहे थे..और उसकी दूध सी गोरी त्वचा जो उसकी सारी उतर जाने से साफ साफ दिखाई दे रही थी...सच में सुमित्रा जेसी औरत हर किसी के नसीब में नहीं होती...अपने बदन पे बिना अधिक ताम जाम के भी सुमित्रा की खूबसूरती के आगे गांव की सारी औरतें जैसे पानी कम थी...अगर एक नजर वो उसकी मां की और कर देख लिया होता तो उसे अपनी मां की खूबसूरती का अंदाजा लगता...लेकिन वैसे भी सूरज ने कभी इसे अपनी मां को देखने की को कोशिश नहीं की थी और कभी देख भी लेता तो अपनी नजरे झुका लिया करता या मुंह फेर देता...
सुमित्रा अपने बेटे के साथ इतना सहज थी की उसे कोई संकोच नहीं था उसकी हालत का या वो एक पल के लिए भी ये खयाल अपने दिमाग में लाई की उसका बेटा उसे ब्लाउज पेटीकोट ने देख क्या सोचेगा... आखरी बार वो सूरज के सामने ऐसी हालत में तब आई थी जब 18 साल का था...और कभी कभी तो झलक दिख जाना ये तो गांव में आम था...
सुमित्रा अपने बेटे सर के पास बैठ उसके सर को उठा के अपनी गोद में रख दी... ऐसा करने से सूरज की आखों में उसकी मां के स्तन आ गई जो हक्के से बाहर निकल गई थे क्यू की नीचे का बटन खुला था...सूरज की आखों में गोरे रंग के उभरे हुए स्तन आते ही वो अपनी आखें बंद कर देता है...सुमित्रा अपने बेटे बालो को सहला रही थी...और उस से बाते कर उसे हौसला देती है...कुछ दे बाद सुमित्रा कमरे की लाइट बंद कर सूरज के साथ लेट गई...दोनो मां बेटे एक दूसरे को हलका सा पकड़ के सो रहे थे.. सूरज पिछली रात भी नही सोया था उसकी आंख लग गई...बेटे को सोता देख सुमित्रा ने भी राहत की शास ली और उसकी भी नींद लग गई....
रात के कुछ 3 बजे सूरज की नींद एक चीख के साथ खुल गई..."नही नही ऐसा मत करो मेरी पारुल के साथ ये मत करो... नहि...." और वो रोने लगा....
सुमित्रा ने सूरज को अपनी बाहों में कस के भर लिया...सुमित्रा के दोनों स्तन उसके बेटे की छाती में समा गई... सूरज का मुंह सुमित्रा के गले पे लगा हुआ था...और उसके होठ उसकी मां के गले को लग रहे थे....सूरज की हालत एक दम खराब हो चुकी थी...उसे शांत करते हुए सुमित्रा ने अपने बेटे के सर को ख़ुद थोड़ा उपर होके..अपने सीने पे रख दिया...अपनी मां के स्तन का स्पर्श ने सूरज को कुछ हद तक शांत कर दिया था..और सूरज की मां ने अपने बेटे के सर को कस के पकड़ अपने उभारों में दबा दिया..
सूरज के होठ उसकी मां की कसी हुई चूची पे लग रहे थे... उपर का एक बटन पहले से खुला ही था और अपने बेटे के सर के दबाव से सुमित्रा के ब्लाउज के बटन पे तनाव काफी हद तक बड़ गया था...सूरज अपनी मां के स्तन अजीब सा सुकून दे रहे थे...आखिर एक बेटे को उसकी मां की गोद से अथिक कहा सुकून मिल पाता है...सूरज के हाथ अब अपनी मां की कमर पे चले गई थे...वो अपनी मां के जितना हो पाई उतना करीब होना चाहता था...वो अपने दर्द से जितना तपड़ रहा थी उतनी ही अधिक शक्ति लगा के वो अपनी मां को अपनी बाहों में भर लेता है...इतना अधिक तनाव ब्लाउज के बटन जेल नही पाई...और कुछ बटन खुद निकल गई और कुछ टूट के निकल गई...
