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Romance ❤️स्पंदना❤️

Kala Nag

Mr. X
Prime
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144
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है ज़िन्दगी की गाड़ी बड़ी मुश्किल से चल रही हैं
बहुत बहुत शुक्रिया बस साथ जुड़े रहें
 

Kala Nag

Mr. X
Prime
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❤️तीसरा अपडेट❤️
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शाम को अंतस और रमेश ढेर सारा मिठाई लेकर घर पहुँचते हैं l क्यूँकी जैसे ही घर पर काम शुरू हो गया था पूरे मुहल्ले में लोगों तक खबर फैल चुका था और लोग बारी बारी से आकर माँ और बेटी से खबर की पुष्टि करा चुके थे और मिठाइयाँ बांटने के लिए कह चुके थे l दोनों स्कुटर से उतर कर घर की ओर देखते हैं l घर की हालत अब एकदम से बदल चुकी थी l सुबह घर से गए थे तब घर पुराना सा लग रहा था, पर अब! वह आदमी जो सुबह घर को रेनोवेट करने आया था, वह शायद अंतस का इंतजार कर रहा था, जैसे ही अंतस को देखा वह पास आया

आदमी - सर हमने हमारे पूरे टीम के साथ आपके घर के सारे कार्पेट एरिया में मैट फ्लोरिंग कर दिया है l वॉल में जितने क्रैक्स थे सब में वॉल पुट्टी लगा कर ब्लोअर से ऐक्रिलिक पैंट स्प्रे कर दिया है l ज्यादा काम करना नहीं पड़ा क्यूँकी घर बहुत मजबूत है, होप यू मे लाइक l

अंतस घर की ओर देखता है, उसकी माँ और दोनों बहने उसे देख कर बाहर आते हैं l घर के पाँच सदस्य घर को बाहर से निहारने लगते हैं l

अंतस - (आदमी से) आपने बहुत बढ़िया काम किया है l यकीन नहीं होता, आप अपनी टीम के साथ एक ही दिन में इतने कम कर दिए l
आदमी - सर बहुत माइनर काम था, कोई नया बिल्डिंग नहीं खड़ा कर रहे थे l
अंतस - तो अब
आदमी - हमें इजाजत दीजिए, हम चलते हैं और हाँ कुछ बाकी रह गया हो तो फोन पर बता दीजिएगा हम आकर काम निपटा कर जाएंगे l
अरविंद - अरे ऐसे कैसे मिठाई तो खाकर जाइए l
आदमी - ठीक है दीजिए

अरविंद एक मिठाई का पैकेट देता है, मिठाई का पैकेट लेकर वह आदमी अपने साथियों को इशारा करता है, सभी बाहर चले जाते हैं l अंतस देखता है बस्ती वाले उन्हें और उनके घर की ओर देखे जा रहे हैं l गीता समझ जाती है l

गीता - मम्मा, घर के बाहर एक नजर उतारने वाली पुतला लटकाना पड़ेगा नहीं तो लोगों की नजरें लग जाएँगी l
लक्ष्मी - सिर्फ घर के लिए ही नहीं, तेरे भाई को भी लोगों की नजरों से बचाने के लिए टोना टोटका करना पड़ेगा l

सभी हँस देते हैं और अंदर चले जाने लगते हैं l अंदर जाते वक़्त अरविंद अपनी तिरछी नजर से बस्ती वालों को देखता है l कुछ नजरें हैरान थी, कुछ नजरें परेशान थी, कुछ नजरों में ईर्ष्या थी l पास पड़ोसियों की मन में चल रहे द्वंद और पीड़ा अरविंद को एक अजीब सी खुशी दे रही थी l सभी अंदर आ जाते हैं l

अरविंद - अरे मैं तो भूल ही गया l
लक्ष्मी - क्या, क्या भूल गए
अरविंद - पूरे बस्ती में मिठाई जो बाँटनी है l
अंतस - तो ठीक है ना पापा , मैं बाँट देता हूँ l
अरविंद - अरे नहीं, आज की मिठाई मैंने अपने पैसों से खरीदी है, इसलिए बाँटने की खुशी भी मुझे मिलनी चाहिए l

इतना कह कर अरविंद वापस मुड़ जाता है और बाहर चला जाता है l घर के अंदर बहुत काम हो चुका था l दीवारों से ऐक्रिलिक पैंट की खुशबु आ रही थी l फर्श पर मैट फ्लोरिंग भी हो चुकी थी l लक्ष्मी अंतस को तैयार होने के लिए कहती है l अंतस जब तक तैयार हो कर आता है तो देखता है उसकी माँ और दोनों बहने एक जगह दुबकी खड़ी हैं l आवाज से पता लग जाता है अरविंद लौट चुका था l पर घर पर एक और शख्स भी आया हुआ था l लाला जिसने अरविंद को देर सवेर उधार दे रखा था l जैसे ही लाला अंतस को देखता है

लाला - वाह अंतस बेटा वाह, तुमने जब बुलावा भेजा था तो सोच में था क्यूँ बुलाया है l अब जब बस्ती में से आ रहा था, तब मालूम हुआ, तुम्हारी नौकरी लग गई है, बहुत अच्छा हुआ l मिठाई नहीं खिलाओगे l
अंतस - क्यूँ नहीं लाला जी, पहले यह बताइए मैंने आपसे जो कहा था आप लेकर आए हैं l
लाला - हाँ, लाया हूँ और तुम
अंतस - मैं भी लाया हूँ, काम की बात कर लें l
लाला - हाँ हाँ क्यूँ नहीं

अंतस ऑफिस से जो बैग लेकर आया था उस बैग में से कुछ नोटों की बंडल लेकर लाला के सामने रख देता है l सिर्फ लाला की ही नहीं अंतस के परिवार वालों की आँखे फैल जाती हैं l लाला भी अपने बैग से घर की कागजात और उधारी लेन देन की कागजात निकालता है l अंतस भी अपने बैग से उधारी चुकता होने की कोर्ट के स्टैम्प पेपर लाया था l लाला पैसा लेता है बदले में दोनों कागजात अंतस के हाथों में दे देता है और अंतस अपने कागजातों में लाला के दस्तखत ले लेता है l अब जो कुछ हो रहा था अरविंद लक्ष्मी कल्याणी और गीता आँखे फाड़ कर देख रहे थे l सारे काम ख़तम होने के बाद

लाला - लो सारे काम अब निपट गए l तुम पर अब मेरा कोई उधार बाकी नहीं रहा, तुमने सब चुकता कर दिया l
अंतस - एक उधार बाकी रह गया है लाला l जिसे अभी चुकता किए देता हूँ l
लाला - कैसा उधार
अंतस - परसों, तुम मेरे घर आए थे, पापा को पैसे तो दिए, मगर, उसके साथ तुमने कुछ किया था, याद है
लाला - (एक बेशर्मी की हँसी हँसते हुए) अरे बेटा वह, मैं तो बस (अपनी बात पूरा कर पाता चटाक की आवाज़ घर के अंदर गूँज उठती है) (लाला आँखे फाड़ कर अंतस को देख रहा था)
अंतस - लाला, मैं चाहूँ तो तेरी इज़्ज़त मटिया मेट कर सकता हूँ, पर हमारे बुरे वक़्त में तूने साथ दिया था l इसी बात का खयाल रखते हुए बस इतना कहूँगा, मेरी दीदी से माफी माँग ले l वर्ना तुझे मैं मारते मारते इस घर से घसीटते हुए तेरे घर के सामने फेंक आऊँगा l

जिस लहजे में यह बात अंतस ने कही थी लाला सिर से लेकर पाँव तक कांप जाता है l चेहरे पर डर साफ दिख रहा था l अंतस इशारे से कल्याणी को पास बुलाता है l कल्याणी अंतस का यह रूप देख कर हैरान थी l वह भी डरते हुए अंतस के पास आकर खड़ी हो जाती है l लाला अपना गाल सहलाते हुए कभी अंतस को कभी कल्याणी को देख रहा था l

अंतस - दीदी, लाला की गाल बजाते रहना जब तक तुमसे माफी ना मांग ले l

लाला तुनक कर खड़ा हो जाता है l इससे पहले वह कुछ और प्रतिक्रिया दे पाता कल्याणी जोर से एक थप्पड़ रसीद कर देती है l

लाला - (डरते हकलाते हुए) क क कल्याणी, बेटी, म म मुझे माफ कर दो l
अंतस - लाला, हमारे जरूरत के वक़्त तुने मदत करी, इसीलिए इन चार दीवारों के बीच तेरी दी हुई जिल्लत लौटा दिया l वर्ना यह मुहल्ले के बीचोबीच हो सकता था l (अंतस अपनी जगह से उठता है लाला के कंधे पर हाथ रख कर बाहर दरवाजे तक ले जाता है) लाला हमसे जितना हुआ, शायद तेरे खाते से भी ज्यादा तुझे लौटा दिया l अब ना तो हम कभी तेरे पास जाएंगे, ना ही तू कभी हमारी ओर देखना l वर्ना पता नहीं मैं क्या कर जाऊँगा l

लाला को बाहर छोड़ अंतस अंदर आता है l घर के चारों सदस्य हैरत भरे नजर में अपना अपना मुहँ फाड़े अंतस को देख रहे थे l

अंतस - क्या हुआ, मैंने कुछ गलत किया..?
लक्ष्मी - नहीं पर तेरे पास इतने पैसे..?
अरविंद - तुझे ऑफिस से इतने पैसे कैसे मिले..?
अंतस - मैंने पाँच साल के लिए आधी सैलरी सरेंडर कर पचास लाख का लोन ले लिया है l अब जो तनख्वाह महीने में एक लाख सत्तर हजार मिलनी थी वह अब अस्सी हजार हो गई l उतना हमारे लिए काफी है l क्यूँ कुछ गलत किया क्या
अरविंद - अरे नहीं बिल्कुल नहीं


~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

पुलिस इंट्रोगेशन रूम
जहाँ रमेश एक टेबल से हथकड़ी से बंधा हुआ है l एक बड़े रैंक वाला कोई पुलिस ऑफिसर आता है, रमेश के सामने बैठ जाता है l उसके बाद वह कमरा पूरी तरह से खाली हो जाता है l

पुलिस ऑफिसर - हाँ तो रमेश कुमार पुरोहित, क्या जानते हो मैं कौन हूँ l
रमेश - (रोनी सूरत बना कर) जी नहीं सहाब जी l
ऑफिसर - मैं कमिश्नर संकर्षण पटनायक l तुम्हारा केस ही इतना खास है कि मुझे आना पड़ा l
रमेश - सर, (रोते हुए) मैं सच कहता हूँ, जो हुआ वह एक एक्सीडेंट था l मैं अपना रुटीन के प्रकार दारु पी रहा था, फिर वह भविष्य आया, उसने मुझे खूब दारू अपने तरफ से पिलाया, इतना कि मैं बेहोश होगा l जब होश आया खुद को ह्युमन ऑर्गन स्मगलरों के कब्जे में पाया l किसी तरह खुद को छुड़ा कर भाग गया, पर जिस पुलिस ऑफिसर से टकराया उसीने मुझे धोखे से बंदूक की नोक पर उनके हवाले कर दिया l मैंने अपनी जान बचाने के लिए आखिरी कोशिश की, उस पुलिस ऑफिसर से बंदूक छीना झपटी से, गोली चल गई l
कमिश्नर - हाँ और हमारा वह ऑफिसर ज़ख्मी हो गया l और इत्तेफाक से गोली चलने के बाद ही पुलिस वहाँ पहुँच गई, केस दूसरा था पर केस बना कुछ और, तुम रंगे हाथ पकड़े गए l
रमेश - जी सर,
कमिश्नर - देखो रमेश, केस चाहे जो भी हो, जो गन बरामद हुई, वह सरकारी नहीं थी, उस पर तुम्हारे उंगलियों के निशान मिले, सबसे अहम बात, तुम्हारे हाथ में गन पाउडर मिले l
रमेश - सर वह गन मेरा नहीं है, और जो भी हुआ एक्सीडेंट था l
कमिश्नर - साबित कैसे होगा...? हम अपनी डिपार्टमेंट की इज़्ज़त भी तो खतरे में नहीं डाल सकते l
रमेश - सर मैं बेगुनाह हूँ l
कमिश्नर - मान लेता हूँ, तुम पर यकीन कैसे किया जाए l तुमने अपने बारे में, पूरी जानकारी भी नहीं दी l
रमेश - मैंने, कुछ नहीं छुपाया है सर l
कमिश्नर - तुम शादी शुदा हो, और अपने ससुराल के बारे में, बात तो तुमने छुपाई ना, क्यूँ....?
रमेश - (सिर झुका लेता है)
कमिश्नर - अब जब तुम्हारे बारे में इंक्वायरी किया गया, तब मालूम हुआ के तुम शादी शुदा हो, हाँ यह बात और है कि अपनी शादी से खुश नहीं हो, तुमने अपनी पत्नी को स्वीकार नहीं किया है अब तक l क्या मैं सच कह रहा हूँ l
रमेश - (झुके हुए सिर को हिला कर अपनी स्वीकृति देता है)
कमिश्नर - पर यही शादी अब तुम्हें इस जंजाल से बचा सकता है, (हैरत के मारे रमेश कमिश्नर की तरफ देखता है) हाँ, वर्ना, तुम्हें कोई नहीं बचा सकता l
रमेश - मैं समझा नहीं सर,
कमिश्नर - कोई बात नहीं, तुम्हें अभी पता चल जाएगा l

