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Thriller 100 - Encounter !!!! Journey Of An Innocent Girl (Completed)

nain11ster

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दूसरी घटना:- भाग 3




अनुज भाभी का सबसे छोटा वाला भाई थे जिसकी शादी 3 साल पहले हुई थी और उनकी बीवी अपने पहले डिलीवरी के लिए मायके गई हुई थी. 1 हफ्ते बाद की उसके बच्चे की डिलीवरी थी और उस बेचारे को भी मजबूरी में यहां आना परा.


अमूमन हमारी बहुत ही कम बात हुई थी, लेकिन इस वक़्त साथ थे तो कुछ-कुछ बातें हो रही थी. हम तकरीबन 1 घंटे बाद शॉपिंग करके लौट आए. मैंने उन्हें धन्यवाद कहा और सबको चाय के लिए पूछने लगी. बस फिर कुछ इधर और कुछ उधर के काम सब चलते रहे और रात में तकरीबन 9 बजे मुझे फुरसत मिली.


फुरसत से मै पहली बार अपनी फोन को देख रही थी. मेरे लिए इस वक़्त तो ये किसी मासूक से कम नहीं था, जिसे जानने के लिए मै काफी उत्साहित थी. लो ये तो पहले चरण में ही पुरा मूड ऑफ हो गया.. इन आईफोन वालों ने ये क्या आईडी की पंचायत पाल रखी थी.


रात के 9 से ऊपर का समय हो गया था इसलिए प्राची दीदी को मैंने कॉल ना लगाकर अपने डब्बे वाले मोबाइल से संदेश भेज दिया.. 2 मिनट बाद ही उनका फोन मेरे पास आया... ना हाई, ना हेल्लो मुझे कॉल लगाकर वो हंसे जा रही थी..


मै:- हेल्लो .. हेल्लो..


प्राची:- सॉरी सॉरी.. तुम्हारा एसएमएस इतना इतना फनी था कि मै पिछले 2 मिनट से हंस रही हूं. अच्छा छोड़ो वो, तुम्हारे पास ईमेल अकाउंट है..


मै:- एक ईमेल अकाउंट कॉलेज में दी हूं वो वाला है बस..


प्राची:- तुमने बनाया था वो अकाउंट..


मै:- नहीं वो सब भईया देखते है.. मुझे इन सब चीज का आइडिया नहीं है.


प्राची:- हम्मम ! कंप्यूटर, लैपटॉप, इन सब में से कुछ चलाई हो..


मै:- कभी जरूरत ही नहीं हुई..


प्राची:- जरूरत तो हमे पीरियड्स की भी नहीं थी, फिर भी हर महीने झेलते है ना..


मै:- वो तो भगवान का दिया है ना दीदी, अब मर्जी हो की ना हो, भुगतना तो परेगा ना.


प्राची:- हां ये भी सही है.. अच्छा ये बताओ यहां कितने दिनों के लिए हो..


मै:- एक हफ्ते तो हूं मै यहां, या उससे ज्यादा भी वक़्त लग सकता है..


प्राची:- ठीक है कल चलना मेरे साथ मेरे पहचान एक कंप्यूटर वाले है, वो तुम्हे 1 हफ्ते में बेसिक सीखा देगा..


मै:- लेकिन मै कंप्यूटर का बेसिक सीखकर क्या करूंगी..


प्राची:- क्या जवाब दूं मै तुम्हारे सवाल का. छोड़ो, कल शॉप आ जाना, वहां एक आईडी क्रिएट करके मै तुम्हे सब बता दूंगी. और हां लंच टाइम में आना…


मैंने उनकी बात पर हां कहा और फोन रख दी. वैसे तो मै रात के 8 से 8.30 के बीच सो जाती हूं, लेकिन यहां तो साढ़े 9 बजने जा रहे थे. मेरी आखें और शरीर जवाब देने लगी थी, फिर भी मै फोन के साथ छेड़-छाड़ किए जा रही थी. कब नींद पर गई पता भी नहीं चला.


मैं बहुत गहरी नींद में थी जब सुबह-सुबह बड़ी भाभी आकर जगा गई, और जाते-जाते सबके लिए रोटी पकाने कह गई थी. मन तो उठने का बिल्कुल नहीं था, लेकिन फिर भी उठना परा. आखें मिजती मै अपने कमरे के बाथरूम में गई, और लौटकर किचेन. पता नहीं कौन सी चिर निद्रा लगी थी, आखें खुलने का नाम ही ना ले.


किचेन में केवल नल लगा हुआ था लेकिन पानी नहीं आता था. आटा गूंथने के लिए साफ पानी तो रखा था, लेकिन अन्य कामों के लिए पानी नहीं रखा हुआ था. मैं लाख आवाज़ देती रही बड़ी भाभी एक बाल्टी पानी ला दो, लेकिन मजाल है जो एक बार में सुने और तीसरी बार ने कर्राहते हुए कहने लगी उनकी पीठ कर कमर में तेज दर्द है…


मैंने फिर दोबारा नहीं कहा और बाल्टी उठाकर कॉमन बाथरूम में चल दि. यहां केवल मेरे कमरे का काम फिनिश हुआ था इसलिए वहीं के बाथरूम में पानी आता था, बाकियों के लिए कॉमन बाथरूम था, जिसमें पनी तो आता था, लेकिन दरवाजा अभी नहीं लगे था. फिहाल काम चलाऊ पर्दा लगा हुआ था, जिसको बाकी का लोग इस्तमाल करते थे…


मैंने पर्दा हटाया, और झट से पीछे होकर सीधा किचेन में चली आयी. बेवकूफ कहीं का, यदि दरवाजा नहीं लगा किसी बाथरूम में तो कम से कम ऊपर कुछ कपड़े ही डाल देता, और खुली बाथरूम में पूरे नंगे होकर कौन नहाता है, जबकि सिवाय मेरे रूम के किसी भी रूम का जब बाथरूम चालू ना हो. ऐसा लग रहा था सारे पागल मेरे नसीब में ही कुंडली मार लिए है. छोटी भाभी के भाई अनुज की हरकत से मैं पूरी तरह चिढी हुई थी…


मैं जल्दी से अपना काम खत्म करे के सीधा अपने रूम में चली गई और दरवाजा बंद करके वापस सो गई. मा, भईया, पिताजी.. सब एक-एक करके मुझे जागने आते रहे, लेकिन मैंने सबको मना कर दिया, और बोल दिया नींद बहुत आ रही है.


