Yug Purush bhai !
232 पेज से भरी हुई कहानी को सिर्फ एक ही पैराग्राफ में रिव्यू लिखकर इस शानदार कहानी के साथ न्याय नहीं किया जा सकता । अच्छा तो यही रहता कि प्रत्येक अपडेट पर अपने विचार व्यक्त करता लेकिन फिर रिव्यू , रिव्यू न होकर एक तरह से उस कहानी की कार्बन कॉपी बन कर रह जाती ।
इस कहानी का शीर्षक भले ही 8th semester है लेकिन यदि ' अरमान " शीर्षक भी होता तो भी बुरा नहीं होता । क्योंकि यह कहानी ही अरमान की थी । उसके चरित्र परिवर्तन की थी । उसके आइडियालोजी की थी ।
यदि आप का सामान्य ज्ञान बढ़िया है....आप को भक्ति कालिन कवियों की दोहाएं कंठस्थ है.... आप रिति कालिन लेखकों की रचनाओं से परिचित हैं....देश दुनिया की बड़ी बड़ी विभूतियों की उद्धरण आप के जेहन में सुरक्षित हैं और सबसे बढ़कर आप की याददाश्त अद्भुत है तो फिर आप से तर्क वितर्क में कोई भी व्यक्ति आसानी से जीत नहीं सकता ।
और ये सारी खुबियां हमारे ज्ञानी भाई के अंदर मौजूद है जो उनके ही किरदार अरमान के थ्रू हम सभी ने अच्छी तरह से महसूस किया ।
कुछ कुछ तो ऐसे उद्धरण हमारे सामने प्रस्तुत किया गया था जो हम कभी सोच भी नहीं सकते थे । यही नहीं सेक्सुअल उद्धरण जो इस फोरम पर बहुत से राइटर्स और रीडर्स जब तब इस्तेमाल करते रहते हैं , वह भी हमें अब मालूम हुआ कि इन सब के जन्मदाता हमारे ही ज्ञानी भाई थे ।
कहानी में कामेडी के बारे में बात करें तो लगभग प्रत्येक अपडेट इस बात का साक्षात उदाहरण है कि उनसे बेहतर इस विषय पर कोई लिख नहीं सकता । अरमान , अरूण , सौरभ ने अपने डायलॉग से हमारा भरपूर मनोरंजन किया ।
लड़की और दोस्त - मुझे हमेशा लगा , अरमान ने सदैव दोस्ती को लड़कियों से ज्यादा महत्व दिया । जितना फ्रैंक वो दोस्तों के बीच था उसका एक परसेंट भी लड़कियों के मामले में नहीं रहा । लड़कियों से उसने कभी भी ढंग से बातें नहीं की और शायद यही कारण था कि कालेज की हर लड़की ने उसे फेसबुक पर ब्लाक कर रखा था ।
उसके दोस्तों ने भले ही उसके हर झगड़े में उसका साथ दिया लेकिन मुझे वो कभी उसके वेल वीशर दोस्त नहीं लगे । सिर्फ दारू पीना और कालेज में बवाल मचाने भर की दोस्ती थी उनकी । जब भी अरमान सुधरने की कोशिश करता उन्होंने राह में अपनी टांगें घुसेड़ी ।
ईशा ही एकमात्र लडकी थी जिसे अरमान ने कुछ हद तक इज्जत से नवाजा था बाकी लड़कियां तो उसे फुटी आंख नहीं सुहाती थी । हर लड़की से गलत तरीके से पेश आया चाहे विभा हो , चाहे एंजिलिना हो , चाहे एंजिलिना की सहेलियां हों , चाहे दिव्या हो या चाहे आराधना हो ।
अरमान ने अपने तर्क से खुद को बेकसूर साबित कर दिया कि वो आराधना की मौत का गुनहगार नहीं है लेकिन सच कहूं तो वो हंड्रेड परसेंट उसकी मौत का कारण है ।
फेयरवेल पार्टी में यदि उसने आराधना की आंखों से छलकते हुए आंसू को समझने की कोशिश करता..... आराधना का बार बार उसके दोस्तों के पास जाकर अपने प्रेम की दुहाइ देने की कोशिश को समझने की कोशिश करता..... आराधना के उन शब्दों को गहराई से समझने की कोशिश करता जब उन्होंने पहली बार सेक्स किया था , तो शायद आराधना आज जिंदा रहती ।
कुछ दिन पहले ही मैंने लाउंज में कहा था कि महिलाएं प्रेम और अपनेपन की भुखी होती है । यदि उन्हें आप यह दोगे तो वो अपना सब कुछ वह आप पर वार देगी। और अगर उन्हें यह महसूस हुआ कि आप उन्हें तिरस्कृत कर रहे हैं तो फिर वो अपना पराया , सही गलत सब कुछ भुल जाती हैं । और कभी कभी सुसाइड भी कर लेती हैं ।
भगवान ने औरत और मर्द दोनों को शारीरिक रूप से ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी अलग अलग बनाया है । शायद अरमान महिलाओं को ठीक तरह से समझ नहीं सका ।
खैर , अरमान का एंग्री यंग मैन का वह किरदार मुझे बेहद ही जबरदस्त लगा जो पुलिस थाने में सुप्रीटेंडेंट और अपने कालेज के दोस्तों के सामने दिखाया था । लेकिन वह कदम भी जोश में होश खोने वाला ही था । एक तरह से " आ बैल मुझे मार " वाला स्टेप था ।
आखिरी के अपडेट्स में ईशा और गौतम दोनों अरमान के जानी दुश्मन बनकर नजर आए लेकिन मुझे लगता है ईशा जिस बिमारी से जुझ रही है उससे वह उतना दोषी नहीं लगती है जितना की गौतम । इस कहानी का और अरमान का सबसे बड़ा खलनायक हैं तो वो है गौतम ।
इस कहानी में मुझे सिदर का कैरेक्टर सबसे बढ़िया लगा । अरमान ने सही कहा था वो मल्टी टेलेंटेड बन्दा है । लेकिन उसकी असमय मृत्यु से हमारी भी भावनाएं आहत हुई । और यह भी अब पता है कि उसके मौत का भी जिम्मेदार गौतम ही है । शायद इस कहानी के नेक्स्ट पार्ट में उसके साथ क्या हुआ , पता चले ।
कहने को तो बहुत कुछ है और लिखने बैठूं तो तीन चार पन्ने तो शर्तिया ही लिख डालूं लेकिन जैसा कि मैंने पहले कहा यह एक छोटी मोटी कहानी जैसे बन जायेगी ।
बहुत ही खूबसूरत और जबरदस्त कहानी थी यह । यह कहानी और अरमान का किरदार तो शायद ही कभी भुल पाऊं ! मेरी पसंदीदा कहानी हो गई है यह ।
एक सेंटेंस में ही कहकर अपने शब्दों को विराम देता हूं - आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट एंड जगमग जगमग ।