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Thriller 100 - Encounter !!!! Journey Of An Innocent Girl (Completed)

nain11ster

Prime
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तीसरी घटना:- आखरी भाग








भाभी भी लगभग ठीक हो चुकी थी और अब चल फिर कर सकती थी, भारी काम छोड़कर छोटे बड़े काम वो कर रही थी. मै अपने कमरे में बैठकर लैपटॉप चला रही थी, देखा जाए तो प्राची दीदी ने ही सिखाया था चलाना, और मै एक्सेल के काम को सीख रही थी…


"मेनका, क्या हम बात कर सकते है"… डेढ़ महीने बाद वो अपने मायके से लौट रही थी और मेरे ख्याल से आते के साथ ही उन्होंने मुझसे बात करने की इक्छा जताई थी…


मै:- हां शायद मै भी आपसे नजरे मिलाकर बात करने की स्थिति में हूं भाभी, चलो आपके ही कमरे में चलते है, यहां हमारी बाते कोई सुन ना ले…


हम दोनों ही भाभी के कमरे में पहुंचे, भाभी ने कमरे का दरवाजा लगा दिया और शीशे के पर्दे खोल दिए और मेरे पास आकर बैठ गई… शायद कहां से शुरू करें इसी उधेड़बुन में हम दोनों चल रहे थे, इसलिए दोनो के बीच खामोशी छाई रही… "मेनका क्या सब कुछ पहले जैसा नहीं हो सकता है."..


मै:- सब कुछ पहले जैसा ही है भाभी, बस कुछ बदलाव चल रहा है, उसे हम दोनों को स्वीकारना होगा. मैंने तो बहुत पहले ही कहा था आगे बढ़ो..


भाभी:- कुणाल और किशोर के नाम पर तुमने आत्महत्या करने से तो रोक लिया, लेकिन तुम्हारी नाराजगी मुझे रोज मारती है मेमनी, भुल भी जाओ उन बातो को..


मै:- भाभी क्या भुल जाऊं मै.. जिनकी हैसियत नहीं इस आंगन में बिना पूछे आने की, उसके साथ आप इसी कमरे में.. छी.. कुछ तो लिहाज किया होता.. क्या आपको जारा भी एहसास नहीं हुआ की मै जान जाऊंगी तो मेरी क्या हालत होगी..

मेरा विश्वास टूटा था भाभी. मुझे पल-पल ऐसा लग रहा था, जैसे मेरी श्वांस अटक रही हो. मां से बढ़कर थी आप मेरे लिए, आपको जारा भी इस बात का एहसास ना रहा.. मै पूछती हूं, आपकी जहग मै होती और आपने ये सब अपनी आखों से देखा होता तो आपको कैसा लगता बताओ ना..


हम दोनों ही रो रहे थे.. आशु जैसे फुट-फुट कर निकल रहे थे.. गुस्से में मेरे मुंह से कुछ ऐसा निकल गया कि भाभी अपना ही सर दीवार से मारने लगी.. किसी तरह मैंने उन्हें रोका, और दोनो बच्चो का वास्ता देकर चुपचाप बैठने के लिए कहा..


हम दोनों बहुत देर तक रोए.. भाभी सुबकती हुई कहने लगी.. "3 लोग इस दुनिया से गायब हो गए है."…


मैंने आश्चर्य से उनकी ओर देखा.. मानो मेरे नजरो में सवाल के बौछार लगे हो… भाभी मेरे आशु पोछती हुई कहने लगी… "तुमने जो देखा उससे तुम्हारी नफरत की वजह समझ में आती है और तुमने रास्ता भी वो चुन लिया, लेकिन मेरा क्या जो अपने ही नजरो के सामने अपने पति को ये सब करते देखी हो. आखिर क्या कमी थी मुझेमें, या मैंने कभी खुश नहीं रखा था उन्हें."


भाभी की बात सुनकर मै बिल्कुल ख़ामोश हो गई. फिर उन्होंने अपने मोबाइल से कुछ तस्वीरें निकाल कर दिखाई, जिसके एक तस्वीर में मनीष भईया एक औरत को चूम रहे थे, और ऐसी चूमने कि 3-4 तस्वीरें थी. वो औरत कौन थी हम दोनों जानते थे.. और उनकी सिर्फ एक रास लीला की तस्वीर नहीं थी, बल्कि ऐसे ही 1 लड़की और 2 औरतों के साथ संबंध थे..


भाभी:- इसके आगे की भी तस्वीरें है, केवल चूमने कि ही नहीं.. लेकिन ये उचित नहीं की मै तुम्हे वो सब दिखाऊं… मै बस फंस गई मुरली के चंगुल में, और वहां से वंशी भी उस खेल में सामिल हो गया..

कभी ऐसा नहीं हुआ कि मै अपनी मर्जी से मर्यादा को लांघ गई, लेकिन जब उनके हाथ मेरे जिस्म से लगते, तो मै चाहकर भी उन्हें मना नहीं कर पाती. मेरी नजर में मैंने कोई गलती नहीं की.. मुझे इन सब चक्करों में केवल अपने पति की बेवफ़ाई से फसी.. पहले तस्वीर और वीडियो बाहर गांव में दिखाने की धमकी ने मुझे आत्मसमर्पण करने पर मजबूर किया, बाद में कभी-कभी उन्हें अपनी मर्जी से ढील दे दी..

मुझे कैसा लगता होगा होगा जब मै एक बेवफा के साथ रात गुजार रही हूं और पलटकर पूछने पर ऐसा क्यों किए, तो रात भर थप्पड़ और लात खाते रहो. फिर अंत में एक प्यारी सी धमकी भी मिल जाती है, कि यदि कोई नाटक किया तो दूसरी बीवी ले आऊंगा…


मैं इस वक़्त प्राची दीदी की कहीं बात को याद कर रही थी. उस दिन बिल्कुल सही कहा था उन्होंने… सेक्स के मुद्दे पर बहस करना ही बेकार है कि कौन सही कौन गलत, बस अपना दामन बचाकर चलो. देखा जाए तो भाभी की गलती थी भी और नहीं भी, सब नजरिए का खेल है. मुद्दा ये नहीं की पहले कौन फिसला, मुद्दा ये था कि दोनो ही गलत थे, या फिर दोनो ही सही.. मुझमें इतनी आकलन करने की शक्ति नहीं थी और होती भी तो मै नहीं कर सकती थी…


मैंने तो सोच लिया जो जिसके कर्म, मै अपने रिश्ते खराब क्यों करूं फिर भईया हो या भाभी.. रात के अंधेरे में इस गांव में क्या कहानी रची जाती है उससे मुझे कोई सरोकार ही नही. फिर भाभी से तो मुझे सबसे ज्यादा लगाव था, इसलिए वो वाकया शायद मेरा दम घोंट गया, और यही हाल मेरी भाभी का था. तभी तो वो खुद को गोली मारने जितना बड़ा कदम उठा ली. वरना यहां बेशर्मी का आलम तो ऐसा है की खुद करप्शन करते पड़के गए तो या तो पकड़ने वाले को करप्ट बाना दो या फिर उसे रास्ते से ही हटा दो…


और मै अपनी छोटी भाभी को जानती हूं, वो इन दोनों में ही काफी सक्षम है. फिर इन मामलों में कोई उनका पार नहीं पा सकता. यदि उन्होंने ठान लिया कि किसी को साफ ही कर देना है तो उसकी भलाई इसी में है कि वो जगह छोड़ दे, वरना अंधेरी रात कब उसे निगल ले कोई समझ नहीं पाता. आगे श्याद उसी के किस्से आने वाले है क्योंकि वो डेढ़ महीने बाद विश्वास के साथ लौट रही थी…


"कौन से तीन लोग गायब हो गए भाभी"… मै बस अब इस मुद्दे पर ज्यादा बहस नहीं करना चाहती थी, और मुझे लग चुका था कि भाभी भी अपना दामन साफ करने के लिए 3 लोग को गायब करवा चुकी है, मै बस उनके विषय में जानती और भाभी से मुस्कुराकर कहती हम पहले जैसे ही है अब.. जो कि सही भी था..


भाभी:- मुरली, वंशी और अनुज..


"अनुज"… लेकिन ये क्यों… भाभी के खुद का अपना भाई गायब है, और घर में किसी को पता तक नहीं… मै हैरानी से भाभी को देखने लगी… मन में खुद से चार बार सोची, चार बार खुद से ही दोहराया… "अपने ही सगे छोटे भाई को"… भाभी बिल्कुल सामान्य दिख रही थी, ऐसा की उसने अपने सारे आशु और चिंता कहीं पीछे छोड़ आयी हो… लेकिन मेरे चेहरे के बदलते भाव उनके सामने थे और उनका शांत रूप मेरे सामने…


भाभी, शायद मेरे अंदर चल रहे अनगिनत सवाल को पढ़ चुकी थी….. "तुम्हारा नकुल को रात में बुलाना, मुझे सोचने पर मजबूर कर गया… उसी के अगले दिन तुम इस बात को याद करके रोई की मैंने खुद को गोली मार ली, वो रोना तुम किसी को दिखा नहीं सकती थी ये हम दोनों जानते हैं"…

"कमाल की बात थी मेरा भाई गया था घर, लेकिन तुम्हारे रोने वक़्त वो वापस हॉस्पिटल आ गया था, वो भी ऐसी हालात की देखकर ही संदेह हो जाए. बिखरे बाल, जैसे तैसे पहने कपड़े और चेहरे पर चिंता के भाव, "कहीं मै पकड़ा ना जाऊं"….

