Update 28
सुबह के 9 बज रहे थे....
राहुल के दरबाजे की खट खट के साउंड से नींद खुलती है ...
रात में राहुल बहुत देर रात तक मोबाईल पे सेक्स स्टोरी पढ़ता रहा..लेट से सोने के कारण राहुल अभी तक सो ही रहा था..
बबली- भाई खोलो भी दरवाजा..
राहुल- अंदर से अभी आया ...
और गेट खोलता है राहुल
बबली- क्या भाई इतनी लेट तक सोते हो
राहुल- बबली को देखते हुए अरे (मुश्करते हुए) अपनी मोबाइल दिखाते हुए बोलता है कुछ ज्यादा टाइम तक हिं दूसरे दुनिया मे रहा इसलिए ...
बबली- फिर भी इतना लेट
राहुल- हँसते हुए 5 बजे सुबह में तो सोया
बबली- क्या ?? इतनी देर
राहुल- हा हा हा हा उसका भी मज़्ज़ा अलग हिं है ..ऐसे क्या बोलने आई थी
बबली- भाई टिकट तो बुक कर लो पता नहीं खाली भी है कि नही
राहुल- हाँ देखता हूँ पहले मुझे फ्रेश तो होने दे
बबली- ठीक है फ्रेश हो के आओ मेरे कमरे में तब तक मैं पढ़ती हूँ
राहुल - ओके
इतने राहुल फ्रेश होने के लिए चला जाता है
फ्रेश होने के बाद राहुल किचेन की और रुख करता है
देखता है खुशी भाभी नास्ता बना रही है
राहुल- गुड मॉर्निंग भाभी जी
खुशी- गुड मॉर्निंग देवर जी, तो जग गए मेरे देवर जी
राहुल- हाँ
खुशी- मुश्करते हुए लगता है आज कल कुछ ज्यादा हिं पढ़ाई पे ध्यान दे दिए हैं
राहुल- बिल्कुल भाभी
खुशी- तो किचेन आने का मतलब देवर जी को कड़क चाय चाहिए
राहुल- थोड़ा आगे बढ़ते हुए खुशी भाभी को पीछे सट के भाभी की कंधों में अपनी हाथ रखते हुए बोलता है
और क्या चहिए मुझे मैं बहुत खुशनसीब हूँ जो मुझे इतनी प्यारी भाभी मिली है जो मन की बात समझ जाती है
खुशी- अच्छा ऐसा क्या इतना पसंद है मेरे देवर को अपनी भाभी..
राहुल- कोई सक है क्या
खुशी - नही कोई सक नहीं है मुझे अच्छी तरह पता है कि मेरी दुलारा देवर अपनी भाभी को कितना प्यार करता है
राहुल- फिर भाभी आपको पता हिं होगा आपकी दुलरुवा को क्या पसंद है और कैसी पसंद है
खुशी- बस मुस्करा देती है और बोलती है
की अब लग रहा है देवर जी की राते नहीं कटती है
राहुल- लेकिन करू तो क्या करूँ भाभी
खुशी- बहुत लड़की है सादी करने के लिए करोगे देवर जी
राहुल- क्या भाभी आप भी पहले कोई जगह सैटल हो जाऊ तब तो तब ताकि आपको अपने देवर पे प्राउड हो और बिल्कुल अपनी तरह देवरानी ढूंढ लाओ
खुशी- अच्छा मैं अपनी तरह क्यों मेरे में ऐसा क्या खाश है जो
राहुल- भाभी आप खाश की बात कर रही हो बल्कि ये बोलो क्या खाश नहीं है नीचे से ऊपर तक आप कयामत लग रही हो
खुशी- बिल्कुल ऐसी ढूंढ लाऊंगी जो मेरे देवर को दिन रात खुश रखे
राहुल- हा हा हा भाभी दिन रात नही हरवक्त जब मूड हो जाय
खुशी- हा हा हा हा हा
राहुल- भाभी जितनी अच्छी आप हो मुझे नहीं लग रहा है भैया उस तरह आपका ख्याल रखते हैं
खुशी- वो कैसे देवर जी
राहुल- बस भाभी अन्दाज़ लगाया
खुशी- मैं तो खुश हूं
राहुल- थोड़ा सीरियस होते हुए नहीं भाभी आप उतना खुश नहीं हो जितना होना चाहिए (राहुल अपनी हाथों से खुशी भाभी की चेहरा अपनी और करते हुए आंखों में आंखे डाल के कहता है ) -
भाभी- आपको मैं तीन सालों से जनता हूँ आपकी ये आंखे देख के सब पता कर लेता हूँ आप मेरे से कुछ छुपा नहीं सकती हो
इतना राहुल के कहते हीं खुशी राहुल के बांहों में चल गई और प्यार से बोलती है- ऐसा देवर सब को दें जो अपनी भाभी का ख्याल रखता हो..
राहुल खुशी भाभी की चेहरे को अपनी हाथ से थोड़ा ऊपर करते हुए इस समय दोनों की नज़र आमने सामने थी , राहुल अपना होंठ थोड़ा आगे बढ़ाते हुए खुशी भाभी के फोरहैड पे किस करता था खुशी अपनी आंखें बंद कर के कुछ फील करती है
राहुल फोरहैड पे किस करते हुए बोलता है ऐसी भाभी भी सबको दे भगवान जो अपने देवर का इतना ख्याल रखती हो....
