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Thriller 100 - Encounter !!!! Journey Of An Innocent Girl (Completed)

nain11ster

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श्रावण मेला ।। भाग:- 12



मां ने भी मुझे नहीं जगाया श्याद उन्हे लगा हो मै देर रात तक जागती हूं, इसलिए मुझे सोते छोड़ दिया. अगले दिन दोपहर के लगभग 2 बजे कई लड़कियों का झुंड मेरे आंगन में पहुंच गया और उन सब की लीडर पुष्पा दीदी, जोर-जोर से मुझे आवाज लगाने लगी. मां को अपनी आखों पर विश्वास नहीं हुआ कि आगे के टोला से इतनी सारी लड़कियां पहुंची थी. साथ में पुष्पा और अमृता के हसबैंड भी थे.


अब थे तो वो दोनो जमाई ही. साथ मे शादी के बाद पहली बार पुष्पा और अमृता हमारे घर आयी थी, मां उन्हे कैसे बिना कुछ खाए और बिना विदाई के जाने देती. मेरी दोनो भाभी और मां लग गई काम पर और मै घर आए लोगो को बिठाकर उनसे बातें कर रही थी..


अभी पुरा माहौल भरा था कि उसी वक्त रवि भी वहां पहुंच गया. रवि को देखकर मैंने फीकी मुस्कान दी और उसे भी बैठने के लिए कहने लगी. मै क्या उसे बैठने कहूंगी, पुष्पा और अमृता ने मिलकर उसे अपने पास ही बिठा लिया और सवालिया नज़रों से घूरती हुई, मुझसे पूछने लगी कि... "उस दिन तो तुमने कहा था रवि को जानती नही, फिर ये यहां क्या कर रहा है"..


मै:- आप सब लोग रवि और उसके दोस्त को बधाई दे दो पहले. एसएससी का एग्जाम क्लियर कर लिया है. जनवरी तक ये जॉब ट्रेनिग के लिए निकल रहा है.. वो भी इसकी जॉब सीधा दिल्ली के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में लगी है..


ये लड़कियां भी ना क्या हूटिंग करती है. फिर तो हर कोई रवि से पार्टी मांगने लगा. हंगामे जब हुआ तो उस बीच मां और भाभी भी वहां पहुंच गई और उन्होंने भी जब ये बात सुनी, तो रवि को बधाई देने लगी. किन्तु जब माहौल पुरा शांत हुआ तो सवाल फिर से वही था... "किस काम से आए हो रवि"..


सबको समझते हुए मै कहने लगी... "मुझे मैथमेटिक्स और रीजनिंग के पेपर में कुछ समस्या आ रही थी, इसलिए रवि को मैंने ही बुलवाया था, तैयारी के लिए हम टाइमिंग डिस्कस कर ले. उसी के लिए आया था"…


थोड़ी देर की बातचीत के बाद सबके लिए थोड़ा सा नस्ता लग गया और निकलते वक्त दोनो बेटी और जमाई को विदाई भी मिली. हालांकि ना नुकुर का दौड़ चलता रहा, पुष्पा और अमृता बस इतना ही समझाती रही की इस टोला में मेनका की कोई हम उम्र नहीं, इसलिए वो खुद को अकेला ना मेहसूस करे, इस वजह से पहुंची है. लेकिन रिवाज तो रिवाज होता है उसे कैसे छोड़ सकते है..


वहां से हमारा काफिला निकला तो, लेकिन इस बार पुष्पा दीदी फंस गई, क्योंकि वैसे लोग अपने-अपने ग्रुप के साथ, अपनी साधन में मेले के लिए निकल जाते है. लेकिन 10 लोग को ले जाने की व्यवस्था कहां से जुगाड़े. मैंने फिर रवि से ही मदद मांग लिया. मै अपनी कार रवि को ड्राइव करने के लिए दे दी, जिसमे 5 लोग सवार ही गए और नकुल के यहां की बोलेरो मै ले आयी, जिसमे 6 लोग सवार हो गए, और हम मेले के लिए निकल गए.


मै हंस रही थी, बात कर रही थी लेकिन अंदर ही अंदर कहीं ना कहीं घूट भी रही थी. कारन वहीं था, पुष्पा और अमृता का रवि से कुछ ज्यादा ही चिपकना. मै इस परिस्थिति में किसे दोष दूं और खुद को कितना समझाती रहूं की हर कोई अपनी जिंदगी जी रहा तुम्हे क्या. लेकिन ये दिल है कि मानता ही नहीं.


समझदारी इसी मे थी कि जो बर्दास्त ना हो, उसे अपनी आखों से देखा नहीं जाए. मै दीप्ति और एक दो लडकियों को लेकर एक जीजा को ले उड़ी और मस्ती मज़ाक के बीच मेले का आनंद लेते हुए हम सब वापस लौट आए.


देखते ही देखते मेला अपने आखरी हफ्ते में पहुंच गया था. मेले का मुख्य आकर्षण इसी हफ्ते में होता है जब औरकेस्ट्रा मे लड़कियां नाचती है और बाकी सभी उसे देखने दूर-दूर से आते है. शुद्ध रूप से कहा जाए तो ये आयोजन केवल पुरषों के मनोरंजन के लिए रखा जाता था, जिसमे नाचने वाली महिलाओं को छोड़कर, अन्य किसी महिला का वहां जाने का कोई मतलब ही नहीं बनता है.


इस बार सावन 5 सोमवार का था और मंगलवार के दिन महीने का अंत होना था इसलिए ऑर्केस्ट्रा शनिवार की रात से शुरू होता और मंगलवार के दिन समाप्त होता. नकुल के ना होने से मै पहले से अकेली पड़ गई थी, ऊपर से रवि को देखने जाने की रुचि भी खत्म हो गई.


शायद रवि भी यह फैसला कर चुका था कि वो मुझसे दूरियां ही बनाकर चलेगा इसलिए जब मै उसे अपने दिल की बात बताई, उसके बाद सिर्फ वो मेरे एग्जाम मे हेल्प के लिए दोपहर के 2 से 4 के बीच का समय लेकर गया था, जो मेला खत्म होने के कुछ दिन बाद से शुरू होता. इसके अलवा उसने कोई बात नहीं हुई..


चौथे सोमवार की सुबह थी, जब मै भाभी और मां के साथ मंदिर पहुंची थी. मुझे क्या पता था यहां पहुंचकर मुझे सरप्राइज़ मिलने वाला था. मै जैसे ही मंदिर पहुंची, मेरे ठीक सामने प्राची दीदी और राजवीर अंकल खड़े थे. मै अचंभित होकर उन्हे देखने लगी और जैसे ही वो मेरे करीब पहुंची, शिकायती लहजे में प्राची दीदी से पूछने लगी... "आने से पहले आप बता भी नहीं सकती थी क्या? अब ये मत कहना की अचानक प्लान बन गया"…


प्राची:- नहीं बाबा अचानक प्लान नहीं बना, बल्कि तुम्हे सरप्राइज़ देना था इसलिए नहीं बताई. तेरा पूंछ कहीं नजर नहीं आ रहा है, कहां गया..


मै:- मेरा पूंछ नहीं है वो, नकुल के लिए ऐसा कहोगी तो मै आपसे बात नहीं करूंगी..


प्राची:- हा हा हा हा.. तुम दोनो को छेड़ने का मज़ा ही कुछ और है वैसे सीरियसली वो आशिक़ है कहां..


मै:- उसने जैसा वादा किया था उसी पर काम कर रहा है. पॉलीहाउस के ट्रेनिंग के लिए गया है. वहां से बंगलौर अपने दोस्त के पास जाएगा और कुछ दिन घूम फिर कर जब वापस आएगा तब काम पर लग जाएगा..


प्राची:- फिर तो अच्छा है, उससे रात में आराम से बात करूंगी... चल अभी मेला घूमते है..


मै:- आपको भी सोमवार का ही दिन मिला था, किसी और दिन नहीं घूम सकती थी...


प्राची:- कोई नहीं बच्चा हम 3 दिन है अभी यहां पर.. और तीनो दिन तुम्हारे साथ मेला ही घूमेंगे..


मै:- प्योर बनिया है आप और आप 3 दिन गांव घूमने आयी है. ये क्यों नहीं कहती की बांस की सिक का कई डिज़ाइनर तैयार हो गए है, उसी सिलसिले में आप आयी है..


प्राची:- अरे अरे अरे... तू तो उलहाना भी देनें लगी...


"मुझे भी आपको छेड़ ही रही हूं. चलिए पूजा करके कुछ देर भटकते है, फिर आज आपकी छुट्टी. जो भी जरूरी काम हो आज ही निपटा लेना".. मै अपनी बात कहकर, प्राची दीदी का हाथ पकड़कर उन्हें अपने साथ मंदिर ले गई, जहां लता और मधु पहले से मेरा इंतजार कर रही थी. उन दोनों को मैंने प्राची दीदी से मिलवाया और हम पूजा करने चल दिए.


अगला 2 दिन उनके साथ कैसे बिता पता ही नहीं चला. बृहस्पति वार को प्राची दीदी वापस दिल्ली के लिए निकल गई और मै भी अपने काम मै व्यस्त हो गई. हफ्ते का आखरी दिन था वो. रविवार की सुबह लता और मधु ने इतना जिद किया की मै ना चाहते हुए भी मेले में जाने के लिए मजबूर हो गई.


हम तीनो ही मेला घूमने मे मसरूफ से हो गए. हालांकि मुझे ज्यादा रुचि तो नहीं थी, लेकिन फिर भी मै उनकी खुशी के लिए मेला घूम रही थी. मेले का लुफ्त उठाते हम उस ओर से भी गुजरे जहां इस वक्त बलून फोड़ने की प्रतियोगिता भी अपने आखरी दौड़ में चल रहा था...


प्रतियोगिता कुछ ऐसी थी कि 5 प्रतियोगी 5 फिट की दूरी पर खड़े थे. हर प्रतियोगी के लिए 20 बुलेट और 20 बलून थे. हर किसी के बलून का रंग अलग-अलग था. बलून मे गैस भरकर बलून को हवा में उड़ाया जाता और 10 सेकंड के बाद हर प्रतियोगी अपने अपने बलून पर निशाना लगाता.. एक बार बुलेट खत्म उसके बाद काउंटिंग होती की किसने कितने बलून फोड़े..


शायद आखरी चरण के पहले 5 प्रतियोगी का फैसला हो चुका था, इसलिए मनीष भैया और भाभी मे वहीं पर तीखी बहस चल रही थी. वो दोनो खुद को ही विजेता घोषित किए जा रहे थे और दोनो के समर्थक अपने-अपने प्रिय निशानची का समर्थन कर रहे थे..


तभी वहां लता और मधु पहुंच गई. वो दोनो तो रवि का ही सपोर्ट करने लगी. उन दोनों को देखकर रूपा भाभी कहने लगी... "मेनका की सहेली होकर रवि को सपोर्ट कर रही. एक लड़की दूसरी लड़की को ही सपोर्ट करे तो ज्यादा अच्छा है, इससे नारी शक्ति बढ़ती है."..


मधु:- भाभी रवि हमारे साथ पढ़ता है. बलून फोड़ने के लिए एक दुकान आरक्षित कर दिया, हम तो इसे ही सपोर्ट करेंगे, क्यों मेनका तुम क्या कहती हो..


मै:- मै तो नरेंद्र जीजू (अमृता का पति) के समर्थन में हूं.. हवा में अब तक 6 बलून फोड़ चुके है.. और मुझे लगता है वो ही सबसे आगे रहने वाले है... जीजू कम से कम 15 बलून तो फोड़कर ही आना..


जैसे ही मैंने ये बात कही, पुष्पा और अमृता दीदी दोनो ही हूटिंग करती हुई चिल्लाने लगी... "मेनका रूपा भाभी के समर्थन में आ जाओ, घर से दुश्मनी अच्छी नहीं"..


