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Thriller 100 - Encounter !!!! Journey Of An Innocent Girl (Completed)

nain11ster

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तीसरी घटना:- भाग 1







मै बेसुध होकर रोने कि गलती कर चुकी थी, और नकुल मेरे दर्द को ना बर्दास्त कर पाया और उसे कुछ सूझ नहीं रहा था, इस नासमझी में उसने मेरी मां को फोन लगाकर गलती कर चुका था…. दूसरी ओर से मेरी हालात पर फिक्र कम और डर ज्यादा था,… कहीं किसी ने कुछ कर तो नहीं दिया.. एक अनहोनी की आशंका जो मेरे साथ कहीं हुई तो नहीं… जो वाकई में हुई थी बस किसी को पता नहीं था…


उधर से मां पिताजी और मामा का पूरा परिवार मेरा चिल्ला चिल्ला कर रोना सुन रहा था, तभी वहां भगवान बनकर ना जाने कहां से प्राची दीदी चली आयी, शायद मेरी हालत देखकर उन्होंने मामला भांप लिया की हुआ क्या था, बस प्राची दीदी को वो लड़का नहीं दिख रहा था, जिसने ये पुरा कांड किया था…


प्राची दीदी पहले तो समझदारी दिखती हुई, उधर से हेल्लो-हेल्लो कर रहे लोगो का शंका दूर करने की सोची, जिसके लिए उसने नकुल के हाथ से फोन लिया और इशारों में उसने नकुल को मुझे यहां से ले जाने के लिए बोल दी.


लाइन पर पापा थे, प्राची अपना छोटा सा परिचय देती हुई कहने लगी… "मै और मेनका साथ बैठे थे तभी वो कहने लगी, भाभी अकेली थी इसलिए टाइम पास करने के लिए उन्होंने पिस्तौल को साफ किया, मै होती तो ये सब ना होता. मुझमें जारा भी जिम्मेदारी नहीं है. मां पापा ने हम दोनों को एक दूसरे के भरोसे छोड़ था और मै भाभी को अकेला छोड़ आयी.. और फिर इसके बाद से जो हो रहा है वो आप लोग सुन रहे थे. बेचारी बहुत कमजोर दिल की है"..


तकरीबन 10 मिनट तक बात हुई और प्राची दीदी ने वहां सबको अच्छे से समझा दिया. शायद इस बीच सबके पास खबर पहुंच गई थी कि मै क्यों रो रही. नकुल के मोबाइल में कॉल पर कॉल आने लगे..


प्राची दीदी मेरे कमरे में पहुंची. मेरा रोना तो बंद हो गया था, लेकिन सिसकियां नहीं गई थी…. "सुनो नकुल मेनका का सदमा लगा है. मै इसे बाहर ले जाती हुं, थोड़ा घूमेगी तो अच्छा लगेगा. 1 घंटे बाद सबको कहना कि मेनका से बात कर ले, अभी वो फिलहाल सदमे में है।"..


नकुल:- नाह ! ये खुद के सदमे से नहीं रो रही थी, जरूर मेनका को किसी ने परेशान किया है, बस एक बार ये बोल दे, फिर मुझे भले ही जेल क्यों ना जाना पड़ जाए, उसे तो मै जान से ही मार दूंगा..


नकुल की बात पर प्राची उसे जो रखकर सुनाई. आइना दिखती हुई कहने लगी… "यहां तो लड़कियां अपनी मर्जी से रो भी नहीं सकती, उसमे भी तुम्हे किसी कि जान ही लेनी है. शर्म नहीं आयी ऐसा सोचते कि यहां तुम्हारे घर में आकर किसी ने परेशान किया होगा इसे.. कोई लड़का देख लो चारो ओर जो नजर भी आ रहा हो. तुम्हारी बहन है तुम बताओ ले जाऊं बाहर या पुरा खानदान इसे घेरकर नाम उगलवाओगे तुम्हारी मर्जी."


नकुल:- ये मेरी बहन नहीं बुआ है.. सॉरी मै थोड़ा सा बदतमीज हूं, आप जाइए मेनका को लेकर.. मै सबको बता दूंगा गलती मेरी है.. चाची (रूपा भाभी) की बात मैंने ही शुरू की थी और उल्टे सीधे ताने दिए थे जिसका नतीजा ये हो गया."


प्राची:- हम्मम ! ठीक है, इसके फोन के डब्बे पर मेरा नंबर लिखा है, कोई दिक्कत हो तो मुझसे बात कर लेना..


प्राची मुझे लेकर कार में बैठी, और वहां से सीधा अपने घर ले आयी. कार का दरवाजा खोलने से पहले मुझे वो समझाई की कम से कम सीधा चलूं, ताकि लोग कोई सवाल ना कर सके. मैंने भी वहीं किया, बस कुछ समझने की हिम्मत नहीं बची थी, इसलिए जमीन को ताकते हुए मै प्राची के साथ एक कमरे में आ गई..


माहौल गुमसुम था और मै खोई सी… मानो खुशियों ने जैसे मुझसे नाता तोड़ लिया है… तभी… "ये वही आदमी जबरदस्ती कर रहा था ना, जिसने हमे रोककर साथ घूमने चलने के लिए कहा था.".. प्राची अनुज की बात कर रही थी, जिसे सुनकर मै फिर से रोना शुरू कार दी.. तभी खींचकर मुझे एक थप्पड़ परा..


आमुमण थप्पड़ से चोट लगना चाहिए, लेकिन मेरा दर्द और रोने को जैसे उस थप्पड़ ने सुकून दिया हो.. प्राची पानी का ग्लास आगे बढ़ती हुई.. "सॉरी, थप्पड़ मारना थोड़ा जरूरी था, वरना गलती करे कोई और, और उसे रुलाने के बदले खुद रोने वाली लड़कियों के लिए इतना ही मुंह से निकालता है, जाकर कहीं डूब मरो. चलो अब पानी पियो और शुरू से बताओ की हुआ क्या था."..


मै:- कुछ नहीं हुआ था.. कल मै पानी लेने कॉमन बाथरूम मै गई थी, जहां ये अनुज नंगा होकर नहा रहा था, मैंने पर्दा हटाया और झटके में पीछे हो गई.. मन ही थोड़ा गुस्सा भी आया था कि कॉमन बाथरूम में कौन ऐसे नहाता है.. इसके बाद तो मै भुल भी गई की क्या कुछ ऐसी दुर्घटना भी हुई थी..

मै एक पूरी रात की जागी थी और मुझे नींद बहुत आ रही थी.. तभी तो 2 बजे करीब जब आपी आयी तो मै सोई थी.. लेकिन मेरा सोना उसे कुछ और ही लग गया. उसे लगा कि मै उसको नंगा देखकर…"


मेरी हिम्मत ही नहीं हुई आगे बताने की, फिर मै सुबकने लगी. प्राची मेरे आशु साफ करती.. "फिर उस कुत्ते को कोई एडल्ट स्टोरी की याद आ गई.."


मै:- यदि सही वक़्त पर नकुल ना आया होता और उसकी आवाज सुनकर वो भगा ना होता तो…


प्राची:- तो तू मुंह दिखने के काबिल नहीं रहती.. ब्लडी जाहिल लोग.. कोई जबरदस्ती घर में घुसकर चोरी करता है तो उस चोर को मारते है, थाने में एफआईआर दर्ज करवाते हैं, या घर को ही आग लगा देते है… ना भाई अब ये घर मूह दिखाने के काबिल ना रहा.


मै उनकी बात सुनकर ख़ामोश तो हुई थी, लेकिन पता नहीं क्यों मुझे अंदर से कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था. प्राची की बात सुनकर केवल मै बुझी सी प्रतिक्रिया देती हुई उन्हें देखने लगी. प्राची को शायद मेरी मनोदशा का ज्ञान था, इसलिए अपनी बातो से वो और भी ज्यादा टॉर्चर करने के बजाय मुझसे साथ लेकर शॉपिंग पर चल दी.


एक प्यारा सा सलवार कुर्ता प्राची दीदी ने मेरे लिए पसंद किया था, अपनी ड्रेसिंग सेंस की तारीफ मुझसे सुनकर. इसी को साथ हम लेने जाते, इसलिए लंच टाइम के बाद शॉप के कुछ काम निपटाकर प्राची दीदी आयी थी..


हां ना की जिद के बाद मुझे वो ड्रेस ना सिर्फ लेनी परी, बल्कि उसे पहन कर भी आना परा. वहां से फिर हम एक कॉस्मेटिक शॉप गए, जहां मेरे लिए पहले से एक बैग पैक करके रखा हुआ था… "दीदी आप ये क्यों कर रही है."..


प्राची:- क्योंकि तेरी दीदी फिलहाल 2 लाख रुपए महीने का कमाती है, और ये पैसा मेरे अपने मेहनत के है, जो मै किसी अपने पर खर्च कर सकूं, अब तुम सोच लो कि ये लेना है की नहीं लेना है..


मै:- आप अपनी बातों से फसा देती हो दीदी..


प्राची:- पागल दीदी हूं, तुम्हे फंसता हुआ थोड़े ना देख सकती हूं। अच्छा सुन बैग में बहुत सी चीजें है, जो तुम्हे समझ में नहीं आएंगी.. मै खुद आकर तुम्हे सब समझा दूंगी.. ठीक..


मैंने हां में अपना सर हिला दिया. तभी मेरे मोबाइल पर मां का कॉल आ गया. जैसे ही मैंने फोन उठाया, मां चिंता व्यक्त करती हुई कहने लगी… "होनी है हाथ पकड़ाकर भी हो जाता है, तू रोती क्यों है पागल. कल हम सब आ रहे है. यहां का काम होगा नहीं होगा, भार में जाए."..


"आप मुझे जानती है क्या आंटी".. फोन स्पीकर पर था और प्राची दीदी उत्सुकता से कहने लगी..


मां:- आपका धन्यवाद बेटा. नकुल और प्राची दोनो एक उम्र के है, नकुल भी तो बच्चा ही है ना.. उसने थोड़ा छेड़ क्या दिया, ये ऐसे रोने लगी कि मुझे डर हो गया.. अब नकुल के माता पिता वहां पुरा आग बबूला है नकुल पर.. पता नहीं कब यें समझदार होगी.. उस दिन तो ये खून देखकर होश में ही नहीं थी, हम लोग जब सुबह पहुंचे है तब तो ये होश में अाई थी....


प्राची:- आप लोगों के लाड़ प्यार ने इसको बिगाड़ा है. मैंने तो सुना है 6 परिवार में ये इकलौती राज करती है.. मुझे भी गोद लेलो आंटी.. 3 परिवार मै रख लूंगी.. इसे कंपीटेशन दूंगी तब इसके भाव कम होंगे..


मां:- हाहाहाहाहा.. मुझे मंजूर है..


प्राची:- अच्छा आंटी, अपनी बड़ी बेटी पर भरोसा रखो, ये अब ठीक है और मेरे साथ है… आप लोग आराम से काम खत्म कर लो, जबतक आप आ नहीं जाती इसकी पूरी जिम्मेदारी मेरी.. और हां राजवीर सिंह से सर्वे कर लीजिएगा, मैंने अगर किसी की जिम्मेदारी ली है तो कैसे निभाती हूं.


पापा:- आखिर बेटी किनकी है आप.. राजवीर सिंह की ना.. जो पूरे जिले के सहारा है..


प्राची:- अंकल बहुत तकलीफ होती है जब ये "आप आप" कहते है.. अपनी बेटी ही समझिए.. और हां आज रात मेरी बहन मेरे पास रहेगी.. अगर आप लोग का दिल ना माने तो मै इसके पास चली आऊंगी..


मां:- नहीं प्राची रहने दो.. वहां कुणाल और किशोर भी तो है, वो दोनो इसके बिना नहीं रह सकेंगे.. और वहां घर का काम पूरा खत्म नहीं हुआ है तो ऐसी व्यवस्था में तुम रहोगी तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा..


