इधर बगीचे में..
संगीता बगीचे में घूम रही थी, तभी उसे अचानक कुछ आहट सुनाई दी, वो डरकर दरवाजे के ओर भागने लगी तभी सामने दरवाजे और संगीता के बीच हांफता हुई नीलेश आ गया, और संगीता खुद को रोकते-रोकते भी उसके ऊपर आ गई.
दोनो लड़खड़ा गए और धराम से जाकर नीलेश पहले खुले दरवाजा से टकराया, जिसके दोनो पट केवल सटे हुए थे, फिर नीचे गिरा सीधा फर्श पर, और उसके ऊपर संगीता… "क्या हुआ, ये किसके गिरने की आवाज़ है".. "मै देखता हूं".. घर के अंदर से आवाज़ आयी…
तभी संगीता झटपट उठी और नीलेश भी फ़ौरन उठकर दीवार के बाजू में जा छिपा… "क्या हुआ संगीता दी, आप गिर कैसे गई"… नकुल आते ही पूछने लगा..
संगीता:- वो पाऊं स्कर्ट में फंस गए और मै गिर गई.. बच गई कोई चोट नहीं लगी..
संगीता अपनी बात भी कह रही थी और किनारे से नजर दिए नीलेश को भी देख रही थी.… "चलो रात हो गई है, सोने चलते है"…
संगीता:- नींद नहीं आ रही, तू भी रुक ना, मै घूमती रहूंगी और तू अपनी गर्लफ्रेंड से बात करते रहना…
नकुल:- पागल हो गई हो आप, क्या अब क्लास की लड़कियों से बात करने पर भी ऐसा रिएक्शन दोगी…
संगीता:- खूब समझती हूं बेटा, गैलरी देखी है तेरी और किसी के बाथरूम के तस्वीरें भी… मुझ से होशियारी हां.. आगे ब्रा-पैंटी की डिटेल भी बताऊं क्या जो तस्वीर में दिख रहे थे…
नकुल वहां से भागने में ही अपनी भलाई समझा, इधर संगीता, नीलेश को आखें दिखती… "चलो बाहर निकलो मिस्टर नीलेश"..
नीलेश उसके सामने खड़े होकर… "आपको कहीं चोट तो नहीं अाई संगीता जी"..
संगीता, जोड़-जोड़ से हंसती हुई… "तुम नीचे थे और मै ऊपर, मुझे भला क्यों चोट लगने लगी. तुम्हे तो चोट नहीं अाई ना"
नीलेश:- मुझे तो मज़ा आया..
संगीता बड़ी सी आखें किए… "क्या बोले"..
नीलेश:- मतलब आप को चोट नहीं लगने दिया, इस बात का सुकून है…
संगीता:- हां मै खूब समझती हूं, मुझे अकेले देखकर यहां क्या करने अाए हो.. तुमसे तो रिश्ता कैंसल हो गया था ना..
नीलेश:- लेकिन मुझे तुम पसंद हो.. तुम जैसी खूबसूरत बीवी के लिए मै कुछ भी कर सकता हूं..
संगीता वहीं नीचे जमीन पर बैठकर इशारे में उसे बैठने कहीं… और ऊपर हाथ के इशारे से पूछने लगी.. "वो क्या है नीलेश"..
नीलेश:- चंदा मामा है..
संगीता:- अगर मेरी ख्वाहिश चांद की हो तो, उसे तुम क्या कहोगे..
नीलेश:- पागलपन कहेंगे..
संगीता:- तुम्हारे साथ भी वही केस है.. नाह मै अपनी खूबसूरती की तुलना या मुझमें और तुममें कोई फर्क जैसी बात नहीं बता रही हूं..
नीलेश:- हां पुरा जूते भिगाकर मारने के बाद लिपापोती मत करो.. मै समझ गया मै जा रहा हूं..
संगीता:- बैठकर मेरी बात सुन लिए तो मै तुम्हे एक किस्स दूंगी वो भी लिप टू लिप.
नीलेश:- आप चांद हो संगीता जी… और मै तो जमीन भी नहीं..
"ओय रुक पागल, पूरी बात तो सुनता जा"… नीलेश मायूस उठकर जाने लगा तभी संगीता उसे पीछे से खींचकर अपनी ओर की, और उसके होंठ पर होंठ रखकर चूम ली.. नीलेश की आंखे बिल्कुल बड़ी होकर मानो जमीन में गिर जाएगी.. वो टुकुर-टुकुर संगीता को देखने लगा… "चल अब बैठ जा, वरना मैंने किस्स की सेल्फी भी ले रखी है"..
