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Thriller 100 - Encounter !!!! Journey Of An Innocent Girl (Completed)

DARK WOLFKING

Supreme
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अध्याय 11 भाग:- 5 (जिंगदी का पहला लंबा सफर)






इस बात पर जैसे ही कोई प्रतिक्रिया आता, उससे पहले ही मासी चली आयी और बाजार चलने के लिए कहने लगी. बारिश लगभग समाप्त हो चुकी थी. हम सब तैयार होकर बाजार निकले. बेचारी गौरी, वो चाहती नहीं थी नकुल के साथ जाए लेकिन हमारी जिद के वजह से वो साथ मे बैठ गई.


गौरी को देखकर मै और अनु दीदी अंदर ही अंदर हंसे जा रहे थे और बस तमाशा शुरू होने का इंतजार ही कर रहे थे. नकुल ड्राइविंग सीट पर बैठ था. मै मासी को लेकर पीछे बैठ गई और अनुराधा दीदी जल्दी से पीछे घुस गई. बेचारी गौरी कुछ देर तक कार के बाहर ही खड़ी रही.


मासी की एक फटकार और वो चुपचाप कार के अंदर. जैसे ही नकुल ने कार स्टार्ट किया... "तो गौरी कौन से पिछड़ों के उत्थान करने में लगी हो"..


गौरी:- मम्मी इससे कह दो मै इससे बात नहीं करना चाहती..


मासी:- मुझे उसके सवाल मे कुछ भी बुराई तो नहीं दिख रही. ऊपर से तुम्हारे इंट्रेस्ट का विषय है फिर तो तुम्हे परेशानी नहीं होनी चाहिए ना..


नकुल:- छोड़ो मासी, समोसे मे लाल चटनी खाने से शायद गौरी इरिटेट हो गई होगी, अभी बाजार से हरी चटनी के साथ समोसा खिला देंगे, तो सब सही हो जाएगा...


अब हो गया शुरू, मै और अनुराधा दीदी तो फिर भी हसी दबा लिए, लेकिन मासी की हंसी छूट गई और गौरी चिल्लाती हुई मासी से कहने लगी... "अब भी ये मेरा विषय है क्या?"


मासी:- गौरी चिल्लाते नहीं.. उसे कहा हरी पुदीने की चटनी से तुम्हारा दिमाग ठंडा रहेगा..


नकुल:- मासी लेकिन मै तो हरी मिर्च की चटनी की बात कर रहा था..


गौरी:- बोलते रहो मुझे क्या? वैसे भी मै क्यों इरिटेट हो जाऊं.. मैंने तो बस उस बाबा को एक बार ट्राय किया था..


नकुल:- फायदा मिला था गौरी, तभी तो हर एक्जाम के पहले ट्राय की थी ना..


मै:- नकुल बस बहुत हुआ, उतना ही इरिटेट करो जितना अच्छा लगे.. अब तुम पहले चटनी से शुरू करोगे.. फिर उसके फेवरेट लव चार्जर बाबा पर पहुंच जाओगे... इंसान वाली इंसानियत सिखाओगे.. ये सब गलत है हां..


(विश्वास करने वालों लोगों की भावनाओ को मै ठेस नहीं पहुंचाना और ना ही मै उनका मज़ाक उड़ा रहा हूं.. यह मात्र करेक्टर के बीच विश्वास करने और ना करने पर मज़ाक चल रहा है. फिर भी यदि बुरा लगा हो तो क्षमा कीजिएगा)


मासी:- बस बहुत हुआ, अब और नहीं. नकुल और मेनका बस..


मासी ने जैसे ही हम दोनों को चुप रहने कही, गौरी की मुस्कुराहट मै पीछे से मेहसूस कर सकती थी. बात को मै भी बदलती हुई कहने लगी... "मासी मुझे भाई से मिलना है, चलो ना उसे भी साथ ले लेते है"..


अनुराधा:- मां कुछ घंटे की स्टडी वो मेनका के लिए ड्रॉप कर ही सकता है..