कह कर कमिश्नर कमरे से निकल जाता है l थोड़ी देर बाद एक सफ़ेद शूट पहने एक आदमी अंदर आता है l जिस कुर्सी पर थोड़ी देर पहले कमिश्नर बैठा था उसी कुर्सी पर बैठ जाता है l रमेश उस आदमी को गौर से देख रहा था l

आदमी - रमेश, मैं कोई भूमिका नहीं बाँध रहा हूँ, सीधे मुद्दे पर आता हूँ l मेरा नाम जय देव प्रहराज है l पूरे कॉर्पोरेट वर्ल्ड में मुझे जेडी कहते हैं, खारबेल ग्रुप्स एंटरप्राइजेज का ओनर l
रमेश - आ आ आप, यहाँ, मैं, मतलब
जेडी - मेरी बात खत्म हो जाने दो l (रमेश चुप हो जाता है) मेरे कंपनी में जब भी कोई नया एम्प्लॉइ आता है, मेरा एच आर सेक्शन उसकी पूरी कुंडली निकालती है l परसों मेरी कंपनी में अंतस कुमार विद्यापति नामका बंदा जॉइन किया l क्या नाता है तुम्हारा उसके साथ
रमेश - जी वह (कुछ नहीं कहता)
जेडी - हम्म्म, तुम्हारा साला है, पर तुम्हें स्वीकारने में हिचकिचाहट हो रही है, बड़ा काम का बंदा है इसलिये उसकी इंक्वायरी करने पर उसके घर में एक जो अशांति है वह तुम्हारे कारण है ऐसा पता चला l
रमेश - आपने इंक्वायरी की..?
जेडी - हाँ, मेरी सारे कंपनीज, नेशनल रेपुट रखते हैं l इसलिए इस कंपटीटीव वर्ल्ड में हम उन एंप्लॉइज को रखना पसंद करते हैं जो दिमागी और शारीरिक तंदुरूस्ती रखते हैं l पर जो खास होते हैं हम उनके दिमागी तंदुरूस्ती का खयाल रखते हैं l तुम्हें कल्याणी क्यूँ स्वीकार नहीं है..?
रमेश - (वैसे ही अपना सिर झुकाए बैठा रहा कोई जवाब नहीं दिया)
जेडी - (एक लड़की की फोटो निकाल कर टेबल पर रख देता है) यही वह लड़की है, मालती! है ना, जिसकी वज़ह से तुमने अपने जीवन में कल्याणी को स्वीकार नहीं किया l
रमेश - (अपना सिर हिला कर हाँ कहता है)
जेडी - अब मैं पूरी बात बताता हूँ, तुम्हारे माँ बाप को मालती पसंद नहीं थी इसलिए उन्होंने मालती को नकार दिया बदले में उन्होंने कल्याणी को पसंद किया l तुमने उनकी जिद रखने के लिए कल्याणी से शादी तो कर लिया पर उसे स्वीकार नहीं किया l कल्याणी को उसकी फूटी किस्मत के सहारे उसके घर पर छोड़ दिया l
रमेश - (दबी आवाज में) यह मेरा निजी मामला है l
जेडी - हाँ, यह तुम्हारा निजी मामला है पर यह मालती अच्छी लड़की नहीं है l
रमेश - जेडी साहब, मैं आपकी अभी तक इज़्ज़त देकर सुन रहा हूँ l
जेडी - हाँ बस पाँच मिनट और सुन लो l (कह कर चार और फोटो निकाल कर टेबल पर रख देता है) मालती, एक चालाक लड़की है, तुम बस उसकी टाइम पास हो l उसकी चालाकी और चार और टाइम पास देखो l (रमेश उन फोटोस को देखने लगता है हैरत और संदेह की नज़र से जेडी को देखने लगता है) मैं समझ सकता हूँ, तुम मुझे शक की दृष्टी से देख रहे हो, मैं अपनी बात को पुष्टि करने के लिए सबूत लाया हूँ l (जेडी अपने कोट से टेबलेट निकल कर कुछ वीडियोज दिखाता है, सारे वीडियोज देख कर रमेश के आँखों में आँसू आ जाते हैं)
रमेश - यह सब आपको कैसे मिले l
जेडी - देखो रमेश मुझे कैसे मिले वह इम्पोर्टेंट नहीं है, तुम अभी मुसीबत में फंसे हुए हो, मैं तुम्हें इस मुसीबत से निकाल लूँगा l बदले में तुम मालती को छोड़ दो और कल्याणी को अपना लो l कल्याणी बहुत ही अच्छी लड़की है l (रमेश चुप रहता है) देखो रमेश, चालाक और अक्लमंद में फर्क़ होता है l चालाक वह, जो दूसरों को बेवक़ूफ़ बना सके, और अक्लमंद वह जो किसीकी भी चालाकी में ना फंसे l फ़िलहाल अब तक तुम बेवक़ूफ़ बने हुए हो l फैसला तुम करो तुम्हें अक्लमंद होना है या चालाक l क्यूंकि बेवक़ूफ़ दोनों के आगे पानी भरता है l (रमेश फिर भी खामोश रहता है) वेल मेरा वक़्त अब खत्म हो गया l लगता है तुम्हें मेरी बात पसंद नहीं आई l
रमेश - नहीं ऐसी बात नहीं है l जेडी साहब आप कौन हैं चालाक या अक्लमंद l
जेडी - बेवक़ूफ़ कह सकते हो l जो अपने एंप्लॉई के लिए पुलिस से सेटेलमेंट करने आ गया l

इतना कह कर जेडी कुर्सी से उठता है, सारे फोटोस समेट कर टेबलेट के सहित अपने कोट के अंदर रखता है l जब दरवाजे तक जेडी पहुँचता है तब रमेश पीछे से आवाज देता है

"जेडी साहब"

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अंतस को जब एहसास होता है कि सभी सो गए हैं तब वह अपनी बिस्तर पर करवट बदलता है l पिछले दिनों उसके साथ जो कुछ हुआ था उसे याद करने लगता है l अचानक उसके ख़यालों में खलल पड़ता है, उसे एहसास होता है कि जैसे कोई उसके बेड के पास बैठ उसे देख रहा है l वह मुड़ कर देखता है उसके सिरहाने उसकी माँ बैठी हुई है l झटपट उठ बैठता है l अंतस के उठ जाने से लक्ष्मी थोड़ी डर जाती है l

लक्ष्मी - (धीमी आवाज में) बेटा, सॉरी, सॉरी मैं बस
अंतस - (धीमी आवाज में) मम्मा क्या बात है
लक्ष्मी - श्श्श..,
अंतस - ओके मम्मा, क्या बात है l तुम सोई क्यूँ नहीं l
लक्ष्मी - बेटा, सो नहीं पा रही हूँ, नींद ही नहीं आ रही है l
अंतस - क्या, क्यूँ ?
लक्ष्मी - छोटे बच्चों को नींद ना आए तो माँ लोरी गा कर दुलार कर झूठ बोल कर सुला देती है l पर मेरी नींद, बेटा या तो तू झूठ बोल रहा है, या फिर पूरा सच नहीं कहा l
अंतस - ऐसा क्यूँ कह रही हो माँ l
लक्ष्मी - कल सुबह तेरे पापा का तुझे डांटना, फिर तेरा रूठ कर चले जाना l शाम को घर लौट कर नौकरी की खुश खबर देना l आज घर पर मैट फ्लोरिंग से लेकर दीवारों पर रंग लग जाना l इस काम के लिए एक बड़ी टीम मुस्तैदी के साथ लगे रहना, उस पुलिस वाले का तेरे पापा को ढूँढ ढूँढ कर पैसे लौटा देना l आखिर में लाला का घर पर आना, तेरा इतने सारे पैसों का इंतजाम कर उसे लौटना, घर के कागजात हासिल करना, तेरी दीदी से उसकी पिटाई और तेरा उसे धमकी दे कर घर से बाहर कर देना l क्या यह सब हमारे बस की बात थी, या है l (अंतस की हाथ को अपने सिर पर रख कर) खा मेरी सौगंध, तु किसी गलत रास्ते पर तो नहीं चला गया है l
अंतस - मम्मा क्या तुम्हें अपने परवरिश, अपने दूध पर विश्वास नहीं
लक्ष्मी - सब सपने जैसा लग रहा है, क्या मैं नींद में हूँ, कहीं यह सपना टूट गया तो, तो हकीकत बर्दास्त करना मेरे बूते नहीं होगा l
अंतस - मम्मा, मैं तेरी सौगंध खा कर कह रहा हूँ, मैंने नौकरी के नाम पर ऐसा कोई काम नहीं किया है जिसके लिए मेरा या हमारे परिवार के किसी भी सदस्य का सिर नीचे हो जाए l
लक्ष्मी - ओह, अब जाकर मेरे दिल को सुकून मिला l
अंतस - जाओ मम्मा, अब तो जाकर सो जाओ l
लक्ष्मी - हाँ हाँ, तू भी सो जा, अब सब जब ठीक हो रहा है बस बड़ी की भी कुछ अच्छा हो जाए l

कह कर लक्ष्मी वहाँ से चली जाती है l उसके जाने के बाद अंतस की आँखों से कुछ आँसू की बूंदे गिर जाती हैं l एक गहरी साँस लेकर मन ही मन कहता है

"तुमने सच कहा माँ, मैंने सबसे आधा सच ही कहा है l पर जितना सच तुम सब जानते हो वही इस परिवार की खुशी और आने वाले सुनहरे भविष्य के लिए जरूरी है l"

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~


एक विशेष कमरा जहां रमेश कुछ कागजातों पर दस्तखत कर रहा है l जब सारे कागजातों पर दस्तखत कर देता है तब कमिश्नर उसे कहता है

कमिश्नर - तो रमेश, जो भी हुआ वह एक क्राइम था l चाहे अनचाहे तुम उस क्राइम का पार्ट हो गए हो l फ़िलहाल जेडी साहब ने सेटलमेंट कर दिया है l इसलिए अब यह फाइल धूल खाती रहेगी l पर इतना याद रहे जब तक जेडी साहब के गुड बुक में तुम्हारा नाम होगा तब तक तुम्हें कोई खतरा नहीं है l जिस दिन तुम्हारा नाम हट गया उस दिन तुम पर कानूनी एक्शन ऑटो ट्रिगर हो जाएगा l
रमेश - जी मैं समझ गया, जिस बंदूक से गोली चली, वह सरकारी नहीं थी यानी उसका मालिक आपने मुझे बना दिया है, उस पर मेरी उंगलियों के निशान मिले हैं l अब मुझे अपनी पुरानी बेवकूफी छोडकर आज की अभी की अक्लमंदी दिखानी और मैंटैंन करनी होगी l
कमिश्नर - गुड, नाउ यू मे लिव

रमेश वहाँ से बाहर चले जाता है l उसके जाने के बाद कमरे में जेडी आता है l

जेडी - थैंक्यू कमिश्नर
कमिश्नर - अरे यार किस बात की थैंक्यू, फ्री में नहीं किया है किसीने l सबने अपना अपना हिस्सा लिया है l
जेडी - फिर भी पुलिस का साथ मिला वह भी मेरे एक एंप्लॉय के लिए,
कमिश्नर - क्या नाम था उसका, हाँ अंतस, उसके लिए इतना कुछ कर दिया, लगता है बहुत खास है
जेडी - हाँ बहुत ही खास है, बंदा लाखों में एक है, करोड़ों में नेक है l इतना तो उसके लिए बनता है
कमिश्नर - तुम्हें क्या लगता है, यह रमेश अंतस की बहन को अपना लेगा l
जेडी - फ़िलहाल तो ऐसा ही मुझे लग रहा है, इतना सब कुछ उसके सामने रखने के बाद बेवकूफ़ी तो नहीं करेगा l
कमिश्नर - हाँ मुझे भी यही लगता है,
जेडी - हाँ तुम्हारे हिस्से एक काम बाकी रह गया है
कमिश्नर - फ़िकर नॉट, अब वह लोग कभी भी रमेश के आँखों के सामने नहीं आयेंगे l मैंने सबका इंतजाम कर दिया है और तुमने भी है उनको सेटलमेंट भी दे दिया है
 

Alok

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अति उत्तम अपडेट Kala Nag भाई।।।

