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Incest ❣️ घर की ज़िम्मेदारी ❣️ [Completed]

आप की पंसदीता लड़की/औरत

  • सुमित्रा

    Votes: 35 51.5%
  • पारुल

    Votes: 30 44.1%
  • नेहा

    Votes: 3 4.4%

  • Total voters
    68

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Update 21

में दादाजी की बात का स्विकार कर चुका था...में मां के पैरो को सहलाने लगा और धीरे से मां का पेटीकोट उठाते हुए खड़ा होने लगा और... मां कुछ समझ पाती उस से पहले ही मेने मां के पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया...और मां के मखन जैसे पैरो को छूता हुए उनका हरा पेटीकोट जमीन पे गिर पड़ा... मां पूरी नहीं हो चुकी थी...अब बस मां की फूलो वाली पेंटी उनकी योनि को मेरी नजर से बचा रही थी.. मां अपने नंगे पन के अहसास से हड़बड़ा उठी...और कुछ करती उस से पहले ही मेने मां की पेंटी को पकड़ लिया वही मां ने भी पेंटी को कस के पकड़ लिया..."बेटा ये मत कर में तेरी मां हू...क्या हो गया है तुझे...मां रोते हुए बोली"

मेने अपनी पूरी शक्ति से मां की पेंटी को खींचा और पेंटी फटने की आवाज के साथ मां पूरी नंगी हो चुकी थी...वो अपनी बालो से भरी योनि को अपने हाथो से ढक लीं...और भाग के बाहर चली गई...मां की गोल मटोल गांड़ जब मां भागी मटक मटक के मुझे उत्तेजित करने लगी....

मेने मां को फट से भाग के पकड़ लिया और अपनी बाहों में भर उनके होठों पर अपने होठ रख दिए...मां अपन होठ नही खोली और गुस्से में लाल हो गई...और मुझे दो दूर कर मेरे गाल पे चार पांच थप्पड़ जड़ दिए....में मां को देख हकला सा मुस्कुरा दिया... दादाजी के साथ मां का संभोग देख में बड़ा उत्तेजित हो गया था और मां का डर जैसे अब मुझे रहा नही था आखिर मेरे दादाजी पिता ने मुझे खुद कहा था मां को यौन सुख देने को....

मेने मां के सामने ही मेरे सारे कपड़े निकाल दिए...मेरा विशाल कला लिंग मां की आखों के सामने था जो बार बार मां के नंगे बदन को देख फन फना रहा था...मां ये सब देख अपनी योनि से पानी छोड़ दी...मां को योनि में कुछ कुछ होने लगा था... मुझे लगा जैसे मां को दादाजी ने ही कुछ दिया है जिस मां इतनी मादक और कामुक हो गई थी....

मां के स्तन पूरी तरह से खड़े थे उनके निप्पल तने हुए मुझे अपनी और आकर्षित कर रहे थे..और मेरे लिंग में और तनाव डाल रहे थे...वही मां की सास तेज हो गई थी...उनके बड़े स्तन ऊपर नीचे होने लगे थे....

"मां आप ने अपने बेटे से इतना गुस्सा क्यों... देखिए अपने बेटे की और आप बेटा आप के लिए तड़प रहा है...मां आप को ऐसी हालत में देख तो कोई मारा हुए भी जिंदा हो जाई... मां आप के ये स्तन देखिए जैसे कोई पके हुए रस से भरे आम हो..मां मेने आप जैसा बदन आज तक नही देखा...मां आप को भोगे बीना आज ये बैठने नही वाला..मां अपने बेटे को प्यार करने दो मां....

मेने मां को उठा लिया और घास में लेटा दिया...मां एकदम से शांत हो गई थी...जैसे मुझे अपने जिस्म को भोगने देने को तैयार हो चुकी हो....मेने बिना देर किए...मां के पैर खोले...मां तड़प उठी..."बेटा रूक जा ये क्यों कर रहा है में तुझे क्या बोलूं बेटा अपनी मां को जाने दे..."
"मां आप डरो मत कैसी को कुछ पता नहीं चलेगा...में आप को दुनिया की हर खुशी दूंगा...मां आप यू तड़प रही हो और मुझे रोक भी रही हो..." मेने मां की योनि में एक उंगली डाल दी और मां को सहलाने लगा...मां की एक तेज सिसक निकल गई..."आउच...बेटा नहीं रुक जा नही तो..."
"मां में तो रुक जाऊंगा लेकिन आप की योनि की आग का क्या होगा देखिए कैसे आग लगी हुई है इस में...मां आप मुझे मत रोको... मां में आप का ही बेटा हु आप से इतना प्यार करता हु आप भी करती हो...आज हमारा मिलन होने दो आप ये रात कभी नही भूलोगे..."

और मां ने शर्म अपनी आखें बन्द कर दी...मैने धीरे से मां को योनि पे अपना लिंग रखा और...हकला सा अंदर सरखा दिया...मां दर्द से तड़प उठी...मुझे अपनी बाहों में भर ली...और मैने एक तेज धक्का लगाया और मां दर्द से रोने लगी...मां की सील चकना चूर हो गई..."आह निकल दे बेटा में नहीं के सकती आह..." और मां ने दर्द में मेरी पीठ को पूरा नोच डाला...मेने अपना लिंग कुछ देर मां की योनि में रखा और मां को प्यार करने लगा...और फिर मेने मां को बोला..."मां आज से तुम मेरी हो... यहा देखो" और मैने अपना लिंग बाहर निकल मां को दिखाया जो पूरा खून से लाल हो गया था...मैने दूसरे ही पल मां को तेज तेज रफ्तार से हर तरह से भोगने लगा...मैने मां के स्तन को काट काट लाल कर दिया था...वही मां के बाल को मेने हाथ में पकड़ मां को तेज तेज गेंदबाज से पेल रहा था...मां की कामुक आवाजे पूरे खेत में दूर तक गूंज रही थी....

मां की आखों से दर्द से आसू निकल रहे थे जिसे देख में और अधिक उत्तेजित हो गया और में मां को बडी बेरहमी से भोगने लगा...मेने मां को गोद में उठा के बाहर बारिश में खड़े खड़े चोदने लगा...मां मेरी बाहों में किसी बच्चे जैसे चुप गई..."आह बेटा धीरे मेरे लाल...मजे आदत नही"
"मां अब आदत डाल लो आज पहली रात है इस लिए प्यार से भोग रहा हु आप की जवानी कल से तो आप को ऐसा दर्द मिलेगा की आप दादाजी को भूल जाओगे..." मां अपना पानी निकाल दी दादाजी का सुन के....


मेने मां को बारिश में ही नीचे लेटा दिया और तेज तेज रफ्तार से मां को पेले जा रहा था....

मैने 2 घंटे तक मां को लगातार चोदा...और आखिर में अपना सारा वीर्य मां की बच्चेदानी में डाल दिया..."मां में आ रहा हु आह मां तुन्हारिर योनि तो मेरा सारा पानी निचोड़ दी...मां मुझे एक बेटी चाइए....

"बेटा तूने इतना पानी अंदर निकला है की में कल ही पक्का गर्भवती हो जाऊंगी बदमाश... बिलकुल अपने पापा पे गया है...वो भी पहली बार में ही मेरी कोख भर दी और आज तूने...

में और मां सुबह तक एक दूसरे से प्यार करते रहे...

और घर जाके मेने पारुल को भी पूरी तरह से अपना लिया और रोज रात को उसकी दर्द से चीखे निकल देता...

और इस के फल स्वरूप मां और पारुल एक साथ मेरे बच्चे को अपने पेट में ठहरा ली....