पता नहीं मै कितनी देर तक सोई, लेकिन फिर से किसी ने दरवाजा पीटा, मैं चिढ़कर आखें मिजती दरवाजा खोली और आधी जम्हाई ले ही रही थी कि… "दीदी आप"… मेरे दरवाजे पर प्राची दीदी खड़ी थी.


वो अंदर आकर बेड पर बैठती… "फटाफट तैयार हो जाओ, हम घूमने जा रहे है."


मै:- क्या ?


प्राची:- इतना चौंक क्यों रही हो, घूमने जाने के लिए ही तो कह रही..


मै:- हां वो तो समझी, लेकिन ना आप मुझे जानती है और ना ही मै आपको. ऊपर से मेरी भाभी हॉस्पिटल में है और मै तो उनके पास जा रही हूं.


प्राची:- ये भी जानती हूं, लेकिन बीच के 2 घंटे, मैंने तुम्हारा पापा से मांग लिए..


मै:- मतलब मै समझी नहीं..


तभी प्राची दीदी ने पापा को कॉल लगाया और फोन स्पीकर पर डाल दी. पापा ने जो उधर से कहा, मुझे बस इतना ही लगा कि अरे यार अच्छा खासा सो रही थी, ये कहां फंसा दिया. दरअसल राजवीर की बेटी प्राची, 12th के बाद से दिल्ली में रही, यहां बस 1 मंथ के लिए अपना बिजनेस सेटअप डालने आयी थी, फिर वापस लौटकर दिल्ली.. इसी बीच इनको मै कल दिख गई, 2 बार इनसे बातचीत हुई और अभी ये मेरे दरवाजे पर थी, वो भी मेरे पापा से पहले ही पूछकर आयी थी कि मुझे घुमाने ले जा रही.


कहा भी किसने तो राजवीर सिंह की बेटी ने. वो राजवीर सिंग जो पैसे और संपत्ति में हमसे 20 गुना बड़ा होगा, या शायद मै ही कम आंक रही कुछ कह नहीं सकते. हमारे पूर्वजों ने गांव में जमीन अर्जा था, तो उनके पूर्वजों ने सहर में. अब आप समझ ही सकते है, जहां हमारी 10 एकड़ की खेत होगी वहां इनका 4000 स्क्वेयर फीट का जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा. और जहां तक मै जानती हूं, शहर में इनकी लगभग 2 एकड़ की जमीन तो ऐसे बाउंड्री करवाकर प्रति परी हुई है. अब भला ऐसे लोगो के यहां की लड़की जब खुद से संपर्क करे, तो मजाल है मेरे पिताजी मना कर सकते थे. और ये भी मेंम साहब पहुंच गई..


मै:- दीदी इसे जबरदस्ती करना कहते है. मानाकी पापा ने जाने कह दिया, लेकिन मेरा भी तो मन होना चाहिए ना..


प्राची:- तुम्हे वो एप्पल की आईडी बनाने थी ना, उसके लिए तो 2 घंटे निकालकर आती ही ना मेरे पास..


मै:- एप्पल की आईडी, वो क्या होता है?


प्राची:- अरे वही आईडी जो तुम्हारे फोन के लिए चाहिए.. ये एप्पल का फोन है और इसे चलाने के लिए एप्पल की आईडी चाहिए.. भले ही पैसे जो भी लगे लेकिन ये दुनिया का सबसे सुरक्षित फोन है..


मै:- ओह ! मतलब इसे यदि मै टेबल पर रख दूं और कोई दूसरा उठाने आया तो इसमें से जोर-जोर से अलार्म बजने लगेगा.. ऐसा कुछ..


प्राची:- मुझे क्या पता, तुम्हे तो जबरदस्ती मै घुमाने ले जा रही हूं ना. एक दिन पहले मिले है, और मै अगले दिन तुम्हारे घर में आ गई, तुम्हे परेशान करने…


मै:- ठीक है चलती हूं दीदी. वैसे देखकर लगा नहीं था कि आपमें ताने देने वाला कोई गुण होगा, लेकिन मैं गलत थी..


प्राची:- हीहीहीहीहीही… जानती हो तुम जिस तरह से अनजान बनकर हर सवाल पूछती हो, उसका कोई आधा सवाल भी पूछ ले तो मै उस इंसान को दूर से देखकर ही नमस्ते कर लू.


मै अपने कपड़े समेटकर बाथरूम के ओर बढ़ती… "दीदी मुझे कुछ देर समय लगेगा."


प्राची:- कोई बात नहीं, तबतक मै तुम्हारी आईडी क्रिएट कर देती हूं, कहां है फोन.


मै:- फोन तो भईया के कमरे में है, मै 2 मिनट में आकर देती हूं.


मैं बिना बाल गीले किए बिना फटाफट स्नान की और बाहर आ गई. 10 मिनट में में तैयार होकर अपना बैग हाथ में ले ली..


मै:- चले दीदी…


प्राची:- फोन तो ले आओ..


"ओह हां" करके मै भईया के कमरे में गई, और अपने चोर पॉकेट से फोन हाथ में लेकर वापस अपने कमरे में आ गई. फिर सिम लगाने से लेकर आईडी बनाने तक का सारा काम मेरे आखों के सामने हुआ. पासवर्ड वायग्रा सब निजी होता है, यह बात मुझे प्राची दीदी ने अच्छे से समझाया, और जब पासवर्ड डालने की बारी आई तब उसने फोन मुझे ही पकड़ा दिया.


तकरीबन 1 घंटे प्राची दीदी वहां रही थी, लेकिन मुझे पता नहीं था कि हम दोनों की बात कोई तीसरा छिपकर सुन रहा है. सुबह अनुज के साथ हुई दुर्घटना के बाद मै रूम में क्या पुरा दिन रही, इस मामले ने नया रंग ही ले लिया था जिसकी भनक से मै पूरी तरह अनजान थी.


