Update 8
जैसे हिं भाभी बाथरूम गयी मैं गेट से कान लगा दिया रात का समय था तो पूरा शांत था कुछ हिं देर में मेरी कान में..... सरसर...सरसरसरसरसर सर्रर्रर सर्रर्रर सर्रर्रर सर्रर्रर सर्रर्रर सर्रर्रर सर्रर्रर की एक जोरदार साउंड सुनाई दे रहा था । मैं यही सोच रहा था काश मैं भाभी की बुर से पेशाब की तेज धार निकलता देख पाता ...तेज साउंड सुन के रोमांचित हो गया और ये सोचने लगा कैसे खुशी भाभी भैया के लौड़ा पे प्रेशर के साथ पेसाब की होगी आआआह काश मेरे लौड़ा पे भाभी अपनी पेसाब की धार छोड़ती आह मैं तो अपना मुंह सटा देता और भाभी सर कहता आह खुशी भाभी मेरी मुंह मे अपनी प्रेशर से पेसाब कीजिये ...सोच हिं रहा था कि मुझे बाथरूम से साउंड आना बंद हो गया ।
मैं वहाँ से हट गया क्योंकि भाभी कभी भी बाहर निकल सकती थी । मैं अपने गेट से सट के खड़ा हो गया ताकि भाभी मुझे नही देखे उसके कुछ देर बाद गेट खुलने की आवाज सुनाई पड़ा और भाभी जा रही थी। मैंदेखता हूँ कि भाभी के दोनों हाथ मे कुछ नही है और सोचने लगा गंदी पेंटी तो भाभी पहनी नही होगी । हे भगवान काश उसे भाभी नहीं धोया हो । जैसे हिं भाभी गेट बंद की मैं भागता हुआ बाथरूम गया और पेंटी ढूंढने लगा कोने में 2 पेंटी थी लेकिन वो ब्लू कलर और ग्रे कलर की थी दोनों सुखी पेंटी थी। मैं सोचने लगा भाभी तो अभी मरून कलर की पहनी थी मैं कपड़ा को हटा के देखता हूँ तो उस कपड़े के अंदर वो भाभी की अभी वाली पेंटी दिखाई दिया उसे जल्दी मैं लिया जैसे हिं लिया ये तो पता चल गया कि बहुत गीली है मैं अपने जेब मे रख लिया और बाहर निकलने वाला हिं था कि फिर पता नही क्या होता है मैं पीछे घूम के में वो ब्लू पेंटी और ग्रे पेंटी को भी ले लिया और अपने कमरे में आ गया।
मैं अपने कमरे में आते ही गेट लॉक किया और अपने दोनों जेब मे से तीनों पेंटी को निकल लिया और बेड पे चढ़ गया भाभी वाली पेंटी बिल्कुल गीली थी बुर और लंड के रस से और बहुत सारी केक भी लगी हुई थी बुर के सामने वाली जगह पे बहुत केक था । फिर मेरा ध्यान इलास्टिक पे गया जहां साइज L लिखा हुआ था।
मेरे से बर्दास्त नही हुआ मैं पहले अपने नाक के पास ले गया और सूंघा मुझे बहुत मज़्ज़ा आया , फिर मैं पेंटी को जहां बुर के पास केक लगा था उसे चाटने लगा मीठा लग रहा था और कुछ खटमिठा भी भैया और भाभी की लंड और बुर रस से भरी थी पेंटी । जिसे मैं पुरी सिद्दत के साथ चाट रहा था । ऐसा फील हो रहा था कि मैं भाभी की बुर चाट रहा हूँ अभी ताज़ा तरीन भाभी की बुर मेरे आंखों के सामने आ रही थी बहुत मज़्ज़ा आ रहा था खाश कर अपनी खुशी भाभी की मस्त पेंटी उसपे अभी अभी लगी हुई ताज़ा बुर रस आआआह पागल सा हो गया मैं अच्छे से चाट लेने के बाद