मां और मेरी एक बेटी हुए और पारुल के साथ मुझे एक बेटा हुआ....

में रोजाना पहले पारुल को भोगता और उसे सुला के मां के कमरे में ही पापा के बगल में ही मां को नंगा कर मां को दर्दे देता... पापा भी एक दिन हम मां बेटे को संभोग करने देख लिए लेकिन कुछ बोल नहीं पाई... बोलते भी क्या अपनी पत्नी को इतना खुश पहली बार देख रहे थे संभोग करते हुए...

The End.......


मेने ये कहानी थोड़ा शॉर्ट में लिख खतम कर दी..नही तो सायद ये कहानी अधूरी रह जाती...और में इसे ऐसे बीच में नहीं छोड़ना चाहता....

मिलते हे कभी किसी और कहानी के साथ...
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक समापन हुआ कहानी का लेकिन ये कहानी बडी और जबरदस्त होती
खैर
 

Ajju Landwalia

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Update 17

सूरज उसकी मां को लेके पास के एक हॉस्पिटल ले आया...
हॉस्पिटल एक दम खाली खाली सा लग रहा था...एक लेडी डॉक्टर और एक नर्स ही थी वहा....

डॉक्टर – क्या हुआ है आप को बोलिए....

डॉक्टर मधु... एक 55 साल की बेहत निपूर्ण डॉक्टर थी...अपने पति की गांव में रोड हादसे में डॉक्टर की कमी के कारण मौत होने के बाद से वो यही गांव में सेवा करने के लिए एक छोटा सा हॉस्पिटल खोल ली थी.... उनका एक बेटा था जो बड़ी मुस्किलो के बाद हुआ था जो अभी 18 साल का था और अपनी मां के साथ ही यही रहता था...

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डॉक्टर मधु 55 की उम्र में इतनी खूबसूरत थी की गांव के कुछ आवारा लड़के तो बस डॉक्टर मधु को देखने ही आते थे...बूढ़े भी डॉक्टर मधु के दीवाने थे...होते भी क्यों न इतनी हसीन औरत इतने प्यार से इलाज करे तो कोई भी पिघल ही जाय....

मां ने अपने सीने की और इशारा करते हुए बोली..."डॉक्टर पता नही यहां आज सुबह से भारी भारी लग रहा हे जैसे इनमे फिर से दूध भर गया हो... आह डॉक्टर..."

"आप अपना ब्लाउज खोल दीजिए में चेक कर लेती हू...बेटा आप बाहर बैठा में आप की मम्मी को चेक कर लेती हू"

में बाहर निकल गया...

मेरे जाते ही मां ने अपना ब्लाउज खोल दिया और कुछ देर में तो मां की ब्रा भी खुल गई...मुझे मां की एक तेज सिसकारी भरने की आवाज सुनाई दी...लगा जैसे डॉक्टर ने मां के स्तनों को मसल दिया हो....

मुझे हल्की हल्की आवाज सुनाई दी..."ये कैसे हो सकता है आप तो दूध आ रहा है...वो भी इतनी सारी मात्रा में...जल्द से जल्द नही निकाला गया तो ये क्लॉग हो सकता है...लेकिन आप का बच्चा तो हुआ नही है फिर ये सब कैसे"

फिर मां की पायल की आवाज से मुझे पता चला कि मां को डॉक्टर ने वही बने एक बेड पे लिटा दिया ही... "सुमित्रा डरो मत तुम कोई बच्ची नहीं.. एक बेटे की मां हो...चलो पैरो को खोलो...." "आह ओह... डॉक्टर हाथ मत लगाना... आह आह ओह क्या कर रही हो आप... आह निकल दीजिए आह...."

मेरा लन्ड एक दम से उछल के खड़ा हो गया...मेरे मन में यही चल रहा था की क्या डॉक्टर ने मां की छूत में उंगली की...मां क्या निकलने के लिए बोली...और मां इतना आहे क्यों भर रही थी...मां की उत्तेजित होकर निकल रही हर सिसकारी मेरी जान निकल देती थी....

डॉक्टर को जैसे मेरी हालत का पता चल गया वो दरवाजा ठीक से बंद कर दी और मुझे अब कोई आवाज नहीं आ रही थी....

"सुमित्रा तुम पागल हो क्या ये सब क्यों ले रही हो"
"क्या डॉक्टर में कुछ नही ले रही आप क्या बोल रही हो"
"सुन ज्यादा भोली मत बन समझी अच्छे से जानती हु में तुम जैसी औरतों को... ड्रग्स लेके अपना दूध बड़ा कर रही हो और तो और ये अपनी योनि को भी सील कर रही हो...क्या आप के पति को ये सब पता है... या तेरा ही पति तेरा सौदा कर चुका है... ये सब करोगी तो दर्द तो होगा ही दर्द क्या जान भी जा सकती हैं तेरी पागल औरत.....

मां रोते हुए बोली "डॉक्टर मेने कुछ नही लिया...आप क्या बोल रही हो में अच्छे परिवार से हू आप गलत समझ रही हो"

"देखो जूठ मत बोलो...अगर तुम खुद नही लेती ये सब तो क्या तेरा पति देता है... देखो में तेरी मदद कर सकती हू चलो पुलिस के पास...उसे हम नही छोड़ेंगे..."

मां रोते हुए बहुत कुछ बोल दी..."डॉक्टर मेरे पति तो इतने भोले ही की क्या कहूं... मुझे भी नही छूते...उनको तो इतना बोलने पे मेरे साथ....और आप..."

"देखिए आप रोना बंद कीजिए...मुझे गलत फेमी हो गई थी... दो तीन केस आई है गांव से इसे इस लिए...लगता है कोई आप की जान के बिना ही आप को ये ड्रग्स दे रहा ही ताकि आप के साथ वो..... "

"डॉक्टर में ठीक तो हो जाऊंगी ना क्या हुआ ही मुझे"

"सुमित्रा लगता है तुम ने अपने जिस्म को ठीक से देखा नही कुछ दिन से..." मां को वो आयने में दिखा के बोली...मां अर्ध नंगी थी... ब्लाउज खुला... पेटीकोट कमर तक ऊपर...

"सुमित्रा ये देखो ये तेरे स्तन को देखो पूरे दूध से भर गई हे...और तो और ये कितने उत्तेजित हो गई हे...एक बार हाथ क्या लगा तुम तो उछल पड़ी थी...और ये देखो अपने बदन को केसे खिल उठा ही जैसे नई नवेली दुल्हन हो जिसे पहली बार संभोग करना हो...पूरी गुलाबी हो गई हो तुम...ये तुन्हारी योनि एक तो पता नहीं इतनी गुलाबी केसे हे ये और उपर से इसकी सील फिर से लग गई है...तुम तो पूरी तरह से कुंवारी लड़की बन गए हो सुमित्रा...जिस ने भी तुम को ये दवाई दी ही तेरा बड़ा दीवाना है...और ये देखो तेरा बदन तो आग की तरह तप रहा है इसे भी अब सभाेग चाइए तू कैसे रह पाती हो... ये ड्रग लेने के बाद तो में पागल हो गई थी...."

मां अपनी हालत देख शर्म से पानी पानी हो गई थी..."डॉक्टर आप ने क्यों ली थी इसी जान लेवा दवाई"
"मेने भी खुद से नही ली थी...एक पागल ने बिना सोचे खिला दी थी... लेकिन प्यार ही इतना करती हु की कुछ बोल ना पाई..."