खुशी भी थोड़ा ऊपर होते हुए राहुल के फोरहैड पे किस करती है
राहुल अपनी दोनों हाथ की पकड़ जोड़ से खुशी भाभी को दबाते हुए यही तो चाहिए मुझे भाभीजी
जो इतना ख्याल रखती हो बाहर से तो पूरी संस्कारी और बंद कमरे में हा हा हा हा हा
खुशी- हे हे राहुल बोलिए बोलिये बंद कमरे में क्या...
राहुल- जब समझ हिं गए हैं
खुशी- समझ गयी अब देवर जी बड़े हो गए हैं
राहुल- बहुत बड़ा हो गया हूँ और मेरा सब कुछ बड़ा हो गया है
खुशी- क्या?
राहुल- ओह! सॉरी सॉरी ..
खुशी- मुश्करा देती है
राहुल- भाभी एक बात पुछु बहुत दिनों से चाह रहा हूँ लेकिन थोड़ी शर्म और थोड़ी डर भी लगता है
खुशी- अपनी एक हाथ राहुल के पीठ पे रखते हुए पूछिये देवर जी कैसी शर्म और कैसा डर वो भी अपनी भाभी से
राहुल- पक्का पूछ लूं भाभी
खुशी- हां जी
राहुल- आप मेरी तरफ मत देखिये ऐसे नहीं बोल पाऊंगा जी
खुशी- इतना शर्माता है देवर जी लेकिन बातें तो बड़ी बड़ी करता है जान बूझ कर और पता नहीं क्या क्या बड़ा हो गया है
राहुल- धत्त भाभी और धीरे से भाभी के कान के पास बोलता है भाभी-
खुशी- बहुत मधुर स्वर से बोलती है बोलिये न देवर जी..
राहुल- भाभी जब भैया नहीं रहते हैं तब आप भी मोबाईल पे वो सब देखती और पढ़ती हैं...
खुशी भाभी- ही ही ही ही इसी बात से डर रहे थे देवर जी
राहुल- थोड़ा उदास होते हुए मुझे पता था आप नहीं बताओगी
खुशी- अपनी एक हाथ राहुल के गाल पे सहलाते हुए बोलती है, अरे देवर जी रूठो मत
तो मेरे देवर को जननी है कि जब भाभी अकेली रहती है तो क्या करती है
राहुल- हा हा हा हा आप हो हिं इतनी लाजवाब की क्या बोलू
खुशी- थोड़ा धीरे आवाज़ में राहुल के बिल्कुल कान के पास अकेली में हिं नही आपके भैया रहते हैं तब भी देखती और पढ़ती हूँ
राहुल- क्या ? वाह! मज़्ज़ा आ गया भाभी आआआह! इसलिए न बोलता हूँ भाभी बिल्कुल आपकी जैसी हिं खोज के लाना अपने लिए देवरानी मज़्ज़ा आ गया
खुशी- ऐसे देवर जी समझी नहीं ये देखने से क्या मतलब है
राहुल- हा हा भाभी जानती तो आप सब हो बस ऐसे हिं पूछ रही हो न
खुशी- जानती तो हूँ लेकिन ये भी तो जानू की देवर क्या जनता है
राहुल- जो ये सब देखते हैं पढ़ते हैं उनकी लेवल काफी ऊपर की होती है
खुशी- हा हा हा हा हा
राहुल- मतलब मेरी प्यारी भाभी की लेवल भी काफी ऊपर है( अपने मन मे मुझे अच्छी तरह पता है भाभी आपकी लेवल क्या है भाभी जी)
खुशी- हा हा समझते ही हो और ज़्यादा अपने भैया से पूछ लीजिएगा
राहुल- धत्त भाभी ये सब बात कहीं भैया से पूछा जाता है , देवर तो भाभी से हिं ऐसी ज्ञान ले सकता है ना
खुशी- अच्छा ऐसी बात है लेकिन मुझे ऐसा लग रहा है देवर पहले से हिं सीखा पढ़ा हुआ है
राहुल- अपना मोबाईल दिखाते हुए भाभी ये बहुत कुछ सिखला दिया है
खुशी- हँसते हुए कुछ ज्यादा न सीख लीजिएगा देवर जी की पहली रात में हिं देवरानी की हालत खराब
राहुल- बिल्कुल आपके जैसी रहेगी तो उसका नही मेरा हालात खराब हो जाय
खुशी अपनी प्रशंसा सून के मंद मंद मुस्करा रही थी
राहुल- ऐसे दो दिन से आप अकेली हो आज आ रहे हैं भैया पूरी तरह सर्विसिंग कर देंगे
खुशी- सरमाते हुए , धत्त देवर जी
राहुल- भाभी एक बात और पुछू ?
खुशी- आज तो देवर जी कुछ अलग हिं मूड में है रात में कुछ हुआ था क्या?
राहुल- जब उस तरह की दिखाई और पढ़ाई होगी तो कुछ तो होगा हिं न
खुशी- हा हा हा हा ऐसे क्या पूछ रहे थे देवर जी?
राहुल- धत्त ये भी पूछने में शर्म आ रही है
खुशी- फिर से शर्म और बाते बड़ी बड़ी
राहुल- कुछ ऐसा हिं समझ लीजिए..
बोलू भाभी
खुशी- हाँ
राहुल- आपकी मैक्सिमम कितना दिन तक सर्विसिंग नहीं हुई है? हा हा हा हा
खुशी- क्या? और एक चपत लगाती है राहुल को
राहुल- बताइये न भाभी
खुशी- 32 दिन
राहुल- वॉव क्या डाटा है एक मोन्थ भी बोल सकते थे लेकिन एडजेक्ट बोले वाह मज़्ज़ा आ गया मतलब 32×24=768 घंटे तक
खुशी- क्या omg अच्छा कैलकुलेशन है
राहुल- जब भाभी आप इतना कन्फर्म हो के दिन का याद रख सकते हैं मैं तो बस कैलकुलेशन किया ऐसे ये हुआ कब था
खुशी- पीछले बार जो मायके में मेरी तबियत खराब हुई थी
राहुल- उसमे तो मैं भी गया था लेकिन 14-15 दिन में तो आप ठीक हो गयी थी और उसके बाद तो भैया गए थे न
खुशी- मुश्करती हुई हाँ लेकिन वो नही हुआ था..