सुमित्रा को इस बात की कोई खबर न हुए..और वो अपने बेटे को अपने स्तनों पे रख उसके बालो को सहला रही थी... कुछ देर में दोनों हकला से अलग हुए और फिर से एक दुसरे को आलिंगन देने लगे...लेकिन तभी सुमित्रा की एक हक्की सी सिसकारी निकल गई..."अःह्ह्ह.. आह बेटा..." और उसके साथ ही तेज तेज रफ्तार से हवा चलने लगी बिजली के साथ...कुच देर पहले जो आमान साफ था वो काले बादल से भर गया...सूरज ने जैसे उसकी मां की आह सुनी ही नही...सुन भी केसा पाता...उसके मुंह में उसकी मां का अंगुर के दाने जैसा निप्पल जो था...सूरज उसकी मां के स्तन उसे उसके बचपन में ले जाकर छोड़ देते है...उसके दिमाग से सब निकल गया था...वो किसी बच्चे के जैसे अपनी मां के निप्पल को अपने मुंह में लिया उसका भरपूर स्तनपान करता है...उसके अंदर का बच्चा चाहता था की उसके मुंह ने अपनी मां का दूध आने लगेगा...इस आस में सूरज अपनी पूरी शक्ति से अपनी मां के स्तन चूस रहा था...
बिचारी सुमित्रा अपनी आहे बड़ी मुस्किल से रोके अपने बेटे को स्तनपान करन देती है... सुमित्रा के अंदर की ममता अपनी चरम पे थी... वो भी चाह रही थी उसके स्तन ने दूध भर आई...सूरज कुछ देर में ही सुकून से सो गया....
उसके सोने के बाद सुमित्रा खड़ी हुए और अपनी हालत देख कोसने लगी की "पागल इस उम्र में अपने बेटे को अपना स्तन केसे.." वही वो अपने बेटे को सुकून से सोया देख अपने आप पे गर्व कर रही थी... सुमित्रा की नजर अपने बेटे के मुंह से गीले हुए स्तन पे चली गई...स्तन का निप्पल के पास का हिस्सा लाल हो चुका था और बेटे ने दात के निशान उसके स्तन पे गड़ गई थे...वो इस बात से शर्म से लाल हो गए...अपना ब्लाउज सही कर वो सोने को लेट गई...लेकिन अपनी बहु के साथ क्या हुआ होगा उसके विचार ने उसे पूरी रात सोने ही नहीं दिया....
गुरुदेव – सूरज उठो पुत्र....
सूरज देखता वो उसके सामने गुरुदेव ध्यान मुद्रा में बैठे हैं और चारो और कुछ नही बस सफेद सा रंग छाया हुआ है...
सूरज – प्रणाम गुरुदेव...आप ही मुझे कोई रास्ता दिखाई क्या करू में....कुछ समझ नही आ रहा...
गुरुदेव – पुत्र रास्ता हे लेकिन क्या तुम उस रास्ते पे चल पाओगे... ये सब इतना आसान नहीं होगा...
सूरज – गुरदेव में मेरी पारुल के लिए कुछ भी करने को तैयार हूं आप बोलिए क्या करना होगा...
गुरुदेव – पुत्र तुम्हारे सामने जो आने को है कोई साधारण मानव नही बल्कि एक शैतानी शक्ति है...अगर तुम्हे अपने परिवार की रक्षा करनी हो तो पहले उसका सामना करने हेतु तुम्हे भी कुछ सक्ति हासिल करनी होगी...
सूरज – गुरुदेव मेरा दिमाग ये सब मानने को तैयार नहीं लेकिन आप कह रहे है तो में आप पे संदेह नही करूंगा...आप बताई क्या करना होगा... और मेरी पारुल ठीक है ना गुरुदेव....
गुरुदेव – बेटा मेरी शक्तियां उस काली शक्ति के आगे कुछ नहीं है...में तुन्हे पारुल बेटी के बारे में कोई जानकारी अभी नहीं दे पाऊंगा...और कल दोपाहर 12 बजे जंगल में झरने के पास वाली गुफा में में तुझे मिलूंगा...
सूरज की आंख खुली तो घड़ी में सुबह के 9 बजे थे..उसके बगल में उसकी मां पेटीकोट ब्लाउज में लेती हुए थी... सूरज को आज अपनी मां बड़ी प्यारी लग रही थी...वो कुछ पल अपनी मां को निहारता रहा...और उसकी नजर अपनी मां के ब्लाउज पे गई...और उसे रात को हुए घटना याद आ गई और वो अपनी नजरे अपनी मां से हटा वहा से चला गया...नहा धोकर वो गुरुदेव से मिलने को भागा....
जब घर के लोग उठे...सब रात भर जाग रहे थे तो आज इतनी देरी से उठे थे...सूरज नहीं था...सब परेशान हो उठे...और सुमित्रा तो पूरी तरह से गभरा गई थी... कुछ खाया भी नही था सूरज ने कल से....