प्राची:- चलिए ठीक है आपकी ये बात मान ली.. लीजिए मेनका से भी बात कर लीजिए, वरना मुझे घुर कर कह रही है मेरे परिवार पर कब्जा जमा लिया..


प्राची दीदी सच में आइकॉनिक थी मेरे लिए.. कितनी सरलता से वो सब बात कह गई.. उनके साथ होने से शायद मेरे दर्द को भी फायदा ही हो रहा था. दिल का बोझ कम हुआ की नहीं वो तो नहीं पता लेकिन मै सामान्य मेहसूस करने लगी थी..


मै जब रात को लौटी तब पता चला अनुज वापस अपने घर भाग गया था. नकुल का शक शायद यकीन में बदल जाता, यदि उस वक़्त अनुज मिल गया होता तो, लेकिन खाने कि थाली वो अपने कमरे में छोड़कर दूसरे दरवाजे से भागकर हॉस्पिटल पहुंच गया था..


अगले 3 दिन तक नकुल मेरे साथ शाया की तरह रहा, उसने 1 मिनट के लिए मुझे अकेला नहीं छोड़ा था, हालांकि हम दोनों की बेवकूफी को वो अपने सर ले चुका था, जिस कारन से उसके मां पिताजी ने उसे बहुत सुनाया. बाकी के लोगों ने भी उसे खूब सुनाया था.. लेकिन बेचारा वो सबकी सुनकर रह गया..


3 दिन के बाद मा पिताजी वहां पहुंच गए तब कहीं जाकर नकुल वहां से हिला था. मैं पहले से बहुत सामान्य मेहसूस कर रही थी. जिंदगी अपनी सही राह पर थी और वापस में मै अपने परिवार के सुरक्षा घेरे में थी, जहां मुझे कुछ बोलने या करने के लिए सोचना नहीं था..


सहर में मैंने अपने दम पर एक उपलब्धि हासिल की थी, वो था मेरा खुद का बनाया अपना एक रिलेशन, प्राची दीदी. बातो की पक्की थी वो, जब तक मां और पिताजी नहीं अाए थे रोज लगभग 2 बजे अपने लंच के बाद का पूरा वक़्त मेरे साथ बिताती थी..


मां पिताजी के आ जाने के बाद भी एक वक़्त ऐसा तो जरूर होता जब वो मुझसे मिलने आती. उनकी अपनी शॉप थी, लेकिन फिर भी वो नियमित रूप से रविवार की छुट्टी रखती थी, और उस रविवार वो सुबह-सुबह मेरे घर आ धमकी और मुझे साथ लेकर चल दी.


इस बीच इतने दोनो में उन्होंने ना तो कभी अनुज और नहीं उस घटना कि चर्चा, हिंट में भी की हो, लेकिन मुझे नॉर्मल देखकर आज शायद वो पूरी बात करने की पहले से मनसा बनाकर आयी थी.. वो मुझे मेरे घर से सीधा अपने घर ले गई…


प्राची:- क्या हम कुछ सीरियस बातें कर कर लें..


मै:- हां दीदी..


प्राची:- अब बताओ.. कोई तुम्हारे साथ जबरदस्ती कर गया और तुम ये बात घर के लोगो से क्यों नहीं कह पाई..


मै:- छोड़ो ना दीदी उसे भूलने में ही सबकी भलाई है..


प्राची:- क्या तुम भुल सकती हो, जो भी उसने तुम्हारे साथ किया..


मै:- नहीं भुल सकती.. तो क्या करूं.. सबको जाकर बता दू ताकि सब काट दे एक दूसरे को…


प्राची:- यही कुछ बातें है जो हम लड़कियां नहीं कर पाती और उसी का दोनो हाथ से फायदा ये हवसी कुत्ते उठा लेते है…


मै:- हम कर भी क्या सकते है दीदी… कुछ करने की सोच भी लिए और सफलता भी मिल गई, तो भी अंत में हमे ही घसीटा जाता है. ताने हमे ही सुनने मिलते है.. इज्जत हमारी लूट गई ऐसा लोग कहते है.... हम चाह भी ले तो भी कुछ नहीं कर सकते.. इसलिए अपने परिवार के बीच रहो.. और उन्हीं के बीच जितनी हंसी मज़ाक करना है, हसना है, बोलना है और शौक अरमान पूरे करने है कर लो.. पारिवारिक सुरक्षा घेरे से बाहर निकले, तो तुम्हारा परिवार भी मुंह मोड़ लेगा..


प्राची:- बिल्कुल सही, तुमने जो भी कहा ना वो बिल्कुल सही कहा, लेकिन तुम्हारे साथ गलत तुम्हारे परिवार का ही कोई कर गया… यहां तक कि उसे विश्वास था, यदि अंधेरे में वो कुछ भी करके निकल गया, तो तुम किसी को कुछ नहीं बता पाओगी.. और एक बार हिम्मत बढ़ी, तो वो बार-बार मौका तलाशेगा..


मै:- दीदी इतनी सीरियस बातों के लिए मै तैयार नहीं हूं, मै कभी गंदगी में नहीं रही, साफ सुथरे और अच्छे लोगो के बीच पली हूं, इसलिए मै नहीं समझ पा रही की ऐसे स्टियुएशन में क्या रिएक्ट करूं और कैसे हैंडल करू..


प्राची:- सॉरी, एक तो तुम्हे इस छोटी उम्र ये सब देखना परा ऊपर से मैं भी वही बातें दोहरा रही. तुम सही कह रही हो जो हो गया उस पर तो कुछ नहीं कर सकते लेकिन आगे के लिए हम सचेत तो हो सकते है ना.


मै:- कैसे दीदी..


प्राची:- किसी के आंख में मिर्ची डाली है..


मै:- डाली तो नहीं लेकिन एक कुत्ते के आंख में मिर्ची तो क्या सरिया डालने को दिल करता है..


प्राची:- गुड गर्ल.. जोश बस ठंडा नहीं होना चाहिए. ये देख ये है पेपर स्प्रे, इसे आत्मरक्षा के लिए इस्तमाल करते है. आज कल हम लड़कियों के लिए जीवन रक्षक. करना बस इतना है कि इसे आंख में छिड़क दे. उसके बाद हो जाएगा वो लौंडा अंधा… फिर जैसे वो हमारे दोनो टांगो के बीच का दीवाना होता है, ना वैसे ही तुम्हे भी एक पल के लिए उसके दोनो टांगो के बीच की दीवानी बन जाना है..

पहले आंख में मिर्ची फिर उसके हथियार पर अपने घुटने से ऐसे मरो की थरक तो रहे पर पुरा करने के लिए कभी हथियार ना उठा पाए. बस उसके किए सजा देकर तू अपने घर परिवार और सुरक्षा घेरे में.. अब बताओ, ये है क्या नुकसान दायक..


मै:- वो सब तो ठीक है दीदी लेकिन कहीं वो चश्मा पहने हुआ तो..


प्राची:- अांह, उल्लू कभी-कभी तो तुम्हारे सवाल सुनकर लगता है कि जान बूझकर मुझे ही छेड़ रही… वैसे सवाल सही है, ऐसा कोई केस हो तो उसके नाक पर भी मार देगी तो तुझे इतना वक़्त तो जरूर मिलेगा की उसके अंडे का कचूमर बाना दे..


मै:- थैंक्स दीदी, मुझे लगा आप भी लंबा चौड़ा मोटिवेशनल स्पीच देंगी, नारी शक्ति की ताकत बताएंगी, और कहेंगी अपने हक के लिए लरो..


प्राची:- मै अमेरिका में पैदा नहीं हुई, और हुई भी होती तो भी वहां के लड़कियों के साथ भी जबरदस्ती होता है.. इसमें लेक्चर देने जैसा क्या है. तुम परिवार के साथ हो इसलिए कोई चिंता है ही नहीं…. बस कुछ इक्के दुक्के कमिने टकराते है कभी कभार, उसमे भी दुर्भाग्यवश ज्यादातर कोई रिश्तेदार ही होता है…


मै:- और उसके लिए ये पेपर स्प्रे, अब मै इसे अपने कमर के पास रखनें की आदत डाल लूंगी..


प्राची:- वैसे एक बात बोलूं तू दिल से तो नहीं लेगी ना..


मै:- अब कौन तकल्लुफ कर रहा है..


प्राची:- हम्मम ! उस दिन खाने पर बिठाकर तुम्हारा उससे पूछना ही गलत था, वो भी घर में जब कोई ना हो… सुनो मेनका हम अपने हिसाब से अपनी सिचुएशन सोचकर बात करते है…. जबकि उस सिचुएशन को सामने वाला किस हिसाब से लेता है, वो तो उनकी सोच है.. और इस एक गलती की वजह से वो अचानक तुम पर हमला किया और तुम संभल नहीं पाई.. वरना किचेन तो हमारा मिनी हथियाघर है.. किसी की गलत मनसा किचेन एरिया में हो तो उसकी नानी यूं याद दिला सकते है..

 

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तीसरी घटना:- भाग 2










मै:- दीदी आप ये मुझे बता रही हो मै तो कबसे अपनी इस बेवकूफी पर खुद को कोस रही थी.. अब वो पागल आदमी नंगा नहा रहा था, छोटा सा दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुआ और उससे एक रात पहले की मै पूरी थकी हुई थी… जाकर सो गई.. इस बात को लेकर जो पागलों वाले खयालात पाल ले उसे क्या ही कहें. पता ना ऐसे खयालात के बीजारोपण कहां से होता होगा इनके दिमाग में… बाद में तो मैंने किचेन में बुलाकर अकेले में पुछ रही थी.. फिर तो ना जाने वो क्या-क्या सोच चुका होगा.. और हां उस वक़्त मै जम गई थी, इसलिए मै कुछ कर नहीं पाती, दिमाग सुन्न पर गया था मेरा और शरीर बेजान हो गया था..


प्राची:- ये सब काल चक्र का दोष है बलिके.. कहीं कोई ऐसी घटना हुई होगी जिसका जिक्र किसी ने अपने कहानी और पोर्न फिल्मों में किया होगा, इसलिए तो उसकी सोच वहां तक गई थी.. बेबी अपना देश अमेरिका से भी आगे है सेक्स के मामले में. इस मुद्दे पर बहस करना ही बेकार है कि कौन सही कौन गलत.. बस अपना दामन बचाकर चलो रे बाबा.. जिसकी जैसी आग भड़की है वो शांत करता रहे, हमे क्या..


मै:- सच कह रही हो दीदी.. लड़कियां भी कम नहीं होती है..


प्राची:- ए मार खाएगी अब… जिन बातों में मैचुरिटी नहीं, उसके तरफ ध्यान नहीं देते.. ये विषय आकर्षित करता है, खासकर तुम जैसे टीनएजर्स को.. दूर रहो इससे.. जितना दूर रहेगी इन बातो से उतना काम में फोकस करेगी… और जल्दी से 12th पास होकर दिल्ली पहुंच… तेरे सीए की तैयारी वहीं से…


मै:- सपने मत दिखाओ दीदी.. ऐसा कभी नहीं होगा..


प्राची:- मुझे भी ऐसा ही लगता था जब मै 11th में थी, फिर पढ़ाई करती रही, डिस्ट्रिक्ट टॉपर हुई. बाद में पापा के अक्ल के थोड़े पर्दे खुले, कुछ रिस्तेदारो ने सिफारिश कि और मै ग्रेजुएशन करने दिल्ली पहुंच गई.. वहां से 3 साल ग्रेजुएशन और उसके लगे हाथ आईआईएम के इंट्रेस भी निकाल ली.. जब पास हुई तो नौकरी करने की इच्छा नहीं हुई क्योंकि मेरे पापा के पास इतने तो पैसे थे कि उनसे मांगकर मै कुछ बिज़नेस कर सकू. सो एक शॉप दिल्ली में डाल दी जिसके प्रोफिट के पैसे से मै पापा की पूंजी को धीरे-धीरे ब्याज सहित वापस लौटा रही हूं.. और वहां का प्रोफिट देखकर पापा ने यहां भी वैसा ही सेटअप डालने कह दिया.. ये थी सिम्पल सी मेरी जिंदगी…


मै:- मुझे तो लगा आप 20-21 साल की हो..