राहुल- मतलब भैया खाली हाथ लौट आये हा हा हा हा
खुशी- खाली हाथ क्यों और भी सुविधा है देवर जी
राहुल- हा हा हा हा
खुशी-चाय की कप देते हुए बोलती है लीजिए देवर जी चाय ..
राहुल अपनी भाभी की हाथों से चाय की कप लेते हुए मजाकिया अंदाज में बोलता है भाभी से
भाभी ये गर्म चाय में उंगली डाल दूँ तो वो उतनी गर्म नहीं होगी जितनी आप हो भाभी
खुशी- थोड़ी लजाते हुए बोलती है इतनी भी नहीं हूँ
राहुल-क्या इतनी भी नहीं हूं भाभी
खुशी- सेक्सी अदा से बोलती है " इतनी भी गर्म नहीं हूँ देवर जी जितनी आप समझ रहे हो"
राहुल- भाभी आपको इस बात का पता नहीं है क्यों कि अपनी लोहा की गर्मी का पता तो तब चलती है....हा हा हा हा
खुशी- बोलिये देवर जी कब चलती है
राहुल- चाय की चुस्की लेते हुए बिल्कुल खुशी भाभी के कान के पास बोलता है- जब अपने से ज्यादा गर्म लोहा से स्पर्स होती है...
खुशी भाभी- ही ही ही समझ रही हूँ मेरी देवरानी की हालत खराब होने वाली है
राहुल- वो तो बाद कि बात है मुझे तो लग रहा है कि आज भैया की आप बोटी बोटी नोच लीजिएगा हा हा हा हा...
इतना बोल के राहुल किचेन से निकल जाता है और चाय की शिप लेते हुए बबली की रूम में जाता है...
बबली राहुल को देखते हुए बोलती है
बबली- तो आ गए महानुभाव फ्रेश हो के
राहुल- मुश्कराते हुए बस जी बोलता है
बबली- तो फिर टिकट बनाने की कृपा की जाय
राहुल अपने पॉकेट से मोबाईल निकलता है
बबली- चाय तो पी लो पहले भाई
राहुल बबली की बेड पे बैठ जाता है बबली बलंकेट के अंदर लेटी हुई थी और सामने किताब खुली हुई थी...
राहुल- ओह बबली भाभी की बनाई हुई चाय में वो मज़्ज़ा नहीं है
बबली- अच्छा फिर किसकी बनाई हुई चाय मेरे भाई को सबसे अच्छी लगती है
राहुल- गेस करो?
बबली- भाभी की अच्छी लगती नहीं है तो फिर माँ के हाथों की लगती होगी...
राहुल- गलत
बबली- फिर
राहुल- अपनी एक हाथ बबली की शिर में रखते हुए बोलता है मेरी छोटकी की हाथों का
बबली- क्या सच मे भाई
राहुल- हाँ बबली सच्ची
बबली- ये तो मेरे भाई का प्यार है अपनी बहन पे
राहुल- जब बहन इतनी प्यारी हो तो भाई का तो फ़र्ज़ बनाता है ना उसे प्यार दे छोटकी
बबली- मेरे भाई तो लाखों में एक है
राहुल- और मेरी बहना करोड़ो में एक
राहुल अपनी मोबाइल में irctc खोलता है और 28 के डेट में सर्च करता है
राहुल- बबली स्लीपर क्लास और थर्ड टियर में तो बहुत वेटिंग है
बबली- और ट्रैन होगी न उसमे देखो न
राहुल- सारी ट्रैन का वही हाल है
बबली- फिर
राहुल- सेकंड टायर में है खाली ,लेकिन बबली टिकट बहुत मंगही है..
बबली- कितनी मंगही है
राहुल- मुस्कराता हुआ बोलता है मैं तो कभी एग्जाम देने स्लीपर से या फिर जेनरल से गया और अपनी स्क्रीन देखते हुए और यहाँ तो...
बबली- लेकिन इस बार तो आपकी प्यारी बहन जा रही है वो भी पहली बार एग्जाम देने...
राहुल- धीरे से बबली की कानो में ये बात पिता श्री से कहो न छोटकी वही पे करेंगे मैं नहीं
इस बातों पे दोनों जोर से ठहाका लगते हैं
बबली- तुम हिं जाओ न भाई
राहुल- हा हा हा हा मैं नहीं जाने वाला कहाँ जेनरल बॉगी में यात्रा करने वाला न बाबा मैं नहीं तुम हिं जाओ छोटकी
बबली- ओके अभी आती हूँ पापा को बोल के लेकिन बताया कहाँ
राहुल- बस टिकट की हिं खर्चे नहीं वहां 7 दिन रहने भी होंगे फिर खाना पीना बहुत ख़र्चा है मैडम
बबली- बताओगे भी तब न
राहुल- हँसता हुआ तुम एक एग्जाम में पापा की एकाउंट खाली कर दोगे
बबली- है मिस्टर मैं हिं नहीं तुम भी एग्जाम देने जा रहे हो और अपनी एक आँख मारते हुए बबली बोलती है राहुल से की पापा इतना जो एकाउंट गरम किये हैं कब काम आएगी
राहुल- फिर तो तू पहले जाओ और 30-35 K मेरे एकाउंट में ट्रांसफर करवा लाओ
बबली- बस अभी आई पापा से मिल के
बबली पापा के रूम में जाती है पापा आफिस के लिए रेडी हो रहे थे..