मां को कुछ समझ नहीं आ रहा था वो अपनी डरी हुई आवाज में पूछती है "लेकिन अब में क्या करू...कोई तो दवाई होगी मुझे ठीक कर दीजिए आप...सूरज के पापा को पता चल जाएगा तो क्या होगा"

"अरे आप डरो नहीं...अब वो आप को ये दवाई नही देगा...उसका काम तो हो गया आप को उसने चलती फिरती गाय बना दिया... हा हा... और रही बाद दूध आने की तो अब वो आएगा ही...और हर मर्द को दूध पीना अच्छा ही लगता है...आप बोल देना की हार्मोन की वजह से आ रहा है...नही माने तो मेरी बात करवा देना.. लेकिन सुमित्रा तुम हे डराना तो किसी और वजह से चाइए...."

"क्यू और क्यों.." मां हैरानी से पूछी...."अरे पगली तुम फिर से कुंवारी हो गई हो अब लोगी तो तेरी जान निकल जाएगी पहले वाला दर्द एक बार फिर मिलेगा पगली...चुप चाप दर्द जेल लेना पति को सब मत बोल देना नही तो आप के आशिक का भी पता न चल जाई..."

"लेकिन वो नालायक कुत्ता है कोन एक बार मेरे सामने तो आई... दुसरो को पत्नी को इसी दवाई देता है...उसका तो में काट ही दू...***"

"अरे अरे इतना गुस्सा ठीक नहीं क्या पता वो आप से के करीब हो...चलिए आप जा सकती हो... हा ये दूध पिला दीजिए गा सूरज को हा हा"

"आप क्या बोल रही हो डॉक्टर वो बड़ा हो गया है शादी भी हो गई है उसकी..."

"अच्छा अच्छा तो क्या करोगी आप पति से ही बोल देना"
"नही नही मेरी पोती है" और मां कुछ बात कर बाहर आ गई....

अब तक दोपहर हो गई थी मां हमारी जीप में बैठ गई थी...में जीप की और जा रहा तभी डॉक्टर का 18 साल का बेटा स्कूल से आ रहा था...वो बड़ा खुश था... तभी मुझे याद आया कि मेने उनको फि तो दी ही नही...में नर्स को देखने लगा लेकिन लगा की वो भी अपने घर चली गई थी दोपहर का खाने को... मेने आवाज दी लेकिन नर्स नहीं आई...तो मैने डॉक्टर के केबिन में देखा वहा भी कोई नही था....

मेरा मन नहीं मान रहा था बिना पैसे दिए में चला जाऊ...में हॉस्पिटल के आस पास देखने लगा...और मैने देखा कि पीछे ही डॉक्टर का घर था...दरवाजे खुला ही था में अंदर जाने लगा...की एक हल्की सी प्यारी सी आवाज मुझे सुनाई दी.....

डॉक्टर – आह मेरे लाल कितना भूखा हो गया हे... आह बच्चा धीरे धीरे से मम्मा को दर्द हो रहा है.... आह बेटा बस बस खतम हो गया इतना ही आता है अब ये वाला ले अब... बच्चा ये क्या आप को कितनी बार बोला ही घर में आते ही कपड़े बदल लो...इसे इतनी गर्मी में रखा हुआ है...मेरा छोटा सा बच्चा...बाहर निकल दो इसे...ओह ये तो फिर से खड़ा हो गया मम्मा को देख के...

डॉक्टर मधु का बेटा – मम्मा आप ही हाथ में लेकर बैठी हो उसे तो खड़ा तो होना ही था...आप के मुलायम हाथ में आते ही ये पागल हो जाता है मम्मा...मम्मी कितने दिल हो गई आप ने इसे प्यार नही दिया...आज करे...में अपना पढ़ाई पूरी कर दूंगा मम्मी.....

में दरवाजा धीरे से खोल अंदर का नजारा देख ही पागल हो गया...एक मां अपने बेटे को गोद में लिए स्तनपान कराते हुए उसके 18 साल के बड़े बेटे के लिंग को सहला रही है...

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और मां बेटा दोनो इतना सहज थे जैसे ये तो उनका रोज का था....मेरा लिंग अपने आप ही खड़ा हो गया था...में एक मां को अपने ही बेटे के साथ इस हालत में देख किसी पत्थर सा हो गया था....की डॉक्टर मधु ने मुझे देख लिया..."ओह ओह यहां कैसे आई...चलो बाहर निकालो...."

में बाहर निकल गया की वो मेरे पीछे आई..." सुनो यहां आओ... बैठो बेटा...तुम तो सुमित्रा के बेटे ही हो ना" डॉक्टर मधु के दोनो स्तन पूरे तरह से उनके ब्लाउज से बाहर थे...और उनके गीले निपल्स से दूध अभी तक निकल रहा था...वो अदर जाते हुए अपने ब्लाउज को बंद करने लगी....

डॉक्टर मधु – बेटा यहां जो आप ने देखा किसी से बात मत करना...में भी आप का राज नही कहूंगी...और हा आप वो ड्रग अब मत देना अपनी मां को आप का काम हो गया है....और कुछ काम हो तो मुझे बता सकते हो में मदद कर दूंगी...

में कुछ और बोलूं इस से पहले ही वो मुझे बाहर जाने को बोल दी और मां भी मुझे आवाज लगा रही थी...तो में चल दिया.....


Bahut hi badhiya update he Underground Life Bro,

To suraj hi apni maa ko ye drugs de raha tha...............

Lekin doctor ko drugs kaun de raha he.................ya fir vo khud apni marzi se le rahi he.........

Keep posting Bro
 

Ajju Landwalia

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Update 18

में और मां हॉस्पिटल से निकल आई... "मां वो डॉक्टर कुछ दवाई का बोल रही थी मुझे तो कुछ समझ नहीं आया"
मां हड़बड़ा के बोली "कुच कुछ नही बेटा सब ठीक ही है"
"मां आप का दर्द कम हुआ" "हा बेटा हो जायगा कुछ खास नहीं है आम दर्द था"

मौसम खराब होने लगा था... बादल चा रहे थे..."मां लगता है आज तेज बारिश होगी" " हा बेटा जल्दी चल कही बाड़ आ गई तो पुल बंद न हो जाए"

कूच ही देर में तेज तेज बारिश शुरु हो गई...और ब्रिज के उपर से पानी निकलने लगा था...हम गांव की दूसरी तरफ फस चुके थे....

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जेसे की आप देख सकते हो हमारी जीप पुरानी थी ऊपर छत थी पर दरवाजे नहीं होने से तेज बारिश में मां कुच कुछ भीग गई थी...मां के बालो से एक एक कर बूंदे गिर रही थी जो उनके दो बड़े स्तन के बीच की खाई में गिर गायब हो जाते...मेरी नजर बार बार मां की उभरी हुई छाती पे जा रही थी.... डॉक्टर के केबिन से आई मां की सिसकारी मेरे कानो में फिर से गूंज उठी... मुझे मां का प्यारा हसाता हुआ मुंह देख उनको अपनी बाहों में भर लेने को जी करने लगा....

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मां के कसे हुए आम बारिश से भीगी साड़ी की वजह से और निखर के अंग प्रदर्शन कर रहे थे...वही मां की काली ब्रा साफ साफ दिखाई दे रही थी...मां को तो जैसे कुछ पता ही न था खुद के अर्थ नंगे जिस्म का और वो मस्त हुए मौसम का मजा लेते हुए और भीग रही थी....