प्राची:- किसी को नहीं बताएगी तो मै अपनी उम्र बता सकती हूं..


मै:- मै गेस करूं..


प्राची:- हां कर..


मै:- कितने साल हुए बिजनेस किए वो बता दी केवल..


प्राची:- 1 साल..


मै:- एम्म.. 15+2+3+2+2… ओह माय गॉड आप 24 साल के लगभग की है..


प्राची:- जी नहीं 23 साल.. मैंने अपना 10th चौदह की उम्र में पास कर लिया था… वैसे कैलकुलेशन मस्त है तुम्हारी सीए सर.. मेरी कंपनी का ऑडिट फ्री में कर देना..


मै:- आप अपने पापा के पैसे व्याज सहित लौटा रही है, मुझसे खाक फ्री में काम करवायेंगी .. वैसे मुझे नाचने का मौका कब मिल रहा है..


प्राची:- जब भी मौका मिलेगा, महीने दिन तू मेरे साथ रहेगी… एक छोटी बहन की कमी सी खल रही थी, जो हमदर्द हो हम राज हो.. और जिससे मै हर तरह की बातें बिना सोचे कर सकूं …. तुम मिल गई ये मेरी खुश किस्मती.. चल अब कुछ ज्ञान की बातें और नाड़ी शक्ति कि बातें करते है..


मै:- जरूरी है क्या..


प्राची:- बहुत जरूरी है.. तेरे बैग में कुछ-कुछ समान है.. वैसे पढ़कर तो इस्तमाल कर सकती थी लेकिन सोचा खुद से ही बता दू… उसमें एक लेशन है जो तू नियमित रूप से लगाएगी..


मै:- ठीक लगा लिया..


प्राची:- पूरी तो बात सुन ले हरबरी एक्सप्रेस.. उसे तुम्हे अपने बूब्स पर लगाने है, जो साइज बढ़ता है और शेप में रखता है…


मै:- क्या ??? छीछीछी दीदी मैं ना लगाऊंगी, ठीक है ये चिपके हुए… बिना कुछ में तो लोग कमेंट कर देते है…


प्राची:- मार डालूंगी गवार… अच्छे नहीं लगते उल्लू.. बी ए वूमेन वाली फीलिंग भी तो आनी चाहिए.. और अभी नाटक करेगी तो मै वीडियो कॉल करके अप्लाई करवाऊंगी. डर मत ये अपने मन से नहीं दे रही. मेरी एक दोस्त डॉक्टर है, उसे जब तुम्हारी तस्वीर दिखाई तब उसने कहा इसके बूब्स साइज बहुत मैक्सिमम 30 भी मुश्किल से पहुंचेगा. कम से कम 34 तो होने चाहिए.. इसलिए बोल रही अब कोई बहस नहीं..


मै:- मै तो कहती हूं ज़ीरो ही करवा दो.. इसी के वजह से ज्यादा टेंशन है दीदी…


प्राची:- पागल कहीं की टेंशन इसकी वजह से नहीं होगी, वो दिमाग की गन्दगी की वजह से होती है, जिसमें अकेले लड़को का दोष नहीं होता.. इसलिए सट उप..


मै:- हां ठीक है समझ गई.. अब आगे..


प्राची:- बैग ने हेयर रिमूवर है, नियमित रूप से सफाई रखना. वेजिना के अंदर या उसके एरिया में पानी या साबुन से मत साफ करना, उसके लिए वी केयर है. खत्म हो जाए तो उसे मंगवा लिया करना. पानी या साबुन के इस्तमाल से वेजायनल पीएच बैलेंस नहीं रहता जिससे हमें कठिनाई का सामना करना पड़ता है. समझ गई ना…


मै:- येस बॉस..


प्राची:- मेकअप किट है, जब भी बाहर जाना तो हल्का मेकअप करके निकालना, ऐसे झल्ली के तरह जो कहीं भी चली जाती है वो मत करना.. समझी..


मै:- लेकिन दीदी असली खूबसूरती तो सादगी में होती है.. गांव के कॉलेज में मेकअप करके जाऊंगी तो प्रोबलम नहीं होगी..


प्राची:- अरे हल्का मेकअप रे बाबा जो मै भी किए रहती हूं, कहां तुझे मै हेरोइन बनकर जाने कह रही हूं…


मै:- आप ये सब 11th में करती थी..


प्राची:- मेरी कोई बड़ी बहन नहीं थी समझाने वाली, लेकिन तेरी है.. इसलिए तुझे करना होगा..


मै:- ठीक है कर लीया समझो.. आगे बताओ…


प्राची:- तेरे लिए एक लैपटॉप लिया है, और बहुत सारी एसेसरीज, घर में रहेगा तो खुद से सीख जाएगी.. और मैंने यहां के केवल वाले से कह दिया है कि वो वाईफाई की लाइन तेरे गांव तक बिछा दे, लेकिन उसका कहना है कि गांव में प्रोफिट नहीं होगा बस यहां फसी हूं.. हाई स्पीड इंटरनेट हो ना तो फिर हम वीडियो कॉल किया करेंगे, वो भी लैपटॉप के स्क्रीन पर..


मै:- वाईफाई हमरे गांव तक आ सकता है क्या?


प्राची:- कस्टमर होंगे तो क्यों नहीं..


मै:- कितने कस्टमर चाहिए..


प्राची:- 40 तक हो जाएंगे तो वो लगा देगा..


मै:- हाई स्पीड इंटरनेट के सब भूखे है दीदी, 40 क्या 200 कस्टमर हो जाएंगे उसके.. आप ये नंबर लो, मेरे मुखिया चाचा का नंबर है.. उसको बोलना इनसे बात कर लेने.. काम हो जाएगा.. अगर काम ना हुआ ना तो मै 10 दिन बाद गांव में रहूंगी.. तब कह देना.. मै खुद जाऊंगी चाचा से बात करने..


प्राची:- ले तो हो गई समस्या सॉल्व.. लैपटॉप ले वाईफाई इंटरनेट लगाओ.. और लैपटॉप चलाना सीखो…


मै:- दीदी पर मै सीखूंगी कैसे…


प्राची:- एक हैंडसम मुंडा है, उसको कह दूंगी तुम्हे ऑनलाइन सिखाएगा..


मै:- ओह हो, तो अब टीनएजर का ध्यान भटकाने कि साजिश कौन कर रहा है.


प्राची:- ऐसे ध्यान का क्या फायदा जो किसी अजनबी से बात मात्र करने पर भटक जाए बेबी. बस ये जो तुम्हारी हिचक है ना लड़को को लेकर वो तोड़नी है समझी… हर कोई बुरा नहीं होता और हर कोई अच्छा नहीं होता, बस हमे खुद पर भरोसा और जीने का तरीका आना चाहिए.. गोट माय पॉइंट…


मै:- आज इतनी बातें दीदी, मतलब लगता है वापस जाने वाली हो ना दिल्ली..


प्राची:- हां आज शाम को निकलूंगी, सो सोली.. ज्यादा बोर कर दी क्या?


मै:- हिहीही .. दीदी बोर नहीं की बस कभी-कभी किसी का जाना अखर जाता है. पहले 1 दिन को छोड़ दिया जाए तो मुझे लगा ही नहीं की आप मेरी बड़ी बहन ना हो…


प्राची:- हां पहले दिन लग जाता तो तू मुझे फोन ना दे देती आईडी बनाने के लिए, जी बहाने मारकर गई थी अपने भईया के कमरे…


मै:- हो.. मतलब आपको सब पता था..


प्राची:- पता भी था और मै खुश भी थी. बहुत समझदारी वाला निर्णय था वो. तुमने फोन दे दिया होता तो मै तुम्हे बेवकूफ समझती. बस लगा की तुम्हे पासवर्ड के बारे में पता नहीं कि उसकी अहमियत क्या है, इसलिए समझना परा था..


काफी लंबी बातें होने के बाद हम दोनों वहां से सीधा प्राची के शॉप पहुंचे जिसके 4th फ्लोर पर उनका एक सिनेमा हॉल बना हुआ था. सच कहूं तो इतनी बड़ी उम्र में मैंने आज तक कभी सिनेमा हॉल की सीढ़ियां नहीं चढ़ी थी, जब मैंने यह बात प्राची को बताई तो कहने लगी, अपना ही थियेटर है, जब दिल करे यहां आकर अकेले भी सिनेमा देख सकती हो.


पॉपकॉर्न खाते हुए हम मूवी देखने लगे. सुबह से लेकर 5 बजे शाम तक मै प्राची के साथ ही रही. उन्होंने मुझे घर पर मुझे ड्रॉप किया और मां से मिलकर दिल्ली के लिए निकल गई. लेकिन जाते-जाते मुझे बहुत कुछ सीखा गई..


मै शायद सामान्य दिख तो रही थी लेकिन अंदर की पिरा दिखा नहीं पा रही थी.. सब कुछ समझ तो रही थी कि जो भी घटना हुआ उसमे मेरी कोई गलती नहीं थी, लेकिन फिर भी मै खुद को समझा नहीं पा रही थी. उस वाक्ए के बाद ऐसा एक दिन भी नहीं गया जब दिल के दर्द नासूर ना हुए हो, लेकिन किसी से कह कर भी क्या कर सकती थी, ना तो घुटन कम होती और ना ही बोझ उतरता.. बस इन लम्हों में मेरी भावना और मेरे नजरिए को समझती बस प्राची दीदी मुझे जीने का तरीका और काम में फोकस करना सीखा गई…


22 दिन बाद भाभी को डिस्चार्ज किया गया. बहुत सारे बंदिशों के साथ उनकी पूरी देखभाल करनी थी. मुझे इन दोनो भाई बहन ने नासूर से जख्म दिए थे, एक पर मरहम लगाने का वक़्त आ रहा था. मै भाभी के साथ वापस गांव लौट रही थी.. मै बिल्कुल पूरे धैर्य के साथ अपने बाड़ी आने का इंतजार कर रही थी, घर का माहौल बिल्कुल शांत होने का..


बहरहाल एक लंबे अवकाश के बाद समय था कॉलेज जाना का और सुबह-सुबह नकुल पहुंच चुका था. हम दोनों सवार हो गए और चल दिए नीतू को लेने, लेकिन नकुल के चेहरा देखकर ऐसा लगा मानो वो कोई जबरदस्ती का बोझ ढो रहा हो… "बात क्या है, तू मुझे देखकर खुश ना हुआ"..


नकुल:- कैसी बात कर रही हो, कुछ भी अपने मन से हां..


मै:- सुन मुझे ड्राइविंग सीखनी है..


नकुल:- ठीक है आज शाम से शुरू कर दूंगा..


मै:- क्या हुआ ऐसे उखड़ा हुआ क्यों है, नीतू से झगड़ा हो गया है क्या?


नकुल:- झगड़ा नहीं हुआ बस बेतुकी जिद लेकर बैठी है, इसलिए दिमाग खराब हो गया है..


मै:- बाप को रेंज रोवर दे रहा है तो उसने कहीं स्कूटी तो नहीं मांग ली..


नकुल:- हाहाहाहा.. वेरी फनी.. वो बात नहीं है.. छोड़ उसे जाने दो.. तुम ठीक हो ना.


मै:- हां मै ठीक हूं, क्यों ऐसे क्यों पूछ रहा..


नकुल:- बस ऐसे ही, लगा पूछना चाहिए.. ले बाहर ही खड़ी है आज तो तेरे इंतजार में…


गाड़ी नीतू के घर के पास थी और वो बाहर में खड़ी थी. गाड़ी के रुकते ही वो बैठ गई, और मुझसे बातें करने लगी. हम तीनो ही बात करते हुए कॉलेज पहुंच गए. ऐसा लग रहा था जैसे दोनो को मेरा साथ आना पसंद नहीं था. शायद इसी को बदलाव कहते है, हर उम्र के साथ की अपनी एक सीमा होती है.