हम तीनो बात कर ही रहे थे कि तभी कार किनारे करके नकुल ने रोक दिया और मुझे ड्राइव करने के लिए कहने लगा. उसकी बात सुनकर तो मासी और बाकी दोनो बहने चौंककर आश्चर्य से कहने लगे, कि मै कैसे कार ड्राइव कर सकती हूं. किसी को तबतक यकीन नहीं हुआ जबतक मै ड्राइव करके दिखा नहीं दी.


मै ड्राइव करती हुई मासी से पूछने लगी कि मैक्स अभी कहां है, कार वहीं ले लेते हैं. इधर जबतक नकुल मोबाइल मे लगातार घुसा हुआ था. मासी मुझे रास्ता बताती गई और मै उसके ग्रुप स्टडी करने की जगह पर कार ले ली. मासी ने मुझे एक घर के पास कार रोकने के लिए कहा और खुद नीचे उतरकर देखने गई. लेकिन बाहर ही मुख्य द्वार पर ताला लटका था. पता चला हम उसे यहां ढूंढ रहे है और वो घर चला गया...


हम वापस शॉपिंग पर चल दिए और मासी उसे घर से शॉप पर ही बुला ली. कुछ ही देर में हम शॉप पर थे. हमे देखकर मौसा जी पहले तो खुश हो गए, लेकिन बाद में उनके माथे से पसीना आने लगा, उतने मे ही सामने से अनुराधा दीदी के पति मनोज जीजू भी कहते हुए चले आ रहे थे... "पापा आप उठकर क्यों.. क्यों.. चले आए. मम्मी जी आप कब आयी"… इतना कहते-कहते उनके माथे से भी पसीने आने लगे..


अब मुझे इस पसीने की कहानी के पीछे नहीं जाना था, मै तो जीजू से मिलने चल दी. तभी मासी मुझे रोकती हुई कहने लगी… मेनका कल हम चूड़ियां लेंगे, अभी चलो कहीं और चलना है"…


मौसा और जीजू का चेहरा देखने लायक था, वो दोनो अनुराधा दीदी से कुछ बात करने लगे और अनुराधा दीदी उनकी हालत पर हंस रही थी. मौसी आगे बाहर निकली पीछे से अनु दीदी और मै निकले. मै सवालिया नजरो से उन्हे देखती हुई पूछने लगी अभी यहां हुआ क्या..


अनु दीदी ने मुझे फुसफुसाते हुए बताया कि ससुर जमाई बैठक में थे, उन्हे मम्मी के आने की उम्मीद नहीं थी और वो यहां पहुंच गई. मै फिर उन्हे सवालिया नज़रों से देखते... "साथ बैठक मतलब पीने वाली बैठक ही ना"..


दीदी हां मे अपना सर हिला दी और मेरी हंसी छूट गई. मौसी ने मैक्स को भी आने से मना कर दिया और कुछ देर बाजार घूमकर हम सब वापस घर पहुंच गए. मै आते ही सीधा मैक्स के कमरे में घुस गई जहां वो बैठकर स्टडी कर रहा था. मेरे पीछे-पीछे हड़बड़ी मे नकुल भी घुसा... "ओय आराम से आ ना ऐसे धक्का मुक्की करके क्यों जा रहा है"…


मैक्स:- दीदी मै बाद में मिलूं क्या, अभी थोड़ी देर स्टडी कर लूं.


मै बेमन से उसे ठीक है भाई कहती हुई वहां से निकल गई, लेकिन मेरे साथ नकुल बाहर नहीं निकला. मै अभी दरवाजे के पर्दे से बाहर निकली ही थी कि मुझे कुछ अंदर खुसुर फुसुर सुनाई दी. मुझे दाल मे कुछ काला होने का अंदेशा मिलने लगा.