मज़े की बात सुनो, वो अगले दिन सुबह निकालने वाला था लेकिन आनन फानन में, मां को लेकर उसी के 1 घंटे बाद निकल गया. 2 दिन बाद मेरी मां का कॉल लगाकर ये पूछना कि…. "क्या कोई कान की बूंदी मेरे पास छूट गई है, क्योंकि अनुज के शर्ट से एक कान की बूंदी निकली है, जो शायद उसने अपनी बीवी के लिए लिया था, लेकिन एक ही कान का है"… मैंने वीडियो कॉल लगाकर देखा तो मेरे पाऊं के नीचे से जमीन खिसकी हुई थी"

खैर उस बूंदी को तो मैंने फिकवा दिया, ताकि किसी को उसकी जानकारी ना हो लेकिन सच्चाई क्या थी, ये शायद तुम नहीं बताती… क्योंकि कहीं ना कहीं इस परिस्थिति में तुम मेरी ही वजह से फसी थी… प्राची को बुलाया मैंने, फिर उससे पूरी सच्चाई का पता चले. मै हर रिश्ते निभाने से पहले एक औरत हूं और जबरस्ती करने के घाव कैसे होते है भाला मै नहीं समझूंगी…

दिल को बहुत मजबूत बनाया, भाई था ना वो भी, साथ में उसकी एक बीवी और एक नवजात बच्चा भी, लेकिन काम उसके माफी लायक नहीं थे. मैंने मुरली और वंशी को 50 हजार दिए थे इस काम को सफाई से करने के लिए. उसे समझ में ना आए की मामला क्या है, इसलिए मैंने कह दिया, बड़े भैया मेरे ज्यादा करीबी है और मेरा छोटा उसी के साथ गद्दारी कर रहा… काम पूरा करो… मुरली और वंशी ने अनुज का काम खत्म कर दिया और इन दोनों को किसी और ने गायब कर दिया…


मै:- ये क्यों नहीं कहती की अपना दामन आपने साफ करने के लिए उनको भी साफ करवा दिया, खुद को तो गोली मार ही ली थी, फिर इस खेल के रचयता को क्यों माफी दे दी…


भाभी:- तू पागल है क्या ? तुम्हारे भैया ने किसी के साथ जबरदस्ती नहीं की समझी… हां हमारे रिश्ते में वो बेवफा थे, लेकिन किसी के साथ बलात्कार का मानसिक बीमारी उनमें नहीं… मुरली और वंशी ने मुझे पहले ब्लैकमेल किया था, शायद उस वक़्त उन्हें या खुद को गोली मार लेती, तो हमारे बीच का किस्सा नहीं बढ़ता, बस मुझे अपनी पति को सुधारना होता. कहीं ना कहीं उन दोनों के साथ होने में मेरी भी मर्जी थी, बस कोई मां नहीं चाहती कि उसके सीक्रेट रिलेशन उसके बेटी को पता चले, इस दर्द ने मुझे तोड़ दिया.. हमने अपनी मर्जी से गलती की थी, फिर मनीष हो, मुरली हो या फिर मै. तो उन दोनों को गायब क्यों करवाती.. तेरी कसम मेरा हाथ नहीं है..


मै:- कुत्ति हरकत का यही नतीजा होता है, गया होगा किसी का घर उजाड़ने इस बार सामनेवाले ने उसे लपेटना है बेहतर समझा… भाभी मुझे कोई गिला नहीं, शायद मुझे इन बातो को ज्यादा जानना नहीं चाहिए.. इसलिए अब से मै दूर हूं इन मुद्दों से.. बस मुझे रुलाना मत कभी… दुनिया भार में जाए वो क्या करती है. आप मेरे लिए मां से बढ़कर हो. अगली बार शायद मै बर्दास्त नहीं कर पाऊं. आप अपनी अधूरी कोशिश की थी और मै कोशिश नहीं मर कर दिखा दूंगी… फिर आप भी चिंता मुक्त हो जाना…


भाभी:- एक तूफान आया था जो अब थम गया है… मैने मनीष को उसके एक रिश्ते के बारे में बताया था, तुम समझ सकती हो किसके बारे में बताया होगा.. लेकिन हाथ बंधे वो अपने सारे संबंध के बारे में बता दिया और बस इतना ही कहे. तुम्हरा फैसला ही मै मानूंगा.. कहकर यकीन तो नहीं दिला सकता लेकिन एक बार माफ करके गले लगाओगी, तो मै फिर कभी ऐसे सिचुएशन नहीं आने दूंगा..


मैंने इससे आगे उन विषयों पर बात करना उचित नहीं समझा, बस भाभी को दरवाजा खोलने कह दी और जब वो लौटकर आयि, तो उसकी गोद में लेटकर मुझे सुलाने के लिए कहने लगी.. उनके मुसकुराते चेहरे पर आशु थे और वो अपने हाथ से प्यार से बाल को सहला रही थी..


ना जाने क्यों मै भी आशु बहा रही थी. हम दोनों ख़ामोश थे जैसे दिल का बोझ बहते आशुओं से निकल रहा हो… दुनिया की ये इकलौती भाभी होंगी शायद, जिसने ये नहीं सोचा कि उसकी ननद के जलवे से मेरा भाई फिसला. शायद मैं उनकी सच में बेटी ही थी, इसलिए मेरी नाराजगी से टूटकर वो पहले खुद की ही जान ले ली, बाद में अपने भाई की.


देखा जाए तो जैसे मैंने सबसे छिपाया था उनसे भी छिपा लिया… प्राची दीदी को भी भरोसा हुआ ही होगा भाभी पर, वरना वो मूर्ख नहीं की एक भाभी को उसके ननद के साथ हुई घटना को बता दे. वो इतनी समझदारी तो रखती ही थी कि इन मुद्दों में भाभी का भाई बच जाएगा और ननद फंसेगी, फिर भी उन्होंने बता दिया. ये थी मेरे प्रति मेरी भाभी के लगाव और विश्वास की कहानी… जिंदगी में आपके साथ जब ऐसे लोग हो ना, फिर कभी जिंदगी से सिकायात नहीं होती.


परिवार में कभी कभी उथल पुथल हो जाती है.. संयम ही एक मात्र उपाय है जिससे हर बुरी सिचुएशन से निकला जा सकता है, ये हम दोनों ही सोच रहे थे.. बहुत दिन बाद हमारी खुशियां लौटी थी.. 5 महीने के करीब हो गए थे उन घटनाओं को, पहले भाभी बाद में उसका भाई….. अब कहीं जाकर मै शायद सुकून की श्वंस ले रही थी. भाभी मेरी मां ही थी क्योंकि लाचारी का फायदा उठाने वाले उस दुष्ट अनुज को मैं भी मरते हुए ही देखना चाहती थी, बस भाभी की तरह मुझमें करने की हिम्मत नहीं थी….





 

aman rathore

Enigma ke pankhe
4,853
20,197
158
तीसरी घटना:- आखरी भाग








भाभी भी लगभग ठीक हो चुकी थी और अब चल फिर कर सकती थी, भारी काम छोड़कर छोटे बड़े काम वो कर रही थी. मै अपने कमरे में बैठकर लैपटॉप चला रही थी, देखा जाए तो प्राची दीदी ने ही सिखाया था चलाना, और मै एक्सेल के काम को सीख रही थी…


"मेनका, क्या हम बात कर सकते है"… डेढ़ महीने बाद वो अपने मायके से लौट रही थी और मेरे ख्याल से आते के साथ ही उन्होंने मुझसे बात करने की इक्छा जताई थी…


मै:- हां शायद मै भी आपसे नजरे मिलाकर बात करने की स्थिति में हूं भाभी, चलो आपके ही कमरे में चलते है, यहां हमारी बाते कोई सुन ना ले…


हम दोनों ही भाभी के कमरे में पहुंचे, भाभी ने कमरे का दरवाजा लगा दिया और शीशे के पर्दे खोल दिए और मेरे पास आकर बैठ गई… शायद कहां से शुरू करें इसी उधेड़बुन में हम दोनों चल रहे थे, इसलिए दोनो के बीच खामोशी छाई रही… "मेनका क्या सब कुछ पहले जैसा नहीं हो सकता है."..


मै:- सब कुछ पहले जैसा ही है भाभी, बस कुछ बदलाव चल रहा है, उसे हम दोनों को स्वीकारना होगा. मैंने तो बहुत पहले ही कहा था आगे बढ़ो..


भाभी:- कुणाल और किशोर के नाम पर तुमने आत्महत्या करने से तो रोक लिया, लेकिन तुम्हारी नाराजगी मुझे रोज मारती है मेमनी, भुल भी जाओ उन बातो को..


मै:- भाभी क्या भुल जाऊं मै.. जिनकी हैसियत नहीं इस आंगन में बिना पूछे आने की, उसके साथ आप इसी कमरे में.. छी.. कुछ तो लिहाज किया होता.. क्या आपको जारा भी एहसास नहीं हुआ की मै जान जाऊंगी तो मेरी क्या हालत होगी..

मेरा विश्वास टूटा था भाभी. मुझे पल-पल ऐसा लग रहा था, जैसे मेरी श्वांस अटक रही हो. मां से बढ़कर थी आप मेरे लिए, आपको जारा भी इस बात का एहसास ना रहा.. मै पूछती हूं, आपकी जहग मै होती और आपने ये सब अपनी आखों से देखा होता तो आपको कैसा लगता बताओ ना..


हम दोनों ही रो रहे थे.. आशु जैसे फुट-फुट कर निकल रहे थे.. गुस्से में मेरे मुंह से कुछ ऐसा निकल गया कि भाभी अपना ही सर दीवार से मारने लगी.. किसी तरह मैंने उन्हें रोका, और दोनो बच्चो का वास्ता देकर चुपचाप बैठने के लिए कहा..


