• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest ❦वो पल बेहद खूबसूरत होता है❦

Yogibaba00007

Active Member
831
2,290
124
अपडेट–27





कमरे में गरमाहट बढ़ रही थी । पंखे के हवा भी गर्मी शांत नही कर पा रही । नागेश्वरी पोते के लन्ड के मोटाई अपनी मुट्ठी में मापते हुए मन में बोल रही थी " कितना मोटा हैं मेरे पोते का हाय दईया कितना भारी है । "



नागेश्वरी शिवांश के बगल में लेट के उसके मुंह से तकिया हटा के उसे चूम के बोली " हाय मेरा बच्चा इतना शर्मिला हे री। एक बार दादी की तरफ देख ना"


लेकिन शिवांश अपनी आंखे खोल नही रहा था बास शर्म से मुस्कुराया । नागेश्वरी अपने पोते को गेले लगा कर बोली ।" मेरा बच्चा आज में बोहोत खुश हूं । अपनी दादी से जी भर के प्यार कर । बोहोत प्यासी है तेरी दादी प्यार पाने के लिए "


शिवांश अपने दादी मीठी मीठी बातों में आ के चूमने लगता हे । नागेश्वरी पोते का लन्ड फिर से एक हाथ में ले के सहलाने लगता हे और बोलती " आह मेरा बच्चा । आज खुद को रोक नही पाऊंगी । ऊंह आज तुझे औरतों को कैसे प्यार किया जाता है शिखा दूंगी "


शिवांश बोला " और कैसे प्यार करते हे "


" सब शिखा दूंगी मेरा मुन्ना । पहले मेरी बदन को पूरे जगह पे चुमों " नागेश्वरि बसना में मचल रही थी पोते के जिस्म से जिस्म रगड़वा के


शिवांश ने भी अपनी दादी की बात मान गया और सोचा की इस बार अगर बात नहीं मानूंगा तो फिर और ज्यादा गुस्सा हो गया । और उसे भी अपनी दादी के साथ वो सब करते हुए बोहोत आनंद आ रहा था । शर्म के बाबोजुद वो वोही कर राहा था जो उसकी दादी के रही थी ।


नागेश्वरी ने अपनी ब्लाउज उतार के ब्रा भी उतार दी और हाथ उठा लेट गई । शिवांश अपनी दादी को ऊपर से नंग देख के हकलाने लगा । पहली बार किसी औरत की नंगी चूचियां देख रहा था वो भी अपने दादी की ।


नागेश्वरी उसे ऐसे देख के पूछ ली ।" अच्छी नही है "

" बोहोत अच्छी हे " बोल के शर्मा गया ।


" तो डुडू पियो ना "


शिवांश कांपते हुए अपनी दादी की एक चूची मुंह में ले के बच्चे की तरफ चूसने लगा । नागेश्वरी ने उसे अगला पढ़ाओ शिखते हुए दूसरी चूची खुद ही दबा के मचल के दिखाई और पोते का दूसरी हाथ दूसरी चूची पे रख दी । शिवांश भी ऐसा ही करने लगा एक चूसी चूसते हुए दूसरे को हाथों से मसलने लगा । नागेश्वरी सुख में आईचह कर के सिसकारियां लेने लगी ।



शिवांश अपनी दादी की तरफ देखने लगा तो नागेश्वरि उसके भावना समझ के बोली " बेटा जब औरतें ऐसी अजीब अजीब आवाज़ निकले तो समझ जाना की उसे बोहोत आनंद आ रहा हे "


शिवांश मासूमियत से पूछा " दूदू चूसने पर भी आनंद आता हे "

नागेश्वरी अपने बेवकूफ पोते के ऊपर हास पड़ी और बोली । " बेटा औरतों के जिस भी अंग को चूसोगे चटोगे चुमोगे वो आनंदित हो जायेगी "


शिवांश पूरे शिद्दत से अपनी दादी की चूची को बारी बारी से चूसते हुऐ मसलते हुए दबाते हुए अपना काम कर रहा था और नागेश्वरी जिस्म की आग में तपते हुऐ पोते के सर पकड़ कर जहा मन चूमने लगी लगी । कभी उसकी कंधे पे कभी गर्दन पे कभी छाती पे चटवाने लगी । शिवांश बेहद खुश था । उसे भी बोहोत मजा आ रहा था अपनी दादी को चाट के खाने में ।


चूमते चूमते शिवांश खुदी ही अपनी दादी की उभरी हुई मखमली पेट पे चूमने लगा । और उसे मन किया की दादी की गहरी नाभी में जीव डाल दे और वैसा ही किया । अपनी दादी की गहरी नाभी में गीली जीव घुसा के चाटने लगा और जोश में आ के अपने हाथों से पेट को मसलने लगा ।