खैर मै और प्राची दीदी जैसे ही घूमने निकले, वहां तभी पीछे से अनुज ने रोकते हुए पूछ लिया, कहां जा रही हो. मैंने भी उसे अपने घूमने जाने के बारे में बता दिया. अनुज भी हमारे साथ जाने की इक्छा जताने लगा लेकिन प्राची दीदी उसे साफ मना कर दी, और सॉरी बॉस कहकर वहां से निकल गईं.


हम दोनों जैसे ही प्राची दीदी के कार में बैठे… "मुझे माफ़ कर देना, मै तुम्हे अपने साथ जबरदस्ती ले आयी."..


मै:- आपको ड्राइव करनी आती है..


प्राची:- हां आती है.. तुमने सीखी है कि नहीं.. ओह सॉरी जबाव तो शायद वही होगा, "लेकिन मै ड्राइविंग सीख कर करूंगी क्या?"


मै:- ओह तो ये बात है, कल मैंने आपसे ये सब कहा इसलिए आप उसका बदला लेने आयी है..


प्राची:- प्रिया प्राची दीदी, नमस्ते. यदि आप को इस वक़्त मै परेशान कर रही हूं, तो मुझे क्षमा कर दे. यघपी मै यह बात भाली भांति समझ सकती हूं, कि रात में किसी अनजान का संदेश आना, वो भी अपने निजी समय में किसी काम के सिलसिले वाला, तो यकीनन यह एक क्रोधित करने वाला कार्य है. किन्तु पहली बार फोन मेरे हाथ में है और इसे जानने की तीव्र जिज्ञासा में मै यह भुल कर रही हूं. अतः यदि आपको परेशान की हूं तो मुझे क्षमा कीजिएगा और अब जब आप परेशान हो ही गई है, तो अपनी छोटी बहन की परेशानी को दूर करने के उपाय अवश्य बता दीजिएगा. मेनका मिश्रा, आप के भव्या दुकान की एक ग्राहक..


मै:- ये तो मेरा भेजा मैसेज है..


प्राची:- बस इसे पढ़ने के बाद मैंने आज आधे दिन की छुट्टी ली और तुम्हारे साथ हूं. मैंने तुम्हारे मैसेज से तुम्हारा नाम हटा दिया था और अपने सोशल अकाउंट कर शेयर किया. तुम्हे पता है तुम्हारा ये मैसेज मेरे प्रोफाइल पर अब तक का सबसे ज्यादा लाइक किया जाने वाला पोस्ट है..


मै:- लेकिन दीदी..


प्राची:- हां जानती हूं अब क्या कहना है तुम्हे.. ये सोशल साइट है क्या?


मै:- वो तो जानती हूं, आज कल हर गंवार जिस जगह पहुंचकर होशियार बाना हुआ है, उसी की बात कर रही है आप.. मै वो नहीं कह रही. मै तो बस ये जानना चाह रही हूं कि बस एक मैसेज ही तो की थी. उसके लिए आप मेरे साथ घूमने का प्लान बना ली..


प्राची:- मेरी जान यदि कोई लड़का ये मैसेज करके मुझे प्रपोज किए होता तो मै पापा को भेजकर उससे शादी तय करवा लेटी, तुमसे तो सिर्फ घूमने की बात कर रही हूं.


प्राची दीदी की बात सुनकर मुझे बहुत ही ज्यादा अजीब लगा. एक साधारण सा संदेश भेजा था, उसमे इसे ऐसा क्या दिख गया कि यदि भेजने वाला लड़का होता तो उससे शादी कर लेती… मुझे भी उनके ख्याल जानने की इक्छा होने लगी कि आखिर उस संदेश में ऐसा क्या खास था..


मै:- दीदी नॉर्मल तो मैसेज था, उसके लिए आप इतना सब कुछ कैसे सोच ली…


प्राची:- पागल ये नॉर्मल मैसेज है.. अगर ये तुम्हारा नॉर्मल तरीका है किसी को रिस्पॉन्ड करने का तो मेरे साथ काम करो, तुम सोच भी नहीं सकती की 6 महीने में तुम कहां से कहां होगी..


मै:- दीदी मै साधारण सी लड़की हूं, आप क्यों इतना बात घुमा रही है. जारा राज से पर्दा भी उठा दो, वरना आपके बातो से उठता सस्पेंस कहीं मेरी जान ना ले ले..


प्राची:- हीहीहीही.. तुम्हारी जान इतनी भी सस्ती नहीं. सुनो जो तुमने अंजाने में अपना साधारण सा संदेश भेजा, उसे कहते है किसी को अपना काम करने पर मजबूर कर देना. मै 9 बजे रात तो क्या बल्कि शाम 7 बजे के बाद किसी कॉस्टमर के ना तो कॉल और ना ही मैसेज को रिस्पॉन्ड करती हूं.. तुमने जो भी लिखा सही लिखा, वो मेरा निजी वक़्त था और मैं गुस्सा भी होती हूं ऐसे लोगो से. खासकर लौड़ों की बात करे तो, जिसे प्रोडक्ट हेल्प के लिए अपना नंबर देती हूं और साले ठरकी मुझे ही पटाने लग जाते है.

कल रात अचानक से तुम्हारा मैसेज आया. रोज ही आते है मेरे ऑफिसियल नंबर पर, मै ध्यान नहीं देती. कल रात थोड़ा फ्री थी और मन में टाइम पास की इक्छा जाग रही थी, इसलिए मै भी किसी बकरे की तलाश में उस फोन के कॉल लॉग और मैसेज देख रही थी. तभी तुम्हारा मैसेज आया.. जिसके पहले पार्ट गुस्से को पूरा वैसे ही पिघला रहा था जैसे फ्रिजर से बटर को निकालकर किसी गरम तवे पर रखा गया हो. उसके ठीक नीचे उसका पुरा एक्सप्लेन.. फिर आगे अपनी सिचुएशन तुमने बयान किया कि किन हालात में तुमने ये मैसेज किया और जो तुम्हारे संदेश का सबसे हाईलाइट प्वाइंट रहा.. जब आप परेशान हो ही गई हो तो कम से कम मेरा काम ही कर दो.. जबकि लोग लिखते हो सके तो मेरे प्रॉब्लम को जल्द से जल्द शॉर्ट आउट कीजिए…

आह क्या बताऊं कैसा लगा वो पढ़कर.. ऐसा लगा जैसे आईआईएम से पासआउट कोई बिजनेस मैनेजमेंट का गुरु, अपना संदेश लिख रहा हो, जो पहली बार में ही अपनी बातो से किसी भी कंपनी के एमडी को चीत कर दे.. तभी मैंने फैसला किया कि एक दिन तुम्हे देना तो चाहिए. तुम्हारे मैसेज से तुम्हे जानने की जिज्ञासा बढ़ गई.