हम दोनों बहुत देर तक रोए.. भाभी सुबकती हुई कहने लगी.. "3 लोग इस दुनिया से गायब हो गए है."…


मैंने आश्चर्य से उनकी ओर देखा.. मानो मेरे नजरो में सवाल के बौछार लगे हो… भाभी मेरे आशु पोछती हुई कहने लगी… "तुमने जो देखा उससे तुम्हारी नफरत की वजह समझ में आती है और तुमने रास्ता भी वो चुन लिया, लेकिन मेरा क्या जो अपने ही नजरो के सामने अपने पति को ये सब करते देखी हो. आखिर क्या कमी थी मुझेमें, या मैंने कभी खुश नहीं रखा था उन्हें."


भाभी की बात सुनकर मै बिल्कुल ख़ामोश हो गई. फिर उन्होंने अपने मोबाइल से कुछ तस्वीरें निकाल कर दिखाई, जिसके एक तस्वीर में मनीष भईया एक औरत को चूम रहे थे, और ऐसी चूमने कि 3-4 तस्वीरें थी. वो औरत कौन थी हम दोनों जानते थे.. और उनकी सिर्फ एक रास लीला की तस्वीर नहीं थी, बल्कि ऐसे ही 1 लड़की और 2 औरतों के साथ संबंध थे..


भाभी:- इसके आगे की भी तस्वीरें है, केवल चूमने कि ही नहीं.. लेकिन ये उचित नहीं की मै तुम्हे वो सब दिखाऊं… मै बस फंस गई मुरली के चंगुल में, और वहां से वंशी भी उस खेल में सामिल हो गया..

कभी ऐसा नहीं हुआ कि मै अपनी मर्जी से मर्यादा को लांघ गई, लेकिन जब उनके हाथ मेरे जिस्म से लगते, तो मै चाहकर भी उन्हें मना नहीं कर पाती. मेरी नजर में मैंने कोई गलती नहीं की.. मुझे इन सब चक्करों में केवल अपने पति की बेवफ़ाई से फसी.. पहले तस्वीर और वीडियो बाहर गांव में दिखाने की धमकी ने मुझे आत्मसमर्पण करने पर मजबूर किया, बाद में कभी-कभी उन्हें अपनी मर्जी से ढील दे दी..

मुझे कैसा लगता होगा होगा जब मै एक बेवफा के साथ रात गुजार रही हूं और पलटकर पूछने पर ऐसा क्यों किए, तो रात भर थप्पड़ और लात खाते रहो. फिर अंत में एक प्यारी सी धमकी भी मिल जाती है, कि यदि कोई नाटक किया तो दूसरी बीवी ले आऊंगा…


मैं इस वक़्त प्राची दीदी की कहीं बात को याद कर रही थी. उस दिन बिल्कुल सही कहा था उन्होंने… सेक्स के मुद्दे पर बहस करना ही बेकार है कि कौन सही कौन गलत, बस अपना दामन बचाकर चलो. देखा जाए तो भाभी की गलती थी भी और नहीं भी, सब नजरिए का खेल है. मुद्दा ये नहीं की पहले कौन फिसला, मुद्दा ये था कि दोनो ही गलत थे, या फिर दोनो ही सही.. मुझमें इतनी आकलन करने की शक्ति नहीं थी और होती भी तो मै नहीं कर सकती थी…


मैंने तो सोच लिया जो जिसके कर्म, मै अपने रिश्ते खराब क्यों करूं फिर भईया हो या भाभी.. रात के अंधेरे में इस गांव में क्या कहानी रची जाती है उससे मुझे कोई सरोकार ही नही. फिर भाभी से तो मुझे सबसे ज्यादा लगाव था, इसलिए वो वाकया शायद मेरा दम घोंट गया, और यही हाल मेरी भाभी का था. तभी तो वो खुद को गोली मारने जितना बड़ा कदम उठा ली. वरना यहां बेशर्मी का आलम तो ऐसा है की खुद करप्शन करते पड़के गए तो या तो पकड़ने वाले को करप्ट बाना दो या फिर उसे रास्ते से ही हटा दो…


और मै अपनी छोटी भाभी को जानती हूं, वो इन दोनों में ही काफी सक्षम है. फिर इन मामलों में कोई उनका पार नहीं पा सकता. यदि उन्होंने ठान लिया कि किसी को साफ ही कर देना है तो उसकी भलाई इसी में है कि वो जगह छोड़ दे, वरना अंधेरी रात कब उसे निगल ले कोई समझ नहीं पाता. आगे श्याद उसी के किस्से आने वाले है क्योंकि वो डेढ़ महीने बाद विश्वास के साथ लौट रही थी…


"कौन से तीन लोग गायब हो गए भाभी"… मै बस अब इस मुद्दे पर ज्यादा बहस नहीं करना चाहती थी, और मुझे लग चुका था कि भाभी भी अपना दामन साफ करने के लिए 3 लोग को गायब करवा चुकी है, मै बस उनके विषय में जानती और भाभी से मुस्कुराकर कहती हम पहले जैसे ही है अब.. जो कि सही भी था..


भाभी:- मुरली, वंशी और अनुज..


"अनुज"… लेकिन ये क्यों… भाभी के खुद का अपना भाई गायब है, और घर में किसी को पता तक नहीं… मै हैरानी से भाभी को देखने लगी… मन में खुद से चार बार सोची, चार बार खुद से ही दोहराया… "अपने ही सगे छोटे भाई को"… भाभी बिल्कुल सामान्य दिख रही थी, ऐसा की उसने अपने सारे आशु और चिंता कहीं पीछे छोड़ आयी हो… लेकिन मेरे चेहरे के बदलते भाव उनके सामने थे और उनका शांत रूप मेरे सामने…


भाभी, शायद मेरे अंदर चल रहे अनगिनत सवाल को पढ़ चुकी थी….. "तुम्हारा नकुल को रात में बुलाना, मुझे सोचने पर मजबूर कर गया… उसी के अगले दिन तुम इस बात को याद करके रोई की मैंने खुद को गोली मार ली, वो रोना तुम किसी को दिखा नहीं सकती थी ये हम दोनों जानते हैं"…

"कमाल की बात थी मेरा भाई गया था घर, लेकिन तुम्हारे रोने वक़्त वो वापस हॉस्पिटल आ गया था, वो भी ऐसी हालात की देखकर ही संदेह हो जाए. बिखरे बाल, जैसे तैसे पहने कपड़े और चेहरे पर चिंता के भाव, "कहीं मै पकड़ा ना जाऊं"….

मज़े की बात सुनो, वो अगले दिन सुबह निकालने वाला था लेकिन आनन फानन में, मां को लेकर उसी के 1 घंटे बाद निकल गया. 2 दिन बाद मेरी मां का कॉल लगाकर ये पूछना कि…. "क्या कोई कान की बूंदी मेरे पास छूट गई है, क्योंकि अनुज के शर्ट से एक कान की बूंदी निकली है, जो शायद उसने अपनी बीवी के लिए लिया था, लेकिन एक ही कान का है"… मैंने वीडियो कॉल लगाकर देखा तो मेरे पाऊं के नीचे से जमीन खिसकी हुई थी"

खैर उस बूंदी को तो मैंने फिकवा दिया, ताकि किसी को उसकी जानकारी ना हो लेकिन सच्चाई क्या थी, ये शायद तुम नहीं बताती… क्योंकि कहीं ना कहीं इस परिस्थिति में तुम मेरी ही वजह से फसी थी… प्राची को बुलाया मैंने, फिर उससे पूरी सच्चाई का पता चले. मै हर रिश्ते निभाने से पहले एक औरत हूं और जबरस्ती करने के घाव कैसे होते है भाला मै नहीं समझूंगी…

दिल को बहुत मजबूत बनाया, भाई था ना वो भी, साथ में उसकी एक बीवी और एक नवजात बच्चा भी, लेकिन काम उसके माफी लायक नहीं थे. मैंने मुरली और वंशी को 50 हजार दिए थे इस काम को सफाई से करने के लिए. उसे समझ में ना आए की मामला क्या है, इसलिए मैंने कह दिया, बड़े भैया मेरे ज्यादा करीबी है और मेरा छोटा उसी के साथ गद्दारी कर रहा… काम पूरा करो… मुरली और वंशी ने अनुज का काम खत्म कर दिया और इन दोनों को किसी और ने गायब कर दिया…


मै:- ये क्यों नहीं कहती की अपना दामन आपने साफ करने के लिए उनको भी साफ करवा दिया, खुद को तो गोली मार ही ली थी, फिर इस खेल के रचयता को क्यों माफी दे दी…


भाभी:- तू पागल है क्या ? तुम्हारे भैया ने किसी के साथ जबरदस्ती नहीं की समझी… हां हमारे रिश्ते में वो बेवफा थे, लेकिन किसी के साथ बलात्कार का मानसिक बीमारी उनमें नहीं… मुरली और वंशी ने मुझे पहले ब्लैकमेल किया था, शायद उस वक़्त उन्हें या खुद को गोली मार लेती, तो हमारे बीच का किस्सा नहीं बढ़ता, बस मुझे अपनी पति को सुधारना होता. कहीं ना कहीं उन दोनों के साथ होने में मेरी भी मर्जी थी, बस कोई मां नहीं चाहती कि उसके सीक्रेट रिलेशन उसके बेटी को पता चले, इस दर्द ने मुझे तोड़ दिया.. हमने अपनी मर्जी से गलती की थी, फिर मनीष हो, मुरली हो या फिर मै. तो उन दोनों को गायब क्यों करवाती.. तेरी कसम मेरा हाथ नहीं है..