लड़का प्यार की उम्र तक पहुंच गया था इसलिए उसे भी अकेला छोड़ने का वक़्त आ गया था, ताकि उसे ये ना लगे कि उसकी अपनी जिंदगी ही नहीं. रिश्ते की गहराई वहीं रहेगी, चाहत भी वही होगी, बस उसे मेरे जिम्मेदारी से थोड़ा आज़ाद कर दू, ताकि वो भी अपनी जिंदगी जी ले..


इन्हीं सब बातो को सचती हुई मै बहुत दिनों के बाद कॉलेज में थी. लगभग 20-25 दिनों में मैंने अपने अंदर बहुत से बदलाव को देखा था, लेकिन कॉलेज का वातावरण अभी भी पहले जैसा ही था, वहीं गंदी नजर, और वहीं गंदी जुबान, बस लोग बदल गए थे..


नीतू ने भी अपना बेंच पार्टनर बदल लिया था और अब मुझे भी नए बदलाव के ओर रुख करना था. क्लास की पीछे की बेंच जो सदैव खाली रहती है, उसी एक बेंच पर मै जाकर आराम से बैठ गई. पहली क्लास अभी शुरू ही हुई थी कि तभी एक उड़ता हुए कागज का टुकड़ा मेरे बेंच पर आया..


लगता है मुन्ना काका के दिए वार्निग का असर खत्म हो गया था, या लड़के ढीट हो गए थे पता नहीं. इसका जवाब तो मुझे अब पेपर खोलने से ही मिलने वाला था. मैंने वो पेपर उठा लिया और खोलकर देखने लगी..… "आप बहुत खूबसूरत लग रही हैं जी, मेरे साथ दोस्ती करेंगी"….


ठीक है, लड़की अच्छी लगी तो बेचारे को बात करने का मन किया होगा. मै साथ रहूं उसकी ऐसी इक्छा भी होगी. लेकिन फिलहाल ना तो मुझे किसी से भी दोस्ती की इक्छा है और ना ही इस पत्री को देखकर मुस्कुराने या दाए बाएं देखकर किसी बात को बढ़ावा देने.


मैं भी गुस्से का भाव अपने चेहरे पर लायि और क्लास में ध्यान देने लगी. 2 लगातार क्लास के बाद एक अल्प विराम मिला था. मैंने नकुल के पास ना जाकर आज कॉलेज ही देखने लगी. देखने के क्रम में मुझे पहली बार पता चला कि कॉलेज में पुस्तकालय भी है.


चलो अब मुझे टाइम पास का भी जरिया मिल गया. मै पुस्तकालय तो गई लेकिन वहां की हालत पुस्तकालय जैसी नहीं थी. लकड़ी के सिरण की बदबू, चारो ओर धूल और अंदर चस्मा लगाए एक बूढ़ा. पास में ही 4-5 लकड़ी की कुर्सियां रखी हुई थी और बीच में पुस्तक रखने के लिए एक गोल मेज रखा हुआ था और इन सब पर भी धूल चढ़ी हुई थी.


मुझे लगा कम से कम लाइब्रेरी तो साफ सुथरी हो, इस विषय में बात करने के लिए मै प्रिंसिपल सर के पास पहुंच गई. मैंने लाइब्रेरी के विषय में बातचीत करके वहां की हालत जानने की कोशिश की. पता चला कॉलेज में लाइब्रेरी के लिए कभी पैसे ही नहीं आए. कॉलेज के शुरवात में ही जो खर्च हुए सो हुए, उसके बाद तो कोई झांकने भी नहीं गया.


मेरी जिज्ञासा हुई तो मैंने कंप्यूटर के बारे में भी पूछ लिया की क्या कोई ऐसा कमरा बाना हुआ था. इस पर प्रिंसिपल सर ने कुछ बोला ही नहीं, केवल इतना मुझ से कह गए कि यदि स्टूडेंट मिलकर कोशिश कर ले तो लाइब्रेरी की हालत सुधर सकती है… प्रिंसिपल की ये बात सुनकर मुझे थोड़ा अच्छा लगा, कम से कम एक रास्ता तो बता गए.


मेरे कॉलेज का खाली वक़्त कट चुका था. मै जब लौट रही थी तब कॉलेज प्रबंधन के लोग जिस ओर रहते है उस ओर से मुझे नीतू आती हुई नजर आयी. कॉलेज के उस हिस्से में छात्र नहीं जाते है, और ऐसे जगह से उसके आने का अर्थ था कि नकुल भी होगा ही उधर, जो घूमकर अपने क्लास के ओर गया होगा. लेकिन इन सब बातो से मुझे क्या, मै बस एक नजर दी और क्लास वापस आ गई.


मै जब वापस आकर अपने बेंच पर बैठी, तो इस वक़्त 2 मुरे हुए कागज के टुकड़े मेरे बेंच पर रखे थे. मुझे लगा ये जिस हाल में है उन्हें उसी हाल में छोड़ना बेहतर है, एक खोलकर देखी तो 2 पेपर बेंच पर परे है, 2 पेपर खोलकर देखी, तो पता चलेगा पुरा क्लास पेपर से भर जाएगा..


क्लास खत्म हुआ और वापस गांव के ओर चल दिए. मुझे नीतू और नकुल के बीच नहीं पड़ना था, इसलिए मैंने कान में इयर पीसेस लगाए और टिककर मस्त गाना सुनने लगी. बीच में नकुल ने 1,2 बार चिल्ला कर कुछ कहा भी, उसे अनदेखा करके मै अपने गाना सुनने पर फोकस करती रही.


मै जब घर लौटी तो घर पर मनीष भईया परिवार के कुछ लोगों के साथ सभा कर रहे थे. शायद अठजाम यज्ञ की बात चल रही थी, और मेरा यहां कोई काम नहीं था, तभी पीछे से मां ने मुझे भाभी के पास बैठने बोल दिया…


मैं उनके कमरे में आयी, शायद किशोर, भाभी को तंग कर रहा था, इसलिए मां ने मुझे यहां भेज दिया.. भाभी ने जैसे ही मुझे देखा, वो मुस्कुराती हुई कहने लगी… "मेमनी, पहले से ज्यादा सुंदर दिखने लगी है"..


मै:- अभी तबीयत कैसी है..


भाभी:- तुमने ही जिंदा बचाया और तुम ही मार रही हो मेनका. होश में आने के बाद बस एक बार मिली मुझसे, जब इतनी ही नफरत थी तो बचाया क्यों?


मै:- सब अपने स्वार्थ में अंधे हो गए होते तो कुणाल और किशोर को कौन देखता. भाभी इसपर बात करना जरूरी है क्या, अपनी जिंदगी देखो और अपना काम में ध्यान दो, मै भी अपने काम मे पुरा फोकस की हुए हूं..


भाभी:- हम्मम !!! जैसा तुम चाहो..


इतनी सी बात होने के बाद फिर दोबारा बता ना हो इसलिए मैंने अपनी नजर भाभी से टकराने ही नहीं दी. क्या ही करूं, बहुत प्यार करती हूं उन्हें और उनकी मायूस आखों को देखती रही तो शायद पिघल ना जाऊं. बस यही वजह है कि जितना हो सके मै कम से कम ही उनके सामने आऊं.


बहरहाल अठजाम की तैयारी पूरी हो चुकी थी. अगले कुछ दिनों तक मै पहले कॉलेज फिर हवन यज्ञ, और अन्य कामों में इतनी ज्यादा व्यस्त हो गई की किसी भी बात पर सोचने का वक़्त ही नहीं था. धीरे-धीरे जिंदगी सामान्य रूप से आगे बढ़ने लगी.


बदलाव ही नियम है और मै हो रहे बदलाव को स्वीकार करती हुई आगे बढ़ रही थी. नीतू गई तो उसके जगह लता ने के लिया. थोड़ी शांत और अच्छे स्वभाव की थी और उस क्लास के उन बची लड़की में से थी जिसकी दोस्ती किसी लड़के से नहीं थी.


नकुल आज कल कुछ ज्यादा ही व्यस्त हो गया था, शायद नीतू के बाद का बचा वक़्त वो अपने पिताजी के रेंज रोवर पर लगाए हुए था. एक ओर नीतू पर थोड़ा फिजूल खर्च कर रहा था तो मैंने भी यह सोचकर करने दिया कि कमाता है तो 2-3 हजार अपनी गर्लफ्रैंड्स पर खर्च कर रहा है..


ड्राइविंग सीखने के लिए मैंने तीसरे घर के बबलू भईया को पकड़ लिया. इनकी तारीफ मै बस इतना ही कहना चाहूंगी कि बको ध्यनाम थे ये. किसी भी काम को जब हाथ में लेते तो किसी भूत की तरह रात में भी करते थे और जबतक पुरा ना हो जाए तब तक चैन से सोते नहीं..


परिवार में कोई भी इन्हे सबसे आखरी में ही याद करता था, क्योंकि यदि किसी ने कोई काम कह दिया और उसे करने के क्रम में वो सदस्य थोड़ा भी ढिलाई कर दे, फिर तो आधे घंटे बबलू भईया की सुनते रहो.. 20 दिन उन्होंने मुझे सिखाया.. और इक्कीसवां दिन मै सड़क पर गाड़ी चला रही थी.. हां लेकिन ये भी सही है कि मैंने इनसे 8 बार डांट भी खाया था, और 3 बार तो इतना ज्यादा बोल गए की मै रोने भी लगी थी..


बात जो भी हो लेकिन फाइनली मै ड्राइविंग अच्छे से सीख चुकी थी और मैंने इसका टेस्ट अपने परिवार के लोग को भी दिया था. ड्राइविंग सीखने के साथ ही अब मुझे नकुल के साथ आने और जाने की भी जरूरत नहीं थी, लेकिन इस बात के लिए कोई राजी नहीं होता, ये भी मुझे पता था इसलिए मैंने इस मामले में ज्यादा उंगली नहीं की..


वक़्त सामान्य रूप से बीत रहा था. देखते ही देखते हमारा हॉफ ईयरली परीक्षा शुरू भी हो गया और खत्म भी. उस बीच 10 दिनों की छुट्टी भी हो गई कॉलेज से. एक दिन पुरा घर ही खाली था, केवल मै और भाभी थी, कुणाल और किशोर भी नहीं था..

 

Rahul

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DARK WOLFKING

Supreme
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Haan tabhi to menka ke hath ek big shot lag gayi.. it's destiny ... Din bhar kab ghuma leaon bhai .. 2 baje aayi ... Menka jagi darwaja kholi aur nahakar bahar nikli.. 2.30 ho gaye...

Fir ghante bhar me id bana phone ka kaam hua.. likha tha maine ... 3.30 ho gaya... Fir dono baithe gadi me ... Menka to ghumne se jyada soch me thi ki ye kaun gale padi hai...

To gadi chalti rahi aur baat chit hoti rahi... So 4 baj gaye... Ab maine 6 baje menka ko hospital bhi drop karwa diya.. to dekha jaye to 1 se dedh ghanta hi na ghume... Ab aap 4 se 6 ke bich 2 ghanta mat likh dena.. maine traffic aur hospital drop karne ke kaam me aadhe ghante se 1 ghanta kaat liya :D...

Kya hai... Itna hisab mangiyega to menka bhag jayegi :D

Aage Anuj se related hi aa raha hai Leon bhai chinta na karen ... Abhi hi thodi der me aayega
haa 2 baje ke baad ..par maine din bhar kehne se galat matlab nikal gaya 😔..

aaj ka update poori detail me padha ...par kuch jagah
words ka sahi istemaal nahi kar paaya ..😔😔
 

Naina

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दूसरी घटना:- भाग 3




अनुज भाभी का सबसे छोटा वाला भाई थे जिसकी शादी 3 साल पहले हुई थी और उनकी बीवी अपने पहले डिलीवरी के लिए मायके गई हुई थी. 1 हफ्ते बाद की उसके बच्चे की डिलीवरी थी और उस बेचारे को भी मजबूरी में यहां आना परा.