"मां अब तो घर नही जा सकते जब तक पानी कम नही होता क्या करे" में थोड़ा गंभीर होके बोला..."बेटा यही रुकते ही जैसे ही पानी कम होगा चले जायेंगे... यहा काफी लोग भी तो है"

हम वही साम तक रहे लेकिन बारिश कम होने का नाम नहीं ले रही थी...और अब रात होने को थी और ठंड बड़ रही थी...और हम दोनो पूरे भीग गई थे...."बेटा अब ठंड बड़ गई हे चल तेरे मामा के घर चले जाते है" "हां मां "

मेरे मामा का घर कुछ गांव दूर था और बीच में बस खेत ही थे...बारिश बड़ी तेज हो चुकी थी...फिर भी के धीरे धीरे जीप चला के मामा के गांव के पास पहुंच गया...की जीप खराब हो गई और मैने बड़ी कोशिश को पर वो ठीक नही हुए...अब बस कूच दूरी पे उनका घर था लेकिन... बारिश इतनी तेज थी की आग का रास्ता तक नही दिख रहा था...

"बेटा वो हमारी ही खेत हैं...चल वहा खेत में एक रात में रहने के लिए झोपड़ी बनी हुए है... वहा कुछ सामान भी होगा ही...रात निकल जाय बस सुबह हो तो तेरे मामा का घर तो पास में ही है" "हा मां वही जाते है"

हम तो वैसे भी भीग चुके थे लेकिन मैने जैसे ही बहार कदम रखा मुझे पता चला कि बारिश कुछ ज्यादा ही तेज थी...जैसे कोई बाल्टी भर पानी डाल रहा हो उतना तेज पानी गिर रहा था..."आउच....माआआआ.... मर गई आह.." में दौड़ के दूसरी और गया...जीप एक दम किनारे पे लगी थी और तेज बारिश में मां को दिखा नहीं था और मां जैसे ही नीचे कदम रखी वो रोड के एक तरफ बनी पानी जाने की जगह में गिर गई...जहा नुखिले काटे थे...मां के बदन में वो काटे अंदर तक घुस गई थे...मां दर्द से सिसक रही थी...मेने मां को उठाया और ऊपरी काटे साफ किए...बारिश में कुछ साफ दिख भी कहा रह था..."आह बेटा पहले झोपड़ी में चल आह मर गई..."

मां एक ही कदम चली की वो गिर गई उनके पैर में मोच आ गई थी..."मां में आप को उठा लूं" "बेटा तेरी मां पहले जैसी नहीं रही मेरे लाल...तू नही उठा पाएगा मेरा बोझ..." "मां तुम तो फूल से हल्की थी पहले...अब हरी भरी हो चुकी हो में तो आप को आराम से उठा लूं" में मन ही मन खुद को कोसने लगा की पागल कया बोल रहा है मां को हरी भरी...चलो अच्छा हुआ दर्द की वजह से मां ने शायद गोर नही किया....लेकिन में गलत था मां पानी पानी हो गई थी अपने बेटे के मुंह से खुद के बारे में ये सुन....

में ने मां को उठाया...सच में मां का जिस्म इन दिनों काफी भरा भरा हो गया था...मेरी तो जान निकल जाती अगर गुरुदेव से मेने शिक्षा नही ली होती....

मेरा लिंग बार बार मां की गांड़ को लग रहा था...और हम दोनो को उत्तेजित कर रहा देता...मां जैसे मेरी पत्नी हो मेरी आखों में खो गई थी...अपने बेटे के बाहु बल से मां बड़ा प्रभावित हो रही थी...मां को मुझ पे गर्व हो रहा था की में इतनी आसानी से उनके जैसी पुष्ट हट्टी कठी औरत को लेकर चल रहा थ बड़े आराम से....मां मेरे पौरुष को देख अपने आप को मेरी गोद में सुरक्षित महसूस कर रही थी...

मेने जैसे तैसे झोपड़ी का दरवाजा खोला और मां को सूखे घास से बने बिस्तर पे रख दिया.... मेने वहा पड़े एक दिए को जला दिया जिस से छोटी सी सोपाड़ी रोशन हो उठी...मां का गोरा बदन दिए की रोशनी में सोने सा सुनहरा हो उठा...मां का भीगा बदन देख मेरी धड़कन बढ़ गई...सच में मां किसी अप्सरा से कम नही थी....

"मां आप को तो हर जगह पे ये छोटे छोटे काटे गए गई हे...आप इसे ही रहो में निकल देता हु...मेने एक एक कर मां के हाथ पैर से काटे निकल दिए..."मां जरा उलटा लेट जाओ..." "क्यों बेटा क्या हुआ" "मां आप के ब्लाउज में भी चले गई है काटे में निकल देता हु आप बस लेती रहिए"

मां का बदन इसे मचल उठा जैसे उनको बिजली का झटका लगा हो...फिर भी मां बेटे के आगे नतमस्तक होकर उलटी हो गई...मां के स्तन में भी काटे गड़ चुके थे जो उन्हे बड़ा दर्द दे रहे थे इस लिए मां को मेरी बात सही लगी... यहां वैसे भी कोई नही था...और मां कोई ऐसी औरत नहीं थी जो अपने बेटे से खुद के नंगे पन को छुपाती हो...वो पूरी तरह से सहज रहती थी...लेकिन शर्म तो आने से मां रोक नही पाती क्यों की काफी साल बाद में मां के नंगे स्तनों को देखने वाला था....और मां के स्तन भी दूध आने से बड़े उत्तेजित हो गए थे....

मेने धीरे से मां का हुक खोल दिया...मेरे सामने मां की ब्रा का हुक आया जिसे मेने बिना मां से पूछे ही खोल दिया...मां को ये बात बड़ी कामुक लगी...की मेने मां से बिना पूछे ही मां की ब्रा को खोल दिया...मां कुछ बोले इस से पहले ही में मां की पीठ पे लगे काटे निकलने लगा...मां की तेज तेज दर्द भरी आहे निकल गई...."आह बेटा बड़ा बदमाश हो गया हे तु मां से बिना पूछे ही मां की ब्रा खोल दी" मुझे मां का ये अंदाज और उत्तेजित करने लगा..."मां माफ करना हो आप का दर्द देखा नही जाता...मां हल्का से ऊपर हो जाओ में पूरा निकाल दू ये कपड़ा परेशान कर रहा मुझे"

मां मेरी बाद इसे मां ली जैसे में उसका पति हु और मेने उनका ब्लाउज धीरे से उनके हाथ तक ले आया और मां ne अपने हाथ हवा में उठा दिए और मेने बिना देर किए मां का ब्लाउज दूर फेक दिया....मां ने मेरी हटकर देखी और वो अपनी हालत पे शर्म से सिर जुका दी...में मां की अदा का दीवाना हो गया... मेने बिना कुछ सोचे ही मां की पीठ को सहला के प्यार से चूम लिया...मां की तो हालत खराब हो गई...

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वो हकला सा उछल पड़ी...और उनकी एक तेज दर्द भरी आह निकल गई...."बेटा क्या कर रहा है... वहा मत चूम पागल है क्या..." "मां आप की ये कितनी मुलायम ही है जैसे मखन हो...और फिर से चूम लिया..." "हट बदमाश क्या हुआ है तुझे गंदा है वहा...कितना पसीना है छी.."
मेने मां के पसीने को होठों से चूस लिया..."मां आप का पसीना तो सहद से मीठा है" "क्या बोल रहा है चल आगे से निकल दे"

मां आगे हुए और मुझे इतने सालो बाद मेरी मां के बड़े बड़े सुडोल स्तनों के दर्शन हो गए...में मेरे जीवन में पहली बार कैसी के स्तन सच में देख रहा था...में पागल हो गया था...मेरा लिंग अपने आप मां के स्तन देख पेंट फाड़ के बाहर आने को तैयार था...मेरा बदन पसीने से भीग गया था...जबकि यह बहुत ठंड थी...मां का भी यही हाल था...मेने अपना भीगा हुआ शर्ट निकाल...में अब बनियान में था...मां के स्तन जरा भी लटके नहीं थे...किसी कुंवारी लड़की से भी अधिक कसे हुए थे सायद ड्रग्स का काम था...मां के निप्पल एक दम गुलाबी थे...जो एक दम तन के खड़े थे...जो मुझे चीख चीख के बोल रहे थे हमे चूस लो....