"मैक्स ने मुझे बाहर कर दिया लेकिन नकुल से बात कर रहा है, कमाल है ये भी".. मै सोच ही रही थी कि तभी अनु दीदी वहां पहुंच गई और मै उनके साथ निकल गई. फिर हम तीनो बहन का मस्ती मज़ाक चलता रहा. लेकिन अभी के परिवेश में असली मज़ा तो रात के वक्त आना था, जब मौसा जी और मनोज जीजू घर पहुंचते...


जैसे ही दोनो घर पहुंचे, मासी का गुस्सा सातवे आसमान पर और दोनो की जो ही क्लास लगाई, बेचारे बस अपना सर झुकाए खड़े थे. मासी के डांटने का कोटा पूरा होने और हम सब के खाने के बाद, मै मनोज जीजू को लेकर अनु दीदी के कमरे में चली आयी.. मनोज जीजू मुझे देखकर आज कुछ ज्यादा ही मज़ाक के मूड से थे..


मासी के नज़रों से ओझल होते ही वो मेरी ओर देखकर कुटिल मुस्कान हंसते.. "लॉलीपॉप लागेलू"..


मै:- छी जीजाजी, ये कैसा कॉम्प्लीमेंट दे रहे है..


जीजू:- इतनी हॉट साली को देखकर ऐसे ही कॉम्प्लीमेंट निकालता है..


मै:- क्या छिछोड़ी लाइन मार रहे हो जीजू..


जीजू:- तो डिसेंट शब्द तुम ही बता दो, जिससे पट जाओ..


मै अपने दोनो हाथ हिलाती... "जीजाजी पटाना और आप... खुद से तो आप किसी को पटा नहीं पाओगे. अच्छा है जो ये ख्याल आपको शादी के वक्त नहीं आया, और आप अनु दीदी को पटाने का नहीं सोचे. वरना सारी उम्र चक्कर काट काटकर घनचक्कर बन जाते. वो तो शुक्र मनाइए की रिश्ता आया था, और शादी तय हो गई..


जीजू:- ये तो बेइज्जती करना हुआ साली साहिबा..


मै:- जीजू अब जिसकी खूबसूरत साली होगी उसे थोड़ा तो सहना ही पड़ेगा...


जीजू:- तुम हो तो लगता भी है कि मेरी कोई साली है वरना एक गौरी है.. पता नहीं उसके दिमाग में क्या चलता है, मुझसे बात ही नहीं करती, क्या मै इतना बुरा हूं...


मै:- जीजू आप भी ना कितना सोचते है. 10th मे वो बेचारी अभी पढ़ रही है समझदारी ही कितनी होगी. वैसे भी मै बात करूं या वो, समझिए हम दोनों एक ही है. अब मूड ठीक कीजिए..


जीजू हंसते हुए... "तुम बहनों का प्यार देखता हूं तो कभी-कभी सोचता हूं कि मै इकलौता क्यों पैदा लिया. मेरे भी भाई बहन होते तो मै भी उनसे इतना ही लगाव रखता. मै तो कल ही तुम्हारे गांव आ रहा था, लेकिन पापा (मौसा जी) ने मना कर दिया. कहने लगे वहां से फोन आया था किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है."


मै:- हां पापा ने बताया था आप और मौसा जी 18 गाड़ियों के साथ आने की प्लांनिंग मे जुटे थे...


जीजू:- अब बात मेरी प्यारी साली कि हो रही हो तो 18 क्या 1800 गाडियां लेकर पहुंच जाते. कोई बड़ी बात है क्या... और सुनाओ कल की क्या प्लांनिंग है मेरे साथ..


मै, थोड़ी नाराजगी दिखाते... "आप के चक्कर में आज मेरी चूड़ियां रह गई, आप तो कल के बारे में मत ही पूछो.."


जीजू:- बस इतनी सी बात, सुबह ही चूड़ियां लेते है, उसके बाद का बताओ..


मै:- जी नहीं, मेरी मासी ने मेरे लिए चूड़ियां देखी है और मै उन्ही के साथ जाऊंगी..