To be continue.....
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
ये ट्रेन में पारुल के साथ क्या हुआ कुछ बहुत गलत तो नहीं हुआ या फिर उस शक्श ने जिसे पारुल में अपना प्यार नजर आया उसने दोनों साथीयों को मार कर उसे बचा लिया पर पारुल के वस्त्र कुछ अलग कहानी कह रहें हैं
सुमित्रा का सुरज को ममता से भर कर स्तनपान कराना आगे जा के कोई नया रुप धारण तो नहीं करेगा
ये गुरुदेव किस काली शक्ती के बारें में सुरज को बोल रहें हैं और गुंफा में गुरुदेव सुरज को क्या दिशा निर्देश देते हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Jo pahle train me aai the...do aadami...us me se ek ko parul se pyar ho gaya tha...un dono ki body railway track pe mili heबहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
ये ट्रेन में पारुल के साथ क्या हुआ कुछ बहुत गलत तो नहीं हुआ या फिर उस शक्श ने जिसे पारुल में अपना प्यार नजर आया उसने दोनों साथीयों को मार कर उसे बचा लिया पर पारुल के वस्त्र कुछ अलग कहानी कह रहें हैं
सुमित्रा का सुरज को ममता से भर कर स्तनपान कराना आगे जा के कोई नया रुप धारण तो नहीं करेगा
ये गुरुदेव किस काली शक्ती के बारें में सुरज को बोल रहें हैं और गुंफा में गुरुदेव सुरज को क्या दिशा निर्देश देते हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Nice updateUpdated 12
कुछ ही देर में ट्रेन रुक जाती है...सूरज जैसे तैसे खड़ा होता ही और अपने हाथ खोलने की कोसिस में लग गया... सूरज ने बाहर देखा तो ये एक स्टेशन था...ट्रेन एक झटके के साथ आगे चल दी और उसके साथ ही...सूरज को किसी के ट्रेन में चढ़ने की आवाज सुनाई दी...फिर एक ट्रेन ने जैसे हाथ पाई हो रही हो वैसी आवाजे आने लगी... अचानक एक अजीब सी शांति छा गई...ट्रेन फिर से रुकी... सुरज से देखा की दो गार्ड उसके डिब्बे में आई...वो अपनी पूरी शक्ति से दरवाजे पे हाथ और पैर मारने लगा..
गार्ड ने उसे बाहर निकाला..सूरज एक पल की देरी किए बिना अपनी पत्नी की और भागा...उसकी आंखे फटी की फटी रह गई... वो जैसे पत्थर हो चुका था...न कुछ बोल पाया न उसकी आंखों से आसू निकले...वो जैसे सामने का नजारा देख कैसे मर ही चुका था...
वहा बर्थ के पास खून ही खून था...और खून वहा से होते हुए ट्रेन के दरवाजे तक जा रहा था...जैसे पारुल को मार उसे बाहर फेक दिया गया था...पारुल की खून से लथपथ सारी नीचे गिरी हुए थी...एक और उसका ब्लाउज फटा हुआ पड़ा था...वही पारुल का पेटीकोट ऊपर की बर्थ से लटक रहा था... वहा बने हुक पे पारुल की ब्रा पेंटी लटक रही थी...
सूरज इतना सब देख वही बेहोश होकर गिर पड़ा...दोनों गार्ड भी अपराधी की क्रूरता देख हैरान थे...सब की रूह काप गई थी...
ट्रेन को वही रोक दिया गया और... पोलिस भी वहा आ चुकी थी...सूरज को अस्पताल में दाखिल कर दिया गया था...उसके सर का घाव भी बहुत गहरा मालूम हो रहा था...सूरज को होस आते ही उस पे सवालों की बौछार हो उठी...उसकी हालत नहीं थी की वो कुछ बोले लेकिन उसे जवाब देने पड़े...कुछ ही देर में सूरज की मां पापा और उसके चाचा वहा आ गई...पूरे घर का माहोल नम था... सुमित्रा को सूरज अपनी बाहों में भर अपना दर्द बाहर निकालते हुए रोने लगा...
कुछ ही देर में पारुल के घर वाले भी वहा आ गई थे...