मां के गोरे बदन पे दो बड़े बड़े आम जिस में भरपूर मात्रा में अमूर्त भरा था मुझे पागल बना रहे थे...

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मेरे हाथ काप रहे थी मेने धीरे मां के स्तन पे लगे काटे को निकाल दिया...मां को जोरो की सिसकारी निकल गई...में भी डर गया...मां लेकिन अजीब अजीब तरह से मुंह बना रही थी...जैसे अपने जिस्म को काबू में करने को ना काम कोशिश कर रही हो...उन्हें इसे तड़पता देख में बहुत डर गया.....


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"मां क्या हुआ आप को...फिर से दर्द हो रहा है क्या..." "हा बेटा तू चला जा यहां से आह...मेरे लाल थोड़ी देर बाहर निकल जा..." "क्यों मां आप को क्या हुआ हे में आप यहां ऐसी हालत मे नही छोड़ सकत"

मां तुरत खड़ी हुए और दूसरी और मुंह कर बैठ गई...आई सुकून भरी आह भरी...मेरे कानो में एक तेज धार की आवाज आई....

मां थोड़ी देर शांत सी हो गई...और वो फिर से दर्द से तड़प उठी...आह मेरे लाल...तू अपनी मां को इतना दर्द क्यों दे रहा है... बेटा ये देख तेरी मां तेरे लिए कितना दूध बना रही है.. आजा मेरे लाल...मां की गोद में आजा...

मां एक दम से मेरी और हुए और मेरे मुंह में अपने सीने से लगा दी...में जैसे दूसरे ही पल अपने बचबपन के चला गया और मां के स्तन को किसी बच्चे जैसे चूसने लगा...लेकिन में तेज तेज रफ्तार से मुंह चला रहा था..."आह आह मेरे बच्चे सूरज बेटा में यही हु बेटा आराम से पी मेरे बच्चे सब तेरा ही है... आह काट क्यों रहा है बदमाश..."

मेरा दूसरा हाथ मां के दूसरे स्तन को पकड़ लेता है लेकिन मां तुरत मेरे हाथ को पकड़ के दूर कर दी....

milk-money-feeding.gif
कुछ ही देर में मां के एक स्तन का दूध खतम हो गया लेकिन में मां के निपल्स को चूसे जा रहा था..."मेरे बच्चे खतम हो गया दूसरा ले..." और मां अपना दूसरा स्तन मुझे पिलाने लगी...मां बड़े प्यार से मुझे अब गोद में लेकर दूध पिला रही थी और मेरे सर को सहला रही थी....में मां के स्तन को मुंह में भरा हुआ अपने बचपन में खो सा गया...और मां का सारा दूध खतम हो गया...वही में इतना दूध पी लिया था की मेरी नींद लग गई और में मां की गोद में ही सो गया....मां ने भी अपना भीगा ब्लाउज पहनना ठीक नही समझा...

तभी मेरी फोन की रिंग बजी....कॉल पापा का था....

Bahut hi zabardast update he Underground Life Bro,

Aakhirkar dono maa bete ke beech shuruwat ho hi gayi..........

Keep posting Bro
 

Ajju Landwalia

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Update 21

में दादाजी की बात का स्विकार कर चुका था...में मां के पैरो को सहलाने लगा और धीरे से मां का पेटीकोट उठाते हुए खड़ा होने लगा और... मां कुछ समझ पाती उस से पहले ही मेने मां के पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया...और मां के मखन जैसे पैरो को छूता हुए उनका हरा पेटीकोट जमीन पे गिर पड़ा... मां पूरी नहीं हो चुकी थी...अब बस मां की फूलो वाली पेंटी उनकी योनि को मेरी नजर से बचा रही थी.. मां अपने नंगे पन के अहसास से हड़बड़ा उठी...और कुछ करती उस से पहले ही मेने मां की पेंटी को पकड़ लिया वही मां ने भी पेंटी को कस के पकड़ लिया..."बेटा ये मत कर में तेरी मां हू...क्या हो गया है तुझे...मां रोते हुए बोली"

मेने अपनी पूरी शक्ति से मां की पेंटी को खींचा और पेंटी फटने की आवाज के साथ मां पूरी नंगी हो चुकी थी...वो अपनी बालो से भरी योनि को अपने हाथो से ढक लीं...और भाग के बाहर चली गई...मां की गोल मटोल गांड़ जब मां भागी मटक मटक के मुझे उत्तेजित करने लगी....

मेने मां को फट से भाग के पकड़ लिया और अपनी बाहों में भर उनके होठों पर अपने होठ रख दिए...मां अपन होठ नही खोली और गुस्से में लाल हो गई...और मुझे दो दूर कर मेरे गाल पे चार पांच थप्पड़ जड़ दिए....में मां को देख हकला सा मुस्कुरा दिया... दादाजी के साथ मां का संभोग देख में बड़ा उत्तेजित हो गया था और मां का डर जैसे अब मुझे रहा नही था आखिर मेरे दादाजी पिता ने मुझे खुद कहा था मां को यौन सुख देने को....

मेने मां के सामने ही मेरे सारे कपड़े निकाल दिए...मेरा विशाल कला लिंग मां की आखों के सामने था जो बार बार मां के नंगे बदन को देख फन फना रहा था...मां ये सब देख अपनी योनि से पानी छोड़ दी...मां को योनि में कुछ कुछ होने लगा था... मुझे लगा जैसे मां को दादाजी ने ही कुछ दिया है जिस मां इतनी मादक और कामुक हो गई थी....

मां के स्तन पूरी तरह से खड़े थे उनके निप्पल तने हुए मुझे अपनी और आकर्षित कर रहे थे..और मेरे लिंग में और तनाव डाल रहे थे...वही मां की सास तेज हो गई थी...उनके बड़े स्तन ऊपर नीचे होने लगे थे....

"मां आप ने अपने बेटे से इतना गुस्सा क्यों... देखिए अपने बेटे की और आप बेटा आप के लिए तड़प रहा है...मां आप को ऐसी हालत में देख तो कोई मारा हुए भी जिंदा हो जाई... मां आप के ये स्तन देखिए जैसे कोई पके हुए रस से भरे आम हो..मां मेने आप जैसा बदन आज तक नही देखा...मां आप को भोगे बीना आज ये बैठने नही वाला..मां अपने बेटे को प्यार करने दो मां....

मेने मां को उठा लिया और घास में लेटा दिया...मां एकदम से शांत हो गई थी...जैसे मुझे अपने जिस्म को भोगने देने को तैयार हो चुकी हो....मेने बिना देर किए...मां के पैर खोले...मां तड़प उठी..."बेटा रूक जा ये क्यों कर रहा है में तुझे क्या बोलूं बेटा अपनी मां को जाने दे..."
"मां आप डरो मत कैसी को कुछ पता नहीं चलेगा...में आप को दुनिया की हर खुशी दूंगा...मां आप यू तड़प रही हो और मुझे रोक भी रही हो..." मेने मां की योनि में एक उंगली डाल दी और मां को सहलाने लगा...मां की एक तेज सिसक निकल गई..."आउच...बेटा नहीं रुक जा नही तो..."
"मां में तो रुक जाऊंगा लेकिन आप की योनि की आग का क्या होगा देखिए कैसे आग लगी हुई है इस में...मां आप मुझे मत रोको... मां में आप का ही बेटा हु आप से इतना प्यार करता हु आप भी करती हो...आज हमारा मिलन होने दो आप ये रात कभी नही भूलोगे..."