जीजू:- मेनका मम्मी जी का एक क्लासिकल डांस का प्रोग्राम बनाओ ना..


मै:- आप ही कह दो, क्यों मुझे फंसा रहे हो..


जीजू:- वो तुम्हे थोड़े ना डांट सकती है, इसलिए कह रहा.. बाकी हम सब को तो वो कब लपेट ले पता ही नहीं चलता...


मै:- आपको भी क्या जरूरत हो जाती है यहां आकर पीने की. मासी को कितना दुख होता है आपको पता भी है.. उनकी खुशी के लिए 2-4 दिन शराब से दूर ही हो गए तो क्या चला जाएगा...


"क्या बात हो रही है जीजा साली मे"… अनु दीदी हमे ज्वाइन करती हुई पूछने लगी..


जीजू:- मेनका मुझसे कह रही है, 2-4 दिन यहां शराब से दूर क्यों नहीं रहते..


अनुराधा:- हीहिहिही.. ये तो कभी कभार वाले है मेनका, पापा ही जबरदस्ती कसम देकर बिठा लेते है...


मै:- अब इसपर क्या कह सकते है.. बेचारे मेरे मौसा जी..


मेरी बात सुनकर सभी जोर-जोर से हसने लगे. काफी दिनों बाद सब इकट्ठा हुए थे बात करते-करते कब रात के 12 बज गए पता ही नहीं चला. काफी देर तक बातें चलती रही. 12 बजते ही मासी भी पहुंच गई, और सभा को भंग करती सबको सोने जाने के लिए कहने लगी...


अनु दीदी पूरी प्लांनिंग को बदलती जीजू को उसी कमरे में छोड़ दिया और हम दोनों बहन गौरी के कमरे में आ गए. वैसे तो वो सो चुकी थी और मासी भी हमे वहां जाने से मना कर रही थी, लेकिन जब हम दोनों साथ में हो तो मासी को भी सर झुकना ही परता है.


जबरदस्ती रूम खुलवाकर, रात के 3 बजे तक हमने गौरी को जगाए रखा. मेरे लिए तो एक लंबा दिन था जो रात के तकरीबन 3 बजे खत्म हुई. मासी के यहां इतने ड्रामे चलते है कि दिन बीतने में वक्त ही नहीं लगता..


शाम को हम सब चूड़ी की शॉपिंग करने शॉप पहुंचे.. मासी पहले से ही हमारे लिए तनिष्क की शानदार चूड़ियां देख रखी थी. मै और अनु दीदी तो चूड़ियां देखकर ही "हाय कितनी प्यारी है" कहने लगे. उत्सुकता मे हम वहीं पहनकर अपने हाथ देख रहे थे.


रूबी और डायमंड की कंबो वाली चूड़ियां थी, जिसे देखकर ही हम दोनों का दिल उन चूड़ियों पर आ गया. फिर तो मै और अनु दीदी मासी को बीच में लेकर अपना अपना प्यार जाहिर करने लगे... मनोज जीजू उस दिन हमारे साथ घूमने के बाद अपने सहर निकल गए.


अगले 8-9 कैसे बीते वहां, पता ही नहीं चला. फिर पहुंच गया मेरा पूरा परिवार. पापा गांव का काम पूरा समेटकर पहुंच गए. हां पापा के आने के बाद एक बात जो मौसा जी के साथ अच्छी होती, वो ये कि वो खुलकर पीते थे और घर में पीते थे. पापा के सामने मासी फिर कुछ बोल नहीं पाती थी.


पुरा परिवार 2-3 दिन रुककर वहीं से वाराणसी के लिए निकल गए. पापा अपने साथ अपनी झिझक भी लेकर वाराणसी निकल रहे थे. वो बस यही सोच रहे थे कि इतने सालों के बाद अपने बड़े भाई का सामना कैसे करेंगे. अजित भैया हमारे जेनरेशन के सबसे बड़े लड़के थे, और पापा उसके छोटे चाचा. आप सोच ही सकते है उनके साथ मेरे पापा का कितना लगाव रहा होगा..