मैं पेंटी को अपने लंड पे लपेट के आगे पीछे करने लगा बहुत मज़्ज़ा आ रहा था लौड़ा फुल टाइट हो गया था । अब पेंटी को पलटा के जो बुर के चिपकी हुई रहती है उस तरफ़ कर के बेड बे पेंटी को फैला दिया और पूरा नंगा हो के अपना लौड़ा को पेंटी के ऊपर जहां ठीक बुर होता है उसके ऊपर आगे पीछे करने लगा । मैं अपनी आंख बंद कर खुशी भाभी की थोड़ी देर पहले जो बुर देखा था वो मानो मेरे आंखों के सामने आ गया था अपनी भाभी की बुर में अपना लौड़ा पेल रहा हूँ यही सोच के आगे पीछे करने लगा फिर मुझे याद आया की दो और पेंटी थी ग्रे कलर की जो पेंटी थी उसे लेता हूँ और पलटा के बुर वाली जगह पे दाग लगी हुई थी फिर पलटा के इलास्टिक में साइज देखा तो उसमें M लिखा हुआ था आआआह ये तो मेरी छोटकी की पेंटी है आआआह बबली मैं पेंटी को नाक के पास लेके सूंघने लगा और मन हिं मन सोचने लगा एक बबली हिं थोड़ी पतली है आह उसको उसका भाई राहुल चोद के बिल्कुल मा ,भाभी और दीदी की तरह बना दूंगा साथ हिं भाभी के पेंटी पे लंड घिस रहा था.... बबली की पेंटी को रख के दूसरी पेंटी जो थी ब्लू कलर की उसको लिया देखने से हिं लग रहा था बड़ी है पेंटी को पलटा दिया और बुर वाली जगह देखने लगा आआआह इस पेंटी में बहुत ज्यादा वाइट वाइट दाग था ब्लू पेंटी पे दाग चमक रहा था फिर में इलास्टिक में देखा तो साइज XL था ...आआआह भाभी तो L पहनती है छोटकी M ये मम्मी या जुली दीदी में से किसी एक कि है, लेकिन जुली दीदी तो दोपहर के बाद आई वो तो नहाई नही है
आआआह ये मम्मी की हिं पेंटी है आआआह और मैं बुर वाली जगह को चाटने लगा पता नही क्या हो गया मम्मी की पेंटी को जीव से जैसे हिं चाटने लगा एक अलग हिं मज़्ज़ा आ रहा था फिर मैं ठीक वैसी हिं जैसे भाभी की पेंटी को बेड पे रख के बुर वाली जगह पे अपना लंड घिसने लगा कुछ ज्यादा हिं मज़्ज़ा आ रहा था फिर मुझे भाभी की रूम जाते टाइम पापा मम्मी की बात याद आ गयी कैसे दोनों जुली दीदी के बारे में बात कर रहे थे इधर मेरा लौड़ा मम्मी की पेंटी पे ठीक बुर वाली जगह पे आगे पीछे हो रहा था.....
मेरे मन मे ये बात आते हिं की मम्मी जब बोली थी " बेटे के सालगिरह पे मम्मी की गाँड़ में पापा का लंड"
मैं तुरंत उठ के पेंटी को पलटा दिया और गाँड़ वाली जगह पे लंड घिसने लगा आआआह आआआह मम्मी तो आज गाड़ मरवाई होगी पापा से आआआह आआआह .....
मुझे ऐसा लग रहा था मेरा लौड़ा कभी भी पानी छोड़ देगा इसलिए मैं मम्मी की पेंटी को हटा के भाभी की हिं पेंटी को रख के उसपे लंड घिसने लगा उसमे पानी गिर जाता तो कोई दिक्कत नही थी क्यों वो तो पहले से हिं लंड बुर रस से गीली थी....
बंद कमरे में घर की गाँड़ और बुर को सोच के मुठ मारने वाला मैं आज थोड़ा प्लान किया कि घर की इतनी बात पता चल गई आआआह
वो सारी एक्सट्रीम बात आआआह
कैसे भैया बुर चाट रहे थे बुर पे लगी केक खा रहे थे आआआह
कैसे भाभी भैया के लंड के पानी को मुंह पे रख के बाद में भैया के लौड़ा को हिं नहला रही थी आआआह....
जुली दीदी भाभी की बुर पे केक लगाई और ऐसी बात की जो भाभी भैया को बता रहे थे आआआह दोनों की बीच कितनी अच्छी बात होती होगी आआआह
आआआह तभी भैया को जो पूछे थे भाभी आआआह जानू कैसा लग रहा है और भैया के मुंह से आआआह जु....ली निकल गया था मतलब भैया भाभी को जुली दीदी समझ कर चोद रहे थे आआआह आआआह आआआह ये सोचते हैं मेरे लौड़ा से पानी निकलने लगा आआआह मेरा तो आंख के आगे अंधेरा छाने लगा पिछले 1-2 घंटे में तीन बार मुठ निकल चुका था
कुछ देर ऐसे हिं लेटा रहा मैं फिर उठ के भाभी की पेंटी पे ढेर सारा माल गिरा था पता नही आज क्या हो गया था मुझे फिर लंड को भाभी की पेंटी से हिं पोछा....