मै:- हट नहीं करती मै छोटी भाभी का समर्थन, जिसे जो दुश्मनी निकालनी है निकाल लो… वो देखो 10 बलून फोड़ डाले जीजू ने.. तीनो मशहूर निशानची, रूपा मिश्रा, मनीष मिश्रा और रवि अग्रवाल के बराबर पहुंच गए जीजू.. कम ऑन जीजू कम से कम 15 बलून फोड़कर ही दम लेना.. अभी ही डिफरेंस बाना लो..



मेरी हूटिंग सुनकर गांव की भाभी जो रूपा भाभी के समर्थन में थी, उन्होंने मजबूत प्रतिद्वंदी का ध्यान भटकाने के लिए फिर जो ही कमेंट्री की... "गोली लोड हो गई, आंख नली पर और हवा में बहन का बलून लहराते दिख रहा".. "अरे दीदी बहन ही क्यों किसी साली का बलून भी तो हो सकता है"..… "दीदी बड़ा बलून है दिमाग में सलहज का ही बलून होगा... लगा निशाना जमाई बाबू और लगाओ दम"…. फिर सब एक साथ जोड़ से चिल्लाते... "और ये गया किसी बेचारी का बलून"…


अब जब 8-10 आवाज पीछे से ऐसे हूटिंग करे, तो कहां से कोई कन्सन्ट्रेट कर पाए.. एक बात तो थी, रूपा भाभी ने अपने बहुत से समर्थक जरूर बना लिए थे. ऐसे नहीं तो वैसे लेकिन कैसे भी करके वो जीत ही जाएगी, ऐसा सबको लगता था. लेकिन नरेंद्र भी ध्यान वाला आदमी था. इतना ध्यान भटकाने के बाद भी फाइनल स्कोर उनका 12 रहा, जो की अब तक का सबसे अव्वल स्कोर था, बाकी 10 बलून के साथ रूपा भाभी, मनीष भैया और रवि तीनो टाय पर चल रहे थे...


फाइनल 4 लोगो के बीच होना था.. हालांकि फाइनल फर्स्ट और सेकंड के बीच होता है, लेकिन इस बार सेकंड पोजिशन पर 3 लोगों के बीच टाय था. फाइनल अब मंगलवार को खेला जाना था और इसी के साथ वहां की भिड़ भी समाप्त हो गई. लता और मधु की मुलाकात मैंने पुष्पा और अमृता दीदी से करवाई.


पुष्पा और अमृता दीदी, दोनो ही मुझे डांटती हुई कहने लगी, मेनका हर परिस्थिति में बहन को सपोर्ट किया कर, वरना अच्छा नहीं होगा.. उनकी बात सुनकर सभी हसने लगे. जितनी भी गांव की कुंवारी बहने थी, सबने उन दोनों को आड़े हाथ लेते हुए सुना दिया कि.… "बहनों की मेजोरिटी को आप को भी सपोर्ट करना चाहिए और हम सब जीजू के समर्थन में है, आपने मेजोरिटी छोड़ा तो आपके लिए अच्छा नहीं होगा"..
 

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श्रावण मेला ।। भाग:- 13



काफी फनी सा माहौल बन गया था वहां का. तकरीबन आधे घंटे बाद हम सब की सभा टूट गई और मै वापस से मधु और लता के साथ मेला घूमने लगी. जैसे ही हम कुछ दूर आगे बढ़े, लता और मधु शिकायती नजरो से देखती, पूछने लगी कि अपने दोस्त को मैंने क्यों नहीं समर्थन किया. उनके बात पर मुझे हंसी आ गई लेकिन कुछ जवाब देने से अच्छा था कि सॉरी बोल लो, क्योंकि यहां तो दोस्तों की मेजोरिटी रवि को सपोर्ट कर रही थी और उस हिसाब से मुझे भी रवि को सपोर्ट करना चाहिए था.


मधु:- हुंह ! बहुत बड़ी वाली है तू मेनका, सॉरी बोलकर चुपचाप निकल ली..


मै:- अभी सॉरी कह दिया है, मंगलवार के दिन रवि को सपोर्ट कर दूंगी, ऐसा मेरा कहना था..


लता:- चालाक लोमड़ी कहीं की, देखा मधु बात को कैसे घुमा दी.. तुझे तो मै मंगलवार को देखूंगी, यदि रवि को सपोर्ट नहीं किया तो..


मै:- ओय बात की है, दोनो रवि के नाम से ही बावड़ी हुई जा रही हो.. कहीं दोनो के दिल में उसके लिए कुछ है तो नहीं..

मधु:- इसको कमीनापन बोलते है..


लता:- हां बिल्कुल सही बोली मधु... इसे लगता है अंधेरे में रवि इसका हाथ पकड़ेगा, और भरे मेले में कोई देखेगा नहीं..


मै:- हां हाथ पकड़ा था, मुझे रोका भी था और मुझसे मिन्नते भी कर रहा था..


लता और मधु दोनो मेरे चेहरे को घूरती... "कैसी मिन्नते"..


मै:- मै किसी को ये ना बता दूं कि उसको फाइनली एसएससी मे सिलेक्शन हो गया और अब वो और उसका दोस्त सरकारी नौकरी वाला बन गया है..


मधु:- ओह हो, इसलिए लड़का तुमसे मिन्नत कर रहा था कि किसी को पता ना चले और कहीं पार्टी ना देनी पर जाए..


लता:- वैसे कमीना तो वही निकला, खुद तो इतनी बड़ी बात छिपा गया और जॉब पर जाने से पहले खूब मौज मस्ती करके जा रहा है..


मधु:- ऐसी बात ना है रे, रवि अच्छा लड़का है, गांव के लड़को की तरह नहीं है..


लता:- अच्छे लड़के क्या वो सब नहीं करते..


मधु:- हिहिहिही … हां ये भी, लड़का जवान हो गया है कुछ भी हो सकता है..


मै:- अरे थोड़ा हाईलाइट मुझे भी तो कर दो, मै तो सस्पेंस से ही मरी जा रही हूं..


मधु:- कल शनिवार के दिन काफी तेज बारिश हो रही थी, मै और लता बिनोकल्स से दूर का नजारा देख रहे थे, तभी हम दोनों ने देखा रवि के गोदाम वाले दुकान से कोई औरत निकाल रही थी. बारिश के कारन समझ में तो नहीं आया की कौन थी लेकिन उसी के 10 मिनट बाद रवि उस गोदाम के ठीक आगे से निकला सो हमे सक है कि ये लड़का भी गांव के रंग में रंग गया...


शनिवार का दोपहर...


सुबह से उमस वाली धूप चल रही थी. हर कोई पसीने से तर बतर था. इतनी तेज धूप में पुष्पा और अमृता दोनो सखियां मेले का आनंद उठा रही थी. एक तो नई-नई शादी हुई थी तो पूरे श्रृंगार करके निकलना, ऊपर से दोनो का कातिलाना जिस्म, जिसे देखकर लोगो के दिल पर छुरियां चल जाए और नीचे लंड हरकत में आ जाए. पुष्पा गहरे रंग की हरी साड़ी और लाल ब्लाउस मे कहर ढा रही थी तो अमृता अपने तोते के रंग की हल्की हरे रंग की सलवार कुर्ते में. दोनो के ऊपर के गले इतने बड़े की छाती की हल्की गहराई देखकर लोग पहला जाए... पारंपरिक परिधान में श्रृंगार और रूप यौवन की ऐसी कामुकता दिखाई दे रही थी कि उसके आगे बिकनी बेब फेल हो जाए...



दोनो जब चल रही थी, छम-छम पायल की आवाज कई मनचलों के सीने पर बिजली गिरा जाती. दोनो का बदन इतना आकर्षक था कि नजरें बदन से हटे नहीं. दोनो ही आज बलून फोड़ने की प्रतियोगिता में पहुंची थी जहां अमृता का पति नरेंद्र हिस्सा ले रहा था.


ये प्रतियोगिता ठीक रवि के दुकान के पीछे ही हो रहा था जहां दूर दूर तक पुरा खाली खेत था. भिड़ जमा करने के लिए काफी उपयुक्त जगह. फाइनलिस्ट चुनने की प्रतियोगिता चल रही थी और नरेंद्र भी अपना निशाना साध रहा था...


प्रतियोगिता के बीच में ही रवि और पुष्पा की नजरें मिली और पुष्पा ने उसे किनारे आने का इशारा कर दिया. रवि पुष्पा और अमृता के पास पहुंचते... "कैसी है अमृता दीदी, पुष्पा दीदी"..


पुष्पा:- हम दोनों तो सदाबहार मस्त है, लेकिन एक बात बता, इस प्रतियोगिता में कौन विजेता नजर आ रहा है..


रवि:- पुष्पा दीदी यहां 1 विजेता तो..


पुष्पा:- अमृता के सामने भी पुष्पा ही कहा कर ज्यादा फ्रेंडली लगता है.. हां अब बता..


रवि:- ज्यादा फ्रेंडली है तो पहले दिल के अरमान कह लेने दो.. अगर तुम गांव की बेटी ना होती तो अब तक कई मर्द कलेजा काटकर तुम्हारे सामने रख देते..


पुष्पा:- और तुम..


रवि:- अभी यहां भिड़ कुछ ज्यादा है वरना दिल के अरमान बताने के लिए मै तो तुम्हारे पाऊं मे अपना सर ही डाल देता.. तुम्हे देखकर अंदर से ही हिला हुआ हूं..


अमृता:- अच्छा जी, ऐसा लग रहा है यहां मै हूं ही नहीं..


रवि:- वो क्या है ना अमृता दीदी, बहुत कुछ आपके लिए भी कॉम्प्लीमेंट है, लेकिन मै कैसे कह सकता हूं... बहुत चेत कर चलना पड़ता है..


अमृता:- हां बेटा मै सब समझती हूं.. हो जा फ्रेंडली बस एक के साथ और मुझे अनदेखा किया है ना इसका बदला मै लूंगी...


रवि:- अमृता दीदी, आप दीदी हो और वो बीवी, अंतर समझ जाओ.. आपकी वैसी तारीफ नहीं निकाल पाएगी...


अमृता:- इस बारे में कल बात करेंगे.. फिलहाल विजेता के बारे में कुछ बता रहे थे...


रवि:- हां, 1 विजेता तो चला गया वरना उसके रहते तो यहां कोई नहीं जितने वाला था..


पुष्पा:- कौन..


रवि:- वो नदी के पास वाला जो फलवान गांव है वहीं के है अतुल भैया, क्या निशाना है उनका, मै, रूपा भाभी और मनीष भैया तो उसका निशाना देखकर ही दंग रह गए थे.. अब जब वो नहीं है तो मुकाबला हम तीनों मे ही होगा..


पुष्पा:- और नरेंद्र जी...


रवि:- उनका निशाना ठीक ठाक है, लेकिन वो नहीं जितने वाले.. मुझे तो लगता है मूविंग बॉडी के निशाने मे ही वो छंट जाएंगे..


पुष्पा:- मेरी इक्छा है कि वो फाइनल जीते.. गांव में रूपा भाभी की तरह नरेंद्र जी का भी नाम होना चाहिए..


रवि:- तुम मैच फिक्स करवाने आयी हो.. ये तो चीटिंग है..


पुष्पा:- चीटिंग तो तुमने भी किया था, तब तो बड़ा मज़ा आ रहा था, और यहां भाषण झाड़ रहे...


रवि:- गए मेरे 20 हजार.. पिछली बार इन औरतों के हूटिंग ने मुझे हराया था, इस बार तो मैच फिक्सिंग ही हरवा देगा..


अमृता:- रोते क्यों हो, तुम्हे 20 हजार मै दिलवा दूंगी..


रवि:- रहने दो नहीं चाहिए 20 हजार, जाओ खुश हो जाओ. लेकिन किसी को भी ये बात बताना मत, वरना मुझे गांव छोड़कर भागना पड़ेगा..


पुष्पा:- हां तो तुम्हे मै अपने पास रख लूंगी तू चिंता मत कर...


रवि:- मतलब गाव से भगाने का सोच ही लिए हो तो ठीक है....