मै:- दीदी बस इतना ही आता है उससे ज्यादा कोई टैलेंट नहीं है. वैसे आप का बहुत बहुत धन्यवाद सब बताने के लिए, वरना मै समझ ही नहीं पा रही थी कि आखिर आपको हुआ क्या है जो 2 बजे दिन तक मेरे दरवाजे पर आ पहुंची....


प्राची:- मै टैलेंट की कद्र करती हूं, और तुमसे बात करने के बाद तो पुरा यकीन हो गया की तुम में प्रतिभा को कोई कमी नहीं है. मैंने अपना पर्सनल नंबर तुम्हारे मोबाइल में सेव कर दिया है, कभी भी मेरे साथ काम करने की इक्छा हो एक कॉल कर लेना. फिलहाल अभी बहुत छोटी हो, इसलिए अपने पढ़ाई पर ध्यान दो और कोई हेल्प चाहिए हो तो समझना एक बड़ी बहन तुम्हारी दिल्ली में रहती है, जो किसी भी वक़्त तुम्हे मदद कर सकती है.


मै:- दीदी एक बात बोलूं..


प्राची:- चिल यार, दीदी ही समझो, और बेझिझक बोलो, जैसे अपने घर के किसी सदस्य से बात करती हो..


मै:- दीदी आप की ड्रेसिंग सेंस काफी अच्छी है, और कपड़ों के सलेक्शन भी..


प्राची:- थैंक यू, मेनका. तो चलो चलकर पहले कुछ शॉपिंग ही की जाए.


मै:- नाह! आप मुझे घुमाने लाई है ना तो वहीं कीजिए.. आपके साथ थोड़ा खुलकर घूम भी लूंगी…


मेरे दरवाजे पर जबसे प्राची दीदी की दस्तक हुई, बस यूं लग रहा था कोई अनजान गले पड़ी है. जबसे जाना की प्राची दीदी मेरे साथ क्यों घूमने चली आयी, तब जाकर मै कहीं निश्चिंत हुई. प्राची दीदी के साथ अच्छा लगने लगा, तो मै भी थोड़ी बहुत खुल चुकी थी. हां मै एक बात निश्चित तौर पर कह सकती थी कि मै सच में किसी अच्छे इंसान से मिल रही थी.
 

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घटना 2:- आखरी भाग…







तकरीबन 6 बजे हम दोनों ही हॉस्पिटल पहुंचे. ऐसा लगा ही नहीं की वो किसी अनजान से मिल रही है. बातो में उतनी ही शालीनता और लोगो के लिए आदर और सम्मान भी. कोई हिचक नहीं की किसी गैर मर्द से बात कर रही है या किसी अपने से. कोई डर नहीं की अकेली घूम रही है, जबकि शाम ढल चुकी थी और अंधेरा हो चुका था. बस मै खुद पर भरोसा रखने वाली एक लड़की के साथ शाम के 6 बजे तक थी, जिसके पास हम से भी ज्यादा मजबूत परिवार था, लेकिन उसे जीने के लिए परिवार की बैसाखी की नहीं अपितु उनके प्यार भरोसे और साथ की जरूरत थी.


शाम के 7 बजे वो चली गई. इधर महेश भईया भी भाभी और बच्चो को लेकर चले गए. मां और पिताजी भी वहीं से मामा के यहां वापस लौट गए, अपने अधूरे काम को पूरा करके वापस आने के लिए. वहां मै, मनीष भईया, अनुज और छोटी भाभी की मां और मनीष भईया के 2 बच्चे रह गए.


साढ़े 7 बजे के करीब मनीष भईया अपने छोटे साले अनुज को मुझे, कुणाल और किशोर (भईया के बच्चे) के साथ घर चले जाने के लिए बोल दिए और खाना लेकर वापस हॉस्पिटल आ जाने. जबतक मै खाना बनाती कुणाल और किशोर को भाभी की मां और अनुज देख लेते, उसके बाद तो मै दोनो को खिलाकर अपने पास ही सुला लेती, उसकी कोई समस्या नहीं थी.


हम सब निकल गए, और भईया भाभी कर पास रुके हुए थे. रास्ते में बड़ा ही अजीब घटना हो गई. अनुज अपनी कार एक दारू की दुकान के पास रोककर वहां से शराब की 2 बॉटल खरीदकर डिक्की में डाला, और वापस ड्राइव करते हुए घर पहुंच गया.


वापस आकर मै खाना बनाने लगी, कुणाल और किशोर अपनी नानी के पास खेल रहा था, तभी अनुज किचेन में आ गया. कमर में तौलिया लपेटे, ऊपर बनियान, एक हाथ में शराब की एक छोटी बॉटल, दूसरे हाथ में गलास और गलास के अंदर रखा हुआ था सिगरेट का एक डब्बा…


अनुज:- मेनका कुछ फ्राय है क्या किचेन में…


मै एकदम से चौंक कर पीछे मुड़ी. वो किचेन में जब आया तो मै मुड़कर एक झलक उसे देख चुकी थी, फिर वापस अपने काम में लग गई. लेकिन जब वो मुझसे कुछ कह रहा था, तो उसके श्वांस मेरे गर्दन से टकरा रही थी.


मैं झटक कर पीछे मुड़ी तो मात्र इंच भर का फासला था. वो मेरे बिल्कुल करीब खड़ा था और मुझसे चिपकने की कोशिश कर रहा था. नजर उठाकर जाब उसके चेहरे को देखि, तो उसके चेहरे पर अजीब ही घिनौनी हंसी थी, जिसमे से उसके कमीनापन की पूरी झलक बाहर आ रही थी.