नागेश्वरी मछली की तरह छटपटाने लगी और चिल्लाने लगी " हाय दैय्या । उफ हु हु । ओह में मर गई । आह क्या कर दिया तूने आह ।" और अपनी टांगे अपच में चिपका के झांघो से झांघे रगड़ने लगी । उसे अपनी टांगो के बीच चीटिया रेंगती हुई मेहसूस करने लगी । जेसे उसके चूत से पानी रिस रही हो ऐसा महसूस करने लगी ।



शिवांश को लगा उसकी दादी को बहत आनंद आ रहा हे इसलिए उसने और ज्यादा करते हुए अपनी दादी की पेट सख्ती से मसलने लगा । मसलते मसलते गोरा पेट लाल कर दिया उंगलियों के निसान शाप के । दादी भी समझती थी अपने अनारी पोते के दिल की बात इसलिए उसे कोई फर्क नही पड़ा पोते के अच्छे बुरे तरीके से । वल्कि वो और सिसकारियां ले के पोते को जाता रही थी को उसे कीतना मजा आ रहा हे ।

 

Yogibaba00007

Active Member
831
2,290
124
अपडेट–२८






नागेश्वरि अपनी तड़प को रोक नही पाती हे और उठ के अपनी सारी और पेटीकोट उतार देती हे वो कभी भी पैंटी नहीं पहेनटी थी । वो बिस्तर पे अपनी टांगे खोल के घुटने मोड़ के लेट गई और अपने पोते को बेशर्मी से खिल के अपनी चूत दिखाने लगी । उसकी फूली हुई बड़ी चूत झांटों से भरी थी चूत के दोनो हल्के बेगुनी और गुलाबी रंग की होंठ चिपकी हुई थी जो चिप छिपा चूत रस से चमक रही थी ।

नागेश्वरी बोली । " छू के नही देखोगे । "


शिवांश शर्मा गया लेकिन अब वो भी अपनी दादी की चूत चुने का मन कटने लगा और वो धड़कते दिल को थाम के धीरे से दो उंगली से छू लिया । नागेश्वरी मचल उठी " उईह माहह । अब बर्दास्त नही होता हे। बेटा पेंट उतार दे अपना "


शिवांश कुछ समझ नही पाया क्यू पेंट उतरने को बोल रही है । वैसे भी तो नंगा ही हूं पेंट तो आधा उतर ही चुका हे । उसने पूरा पेंट उतार के बगल रख दिया ।


नागेश्वरि अपने पोते को खींच के अपनी टांगो के बीच लाके के उसके लन्ड को पकड़ के अपनी चूत के मुहाने पे रगड़ के सिसकने लगी " इस आह इस । उह क्या हो गया हे मुझे । उफ "


शिवांश धीरे से बोला ।" दादी हम ये नही कर सकते । पाप चढ़ेगा "

नागेश्वरी थोरी हैरानी में बोली । " क्या नही कर सकते हे। और क्या चढ़ेगा "

शिवांश बोला " यही सेक्स । जो पति पत्नी करते हे । हम नहीं कर सकते । पाप लगेगा "


नागेश्वरी बोहोत गुस्सा हो गई लेकिन अपनी गुस्से को पी के प्यार से समझते हुए बोली " देख बेटा प्यार में कोई पाप नही होता हे। और किसी को खुशी देने से पाप नही लगता हे । मुझे अभी इसकी बोहोत जरूरत हे । सालो से दबा के रखा इस सुख को अब भड़क गई ही तो तड़प से मर जाऊंगी । एक बार मुझे शांत कर दे बेटा "


शिवांश बोला ।" लेकिन इससे तो मेरी पुण्य होगा और आपकी पाप "


नागेश्वरी गुस्से में पिए को घूरने लगी । साइड वो कुछ कहना चाहती थी लेकिन डर से बिलबिला उठी " उईह्ह । आईयायाया मर गई में "


अपनी दादी को गुस्सा होते देख के शिवांश बिना कुछ सोचे समझे अपनी दादी को खुश करने के लिए एक झटके से पूरा लन्ड घुसा दिया । एक तो अनाड़ी था पहला अनुभव था उसे बस घुसाना था घुसा दिया लेकिन झटका इतना दम दर था की नागेश्वरी को लगा एक पल के लिए की उसकी जान निकल गई । पोते का लन्ड चूत की दीवारों को चीरते हुए गहराई में ठोकर मरती हुई मेहसूस से दर से बिल बोला उठी थी।