लेकिन अंतस में ऐसा क्या खास है जो जे डी साहब उसके लिए इतना कर रहे हैं।।
 

dhparikh

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❤️तीसरा अपडेट❤️
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शाम को अंतस और रमेश ढेर सारा मिठाई लेकर घर पहुँचते हैं l क्यूँकी जैसे ही घर पर काम शुरू हो गया था पूरे मुहल्ले में लोगों तक खबर फैल चुका था और लोग बारी बारी से आकर माँ और बेटी से खबर की पुष्टि करा चुके थे और मिठाइयाँ बांटने के लिए कह चुके थे l दोनों स्कुटर से उतर कर घर की ओर देखते हैं l घर की हालत अब एकदम से बदल चुकी थी l सुबह घर से गए थे तब घर पुराना सा लग रहा था, पर अब! वह आदमी जो सुबह घर को रेनोवेट करने आया था, वह शायद अंतस का इंतजार कर रहा था, जैसे ही अंतस को देखा वह पास आया

आदमी - सर हमने हमारे पूरे टीम के साथ आपके घर के सारे कार्पेट एरिया में मैट फ्लोरिंग कर दिया है l वॉल में जितने क्रैक्स थे सब में वॉल पुट्टी लगा कर ब्लोअर से ऐक्रिलिक पैंट स्प्रे कर दिया है l ज्यादा काम करना नहीं पड़ा क्यूँकी घर बहुत मजबूत है, होप यू मे लाइक l

अंतस घर की ओर देखता है, उसकी माँ और दोनों बहने उसे देख कर बाहर आते हैं l घर के पाँच सदस्य घर को बाहर से निहारने लगते हैं l

अंतस - (आदमी से) आपने बहुत बढ़िया काम किया है l यकीन नहीं होता, आप अपनी टीम के साथ एक ही दिन में इतने कम कर दिए l
आदमी - सर बहुत माइनर काम था, कोई नया बिल्डिंग नहीं खड़ा कर रहे थे l
अंतस - तो अब
आदमी - हमें इजाजत दीजिए, हम चलते हैं और हाँ कुछ बाकी रह गया हो तो फोन पर बता दीजिएगा हम आकर काम निपटा कर जाएंगे l
अरविंद - अरे ऐसे कैसे मिठाई तो खाकर जाइए l
आदमी - ठीक है दीजिए

अरविंद एक मिठाई का पैकेट देता है, मिठाई का पैकेट लेकर वह आदमी अपने साथियों को इशारा करता है, सभी बाहर चले जाते हैं l अंतस देखता है बस्ती वाले उन्हें और उनके घर की ओर देखे जा रहे हैं l गीता समझ जाती है l

गीता - मम्मा, घर के बाहर एक नजर उतारने वाली पुतला लटकाना पड़ेगा नहीं तो लोगों की नजरें लग जाएँगी l
लक्ष्मी - सिर्फ घर के लिए ही नहीं, तेरे भाई को भी लोगों की नजरों से बचाने के लिए टोना टोटका करना पड़ेगा l

सभी हँस देते हैं और अंदर चले जाने लगते हैं l अंदर जाते वक़्त अरविंद अपनी तिरछी नजर से बस्ती वालों को देखता है l कुछ नजरें हैरान थी, कुछ नजरें परेशान थी, कुछ नजरों में ईर्ष्या थी l पास पड़ोसियों की मन में चल रहे द्वंद और पीड़ा अरविंद को एक अजीब सी खुशी दे रही थी l सभी अंदर आ जाते हैं l

अरविंद - अरे मैं तो भूल ही गया l
लक्ष्मी - क्या, क्या भूल गए
अरविंद - पूरे बस्ती में मिठाई जो बाँटनी है l
अंतस - तो ठीक है ना पापा , मैं बाँट देता हूँ l
अरविंद - अरे नहीं, आज की मिठाई मैंने अपने पैसों से खरीदी है, इसलिए बाँटने की खुशी भी मुझे मिलनी चाहिए l

इतना कह कर अरविंद वापस मुड़ जाता है और बाहर चला जाता है l घर के अंदर बहुत काम हो चुका था l दीवारों से ऐक्रिलिक पैंट की खुशबु आ रही थी l फर्श पर मैट फ्लोरिंग भी हो चुकी थी l लक्ष्मी अंतस को तैयार होने के लिए कहती है l अंतस जब तक तैयार हो कर आता है तो देखता है उसकी माँ और दोनों बहने एक जगह दुबकी खड़ी हैं l आवाज से पता लग जाता है अरविंद लौट चुका था l पर घर पर एक और शख्स भी आया हुआ था l लाला जिसने अरविंद को देर सवेर उधार दे रखा था l जैसे ही लाला अंतस को देखता है

लाला - वाह अंतस बेटा वाह, तुमने जब बुलावा भेजा था तो सोच में था क्यूँ बुलाया है l अब जब बस्ती में से आ रहा था, तब मालूम हुआ, तुम्हारी नौकरी लग गई है, बहुत अच्छा हुआ l मिठाई नहीं खिलाओगे l
अंतस - क्यूँ नहीं लाला जी, पहले यह बताइए मैंने आपसे जो कहा था आप लेकर आए हैं l
लाला - हाँ, लाया हूँ और तुम
अंतस - मैं भी लाया हूँ, काम की बात कर लें l
लाला - हाँ हाँ क्यूँ नहीं

अंतस ऑफिस से जो बैग लेकर आया था उस बैग में से कुछ नोटों की बंडल लेकर लाला के सामने रख देता है l सिर्फ लाला की ही नहीं अंतस के परिवार वालों की आँखे फैल जाती हैं l लाला भी अपने बैग से घर की कागजात और उधारी लेन देन की कागजात निकालता है l अंतस भी अपने बैग से उधारी चुकता होने की कोर्ट के स्टैम्प पेपर लाया था l लाला पैसा लेता है बदले में दोनों कागजात अंतस के हाथों में दे देता है और अंतस अपने कागजातों में लाला के दस्तखत ले लेता है l अब जो कुछ हो रहा था अरविंद लक्ष्मी कल्याणी और गीता आँखे फाड़ कर देख रहे थे l सारे काम ख़तम होने के बाद

लाला - लो सारे काम अब निपट गए l तुम पर अब मेरा कोई उधार बाकी नहीं रहा, तुमने सब चुकता कर दिया l
अंतस - एक उधार बाकी रह गया है लाला l जिसे अभी चुकता किए देता हूँ l
लाला - कैसा उधार
अंतस - परसों, तुम मेरे घर आए थे, पापा को पैसे तो दिए, मगर, उसके साथ तुमने कुछ किया था, याद है
लाला - (एक बेशर्मी की हँसी हँसते हुए) अरे बेटा वह, मैं तो बस (अपनी बात पूरा कर पाता चटाक की आवाज़ घर के अंदर गूँज उठती है) (लाला आँखे फाड़ कर अंतस को देख रहा था)
अंतस - लाला, मैं चाहूँ तो तेरी इज़्ज़त मटिया मेट कर सकता हूँ, पर हमारे बुरे वक़्त में तूने साथ दिया था l इसी बात का खयाल रखते हुए बस इतना कहूँगा, मेरी दीदी से माफी माँग ले l वर्ना तुझे मैं मारते मारते इस घर से घसीटते हुए तेरे घर के सामने फेंक आऊँगा l

जिस लहजे में यह बात अंतस ने कही थी लाला सिर से लेकर पाँव तक कांप जाता है l चेहरे पर डर साफ दिख रहा था l अंतस इशारे से कल्याणी को पास बुलाता है l कल्याणी अंतस का यह रूप देख कर हैरान थी l वह भी डरते हुए अंतस के पास आकर खड़ी हो जाती है l लाला अपना गाल सहलाते हुए कभी अंतस को कभी कल्याणी को देख रहा था l

अंतस - दीदी, लाला की गाल बजाते रहना जब तक तुमसे माफी ना मांग ले l

लाला तुनक कर खड़ा हो जाता है l इससे पहले वह कुछ और प्रतिक्रिया दे पाता कल्याणी जोर से एक थप्पड़ रसीद कर देती है l

लाला - (डरते हकलाते हुए) क क कल्याणी, बेटी, म म मुझे माफ कर दो l
अंतस - लाला, हमारे जरूरत के वक़्त तुने मदत करी, इसीलिए इन चार दीवारों के बीच तेरी दी हुई जिल्लत लौटा दिया l वर्ना यह मुहल्ले के बीचोबीच हो सकता था l (अंतस अपनी जगह से उठता है लाला के कंधे पर हाथ रख कर बाहर दरवाजे तक ले जाता है) लाला हमसे जितना हुआ, शायद तेरे खाते से भी ज्यादा तुझे लौटा दिया l अब ना तो हम कभी तेरे पास जाएंगे, ना ही तू कभी हमारी ओर देखना l वर्ना पता नहीं मैं क्या कर जाऊँगा l

लाला को बाहर छोड़ अंतस अंदर आता है l घर के चारों सदस्य हैरत भरे नजर में अपना अपना मुहँ फाड़े अंतस को देख रहे थे l

अंतस - क्या हुआ, मैंने कुछ गलत किया..?
लक्ष्मी - नहीं पर तेरे पास इतने पैसे..?
अरविंद - तुझे ऑफिस से इतने पैसे कैसे मिले..?
अंतस - मैंने पाँच साल के लिए आधी सैलरी सरेंडर कर पचास लाख का लोन ले लिया है l अब जो तनख्वाह महीने में एक लाख सत्तर हजार मिलनी थी वह अब अस्सी हजार हो गई l उतना हमारे लिए काफी है l क्यूँ कुछ गलत किया क्या
अरविंद - अरे नहीं बिल्कुल नहीं


~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

पुलिस इंट्रोगेशन रूम
जहाँ रमेश एक टेबल से हथकड़ी से बंधा हुआ है l एक बड़े रैंक वाला कोई पुलिस ऑफिसर आता है, रमेश के सामने बैठ जाता है l उसके बाद वह कमरा पूरी तरह से खाली हो जाता है l

पुलिस ऑफिसर - हाँ तो रमेश कुमार पुरोहित, क्या जानते हो मैं कौन हूँ l
रमेश - (रोनी सूरत बना कर) जी नहीं सहाब जी l
ऑफिसर - मैं कमिश्नर संकर्षण पटनायक l तुम्हारा केस ही इतना खास है कि मुझे आना पड़ा l
रमेश - सर, (रोते हुए) मैं सच कहता हूँ, जो हुआ वह एक एक्सीडेंट था l मैं अपना रुटीन के प्रकार दारु पी रहा था, फिर वह भविष्य आया, उसने मुझे खूब दारू अपने तरफ से पिलाया, इतना कि मैं बेहोश होगा l जब होश आया खुद को ह्युमन ऑर्गन स्मगलरों के कब्जे में पाया l किसी तरह खुद को छुड़ा कर भाग गया, पर जिस पुलिस ऑफिसर से टकराया उसीने मुझे धोखे से बंदूक की नोक पर उनके हवाले कर दिया l मैंने अपनी जान बचाने के लिए आखिरी कोशिश की, उस पुलिस ऑफिसर से बंदूक छीना झपटी से, गोली चल गई l
कमिश्नर - हाँ और हमारा वह ऑफिसर ज़ख्मी हो गया l और इत्तेफाक से गोली चलने के बाद ही पुलिस वहाँ पहुँच गई, केस दूसरा था पर केस बना कुछ और, तुम रंगे हाथ पकड़े गए l
रमेश - जी सर,
कमिश्नर - देखो रमेश, केस चाहे जो भी हो, जो गन बरामद हुई, वह सरकारी नहीं थी, उस पर तुम्हारे उंगलियों के निशान मिले, सबसे अहम बात, तुम्हारे हाथ में गन पाउडर मिले l
रमेश - सर वह गन मेरा नहीं है, और जो भी हुआ एक्सीडेंट था l
कमिश्नर - साबित कैसे होगा...? हम अपनी डिपार्टमेंट की इज़्ज़त भी तो खतरे में नहीं डाल सकते l
रमेश - सर मैं बेगुनाह हूँ l
कमिश्नर - मान लेता हूँ, तुम पर यकीन कैसे किया जाए l तुमने अपने बारे में, पूरी जानकारी भी नहीं दी l
रमेश - मैंने, कुछ नहीं छुपाया है सर l
कमिश्नर - तुम शादी शुदा हो, और अपने ससुराल के बारे में, बात तो तुमने छुपाई ना, क्यूँ....?
रमेश - (सिर झुका लेता है)
कमिश्नर - अब जब तुम्हारे बारे में इंक्वायरी किया गया, तब मालूम हुआ के तुम शादी शुदा हो, हाँ यह बात और है कि अपनी शादी से खुश नहीं हो, तुमने अपनी पत्नी को स्वीकार नहीं किया है अब तक l क्या मैं सच कह रहा हूँ l
रमेश - (झुके हुए सिर को हिला कर अपनी स्वीकृति देता है)
कमिश्नर - पर यही शादी अब तुम्हें इस जंजाल से बचा सकता है, (हैरत के मारे रमेश कमिश्नर की तरफ देखता है) हाँ, वर्ना, तुम्हें कोई नहीं बचा सकता l
रमेश - मैं समझा नहीं सर,
कमिश्नर - कोई बात नहीं, तुम्हें अभी पता चल जाएगा l