रवि उन दोनों को छोड़कर प्रतियोगिता में वापस से सामिल हो गया. निशानेबाजी चल रही थी, इसी बीच रवि आखों के इशारे से अपने कर्मचारी को सब समझा दिया. खेत में पतली पटरियां बिछाई गई थी और नीचे व्हील लगाकर मोटर से उसे मूव करवाया जा रहा था. हर निशानची को 20 बुलेट मिले थे जिसे 5 मिनट के अंदर मूविंग टारगेट पर चलाना था..


नरेंद्र का स्कोर वैसे तो 7 बुलेट खर्च करने के बाद भी ओपन नहीं हुआ, लेकिन अगले 13 बुलेट बिल्कुल सटीक निशाने पर. प्रतियोगिता का ये चरण भी समाप्त हुआ और रवि फाइनलिस्ट के नाम अनाउंस कर रहा था, और फाइनल में कितने राउंड होंगे वो सब समझा रहा था. तभी अचानक वहां का चिलचिलाती सूरज काले बादलों से ढक गया और बारिश की छोटी छोटी बूंदे पड़ने लगी.


सभी लोग बारिश से बचने के लिए मंदिर के ओर चल दिए और रवि अपने गोदाम मे घुसा. जैसे ही पर्दा खोलकर अंदर आया, सामने अमृता स्टूल पर बैठी थी. उसे देखकर रवि मुस्कुराते हुए कहने लगा... "लगता है दोनो सहेलियां आपस कुछ भी नहीं छिपाती. कहीं तारीफ नहीं किया उसका बदला तो नहीं लेने चली आयी"..


अमृता, आंख मारती... बदला तो जरूर लूंगी लेकिन तेरे मेरे आंसू कहीं और से निकलेंगे.… वैसे पुष्पा तुमसे पूछना भुल गई... तुम्हे उसके साथ मज़ा तो आ रहा है ना...


रवि अपने घुटने पर बैठकर अमृता के दोनो पाऊं पुरा फैलाकर, सलवार के ऊपर से ही चूत में अपना मुंह घुसाते…. "लंड जब चूत में जाता है तो दिल करता है गपागप धक्के मारते ही रहो. उफ्फ गरम चूत के अंदर लंड के होने का एहसास ही निराला है...


"उफ्फफफफफफफफफफफफफ रवि.. तुम तो अभी से ही जान निकाल रहे हो, जबकि मेरा पति तो तो मुझे रोज जम के ठोकता है"… चढ़ती श्वांस के साथ अमृता अपनी बात कहती हुई, अपनी कमर को हल्का-हल्का रवि के मुंह के ओर धकेलने लगी और कुर्ते के ऊपर से ही, बारी-बारी अपने चूची को दबाने लगी...


रवि नीचे चूत में मुंह लगाकर, नीचे से हाथ कुर्ते के अंदर ले गया. रवि के ठंडे हाथ जब अमृता के नरम गोरे पेट से लगे, तो वो सिसककर, उसके नीचे से बढ़ते हाथ को पकड़ती हुई... "अरे रुको रुको, ऐसे तो तुम मेरा सूट ही फाड़ डालोगे"..


अमृता का कहना भी सही था. उसका सूट इतना टाइट था कि यदि हाथ सीने तक पहुंचता, तो शायद सूट फट जाता. अमृता उठकर खड़ी हो गई और अपने हाथ ऊपर करके वो जबतक सूट निकालती, रवि सलवार का नाड़ा खींच दिया... "अरे रवि तुम तो कुछ ज्यादा ही बेसब्र हो गए"… अमृता सूट उतारती हुई कहने लगी.


रवि, अमृता को खींचकर खुद मे समेटते... "तुम्हे देखकर रुकने की इक्छा मर गई है"….. "तो रुकने कह भी कौन रहा है रवि"… दोनो के होंठ बिल्कुल करीब आ चुके थे और रवि अमृता के होंठ को चूमते हुए अपने हाथ उसके बदन पर चलाते, पीछे से ब्रा के इलास्टिक को खींचकर छोड़ दिया..


रवि की इस शरारत से अमृता पूरी तरह कसमसाती हुई होंठ छोड़ी और आंखो से बनावटी गुस्सा दिखाने लगी. रवि, अमृता के चेहरे को देखकर हसने लगा और अपना मुंह उसके चूची के बीच डालकर जीभ से चाटने लगा.. रवि की इस अदा पर अमृता फिसलती हुई, उसके बालों पर हाथ फेरने लगती है.


हाथ फेरते हुए रवि ने अमृता के ब्रा का हुक खोल देता है. जैसे ही सीने से ब्रा हटा अमृता की दोनो चूचियां हवा में लहराने लगी. रवि अमृता के दोनो चूची को अपने दोनो हाथ से थामकर मसलते हुए अमृता के गर्दन पर जीभ चलाने लगा.. अमृता लंबी-लंबी श्वास लेती बिल्कुल पिघलती जा रही थी...


"आह्हहहह, रविईईईईईई... मै पहले से बहुत एक्साइटेड थी, प्लीज सीधा खेल शुरू करते है."… "खेल शुरू करने के लिए मैदान भी तैयार करना पड़ता है मैडम, यहां मैंने तो अपना मैदान तैयार कर लिया तुम पीछे रह गई".... "बहुत बड़े वाले हरामी हो तुम तुम"..


अमृता नीचे बैठ गई और अपने हाथ से रवि के पैंट का बटन खोलकर पैंट को नीचे करने लगी... "मेरा शर्ट तो खोलना ही भुल गई".... "ऊपर क्या चूची लटकेगी, जो शर्ट खोल दूं... अपने काम की चीज तो नीचे ही है"… अमृता अपनी बात कहती अंडरवेयर को भी पाऊं मे खिसका दी और लंड को अपने हाथ में लेती... "ऊम्मममममम, कड़क सामान है, साफ तो रखते हो ना"..


रवि:- इसे तो अब मुंह के सफाई की आदत है अमृता, और जारा देखो तो मुंह देखकर कैसे मचल रहा है...


अमृता शरारती हंसी हंसती रवि के अकड़ी लंड पर 3 चार हाथ मार देती है, जिससे लंड स्प्रिंग की तरह हिलने लगता है... "वाकई ये मचल रहा है"… अमृता अपने नरम हाथ की मुट्ठी में लंड को दबोचकर उसके सुपाड़े को बाहर निकाल लेती है और जीभ को लंड के सुपाड़े के ऊपर बड़े प्यार से गोल-गोल घुमाने लगती है. अमृता का ये प्रहार जानलेवा था. रवि के मुंह से लंबी आह निकल जाती है और उत्तेजना में उसके पाऊं कांप जाते है...


अमृता लगातार लंड के सुपाड़े पर जीभ गोल-गोल घुमाने लगती है और रवि, अमृता के बाल को मुट्ठी में भिचकर लंड को पूरा मुंह में ही डाल देता है. वह इतना उत्तेजित था कि अपना पूरा लंड अमृता के मुंह में पेल देता है... अमृता की आखें पूरी बड़ी हो गई, गाल लाल पर गए. मुंह का पुरा लार उसकी चूची पर गिर रहा था. तेज छटपटाहट और अमृता के हाथ चलाने के कारन उसकी चूड़ियां लगातार खानखाना रही थी.. लंड पूरा मुंह में होने के कारन वो ठीक से चींख भी नहीं पा रही थी बस "गुगुगुगुगुगु" की आवाज निकल रही थी.
 

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श्रावण मेला ।। भाग:- 14


किसी तरह हांथो से पूरा जोड़ देकर अमृता, रवि को खुद से दूर की और खांसती हुई अपनी श्वांस सामान्य करने में जुट गई... लेकिन इस से पहले की वो रवि से कुछ कहती, रवि अमृता के एक पाऊं को टेबल पर रखकर नीचे घुटनों पर आ गया और पैंटी के ऊपर से ही पुरा मुंह खोलकर चूत को मुंह में भर लिया.. अमृता को ना तो वो ठीक से श्वास सामान्य करने दिया और ना ही ठीक से संभलने का मौका...


जैसे से ही रवि के दांत हौले हौले चूत को कटने लगे, अमृता पुरी तरह से छटपटा गई. रवि के सर को पकड़ कर वो किसी तरह खुद को बैलेंस की, वरना वो गिरते गिरते बची… रवि अब आराम से पैंटी को जांघो तक खिसका दिया और खुली चूत में अपना पूरा मुंह घुसाकर, अपने उंगलियों को दरार में चलाने लगा..


दरार में उंगली के स्पर्श मात्र से ही अमृता पूरी तरह बेचैन हो गई... "उफ्फ रविईई, क्यों.. आह्हहहहहहहह... पागल बनाए हो... प्लीज मुझसे खड़ा नहीं रहा जा रहा... उफ्फफफफफ, रवि अब खत्म भी करो ये खेल"…


रवि हंसते हुए अपना मुंह उसके चूत से निकला और शरारत मे कहने लगा... "बस इतनी जल्दी हार मान गई"..… "भोंसरीवाले, लंड की जगह मुंह और हाथ से जान निकाल रहे हो, तेरा लंड क्या आधा घंटा टिकेगा मेरे सामने"… "हिहिही.. तभी तो आधे घंटे से मुंह और हाथ से मज़े दे रहा, ताकि कोई शिकायत का मौका ना रहे"… "पागल कहीं के.. पता होता ऐसा होने वाला है तो खुद से मेहनत करके नहीं आती.. अब बस भी करो तरपाना रवि, डालकर अब पुरा मज़ा भी दे ही दो"..


जैसा तुम कहो अमृता... कहते हुए रवि ने उसे एक चादर के ऊपर लिटाया और दोनो पाऊं को 90⁰ के समान ऊपर करके बीच से चूत में पुरा लंड एक बार मे ही घुसा दिया. दोनो पाऊं जुड़े होने के कारन चूत की कसावट लंड पर मेहसूस करके रवि पागलों की तरह धक्के मारने लगा... "अमृता, तुम्हारी चूत के साथ मज़ा आ गया.. याआआआआ"..

"ऊम्ममममममममम, रवि कमाल का चोदते हो तुम.... उफ्फफफफफ, मै.. मै.. पागल हुई जा रही हूं... आह्हहहहहहहहहहहह और कसके मेरे राजा.. पुरा जर तक पेल दो... आह्हहहहहहहहहहहहहह"…. मादक आवाज सुनकर रवि और भी जोश में आ गया... दोनो पाऊं को अब उसने नीचे जमीन पर डालकर चूत के बीच आ गया और अपने लंड को पूरे जोश के साथ चूत में पेलते हुए उसके दोनो चूची को मुट्ठी मै दबोचकर घपाघप धक्के मारने लगा... अमृता बिल्कुल दूधिया बदन पसीने से चमक रहा था और ऐसे गदराए गोरे बदन की मालकिन को चोदकर रवि पुरा निहाल हुआ जा रहा था.. उसे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि इतने आकर्षक गोरे बदन की मलिक्काओं को वो अपने नीचे लिए है..


रवि पूरे जोश के साथ चूची दबा दबाकर धक्के मारने लगता है.. ऊपर चूची पर हाथ के कसावट का दर्द और नीचे चूत के अंदर जोश भरी पेलाई से अमृता तुरंत ही चरम पर पहुंच जाती है और तेज तेज सिसकारियों के साथ उसका पूरा बदन निढल पड़ जाता है... अमृता के चूत से तो रस वर्षा हो गई किन्तु रवि अब भी उसी स्पीड से धक्के लगा रहा था..


अमृता, रवि के जांघ पर अपने हाथ मारती... रवि रुको, रुको रुको... अांहहहहहहहहह, क्या हुआ रोक क्यों दी".. रवि के चेहरे से उसका चिड़चिड़ापन साफ झलक रहा था. अमृता मुस्कुराती हुई बैठ गई और आंखो के इशारे से उसे खड़ा होने कहने लगी... रवि झुंझलाते हुए खड़ा हो गया.. अमृता उसकी हालत पर खिलखिलाती हुई हसने लगती है... "बस भी करो ऐसे खी खी खी करके हंसना, अब भुल ही जाओ की आज के बाद हमारे बीच कुछ होगा".. "सॉरी बाबा, तुम गुस्सा मत करो. 4 बार मै झाड़ गई हूं, अब हिम्मत ही नहीं बची. नाराज नहीं हो मै तुम्हारा पानी निकलकर गुस्सा शांत किए देती हूं, और अगली बार पहले से तैयार होकर नहीं आऊंगी.. प्रोमिस"..