मै:- अनुज जी आप जरा पीछे हटेंगे, मुझे बहुत परेशानी हो रही है..


अनुज:- अब रिश्ता ही ऐसा है कि तुम्हे नहीं छेड़ेंगे तो किसे छेड़ेंगे…


मैं:- अनुज जी थोड़ी दूर रहकर छेड़ छाड़ करेंगे क्या? वो क्या है ना मुझे जल्दी से खाना भी बनना है, ये देखिए आ गया मेरा लाडला, इसे भी तो खिलाना है… चल आ जा इधर कुणाल, जल्दी आ.. क्या हुआ अनुज जी, अपने भांजे के सामने शर्म आ गई क्या छेड़ छाड़ करने में..


जैसे ही वो किचेन से गया मैंने राहत कि श्वांस ली. मुझे अब भी समझ में नहीं आ रहा था कि कल शाम तक कितना डिसेंट था ये, इसके साथ बाजार गई, मै कंफरटेबल फील कर रही थी, अचानक इस पागल को किस कीड़े ने काट लिया.


मै उसके इरादे भांप चुकी थी इसलिए मै खुद में ही अब ज्यादा सतर्क हो गई. मुझे पता था वो पीने गया है, नीचे आकर कोई बखेड़ा ना खड़ा कर दे इसलिए मैंने भी अपना फोन उठाया और मां को कॉल लगा दी. मामा के यहां तो वो पहले से थी. फिर तो स्पीकर ऑन करके मै सबसे बातें करती रही और खाना भी पका रही थी…


इसी बीच नशे में धुत्त अनुज किचेन में आया और कुछ बोलने लगा. उसकी आवाज शायद फोन में गई हो. मेरे मामा उस वक़्त लाइन पर थे जो जोर से पूछने लगे कौन है वहां मेनका.


"वो भाभी के भाई अनुज जी है मामा, खाना लेकर हॉस्पिटल जाएंगे"… जैसे ही मैंने इतना कहा अनुज हड़बड़ा कर सीधा हुआ और नमस्ते करने लगा. मैंने उसके जाने का इंतजाम पहले से कर रखा था. इशारों में ही उसे मैंने टिफिन दिखाया और वो चलता बाना.


थोड़ी देर बात करके में कॉल रख दी. सबका खाना लगाकर मैंने पहले कुणाल और किशोर को खिला दिया और दोनो को साथ लेकर मै अपने कमरे में चली आयी. थोड़ी देर उनके साथ लाड प्यार से वक़्त दिया और दोनो आराम से सो गए.


मै आंख मूंदकर आज हुई घटनाओं के बारे में सोच रही थी. दिन के अंत में अनुज के साथ हुई उस घटना ने मुझे थोड़ा हताश किया था. मै खुद में ही सोचने लगी कि क्या मुझसे कुछ ऐसी गलती हुई, जो अनुज आगे बढ़ने की हिम्मत कर गया, वरना जब वो मेरे साथ कल बाजार गया था तो मैं कफी सुरक्षित मेहसूस कर रही थी.


बात जो भी रही हो उसके आगे बढ़ने की, लेकिन मुझे लग गया कि अंजाने में मेरी किसी भुल ने इसके दिमाग की नशें हिला दी है और मेरे दिमाग में रह-रह कर बस यही ख्याल आ रहा था कि इस गधे की वजह से कोई बखेड़ा ना खड़ा जो जाए, मैंने भी मोबाइल उठाया और नकुल को फोन लगा दी..


मेरे सोने तक उसका फोन बिज़ी ही आता रहा. मैंने गुस्से में उसे मैसेज लिख दी… "कोई नहीं था यहां इसलिए सोची की जबतक मां पिताजी नहीं आते, 2 दिन के लिए बुला लूं, लेकिन भाड़ में जा तू"..


रात के 3 बजे नकुल मेरे दरवाजे पर खड़ा, वो मेरा दरवाजा पिट रहा था, मै जागकर उठी ही थी, कि तभी दरवाजे पर मुझे अनुज की आवाज सुनाई दी, जो नकुल से कुछ कह रहा था… मैं भागकर दरवाजे के पास पहुंची और छिपकर सुनने लगी..


अनुज:- तुम्हे शर्म आती गांव जाने का बहाना करके यहां होटल में रुक गए थे, और इतनी रात गए सोई जवान लड़की का दरवाजा पिट रहे.


नकुल:- मदरचोद तू चाचू का साला ना होता तो गान्ड में गोली मार देता. भोसरी वाले क्या बोल रहा है दीदी के बारे में मदरचोद.. रुक बताता हूं..


छोटी ही उम्र थी नाकुल की, और गुस्सा नाक पर. ऊपर से कोई उसके परिवार के बारे में कुछ बोल दे फिर तो सारी मर्यादा ही भुल जाता था. गुस्से में आकर वो कहीं कुछ कर ना दे, इस डर से मै बाहर निकल गई.. "क्या हुआ पागलों कि तरह क्यों शोर मचाए हुए हो"..


नकुल:- तुम अंदर जाओ, इस मदरचोद को..


नकुल गाली देकर आगे कुछ कहने ही जा रहा था, कि मैंने एक थप्पड़ नकुल को लगा दिया… वो अपना गाल पकड़े गुस्से से मुझे देखने लगा… "सॉरी बोल, अभी नालायक."


नकुल:- लेकिन मेनका..

मै:- कहां ना सॉरी बोल..


वो दांत पीसकर अनुज को सॉरी बोला और और मेरे ही कमरे में सीधा बिस्तर पर जाकर सो गया. अनुज फिर पीछे से बोलने लगा.. "अरे वो"..


