अपडेट -३०
शिवांश आराम से कमर आगे की तरफ धकेलता गया और उसका लंड अपनी दादी छुट में पूरा गाएब हो गया ….अपनी दादी के कमर में हाथ रख के धीरे धीरे आगे पीछे होने लगा …...लेकिन जेइसे ही अपनी दादी से नज़रे मिलती तो वो शर्मा के नज़रे झुका लेता था …….दोनों दादी पोते को अत्यंत ही आनंद हो रहा था ……
“आह्स्स्स शिवू ...तुझे अच्चा नही लग रहा हे"
शिवांश शर्म के मारे कुछ बोल ही नही पाया …..और अपनी दादी की बाहों में जा गिरा …….नागेश्वरी पोते को बाहों में भर ली …….पोते को अपनी दादी की संकुरी छुट की कसावट से उतन्न हुई योन आनंद से अस्थिर हो रहा था ,....औरत दादी पोते के लंड को अपनी चुत में घिसती हुई गहराई में महसूस कर सिसिया रही थी…..एक पोता और दादी के बिच काम क्रिरा येही सोच दोनों को और ज्यादा उत्येजित और आनंदित कर रहा था……
शिवांश मज़े से सारी कस्मोकास और संकाश भाव को भूल गया था ...और कभी तेज़ी से झटके मारता था तो कभी धीमे धीमे …दादी की चुत तेज़ झटको से इतनी ज्यादा रगड़ खाती थी की दादी की चींख निकल पड़ती थी और कहती थी “आउह्ह्ह आउह्ह्ह ….ओन्ह्ह शिवा ...आउच आह मर गयी में तो आज ….”
शिवांश अपनी दादी इतना प्यार करना चाहता था की उसने दादी की बदन बाहों भींचने लगा चिकनी कंधे पे मुह रगड़ रगड़ कर चुमते हुए तेज धक्के लगाने लगे…..नागेश्वरी आनंद से इतनी उत्तेजित हो गयी थी वो झटके खा खा के झाड़ रही थी ….अनाड़ी पोते को लगा दादी को बेहद मज़ा आ रहा हे ब्याकुल हो के वो और ज्यादा जोश में और तेज़ी से झाटके देने लगा ….
नागेश्वरी सह नही पा रही थी और पोते पीछे धकेल दिया और हाफ्ने लगी …...शिवांश को लगा उसने दादी को फिर गुस्सा दिलाया और वो मुह लटकाए शर्मिंदा हो गया …..नागेश्वरी को ये बात एहसास हुई और उसने शिवांश को खिंच के बाहों ले के प्यार करने लगी …… “ओह मेरा बच्चा में गुस्सा नही हूँ तुमपे ….तुम अभी नशिखिये हो न इसलिए सामने वाली की भावनाओ को इस वक़्त समझ नही पाओगे ….तुम इतने तेज़ी किया तो मुझे जलन हुई इसलिए धक्का दिया ….नाराज़ मत हो ….चल फिर से कर ….”
शिवांश फिर दादी को चोदने लगा ……. नागेश्वरी पोते को चूमने लगी जिव से जिव रगड़ के चूसने लगी ….शिवांश अपनी दादी को देखने लगा आखों में …..नागेश्वरी पूछी “तुझे मज़ा आ रहा हे …”
शिवांश हलके से मुस्कुरा के सर हिलाया …….नागेश्वरी बोली ….. “कितना” शिवांश पूरा जिव निकल के दादी की गाल पूरा चाट के बोला “इतना”
“तुझे न में अपने जेइसा बेशर्म बनूंगी ….”
शिवांश धीरे धिरे चोद रहा था ….वो मुस्कुरा के बोला “आप बहत कामिनी हो”
वैसे तो जानती थी नागेश्वरी जानती उसका पोता कैसा हे लेकिन चुदाई के दौरान वो ऐसे बोलेगा उसे ये उमीद नही थी …..उसकी आँखे बड़ी हो गयी और बोली…. “हटो …..और करने नही दूंगी हटो"
शिवांश अपनी दादी की गर्दन में काटते हुए बोला … “आपके बहत नखरे हे ...एक बात बोलू आपकी बदन बहत खुबसुरत हे और मुलायम भी ...मन कर रहा हे बाहों में ले के बहत प्यार करू”
शिवांश अपनी दादी को अच्च्चे से चोदने लगा …...नागेश्वरी बोलने लगी मज़े लेती हुई “आइस्स्स आह्ह ….हो रहा हे न ऊंह मेरी तरह बेशर्म …..आन्न्ह्ह मा….मेरा बच्चा अच्छे से करता रेह ….ऊउईह्ह कितना मज़ा आ रहा हे"
शिवांश को अब तक अंदाज़ा नही था की किसी की चुदाई कर के इतना मज़ा आता हे ….अब जब उसे एहसास हुआ वो सब कुछ भूल कर एक अलग ही दुनिया में हे इसी भ्रम में था …...और अपनी दादी को तेज़ तेज़ चोदने लगा …….वो थक चूका था …..उसके नशे से उसका उत्तेजना बहार निकलना चाहता था …...वो दादी की चुत में अपरमपार धक्के लगते हुए झड़ने लगा…..जिससे उसका बदन कांप रहा था और नागेश्वरी उसको शिद्धत से प्यार देने लगी …..
शिवांश बेजान हो के अपनी दादी के ऊपर लेते हुए आँखे बंद कर ली…….