बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक समापन हुआ कहानी का लेकिन ये कहानी बडी और जबरदस्त होतीUpdate 21
में दादाजी की बात का स्विकार कर चुका था...में मां के पैरो को सहलाने लगा और धीरे से मां का पेटीकोट उठाते हुए खड़ा होने लगा और... मां कुछ समझ पाती उस से पहले ही मेने मां के पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया...और मां के मखन जैसे पैरो को छूता हुए उनका हरा पेटीकोट जमीन पे गिर पड़ा... मां पूरी नहीं हो चुकी थी...अब बस मां की फूलो वाली पेंटी उनकी योनि को मेरी नजर से बचा रही थी.. मां अपने नंगे पन के अहसास से हड़बड़ा उठी...और कुछ करती उस से पहले ही मेने मां की पेंटी को पकड़ लिया वही मां ने भी पेंटी को कस के पकड़ लिया..."बेटा ये मत कर में तेरी मां हू...क्या हो गया है तुझे...मां रोते हुए बोली"
मेने अपनी पूरी शक्ति से मां की पेंटी को खींचा और पेंटी फटने की आवाज के साथ मां पूरी नंगी हो चुकी थी...वो अपनी बालो से भरी योनि को अपने हाथो से ढक लीं...और भाग के बाहर चली गई...मां की गोल मटोल गांड़ जब मां भागी मटक मटक के मुझे उत्तेजित करने लगी....
मेने मां को फट से भाग के पकड़ लिया और अपनी बाहों में भर उनके होठों पर अपने होठ रख दिए...मां अपन होठ नही खोली और गुस्से में लाल हो गई...और मुझे दो दूर कर मेरे गाल पे चार पांच थप्पड़ जड़ दिए....में मां को देख हकला सा मुस्कुरा दिया... दादाजी के साथ मां का संभोग देख में बड़ा उत्तेजित हो गया था और मां का डर जैसे अब मुझे रहा नही था आखिर मेरे दादाजी पिता ने मुझे खुद कहा था मां को यौन सुख देने को....
मेने मां के सामने ही मेरे सारे कपड़े निकाल दिए...मेरा विशाल कला लिंग मां की आखों के सामने था जो बार बार मां के नंगे बदन को देख फन फना रहा था...मां ये सब देख अपनी योनि से पानी छोड़ दी...मां को योनि में कुछ कुछ होने लगा था... मुझे लगा जैसे मां को दादाजी ने ही कुछ दिया है जिस मां इतनी मादक और कामुक हो गई थी....
मां के स्तन पूरी तरह से खड़े थे उनके निप्पल तने हुए मुझे अपनी और आकर्षित कर रहे थे..और मेरे लिंग में और तनाव डाल रहे थे...वही मां की सास तेज हो गई थी...उनके बड़े स्तन ऊपर नीचे होने लगे थे....
"मां आप ने अपने बेटे से इतना गुस्सा क्यों... देखिए अपने बेटे की और आप बेटा आप के लिए तड़प रहा है...मां आप को ऐसी हालत में देख तो कोई मारा हुए भी जिंदा हो जाई... मां आप के ये स्तन देखिए जैसे कोई पके हुए रस से भरे आम हो..मां मेने आप जैसा बदन आज तक नही देखा...मां आप को भोगे बीना आज ये बैठने नही वाला..मां अपने बेटे को प्यार करने दो मां....
मेने मां को उठा लिया और घास में लेटा दिया...मां एकदम से शांत हो गई थी...जैसे मुझे अपने जिस्म को भोगने देने को तैयार हो चुकी हो....मेने बिना देर किए...मां के पैर खोले...मां तड़प उठी..."बेटा रूक जा ये क्यों कर रहा है में तुझे क्या बोलूं बेटा अपनी मां को जाने दे..."
"मां आप डरो मत कैसी को कुछ पता नहीं चलेगा...में आप को दुनिया की हर खुशी दूंगा...मां आप यू तड़प रही हो और मुझे रोक भी रही हो..." मेने मां की योनि में एक उंगली डाल दी और मां को सहलाने लगा...मां की एक तेज सिसक निकल गई..."आउच...बेटा नहीं रुक जा नही तो..."