मै:- कुत्ति हरकत का यही नतीजा होता है, गया होगा किसी का घर उजाड़ने इस बार सामनेवाले ने उसे लपेटना है बेहतर समझा… भाभी मुझे कोई गिला नहीं, शायद मुझे इन बातो को ज्यादा जानना नहीं चाहिए.. इसलिए अब से मै दूर हूं इन मुद्दों से.. बस मुझे रुलाना मत कभी… दुनिया भार में जाए वो क्या करती है. आप मेरे लिए मां से बढ़कर हो. अगली बार शायद मै बर्दास्त नहीं कर पाऊं. आप अपनी अधूरी कोशिश की थी और मै कोशिश नहीं मर कर दिखा दूंगी… फिर आप भी चिंता मुक्त हो जाना…


भाभी:- एक तूफान आया था जो अब थम गया है… मैने मनीष को उसके एक रिश्ते के बारे में बताया था, तुम समझ सकती हो किसके बारे में बताया होगा.. लेकिन हाथ बंधे वो अपने सारे संबंध के बारे में बता दिया और बस इतना ही कहे. तुम्हरा फैसला ही मै मानूंगा.. कहकर यकीन तो नहीं दिला सकता लेकिन एक बार माफ करके गले लगाओगी, तो मै फिर कभी ऐसे सिचुएशन नहीं आने दूंगा..


मैंने इससे आगे उन विषयों पर बात करना उचित नहीं समझा, बस भाभी को दरवाजा खोलने कह दी और जब वो लौटकर आयि, तो उसकी गोद में लेटकर मुझे सुलाने के लिए कहने लगी.. उनके मुसकुराते चेहरे पर आशु थे और वो अपने हाथ से प्यार से बाल को सहला रही थी..


ना जाने क्यों मै भी आशु बहा रही थी. हम दोनों ख़ामोश थे जैसे दिल का बोझ बहते आशुओं से निकल रहा हो… दुनिया की ये इकलौती भाभी होंगी शायद, जिसने ये नहीं सोचा कि उसकी ननद के जलवे से मेरा भाई फिसला. शायद मैं उनकी सच में बेटी ही थी, इसलिए मेरी नाराजगी से टूटकर वो पहले खुद की ही जान ले ली, बाद में अपने भाई की.


देखा जाए तो जैसे मैंने सबसे छिपाया था उनसे भी छिपा लिया… प्राची दीदी को भी भरोसा हुआ ही होगा भाभी पर, वरना वो मूर्ख नहीं की एक भाभी को उसके ननद के साथ हुई घटना को बता दे. वो इतनी समझदारी तो रखती ही थी कि इन मुद्दों में भाभी का भाई बच जाएगा और ननद फंसेगी, फिर भी उन्होंने बता दिया. ये थी मेरे प्रति मेरी भाभी के लगाव और विश्वास की कहानी… जिंदगी में आपके साथ जब ऐसे लोग हो ना, फिर कभी जिंदगी से सिकायात नहीं होती.


परिवार में कभी कभी उथल पुथल हो जाती है.. संयम ही एक मात्र उपाय है जिससे हर बुरी सिचुएशन से निकला जा सकता है, ये हम दोनों ही सोच रहे थे.. बहुत दिन बाद हमारी खुशियां लौटी थी.. 5 महीने के करीब हो गए थे उन घटनाओं को, पहले भाभी बाद में उसका भाई….. अब कहीं जाकर मै शायद सुकून की श्वंस ले रही थी. भाभी मेरी मां ही थी क्योंकि लाचारी का फायदा उठाने वाले उस दुष्ट अनुज को मैं भी मरते हुए ही देखना चाहती थी, बस भाभी की तरह मुझमें करने की हिम्मत नहीं थी….
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aman rathore

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तीसरी घटना:- आखरी भाग








भाभी भी लगभग ठीक हो चुकी थी और अब चल फिर कर सकती थी, भारी काम छोड़कर छोटे बड़े काम वो कर रही थी. मै अपने कमरे में बैठकर लैपटॉप चला रही थी, देखा जाए तो प्राची दीदी ने ही सिखाया था चलाना, और मै एक्सेल के काम को सीख रही थी…


"मेनका, क्या हम बात कर सकते है"… डेढ़ महीने बाद वो अपने मायके से लौट रही थी और मेरे ख्याल से आते के साथ ही उन्होंने मुझसे बात करने की इक्छा जताई थी…


मै:- हां शायद मै भी आपसे नजरे मिलाकर बात करने की स्थिति में हूं भाभी, चलो आपके ही कमरे में चलते है, यहां हमारी बाते कोई सुन ना ले…


हम दोनों ही भाभी के कमरे में पहुंचे, भाभी ने कमरे का दरवाजा लगा दिया और शीशे के पर्दे खोल दिए और मेरे पास आकर बैठ गई… शायद कहां से शुरू करें इसी उधेड़बुन में हम दोनों चल रहे थे, इसलिए दोनो के बीच खामोशी छाई रही… "मेनका क्या सब कुछ पहले जैसा नहीं हो सकता है."..


मै:- सब कुछ पहले जैसा ही है भाभी, बस कुछ बदलाव चल रहा है, उसे हम दोनों को स्वीकारना होगा. मैंने तो बहुत पहले ही कहा था आगे बढ़ो..


भाभी:- कुणाल और किशोर के नाम पर तुमने आत्महत्या करने से तो रोक लिया, लेकिन तुम्हारी नाराजगी मुझे रोज मारती है मेमनी, भुल भी जाओ उन बातो को..


मै:- भाभी क्या भुल जाऊं मै.. जिनकी हैसियत नहीं इस आंगन में बिना पूछे आने की, उसके साथ आप इसी कमरे में.. छी.. कुछ तो लिहाज किया होता.. क्या आपको जारा भी एहसास नहीं हुआ की मै जान जाऊंगी तो मेरी क्या हालत होगी..

मेरा विश्वास टूटा था भाभी. मुझे पल-पल ऐसा लग रहा था, जैसे मेरी श्वांस अटक रही हो. मां से बढ़कर थी आप मेरे लिए, आपको जारा भी इस बात का एहसास ना रहा.. मै पूछती हूं, आपकी जहग मै होती और आपने ये सब अपनी आखों से देखा होता तो आपको कैसा लगता बताओ ना..


हम दोनों ही रो रहे थे.. आशु जैसे फुट-फुट कर निकल रहे थे.. गुस्से में मेरे मुंह से कुछ ऐसा निकल गया कि भाभी अपना ही सर दीवार से मारने लगी.. किसी तरह मैंने उन्हें रोका, और दोनो बच्चो का वास्ता देकर चुपचाप बैठने के लिए कहा..


हम दोनों बहुत देर तक रोए.. भाभी सुबकती हुई कहने लगी.. "3 लोग इस दुनिया से गायब हो गए है."…


मैंने आश्चर्य से उनकी ओर देखा.. मानो मेरे नजरो में सवाल के बौछार लगे हो… भाभी मेरे आशु पोछती हुई कहने लगी… "तुमने जो देखा उससे तुम्हारी नफरत की वजह समझ में आती है और तुमने रास्ता भी वो चुन लिया, लेकिन मेरा क्या जो अपने ही नजरो के सामने अपने पति को ये सब करते देखी हो. आखिर क्या कमी थी मुझेमें, या मैंने कभी खुश नहीं रखा था उन्हें."


भाभी की बात सुनकर मै बिल्कुल ख़ामोश हो गई. फिर उन्होंने अपने मोबाइल से कुछ तस्वीरें निकाल कर दिखाई, जिसके एक तस्वीर में मनीष भईया एक औरत को चूम रहे थे, और ऐसी चूमने कि 3-4 तस्वीरें थी. वो औरत कौन थी हम दोनों जानते थे.. और उनकी सिर्फ एक रास लीला की तस्वीर नहीं थी, बल्कि ऐसे ही 1 लड़की और 2 औरतों के साथ संबंध थे..


भाभी:- इसके आगे की भी तस्वीरें है, केवल चूमने कि ही नहीं.. लेकिन ये उचित नहीं की मै तुम्हे वो सब दिखाऊं… मै बस फंस गई मुरली के चंगुल में, और वहां से वंशी भी उस खेल में सामिल हो गया..

कभी ऐसा नहीं हुआ कि मै अपनी मर्जी से मर्यादा को लांघ गई, लेकिन जब उनके हाथ मेरे जिस्म से लगते, तो मै चाहकर भी उन्हें मना नहीं कर पाती. मेरी नजर में मैंने कोई गलती नहीं की.. मुझे इन सब चक्करों में केवल अपने पति की बेवफ़ाई से फसी.. पहले तस्वीर और वीडियो बाहर गांव में दिखाने की धमकी ने मुझे आत्मसमर्पण करने पर मजबूर किया, बाद में कभी-कभी उन्हें अपनी मर्जी से ढील दे दी..