रवि फिर भी गुस्से में इधर उधर देखता रहा. अमृता, रवि के अकड़े हुए जोशीले लंड की मुट्ठी में दबोचती... "साले तेरे कारण मेरा रवि नाराज है, पहले तुझे ट्रीटमेंट देती हूं फिर इस रवि को" ..


अमृता पुरा लंड मुंह में लेकर चूसती हुई एक हाथ से उसके गोटियों को सहलाने लगी और दूसरे हाथ की मिडिल फिंगर को दरार मे चलाने लगती है. उसके गान्ड के छेद के चारो ओर घुमाने लगी. अमृता के इस जानलेवा एक्शन से रवि अभी संभला ही नहीं था कि अमृता ने अपनी बीच की उंगली छेद के चारो ओर चलाती गप से अंदर डालकर लंड को जोर जोर से चूसने लगी... रवि तो बिल्कुल हवा में ही तैर गया और 2-3 झटको के बाद अपना पूरा पानी अमृता के मुंह में छोड़कर हाफ़ने लगा..


2 मिनट बाद.. रवि अमृता के चूची के साथ खेलते... "तुम तो पत्थर से भी पानी निकाल दोगी"..


अमृता, रवि को अपने ऊपर से उठाकर, अपने कपड़े पहनती... "और तुम तो किसी रण्डी को भी कहने पर मजबूर कर दो की बस रवि मेरा हो गया"


रवि:- लेकिन मै किसी ऐसी लड़कियों या औरतों के पास नहीं जाता.. जिंदगी में पहली बार मैंने ये सब पुष्पा के साथ ही किया था.. दूसरी बार भी उसी के साथ, तीसरी बार भी उसी के साथ और चौथी बार तुम्हारे साथ..


अमृता, रवि के गाल को पकड़कर उसके होंठ को चूमती... "तुम तो हम दोनों सहेलियों की जान बन गए हो, जिंदगी जीने का नया अनुभव मिल रहा है.. तुम भी मज़े लो, और क्या...


रवि:- लेकिन चोरी तो चोरी होती है अमृता, और तुमने भी तो कई किससे सुने है इस गांव के... थोड़े से मज़े के लिए अपना घर ना तोड़ लेना..


अमृता अपने बाल संवारती... "अच्छा लगा तुम्हे ये सब चिंता है... बस जब तक हम यहां है तभी तक तो ये चलेगा और वैसे भी तुम भी तो जॉब करने के लिए बाहर जा रहे हो.. फिर तो मौका तभी मिलेगा जब तुम गांव में रहोगे... यूं समझ लो जॉब पर जाने से पहले तुम्हे औरत का सुख दे रहे, ताकि वहां जाकर खूब पैसे कमाना और भटकना मत.. और जब कभी जोश जागे तो एक दिन पहले फोन कर देना, हम दोनों मे से कोई ना कोई तो खाली मिल ही जाएगी.. किसी रण्डी के पास जाकर अपनी जिंदगी मत खराब कर लेना...


रवि:- तुम्हारी बातें सुनकर मेरा तो दोबारा खड़ा होने लगा.. 2 अप्सराएं ऐसे मेरे इंतजार में..


रवि की बात सुनकर अमृता भागती हुई कहने लगी... "आज के लिए माफ करो इतना रगड़कर ठोका है कि अब तो 3-4 घंटे मस्त नींद के बिना बदन दर्द नहीं जाएगा"…


रवि के दूसरे राउंड सेक्स के बारे में सुनकर अमृता ऐसे घबराई की वो भींगती हुई ही उसके गोदाम से निकलकर मंदिर के ओर भागी, और यही वो वक्त था जब लता और मधु ने उसे निकलते हुए देखा था.…


अभी का वक्त... मेले में मेनका, मधु और लता...



मै लता और मधु की बात सुनकर फीकी मुस्कान चेहरे पर लाती हुई कहने लगी... "लोगो कि अपनी-अपनी जिंदगी और अपने-अपने जीने के तरीके, तुम दोनो का सोचना सही भी हो सकता है या फिर परिस्थितियों के कारण उपजे हालात भी. बात जो भी हो लेकिन हम तो किसी के निजी जिंदगी में दखलंदाजी तो नहीं दे सकती"..


मेरी बात सुनकर लता और मधु भी हां मे हां मिला दी. हम तीनो ही एक चाय समोसे की दुकान में अल्पाहार लेकर वापस से घूमने लगे. घूमते-घूमते हम मेले के सबसे आखरी मे आ गए जहां अचानक ही ना जाने कहां से 20-25 लड़के पहुंच गए.


लता और मधु को वो लोग ऐसे कवर किए की वो पीछे रह गई और मेरी ओर ऐसे बढ़ रहे थे कि मै पीछे हटते-हटते मेले से अलग हो गई. अंदर डर तो मेहसूस हो रहा था, लेकिन बाहर से मै जाहिर नहीं होने दे रही थी. वो सब एक-एक कदम आगे बढ़ा रहे थे और मै धीरे-धीरे पीछे हट रही थी. तभी पीछे से मेरा बदन किसी के पीठ से टकराया और जैसे ही मुड़कर देखी, पीछे विधायक का बेटा फैजान खड़ा था.


मै तुरंत उसके पीछे हटी और घुरकर देखती हुई कहने लगी... "लगता है मेरे पिताजी ने तुम्हारे बाप को थोड़े कम मे छोड़ दिया, इसलिए तेरी हिम्मत इतनी बढ़ गई है"..


फैजान:- ये हिम्मत तो हमारे खून की है और तेरे बाप ने जितना मेरे बाप को बेइज्जत किया है, उसका बदला तो बनता है ना.. वो क्या है ना, जैसे तेरे बाप ने मेरे बाप को वार्निग दी है कि मै उसके इलाके मै दिख गया तो वो मुझे मारकर फिकवा देंगे, वैसे ही एक छोटी सी वार्निग मै भी तुम्हे देते चलता हूं. अगली बार जहां भी मुझे तू दिख गई, तुझे वहीं रगड़ दूंगा... दिल तो तुझ पर वैसे भी पहले से आया है, बस अपने दोस्तो को दिखाने आया था कि कौन सी गरम लौंडिया मैंने उनके लिए सेलेक्ट की है...


मै:- एक बाप की औलाद है ना तो अगले रविवार को बाजार के चौक पर आ जाना.. समय सुबह के 10 बजे... मै वहां लगभग घंटे भर रुकूंगी... जो कहा है करके बात देना.. चल अभी रास्ता छोड़ गीदड़.. 20 लड़का लेकर आया है एक लड़की को डराने.. तेरी औकात तो इसी से समझ में आ गई फट्टू और खुद को कहता है हिम्मत तेरे खून मे है.. जाकर ब्लड टेस्ट करवा ले रिपोर्ट मे यही आएगा.. इस प्रकार के डीएनए वाले लोग डरपोक प्रवृति के होते है जिनकी औकाद इतनी होती है कि, जब कहीं कमजोर पड़ गए तो अपनी मां-बहन को आगे करके, पीछे उसके आंचल में छिप जाते है. बाद में फिर उसी मां-बहन को 20 घर भेजकर अपने लोगों को जमा करवाते है. जब 20-30 लोग जमा हो जाते है तब अपनी वीरता का सबूत देने आते है... भाग जा जल्दी से वरना लोग जब अभी जमा होना शुरू होंगे, तो ऐसा मरेंगे की शरीर से मांस अलग और हड्डी अलग हो जाएगा, गीदड़..


मै उन लड़को के बीचोबीच से निकलती हुई अपनी बात कहते हुए आगे बढ़ रही थी और मेले के ओर चली आ रही थी. जैसा मैंने कहा था ठीक वैसा ही हो गया. मै इधर निकली ही थी कि उधर से रवि पुरा मेला प्रबंधन को लेकर पहुंच गया. सभी लड़के चारो ओर से घिरे हुए थे... तभी मेरे गांव के मुखिया चाचा मुझे रोकते हुए पूछने लगे... "मेनका ये कुत्ते का बच्चा क्या कह रहा था.....


मुखिया चाचा ने जैसे ही ये बात पूछी, उनके बेटे वरुण ने एक जोरदार थप्पड़ फैजान के गाल पर चिपका दिया.… "अरे वरुण भैया मरो मत इन चूजों को. मुझसे कह रहा था कि तेरे बाप ने मेरे बाप की बहुत बेइज्जती की है, अगली बार कहीं दिखना मत वरना कहीं मुंह दिखने के काबिल नहीं रहेगी. मैंने भी कह दिया है, एक बाप की औलाद हो तो अगले रविवार को बाजार आ जाने. मै वहां 1 घंटे रुककर राशन की खरीदारी करूंगी"..


मुखिया चाचा:- क्या बात है बेटा, क्या बात कही है.. तू जा मेला घूम आज तो इसकी हिम्मत के लिए इसको कुछ पुरस्कार दे दिया जाए.....


मुखिया चाचा ने सीआरपीएफ वालो को बुलाकर पुरा मामला समझा दिया. रात को उड़ती हुई खबर पहुंची की सभी लड़को की इतनी पिटाई की सीआरपीएफ वालो ने कि अगले 10 दिन तक हॉस्पिटल में ही रहने वाले है... वैसे रात को ये बात भी मुझे तब पता चली, जब रूपा भाभी मुझे शाबाशी दे रही थी...


उधर पता नहीं कैसे ये खबर नकुल तक पहुंची.. बुधवार को उसका पॉलीहाउस ट्रेनिंग खत्म हो रहा था और बुधवार को ही वो वापस आने वाला था और रविवार तक रुककर सोमवार को सर्वे के लिए निकलता... इधर मेला तो समाप्त हो रहा था, लेकिन पूरे गांव में एक ही हॉट टॉपिक छाया हुआ था.. वो था रविवार वाला मेरा चैलेंज.. जिसे विधायक असगर आलम का बेटा फैजान तो अब पुरा नहीं कर सकता था, लेकिन उसे पुरा करने का बीड़ा फैजान के 3 बड़े भाइयों ने उठाया था...
 

DARK WOLFKING

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Pushpa to nakhush thi wo to samjh gaya main ... Lekin aap itna khush kis baat par hain :D ... Ravi ke jagah khud ko to nahi rakh liya :D ...
nahi ..sex fast me padha maine ..me sex sirf sex kahani me hi pasand karta hu 😁..thrill ,suspense me mujhe sex pasand nahi hai ..waha sirf kahani pasand karta hu ..
 

DARK WOLFKING

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श्रावण मेला ।। भाग:- 12



मां ने भी मुझे नहीं जगाया श्याद उन्हे लगा हो मै देर रात तक जागती हूं, इसलिए मुझे सोते छोड़ दिया. अगले दिन दोपहर के लगभग 2 बजे कई लड़कियों का झुंड मेरे आंगन में पहुंच गया और उन सब की लीडर पुष्पा दीदी, जोर-जोर से मुझे आवाज लगाने लगी. मां को अपनी आखों पर विश्वास नहीं हुआ कि आगे के टोला से इतनी सारी लड़कियां पहुंची थी. साथ में पुष्पा और अमृता के हसबैंड भी थे.


अब थे तो वो दोनो जमाई ही. साथ मे शादी के बाद पहली बार पुष्पा और अमृता हमारे घर आयी थी, मां उन्हे कैसे बिना कुछ खाए और बिना विदाई के जाने देती. मेरी दोनो भाभी और मां लग गई काम पर और मै घर आए लोगो को बिठाकर उनसे बातें कर रही थी..