"मां में तो रुक जाऊंगा लेकिन आप की योनि की आग का क्या होगा देखिए कैसे आग लगी हुई है इस में...मां आप मुझे मत रोको... मां में आप का ही बेटा हु आप से इतना प्यार करता हु आप भी करती हो...आज हमारा मिलन होने दो आप ये रात कभी नही भूलोगे..."
और मां ने शर्म अपनी आखें बन्द कर दी...मैने धीरे से मां को योनि पे अपना लिंग रखा और...हकला सा अंदर सरखा दिया...मां दर्द से तड़प उठी...मुझे अपनी बाहों में भर ली...और मैने एक तेज धक्का लगाया और मां दर्द से रोने लगी...मां की सील चकना चूर हो गई..."आह निकल दे बेटा में नहीं के सकती आह..." और मां ने दर्द में मेरी पीठ को पूरा नोच डाला...मेने अपना लिंग कुछ देर मां की योनि में रखा और मां को प्यार करने लगा...और फिर मेने मां को बोला..."मां आज से तुम मेरी हो... यहा देखो" और मैने अपना लिंग बाहर निकल मां को दिखाया जो पूरा खून से लाल हो गया था...मैने दूसरे ही पल मां को तेज तेज रफ्तार से हर तरह से भोगने लगा...मैने मां के स्तन को काट काट लाल कर दिया था...वही मां के बाल को मेने हाथ में पकड़ मां को तेज तेज गेंदबाज से पेल रहा था...मां की कामुक आवाजे पूरे खेत में दूर तक गूंज रही थी....
मां की आखों से दर्द से आसू निकल रहे थे जिसे देख में और अधिक उत्तेजित हो गया और में मां को बडी बेरहमी से भोगने लगा...मेने मां को गोद में उठा के बाहर बारिश में खड़े खड़े चोदने लगा...मां मेरी बाहों में किसी बच्चे जैसे चुप गई..."आह बेटा धीरे मेरे लाल...मजे आदत नही"
"मां अब आदत डाल लो आज पहली रात है इस लिए प्यार से भोग रहा हु आप की जवानी कल से तो आप को ऐसा दर्द मिलेगा की आप दादाजी को भूल जाओगे..." मां अपना पानी निकाल दी दादाजी का सुन के....
मेने मां को बारिश में ही नीचे लेटा दिया और तेज तेज रफ्तार से मां को पेले जा रहा था....
मैने 2 घंटे तक मां को लगातार चोदा...और आखिर में अपना सारा वीर्य मां की बच्चेदानी में डाल दिया..."मां में आ रहा हु आह मां तुन्हारिर योनि तो मेरा सारा पानी निचोड़ दी...मां मुझे एक बेटी चाइए....
"बेटा तूने इतना पानी अंदर निकला है की में कल ही पक्का गर्भवती हो जाऊंगी बदमाश... बिलकुल अपने पापा पे गया है...वो भी पहली बार में ही मेरी कोख भर दी और आज तूने...
में और मां सुबह तक एक दूसरे से प्यार करते रहे...
और घर जाके मेने पारुल को भी पूरी तरह से अपना लिया और रोज रात को उसकी दर्द से चीखे निकल देता...
और इस के फल स्वरूप मां और पारुल एक साथ मेरे बच्चे को अपने पेट में ठहरा ली....
मां और मेरी एक बेटी हुए और पारुल के साथ मुझे एक बेटा हुआ....
में रोजाना पहले पारुल को भोगता और उसे सुला के मां के कमरे में ही पापा के बगल में ही मां को नंगा कर मां को दर्दे देता... पापा भी एक दिन हम मां बेटे को संभोग करने देख लिए लेकिन कुछ बोल नहीं पाई... बोलते भी क्या अपनी पत्नी को इतना खुश पहली बार देख रहे थे संभोग करते हुए...
The End.......
मेने ये कहानी थोड़ा शॉर्ट में लिख खतम कर दी..नही तो सायद ये कहानी अधूरी रह जाती...और में इसे ऐसे बीच में नहीं छोड़ना चाहता....
मिलते हे कभी किसी और कहानी के साथ...
खैर