कह कर कमिश्नर कमरे से निकल जाता है l थोड़ी देर बाद एक सफ़ेद शूट पहने एक आदमी अंदर आता है l जिस कुर्सी पर थोड़ी देर पहले कमिश्नर बैठा था उसी कुर्सी पर बैठ जाता है l रमेश उस आदमी को गौर से देख रहा था l

आदमी - रमेश, मैं कोई भूमिका नहीं बाँध रहा हूँ, सीधे मुद्दे पर आता हूँ l मेरा नाम जय देव प्रहराज है l पूरे कॉर्पोरेट वर्ल्ड में मुझे जेडी कहते हैं, खारबेल ग्रुप्स एंटरप्राइजेज का ओनर l
रमेश - आ आ आप, यहाँ, मैं, मतलब
जेडी - मेरी बात खत्म हो जाने दो l (रमेश चुप हो जाता है) मेरे कंपनी में जब भी कोई नया एम्प्लॉइ आता है, मेरा एच आर सेक्शन उसकी पूरी कुंडली निकालती है l परसों मेरी कंपनी में अंतस कुमार विद्यापति नामका बंदा जॉइन किया l क्या नाता है तुम्हारा उसके साथ
रमेश - जी वह (कुछ नहीं कहता)
जेडी - हम्म्म, तुम्हारा साला है, पर तुम्हें स्वीकारने में हिचकिचाहट हो रही है, बड़ा काम का बंदा है इसलिये उसकी इंक्वायरी करने पर उसके घर में एक जो अशांति है वह तुम्हारे कारण है ऐसा पता चला l
रमेश - आपने इंक्वायरी की..?
जेडी - हाँ, मेरी सारे कंपनीज, नेशनल रेपुट रखते हैं l इसलिए इस कंपटीटीव वर्ल्ड में हम उन एंप्लॉइज को रखना पसंद करते हैं जो दिमागी और शारीरिक तंदुरूस्ती रखते हैं l पर जो खास होते हैं हम उनके दिमागी तंदुरूस्ती का खयाल रखते हैं l तुम्हें कल्याणी क्यूँ स्वीकार नहीं है..?
रमेश - (वैसे ही अपना सिर झुकाए बैठा रहा कोई जवाब नहीं दिया)
जेडी - (एक लड़की की फोटो निकाल कर टेबल पर रख देता है) यही वह लड़की है, मालती! है ना, जिसकी वज़ह से तुमने अपने जीवन में कल्याणी को स्वीकार नहीं किया l
रमेश - (अपना सिर हिला कर हाँ कहता है)
जेडी - अब मैं पूरी बात बताता हूँ, तुम्हारे माँ बाप को मालती पसंद नहीं थी इसलिए उन्होंने मालती को नकार दिया बदले में उन्होंने कल्याणी को पसंद किया l तुमने उनकी जिद रखने के लिए कल्याणी से शादी तो कर लिया पर उसे स्वीकार नहीं किया l कल्याणी को उसकी फूटी किस्मत के सहारे उसके घर पर छोड़ दिया l
रमेश - (दबी आवाज में) यह मेरा निजी मामला है l
जेडी - हाँ, यह तुम्हारा निजी मामला है पर यह मालती अच्छी लड़की नहीं है l
रमेश - जेडी साहब, मैं आपकी अभी तक इज़्ज़त देकर सुन रहा हूँ l
जेडी - हाँ बस पाँच मिनट और सुन लो l (कह कर चार और फोटो निकाल कर टेबल पर रख देता है) मालती, एक चालाक लड़की है, तुम बस उसकी टाइम पास हो l उसकी चालाकी और चार और टाइम पास देखो l (रमेश उन फोटोस को देखने लगता है हैरत और संदेह की नज़र से जेडी को देखने लगता है) मैं समझ सकता हूँ, तुम मुझे शक की दृष्टी से देख रहे हो, मैं अपनी बात को पुष्टि करने के लिए सबूत लाया हूँ l (जेडी अपने कोट से टेबलेट निकल कर कुछ वीडियोज दिखाता है, सारे वीडियोज देख कर रमेश के आँखों में आँसू आ जाते हैं)
रमेश - यह सब आपको कैसे मिले l
जेडी - देखो रमेश मुझे कैसे मिले वह इम्पोर्टेंट नहीं है, तुम अभी मुसीबत में फंसे हुए हो, मैं तुम्हें इस मुसीबत से निकाल लूँगा l बदले में तुम मालती को छोड़ दो और कल्याणी को अपना लो l कल्याणी बहुत ही अच्छी लड़की है l (रमेश चुप रहता है) देखो रमेश, चालाक और अक्लमंद में फर्क़ होता है l चालाक वह, जो दूसरों को बेवक़ूफ़ बना सके, और अक्लमंद वह जो किसीकी भी चालाकी में ना फंसे l फ़िलहाल अब तक तुम बेवक़ूफ़ बने हुए हो l फैसला तुम करो तुम्हें अक्लमंद होना है या चालाक l क्यूंकि बेवक़ूफ़ दोनों के आगे पानी भरता है l (रमेश फिर भी खामोश रहता है) वेल मेरा वक़्त अब खत्म हो गया l लगता है तुम्हें मेरी बात पसंद नहीं आई l
रमेश - नहीं ऐसी बात नहीं है l जेडी साहब आप कौन हैं चालाक या अक्लमंद l
जेडी - बेवक़ूफ़ कह सकते हो l जो अपने एंप्लॉई के लिए पुलिस से सेटेलमेंट करने आ गया l

इतना कह कर जेडी कुर्सी से उठता है, सारे फोटोस समेट कर टेबलेट के सहित अपने कोट के अंदर रखता है l जब दरवाजे तक जेडी पहुँचता है तब रमेश पीछे से आवाज देता है

"जेडी साहब"

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अंतस को जब एहसास होता है कि सभी सो गए हैं तब वह अपनी बिस्तर पर करवट बदलता है l पिछले दिनों उसके साथ जो कुछ हुआ था उसे याद करने लगता है l अचानक उसके ख़यालों में खलल पड़ता है, उसे एहसास होता है कि जैसे कोई उसके बेड के पास बैठ उसे देख रहा है l वह मुड़ कर देखता है उसके सिरहाने उसकी माँ बैठी हुई है l झटपट उठ बैठता है l अंतस के उठ जाने से लक्ष्मी थोड़ी डर जाती है l

लक्ष्मी - (धीमी आवाज में) बेटा, सॉरी, सॉरी मैं बस
अंतस - (धीमी आवाज में) मम्मा क्या बात है
लक्ष्मी - श्श्श..,
अंतस - ओके मम्मा, क्या बात है l तुम सोई क्यूँ नहीं l
लक्ष्मी - बेटा, सो नहीं पा रही हूँ, नींद ही नहीं आ रही है l
अंतस - क्या, क्यूँ ?
लक्ष्मी - छोटे बच्चों को नींद ना आए तो माँ लोरी गा कर दुलार कर झूठ बोल कर सुला देती है l पर मेरी नींद, बेटा या तो तू झूठ बोल रहा है, या फिर पूरा सच नहीं कहा l
अंतस - ऐसा क्यूँ कह रही हो माँ l
लक्ष्मी - कल सुबह तेरे पापा का तुझे डांटना, फिर तेरा रूठ कर चले जाना l शाम को घर लौट कर नौकरी की खुश खबर देना l आज घर पर मैट फ्लोरिंग से लेकर दीवारों पर रंग लग जाना l इस काम के लिए एक बड़ी टीम मुस्तैदी के साथ लगे रहना, उस पुलिस वाले का तेरे पापा को ढूँढ ढूँढ कर पैसे लौटा देना l आखिर में लाला का घर पर आना, तेरा इतने सारे पैसों का इंतजाम कर उसे लौटना, घर के कागजात हासिल करना, तेरी दीदी से उसकी पिटाई और तेरा उसे धमकी दे कर घर से बाहर कर देना l क्या यह सब हमारे बस की बात थी, या है l (अंतस की हाथ को अपने सिर पर रख कर) खा मेरी सौगंध, तु किसी गलत रास्ते पर तो नहीं चला गया है l
अंतस - मम्मा क्या तुम्हें अपने परवरिश, अपने दूध पर विश्वास नहीं
लक्ष्मी - सब सपने जैसा लग रहा है, क्या मैं नींद में हूँ, कहीं यह सपना टूट गया तो, तो हकीकत बर्दास्त करना मेरे बूते नहीं होगा l
अंतस - मम्मा, मैं तेरी सौगंध खा कर कह रहा हूँ, मैंने नौकरी के नाम पर ऐसा कोई काम नहीं किया है जिसके लिए मेरा या हमारे परिवार के किसी भी सदस्य का सिर नीचे हो जाए l
लक्ष्मी - ओह, अब जाकर मेरे दिल को सुकून मिला l
अंतस - जाओ मम्मा, अब तो जाकर सो जाओ l
लक्ष्मी - हाँ हाँ, तू भी सो जा, अब सब जब ठीक हो रहा है बस बड़ी की भी कुछ अच्छा हो जाए l

कह कर लक्ष्मी वहाँ से चली जाती है l उसके जाने के बाद अंतस की आँखों से कुछ आँसू की बूंदे गिर जाती हैं l एक गहरी साँस लेकर मन ही मन कहता है

"तुमने सच कहा माँ, मैंने सबसे आधा सच ही कहा है l पर जितना सच तुम सब जानते हो वही इस परिवार की खुशी और आने वाले सुनहरे भविष्य के लिए जरूरी है l"

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एक विशेष कमरा जहां रमेश कुछ कागजातों पर दस्तखत कर रहा है l जब सारे कागजातों पर दस्तखत कर देता है तब कमिश्नर उसे कहता है

कमिश्नर - तो रमेश, जो भी हुआ वह एक क्राइम था l चाहे अनचाहे तुम उस क्राइम का पार्ट हो गए हो l फ़िलहाल जेडी साहब ने सेटलमेंट कर दिया है l इसलिए अब यह फाइल धूल खाती रहेगी l पर इतना याद रहे जब तक जेडी साहब के गुड बुक में तुम्हारा नाम होगा तब तक तुम्हें कोई खतरा नहीं है l जिस दिन तुम्हारा नाम हट गया उस दिन तुम पर कानूनी एक्शन ऑटो ट्रिगर हो जाएगा l
रमेश - जी मैं समझ गया, जिस बंदूक से गोली चली, वह सरकारी नहीं थी यानी उसका मालिक आपने मुझे बना दिया है, उस पर मेरी उंगलियों के निशान मिले हैं l अब मुझे अपनी पुरानी बेवकूफी छोडकर आज की अभी की अक्लमंदी दिखानी और मैंटैंन करनी होगी l
कमिश्नर - गुड, नाउ यू मे लिव

रमेश वहाँ से बाहर चले जाता है l उसके जाने के बाद कमरे में जेडी आता है l

जेडी - थैंक्यू कमिश्नर
कमिश्नर - अरे यार किस बात की थैंक्यू, फ्री में नहीं किया है किसीने l सबने अपना अपना हिस्सा लिया है l
जेडी - फिर भी पुलिस का साथ मिला वह भी मेरे एक एंप्लॉय के लिए,
कमिश्नर - क्या नाम था उसका, हाँ अंतस, उसके लिए इतना कुछ कर दिया, लगता है बहुत खास है
जेडी - हाँ बहुत ही खास है, बंदा लाखों में एक है, करोड़ों में नेक है l इतना तो उसके लिए बनता है
कमिश्नर - तुम्हें क्या लगता है, यह रमेश अंतस की बहन को अपना लेगा l
जेडी - फ़िलहाल तो ऐसा ही मुझे लग रहा है, इतना सब कुछ उसके सामने रखने के बाद बेवकूफ़ी तो नहीं करेगा l
कमिश्नर - हाँ मुझे भी यही लगता है,
जेडी - हाँ तुम्हारे हिस्से एक काम बाकी रह गया है
कमिश्नर - फ़िकर नॉट, अब वह लोग कभी भी रमेश के आँखों के सामने नहीं आयेंगे l मैंने सबका इंतजाम कर दिया है और तुमने भी है उनको सेटलमेंट भी दे दिया है
Nice update....
 