मै:- अनुज जी उसको जाने दीजिए. 2 जेनरेशन में मै इकलौती बेटी हूं, इसलिए वहां के बसने वाले 6 घरों की मैं जान कहलाती हूं, और वो जो लेट गया हक से जाकर, वो मेरा लाडला है,.. खैर आप ना समझेगे.. आप मनीष भईया के साले हो सकते है, इस बात के लिए मनीष भईया शायद आपको कुछ ना कहे, लेकिन मेरे परिवार में केवल मनीष भईया नहीं है, ये बात आपको समझनी चाहिए.. जा कर सो जाइए, वैसे भी मैंने क्या गलती की थी, वो मै कल आपसे जान लूंगी, ताकि आगे से मै उन बातों का ध्यान रख सकूं…


पूरा तबीयत से उसे तो नहीं सुना पाई, लेकिन जितना भी सुनाया था, दिल को सुकून दे रहा था. नकुल के सर पर हाथ फेरकर मैंने उसे वहीं सोने दिया और खुद पास में लगे सोफे पर लेट गई. सुबह भईया मेरे कमरे में आकर मुझे उठाने लगे और बाकी तीनो को सोता छोड़ दिया..


वो जबतक बाथरूम गए तबतक मुझे चाय बनाकर लाने के लिए कहने लगे. थोड़ी देर में हम दोनों भाई बहन सोफे पर बैठे हुए थे और चाय की चुस्की के रहे थे… "ये गधा कब आया, और आना ही था तो गया ही क्यों था."..


मै:- रात को मैंने है इसे कॉल लगाया था, बोली मुझे यहां अकेले अच्छा नहीं लग रहा, पागल रात में ही चला आया.


मनीष भईया… सो तो है इसे बस पता भर चल जाए कि कोई मुसीबत में है ना वक़्त देखेगा ना जगह सीधा चला आएगा… अच्छा सुन पैसे सब खर्च हो गए या बचे हुए है..


मै:- बचे हुए है भईया.. क्या हुआ सो..


मनीष भईया:- कुछ नहीं, बस जरूरत लगे तो ले लेना. वैसे तुमने वो किस्सा मुझे अबतक बताया नहीं..


मै, थोड़ा चौंक गई.. भईया का चेहरा मैंने नॉर्मल ही पाया, लेकिन बीते दिनों में इतनी सारी एक के बाद एक घटनाएं हो गई थी कि ऐसे सवाल मेरे लिए शायद जानलेवा साबित ना हो जाए… "कौन सा किस्सा भईया?"


मनीष भईया:- वहीं वो राजवीर चाचा की बेटी के साथ तेरी दोस्ती कैसे हो गई. पापा तो दंग ही हो गए जब राजवीर चाचा का फोन गया था उनके पास. वो तेरी तारीफ करते हुए कहने लगे मुझे दुकान कर मिली थी बिटिया, काफी प्यारी है.


मै:- आप सब ना बड़े लोग के नाम पर खाली लट्टू हो जाते हो. ऐसे तो गांव के नुक्कड़ तक नहीं जाने देते, यहां अनजान के साथ घूमने जाने कह दिया..


मनीष भईया:- पागल है क्या, वो अनजान नहीं है. जानती भी है, उनको बस पता चल जाए कि कोई उनका परिचित मुसीबत में है तो हर संभव उनकी मदद करते है. तू जिस बड़े से दुकान में गई थी ना, उस दुकान के कारन दोनो बाप बेटी में तो जंग छिड़ी हुई है…


मै:- बाप बेटी में जंग.. तो अब तक काट नहीं दिया अपनी बेटी को..


मनीष भईया.. हाहाहा हा.. मै समझ रहा हूं तेरे ताने.. पूरी बात सुन पहले. राजवीर चाचा ने बहला फुसला कर अपनी बेटी को यहां के लिए भी उसके दिल्ली के शॉप जैसे इन्वेस्टमेंट प्लान करने के लिए कहे, और वादा किया कि वो उसके बिजनेस में इंटरफेयर नहीं करेंगे. लेकिन जब यहां दुकान तैयार हो गयी तो अपनी बेटी के जानकारी के बगैर, अपने गांव के लड़को को नौकरी दे दी..

वहीं प्राची का कहना है कि जो जिस लायक है उसको वैसा काम देना चाहिए, सोशल सर्विस जाकर गांव में करे, गरीबों में पैसे बांटे. बस इसी बात को लेकर जंग छिड़ी है.. प्राची स्टाफ की बदली चाहती है और राजवीर चाचा होने नहीं देते.. इस बात को लेकर प्राची पूरी खफा हो गई. पहले प्राची दिल्ली कभी-कभी जाने का प्लान बनाई थी, लेकिन अब वो परमानेंट दिल्ली जा रही है और यहां का बिज़नेस देखने वो कभी-कभी आएगी..


मै:- सीखो कुछ कैसे अपनी बेटियो को आगे बढ़ा रहे है.. लेकिन आप लोग कभी गांव से बाहर निकलेंगे तब ना..


मनीष भईया:- सुनो मेनका मेरी बीवी अभी हॉस्पिटल में है और वो बहुत तकलीफ़ में है. तू वादा कर, वो जबतक ठीक नहीं हो जाती मुझे ताने नहीं देगी..


मै:- और उसके बाद..


मनीष भईया:- उसके बाद या उसके पहले भी, तुझे कोई रोक पाया है क्या? वो देख रही है नमूना जो लेटा है, उसको इसलिए परिवार के सभी लोग टांग नहीं खिंचते की उसके जैसा किसी दूसरे ने कोई काम खराब ना किया हो. बल्कि तुझे डांट नहीं सकते इसलिए नकुल को सब मेनका मानकर अपनी भड़ास निकाल लेते है.


मैं:- हाहाहाहा, मतलब वो मेरे साथ रहने कि सजा पता है. अच्छी बात पता चली. लेकिन इन सब बातों में कहीं भी ऐसा नहीं दिखा कि आप मेरे ताने नहीं सुनना चाहते. बस छोटी सी रिक्वेस्ट कर गए, की ताने मत दे, सुनने कि हालात में नहीं हूं.. लेकिन मेरे ताने रोकने वाले जज्बात निकल कर अब तक सामने नहीं आए..


मनीष:- मैं सोच ही रहा था, तेरी ब्लैकमेलिंग अब तक शुरू क्यों नहीं हुई..


मै:- मुझे कंप्यूटर और ड्राइविंग सीखनी है.. मंजूर हो तो आगे बात करो, वरना नहीं कर सकती, इस बात पर 100 तरह के कारन जानने में मुझे कोई इंट्रेस्ट नहीं..