और मां ने शर्म अपनी आखें बन्द कर दी...मैने धीरे से मां को योनि पे अपना लिंग रखा और...हकला सा अंदर सरखा दिया...मां दर्द से तड़प उठी...मुझे अपनी बाहों में भर ली...और मैने एक तेज धक्का लगाया और मां दर्द से रोने लगी...मां की सील चकना चूर हो गई..."आह निकल दे बेटा में नहीं के सकती आह..." और मां ने दर्द में मेरी पीठ को पूरा नोच डाला...मेने अपना लिंग कुछ देर मां की योनि में रखा और मां को प्यार करने लगा...और फिर मेने मां को बोला..."मां आज से तुम मेरी हो... यहा देखो" और मैने अपना लिंग बाहर निकल मां को दिखाया जो पूरा खून से लाल हो गया था...मैने दूसरे ही पल मां को तेज तेज रफ्तार से हर तरह से भोगने लगा...मैने मां के स्तन को काट काट लाल कर दिया था...वही मां के बाल को मेने हाथ में पकड़ मां को तेज तेज गेंदबाज से पेल रहा था...मां की कामुक आवाजे पूरे खेत में दूर तक गूंज रही थी....

मां की आखों से दर्द से आसू निकल रहे थे जिसे देख में और अधिक उत्तेजित हो गया और में मां को बडी बेरहमी से भोगने लगा...मेने मां को गोद में उठा के बाहर बारिश में खड़े खड़े चोदने लगा...मां मेरी बाहों में किसी बच्चे जैसे चुप गई..."आह बेटा धीरे मेरे लाल...मजे आदत नही"
"मां अब आदत डाल लो आज पहली रात है इस लिए प्यार से भोग रहा हु आप की जवानी कल से तो आप को ऐसा दर्द मिलेगा की आप दादाजी को भूल जाओगे..." मां अपना पानी निकाल दी दादाजी का सुन के....


मेने मां को बारिश में ही नीचे लेटा दिया और तेज तेज रफ्तार से मां को पेले जा रहा था....

मैने 2 घंटे तक मां को लगातार चोदा...और आखिर में अपना सारा वीर्य मां की बच्चेदानी में डाल दिया..."मां में आ रहा हु आह मां तुन्हारिर योनि तो मेरा सारा पानी निचोड़ दी...मां मुझे एक बेटी चाइए....

"बेटा तूने इतना पानी अंदर निकला है की में कल ही पक्का गर्भवती हो जाऊंगी बदमाश... बिलकुल अपने पापा पे गया है...वो भी पहली बार में ही मेरी कोख भर दी और आज तूने...

में और मां सुबह तक एक दूसरे से प्यार करते रहे...

और घर जाके मेने पारुल को भी पूरी तरह से अपना लिया और रोज रात को उसकी दर्द से चीखे निकल देता...

और इस के फल स्वरूप मां और पारुल एक साथ मेरे बच्चे को अपने पेट में ठहरा ली....

मां और मेरी एक बेटी हुए और पारुल के साथ मुझे एक बेटा हुआ....

में रोजाना पहले पारुल को भोगता और उसे सुला के मां के कमरे में ही पापा के बगल में ही मां को नंगा कर मां को दर्दे देता... पापा भी एक दिन हम मां बेटे को संभोग करने देख लिए लेकिन कुछ बोल नहीं पाई... बोलते भी क्या अपनी पत्नी को इतना खुश पहली बार देख रहे थे संभोग करते हुए...

The End.......


मेने ये कहानी थोड़ा शॉर्ट में लिख खतम कर दी..नही तो सायद ये कहानी अधूरी रह जाती...और में इसे ऐसे बीच में नहीं छोड़ना चाहता....

मिलते हे कभी किसी और कहानी के साथ...

Bahut hi badhiya tarah se kahani ka end kiya aapne Underground Life bhai

Chahte to is kahani ko 20-25 pages tak aur khinch sakte the...........lekin achcha kiya sahi samay par end kar diya..................

Agli kahani ka intezar rahega Bhai
 

sunoanuj

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में दादाजी की बात का स्विकार कर चुका था...में मां के पैरो को सहलाने लगा और धीरे से मां का पेटीकोट उठाते हुए खड़ा होने लगा और... मां कुछ समझ पाती उस से पहले ही मेने मां के पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया...और मां के मखन जैसे पैरो को छूता हुए उनका हरा पेटीकोट जमीन पे गिर पड़ा... मां पूरी नहीं हो चुकी थी...अब बस मां की फूलो वाली पेंटी उनकी योनि को मेरी नजर से बचा रही थी.. मां अपने नंगे पन के अहसास से हड़बड़ा उठी...और कुछ करती उस से पहले ही मेने मां की पेंटी को पकड़ लिया वही मां ने भी पेंटी को कस के पकड़ लिया..."बेटा ये मत कर में तेरी मां हू...क्या हो गया है तुझे...मां रोते हुए बोली"

मेने अपनी पूरी शक्ति से मां की पेंटी को खींचा और पेंटी फटने की आवाज के साथ मां पूरी नंगी हो चुकी थी...वो अपनी बालो से भरी योनि को अपने हाथो से ढक लीं...और भाग के बाहर चली गई...मां की गोल मटोल गांड़ जब मां भागी मटक मटक के मुझे उत्तेजित करने लगी....

मेने मां को फट से भाग के पकड़ लिया और अपनी बाहों में भर उनके होठों पर अपने होठ रख दिए...मां अपन होठ नही खोली और गुस्से में लाल हो गई...और मुझे दो दूर कर मेरे गाल पे चार पांच थप्पड़ जड़ दिए....में मां को देख हकला सा मुस्कुरा दिया... दादाजी के साथ मां का संभोग देख में बड़ा उत्तेजित हो गया था और मां का डर जैसे अब मुझे रहा नही था आखिर मेरे दादाजी पिता ने मुझे खुद कहा था मां को यौन सुख देने को....

मेने मां के सामने ही मेरे सारे कपड़े निकाल दिए...मेरा विशाल कला लिंग मां की आखों के सामने था जो बार बार मां के नंगे बदन को देख फन फना रहा था...मां ये सब देख अपनी योनि से पानी छोड़ दी...मां को योनि में कुछ कुछ होने लगा था... मुझे लगा जैसे मां को दादाजी ने ही कुछ दिया है जिस मां इतनी मादक और कामुक हो गई थी....

मां के स्तन पूरी तरह से खड़े थे उनके निप्पल तने हुए मुझे अपनी और आकर्षित कर रहे थे..और मेरे लिंग में और तनाव डाल रहे थे...वही मां की सास तेज हो गई थी...उनके बड़े स्तन ऊपर नीचे होने लगे थे....

"मां आप ने अपने बेटे से इतना गुस्सा क्यों... देखिए अपने बेटे की और आप बेटा आप के लिए तड़प रहा है...मां आप को ऐसी हालत में देख तो कोई मारा हुए भी जिंदा हो जाई... मां आप के ये स्तन देखिए जैसे कोई पके हुए रस से भरे आम हो..मां मेने आप जैसा बदन आज तक नही देखा...मां आप को भोगे बीना आज ये बैठने नही वाला..मां अपने बेटे को प्यार करने दो मां....