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Raj_sharma

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पहले के तीन चार अपडेट आपको कंफ्यूज करेंग bबाद में नायिका के सामने आने के बाद कहानी आपको भायेगी
अब क्या है कि थ्रिलर लिख लिख कर आदत छूटी नहीं है
अवश्य, :D जो छूट जाए वो आदत ही क्या?
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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भाई मेरे आपने जितने कहानी लिख डाले हैं उतना मैंने लिखे नहीं है इसलिए आपको धुरंधर कहा गलत तो नहीं कहा
मैं कहानी लिखता तो हूँ पर उसके लिए कोई constructive comment का सहारा लेता हूँ
चलिए फिर आपके अलंकरण का हम दिल से स्वागत कर लेते भाई। :dost:
 

parkas

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❤️तीसरा अपडेट❤️
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शाम को अंतस और रमेश ढेर सारा मिठाई लेकर घर पहुँचते हैं l क्यूँकी जैसे ही घर पर काम शुरू हो गया था पूरे मुहल्ले में लोगों तक खबर फैल चुका था और लोग बारी बारी से आकर माँ और बेटी से खबर की पुष्टि करा चुके थे और मिठाइयाँ बांटने के लिए कह चुके थे l दोनों स्कुटर से उतर कर घर की ओर देखते हैं l घर की हालत अब एकदम से बदल चुकी थी l सुबह घर से गए थे तब घर पुराना सा लग रहा था, पर अब! वह आदमी जो सुबह घर को रेनोवेट करने आया था, वह शायद अंतस का इंतजार कर रहा था, जैसे ही अंतस को देखा वह पास आया

आदमी - सर हमने हमारे पूरे टीम के साथ आपके घर के सारे कार्पेट एरिया में मैट फ्लोरिंग कर दिया है l वॉल में जितने क्रैक्स थे सब में वॉल पुट्टी लगा कर ब्लोअर से ऐक्रिलिक पैंट स्प्रे कर दिया है l ज्यादा काम करना नहीं पड़ा क्यूँकी घर बहुत मजबूत है, होप यू मे लाइक l

अंतस घर की ओर देखता है, उसकी माँ और दोनों बहने उसे देख कर बाहर आते हैं l घर के पाँच सदस्य घर को बाहर से निहारने लगते हैं l

अंतस - (आदमी से) आपने बहुत बढ़िया काम किया है l यकीन नहीं होता, आप अपनी टीम के साथ एक ही दिन में इतने कम कर दिए l
आदमी - सर बहुत माइनर काम था, कोई नया बिल्डिंग नहीं खड़ा कर रहे थे l
अंतस - तो अब
आदमी - हमें इजाजत दीजिए, हम चलते हैं और हाँ कुछ बाकी रह गया हो तो फोन पर बता दीजिएगा हम आकर काम निपटा कर जाएंगे l
अरविंद - अरे ऐसे कैसे मिठाई तो खाकर जाइए l
आदमी - ठीक है दीजिए

अरविंद एक मिठाई का पैकेट देता है, मिठाई का पैकेट लेकर वह आदमी अपने साथियों को इशारा करता है, सभी बाहर चले जाते हैं l अंतस देखता है बस्ती वाले उन्हें और उनके घर की ओर देखे जा रहे हैं l गीता समझ जाती है l

गीता - मम्मा, घर के बाहर एक नजर उतारने वाली पुतला लटकाना पड़ेगा नहीं तो लोगों की नजरें लग जाएँगी l
लक्ष्मी - सिर्फ घर के लिए ही नहीं, तेरे भाई को भी लोगों की नजरों से बचाने के लिए टोना टोटका करना पड़ेगा l

सभी हँस देते हैं और अंदर चले जाने लगते हैं l अंदर जाते वक़्त अरविंद अपनी तिरछी नजर से बस्ती वालों को देखता है l कुछ नजरें हैरान थी, कुछ नजरें परेशान थी, कुछ नजरों में ईर्ष्या थी l पास पड़ोसियों की मन में चल रहे द्वंद और पीड़ा अरविंद को एक अजीब सी खुशी दे रही थी l सभी अंदर आ जाते हैं l

अरविंद - अरे मैं तो भूल ही गया l
लक्ष्मी - क्या, क्या भूल गए
अरविंद - पूरे बस्ती में मिठाई जो बाँटनी है l
अंतस - तो ठीक है ना पापा , मैं बाँट देता हूँ l
अरविंद - अरे नहीं, आज की मिठाई मैंने अपने पैसों से खरीदी है, इसलिए बाँटने की खुशी भी मुझे मिलनी चाहिए l

इतना कह कर अरविंद वापस मुड़ जाता है और बाहर चला जाता है l घर के अंदर बहुत काम हो चुका था l दीवारों से ऐक्रिलिक पैंट की खुशबु आ रही थी l फर्श पर मैट फ्लोरिंग भी हो चुकी थी l लक्ष्मी अंतस को तैयार होने के लिए कहती है l अंतस जब तक तैयार हो कर आता है तो देखता है उसकी माँ और दोनों बहने एक जगह दुबकी खड़ी हैं l आवाज से पता लग जाता है अरविंद लौट चुका था l पर घर पर एक और शख्स भी आया हुआ था l लाला जिसने अरविंद को देर सवेर उधार दे रखा था l जैसे ही लाला अंतस को देखता है

लाला - वाह अंतस बेटा वाह, तुमने जब बुलावा भेजा था तो सोच में था क्यूँ बुलाया है l अब जब बस्ती में से आ रहा था, तब मालूम हुआ, तुम्हारी नौकरी लग गई है, बहुत अच्छा हुआ l मिठाई नहीं खिलाओगे l
अंतस - क्यूँ नहीं लाला जी, पहले यह बताइए मैंने आपसे जो कहा था आप लेकर आए हैं l
लाला - हाँ, लाया हूँ और तुम
अंतस - मैं भी लाया हूँ, काम की बात कर लें l
लाला - हाँ हाँ क्यूँ नहीं

अंतस ऑफिस से जो बैग लेकर आया था उस बैग में से कुछ नोटों की बंडल लेकर लाला के सामने रख देता है l सिर्फ लाला की ही नहीं अंतस के परिवार वालों की आँखे फैल जाती हैं l लाला भी अपने बैग से घर की कागजात और उधारी लेन देन की कागजात निकालता है l अंतस भी अपने बैग से उधारी चुकता होने की कोर्ट के स्टैम्प पेपर लाया था l लाला पैसा लेता है बदले में दोनों कागजात अंतस के हाथों में दे देता है और अंतस अपने कागजातों में लाला के दस्तखत ले लेता है l अब जो कुछ हो रहा था अरविंद लक्ष्मी कल्याणी और गीता आँखे फाड़ कर देख रहे थे l सारे काम ख़तम होने के बाद

लाला - लो सारे काम अब निपट गए l तुम पर अब मेरा कोई उधार बाकी नहीं रहा, तुमने सब चुकता कर दिया l
अंतस - एक उधार बाकी रह गया है लाला l जिसे अभी चुकता किए देता हूँ l
लाला - कैसा उधार
अंतस - परसों, तुम मेरे घर आए थे, पापा को पैसे तो दिए, मगर, उसके साथ तुमने कुछ किया था, याद है
लाला - (एक बेशर्मी की हँसी हँसते हुए) अरे बेटा वह, मैं तो बस (अपनी बात पूरा कर पाता चटाक की आवाज़ घर के अंदर गूँज उठती है) (लाला आँखे फाड़ कर अंतस को देख रहा था)
अंतस - लाला, मैं चाहूँ तो तेरी इज़्ज़त मटिया मेट कर सकता हूँ, पर हमारे बुरे वक़्त में तूने साथ दिया था l इसी बात का खयाल रखते हुए बस इतना कहूँगा, मेरी दीदी से माफी माँग ले l वर्ना तुझे मैं मारते मारते इस घर से घसीटते हुए तेरे घर के सामने फेंक आऊँगा l

जिस लहजे में यह बात अंतस ने कही थी लाला सिर से लेकर पाँव तक कांप जाता है l चेहरे पर डर साफ दिख रहा था l अंतस इशारे से कल्याणी को पास बुलाता है l कल्याणी अंतस का यह रूप देख कर हैरान थी l वह भी डरते हुए अंतस के पास आकर खड़ी हो जाती है l लाला अपना गाल सहलाते हुए कभी अंतस को कभी कल्याणी को देख रहा था l

अंतस - दीदी, लाला की गाल बजाते रहना जब तक तुमसे माफी ना मांग ले l

लाला तुनक कर खड़ा हो जाता है l इससे पहले वह कुछ और प्रतिक्रिया दे पाता कल्याणी जोर से एक थप्पड़ रसीद कर देती है l

लाला - (डरते हकलाते हुए) क क कल्याणी, बेटी, म म मुझे माफ कर दो l
अंतस - लाला, हमारे जरूरत के वक़्त तुने मदत करी, इसीलिए इन चार दीवारों के बीच तेरी दी हुई जिल्लत लौटा दिया l वर्ना यह मुहल्ले के बीचोबीच हो सकता था l (अंतस अपनी जगह से उठता है लाला के कंधे पर हाथ रख कर बाहर दरवाजे तक ले जाता है) लाला हमसे जितना हुआ, शायद तेरे खाते से भी ज्यादा तुझे लौटा दिया l अब ना तो हम कभी तेरे पास जाएंगे, ना ही तू कभी हमारी ओर देखना l वर्ना पता नहीं मैं क्या कर जाऊँगा l

लाला को बाहर छोड़ अंतस अंदर आता है l घर के चारों सदस्य हैरत भरे नजर में अपना अपना मुहँ फाड़े अंतस को देख रहे थे l

अंतस - क्या हुआ, मैंने कुछ गलत किया..?
लक्ष्मी - नहीं पर तेरे पास इतने पैसे..?
अरविंद - तुझे ऑफिस से इतने पैसे कैसे मिले..?
अंतस - मैंने पाँच साल के लिए आधी सैलरी सरेंडर कर पचास लाख का लोन ले लिया है l अब जो तनख्वाह महीने में एक लाख सत्तर हजार मिलनी थी वह अब अस्सी हजार हो गई l उतना हमारे लिए काफी है l क्यूँ कुछ गलत किया क्या
अरविंद - अरे नहीं बिल्कुल नहीं


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पुलिस इंट्रोगेशन रूम
जहाँ रमेश एक टेबल से हथकड़ी से बंधा हुआ है l एक बड़े रैंक वाला कोई पुलिस ऑफिसर आता है, रमेश के सामने बैठ जाता है l उसके बाद वह कमरा पूरी तरह से खाली हो जाता है l

पुलिस ऑफिसर - हाँ तो रमेश कुमार पुरोहित, क्या जानते हो मैं कौन हूँ l
रमेश - (रोनी सूरत बना कर) जी नहीं सहाब जी l
ऑफिसर - मैं कमिश्नर संकर्षण पटनायक l तुम्हारा केस ही इतना खास है कि मुझे आना पड़ा l
रमेश - सर, (रोते हुए) मैं सच कहता हूँ, जो हुआ वह एक एक्सीडेंट था l मैं अपना रुटीन के प्रकार दारु पी रहा था, फिर वह भविष्य आया, उसने मुझे खूब दारू अपने तरफ से पिलाया, इतना कि मैं बेहोश होगा l जब होश आया खुद को ह्युमन ऑर्गन स्मगलरों के कब्जे में पाया l किसी तरह खुद को छुड़ा कर भाग गया, पर जिस पुलिस ऑफिसर से टकराया उसीने मुझे धोखे से बंदूक की नोक पर उनके हवाले कर दिया l मैंने अपनी जान बचाने के लिए आखिरी कोशिश की, उस पुलिस ऑफिसर से बंदूक छीना झपटी से, गोली चल गई l
कमिश्नर - हाँ और हमारा वह ऑफिसर ज़ख्मी हो गया l और इत्तेफाक से गोली चलने के बाद ही पुलिस वहाँ पहुँच गई, केस दूसरा था पर केस बना कुछ और, तुम रंगे हाथ पकड़े गए l
रमेश - जी सर,
कमिश्नर - देखो रमेश, केस चाहे जो भी हो, जो गन बरामद हुई, वह सरकारी नहीं थी, उस पर तुम्हारे उंगलियों के निशान मिले, सबसे अहम बात, तुम्हारे हाथ में गन पाउडर मिले l
रमेश - सर वह गन मेरा नहीं है, और जो भी हुआ एक्सीडेंट था l
कमिश्नर - साबित कैसे होगा...? हम अपनी डिपार्टमेंट की इज़्ज़त भी तो खतरे में नहीं डाल सकते l
रमेश - सर मैं बेगुनाह हूँ l
कमिश्नर - मान लेता हूँ, तुम पर यकीन कैसे किया जाए l तुमने अपने बारे में, पूरी जानकारी भी नहीं दी l
रमेश - मैंने, कुछ नहीं छुपाया है सर l
कमिश्नर - तुम शादी शुदा हो, और अपने ससुराल के बारे में, बात तो तुमने छुपाई ना, क्यूँ....?
रमेश - (सिर झुका लेता है)
कमिश्नर - अब जब तुम्हारे बारे में इंक्वायरी किया गया, तब मालूम हुआ के तुम शादी शुदा हो, हाँ यह बात और है कि अपनी शादी से खुश नहीं हो, तुमने अपनी पत्नी को स्वीकार नहीं किया है अब तक l क्या मैं सच कह रहा हूँ l
रमेश - (झुके हुए सिर को हिला कर अपनी स्वीकृति देता है)
कमिश्नर - पर यही शादी अब तुम्हें इस जंजाल से बचा सकता है, (हैरत के मारे रमेश कमिश्नर की तरफ देखता है) हाँ, वर्ना, तुम्हें कोई नहीं बचा सकता l
रमेश - मैं समझा नहीं सर,
कमिश्नर - कोई बात नहीं, तुम्हें अभी पता चल जाएगा l