मुझे कैसा लगता होगा होगा जब मै एक बेवफा के साथ रात गुजार रही हूं और पलटकर पूछने पर ऐसा क्यों किए, तो रात भर थप्पड़ और लात खाते रहो. फिर अंत में एक प्यारी सी धमकी भी मिल जाती है, कि यदि कोई नाटक किया तो दूसरी बीवी ले आऊंगा…


मैं इस वक़्त प्राची दीदी की कहीं बात को याद कर रही थी. उस दिन बिल्कुल सही कहा था उन्होंने… सेक्स के मुद्दे पर बहस करना ही बेकार है कि कौन सही कौन गलत, बस अपना दामन बचाकर चलो. देखा जाए तो भाभी की गलती थी भी और नहीं भी, सब नजरिए का खेल है. मुद्दा ये नहीं की पहले कौन फिसला, मुद्दा ये था कि दोनो ही गलत थे, या फिर दोनो ही सही.. मुझमें इतनी आकलन करने की शक्ति नहीं थी और होती भी तो मै नहीं कर सकती थी…


मैंने तो सोच लिया जो जिसके कर्म, मै अपने रिश्ते खराब क्यों करूं फिर भईया हो या भाभी.. रात के अंधेरे में इस गांव में क्या कहानी रची जाती है उससे मुझे कोई सरोकार ही नही. फिर भाभी से तो मुझे सबसे ज्यादा लगाव था, इसलिए वो वाकया शायद मेरा दम घोंट गया, और यही हाल मेरी भाभी का था. तभी तो वो खुद को गोली मारने जितना बड़ा कदम उठा ली. वरना यहां बेशर्मी का आलम तो ऐसा है की खुद करप्शन करते पड़के गए तो या तो पकड़ने वाले को करप्ट बाना दो या फिर उसे रास्ते से ही हटा दो…


और मै अपनी छोटी भाभी को जानती हूं, वो इन दोनों में ही काफी सक्षम है. फिर इन मामलों में कोई उनका पार नहीं पा सकता. यदि उन्होंने ठान लिया कि किसी को साफ ही कर देना है तो उसकी भलाई इसी में है कि वो जगह छोड़ दे, वरना अंधेरी रात कब उसे निगल ले कोई समझ नहीं पाता. आगे श्याद उसी के किस्से आने वाले है क्योंकि वो डेढ़ महीने बाद विश्वास के साथ लौट रही थी…


"कौन से तीन लोग गायब हो गए भाभी"… मै बस अब इस मुद्दे पर ज्यादा बहस नहीं करना चाहती थी, और मुझे लग चुका था कि भाभी भी अपना दामन साफ करने के लिए 3 लोग को गायब करवा चुकी है, मै बस उनके विषय में जानती और भाभी से मुस्कुराकर कहती हम पहले जैसे ही है अब.. जो कि सही भी था..


भाभी:- मुरली, वंशी और अनुज..


"अनुज"… लेकिन ये क्यों… भाभी के खुद का अपना भाई गायब है, और घर में किसी को पता तक नहीं… मै हैरानी से भाभी को देखने लगी… मन में खुद से चार बार सोची, चार बार खुद से ही दोहराया… "अपने ही सगे छोटे भाई को"… भाभी बिल्कुल सामान्य दिख रही थी, ऐसा की उसने अपने सारे आशु और चिंता कहीं पीछे छोड़ आयी हो… लेकिन मेरे चेहरे के बदलते भाव उनके सामने थे और उनका शांत रूप मेरे सामने…


भाभी, शायद मेरे अंदर चल रहे अनगिनत सवाल को पढ़ चुकी थी….. "तुम्हारा नकुल को रात में बुलाना, मुझे सोचने पर मजबूर कर गया… उसी के अगले दिन तुम इस बात को याद करके रोई की मैंने खुद को गोली मार ली, वो रोना तुम किसी को दिखा नहीं सकती थी ये हम दोनों जानते हैं"…

"कमाल की बात थी मेरा भाई गया था घर, लेकिन तुम्हारे रोने वक़्त वो वापस हॉस्पिटल आ गया था, वो भी ऐसी हालात की देखकर ही संदेह हो जाए. बिखरे बाल, जैसे तैसे पहने कपड़े और चेहरे पर चिंता के भाव, "कहीं मै पकड़ा ना जाऊं"….

मज़े की बात सुनो, वो अगले दिन सुबह निकालने वाला था लेकिन आनन फानन में, मां को लेकर उसी के 1 घंटे बाद निकल गया. 2 दिन बाद मेरी मां का कॉल लगाकर ये पूछना कि…. "क्या कोई कान की बूंदी मेरे पास छूट गई है, क्योंकि अनुज के शर्ट से एक कान की बूंदी निकली है, जो शायद उसने अपनी बीवी के लिए लिया था, लेकिन एक ही कान का है"… मैंने वीडियो कॉल लगाकर देखा तो मेरे पाऊं के नीचे से जमीन खिसकी हुई थी"

खैर उस बूंदी को तो मैंने फिकवा दिया, ताकि किसी को उसकी जानकारी ना हो लेकिन सच्चाई क्या थी, ये शायद तुम नहीं बताती… क्योंकि कहीं ना कहीं इस परिस्थिति में तुम मेरी ही वजह से फसी थी… प्राची को बुलाया मैंने, फिर उससे पूरी सच्चाई का पता चले. मै हर रिश्ते निभाने से पहले एक औरत हूं और जबरस्ती करने के घाव कैसे होते है भाला मै नहीं समझूंगी…

दिल को बहुत मजबूत बनाया, भाई था ना वो भी, साथ में उसकी एक बीवी और एक नवजात बच्चा भी, लेकिन काम उसके माफी लायक नहीं थे. मैंने मुरली और वंशी को 50 हजार दिए थे इस काम को सफाई से करने के लिए. उसे समझ में ना आए की मामला क्या है, इसलिए मैंने कह दिया, बड़े भैया मेरे ज्यादा करीबी है और मेरा छोटा उसी के साथ गद्दारी कर रहा… काम पूरा करो… मुरली और वंशी ने अनुज का काम खत्म कर दिया और इन दोनों को किसी और ने गायब कर दिया…


मै:- ये क्यों नहीं कहती की अपना दामन आपने साफ करने के लिए उनको भी साफ करवा दिया, खुद को तो गोली मार ही ली थी, फिर इस खेल के रचयता को क्यों माफी दे दी…


भाभी:- तू पागल है क्या ? तुम्हारे भैया ने किसी के साथ जबरदस्ती नहीं की समझी… हां हमारे रिश्ते में वो बेवफा थे, लेकिन किसी के साथ बलात्कार का मानसिक बीमारी उनमें नहीं… मुरली और वंशी ने मुझे पहले ब्लैकमेल किया था, शायद उस वक़्त उन्हें या खुद को गोली मार लेती, तो हमारे बीच का किस्सा नहीं बढ़ता, बस मुझे अपनी पति को सुधारना होता. कहीं ना कहीं उन दोनों के साथ होने में मेरी भी मर्जी थी, बस कोई मां नहीं चाहती कि उसके सीक्रेट रिलेशन उसके बेटी को पता चले, इस दर्द ने मुझे तोड़ दिया.. हमने अपनी मर्जी से गलती की थी, फिर मनीष हो, मुरली हो या फिर मै. तो उन दोनों को गायब क्यों करवाती.. तेरी कसम मेरा हाथ नहीं है..


मै:- कुत्ति हरकत का यही नतीजा होता है, गया होगा किसी का घर उजाड़ने इस बार सामनेवाले ने उसे लपेटना है बेहतर समझा… भाभी मुझे कोई गिला नहीं, शायद मुझे इन बातो को ज्यादा जानना नहीं चाहिए.. इसलिए अब से मै दूर हूं इन मुद्दों से.. बस मुझे रुलाना मत कभी… दुनिया भार में जाए वो क्या करती है. आप मेरे लिए मां से बढ़कर हो. अगली बार शायद मै बर्दास्त नहीं कर पाऊं. आप अपनी अधूरी कोशिश की थी और मै कोशिश नहीं मर कर दिखा दूंगी… फिर आप भी चिंता मुक्त हो जाना…


भाभी:- एक तूफान आया था जो अब थम गया है… मैने मनीष को उसके एक रिश्ते के बारे में बताया था, तुम समझ सकती हो किसके बारे में बताया होगा.. लेकिन हाथ बंधे वो अपने सारे संबंध के बारे में बता दिया और बस इतना ही कहे. तुम्हरा फैसला ही मै मानूंगा.. कहकर यकीन तो नहीं दिला सकता लेकिन एक बार माफ करके गले लगाओगी, तो मै फिर कभी ऐसे सिचुएशन नहीं आने दूंगा..


मैंने इससे आगे उन विषयों पर बात करना उचित नहीं समझा, बस भाभी को दरवाजा खोलने कह दी और जब वो लौटकर आयि, तो उसकी गोद में लेटकर मुझे सुलाने के लिए कहने लगी.. उनके मुसकुराते चेहरे पर आशु थे और वो अपने हाथ से प्यार से बाल को सहला रही थी..


ना जाने क्यों मै भी आशु बहा रही थी. हम दोनों ख़ामोश थे जैसे दिल का बोझ बहते आशुओं से निकल रहा हो… दुनिया की ये इकलौती भाभी होंगी शायद, जिसने ये नहीं सोचा कि उसकी ननद के जलवे से मेरा भाई फिसला. शायद मैं उनकी सच में बेटी ही थी, इसलिए मेरी नाराजगी से टूटकर वो पहले खुद की ही जान ले ली, बाद में अपने भाई की.


देखा जाए तो जैसे मैंने सबसे छिपाया था उनसे भी छिपा लिया… प्राची दीदी को भी भरोसा हुआ ही होगा भाभी पर, वरना वो मूर्ख नहीं की एक भाभी को उसके ननद के साथ हुई घटना को बता दे. वो इतनी समझदारी तो रखती ही थी कि इन मुद्दों में भाभी का भाई बच जाएगा और ननद फंसेगी, फिर भी उन्होंने बता दिया. ये थी मेरे प्रति मेरी भाभी के लगाव और विश्वास की कहानी… जिंदगी में आपके साथ जब ऐसे लोग हो ना, फिर कभी जिंदगी से सिकायात नहीं होती.