अभी पुरा माहौल भरा था कि उसी वक्त रवि भी वहां पहुंच गया. रवि को देखकर मैंने फीकी मुस्कान दी और उसे भी बैठने के लिए कहने लगी. मै क्या उसे बैठने कहूंगी, पुष्पा और अमृता ने मिलकर उसे अपने पास ही बिठा लिया और सवालिया नज़रों से घूरती हुई, मुझसे पूछने लगी कि... "उस दिन तो तुमने कहा था रवि को जानती नही, फिर ये यहां क्या कर रहा है"..


मै:- आप सब लोग रवि और उसके दोस्त को बधाई दे दो पहले. एसएससी का एग्जाम क्लियर कर लिया है. जनवरी तक ये जॉब ट्रेनिग के लिए निकल रहा है.. वो भी इसकी जॉब सीधा दिल्ली के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में लगी है..


ये लड़कियां भी ना क्या हूटिंग करती है. फिर तो हर कोई रवि से पार्टी मांगने लगा. हंगामे जब हुआ तो उस बीच मां और भाभी भी वहां पहुंच गई और उन्होंने भी जब ये बात सुनी, तो रवि को बधाई देने लगी. किन्तु जब माहौल पुरा शांत हुआ तो सवाल फिर से वही था... "किस काम से आए हो रवि"..


सबको समझते हुए मै कहने लगी... "मुझे मैथमेटिक्स और रीजनिंग के पेपर में कुछ समस्या आ रही थी, इसलिए रवि को मैंने ही बुलवाया था, तैयारी के लिए हम टाइमिंग डिस्कस कर ले. उसी के लिए आया था"…


थोड़ी देर की बातचीत के बाद सबके लिए थोड़ा सा नस्ता लग गया और निकलते वक्त दोनो बेटी और जमाई को विदाई भी मिली. हालांकि ना नुकुर का दौड़ चलता रहा, पुष्पा और अमृता बस इतना ही समझाती रही की इस टोला में मेनका की कोई हम उम्र नहीं, इसलिए वो खुद को अकेला ना मेहसूस करे, इस वजह से पहुंची है. लेकिन रिवाज तो रिवाज होता है उसे कैसे छोड़ सकते है..


वहां से हमारा काफिला निकला तो, लेकिन इस बार पुष्पा दीदी फंस गई, क्योंकि वैसे लोग अपने-अपने ग्रुप के साथ, अपनी साधन में मेले के लिए निकल जाते है. लेकिन 10 लोग को ले जाने की व्यवस्था कहां से जुगाड़े. मैंने फिर रवि से ही मदद मांग लिया. मै अपनी कार रवि को ड्राइव करने के लिए दे दी, जिसमे 5 लोग सवार ही गए और नकुल के यहां की बोलेरो मै ले आयी, जिसमे 6 लोग सवार हो गए, और हम मेले के लिए निकल गए.


मै हंस रही थी, बात कर रही थी लेकिन अंदर ही अंदर कहीं ना कहीं घूट भी रही थी. कारन वहीं था, पुष्पा और अमृता का रवि से कुछ ज्यादा ही चिपकना. मै इस परिस्थिति में किसे दोष दूं और खुद को कितना समझाती रहूं की हर कोई अपनी जिंदगी जी रहा तुम्हे क्या. लेकिन ये दिल है कि मानता ही नहीं.


समझदारी इसी मे थी कि जो बर्दास्त ना हो, उसे अपनी आखों से देखा नहीं जाए. मै दीप्ति और एक दो लडकियों को लेकर एक जीजा को ले उड़ी और मस्ती मज़ाक के बीच मेले का आनंद लेते हुए हम सब वापस लौट आए.


देखते ही देखते मेला अपने आखरी हफ्ते में पहुंच गया था. मेले का मुख्य आकर्षण इसी हफ्ते में होता है जब औरकेस्ट्रा मे लड़कियां नाचती है और बाकी सभी उसे देखने दूर-दूर से आते है. शुद्ध रूप से कहा जाए तो ये आयोजन केवल पुरषों के मनोरंजन के लिए रखा जाता था, जिसमे नाचने वाली महिलाओं को छोड़कर, अन्य किसी महिला का वहां जाने का कोई मतलब ही नहीं बनता है.


इस बार सावन 5 सोमवार का था और मंगलवार के दिन महीने का अंत होना था इसलिए ऑर्केस्ट्रा शनिवार की रात से शुरू होता और मंगलवार के दिन समाप्त होता. नकुल के ना होने से मै पहले से अकेली पड़ गई थी, ऊपर से रवि को देखने जाने की रुचि भी खत्म हो गई.


शायद रवि भी यह फैसला कर चुका था कि वो मुझसे दूरियां ही बनाकर चलेगा इसलिए जब मै उसे अपने दिल की बात बताई, उसके बाद सिर्फ वो मेरे एग्जाम मे हेल्प के लिए दोपहर के 2 से 4 के बीच का समय लेकर गया था, जो मेला खत्म होने के कुछ दिन बाद से शुरू होता. इसके अलवा उसने कोई बात नहीं हुई..


चौथे सोमवार की सुबह थी, जब मै भाभी और मां के साथ मंदिर पहुंची थी. मुझे क्या पता था यहां पहुंचकर मुझे सरप्राइज़ मिलने वाला था. मै जैसे ही मंदिर पहुंची, मेरे ठीक सामने प्राची दीदी और राजवीर अंकल खड़े थे. मै अचंभित होकर उन्हे देखने लगी और जैसे ही वो मेरे करीब पहुंची, शिकायती लहजे में प्राची दीदी से पूछने लगी... "आने से पहले आप बता भी नहीं सकती थी क्या? अब ये मत कहना की अचानक प्लान बन गया"…


प्राची:- नहीं बाबा अचानक प्लान नहीं बना, बल्कि तुम्हे सरप्राइज़ देना था इसलिए नहीं बताई. तेरा पूंछ कहीं नजर नहीं आ रहा है, कहां गया..


मै:- मेरा पूंछ नहीं है वो, नकुल के लिए ऐसा कहोगी तो मै आपसे बात नहीं करूंगी..


प्राची:- हा हा हा हा.. तुम दोनो को छेड़ने का मज़ा ही कुछ और है वैसे सीरियसली वो आशिक़ है कहां..


मै:- उसने जैसा वादा किया था उसी पर काम कर रहा है. पॉलीहाउस के ट्रेनिंग के लिए गया है. वहां से बंगलौर अपने दोस्त के पास जाएगा और कुछ दिन घूम फिर कर जब वापस आएगा तब काम पर लग जाएगा..


प्राची:- फिर तो अच्छा है, उससे रात में आराम से बात करूंगी... चल अभी मेला घूमते है..


मै:- आपको भी सोमवार का ही दिन मिला था, किसी और दिन नहीं घूम सकती थी...


प्राची:- कोई नहीं बच्चा हम 3 दिन है अभी यहां पर.. और तीनो दिन तुम्हारे साथ मेला ही घूमेंगे..


मै:- प्योर बनिया है आप और आप 3 दिन गांव घूमने आयी है. ये क्यों नहीं कहती की बांस की सिक का कई डिज़ाइनर तैयार हो गए है, उसी सिलसिले में आप आयी है..


प्राची:- अरे अरे अरे... तू तो उलहाना भी देनें लगी...


"मुझे भी आपको छेड़ ही रही हूं. चलिए पूजा करके कुछ देर भटकते है, फिर आज आपकी छुट्टी. जो भी जरूरी काम हो आज ही निपटा लेना".. मै अपनी बात कहकर, प्राची दीदी का हाथ पकड़कर उन्हें अपने साथ मंदिर ले गई, जहां लता और मधु पहले से मेरा इंतजार कर रही थी. उन दोनों को मैंने प्राची दीदी से मिलवाया और हम पूजा करने चल दिए.


अगला 2 दिन उनके साथ कैसे बिता पता ही नहीं चला. बृहस्पति वार को प्राची दीदी वापस दिल्ली के लिए निकल गई और मै भी अपने काम मै व्यस्त हो गई. हफ्ते का आखरी दिन था वो. रविवार की सुबह लता और मधु ने इतना जिद किया की मै ना चाहते हुए भी मेले में जाने के लिए मजबूर हो गई.


हम तीनो ही मेला घूमने मे मसरूफ से हो गए. हालांकि मुझे ज्यादा रुचि तो नहीं थी, लेकिन फिर भी मै उनकी खुशी के लिए मेला घूम रही थी. मेले का लुफ्त उठाते हम उस ओर से भी गुजरे जहां इस वक्त बलून फोड़ने की प्रतियोगिता भी अपने आखरी दौड़ में चल रहा था...


प्रतियोगिता कुछ ऐसी थी कि 5 प्रतियोगी 5 फिट की दूरी पर खड़े थे. हर प्रतियोगी के लिए 20 बुलेट और 20 बलून थे. हर किसी के बलून का रंग अलग-अलग था. बलून मे गैस भरकर बलून को हवा में उड़ाया जाता और 10 सेकंड के बाद हर प्रतियोगी अपने अपने बलून पर निशाना लगाता.. एक बार बुलेट खत्म उसके बाद काउंटिंग होती की किसने कितने बलून फोड़े..


शायद आखरी चरण के पहले 5 प्रतियोगी का फैसला हो चुका था, इसलिए मनीष भैया और भाभी मे वहीं पर तीखी बहस चल रही थी. वो दोनो खुद को ही विजेता घोषित किए जा रहे थे और दोनो के समर्थक अपने-अपने प्रिय निशानची का समर्थन कर रहे थे..


तभी वहां लता और मधु पहुंच गई. वो दोनो तो रवि का ही सपोर्ट करने लगी. उन दोनों को देखकर रूपा भाभी कहने लगी... "मेनका की सहेली होकर रवि को सपोर्ट कर रही. एक लड़की दूसरी लड़की को ही सपोर्ट करे तो ज्यादा अच्छा है, इससे नारी शक्ति बढ़ती है."..


मधु:- भाभी रवि हमारे साथ पढ़ता है. बलून फोड़ने के लिए एक दुकान आरक्षित कर दिया, हम तो इसे ही सपोर्ट करेंगे, क्यों मेनका तुम क्या कहती हो..


मै:- मै तो नरेंद्र जीजू (अमृता का पति) के समर्थन में हूं.. हवा में अब तक 6 बलून फोड़ चुके है.. और मुझे लगता है वो ही सबसे आगे रहने वाले है... जीजू कम से कम 15 बलून तो फोड़कर ही आना..


जैसे ही मैंने ये बात कही, पुष्पा और अमृता दीदी दोनो ही हूटिंग करती हुई चिल्लाने लगी... "मेनका रूपा भाभी के समर्थन में आ जाओ, घर से दुश्मनी अच्छी नहीं"..


मै:- हट नहीं करती मै छोटी भाभी का समर्थन, जिसे जो दुश्मनी निकालनी है निकाल लो… वो देखो 10 बलून फोड़ डाले जीजू ने.. तीनो मशहूर निशानची, रूपा मिश्रा, मनीष मिश्रा और रवि अग्रवाल के बराबर पहुंच गए जीजू.. कम ऑन जीजू कम से कम 15 बलून फोड़कर ही दम लेना.. अभी ही डिफरेंस बाना लो..



मेरी हूटिंग सुनकर गांव की भाभी जो रूपा भाभी के समर्थन में थी, उन्होंने मजबूत प्रतिद्वंदी का ध्यान भटकाने के लिए फिर जो ही कमेंट्री की... "गोली लोड हो गई, आंख नली पर और हवा में बहन का बलून लहराते दिख रहा".. "अरे दीदी बहन ही क्यों किसी साली का बलून भी तो हो सकता है"..… "दीदी बड़ा बलून है दिमाग में सलहज का ही बलून होगा... लगा निशाना जमाई बाबू और लगाओ दम"…. फिर सब एक साथ जोड़ से चिल्लाते... "और ये गया किसी बेचारी का बलून"…


अब जब 8-10 आवाज पीछे से ऐसे हूटिंग करे, तो कहां से कोई कन्सन्ट्रेट कर पाए.. एक बात तो थी, रूपा भाभी ने अपने बहुत से समर्थक जरूर बना लिए थे. ऐसे नहीं तो वैसे लेकिन कैसे भी करके वो जीत ही जाएगी, ऐसा सबको लगता था. लेकिन नरेंद्र भी ध्यान वाला आदमी था. इतना ध्यान भटकाने के बाद भी फाइनल स्कोर उनका 12 रहा, जो की अब तक का सबसे अव्वल स्कोर था, बाकी 10 बलून के साथ रूपा भाभी, मनीष भैया और रवि तीनो टाय पर चल रहे थे...