बबली- गुड मॉर्निंग पापा
शंकर- गुड मॉर्निंग बेटा
बबली- पापा टिकट बनवानी है पैसा चाहिए था
शंकर- कितनी चाहिए बेटा..
बबली- मोबाइल की स्क्रीन दिखाती है
शंकर- देख के मुश्कराता है
बबली- पापा क्यों मुश्करा रहे हैं
शंकर - नहीं बस ऐसे हिं
बबली- आपको मेरी कसम पापा बोलिये न प्लीज् क्यों मुश्करा दिए
शंकर- ओह कसम क्यों दे दी बेटी अब तो बोलना हिं पड़ेगा न
बबली- बोलिये न
शंकर- बेटा जितनी तुम टिकट की दाम दिखा रही हो उसमे तो राहुल 5 एग्जाम दे के आ जाय
बबली- हा हा हा लेकिन इस बार आपकी बिटिया दे रही है ना वैसे पापा सीट खाली नहीं है इसलिए..
शंकर- कोई नहीं बेटा मैं राहुल के एकाउंट में भेज दे रहा हूँ और जब जाओगी तब ले लेना
बबली- अपने पापा के बांहों में जाती हुई बोलती है थैंक्यू पापा..
शंकर- बस बेटा इसी तरह मन लगा के पढ़ो और अपने साथ साथ मेरी भी नाम रौशन करो
बबली- जी पापा
शंकर- बेटा आफिस के लिए लेट हो रहा हूँ..
बबली- ओक पापा आप अभी हिं भेज दीजिए कहीं ऐसा हो न ये भी सीट फुल हो जाय
शंकर- हाँ भेज देता हूँ
......
बबली अपनी रूम आती है राहुल वही बैठा था बबली राहुल को देखते हुए बोलती है..
बबली- अपनी चुटकी बजाते हुए देखे बच्चू कैसे मीनट में काम हो गया
राहुल- हा हा हा इसलिए तो तुम्हें भेजा ,ऐसे कितना बोली भेजने
बबली- अभी पता नहीं कितनी भेजेंगे लेकिन जाते टाइम और दे देंगे
राहुल - ओके
..इस तरह दोनों में कुछ देर बात होती है
दूसरी तरफ
बिमलेश शुबह 5 बजे हिं बस से निकल गए थे जो अभी अभी पहुंचे थे राकेश जो शहर में रहता था..
बिमलेश अपनी मोबाईल निकाल के टाइम देखता है तो 11:30 हो रहा था साथ मे खुशी की 2 मिस्ड कॉल भी था
बिमलेश खुशी की नंबर डायल करता है
स्टैंड से थोड़ा एकांत में हो जाता है
कुछ रिंग के बाद हिं फ़ोन पे आवाज़ आती है...
खुशी- हेलो
बिमलेश- हाँ
खुशी- क्या जी कहाँ कहाँ रहते हैं फ़ोन का तो कोई रेस्पांस हिं नहीं
बिमलेश- अरे सो गया था बस में जी
खुशी- हँसते हुए अच्छा किये जो सो लिए वैसे रात में तो जगनी हिं पड़ेगी न
बिमलेश- हर वक्त तुम यही सोचती रहती हो क्या
खुशी- वो सब छोड़िये घर कब तक आईयेगा
बिमलेश- अभी बस से उतरा हूँ सोच रहा हूँ जुली से मिल लू पास हिं रहती है
खुशी- वाह वाह क्या बात है बीबी को कौन पूछता है जब बहन हिं बीबी बनने के लिए तैयार है
बिमलेश- अभी बाहर हूँ तुम तो न जाने बस यूं हिं कुछ से कुछ
खुशी- एक बात बताईये न
बिमलेश - वो क्या?
खुशी- बस ननद रानी से मिलने जा रहे हैं या ननद रानी को चोदने क्यों कि अभी तो ननदोई जी भी नहीं होंगे
बिलमेश- धत्त पागल हो गयी हो तुम क्या , आ रहा हूँ तब तुम्हारी खबर लेता हूँ
खुशी- आइये जनाब आपकी स्वागत आज कुछ ज्यादा हिं अच्छी से करूंगी जरा तैयार हो के आईएगा..और बहन की मलाई भी पीते आईएगा ही ही ही ही
बिमलेश- रखता हूँ बाद में करता हूँ..
अपने मन मे कुछ सोच के मुस्करता है और कुछ 10 मिनट पैदल चलने के बाद ...
गेट पे बेल बजाता है
अंदर से एक मधुर आवाज सुनाई परता है
जुली- कौन हैं?
बिमलेश- मैं हूँ जुली
ओह भैया आये हैं और इतने में हिं सरारत उसके मन मे आ जाती है
अंदर से बोलती है अभी आई भैया
और अपनी कमर में हाथ डालती है और पेंटी खोल के बेडरूम में जा के पिल्लों के पास रख देती है...और जल्दी से गेट खोलने चली जाती है..
गेट के खुलते हिं बिमलेश अपनी प्यारी छरहरे बदन वाली खूबसूरत बहन को देख के हिं अंदर हिं अंदर मोहित हो जाता है..
जुली- भैया कब चले थे
जुली की आवाज़ सून के बिमलेश का ध्यान टूटा..