कह कर कमिश्नर कमरे से निकल जाता है l थोड़ी देर बाद एक सफ़ेद शूट पहने एक आदमी अंदर आता है l जिस कुर्सी पर थोड़ी देर पहले कमिश्नर बैठा था उसी कुर्सी पर बैठ जाता है l रमेश उस आदमी को गौर से देख रहा था l

आदमी - रमेश, मैं कोई भूमिका नहीं बाँध रहा हूँ, सीधे मुद्दे पर आता हूँ l मेरा नाम जय देव प्रहराज है l पूरे कॉर्पोरेट वर्ल्ड में मुझे जेडी कहते हैं, खारबेल ग्रुप्स एंटरप्राइजेज का ओनर l
रमेश - आ आ आप, यहाँ, मैं, मतलब
जेडी - मेरी बात खत्म हो जाने दो l (रमेश चुप हो जाता है) मेरे कंपनी में जब भी कोई नया एम्प्लॉइ आता है, मेरा एच आर सेक्शन उसकी पूरी कुंडली निकालती है l परसों मेरी कंपनी में अंतस कुमार विद्यापति नामका बंदा जॉइन किया l क्या नाता है तुम्हारा उसके साथ
रमेश - जी वह (कुछ नहीं कहता)
जेडी - हम्म्म, तुम्हारा साला है, पर तुम्हें स्वीकारने में हिचकिचाहट हो रही है, बड़ा काम का बंदा है इसलिये उसकी इंक्वायरी करने पर उसके घर में एक जो अशांति है वह तुम्हारे कारण है ऐसा पता चला l
रमेश - आपने इंक्वायरी की..?
जेडी - हाँ, मेरी सारे कंपनीज, नेशनल रेपुट रखते हैं l इसलिए इस कंपटीटीव वर्ल्ड में हम उन एंप्लॉइज को रखना पसंद करते हैं जो दिमागी और शारीरिक तंदुरूस्ती रखते हैं l पर जो खास होते हैं हम उनके दिमागी तंदुरूस्ती का खयाल रखते हैं l तुम्हें कल्याणी क्यूँ स्वीकार नहीं है..?
रमेश - (वैसे ही अपना सिर झुकाए बैठा रहा कोई जवाब नहीं दिया)
जेडी - (एक लड़की की फोटो निकाल कर टेबल पर रख देता है) यही वह लड़की है, मालती! है ना, जिसकी वज़ह से तुमने अपने जीवन में कल्याणी को स्वीकार नहीं किया l
रमेश - (अपना सिर हिला कर हाँ कहता है)
जेडी - अब मैं पूरी बात बताता हूँ, तुम्हारे माँ बाप को मालती पसंद नहीं थी इसलिए उन्होंने मालती को नकार दिया बदले में उन्होंने कल्याणी को पसंद किया l तुमने उनकी जिद रखने के लिए कल्याणी से शादी तो कर लिया पर उसे स्वीकार नहीं किया l कल्याणी को उसकी फूटी किस्मत के सहारे उसके घर पर छोड़ दिया l
रमेश - (दबी आवाज में) यह मेरा निजी मामला है l
जेडी - हाँ, यह तुम्हारा निजी मामला है पर यह मालती अच्छी लड़की नहीं है l
रमेश - जेडी साहब, मैं आपकी अभी तक इज़्ज़त देकर सुन रहा हूँ l
जेडी - हाँ बस पाँच मिनट और सुन लो l (कह कर चार और फोटो निकाल कर टेबल पर रख देता है) मालती, एक चालाक लड़की है, तुम बस उसकी टाइम पास हो l उसकी चालाकी और चार और टाइम पास देखो l (रमेश उन फोटोस को देखने लगता है हैरत और संदेह की नज़र से जेडी को देखने लगता है) मैं समझ सकता हूँ, तुम मुझे शक की दृष्टी से देख रहे हो, मैं अपनी बात को पुष्टि करने के लिए सबूत लाया हूँ l (जेडी अपने कोट से टेबलेट निकल कर कुछ वीडियोज दिखाता है, सारे वीडियोज देख कर रमेश के आँखों में आँसू आ जाते हैं)
रमेश - यह सब आपको कैसे मिले l
जेडी - देखो रमेश मुझे कैसे मिले वह इम्पोर्टेंट नहीं है, तुम अभी मुसीबत में फंसे हुए हो, मैं तुम्हें इस मुसीबत से निकाल लूँगा l बदले में तुम मालती को छोड़ दो और कल्याणी को अपना लो l कल्याणी बहुत ही अच्छी लड़की है l (रमेश चुप रहता है) देखो रमेश, चालाक और अक्लमंद में फर्क़ होता है l चालाक वह, जो दूसरों को बेवक़ूफ़ बना सके, और अक्लमंद वह जो किसीकी भी चालाकी में ना फंसे l फ़िलहाल अब तक तुम बेवक़ूफ़ बने हुए हो l फैसला तुम करो तुम्हें अक्लमंद होना है या चालाक l क्यूंकि बेवक़ूफ़ दोनों के आगे पानी भरता है l (रमेश फिर भी खामोश रहता है) वेल मेरा वक़्त अब खत्म हो गया l लगता है तुम्हें मेरी बात पसंद नहीं आई l
रमेश - नहीं ऐसी बात नहीं है l जेडी साहब आप कौन हैं चालाक या अक्लमंद l
जेडी - बेवक़ूफ़ कह सकते हो l जो अपने एंप्लॉई के लिए पुलिस से सेटेलमेंट करने आ गया l

इतना कह कर जेडी कुर्सी से उठता है, सारे फोटोस समेट कर टेबलेट के सहित अपने कोट के अंदर रखता है l जब दरवाजे तक जेडी पहुँचता है तब रमेश पीछे से आवाज देता है

"जेडी साहब"

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अंतस को जब एहसास होता है कि सभी सो गए हैं तब वह अपनी बिस्तर पर करवट बदलता है l पिछले दिनों उसके साथ जो कुछ हुआ था उसे याद करने लगता है l अचानक उसके ख़यालों में खलल पड़ता है, उसे एहसास होता है कि जैसे कोई उसके बेड के पास बैठ उसे देख रहा है l वह मुड़ कर देखता है उसके सिरहाने उसकी माँ बैठी हुई है l झटपट उठ बैठता है l अंतस के उठ जाने से लक्ष्मी थोड़ी डर जाती है l

लक्ष्मी - (धीमी आवाज में) बेटा, सॉरी, सॉरी मैं बस
अंतस - (धीमी आवाज में) मम्मा क्या बात है
लक्ष्मी - श्श्श..,
अंतस - ओके मम्मा, क्या बात है l तुम सोई क्यूँ नहीं l
लक्ष्मी - बेटा, सो नहीं पा रही हूँ, नींद ही नहीं आ रही है l
अंतस - क्या, क्यूँ ?
लक्ष्मी - छोटे बच्चों को नींद ना आए तो माँ लोरी गा कर दुलार कर झूठ बोल कर सुला देती है l पर मेरी नींद, बेटा या तो तू झूठ बोल रहा है, या फिर पूरा सच नहीं कहा l
अंतस - ऐसा क्यूँ कह रही हो माँ l
लक्ष्मी - कल सुबह तेरे पापा का तुझे डांटना, फिर तेरा रूठ कर चले जाना l शाम को घर लौट कर नौकरी की खुश खबर देना l आज घर पर मैट फ्लोरिंग से लेकर दीवारों पर रंग लग जाना l इस काम के लिए एक बड़ी टीम मुस्तैदी के साथ लगे रहना, उस पुलिस वाले का तेरे पापा को ढूँढ ढूँढ कर पैसे लौटा देना l आखिर में लाला का घर पर आना, तेरा इतने सारे पैसों का इंतजाम कर उसे लौटना, घर के कागजात हासिल करना, तेरी दीदी से उसकी पिटाई और तेरा उसे धमकी दे कर घर से बाहर कर देना l क्या यह सब हमारे बस की बात थी, या है l (अंतस की हाथ को अपने सिर पर रख कर) खा मेरी सौगंध, तु किसी गलत रास्ते पर तो नहीं चला गया है l
अंतस - मम्मा क्या तुम्हें अपने परवरिश, अपने दूध पर विश्वास नहीं
लक्ष्मी - सब सपने जैसा लग रहा है, क्या मैं नींद में हूँ, कहीं यह सपना टूट गया तो, तो हकीकत बर्दास्त करना मेरे बूते नहीं होगा l
अंतस - मम्मा, मैं तेरी सौगंध खा कर कह रहा हूँ, मैंने नौकरी के नाम पर ऐसा कोई काम नहीं किया है जिसके लिए मेरा या हमारे परिवार के किसी भी सदस्य का सिर नीचे हो जाए l
लक्ष्मी - ओह, अब जाकर मेरे दिल को सुकून मिला l
अंतस - जाओ मम्मा, अब तो जाकर सो जाओ l
लक्ष्मी - हाँ हाँ, तू भी सो जा, अब सब जब ठीक हो रहा है बस बड़ी की भी कुछ अच्छा हो जाए l

कह कर लक्ष्मी वहाँ से चली जाती है l उसके जाने के बाद अंतस की आँखों से कुछ आँसू की बूंदे गिर जाती हैं l एक गहरी साँस लेकर मन ही मन कहता है

"तुमने सच कहा माँ, मैंने सबसे आधा सच ही कहा है l पर जितना सच तुम सब जानते हो वही इस परिवार की खुशी और आने वाले सुनहरे भविष्य के लिए जरूरी है l"

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एक विशेष कमरा जहां रमेश कुछ कागजातों पर दस्तखत कर रहा है l जब सारे कागजातों पर दस्तखत कर देता है तब कमिश्नर उसे कहता है

कमिश्नर - तो रमेश, जो भी हुआ वह एक क्राइम था l चाहे अनचाहे तुम उस क्राइम का पार्ट हो गए हो l फ़िलहाल जेडी साहब ने सेटलमेंट कर दिया है l इसलिए अब यह फाइल धूल खाती रहेगी l पर इतना याद रहे जब तक जेडी साहब के गुड बुक में तुम्हारा नाम होगा तब तक तुम्हें कोई खतरा नहीं है l जिस दिन तुम्हारा नाम हट गया उस दिन तुम पर कानूनी एक्शन ऑटो ट्रिगर हो जाएगा l
रमेश - जी मैं समझ गया, जिस बंदूक से गोली चली, वह सरकारी नहीं थी यानी उसका मालिक आपने मुझे बना दिया है, उस पर मेरी उंगलियों के निशान मिले हैं l अब मुझे अपनी पुरानी बेवकूफी छोडकर आज की अभी की अक्लमंदी दिखानी और मैंटैंन करनी होगी l
कमिश्नर - गुड, नाउ यू मे लिव

रमेश वहाँ से बाहर चले जाता है l उसके जाने के बाद कमरे में जेडी आता है l

जेडी - थैंक्यू कमिश्नर
कमिश्नर - अरे यार किस बात की थैंक्यू, फ्री में नहीं किया है किसीने l सबने अपना अपना हिस्सा लिया है l
जेडी - फिर भी पुलिस का साथ मिला वह भी मेरे एक एंप्लॉय के लिए,
कमिश्नर - क्या नाम था उसका, हाँ अंतस, उसके लिए इतना कुछ कर दिया, लगता है बहुत खास है
जेडी - हाँ बहुत ही खास है, बंदा लाखों में एक है, करोड़ों में नेक है l इतना तो उसके लिए बनता है
कमिश्नर - तुम्हें क्या लगता है, यह रमेश अंतस की बहन को अपना लेगा l
जेडी - फ़िलहाल तो ऐसा ही मुझे लग रहा है, इतना सब कुछ उसके सामने रखने के बाद बेवकूफ़ी तो नहीं करेगा l
कमिश्नर - हाँ मुझे भी यही लगता है,
जेडी - हाँ तुम्हारे हिस्से एक काम बाकी रह गया है
कमिश्नर - फ़िकर नॉट, अब वह लोग कभी भी रमेश के आँखों के सामने नहीं आयेंगे l मैंने सबका इंतजाम कर दिया है और तुमने भी है उनको सेटलमेंट भी दे दिया है
Bahut hi badhiya update diya hai Kala Nag bhai....
Nice and beautiful update....
 