परिवार में कभी कभी उथल पुथल हो जाती है.. संयम ही एक मात्र उपाय है जिससे हर बुरी सिचुएशन से निकला जा सकता है, ये हम दोनों ही सोच रहे थे.. बहुत दिन बाद हमारी खुशियां लौटी थी.. 5 महीने के करीब हो गए थे उन घटनाओं को, पहले भाभी बाद में उसका भाई….. अब कहीं जाकर मै शायद सुकून की श्वंस ले रही थी. भाभी मेरी मां ही थी क्योंकि लाचारी का फायदा उठाने वाले उस दुष्ट अनुज को मैं भी मरते हुए ही देखना चाहती थी, बस भाभी की तरह मुझमें करने की हिम्मत नहीं थी….
:superb: :good: :perfect: awesome update hai nain bhai,
behad hi shandaar, lajawab aur amazing update hai bhai,
Bhabhi ne apne bhai ko marwa kar ye saabit kar diya hai ki menka ki uske jeevan mein kya ahamiyat hai,
aur bhabhi ke bewafai ki vajah bhi pata chal gayi hai,
donon ke hi sar se bojh ab utar gaya hai,
Ab dekhte hain ki aage kya hota hai,
Waiting for next update
 

Raj_Singh

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तीसरी घटना:- आखरी भाग








भाभी भी लगभग ठीक हो चुकी थी और अब चल फिर कर सकती थी, भारी काम छोड़कर छोटे बड़े काम वो कर रही थी. मै अपने कमरे में बैठकर लैपटॉप चला रही थी, देखा जाए तो प्राची दीदी ने ही सिखाया था चलाना, और मै एक्सेल के काम को सीख रही थी…


"मेनका, क्या हम बात कर सकते है"… डेढ़ महीने बाद वो अपने मायके से लौट रही थी और मेरे ख्याल से आते के साथ ही उन्होंने मुझसे बात करने की इक्छा जताई थी…


मै:- हां शायद मै भी आपसे नजरे मिलाकर बात करने की स्थिति में हूं भाभी, चलो आपके ही कमरे में चलते है, यहां हमारी बाते कोई सुन ना ले…


हम दोनों ही भाभी के कमरे में पहुंचे, भाभी ने कमरे का दरवाजा लगा दिया और शीशे के पर्दे खोल दिए और मेरे पास आकर बैठ गई… शायद कहां से शुरू करें इसी उधेड़बुन में हम दोनों चल रहे थे, इसलिए दोनो के बीच खामोशी छाई रही… "मेनका क्या सब कुछ पहले जैसा नहीं हो सकता है."..


मै:- सब कुछ पहले जैसा ही है भाभी, बस कुछ बदलाव चल रहा है, उसे हम दोनों को स्वीकारना होगा. मैंने तो बहुत पहले ही कहा था आगे बढ़ो..


भाभी:- कुणाल और किशोर के नाम पर तुमने आत्महत्या करने से तो रोक लिया, लेकिन तुम्हारी नाराजगी मुझे रोज मारती है मेमनी, भुल भी जाओ उन बातो को..


मै:- भाभी क्या भुल जाऊं मै.. जिनकी हैसियत नहीं इस आंगन में बिना पूछे आने की, उसके साथ आप इसी कमरे में.. छी.. कुछ तो लिहाज किया होता.. क्या आपको जारा भी एहसास नहीं हुआ की मै जान जाऊंगी तो मेरी क्या हालत होगी..

मेरा विश्वास टूटा था भाभी. मुझे पल-पल ऐसा लग रहा था, जैसे मेरी श्वांस अटक रही हो. मां से बढ़कर थी आप मेरे लिए, आपको जारा भी इस बात का एहसास ना रहा.. मै पूछती हूं, आपकी जहग मै होती और आपने ये सब अपनी आखों से देखा होता तो आपको कैसा लगता बताओ ना..


हम दोनों ही रो रहे थे.. आशु जैसे फुट-फुट कर निकल रहे थे.. गुस्से में मेरे मुंह से कुछ ऐसा निकल गया कि भाभी अपना ही सर दीवार से मारने लगी.. किसी तरह मैंने उन्हें रोका, और दोनो बच्चो का वास्ता देकर चुपचाप बैठने के लिए कहा..


हम दोनों बहुत देर तक रोए.. भाभी सुबकती हुई कहने लगी.. "3 लोग इस दुनिया से गायब हो गए है."…


मैंने आश्चर्य से उनकी ओर देखा.. मानो मेरे नजरो में सवाल के बौछार लगे हो… भाभी मेरे आशु पोछती हुई कहने लगी… "तुमने जो देखा उससे तुम्हारी नफरत की वजह समझ में आती है और तुमने रास्ता भी वो चुन लिया, लेकिन मेरा क्या जो अपने ही नजरो के सामने अपने पति को ये सब करते देखी हो. आखिर क्या कमी थी मुझेमें, या मैंने कभी खुश नहीं रखा था उन्हें."


भाभी की बात सुनकर मै बिल्कुल ख़ामोश हो गई. फिर उन्होंने अपने मोबाइल से कुछ तस्वीरें निकाल कर दिखाई, जिसके एक तस्वीर में मनीष भईया एक औरत को चूम रहे थे, और ऐसी चूमने कि 3-4 तस्वीरें थी. वो औरत कौन थी हम दोनों जानते थे.. और उनकी सिर्फ एक रास लीला की तस्वीर नहीं थी, बल्कि ऐसे ही 1 लड़की और 2 औरतों के साथ संबंध थे..


भाभी:- इसके आगे की भी तस्वीरें है, केवल चूमने कि ही नहीं.. लेकिन ये उचित नहीं की मै तुम्हे वो सब दिखाऊं… मै बस फंस गई मुरली के चंगुल में, और वहां से वंशी भी उस खेल में सामिल हो गया..

कभी ऐसा नहीं हुआ कि मै अपनी मर्जी से मर्यादा को लांघ गई, लेकिन जब उनके हाथ मेरे जिस्म से लगते, तो मै चाहकर भी उन्हें मना नहीं कर पाती. मेरी नजर में मैंने कोई गलती नहीं की.. मुझे इन सब चक्करों में केवल अपने पति की बेवफ़ाई से फसी.. पहले तस्वीर और वीडियो बाहर गांव में दिखाने की धमकी ने मुझे आत्मसमर्पण करने पर मजबूर किया, बाद में कभी-कभी उन्हें अपनी मर्जी से ढील दे दी..

मुझे कैसा लगता होगा होगा जब मै एक बेवफा के साथ रात गुजार रही हूं और पलटकर पूछने पर ऐसा क्यों किए, तो रात भर थप्पड़ और लात खाते रहो. फिर अंत में एक प्यारी सी धमकी भी मिल जाती है, कि यदि कोई नाटक किया तो दूसरी बीवी ले आऊंगा…


मैं इस वक़्त प्राची दीदी की कहीं बात को याद कर रही थी. उस दिन बिल्कुल सही कहा था उन्होंने… सेक्स के मुद्दे पर बहस करना ही बेकार है कि कौन सही कौन गलत, बस अपना दामन बचाकर चलो. देखा जाए तो भाभी की गलती थी भी और नहीं भी, सब नजरिए का खेल है. मुद्दा ये नहीं की पहले कौन फिसला, मुद्दा ये था कि दोनो ही गलत थे, या फिर दोनो ही सही.. मुझमें इतनी आकलन करने की शक्ति नहीं थी और होती भी तो मै नहीं कर सकती थी…


मैंने तो सोच लिया जो जिसके कर्म, मै अपने रिश्ते खराब क्यों करूं फिर भईया हो या भाभी.. रात के अंधेरे में इस गांव में क्या कहानी रची जाती है उससे मुझे कोई सरोकार ही नही. फिर भाभी से तो मुझे सबसे ज्यादा लगाव था, इसलिए वो वाकया शायद मेरा दम घोंट गया, और यही हाल मेरी भाभी का था. तभी तो वो खुद को गोली मारने जितना बड़ा कदम उठा ली. वरना यहां बेशर्मी का आलम तो ऐसा है की खुद करप्शन करते पड़के गए तो या तो पकड़ने वाले को करप्ट बाना दो या फिर उसे रास्ते से ही हटा दो…


और मै अपनी छोटी भाभी को जानती हूं, वो इन दोनों में ही काफी सक्षम है. फिर इन मामलों में कोई उनका पार नहीं पा सकता. यदि उन्होंने ठान लिया कि किसी को साफ ही कर देना है तो उसकी भलाई इसी में है कि वो जगह छोड़ दे, वरना अंधेरी रात कब उसे निगल ले कोई समझ नहीं पाता. आगे श्याद उसी के किस्से आने वाले है क्योंकि वो डेढ़ महीने बाद विश्वास के साथ लौट रही थी…


"कौन से तीन लोग गायब हो गए भाभी"… मै बस अब इस मुद्दे पर ज्यादा बहस नहीं करना चाहती थी, और मुझे लग चुका था कि भाभी भी अपना दामन साफ करने के लिए 3 लोग को गायब करवा चुकी है, मै बस उनके विषय में जानती और भाभी से मुस्कुराकर कहती हम पहले जैसे ही है अब.. जो कि सही भी था..


भाभी:- मुरली, वंशी और अनुज..