पापा की असहजता केवल मै ही नहीं, बल्कि पुरा परिवार मेहसूस कर रहा था. वहीं दूसरी ओर जब मैंने बड़े पापा को सबके वाराणसी आने की सूचना दी, 2 मिनट तक उन्होंने कुछ जवाब ही नहीं दिया. फिर विलाप मे डूबे स्वर के साथ उन्होंने इतना ही कहा, पहुंचकर फोन करना..


पापा और बड़े पापा कर बीच की सारी घटनाएं मेरे जन्म के वक्त की थी, इसलिए मुझे जो भी जानकारी मिली थी, वो मां से ही मिली थी और बड़े पापा का फोन नंबर मैंने पापा के मोबाइल से चुराया था..


बड़े पापा और अजित भैया दोनो ही हमे लेने स्टेशन पहुंचे थे. हर कोई उन्हे देखकर मुस्कुरा रहा था, लेकिन पापा और बड़े पापा एक दूसरे को देखकर ठहर गए थे. पापा ने जैसे ही अपना एक कदम आगे बढ़ाया, वो लड़खड़ा गए. महेश भैया ने उन्हे हड़बड़ा कर थामा और बड़े पापा दौड़कर अपने छोटे भाई यानी मेरे पापा के पास पहुंच गए..


वास्तविकता तो ये थी कि मेरे पापा अपने अहम के कारन अपने अंदर इतना आत्मग्लानि मेहसूस कर रहे थे, कि वो बड़े पापा के लगभग पाऊं मे आकर माफी मांगने लगे. जब बड़े पापा के घर में हम रात के माहौल में थे, तब हमे भी अपनी भाभियों का दर्द पता चला.. जिस दिन से उनका गांव छूटा था, तब से लेकर आज तक एक भी दिन ऐसा नहीं गया जब वो दोनो इस बात को सोचकर अफ़सोस ना की हो... कि उनकी वजह से उनका मायका से लेकर ससुराल और सारे रिश्तेदार छूट गए. पापा से ज्यादा आत्मग्लानि तो मेरे बड़े पापा की दोनो बहुओं को था."


खैर माहौल कुछ घंटों तक इमोशनल ही रहा, फिर पूर्ण पारिवारिक माहौल ऐसा जमा की वहां हंसी और ठहाको कि आवाज गूंज रही थी. हां वो बात अलग थी कि एक दिन के बाद फिर तो मेरे दोनो चचेरे भाई और भाभी इतना बिज़ी हो गए की उनसे बात कर पाना संभव ही नहीं था..


बड़े पापा और बड़ी मां थी, वो हमे लेकर फिर यूपी के कई सारे जगहों पर गए. उनके साथ हम काशी से लेकर हरिद्वार तक गए. मथुरा, वृंदावन और संगम स्नान किया. सबसे मनमोहक तो हरिद्वार और वाराणसी की शाम की आरती थी, जिसे देख मन इतना प्रसन्न हो जाता, जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता. हम लोग लगभग 5 दिन वाराणसी सहर मे रहे होंगे और पांचो दिन गंगा घाट की आरती देखी.


लगभग 15 दिन पापा अपने पूरे परिवार के साथ अपने बड़े भाई और भाभी के घर बिताया. आखरी दिन सुबह से ही लंबा डिस्कशन चल रहा था, एक ओर मेरे पापा थे, जो मुझे नकुल के साथ बंगलौर भेज रहे थे, तो दूसरे ओर मेरे दोनो भाई थे, जो यह कह रहे थे कि अभी इनकी उम्र नहीं अकेले कहीं जाने की.