ak143

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❤️तीसरा अपडेट❤️
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शाम को अंतस और रमेश ढेर सारा मिठाई लेकर घर पहुँचते हैं l क्यूँकी जैसे ही घर पर काम शुरू हो गया था पूरे मुहल्ले में लोगों तक खबर फैल चुका था और लोग बारी बारी से आकर माँ और बेटी से खबर की पुष्टि करा चुके थे और मिठाइयाँ बांटने के लिए कह चुके थे l दोनों स्कुटर से उतर कर घर की ओर देखते हैं l घर की हालत अब एकदम से बदल चुकी थी l सुबह घर से गए थे तब घर पुराना सा लग रहा था, पर अब! वह आदमी जो सुबह घर को रेनोवेट करने आया था, वह शायद अंतस का इंतजार कर रहा था, जैसे ही अंतस को देखा वह पास आया

आदमी - सर हमने हमारे पूरे टीम के साथ आपके घर के सारे कार्पेट एरिया में मैट फ्लोरिंग कर दिया है l वॉल में जितने क्रैक्स थे सब में वॉल पुट्टी लगा कर ब्लोअर से ऐक्रिलिक पैंट स्प्रे कर दिया है l ज्यादा काम करना नहीं पड़ा क्यूँकी घर बहुत मजबूत है, होप यू मे लाइक l

अंतस घर की ओर देखता है, उसकी माँ और दोनों बहने उसे देख कर बाहर आते हैं l घर के पाँच सदस्य घर को बाहर से निहारने लगते हैं l

अंतस - (आदमी से) आपने बहुत बढ़िया काम किया है l यकीन नहीं होता, आप अपनी टीम के साथ एक ही दिन में इतने कम कर दिए l
आदमी - सर बहुत माइनर काम था, कोई नया बिल्डिंग नहीं खड़ा कर रहे थे l
अंतस - तो अब
आदमी - हमें इजाजत दीजिए, हम चलते हैं और हाँ कुछ बाकी रह गया हो तो फोन पर बता दीजिएगा हम आकर काम निपटा कर जाएंगे l
अरविंद - अरे ऐसे कैसे मिठाई तो खाकर जाइए l
आदमी - ठीक है दीजिए

अरविंद एक मिठाई का पैकेट देता है, मिठाई का पैकेट लेकर वह आदमी अपने साथियों को इशारा करता है, सभी बाहर चले जाते हैं l अंतस देखता है बस्ती वाले उन्हें और उनके घर की ओर देखे जा रहे हैं l गीता समझ जाती है l

गीता - मम्मा, घर के बाहर एक नजर उतारने वाली पुतला लटकाना पड़ेगा नहीं तो लोगों की नजरें लग जाएँगी l
लक्ष्मी - सिर्फ घर के लिए ही नहीं, तेरे भाई को भी लोगों की नजरों से बचाने के लिए टोना टोटका करना पड़ेगा l

सभी हँस देते हैं और अंदर चले जाने लगते हैं l अंदर जाते वक़्त अरविंद अपनी तिरछी नजर से बस्ती वालों को देखता है l कुछ नजरें हैरान थी, कुछ नजरें परेशान थी, कुछ नजरों में ईर्ष्या थी l पास पड़ोसियों की मन में चल रहे द्वंद और पीड़ा अरविंद को एक अजीब सी खुशी दे रही थी l सभी अंदर आ जाते हैं l

अरविंद - अरे मैं तो भूल ही गया l
लक्ष्मी - क्या, क्या भूल गए
अरविंद - पूरे बस्ती में मिठाई जो बाँटनी है l
अंतस - तो ठीक है ना पापा , मैं बाँट देता हूँ l
अरविंद - अरे नहीं, आज की मिठाई मैंने अपने पैसों से खरीदी है, इसलिए बाँटने की खुशी भी मुझे मिलनी चाहिए l

इतना कह कर अरविंद वापस मुड़ जाता है और बाहर चला जाता है l घर के अंदर बहुत काम हो चुका था l दीवारों से ऐक्रिलिक पैंट की खुशबु आ रही थी l फर्श पर मैट फ्लोरिंग भी हो चुकी थी l लक्ष्मी अंतस को तैयार होने के लिए कहती है l अंतस जब तक तैयार हो कर आता है तो देखता है उसकी माँ और दोनों बहने एक जगह दुबकी खड़ी हैं l आवाज से पता लग जाता है अरविंद लौट चुका था l पर घर पर एक और शख्स भी आया हुआ था l लाला जिसने अरविंद को देर सवेर उधार दे रखा था l जैसे ही लाला अंतस को देखता है

लाला - वाह अंतस बेटा वाह, तुमने जब बुलावा भेजा था तो सोच में था क्यूँ बुलाया है l अब जब बस्ती में से आ रहा था, तब मालूम हुआ, तुम्हारी नौकरी लग गई है, बहुत अच्छा हुआ l मिठाई नहीं खिलाओगे l
अंतस - क्यूँ नहीं लाला जी, पहले यह बताइए मैंने आपसे जो कहा था आप लेकर आए हैं l
लाला - हाँ, लाया हूँ और तुम
अंतस - मैं भी लाया हूँ, काम की बात कर लें l
लाला - हाँ हाँ क्यूँ नहीं

अंतस ऑफिस से जो बैग लेकर आया था उस बैग में से कुछ नोटों की बंडल लेकर लाला के सामने रख देता है l सिर्फ लाला की ही नहीं अंतस के परिवार वालों की आँखे फैल जाती हैं l लाला भी अपने बैग से घर की कागजात और उधारी लेन देन की कागजात निकालता है l अंतस भी अपने बैग से उधारी चुकता होने की कोर्ट के स्टैम्प पेपर लाया था l लाला पैसा लेता है बदले में दोनों कागजात अंतस के हाथों में दे देता है और अंतस अपने कागजातों में लाला के दस्तखत ले लेता है l अब जो कुछ हो रहा था अरविंद लक्ष्मी कल्याणी और गीता आँखे फाड़ कर देख रहे थे l सारे काम ख़तम होने के बाद

लाला - लो सारे काम अब निपट गए l तुम पर अब मेरा कोई उधार बाकी नहीं रहा, तुमने सब चुकता कर दिया l
अंतस - एक उधार बाकी रह गया है लाला l जिसे अभी चुकता किए देता हूँ l
लाला - कैसा उधार
अंतस - परसों, तुम मेरे घर आए थे, पापा को पैसे तो दिए, मगर, उसके साथ तुमने कुछ किया था, याद है
लाला - (एक बेशर्मी की हँसी हँसते हुए) अरे बेटा वह, मैं तो बस (अपनी बात पूरा कर पाता चटाक की आवाज़ घर के अंदर गूँज उठती है) (लाला आँखे फाड़ कर अंतस को देख रहा था)
अंतस - लाला, मैं चाहूँ तो तेरी इज़्ज़त मटिया मेट कर सकता हूँ, पर हमारे बुरे वक़्त में तूने साथ दिया था l इसी बात का खयाल रखते हुए बस इतना कहूँगा, मेरी दीदी से माफी माँग ले l वर्ना तुझे मैं मारते मारते इस घर से घसीटते हुए तेरे घर के सामने फेंक आऊँगा l

जिस लहजे में यह बात अंतस ने कही थी लाला सिर से लेकर पाँव तक कांप जाता है l चेहरे पर डर साफ दिख रहा था l अंतस इशारे से कल्याणी को पास बुलाता है l कल्याणी अंतस का यह रूप देख कर हैरान थी l वह भी डरते हुए अंतस के पास आकर खड़ी हो जाती है l लाला अपना गाल सहलाते हुए कभी अंतस को कभी कल्याणी को देख रहा था l

अंतस - दीदी, लाला की गाल बजाते रहना जब तक तुमसे माफी ना मांग ले l

लाला तुनक कर खड़ा हो जाता है l इससे पहले वह कुछ और प्रतिक्रिया दे पाता कल्याणी जोर से एक थप्पड़ रसीद कर देती है l

लाला - (डरते हकलाते हुए) क क कल्याणी, बेटी, म म मुझे माफ कर दो l
अंतस - लाला, हमारे जरूरत के वक़्त तुने मदत करी, इसीलिए इन चार दीवारों के बीच तेरी दी हुई जिल्लत लौटा दिया l वर्ना यह मुहल्ले के बीचोबीच हो सकता था l (अंतस अपनी जगह से उठता है लाला के कंधे पर हाथ रख कर बाहर दरवाजे तक ले जाता है) लाला हमसे जितना हुआ, शायद तेरे खाते से भी ज्यादा तुझे लौटा दिया l अब ना तो हम कभी तेरे पास जाएंगे, ना ही तू कभी हमारी ओर देखना l वर्ना पता नहीं मैं क्या कर जाऊँगा l

लाला को बाहर छोड़ अंतस अंदर आता है l घर के चारों सदस्य हैरत भरे नजर में अपना अपना मुहँ फाड़े अंतस को देख रहे थे l

अंतस - क्या हुआ, मैंने कुछ गलत किया..?
लक्ष्मी - नहीं पर तेरे पास इतने पैसे..?
अरविंद - तुझे ऑफिस से इतने पैसे कैसे मिले..?
अंतस - मैंने पाँच साल के लिए आधी सैलरी सरेंडर कर पचास लाख का लोन ले लिया है l अब जो तनख्वाह महीने में एक लाख सत्तर हजार मिलनी थी वह अब अस्सी हजार हो गई l उतना हमारे लिए काफी है l क्यूँ कुछ गलत किया क्या
अरविंद - अरे नहीं बिल्कुल नहीं


~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

पुलिस इंट्रोगेशन रूम
जहाँ रमेश एक टेबल से हथकड़ी से बंधा हुआ है l एक बड़े रैंक वाला कोई पुलिस ऑफिसर आता है, रमेश के सामने बैठ जाता है l उसके बाद वह कमरा पूरी तरह से खाली हो जाता है l

पुलिस ऑफिसर - हाँ तो रमेश कुमार पुरोहित, क्या जानते हो मैं कौन हूँ l
रमेश - (रोनी सूरत बना कर) जी नहीं सहाब जी l
ऑफिसर - मैं कमिश्नर संकर्षण पटनायक l तुम्हारा केस ही इतना खास है कि मुझे आना पड़ा l
रमेश - सर, (रोते हुए) मैं सच कहता हूँ, जो हुआ वह एक एक्सीडेंट था l मैं अपना रुटीन के प्रकार दारु पी रहा था, फिर वह भविष्य आया, उसने मुझे खूब दारू अपने तरफ से पिलाया, इतना कि मैं बेहोश होगा l जब होश आया खुद को ह्युमन ऑर्गन स्मगलरों के कब्जे में पाया l किसी तरह खुद को छुड़ा कर भाग गया, पर जिस पुलिस ऑफिसर से टकराया उसीने मुझे धोखे से बंदूक की नोक पर उनके हवाले कर दिया l मैंने अपनी जान बचाने के लिए आखिरी कोशिश की, उस पुलिस ऑफिसर से बंदूक छीना झपटी से, गोली चल गई l
कमिश्नर - हाँ और हमारा वह ऑफिसर ज़ख्मी हो गया l और इत्तेफाक से गोली चलने के बाद ही पुलिस वहाँ पहुँच गई, केस दूसरा था पर केस बना कुछ और, तुम रंगे हाथ पकड़े गए l
रमेश - जी सर,
कमिश्नर - देखो रमेश, केस चाहे जो भी हो, जो गन बरामद हुई, वह सरकारी नहीं थी, उस पर तुम्हारे उंगलियों के निशान मिले, सबसे अहम बात, तुम्हारे हाथ में गन पाउडर मिले l
रमेश - सर वह गन मेरा नहीं है, और जो भी हुआ एक्सीडेंट था l
कमिश्नर - साबित कैसे होगा...? हम अपनी डिपार्टमेंट की इज़्ज़त भी तो खतरे में नहीं डाल सकते l
रमेश - सर मैं बेगुनाह हूँ l
कमिश्नर - मान लेता हूँ, तुम पर यकीन कैसे किया जाए l तुमने अपने बारे में, पूरी जानकारी भी नहीं दी l
रमेश - मैंने, कुछ नहीं छुपाया है सर l
कमिश्नर - तुम शादी शुदा हो, और अपने ससुराल के बारे में, बात तो तुमने छुपाई ना, क्यूँ....?
रमेश - (सिर झुका लेता है)
कमिश्नर - अब जब तुम्हारे बारे में इंक्वायरी किया गया, तब मालूम हुआ के तुम शादी शुदा हो, हाँ यह बात और है कि अपनी शादी से खुश नहीं हो, तुमने अपनी पत्नी को स्वीकार नहीं किया है अब तक l क्या मैं सच कह रहा हूँ l
रमेश - (झुके हुए सिर को हिला कर अपनी स्वीकृति देता है)
कमिश्नर - पर यही शादी अब तुम्हें इस जंजाल से बचा सकता है, (हैरत के मारे रमेश कमिश्नर की तरफ देखता है) हाँ, वर्ना, तुम्हें कोई नहीं बचा सकता l
रमेश - मैं समझा नहीं सर,
कमिश्नर - कोई बात नहीं, तुम्हें अभी पता चल जाएगा l