बिमलेश- वो वो 5 बजे चला था
जुली- अच्छा ..
जुली मैन डोर लगाती है और भैया के पीछे पीछे आ जाती है..
बिमलेश अपना बैग वही रखते हुए बाथरूम में टॉयलेट करने के बाद निकलता है..
भैया आप बैठिए मैं चाय लाती हूँ बना के..
बिमलेश बेड पे बैठ जाता है...कुछ देर इधर उधर की बातें सोच रहा था कि उसकी नज़र पिल्लों के बगल में रखी पेंटी पे गया..
उसका मन मे हुआ कि यहां क्यों है , हो सकता है रात से हिं हो ना चाहते हुए भी
अपना हाथ आगे बढ़ा के पेंटी को हाथ मे लिया ओह ये तो गर्म लग रहा है रात में खुली रहती तो ये ठण्डा रहता लेकिन ये तो गर्म है
अपने मन मे क्या मेरे आने के बाद खोली है ओह ये जुली को भी मज़्ज़ा आने लगा है क्या अपनी नज़र गेट पे हिं बनाये हुए था कि कहीं जुली आ न जाय चाय लेके ..
बिमलेश पेंटी को पलटा के अंदर देखता है ठीक बुर वाली जगह पे उजला धब्बा बना था बिमलेश खुद को रोक नही पाया ये सोच के आआआह जुली कुछ देर पहले इसे अपनी चूत से सटा के रखी थी और पेंटी को अपने नाक के पास लेके सूंघने लगा उसे भीनी भीनी खुशबू आने लगा कब बिमलेश की आंखे बंद हो गयी पता हिं नहीं चला
इतने में जुली चाय लेके किचेन से आ रही थी जैसे हिं गेट के पास आई अपने भाई नाक पे लगा के सूंघ रहे अपनी पेंटी पे नज़र परते हिं पूरी बॉडी सिहर गयी गेट से थोड़ा हट गई जुली अपनी एक हाथ अपनी सलवार के ऊपर से हिं अपनी चूत के उपर रगड़ती है आह भैया ...जुली का दिल नही मानता है और एक बार फिर अपनी थोड़ा फेस आगे करते हुए देखती है कि भैया पेंटी को सूंघने के साथ साथ अपनी जीव से चाट भी रहे हैं ये देख के जुली को ऐसा फील हुआ जैसे भैया पेंटी नही मेरी बुर को अपनी जीव से चाट रहे हैं ..
जुली अपने पे कंट्रोल करती है और कैसे जाय अंदर...
जुली फिर किचेन चली जाती है और वहां से बोलती है
जुली- भैया पानी भी पिजियेगा क्या
बिमलेश को जुली की आवाज़ सून के सकपका जाता है और जल्दी से अपनी नाक से पेंटी को हटाते हुए
बोलता है नहीं ...और पेंटी को अपने चड्डी के अंदर रख लेता है
जुली अंदर आती है
जुली- लीजिए भैय्या चाय
बिमलेश- चाय की कप पकड़ता है ..
खड़ी क्यों हो बहन बैठ जाओ
चाय की एक शिप लेते हुए
बहन आज चाय में वो टेस्ट नहीं है
जुली- लेकिन क्यों भैया मैं तो वैसे हिं बनाई
बिमलेश- हाँ , मुझे लग रहा है आज मलाई जो नहीं मिलाई इसलिए वैसा टेस्ट नहीं है
जुली अपने सगे भाई के मुंह से अपनी बुर की मलाई की बात कहते हुए अंदर हिं अंदर शर्मा रही थी अपने मे हिम्मत लाते हुए बोलती है
जुली- भैया हर वक्त मलाई तो नहीं ना रहती है.
बिमलेश- अच्छा ..
जुली-भैया अब आपको मलाई मार के हिं पिलाऊंगी चाय
पता है भैया आपको एक बात
बिमलेश- वो क्या बहन
जुली- की जितनी हिं धीमी लो पे जलती है उतना हिं गाढ़ा और टेस्टी मलाई की टेस्ट होती है
बिमलेश- हाँ बहन मुझे तो वैसा हिं मलाई पसंद है एकदम गाढ़ा वो बहुत टेस्टी होता है...और तुम्हारे हाथों से बनी चाय में जो वो गाढ़ा मलाई मिलाती हो आआआह उसका स्वाद हिं निराला होता है
जुली - चाय पी लिए भैया इतनी जल्दी
बिमलेश- बिना मलाई की चाय पीने में कितनी देर
जुली- हा हा हा भैया आप भी न..
आती हूँ किचेन से घीमी आंच में पकने दे दूंगी ताकि गाढ़ा मलाई बने
कुछ देर के बाद ऐसे हिं किचेन से घूम फिर के आ गयी
वैसे भैय्या जो काम से गए थे वो हो गया न
बिमलेश- हाँ बहन वो काम हो गया..
राकेश कितने बजे निकला आफिस
जुली- वही 9:30 के करीब
बिमलेश- जब मैं आया तो मन हुआ डायरेक्ट आफिस हिं चले जाऊ लेकिन सीट पे बैठ के आया थोड़ा सोचा आराम हिं कर लूं
जुली - अच्छा किये भैया यहां आ गए
लेट जाइये न
बिमलेश- मैं भी सोच रहा हूँ..
और बिमलेश लेट जाता है
तुमको कुछ काम है क्या
जुली - नहीं भैया लंच बना हिं ली हुन मैं तो लेटी हिं थी कि आप आये
बिमलेश- ओहो तो लेट जाओ न तुम भी
बिमलेश थोड़ा खिसक जाता है और जुली भी लेट जाती है ..