फाइनल 4 लोगो के बीच होना था.. हालांकि फाइनल फर्स्ट और सेकंड के बीच होता है, लेकिन इस बार सेकंड पोजिशन पर 3 लोगों के बीच टाय था. फाइनल अब मंगलवार को खेला जाना था और इसी के साथ वहां की भिड़ भी समाप्त हो गई. लता और मधु की मुलाकात मैंने पुष्पा और अमृता दीदी से करवाई.


पुष्पा और अमृता दीदी, दोनो ही मुझे डांटती हुई कहने लगी, मेनका हर परिस्थिति में बहन को सपोर्ट किया कर, वरना अच्छा नहीं होगा.. उनकी बात सुनकर सभी हसने लगे. जितनी भी गांव की कुंवारी बहने थी, सबने उन दोनों को आड़े हाथ लेते हुए सुना दिया कि.… "बहनों की मेजोरिटी को आप को भी सपोर्ट करना चाहिए और हम सब जीजू के समर्थन में है, आपने मेजोरिटी छोड़ा तो आपके लिए अच्छा नहीं होगा"..
behetareen update ..menka ravi ko kisi aur ke saath dekhke jal rahi hai 😁😁..

aur ye baloon fodne wala game mast hai padhke maja aa gaya 😍😍..menka apne bhabhi ka support karne ki bajay jija ka support kar rahi hai ..
 

ragish7357

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wah kya updte diya h bhai.........phle memani ka dil tootna .......ravi ka romance last m first time menka ne itne ldko ke beech himmat dikhayi....ye to gjb hi h bhai......lgta h sunday tk nakul bhi aa hi jayega.bat menka ki ho or nakul na aaye esa kese ho skta h..........bhai ek chota sa question h mn m .....aage chalkr nakul or menka ka to koi seen banega kya.......kyoki jis trh se nakul menka k liye possasive h usse to yhi lgta h......baki to whi hoga jo tum story m likh doge:DD::DD::DD::DD:
 

nain11ster

Prime
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bhai ek chota sa question h mn m .....aage chalkr nakul or menka ka to koi seen banega kya.......kyoki jis trh se nakul menka k liye possasive h usse to yhi lgta h......baki to whi hoga jo tum story m likh doge:DD::DD::DD::DD:

Dekhiye story me sambhawnayen bahut kuch ki hai, lekin jahan tak baat hai Nakul aur Menka ki, to dono ke bich bahut sidha aur pyara rishta hai.. menka Nakul ko batija manti hai aur Nakul use bua... Dono padosi hain aur bachpan se riston me rahe hai... Aur main riston me baimani nahi karta .. :D ..

Dusri chij ek baat mai aapko abhi clear kar dun... Ek baar jab main story ka plot taiyar kar leta hun.. fir kahani me koi badlaw nahi hota ... Isliye kahani me ab wahi hoga jo plotted hai... Mere ab chah lene ke baad bhi koi badlaw nahi hoga..

Iska matr ek simple sa karan hai ki mujhe kahani me kuch bhi random karna achha nahi lagta... So befikr rahiye... Story line complete hai aur usme mere chahne se bhi badlaw nahi hoga
 

aman rathore

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यही तो ज़िन्दगी है भाई.. हम आप क्या कर सकते है.. जब चाहत पास होती है तो हम दूर हो जाते है और जब चाहत दूर रहती है तो उसके पास आने के लिए लाख प्रयत्न करते है..

वैसे श्रावण मेले के भाग 8 पर आपने कुछ नहीं कहा.. मेहनत उस अपडेट में भी कहा था अमन भाई :D
Bhaag 8 par kya kahun bhai vahan to pushpa aur ravi ne kuch kahne ke liye chhoda hi nahin :blush2:
 

aman rathore

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श्रावण मेला ।। भाग:- 12



मां ने भी मुझे नहीं जगाया श्याद उन्हे लगा हो मै देर रात तक जागती हूं, इसलिए मुझे सोते छोड़ दिया. अगले दिन दोपहर के लगभग 2 बजे कई लड़कियों का झुंड मेरे आंगन में पहुंच गया और उन सब की लीडर पुष्पा दीदी, जोर-जोर से मुझे आवाज लगाने लगी. मां को अपनी आखों पर विश्वास नहीं हुआ कि आगे के टोला से इतनी सारी लड़कियां पहुंची थी. साथ में पुष्पा और अमृता के हसबैंड भी थे.


अब थे तो वो दोनो जमाई ही. साथ मे शादी के बाद पहली बार पुष्पा और अमृता हमारे घर आयी थी, मां उन्हे कैसे बिना कुछ खाए और बिना विदाई के जाने देती. मेरी दोनो भाभी और मां लग गई काम पर और मै घर आए लोगो को बिठाकर उनसे बातें कर रही थी..


अभी पुरा माहौल भरा था कि उसी वक्त रवि भी वहां पहुंच गया. रवि को देखकर मैंने फीकी मुस्कान दी और उसे भी बैठने के लिए कहने लगी. मै क्या उसे बैठने कहूंगी, पुष्पा और अमृता ने मिलकर उसे अपने पास ही बिठा लिया और सवालिया नज़रों से घूरती हुई, मुझसे पूछने लगी कि... "उस दिन तो तुमने कहा था रवि को जानती नही, फिर ये यहां क्या कर रहा है"..


मै:- आप सब लोग रवि और उसके दोस्त को बधाई दे दो पहले. एसएससी का एग्जाम क्लियर कर लिया है. जनवरी तक ये जॉब ट्रेनिग के लिए निकल रहा है.. वो भी इसकी जॉब सीधा दिल्ली के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में लगी है..


ये लड़कियां भी ना क्या हूटिंग करती है. फिर तो हर कोई रवि से पार्टी मांगने लगा. हंगामे जब हुआ तो उस बीच मां और भाभी भी वहां पहुंच गई और उन्होंने भी जब ये बात सुनी, तो रवि को बधाई देने लगी. किन्तु जब माहौल पुरा शांत हुआ तो सवाल फिर से वही था... "किस काम से आए हो रवि"..


सबको समझते हुए मै कहने लगी... "मुझे मैथमेटिक्स और रीजनिंग के पेपर में कुछ समस्या आ रही थी, इसलिए रवि को मैंने ही बुलवाया था, तैयारी के लिए हम टाइमिंग डिस्कस कर ले. उसी के लिए आया था"…


थोड़ी देर की बातचीत के बाद सबके लिए थोड़ा सा नस्ता लग गया और निकलते वक्त दोनो बेटी और जमाई को विदाई भी मिली. हालांकि ना नुकुर का दौड़ चलता रहा, पुष्पा और अमृता बस इतना ही समझाती रही की इस टोला में मेनका की कोई हम उम्र नहीं, इसलिए वो खुद को अकेला ना मेहसूस करे, इस वजह से पहुंची है. लेकिन रिवाज तो रिवाज होता है उसे कैसे छोड़ सकते है..


वहां से हमारा काफिला निकला तो, लेकिन इस बार पुष्पा दीदी फंस गई, क्योंकि वैसे लोग अपने-अपने ग्रुप के साथ, अपनी साधन में मेले के लिए निकल जाते है. लेकिन 10 लोग को ले जाने की व्यवस्था कहां से जुगाड़े. मैंने फिर रवि से ही मदद मांग लिया. मै अपनी कार रवि को ड्राइव करने के लिए दे दी, जिसमे 5 लोग सवार ही गए और नकुल के यहां की बोलेरो मै ले आयी, जिसमे 6 लोग सवार हो गए, और हम मेले के लिए निकल गए.


मै हंस रही थी, बात कर रही थी लेकिन अंदर ही अंदर कहीं ना कहीं घूट भी रही थी. कारन वहीं था, पुष्पा और अमृता का रवि से कुछ ज्यादा ही चिपकना. मै इस परिस्थिति में किसे दोष दूं और खुद को कितना समझाती रहूं की हर कोई अपनी जिंदगी जी रहा तुम्हे क्या. लेकिन ये दिल है कि मानता ही नहीं.


समझदारी इसी मे थी कि जो बर्दास्त ना हो, उसे अपनी आखों से देखा नहीं जाए. मै दीप्ति और एक दो लडकियों को लेकर एक जीजा को ले उड़ी और मस्ती मज़ाक के बीच मेले का आनंद लेते हुए हम सब वापस लौट आए.


देखते ही देखते मेला अपने आखरी हफ्ते में पहुंच गया था. मेले का मुख्य आकर्षण इसी हफ्ते में होता है जब औरकेस्ट्रा मे लड़कियां नाचती है और बाकी सभी उसे देखने दूर-दूर से आते है. शुद्ध रूप से कहा जाए तो ये आयोजन केवल पुरषों के मनोरंजन के लिए रखा जाता था, जिसमे नाचने वाली महिलाओं को छोड़कर, अन्य किसी महिला का वहां जाने का कोई मतलब ही नहीं बनता है.


इस बार सावन 5 सोमवार का था और मंगलवार के दिन महीने का अंत होना था इसलिए ऑर्केस्ट्रा शनिवार की रात से शुरू होता और मंगलवार के दिन समाप्त होता. नकुल के ना होने से मै पहले से अकेली पड़ गई थी, ऊपर से रवि को देखने जाने की रुचि भी खत्म हो गई.


शायद रवि भी यह फैसला कर चुका था कि वो मुझसे दूरियां ही बनाकर चलेगा इसलिए जब मै उसे अपने दिल की बात बताई, उसके बाद सिर्फ वो मेरे एग्जाम मे हेल्प के लिए दोपहर के 2 से 4 के बीच का समय लेकर गया था, जो मेला खत्म होने के कुछ दिन बाद से शुरू होता. इसके अलवा उसने कोई बात नहीं हुई..


चौथे सोमवार की सुबह थी, जब मै भाभी और मां के साथ मंदिर पहुंची थी. मुझे क्या पता था यहां पहुंचकर मुझे सरप्राइज़ मिलने वाला था. मै जैसे ही मंदिर पहुंची, मेरे ठीक सामने प्राची दीदी और राजवीर अंकल खड़े थे. मै अचंभित होकर उन्हे देखने लगी और जैसे ही वो मेरे करीब पहुंची, शिकायती लहजे में प्राची दीदी से पूछने लगी... "आने से पहले आप बता भी नहीं सकती थी क्या? अब ये मत कहना की अचानक प्लान बन गया"…


प्राची:- नहीं बाबा अचानक प्लान नहीं बना, बल्कि तुम्हे सरप्राइज़ देना था इसलिए नहीं बताई. तेरा पूंछ कहीं नजर नहीं आ रहा है, कहां गया..


मै:- मेरा पूंछ नहीं है वो, नकुल के लिए ऐसा कहोगी तो मै आपसे बात नहीं करूंगी..


प्राची:- हा हा हा हा.. तुम दोनो को छेड़ने का मज़ा ही कुछ और है वैसे सीरियसली वो आशिक़ है कहां..


मै:- उसने जैसा वादा किया था उसी पर काम कर रहा है. पॉलीहाउस के ट्रेनिंग के लिए गया है. वहां से बंगलौर अपने दोस्त के पास जाएगा और कुछ दिन घूम फिर कर जब वापस आएगा तब काम पर लग जाएगा..


प्राची:- फिर तो अच्छा है, उससे रात में आराम से बात करूंगी... चल अभी मेला घूमते है..


मै:- आपको भी सोमवार का ही दिन मिला था, किसी और दिन नहीं घूम सकती थी...