कह कर कमिश्नर कमरे से निकल जाता है l थोड़ी देर बाद एक सफ़ेद शूट पहने एक आदमी अंदर आता है l जिस कुर्सी पर थोड़ी देर पहले कमिश्नर बैठा था उसी कुर्सी पर बैठ जाता है l रमेश उस आदमी को गौर से देख रहा था l

आदमी - रमेश, मैं कोई भूमिका नहीं बाँध रहा हूँ, सीधे मुद्दे पर आता हूँ l मेरा नाम जय देव प्रहराज है l पूरे कॉर्पोरेट वर्ल्ड में मुझे जेडी कहते हैं, खारबेल ग्रुप्स एंटरप्राइजेज का ओनर l
रमेश - आ आ आप, यहाँ, मैं, मतलब
जेडी - मेरी बात खत्म हो जाने दो l (रमेश चुप हो जाता है) मेरे कंपनी में जब भी कोई नया एम्प्लॉइ आता है, मेरा एच आर सेक्शन उसकी पूरी कुंडली निकालती है l परसों मेरी कंपनी में अंतस कुमार विद्यापति नामका बंदा जॉइन किया l क्या नाता है तुम्हारा उसके साथ
रमेश - जी वह (कुछ नहीं कहता)
जेडी - हम्म्म, तुम्हारा साला है, पर तुम्हें स्वीकारने में हिचकिचाहट हो रही है, बड़ा काम का बंदा है इसलिये उसकी इंक्वायरी करने पर उसके घर में एक जो अशांति है वह तुम्हारे कारण है ऐसा पता चला l
रमेश - आपने इंक्वायरी की..?
जेडी - हाँ, मेरी सारे कंपनीज, नेशनल रेपुट रखते हैं l इसलिए इस कंपटीटीव वर्ल्ड में हम उन एंप्लॉइज को रखना पसंद करते हैं जो दिमागी और शारीरिक तंदुरूस्ती रखते हैं l पर जो खास होते हैं हम उनके दिमागी तंदुरूस्ती का खयाल रखते हैं l तुम्हें कल्याणी क्यूँ स्वीकार नहीं है..?
रमेश - (वैसे ही अपना सिर झुकाए बैठा रहा कोई जवाब नहीं दिया)
जेडी - (एक लड़की की फोटो निकाल कर टेबल पर रख देता है) यही वह लड़की है, मालती! है ना, जिसकी वज़ह से तुमने अपने जीवन में कल्याणी को स्वीकार नहीं किया l
रमेश - (अपना सिर हिला कर हाँ कहता है)
जेडी - अब मैं पूरी बात बताता हूँ, तुम्हारे माँ बाप को मालती पसंद नहीं थी इसलिए उन्होंने मालती को नकार दिया बदले में उन्होंने कल्याणी को पसंद किया l तुमने उनकी जिद रखने के लिए कल्याणी से शादी तो कर लिया पर उसे स्वीकार नहीं किया l कल्याणी को उसकी फूटी किस्मत के सहारे उसके घर पर छोड़ दिया l
रमेश - (दबी आवाज में) यह मेरा निजी मामला है l
जेडी - हाँ, यह तुम्हारा निजी मामला है पर यह मालती अच्छी लड़की नहीं है l
रमेश - जेडी साहब, मैं आपकी अभी तक इज़्ज़त देकर सुन रहा हूँ l
जेडी - हाँ बस पाँच मिनट और सुन लो l (कह कर चार और फोटो निकाल कर टेबल पर रख देता है) मालती, एक चालाक लड़की है, तुम बस उसकी टाइम पास हो l उसकी चालाकी और चार और टाइम पास देखो l (रमेश उन फोटोस को देखने लगता है हैरत और संदेह की नज़र से जेडी को देखने लगता है) मैं समझ सकता हूँ, तुम मुझे शक की दृष्टी से देख रहे हो, मैं अपनी बात को पुष्टि करने के लिए सबूत लाया हूँ l (जेडी अपने कोट से टेबलेट निकल कर कुछ वीडियोज दिखाता है, सारे वीडियोज देख कर रमेश के आँखों में आँसू आ जाते हैं)
रमेश - यह सब आपको कैसे मिले l
जेडी - देखो रमेश मुझे कैसे मिले वह इम्पोर्टेंट नहीं है, तुम अभी मुसीबत में फंसे हुए हो, मैं तुम्हें इस मुसीबत से निकाल लूँगा l बदले में तुम मालती को छोड़ दो और कल्याणी को अपना लो l कल्याणी बहुत ही अच्छी लड़की है l (रमेश चुप रहता है) देखो रमेश, चालाक और अक्लमंद में फर्क़ होता है l चालाक वह, जो दूसरों को बेवक़ूफ़ बना सके, और अक्लमंद वह जो किसीकी भी चालाकी में ना फंसे l फ़िलहाल अब तक तुम बेवक़ूफ़ बने हुए हो l फैसला तुम करो तुम्हें अक्लमंद होना है या चालाक l क्यूंकि बेवक़ूफ़ दोनों के आगे पानी भरता है l (रमेश फिर भी खामोश रहता है) वेल मेरा वक़्त अब खत्म हो गया l लगता है तुम्हें मेरी बात पसंद नहीं आई l
रमेश - नहीं ऐसी बात नहीं है l जेडी साहब आप कौन हैं चालाक या अक्लमंद l
जेडी - बेवक़ूफ़ कह सकते हो l जो अपने एंप्लॉई के लिए पुलिस से सेटेलमेंट करने आ गया l

इतना कह कर जेडी कुर्सी से उठता है, सारे फोटोस समेट कर टेबलेट के सहित अपने कोट के अंदर रखता है l जब दरवाजे तक जेडी पहुँचता है तब रमेश पीछे से आवाज देता है

"जेडी साहब"

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अंतस को जब एहसास होता है कि सभी सो गए हैं तब वह अपनी बिस्तर पर करवट बदलता है l पिछले दिनों उसके साथ जो कुछ हुआ था उसे याद करने लगता है l अचानक उसके ख़यालों में खलल पड़ता है, उसे एहसास होता है कि जैसे कोई उसके बेड के पास बैठ उसे देख रहा है l वह मुड़ कर देखता है उसके सिरहाने उसकी माँ बैठी हुई है l झटपट उठ बैठता है l अंतस के उठ जाने से लक्ष्मी थोड़ी डर जाती है l

लक्ष्मी - (धीमी आवाज में) बेटा, सॉरी, सॉरी मैं बस
अंतस - (धीमी आवाज में) मम्मा क्या बात है
लक्ष्मी - श्श्श..,
अंतस - ओके मम्मा, क्या बात है l तुम सोई क्यूँ नहीं l
लक्ष्मी - बेटा, सो नहीं पा रही हूँ, नींद ही नहीं आ रही है l
अंतस - क्या, क्यूँ ?
लक्ष्मी - छोटे बच्चों को नींद ना आए तो माँ लोरी गा कर दुलार कर झूठ बोल कर सुला देती है l पर मेरी नींद, बेटा या तो तू झूठ बोल रहा है, या फिर पूरा सच नहीं कहा l
अंतस - ऐसा क्यूँ कह रही हो माँ l
लक्ष्मी - कल सुबह तेरे पापा का तुझे डांटना, फिर तेरा रूठ कर चले जाना l शाम को घर लौट कर नौकरी की खुश खबर देना l आज घर पर मैट फ्लोरिंग से लेकर दीवारों पर रंग लग जाना l इस काम के लिए एक बड़ी टीम मुस्तैदी के साथ लगे रहना, उस पुलिस वाले का तेरे पापा को ढूँढ ढूँढ कर पैसे लौटा देना l आखिर में लाला का घर पर आना, तेरा इतने सारे पैसों का इंतजाम कर उसे लौटना, घर के कागजात हासिल करना, तेरी दीदी से उसकी पिटाई और तेरा उसे धमकी दे कर घर से बाहर कर देना l क्या यह सब हमारे बस की बात थी, या है l (अंतस की हाथ को अपने सिर पर रख कर) खा मेरी सौगंध, तु किसी गलत रास्ते पर तो नहीं चला गया है l
अंतस - मम्मा क्या तुम्हें अपने परवरिश, अपने दूध पर विश्वास नहीं
लक्ष्मी - सब सपने जैसा लग रहा है, क्या मैं नींद में हूँ, कहीं यह सपना टूट गया तो, तो हकीकत बर्दास्त करना मेरे बूते नहीं होगा l
अंतस - मम्मा, मैं तेरी सौगंध खा कर कह रहा हूँ, मैंने नौकरी के नाम पर ऐसा कोई काम नहीं किया है जिसके लिए मेरा या हमारे परिवार के किसी भी सदस्य का सिर नीचे हो जाए l
लक्ष्मी - ओह, अब जाकर मेरे दिल को सुकून मिला l
अंतस - जाओ मम्मा, अब तो जाकर सो जाओ l
लक्ष्मी - हाँ हाँ, तू भी सो जा, अब सब जब ठीक हो रहा है बस बड़ी की भी कुछ अच्छा हो जाए l

कह कर लक्ष्मी वहाँ से चली जाती है l उसके जाने के बाद अंतस की आँखों से कुछ आँसू की बूंदे गिर जाती हैं l एक गहरी साँस लेकर मन ही मन कहता है

"तुमने सच कहा माँ, मैंने सबसे आधा सच ही कहा है l पर जितना सच तुम सब जानते हो वही इस परिवार की खुशी और आने वाले सुनहरे भविष्य के लिए जरूरी है l"

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एक विशेष कमरा जहां रमेश कुछ कागजातों पर दस्तखत कर रहा है l जब सारे कागजातों पर दस्तखत कर देता है तब कमिश्नर उसे कहता है

कमिश्नर - तो रमेश, जो भी हुआ वह एक क्राइम था l चाहे अनचाहे तुम उस क्राइम का पार्ट हो गए हो l फ़िलहाल जेडी साहब ने सेटलमेंट कर दिया है l इसलिए अब यह फाइल धूल खाती रहेगी l पर इतना याद रहे जब तक जेडी साहब के गुड बुक में तुम्हारा नाम होगा तब तक तुम्हें कोई खतरा नहीं है l जिस दिन तुम्हारा नाम हट गया उस दिन तुम पर कानूनी एक्शन ऑटो ट्रिगर हो जाएगा l
रमेश - जी मैं समझ गया, जिस बंदूक से गोली चली, वह सरकारी नहीं थी यानी उसका मालिक आपने मुझे बना दिया है, उस पर मेरी उंगलियों के निशान मिले हैं l अब मुझे अपनी पुरानी बेवकूफी छोडकर आज की अभी की अक्लमंदी दिखानी और मैंटैंन करनी होगी l
कमिश्नर - गुड, नाउ यू मे लिव

रमेश वहाँ से बाहर चले जाता है l उसके जाने के बाद कमरे में जेडी आता है l

जेडी - थैंक्यू कमिश्नर
कमिश्नर - अरे यार किस बात की थैंक्यू, फ्री में नहीं किया है किसीने l सबने अपना अपना हिस्सा लिया है l
जेडी - फिर भी पुलिस का साथ मिला वह भी मेरे एक एंप्लॉय के लिए,
कमिश्नर - क्या नाम था उसका, हाँ अंतस, उसके लिए इतना कुछ कर दिया, लगता है बहुत खास है
जेडी - हाँ बहुत ही खास है, बंदा लाखों में एक है, करोड़ों में नेक है l इतना तो उसके लिए बनता है
कमिश्नर - तुम्हें क्या लगता है, यह रमेश अंतस की बहन को अपना लेगा l
जेडी - फ़िलहाल तो ऐसा ही मुझे लग रहा है, इतना सब कुछ उसके सामने रखने के बाद बेवकूफ़ी तो नहीं करेगा l
कमिश्नर - हाँ मुझे भी यही लगता है,
जेडी - हाँ तुम्हारे हिस्से एक काम बाकी रह गया है
कमिश्नर - फ़िकर नॉट, अब वह लोग कभी भी रमेश के आँखों के सामने नहीं आयेंगे l मैंने सबका इंतजाम कर दिया है और तुमने भी है उनको सेटलमेंट भी दे दिया है
बहुत ही उम्दा अपडेट🔥🔥🔥
देखते हैं अन्तस का आधा सच कहानी को कहाँ लेकर जाएगा
 
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