बिमलेश- अपने ऊपर तुम भी बलंकेट ले लो
जुली- उधर से थोड़ा खीचिए न
बिमलेश ये लो ...
जुली- आज रुक हिं जाइये न भैया
बिमलेश- आज यदि मैं घर नहीं पहुंचा तो खुशी मेरी जान ले लेगी हा हा
जुली- हा हा हा भाभी 2 दिन भी नहीं रह पाती है
बिमलेश- वो तो तुम्हारी भाभी है तुम जानती होगी न अच्छे से
जुली- मेरी भाभी से पहले आपकी बीबी है आप न जानोगे भैया वो कैसी है और क्या चाहिए उसे हा हा हा
बिमलेश- अच्छा ऐसा क्या वो नहीं रह पाती है
जुली- और आप रह लेते हो भैया
बिमलेश- हँसते हुए हा हा हा अब आदत जो हो गयी है
जुली- हे हे हे मतलब भाभी के साथ भैया भी उसी तरह फिर ये 2 रात कैसे रहे..
बिमलेश- खुशी थी ना
जुली- वो कहाँ थी जो
बिमलेश- चैट में वीडियो कॉल
जुली- हा हा हा वीडियो कॉल पे हिं वाह क्या बात है
बिमलेश- कुछ सुनाओ जुली बहन
जुली-क्या सुनाऊ भैय्या
बिमलेश- कुछ भी सुनाओ
जुली- ओके भैया मैं आपसे पहली पूछती हूँ देखती हूँ आप सही सही बता पाते हो कि नहीं
बिमलेश- ठीक है पूछो
जुली- सरारती अन्दाज़ में पूछती है
वो कौन सी चीज है जो लंबा सा है और जिसे लड़की अपने मुँह में लेकर आगे - पीछे करती है तो थोड़ी देर बाद सफ़ेद - सफ़ेद निकलता है।
बताओ भैया वो कौन सी चीज है
बिमलेश- अपनी बहन के मुंह से ऐसी बात सुनते हिं समझ गया लंड होगा लेकिन बोले कैसे
कुछ देर ऐसे सोचने का नाटक करते हुए मुझे ध्यान नहीं आ रहा है बहन
जुली- हार मान लिए पहले हिं भैया
बिमलेश- हाँ बहन
जुली- धत्त भैय्या बहुत हिं इजी था टूथ ब्रश
बिमलेश- हा हा हा
जुली- और पूछती हूँ बताइए
"लड़का करते करते थक जाता है और लड़की कहती है और करो बड़ा मजा आ रहा है"
बिमलेश- अपने मन मे ओह जुली तो डबल मीनिंग हिं पूछ रही है कैसे बोलू किसे चुदाई सोचने का नाटक करते ...
जुली- क्या भैय्या कितना देर सोचते रहियेगा आपको भाभी भी तो बोलती होगी न ऐसा फिर भी आप नहीं बता पा रहे हैं
बिमलेश- अब ऐसी पहेली का आंसर अपने बहन को किसे दूँ
जुली- मतलब आप वही सोच लिए ...ही ही इसका आंसर होगा शॉपिंग
बिमलेश- तुम भी न..ऐसे मज़्ज़ा आ रहा है और पूछो( बलंकेट के अंदर अपनी बहन की बातों का असर सीधे लंड पे कर रहा था उसके ऊपर अपनी बहन की पेंटी का असर )
जुली- कुछ सोचते हुए हाँ ये वाला बताइए तो
बिमलेश - पूछो
जुली- अक्सर कुछ लड़किया शादी के बाद अपने अपने पति का चाटती रहती है? बताओ भैय्या
बिमलेश- सच मे बता दूँ
जुली- हाँ
बिमलेश- दिमाग चाटती है
जुली- वाह क्या बात है , वैसे आपके दिमाग मे पहले क्या आया
बिमलेश- वो तो तुम भी जानती हो सादी सुदा तो तुम भी हो न
जुली- हे है
बिमलेश- वैसे इसका आंसर तुम देती तो तुम्हारे दिमाग मे पहले क्या आता है
जुली- बोल दूँ भाई
बिमलेश- हाँ बहन
जुली- बिमलेश के कान के पास बोलती है धीरे से लोढ़ा
बिमलेश- वाह देसी स्टाइल में आगे पूछो और
जुली- पुरूष की उस चीज का नाम बताओ जिस पर स्त्रियाँ अक्सर बैठती हैं? सोचो सोचो भैया कौन सी चीज है
बिमलेश- हा हा हा खुशी से पूछ लो
जुली- क्या भैया सब मे गंदी हिं सोचते हो
बिमलेश- तो क्या सोचू बहन जब सवाल हिं ऐसी है
जुली- क्या भैया बाइक पे भी तो बैठती है ना
बिमलेश- हा हा कितना आसान था लेकिन दिमाग मे पहले वही आता है
जुली- ही ही ही आप हो हिं ऐसे ( अपनी एक हाथ से बलंकेट के अंदर सलवार में डाल के अपनी बुर सहलाने लगती है और मज़्ज़ा बहुत आ रहा था जुली को अपनी भाई से ऐसी पहले पूछने में)
बिमलेश- क्या सोच रही हो बहन
जुली- अपने मन मे बना रही हूँ पहेली
बिमलेश- ओक बनाओ
जुली- बताइये भैया..