सुरज अब धीरे धीरे होस में आने लगा था... वो अपने आप को इतना कमजोर और निक्कमा मान बैठा जो अपनी पत्नी की रक्षा तक नही कर पाया...वो अपने आप को को हुआ उसका जिमेदार ठहरा रहा था...की एक बड़े पुलिस अधिकारी उसके पास आते हे सब को बाहर जाने को बोल वो बोलते हैं...
पुलिस अधिकारी – हमे ट्रेन की पटरी पे दो लाश मिली है...ये देखो क्या ये वही दोनों थे....
सूरज – हा ये वही दो है साब...
पुलिसवाला – इसका मतलब की...कोई और था जिस से ये सब किया... देखिए अभी उम्मीद है कि आप की पत्नी जिंदा हो...लेकिन....
सूरज – (पारुल अभी सही सलामत होने की एक आस ने उसके अंदर एक ऊर्जा भर दी वो उठ खड़ा हुआ) क्या लेकिन साफ साफ बोलिए साब....
पुकिशवाला – हम ने उन दोनो के रिकॉर्ड चेक किए हे...दोनो ये सब पेसो और सेक्स के लिए करते थे...पर आप की पत्नी को कोन ले गया इस के बारे में हमें कोई सुराख नही मिल पाया...और पारूलजी के कपड़े जेसी हालत में मिले ही आप समझ सकते है उसके साथ....और इसे केस में अक्सर लड़की को मार दिया जाता है या किसी को बेच देते है...
सूरज - (ये सब सुन सूरज अपने आप को इतना बेबस हालत में पा रहा की उसे कुछ समझ ही नही आया और वो नीचे बैठ गया)...
पुलिशवाला वाला चला गया...और सूरज अपनी बेबसी पे रो दिया...उसे गुस्सा आ रहा था पर क्या करता उसे कुछ पता न था ये लोग कोन थे कहा हे...
अब इस बात को पूरे 24 घंटे होने को थे...सूरज को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया था रात के 10 बजे सब घर आ गए...खाना तोह किसी के गले से उतर ही कैसे जाता सब भूखे पेट ही अपने कमरे में चले गई... सूरज को सुमित्रा अपने कमरे ने ले आई...उसे वहा लेटा दिया...और उसके पति विक्रम से बोली "जी सुनिए सूरज के पापा..आज की रात सूरज को यही सोने देती हु..आप उसके कमरे में सो जाना..." "हा में भी यही बोलने वाला था उसे अकेला नहीं छोड़ सकते हम..कुछ भी हो बुला लेना ने जाग रहा हु अब नींद तो आने से रही"
सुमित्रा देखती ही सूरज लेता हुए किसी जिंदा लास जैसा लग रहा था...वो गहरी सोच में था...सुमित्रा दरवाजे की कुंडी लगा दी और... खिड़की को बंद कर...कमरे के एक कोने में जाकर...अपने बदन से एक एक कर कपड़े उतारने लगी....वो अपनी सारी निकल दी...और अपना ब्लाउज खोल कर... ब्रा भी निकाल दी...एक दूसरा ब्लाउज पहन ली...जो पहले वाले से पतला और पुराना था...बड़ी मुस्किल से उसके भरावदार स्तन उसके पुराने ब्लाउज में समा रहे थे.. सुमित्रा ने अपनी आदत के मुताबिक नीचे से एक और उपर से एक बटन नही लगाया था...सूरज अगर एक नजर अपनी मां की और कर देता तो उसे उसकी मां के सुडोल स्तन के दर्शन जरूर होते...लेकिन सूरज लेता हुए एक टक छत को ही घूर रहा था...
बिना किसी अतिरिक्त संकोच के सुमित्रा ने अपना पेटीकोट घुटनों तक उठता और उसकी कच्छी को उतार सारी पे रख दिया...और फिर एक पुराना पेटीकोट पहले अपनी कमर पे चढ़ा दी और फिर निचे वाला खोल उसे निकाल दी और दूसरा वाला अपनी कमर पे बांध दी...