अमूमन हमारी बहुत ही कम बात हुई थी, लेकिन इस वक़्त साथ थे तो कुछ-कुछ बातें हो रही थी. हम तकरीबन 1 घंटे बाद शॉपिंग करके लौट आए. मैंने उन्हें धन्यवाद कहा और सबको चाय के लिए पूछने लगी. बस फिर कुछ इधर और कुछ उधर के काम सब चलते रहे और रात में तकरीबन 9 बजे मुझे फुरसत मिली.


फुरसत से मै पहली बार अपनी फोन को देख रही थी. मेरे लिए इस वक़्त तो ये किसी मासूक से कम नहीं था, जिसे जानने के लिए मै काफी उत्साहित थी. लो ये तो पहले चरण में ही पुरा मूड ऑफ हो गया.. इन आईफोन वालों ने ये क्या आईडी की पंचायत पाल रखी थी.


रात के 9 से ऊपर का समय हो गया था इसलिए प्राची दीदी को मैंने कॉल ना लगाकर अपने डब्बे वाले मोबाइल से संदेश भेज दिया.. 2 मिनट बाद ही उनका फोन मेरे पास आया... ना हाई, ना हेल्लो मुझे कॉल लगाकर वो हंसे जा रही थी..


मै:- हेल्लो .. हेल्लो..


प्राची:- सॉरी सॉरी.. तुम्हारा एसएमएस इतना इतना फनी था कि मै पिछले 2 मिनट से हंस रही हूं. अच्छा छोड़ो वो, तुम्हारे पास ईमेल अकाउंट है..


मै:- एक ईमेल अकाउंट कॉलेज में दी हूं वो वाला है बस..


प्राची:- तुमने बनाया था वो अकाउंट..


मै:- नहीं वो सब भईया देखते है.. मुझे इन सब चीज का आइडिया नहीं है.


प्राची:- हम्मम ! कंप्यूटर, लैपटॉप, इन सब में से कुछ चलाई हो..


मै:- कभी जरूरत ही नहीं हुई..


प्राची:- जरूरत तो हमे पीरियड्स की भी नहीं थी, फिर भी हर महीने झेलते है ना..


मै:- वो तो भगवान का दिया है ना दीदी, अब मर्जी हो की ना हो, भुगतना तो परेगा ना.


प्राची:- हां ये भी सही है.. अच्छा ये बताओ यहां कितने दिनों के लिए हो..


मै:- एक हफ्ते तो हूं मै यहां, या उससे ज्यादा भी वक़्त लग सकता है..


प्राची:- ठीक है कल चलना मेरे साथ मेरे पहचान एक कंप्यूटर वाले है, वो तुम्हे 1 हफ्ते में बेसिक सीखा देगा..


मै:- लेकिन मै कंप्यूटर का बेसिक सीखकर क्या करूंगी..


प्राची:- क्या जवाब दूं मै तुम्हारे सवाल का. छोड़ो, कल शॉप आ जाना, वहां एक आईडी क्रिएट करके मै तुम्हे सब बता दूंगी. और हां लंच टाइम में आना…


मैंने उनकी बात पर हां कहा और फोन रख दी. वैसे तो मै रात के 8 से 8.30 के बीच सो जाती हूं, लेकिन यहां तो साढ़े 9 बजने जा रहे थे. मेरी आखें और शरीर जवाब देने लगी थी, फिर भी मै फोन के साथ छेड़-छाड़ किए जा रही थी. कब नींद पर गई पता भी नहीं चला.


मैं बहुत गहरी नींद में थी जब सुबह-सुबह बड़ी भाभी आकर जगा गई, और जाते-जाते सबके लिए रोटी पकाने कह गई थी. मन तो उठने का बिल्कुल नहीं था, लेकिन फिर भी उठना परा. आखें मिजती मै अपने कमरे के बाथरूम में गई, और लौटकर किचेन. पता नहीं कौन सी चिर निद्रा लगी थी, आखें खुलने का नाम ही ना ले.


किचेन में केवल नल लगा हुआ था लेकिन पानी नहीं आता था. आटा गूंथने के लिए साफ पानी तो रखा था, लेकिन अन्य कामों के लिए पानी नहीं रखा हुआ था. मैं लाख आवाज़ देती रही बड़ी भाभी एक बाल्टी पानी ला दो, लेकिन मजाल है जो एक बार में सुने और तीसरी बार ने कर्राहते हुए कहने लगी उनकी पीठ कर कमर में तेज दर्द है…


मैंने फिर दोबारा नहीं कहा और बाल्टी उठाकर कॉमन बाथरूम में चल दि. यहां केवल मेरे कमरे का काम फिनिश हुआ था इसलिए वहीं के बाथरूम में पानी आता था, बाकियों के लिए कॉमन बाथरूम था, जिसमें पनी तो आता था, लेकिन दरवाजा अभी नहीं लगे था. फिहाल काम चलाऊ पर्दा लगा हुआ था, जिसको बाकी का लोग इस्तमाल करते थे…


मैंने पर्दा हटाया, और झट से पीछे होकर सीधा किचेन में चली आयी. बेवकूफ कहीं का, यदि दरवाजा नहीं लगा किसी बाथरूम में तो कम से कम ऊपर कुछ कपड़े ही डाल देता, और खुली बाथरूम में पूरे नंगे होकर कौन नहाता है, जबकि सिवाय मेरे रूम के किसी भी रूम का जब बाथरूम चालू ना हो. ऐसा लग रहा था सारे पागल मेरे नसीब में ही कुंडली मार लिए है. छोटी भाभी के भाई अनुज की हरकत से मैं पूरी तरह चिढी हुई थी…


मैं जल्दी से अपना काम खत्म करे के सीधा अपने रूम में चली गई और दरवाजा बंद करके वापस सो गई. मा, भईया, पिताजी.. सब एक-एक करके मुझे जागने आते रहे, लेकिन मैंने सबको मना कर दिया, और बोल दिया नींद बहुत आ रही है.


पता नहीं मै कितनी देर तक सोई, लेकिन फिर से किसी ने दरवाजा पीटा, मैं चिढ़कर आखें मिजती दरवाजा खोली और आधी जम्हाई ले ही रही थी कि… "दीदी आप"… मेरे दरवाजे पर प्राची दीदी खड़ी थी.


वो अंदर आकर बेड पर बैठती… "फटाफट तैयार हो जाओ, हम घूमने जा रहे है."


मै:- क्या ?


प्राची:- इतना चौंक क्यों रही हो, घूमने जाने के लिए ही तो कह रही..


मै:- हां वो तो समझी, लेकिन ना आप मुझे जानती है और ना ही मै आपको. ऊपर से मेरी भाभी हॉस्पिटल में है और मै तो उनके पास जा रही हूं.


प्राची:- ये भी जानती हूं, लेकिन बीच के 2 घंटे, मैंने तुम्हारा पापा से मांग लिए..


मै:- मतलब मै समझी नहीं..


तभी प्राची दीदी ने पापा को कॉल लगाया और फोन स्पीकर पर डाल दी. पापा ने जो उधर से कहा, मुझे बस इतना ही लगा कि अरे यार अच्छा खासा सो रही थी, ये कहां फंसा दिया. दरअसल राजवीर की बेटी प्राची, 12th के बाद से दिल्ली में रही, यहां बस 1 मंथ के लिए अपना बिजनेस सेटअप डालने आयी थी, फिर वापस लौटकर दिल्ली.. इसी बीच इनको मै कल दिख गई, 2 बार इनसे बातचीत हुई और अभी ये मेरे दरवाजे पर थी, वो भी मेरे पापा से पहले ही पूछकर आयी थी कि मुझे घुमाने ले जा रही.


कहा भी किसने तो राजवीर सिंह की बेटी ने. वो राजवीर सिंग जो पैसे और संपत्ति में हमसे 20 गुना बड़ा होगा, या शायद मै ही कम आंक रही कुछ कह नहीं सकते. हमारे पूर्वजों ने गांव में जमीन अर्जा था, तो उनके पूर्वजों ने सहर में. अब आप समझ ही सकते है, जहां हमारी 10 एकड़ की खेत होगी वहां इनका 4000 स्क्वेयर फीट का जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा. और जहां तक मै जानती हूं, शहर में इनकी लगभग 2 एकड़ की जमीन तो ऐसे बाउंड्री करवाकर प्रति परी हुई है. अब भला ऐसे लोगो के यहां की लड़की जब खुद से संपर्क करे, तो मजाल है मेरे पिताजी मना कर सकते थे. और ये भी मेंम साहब पहुंच गई..


मै:- दीदी इसे जबरदस्ती करना कहते है. मानाकी पापा ने जाने कह दिया, लेकिन मेरा भी तो मन होना चाहिए ना..


प्राची:- तुम्हे वो एप्पल की आईडी बनाने थी ना, उसके लिए तो 2 घंटे निकालकर आती ही ना मेरे पास..


मै:- एप्पल की आईडी, वो क्या होता है?


प्राची:- अरे वही आईडी जो तुम्हारे फोन के लिए चाहिए.. ये एप्पल का फोन है और इसे चलाने के लिए एप्पल की आईडी चाहिए.. भले ही पैसे जो भी लगे लेकिन ये दुनिया का सबसे सुरक्षित फोन है..


मै:- ओह ! मतलब इसे यदि मै टेबल पर रख दूं और कोई दूसरा उठाने आया तो इसमें से जोर-जोर से अलार्म बजने लगेगा.. ऐसा कुछ..


प्राची:- मुझे क्या पता, तुम्हे तो जबरदस्ती मै घुमाने ले जा रही हूं ना. एक दिन पहले मिले है, और मै अगले दिन तुम्हारे घर में आ गई, तुम्हे परेशान करने…


मै:- ठीक है चलती हूं दीदी. वैसे देखकर लगा नहीं था कि आपमें ताने देने वाला कोई गुण होगा, लेकिन मैं गलत थी..


प्राची:- हीहीहीहीहीही… जानती हो तुम जिस तरह से अनजान बनकर हर सवाल पूछती हो, उसका कोई आधा सवाल भी पूछ ले तो मै उस इंसान को दूर से देखकर ही नमस्ते कर लू.


मै अपने कपड़े समेटकर बाथरूम के ओर बढ़ती… "दीदी मुझे कुछ देर समय लगेगा."


प्राची:- कोई बात नहीं, तबतक मै तुम्हारी आईडी क्रिएट कर देती हूं, कहां है फोन.


मै:- फोन तो भईया के कमरे में है, मै 2 मिनट में आकर देती हूं.


मैं बिना बाल गीले किए बिना फटाफट स्नान की और बाहर आ गई. 10 मिनट में में तैयार होकर अपना बैग हाथ में ले ली..


मै:- चले दीदी…


प्राची:- फोन तो ले आओ..


"ओह हां" करके मै भईया के कमरे में गई, और अपने चोर पॉकेट से फोन हाथ में लेकर वापस अपने कमरे में आ गई. फिर सिम लगाने से लेकर आईडी बनाने तक का सारा काम मेरे आखों के सामने हुआ. पासवर्ड वायग्रा सब निजी होता है, यह बात मुझे प्राची दीदी ने अच्छे से समझाया, और जब पासवर्ड डालने की बारी आई तब उसने फोन मुझे ही पकड़ा दिया.


तकरीबन 1 घंटे प्राची दीदी वहां रही थी, लेकिन मुझे पता नहीं था कि हम दोनों की बात कोई तीसरा छिपकर सुन रहा है. सुबह अनुज के साथ हुई दुर्घटना के बाद मै रूम में क्या पुरा दिन रही, इस मामले ने नया रंग ही ले लिया था जिसकी भनक से मै पूरी तरह अनजान थी.


खैर मै और प्राची दीदी जैसे ही घूमने निकले, वहां तभी पीछे से अनुज ने रोकते हुए पूछ लिया, कहां जा रही हो. मैंने भी उसे अपने घूमने जाने के बारे में बता दिया. अनुज भी हमारे साथ जाने की इक्छा जताने लगा लेकिन प्राची दीदी उसे साफ मना कर दी, और सॉरी बॉस कहकर वहां से निकल गईं.