उस अंडाकार चीज़ का नाम बताईये जो चारो तरफ से बालो से घिरा होता है और उसका नाम C से शुरु होता है और T से ख़तम होता है और उसके अंदर सफ़ेद पानी भरा होता है
बिमलेश- अपनी बहन की मुंह से ऐसी बात सुन के मचल सा गया जुली की नज़र में नज़र डालते हुए बोला बता दूं बहन
जुली- मुश्करती हुई हाँ भैया
बिमलेश- अपना मुंह बिल्कुल जुली के कान के पास लेजाकर धीरे से बोलता है CHUT
जुली- धत्त गंदे भैया मुझे पता था आप यही बोलोगे
बिमलेश- यही तो होगा
जुली- मुश्कराते हुए COCONUT होगा भैया हा हा हा हा
बिमलेश- धत्त साला फिर गलत हो गया
जुली- अबकी बार बताइये भैया
वो क्या है जो अंदर जाते वक्त गुलाबी और कठोर होता है लेकिन बाहर आने पर मुलायम और चिपचिपा हो जाता है
बिमलेश- हा हा हा बबलगम
जुली- ही ही ही मुझे लगा फिर इस बार वही बोलोगे लेकिन आपके दिमाग मे पहले तो वही आई होगी
बिमलेश- हा हा सब तो तुम समझती हिं हो
जुली- ओके ये लास्ट है बात दीजिए
ऐसा क्या चीज़ है जिसे औरत या लड़किया मसल मसल के थूक लगा के घिस्ती है तब अंदर घुसता है
बिमलेश- इसका आंसर तो खुशी हिं देगी
जुली- को एक सरारत सूझती है अपने फ़ोन निकाल के खुशी भाभी को कॉल करती है लाउड स्पीकर ऑन कर देती है
खुशी- हेलो
जुली- प्रणाम भाभी
खुशी- खुश रहिये ,उस दिन जाने के बाद आज भाभी की याद आई
जुली- नहीं भाभी वो तो बस यूं हिं
खुशी- आपके भैया वहाँ पहुंचे
जुली- भैया को चुप रहने का इशारा करते हैं हाँ भाभी आये थे कोई दोस्त से मिलने बाहर गए हैं
खुशी- ओहो तब बताइये कुछ
जुली- भाभी एक दोस्त मेरे से एक पहले पूछी है आपको पता है
खुशी- पूछियेगा तब तो
जुली- ऐसा क्या चीज़ है जिसे औरत या लड़किया मसल मसल के थूक लगा के घिस्ती है तब अंदर घुसता है
खुशी- आपके भैया का लंड
जुली- आपसे यही उम्मीद थी
खुशी- जब ननद ऐसी क्वेश्चन पूछेगी तो आंसर क्या दूँ आपके भैया तो यही डाले थे हा हा हा
जुली- भाभी वो भैया का ल... नहीं बल्कि सूइ में धागा भी डाला जाता है ऐसे
खुशी- हा हा हा लेकिन मैं तो सूइ में धागा बहुत कम बार डाली हुन और वो ज्यादा तो क्या बोलू...
बिमलेश अपनी कान में उंगली डाल लेता है ताकि मैं नहीं सुन रहा हूँ (लेकिन वो बहुत धीरे से उंगली डाले रहता है)
जुली- भैया को आज यही रोक लेती हूं रात में मटन की पार्टी चलेगी
खुशी- अच्छा मटन खाने के बाद तो मेरी ननद रानी अपनी पिछवाड़ा खुलवाती है क्या भैया को रोक के रखोगी अपनी छेदा खुलवाने
बिमलेश का लौड़ा ये बात सुन के पूरा टाइट हो गया अपनी बीबी के मुंह से सुन के वो भी बहन की गाँड़ में लौड़ा डालने वाली बात वो भी बहन के सामने
जुली भाभी की मुंह से ऐसी बात सुन के शर्मा गयी लाउड स्पीकर मोबाइल की ऑफ कर देती है
जुली- क्या भाभी आपको 2 दिन भी बर्दाश्त नहीं होती है
खुशी- बिल्कुल नहीं ननद रानी डैली खाती है लोढ़ा उनको क्या पता ...
जुली- अच्छा अच्छा नहीं रोकूंगी हीहीहीही आगे पीछे सब ठोकवा लीजिएगा हा हा हा..
रखती हूँ भाभी भैया आ गए लगता है
फोन कट हो जाता है..
जुली- मुश्कराती हुई बोली भैया आपको आज भाभी छोड़ने वाली नहीं है
बिमलेश- मैं बोला था न पहले ही
जुली- आपको भाभी की गर्मी का पता चल जाता है
बिमलेश- हाँ उनका सेवा जो करता हूँ
जुली- अपनी बुर रगड़ती हुई मन में सोचती है आआआह इसकी भी सेवा कीजिये न भैया ..
बोलती है
भैया आपको मेरी कसम है इस तरह खबर लीजिएगा भाभी को की उठ न पाए आज मुझे भाभी चिढाई है
थोड़ा आगे सरकते हुए बिमलेश बिल्कुल जुली से सट जाता है और जुली भी थोड़ा खिसक जाती है ऐसा लग रहा था दोनों एक दूसरे की बांहों में हैं
बिमलेश अपना हाथ आगे बढ़ा के जुली को बांहों को टाइट से पकड़ता है और बोलता है
मेरी बहन को चिढाई है ना बहन की सिर की कसम आज की रात उसे इस तरह खबर लूंगा की दोपहर के 12 बजे से पहले उठ न पाय...