सुमित्रा की मां की कमर पे एक पतला सा सोने का कमरबंद उसकी भरावदार कमर को कही गुना अधिक कामुक बना रहा था...गले में मंगलसूत्र और पेरो में चांदी की झाँझरी...झाँझरी की खन खन से कमरे में छाई हुई शांति में भंग डाल दे रहा था... कानों में झुमके और नाक ने प्यारी सी नथ...इतने गहने उसके गोरे बदन को और अधिक खूबसूरती दे रहे थे..और उसकी दूध सी गोरी त्वचा जो उसकी सारी उतर जाने से साफ साफ दिखाई दे रही थी...सच में सुमित्रा जेसी औरत हर किसी के नसीब में नहीं होती...अपने बदन पे बिना अधिक ताम जाम के भी सुमित्रा की खूबसूरती के आगे गांव की सारी औरतें जैसे पानी कम थी...अगर एक नजर वो उसकी मां की और कर देख लिया होता तो उसे अपनी मां की खूबसूरती का अंदाजा लगता...लेकिन वैसे भी सूरज ने कभी इसे अपनी मां को देखने की को कोशिश नहीं की थी और कभी देख भी लेता तो अपनी नजरे झुका लिया करता या मुंह फेर देता...
सुमित्रा अपने बेटे के साथ इतना सहज थी की उसे कोई संकोच नहीं था उसकी हालत का या वो एक पल के लिए भी ये खयाल अपने दिमाग में लाई की उसका बेटा उसे ब्लाउज पेटीकोट ने देख क्या सोचेगा... आखरी बार वो सूरज के सामने ऐसी हालत में तब आई थी जब 18 साल का था...और कभी कभी तो झलक दिख जाना ये तो गांव में आम था...
सुमित्रा अपने बेटे सर के पास बैठ उसके सर को उठा के अपनी गोद में रख दी... ऐसा करने से सूरज की आखों में उसकी मां के स्तन आ गई जो हक्के से बाहर निकल गई थे क्यू की नीचे का बटन खुला था...सूरज की आखों में गोरे रंग के उभरे हुए स्तन आते ही वो अपनी आखें बंद कर देता है...सुमित्रा अपने बेटे बालो को सहला रही थी...और उस से बाते कर उसे हौसला देती है...कुछ दे बाद सुमित्रा कमरे की लाइट बंद कर सूरज के साथ लेट गई...दोनो मां बेटे एक दूसरे को हलका सा पकड़ के सो रहे थे.. सूरज पिछली रात भी नही सोया था उसकी आंख लग गई...बेटे को सोता देख सुमित्रा ने भी राहत की शास ली और उसकी भी नींद लग गई....
रात के कुछ 3 बजे सूरज की नींद एक चीख के साथ खुल गई..."नही नही ऐसा मत करो मेरी पारुल के साथ ये मत करो... नहि...." और वो रोने लगा....
सुमित्रा ने सूरज को अपनी बाहों में कस के भर लिया...सुमित्रा के दोनों स्तन उसके बेटे की छाती में समा गई... सूरज का मुंह सुमित्रा के गले पे लगा हुआ था...और उसके होठ उसकी मां के गले को लग रहे थे....सूरज की हालत एक दम खराब हो चुकी थी...उसे शांत करते हुए सुमित्रा ने अपने बेटे के सर को ख़ुद थोड़ा उपर होके..अपने सीने पे रख दिया...अपनी मां के स्तन का स्पर्श ने सूरज को कुछ हद तक शांत कर दिया था..और सूरज की मां ने अपने बेटे के सर को कस के पकड़ अपने उभारों में दबा दिया..
सूरज के होठ उसकी मां की कसी हुई चूची पे लग रहे थे... उपर का एक बटन पहले से खुला ही था और अपने बेटे के सर के दबाव से सुमित्रा के ब्लाउज के बटन पे तनाव काफी हद तक बड़ गया था...सूरज अपनी मां के स्तन अजीब सा सुकून दे रहे थे...आखिर एक बेटे को उसकी मां की गोद से अथिक कहा सुकून मिल पाता है...सूरज के हाथ अब अपनी मां की कमर पे चले गई थे...वो अपनी मां के जितना हो पाई उतना करीब होना चाहता था...वो अपने दर्द से जितना तपड़ रहा थी उतनी ही अधिक शक्ति लगा के वो अपनी मां को अपनी बाहों में भर लेता है...इतना अधिक तनाव ब्लाउज के बटन जेल नही पाई...और कुछ बटन खुद निकल गई और कुछ टूट के निकल गई...