प्राची:- कोई नहीं बच्चा हम 3 दिन है अभी यहां पर.. और तीनो दिन तुम्हारे साथ मेला ही घूमेंगे..


मै:- प्योर बनिया है आप और आप 3 दिन गांव घूमने आयी है. ये क्यों नहीं कहती की बांस की सिक का कई डिज़ाइनर तैयार हो गए है, उसी सिलसिले में आप आयी है..


प्राची:- अरे अरे अरे... तू तो उलहाना भी देनें लगी...


"मुझे भी आपको छेड़ ही रही हूं. चलिए पूजा करके कुछ देर भटकते है, फिर आज आपकी छुट्टी. जो भी जरूरी काम हो आज ही निपटा लेना".. मै अपनी बात कहकर, प्राची दीदी का हाथ पकड़कर उन्हें अपने साथ मंदिर ले गई, जहां लता और मधु पहले से मेरा इंतजार कर रही थी. उन दोनों को मैंने प्राची दीदी से मिलवाया और हम पूजा करने चल दिए.


अगला 2 दिन उनके साथ कैसे बिता पता ही नहीं चला. बृहस्पति वार को प्राची दीदी वापस दिल्ली के लिए निकल गई और मै भी अपने काम मै व्यस्त हो गई. हफ्ते का आखरी दिन था वो. रविवार की सुबह लता और मधु ने इतना जिद किया की मै ना चाहते हुए भी मेले में जाने के लिए मजबूर हो गई.


हम तीनो ही मेला घूमने मे मसरूफ से हो गए. हालांकि मुझे ज्यादा रुचि तो नहीं थी, लेकिन फिर भी मै उनकी खुशी के लिए मेला घूम रही थी. मेले का लुफ्त उठाते हम उस ओर से भी गुजरे जहां इस वक्त बलून फोड़ने की प्रतियोगिता भी अपने आखरी दौड़ में चल रहा था...


प्रतियोगिता कुछ ऐसी थी कि 5 प्रतियोगी 5 फिट की दूरी पर खड़े थे. हर प्रतियोगी के लिए 20 बुलेट और 20 बलून थे. हर किसी के बलून का रंग अलग-अलग था. बलून मे गैस भरकर बलून को हवा में उड़ाया जाता और 10 सेकंड के बाद हर प्रतियोगी अपने अपने बलून पर निशाना लगाता.. एक बार बुलेट खत्म उसके बाद काउंटिंग होती की किसने कितने बलून फोड़े..


शायद आखरी चरण के पहले 5 प्रतियोगी का फैसला हो चुका था, इसलिए मनीष भैया और भाभी मे वहीं पर तीखी बहस चल रही थी. वो दोनो खुद को ही विजेता घोषित किए जा रहे थे और दोनो के समर्थक अपने-अपने प्रिय निशानची का समर्थन कर रहे थे..


तभी वहां लता और मधु पहुंच गई. वो दोनो तो रवि का ही सपोर्ट करने लगी. उन दोनों को देखकर रूपा भाभी कहने लगी... "मेनका की सहेली होकर रवि को सपोर्ट कर रही. एक लड़की दूसरी लड़की को ही सपोर्ट करे तो ज्यादा अच्छा है, इससे नारी शक्ति बढ़ती है."..


मधु:- भाभी रवि हमारे साथ पढ़ता है. बलून फोड़ने के लिए एक दुकान आरक्षित कर दिया, हम तो इसे ही सपोर्ट करेंगे, क्यों मेनका तुम क्या कहती हो..


मै:- मै तो नरेंद्र जीजू (अमृता का पति) के समर्थन में हूं.. हवा में अब तक 6 बलून फोड़ चुके है.. और मुझे लगता है वो ही सबसे आगे रहने वाले है... जीजू कम से कम 15 बलून तो फोड़कर ही आना..


जैसे ही मैंने ये बात कही, पुष्पा और अमृता दीदी दोनो ही हूटिंग करती हुई चिल्लाने लगी... "मेनका रूपा भाभी के समर्थन में आ जाओ, घर से दुश्मनी अच्छी नहीं"..


मै:- हट नहीं करती मै छोटी भाभी का समर्थन, जिसे जो दुश्मनी निकालनी है निकाल लो… वो देखो 10 बलून फोड़ डाले जीजू ने.. तीनो मशहूर निशानची, रूपा मिश्रा, मनीष मिश्रा और रवि अग्रवाल के बराबर पहुंच गए जीजू.. कम ऑन जीजू कम से कम 15 बलून फोड़कर ही दम लेना.. अभी ही डिफरेंस बाना लो..



मेरी हूटिंग सुनकर गांव की भाभी जो रूपा भाभी के समर्थन में थी, उन्होंने मजबूत प्रतिद्वंदी का ध्यान भटकाने के लिए फिर जो ही कमेंट्री की... "गोली लोड हो गई, आंख नली पर और हवा में बहन का बलून लहराते दिख रहा".. "अरे दीदी बहन ही क्यों किसी साली का बलून भी तो हो सकता है"..… "दीदी बड़ा बलून है दिमाग में सलहज का ही बलून होगा... लगा निशाना जमाई बाबू और लगाओ दम"…. फिर सब एक साथ जोड़ से चिल्लाते... "और ये गया किसी बेचारी का बलून"…


अब जब 8-10 आवाज पीछे से ऐसे हूटिंग करे, तो कहां से कोई कन्सन्ट्रेट कर पाए.. एक बात तो थी, रूपा भाभी ने अपने बहुत से समर्थक जरूर बना लिए थे. ऐसे नहीं तो वैसे लेकिन कैसे भी करके वो जीत ही जाएगी, ऐसा सबको लगता था. लेकिन नरेंद्र भी ध्यान वाला आदमी था. इतना ध्यान भटकाने के बाद भी फाइनल स्कोर उनका 12 रहा, जो की अब तक का सबसे अव्वल स्कोर था, बाकी 10 बलून के साथ रूपा भाभी, मनीष भैया और रवि तीनो टाय पर चल रहे थे...


फाइनल 4 लोगो के बीच होना था.. हालांकि फाइनल फर्स्ट और सेकंड के बीच होता है, लेकिन इस बार सेकंड पोजिशन पर 3 लोगों के बीच टाय था. फाइनल अब मंगलवार को खेला जाना था और इसी के साथ वहां की भिड़ भी समाप्त हो गई. लता और मधु की मुलाकात मैंने पुष्पा और अमृता दीदी से करवाई.


पुष्पा और अमृता दीदी, दोनो ही मुझे डांटती हुई कहने लगी, मेनका हर परिस्थिति में बहन को सपोर्ट किया कर, वरना अच्छा नहीं होगा.. उनकी बात सुनकर सभी हसने लगे. जितनी भी गांव की कुंवारी बहने थी, सबने उन दोनों को आड़े हाथ लेते हुए सुना दिया कि.… "बहनों की मेजोरिटी को आप को भी सपोर्ट करना चाहिए और हम सब जीजू के समर्थन में है, आपने मेजोरिटी छोड़ा तो आपके लिए अच्छा नहीं होगा"..
:superb: :good: amazing update hai nain bhai,
Behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai,
Prachi didi ke aane se menka bahot jaldi apne gam ko bhool gayi hai,
Aur ye pratiyogita to bahot hi romanchak mor par pahunch gayi hai,
Ab dekhte hain ki aage kya hota hai
 

aman rathore

Enigma ke pankhe
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श्रावण मेला ।। भाग:- 13



काफी फनी सा माहौल बन गया था वहां का. तकरीबन आधे घंटे बाद हम सब की सभा टूट गई और मै वापस से मधु और लता के साथ मेला घूमने लगी. जैसे ही हम कुछ दूर आगे बढ़े, लता और मधु शिकायती नजरो से देखती, पूछने लगी कि अपने दोस्त को मैंने क्यों नहीं समर्थन किया. उनके बात पर मुझे हंसी आ गई लेकिन कुछ जवाब देने से अच्छा था कि सॉरी बोल लो, क्योंकि यहां तो दोस्तों की मेजोरिटी रवि को सपोर्ट कर रही थी और उस हिसाब से मुझे भी रवि को सपोर्ट करना चाहिए था.


मधु:- हुंह ! बहुत बड़ी वाली है तू मेनका, सॉरी बोलकर चुपचाप निकल ली..


मै:- अभी सॉरी कह दिया है, मंगलवार के दिन रवि को सपोर्ट कर दूंगी, ऐसा मेरा कहना था..


लता:- चालाक लोमड़ी कहीं की, देखा मधु बात को कैसे घुमा दी.. तुझे तो मै मंगलवार को देखूंगी, यदि रवि को सपोर्ट नहीं किया तो..


मै:- ओय बात की है, दोनो रवि के नाम से ही बावड़ी हुई जा रही हो.. कहीं दोनो के दिल में उसके लिए कुछ है तो नहीं..

मधु:- इसको कमीनापन बोलते है..


लता:- हां बिल्कुल सही बोली मधु... इसे लगता है अंधेरे में रवि इसका हाथ पकड़ेगा, और भरे मेले में कोई देखेगा नहीं..


मै:- हां हाथ पकड़ा था, मुझे रोका भी था और मुझसे मिन्नते भी कर रहा था..


लता और मधु दोनो मेरे चेहरे को घूरती... "कैसी मिन्नते"..


मै:- मै किसी को ये ना बता दूं कि उसको फाइनली एसएससी मे सिलेक्शन हो गया और अब वो और उसका दोस्त सरकारी नौकरी वाला बन गया है..


मधु:- ओह हो, इसलिए लड़का तुमसे मिन्नत कर रहा था कि किसी को पता ना चले और कहीं पार्टी ना देनी पर जाए..


लता:- वैसे कमीना तो वही निकला, खुद तो इतनी बड़ी बात छिपा गया और जॉब पर जाने से पहले खूब मौज मस्ती करके जा रहा है..


मधु:- ऐसी बात ना है रे, रवि अच्छा लड़का है, गांव के लड़को की तरह नहीं है..


लता:- अच्छे लड़के क्या वो सब नहीं करते..


मधु:- हिहिहिही … हां ये भी, लड़का जवान हो गया है कुछ भी हो सकता है..


मै:- अरे थोड़ा हाईलाइट मुझे भी तो कर दो, मै तो सस्पेंस से ही मरी जा रही हूं..


मधु:- कल शनिवार के दिन काफी तेज बारिश हो रही थी, मै और लता बिनोकल्स से दूर का नजारा देख रहे थे, तभी हम दोनों ने देखा रवि के गोदाम वाले दुकान से कोई औरत निकाल रही थी. बारिश के कारन समझ में तो नहीं आया की कौन थी लेकिन उसी के 10 मिनट बाद रवि उस गोदाम के ठीक आगे से निकला सो हमे सक है कि ये लड़का भी गांव के रंग में रंग गया...


शनिवार का दोपहर...


सुबह से उमस वाली धूप चल रही थी. हर कोई पसीने से तर बतर था. इतनी तेज धूप में पुष्पा और अमृता दोनो सखियां मेले का आनंद उठा रही थी. एक तो नई-नई शादी हुई थी तो पूरे श्रृंगार करके निकलना, ऊपर से दोनो का कातिलाना जिस्म, जिसे देखकर लोगो के दिल पर छुरियां चल जाए और नीचे लंड हरकत में आ जाए. पुष्पा गहरे रंग की हरी साड़ी और लाल ब्लाउस मे कहर ढा रही थी तो अमृता अपने तोते के रंग की हल्की हरे रंग की सलवार कुर्ते में. दोनो के ऊपर के गले इतने बड़े की छाती की हल्की गहराई देखकर लोग पहला जाए... पारंपरिक परिधान में श्रृंगार और रूप यौवन की ऐसी कामुकता दिखाई दे रही थी कि उसके आगे बिकनी बेब फेल हो जाए...



दोनो जब चल रही थी, छम-छम पायल की आवाज कई मनचलों के सीने पर बिजली गिरा जाती. दोनो का बदन इतना आकर्षक था कि नजरें बदन से हटे नहीं. दोनो ही आज बलून फोड़ने की प्रतियोगिता में पहुंची थी जहां अमृता का पति नरेंद्र हिस्सा ले रहा था.