हम दोनों जैसे ही प्राची दीदी के कार में बैठे… "मुझे माफ़ कर देना, मै तुम्हे अपने साथ जबरदस्ती ले आयी."..


मै:- आपको ड्राइव करनी आती है..


प्राची:- हां आती है.. तुमने सीखी है कि नहीं.. ओह सॉरी जबाव तो शायद वही होगा, "लेकिन मै ड्राइविंग सीख कर करूंगी क्या?"


मै:- ओह तो ये बात है, कल मैंने आपसे ये सब कहा इसलिए आप उसका बदला लेने आयी है..


प्राची:- प्रिया प्राची दीदी, नमस्ते. यदि आप को इस वक़्त मै परेशान कर रही हूं, तो मुझे क्षमा कर दे. यघपी मै यह बात भाली भांति समझ सकती हूं, कि रात में किसी अनजान का संदेश आना, वो भी अपने निजी समय में किसी काम के सिलसिले वाला, तो यकीनन यह एक क्रोधित करने वाला कार्य है. किन्तु पहली बार फोन मेरे हाथ में है और इसे जानने की तीव्र जिज्ञासा में मै यह भुल कर रही हूं. अतः यदि आपको परेशान की हूं तो मुझे क्षमा कीजिएगा और अब जब आप परेशान हो ही गई है, तो अपनी छोटी बहन की परेशानी को दूर करने के उपाय अवश्य बता दीजिएगा. मेनका मिश्रा, आप के भव्या दुकान की एक ग्राहक..


मै:- ये तो मेरा भेजा मैसेज है..


प्राची:- बस इसे पढ़ने के बाद मैंने आज आधे दिन की छुट्टी ली और तुम्हारे साथ हूं. मैंने तुम्हारे मैसेज से तुम्हारा नाम हटा दिया था और अपने सोशल अकाउंट कर शेयर किया. तुम्हे पता है तुम्हारा ये मैसेज मेरे प्रोफाइल पर अब तक का सबसे ज्यादा लाइक किया जाने वाला पोस्ट है..


मै:- लेकिन दीदी..


प्राची:- हां जानती हूं अब क्या कहना है तुम्हे.. ये सोशल साइट है क्या?


मै:- वो तो जानती हूं, आज कल हर गंवार जिस जगह पहुंचकर होशियार बाना हुआ है, उसी की बात कर रही है आप.. मै वो नहीं कह रही. मै तो बस ये जानना चाह रही हूं कि बस एक मैसेज ही तो की थी. उसके लिए आप मेरे साथ घूमने का प्लान बना ली..


प्राची:- मेरी जान यदि कोई लड़का ये मैसेज करके मुझे प्रपोज किए होता तो मै पापा को भेजकर उससे शादी तय करवा लेटी, तुमसे तो सिर्फ घूमने की बात कर रही हूं.


प्राची दीदी की बात सुनकर मुझे बहुत ही ज्यादा अजीब लगा. एक साधारण सा संदेश भेजा था, उसमे इसे ऐसा क्या दिख गया कि यदि भेजने वाला लड़का होता तो उससे शादी कर लेती… मुझे भी उनके ख्याल जानने की इक्छा होने लगी कि आखिर उस संदेश में ऐसा क्या खास था..


मै:- दीदी नॉर्मल तो मैसेज था, उसके लिए आप इतना सब कुछ कैसे सोच ली…


प्राची:- पागल ये नॉर्मल मैसेज है.. अगर ये तुम्हारा नॉर्मल तरीका है किसी को रिस्पॉन्ड करने का तो मेरे साथ काम करो, तुम सोच भी नहीं सकती की 6 महीने में तुम कहां से कहां होगी..


मै:- दीदी मै साधारण सी लड़की हूं, आप क्यों इतना बात घुमा रही है. जारा राज से पर्दा भी उठा दो, वरना आपके बातो से उठता सस्पेंस कहीं मेरी जान ना ले ले..


प्राची:- हीहीहीही.. तुम्हारी जान इतनी भी सस्ती नहीं. सुनो जो तुमने अंजाने में अपना साधारण सा संदेश भेजा, उसे कहते है किसी को अपना काम करने पर मजबूर कर देना. मै 9 बजे रात तो क्या बल्कि शाम 7 बजे के बाद किसी कॉस्टमर के ना तो कॉल और ना ही मैसेज को रिस्पॉन्ड करती हूं.. तुमने जो भी लिखा सही लिखा, वो मेरा निजी वक़्त था और मैं गुस्सा भी होती हूं ऐसे लोगो से. खासकर लौड़ों की बात करे तो, जिसे प्रोडक्ट हेल्प के लिए अपना नंबर देती हूं और साले ठरकी मुझे ही पटाने लग जाते है.

कल रात अचानक से तुम्हारा मैसेज आया. रोज ही आते है मेरे ऑफिसियल नंबर पर, मै ध्यान नहीं देती. कल रात थोड़ा फ्री थी और मन में टाइम पास की इक्छा जाग रही थी, इसलिए मै भी किसी बकरे की तलाश में उस फोन के कॉल लॉग और मैसेज देख रही थी. तभी तुम्हारा मैसेज आया.. जिसके पहले पार्ट गुस्से को पूरा वैसे ही पिघला रहा था जैसे फ्रिजर से बटर को निकालकर किसी गरम तवे पर रखा गया हो. उसके ठीक नीचे उसका पुरा एक्सप्लेन.. फिर आगे अपनी सिचुएशन तुमने बयान किया कि किन हालात में तुमने ये मैसेज किया और जो तुम्हारे संदेश का सबसे हाईलाइट प्वाइंट रहा.. जब आप परेशान हो ही गई हो तो कम से कम मेरा काम ही कर दो.. जबकि लोग लिखते हो सके तो मेरे प्रॉब्लम को जल्द से जल्द शॉर्ट आउट कीजिए…

आह क्या बताऊं कैसा लगा वो पढ़कर.. ऐसा लगा जैसे आईआईएम से पासआउट कोई बिजनेस मैनेजमेंट का गुरु, अपना संदेश लिख रहा हो, जो पहली बार में ही अपनी बातो से किसी भी कंपनी के एमडी को चीत कर दे.. तभी मैंने फैसला किया कि एक दिन तुम्हे देना तो चाहिए. तुम्हारे मैसेज से तुम्हे जानने की जिज्ञासा बढ़ गई.


मै:- दीदी बस इतना ही आता है उससे ज्यादा कोई टैलेंट नहीं है. वैसे आप का बहुत बहुत धन्यवाद सब बताने के लिए, वरना मै समझ ही नहीं पा रही थी कि आखिर आपको हुआ क्या है जो 2 बजे दिन तक मेरे दरवाजे पर आ पहुंची....


प्राची:- मै टैलेंट की कद्र करती हूं, और तुमसे बात करने के बाद तो पुरा यकीन हो गया की तुम में प्रतिभा को कोई कमी नहीं है. मैंने अपना पर्सनल नंबर तुम्हारे मोबाइल में सेव कर दिया है, कभी भी मेरे साथ काम करने की इक्छा हो एक कॉल कर लेना. फिलहाल अभी बहुत छोटी हो, इसलिए अपने पढ़ाई पर ध्यान दो और कोई हेल्प चाहिए हो तो समझना एक बड़ी बहन तुम्हारी दिल्ली में रहती है, जो किसी भी वक़्त तुम्हे मदद कर सकती है.


मै:- दीदी एक बात बोलूं..


प्राची:- चिल यार, दीदी ही समझो, और बेझिझक बोलो, जैसे अपने घर के किसी सदस्य से बात करती हो..


मै:- दीदी आप की ड्रेसिंग सेंस काफी अच्छी है, और कपड़ों के सलेक्शन भी..


प्राची:- थैंक यू, मेनका. तो चलो चलकर पहले कुछ शॉपिंग ही की जाए.


मै:- नाह! आप मुझे घुमाने लाई है ना तो वहीं कीजिए.. आपके साथ थोड़ा खुलकर घूम भी लूंगी…


मेरे दरवाजे पर जबसे प्राची दीदी की दस्तक हुई, बस यूं लग रहा था कोई अनजान गले पड़ी है. जबसे जाना की प्राची दीदी मेरे साथ क्यों घूमने चली आयी, तब जाकर मै कहीं निश्चिंत हुई. प्राची दीदी के साथ अच्छा लगने लगा, तो मै भी थोड़ी बहुत खुल चुकी थी. हां मै एक बात निश्चित तौर पर कह सकती थी कि मै सच में किसी अच्छे इंसान से मिल रही थी.
Yeh menka ki badi bhabhi kya 100 saal ki budhiya hai kya.. nahi matlab abhi se Kamar dard :dazed: aalsi bhabhi badi chayani :buttkick:
is prashi ki toh aisi ki taisi.. prashi lesbo hai :buttkick:nahi shayad prashi dayan hai :buttkick: nahi actually prashi ek nimn barg ki kam pipashini hai :approve:
yeh kulta prashi menka se dur rahe yahin uski sehat ke liye behtar hai.. nahi toh iski to aisi ki taisi kar deni hai revo se hi :bat:
Maybe woh khote wali roopa bai ka woh bhai joh gande naali ka kida hai uske bikrit mann mein kuch aur soch liya..ho na ho yeh kamina jarur kuch karne wala hai menka ke sath :mad2:
Iski toh :mad:
Khair let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skill nainu ji :yourock: :yourock: :yourock:
 

Raj_Singh

Banned
709
1,655
123
तीसरी घटना:- भाग 2










मै:- दीदी आप ये मुझे बता रही हो मै तो कबसे अपनी इस बेवकूफी पर खुद को कोस रही थी.. अब वो पागल आदमी नंगा नहा रहा था, छोटा सा दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुआ और उससे एक रात पहले की मै पूरी थकी हुई थी… जाकर सो गई.. इस बात को लेकर जो पागलों वाले खयालात पाल ले उसे क्या ही कहें. पता ना ऐसे खयालात के बीजारोपण कहां से होता होगा इनके दिमाग में… बाद में तो मैंने किचेन में बुलाकर अकेले में पुछ रही थी.. फिर तो ना जाने वो क्या-क्या सोच चुका होगा.. और हां उस वक़्त मै जम गई थी, इसलिए मै कुछ कर नहीं पाती, दिमाग सुन्न पर गया था मेरा और शरीर बेजान हो गया था..


प्राची:- ये सब काल चक्र का दोष है बलिके.. कहीं कोई ऐसी घटना हुई होगी जिसका जिक्र किसी ने अपने कहानी और पोर्न फिल्मों में किया होगा, इसलिए तो उसकी सोच वहां तक गई थी.. बेबी अपना देश अमेरिका से भी आगे है सेक्स के मामले में. इस मुद्दे पर बहस करना ही बेकार है कि कौन सही कौन गलत.. बस अपना दामन बचाकर चलो रे बाबा.. जिसकी जैसी आग भड़की है वो शांत करता रहे, हमे क्या..


मै:- सच कह रही हो दीदी.. लड़कियां भी कम नहीं होती है..


प्राची:- ए मार खाएगी अब… जिन बातों में मैचुरिटी नहीं, उसके तरफ ध्यान नहीं देते.. ये विषय आकर्षित करता है, खासकर तुम जैसे टीनएजर्स को.. दूर रहो इससे.. जितना दूर रहेगी इन बातो से उतना काम में फोकस करेगी… और जल्दी से 12th पास होकर दिल्ली पहुंच… तेरे सीए की तैयारी वहीं से…


मै:- सपने मत दिखाओ दीदी.. ऐसा कभी नहीं होगा..