लेकिन अगले ही पल मुस्कुराते हुए पोते को चूम के बोली " आराम से मेरा शेर । सालो बाद गुफाह में कोई सांप घुसा है । ऊपर से सांप भी हाथी जैसा है । "

शिवांश अपनी दादी की चूत में धीरे धीरे लन्ड अन्दर बाहर करने लगा। उसे अपनी दादी की कसी हुई चूत मे इतना आनंद महसूस हो रहा की वो आंखे बंद कर के अपनी दादी के छाती पे सर रख के आंखे बंद कर पूरा एहसास करते हुऐ दादी को चोदने लगा ।

नागेश्वरी को यौन सुख और पीरा दोनो मिला झूला एहसास हो रहा था । और " आउह मेरा बच्चा । आह । आह " कर के कामुक आहे भरते हुए पोते के सर को सहलाते हुए मन में कहने लगी " कितना मोटा हे । मेरी मुनिया को फैला कर घुस रहा हे और कितना गहरा जाता है उफ दर्द भी देता है मीठा मीठा । काकी तुम्हारा शुकिरिया । तुम्हारी वजह से मुझे अपने पोते से इतना सुख मिल रहा हे । हां है तो गलत ये । लेकिन क्या करू अब हो गया सो हो गया ।


शिवांश मुस्किल से दस पन्द्रह ही धक्के लगाए होंगे की अचानक वो कहने लगा " दादी मुझे कुछ" वो पूरी बात कह भी नही पाया और थर थर कांपते हुए अपनी दादी की चूत में झड़ गया । और हांफने लगा । नागेश्वरी ने महसूस किया की अपनी चूत में उसका पोता ढेर सारा वीर्य चोर दिया हे ।



नागेश्वरी उसे सहला के चूम के बोहोत प्यार करने लगी । लेकिन उसकी गर्मी अभी शांत नही हुई थी । सुरु हुई थी ही उसकी ।


" कैसा लगा मेरा बच्चा " नागेश्वरी पूछी

" बोहोत अच्छा दादी । लास्ट में मेरी जान निकल गया था । " शिवांश शर्माते हुए हास के बोला

" देखा कितना आनंद आता हे । फिर भी ना कर रहे थे । डरो मत कोई पाप बाप नहीं चढ़ेगा हमे । हमारा प्यार सच्चा है । "

" दादी बोहोत हल्का लग रहा है "

" लगेगा ही ना । अपनी दादी के अंदर इतना सारा पानी छोर के गंदा कर दिया " नागेश्वरी झूठा शिकायत करने लगी ।


"सॉरी दादी वो अपने आप हो गया "

नागेश्वरी मुस्कुरा के उसे बोली " अरे बुद्धू मुझे अच्छा लगा । बहत अच्छा महसूस हुए "

" दादी अब क्या आप मां बन जोगी " शिवांश सक के नजर से देखने लगा

" अरे नही । उसके लिए भी सही समय होता हे । अभी वो समय नेहि आया हे मेरा। वैसे भी इस उम्र में गर्भ ठहरना मुस्कील है और तू दर मत मेरे पास एक नुस्का उसे में कभी भी गर्भवती नही हूंगी । तू खुल के प्यार कर सकता है "

" क्या हम आगे भी करते रहेंगे । "

" क्यों बार बार भी नहीं कर सकते हे क्या । अभी और करना होगा मेरी प्यास अभी बुझी नही हे । वो तो तुझे में थोड़ा आराम करने दे रही हूं। अभी देखना कैसे तुझे मेहनत करवाती हूं "


" दादी में दादाजी बन गया ।" शिवांश अपनी दादी की कान में शरारत कर के बोलता है ।

" चल बदमाश । तू जितना शर्मिला और सीधा साधा हे उतना ही शैतान भी हो । हा अगर ऐसे ही अपनी दादी को खुश करते रहोगे तो एक दिन जरूर दादाजी बन जाओगे "
 

Yogibaba00007

Active Member
831
2,290
124
आपदते - 29



नागेश्वरि अपने पोते को बिस्तर पे लेटा देती और अपने पोते के टांगो के बिच झुक के लंड मुठ्ठी में ले के चूसने तैयार थी ….ये देख के शिवांश सोचने लगा दादी क्या मेरा लंड चुचेगी उसके लिए एक नया अभिज्ञता था …..उसके ज्ञान में तो प्रेमी या पति पत्नी छुट में सिर्फ लंड दाल कर सेक्स करते हे ……..शिवांश को इस नयी कार्य के हैरत भरी घिनोना सोच आया …...वो अपनी दादी को रोकना चाहा तो नागेश्वरी ने उसका हाथ जकड़ कर उसके सुपारे को चुसके मुस्कुराई ……...शिवांश के नसों में जेइसे तेज़ लहर से आनंद महसूस हुआ …….


