वक्ती मनोदशा और वक्तित्व ये किसी परिचय के मोहताज नहीं होते है... जिस सही सोच के साथ हम आगे बढ़ते है वो सोच सबके लिए सही हो ये मुमकिन तो नहीं।
1. यदि मेनका को आगे जाकर मज़ा ही आना होता और उसकी भाभी यही गणित आंकती, तो फिर मेनका पागलों की तरह रोई क्यों... वो भी ख़ामोश चुपचाप निकल जाती, तेजी में अपने कमरे में..
2. मुरली और वंशी को मारने का मकसद नहीं था इसका अर्थ ये भी तो हो सकता है कि अंदर हिडेन फैंटेसी अभी मरी ना हो... जबकि मेनका को वो शुरू से देखते आ रही है उसे समझ में आ गया हो की उसके अंदर क्या चल रहा है..
3. बात ये भी हो सकता है कि 2 वाकई काम के आदमी थे जो उसके इशारे पर किसी का गेम बजा देते थे... जिसकी कीमत पहले उसने ब्लैकमेलिंग के जरिए चुकाई फिर बाद में खुद ढील दी.. शायद भाभी को बहुत से मकसद और शाधने हो, तभी तो उसे ये जानकारी भी हो गई थी कि मुरली और वंशी गायब है.. बिना कॉन्टैक्ट में रेगुलर रहे, कहां से ये बात पता चलती..
कुछ और भी बातें है जो हिडेन एजेंडा है रीडर्स के लिए ... जिनपर विचार करना ना करना उनका काम है बस सिर्फ इतना ही कहूंगा... भाभी का ब्लैकमेलिंग में समर्पण यदि बाद में अच्छा लग गया तो क्या वो मेनका को भी अच्छा लग जाए.. सोचने वाली बात है।
ठीक उसी प्रकार जैसे किसी को मां बाप, साइंस दिलवा देते है जबरदस्ती ... कुछ लोग इस जबरदस्ती में अच्छा परफॉर्म करते है तो कुछ फ़ैल हो जाते है..
अंत में ... कोई जबरदस्ती के सेक्स में आत्मसमर्पण करके बार बार उसी से सेक्स करवाए तो इसका अर्थ ये तो नहीं कि दूसरो पर भी अप्लाई हो..
यदि ऐसा था तो रूपा के पास अपने सच छिपाने और मेनका को साथ मिलाने और जबरदस्ती के बाद मज़ा के खेल में सामिल करने का पूरा मौका था इतना बड़ा कांड ही नहीं होता.. ना गोली चलती ना अनुज आया होता.. सोचने वाली बात है .. विचार करते रहिए