प्राची:- मुझे भी ऐसा ही लगता था जब मै 11th में थी, फिर पढ़ाई करती रही, डिस्ट्रिक्ट टॉपर हुई. बाद में पापा के अक्ल के थोड़े पर्दे खुले, कुछ रिस्तेदारो ने सिफारिश कि और मै ग्रेजुएशन करने दिल्ली पहुंच गई.. वहां से 3 साल ग्रेजुएशन और उसके लगे हाथ आईआईएम के इंट्रेस भी निकाल ली.. जब पास हुई तो नौकरी करने की इच्छा नहीं हुई क्योंकि मेरे पापा के पास इतने तो पैसे थे कि उनसे मांगकर मै कुछ बिज़नेस कर सकू. सो एक शॉप दिल्ली में डाल दी जिसके प्रोफिट के पैसे से मै पापा की पूंजी को धीरे-धीरे ब्याज सहित वापस लौटा रही हूं.. और वहां का प्रोफिट देखकर पापा ने यहां भी वैसा ही सेटअप डालने कह दिया.. ये थी सिम्पल सी मेरी जिंदगी…


मै:- मुझे तो लगा आप 20-21 साल की हो..


प्राची:- किसी को नहीं बताएगी तो मै अपनी उम्र बता सकती हूं..


मै:- मै गेस करूं..


प्राची:- हां कर..


मै:- कितने साल हुए बिजनेस किए वो बता दी केवल..


प्राची:- 1 साल..


मै:- एम्म.. 15+2+3+2+2… ओह माय गॉड आप 24 साल के लगभग की है..


प्राची:- जी नहीं 23 साल.. मैंने अपना 10th चौदह की उम्र में पास कर लिया था… वैसे कैलकुलेशन मस्त है तुम्हारी सीए सर.. मेरी कंपनी का ऑडिट फ्री में कर देना..


मै:- आप अपने पापा के पैसे व्याज सहित लौटा रही है, मुझसे खाक फ्री में काम करवायेंगी .. वैसे मुझे नाचने का मौका कब मिल रहा है..


प्राची:- जब भी मौका मिलेगा, महीने दिन तू मेरे साथ रहेगी… एक छोटी बहन की कमी सी खल रही थी, जो हमदर्द हो हम राज हो.. और जिससे मै हर तरह की बातें बिना सोचे कर सकूं …. तुम मिल गई ये मेरी खुश किस्मती.. चल अब कुछ ज्ञान की बातें और नाड़ी शक्ति कि बातें करते है..


मै:- जरूरी है क्या..


प्राची:- बहुत जरूरी है.. तेरे बैग में कुछ-कुछ समान है.. वैसे पढ़कर तो इस्तमाल कर सकती थी लेकिन सोचा खुद से ही बता दू… उसमें एक लेशन है जो तू नियमित रूप से लगाएगी..


मै:- ठीक लगा लिया..


प्राची:- पूरी तो बात सुन ले हरबरी एक्सप्रेस.. उसे तुम्हे अपने बूब्स पर लगाने है, जो साइज बढ़ता है और शेप में रखता है…


मै:- क्या ??? छीछीछी दीदी मैं ना लगाऊंगी, ठीक है ये चिपके हुए… बिना कुछ में तो लोग कमेंट कर देते है…


प्राची:- मार डालूंगी गवार… अच्छे नहीं लगते उल्लू.. बी ए वूमेन वाली फीलिंग भी तो आनी चाहिए.. और अभी नाटक करेगी तो मै वीडियो कॉल करके अप्लाई करवाऊंगी. डर मत ये अपने मन से नहीं दे रही. मेरी एक दोस्त डॉक्टर है, उसे जब तुम्हारी तस्वीर दिखाई तब उसने कहा इसके बूब्स साइज बहुत मैक्सिमम 30 भी मुश्किल से पहुंचेगा. कम से कम 34 तो होने चाहिए.. इसलिए बोल रही अब कोई बहस नहीं..


मै:- मै तो कहती हूं ज़ीरो ही करवा दो.. इसी के वजह से ज्यादा टेंशन है दीदी…


प्राची:- पागल कहीं की टेंशन इसकी वजह से नहीं होगी, वो दिमाग की गन्दगी की वजह से होती है, जिसमें अकेले लड़को का दोष नहीं होता.. इसलिए सट उप..


मै:- हां ठीक है समझ गई.. अब आगे..


प्राची:- बैग ने हेयर रिमूवर है, नियमित रूप से सफाई रखना. वेजिना के अंदर या उसके एरिया में पानी या साबुन से मत साफ करना, उसके लिए वी केयर है. खत्म हो जाए तो उसे मंगवा लिया करना. पानी या साबुन के इस्तमाल से वेजायनल पीएच बैलेंस नहीं रहता जिससे हमें कठिनाई का सामना करना पड़ता है. समझ गई ना…


मै:- येस बॉस..


प्राची:- मेकअप किट है, जब भी बाहर जाना तो हल्का मेकअप करके निकालना, ऐसे झल्ली के तरह जो कहीं भी चली जाती है वो मत करना.. समझी..


मै:- लेकिन दीदी असली खूबसूरती तो सादगी में होती है.. गांव के कॉलेज में मेकअप करके जाऊंगी तो प्रोबलम नहीं होगी..


प्राची:- अरे हल्का मेकअप रे बाबा जो मै भी किए रहती हूं, कहां तुझे मै हेरोइन बनकर जाने कह रही हूं…


मै:- आप ये सब 11th में करती थी..


प्राची:- मेरी कोई बड़ी बहन नहीं थी समझाने वाली, लेकिन तेरी है.. इसलिए तुझे करना होगा..


मै:- ठीक है कर लीया समझो.. आगे बताओ…


प्राची:- तेरे लिए एक लैपटॉप लिया है, और बहुत सारी एसेसरीज, घर में रहेगा तो खुद से सीख जाएगी.. और मैंने यहां के केवल वाले से कह दिया है कि वो वाईफाई की लाइन तेरे गांव तक बिछा दे, लेकिन उसका कहना है कि गांव में प्रोफिट नहीं होगा बस यहां फसी हूं.. हाई स्पीड इंटरनेट हो ना तो फिर हम वीडियो कॉल किया करेंगे, वो भी लैपटॉप के स्क्रीन पर..


मै:- वाईफाई हमरे गांव तक आ सकता है क्या?


प्राची:- कस्टमर होंगे तो क्यों नहीं..


मै:- कितने कस्टमर चाहिए..


प्राची:- 40 तक हो जाएंगे तो वो लगा देगा..


मै:- हाई स्पीड इंटरनेट के सब भूखे है दीदी, 40 क्या 200 कस्टमर हो जाएंगे उसके.. आप ये नंबर लो, मेरे मुखिया चाचा का नंबर है.. उसको बोलना इनसे बात कर लेने.. काम हो जाएगा.. अगर काम ना हुआ ना तो मै 10 दिन बाद गांव में रहूंगी.. तब कह देना.. मै खुद जाऊंगी चाचा से बात करने..


प्राची:- ले तो हो गई समस्या सॉल्व.. लैपटॉप ले वाईफाई इंटरनेट लगाओ.. और लैपटॉप चलाना सीखो…


मै:- दीदी पर मै सीखूंगी कैसे…


प्राची:- एक हैंडसम मुंडा है, उसको कह दूंगी तुम्हे ऑनलाइन सिखाएगा..


मै:- ओह हो, तो अब टीनएजर का ध्यान भटकाने कि साजिश कौन कर रहा है.


प्राची:- ऐसे ध्यान का क्या फायदा जो किसी अजनबी से बात मात्र करने पर भटक जाए बेबी. बस ये जो तुम्हारी हिचक है ना लड़को को लेकर वो तोड़नी है समझी… हर कोई बुरा नहीं होता और हर कोई अच्छा नहीं होता, बस हमे खुद पर भरोसा और जीने का तरीका आना चाहिए.. गोट माय पॉइंट…


मै:- आज इतनी बातें दीदी, मतलब लगता है वापस जाने वाली हो ना दिल्ली..


प्राची:- हां आज शाम को निकलूंगी, सो सोली.. ज्यादा बोर कर दी क्या?


मै:- हिहीही .. दीदी बोर नहीं की बस कभी-कभी किसी का जाना अखर जाता है. पहले 1 दिन को छोड़ दिया जाए तो मुझे लगा ही नहीं की आप मेरी बड़ी बहन ना हो…


प्राची:- हां पहले दिन लग जाता तो तू मुझे फोन ना दे देती आईडी बनाने के लिए, जी बहाने मारकर गई थी अपने भईया के कमरे…


मै:- हो.. मतलब आपको सब पता था..


प्राची:- पता भी था और मै खुश भी थी. बहुत समझदारी वाला निर्णय था वो. तुमने फोन दे दिया होता तो मै तुम्हे बेवकूफ समझती. बस लगा की तुम्हे पासवर्ड के बारे में पता नहीं कि उसकी अहमियत क्या है, इसलिए समझना परा था..


काफी लंबी बातें होने के बाद हम दोनों वहां से सीधा प्राची के शॉप पहुंचे जिसके 4th फ्लोर पर उनका एक सिनेमा हॉल बना हुआ था. सच कहूं तो इतनी बड़ी उम्र में मैंने आज तक कभी सिनेमा हॉल की सीढ़ियां नहीं चढ़ी थी, जब मैंने यह बात प्राची को बताई तो कहने लगी, अपना ही थियेटर है, जब दिल करे यहां आकर अकेले भी सिनेमा देख सकती हो.


पॉपकॉर्न खाते हुए हम मूवी देखने लगे. सुबह से लेकर 5 बजे शाम तक मै प्राची के साथ ही रही. उन्होंने मुझे घर पर मुझे ड्रॉप किया और मां से मिलकर दिल्ली के लिए निकल गई. लेकिन जाते-जाते मुझे बहुत कुछ सीखा गई..


मै शायद सामान्य दिख तो रही थी लेकिन अंदर की पिरा दिखा नहीं पा रही थी.. सब कुछ समझ तो रही थी कि जो भी घटना हुआ उसमे मेरी कोई गलती नहीं थी, लेकिन फिर भी मै खुद को समझा नहीं पा रही थी. उस वाक्ए के बाद ऐसा एक दिन भी नहीं गया जब दिल के दर्द नासूर ना हुए हो, लेकिन किसी से कह कर भी क्या कर सकती थी, ना तो घुटन कम होती और ना ही बोझ उतरता.. बस इन लम्हों में मेरी भावना और मेरे नजरिए को समझती बस प्राची दीदी मुझे जीने का तरीका और काम में फोकस करना सीखा गई…


22 दिन बाद भाभी को डिस्चार्ज किया गया. बहुत सारे बंदिशों के साथ उनकी पूरी देखभाल करनी थी. मुझे इन दोनो भाई बहन ने नासूर से जख्म दिए थे, एक पर मरहम लगाने का वक़्त आ रहा था. मै भाभी के साथ वापस गांव लौट रही थी.. मै बिल्कुल पूरे धैर्य के साथ अपने बाड़ी आने का इंतजार कर रही थी, घर का माहौल बिल्कुल शांत होने का..


बहरहाल एक लंबे अवकाश के बाद समय था कॉलेज जाना का और सुबह-सुबह नकुल पहुंच चुका था. हम दोनों सवार हो गए और चल दिए नीतू को लेने, लेकिन नकुल के चेहरा देखकर ऐसा लगा मानो वो कोई जबरदस्ती का बोझ ढो रहा हो… "बात क्या है, तू मुझे देखकर खुश ना हुआ"..


नकुल:- कैसी बात कर रही हो, कुछ भी अपने मन से हां..


मै:- सुन मुझे ड्राइविंग सीखनी है..


नकुल:- ठीक है आज शाम से शुरू कर दूंगा..


मै:- क्या हुआ ऐसे उखड़ा हुआ क्यों है, नीतू से झगड़ा हो गया है क्या?


नकुल:- झगड़ा नहीं हुआ बस बेतुकी जिद लेकर बैठी है, इसलिए दिमाग खराब हो गया है..


मै:- बाप को रेंज रोवर दे रहा है तो उसने कहीं स्कूटी तो नहीं मांग ली..