नागेश्वरी पोते का गठीला लंड पूरा मुह खोल के चूसने लगी …...नागेश्वरी मन में सोचने लगी कितना चौड़ा हे भारी भारी सा स्वाद आ रहा हे …...नागेश्वरी अपने पोते की खासियद से गर्वित हो गयी…….और लंड को अपनी मुठ्ठी तक होले से चूसने लगी …….शिवांश सुखद आनंद से मुह खोल के कामुक केहेजे से अपनी दादी की लंड चूसती हु कामुक दृश्य देखने लगा…..नागेश्वरी अपने को चेहरे को बिच बिच में देख के मुस्कुरा रही थी ...और खुस हो रही थी अपने पोते को इतने आनंद में देख कर ……..


५ मिनट तक नागेश्वरी पोते का लंड चूसती हे …...और फिर बोलती हे “ उंह मुह दुख गया अब तुम्हारी बारी हे ……..और बिस्तर पे लेट गयी और अपनी तांगे खोल दी …….


शिवांश मुह तकते देखता रहा उसे कुछ समझ नही आया …….ये देख के नागेश्वरी बोली … “क्या हुआ ऐसे क्या देख रहे हो टुकुर टुकुर अब मेरा चुसो”

शिवांश अजीब सी कस्मोकास में अपनी दादी की टांगो के बिच झुक गया और जेइसे ही अपनी दादी की गीली छुट नज़र आई घिन भाब से उक के बोला “दादी गन्दा हे”

नागेश्वरी बोली “वाह भाई जब में तेरा चूस रहा था तब तू मजे ले रहा था …..अब अपनी दादी को मज़े देने की बारी आई तो तुझे घिन आ रहा हे कम्बखत ….ठीक हे मत दे अपनी दादी को मज़ा ऐसे ही तरपते हुए मर जाने दे”...
शिवांश चिढ़ते हुए बोला “करता हु रुको ….हमेसा अकड़ दिखाती रहती हे” और अपनी दादी की ब्लाउज से छुट को अच्छे से पोश के साफ़ किया …….नागेश्वरी पोते की हरकत देख के मुस्कुरा रही थी …..शिवांश घिन भाव को दबा के अपनी दादी की छुट के भोगनसे को जिव निकल के चाटने लगा …..नागेश्वरी योन सुख की दुनिया में चली गयी और उसकी पलके उलट पलट होने लगी …..शिवांश को अजीब सा स्वाद आ रहा था गिला नरम नर्म जो उसके लिए अलग ही एहसास था …...लेकिन अपनी दादी को इतने आनंद में देख कर उसका भी मन किया अपनी दादी को ऐसे ही आनंद देते रहे …..और उसने अच्छे से जिव निकल कर दादी की छुट के मोटे टेढ़े मेढ़े नील गुलाबी होंठ के बिच चाटने लगा …….


नागेश्वरी सालों बाद जिस्म की सुख पा कर कुछ ज्यादा ही उत्तेजित थी …शिवांश को भी छुट चाटने का स्वाद भा गया था ….


कुछ देर बाद नागेश्वेरी बोली “ओह मेरा बच्चा बस अब आ जा दादी के अन्दर समा जा …….

शिवांश अपनी दादी के टांगो के बिच घुटने टेक के अपने लंड को दादी की छुट पे घुसाने को तैयार हुआ …तभी दादी बोली “शिवू पहले थोरा आराम से करना ...नही तो तेरी मर जाएगी”
 
Last edited:

Yogibaba00007

Active Member
831
2,290
124
अपडेट -३०


शिवांश आराम से कमर आगे की तरफ धकेलता गया और उसका लंड अपनी दादी छुट में पूरा गाएब हो गया ….अपनी दादी के कमर में हाथ रख के धीरे धीरे आगे पीछे होने लगा …...लेकिन जेइसे ही अपनी दादी से नज़रे मिलती तो वो शर्मा के नज़रे झुका लेता था …….दोनों दादी पोते को अत्यंत ही आनंद हो रहा था ……


“आह्स्स्स शिवू ...तुझे अच्चा नही लग रहा हे"

शिवांश शर्म के मारे कुछ बोल ही नही पाया …..और अपनी दादी की बाहों में जा गिरा …….नागेश्वरी पोते को बाहों में भर ली …….पोते को अपनी दादी की संकुरी छुट की कसावट से उतन्न हुई योन आनंद से अस्थिर हो रहा था ,....औरत दादी पोते के लंड को अपनी चुत में घिसती हुई गहराई में महसूस कर सिसिया रही थी…..एक पोता और दादी के बिच काम क्रिरा येही सोच दोनों को और ज्यादा उत्येजित और आनंदित कर रहा था……


शिवांश मज़े से सारी कस्मोकास और संकाश भाव को भूल गया था ...और कभी तेज़ी से झटके मारता था तो कभी धीमे धीमे …दादी की चुत तेज़ झटको से इतनी ज्यादा रगड़ खाती थी की दादी की चींख निकल पड़ती थी और कहती थी “आउह्ह्ह आउह्ह्ह ….ओन्ह्ह शिवा ...आउच आह मर गयी में तो आज ….”