नीलेश:- सेल्फी लेकर ब्लैकमेल करने की क्या जरूरत है, मै बैठ गया सुना दो जो सुनना है..
संगीता:- एक शर्त पर, एक सिगरेट पिलाओ पहले, बहुत जोर तालब लगी है.. वैसे जरूरत तो कुछ और की भी है लेकिन गांव में जुगाड ना मिलेगा…
नीलेश:- सारे मर्दाने शौक पाल रखे है आपने.. कहो तो 2 पेग का भी इंतजाम कर दूं, यहां सब जुगाड है…
संगीता:- क्या सच में..
नीलेश:- हां सच में...
संगीता इस बार नीलेश के गाल चूमती… "ठीक है फिर ले अाओ, जबतक मै ऊपर का मुआयना कर आती हूं…"
दोनो लगभग एक ही वक़्त में लौटे… "किसकी मार लाए दोस्त.. और ये क्या खाली एक ग्लास"..
नीलेश:- पिताजी की है संगीता जी, और मै पीता नहीं..
संगीता:- क्या यार, दोस्त बोली ना, ऐसे अकेले मज़ा नहीं आयेगा.. रुको मै कुछ इंतजाम करती हूं..
संगीता इतना बोलकर गई और उधर से एक ग्लास, चिल पानी, कुछ स्नैक्स और प्लेट लेकर पहुंची… संगीता दो पेग बनाने के बाद एक ग्लास नीलेश के ओर बढ़ाती.. "चलो हर-हर महादेव का नाम लेकर पी जाओ"..
नीलेश:- छी छी मै नहीं पियूंगा, किसी को पता चल गया तो..
संगीता:- एक पेग पर एक किस्स .. बोलो क्या कहते हो..
नीलेश:- ऐसे तो मै जहर भी पी सकता हूं..
संगीता खुद भी 2 लाइट पेग ली और नीलेश को टाईट पेग पिला दी, पिलाने के बाद… "नीलेश बस मेरी ख्वाहिशें चांद की तरह हो जाएगी जब मै ब्याह कर इस गांव में आऊंगी. मेरे मां पिताजी ने मेरी परवरिश सहर में की, बैंगलोर भेजा मुझे पढ़ने के लिए, और जब मैंने उन्हें कहा कि मै जॉब करना चाहती हूं, अपना कैरियर बनाना चाहती हूं, और इस दौरान मुझे कोई लड़का पसंद आ गया तो मै शादी भी कर लूंगी.. तुम बताओ मैंने कोई गलत बात की क्या अपने जाहिल मां बाप से"..
नीलेश:- शी शी शी शी.. धीमे संगीता जी.. सब सो रहे है..
संगीता:- तुम बताओ नीलेश क्या मैंने गलत कहा था..
नीलेश:- बिल्कुल नहीं..
संगीता, वापस से एक टाईट पेग उसकी ओर बढ़ते…. "जानते हो मै अपने गांव में थी और 2 लड़को से हंसकर बात कर ली, तो चूतिए ये गांव वाले, मुझे पागल लड़की कहते है.. इनकी तो मिल जाए तो बॉटल घुसेड़ दूंगी.. क्या मै तुम्हे पागल दिखती हूं क्या?
संगीता ने थोड़ा जोड़ से कहा और एक पेग पी गई... साथ ही साथ इस बार थोड़ा और ज्यादा टाईट पेग बनाकर नीलेश को दे दी… "पियो दोस्त तुम भी पियो"..
नीलेश एक पुरा पेग गटकते… "संगीता जी उन मादरजात का नाम बता दीजिए सालो को मै गोली मार दूंगा.. आप तो बिल्कुल शुशील, सभ्य और संस्कारी है"..
संगीता:- थैंक्स दोस्त.. लो एक और पेग पियो.. बस दोस्त इसलिए मै यहां शादी नहीं करना चाहती, लड़की हंसकर बात कर ली तो आवारा, कहीं पता चला मै वर्जिन नहीं तो मुझे कॉल गर्ल मानकर घर में ना घुस जाए. या मेरे माता पिता को ही इतना जलील करे कि मै आत्महत्या कर लूं.. सॉरी दिल की भड़ास निकालनी थी इसलिए तुम्हे इतना पिला दिया दोस्त.. गुड नाईट.. सुभ रात्रि.. सुबह तुम सब भुल जाना.. और हो सके तो वो रिश्ता भी तुड़वा देना.. बाय बाय..