"अनुज"… लेकिन ये क्यों… भाभी के खुद का अपना भाई गायब है, और घर में किसी को पता तक नहीं… मै हैरानी से भाभी को देखने लगी… मन में खुद से चार बार सोची, चार बार खुद से ही दोहराया… "अपने ही सगे छोटे भाई को"… भाभी बिल्कुल सामान्य दिख रही थी, ऐसा की उसने अपने सारे आशु और चिंता कहीं पीछे छोड़ आयी हो… लेकिन मेरे चेहरे के बदलते भाव उनके सामने थे और उनका शांत रूप मेरे सामने…


भाभी, शायद मेरे अंदर चल रहे अनगिनत सवाल को पढ़ चुकी थी….. "तुम्हारा नकुल को रात में बुलाना, मुझे सोचने पर मजबूर कर गया… उसी के अगले दिन तुम इस बात को याद करके रोई की मैंने खुद को गोली मार ली, वो रोना तुम किसी को दिखा नहीं सकती थी ये हम दोनों जानते हैं"…

"कमाल की बात थी मेरा भाई गया था घर, लेकिन तुम्हारे रोने वक़्त वो वापस हॉस्पिटल आ गया था, वो भी ऐसी हालात की देखकर ही संदेह हो जाए. बिखरे बाल, जैसे तैसे पहने कपड़े और चेहरे पर चिंता के भाव, "कहीं मै पकड़ा ना जाऊं"….

मज़े की बात सुनो, वो अगले दिन सुबह निकालने वाला था लेकिन आनन फानन में, मां को लेकर उसी के 1 घंटे बाद निकल गया. 2 दिन बाद मेरी मां का कॉल लगाकर ये पूछना कि…. "क्या कोई कान की बूंदी मेरे पास छूट गई है, क्योंकि अनुज के शर्ट से एक कान की बूंदी निकली है, जो शायद उसने अपनी बीवी के लिए लिया था, लेकिन एक ही कान का है"… मैंने वीडियो कॉल लगाकर देखा तो मेरे पाऊं के नीचे से जमीन खिसकी हुई थी"

खैर उस बूंदी को तो मैंने फिकवा दिया, ताकि किसी को उसकी जानकारी ना हो लेकिन सच्चाई क्या थी, ये शायद तुम नहीं बताती… क्योंकि कहीं ना कहीं इस परिस्थिति में तुम मेरी ही वजह से फसी थी… प्राची को बुलाया मैंने, फिर उससे पूरी सच्चाई का पता चले. मै हर रिश्ते निभाने से पहले एक औरत हूं और जबरस्ती करने के घाव कैसे होते है भाला मै नहीं समझूंगी…

दिल को बहुत मजबूत बनाया, भाई था ना वो भी, साथ में उसकी एक बीवी और एक नवजात बच्चा भी, लेकिन काम उसके माफी लायक नहीं थे. मैंने मुरली और वंशी को 50 हजार दिए थे इस काम को सफाई से करने के लिए. उसे समझ में ना आए की मामला क्या है, इसलिए मैंने कह दिया, बड़े भैया मेरे ज्यादा करीबी है और मेरा छोटा उसी के साथ गद्दारी कर रहा… काम पूरा करो… मुरली और वंशी ने अनुज का काम खत्म कर दिया और इन दोनों को किसी और ने गायब कर दिया…


मै:- ये क्यों नहीं कहती की अपना दामन आपने साफ करने के लिए उनको भी साफ करवा दिया, खुद को तो गोली मार ही ली थी, फिर इस खेल के रचयता को क्यों माफी दे दी…


भाभी:- तू पागल है क्या ? तुम्हारे भैया ने किसी के साथ जबरदस्ती नहीं की समझी… हां हमारे रिश्ते में वो बेवफा थे, लेकिन किसी के साथ बलात्कार का मानसिक बीमारी उनमें नहीं… मुरली और वंशी ने मुझे पहले ब्लैकमेल किया था, शायद उस वक़्त उन्हें या खुद को गोली मार लेती, तो हमारे बीच का किस्सा नहीं बढ़ता, बस मुझे अपनी पति को सुधारना होता. कहीं ना कहीं उन दोनों के साथ होने में मेरी भी मर्जी थी, बस कोई मां नहीं चाहती कि उसके सीक्रेट रिलेशन उसके बेटी को पता चले, इस दर्द ने मुझे तोड़ दिया.. हमने अपनी मर्जी से गलती की थी, फिर मनीष हो, मुरली हो या फिर मै. तो उन दोनों को गायब क्यों करवाती.. तेरी कसम मेरा हाथ नहीं है..


मै:- कुत्ति हरकत का यही नतीजा होता है, गया होगा किसी का घर उजाड़ने इस बार सामनेवाले ने उसे लपेटना है बेहतर समझा… भाभी मुझे कोई गिला नहीं, शायद मुझे इन बातो को ज्यादा जानना नहीं चाहिए.. इसलिए अब से मै दूर हूं इन मुद्दों से.. बस मुझे रुलाना मत कभी… दुनिया भार में जाए वो क्या करती है. आप मेरे लिए मां से बढ़कर हो. अगली बार शायद मै बर्दास्त नहीं कर पाऊं. आप अपनी अधूरी कोशिश की थी और मै कोशिश नहीं मर कर दिखा दूंगी… फिर आप भी चिंता मुक्त हो जाना…


भाभी:- एक तूफान आया था जो अब थम गया है… मैने मनीष को उसके एक रिश्ते के बारे में बताया था, तुम समझ सकती हो किसके बारे में बताया होगा.. लेकिन हाथ बंधे वो अपने सारे संबंध के बारे में बता दिया और बस इतना ही कहे. तुम्हरा फैसला ही मै मानूंगा.. कहकर यकीन तो नहीं दिला सकता लेकिन एक बार माफ करके गले लगाओगी, तो मै फिर कभी ऐसे सिचुएशन नहीं आने दूंगा..


मैंने इससे आगे उन विषयों पर बात करना उचित नहीं समझा, बस भाभी को दरवाजा खोलने कह दी और जब वो लौटकर आयि, तो उसकी गोद में लेटकर मुझे सुलाने के लिए कहने लगी.. उनके मुसकुराते चेहरे पर आशु थे और वो अपने हाथ से प्यार से बाल को सहला रही थी..


ना जाने क्यों मै भी आशु बहा रही थी. हम दोनों ख़ामोश थे जैसे दिल का बोझ बहते आशुओं से निकल रहा हो… दुनिया की ये इकलौती भाभी होंगी शायद, जिसने ये नहीं सोचा कि उसकी ननद के जलवे से मेरा भाई फिसला. शायद मैं उनकी सच में बेटी ही थी, इसलिए मेरी नाराजगी से टूटकर वो पहले खुद की ही जान ले ली, बाद में अपने भाई की.


देखा जाए तो जैसे मैंने सबसे छिपाया था उनसे भी छिपा लिया… प्राची दीदी को भी भरोसा हुआ ही होगा भाभी पर, वरना वो मूर्ख नहीं की एक भाभी को उसके ननद के साथ हुई घटना को बता दे. वो इतनी समझदारी तो रखती ही थी कि इन मुद्दों में भाभी का भाई बच जाएगा और ननद फंसेगी, फिर भी उन्होंने बता दिया. ये थी मेरे प्रति मेरी भाभी के लगाव और विश्वास की कहानी… जिंदगी में आपके साथ जब ऐसे लोग हो ना, फिर कभी जिंदगी से सिकायात नहीं होती.


परिवार में कभी कभी उथल पुथल हो जाती है.. संयम ही एक मात्र उपाय है जिससे हर बुरी सिचुएशन से निकला जा सकता है, ये हम दोनों ही सोच रहे थे.. बहुत दिन बाद हमारी खुशियां लौटी थी.. 5 महीने के करीब हो गए थे उन घटनाओं को, पहले भाभी बाद में उसका भाई….. अब कहीं जाकर मै शायद सुकून की श्वंस ले रही थी. भाभी मेरी मां ही थी क्योंकि लाचारी का फायदा उठाने वाले उस दुष्ट अनुज को मैं भी मरते हुए ही देखना चाहती थी, बस भाभी की तरह मुझमें करने की हिम्मत नहीं थी….

RUPA BHABHI ne ye sabit kar Diya ki jis LUND se MAJA aaye, uske Favour me Faisla bhi lena hota hai. :waiting1:

ANUJ ne Jabardasti karne ki Kosis ki to use MARWA Diya,

Par Jis MURLI aur BANSI me RUPA BHABHI ko Dara-Dhamka kar Blackmail / JABARDASTI karke DHUWADHAR CHODA usko RUPA BHABHI me khud se kuch nahi karwaya. :hehe:

RUPA to bad me Apni Marzi se MURLI aur BANSI se CHUDNE lagi, Lakin suru me to Dono ne BLACKMAIL hi kiya, kya BLACKMAIL karna JABARDASTI karna nahi hota hai kya ? :angrywife:

RUPA ke hisab se BLACKMAIL / JABARDASTI karke CHODNE se bad me MAZA aane lagne se GUNAH Gunah nahi rahta hai to ANUJ ko bhi MARWANE ki Jarurat kya thi ? :hukka:

ye bhi to ho sakta tha, ANUJ MENKA ko DHUWADHAR CHODTA, jisse MENKA ko bhi (RUPA ki tarha) MAZA aane Lagta, phir to MURLI aur BANSI ke GUNAH ki Tarha ANUJ ka GUNAH bhi MAAF karne layak ho jata.  :fuck1:

RUPA ka ANUJ ko Marwana PAKSHPAAT Purn hai, agar JABARDASTI karne wale Galat insaan ko hi MARWANA tha to RUPA ko Khud se hi MURLI aur BANSI ko bhi MARWANA chahiye tha,

Qki ANUJ se jyada bada GUNAH MURLI aur BANSI ne kiya tha, par waha to LUND se MAZA milta hai to waha NYAAY RUPA ki Gand me ghus gaya. :hehe:

Kya pata MURLI aur BANSI Murder karke kahi Chup gaye ho aur phir se bad me aakar pahle ki tarah RUPA ko MAZA de ya RUPA Khud hi Pati ke Pith-Piche MAZA kare. :hinthint2:
 
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Rahul

Kingkong
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Aadhe ka hi writing me likh kar do ... Aise

"Nice update" .... Ye aadha padhkar likha hai...