ये प्रतियोगिता ठीक रवि के दुकान के पीछे ही हो रहा था जहां दूर दूर तक पुरा खाली खेत था. भिड़ जमा करने के लिए काफी उपयुक्त जगह. फाइनलिस्ट चुनने की प्रतियोगिता चल रही थी और नरेंद्र भी अपना निशाना साध रहा था...


प्रतियोगिता के बीच में ही रवि और पुष्पा की नजरें मिली और पुष्पा ने उसे किनारे आने का इशारा कर दिया. रवि पुष्पा और अमृता के पास पहुंचते... "कैसी है अमृता दीदी, पुष्पा दीदी"..


पुष्पा:- हम दोनों तो सदाबहार मस्त है, लेकिन एक बात बता, इस प्रतियोगिता में कौन विजेता नजर आ रहा है..


रवि:- पुष्पा दीदी यहां 1 विजेता तो..


पुष्पा:- अमृता के सामने भी पुष्पा ही कहा कर ज्यादा फ्रेंडली लगता है.. हां अब बता..


रवि:- ज्यादा फ्रेंडली है तो पहले दिल के अरमान कह लेने दो.. अगर तुम गांव की बेटी ना होती तो अब तक कई मर्द कलेजा काटकर तुम्हारे सामने रख देते..


पुष्पा:- और तुम..


रवि:- अभी यहां भिड़ कुछ ज्यादा है वरना दिल के अरमान बताने के लिए मै तो तुम्हारे पाऊं मे अपना सर ही डाल देता.. तुम्हे देखकर अंदर से ही हिला हुआ हूं..


अमृता:- अच्छा जी, ऐसा लग रहा है यहां मै हूं ही नहीं..


रवि:- वो क्या है ना अमृता दीदी, बहुत कुछ आपके लिए भी कॉम्प्लीमेंट है, लेकिन मै कैसे कह सकता हूं... बहुत चेत कर चलना पड़ता है..


अमृता:- हां बेटा मै सब समझती हूं.. हो जा फ्रेंडली बस एक के साथ और मुझे अनदेखा किया है ना इसका बदला मै लूंगी...


रवि:- अमृता दीदी, आप दीदी हो और वो बीवी, अंतर समझ जाओ.. आपकी वैसी तारीफ नहीं निकाल पाएगी...


अमृता:- इस बारे में कल बात करेंगे.. फिलहाल विजेता के बारे में कुछ बता रहे थे...


रवि:- हां, 1 विजेता तो चला गया वरना उसके रहते तो यहां कोई नहीं जितने वाला था..


पुष्पा:- कौन..


रवि:- वो नदी के पास वाला जो फलवान गांव है वहीं के है अतुल भैया, क्या निशाना है उनका, मै, रूपा भाभी और मनीष भैया तो उसका निशाना देखकर ही दंग रह गए थे.. अब जब वो नहीं है तो मुकाबला हम तीनों मे ही होगा..


पुष्पा:- और नरेंद्र जी...


रवि:- उनका निशाना ठीक ठाक है, लेकिन वो नहीं जितने वाले.. मुझे तो लगता है मूविंग बॉडी के निशाने मे ही वो छंट जाएंगे..


पुष्पा:- मेरी इक्छा है कि वो फाइनल जीते.. गांव में रूपा भाभी की तरह नरेंद्र जी का भी नाम होना चाहिए..


रवि:- तुम मैच फिक्स करवाने आयी हो.. ये तो चीटिंग है..


पुष्पा:- चीटिंग तो तुमने भी किया था, तब तो बड़ा मज़ा आ रहा था, और यहां भाषण झाड़ रहे...


रवि:- गए मेरे 20 हजार.. पिछली बार इन औरतों के हूटिंग ने मुझे हराया था, इस बार तो मैच फिक्सिंग ही हरवा देगा..


अमृता:- रोते क्यों हो, तुम्हे 20 हजार मै दिलवा दूंगी..


रवि:- रहने दो नहीं चाहिए 20 हजार, जाओ खुश हो जाओ. लेकिन किसी को भी ये बात बताना मत, वरना मुझे गांव छोड़कर भागना पड़ेगा..


पुष्पा:- हां तो तुम्हे मै अपने पास रख लूंगी तू चिंता मत कर...


रवि:- मतलब गाव से भगाने का सोच ही लिए हो तो ठीक है....


रवि उन दोनों को छोड़कर प्रतियोगिता में वापस से सामिल हो गया. निशानेबाजी चल रही थी, इसी बीच रवि आखों के इशारे से अपने कर्मचारी को सब समझा दिया. खेत में पतली पटरियां बिछाई गई थी और नीचे व्हील लगाकर मोटर से उसे मूव करवाया जा रहा था. हर निशानची को 20 बुलेट मिले थे जिसे 5 मिनट के अंदर मूविंग टारगेट पर चलाना था..


नरेंद्र का स्कोर वैसे तो 7 बुलेट खर्च करने के बाद भी ओपन नहीं हुआ, लेकिन अगले 13 बुलेट बिल्कुल सटीक निशाने पर. प्रतियोगिता का ये चरण भी समाप्त हुआ और रवि फाइनलिस्ट के नाम अनाउंस कर रहा था, और फाइनल में कितने राउंड होंगे वो सब समझा रहा था. तभी अचानक वहां का चिलचिलाती सूरज काले बादलों से ढक गया और बारिश की छोटी छोटी बूंदे पड़ने लगी.


सभी लोग बारिश से बचने के लिए मंदिर के ओर चल दिए और रवि अपने गोदाम मे घुसा. जैसे ही पर्दा खोलकर अंदर आया, सामने अमृता स्टूल पर बैठी थी. उसे देखकर रवि मुस्कुराते हुए कहने लगा... "लगता है दोनो सहेलियां आपस कुछ भी नहीं छिपाती. कहीं तारीफ नहीं किया उसका बदला तो नहीं लेने चली आयी"..


अमृता, आंख मारती... बदला तो जरूर लूंगी लेकिन तेरे मेरे आंसू कहीं और से निकलेंगे.… वैसे पुष्पा तुमसे पूछना भुल गई... तुम्हे उसके साथ मज़ा तो आ रहा है ना...


रवि अपने घुटने पर बैठकर अमृता के दोनो पाऊं पुरा फैलाकर, सलवार के ऊपर से ही चूत में अपना मुंह घुसाते…. "लंड जब चूत में जाता है तो दिल करता है गपागप धक्के मारते ही रहो. उफ्फ गरम चूत के अंदर लंड के होने का एहसास ही निराला है...


"उफ्फफफफफफफफफफफफफ रवि.. तुम तो अभी से ही जान निकाल रहे हो, जबकि मेरा पति तो तो मुझे रोज जम के ठोकता है"… चढ़ती श्वांस के साथ अमृता अपनी बात कहती हुई, अपनी कमर को हल्का-हल्का रवि के मुंह के ओर धकेलने लगी और कुर्ते के ऊपर से ही, बारी-बारी अपने चूची को दबाने लगी...


रवि नीचे चूत में मुंह लगाकर, नीचे से हाथ कुर्ते के अंदर ले गया. रवि के ठंडे हाथ जब अमृता के नरम गोरे पेट से लगे, तो वो सिसककर, उसके नीचे से बढ़ते हाथ को पकड़ती हुई... "अरे रुको रुको, ऐसे तो तुम मेरा सूट ही फाड़ डालोगे"..


अमृता का कहना भी सही था. उसका सूट इतना टाइट था कि यदि हाथ सीने तक पहुंचता, तो शायद सूट फट जाता. अमृता उठकर खड़ी हो गई और अपने हाथ ऊपर करके वो जबतक सूट निकालती, रवि सलवार का नाड़ा खींच दिया... "अरे रवि तुम तो कुछ ज्यादा ही बेसब्र हो गए"… अमृता सूट उतारती हुई कहने लगी.


रवि, अमृता को खींचकर खुद मे समेटते... "तुम्हे देखकर रुकने की इक्छा मर गई है"….. "तो रुकने कह भी कौन रहा है रवि"… दोनो के होंठ बिल्कुल करीब आ चुके थे और रवि अमृता के होंठ को चूमते हुए अपने हाथ उसके बदन पर चलाते, पीछे से ब्रा के इलास्टिक को खींचकर छोड़ दिया..


रवि की इस शरारत से अमृता पूरी तरह कसमसाती हुई होंठ छोड़ी और आंखो से बनावटी गुस्सा दिखाने लगी. रवि, अमृता के चेहरे को देखकर हसने लगा और अपना मुंह उसके चूची के बीच डालकर जीभ से चाटने लगा.. रवि की इस अदा पर अमृता फिसलती हुई, उसके बालों पर हाथ फेरने लगती है.


हाथ फेरते हुए रवि ने अमृता के ब्रा का हुक खोल देता है. जैसे ही सीने से ब्रा हटा अमृता की दोनो चूचियां हवा में लहराने लगी. रवि अमृता के दोनो चूची को अपने दोनो हाथ से थामकर मसलते हुए अमृता के गर्दन पर जीभ चलाने लगा.. अमृता लंबी-लंबी श्वास लेती बिल्कुल पिघलती जा रही थी...


"आह्हहहह, रविईईईईईई... मै पहले से बहुत एक्साइटेड थी, प्लीज सीधा खेल शुरू करते है."… "खेल शुरू करने के लिए मैदान भी तैयार करना पड़ता है मैडम, यहां मैंने तो अपना मैदान तैयार कर लिया तुम पीछे रह गई".... "बहुत बड़े वाले हरामी हो तुम तुम"..


अमृता नीचे बैठ गई और अपने हाथ से रवि के पैंट का बटन खोलकर पैंट को नीचे करने लगी... "मेरा शर्ट तो खोलना ही भुल गई".... "ऊपर क्या चूची लटकेगी, जो शर्ट खोल दूं... अपने काम की चीज तो नीचे ही है"… अमृता अपनी बात कहती अंडरवेयर को भी पाऊं मे खिसका दी और लंड को अपने हाथ में लेती... "ऊम्मममममम, कड़क सामान है, साफ तो रखते हो ना"..


रवि:- इसे तो अब मुंह के सफाई की आदत है अमृता, और जारा देखो तो मुंह देखकर कैसे मचल रहा है...


अमृता शरारती हंसी हंसती रवि के अकड़ी लंड पर 3 चार हाथ मार देती है, जिससे लंड स्प्रिंग की तरह हिलने लगता है... "वाकई ये मचल रहा है"… अमृता अपने नरम हाथ की मुट्ठी में लंड को दबोचकर उसके सुपाड़े को बाहर निकाल लेती है और जीभ को लंड के सुपाड़े के ऊपर बड़े प्यार से गोल-गोल घुमाने लगती है. अमृता का ये प्रहार जानलेवा था. रवि के मुंह से लंबी आह निकल जाती है और उत्तेजना में उसके पाऊं कांप जाते है...


अमृता लगातार लंड के सुपाड़े पर जीभ गोल-गोल घुमाने लगती है और रवि, अमृता के बाल को मुट्ठी में भिचकर लंड को पूरा मुंह में ही डाल देता है. वह इतना उत्तेजित था कि अपना पूरा लंड अमृता के मुंह में पेल देता है... अमृता की आखें पूरी बड़ी हो गई, गाल लाल पर गए. मुंह का पुरा लार उसकी चूची पर गिर रहा था. तेज छटपटाहट और अमृता के हाथ चलाने के कारन उसकी चूड़ियां लगातार खानखाना रही थी.. लंड पूरा मुंह में होने के कारन वो ठीक से चींख भी नहीं पा रही थी बस "गुगुगुगुगुगु" की आवाज निकल रही थी.
:superb: :good: amazing update hai nain bhai,
itna interesting pratiyogita chal raha tha lekin ye pushpa didi ne to match hi fix kar diya hai,
aur idhar ab amrita ka bhi account ravi ne khol hi diya :eek: ,
Ab dekhte hain ki aage kya hota hai
 
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