मेने मां को उठा लिया और घास में लेटा दिया...मां एकदम से शांत हो गई थी...जैसे मुझे अपने जिस्म को भोगने देने को तैयार हो चुकी हो....मेने बिना देर किए...मां के पैर खोले...मां तड़प उठी..."बेटा रूक जा ये क्यों कर रहा है में तुझे क्या बोलूं बेटा अपनी मां को जाने दे..."
"मां आप डरो मत कैसी को कुछ पता नहीं चलेगा...में आप को दुनिया की हर खुशी दूंगा...मां आप यू तड़प रही हो और मुझे रोक भी रही हो..." मेने मां की योनि में एक उंगली डाल दी और मां को सहलाने लगा...मां की एक तेज सिसक निकल गई..."आउच...बेटा नहीं रुक जा नही तो..."
"मां में तो रुक जाऊंगा लेकिन आप की योनि की आग का क्या होगा देखिए कैसे आग लगी हुई है इस में...मां आप मुझे मत रोको... मां में आप का ही बेटा हु आप से इतना प्यार करता हु आप भी करती हो...आज हमारा मिलन होने दो आप ये रात कभी नही भूलोगे..."

और मां ने शर्म अपनी आखें बन्द कर दी...मैने धीरे से मां को योनि पे अपना लिंग रखा और...हकला सा अंदर सरखा दिया...मां दर्द से तड़प उठी...मुझे अपनी बाहों में भर ली...और मैने एक तेज धक्का लगाया और मां दर्द से रोने लगी...मां की सील चकना चूर हो गई..."आह निकल दे बेटा में नहीं के सकती आह..." और मां ने दर्द में मेरी पीठ को पूरा नोच डाला...मेने अपना लिंग कुछ देर मां की योनि में रखा और मां को प्यार करने लगा...और फिर मेने मां को बोला..."मां आज से तुम मेरी हो... यहा देखो" और मैने अपना लिंग बाहर निकल मां को दिखाया जो पूरा खून से लाल हो गया था...मैने दूसरे ही पल मां को तेज तेज रफ्तार से हर तरह से भोगने लगा...मैने मां के स्तन को काट काट लाल कर दिया था...वही मां के बाल को मेने हाथ में पकड़ मां को तेज तेज गेंदबाज से पेल रहा था...मां की कामुक आवाजे पूरे खेत में दूर तक गूंज रही थी....

मां की आखों से दर्द से आसू निकल रहे थे जिसे देख में और अधिक उत्तेजित हो गया और में मां को बडी बेरहमी से भोगने लगा...मेने मां को गोद में उठा के बाहर बारिश में खड़े खड़े चोदने लगा...मां मेरी बाहों में किसी बच्चे जैसे चुप गई..."आह बेटा धीरे मेरे लाल...मजे आदत नही"
"मां अब आदत डाल लो आज पहली रात है इस लिए प्यार से भोग रहा हु आप की जवानी कल से तो आप को ऐसा दर्द मिलेगा की आप दादाजी को भूल जाओगे..." मां अपना पानी निकाल दी दादाजी का सुन के....


मेने मां को बारिश में ही नीचे लेटा दिया और तेज तेज रफ्तार से मां को पेले जा रहा था....

मैने 2 घंटे तक मां को लगातार चोदा...और आखिर में अपना सारा वीर्य मां की बच्चेदानी में डाल दिया..."मां में आ रहा हु आह मां तुन्हारिर योनि तो मेरा सारा पानी निचोड़ दी...मां मुझे एक बेटी चाइए....

"बेटा तूने इतना पानी अंदर निकला है की में कल ही पक्का गर्भवती हो जाऊंगी बदमाश... बिलकुल अपने पापा पे गया है...वो भी पहली बार में ही मेरी कोख भर दी और आज तूने...

में और मां सुबह तक एक दूसरे से प्यार करते रहे...

और घर जाके मेने पारुल को भी पूरी तरह से अपना लिया और रोज रात को उसकी दर्द से चीखे निकल देता...

और इस के फल स्वरूप मां और पारुल एक साथ मेरे बच्चे को अपने पेट में ठहरा ली....

मां और मेरी एक बेटी हुए और पारुल के साथ मुझे एक बेटा हुआ....

में रोजाना पहले पारुल को भोगता और उसे सुला के मां के कमरे में ही पापा के बगल में ही मां को नंगा कर मां को दर्दे देता... पापा भी एक दिन हम मां बेटे को संभोग करने देख लिए लेकिन कुछ बोल नहीं पाई... बोलते भी क्या अपनी पत्नी को इतना खुश पहली बार देख रहे थे संभोग करते हुए...

The End.......


मेने ये कहानी थोड़ा शॉर्ट में लिख खतम कर दी..नही तो सायद ये कहानी अधूरी रह जाती...और में इसे ऐसे बीच में नहीं छोड़ना चाहता....

मिलते हे कभी किसी और कहानी के साथ...
बहुत ही अद्भुत कहानी ! और आपसे पूर्णतः सहमत हूँ किसी भी कहानी को अधूरी छोड़ देने से अच्छा है कि उसको थोड़ी गति दे कर पूर्णता दे !

बहुत ही सुन्दर रचना है आपकी !

👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👌👌👌
 
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में दादाजी की बात का स्विकार कर चुका था...में मां के पैरो को सहलाने लगा और धीरे से मां का पेटीकोट उठाते हुए खड़ा होने लगा और... मां कुछ समझ पाती उस से पहले ही मेने मां के पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया...और मां के मखन जैसे पैरो को छूता हुए उनका हरा पेटीकोट जमीन पे गिर पड़ा... मां पूरी नहीं हो चुकी थी...अब बस मां की फूलो वाली पेंटी उनकी योनि को मेरी नजर से बचा रही थी.. मां अपने नंगे पन के अहसास से हड़बड़ा उठी...और कुछ करती उस से पहले ही मेने मां की पेंटी को पकड़ लिया वही मां ने भी पेंटी को कस के पकड़ लिया..."बेटा ये मत कर में तेरी मां हू...क्या हो गया है तुझे...मां रोते हुए बोली"

मेने अपनी पूरी शक्ति से मां की पेंटी को खींचा और पेंटी फटने की आवाज के साथ मां पूरी नंगी हो चुकी थी...वो अपनी बालो से भरी योनि को अपने हाथो से ढक लीं...और भाग के बाहर चली गई...मां की गोल मटोल गांड़ जब मां भागी मटक मटक के मुझे उत्तेजित करने लगी....

मेने मां को फट से भाग के पकड़ लिया और अपनी बाहों में भर उनके होठों पर अपने होठ रख दिए...मां अपन होठ नही खोली और गुस्से में लाल हो गई...और मुझे दो दूर कर मेरे गाल पे चार पांच थप्पड़ जड़ दिए....में मां को देख हकला सा मुस्कुरा दिया... दादाजी के साथ मां का संभोग देख में बड़ा उत्तेजित हो गया था और मां का डर जैसे अब मुझे रहा नही था आखिर मेरे दादाजी पिता ने मुझे खुद कहा था मां को यौन सुख देने को....

मेने मां के सामने ही मेरे सारे कपड़े निकाल दिए...मेरा विशाल कला लिंग मां की आखों के सामने था जो बार बार मां के नंगे बदन को देख फन फना रहा था...मां ये सब देख अपनी योनि से पानी छोड़ दी...मां को योनि में कुछ कुछ होने लगा था... मुझे लगा जैसे मां को दादाजी ने ही कुछ दिया है जिस मां इतनी मादक और कामुक हो गई थी....