शिवांश अपनी दादी इतना प्यार करना चाहता था की उसने दादी की बदन बाहों भींचने लगा चिकनी कंधे पे मुह रगड़ रगड़ कर चुमते हुए तेज धक्के लगाने लगे…..नागेश्वरी आनंद से इतनी उत्तेजित हो गयी थी वो झटके खा खा के झाड़ रही थी ….अनाड़ी पोते को लगा दादी को बेहद मज़ा आ रहा हे ब्याकुल हो के वो और ज्यादा जोश में और तेज़ी से झाटके देने लगा ….


नागेश्वरी सह नही पा रही थी और पोते पीछे धकेल दिया और हाफ्ने लगी …...शिवांश को लगा उसने दादी को फिर गुस्सा दिलाया और वो मुह लटकाए शर्मिंदा हो गया …..नागेश्वरी को ये बात एहसास हुई और उसने शिवांश को खिंच के बाहों ले के प्यार करने लगी …… “ओह मेरा बच्चा में गुस्सा नही हूँ तुमपे ….तुम अभी नशिखिये हो न इसलिए सामने वाली की भावनाओ को इस वक़्त समझ नही पाओगे ….तुम इतने तेज़ी किया तो मुझे जलन हुई इसलिए धक्का दिया ….नाराज़ मत हो ….चल फिर से कर ….”



शिवांश फिर दादी को चोदने लगा ……. नागेश्वरी पोते को चूमने लगी जिव से जिव रगड़ के चूसने लगी ….शिवांश अपनी दादी को देखने लगा आखों में …..नागेश्वरी पूछी “तुझे मज़ा आ रहा हे …”

शिवांश हलके से मुस्कुरा के सर हिलाया …….नागेश्वरी बोली ….. “कितना” शिवांश पूरा जिव निकल के दादी की गाल पूरा चाट के बोला “इतना”

“तुझे न में अपने जेइसा बेशर्म बनूंगी ….”


शिवांश धीरे धिरे चोद रहा था ….वो मुस्कुरा के बोला “आप बहत कामिनी हो”

वैसे तो जानती थी नागेश्वरी जानती उसका पोता कैसा हे लेकिन चुदाई के दौरान वो ऐसे बोलेगा उसे ये उमीद नही थी …..उसकी आँखे बड़ी हो गयी और बोली…. “हटो …..और करने नही दूंगी हटो"

शिवांश अपनी दादी की गर्दन में काटते हुए बोला … “आपके बहत नखरे हे ...एक बात बोलू आपकी बदन बहत खुबसुरत हे और मुलायम भी ...मन कर रहा हे बाहों में ले के बहत प्यार करू”

शिवांश अपनी दादी को अच्च्चे से चोदने लगा …...नागेश्वरी बोलने लगी मज़े लेती हुई “आइस्स्स आह्ह ….हो रहा हे न ऊंह मेरी तरह बेशर्म …..आन्न्ह्ह मा….मेरा बच्चा अच्छे से करता रेह ….ऊउईह्ह कितना मज़ा आ रहा हे"


शिवांश को अब तक अंदाज़ा नही था की किसी की चुदाई कर के इतना मज़ा आता हे ….अब जब उसे एहसास हुआ वो सब कुछ भूल कर एक अलग ही दुनिया में हे इसी भ्रम में था …...और अपनी दादी को तेज़ तेज़ चोदने लगा …….वो थक चूका था …..उसके नशे से उसका उत्तेजना बहार निकलना चाहता था …...वो दादी की चुत में अपरमपार धक्के लगते हुए झड़ने लगा…..जिससे उसका बदन कांप रहा था और नागेश्वरी उसको शिद्धत से प्यार देने लगी …..


शिवांश बेजान हो के अपनी दादी के ऊपर लेते हुए आँखे बंद कर ली…….
 

Napster

Well-Known Member
4,982
13,766
158
एक लंबे इंतजार के बाद बहुत ही सुंदर लाजवाब कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
Top