लंबी चर्चा हुई, फिर नकुल ने संगीता दीदी को कॉल लगा दिया. संगीता दीदी ने उन्हे आश्वस्त किया कि वहां आप लोग एयरपोर्ट पर छोड़ दीजिए, यहां मै पिक कर लूंगी. लौटते वक्त पटना से गांव तक मेनका, नकुल के साथ तो जा ही सकती है. यदि वहां भी कोई समस्या हो तो आप मे से कोई पहुंच जाइयेगा पटना, उन्हे लेने..


संगीता दीदी कि बात सुनकर मनीष और महेश भैया दोनो कहने लगे.…. बात केवल आने जाने की नहीं है, उतना बड़ा सहर और महीने दिन तक मेनका का वहां होना.… पापा ने दोनो भाई की बात कटते हुए कहने लगे... "संगीता तो वहां अकेली जॉब करती है, वहीं से उसने पढ़ाई भी की थी. फिक्र होना चाहिए लेकिन फिक्र मे अंधे ना हो जाओ"..


थोड़ी देर तक बाप बेटों में बहस का दौर चलता रहा. अंत में होते-होते फाइनल हुआ की मै नकुल के साथ जाऊंगी. वैसे मुझे साथ ले जाने की नकुल को उतनी खुशी नहीं थी, जितना टेंशन उसने मुझे ले जाकर मोल लिया था. सक्त हिदायत उसे मिली थी, कि वो एक पल के लिए भी मुझे अकेला ना छोड़े.


इसी करार के साथ पहले मै और नकुल ने अपनी हवाई उड़ान भरी और बाद में हर कोई घर के लिए रवाना हुआ. मेरे और नकुल की ये पहली फ्लाइट जर्नी थी, इससे पहले हम कभी फ्लाइट से नहीं गए थे. हम दोनों काफी एक्साइटेड फील कर रहे थे.. एयरपोर्ट के बाहर ही संगीता मेरा इंतजार कर रही थी, हमे देखकर वो मुस्कुराती हुई कहने लगी, वेलकम टू बंगलौर.
nice update ..bechare mausa daru pite pakde gaye aur ghar aakar mausi ki daant sunni padi 🤣🤣..
ab pade papa ke yaha pura pariwar gaya aur unme ab koi matbhed nahi raha aisa lagta hai ..
menka ab nakul ke saath gayi benglore dekhte hai uski is lambi journey ka kya anubhav hota hai 🤩..
 

krish1152

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Mast update
 

nain11ster

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:superb: :good: amazing update hai nain bhai,
Behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai,
ye menka ki mausi ka ghar to poora pagalkhana hi hai,
aur gauri ke to kya hi kahne,ye to chalti firti encyclopaedia lagti hai,
Ab dekhte hain ki aage kya hota hai,
Haha jindgi me bhanti bhanti prakar ke logon se mulakat ho hi jati hai aman bhai... Enjoy the family drama and vacation
 
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Reactions: aman rathore

nain11ster

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nice update .ye menka kuch jyada hi sona kharidna pasand karti hai ,,ab mausi se bhi chudiya legi 😅..
gauri to ekdam alag type ki hai ,,scooty gift dene par naraj ho gayi ,wo paise samaj kalyan ke liye daan karna chahti thi ..
par ye nakul ko bulane ka sunkar maan kaise gayi gauri ??

Hehe .. haan menka ki kamjori kah sakte hain.. waise wo mausi se chudiyan legi to, lekin mausi ne pahle se uske liye dekh rakha tha... Maasi strict hai lekin pyar bhi utna hi karti hai ...

Baki Gauri kyon Nakul ke naam se aise masn gayi wo agle update me mil jayega
 
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nain11ster

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nice update ..bechare mausa daru pite pakde gaye aur ghar aakar mausi ki daant sunni padi 🤣🤣..
ab pade papa ke yaha pura pariwar gaya aur unme ab koi matbhed nahi raha aisa lagta hai ..
menka ab nakul ke saath gayi benglore dekhte hai uski is lambi journey ka kya anubhav hota hai 🤩..
Yes menka pahunch gayi apne journey ke aakhri padaw me... Dekhte hai kya kya hota hai banglore me
 
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