मनीष:- नहीं वो बात नहीं है, कंप्यूटर मत सीख अभी, सुन ले पुरा पहले तब बीच में बोलना.. पूरे खानदान को ना कंप्यूटर वालों से बहुत सारा काम परते रहता है, कई बार इमरजेंसी में कंप्यूटर वाले की दुकान में घंटो खड़े रहकर, काम करवाना पड़ता है. ऐसे में यदि तू कंप्यूटर सीख लेगि ना, तो सब तुझे दिन भर परेशान किए रहेंगे..


मै:- हद है भईया… मेरे लिए सब परेशान हो सकते है, तो क्या उनको इतना भी हक नहीं. और कंप्यूटर इतना जरूर है तो पहले बताना था ना, अब तक तो सीख भी गई होती… चलो मतलब ये घर की जरूरत है तो कंप्यूटर सीख जाऊंगी, अब बताओ ड्राइविंग का क्या?


मनीष:- मतलब ड्राइविंग सीखने के लिए इतना क्या पूछना, नकुल से सीख लेना. और कोई डिमांड..


मै:- नहीं, अब भाभी कैसी है अभी…


मनीष:- पहले से अच्छी है.. 8-10 दिन बाद बताएंगे, कब तक डिस्चार्ज करेंगे.. मै सोच रहा था कि यहां से डिस्चार्ज करके, उसे मायके छोड़ आऊं.. वहां मां के साथ रहेगी तो जल्दी ठीक हो जाएगी..


मै:- जैसा आपको उचित लगे भईया, वैसे एक बात बोलूं..


मनीष:- क्या?


मै:- आप और भाभी यहां सहर में क्यों नहीं शिफ्ट हो जाते, चारो बच्चो की पढ़ाई लिखाई भी अच्छी हो जाएगी और भाभी की मां यहां रहेगी तो देखभाल भी उनकी अच्छी होती रहेगी. फिर यहां सारी सुविधाएं भी है.


मनीष:- मां पिताजी अकेले हो जाएंगे.. बड़ी भाभी ठीक रहती तब तो ये कबका हो गया रहता, लेकिन क्या कर सकते है अब.. तू बता..


बताई थी ना मै, अपने परिवार के बीच काफी नटखट हूं, इसलिए मेरे हल्के-फुल्के और सटीक ताने सबको झेलने पर जाते है. परिवार में हर किसी से मेरी ऐसी ही बातें होती थी, थोड़े हंसी मज़ाक थोड़े सीरियस.


ये सब तो जीवन का एक हिस्सा है जो चलते रहता है, लेकिन अनुज की हरकत वैसी नहीं थी, जो मेरे जीवन का हिस्सा बने, और मुझसे गलती कहां हो गई ये मुझे जानना था. दिन के 3 बजे के करीब मुझे वो वक़्त भी मिल गया जब अनुज को मैंने खाने खाने किचेन के पास ही बुला लिया. इस वक़्त घर में मै बिल्कुल अकेला था और नकुल अपने दोनो भाई (कुणाल और किशोर) के साथ, उसे घुमाने चॉकलेट दिलवाने ले गया हुआ था..


मै, खाना परोसते… "अनुज जी कल शाम आप क्या करने की कोशिश में जुटे थे..


अनुज:- कुछ नहीं रात गई बात गई.. मै अपनी हरकतों पर शर्मिंदा हूं..


मै:- बहुत बेहूदगी वाली हरकत थी, शर्म आनी चाहिए आपको. अब मुझे जारा ये बता दो अनुज की जब पहले दिन बाजार जाते वक़्त इतने डिसेंट थे, फिर मेरी किस बात को लेकर तुम्हारे अंदर का जानवर जाग गया.. वो भी मुझ जैसी लड़की को देखकर?


अनुज:- बहुत बदमाश हो तुम मेनका, मुझे कबसे टीज किए जा रही हो..


मै उसकी बात का मतलब कुछ समझ पाती, उससे पहले ही वो खड़ा हो गया और एक दम से मुझे बाहों में भरकर, मेरे गले को चूमने लगा. मै तो बिल्कुल ही शुन्न पर गई. खुद में जितनी ताकत हो सकती थी, लगा दी.. लेकिन में किसी आशहाय की तरह उसके बाहों में परी छटपटा रही थी..


मै छुटने की जितनी कोशिश कर रही थी, अनुज उतनी ही मजबूती से मुझे खुद से चिपकाए हुए था, और अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरे दोनो जांघों के बीच.. छी ये उसकी घटिया हरकत. मेरी आत्मा तक घूट रही थी वहां.


फिर कानो में गूंजी उसकी घिनौनी बात… "साली कूतिया, नहाते वक़्त मेरा लंड देखकर पूरे दिन दरवाजा लगाकर अपने चूत में उंगली कर रही है और खुद की आग शांत हो गई तो मुझे जलता छोड़ दिया.. आज तुझे फिर से लंड दिखाऊंगा और चूत कि गर्मी शांत करने का वो जन्नत का रास्ता भी. हाय तू बिल्कुल कोड़ी कली है जिसे मसलकर मै अब फुल बना दूंगा"….


किसी सड़कछाप गावर से भी ज्यादा उसकी गिरी भाषा सुनकर मुझे रोना आ गया और अगले ही पल मै किसी मूर्ति की तरह स्थूल पर गई, जब उसने मेरे सलवार का नाड़ा झटके में खोल दिया और अपने गंदे हाथ नीचे ले जाकर मेरी योनि के ऊपर रख दिया… मुझे बस यही ख्याल आ रहा था जब यही जिंदगी है तो मुझे मौत क्यों नहीं का गई"..


मेरे होंठ ख़ामोश थे मगर मेरे आखों से लगातार आशु आ रहे थे. वो किसी पागल कुत्ते की तरह मेरी योनि कर अपने हाथ घिस रहा था.. तभी नीचे से नकुल की आवाज अाई, जो कुणाल और किशोर के साथ मस्ती करते हुए घर में चला आ रहा था.