जुली को अपनी बांहों में लेने से बिमलेश का खड़ा लौड़ा सीधे जुली की बुर पे ठोकर मार रहा था जुली को समझते देर नही लगी कि ये क्या है अपने भाई के लौड़ा का ठोकर अपनी चुत पे लगने से बुर पूरी तरह पनिया गयी अपनी बुर की दबाब लौड़ा के देती हुई बोलती है
जुली- हाँ भैया 12 बजे से पहले बिल्कुल नहीं
बिमलेश- हाँ बहन
जुली- भैया किचेन में धीमी आज पे मलाई तैयार हो गयी होगी
बिमलेश- लाओ बहना मलाई धीमी आज की मलाई तो बहुत मज़्ज़ा आएगी
जुली बलंकेट में से निकलती है और किचेन में जा के एक कप हाथ मे लेती है और अपनी बुर के पास लगा देती है बुर तो रस से भरी हुई हिं थी उसे ये एहसास होते हैं हिं अपनी रस आज भैया को बिना किसी चीज में मिलाएं खिलाऊंगी ये सोचते हैं अपनी बुर को 2 बार सहलाती है कि फोहारा की तरह बुर से रस कप में जमा कर लेती है अपनी सलवार ठीक करती हुई कप लेके आ जाती है
भैया लीजिए मलाई बिल्कुल धीमी आज में सेकी हूँ तब जाके इतनी गाढ़ा मलाई बानी है
बिमलेश बलंकेट के अंदर हिं अपने लंड पे पेंटी चढ़ा देता है और बाहर निकलता है
जुली की नज़र बिल्कुम पेंट पे हिं टिकी थी जो बिल्कुल तंबू बना हुआ था..
बिमलेश- लाओ बहना इतना देर से मलाई बनने का इंतजार कर रहा था मैं..
जुली- लीजिए भैया पी लीजिए अपनी बहन के हाथों बनाई हुई मलाई
बिमलेश- कप के अंदर देखता है जो आधी कप भरा हुआ था मन हिं मन कल्पना करने लगा कि जुली कितनी गरमाई हुई माल है आआआह और कप अपने मुंह मे लगते हुए आधा मलाई अपने मुंह मे भर लेता है और मुंह खोल के जुली को दिखता है
इशारा से पूछता है बहन गाढा मलाई है ना
जुली बोलती है- हाँ बहुत
अपने भैया के मुंह मे अपनी बुर रस को देखती हुई एक बार बुर फिर गरमा गयी..
बिमलेश जैसे हिं मलाई को पीता है कि लंड एक पे एक पिचकारी पेंट के अंदर जुली कि पेंटी पे छोड़ने लगता है , बिमलेश की आंखे बंद हो जाती है और मुंह से आआआह बहन कितनी मस्त मलाई है आआआह बहन आआआह जुली बहन बहुत मस्त मलाई है साथ मे कप से मलाई भी पीता है
जुली अपने भैया को ऐसे देख समझते देर नही लगी कि भैया का लौड़ा रस छोड़ रहा है आआआह भैया कैसा लग रहा है अपनी बहन के नाम की मुठ निकाल कर आआआह अपनी हिं बहन की पेंटी में
जुली किचेन की और चल जाती है अपनी बुर एक बार फिर से रगड़ती हुई
बिमलेश का पूरा लंड से पानी निकालने के बाद खुद को रिलैक्स फील करता है और गेट तरफ हिं देखते हुए धीरे से अंदर हाथ डाल के पेंटी निकाल देता है पेंटी पूरी लंड रस से भींग गया था उसे वही पिल्लों के पास रख देता है ...
कुछ देर आराम करने के बाद बिमलेश बोलता है
बहन जा रहा हूँ कुछ जरूरी काम भी है
जुली- मस्का मरते हुए लेकिन भैया अपने यहां तो रात से पहले कोई जुगाड़ नहीं
बिमलेश- हा हा हा वो बात तो है लेकिन ये सच मे एक काम था
जुली- आपको बेस्ट ऑफ लक भैया कल दोपहर तक सुलाते हुए रखने के लिए
बिमलेश- जब मेरी प्यारी बहन आशीर्वाद दे दी है तो काम पूरा तो होगा हिं ऐसे मुझे लगता है आज राकेश भी बचने वाला नहीं है..
जुली- सही पकड़े भैया कहीं गेट के पास हिं न आपके दोस्त की पेंट न उतर जाय
बिमलेश - हा हा हा हा मेरा दोस्त बहुत लकी है हा हा हा
जुली- मन मे हिं भैया आप भी बहुत लकी हो
जुली- आते रहियेगा भैय्या
विमेलश-हाँ बहन बिल्कुल
और घर के लिए निकल जाते हैं बिमलेश
बिमलेश के जाते हैं गेट लॉक करती है और अपनी पूरी कपड़ा खोल के नंगी हो जाती है बेड रूम में बलंकेट हटा के इधर उधर ढूंढती है फिर पिल्लों के पास नज़र आती है उसके वो काली पेंटी जैसे हिं पेंटी हाथ मे लेती है पूरी तरह से चिपचिप और जैसे हिं खोलती है पूरा गाढ़ा सपेद माल से भरा हुआ
जुली अपने मे बुदबदाती है आह बहिया अपनी मलाई तो आपको इतना बार खिलाई आआआह आज आपकी मलाई चखने को मिलेगी आआआह भैया आपका इतना ज्यादा मलाई निकलती है एक हाथ से पेंटी को मुंह के पास रखते हुए थोड़ा रस जुली चाट लेती है आआह भैया क्या टेस्ट है आआआह और एक हाथ से अपनी बुर सहलाती हुई बोलती है आआआह भैया ये सारी रस आप जब मेरी बुर में डाल के गाभिन कर के अपना सपना पूरा करोगे आआआह भैया उस दिन का इंतजार रहेगा...6