नकुल:- हाहाहाहा.. वेरी फनी.. वो बात नहीं है.. छोड़ उसे जाने दो.. तुम ठीक हो ना.


मै:- हां मै ठीक हूं, क्यों ऐसे क्यों पूछ रहा..


नकुल:- बस ऐसे ही, लगा पूछना चाहिए.. ले बाहर ही खड़ी है आज तो तेरे इंतजार में…


गाड़ी नीतू के घर के पास थी और वो बाहर में खड़ी थी. गाड़ी के रुकते ही वो बैठ गई, और मुझसे बातें करने लगी. हम तीनो ही बात करते हुए कॉलेज पहुंच गए. ऐसा लग रहा था जैसे दोनो को मेरा साथ आना पसंद नहीं था. शायद इसी को बदलाव कहते है, हर उम्र के साथ की अपनी एक सीमा होती है.


लड़का प्यार की उम्र तक पहुंच गया था इसलिए उसे भी अकेला छोड़ने का वक़्त आ गया था, ताकि उसे ये ना लगे कि उसकी अपनी जिंदगी ही नहीं. रिश्ते की गहराई वहीं रहेगी, चाहत भी वही होगी, बस उसे मेरे जिम्मेदारी से थोड़ा आज़ाद कर दू, ताकि वो भी अपनी जिंदगी जी ले..


इन्हीं सब बातो को सचती हुई मै बहुत दिनों के बाद कॉलेज में थी. लगभग 20-25 दिनों में मैंने अपने अंदर बहुत से बदलाव को देखा था, लेकिन कॉलेज का वातावरण अभी भी पहले जैसा ही था, वहीं गंदी नजर, और वहीं गंदी जुबान, बस लोग बदल गए थे..


नीतू ने भी अपना बेंच पार्टनर बदल लिया था और अब मुझे भी नए बदलाव के ओर रुख करना था. क्लास की पीछे की बेंच जो सदैव खाली रहती है, उसी एक बेंच पर मै जाकर आराम से बैठ गई. पहली क्लास अभी शुरू ही हुई थी कि तभी एक उड़ता हुए कागज का टुकड़ा मेरे बेंच पर आया..


लगता है मुन्ना काका के दिए वार्निग का असर खत्म हो गया था, या लड़के ढीट हो गए थे पता नहीं. इसका जवाब तो मुझे अब पेपर खोलने से ही मिलने वाला था. मैंने वो पेपर उठा लिया और खोलकर देखने लगी..… "आप बहुत खूबसूरत लग रही हैं जी, मेरे साथ दोस्ती करेंगी"….


ठीक है, लड़की अच्छी लगी तो बेचारे को बात करने का मन किया होगा. मै साथ रहूं उसकी ऐसी इक्छा भी होगी. लेकिन फिलहाल ना तो मुझे किसी से भी दोस्ती की इक्छा है और ना ही इस पत्री को देखकर मुस्कुराने या दाए बाएं देखकर किसी बात को बढ़ावा देने.


मैं भी गुस्से का भाव अपने चेहरे पर लायि और क्लास में ध्यान देने लगी. 2 लगातार क्लास के बाद एक अल्प विराम मिला था. मैंने नकुल के पास ना जाकर आज कॉलेज ही देखने लगी. देखने के क्रम में मुझे पहली बार पता चला कि कॉलेज में पुस्तकालय भी है.


चलो अब मुझे टाइम पास का भी जरिया मिल गया. मै पुस्तकालय तो गई लेकिन वहां की हालत पुस्तकालय जैसी नहीं थी. लकड़ी के सिरण की बदबू, चारो ओर धूल और अंदर चस्मा लगाए एक बूढ़ा. पास में ही 4-5 लकड़ी की कुर्सियां रखी हुई थी और बीच में पुस्तक रखने के लिए एक गोल मेज रखा हुआ था और इन सब पर भी धूल चढ़ी हुई थी.


मुझे लगा कम से कम लाइब्रेरी तो साफ सुथरी हो, इस विषय में बात करने के लिए मै प्रिंसिपल सर के पास पहुंच गई. मैंने लाइब्रेरी के विषय में बातचीत करके वहां की हालत जानने की कोशिश की. पता चला कॉलेज में लाइब्रेरी के लिए कभी पैसे ही नहीं आए. कॉलेज के शुरवात में ही जो खर्च हुए सो हुए, उसके बाद तो कोई झांकने भी नहीं गया.


मेरी जिज्ञासा हुई तो मैंने कंप्यूटर के बारे में भी पूछ लिया की क्या कोई ऐसा कमरा बाना हुआ था. इस पर प्रिंसिपल सर ने कुछ बोला ही नहीं, केवल इतना मुझ से कह गए कि यदि स्टूडेंट मिलकर कोशिश कर ले तो लाइब्रेरी की हालत सुधर सकती है… प्रिंसिपल की ये बात सुनकर मुझे थोड़ा अच्छा लगा, कम से कम एक रास्ता तो बता गए.


मेरे कॉलेज का खाली वक़्त कट चुका था. मै जब लौट रही थी तब कॉलेज प्रबंधन के लोग जिस ओर रहते है उस ओर से मुझे नीतू आती हुई नजर आयी. कॉलेज के उस हिस्से में छात्र नहीं जाते है, और ऐसे जगह से उसके आने का अर्थ था कि नकुल भी होगा ही उधर, जो घूमकर अपने क्लास के ओर गया होगा. लेकिन इन सब बातो से मुझे क्या, मै बस एक नजर दी और क्लास वापस आ गई.


मै जब वापस आकर अपने बेंच पर बैठी, तो इस वक़्त 2 मुरे हुए कागज के टुकड़े मेरे बेंच पर रखे थे. मुझे लगा ये जिस हाल में है उन्हें उसी हाल में छोड़ना बेहतर है, एक खोलकर देखी तो 2 पेपर बेंच पर परे है, 2 पेपर खोलकर देखी, तो पता चलेगा पुरा क्लास पेपर से भर जाएगा..


क्लास खत्म हुआ और वापस गांव के ओर चल दिए. मुझे नीतू और नकुल के बीच नहीं पड़ना था, इसलिए मैंने कान में इयर पीसेस लगाए और टिककर मस्त गाना सुनने लगी. बीच में नकुल ने 1,2 बार चिल्ला कर कुछ कहा भी, उसे अनदेखा करके मै अपने गाना सुनने पर फोकस करती रही.


मै जब घर लौटी तो घर पर मनीष भईया परिवार के कुछ लोगों के साथ सभा कर रहे थे. शायद अठजाम यज्ञ की बात चल रही थी, और मेरा यहां कोई काम नहीं था, तभी पीछे से मां ने मुझे भाभी के पास बैठने बोल दिया…


मैं उनके कमरे में आयी, शायद किशोर, भाभी को तंग कर रहा था, इसलिए मां ने मुझे यहां भेज दिया.. भाभी ने जैसे ही मुझे देखा, वो मुस्कुराती हुई कहने लगी… "मेमनी, पहले से ज्यादा सुंदर दिखने लगी है"..


मै:- अभी तबीयत कैसी है..


भाभी:- तुमने ही जिंदा बचाया और तुम ही मार रही हो मेनका. होश में आने के बाद बस एक बार मिली मुझसे, जब इतनी ही नफरत थी तो बचाया क्यों?


मै:- सब अपने स्वार्थ में अंधे हो गए होते तो कुणाल और किशोर को कौन देखता. भाभी इसपर बात करना जरूरी है क्या, अपनी जिंदगी देखो और अपना काम में ध्यान दो, मै भी अपने काम मे पुरा फोकस की हुए हूं..


भाभी:- हम्मम !!! जैसा तुम चाहो..


इतनी सी बात होने के बाद फिर दोबारा बता ना हो इसलिए मैंने अपनी नजर भाभी से टकराने ही नहीं दी. क्या ही करूं, बहुत प्यार करती हूं उन्हें और उनकी मायूस आखों को देखती रही तो शायद पिघल ना जाऊं. बस यही वजह है कि जितना हो सके मै कम से कम ही उनके सामने आऊं.


बहरहाल अठजाम की तैयारी पूरी हो चुकी थी. अगले कुछ दिनों तक मै पहले कॉलेज फिर हवन यज्ञ, और अन्य कामों में इतनी ज्यादा व्यस्त हो गई की किसी भी बात पर सोचने का वक़्त ही नहीं था. धीरे-धीरे जिंदगी सामान्य रूप से आगे बढ़ने लगी.


बदलाव ही नियम है और मै हो रहे बदलाव को स्वीकार करती हुई आगे बढ़ रही थी. नीतू गई तो उसके जगह लता ने के लिया. थोड़ी शांत और अच्छे स्वभाव की थी और उस क्लास के उन बची लड़की में से थी जिसकी दोस्ती किसी लड़के से नहीं थी.


नकुल आज कल कुछ ज्यादा ही व्यस्त हो गया था, शायद नीतू के बाद का बचा वक़्त वो अपने पिताजी के रेंज रोवर पर लगाए हुए था. एक ओर नीतू पर थोड़ा फिजूल खर्च कर रहा था तो मैंने भी यह सोचकर करने दिया कि कमाता है तो 2-3 हजार अपनी गर्लफ्रैंड्स पर खर्च कर रहा है..


ड्राइविंग सीखने के लिए मैंने तीसरे घर के बबलू भईया को पकड़ लिया. इनकी तारीफ मै बस इतना ही कहना चाहूंगी कि बको ध्यनाम थे ये. किसी भी काम को जब हाथ में लेते तो किसी भूत की तरह रात में भी करते थे और जबतक पुरा ना हो जाए तब तक चैन से सोते नहीं..


परिवार में कोई भी इन्हे सबसे आखरी में ही याद करता था, क्योंकि यदि किसी ने कोई काम कह दिया और उसे करने के क्रम में वो सदस्य थोड़ा भी ढिलाई कर दे, फिर तो आधे घंटे बबलू भईया की सुनते रहो.. 20 दिन उन्होंने मुझे सिखाया.. और इक्कीसवां दिन मै सड़क पर गाड़ी चला रही थी.. हां लेकिन ये भी सही है कि मैंने इनसे 8 बार डांट भी खाया था, और 3 बार तो इतना ज्यादा बोल गए की मै रोने भी लगी थी..


बात जो भी हो लेकिन फाइनली मै ड्राइविंग अच्छे से सीख चुकी थी और मैंने इसका टेस्ट अपने परिवार के लोग को भी दिया था. ड्राइविंग सीखने के साथ ही अब मुझे नकुल के साथ आने और जाने की भी जरूरत नहीं थी, लेकिन इस बात के लिए कोई राजी नहीं होता, ये भी मुझे पता था इसलिए मैंने इस मामले में ज्यादा उंगली नहीं की..


वक़्त सामान्य रूप से बीत रहा था. देखते ही देखते हमारा हॉफ ईयरली परीक्षा शुरू भी हो गया और खत्म भी. उस बीच 10 दिनों की छुट्टी भी हो गई कॉलेज से. एक दिन पुरा घर ही खाली था, केवल मै और भाभी थी, कुणाल और किशोर भी नहीं था..

Phir se MENKA aur RUPA BHABHI akeli hai Ghar me. :hukka:

6 Mahine ho gaye hai kya. :waiting1:

agar 6 Mahina ho gaya ho ya RUPA BHABHI thik ho gayi ho to phir se Purana KHEL :sex: suru ho sakta hai. :hehe:
 

DARK WOLFKING

Supreme
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nice update ..prachi aur menka ki poori baate ladkiyo wali thi 🤔 jo har kisike samajh se pare hai 😁😁😁..

prachi ne paper spray aur bahut se saaman ke baare me menka ko bataya ..
 

DARK WOLFKING

Supreme
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ab menka to gadi chalana bhi sikh gayi ..bhabhi aur menka ki baate 🤔..
nakul aur neeta ke bich kya hua pata nahi .par menka ko nahi bench partner mil gayi jo sidhi sadhi hai ..
ab bhabhi aur menka akele hai dekhte hai unke bich kya baatchit hoti hai 🤔🤔..
 
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