अंकिता जी आप तो पाठकों के साथ उन नेताओं जैसा व्यवहार कर रही है जो चुनाव आने पर जनता की बहुत केयर करते है फिर चुनाव के बाद ऐसे गायब हो जाते जैसे गधे के सिर से सिंग। फिर अगले चुनाव तक नज़र नही आते।
आप भी अपडेट पोस्ट करने पर बहुत बड़े बड़े वादे करती है अच्छी अच्छी बाते करती है उसके बाद ऐसे गायब हो जाती है जैसे इस फोरम पर कभी आना भी नही होगा या इस मंच से कोई रिश्ता ही ना हो।पाठकों की टिप्पणी की कोई परवाह नही अपडेट का कोई पता नही।
आप जैसी लेखिका,जो कि इस मंच की शान है ऐसा व्यवहार उचित नहीं है।
कहानी में अनावश्यक व्यवधान की वजह से सारा तारतम्य टूट जाता है और एक अच्छी कहानी प्रभावहीन हो जाती है
पिछली कहानी भी अधूरी ही थी जिसे माणिक चंद और लण्डों का राजा ने अपने अनुसार पूरा किया।
आपसे अनुरोध है पाठकों की भावनाओ सर खिलवाड न करे अगर किसी प्रकार की समस्या है तो पाठकों से शेयर करे और पाठकों की प्रतिक्रिया का जवाब दे
कृपया पाठकों पर अपनी नजरे इनायत बनाये रखे अगर मेरी टिप्पणी गलत लगे तो फौरन से पेशतर यानी तुरंत अपडेट पोस्ट करे।