मा और बबली की पेंटी को भी एक बार हाथ मे लेके
मा की पेंटी को हाथ मे लेकर ठीक बुर वाली जगह देखते हुए मेरे मुंह से इतना निकला आआआह पापा आप बहुत लकी हो जो इतना गदराई हुई माल को रोज चोदने को मिलता है आपको
ठीक उसी तरह मैं बबली की पेंटी को ठीक बुर वाली जगह देखते हुए बोला आआआह नॉटी बहन मेरी तरह हिं तुम्हारी भी हाल है मैं हाथ से हिलाता हूं और तुम फिंगर डालती हो ...
ये तो पक्का है तुम फिंगर डालती हो क्यों कि मैं वो दिन नही भूल सकता उस दिन घर मे बस तुम थी और मैं बाहर से आया था और जब बतरूम जाने के लिए गेट के पास पहुंचा तो अंदर से आआआह आआआह की साउंड आई मतलब खुद से कोई और तो था नही
आआआह बहन वादा करता हूं तुम्हारी खयाल मैं रखूंगा और चोद चोद के दीदी और भभी के तरह बना दूंगा ....और बुर वाली जगह चुम लिया...
मैं तीनो पेंटी को पॉकेट में लिए बाथरूम में पहले पेसाब किया और बस आज की हिं बात याद आ रहा था मेरा दिमाग काम कर हिं नही रह था पेसाब कर लिया और ऐसे हिं खडा था फिर अपने पॉकेट से पेंटी निकाला और उसे निकाल कर देखने लगा
आआआह घर की बुर ढकने वाली कपड़ा में इतना मज़्ज़ा आया आआआह और जब उसे चोदा जाय तो कितना मज़्ज़ा आएगा आआआह ये सोचते हिं एक बार फिर मेरा लौड़ा टाइट होने लगा मैं हैरत में पड़ गया कि पहले तो ऐसा नही होता था सच मे घर की बुर और गाँड़ में एक अलग हिं मज़्ज़ा है
बस सोचने से हिं लौड़ा टाइट हो जाता है भाभी की पेंटी गीली थी उसे दूसरी हाथ में रेखा माँ और बबली की पेंटी को एक हाथ मे लेके लौड़ा पे लपेट के हिलाने लगा दोनों पेंटी लौड़ा पे जैसे हिं गया मेरे दिमाग मे बस ये बात आई आआआह जब मा और बहन को एक साथ चोदा जाय तो कितना मज़्ज़ा आएगा आआआह
तब ना पापा जिस लौड़ा से चोद के बेटी पैदा किये वही लौड़ा बेटी की बुर और गाँड़ में जाने के लिए तड़पता है तब न पापा जुली दीदी की गाँड़ को देख रहे थे आआआह कितना अच्छा रखता एक फैमिली में सब एक दूसरे को चोदने की आज़ादी रहती आआआह लगता है फिर माल गिर जाएगा आआआह आआआह आआआह बहन आआआह .....
मेरी होश आई और अचानक ही जल्दी से पेंटी को लंड से हटाया और दूसरी हाथ मे जो पेंटी थी वो लंड पे रख दिया लौड़ा से माल निकल रहा था पेंटी पे और मेरी आँख बंद थी ऐसा लग रहा था कि खड़े खड़े गिर जाऊंगा मैं एक हाथ से दीवाल पकड़ के खड़ा था....कुछ देर बाद मेरी आँख खुली कमजोरी तो बहुत लग रही थी....किसी तरह भाभी की पेंटी से लंड को पोछा भाभी की पेंटी भी बहुत गीली हो गयी थी एक तो पहले से गीली थी ऊपर से 2 बार मेरी मुठ से गिला हो गया...फिर मैं मा और बहन की पेंटी को अल्टा पलटा के देखा उसपे माल नही गिरा था जो पेंटी जहां था वही रख के बाहर निकलने लगा....
जैसे हिं गेट खोल के बाहर निकला कि गेट से कुछ हिं दूर पे बबली खड़ी है....