उसकी आवाज जैसे ही अनुज के कानो में गई वो झटके से दूर हुआ और अपने खाने की थाली को उठाकर कमरे में भाग आया… मै अपनी फटी सी हालत पर घुटती हुई, किसी तरह अपने सलवार को पाऊं से ऊपर की और उसे ठीक करके अपने कमरे की ओर बढ़ पाती, तभी वहां नकुल पहुंच गया..


मै किचेन के बीचों-बीच किसी बावड़ी की तरह खड़ी, अपने आशु बहा रही थी, और वो सामने से मुझे देख रहा था.. नकुल अपनी बड़ी सी आखें किए सवालिया नजरो से जैसे पूछने कि कोशिश कर रहा हो कि, क्या हो गया.. उसके चेहरे भाव इतने गुस्से वाले थे मानो किसी का वो खून कर दे इस वक़्त.. शायद उसे भी मेहसूस हो रहा हो, मेरे आत्मा में चोट लगी थी और जख्म गहरे थे.


जैसे ही नकुल मेरे नजदीक आया मै उसे पकड़ कर बस रोने लगी.. चिंख्कर और चिल्लाकर रोने लगी. वो मेरे सर को अपने सीने से लगाकर मेरे आंसू साफ करता रहा. उसे भी पता नहीं था कि मै रो क्यों रही हूं, लेकिन मेरे दर्द को मेहसूस कर वो भी वो रहा था. किसी तरह उसने मेरी मां को फोन मिला दिया और फोन स्पीकर पर डाल दिया..


मै बेसुध होकर रोने कि गलती कर चुकी थी, और नकुल मेरे दर्द को ना बर्दास्त कर पाया और उसे कुछ सूझ नहीं रहा था, इस नासमझी में उसने मेरी मां को फोन लगाकर गलती कर चुका था…. दूसरी ओर से मेरी हालात पर फिक्र कम और डर ज्यादा था,… कहीं किसी ने कुछ कर तो नहीं दिया.. एक अनहोनी की आशंका जो मेरे साथ कहीं हुई तो नहीं… जो वाकई में हुई थी बस किसी को पता नहीं था…
 
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DARK WOLFKING

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nice update ...prachi ko bheja hua message bahut mast tha 🤣🤣.. शालीनता ke saath apna kaam nikalne ke liye ..

prachi ne menka ke liye tume nikala par ghum hi rahe the kya dinbhar 🤔..

anuj to wakai maha tharki niklaa 😡😡 nanga dekha menka ne aur kamre me band rahi to samajhne laga ki ungali kar rahi thi ..

ayb jab jawaab puchha to sidha salwar utarkar chut me ungali karne laga 😡.achcha hua nakul aa gaya warna menka ki ijjat bach nahi paati ..
nakul ko ya apne bhai ko uski harkat batakar achche se pitaai karwani chahiye us
harami aur tharki anuj ki ...
 
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नकुल का मेनका को ये कहना -" तु मुझे २० हजार दे और मैं तुम्हें ४० हजार लौटा दुंगा ।"
बहुत पहले की बात है ।
ऐसा मैंने भी अपने एक दोस्त के साथ किया था । मैंने अपने दोस्त से कहा कि तु मुझे एक हजार रुपए दे बदले में दो हजार रुपए अभी तुम को दे दुंगा । और अगर तुझे विश्वास नहीं है तो पांच सौ रुपए की शर्त लग जाय । वो तैयार हो गया और मुझे एक हजार रुपए खुशी खुशी दे दिया । मैंने रूपए अपने पाकेट में रखा और उसे पांच सौ देकर कहा कि भाई मैं शर्त हार गया हूं इसलिए ये पांच सौ रुपए पकड़ । उसका पांच सौ का फिर भी नुकसान हो गया । :D

Kisi ne dauraya nahi kya :D... Mere wale case me ek khushnasib me mujhse 200 rupye niklwa liye tha :(...

Maine bhi uske cycle ki chabhi nikal li :D
 
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खैर अब बात स्टोरी पर । मेनका इतनी कम उम्र में भी बहुत समझदार निकली । जिस तरह से रूपए पैसे के लिए नकुल से बहस की , वो उसके समझदारी को दर्शाता है । लड़की रूपयों का महत्व समझ रही है जबकि बड़ी तादाद में लोग बुढ़ापे तक उसका महत्व समझ नहीं पाते ।
नकुल और मेनका का कन्वर्सेशन बहुत बहुत बढ़िया लगा ।
नकुल मोबाइल गिफ्ट करना चाहता है नीतु को । ऐसा ही होता है । आजकल की लड़कियां लड़कों को प्रेम के मोहपाश में फंसाकर ऐसे ही उल्लू बनाती हैं ।
राजवीर सिंह नामक एक नए किरदार की एंट्री हुई है और साथ में प्राची नाम की एक लड़की की । देखना है इनका आगे चलकर क्या रोल आता है ।
मेनका की भाभी ने सुसाइड करने का प्रयास किया था । शायद अब से भी वो सुधर जाए ।
आज का दोनों अपडेट मुझे तो बहुत ही सुन्दर लगा । बहुत बढ़िया कहानी है नैन भाई ।
अगले अपडेट का इन्तजार रहेगा ।

Ek series hai sense ka sanju bhai... Jo charecter menka ko uske ghar se mila hai... Lagatar kewal aur kewal ghar me rahne ke karan... Is baat ka mila jula anubhaw aapko dekhne ko milega...

Haan ladke ladki ke matter me paisa kharch na ho to fir wo matter kahan se aage badhega.. aisa nahi hai ki aajkal kewal ladke hi bawade hain.. lekin ab ladkiyan bhi paise dil khol kar uda deti hain :D...

Baki naye kirdar aur bahut si baten shesh bhag ghatna 2 me ullekhit hai.. iske alawa jaisa kaha tha kuch der me ghatna 3 bhi prakashit karunga .. ummid hai kahani aapko pasand aaye rahe
 
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nain11ster

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:superb::good: amazing update hai nain bhai,
Behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai,
Ye nakul to bahot chalu nikla, menka ke naam par isane paise bhi nikalwa liya,
Ab dekhte hain ki aage kya hota hai
Jamana bahut chalu hai aman bhai .. yahan piche hate to piche hi rah jayenge :yo: :yo: :yo: isliye dhurt hona bhi jaroori hai
 
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