मां के स्तन पूरी तरह से खड़े थे उनके निप्पल तने हुए मुझे अपनी और आकर्षित कर रहे थे..और मेरे लिंग में और तनाव डाल रहे थे...वही मां की सास तेज हो गई थी...उनके बड़े स्तन ऊपर नीचे होने लगे थे....

"मां आप ने अपने बेटे से इतना गुस्सा क्यों... देखिए अपने बेटे की और आप बेटा आप के लिए तड़प रहा है...मां आप को ऐसी हालत में देख तो कोई मारा हुए भी जिंदा हो जाई... मां आप के ये स्तन देखिए जैसे कोई पके हुए रस से भरे आम हो..मां मेने आप जैसा बदन आज तक नही देखा...मां आप को भोगे बीना आज ये बैठने नही वाला..मां अपने बेटे को प्यार करने दो मां....

मेने मां को उठा लिया और घास में लेटा दिया...मां एकदम से शांत हो गई थी...जैसे मुझे अपने जिस्म को भोगने देने को तैयार हो चुकी हो....मेने बिना देर किए...मां के पैर खोले...मां तड़प उठी..."बेटा रूक जा ये क्यों कर रहा है में तुझे क्या बोलूं बेटा अपनी मां को जाने दे..."
"मां आप डरो मत कैसी को कुछ पता नहीं चलेगा...में आप को दुनिया की हर खुशी दूंगा...मां आप यू तड़प रही हो और मुझे रोक भी रही हो..." मेने मां की योनि में एक उंगली डाल दी और मां को सहलाने लगा...मां की एक तेज सिसक निकल गई..."आउच...बेटा नहीं रुक जा नही तो..."
"मां में तो रुक जाऊंगा लेकिन आप की योनि की आग का क्या होगा देखिए कैसे आग लगी हुई है इस में...मां आप मुझे मत रोको... मां में आप का ही बेटा हु आप से इतना प्यार करता हु आप भी करती हो...आज हमारा मिलन होने दो आप ये रात कभी नही भूलोगे..."

और मां ने शर्म अपनी आखें बन्द कर दी...मैने धीरे से मां को योनि पे अपना लिंग रखा और...हकला सा अंदर सरखा दिया...मां दर्द से तड़प उठी...मुझे अपनी बाहों में भर ली...और मैने एक तेज धक्का लगाया और मां दर्द से रोने लगी...मां की सील चकना चूर हो गई..."आह निकल दे बेटा में नहीं के सकती आह..." और मां ने दर्द में मेरी पीठ को पूरा नोच डाला...मेने अपना लिंग कुछ देर मां की योनि में रखा और मां को प्यार करने लगा...और फिर मेने मां को बोला..."मां आज से तुम मेरी हो... यहा देखो" और मैने अपना लिंग बाहर निकल मां को दिखाया जो पूरा खून से लाल हो गया था...मैने दूसरे ही पल मां को तेज तेज रफ्तार से हर तरह से भोगने लगा...मैने मां के स्तन को काट काट लाल कर दिया था...वही मां के बाल को मेने हाथ में पकड़ मां को तेज तेज गेंदबाज से पेल रहा था...मां की कामुक आवाजे पूरे खेत में दूर तक गूंज रही थी....

मां की आखों से दर्द से आसू निकल रहे थे जिसे देख में और अधिक उत्तेजित हो गया और में मां को बडी बेरहमी से भोगने लगा...मेने मां को गोद में उठा के बाहर बारिश में खड़े खड़े चोदने लगा...मां मेरी बाहों में किसी बच्चे जैसे चुप गई..."आह बेटा धीरे मेरे लाल...मजे आदत नही"
"मां अब आदत डाल लो आज पहली रात है इस लिए प्यार से भोग रहा हु आप की जवानी कल से तो आप को ऐसा दर्द मिलेगा की आप दादाजी को भूल जाओगे..." मां अपना पानी निकाल दी दादाजी का सुन के....


मेने मां को बारिश में ही नीचे लेटा दिया और तेज तेज रफ्तार से मां को पेले जा रहा था....

मैने 2 घंटे तक मां को लगातार चोदा...और आखिर में अपना सारा वीर्य मां की बच्चेदानी में डाल दिया..."मां में आ रहा हु आह मां तुन्हारिर योनि तो मेरा सारा पानी निचोड़ दी...मां मुझे एक बेटी चाइए....

"बेटा तूने इतना पानी अंदर निकला है की में कल ही पक्का गर्भवती हो जाऊंगी बदमाश... बिलकुल अपने पापा पे गया है...वो भी पहली बार में ही मेरी कोख भर दी और आज तूने...

में और मां सुबह तक एक दूसरे से प्यार करते रहे...

और घर जाके मेने पारुल को भी पूरी तरह से अपना लिया और रोज रात को उसकी दर्द से चीखे निकल देता...

और इस के फल स्वरूप मां और पारुल एक साथ मेरे बच्चे को अपने पेट में ठहरा ली....

मां और मेरी एक बेटी हुए और पारुल के साथ मुझे एक बेटा हुआ....

में रोजाना पहले पारुल को भोगता और उसे सुला के मां के कमरे में ही पापा के बगल में ही मां को नंगा कर मां को दर्दे देता... पापा भी एक दिन हम मां बेटे को संभोग करने देख लिए लेकिन कुछ बोल नहीं पाई... बोलते भी क्या अपनी पत्नी को इतना खुश पहली बार देख रहे थे संभोग करते हुए...

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मेने ये कहानी थोड़ा शॉर्ट में लिख खतम कर दी..नही तो सायद ये कहानी अधूरी रह जाती...और में इसे ऐसे बीच में नहीं छोड़ना चाहता....

मिलते हे कभी किसी और कहानी के साथ...
Are bhai itni jaldi kese story ka the end kar diya aapne pahele hero maa ko seduce karke chodta phir apni parul ko chodta phor dono ke saath threesome karta phir aage jaake story ka samapan hota tumne to itni jaldi hi story khatam kardi 🤨🤨
 
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Underground Life

Your Cute Smile Make Me Melt Like Ice
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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक समापन हुआ कहानी का लेकिन ये कहानी बडी और जबरदस्त होती
खैर

Bahut hi badhiya update he Underground Life Bro,

To suraj hi apni maa ko ye drugs de raha tha...............

Lekin doctor ko drugs kaun de raha he.................ya fir vo khud apni marzi se le rahi he.........

Keep posting Bro

Bahut hi zabardast update he Underground Life Bro,

Aakhirkar dono maa bete ke beech shuruwat ho hi gayi..........

Keep posting Bro

Bahut hi badhiya tarah se kahani ka end kiya aapne Underground Life bhai

Chahte to is kahani ko 20-25 pages tak aur khinch sakte the...........lekin achcha kiya sahi samay par end kar diya..................

Agli kahani ka intezar rahega Bhai

Good one at least ab koi update ke liye tang nahi karega। Do come back with another intresting story

बहुत ही अद्भुत कहानी ! और आपसे पूर्णतः सहमत हूँ किसी भी कहानी को अधूरी छोड़ देने से अच्छा है कि उसको थोड़ी गति दे कर पूर्णता दे !

बहुत ही सुन्दर रचना है आपकी !

👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👌👌👌

Are bhai itni jaldi kese story ka the end kar diya aapne pahele hero maa ko seduce karke chodta phir apni parul ko chodta phor dono ke saath threesome karta phir aage jaake story ka samapan hota tumne to itni jaldi hi story khatam kardi 🤨🤨

Kya bro itni jaldi khatm krdi story abhi to isme bhut potential baki tha

Thanks to all
 
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