सुमित्रा को इस बात की कोई खबर न हुए..और वो अपने बेटे को अपने स्तनों पे रख उसके बालो को सहला रही थी... कुछ देर में दोनों हकला से अलग हुए और फिर से एक दुसरे को आलिंगन देने लगे...लेकिन तभी सुमित्रा की एक हक्की सी सिसकारी निकल गई..."अःह्ह्ह.. आह बेटा..." और उसके साथ ही तेज तेज रफ्तार से हवा चलने लगी बिजली के साथ...कुच देर पहले जो आमान साफ था वो काले बादल से भर गया...सूरज ने जैसे उसकी मां की आह सुनी ही नही...सुन भी केसा पाता...उसके मुंह में उसकी मां का अंगुर के दाने जैसा निप्पल जो था...सूरज उसकी मां के स्तन उसे उसके बचपन में ले जाकर छोड़ देते है...उसके दिमाग से सब निकल गया था...वो किसी बच्चे के जैसे अपनी मां के निप्पल को अपने मुंह में लिया उसका भरपूर स्तनपान करता है...उसके अंदर का बच्चा चाहता था की उसके मुंह ने अपनी मां का दूध आने लगेगा...इस आस में सूरज अपनी पूरी शक्ति से अपनी मां के स्तन चूस रहा था...
बिचारी सुमित्रा अपनी आहे बड़ी मुस्किल से रोके अपने बेटे को स्तनपान करन देती है... सुमित्रा के अंदर की ममता अपनी चरम पे थी... वो भी चाह रही थी उसके स्तन ने दूध भर आई...सूरज कुछ देर में ही सुकून से सो गया....
उसके सोने के बाद सुमित्रा खड़ी हुए और अपनी हालत देख कोसने लगी की "पागल इस उम्र में अपने बेटे को अपना स्तन केसे.." वही वो अपने बेटे को सुकून से सोया देख अपने आप पे गर्व कर रही थी... सुमित्रा की नजर अपने बेटे के मुंह से गीले हुए स्तन पे चली गई...स्तन का निप्पल के पास का हिस्सा लाल हो चुका था और बेटे ने दात के निशान उसके स्तन पे गड़ गई थे...वो इस बात से शर्म से लाल हो गए...अपना ब्लाउज सही कर वो सोने को लेट गई...लेकिन अपनी बहु के साथ क्या हुआ होगा उसके विचार ने उसे पूरी रात सोने ही नहीं दिया....
गुरुदेव – सूरज उठो पुत्र....
सूरज देखता वो उसके सामने गुरुदेव ध्यान मुद्रा में बैठे हैं और चारो और कुछ नही बस सफेद सा रंग छाया हुआ है...
सूरज – प्रणाम गुरुदेव...आप ही मुझे कोई रास्ता दिखाई क्या करू में....कुछ समझ नही आ रहा...
गुरुदेव – पुत्र रास्ता हे लेकिन क्या तुम उस रास्ते पे चल पाओगे... ये सब इतना आसान नहीं होगा...
सूरज – गुरदेव में मेरी पारुल के लिए कुछ भी करने को तैयार हूं आप बोलिए क्या करना होगा...
गुरुदेव – पुत्र तुम्हारे सामने जो आने को है कोई साधारण मानव नही बल्कि एक शैतानी शक्ति है...अगर तुम्हे अपने परिवार की रक्षा करनी हो तो पहले उसका सामना करने हेतु तुम्हे भी कुछ सक्ति हासिल करनी होगी...
सूरज – गुरुदेव मेरा दिमाग ये सब मानने को तैयार नहीं लेकिन आप कह रहे है तो में आप पे संदेह नही करूंगा...आप बताई क्या करना होगा... और मेरी पारुल ठीक है ना गुरुदेव....
गुरुदेव – बेटा मेरी शक्तियां उस काली शक्ति के आगे कुछ नहीं है...में तुन्हे पारुल बेटी के बारे में कोई जानकारी अभी नहीं दे पाऊंगा...और कल दोपाहर 12 बजे जंगल में झरने के पास वाली गुफा में में तुझे मिलूंगा...
सूरज की आंख खुली तो घड़ी में सुबह के 9 बजे थे..उसके बगल में उसकी मां पेटीकोट ब्लाउज में लेती हुए थी... सूरज को आज अपनी मां बड़ी प्यारी लग रही थी...वो कुछ पल अपनी मां को निहारता रहा...और उसकी नजर अपनी मां के ब्लाउज पे गई...और उसे रात को हुए घटना याद आ गई और वो अपनी नजरे अपनी मां से हटा वहा से चला गया...नहा धोकर वो गुरुदेव से मिलने को भागा....
जब घर के लोग उठे...सब रात भर जाग रहे थे तो आज इतनी देरी से उठे थे...सूरज नहीं था...सब परेशान हो उठे...और सुमित्रा तो पूरी तरह से गभरा गई थी... कुछ खाया भी नही था सूरज ने कल से....
To be continue.....