Bacha aadha padhkar bhi jald hi "nice update" likhta hun :D
dekho bhai ji ju writer ho mai reader hun ok ju bahut achcha update likhte ho mai utna achcha rebo na pata hun nice awesome wonderfull yahi sab likhta hun lekin dil se aapki story ka fan hun tabhi to yahan aata hai.waise maine ab tak jitna padha hai usme bahut achchi story hai baki baten sare update padhkar batata hun wait karo hehe
 
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nain11ster

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RUPA BHABHI ne ye sabit kar Diya ki jis LUND se MAJA aaye, uske Favour me Faisla bhi lena hota hai. :waiting1:

ANUJ ne Jabardasti karne ki Kosis ki to use MARWA Diya,

Par Jis MURLI aur BANSI me RUPA BHABHI ko Dara-Dhamka kar Blackmail / JABARDASTI karke DHUWADHAR CHODA usko RUPA BHABHI me khud se kuch nahi karwaya. :hehe:

RUPA to bad me Apni Marzi se MURLI aur BANSI se CHUDNE lagi, Lakin suru me to Dono ne BLACKMAIL hi kiya, kya BLACKMAIL karna JABARDASTI karna nahi hota hai kya ? :angrywife:

RUPA ke hisab se BLACKMAIL / JABARDASTI karke CHODNE se bad me MAZA aane lagne se GUNAH Gunah nahi rahta hai to ANUJ ko bhi MARWANE ki Jarurat kya thi ? :hukka:

ye bhi to ho sakta tha, ANUJ MENKA ko DHUWADHAR CHODTA, jisse MENKA ko bhi (RUPA ki tarha) MAZA aane Lagta, phir to MURLI aur BANSI ke GUNAH ki Tarha ANUJ ka GUNAH bhi MAAF karne layak ho jata. :fuck1:

वक्ती मनोदशा और वक्तित्व ये किसी परिचय के मोहताज नहीं होते है... जिस सही सोच के साथ हम आगे बढ़ते है वो सोच सबके लिए सही हो ये मुमकिन तो नहीं।

1. यदि मेनका को आगे जाकर मज़ा ही आना होता और उसकी भाभी यही गणित आंकती, तो फिर मेनका पागलों की तरह रोई क्यों... वो भी ख़ामोश चुपचाप निकल जाती, तेजी में अपने कमरे में..

2. मुरली और वंशी को मारने का मकसद नहीं था इसका अर्थ ये भी तो हो सकता है कि अंदर हिडेन फैंटेसी अभी मरी ना हो... जबकि मेनका को वो शुरू से देखते आ रही है उसे समझ में आ गया हो की उसके अंदर क्या चल रहा है..

3. बात ये भी हो सकता है कि 2 वाकई काम के आदमी थे जो उसके इशारे पर किसी का गेम बजा देते थे... जिसकी कीमत पहले उसने ब्लैकमेलिंग के जरिए चुकाई फिर बाद में खुद ढील दी.. शायद भाभी को बहुत से मकसद और शाधने हो, तभी तो उसे ये जानकारी भी हो गई थी कि मुरली और वंशी गायब है.. बिना कॉन्टैक्ट में रेगुलर रहे, कहां से ये बात पता चलती..

कुछ और भी बातें है जो हिडेन एजेंडा है रीडर्स के लिए ... जिनपर विचार करना ना करना उनका काम है बस सिर्फ इतना ही कहूंगा... भाभी का ब्लैकमेलिंग में समर्पण यदि बाद में अच्छा लग गया तो क्या वो मेनका को भी अच्छा लग जाए.. सोचने वाली बात है।

ठीक उसी प्रकार जैसे किसी को मां बाप, साइंस दिलवा देते है जबरदस्ती ... कुछ लोग इस जबरदस्ती में अच्छा परफॉर्म करते है तो कुछ फ़ैल हो जाते है..

अंत में ... कोई जबरदस्ती के सेक्स में आत्मसमर्पण करके बार बार उसी से सेक्स करवाए तो इसका अर्थ ये तो नहीं कि दूसरो पर भी अप्लाई हो..

यदि ऐसा था तो रूपा के पास अपने सच छिपाने और मेनका को साथ मिलाने और जबरदस्ती के बाद मज़ा के खेल में सामिल करने का पूरा मौका था इतना बड़ा कांड ही नहीं होता.. ना गोली चलती ना अनुज आया होता.. सोचने वाली बात है .. विचार करते रहिए :D
 

Raj_Singh

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वक्ती मनोदशा और वक्तित्व ये किसी परिचय के मोहताज नहीं होते है... जिस सही सोच के साथ हम आगे बढ़ते है वो सोच सबके लिए सही हो ये मुमकिन तो नहीं।

1. यदि मेनका को आगे जाकर मज़ा ही आना होता और उसकी भाभी यही गणित आंकती, तो फिर मेनका पागलों की तरह रोई क्यों... वो भी ख़ामोश चुपचाप निकल जाती, तेजी में अपने कमरे में..

2. मुरली और वंशी को मारने का मकसद नहीं था इसका अर्थ ये भी तो हो सकता है कि अंदर हिडेन फैंटेसी अभी मरी ना हो... जबकि मेनका को वो शुरू से देखते आ रही है उसे समझ में आ गया हो की उसके अंदर क्या चल रहा है..

3. बात ये भी हो सकता है कि 2 वाकई काम के आदमी थे जो उसके इशारे पर किसी का गेम बजा देते थे... जिसकी कीमत पहले उसने ब्लैकमेलिंग के जरिए चुकाई फिर बाद में खुद ढील दी.. शायद भाभी को बहुत से मकसद और शाधने हो, तभी तो उसे ये जानकारी भी हो गई थी कि मुरली और वंशी गायब है.. बिना कॉन्टैक्ट में रेगुलर रहे, कहां से ये बात पता चलती..

कुछ और भी बातें है जो हिडेन एजेंडा है रीडर्स के लिए ... जिनपर विचार करना ना करना उनका काम है बस सिर्फ इतना ही कहूंगा... भाभी का ब्लैकमेलिंग में समर्पण यदि बाद में अच्छा लग गया तो क्या वो मेनका को भी अच्छा लग जाए.. सोचने वाली बात है।

ठीक उसी प्रकार जैसे किसी को मां बाप, साइंस दिलवा देते है जबरदस्ती ... कुछ लोग इस जबरदस्ती में अच्छा परफॉर्म करते है तो कुछ फ़ैल हो जाते है..

अंत में ... कोई जबरदस्ती के सेक्स में आत्मसमर्पण करके बार बार उसी से सेक्स करवाए तो इसका अर्थ ये तो नहीं कि दूसरो पर भी अप्लाई हो..

यदि ऐसा था तो रूपा के पास अपने सच छिपाने और मेनका को साथ मिलाने और जबरदस्ती के बाद मज़ा के खेल में सामिल करने का पूरा मौका था इतना बड़ा कांड ही नहीं होता.. ना गोली चलती ना अनुज आया होता.. सोचने वाली बात है .. विचार करते रहिए :D

Aapki bat sahi hai, par agar Anuj ne Galat karne ki Kosis bhi ki to use MARWA Dena galat Faisla tha,

jo ANUJ Menka ke Rone aur Dusro ke pata chal jane ke Dar se Dum-Dabakar bhag jane wale ko yadi RUPA Sakhti se DANT Deti ki yadi wo Kabhi bhi MENKA ke pas jayega, to wo sabko uska KAND bata degi, ye kah dene se Aapko lagta hai ki ANUJ kabhi Zindagi me bhi MENKA ke sath koi galti karta ? - Nahi, kabhi Nahi.

yaha RUPA ka Updesh dena ki Jabardast karne wale ko Saza milni chahiye, GHATIYA laga.

ANUJ ko DANT kar samjhaya ja sakta tha, MARNE ki Jarurat nahi thi, kya ANUJ pahle Din bhi Ganda tha? Nahi, Nahate samay hue Ghatna ke bad ki 1 Galatfahmi ke karan ANUJ ne waisa kiya, Jisse Sudharne ka Mouka diya ja sakta tha. :waiting1:

Par RUPA ko bhi MENKA ki Najar me Bahut Acchi Dikhna tha to ANUJ ko hi MARWA diya.

Lakin jis wajah se ye sab KAND hua Apne un LUND Walo ko kuch nahi kiya, aage bhi unse CHUDNE ka Rasta barkarar rakha hua hai, sayad ab Jyada savdhani rakhte hue apne KUKARMO ka MENKA ko pata na chalne de. :hukka:
 
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DARK WOLFKING

Supreme
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nice update ..bhabhi ne apne hi bhai ko gayab kar diya 😍..jabardasti karne ka yahi anjaam hona chahiye ..
par wo kaan ki bundi s kaise pata chala bupa ko samajh nahi aaya ( bikhre baal ,,shirt ,,aur prachi ko chhodke ) ...

murli aur vanshi ne 50 hajar me anuj ko gayab kar diya par gayab matlab jaan se maar diya kya ????
 
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